Sunday, December 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--61

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--61

मैं उठा और बाथरूम में मूतने घुस गया| जब मैं बहार आया तो नेहा को चेक करने लगा की कहीं वो हमारी आवाज सुन के उठ तो नहीं गई| मैं उसके सिरहाने बैठ गया और उसके बालों पे हाथ फेरने लगा| भौजी को लगा की मैं नेहा के पास सोने वाला हूँ|

भौजी: ये क्या? आप फिर से अलग सोने वाले हो?

मैं: मैं..... (मेरे कुछ कहने से पहले ही उन्होंने अपनी बात रख दी|)

भौजी: अगर यही करना था तो यहाँ आने का प्लान क्यों बनाया? (और भौजी मुंह फेर के दुरी तरफ करवट लेके लेट गईं)

मैं: अरे बाबा ...मैं तो बस नेहा को देखने आया था की कहीं वो जाग तो नहीं गई|

इतना कहके मैं वापस चादर में घुस गया और उनसे सट के लेट गया| जैसे ही मेरे नंगे बदन का एहसास भौजी को हुआ वो मेरी और पलटी और मेरे आगोश में समा गईं|

मैं: Are You Happy?

भौजी: Nope……

मैं: What??? I thought this is what you wanted?

भौजी: इतनी जल्दी नहीं.... अभी तो पूरी रात बाकी है|

इतने कहते हुए वो उठीं और मुझपे सवार हो गईं और मेरे लबों को अपने लबों से ढक दिया| मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ पे फिसलने लगे| पता नहीं क्यों पर उन्हें Kiss करते समय मेरे मुंह से "म्म्म्म्म...हम्म्म्म" जैसी आवाज निकलने लगी| मेरी आवाज सुन भौजी को नाजाने क्या हुआ उन्होंने मुझे और तड़पना शुरू कर दिया| वो मेरे होंठों को अपने होठों से छूटी और फिर हट जातीं... फिर छूतीं...फिर हट जातीं| फिर उन्होंने ध्यान मेरे निप्प्लेस पे केंद्रित किया| उन्होंने झुक के उन्हें बारी-बाजरी अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया| उनके हर बार काटने पर मुंह से "आह" निकल जाती| काट-काट के उन्होंने निप्पलों को लाल कर दिया| फिर वो खिसक मेरे घुटनों पे बैठ गईं और झुक के मेरे मुरझाये हुए लंड को अपने मुँह में भर लिया| लंड चूँकि सिकुड़ चूका था तो वो पूरा का पूरा उनके मुँह में चला गया| पर चूँकि अभी-अभी पतन के बाद वो सो रहा था| भौजी पूरी कोशिश करने लगीं की वो खड़ा हो जाए पर कमबख्त माना ही नहीं! भौजी ने उसे दो मिनट तक अच्छे से चूसा परन्तु वो अकड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था| मुझे खुद पे गुस्सा आने लगा की "यार भौजी का कितना मन है...और ये कमबख्त खड़ा ही नहीं हो रहा|"

मैं: Sorry यार.... इसे थोड़ा समय लगेगा!

भौजी का मुँह उतर गया| मैंने उन्हें फिर से अपने नीचे लिटाया और उस मुरझाये हुए को जैसे-तैसे अंदर डाल दिया| अंदर जाने में उसने परेशान तो किया पर फिर मैं भौजी के ऊपर लेट के उन्हें Kiss करने लगा और भौजी के नादर की आग भड़कने लगी|

भौजी: कोई बात नहीं...थोड़ा आराम कर लो!

मैं: ना...

मैं उन्हें फिर से बेतहशा चूमने लगा| भौजी के मुँह से "मम्म" जैसी आह निकलने लगी और ये आवाज मेरे दिल की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी थी| पूरे शरीर में जैसे खून का बहाव अचानक से बढ़ गया| और ये क्या लंड भौजी की योनि की गर्मी पा के अकड़ने लगा|

भौजी: "आआह" !!!

मैं: क्या हुआ?

भौजी: आपका "वो" आह्ह्ह !!!

मैं: दर्द हो रहा है?

