FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--70
अब खाना बनना शुरू हुआ और अब भी वही हंसी-मजाक और भौजी को छेड़ना जारी था| भौजी को मसाले पीसने के लिए अपने घर जाना था क्योंकि उन्ही के घर में सिल और बट्टा रखा हुआ था| तो मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया| उनके हाथ मसाले से सने हुए थे और जब वो मसाला पीस के उठीं तो मैंने फिर उन्हें छेड़ना चाहा|
भौजी: क्या बात है जानू? आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पे!
मैं: पता नहीं पर आज आपको एक पल के लिए भी अकेला छोड़ने का मन नहीं कर रहा|
भौजी: इतने भी बेसब्र ना बनो....
मैंने भौजी को पीछे से जकड लिया और उनकी कमर को आगे से लॉक कर लिया|
भौजी: जानू.....छोड़ दो ना.....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स!
मैंने बिना कुछ कहे उन्हें एकदम से छोड़ दिया और भौजी अब भी मुझसे जानबूझ के चिपक के खड़ीं थीं|
भौजी: ओफ्फो !! जानू आपने तो सच में छोड़ दिया!
मैं: यार आपने ही तो कहा!
भौजी: अब ना ....थोड़े भी रोमांटिक नहीं हो!
भौजी जाने लगीं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली! एक झटका और भौजी मेरे सीने से आ लगीं| उनके एक हाथ में कटोरी थी जिसमें पीसा हुआ मसाला था और दूसरा हाथ मसाले से सना हुआ था|
भौजी: छोडो न...
मैं: सच में?
भौजी: नहीं....
हम ऐसे ही गले लगे हुए थे की तभी नेहा आ गई और हम छिटक के अलग हो गए|
नेहा: पापा आप क्या कर रहे हो?
मैं: कुछ नहीं बेटा...आपकी मम्मी को ठण्ड लग रही थी और मैं उन्हें गर्मी दे रहा था|
नेहा: ओ....
भौजी बाहर निकल के आ गईं और खाना बनाने लगीं और इधर मैं और नेहा बाहर निकल के तख़्त पे बैठ गए और खेलने लगे| रात के भोजन के बाद सोने की बारी आई|
अब मैं दुविधा में था की पहले किसे सुलाऊँ? भौजी को या नेहा को?
भौजी: अपना वादा याद है ना?
मैं: (अनजान बनते हुए) कौन सा?
भौजी: आज पहले मुझे सुलाओगे|
मैं: ओ ... हाँ! ऐसा करो एक चारपाई और बिछाओ|
भौजी: किस लिए?
मैं: यार अब जब तक नेहा नहीं सोती तब तक आप को कैसे सुलाऊँ? और उसके सोने के बाद मैं आपके पास आ नहीं सकता वरना वो रात में डर जाती है|
भौजी: चाहे कुछ भी करो...पर अगर आपने मुझे नहीं सुलाया तो....तो मैं सारी रात जागूँगी|
मैं: Don’t Worry यार ...मैं आप दोनों को सुला दूँगा|
सब से पहले मैं नेहा को गोद में लेके इधर-उधर घूम रहा था| ये सब मैं जान-बुझ के कर रहा था और सब को ऐसे दिखा रहा था की नेहा सो नहीं रही है, जबकि मैं उसे बातों में लगाए हुए था|
पिताजी: अब सो भी जाओ लाड साहब...!
मैं: ये लड़की सोने दे तब ना.... तीन कहानियाँ सुना चूका हूँ पर सोने का नाम ही नहीं लेती| (और इससे पहले की नेहा कुछ बोलती मैंने अपने होंठ पे ऊँगली रखते हुए उसे चुप रहने को कहा|)
पिताजी: ठीक है ...पर बेटा जल्दी सो जाना!
