Wednesday, December 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरे बाप की सेक्रेटरी

FUN-MAZA-MASTI

 मेरे बाप की सेक्रेटरी

हाए दोस्तों आज आपको एक इंडियन माल की चूत मारने की कहानी सुनाउंगा और ये कहानी बिल्कुल अलग है। सच तो ये है कि वो मेरे बाप की सेक्रेटरी है, और उनकी गर्लफ्रेंड है। मेरे पापा एल आई सी में काम करते हैं और जोनल मैनेजर हैं। सुधांशु मिश्रा, कानपुर एल आई सी हेड, और मेरा नाम है अमर मिश्रा। मेरे पापा ए ग्रेड अधिकारी होने की वजह से काफी रुतबे वाले हैं और उनकी शराब और शबाब में डूबे रहने की आदत है। इधर पिछले महीने एक नयी लौन्डीया ने आफिस ज्वाइन किया है। नाम है सौम्या। वो अभी बिल्कुल नयी नयी जवान हुई है, उम्र मेरे बराबर लगभग इक्कीस साल, चूंचे छत्तीस के, गांड अड़तीस की और कमर तीस बत्तीस होगी। दूधिया रंग, ट्यूबलाईट जैसा, जींस टाइट उसका तो फ्यूचर ब्राइट लग रहा था मेरे पापा के आफिस में। वैसे बता दूं कि आफिस और मेरा फ्लैट एक ही अपार्टमेंट में है। तो पापा को उस लौंडिया को अपने बेडरुम तक बुलाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी। एक दिन मम्मी अपने पापा के घर चली गयीं। उस दिन शनिवार था, जल्द ही छुट्टी हो गयी। पापा ने सौम्या को अपने पास इनवाइट किया होगा। अच्छा मौका था उसे फांसने का। सौम्या भी हाईफाई गर्ल थी, और उस दिन वो सीधे हमारे फ्लैट पर पहुंची। काल बेल रिन्ग हुई तो मैने दरवाजा खोला और अचानक उसे अपने दरवाजे पर देख कर मेरा माथा ठनका।
मैं समझ गया कि आज इसकी इंडियन गांड चूत समेत सबकुछ का बाजा बजना ही बजना है। कमरे में पापा के ले जाकर मैं सीधा बगल वाले कमरे में जहां से कि खिड़की से जो कि मैने हल्की खोल के रखी थी, पहले से, उससे झांकने लगा। पापा ने कमरे में आते ही सौम्या को गले लगाके उसके चूंचे दबाने शुरु कर दिये। वो मुस्कराते हुए बोली ” आराम से सर, कोई जल्दी है क्या? पापा ने उसको  अपने बाहों में उठा कर सोफे पर बिठा दिया। और दोनों बाते करने लगे। सौम्या कह रही थी ” सर आपकी वाईफ कहां हैं, आप उनको चीट नहीं कर रहे हैं ना? पापा ने कहा – अरे कैसा चीट यार, जब देखो दुनिया दारी से पड़ी रहती है, वो इतनी ठंडी हो गयी है बेड में कि पूछो मत। बस पड़ जाती है ढीली होके और मैं चोद के निकल जाऊं? ये तो सेक्स नहीं है। सेक्स का मतलब है, कुछ जोरदार, झन्नाटेदार और कमाल का जिससे की दिमाग के घंटे बज जाएं। चूत भी ढीली हो गयी है उसकी। बुढापा जल्दी आ गया उसका मोटी हो गयी है। छोड़ो उसकी बातें” ये सब सुनकर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, शायद पापा ने उसको प्रमोशन का लालच देके बुलाया था चोदने के लिए। अब उन्होंने सौम्या को अपनी गोद में बिठा लिया, और उसके चूंचे दबाने लगे। उसकी भरपूर जवानी का प्रदर्शन होने की उम्मीद थी आज मुझे। फिर उन्होंने टीशर्ट के उपर से ही उसके चूंचे मुह में ले लिए।

