Sunday, June 21, 2015

FUN-MAZA-MASTI क्या मैं इसे चख सकती हूँ

FUN-MAZA-MASTI
 क्या मैं इसे चख सकती हूँ

मित्रो, मेरा नाम राज है और मैं 25 साल का हूँ… फिलहाल मैं इंदौर में रहता हूँ।
यह कहानी उस वक्त की है, जब मैं नया नया इंदौर में आया था और सब कुछ ही एक नया अनुभव था… देहात में रहने के कारण, वहाँ कई लड़कियाँ मेरी दोस्त तो थीं पर किस से आगे बात नहीं बनती थी!!
खैर, इंदौर आने के बाद मेरे कई दोस्त बने और नयी दोस्ती की खुशी में हम सबने पार्टी का प्लान बनाया… …
मेरा एक दोस्त जो फार्म हाउस का मालिक था; सारे इंतजाम उसने कर दिए।
फार्म हाउस की देख रेख वहीं पास के गाँव में रहने वाले एक काका किया करते थे। उनकी एक बेटी थी जो उम्र में लगभग हमसे 2-3 साल छोटी रही होगी…
पार्टी के इंतजाम में अपने पापा का हाथ बटाने या यूँ कहें कि हम पर लाइन मारने; वो भी फार्म हाउस आ गई थी। सारे इंतजाम होने के बाद वो दोनों जाने लगे। मेरे दोस्त ने उन्हें कुछ पैसे दिए और विदा किया।
अब सारे दोस्त फार्म हाउस के अंदर बैठकर ब्लू फिल्म देख रहे थे और साथ ही साथ व्हिस्की के सिप ले ले कर अपने अपने लण्ड सहला रहे थे…
जब मुझे थोड़ी ज्यादा हो गई तो मैं खेत घूमने निकल गया।
सच, हरियाली का मजा तो खेतों में ही आता है… घूमते-घूमते मैं एक कुएं के पास बने पम्प हाउस की छत पर बैठ गया और अपनी होने वाली गर्लफ्रेंड के बारे में सोचने लगा!!
अचानक, मैंने देखा की फार्महाउस की खिड़कियों से कोई झाँक रहा है। दोस्तो को सचेत करने के लिए मैं नजदीक गया तो देखा की ये तो वही है, जो काका के साथ आई थी…
उसे पता चले बिना थोड़ी देर तक मैंने दूर से ही उसके फिगर और गहराईयों को नापा, फिर कुछ हिम्मत करके उसके पास गया।
अचानक मुझे देख कर वो सहम गई, फिर मैंने पुछा – तुम्हे, ये सब अच्छा लगता है…??
उसने सर हिला कर हरी झंडी दिखा दी!!
फिर क्या था, मैंने धीरे से उसके कान में कहा – चलो, तुम्हे “जन्नत” की सैर करा दूँ!! और वो पीछे पीछे चलने लगी।
उसने बताया कि वो पास के ही गाँव में रहती है पर पढ़ने शहर जाती है, अब तक उसका कोई बायफ्रेंड नहीं है…
पंप हाउस पहुंच कर मैंने चारों और देखा। मेरी हालत देखकर; वो बोली – बापू ने सारा इंतजाम किया है; आपकी पार्टी डिस्टर्ब ना हो इसलिए इधर कोई नहीं आएगा!!
हम अकेले थे, पर दोनों एक जैसे अनछुए…
मैंने कई ब्लू-फिल्म देखी हैं पर ये अलग अनुभव था!!! !!
शुद्ध देसी सौंदर्य… गठीला बदन… सख्त उभार… दहकती साँसें, और उनसे भी तेज धड़कता हुआ दिल!!! !!
मैंने पूछा – तुम्हार नाम क्या है… ??
उसने कहा – लता…
मैं – पहले कभी किया है… ??
वो – नहीं…
फिर मैंने मोबाइल पर उसे एक हिंदी ब्लू फिल्म दिखाई, वो शायद पहले से गर्म थी। वो बोली – ये तो हम रोज देखते है, अपनी सहेली के मोबाईल पर…
मैंने कहा – फिर… ??
वो बोली – फिर क्या… ?? और उसने सीधे मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए…
अब हमने आस पास देखा और फिर लंबी घास वाली जगह देखी और वहाँ चल दिए…
जाते ही मैं लेट गया और उसे भी अपने बराबर में लिटा दिया, वो साधारण सलवार-कमीज पहने हुए थी…
मैंने उसकी कमीज में हाथ घुसा दिया और धीरे धीरे उसके पेट से हाथ ऊपर की ओर ले गया और उसके स्तन सहलाने लगा और वो आँखें बंद करके मज़ा लेती रही…
अब मैं उसके बूब्स दबा रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी…
मेरा लण्ड अब तक पूरे जोश में आ चूका था और मेरी पैंट तम्बू बन चुकी थी अचानक वो उठी और बोली – अभी आई!!
मैंने पुछा – कहाँ चलीं… ??
शायद वो स्खलित हो चुकी थी इसलिए शर्माकर कुछ दूर जा कर सलवार उतार कर बैठ गई; वो पैंटी नहीं पहनी थी…
मैं समझ गया और मैंने भी अंडरवियर छोड़कर अपने सारे कपडे उतार दिए!!
जब वो वापस आई, तो मैंने कहा – सब ठीक है…??
वो बोली – हां!!
फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी और उसके अनछुए स्तनों का मधुर रसपान किया!!! वो आ… ऊह आह… ऊह ओह्ह्ह… की आवाज़ें निकाल रही थी और मुझे उसका नशा चढ रहा था… …
अब उसने हिम्मत करके मेरे लण्ड को छुआ!! लण्ड ने अपनी पूरी अकड़ के साथ उसे सलामी दी!!!
उसने कहा – क्या मैं इसे चख सकती हूँ…??
मैंने कहा – तुम्हारा ही है… और उसने तुरंत मेरी अंडरवियर उतर दी और लण्ड चूसने लगी… इधर मैं चूत का रस-स्वादन कर रहा था!!
कुछ देर बाद मैं उसके मुँह में ही झड गया और अब हम दोनों निर्वस्त्र खुले आसमान के नीचे थे!!
अब उसकी बारी थी, वो मेरे ऊपर आई और मेरे सारे बदन को चूमने लगी… मेरे लण्ड ने फिर सलामी दी!!
वो किस पर किस किए जा रही थी। फिर, मैंने उसे नीचे किया और चूत में लण्ड लगाया और थोडा धक्का दिया…
आह मैं मर गई – कह कर वो चीखी!! मैं डर गया… फिर उसके थोडा संयत होने के बाद में धीरे धीरे उसमे समाने लगा!!
शायद वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी तो मैंने स्पीड बढ़ा दी और वो भी गाण्ड उचका उचका कर मेरा लण्ड ले रही थी
फिर 10 मिनट बाद मैंने कहा – मैं आ रहा हूँ!! तो वो बोली – अंदर मत छोडना!!
मैं बाहर खाली हो गया और इसके बाद हम कई बार मिले कभी इंदौर में और कभी उसके गाँव में… … …
आपका राज…

FUN-MAZA-MASTI अपनी आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखी है

FUN-MAZA-MASTI


 अपनी आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखी है

मुझे हिन्दी लिखना नहीं आता, इसलिए मेरी ये कहानी मेरी हॉस्टल की एक सहेली लिख रही है; जिससे मैं अपने जीवन की हर बात शेयर करती हूँ क्यूंकी वो भी ऐसा ही करती है।
मैं पूर्णिमा एक छोटे से शहर में रहती हूँ और फिलहाल अपने शहर के पास ही एक बड़ी सिटी में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही हूँ।
क्यूंकी घर के बाहर मैं हॉस्टल में रहती हूँ इसलिए ऐसा बिल्कुल नहीं कहूँगी कि मैं एक शरीफ और सीधी-साधी लड़की हूँ।
वैसे तो, यह कहानी मेरी नहीं है पर आपके मनोरंजन के लिए बता देती हूँ कि मैं ज़्यादा गोरी तो नहीं हूँ पर दिखने में सुंदर हूँ।
मैं थोड़ी सी सांवली हूँ और मेरे चुचे ना ज़्यादा छोटे है ना बड़े और गाण्ड भी एकदम कसी हुई है!!! कभी नापा तो नहीं पर मेरा फिगर लगभग – “३२-२६-३४” का होगा!!
असल में यह कहानी मेरी “छीनाल माँ”, मेरी “चुड़दकड़ बहन” और मेरे हद से ज़्यादा “चूतिए जीजू” की है!!
यह कोई कहानी नहीं है, सचाई है जो मेरे दिल में टीस की तरह उठती है।
मेरी माँ दिखने में ऐसा दिखती है कि उससे नरम दिल और अच्छी औरत इस दुनिया में नहीं है पर है बिल्कुल “डायन”।
यक़ीनन, कोई बेटी अपनी माँ के बारे में ऐसे विचार नहीं रखती पर विचार क्या होंगें अगर आपकी माँ आपकी बड़ी बहन से धंधा कराये!!!
रही बात मेरी बहन की, तो वो इतनी भी सीधी नहीं है कि जैसा माँ समझाए, वो मान ले।
असल में उसे भी चुदने का बहुत शौक है।
अफसोस तब भी ना होता, अगर शादी के बाद माँ और दीदी सुधर गयीं होतीं।
सगाई के बाद भी यहाँ तक शादी के बाद तक माँ ने दीदी को खूब चुदवाया और दीदी भी एकदम “रंडी” जैसे चुदीं।
मैं एक लड़की हूँ और मैं यह जानती हूँ जबरदस्ती किसी लड़की से कुछ भी नहीं करवाया जा सकता।
असल में मेरी बहन है ही एक “चुद्दकड़ छिनाल”।
सच दोस्तो, एक बार भी मेरी बहन को मेरे जीजू को देख कर तरस नहीं आया। उसने यह भी नहीं सोचा कि एक रांड़ को भी जीजू कितना चाहते हैं।
दोनों माँ-बेटी सोचती हैं कि दुनिया को उनकी इन घिनोनी हरकतों का कोई अंदाज़ा नहीं, जबकि दुनिया की तो छोड़िये मुझे पूरा यकीन है कि मेरे जीजू तक इस बारे में जानते हैं।
नहीं, आप गलत सोच रहे हैं। मेरे जीजू इसमें बिलकुल शामिल नहीं हैं।
मेरे जीजू तो बेहद शांत और सभ्य इंसान हैं। मन ही मन उनकी सरलता की मैं कायल हूँ और इसलिए कभी-कभी तो उनकी आँखों में देखते ही मेरे आंसूं आ जाते हैं।
मज़े की बात तो यह है दोस्तो, जीजू के घर में होते हुए भी दीदी चुदीं और माँ ने उन्हें पता भी नहीं चलने दिया।
अब आप सोच रहे होंगें मेरे जीजू में ही कुछ कमी है, तो आपकी यह गलत फहमी भी दूर किये देती हूँ। मेरे जीजू ना की काले-कलूटे हैं ना ही मेरी दीदी ने किसी तरह से तरस खा कर उनसे शादी करी है।
बल्कि उससे तो दुनिया की हर लड़की आँखें मूंद कर शादी कर लेती, जिसमें मैं भी शामिल हूँ।
ऐसा भी नहीं है कि वे नामर्द हैं क्यूंकि चोरी छुपे मैंने उनका लण्ड देखा है और दीदी को चोदते हुए भी कई बार देखा है।
सच तो यह है, मेरे जीजू बेहद स्मार्ट और हैंडसम हैं।
मेरी हॉस्टल की २-३ लड़कियां और मैं भी उनके नाम का खूब मुठ मरती हूँ।
पर वो कभी अपनी हद पार नहीं करते, मुझे बिलकुल वो अपनी छोटी बहन की तरह चाहते हैं, इसलिए मजबूरन मैं भी कोई कदम नहीं उठा पाती।
कभी-कभी तो मुझे उनके ऊपर बहुत गुस्सा आता है पर अगले ही पल उनका चेहरा याद करते ही मुझे उन पर तरस आ जाता है।
मैं भी समझ नहीं पाती कि मुझे क्या करना चाहिए इसलिए आप लोगो के सुझाव आमंत्रित हैं।
अब आते हैं कहानी पर…
तो दोस्तो, यह भी एक सच घटना है की कैसे मैंने अनायास अपनी माँ को चुदते देखा… … .. ..
बात जब की है जब मेरे घर पर मेरी माँ, पापा थे। दीदी की शादी हो चुकी थी और मैं भी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी, जैसा आप लोग जानते ही हैं!!!
तो हुआ यूँ की एक दिन मेरी मेरे बॉय फ्रेंड से बहस हो गई और मैं गुस्से में घर के लिए निकल पड़ी…
हॉस्टल में लाइट नहीं होने की वजह से मेरे मोबाइल की बैटरी लो थी। सो, जैसे ही मैंने पापा को फोन लगाया; मेरा मोबाइल डेड हो गया…
मेरा घर का रास्ता करीब २-२:३० घंटे का ही है तो सोचा – चलो, अभी तो पहुँच ही जाउंगी… …
मैं ट्रेन में बैठी और घर के लिए निकल पड़ी!!
शाम को जब मैं घर पहुँची तो पापा टीवी देख रहे थे… मुझे देख कर पापा खुश हो गये और मैंने पूछा – मम्मी कहाँ है…??
पापा बोले – यहीं आस-पड़ोस में गई हैं।
मुझे गुस्सा आ रही थी, एक तो बॉय फ्रेंड से बहस हुई थी दूसरे मुझे भूख लग रही थी। सो, मैं मम्मी को ढूढ़ने निकल पड़ी!!
हमारा घर दो मंज़िला है और दूसरी मंज़िल की सीडियाँ घर के बाहर से हैं…
शायद मम्मी ने जानभूझ कर बनवाई हैं; जिससे दीदी यहाँ आएँ तो आराम से ऊपर चुदती रहें और जीजू को पता भी नहीं चले… …
खैर, मैं जैसे ही गेट खोल कर बाहर निकल रही थी, मुझे एकदम से किसी के मोबाइल बजने की आवाज़ कानों में आई, बस एक ही पल के लिए!!
पर यह तय था कि आवाज़ ऊपर से ही आई है, मुझे लगा ऊपर कौन है… ??
एक अंजान डर से मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने लगी, बहुत सावधानी से… …
जैसी ही मैं ऊपर पहुँची मेरी साँसें रुक गईं और दिल धक से रह गया, हवा से परदा हिल रहा था और बिल्कुल सामने डबल बेड पर मेरी माँ किसी और मर्द से टाँगें खोल कर चुद रही थीं!!! !!
मैं चिल्लाना चाहती थी पर मेरे मुँह से आवाज़ ही नहीं निकली और मैं चुपचाप खड़ी रही… …
मम्मी की साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी और ब्लाउज सामने से खुला था… अंकल सामने घुटनों के बल मम्मी की टाँगों के बीच बैठे थे और मम्मी को लगातार पेल रहे थे!!! !!
मम्मी का चेहरा दूसरी तरफ लुड़का हुआ था और वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रहीं थी और मज़े से चुद रही थीं!!
मैं बता दूँ, पैर में थोड़ी तकलीफ की वजह से मेरे पापा को सीढ़ी चढ़ना मना है और मम्मी के अनुसार मैं हॉस्टल में थी क्यूंकी मैं पहले कभी बिना बताए नहीं आई थी।
सो, मम्मी को मेरे आने का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.. ..
सुबह ही जब मेरी उनसे बात हुई थी तो मैंने आने का कोई ज़िक्र भी नहीं किया था, अगर बॉय फ्रेंड से मेरी लड़ाई ना हुई होती तो मैं आने भी नहीं वाली थी!!! !!
आम तौर पर मैं इतना चुप चाप आती भी नहीं पर आज दिमाग़ खराब होने की वजह से मैं थोड़ी उदास थी…
इसलिए वो एकदम बेफिक्री से चुद रही थीं… …
शक तो मुझे पहले भी एक दो बार हुआ था पर आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखना कितना “भिभत्स एहसास” होता है शायद यह कोई नहीं समझ सकता!!! !!
मेरी आँखों से आँसू टपकने लगे और मैं जड़वत खड़ी थी… …
तभी अंकल ने ज़ोर से “अह्ह्ह्ह्ह्ह” की आवाज़ करी और मैं डर कर नीचे बैठ गई… फिर थोड़ा सा उठ कर देखा तो अंकल मम्मी के चेहरे पर अपना मूठ छोड़ रहे थे…
मम्मी को देख कर साफ लग रहा था की उन्हें थोड़ी गुस्सा आ रही है… …
अंकल फिर थोड़ा सा चिल्लाए – आहह आ.. .. उफफफफफफफफफफ्फ़…
और इस बार मम्मी थोड़ा गुस्से में बोल पड़ीं – धीरे करो, यार… !!
अंकल भी थोड़ा गुस्से में बोले – चुप कर रंडी… …
मम्मी चुप हो गईं और उठ कर अपना ब्लाउज ठीक करने लगीं… अंकल भी अपने पायजामे का नाडा बाँधने लगे… …
मैं बैठे ही बैठे दो चार सीडी उतरी, फिर एक दम चुप चाप नीचे चली गई… …
अंदर घुसते ही पापा बोले – क्या हुआ, बेटा… मिली नहीं मम्मी…
मैंने एक पल पापा को देखा फिर चुपचाप बाथरूम में जा कर नल चालू कर लिया और सिसकने लगी!!!
मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आ रही थी और ना जाने क्यूँ मुझे जीजू की याद आ रही थी… ऐसा लग रहा था भाग के चली जाऊं और कस के उनके गले लग कर रोने लगूँ… …
अचानक मुझे एहसास हुआ की वो क्यूँ चुप थे; मुझे भी चुप रहना होगा। अपने पापा के लिए!!! !!
मैंने चेहरा धोया, नॉर्मल हुई और फिर बाहर आ गई…
अब तक मम्मी नीचे आ चुकीं थी और पापा से थोड़ी दूर सोफे पर बैठीं थीं…
उन्होंने मुझे देखा और बोला – कब आई… ?? फिर बिना जवाब का इंतेज़ार किए बोलीं – आ रही यार, मैं एक मिनिट। हाथ मुँह धो लूँ। चक्कर से आ रहे, मुझे…
मैंने सोचा हाथ मुँह धो लूँ या अंकल का मूठ धो लूँ… …
खैर, मैंने पापा को देखा और अपने पर संयम रखा और सोचा चुप रहने में ही भलाई है। वैसे भी मम्मी कभी नहीं मानेंगी की वो ऊपर चुद रही थीं!!! !!
जब मम्मी हाथ मुँह धो कर आईं तो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया – कहाँ गईं थीं… ??
उन्होंने बड़ी चालाकी से बात टाल दी… …
एक पल को भी उन्हें देख कर यह एहसास नहीं हो रहा था कि ५ मिनिट पहले वो किसी “गैर मर्द” से मज़े लेकर चुद रही थीं!!
फिर मैंने सोचा की इन लोगों को भी कब एहसास होता है। जब मैं हफ्ते-हफ्ते भर अपने बॉय फ्रेंड से उसके रूम पर चुदती हूँ… …
चूतिया बनाना तो हम लड़कियों की “जन्म जात खूबी” है… …
जो कुछ भी मैंने देखा यही सोच कर तसली कर लेती हूँ की वो “एक बुरा सपना” था!!! !!
एक दिन घर पर रुक कर, मैं हॉस्टल से वापस आ गई… …
मैंने कभी किसी को यह एहसास नहीं होने दिया की मैंने अपनी आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखी है… …
सभी के साथ मेरा व्यवहार बिल्कुल नॉर्मल है, जैसे मैं कुछ जानती ही ना हूँ… … …
यह राज़ मेरी चिता के साथ ही जल जाएगा…