मैं: जी...इसे सुला के भौजी के पास छोड़ दूँगा|
पिताजी लेट गए और सब भी अपने-अपने बिस्तर में घुस गए थे| मैंने करीब और आधे घंटे नेहा को टहलया और फिर उस कहानी सुनाई और पंद्रह मिनट सो गई| फिर मैं उसे लिटाने भौजी के पास चल दिया|
भौजी: (शिकायत करते हुए) आ गए आप? लोग कहते हैं की एक बच्चा होने के बाद पत्नी का प्यार बँट जाता है पर यहाँ तो बात ही उलटी है! आप मुझ से ज्यादा तो इसे प्यार करते हो!
मैं ने नेहा को दूसरी चारपाई पे लिटाया और फिर भौजी की बगल में पाँव ऊपर कर के बैठ गया| मेरे सर पीछे दिवार से लगा हुआ था और उन्होंने मेरे कंधे पे सर रख दिया|
मैं: सच कहूँ तो मैं आपसे ज्यादा प्यार करता हूँ और आपसे थोड़ा सा कम प्यार... मैं नेहा से करता हूँ|
भौजी: जानती हूँ...मैं तो आपको छेड़ रही थी|
मैं: अच्छा तो बताओ की आपको कैसे सुलाऊँ?
भौजी: क्या मतलब कैसे सुलाऊँ? मैं कोई छोटी बच्ची हूँ जो आप मुझे सुलाओगे!
मैं: तो मुझे यहाँ क्या दही मथने को बुलाया है?
भौजी: नहीं जानू ...ये बताओ की मेरी लोलीपोप कहाँ है?
मैं: ओह! वो तो मैंने बड़े घर में रखी हुई है|
भौजी: awwww मैं आपसे बात नहीं करती!
मैंने अपनी जीन्स में हाथ डाला और दोनों लोलीपोप निकाली और उन्हें दिखाई!
भौजी: जानू....आप ना.... मुझे तंग करने से बाज नहीं आते! पर दो क्यों लाये? नेहा ने भी मुझे दो लोलीपोप दी थीं और आप भी दो लाये?
मैं: एक आप के लिए और एक मेरे लिए!
भौजी: (शिकायती लहजे में) क्यों मेरा जूठा खाने में शर्म आती है?
मैं: नहीं यार .....सारी रात एक ही लोलीपोप कैसे खाएंगे ... इसलिए तो वैरायटी लाया हूँ! पहले स्ट्रॉबेरी फिर ऑरेंज फिर मैंगो और आखरी में स्ट्रॉबेरी!
भौजी: सब आज ही खाओगे...कुछ आगे आने वाले दिन के लिए भी बचाओ! चार स्ट्रॉबेरी मतलब चार दिन!
मैं फिर से मौन हो गया... अब मैं उन्हें कैसे बताऊँ की sunday को मैं उन्हें अकेला छोड़ के चला जाऊँगा|
भौजी: क्या हुआ? क्या सोच रहे हो?
मैं: सोच रहा हूँ की आप बात ही करोगे या लोलीपोप खोलोगे भी!
भौजी ने बाकी तीन लोलीपोप अपने तकिये के नीचे रखीं और स्ट्रॉबेरी वाली एक लोलीपोप खोली| खोलते ही उन्होंने उसे अपने मुंह में भर लिया और मेरी ओर देख के हंसने लगीं| दस सेकंड उन्होंने उसे चूसा और फिर मेरी ओर बढ़ा दिया| मैंने भी उस लोलीपोप को चूसा और मुझे उसमें से भौजी के मुख की सुगंध और स्ट्रॉबेरी दोनों का स्वाद आ रहा था| फिर भौजी ने मेरे मुंह से लोलीपोप खींच ली| भौजी: मुझे भी तो Taste करने दो?
फिर भौजी लोलीपोप चूसने लगीं और फिर उठीं और दरवाजा बंद कर के मेरे लंड पे आके बैठ गईं|
मैं: सोना नहीं है?