भौजी: नहीं.... आप हिलना मत|

लंड में जैसे-जैसे कसावट आ रही थी वो भौजी की योनि जो सिकुड़ गई थी उसे फिर से चौड़ी करने लगा| देखते ही देखते लंड फिर से अकड़ के फुँफकार मारने लगा|

भौजी: आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स

मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बहार करना शुरू कर दिया| और भौजी के मुख पे आये भाव साफ़ बता रहे थे की वो इसे कितना एन्जॉय कर रहीं हैं|

मैं: आपको Hardcore तरीका देखना है?

भौजी: हाँ.... स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह्ह्ह्हह्ह !!!

मैंने धक्कों की रफ़्तार एकदम से तेज कर दी और मैं जितनी ताकत थी सब झोंक डाली.... भौजी के मुँह से सिस्कारियों की रेल शुरू हो गई; "आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ....माआअ म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ..... आह आह आह ......स्स्स्स...अह्ह्हह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म" और इसी शोर के साथ भौजी स्खलित हो गईं| मैं जनता था की अगर मैं अभी नहीं रुका तो भौजी को दर्द हो सकता है... इसलिए चार-पांच बार के धक्कों के बाद मैं रुक गया और भौजी के मुख को देखने लगा| भौजी ने आँखें मूँद रखीं थीं, करीब दो मिनट बाद उन्होंने आँखें खोलीं और मुझे देखा| मेरी आँखों में प्यास साफ़ झलक रही थी|


 उन्होंने करवट ली, मुझे नीचे लिटाया और मेरे लंड पे सवार हो गईं| फिर उन्होंने ऊपर-नीचे होना शुरू किया| उनके हर धक्के से लंड उनके गर्भ से टकराता और भौजी उतना ही ऊपर उचक जातीं| उनकी योनि अंदर से मेरे लंड को खा रही थी...निचोड़ रही थी... चूस रही थी| पांच मिनट के झटकों ने ही मेरी हालत ख़राब कर दी| मैं झड़ने वाला था.... और मैंने भौजी के स्तनों को अपने हाथों में दबोच कस के दबा दिया| भौजी के मुँह से एक जोरदार चींख निकली; "आअह्ह्ह!!!" और हम दोनों एक साथ झड़ गए| भौजी की योनि में हम दोनों का रस भरा हुआ था और वो बहने लगा था....बह्ते-बह्ते वो मेरे टट्टों से होता हुआ बिस्तर पे जा गिरा| मैंने अचानक से करवट बदली और भुजी को अपने नीचे लिटा दिया| उनके स्तन मेरे दबाने से लाल हो गए थे और शायद दुःख भी रहे होंगे| इसलिए मैंने अपनी जीभ से उन्हें धीरे-धीरे चाटने लगा ताकि मुँह की गरमाई से शायद वो कम दुःखें| भौजी ने अपने दोनों हाथ मेरे सर पे रख दिए और उँगलियाँ मेरे बालों में फिराने लगीं|

मुझे नहीं पता की उनके स्तनों में दर्द होना बंद हुआ या नहीं पर इस बात का खेद था की मेरी वजह से उन्हें तकलीफ हुई और ये बात मेरे चेहरे से साफ़ झलक रही थी|

भौजी: बस बाबा... अब दर्द नहीं हो रहा| अब आप भी लेट जाओ... कब तक इसी तरह मुझे प्यार करते रहोगे?

मैं: सारी उम्र!

भौजी: आपको मेरा कितना ख्याल है....मेरी हर ख्वाइश पूरी करते हो..... सब से लड़ पड़ते हो सिर्फ मेरे लिए! प्यार करते समय भी अगर मेरे मुँह से आह! निकले तो परेशान हो जाते हो.... अब इससे ज्यादा एक औरत और क्या चाहती है अपने पति से? I LOVE YOU !

मैं: I LOVE YOU TOO !!!