FUN-MAZA-MASTI चाची ने चटवाई

FUN-MAZA-MASTI


चाची ने चटवाई


दोस्तो मेरा नाम वंश है और मेरा लण्ड 7 इंच का है!! चंडीगङ में रहता हूँ तथा मुझे चूत चाटने का बहुत शोक है…
 मैं आपको अपनी जिन्दगी का पहला अनुभव बताने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ, आप सब को पसंद आएगा।
मेरी पढाई ख़त्म हो गई थी और मैं काम की तलाश कर रहा था। एक दिन मैं थक कर घर आया तो माँ ने बताया कि सोनिया चाची ने मुझे घर पर बुलाया है। काम के बारे में बात करनी है।
मेरी चाची सोनिया काफ़ी सुंदर है। उनकी उम्र 32 की होगी, लेकिन फ़िगर के हिसाब से वो एकदम 20 या 22 से ज़्यादा नहीं लगती। उनका फ़िगर 36-32-38 होगा और उनकी मोटी-2 जाँघे देखकर कोई भी मर्द ललचा जाए… चाची-चाचा हमारे घर के पास ही रहते हैं।
मैं नहा कर चाची के घर चला गया।
जब मैं उनके घर पहुँचा, मैंने दरवाजा खटखटाया। दो बार खटखटाने पर चाची दरवाजे पर आईं।
मैंने चाची को नमस्ते कहा और पूछा की बच्चे कहाँ है, तो वो बोलीं की नानी के घर गए है छुटी बिताने, चाची बोलीं – अंदर आ जाओ, बाहर ही रहकर सब पुछोगे क्या?
मैं अंदर चला गया। चाची मेरे लिए पानी लेकर आईं, मैंने पानी पिया। इतने मे चाची ने पूछा – वंश बेटा, तुम्हारा लैपटाप कहाँ है?
मैंने कहा – घर पर चाची जी…
वो बोलीं – ठीक है, कल इसी वक्त आना साथ में लैपटाप लेकर आना।
मैंने पूछा कि आपने तो काम बताने के लिए बुलाया था तो वो बोलीं कि उनके मोहल्ले में किसी ने ओनलाईन काम शुरु किया है, तुझे वो ही समझाना है, इतना सुनकर मैं उनसे इज़्ज़ात लेकर अपने घर आ गया।
अगली दोपहर को मैंने अपना लैपटाप उठाया और चाची के घर पहुँच गया, चाची को नमस्ते कहा और पूछा – लैपटाप शुरु करुँ…??
वो बोलीं – रुक मेरे बेडरुम में आ जा, वहाँ पर आराम से बैठते हैं।
बेडरुम में जाकर मैंने लैपटाप चालु कर दिया, वो बोलीं – चल अब ब्लु फ़िल्म लगा।
मैं चौंक गया, मैंने कहा – क्या?
वो बोलीं – जब भी घर आता है, मेरी तरफ़ कम मेरी चुचियों की तरफ़ तेरा ज्यादा ध्यान रहता है। तू क्या समझता है कि मुझे कुछ नहीं पता। मैंने तुझे मुठ मारते हुए देखा है कितनी बार, अपने कमरे में लैपटाप में ब्लु फिल्म लगा कर। चल जल्दी कर।
मैं डर गया और मैंने कहा – नहीं चाची जी, आपको कोई गल्तफ़हमी हुई है।
वो बोलीं – जल्दी लगा, नहीं तो अभी तेरा चाचा को फोन कर के बुलाती हूँ।
मैं डर गया और मैंने जल्दी से लैपटाप में ब्लु फ़िल्म चला दी।
चाची का सारा ध्यान फ़िल्म में था। वो अपनी सलवार में हाथ डालकर अपनी चूत को सहला रही थी। ये देखकर मेरा लण्ड खडा हो गया और मेरी पैंट में से उसकी झलक नजर आने लगी।
जब चाची का ध्यान मेरे लण्ड की तरफ़ गया वो बोलीं – पैंट उतार।
मैं डर रहा था, मैंने पैंट उतार दी। इतने में फ़िल्म में चूत चाटने का सिन आ गया। उसमे वो लोग 69 पोज़ में एक दूसरे को चाट रहे थे!!
चाची ने कहा – चल आजा, तुझे स्वर्ग में ले चलती हूँ। और इतना कह कर वो मेरे मुँह पर बैठ गईं।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनकी सलवार के अन्दर से उनकी चूत के पानी की महक आ रही थी!!
मैं मदहोश हो गया और सलवार के उपर से ही चूत को चाटने लगा। चाची के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने कहा – चाची जी, अपनी सलवार उतार दो।
वो बोलीं – चाची मत बोल, सोनिया बोल कुत्ते।
इतना सुन कर मैं पागल हो गया और मैंने चाची की सलवार को उसके जिस्म से अलग कर दिया। उन्होनें गुलाबी रंग की पैंटी पहनी थी। वो चूत के रस से पुरी तरह भीग चुकी थी!!
अब मैं पैंटी के उपर से चूत चाटने लगा।
मैं बोला – सोनिया जान, तुम्हारी चूत का पानी तो अमृत है।
वो बोलीं – कुते, बहन-चोद तो जोर से चाट।
मैंने कहा – कुतिया, पहले अपनी कच्छी तो उतार।
चाची ने अपने हाथों से पैंटी को हटा कर चूत मेरे मुँह पर रख दी और मैं जोर जोर से चाटने लगा।
इतने में चाची की चूत से गरम गरम बाथरुम की धार बहने लगी और मैं मस्ती में उसे पीने लगा। थोडा अजीब लग रहा था, लेकिन मजा आ रहा था।
वो बोलीं – चल अब मेरी चूत की प्यास बुझा दे, चोद दे इसे।
मैंने अपना सुपाडा चाची की चूत पर रखा और जोर से धक्का मारा। चाची के मुँह से चीख निकली – आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हं।
वो बोलीं – धीरे कर चुतिये, एक दिन में ही फड़ेगा क्या? सो, मैं धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी ही देर बाद वो नीचे से उछ्लने लगीं, तो मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी। अब उन्हें दर्द नहीं हो रहा था और वो मज़े में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आ्ह्ह्ह्ह्ह ईईईईईई ऐह्हीईई ईस्स्स्स्स्स्स्स्स मजा आ रहा है, हाय और जोर से, हाय क्या बात है, हाय।
क्योंकि हम दोनों ही कुछ देर पहले झड़ चुके थे इसीलिए इस बार ज्यादा समय तो लगना ही था।
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में लण्ड पेलता रहा।
फिर वो बोलीं – अब तुम नीचे आ जाओ और मुझे ऊपर आने दो।
मैंने कहा- ठीक है।
अब वो मेरे लण्ड पर बैठकर कूद रही थीं। जब वो कूदती तो साथ साथ उनकी चुचियाँ भी ऊपर नीचे उछल रही थीं। वो सीन वाकई में लाजवाब था।
कुछ देर बाद, मैंने फिर से उनको नीचे गिरा लिया। अब वो पीठ के बल लेटी हुई थीं और मैं उनकी कमर पर लेट कर उन्हे चोद रहा था।
अब मैं झडने वाला था, मेरे लण्ड से वीर्य का फ्व्वारा निकला, जो मैंने चाची की चूत में ही छोड़ दिया। फिर हम दोनो शांत हो गये और लेट गये।
कुछ देर लेटने के बाद चाची ने एक कपड़े से मेरा लण्ड साफ़ किया और अपनी चूत की भी सफाई की।
फिर अपने अपने कपड़े पहन लिए और नीचे आ गये।
यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताइए –

FUN-MAZA-MASTI दो भाभियों की चुदाई

FUN-MAZA-MASTI

दो भाभियों की चुदाई



मेरा नाम कुलदीप शर्मा है और मैं 25 साल का गोरा-चिट्टा नौजवान हूँ। मैं ग्वालियर में रहता हूँ।
आज मैं आप सबको मेरी पहली कहानी बताता हूँ…
सो, मई का महीना था। घर पर मैं अपने मोम-डैड के सांथ रहता हूँ लेकिन उस दिन वो भोपाल गए हुए थे और तभी हमारी पड़ोस की भाभी आ गईं।
वो बहुत ही सुन्दर हैं और उनका फिगर 38-28-40 का है।
मैंने दरवाजा खोला और वापस जाकर अपने बेड पर लेट गया।
इतनी देर में मैंने देखा कि उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी और वो पंखे के नीचे हवा खा रही थीं।
मुझे देख कर वो एकदम सहम गईं और मैं भी तुरंत वहाँ से उठ कर चला गया और न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा…
तभी वो मेरे पास आईं और बोलीं – देवर जी, आपने कुछ देखा तो नहीं।
मैंने कहा – भाभी, कुछ तो शर्म किया करो। ऐसे कहीं भी कपड़े खोल के खड़ी हो जाती हो?
इस पर वो बोलीं – बहुत गर्मी हो रही है, भैय्या!! क्या करूँ?
मैंने कहा – अब कभी ऐसा मत करना।
वो – ठीक है, बोल के चली गईं लेकिन मेरे दिमाग में तो वही मोटे मोटे गोल गोल मम्मे घूम रहे थे।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनसे जाकर पूछा – क्या, तुम अपने घर पर बिना कपड़ों के घूमती हो; इतनी गर्मी में?
तो वो शरमाई और बोलीं – हाँ!! तुम्हारे भैया तो मुझे मना नहीं करते, नंगा घूमने के लिए।
तो मैंने कहा – जब इतने मस्त बोबे देखने को मिलेंगे तो कौन मना करेगा।
वो शरमा के वहां से चली गईं।
फिर मैं नहाने चला गया, लेकिन मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया। थोड़ी देर में कमला मेरे कमरे में आई तो उन्होंने मुझे नहाते हुए देखा और मेरी चाल काम कर गई।
वो मेरा 8 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लण्ड देख कर खुद को रोक नहीं पाई और बोलीं – इतना लम्बाऽऽऽ… !!!
तो मैंने पूछा – आपको चाहिए, क्या?
अब वो मेरे पास आईं और मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। अब हम दोनों नंगे थे।
फिर हम दोनों साथ में नहाये और उसके बाद मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले गया।
उन्हें बेड पर पटक कर अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया, वो भी मजे से चूसने लगीं… …
15 मिनट तक चुसवाने के बाद, मैंने सारा माल उसके मुँह में ही डाल दिया और वो भी चाट चाट कर पी गईं।
5 मिनट तक और चुसवाने के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया!! फिर मैंने उसे घुटनों पर बिठा कर पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और 3 धक्कों में पूरा का पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया और वो जोर से चिल्लाई – ऊऊऊऊऊईईईईईई आह आह आह आह आह मर गई… !!
उसके बाद मैंने धक्का मारना शुरू किया। पहले धीरे धीरे धक्के मारे और फिर जोर जोर से… !!
पूरा कमरा पचक-पचक की आवाज़ से भर गया।
कमला भाभी भी लगातार चिल्ला रही थीं – ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउईईईईईईए ऊऊऊउईई उए उए आह आह आह आह अहह ह्ह्ह…!!
20 मिनट तक वो 3 बार झड़ चुकी थी!! लेकिन मेरे लौड़े में बहुत जान बाकी थी और वो अन्दर बाहर लगा हुआ था…
फिर मैंने अपने लौड़ा निकाल कर उसकी गाण्ड पर रख दिया और वो बोलने लगी – देवर जी, गाण्ड मत मारो… !! मैंने कभी नहीं मरवाई और ना ही तुम्हारे भैया को कभी मारने दी है… !!
लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में पेल दिया।
वो अब बहुत जोर से चिल्लाई – आ आ आ आह आआअह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… फिर मैंने झटके देना शुरू किया और वो दर्द से चिल्लाई – आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊईईईए… और 10 मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल उसके अन्दर डाल दिया!!
उन्हें चोद के मैं जैसे ही पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि हमारे घर के सामने रहने वाली शीतल भाभी वहां खड़ी थी… !!
भाभी ने बाहर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था…
शीतल भाभी को देख कर भाभी ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई और मैंने भी जल्दी से तौलिया उठा कर लपेट लिया, तभी भाभी बाहर गई और दरवाजा लगा दिया…
मैंने सोचा – आज तो मैं गया… तभी भाभी आईं और बोलीं – तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो, मुझे चोदोगे?????
यह सुन कर मैं तो हैरान ही रह गया!!
वो बहुत ही सुंदर हैं। 36 28 38 की कमसिन कली, मैंने भी बिना देर किये भाभी को पूरा नंगा कर दिया और भाभी ने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरा लण्ड चूसने लगीं… !!
5 मिनट में मेरा लण्ड पूरा कड़क हो गया तो वो बोलीं – जल्दी चोद दो, मुझे!! मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है, तुम्हारे भईया आने वाले हैं…
मैंने तुरंत भाभी को बेड पर लिटाया और पूरा लण्ड चूत में पेल दिया। वो चिल्लाई – आह आह ऊऊऊऊउईईईईए और फिर खुद भी गाण्ड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी… …
पचक-पचक और मैंने धक्के तेज़ कर दिए। 30 मिनट तक चोदने के बाद, मैंने सारा माल अंदर डाल दिया तभी वो मुझसे यह वादा करके चली गई की मैं मौका देख के फिर चुदाई करवाउंगी…!!!
उस दिन मैंने अपनी दो दो भाभियों को चोदा ओर अब ये सिल्सिला चल निकाला है। जब भी मन करता है मैं दोनों को चोद्ता हूँ और दोनो भाभियाँ भी बड़े मज़े से चुदवाती है…
कुछ दिन बाद पता चला कि भाभी माँ बनने वाली हैं!!
उसके अगले दिन वो हमारे घर पर आई और मुझे बताया कि यह उस दिन की चुदाई का ही नतीजा है और वो बहुत खुश थी क्योंकि उनकी शादी के 5 साल बाद भी भैय्या बच्चा नहीं दे पाए थे…

