Sunday, December 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--69

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--69


अब आगे ....


मैं कपडे बदल के आया तो भौजी के मुख पे मुस्कान फ़ैल गई, क्योंकि मैंने उनकी दी हुई टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे जीन्स|

भौजी: जानू कहीं आपको नजर न लग जाए| मैं आपको कला टिका लगा दूँ!

मैं: Oh Comeon ! नजर लगी भी तो आप हो ना! (ये कहते हुए मैंने अपनी बाहें खोल दी और भौजी मुझसे गले लग गईं)

मैं: अच्छा बाबा ...आज खाना नहीं बनाना है?

भौजी: हाय राम! मैं तो भूल ही गई थी....पर जाऊँ कैसे? कैसे सब से नजर मिला पाऊँगी?

मैं: जान मैं हूँ ना! मैं आपके पास ही रहूँगा|

भौजी: ठीक है...पर प्लीज मुझे अकेला छोड़ के कहीं मत जाना? प्रोमिस करो?

मैं: प्रोमिस!

तब जाके भौजी का डर कम हुआ और हुम तीनों बाहर आये| भौजी जाके रसोई में खाना बनाने लगीं और मैं नेहा को लेके छप्पर के नीचे तख़्त पे बैठ गया| अब बहा से बात करने के लिए कुछ था नहीं तो मैंने उससे उसके स्कूल और क्लास के बारे में पूछना शुरू कर दिया| उसकी क्लास में कितने बच्चे हैं? उसके दोस्त कितने हैं? उसे कौन सा सब्जेक्ट पसंद है? आदि सवाल पूछने लगा| हालाँकि ये बहुत बचपना था मेरा पर अब क्या करें चुप-चाप तो रह नहीं सकते थे|

भौजी: अरे बाबा उसके दोस्त छोटे-छोटे बच्चे हैं| कोई बॉयफ्रेंड नहीं बनाया उसने जो आप इतना परेशान हो रहे हो? ही..ही..ही...

मैं: यार ...बात करने को कुछ नहीं था तो इसलिए पूछ रहा था| जब उसकी बॉयफ्रेंड बनाने की उम्र आएगी तब तो मैं इसे अकेला ही नहीं छोड़ूंगा| और आपने अगर इसे छूट दी ना तो देख लेना!

नेहा: पापा...ये बॉयफ्रेंड क्या होता है?

भौजी: हाँ..हाँ...अब जवाब दो ही...ही...ही...

मैं: बेटा आपको पाता है ना की जो बच्चे शरारती होते हैं उन्हें दाढ़ी वाला आदमी उठा के ले जाता है, वैसा ही एक आदमी होता है जिसे हम बॉयफ्रेंड कहते हैं...दूर रहना उससे...ही..ही..ही...

भौजी: ही..ही...ही... बहुत सही definition दी है अपने ही..ही..ही...

मैं: हाँ..हाँ..उड़ाओ मजाक!

इसी तरह बातों में भौजी को लगाय रखा और उनसे अपने जाने की बात छुपाता रहा|


 दोपहर के खाने के बाद हम भौजी के घर में अलग चारपाई पे लेटे हुए थे और बातें कर रहे थे;

मैं: यार मैंने कभी आप को Red Lipstick और Red साडी में नहीं देखा? (मैंने यहाँ जानबूझ के लाल को Red लिखा है क्योंकि लाल कहने की बजाय Red कहना ज्यादा seductive लगता है|)

भौजी: (कुछ सोचते हुए) हम्म्म... पर मेरे पास लाल साडी नहीं है|

मैं: कोई नहीं जब आप शहर आओगे तब मैं दिल दूँगा|

भौजी: शहर क्यों...sunday को यहाँ बाजार में खूब रौनक होती है| वहीँ चल के खरीद लेंगे?

अब मैं उन्हें कैसे बताता की Sunday को ही तो मैं जा रहा हूँ| चूँकि मुझे ये बात छुपानी थी तो मैंने हाँ में सर हिलाया और सीधा हो के उनसे नजरें चुराते हुए लेट गया|

फिर भौजी उठीं और अपने कमरे में एक सूटकेस खोल के कुछ देखने लगीं और फिर वो बाहर आईं और अपनी चारपाई मेरे नजदीक खींच के बैठ गईं|

भौजी: आप मेरा एक काम करोगे?

मैं: दो बोलो?