भौजी: पहले अपनी Red लिपस्टिक के निशान तो मिटा दूँ वरना कल नहाते हुए अगर किसी ने देख लिया तो?
मैं: कह दूँगा की आपने बनाये हैं!
भौजी: ठीक है!
मैं: आप न ...बहुत शरारती हो!
भौजी ने मेरी टी-शर्ट उतारी और उसे नेहा वाली चारपाई पे फेंक दिया| अपनी लोलीपोप मेरे मुंह में दाल दी और मैं मजे से उसे चूसने लगा| फिर उन्होंने मेरे निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया| करीब पांच मिनट तक वो एक-एक कर दोनों को चूसने लगीं| बीच-बीच में वो उन्हें काट भी लेतीं| अब चूँकि मेरे मुंह में लोलीपोप थी तो मैंने जान बुझ के मुँह नहीं खोला न ही कोई सिसकारी ली| फिर भौजी नीचे हो गईं और मेरे Belly Button में अपनी जीभ घुसेड़ दी| उनके ऐसा करते ही मैं उठ बैठा क्योंकि मुझे बड़ी तेज गुद-गुदी हुई थी| भौजी पीछे गिरने ही वालीं थी की मैंने उन्हें थाम लिया|
मैं: क्या कर रही हो ....गुद-गुदी हो रही है!
भौजी: अच्छा जी .... तो मेरे जानू को यहाँ गुद-गुदी होती है!
उन्होंने मेरे सीने पे जोर लगा के पीछे धकेला और मैं वापस तकिये सर रख के लेट गया| अब उन्होंने मेरी बेल्ट खोली...फिर जीन्स का बटन और आखिर में ज़िप खोल दी| फिर वो उठीं और मेरे पाँव के पास कड़ी हो गईं और मेरी जीन्स खींच के उतार दी| मैं अब भी लोलीपोप चूस रहा था| फिर उन्होंने कच्छा उतार दिया और सारे कपडे नेहा की चारपाई पे रख दिए और वापस मेरे घुटनों पे बैठ गईं| उन्होंने झुक के मेरे लंड को अपने मुँह में भरा और लोलीपोप की तरह चजसने लगीं परन्तु ज्यादा नहीं चूसा और फिर चारपाई पे खड़ी हो गईं और अपनी योनि को धीरे-धीरे लंड के ऊपर लाई और धीरे-धीरे लंड पे बैठने लगीं| मैंने उनहीं हाथ से सपोर्ट दे रखा था की कहीं वो गिर ना जाएं| धीरे-धीरे पूरा लंड उनके अंदर समा गया| उन्होंने अपनी गर्दन पीछे की ओर तान दी| दो मिनट बाद जब उनकी योनि ने अंदर से कुछ रस छोड़ा तब जाके उनका दर्द कुछ कम हुआ| फिर वो मेरे ऊपर झुकीं और मेरे मुँह से लोलीपोप निकाल ली और अपने मुँह में भर के चूसा और टॉफी को काट के चबाने लगीं और स्ट्रॉ के टुकड़े को फेंक दिया| मेरी छाती पे हाथ रख के अपनी कमर को उप्र उठाया और फिर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं| उनकी योनि ने जैसे मेरे लंड को अपनी गिरफ्त में जकड लिया था और वो अब किसी भी हालत में छोड़ने वाली नहीं थी|
मैं: स्स्स्स्स्स्स....लगता है... मम्म... आज मेरे "उसपे" (लंड) पे बने निशान आप अपनी "इससे" (योनि) से पोंछ के रहोगे|
भौजी: स्स्स्स्स.....म्म्म्म्म्म्म हाँ!
हम दोनों तो शाम से ही उत्तेजित थे इसलिए ये सम्भोग ज्यादा लम्बा नहीं चला और हम दोनों एक साथ ही स्खलित हो गए| भौजी निढाल हो मेरे सीने पे सर रख के लेट गईं|
सुबह से ये तीसरी बार था जब मैं झड़ा था और वो दूसरी बार! दस मिनट बाद दोनों की सांसें सामान्य हुईं;
मैं: यार...दूध पीने का मन कर रहा है!