उसकी चूत को चूसते हुए पापा गजब खुस थे।

वो बोली ” आह्ह सर क्रेजी हो रहे हैं आपतो?” और फिर पापा ने उसके चूंचों को काटते हुए कहा ” रानी, तुम्हें देख कर तो मैं पहले दिन से ही क्रेजी हो गया था। तुम्हारा प्रमोशन कराके हेड सेक्रेटरी बनाने तक तुम्हारे चूंचे ऐसे ही मुझे मिलते रहें बस” सौम्या बोली ” अरे सर क्या बात करते हैं, मैं तो आपकी ही हूं, जैसे लीजिए। और फिर उसने अपनी टीशर्ट उतार दी। उसके गोरे गोरे मस्त चूंचे अभी भी पारदर्शी बिना फीते वाली स्टाइलिश ब्रा में छुपे थे। पापा ने अपने दांतों से उसके ब्रा को नोंच डाला। अब उसके काले काले निप्पल मेरे आंखों के सामने थे। पापा उसके निप्पलों को अपने दांतो से चबाने लगे थे। वह उम्म्म्माह उम्म्म, प्लीज आराम से, आह्ह उफ्फ करके उनको उत्तेजित कर रही थी। और उत्तेजित पापा ने उसके जींस में हाथ डाल कर उसकी चूत को टटोलना शुरु कर दिया। वो टाइट जींस थी और उसमें मुश्किल से हाथ जाता था। उसने खुद ही अपनी जींस का बटन खोल दिया और बेड पर लोट गयी। पापा ने उसकी जिंस को बाहर खींचना शुरु कर दिया। वो निकल ही नहीं रही थी और फिर सौम्या ने उसको खींच कर अलग किया। उसकी लंबी लंबी गोरी टांगें और काली पैंटी अभी भी चूत को ढंके हुई थी। पापा ने उसकी पैंटी खींच कर फाड़ दी। अब गोरी गोरी मलाई जैसी उसकी चूत की फांके और उसपर हल्के काले काले बाल, उफ्फ। पापा अपना लंड निकाल कर उसके उपर टूट पड़े।
उसने उनके लंड को पकड़ कर  मूठ मारना शुरु कर दिया। अब लंड खड़ा हो गया था और अब उसने उस लंड को अपने मुह में ले लिया। पापा उसको कह रहे थे, चल अब रंडी की तरह एक्टिंग कर। अब वो बोल रही थी, ” चोदो मेरे मुह में, पैसे वसूल कर लो अपने। पापा ने अपना पूरा लंड उसके मुह में पेल दिया और वो अचकचा के थूक उगलने लगी। शायद उसको गले में मोटा लंड फंसने से दिक्कत हो रही थी। अब उन्होंने लंड मुह से खींच लिया। उसको टांगे फैला के खड़ा करा दिया, वो अपनी गांड पीछे की तरफ उचका के अपनी चूत को उभार रही थी। पीछे से उसके चूंचे पकड़ कर पापा ने उसको किस करते हुए अपना लंड  उसकी चूत में डाल दिया। अब दोनो मस्ती में थे। धकाधक, फचाफच और पचापच। चूत में लंड एकदम से टाइट हो रहा था। अब बोल रही थी, फाड़ दो मेरी चूत को सर, इतना अंदर डाल दो कि बस मेरी जवानी की प्यास बुझ जाए, आह्ह!!! इतना मस्त लंड तो मेरे ब्वाय फ्रेंड का भी नहीं है। और पापा ने अपने लंड से उसकी चूत की सवारी गांठते गांठते उसको एकदम मस्त कर दिया। अब वो कुतिया बनने के लिए तैयार थी।
उसने अपने दोनों हाथ पलंग पे रखे और कमर झुका कर कुतिया बन गयी। अब पापा ने उसकी गांड में लंड डालकर चोदना शुरु किया। एक दम सूखी गांड में अचानक से लंड पेल देने से वो चिल्लाई, “उईई मां मर गयी, जरा थूक या लुब्रिकेंट लगा लो सर!” पर पापा, सिर्फ उसकी गाँड के अंदरुनी चिकनाई पर निर्भर थे। उन्होंने उसकी चूंचियां मसलते हुए उसकी गांड मारी और फिर अपना वीर्य उसके मुह में उगल दिया। वो वीर्य को इस तरह चाट गयी जैसे कि मलाई खा के बिल्ली अपनी मूंछो पर ताव देती है। इसके बाद वो जल्दी जल्दी कपड़े पहन के बाहर निकलने लगी तो मैने फिर उसे बाहर तक छोड़ा। मुझे देख कर वो मुस्कराई और मुझे उसकी चूत की छवि याद आ गयी।