फिर हमने एक smooch किया और मैं उनकी बगल में लेट गया| भौजी ने मेरे बाएं हाथ को खोल के सीधा किया और उसे अपना तकिया बना उस पे अपना सर रख दिया और मुझे झप्पी दाल के सो गईं| सुबह जब आँख खुली तो सुबह के सात बज रहे थे और नेहा और भौजी दोनों अभी तक नहीं उठे थे|


 मैं उठा और भौजी को वापस चादर ओढ़ा दी| AC बंद किया... बाथरूम में मुँह-हाथ धोने घुस गया| बहार आके मैंने TV ओन किया और न्यूज़ देखने लगा| बेब्स से ये बात साफ़ हुई की हालत सुधरे हुए हैं और कोई भी दंगा वगेरह नहीं भड़का| ये सुन के दिल को सकूँ मिला!!! मैंने फटा-फैट अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए| पहले सोचा की चाय आर्डर कर दूँ फिर सोचा की यार भौजी ने कपडे नहीं पहने हैं ऐसे में ये ठीक नहीं होगा| फिर मैंने प्यार से नेहा को उठाया और उसे गोद में ले के बाथरूम गया और हाथ-मुँह धुल के वापस सोफे पे बैठा दिया| उसका फेवरट टॉम एंड जेरी आ रहा था और वो बड़े चाव से उसे देख रही थी|

मैं उठ के भौजी के पास गया और बेडपोस्ट का सहारा ले के बैठ गया| फिर धीरे से उनके सर पे हाथ फेरा और गाल पे Kiss किया| मेरे Kiss करने पे भौजी थोड़ा कुनमुनाई और फिर आँखें खोल के मेरी ओर देखा ओर मुस्कुरा के; "Good Morning" बोलीं| मैंने भी जवाब में "Good Morning" कहा|

मैं: चलिए बेगम साहिबा ... उठिए! घर नहीं जाना क्या?

मेरी बात सुन के जैसे उनका सारा मूड ही ऑफ हो गया| ओर वो मुँह बना के उठीं ओर चादर जो उनके ऊपर पड़ी थी उसे ही लपेट के बाथरूम में घुस गईं| जब दस मिनट तक वो वापस नहीं आइन तो मुझे मजबूरन बाथरूम का दवाए खटखटाना पड़ा|

मैं: यार I'M Sorry!

पर आदर से की आवाज नहीं आई... मैं घबरा गया ओर दरवाजा तोड़ने की तैयारी करने लगा| पर जैसे ही मैंने दरवाजे को छुआ वो खुल गया| अंदर जाके देखा तो भौजी कमोड पर बैठीं थीं ओर कुछ बोल नहीं रहीं थी|

मैं: (अपने घुटनों पे आते हुए) Please ..... I'M Sorry ! I didn’t mean to….

भौजी: नहीं... आपकी कोई गलती नहीं.... बस थोड़ा सा emotional हो गई थी| I LOVE YOU !!!

मैं: I LOVE YOU TOO !!! मैं जानता हूँ आप वापस घर नहीं जाना चाहते और सच मानिये मैं भी नहीं जाना चाहता| पर हमारे पास और कोई चारा नहीं है| घर तो जाना ही पड़ेगा ना?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| मैं जानता था की उन का मन उदास है और अब कहीं न कहीं मैं खुद को दोषी मैंने लगा था| मैं आगे बढ़ा और उनके होंठों को चूम लिया| भौजी थोड़ा सामान्य दिखीं और मैं बहार आ गया और पाँव लटका के पलंग पे बैठ गया| करीब पांच मिनट बाद भौजी बहार निकलीं और अपने कपडे अलमारी से निकाले और वपस बाथरूम में घुस गईं और तैयार हो के बहार आ गईं| अब मेरेमुँह लटका हुआ था ... भौजी मेरे पास आईं और बोलीं;

भौजी: अब आप खुद को दोष मत दो| मैं भूल ही गई थी की हमें घर भी वापस जाना है| प्लीज....

मैं: ठीक है... आप बैठो... मैं चाय के लिए बोल के आता हूँ|

भौजी: नहीं चाय रहने दो... पहले से ही बहुत लेट हो चुके हैं| नौ बज रहे हैं...चलिए चलते हैं|

मैं: नहीं... खाली पेट कहीं नहीं जायेंगे?

भौजी: पर मैंने ब्रश नहीं किया?