भौजी: मैं अभी बना के लाती हूँ|
मैं: मुझे वो दूध नहीं पीना! ये वाला (उनके स्तन की ओर इशारा करता हुए) पीना है|
भौजी: पर मुझे अब दूध नहीं आता| बच्चा होगा... तब आएगा.... तब पी लेना|
मैं: Let Me Try Once !
भौजी: तो करो ना...किसने मन किया है?
अब भौजी पीठ के बल लेटीं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया| उन्होंने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए और उनके स्तन आजाद हो गए| मैं टकटकी बांधे उनके स्तनों को निहारता रहा|
भौजी: क्या देख रहे हो?
मैं: कुछ नहीं (दरअसल उस वक़्त मैं ये सोच रहा था की कल जब मैंने उन्हें अपने जाने की बात बताऊँगा तो उनका क्या हाल होगा?)
भौजी: क्या सोच रहे हो?
मैंने इस बार कुछ नहीं कहा और उनके होठों को चूम लिया| फिर मैं नीचे की ओर बढ़ा ओर उनके स्तनों को एक एक कर चूसने लगा...उनमें दूध तो था नहीं ....पर एक भीनी सी सुगंध अवश्य आ रही थी| उस मनमोहक सुगंध के कारन मैं उनके स्तनों को बेतहाशा चूस रहा था| मैं एक हाथ से उनके एक स्तन को मसलता और दूसरे स्तन को मुंह में भर के चूसता रहता| भौजी अपने हाथ से मेरे सर को दबा रहे थे और सिसिया रहीं थीं| हाँ एक बात थी की मैंने उनके स्तनों पे काटा नहीं...क्यों नहीं काटा ये मैं नहीं जानता| पर मुझे ऐसा लगा की शायद वो भाँप चुकीं हैं की मैं कुछ तो उनसे छुपा रहा हूँ| करीब बीस मिनट बाद मैंने उनके स्तनों को छोड़ा ओर वो बुरी तरह लाल हो चुके थे|
भौजी: अहह स्स्स्स्स निकल आय दूध?
मैं: नहीं ...पर टेस्ट बहुत अच्छा था| चलो आप सो जाओ...
भौजी: Good Night !
मैं: Good Night !
मैंने आखरी बार भौजी के होठों को चूमा और चुप-चाप बाहर आके अपने बिस्तर पे लेट गया|
लेटे-लेटे सोच रहा था की कल कैसे उन्हें बताऊँगा की .... आँखें खोले आसमान में बस देख रहा था और अपने सवाल का जवाब ढूंढ रहा था| रात के ग्यारह बज गए थे और मैं अब भी उसी तरह आसमान की ओर देख रहा था| इतने में वहाँ भौजी आ गईं ओर उनकी गोद में नेहा थी;
भौजी: (खुसफुसाते हुए) जानू ... सोये नहीं अभी तक?
मैं: (बात बनाते हुए) वो नेहा नहीं है ना इसलिए नींद नहीं आ रही थी...अरे क्या हुआ गुड़िया को?
भौजी: फिर से डर गई थी....!!!
मैं: Awwww मेरी बेटी! क्या हुआ? फिर से बुरा सपना देखा?
नेहा ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: आओ पापा के पास ...
मैंने नेहा को गोद में लिया और उसे थपथपाने लगा| फिर मैंने उसे साथ लिटा लिया!
भौजी: Good Night ...और पापा को तंग मत करना|
मैं: आप जाओ और सो जाओ!