भौजी: नहीं बस एक... नेहा कल कह रही थी की उसे लोलीपोप चाहिए| अब चूँकि कल मेरा मूड ठीक नहीं था तो मैंने उसे टाल दिया| तो आप प्लीज उसे लोलीपोप दिलवा दो|

मैं: OK चलो नेहा आज मैं आपको लोलीपोप दिलवाता हूँ और साथ में एक हम-दोनों के लिए भी लाता हूँ|

भौजी: जानू....

मैं: हाँ बोलो जान?

भौजी: मुझे strawberry वाली पसंद है|

अब हमारे गाँव में दो दुकानें थीं...पर उनके बीच करीब बीस मिनट का फासला था| जब मैं पहली दूकान पर पहुंचा तो वहां मुझे स्ट्रॉबेरी वाली लोलीपोप नहीं मिली...तो मैंने नेहा को दो ऑरेंज और एक मैंगो वाली दिल दी| फिर वहां से हम दूसरी दूकान की ओर चल पड़े| रस्ते में नेहा ने एक ऑरेंज वाली लोलीपोप खोल ली और उसे चूसने लगी फिर उसने अपनी जूठी लोलीपोप मेरी ओर बढ़ा दी मैंने उसे मना कर दिया क्योंकि आज तो मुझे Strawberry वाली खानी थी और वासी भी मुझे मैंगो वाली ज्यादा पसंद थी| हम दूसरी दूकान पे पहुंचे और वहां मुझे स्ट्रॉबेरी वाली लोलीपोप मिल ही गई| मैंने दो लोलीपोप खरीदी और नेहा को ले के घर लौट आया| मतलब सिर्फ लोलीपोप खरीदने में मेरा आधा घंटा लग गया... गर शहर में कोई गर्लफ्रेंड मुझसे ये कहती ना तो साला पलट के ऐसे जवाब देता की जिंदगी में दुबारा कभी लोलीपोप नहीं माँगती| खेर घर पहुँचते-पहुँचते नेहा की लोलीपोप खत्म हो गई और जैसे ही मैंने भौजी के घर में घुसना चाहा तो दरवाजा अंदर से बंद था| मैंने दरवाजा खटखटाया और तभी नेहा को उसकी दोस्त दिखाई दी जो उसे खेलने के लिए बुला रही थी| नेहा मेरी गोद से उतरने को चटपटी और मैंने उसे नीचे उतार दिया| नेहा फुर्र से अपनी दोस्त के पास भाग गई| इधर मैं सोचने लगा की भला भौजी ने दरवाजा क्यों बंद किया, शायद उन्हें कपडे बदलने थे..पर फिर मैंने इस बात पर इतना ध्यान नहीं दिया और अबतक दरवाजा अंदर से खुल चूका था, परन्तु अब भी दोनों पल्ले आपस में भिड़े हुए थे| मैंने एक पल्ले को धक्का दिया और अंदर घुस गया, आँगन में कोई नहीं था...और जैसे ही मैं भौजी के कमरे में दाखिल होने लगा किसी ने मेरा हाथ पीछे से अचानक पकड़ा और मुझे दरवाजे के साथ वाली दिवार की ओर खींचा| जब मैंने उस शक्स को देखा तो देखता ही रह गया! 


ये भौजी ही थीं...Red साडी में लिपटी हुईं... होठों पे Red Lipstick...बाल खुले हुए जो उनकी कमर तक लटक रहे थे... मांग में Red सिन्दूर... और तो ओर आज उनकी कमर में चांदी की कमर बंद भी लटक रही थी, साडी उनकी belly button की नीचे बंधी गई थी...साडी का पल्लू इस तरह से एडजस्ट किया गया था की बस पूछो मत! WOW !!! आँखें फटी की फटी रह गईं उन्हें इस लिबास में देख के!
भौजी: ऐसे क्या देख रहे हो जानू?

मैं: स्स्स्स.... देख रहा हूँ की आप जूठ बहुत प्यारा बोलते हो!!! इतना प्यारा की ....आप पर और भी प्यार आ रहा है| मन बईमान हो रहा है....हाय ... कोई तो रोक लो!

भौजी: हाय (भौजी ने अपनी बाहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द डाल दी|) क्यों रोक ले आपको कोई?

मैं: सच में आपके हुस्न की तारीफ में एक शेर कहने का मन कर रहा है|

भौजी: तो कहिये ना?

मैं: यही तो दिक्कत है...की शेर नहीं आता मुझे! ही..ही..ही..ही...ही

भौजी: आप भी ना...

मैं: मन कर रहा है आपको Kiss कर लूँ?