FUN-MAZA-MASTI सेक्स की प्यासी

FUN-MAZA-MASTI

 सेक्स की प्यासी


मैं 25 साल का हूँ और शादीशुदा हूँ!! मेरी बीवी सेक्स में थोड़ी कमजोर है और मेरे साथ ज़्यादा देर तक सेक्स नहीं कर पाती…
पहले वो अच्छे से सेक्स करती थी, पर बच्चे होने के बाद वो अब सेक्स तो करती है पर ज़्यादा टाइम मुझे नहीं झेल पाती और मैं प्यासा रह जाता हूँ।
मुझे सेक्स के लिए एक साथी की तलाश थी, जो मुझे मिल गई। उसी के साथ मेरी यह स्टोरी है!!
आशा करता हूँ कि मेरी ये रियल स्टोरी आप सब को पसंद आएगी।
ये स्टोरी मार्च यानी पिछले महीने की ही है!!!
मुझे शुरू से ही वॉक का शौक है। सो, मैं जिस पार्क में वॉक के लिए जाता हूँ वहाँ पर बहुत सी लेडीस और लड़कियाँ भी आती हैं पर मैंने कभी किसी पर ज्यदा ध्यान नहीं दिया।
पर एक दिन मुझे पार्क में एक औरत दिखी। वो अपने दो बच्चों के साथ पार्क में आई। मैंने पहले उसे पार्क में कभी नहीं देखा था…
उसकी उम्र 30 के आसपास होगी। क्या मस्त फिगर था, यार उसका!!!
मैं तो देखते ही उसका दीवाना हो गया… “38-30-40″ और वो बहुत ही सुंदर दिखती है!!!
फिर क्या, मैं तो सब कुछ छोड़ कर बस उसे ही देखता रहा…
उसने भी इस बात को नोटीस किया। वो अपने बच्चों के साथ बेडमींटन खेल रही थी, तो मैं पास ही पड़ी कुर्सी पर जाकर बैठ गया और उसे देखता रहा।
वो भी मुझे नोटीस कर रही थी!!!
ऐसे ही कुछ दिन गुजर गये। ये मेरा और उसका रोज का काम हो गया। अब मैंने उसके बच्चों के साथ खेलना शुरू कर दिया!!
उससे भी कुछ कुछ बातें होने लगी। पता लगा, उसका नाम सुमन है और वो वहीं पार्क के पास ही रहती है।
उसके पति दिल्ली में जॉब करते हैं…
कुछ ही दिन के बाद हम अच्छे दोस्त बन गये, उसका घर मेरे ऑफीस के पास ही था तो वो मुझे एक दिन लंच टाइम में मिली और मुझे अपने साथ लंच करने के लिए कहने लगी…
मैंने भी उसे हाँ कह दी और उसके साथ उसके घर चल दिया।
उसने काफ़ी अच्छा लंच बनाया था। हमने एकसाथ लंच किया, फिर वो बर्तन रसोई में रख के मेरे पास आकर बैठ गई।
उसने पिंक रंग का सूट और पीले रंग की सलवार पहन रखी थी। मस्त लग रही थी!!!
उसने मुझे बतया कि उसके पति सिर्फ़ 15 दिन में एक बार घर आते है और वो घर पर अकेली ही रहती है…
मैं समझ गया कि वो “सेक्स की प्यासी” है!!!
मैंने उसे डरते हुए अपने दिल की बात बोल दी कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो उसने कहा कि मैं शादीशुदा हूँ और तुम भी शादीशुदा हो। ये नहीं हो सकता। मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती और तुम्हें भी ऐसा करने नहीं दूँगी!!
उस टाइम मैं आ गया और 2 दिन तक ना तो जॉगिंग पर गया और ना ही उससे कोई बात हुई।
दूसरे दिन उसका फोन आया और उसने मुझे ना आने का कारण पूछा तो मैंने उसे बुखार का बहाना मार दिया पर वो समझ गई थी की बात क्या है…
उसने मुझे कहा – मुझसे शाम को घर जाते हुए मिल के जाना। तो मैंने उसे हाँ कर दी।
शाम को उसके घर जाते टाइम मैंने उसके बच्चों के लिए कुछ चॉकलेट ली और उसके घर की तरफ़ चल दिया…
उसने घर पहुँचा तो उसके बच्चे खेल रहे थे। मैंने उनको चॉकलेट दी और वो दूसरे रूम मे खेलने चले गये।
इतने मैं वो भी अपने काम निपटा कर मेरे पास आ गई और उसने मुझसे बोला – तुम उस बात से मुझसे नाराज़ हो ना?
मैं बोला – हाँ!!
तो वो बोली – मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ पर डर लगता है। कहीं हमारे बारे में किसी को पता चल गया तो मेरी और तुम्हारी दोनों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी…
मैंने कहा – तेरे और मेरे बिना बताए, किसी को कैसे पता चलेगा…
उसकी आँखों में मुझे सहमति दिखी।
मैंने उसे “आइ लव यू” कहा तो उसने भी “आइ लव यू टू” कह कर मुझे गले से लगा लिया!!!
अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूमने लगा…
वो भी मेरा साथ देने लगी!! धीरे धीरे मैं उसकी कमर और उसके चूतड़ पर हाथ फेरने लग गया…
उसने भी मेरे गले मैं अपनी बाहें डाल लीं और मैंने धीरे धीरे उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया। वो गरम होने लगी और उसने मुझे रुकने के लिए कहा, बोली – बच्चे हैं, मैं अभी आती हूँ!!
वो बच्चों को पढ़ाई में लगा कर जल्दी ही आ गई और रूम का दरवाजा लोक कर लिया…
मैंने भी उसे आते ही पकड़ लिया और उसका सूट उतार दिया!!!
उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी… मैनें उसके चुचों को दबाना और चूसना शुरू कर दिया।
उसने भी पेंट के ऊपर से मेरे लण्ड को दबाना शुरू कर दिया!!
फिर मैंने उसे बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर आ गया और उसकी सलवार भी उतार दी!!
अब मैंने उसकी चूत आर हाथ रख दिया। वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी… …
तुरंत ही मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी!! उसकी चूत एक दम साफ थी, एक भी बाल नहीं थी!!
शायद उसने आज ही बाल साफ किए थे। उसका फिगर देख कर लग नहीं रहा था की वो 2 बच्चों की माँ है।
मैंने उसके सारे बदन को चूमना शुरू कर दिया… फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और वो मेरा लण्ड देख के घबरा गई और बोली – ये तो मेरे पति के लण्ड से बहुत बड़ा है!!! !!
मैंने उसे लण्ड चूसने के लिए कहा तो वो बड़े प्यार से लण्ड चूसने लगी…
फिर हम 69 की पोज़िशन में आ गये।
क्या मस्त टेस्ट था, यारों उसकी चूत का… … मैं तो उसकी चूत को खा जाने के लिए तैयार था!!!
मैं अपने जीभ को उसकी चूत के अंदर तक ले गया और उसकी चूत को लपालप चूसने और चाटने लगा…
इधर वो सिसकारियाँ लेने लगी और अपने पैर से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी और साथ ही साथ मज़े से मेरे लण्ड को चूस रही थी!!
कुछ ही देर में उसका शरीर अकड़ना शुरू हो गया और वो ज़ोर से झड़ने लगी!!
मैं उसका सारा नमकीन रस पी गया… …
वो थोड़ी देर के लिए रुकी और मैं अपना चेहरा साफ करके आया और फिर से चूमने लगा!!
उसने कहा – अब अंदर डाल दो।
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
वो एक बार तो चीख पड़ी, उसने कहा – मेरे दोनों बच्चे सीजेरियन से हुए है तो मेरी चूत बहुत टाइट है और तुम्हारा लण्ड बहुत लंबा और मोटा है!!!
उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि मैंने दूसरा झटका मारा और पूरे का पूरा लण्ड उसकी चूत में उतर गया… उसकी तो आँखें निकल आईं।
अब मैं थोड़ी देर के लिए रुका, जब वो कुछ नॉर्मल हुई तो उसने भी नीचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया!!!
मैंने भी अपनी रफ़्तार बड़ा दी, अब कमरे मे सिर्फ़ हुमारी चुदाई की आवाज़ आ रही थी!!
मैंने अलग अलग तरीके से उसकी चुदाई की… लगभग 30-45 मिनट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने को हुआ तो मैंने कहा – कहाँ निकालू?
तो उसने कहा – मैंने “कॉपेर टी” लगा रखी है। तुम अंदर ही निकाल लो… और मैं और वो दोनों एक साथ झड़ गये!!! !!
मैंने टाइम देखा तो 8 बज चुके थे…
मैंने अपने कपड़े पहने और उसे किस कर के अपने घर आ गया।
उसके बाद हम हर 2-3 दिन के बाद चुदाई करते हैं।
आप को मेरी कहानी कैसी लगी?

FUN-MAZA-MASTI जरा धीरे!! मुझे दर्द हो रहा है

FUN-MAZA-MASTI

जरा धीरे!! मुझे दर्द हो रहा है

मेरा नाम सुशिल है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ।
यह उस समय की बात है, जब मैं कोलेज में था और सर्दी की छुट्टियों में ननिहाल गया हुआ था…
मेरे नाना जी के काफी खेत हैं और उनके खेत में एक मजदुर काम करता था। वो और उसकी पत्नी हमारे खेत में ही रहते थे।
उसकी पत्नी बहुत सुंदर थी। वो ऐसी दिखती थी कि किसी का भी मन डोल जाये, उसे देख कर।
एकदम लाल होंठ… रस भरे मोटे मोटे बूब्स… पतली कमर… मोटी गाण्ड… गोरा रंग और क्या मस्त फिगर था!!!
पंजाबी सूट में तो बिलकुल क़यामत लगती थी।
मैंने भी उसे चोदने का मन बना लिया था… …
इसी इरादे से मैंने उससे दोस्ती भी कर ली और थोड़े ही दिनों में मेरे साथ उसकी काफी अच्छी दोस्ती हो गई।
जब भी मौका मिलता, मैं उससे बातें करने लग जाता था।
फिर धीरे–धीरे, मैंने उसके साथ गन्दी–गन्दी बातें भी करनी शुरू कर दी और उसे भी इसमें मजे आने लगे!!!
अब मैं उसे चोदने का मौका ढूंढने लगा।
आख़िर, एक दिन मौका मिल ही गया।
उसका पति काम से शहर गया हुआ था और वो अकेली थी।
मैं उसके पास चला गया और बातें करने लगा, धीरे–धीरे मैंने गन्दी बातें करनी स्टार्ट कर दी। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया…
इस पर वो कुछ नहीं बोली, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने उससे अपनी और खीच भी लिया और अपनी बाहों में ले लिया।
मैं समझ गया कि वो भी यही चाहती है।
फिर मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए और किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी!!!
हम दोनों पागलो की तरह एक दूसरे को चूमे ही जा रहे थे।
मैंने अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और दूसरा हाथ उसकी सलवार में डाल दिया।
वो अब सेक्स के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी और आहें भर रही थी – उम्ह्ह्ह उम्ह्ह्हह्ह आआह्ह्ह… जैसी उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और अब हम दोनों एक दम नंगे थे।
मेरा लण्ड भी काफी उत्तेजित हो चूका था!!
फिर मैंने उसे गद्दे पर पटक दिया और जोर जोर से पागलों की तरह बूब्स दबाने और चूसने लगा। लगभग 20 मिनट तक मैंने उसके चूचें चुसे!!! और फिर उसके पेट को चूमा… फिर मैं उसकी चूत को को चाटने लगा!!! !!
क्या चूत थी, उसकी… एक दम साफ शेविंग की हुई!! चूत को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था।
उसे भी बहुत मजा आ रहा था। पूरा कमरा उसकी उम्म्ह्ह आह्ह… की आवाजों से गूंज रहा था।
अब उसने मेरी पैंट उतार दी और मेरा लम्बा लण्ड अपने हाथों से सहलाते हुए बोली – इसे मेरी चूत में डाल दो और इसकी प्यास बुझा दो।
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और जोर से झटका मारा।
इस पर वो चिल्ला पड़ी और बोली – जरा धीरे!! मुझे दर्द हो रहा है।
फिर मैं धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। दो मिनट बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने स्पीड बढ़ा दी और वो भी गाण्ड ऊपर कर कर के मेरा पूरा लण्ड अंदर तक लेने लगी।
लगभग 10 मिनट बाद उसका शरीर ढीला पड़ने लगा, मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है और फिर वो तुरंत झड़ गई।
उसके बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया…
फिर हम दोनों कुछ देर तक नंगे ही बेड पर लेटे रहे और बातें करने लगे।
लगभग 10-15 मिनट बाद मेरा लण्ड दोबारा खड़ा हो गया।
यह देख वो बोली – तुमने मेरी चूत तो फाड़ दी, अब क्या चाहते हो?
इस पर मैंने उसे कहा – अब मैं तुम्हारी गाण्ड फाड़ना चाहता हूँ!!!
वो शुरू में तो नहीं मानी पर फिर मेरे काफी मोटे और लंबे लण्ड को चाटते हुए गाण्ड मरवाने के लिए तैयार हो गई।
अब वो मेरा लण्ड चूसने लगी, कुछ देर बाद मेरा लण्ड उसकी गाण्ड फाड़ने के लिए एक दम तैयार हो गया।
फिर उसको मैंने “डौगी स्टाइल” में किया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखा और एक जोरदार झटका मारा। मेरा आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस चूका था!!!
वो दर्द से चिल्ला पड़ी और रोने लगी… वो बुरी तरह छटपटाने लगी थी और छुटने की कोशिश करने लगी थी!! पर मैंने उसे कस के पकड़ लिया और धीरे–धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वो आहें भरने लगी। 10 मिनट के बाद मैं रस्खालित हो गया और अपना वीर्य उसकी गाण्ड में ही छोड़ दिया।
हम दोनों बेड पर लेट गये और थोड़ी देर बाद में हम दोनों साथ नहाये!!!
उसके बाद मैंने अपने कपडे पहने और घर चला आया…
फिर जब तक मैं ननिहाल में रहा रोज उस औरत के साथ सेक्स करता रहा!!
अब भी जब छुट्टिया मिलती हैं, यहीं चला आता हूँ और मौका मिलते ही हम सेक्स करने लगते हैं!!!
आपको यह कहानी केसी लगी? जरूर बताइए –