भौजी चली गईं और मुझे उनका दरवाजा बंद करने की आवाज आई| मैंने नेहा को कहानी सुनाई और वो मुझसे लिपट के सो गई|
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बदलाव के बीज--70
अब खाना बनना शुरू हुआ और अब भी वही हंसी-मजाक और भौजी को छेड़ना जारी था| भौजी को मसाले पीसने के लिए अपने घर जाना था क्योंकि उन्ही के घर में सिल और बट्टा रखा हुआ था| तो मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया| उनके हाथ मसाले से सने हुए थे और जब वो मसाला पीस के उठीं तो मैंने फिर उन्हें छेड़ना चाहा|
भौजी: क्या बात है जानू? आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पे!
मैं: पता नहीं पर आज आपको एक पल के लिए भी अकेला छोड़ने का मन नहीं कर रहा|
भौजी: इतने भी बेसब्र ना बनो....
मैंने भौजी को पीछे से जकड लिया और उनकी कमर को आगे से लॉक कर लिया|
भौजी: जानू.....छोड़ दो ना.....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स!
मैंने बिना कुछ कहे उन्हें एकदम से छोड़ दिया और भौजी अब भी मुझसे जानबूझ के चिपक के खड़ीं थीं|
भौजी: ओफ्फो !! जानू आपने तो सच में छोड़ दिया!
मैं: यार आपने ही तो कहा!
भौजी: अब ना ....थोड़े भी रोमांटिक नहीं हो!
भौजी जाने लगीं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली! एक झटका और भौजी मेरे सीने से आ लगीं| उनके एक हाथ में कटोरी थी जिसमें पीसा हुआ मसाला था और दूसरा हाथ मसाले से सना हुआ था|
भौजी: छोडो न...
मैं: सच में?
भौजी: नहीं....
हम ऐसे ही गले लगे हुए थे की तभी नेहा आ गई और हम छिटक के अलग हो गए|
नेहा: पापा आप क्या कर रहे हो?
मैं: कुछ नहीं बेटा...आपकी मम्मी को ठण्ड लग रही थी और मैं उन्हें गर्मी दे रहा था|
नेहा: ओ....
भौजी बाहर निकल के आ गईं और खाना बनाने लगीं और इधर मैं और नेहा बाहर निकल के तख़्त पे बैठ गए और खेलने लगे| रात के भोजन के बाद सोने की बारी आई|
अब मैं दुविधा में था की पहले किसे सुलाऊँ? भौजी को या नेहा को?
भौजी: अपना वादा याद है ना?
मैं: (अनजान बनते हुए) कौन सा?
भौजी: आज पहले मुझे सुलाओगे|
मैं: ओ ... हाँ! ऐसा करो एक चारपाई और बिछाओ|
भौजी: किस लिए?
मैं: यार अब जब तक नेहा नहीं सोती तब तक आप को कैसे सुलाऊँ? और उसके सोने के बाद मैं आपके पास आ नहीं सकता वरना वो रात में डर जाती है|
भौजी: चाहे कुछ भी करो...पर अगर आपने मुझे नहीं सुलाया तो....तो मैं सारी रात जागूँगी|
मैं: Don’t Worry यार ...मैं आप दोनों को सुला दूँगा|
सब से पहले मैं नेहा को गोद में लेके इधर-उधर घूम रहा था| ये सब मैं जान-बुझ के कर रहा था और सब को ऐसे दिखा रहा था की नेहा सो नहीं रही है, जबकि मैं उसे बातों में लगाए हुए था|
पिताजी: अब सो भी जाओ लाड साहब...!
मैं: ये लड़की सोने दे तब ना.... तीन कहानियाँ सुना चूका हूँ पर सोने का नाम ही नहीं लेती| (और इससे पहले की नेहा कुछ बोलती मैंने अपने होंठ पे ऊँगली रखते हुए उसे चुप रहने को कहा|)
पिताजी: ठीक है ...पर बेटा जल्दी सो जाना!