जब वो उस दिन चुद कर बाहर जा रही थी, उसने मुझे स्माईल दिया था। वो जान गयी थी कि इस लड़के ने उसकी सच्चाई जान ली है। इसलिए उसने मेरी तरफ स्माइल फेंक के यह जता दिया था कि उसे चुदना अच्छा लगेगा, अगर मैं चाहूं तो।
अगले दिन से मैने उसके आफिस के समय से अपने फ्लैट से बाहर निकल कर आते जाते देखना शुरु किया। वो मुझे देख कर रोज स्माइल देती, उसकी बलखाती गांड, लचकती कमर और टाइट जींस देख कर मैं अपने बाथरुम को रोज गंदा करता। एक दिन उसने आते हुए मुझसे पूछा, “ और शहजादे साहब, रोज किसका इंतजार होता है?”
मेरी निगाहें उसके बड़े बड़े चूंचों पर टिक गयीं, उन्हें घूरते हुए मैने कहा “ आप इतना भी नहीं समझतीं, आप मुझसे ज्यादा तो मेरे पापा को समझती हैं, और मैने आंख मार दी” वो झेंप गयी। उसे अहसास हो गया कि मैने उसको और पापा को सेक्स करते हुए देख लिया था।
फिर जब उसने नजरें नीचीं कर लीं तो मैने उसके चूंचो का भरपूर चछुचोदन करते हुए कहा “ आपकी इज्जत हमारे पापा की इज्जत है और हमारे पापा की इज्जत हमारी इज्जत। इसलिए आप बिल्कुल न घबराएं, हम तो बस आपके चाहने वाले हैं। आपका हुस्न देख कर चकाचौंध रह गये थे। गुस्ताखी माफ हमने आपको उस दिन पापा के साथ सबकुछ करते देख लिया था, और तो और मेरे पास वो विडियो भी है”, और मैने चुपके से बनाई गयी मोबाइल एचडी विडियो दिखा दी। उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी।
वो मेरे कान में बोली “ क्या चाहिए तुम्हें? प्लीज जल्दी बताओ, आफिस के लिए देर हो रही है” मैने कहा “ वही जानेमन जो तुमने मेरे पापा को दिया, पर उनसे कहीं ज्यादा चाहिए मुझे तुम्हारी जवानी, क्योंकि तुम भी जवान हो और मैं भी जवान हूं। बेशक मैं तुम्हें ज्यादा मजा देने वाला हूं”
वो बोली ठीक है, ये विडियो मुझे चाहिए, डिलिट करना पड़ेगा। मैं भी इतनी आसानी से हार मानने वाला थोड़े ही था। मैने कहा “ अवश्य जानेमन, अगर तुमने अच्छा परफार्म किया तो क्यों नहीं, मैं जरुर ही डिलीट मार दूंगा इस विडियो को, पर तुम्हें मुझको खुश करना पड़ेगा। और मेरे दिमाग में उसकी रसभरी चूत घुस गयी। गुलाबी चूत की मस्तानी फांकों में लंड घुसेड़ कर उथल पुथल मचाने से मिलने वाले आनंद के बारे में सोच कर मेरा दिमाग एकदम झन्ना गया और लंड सनसना गया।

चूत मराने पापा की महबूबा आई, मेरे पास उसका एमएमएस था, बेचारी!