FUN-MAZA-MASTI दूसरी क्लास की एक लड़की

FUN-MAZA-MASTI

 दूसरी क्लास की एक लड़की

यह मेरी पहली कहानी है, अगर इसमें कोई गलती हो तो मुझे माफ़ कर देना।
मेरा नाम राहुल है और मेरी हाइट 5.9 इंच है और दिखने में गोरे रंग का हूँ।
ये कहानी है, जब मैंने लखनऊ के एक कॉलेज में दाखिला लिया था।
उसी कॉलेज की दूसरी क्लास की एक लड़की, जिसका नाम था प्रिया। उसपे मेरा दिल आ गया था।
क्या करें यार, वो थी ही इतनी “कमसिन” की देखो तो देखते ही रह जाओ।
उसकी हाइट, मेरे से थोड़ी कम थी और उसकी साइज़ “36 28 38″ थी।
मैंने उससे बात करनी चाही, लेकिन बात हो नहीं पा रही थी।
वो मुझे जब भी दिखती, मैं उसे ही देखता.. ..
ऐसे करते करते, कई दिन बीत गए और इस बात का उसे भी एहसास था।
वो भी मुझे देख के स्माइल कर देती थी।
वो जब कहीं बात करती, तो मैं वही जा के सुनता की वो क्या बोल रही है।
उसके बोलने का अंदाज मुझे बेहद पसंद था।
एक दिन कॉलेज के “एनुअल फंक्शन” में मैंने उससे बात करने की कोशिश की!!
जब वो अपनी स्कूटी पार्क करने जा रही थी तो मैंने उसके पास जा के उसका नाम पूछा तो उसने नाम बताया।
फिर उसने मेरा नाम पूछा, तो मैंने भी बताया।
मैंने उसका नंबर माँगा तो थोड़ी ना नुकुर के बाद दे दिया।
उसके बाद, हम लोगो की डेली बात होने लगी।
एक दिन, मैं उसे घुमाने ले गया। जहाँ मैंने उससे अपने प्यार का इजहार किया तो वो भी मान गई और कहने लगी – मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ.. ..
फिर तो वहाँ से हम लोग “भूत महल” गए, जिसमे जाने का उसको बड़ा शौक था।
जैसे ही हमने उसमे प्रवेश किया, पूरा अँधेरा ही था।
कुछ दूर जाने के बाद तो सच में डर लगने लगा और वो मुझसे चिपक गई।
क्या कहूँ यार, पहली बार उसकी “छुवन” ने मेरे जिस्म में आग लगा दी और मैंने भी उसे कस के पकड़ लिया।
किसी तरह हम लोग एग्जिट गेट पे आये और एक दूसरे को किस करने लगे।
फिर वापस हम लोग घर को आने लगे तो मैंने उसका जन्मदिन पूछा तो उसने 3 मार्च बताया।
मैंने पूछा – क्या गिफ्ट चाहिए.. .. ??
तो उसने बोला – टाइम आने पर मैं खुद ले लुंगी।
मैंने भी इस बात पर ज्यादा जोर नहीं दिया।
मैंने उसके जन्मदिन पर कॉल किया और उसे हार्दिक बधाई दी.. ..
उसने बोला की मैं अपना जन्मदिन तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूँ.. ..
मैंने भी हाँ कर दी तो उसने बोला – आज शाम को तुम्हारे रूम पर आ रही हूँ.. ..
मैंने भी ओके बोल के फ़ोन कट कर दिया।
फिर मैं केक और बियर मार्किट से लाया और उसका इन्तेजार करने लगा।
जब वो आई, तो क्या गजब की लग रही थी!!
यार, जी तो किया की अभी इसकी चुदाई शुरू कर दूं।
फिर मैंने अपने आप पर काबू किया और उसे गले लगा के एक बार और विश किया।
उसने केक काट कर मुझे खिलाई और मैंने उसे।
फिर हम बियर पीने लगे और जब नशा हावी होने लगा तो उसने मुझसे कहा की मैं उसे आज रात जी भर के प्यार करूँ.. ..
पहले, तो मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों से पकड़ के किस किया तो वो मेरे गले लग के कहने लगी – मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, मुझे धोका मत देना…
मैंने भी यही बात बोली।
तब उसने कहा की मेरा गिफ्ट यही है और आज हमारी “सुहागरात” है।
मैं उसे बिस्तर पर लिटा के जोरदार किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
धीरे धीरे करके, मैंने उसके सारे कपडे उतर दिया और उसने मेरे।
अब वो अब सिर्फ ब्रा पैंटी में और मैं निक्कर में था।
उसके चुचे इतने बड़े थे की मैं उसे दबा दबा के चुसे जा रहा था और वो अपनी सिसकारियाँ रोकने की कोशिश कर रही थी।
जब मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाला तो उसकी चूत गीली होने के बावजूद भी बहुत गर्म थी।
मैंने उसकी चूत के दोनों फांको को फैला के उसमे अपनी जीभ लगाई, तो वो उछल पड़ी।
फिर मैंने उसे तब तक तडपाया जब तक वो खुद न बोली की अब रहा नहीं जा रहा है।
जैसे ही वो बोली की मेरे जानू, अब बर्दाशत नहीं हो रहा है तो मैं नीचे से ऊपर आ कर किस करने लगा और उसके दोनों पैर को अपने कंधे पर डाल के उसकी चूत को फैला के अपना लण्ड लगाया और धीरे से धक्का मारा तो वो पीछे की तरफ सरक गई।
शायद उसे दर्द हुआ था, तो मैंने ऊँगली डाल के पहले रास्ता बनाया फिर अपने टोपे को उसकी फैलाई चूत पर रखके रगडने लगा और उससे बात करने लगा और फिर धीरे से एक धक्का दिया फिर टोपा अंदर और उसका दर्द बाहर।
मैं उसे सहला सहला के उसको पेलने लगा।
इस दौरान मैं 2 बार झड चूका था और वो भी।
फिर कुछ देर बाद, मेरा लण्ड सलामी देने लगा तो मैंने उससे पूछा.. ..
वो बोली की कोई अपनी बीबी से पूछके उसकी चुदाई करता है क्या.. .. ??
फिर तो मैंने उस रात उसको तब तक चोदा जब तक उसने मुझे मना नहीं कर दिया।
अब हम जब चाहे तब जोरदार चुदाई करते थे।
अब वो गुजरात चली गई है और मैं दिल्ली आ गया हूँ और उसकी चुदाई को मिस कर रहा हूँ।
पता नहीं कब, अब उससे मुलाकात हो पाए।
दोस्तों, ये थी मेरी छोटी सी कहानी.. ..
आप सब पढ़के, अपनी प्रतिक्रिया देना ना भूलें।
आपका अपना
राहुल.. ..

Saturday, June 20, 2015

FUN-MAZA-MASTI चाची की चटनी

FUN-MAZA-MASTI


चाची की चटनी 


मेरा नाम अविनाश है और आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनने जा रहा हूँ…
मैं दिखने में ज़्यादा सुंदर तो नहीं हूँ पर क्यूट लगता हूँ., ऐसा मेरे दोस्त कहते हैं!!! मेरा रंग गोरा और हाइट 5.6 है।
मैं 22 साल का हूँ और दिल्ली का रहने वाला हूँ., लण्ड का साइज़ लगभग आठ इंच है…
यह मेरी पहली कहानी है, एम एस एस पर जो कि बिल्कुल सच्ची है।
तो दोस्तो., बात उस समय की है जब मैं उन्नीस साल का था और बारहवीं की परीक्षा पास कर के छुट्टी मानने के लिए अपने चाचा चाची के घर गया था, घूमने के लिए।
मेरे चाचा मध्य-प्रदेश में रहते थे और वहाँ कांट्रेक्टर थे।
जहाँ तक मेरी चाची की बात है., मेरी चाची बहुत ही मस्त माल है!!! उनकी एक बेटी और एक बेटा है., वो क्रमशः नौ और बारह साल के हैं।
दोस्तो, चाची बिल्कुल दूध जैसी गोरी हैं और उनका फिगर ३६-२६-३८ का है, क्या कहूँ कमाल लगती थीं वो, मैं तो हमेशा से ही उन्हें भोगना चाहता था… पर क्या करता., कभी मौका ही नहीं मिला और सच कहूँ तो हिम्मत ही नहीं हो पाई।
चलो खैर., मैं बहुत खुश था कि मैं चाची के पास छुट्टियाँ बिताने जा रहा था तो मैं चाची के घर पहुँचा और सबसे मिला।
चाची मुझे देख कर बहुत खुश हुईं और कहने लगीं – अरे!! क्या बात है., आप तो जवान हो गये हैं…
मैं बोला – अरे!! नहीं चाची., अभी तो मैं बच्चा हूँ…
इतने में ही चाचा आ गये और उन्होंने मुझे बड़े प्यार से गले लगाया और कहा – बेटा., आने मे कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई…
मैंने कहा – बिल्कुल नहीं चाचा., बड़े आराम से पहुँच गया…
फिर चाची ने कहा – अच्छा तो अब आप जाओ और फ्रेश हो जाओ., फिर मैं खाना ले कर आती हूँ… और वो मुझे एक कमरे में ले गईं और कहा – कोई भी चीज़ चाहिए हो तो माँग लेना और इसे अपना ही घर समझना…
मैंने कहा – ठीक है., चाची… और मैं नहाने चला गया।
नहाने के बाद मैंने कपड़े पहने और नीचे चला गया और चाची को आवाज़ लगाई। मैंने गौर किया कि चाची ने भी अपनी साड़ी चेंज कर ली है और ना जाने क्यूँ। मुझे देख के वो हँस रही हैं।
खैर, फिर मैंने पूछा – चाची., बाबू लोग दिख नहीं रहे? मैं उनके बेटे बेटी को बाबू ही कहता था।
वोह बोलीं – वो नानी के घर गये हुए हैं…
फिर मैंने पूछा – चाचा कहाँ हैं? तो चाची बोलीं – वो काम पर चले गये., अब रात को ही आएँगे…
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि आज तो मैं चाची को बोल ही दूँगा कि मैं उन्हें प्यार करता हूँ., वो भी बहुत…
पर दोस्तो., हमेशा की तरह हिम्मत नहीं हो पा रही थी। चाची ने मुझे खाना खिलाया और वहीं बैठ गई मेरे पास और घर के समाचार पूछने लगीं।
मैं बोला – सब कुछ एकदम ठीक है और आप बताओ आप कैसी हो?
उन्होंने कहा – मैं तो बहुत अच्छी हूँ…
मैंने खाना ख़त्म किया और चाची ने बोला – चलो., मेरे रूम में चलो… वहीं बैठ के टीवी देखना और हम बातें भी करेंगे।
सो, मैं और चाची ऊपर चले गये उनके रूम में…
बात करते-करते चाची ने पूछ दिया – क्या, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा – नहीं…
फिर उन्होंने पूछा – क्यूँ भाई? इस पर मैं बोला – मैं जिससे प्यार करता हूँ, वो मुझसे बड़ी है और सबसे बड़ी बात वो शादीशुदा भी है…
यह सुन कर उन्होंने चौंकते हुए कहा – क्या?
मैंने कहा – क्या करूँ, प्यार तो किसी से भी हो सकता है…
फिर मैं चुप हो कर टीवी देखने लगा।
थोड़ी देर वो भी चुपचाप बैठीं रहीं., फिर कुछ देर बाद वो बोलीं – क्या तुम पागल हो? इतनी सी उम्र में शादीशुदा औरंतों से प्यार… मुझे तो लगता है तुम पागल हो गये हो!!! लगता है तुम्हारी मम्मी से कहना पड़ेगा कि उनका बेटा पागल हो गया है…
अब मैं थोड़ा सा घबरा गया मैंने कहा – प्लीज़!!! मम्मी को मत बताइएगा., नहीं तो पक्का लात-घुसे खाने पड़ेंगें…
यह सुन कर चाची हंस पड़ी और बोलीं – चलो ठीक है, नहीं बताऊँगी… पर यह तो बताओ कि वो कहाँ हैं, तुम्हारी मैडम जी…
मैंने कुछ नहीं बोला पर उन्होंने फिर पूछा – बताओ ना प्लीज़, मैं किसी को नहीं बताऊँगी…
मैं बोला – वादा करिए, आप मुझे मारेंगी नहीं…
वो बोलीं – ठीक है, अब तो बता दो…
मैं बोला – आपको मैं बहुत प्यार करता हूँ, जब भी आपको देखता हूँ तो मेरे मन में अजीब सी खुशी होने लगता है., जी करता है आपको बहुत प्यार करूँ… किस करूँ…
यह सुनते ही वो बोलीं – क्या तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं हुआ., सच मे तुम पागल हो गये हो। मैं तुम्हारी चाची हूँ और तुम मुझे ही प्यार करना चाहते हो… ओह!!! क्या बोलूं तुम्हें… और यह कहकर वो चुप हो गईं और सर पर हाथ रख लिया।

कुछ देर की खामोशी के बाद फिर मैंने कहा – सॉरी चाची., मैंने आपको कहा था ना कि मत पूछो, मैडम जी का नाम… और कह कर चुप हो गया, और फिर टीवी देखने लगा…
आधे घंटे तक चाची ने मुझसे बात नहीं कि और फिर बोलीं – देखो, यह प्यार नहीं है अविनाश… यह सिर्फ़ लगाव है., तुम इसे प्यार का नाम मत दो समझे…
मैंने कहा – यह प्यार नहीं तो क्या है चाची, मैं जब भी आपको देखता हूँ तो क्यूँ मेरा दिल धक-धक करने लगता है और जब आप मुझे छूती हो तो मेरे अंदर करेंट लगने लगता है… आप ही बताओ? आई लव यू सो मच., चाची!!!
वो बोलीं – तुम पागल हो, जाओ अपने रूम में और मुझे अकेला रहने दो, कुछ देर के लिए… और फिर मैं वहाँ से चला आया, अपने रूम में और सोचने लगा कि मुझे चाची को ऐसा नहीं कहना था, वो मेरी चाची है और मैं ऐसा गंदा सोच रहा हूँ, उनके बारे में…
करीब एक घंटा बीत गया और मैं चुपचाप लेटा हुए था, तभी अचानक चाची ने आवाज़ लगाई – अविनाश, इधर आओ…
यह सुनते ही मैं दौड़ के उनके रूम में गया और पूछा – हाँ., क्या हुआ चाची? चाची बोलीं – आओ बैठो मेरे पास…
मैं तुरंत उनके पास बैठ गया… इतने में चाची ने बिना और कुछ कहे मुझसे सीधे बोला – हग मी टाइट्ली!!!
मैं तो एकदम चौक गया और बिना कुछ सोचे उन्हें कस के हग कर लिया और आई लव यू… आई लव यू… कहने लगा और बिना कुछ बोले उन्हें किस कर लिया!!!
लेकिन इसके बाद चाची ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया और कहा – देखो, मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकती और ना ही दे सकती हूँ… यह सरासर ग़लत होगा और प्लीज़ तुम भी ऐसे गंदे ख्याल अपने दिल से निकाल दो… वैसे भी तुम अभी बच्चे हो., तुम्हें क्या पता प्यार क्या होता है और प्यार में क्या करते हैं? पहले बड़े हो जाओ., फिर किसी लड़की से प्यार करो… ना की मेरे से., समझे… पागल कहीं के…
इतना सुनते ही मैंने उन्हें बाहों में भर कर कहा – मुझे सब पता है कि प्यार होता क्या है और इसमे करते क्या हैं!!!
चाची ने मेरे हाथ को हटा कर पूछा – ठीक है तो बताओ क्या करतें हैं? तो मैंने कहा – यह तो कर के बताना होगा…
अब चाची ने बोला – लगता है तुमने बहुत पिक्चर देखीं हैं, गंदी वाली…
मैंने बिना सोचे एकदम से बोला – हाँ वो भी सिर्फ़ आपको खुश करने के लिए…
चाची बोलीं – तुम बिल्कुल ही पागल हो चुके हो., मेरी बात मानो, यह सब तुमसे नहीं होगा और यह सब करना भी बहुत ज़्यादा ग़लत होगा…
मैंने कहा – इसमें ग़लत क्या है, मैं आपको प्यार करता हूँ… इतना तो हक बनता है। और फिर एकदम से चाची को मैं किस करने लगा वो भी उनके होंठों पर…
मुझे थोड़ा अचरज हुआ कि इसका उन्होंने ज़रा भी विरोध नहीं किया… मैं उनको किस करते करते उनके चूची पर ऊपर से ही हाथ फिराने लगा और चाची भी मदहोश होने लगीं।
यह सब करते करते मैंने उन्हें बेड पर गिरा दिया और अब ज़म के बेतहाशा किस करने लगा और ज़ोर ज़ोर से उनकी चुचियाँ दबा रहा था…
दोस्तो, वो भी मेरा पूरा साथ दे रहीं थीं!!!
फिर अब मैंने उनकी साड़ी निकाल फेंकी., इसके बाद उनका ब्लाउज और आख़िर में पेटीकोट… अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं और बहुत मस्त लग रहीं थीं…
मैंने उन्हें इस रूप में पहले कभी नहीं देखा था., उफ़!!! कसम से क्या गजब लग रहीं थीं वो… मैं तो जैसे पागल हो चुका था और मैं उन्हें पागलों जैसे ही चूमने चाटने लगा…
अब उन्होंने भी मेरा पैंट उतरा और शर्ट भी… और अब मैं भी सिर्फ़ चड्डी में था!!!
मैं उनके ऊपर लेटा हुआ था और मेरा लण्ड एकदम तना हुआ था…
अब उन्होंने आँख मरते हुए कहा – मेरी नंगी चूची नहीं देखोगे? मैंने कहा – क्यूँ नहीं!!! अभी आपकी ब्रा उतरता हूँ और आपकी नंगी चुचियों को निहारता हूँ…
दोस्तो, सच तो ये है कि मुझे उस समय कुछ सूझ नहीं रहा था!!! क्या करूँ या क्या नहीं?? फर्स्ट टाइम मैं किसी लड़की के साथ नंगा था., वो भी अपनी खुद की सग़ी चाची… बहुत टेंशन हो रहा था और लण्ड एकदम तना हुआ था…
दिल भले ही किसी अप्सरा को भी चोदने के सपने देख ले पर दोस्तो दिमाग तो हमेशा जनता ही है कि हमारी असलियत क्या है., ठीक इसी तरह दोस्तो अपनी चाची की चूत चोदना कहीं से भी नैतिक तो नहीं है…
मेरा दिमाग भी इस सत्य से पूरी तरह वाकिफ था और न जाने कितने तरह के डर मेरे दिलो दिमाग में आ जा रहे थे., जैसे कहीं चाचा आ गए तो? कोई और आ गया तो? कहीं मुझे कोई यौन रोग हो गया था?
और न जाने क्या क्या???
सच तो यह है कि उस वक़्त की मेरी परिस्थिति समझना आप के लिए आसान नहीं है, दोस्तो…
खैर, हर किसी को मुकमल जन्हा नहीं मिलता, किसी को जमीन तो किसी को आसमान नहीं मिलता, 