मैं: जी...इसे सुला के भौजी के पास छोड़ दूँगा|
पिताजी लेट गए और सब भी अपने-अपने बिस्तर में घुस गए थे| मैंने करीब और आधे घंटे नेहा को टहलया और फिर उस कहानी सुनाई और पंद्रह मिनट सो गई| फिर मैं उसे लिटाने भौजी के पास चल दिया|
भौजी: (शिकायत करते हुए) आ गए आप? लोग कहते हैं की एक बच्चा होने के बाद पत्नी का प्यार बँट जाता है पर यहाँ तो बात ही उलटी है! आप मुझ से ज्यादा तो इसे प्यार करते हो!
मैं ने नेहा को दूसरी चारपाई पे लिटाया और फिर भौजी की बगल में पाँव ऊपर कर के बैठ गया| मेरे सर पीछे दिवार से लगा हुआ था और उन्होंने मेरे कंधे पे सर रख दिया|
मैं: सच कहूँ तो मैं आपसे ज्यादा प्यार करता हूँ और आपसे थोड़ा सा कम प्यार... मैं नेहा से करता हूँ|
भौजी: जानती हूँ...मैं तो आपको छेड़ रही थी|
मैं: अच्छा तो बताओ की आपको कैसे सुलाऊँ?
भौजी: क्या मतलब कैसे सुलाऊँ? मैं कोई छोटी बच्ची हूँ जो आप मुझे सुलाओगे!
मैं: तो मुझे यहाँ क्या दही मथने को बुलाया है?
भौजी: नहीं जानू ...ये बताओ की मेरी लोलीपोप कहाँ है?
मैं: ओह! वो तो मैंने बड़े घर में रखी हुई है|
भौजी: awwww मैं आपसे बात नहीं करती!
मैंने अपनी जीन्स में हाथ डाला और दोनों लोलीपोप निकाली और उन्हें दिखाई!
भौजी: जानू....आप ना.... मुझे तंग करने से बाज नहीं आते! पर दो क्यों लाये? नेहा ने भी मुझे दो लोलीपोप दी थीं और आप भी दो लाये?
मैं: एक आप के लिए और एक मेरे लिए!
भौजी: (शिकायती लहजे में) क्यों मेरा जूठा खाने में शर्म आती है?
मैं: नहीं यार .....सारी रात एक ही लोलीपोप कैसे खाएंगे ... इसलिए तो वैरायटी लाया हूँ! पहले स्ट्रॉबेरी फिर ऑरेंज फिर मैंगो और आखरी में स्ट्रॉबेरी!
भौजी: सब आज ही खाओगे...कुछ आगे आने वाले दिन के लिए भी बचाओ! चार स्ट्रॉबेरी मतलब चार दिन!
मैं फिर से मौन हो गया... अब मैं उन्हें कैसे बताऊँ की sunday को मैं उन्हें अकेला छोड़ के चला जाऊँगा|
भौजी: क्या हुआ? क्या सोच रहे हो?
मैं: सोच रहा हूँ की आप बात ही करोगे या लोलीपोप खोलोगे भी!
भौजी ने बाकी तीन लोलीपोप अपने तकिये के नीचे रखीं और स्ट्रॉबेरी वाली एक लोलीपोप खोली| खोलते ही उन्होंने उसे अपने मुंह में भर लिया और मेरी ओर देख के हंसने लगीं| दस सेकंड उन्होंने उसे चूसा और फिर मेरी ओर बढ़ा दिया| मैंने भी उस लोलीपोप को चूसा और मुझे उसमें से भौजी के मुख की सुगंध और स्ट्रॉबेरी दोनों का स्वाद आ रहा था| फिर भौजी ने मेरे मुंह से लोलीपोप खींच ली| भौजी: मुझे भी तो Taste करने दो?
फिर भौजी लोलीपोप चूसने लगीं और फिर उठीं और दरवाजा बंद कर के मेरे लंड पे आके बैठ गईं|
मैं: सोना नहीं है?