मैं: तो क्या हुआ... एक दिन बिना ब्रश के कुछ खा लो! और वैसे भी अब तो मैं आपको भूखा बिलकुल नहीं रहने दूँगा| (मेरा इशारा भौजी की प्रेगनेंसी की ओर था)

भौजी मेरी बात समझ गईं और मुस्कुरा दीं| मैं चाय-नाश्ता बोलने के लिए रिसेप्शन पे गया और वहीँ से पिताजी को फ़ोन मिलाया;

मैं:हेल्लो पिताजी प्रणाम!

पिताजी: खुश रहो बेटा... अब कैसे हालात हैं वहाँ?

मैं: सब शांत है पिताजी...बस चाय पीके निकल ही रहे हैं|

पिताजी: ठीक है बेटा सही-सलामत यहाँ पहुँचो|

मैं: जी पिताजी|

मैं वापस अपने कमरे में पहुंचा और दो मिनट बाद ही वहाँ चाय-नाश्ता लिए बैरा आ गया|

भौजी: आप तो चाय बोलने गए थे? ये नाश्ता कैसे?

मैं: Complementry है!

भौजी: हाँ-हाँ मैं ही बेवकूफ हूँ यहाँ| Complementry !!!

मैं: यार... आपको भूखा नहीं रहना चाहिए ना?

भौजी: हाँ बाबा समझ गई.... अब आप मेरा ख़याल नहीं रखोगे तो कौन रखेगा?

मैं मुस्कुरा दिया और हमने बैठ के नाश्ता किया| नाश्ते में गोभी और पनीर के परांठे थे और बहुत टेस्टी भी थे|

मैं: डिलीशियस!!!

भौजी: अच्छा जी?

मैं: I mean not as Delicious as you’re!

ये सुन भौजी खिल-खिला के हंस पड़ीं| तब जाके मन को चैन मिला की कम से कम वो हँसीं तो| हम तैयार हो नीचे आ गए, रिसेप्शन पे वही बुजुर्ग अंकल खड़े थे|


 बुजुर्ग अंकल: जा रहे हो बेटा?

मैं: जी... अभी माहोल शांत है...सोचा यही समय है निकलने का|

बुजुर्ग अंकल: हाँ बेटा ...पर अब घबराने की कोई बात नहीं है| हालात काबू में हैं!!! तो अब कब आना होगा?

मैं: जी अभी तो कुछ नहीं कह सकता पर जब भी आएंगे यहीं रुकेंगे|

बुजुर्ग अंकल: हाँ बेटा जर्रूर|

मैं: अच्छा अंकल चलते हैं|

बुजुर्ग अंकल: खुदा हाफ़िज़ बेटा!

मैं: खुदा हाफ़िज़ अंकल|

होटल से टैक्सी स्टैंड कुछ दूरी पे था तो मैंने बहार निकल के रिक्शा किया और उसने हमें टैक्सी स्टैंड छोड़ा| टैक्सी स्टैंड पहुँचने तक भौजी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था|

भौजी: वो अंकल मुसलमान थे?

मैं: तो?

भौजी: फिर भी उन्होंने हमारी मदद की?

मैं: वो इंसानियत का फ़र्ज़ अदा कर रहे थे, और उनकी जगह मैं होता तो मैं भी उनकी मदद अवश्य करता| मेरे हिंदी होने से उन्हीने कोई फर्क नहीं था और न ही मुझे उनके मुसलमान होने से कोई फर्क पड़ा| ख़ास बात ये थी की उन्होंने हमारी मदद की!

भौजी: आप सही कहते हो| मुसीबत में जो साथ दे वही सच्चा इंसान होता है| "मजहब हमें नहीं बांटता हम मजहब के नाम पे खुद को बांटते हैं!!!"

रिक्शे में बैठे नेहा रास्ते भर इधर-उधर देख के बहुत खुश थी| टैक्सी स्टैंड पहुँच हम जीप का इन्तेजार करने लगे, यही सही समय था नेहा से कुछ बात करने का;

मैं: नेहा बेटा सुनो?

नेहा: जी पापा!

मैं: (भौजी से) अरे आपने इसे मेरी तरह हर बात बोलने से पहले "जी" लगाना सीखा दिया?

भौजी: नहीं तो... बच्ची थोड़े ही है| बड़ी हो गई है मेरी लाडो और अपने पापा से कुछ न कुछ तो सीखेगी ही?