दोस्तो, सच तो ये है कि मुझे उस समय कुछ सूझ नहीं रहा था!!! क्या करूँ या क्या नहीं?? फर्स्ट टाइम मैं किसी लड़की के साथ नंगा था., वो भी अपनी खुद की सग़ी चाची… बहुत टेंशन हो रहा था और लण्ड एकदम तना हुआ था…
खैर, अब मैंने उनकी ब्रा उतार फेंकी और उनकी एकदम गोल गोल और तनी हुई नरम चुचियों को चूसना चालू किया… दोस्तो मैंने पहली बार नंगी चुचियाँ देखीं थीं और उत्तेजना में उन्हें काटने लगा!!!
वो बोलीं – अरे!!! काट नहीं., सिर्फ़ चूस समझा…
मैं बोला – ठीक है…
ना जाने कितनी देर तक उनकी चुचियाँ चूसने-चाटने के बाद मैं उनकी चूत में हाथ फेरने लगा…
अब तक वो पागल होने लगीं थीं और आ आ आ आ आ आ उफ़ अम की आवाज़ निकाल रहीं थीं। करीब १० मिनट तक उनकी चूची चूसने और चूत पर हाथ फेरने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कहा – चाची., मेरा लण्ड चूसो ना जैसा पिक्चर में लड़कियाँ चुस्ती हैं!!!
चाची ने तुरंत मेरी चड्डी उतार फेंकी और मेरा आठ इंच लंबा लण्ड हाथ में ले कर बोलीं – मादार चोद मैं तो तुझे बच्चा समझी थी पर तू एक नंबर का रंडीबाज़ निकला… और यह कह कर वो मेरा लण्ड गापागप चूसने लगीं।
अब मैं वहीं बेड पर लेट गया और लण्ड चुसवाने लगा!!!
ऐसा लगा मानो जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ… ५-१० मिनट चूसने के बाद ही मेरा उनके मुँह में ही माल छूट गया और मैं सुस्त पड़ गया…
मेरी नंगी चाची ने मेरा पूरा माल पी लिया और बोला – देखा बहन के लौड़े., इतनी जल्दी हो गया… तो मैं बोला – मालूम नहीं क्यूँ मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ…
चाची ने कहा – चल कोई बात नहीं, शुरू शुरू में ऐसा ही होता है…
फिर हम दोनों नंगे ही लेट गये और मैं लेट कर उनकी चुचियाँ दबा रहा था और कभी उनकी नंगी, गोरी और चिकनी पीठ चूम रहा था…
वो अब मस्त हो रहीं थीं और शायद इंतेज़ार में थीं कि कब मैं उनकी प्यास बुझाऊँ…
आख़िरकार १५ मिनट के बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैं चाची से बोला – एक बार हो जाए??
तो उन्होंने तुरंत मेरे लण्ड को पकड़ा और अपने नरम नरम हाथों से कई बार हिला कर और कड़क कर दिया और फिर लेट गईं और बोलीं – कैसे करना है, आता है या मैं ही बताऊँ??
मैं बोला – आप बिल्कुल चिंता मत करो चाची., अब देखो मेरा कमाल!!! और यह कह कर मैंने उनके दोनों पैर को उठा दिया और अपने कंधे पर रख दिया और अपना लण्ड उनकी चूत पर रख दिया और धीरे से अंदर डालने की कोशिश करने लगा…
चाची की गोरी चूत अंदर से पानी छोड़ रही थी, जिससे मेरा लण्ड फिसल रहा था और ठीक से अंदर नहीं जा पा रहा था तब चाची ने मेरे लण्ड को पकड़ा और छेद पर टीका कर बोलीं – मादार चोद कस के धक्का दे…
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह वैसे ही किया और मेरा लण्ड फट से अंदर चला गया., अब मैं पागल होने लगा और चाची भी चिल्ला उठीं… फिर मैं धीरे धीरे अंदर बाहर अंदर बाहर कर रहा था…
कुछ देर बाद चाची ने बोला – ऐसा ही हिलाता रहेगा क्या? अब जल्दी से कस कस के अंदर बाहर कर., मैं अब नहीं रह सकती…
अब क्या था मैं उनके उपर लेट कर कस के अंदर बाहर करने लगा…
करीब आधे घंटे के बाद मैं और मेरी चाची दोनों साथ में ही झड़ गये और मैं वहीं पर लेट गया…
१० मिनट के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गये और साथ में नहाने लगे। चाची ने कहा – बेटा, प्लीज़ किसी को भूल से भी यह सब मत बताना कि हम दोनों ने यहाँ नंगा नाच किया और तूने एक अच्छी ख़ासी पतिव्रता शादीशुदा औरत को रंडी बना दिया!!!
मैंने कहा – नहीं चाची., ऐसा मत बोलो… आप बिल्कुल चिंता मत करो मैं किसी से नहीं बोलूँगा… और फिर कस के उन्हें बाथरूम में ही चूमने लगा और आई लव यू कहा…
आख़िरकार वो भी मुझे बोलीं – आई लव यू… कुछ भी कहो, तुम बहुत प्यारे हो!!! और यह कह कर मुझे ज़ोर से किस करने लगीं।
इतने मे मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैंने चाची से कहा – चाची, मेरा लण्ड फिर से चूसो ना प्लीज़!!!
चाची भी एकदम रंडी थीं और कहाँ पीछे रहने वाली थीं, वो तुरंत नीचे बैठ कर खूब मज़े से लण्ड चूसने लगीं और मेरा सारा पानी भी पी गटा गट पी गईं।
यह नंगा नाच घंटों चलता रहा और सब करते करते रात होने को आ गई…
चाची बोलीं – चल रे अब मैं जाती हूँ खाना बनाने, तेरे चाचा अब आने को हैं, तब तक तू बैठ के टीवी देख…
फिर मैं बोला – अब कब आप मुझे प्यार करोगी??
तो चाची ने कहा – हर रोज़!!!
और यह कह कर किचन में चलीं गईं…
ऐसे ही चुदाई मचाते मचाते १५ दिन बीत गये, हम रोज़ सुबह से शाम तक चुदाई करते रहते थे… इन्ही दिनों एक दिन हमने दिन में आठ बार चुदाई की!!!
चाची ने मुझसे गाण्ड भी मरवाई जो उन्होंने चाचा से कभी नहीं मरवाई थी और अंत में मैं दिल्ली आ गया…
आज भी मैं उनसे फोन पर घंटों बातें करता हूँ… सच कहूँ तो रियली मुझे उनसे प्यार है!!!
उनका शरीर मुझे बहुत पसंद है। अब तो मेरी एक गर्लफ्रेंड भी है और उसे भी मैं बहुत प्यार करता हूँ…
कभी चाची के पास जाता हूँ तो कभी गर्लफ्रेंड की चूत लेता हूँ. सेक्स एक ऐसी चीज़ है कि जितना मिले उतना ही कम!!!

FUN-MAZA-MASTI कामवाली बाई

FUN-MAZA-MASTI

 कामवाली बाई

मेरा नाम सोमनाथ है और मैं रायपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र महज 28 वर्ष की है, बात उन दिनों कि है, जब मेरी एक छोटा से कर्मचारी के रूप में नई-नई पोस्टींग हुई थी।
मुझे एक साहब के यहां सरकारी क्वाटर पर पानी भरने के लिए लगाया गया था। मैं पानी डालने रोज जाया करता था, वहीं पर एक 30 बरस की कामवाली बाई भी काम पर आती थी।
जो दिखने में बेहद खुबसुरत थी। उसका फिगर मन मोहने वाला था और उसके चुचे छोटे-छोटे मदहोश करने वाले थे।
वह बहुत ही झगड़ालू औरत थी, सभी से झगड़ा करती थी और सभी उससे डरते थे, पर वह मुझसे बहुत प्यार से पेश आती थी।
मैं उसे देख कर रोज़ मन ही मन चोदने का प्लान बनाया करता था।
जब साहब नहीं रहते तो उससे मीठी-मीठी बातें किया करता था, मैंने सुना था कि उसका पति उसे छोड़ कर चला गया है और इसी बात से वह परेशान रहती थी।
एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे पूछ ही लिया कि आप अकेली रहती हैं क्या?
तो उसने बात टालते हुए कहा कि आप अपने काम से काम रखो और मैं डर गया…
उस दिन से मैंने उससे बात करना छोड़ दिया।
कुछ दिन बाद उसने खुद से मुझे बताया कि मेरा पति शराबी था, जो मुझे परेशान किया करता था, इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया…
एक दिन यूँही उसने मेरे ऊपर पानी का छींटा मार दिया, मैंने भी मौके का फायदा उठाया और मैंने भी एक छींटा लगा दिया।
इसके बाद फिर रोज छूट-पुट छेड़-छाड़ हमारे बीच होने लगी, अब वो भी मुझे छेड़ा करती थी।
ऐसे ही एक रोज उसने मुझे कहा कि मुझे बाजार से मिठाई ला दो।
मैंने झट से मिठाइ ला दी और वो बहुत खुश हो गई…
समय ऐसे ही बीतता गया और होली का समय आ गया, साहब लोग होली मनाने अपने गांव दुर्ग चले गये।
मैंने काम वाली को अकेले में साफ-सफाई के लिए बुलाया और वह ठीक बारह बजे आई।
मेरे को होली की रंग लगा कर बोली – कुछ मिठाई वगेरह खिलाओ। मैं समझ नहीं पाया या यूँ कहिए कि अनसुना कर दिया, मुझे उसकी उस झगड़ालू प्रवृति से डर लगता था।
खिलता हूँ ना – कह कर वहाँ से चला गया।
रात में सोते हुए मैं उसकी बातों को याद करने लगा कि उसकी मिठाई का मतलब क्या हो सकता है, कहीं मेरा लौड़ा तो नहीं?
फिर दूसरे दिन मैंने उससे पूछा – आज बताओ, क्या चाहिए तुम्हें?
उसने मुझे देखा और हंसते हुए बोली – मुझे उम्म… झुमका
मैंने तुरंत ही साइकिल उठाई और 40 रूपये वाला झुमका ले आया और उसे दे दिया…
उसने कहा – वाह यार, चल अब ले आया है तो पहना भी दे।
मैंने कुछ सोचे बगैर मौका देखते हुए उसके कानों में पहना दिए, पहनाते ही उस झगड़ालु औरत की आँखों में आँसू आ गए और उसने मेरे गालों को जोर से चूमना चालू कर दिया…
मैंने भी उसके चुचे मसल दिए, पर वो कुछ नहीं बोली जिससे मेरा हौसला बढ़ गया और मैंने पागल की तरह उसे बाहों में जकड़ लिया। उसने भी मेरे होंठों में अपना मुँह डाल कर चूमना चालू कर दिया।
मैं भी उसके होंठों को चूमते हुए अपना हाथ धीरे से उसके पेटीकोट की तरफ ले गया और एक हाथ से उनके चुचों को मसलना चालू कर दिया…
वह कुछ नहीं बोली तो मेरा हौसला बढ़ता गया, मैंने फट से पेटीकोट को उठाया और उसकी चूत में मेरा हाथ चला गया।
वह अंदर कुछ नहीं पहनी थी, उसकी झांटे बहुत बड़ी-बड़ी थीं जो मेरे हाथों में आ गईं।
मैं उसकी चूत पर हाथ फेर ही रहा था कि बोली – ये सब बाद में करना… बोल कर वह मुझे धक्का देकर काम पर लग गई, मेरा भी समय हो गया था सो मैं भी अपने घर चला आया पर मेरा मन बार-बार उसी पल को याद करके मचल रहा था।
शाम को मैं उसके घर चला गया, वो घर में अकेली थी…
उसका एक दस साल का लड़का था, जो पास में ही अपनी नानी के घर चला गया था…
मैंने जाते ही बाई को अपने बाहों में भर लिया।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया…
हमनें एक-दूसरे के होंठों को चूमना चालू कर दिया और बाई एकदम से जोश में आ गई और बोलने लगी – आज तो बस मुझे अपने रंग में रंग डालो।
मैंने उसके होंठ चूमते-चूमते उसके चुचों को जोरों से मसलना चालू कर दिया और धीरे से उसकी ब्लाउस की पिन खोल दी…
छोटे-छोटे से दो चुचे मेरे हाथों में आ गए और मैंने उनको अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया।
वो सिसकारियाँ भरने लगी और मदहोश होकर उसने मेरा लौड़ा, जो अब तक मेरी चड्डी को फाड़ रहा था, अपने हाथों में ले लिया और मुझसे कहने लगी – आज ना जाने कितने बरसों बाद चुदवाने का मौका मिला है… मुझे जी भर के चोद डाल, आज तो…
मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई…
फिर उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए धीरे से जमीन पर लेट गए, उसका पूरा बदन चूमने के बाद, चूत की बारी आई…
अब उसने झट से मेरा सुपड़ा अपने हाथों में लेकर अपनी चूत में घुसा दिया, मैंने भी पेल दिया…
जोर-ज़ोर से आठ-दस बार पेलने के बाद मैं झड़ गया और अपना पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया…
फिर मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और अपने घर आ गया, अब जब भी मौका मिलता है मैं उसको साहब के घर पर ही चोदता हूँ।
मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी…