भौजी: पर पहले मेरी लोलीपोप?

मैं: ना....पहले Kiss फिर लोलीपोप!

भौजी: Awwww…. आप मुझे बहुत सताते हो! ठीक है पर Kiss मेरे स्टाइल से होगी!

मैं: आपका स्टाइल? हमें भी तो पता चले की आपका स्टाइल क्या है?

भौजी: वो आपको शीशे में देख के पता चलेगा! ही...ही...ही...ही!!!

 भौजी दिवार के सहारे खड़ीं थीं तो वो वहां से हटीं और मुझे दिवार के सहारे खड़ा कर दिया और कहा;

भौजी: जैसे मैं कहूँ बस वैसे करना?

मैं: ठीक है!

भौजी: अब अपनी आँखें बंद करो!

मैंने अपनी आँखें बंद करीं, और भौजी मेरे चेहरे के बिलकुल सामने आ गईं| उनकी गर्म सांसें मुझे अपने चेहरे पे महसूस हो रहीं थीं| उनके सांसें की मादक खुशबु मेरे नथुनों में भरने लगी क्योंकि वो मुंह से सांस ले रहीं थीं| मेरे होंठ सूखने लगे इसलिए मैंने जीभ उन पर फेरी ताकि वो गीले हो जाएँ और जैसे ही जीभ अंदर गई भौजी ने अपने Red लिपस्टिक वाले होठ मेरे होंठों पे रख दिए! इससे पहले की मैं उनके होंठों को चूस पता उन्होंने होंठ हटा लिए|

मैं: (कुनमुनाते हुए).. म्म्म्म्म्म...

भौजी जानू बस इतना ही मिलेगा!

मुझे तो अपने होठों पे बस उस Red लिपस्टिक का मधुर स्वाद ही चखने को मिला! फिर उन्होंने मेरे दोनों गालों पे अपने होठों से Kiss किया|

भौजी: अब आँखें बंद किये हुए अपनी टी-शर्ट उतारो!

मैं: ठीक है जान...मेरा भी वक़्त आएगा.... तब देखना कैसे तड़पाता हूँ|

भौजी ने मेरी टी-शर्ट उतार के अपने पास रख ली, फिर उन्होंने मेरी गर्दन पे अपने होंठ रखे ...फिर वो नीचे आईं और मेरे दोनों निप्पलों पे Kiss किया! फिर मेरे Belly Button के ऊपर Kiss किया! मैं सोचने लगा की यार ये हो क्या रहा है? आखिर क्यों भौजी मेरे साथ ऐसा खिलवाड़ कर रहीं हैं? मेरा पूरा शरीर प्यार की आग में जलने लगा है और ये हैं की उस आग को और हवा दे रहीं हैं? तभी भौजी ने बिना कुछ कहे जीन्स पे हाथ मारा;

मैं: (आँख बंद किये हुए) क्या कर रहे हो? दरवाजा खुला है! उसे तो बंद कर लो!

भौजी: जानू...वो पहले ही बंद कर दिया था मैंने! अब आप चुप-चाप आँखें बंद किये खड़े रहो!

उन्होंने पहले बेल्ट खोली.... जिसे खोलने में उन्हें खासी मशकत करनी पड़ी...फिर जीन्स का बटन खोला...फिर ज़िप खोली....और कच्छे को नीचे खिसका कर पहले से अकड़ चुके लंड को बहार निकला और उसकी चमड़ी को आगे-पीछे करने लॉगिन| फिर उन्होंने पूरा सुपाड़ा बहार निकला और उसके मुख पे अपने Red लिपस्टिक वाले होंठ रख दिए| मैंने जान बुझ के आँख खोल ली और ये दृश्य देख के मेरी हालत ऐसी थी मानो किसी लौहार ने तप के हुए लाल लोहे को पानी की ठंडी बाल्टी में डूबा दिया हो और उस लोहे से आवाज निकली हो "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स"!!! बिलकुल ऐसी ही आवाज मेरे मुख से निकली..."स्स्स्स्स्स्स" मेरी आवाज सुन के भौजी ने मेरी तरफ देखा;

भौजी: मैंने आपसे आँखें बंद करने को कहा था? तो फिर आपने खोली क्यों?

मैं: आपने मेरे बदन में आग लगा दी है...फिल बे काबू चूका है ....चाहे तो खुद देख लो! (ये कहते हुए मैंने भौजी का हाथ अपने दिल के ऊपर रख दिया जो फुल स्पीड में धड़क रहा था|)

भौजी: जानू .... आग तो इधर भी बारे-बार लगी है पर आपने जितना मुझे तड़पाया है उतना मैं भी तड़पाऊँगी!!!