मैं: अच्छा नेहा बेटा आप ने एक अच्छी आदत सीखी है| अपने से बड़ों से बात करते समय "जी" लगाया कोर और हाँ बड़ों को कभी भी उनका नाम लेके नहीं पुकारना ये शिष्टाचार नहीं है| उन्हें पुकारते समय, चाचा जी, नाना जी, अंकल जी, मम्मी जी आदि तरीके से बोलना चाहिए ठीक है बेटा?

नेहा: जी पापा जी!

मैं: शाबाश! खेर मुझे ये बात नहीं करनी थी आपसे| अब आप मेरी एक बात सुनो, घर में अगर कोई आपसे पूछे की आप कहाँ रुके थे रात भर तो आप क्या कहोगे?

नेहा: आप के साथ! (उसने बड़े प्यार और नादानी से जवाब दिया|)

मैं: नहीं बेटा| अगर को पूछे तो कहना की हम धर्मशाला में रुके थे... एक कमरे में आप और आपकी मम्मी सोये और एक में मैं अकेला सोया था| ठीक है?

नेहा: जी पापा जी|

मैं: शाबाश! 

इतने में जीप आ गई और हम तीनों एक लाइन में पीछे बैठ गए| जीप में ज्यादा तर औरतें बैठीं थीं ... शायद किसी पूजा मण्डली की थीं और वो हमें ऐसे बैठे देख खुश थीं| उनमें से एक औरत बोली;

औरत: तुम दोनों पति पत्नी हो?

भौजी: हाँ ... क्यों?

औरत: कुछ नहीं... भगवान जोड़ी बनाये रखे|

और इस तरह बातों का सील-सिला जारी हुआ| वो औरतें भी अपनी मण्डली की कुछ लोगों से अलग हो गए थे| खेर कुछ देर बाद हम बाजार पहुँच गए और वहाँ से अगली सवारी ले के मैन रोड उत्तर गए| अब यहाँ से घर तक पैदल जाना था| रास्ते भर हम दोनों हँसते-खेलते हुए बातें करते हुए जा रहे थे| घर पहुंचे और भौजी ने डेढ़ हाथ का घूँघट काढ लिया| हमें देख सभी लोग खुश हो गए...ऐसा लगा जैसे हम सरहद से लौटे हों?
पिताजी बाहें फैलाये खड़े थे और मैं जाके उनके गले लग गया|

पिताजी: बेटा चल पहले अपनी माँ से मिल ले| वो कल से बहुत परेशान है|

अब ये सुन के मेरे प्राण सूखने लगे| मैं तुरंत बड़े घर की ओर भागा और माँ को कमरे में चारपाई पे बैठा हुआ पाया| मैं तुरंत उनके गले लग गया और तब जाके उनके मन को शान्ति मिली होगी|

माँ: बेटा... तूने तो जान निकाल दी थी मेरी|

मैं: देखो ... मैं बिलकुल ठीक-ठाक हूँ|

भौजी ने भी हमारी बात सुनी थी और वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गईं|

भौजी: माँ... इन्होने मेरा और नेहा का बहुत ध्यान रखा|

उनके मुंह से "माँ" सुन के माँ का मुंह फिर से फीका पड़ गया| मैंने बात को नया मोड़ देते हुए माहोल को हल्का किया:

मैं: माँ.... आपके हाथ की चाय पीने का मन कर रहा है|

माँ: मैं अभी बनाती हूँ, तू तब तक नहा धो ले|

और माँ उठ के चाय बनाने चलीं गईं| माँ की नाराजगी भौजी से छुप ना पाइ और वो भी कुछ उदास दिखाई दीं|

मैं: यार... I’m Sorry! But you’re a being Pushy! मैं जानता हूँ की आप दिल से उन्हें अपनी माँ मानते हो....पर आपको ये बात उनसे साफ़ करनी होगी की आखिर आपके दिल में क्या है| अगर आप इसी तरह जबरदस्ती रिश्ते बनाओगे तो बात बिगड़ सकती है| हो सकता है की माँ को या औरों को शक हो की हमारा रिश्ता क्या है?

भौजी ने गर्दन झुका ली और बिना कुछ कहे वहां से चलीं गई|










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