FUN-MAZA-MASTI इतने दिनों बाद मिली फुद्दी

FUN-MAZA-MASTI

 इतने दिनों बाद मिली फुद्दी

आज आपको मैं अपनी चुदाई की मन–मोह लेने वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ…
मैंने अपने ही दुकान वाली औरत की चूत बड़े ही मजेदार तरीके से दुकान में ही मारी और आज तक मारता हुआ आ रहा हूँ।
दोस्तों, दरहसल मैंने अपने शहर में नया–नया घर लिया और उसके सामने ही एक दुकान भी खुलवा ली और उसे किराए पर चड़ा दिया। जिससे मेरा आधा खर्चा भी चल जाया करता था।
मेरी दुकान को एक औरत ने किराए पर लिया हुआ था और क्यूंकि दुकान मेरे घर के कतई सामने ही थी इसलिए मेरी उससे बातचीत तो हर पल हो ही जाया करती थी।
मेरी बीवी की तबियत उस समय नाज़ुक चल रही थी और सच कहूँ तो उसकी चूत में अब ताकत भी नहीं बची थी कि वो मेरे लण्ड को और बर्दाश्त कर सके।
मैं उससे बात कर बस यूँही अपने दिल को बहला लिया करता था और कुछ ही दिनों में मेरी दुकान वाली औरत से बहुत बनने लगी।
वो दोपहर को अब मेरे साथ ही मेरे घर पर भोजन कर लिया करती थी और उसकी चूत का भोजन करने के दिन भी करीब आ रहे थे…
एक दिन दोपहरी को वो अपनी दुकान बंद कर मेरे घर आई तो हम आराम कर रहे थे भोजन करने के बाद और अचानक मेरे कन्धों का दर्द फिर से चालु हो गया।
उन दिनों तो मेरा नौकर भी छुट्टी पर गया हुआ था और मेरी बीवी ऊपर वाले कमरे में आराम कर रही थी। अब दुकान वाली ने मेहनत दिखाते हुए मेरे कन्धों कि मालिश करना शुर कर दी, जिससे मुझे उसके नरम हाथों से आराम मिल रहा था…
मैंने कुछ पल में ध्यान दिया कि उसके हाथ अब फिसल कर मेरे सीने तक आने लग गए थे और हलके–हलके गरमाने भी लगे थे।
मैं धीर–धीरे मदहोश होता चला गया और मैं उसके हाथों को थाम अचनक से खड़ा हुआ और उससे लिपट कर उसके करीब आ गया…
उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान थी जो मुझे अब उत्तेजित सी करती चली गई।
वो अब कुछ ही पल में अपने होठों को मेरे होंठ पर लहराती हुई मुझे उत्तेजित कर रही थी, जिसपर मैंने उसे अपने से एकदम सिमटा लिया और उसके होठों को अपने कब्ज़े में लेता हुआ चुचों को भींचकर कर उनकी जमकर सेवा करने लगा।
मैंने कुछ ही देर मैंने उसकी साड़ी को उतार दिया और उसके नंगे चुचों को को मसलते हुए अपने मुंह में भरकर पीने लगा।
मुझे उसके चुचों का बड़ा ही मस्त वाला स्वाद आ रहा था और मैंने अगले पल ही उसकी पैंटी को निकाल दिया और उसे वहीँ अपने सोफे पर लिटाकर उसकी चूत पर अपने लण्ड को निकाल रगड़ने लगा…
मैंने एक जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में आगे–पीछे होने लगा।
उसके बाद तो जैसे हम रुके ही नहीं और मैं बस उसकी चूत मारता चला गया, उसके मोटे–गोरे बदन के मैं मज़े लेता हुआ…
मैं सारी वासना अपने लण्ड के तीव्र झटकों से निकाल रहा था और इतने दिनों बाद मिली फुद्दी पर भी अपने लण्ड को ज्यादा देर ना दौड़ा पाया और आखिरकार हांफता हुआ झड गया…
वो अब धीमी मुस्कान देते हुए मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और मैं मज़े लेता हुआ वहीँ सो गया।




FUN-MAZA-MASTI मुस्कान और संजना

FUN-MAZA-MASTI


मुस्कान और संजना


मैं आगरा के इरादात नगर से एक २१ साल का नौजवान लड़का हूँ और ईश्वर ने मुझे अच्छे शरीर और लंबे मोटे लण्ड का मालिक बनाया है।
बताते हैं कि जब मैं करीब ५ साल का था तब मेरे लण्ड की लंबाई करीब ६ इंच की थी और गर्मी की छुट्टियों में पड़ोस की सभी जवान लड़कियाँ दोपहर में खेलने के लिए मेरी मम्मी से पूछकर मुझे अपने घर ले जाया करती थीं।
उसके बाद वो सभी इकट्ठा होकर मुझे एक कमरे में लेकर दूल्हा-दुल्हन का खेल खेलती थीं, मैं छोटा होने के कारण कुछ भी समझ नहीं पाता था।
सभी लड़कियाँ बारी-बारी से मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसती थीं और जैतून के तेल से मालिश भी करती थीं। समय काफ़ी तेज़ी के साथ गुज़रता रहा और मैं एक १४ साल का जवान लड़का बन गया।
पिताजी ने मेरा आगरा के एक स्कूल में कक्षा १० में दाखिला करवा दिया और हॉस्टल में रहने के लिए कमरा भी दिलवा दिया।
उम्र के साथ-साथ मेरा लण्ड भी ९ इंच का हो गया, जो खड़ा होने पर एक विकराल रूप धारण कर लेता था।
करीब दो साल बाद एक रवि चौहान नाम का लड़का जो शिकोहाबाद का रहने वाला था, मेरी ही कक्षा में प्रवेश लेने के लिए आया।
प्रिन्सिपल साहब ने उसे मेरा रूम पार्ट्नर बना कर भेजा। एक-दो दिन उसके साथ रहने पर पता चला कि वो नंबर एक का बिगड़ा हुआ बड़े बाप की औलाद है और उसके शौक बड़े लड़कों की तरह थे जैसे सिगरेट पीना, रंडी बाज़ी करना आदि, जिसके लिए वो रंडी बाज़ार के चक्कर भी लगाया करता था।
कहाँ मैं गाँव का सीधा-सादा लड़का था और कहाँ वो शहर का चालू और बिगड़ा हुआ लड़का था। मगर मैं करता भी क्या? रूम पार्ट्नर जो था…
मुझे उससे दोस्ती करनी पड़ी, लेकिन मैंने उसके किसी भी शौक को अपने गले नहीं लगाया। मेरी उससे दोस्ती सिर्फ़ रूम शेयर करने की थी।
कुछ दिन बाद एक हफ्ते की छुट्टियाँ होने की वजह से ज़्यादातर लड़के और लड़कियाँ अपने-अपने घर चले गये थे, उसी दोपहर करीब दिन के ३ बजे वो ट्यूशन से लौटकर आया तो उसने मुझसे कहा कि बाज़ार में दो पटाखा लड़कियाँ आई हैं, देखते ही तेरी लार टपक जाएगी।
मैंने उसको मना तो कर दिया, लेकिन मेरा लण्ड सुन कर खड़ा हो गया। उसने मेरे लण्ड की और देखा और मुस्कुरा कर चला गया।
करीब आधा घंटे बाद वो लौटकर आया और मुझसे बोला कि शाम के करीब ९ बजे दो रंडियाँ आएँगी, जिन्हें सिर्फ़ तेरे लिए मैंने तीन हज़ार देकर बुक किया है… मैं तो उन दोनों की चुदाई कर चुका हूँ इसलिए ये मत सोचना कि मैं भी तेरे साथ इन रंडियों को शेयर करूँगा, ये दोनों सिर्फ़ तेरे लिए हैं…
मैंने उसे बताया कि मैंने कभी किसी भी लड़की की चुदाई नहीं की है, तो वो बोला कि चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, वो दोनों तुझे सब सिखा देंगी। ये कहकर वो चला गया और मैं चादर तानकर सो गया।
शाम को करीब ७ बजे मेरी आँख खुली तो मैं फ्रेश होकर डिनर करने मेस में चला गया और खाना खाकर बाज़ार घूमने चला गया।
करीब ८:४५ बजे मैं कमरे पर लौटकर आया ही था कि कुछ देर बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने उठकर दरबाज़ा खोला तो देखा कि दो करीब १८-१९ साल की बला की खूबसूरत लड़कियाँ खड़ी हुई थीं।
मैंने उन दोनों से पूछा कि कहिए, तो उन्होंने कहा कि हमें रवि ने बुलाया था और हमें विशु कपूर से मिलना है।
मैंने उन्हें अंदर आने के लिए कहा और उन दोनों ने अपना परिचय संजना और मुस्कान कहकर दिया।
कुछ देर इधर-उधर की बातें की, उसके बाद उन दोनों ने मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मुझे किस करने लगीं और मुस्कान ने मेरे भी सारे कपड़े उतार कर पूरा नंगा कर दिया।
जैसे ही मुस्कान ने मेरा अंडरवियर उतारा तो संजना ने कहा कि हाए दैया, इसका लण्ड तो बहुत बड़ा है… इससे चुदने में तो बहुत मज़ा आएगा… ये कहकर संजना ने लपक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
कुछ देर चूसने पर ही मेरा वीर्य उसके मुँह में ही छूट गया, वो मेरे वीर्य को पीने के बाद बोली कि इस अमृत को रोक कर रख… जितनी देर इसको रोककर रखेगा, उतनी देर हमें और तुझे बहुत मज़ा आएगा…
उसके बाद मुस्कान ने कहा कि तू अब मेरी चूत चाट। मैं एक बच्चे की तरह उनकी चूत को चाटने लगा।
करीब ५ मिनट बाद ही मुस्कान सिसकारी भरने लगी पर मैं लगातार मुस्कान की चूत चाटता ही रहा।
करीब २० मिनट बाद संजना ने कहा – जब तक लड़की तड़प-तड़प कर कहने ना लगे कि मुझसे अब बर्दाशत नहीं हो रहा है, चोदो मुझे… तब तक लड़की की चूत में लण्ड नहीं डालना नहीं चाहिए… इसके अलावा जब भी लण्ड चूत में डालो, लड़की पर ज़रा सा भी रहम मत करना और पूरा जड़ तक लण्ड चूत में डालकर ही दम लेना… फिर धीरे-धीरे धक्के लगाकर स्पीड तेज कर देनी चाहिए… जब लगे कि तेरा वीर्य निकलने वाला है, तो स्पीड कम कर देनी चाहिए… यह विशेष तौर पर ध्यान रखना है, जब तक लड़की की चूत पानी नहीं छोड़े तब तक अपना वीर्य नहीं निकलने नहीं देना है…
जैसे-जैसे मुझे संजना ने बताया मैंने वैसे ही मुस्कान की चुदाई की। करीब ४० मिनट की चुदाई के बाद मुस्कान ने मेरा लण्ड चूसा और उसी तरह से मैंने संजना को करीब १ घंटे चोदा।
उसके बाद मैंने उन दोनों के साथ गुदा-मैथुन भी किया। जब हम रात को चुदाई से फ्री हुए तो घड़ी में साढ़े तीन बाज रहे थे।
उसके बाद हम तीनों ही नंगे सो गये।
सुबह जब वो दोनों जाने को हुई तो उन्होंने मुझे तीन हज़ार रुपये वापस करते हुए कहा कि तूने हम दोनों को खुश कर दिया है, ज़िंदगी में पहली बार हम इतने बड़े और दमदार लण्ड से चुदी हैं… हम तेरे से कैसे पैसे ले सकती हैं? तेरे लण्ड में बहुत ताक़त है… कहकर वो दोनों चली गयीं।
दोस्तो बताओ, मेरी ये पहली कहानी कैसी लगी?

FUN-MAZA-MASTI बीबी की एक सहेली

FUN-MAZA-MASTI

बीबी की एक सहेली

मेरा नाम राहुल है।
मेरी उम्र तीस साल है और मेरी शादी को छे साल हो गए है।
मेरी बीबी बहुत ही खुले विचारों वाली है और सेक्स में मेरा काफी साथ देती है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ…
ये बात एक साल पहले की है…
मेरी बीबी की एक सहेली है, उस का नाम रानी वर्मा (बदला हुआ नाम) है। वो हमारे घर के पास ही रहती है।
दिखने में वो काफी सुन्दर हैं। वेसे आपको बता दूँ, मेरी बीबी भी कम सुन्दर नहीं है।
रानी, मेरी बीबी से उम्र में एक साल बड़ी है, और मेरी बीबी की पक्की सहेली है।
मैं ये कहानी उन दोनों की सहमति से ही लिख रहा हूँ, दोनों एक-दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती है।
रानी का हमारे घर में काफी आना-जाना है। उसका पति काम के सिलसिले में अक्सर घर के बाहर रहता है और वो घर में अपने बच्चों के साथ अकेली रहती है।
ना जाने क्यूँ रानी को देख कर मुझे उसको चोदने की बहुत इच्छा होती है।
एक दिन मैंने बातों-बातों में अपनी बीबी से यूँही कहा – जान, ना जाने क्यूँ कभी-कभी मुझे रानी को चोदने की बहुत इच्छा होती है।
मेरी बीबी ने कहा – क्यूँ? क्या मैं अब अच्छी नहीं लगती, जो तुम उसे चोदना चाहते हो।
फिर मैंने कहा – नहीं-नहीं मेरी जानेमन, तुम तो बहुत अच्छी हो पर पता नहीं क्यूँ, मुझे उसे भी चोदने की इच्छा होने लगी है, तुम उससे बात करके देखो अगर सेट्टिंग हो जाए तो, तुम दोनों तो चुदाई की बात भी करती हो।
मेरी बीबी ने कहा – ठीक है, मैं बात करुँगी। वैसे भी उसका पति अक्सर बाहर ही रहता है। वो मुझ से कई बार कहती भी है कि तू कितनी लकी है, तेरा पति हमेशा तेरे पास रहता है।
एक दिन रानी मेरे घर आई तो मेरी बीबी ने सीधे ही उससे कहा – मेरे पति तुमको चोदना चाहते है।
रानी ने कहा – मैं तो आज तुझसे यही कहने आई थी कि तू अपने पति से बोल ना मुझे चोद दे, ना जाने कब से मैं चुदाई की प्यासी हूँ।
मैं उन दोनों की बातें कमरे के बाहर खड़े होकर सुन रहा था और ये सुन कर मैं बेहद खुश हो गया।
आख़िर में रानी ने कहा – मैं फ़ोन करूँगी तो तू अपने पति को मेरे घर भेज देना। और वो अपने घर चली गई।
उसके जाने के बाद मेरी बीबी ने मुझ से कहा – वो मान गई है।
रानी के घर जाने के एक घंटे के बाद उसका फ़ोन आया, फ़ोन मेरी बीबी ने उठाया और उसने कहा – अपने पति को मेरे घर भेज दे, मैं तैयार हूँ।
मैं उसके घर गया और मैंने कहा – आपने मुझे बुलाया था क्या?
उसने कहा – क्या आपको नहीं पता कि आप यहाँ क्यों आये हो?
मैंने कहा – जी हाँ पता है।
उसने मुझे अन्दर बुलाया और मैं जाकर सोफे पर बैठ गया, उसने कहा – मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूँ।
वो किचन से पानी लाई और मुझे झुक कर दिया तो उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उसके स्तन दिखने लगे… वो वैसे ही मेरे पास बैठ गई और मैं उस के स्तन को देखता रहा।
बहुत बड़े थे उस के स्तन, फिर मैंने पानी का गिलास नीचे रखा और उसकी और खिसक गया। अब मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों से पकड़ लिया और दबाने लगा।
फिर मैं अपने होंठ रानी के होंठों पर रख कर उस के होंठों को चूसने लगा और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाते जा रहा था, करीब पाँच मिनट मैं उसके होंठों को चूसता रहा।
रानी ने कहा – चलो, बेडरूम में चलते हैं… तो मैंने उस अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में लेकर गया और बेड़ पर लिटा दिया।
अब मैंने अपनी शर्ट उतार दी और फिर उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसने लगा, जब मैंने उसके ब्लाउज के हुक को खोला तो उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, हुक खोलकर मैंने उसके ब्लाउज को उतार दिया और उसके स्तन को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा।
रानी बहुत गरम हो गई थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी और कह रही थी कि सारा दूध पी लो आज मेरा… मैंने उस के स्तन को चूस-चूस कर लाल कर दिया था।
अब उसने मुझे धक्का देकर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगी, फिर उस ने मेरे पैंट का हुक खोला और मेरा पैंट उतार दिया।
मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था और अंडरवियर में एक तंबू सा बना हुआ था, रानी ने मेरे लण्ड को पैंट से बाहर निकला। अब वो मेरे लण्ड से खेलने लगी।
फिर मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट उतर दिया और मैंने उससे कहा – तुम अपने दोनों स्तनों को अपने हाथों से दबाओ और मैं अपना लण्ड उनके बीच में डालूँगा। अब मैं अपना लण्ड उसके स्तनों के बीच में डालकर उसके स्तनों को चोदने लगा।
ऐसा करते टाइम मेरा लण्ड कभी-कभी उसके मुँह में चला जाता था, सो मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में ही दे दिया। वो मेरा लण्ड बेतहाशा चूसने लगी।
अब में उसकी चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से अपने हाथ से सहलाने लगा। कुछ देर में मैंने उसकी पैंटी उतार दी और अपने हाथों से उसकी चूत को रगड़ने लगा। ऐसा करते ही उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अब मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत को चाटने लगा, उसकी सिस्कारियों की गूंज से अब सारा कमरा गूंज रहा था।
मैंने उसके पैरों को फैला दिया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर लण्ड को चूत पर रगड़ने लगा। रानी कहने लगी – अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा है… डाल दो, लण्ड को मेरी चूत में…
मैंने लण्ड को उसकी चूत के छेद पर रखा और एक झटका मारा तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत के अन्दर चला गया और उस के मुँह से आवाज निकली – ऊऊईईई… आआह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह्ह… आऔऊउ मर गई रेआआह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह्ह… ईईआआअ…
मैं थोडा रुका और फिर एक झटका मारा तो मेरा पूरा लण्ड उस की चूत में चला गया। अब मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना चालू किया, वो सिसकारियाँ ले रही थी – आआह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह्ह… ऊऊउईईइ… आआह्ह्ह्ह… और कह रही थी – और जोर-जोर से चोदो मुझे…
मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा, सारा कमरा उसकी सिस्कारियों से गूंज रहा था और एकदम से मेरा पानी उसकी चूत में ही निकल गया, उसी समय उसका पानी भी निकल गया।
मैं उसके ऊपर ही लेट कर उसके होंठों को चूसने लगा। कुश देर बाद उसने मुझे धक्का दिया और उठकर बाथरूम में जा कर खुद को साफ करने लगी।
मैं अबतक बेड पर ही लेटा था। मैं बेड से उठा और बाथरूम में जा कर फिर उसे अपने सिने से लगा किया और उसके होंठ चूसने लगा।
हम फिर से एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। थोड़ी देर बाद रानी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी।
मेरा लण्ड अब फिर से खड़ा हो गया और मेरे उसे एक बार फिर चोदना चालू कर दिया।
तो दोस्तों ये थी मेरी पहली कहानी…