भौजी ने मेरा लंड अपने मुख में गपक लिया और उसे चूसने लगीं| मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगा था...वो तो भौजी ने मेरे लंड को थाम हुआ था वरना शायद में उड़ के कहीं और पहुँच जाता!

मैं: हाय!!! आज तो आप मेरी जान ले के रहोगे!!!

भौजी हँसे लगीं और अगले ही पल उन्होंने गप्प से लंड फिर से अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं| वो लंड ऐसे चूस रहीं थीं जैसे किसी स्ट्रॉ में से कोई पेप्सी खींचता हो| अचानक से भौजी ने सुपाड़े पर अपने दाँत गड़ा दिए और में सिसिया उठा; "स्स्स्स्स्स्स...अह्ह्ह्हह्ह" फिर भौजी दुबारा उसे चूसने लगीं और करीब दस मिनट में ही मैं भौजी के मुँह में झड़ गया! भौजी उठीं और मैंने देखा की उन्होंने सारा रस गटक लिया था|


 उन्होंने अपनी Red साड़ी से अपना मुँह पोछा और बोलीं;

भौजी: अब चलो मेरे साथ और नीचे मत देखना|

मैंने अभी तक अपने लंड को नहीं देखा था बस भौजी के हुस्न को ही निहार रहा था| हम भौजी के कमरे के अंदर पहुंचे और वहां दिवार पे एक लम्बा शीशा लगा हुआ था| जब मैंने उसमें खुद को देखा तो हैरान रह गया| मेरे शरीर पे भौजी के Red लिपस्टिक के निशान बने हुए थे| होठों पे...गालों पे...गले पे...छाती पे..निप्पलों पे ... Belly Button पे...और लंड...वो तो आधा लाल हो गया था| जब मैं स्खलित हुआ था तो उन्होंने सुपाड़े के चाट के साफ़ किया और उसपे भी अपनी Kiss का निशान छोड़ा था| जब ये सब मैंने देखा तो मुझे उनपे और प्यार आने लगा|

भौजी: देख ली मेरी हरकत?

मैं: हाँ देखि....पर अब इन निशानों का क्या करें?

भौजी: मैं पोंछ देती हूँ!

मैं: पोछना था तो लगाय क्यों?

भौजी: तो ऐसे ही रहने दूँ? किसी ने पूछा की होंठ लाल कैसे हैं तो?

मैं: कह दूँगा की पान खाया है|

भौजी: और गाल लाल क्यों हैं?

मैं: कह दूँगा की शर्म आ रही है!

भौजी: और गर्दन पे लाल निशान कैसे?

मैं: वो....

भौजी: बस-बस रहने दो आप .... मैं पोंछ देती हूँ!

मैं: सिर्फ गाल और गर्दन के पोछो|

भौजी: और होठों के?

मैं: वो आपके होंठ पोंछ देंगे|

ये कहे के मैंने उन्हें अपने से चिपका लिया और उनके होठों को चूसने लगा| अब तो भौजी ने भी पूरा साथ दिया और उन्होंने भी मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया| पांच मिनट तक हम एक दूसरे के होठों को चूमते रहे...चूसते रहे...और Red लिपस्टिक के मधुर स्वाद का भरपूर मजा उठाया| अब तो मेरे होंठ बिलकुल साफ़ हो गए थे बस भौजी के चेहरे पे Red लिपस्टिक ज्यादा फ़ैल गई थी|

भौजी: गाल तो मैंने आपके पोंछ दिए अब ये वाले (मेरी छाती और लंड पे) भी पोंछ देती हूँ|

मैं: ना....ये नहीं....कुछ देर तो इनका एहसास बना रहें दो यार| रात को पोंछ देना!

भौजी: जानू....आप बड़े नटखट हो!

मैं: आप भी तो हो...कुछ मिनटों में इतना बड़ा सुरप्रिज़े प्लान कर लिया मेरे लिए और बहाना क्या किया...की नेहा को लोलीपोप चाहिए! बहुत बड़ी नौटंकी हो आप... (मैंने अपनी टी-शर्ट पहन ली|)

भौजी: ही...ही...ही...ही... अच्छा अब आप बहार जाओ वरना सब कहेंगे की दोनों दरवाजा बंद कर्क इ क्या कर रहे हैं|

मैं: अब तक तो सब आ गए होंगे....तो दिवार कूद के चला जाता हूँ|

भौजी: ना बाबा ना.... चोट लग गई तो...आप सामने से ही जाओ| कोई देखता है तो देखने दो!