भौजी: पहले अपनी Red लिपस्टिक के निशान तो मिटा दूँ वरना कल नहाते हुए अगर किसी ने देख लिया तो?
मैं: कह दूँगा की आपने बनाये हैं!
भौजी: ठीक है!
मैं: आप न ...बहुत शरारती हो!
भौजी ने मेरी टी-शर्ट उतारी और उसे नेहा वाली चारपाई पे फेंक दिया| अपनी लोलीपोप मेरे मुंह में दाल दी और मैं मजे से उसे चूसने लगा| फिर उन्होंने मेरे निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया| करीब पांच मिनट तक वो एक-एक कर दोनों को चूसने लगीं| बीच-बीच में वो उन्हें काट भी लेतीं| अब चूँकि मेरे मुंह में लोलीपोप थी तो मैंने जान बुझ के मुँह नहीं खोला न ही कोई सिसकारी ली| फिर भौजी नीचे हो गईं और मेरे Belly Button में अपनी जीभ घुसेड़ दी| उनके ऐसा करते ही मैं उठ बैठा क्योंकि मुझे बड़ी तेज गुद-गुदी हुई थी| भौजी पीछे गिरने ही वालीं थी की मैंने उन्हें थाम लिया|
मैं: क्या कर रही हो ....गुद-गुदी हो रही है!
भौजी: अच्छा जी .... तो मेरे जानू को यहाँ गुद-गुदी होती है!
उन्होंने मेरे सीने पे जोर लगा के पीछे धकेला और मैं वापस तकिये सर रख के लेट गया| अब उन्होंने मेरी बेल्ट खोली...फिर जीन्स का बटन और आखिर में ज़िप खोल दी| फिर वो उठीं और मेरे पाँव के पास कड़ी हो गईं और मेरी जीन्स खींच के उतार दी| मैं अब भी लोलीपोप चूस रहा था| फिर उन्होंने कच्छा उतार दिया और सारे कपडे नेहा की चारपाई पे रख दिए और वापस मेरे घुटनों पे बैठ गईं| उन्होंने झुक के मेरे लंड को अपने मुँह में भरा और लोलीपोप की तरह चजसने लगीं परन्तु ज्यादा नहीं चूसा और फिर चारपाई पे खड़ी हो गईं और अपनी योनि को धीरे-धीरे लंड के ऊपर लाई और धीरे-धीरे लंड पे बैठने लगीं| मैंने उनहीं हाथ से सपोर्ट दे रखा था की कहीं वो गिर ना जाएं| धीरे-धीरे पूरा लंड उनके अंदर समा गया| उन्होंने अपनी गर्दन पीछे की ओर तान दी| दो मिनट बाद जब उनकी योनि ने अंदर से कुछ रस छोड़ा तब जाके उनका दर्द कुछ कम हुआ| फिर वो मेरे ऊपर झुकीं और मेरे मुँह से लोलीपोप निकाल ली और अपने मुँह में भर के चूसा और टॉफी को काट के चबाने लगीं और स्ट्रॉ के टुकड़े को फेंक दिया| मेरी छाती पे हाथ रख के अपनी कमर को उप्र उठाया और फिर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं| उनकी योनि ने जैसे मेरे लंड को अपनी गिरफ्त में जकड लिया था और वो अब किसी भी हालत में छोड़ने वाली नहीं थी|
मैं: स्स्स्स्स्स्स....लगता है... मम्म... आज मेरे "उसपे" (लंड) पे बने निशान आप अपनी "इससे" (योनि) से पोंछ के रहोगे|
भौजी: स्स्स्स्स.....म्म्म्म्म्म्म हाँ!
हम दोनों तो शाम से ही उत्तेजित थे इसलिए ये सम्भोग ज्यादा लम्बा नहीं चला और हम दोनों एक साथ ही स्खलित हो गए| भौजी निढाल हो मेरे सीने पे सर रख के लेट गईं|
सुबह से ये तीसरी बार था जब मैं झड़ा था और वो दूसरी बार! दस मिनट बाद दोनों की सांसें सामान्य हुईं;
मैं: यार...दूध पीने का मन कर रहा है!