FUN-MAZA-MASTI मम्मी और दीदी के बिस्तर में

FUN-MAZA-MASTI

मम्मी और दीदी के बिस्तर में

मेरे घर में मैं, मेरी माँ, मेरी पत्नी और मेरी बहन है। मेरी बहन की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल में रहती है। मैं अपनी माँ और पत्नी के साथ यहाँ हैदराबाद में रहता हूँ।
मेरी उम्र 28 साल की है और मेरी पत्नी 24 की है.. मेरी सास और मेरी साली अभी भी बनारस के पास एक गाँव में रहते हैं और वे लाग साल में 2-3 महीने हमारे यहाँ बिताती हैं। सच पूछो तो दोस्तों.. मेरा घर एक स्वर्ग है.. जहाँ किसी भी तरह की कोई मनाही नहीं है।
मैं आप को शुरू से ही ये सारी बातें बताता हूँ।
ये बातें मेरे बचपन की हैं.. घर पर मेरी माँ, मेरी दीदी और मैं सब साथ रहते थे।
मेरी उम्र करीब 18-19 के आस-पास थी.. मेरी लंबाई 5’7” की है।
मेरी दीदी की उम्र 22 साल की थी.. उसकी स्पोर्ट्स में रूचि थी और वो स्टेडियम जाती थी।
मेरी माँ टीचर है.. उसकी उम्र 37-38 की होगी.. मगर देखने में किसी भी हालत में 31-32 से ज्यादा की नहीं लगती थी। माँ और दीदी एकदम गोरी हैं। माँ मोटी तो नहीं.. लेकिन भरे हुए शरीर वाली थीं और उनके चूतड़ चलने पर हिलते थे।
उनकी शादी बहुत जल्दी हो गई थी। मेरी माँ बहुत ही सुंदर और हँसमुख है.. वो जिंदगी का हर मज़ा लेने में विश्वास रखती हैं।
हालाँकि वो सबसे नहीं खुलती हैं.. पर मैंने उसे कभी किसी बात पर गुस्साते हुए नहीं देखा है।
ये बात उस समय कि जब मैं स्कूल में पढ़ता था और हर चीज को जानने के बारे में मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी.. ख़ासतौर से सेक्स के बारे में..
मेरे स्कूल के दोस्त अक्सर लड़की पटा कर मस्त रहते थे। उन्हीं में से दो-तीन दोस्तों ने अपने परिवार के साथ सेक्स की बातें भी बताईं.. तो मुझे बड़ा अज़ीब लगा। मैंने माँ को कभी उस नज़र से नहीं देखा था.. पर इन सब बातों को सुन-सुन कर मेरे मन में भी जिज्ञासा बढ़ने लगी और मैं अपनी माँ को ध्यान से देखने लगा। चूँकि गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं और मैं हमेशा घर पर ही रहता था।
घर में मैं माँ के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे में सोती थीं। माँ मुझे बहुत प्यार करती थीं।
माँ, दीदी और मैं आपस में थोड़ा खुले हुए थे.. हालाँकि सेक्स एंजाय करने की कोई बात तो नहीं होती थी.. पर माँ कभी किसी चीज का बुरा नहीं मानती थीं और बड़े प्यार से मुझे और दीदी को कोई भी बात समझाती थीं।
कई बार अक्सर उत्तेजना की वजह से जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था और माँ की नज़र उस पर पड़ जाती.. तो मुझे देख कर धीरे से मुस्कुरा देतीं और मेरे लंड की तरफ इशारा करके पूछतीं- कोई परेशानी तो नहीं है?
मैं कहता, “नहीं..”
तो वो कहतीं- पक्का.. कोई बात नहीं..?
मैं भी मुस्कुरा देता.. वो खुद कभी-कभी हम दोनों के सामने बिना शरमाए एक पैर पलंग पर रख कर साड़ी थोड़ा उठा देतीं और अन्दर हाथ डाल कर अपनी बुर खुजलाने लगतीं।
नहाते समय या हमारे सामने कपड़े बदलते वक़्त.. अगर उसका नंगा बदन दिखाई दे रहा हो.. तो भी कभी भी शरीर को ढँकने या छुपाने की ज़्यादा कोशिश नहीं की..
ऐसा नहीं था कि वो जानबूझ कर दिखाने की कोशिश करती हों.. क्योंकि इन सब बातों के बाद भी मैंने उसकी या दीदी की नंगी बुर नहीं देखी थी। बस वो हमेशा हमें नॉर्मल रहने को कहतीं और खुद भी वैसे ही रहती थीं। धीरे-धीरे मैं माँ के और करीब आने की कोशिश करने लगा और हिम्मत करके माँ से उस वक़्त सटने की कोशिश करता.. जब मेरे लंड खड़ा होता।
मेरा खड़ा लंड कई बार माँ के बदन से टच होता.. पर माँ कुछ नहीं बोलती थीं।
इसी तरह एक बार माँ रसोई में काम कर रही थीं और माँ के हिलते हुए चूतड़ देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने ने अपनी किस्मत आज़माने की सोची और भूख लगने का बहाना करते हुए रसोई में पहुँच गया।
माँ से बोला- माँ भूख लगी है.. कुछ खाने को दो।
और ये कहते हुए माँ से पीछे से चिपक गया.. मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा था और मैंने अपनी कमर पूरी तरह माँ के चूतड़ों से सटा रखी थी.. जिसके कारण मेरा लंड माँ के चूतड़ों के बीच थोड़ा सा घुस गया था।
माँ हँसते हुए बोलीं- क्या बात है आज तो मेरे बेटे को बहुत भूख लगी है..
“हाँ माँ.. बहुत ज्यादा.. जल्दी से मुझे कुछ दो”
और मैंने माँ को और ज़ोर से पीछे से पकड़ लिया और उनके पेट पर अपने हाथों को कस कर दबा दिया। कस कर दबाने की वज़ह से माँ ने अपने चूतड़ थोड़ी पीछे की तरफ किए.. जिससे मेरा लंड थोड़ा और माँ के चूतड़ों के बीच में घुस गया। उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड झटके लेने लगा.. पर मैं वैसे ही चिपका रहा और माँ ने हँसते हुए मेरी तरफ देखा.. पर बोलीं कुछ नहीं…
फिर माँ ने जल्दी से मेरा खाना लगाया और थाली हाथ में लेकर बरामदे में आ गईं।
मैं भी उसके पीछे-पीछे आ गया.. खाना खाते हुए मैंने देखा.. माँ मुझे और मेरे लंड को देख कर धीरे-धीरे हँस रही थीं।
जब मैंने खाना खा लिया तो माँ बोलीं- अब तू जाकर आराम कर.. मैं काम कर के आती हूँ।
पर मुझे आराम कहाँ था.. मैं तो कमरे में आ कर आगे का प्लान बनाने लगा कि कैसे माँ को चोदा जाए.. क्योंकि आज की घटना के बाद मुझे पूरा विश्वास था कि अगर मैं कुछ करता भी हूँ.. तो माँ अगर मेरा साथ नहीं देगीं.. तो भी कम से कम नाराज़ नहीं होंगी।
फिर ये ही हरकत मैंने 5-6 बार की और माँ कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
एक रात खाना खाने के बाद मैं कमरे में आकर लाइट ऑफ करके सोने का नाटक करने लगा.. थोड़ी देर बाद माँ आईं और मुझे सोता हुआ देख कर थोड़ी देर कमरे में कपड़े और सामान ठीक किया और फिर मेरे बगल में आकर सो गईं।
करीब एक घंटे के बाद जब मुझे विश्वास हो गया कि माँ अब सो गई होगीं.. तो मैं धीरे से माँ की ओर सरक गया और धीमे-धीमे अपना हाथ माँ के चूतड़ों पर रख कर माँ को देखने लगा।
जब माँ ने कोई हरकत नहीं की.. तो मैं उनके चूतड़ों को सहलाने लगा और उनकी साड़ी के ऊपर से ही दोनों चूतड़ों और गाण्ड को हाथ से धीमे-धीमे दबाने लगा। जब उसके बाद भी माँ ने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ी और मैंने माँ की साड़ी को हल्के-हल्के ऊपर खींचना शुरू किया।
साड़ी ऊपर करते-करते जब साड़ी चूतड़ों तक पहुँच गई.. तो मैंने अपना हाथ माँ के चूतड़ों और गाण्ड के ऊपर रख कर.. थोड़ी देर माँ को देखने लगा.. पर माँ ने कोई हरकत नहीं की।
फिर मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड के छेद से धीरे-धीरे आगे की ओर करने लगा, पर माँ की दोनों जाँघें आपस में सटी हुई थीं.. जिससे मैं उन्हें खोल नहीं पा रहा था।
फिर मैंने अपनी दो ऊँगलियां आगे की ओर बढ़ाईं तो मेरी साँस ही रुक गई।
मेरी ऊँगलियां माँ की बुर के ऊपर पहुँच गई थीं।
फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी ऊँगलियों से माँ की बुर सहलाने लगा.. माँ की बुर पर बाल महसूस हो रहे थे।
चूँकि मेरे लंड पर भी झांटें थीं तो मैं समझ गया कि ये माँ की झांटें हैं। इतनी हरकत के बाद भी माँ कुछ नहीं कर रही थीं.. तो मैंने धीरे से अपनी पूरी हथेली माँ की बुर पर रख दी और बुर के दोनों होंठों को एक-एक कर के छूने लगा.. तभी मुझे महसूस हुआ कि माँ की बुर से कुछ मुलायम सा चमड़े का टुकड़ा लटक रहा है।
जब मैंने उसे हल्के से खींचा तो पता चला कि वो माँ की बुर की पूरी लंबाई के बराबर यानि ऊपर से नीचे तक की लंबाई में बाहर की तरफ निकला हुआ था और जबरदस्त मुलायम था।
उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि लगा जैसे फट जाएगा.. मैं धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी पैन्ट उतार कर लंड को माँ के चूतड़ से सटाने की कोशिश करने लगा… पर कर नहीं पाया।
तो मैं एक हाथ से माँ की बुर में ऊँगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा.. 2-3 मिनट में ही मैं झड़ गया।
पर जब तक मैं अपना गाढ़ा जूस रोक पाता.. वो माँ के चूतड़ों पर पूरा गिर चुका था। ये देख का मैं बहुत डर गया और चुपचाप पैन्ट पहन कर.. माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया। उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि लगा जैसे फट जाएगा.. मैं धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी पैन्ट उतार कर लंड को माँ के चूतड़ से सटाने की कोशिश करने लगा… पर कर नहीं पाया। तो मैं एक हाथ से माँ की बुर में ऊँगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा.. 2-3 मिनट में ही मैं झड़ गया.. पर जब तक मैं अपना गाढ़ा जूस रोक पाता.. वो माँ के चूतड़ों पर पूरा गिर चुका था।
ये देख का मैं बहुत डर गया और चुपचाप पैन्ट पहन कर.. माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया।
सुबह जब मैं उठा तो देखा.. कि माँ रोज की तरह अपना काम कर रही थीं और दीदी हॉकी की प्रैक्टिस.. जो सुबह 6 बजे ही शुरू हो जाती थी.. के लिए जा चुकी थीं।
मैं डरते-डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तो माँ ने कहा- आज चाय
नहीं माँगी तूने..?
तो मैंने बात पलटते हुए कहा- हाँ.. पी रहा हूँ.. पेसाब करके आता हूँ।
जब मैं बाथरूम से वापस आया तो माँ को देखा। माँ बरामदे में बैठी सब्जी काट रही थीं और वहीं पर मेरी चाय रखी हुई थी।
मैं चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तो माँ मेरी तरफ देख कर हँसते हुए बोलीं- आज बड़ी देर तक सोता रहा।
“हाँ माँ नींद नहीं खुली..”
तो माँ बोलीं- एक काम किया कर.. आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..।”
ये कह को वो हँसते हुए रसोई में चली गईं।
जब मैंने देखा कि माँ कल रात के बारे में कुछ भी नहीं बोलीं.. तो मैं खुश हो गया। उस दिन पूरे दिन मैंने कुछ भी नहीं किया.. मैंने सोच रखा था कि अब मैं रात को ही सब कुछ करूँगा.. जब तक या तो माँ मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डांट नहीं देती।
रात को मैं खाना खाकर जल्दी से कमरे में आकर सोने का नाटक करने लगा। थोड़ी देर में माँ भी दीदी के साथ आ गईं। उस दिन माँ बहुत जल्दी काम ख़त्म करके आ गई थीं।
खैर.. मैं माँ के सोने का इंतजार
करने लगा।
थोड़ी ही देर में दीदी के जाने के बाद माँ धीरे से पलंग पर आकर लेट गईं। करीब एक घंटे तक लेटे रहने के बाद मैंने धीरे से आँखें खोलीं और माँ की तरफ सरक गया।
थोड़ी देर में जब मैंने बरामदे की हल्की रोशनी में माँ को देखा तो चौंक पड़ा.. माँ ने आज साड़ी की जगह नाईटी पहन रखी थी और उन्होंने अपना एक पैर थोड़ा आगे की तरफ कर रखा था।
फिर मैंने सोचा कि अगर ये किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर माँ जानबूझ कर ये कर रही हैं तो माँ जल्दी ही चुद जाएगी।
उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी हुई थी.. थोड़ी देर नाईटी के ऊपर से माँ का चूतड़ सहलाने के बाद मैंने धीरे से माँ की नाईटी का सामने का बटन खोल दिया और उसे कमर तक पूरा हटा दिया और धीरे से माँ के चूतड़ों को सहलाने लगा।
मैं जाँघों को भी सहला रहा था.. माँ के चूतड़ और जाँघें इतनी मुलायम थे कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था।
फिर मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया..।
आज माँ की बुर एकदम चिकनी थी.. उनके बुर पर बाल का नामोनिशान नहीं था.. उनकी बुर बहुत फूली हुई थी और बुर के दोनों होंठ फैले हुए थे। शायद एक जाँघ आगे करने के कारण, उनकी बुर से निकला हुआ चमड़ा लटक रहा था। मेरे कई दोस्तों ने गपशप के दौरान इसके बारे में बताया था कि उनके घर की औरतों की बुर से भी ये निकलता है और उन्हें इस पर बड़ा नाज़ होता है। मैं तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था.. मैंने लेटे-लेटे ही अपना शॉर्ट्स निकाल दिया और माँ की तरफ थोड़ा और सरक गया.. जिससे मेरा लंड माँ के चूतड़ों से टच करने लगा।
थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद जब मैंने देखा कि माँ कोई हरकत नहीं कर रही हैं.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ी।
अब मैं लेटे-लेटे ही माँ की बुर को सहलाने का पूरा मज़ा लेने लगा।
थोड़ी ही देर मे मुझे लगा कि माँ की बुर से कुछ चिकना-चिकना पानी निकल रहा है..।
ओह्ह.. क्या खुश्बू थी उसकी…
मेरा लंड फूल कर फटने की स्थिति में हो गया.. मैं अपना लंड माँ की गाण्ड के छेद.. उनकी जाँघों पर धीमे-धीमे रगड़ने लगा।
तभी मुझे एक आइडिया आया कि क्यों ना आज थोड़ा और बढ़ कर माँ की बुर से अपना लंड टच कराऊँ।
जब मैंने अपनी कमर को आगे खिसका कर माँ की जाँघों से सटाया तो लगा जैसे करेंट फैल गया हो.. मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था, पर मैंने सोचा कि एक बार माँ की बुर में लंड डाल कर उनकी बुर के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल मुठ मार लूँगा।
ये सोच कर मैंने अपनी कमर थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड माँ की बुर से लटके चमड़े को ऊँगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा.. तो माँ की बुर से निकलता हुआ चिकना पानी मेरे सुपारे पर लिपट गया और थोड़ा कोशिश करने पर मेरा सुपारा माँ की बुर के छेद में घुस गया।