उस दिन पापा छुट्टी पर थे, हाफ डे था वीकेंड्स का। सौम्या सीधा मेरे फ्लैट पर आई, उसने काल बेल बजाया, मैं इंतजार कर ही रहा था। मैने दरवाजा तुरत खोला और उसे अन्दर खींच लिया। पापा तो थे नहीं, मैने सौम्या को पकड़ कर वहीं स्मूच करना शुरु कर दिया। उसके हाथों से फाइल गिर गयी, मेरे नरम होटों का स्पर्श पाकर उसके हाथ खुद ही मुझे घेरने लगे। उसने मेरे गले में अपने बाहों का हार डालकर अपने होंट मेरे होंटों पर दायें बायें रगड़ने लगी। उसकी यह अदा मुझे पागल करने लगी।
मैंने उसे बाहों में उठाकर चूमते हुए ही बेडरुम में लाया। सबकुछ पहले से सेट था। एक वाईब्रेटर, जिसमें कि डिल्डो भी लगा हुआ था, वैसलीन और फिर मस्त मेरे ब्रांड सिग्नेचर का एक अद्धा।
मैने सौम्या को एक पैग दिया, ना नुकुर करके वो उसे पी गयी और फिर दूसरा पैग तुरत ही दिया। पीते ही वो बिंदास होने लगी। मैने उसकी टाई और शर्ट खोली। बड़े चूंचों को इंडियन ब्रा से आजाद किया और गोरे गोरे एटम बम जैसे स्तन के काले काले निप्पल पर अपनी उंगली फिराते हुए बोला “ तुम तो मेरी मम्मी हो”
वो बोली “हां चलो आज मम्मी बन जाती हूं तुम्हारी, वैसे भी तुम्हारे बाप ने मुझे बहुत चोदा है। इसफैंटेसी का भी मजा लेके देखते हैं” मैने उसको एक जाम और दिया। वो गटक गयी और अपनी जींस उतार कर बोली, बेटे अमर जरा आओ तुम्हें कुछ दिखाती हूं”
और हम दोनों अब बेटे और मां का रोल करते हुए सेक्स के खेल में उतर चुके थे। मुझे एक अलग तरह की फीलिंग आ रही थी। मेरे मन के कोने में कभी भी इस तरह के भाव न आए थे और इस फीलिंग का प्रभाव निस्संदेह इतना ज्यादा था कि मेरा लंड एकदम लोहा और मूसल लंड हो गया। आठ इंच का लंड पापा के लंड से कहीं ज्यादा तगड़ा था।
उसने मेरे लन्ड को पकड़ लिया और बोली “ मेरे बेटे पर पहला हक मेरा है, इतना बड़ा लंड किसी और को तुम कैसे दे सकते हो बेटा अमर!” वो तो सचमुच मेरी मां बन गयी थी, ऐसा रोल प्ले तो कभी देखा ही नहीं। मैने भी कहा, हां मां तुम्हारा ही है।
और उसने अपनी गोरी गोरी चूत को पैंटी निकाल कर नुमाइश किया। बोली “ आज तुम्हें वहीं घुसा दूंगी जहां से तू आया है, चल मेरे पैरों के बीच में आ” मैं किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह से उसके पैरों के बीच आ गया और उसके चूत के फांकों को खोल कर देखने लगा। उसने मेरे सिर को पकड़ कर कहा “ चल इस चूत को खोल कर अंदर झांक, देख क्या है कैसा लग रहा है”
उफ्फ, वो तो मुझे आदेश दे रही थी, पर क्या करें, मां बनी थी और उसकी बात माननी थी। पर इस फीलिंग में मजा भी तो बहुत आ रहा था। मैने अपने दोनो हाथों से उसकी चूत को फाड़ा और अंदर का नजारा लेने लगा। वो पूछ रही थी – “क्या दिख रहा है बेटा अमर?”
और मुझे उसके चूत की दृश्यावली प्रस्तुत करनी थी। “मैने शुरु किया – जैसे कमल के फूल के खिलने पर बिखरी पंखुड़ियां, और उनके उपर मंडराते भौरें का झुन्ड वैसे ही आपकी यह गुलाबी चूत खिली है और इसके उपर काले काले झांट के बादल फैले हुए हैं। ये कांटों की तरह भी हैं”
मुझे चूत के काव्यमय वर्णन से मुझे आश्चर्य हो रहा था कि मैं ये क्या बक रहा हूं। पर शायद हम दोनों आजकल होने वाले मशीनी सेक्स से उपर उठ चुके थे। रोल प्ले के इस खेल में साधारण चुदाई और लंड चूत के लड़ाई से ज्यादा मजा आ रहा था।








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