मैं: यार दिवार फांदने में जो मजा है वो सामने से निकल के जाने मैं नहीं.... लगता है की एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने आया हो, वो भी सारी दुनिया की तमाम हदें तोड़ के ...

भौजी: अच्छा बाबा...जाओ पर प्लीज चोटिल मत हो जाना!

मैं: नहीं हूँगा...(दिवार की दोनों तरफ टांगें लटकते हुए) और हाँ अगर कोई पूछे न की आप और मैं अरवाजा बंद कर के क्या कर रहे थे तो कह देना... प्यार कर रहे थे| (ये कहके मैंने दूसरी ओर कूद पड़ा)

मैं थोड़ा चक्कर लगा के आया ओर ऐसे दिखाया जैसे मैं यहाँ था ही नहीं!



मन तो जानता था की मैं कितनी बड़ी बात उनसे छुपा रहा हूँ...और चाहे कुछ भी वो बात जुबान पे या चेहरे से नहीं झलकनी चाहिए! दस मिनट बाद भौजी कपडे बदल के और Red लिपस्टिक पोंछ के निकलीं और चाय बनाने घुस गईं| मैं छप्पर के नीचे तख़्त पे बैठा था और भौजी को देख के मुस्कुरा रहा था| वो भी मुझे देख के शरारती मुस्कराहट से मुझे मुझे घायल कर रहीं थीं| जब चाय बा गई तो वो चाय लेके मेरे पास आईं और चाय का कप मेरे हाथ में देते हुए मुझे आँख मारी!

मैं: स्स्स्सस्स्स्स अह्ह्ह्ह!

भौजी: क्या हुआ?

मैं: Too Hot !!!

भौजी: क्या?

मैं: हाँ...चाय बहुत गर्म है!

भौजी: हाँ..हाँ.. सब जानती हूँ! क्या गर्म है?

इतने में वहां बड़की अम्मा चाय लेने आ गईं;

बड़की अम्मा: क्या हुआ बहु?

भौजी: कह रहे हैं की चाय गर्म है!

बड़की अम्मा: तो ठंडा कर के दे दे| बस दो दिन.....

इससे पहले बड़की अम्मा कुछ कहतीं मैंने बात काट दी और बात बदल दी|

मैं: हाँ...देखो ना अम्मा...मैंने कहा की चाय फूक मार्के ठंडी कर दो कहतीं हैं की मेरे पास बहुत काम है!

बड़की अम्मा: जा बहु...चाय ठंडी कर दे और मेरी चाय भी यहीं ले आ|

जब भौजी रसोई में घुसीं तो बड़की अम्मा ने मुझसे बड़ी धीमी आवाज में कहा;

बड़की अम्मा: क्या हुआ मुन्ना? (उनका इशारा था की आखिर मैंने उन्हें बात पूरी क्यों नहीं करने दिया?)

मैं: अम्मा... ये बात आप उन्हें मत कहना...उनका दिल टूट जायेगा...मैं ही उनको कल बताऊँगा! अगर उनका दिल टूटना ही है तो मेरे ही करना टूटे तो बेहतर होगा|

बड़की अम्मा: ठीक है मुन्ना!

इतने में भौजी बड़की अम्मा की चाय ले आईं| उन्होंने अम्मा को एक प्याली दी और अपनी चाय नीचे रख दी और मेरी चाय को मुझे दिखा-दिखा के फूक मारने लगीं| बड़की अम्मा हमारे पास ही बैठीं थीं|

भौजी: ये लो...ठंडी हो गई!

मैं: हम्म्म थैंक यू!

जैसे ही मैंने पहला घूंट पिया मैंने जान बुझ के मुंह बनाया और कहा;

मैं: उम्म्म...अम्मा चाय बिलकुल ठंडी हो गई है...(मैंने भौजी से कहा) अब इसे गर्म कर के दो!

भौजी: देखो न अम्मा....कितना सताते हैं! पहले बोला ठंडी कर के दो फिर कहते हैं की गर्म कर के दो!

बड़की अम्मा: अरे बहु...तू जानती नहीं मुन्ना को! ये तुझसे दिल्लगी कर रहा है|

मैंने भौजी को अम्मा से नजर बचा के आँख मार दी और भौजी मुस्कुराने लगी|



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