भौजी: मैं अभी बना के लाती हूँ|
मैं: मुझे वो दूध नहीं पीना! ये वाला (उनके स्तन की ओर इशारा करता हुए) पीना है|
भौजी: पर मुझे अब दूध नहीं आता| बच्चा होगा... तब आएगा.... तब पी लेना|
मैं: Let Me Try Once !
भौजी: तो करो ना...किसने मन किया है?
अब भौजी पीठ के बल लेटीं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया| उन्होंने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए और उनके स्तन आजाद हो गए| मैं टकटकी बांधे उनके स्तनों को निहारता रहा|
भौजी: क्या देख रहे हो?
मैं: कुछ नहीं (दरअसल उस वक़्त मैं ये सोच रहा था की कल जब मैंने उन्हें अपने जाने की बात बताऊँगा तो उनका क्या हाल होगा?)
भौजी: क्या सोच रहे हो?
मैंने इस बार कुछ नहीं कहा और उनके होठों को चूम लिया| फिर मैं नीचे की ओर बढ़ा ओर उनके स्तनों को एक एक कर चूसने लगा...उनमें दूध तो था नहीं ....पर एक भीनी सी सुगंध अवश्य आ रही थी| उस मनमोहक सुगंध के कारन मैं उनके स्तनों को बेतहाशा चूस रहा था| मैं एक हाथ से उनके एक स्तन को मसलता और दूसरे स्तन को मुंह में भर के चूसता रहता| भौजी अपने हाथ से मेरे सर को दबा रहे थे और सिसिया रहीं थीं| हाँ एक बात थी की मैंने उनके स्तनों पे काटा नहीं...क्यों नहीं काटा ये मैं नहीं जानता| पर मुझे ऐसा लगा की शायद वो भाँप चुकीं हैं की मैं कुछ तो उनसे छुपा रहा हूँ| करीब बीस मिनट बाद मैंने उनके स्तनों को छोड़ा ओर वो बुरी तरह लाल हो चुके थे|
भौजी: अहह स्स्स्स्स निकल आय दूध?
मैं: नहीं ...पर टेस्ट बहुत अच्छा था| चलो आप सो जाओ...
भौजी: Good Night !
मैं: Good Night !
मैंने आखरी बार भौजी के होठों को चूमा और चुप-चाप बाहर आके अपने बिस्तर पे लेट गया|
लेटे-लेटे सोच रहा था की कल कैसे उन्हें बताऊँगा की .... आँखें खोले आसमान में बस देख रहा था और अपने सवाल का जवाब ढूंढ रहा था| रात के ग्यारह बज गए थे और मैं अब भी उसी तरह आसमान की ओर देख रहा था| इतने में वहाँ भौजी आ गईं ओर उनकी गोद में नेहा थी;
भौजी: (खुसफुसाते हुए) जानू ... सोये नहीं अभी तक?
मैं: (बात बनाते हुए) वो नेहा नहीं है ना इसलिए नींद नहीं आ रही थी...अरे क्या हुआ गुड़िया को?
भौजी: फिर से डर गई थी....!!!
मैं: Awwww मेरी बेटी! क्या हुआ? फिर से बुरा सपना देखा?
नेहा ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: आओ पापा के पास ...
मैंने नेहा को गोद में लिया और उसे थपथपाने लगा| फिर मैंने उसे साथ लिटा लिया!
भौजी: Good Night ...और पापा को तंग मत करना|
मैं: आप जाओ और सो जाओ!
भौजी चली गईं और मुझे उनका दरवाजा बंद करने की आवाज आई| मैंने नेहा को कहानी सुनाई और वो मुझसे लिपट के सो गई|
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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