जैसे ही सुपारा अन्दर गया.. उफ़फ्फ़ माँ की बुर की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक मैं अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फुहारा माँ की बुर में पिचकारी की तरह निकलने लगा।
मैं घबरा तो गया.. पर ज्यादा हिलने से डर भी रहा था कि कहीं माँ जाग ना जाएं।
जब तक मैं धीरे से अपना लंड माँ की बुर से निकालता.. तब तक मेरे लंड का पानी माँ की बुर में पूरा खाली हो चुका था और लंड निकालते वक़्त वीर्य की गाढ़ी धार माँ के गाण्ड के छेद पर बहने लगी।
मुझे लगा अब तो मैं माँ से पक्का पिटूंगा। मैं डर के मारे जल्दी से शॉर्ट्स पहन कर सो गया.. मुझे नींद नहीं आ रही थी.. पर मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।
अगले दिन उठा तो देखा कि हमेशा की तरह माँ सफाई कर रही थीं.. पर दीदी स्टेडियम नहीं गई थी।
मुझे देखते ही माँ ने दीदी से कहा- वीना.. जा चाय गरम करके भाई को देदे और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कहा।
मैंने चोरी से माँ की ओर देखा तो माँ मुझे देख कर पूछने लगीं, “आज नींद कैसी आई..?
मैंने कहा- अच्छी..।
तो माँ हँसने लगीं और मेरी पैंट की ओर देख कर बोलीं- अब तू रात में सोते समय थोड़े ढीले कपड़े पहना कर। हाफ-पैन्ट पहन कर नहीं सोते हैं।
अब तू बड़ा हो रहा है.. देख मैं और वीनू भी ढीले कपड़े पहन कर सोते हैं। मैं ये सुन कर बड़ा खुश हुआ कि माँ ने मुझे डांटा नहीं।
उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि अब माँ मुझे रात में पूरे मज़े लेने से मना नहीं करेगीं.. भले ही दिन में चुदाई के बारे में खुल कर कोई बात ना करें।
अब तो मैं बस रात का ही इंतजार करता था।
खैर.. उस रात फिर जब मैं सोने के लिए कमरे में गया तो मुझे माँ की ढीले कपड़े पहनने वाली बाद याद आई.. पर मेरे पास कोई बड़ी शॉर्ट्स नहीं थी।
मैंने अल्मारी में से एक पुरानी लुँगी निकाली और अंडरवियर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी मेरे मन में माँ की सुबह वाली बात चैक करने का विचार आया और मैंने अपनी लुँगी का सामने वाला हिस्सा थोड़ा खोल दिया.. जिससे मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथों को अपनी आँखों पर इस तरह रखा कि मुझे माँ दिखाई दे।
थोड़ी ही देर में माँ कमरे में आईं और नाईटी पहन कर पलंग पर आने लगीं और लाइट ऑफ करने के लिए जैसे ही मुड़ीं.. एकदम से वे मेरे लंड को देखते ही रुक गईं.. थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लम्बा और 1.5” व्यास बराबर मोटा था.. को देखती रहीं। मैंने अल्मारी में से एक पुरानी लुँगी निकाली और अंडरवियर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी मेरे मन में माँ की सुबह वाली बात चैक करने का विचार आया और मैंने अपनी लुँगी का सामने वाला हिस्सा थोड़ा खोल दिया.. जिससे मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथों को अपनी आँखों पर इस तरह रखा कि मुझे माँ दिखाई दे।
थोड़ी ही देर में माँ कमरे में आईं और नाईटी पहन कर पलंग पर आने लगीं और लाइट ऑफ करने के लिए जैसे ही मुड़ीं.. एकदम से वे मेरे लंड को देखते ही रुक गईं.. थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लम्बा और 1.5” व्यास बराबर मोटा था.. को देखती रहीं।
फिर पता नहीं क्यों उन्होंने लाइट बंद करके नाईट-बल्ब जला दिया और पलंग पर लेट गईं।
वो मेरे लंड को बड़े प्यार से देख रही थीं.. पर मेरे लंड को उन्होंने छुआ नहीं..।
फिर दूसरी तरफ करवट बदल कर एक पैर को कल की तरह आगे फैला कर लेट गईं।
मुझे पक्का विश्वास था कि आज माँ ने जानबूझ कर नाईट-बल्ब ऑन किया है ताकि मैं कुछ और हरकत करूँ।
आधे-एक घन्टे के बाद जब मैं माँ की ओर सरका.. तो लुँगी की गाँठ रगड़ से अपने आप ही खुल गई और मैं नंगे ही अपने खड़े लंड को लेकर माँ की तरफ सरक गया और नाईटी खोल कर कमर तक हटा दिया।
उस रात मैंने पहली बार माँ के चूतड़.. गाण्ड और बुर को देख रहा था.. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
मैं झुक कर माँ की जाँघों और चूतड़ के पास अपना चेहरा ले जाकर बुर को देखने की कोशिश करने लगा।
मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई चीज इतनी मुलायम, चिकनी और सुन्दर हो सकती है।
माँ की बुर से बहुत अच्छी से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी.. मैं एकदम मदहोश होता जा रहा था।
पता नहीं कैसे.. मैं अपने आप ही माँ की बुर को नाक से सटा कर सूंघने लगा.. उफ…बुर से निकले हुए चमड़े के दोनों पत्ते.. किसी गुलाब की पंखुड़ी से लग रहे थे।
माँ की बुर का छेद थोड़ा लाल था और गाण्ड का छेद काफ़ी टाइट दिख रहा था.. पर सब मिला कर उनके पूरे चूतड़ और जाँघें बहुत मुलायम थे।
मैंने उसी तरह कुछ देर सूंघने के बाद माँ की बुर के दोनों पत्तों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
उनकी बुर से बेहद चिकना लेकिन नमकीन पानी निकलने लगा.. मैं भी आज चुदाई के मज़े लेना चाहता था।
फिर मैंने माँ की बुर से निकलते हुए पानी को अपने कड़े सुपारे पर लपेटा और धीरे से माँ की बुर में डालने की कोशिश करने लगा… पर पता नहीं कैसे आज मेरा लंड बड़ी आसानी से माँ की बुर के छेद में घुस गया।
मैं वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा.. फिर मैंने लंड को अन्दर डालना शुरू किया।
दो-तीन प्रयासों में मेरा लंड माँ की बुर में घुस गया।
ओह.. क्या मज़ा रहा था.. माँ की बुर काफ़ी गरम थी और मेरे लंड को चारों ओर से जकड़े हुए थी।
थोड़ी देर उसी तरह रहने के बाद मैंने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया। ओह.. जन्नत का मज़ा मिल रहा था..
लगभग 4-5 मिनट अन्दर-बाहर करते ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने अपनी रफ़्तार और तेज़ कर दी और अपना गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य माँ की बुर में उढ़ेल दिया और थोड़ी देर तक उसी तरह माँ से चिपका हुआ लेटा रहा कि अभी आराम से सो जाऊँगा। पर पता नहीं कैसे आँख लग गई और मैं वैसे ही सो गया।
सुबह जब उठा तो देखा.. मेरी लुँगी की गाँठ लगी हुई है और एक पतली चादर मेरी कमर तक उढ़ाई गई है.. मैं समझ गया कि ये काम
माँ ने किया है.. पर कब और कैसे..? खैर.. जब मैं बाहर निकला तो दीदी स्टेडियम जा चुकी थीं और माँ रसोई में थीं।
मुझे देखते ही वो मेरी और अपनी चाय लेकर मेरे पास आईं और देते हुए बोलीं- आजकल तू बड़ी गहरी नींद में सोता है और अपने कपड़ों का ध्यान भी नहीं रखता है.. सुबह तेरी लुँगी जाने कैसे खुल गई थी और तू वैसे ही मुझ से चिपक कर सो रहा था..।
और वे हँसने लगीं।
तो मैंने कहा- तो ठीक है ना माँ.. इसी बहाने तुम मेरा ध्यान रख लेती हो..। पर इसके आगे की कोई बात माँ ने नहीं की.. तो मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने सोचा जब रात में सब कुछ ठीक हो रहा है.. तो मज़े लो.. बाकी बाद में देखेंगे और मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया।
माँ भी काम करने चली गईं।
इसी तरह 8-10 दिन बीत गए और मैं माँ की चुदाई के मज़े लेता रहा और माँ भी कुछ खुलने लगी थीं।
मैं भी रात को माँ की नाईटी ऊपर से नीचे तक पूरा खोल कर उसे पूरा नंगा कर देता.. फिर थोड़ी देर उसकी गाण्ड और चूत चाटने के बाद उसकी चूचियों को और पेट के नीचे वाले हिस्से को पकड़ कर पूरा ज़ोर लगा कर लंड अन्दर डाल कर चुदाई करता और झड़ने के बाद माँ की बुर से लंड बिना बाहर निकाले हुए उसकी चूचियों को पकड़ कर सो जाता था।
माँ भी सुबह कमरे से बाहर जाते समय मुझे नंगा ही छोड़ देतीं और दरवाज़ा चिपका देतीं.. ताकि दीदी अन्दर ना आ जाए।
अब वे दीदी के जाने के बाद नहाते वक़्त बाथरूम का दरवाजा नहीं बंद करतीं और हमेशा दिन में भी नाईटी पहने रहतीं.. जिसमें से उनका पूरा जिस्म लगभग दिखाई पड़ता था.. पर मैं कुछ ज्यादा ही करना चाहता था।
लगभग 10-12 दिन बाद रात को जब मैं पलंग पर गया तो मेरे दिमाग में यही सब बातें घूम रही थीं कि कैसे माँ को दिन में चुदाई के लिए तैयार किया जाए।
खैर.. मैं अपना लंड लुँगी से बाहर निकाल कर लेट गया.. थोड़ी देर में माँ कमरे में आईं और थोड़ा सामान ठीक करने के बाद नाइट-बल्ब ऑन करके लेट गईं.. लेटने से पहले उन्होंने मेरे माथे पर चुम्बन किया और मुस्कुरा कर सो गईं।
अब तक मैं ये जान चुका था कि माँ को सब पता है और वो जागी रहती हैं पर चूँकि वो कुछ नहीं कहतीं और चुपचाप मज़े लेती थीं.. तो मैं भी मस्त हो कर मज़े लेता।
अब तो मैं माँ के लेटने के 4-5 मिनट बाद ही शुरू हो जाता और नाईटी खोल कर हटा देता था।
आज भी केवल 5 मिनट के बाद मैंने फिर अपनी लुँगी हटा कर माँ की नाईटी को पूरा उतार दिया, थोड़ी देर तक माँ की गाण्ड और बुर को चाटने और खेलने के बाद जब मैंने लंड को माँ के चूतड़ों से रगड़ना शुरू किया चूँकि माँ आज थोड़ा सा पेट के बल लेटी हुई थीं.. तो मेरे मन में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज माँ की गाण्ड में लंड डाला जाए।
ये सोचते ही मैं उत्तेजना से और भर गया और मैं माँ के चूतड़ों को हाथों से थोड़ा खोलते हुए उनकी गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
मुझे महसूस हुआ कि माँ की बुर और गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था और बुर से पानी निकल रहा था। थोड़ी देर चाटने के बाद मैं ऊँगली से गाण्ड के छेद को खोलने लगा.. फिर सुपारे पर माँ की बुर का पानी लगाया फिर थोड़ा सा पानी उनकी गाण्ड के छेद पर भी लगाया और छेद पर सुपारा रख कर उसकी कमर को पकड़ कर अन्दर डालने की कोशिश करने लगा.. पर उनकी गाण्ड का छेद बुर के छेद से काफ़ी तंग था।
थोड़ी कोशिश करने पर सुपारा तो अन्दर घुस गया पर मैं लंड पूरा अन्दर नहीं डाल पा रहा था.. तो मैंने थोड़ा रुक कर उसके चूतड़ों को हाथों से फैलाते हुए फिर से लंड अन्दर डालना शुरू किया।
पर पता नहीं क्यों मेरे लंड में जलन सी होने लगी.. मैंने लंड बाहर निकाल लिया और नाइट-बल्ब की रोशनी में देखा तो मेरे सुपारे के पास से जो चमड़ा सटा था.. वो एक तरफ से फट गया था और वहीं से जलन हो रही थी।
मेरे दोस्तों ने बताया तो था कि चुदाई के बाद लंड का टांका टूट जाता है और सुपारा पूरा बाहर निकल जाता है।
अब जलन के मारे मैं चुदाई नहीं कर पा रहा था और मारे उत्तेजना के मैं बिना झड़े रह भी नहीं सकता था।
मैं उत्तेजना के मारे लंड को हाथ में पकड़ कर माँ के जिस्म पर रगड़ने लगा।
मेरे दिमाग़ में कुछ भी नहीं सूझ रहा था। मैं तो बस झड़ना चाहता था.. तभी मेरे मन में माँ के मुँह में लंड डालने का विचार आया और मैं अपना लंड माँ के चेहरे से रगड़ने के लिए पलंग से नीचे उतर कर.. माँ के चेहरे के पास खड़ा हो गया।
अपना लंड हाथ में पकड़ कर सुपारा माँ के गालों और होंठों से धीमे-धीमे रगड़ने लगा.. मैं बस उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था।
अगर उस वक़्त माँ उठ भी जाती तो भी मैं नहीं रुक पाता।
फिर मैं माँ के होंठों से सुपारे को सटाते हुए मुठ मारने लगा.. पर उनके मुँह पर झड़ने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वहाँ से हट कर उनकी गाण्ड और बुर के छेद पर लंड रख कर मुठ मारने लगा। मैं तेज़ी से मुठ मार रहा था और थोड़ी देर में माँ की गाण्ड के और बुर के छेद पर ऊपर से ही पूरा वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। माँ की पूरी बुर.. चूतड़ और गाण्ड मेरे वीर्य से भर गई थी और पूरा गाढ़ा पानी उनकी जाँघों पर भी बहने लगा। जब मेरी उत्तेजना शांत हुई तो मैंने लंड में एक तेज़ जलन महसूस की.. मैंने देखा कि मेरा लंड पूरा छिल गया था और चमड़े पर सूजन आ गई थी।
मैं ये देख कर परेशान हो गया और माँ को उसी तरह छोड़ कर चुपचाप सो गया। अपना लंड हाथ में पकड़ कर सुपारा माँ के गालों और होंठों से धीमे-धीमे रगड़ने लगा.. मैं बस उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था।
अगर उस वक़्त माँ उठ भी जाती तो भी मैं नहीं रुक पाता।
फिर मैं माँ के होंठों से सुपारे को सटाते हुए मुठ मारने लगा.. पर उनके मुँह पर झड़ने की हिम्मत नहीं हुई और मैं वहाँ से हट कर उनकी गाण्ड और बुर के छेद पर लंड रख कर मुठ मारने लगा। मैं तेज़ी से मुठ मार रहा था और थोड़ी देर में माँ की गाण्ड के और बुर के छेद पर ऊपर से ही पूरा वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। माँ की पूरी बुर.. चूतड़ और गाण्ड मेरे वीर्य से भर गई थी और पूरा गाढ़ा पानी उनकी जाँघों पर भी बहने लगा। जब मेरी उत्तेजना शांत हुई तो मैंने लंड में एक तेज़ जलन महसूस की.. मैंने देखा कि मेरा लंड पूरा छिल गया था और चमड़े पर सूजन आ गई थी।
मैं ये देख कर परेशान हो गया और माँ को उसी तरह छोड़ कर चुपचाप सो गया।
जब सुबह उठा तो मैंने देखा कि मेरे लंड का चमड़ा काफ़ी सूज गया था और छिला हुआ था।
मैं बाहर निकला तो माँ रसोई से निकल रही थीं और मुझे देखते ही वापस चाय लेकर चली आईं.. पर मेरा मुँह उतरा हुआ था।
माँ मुझे देख कर मुस्कुराईं.. पर मैं कुछ नहीं बोला।
माँ थोड़ी देर बैठने के बाद काम करने चली गईं और मैं नहाने चला गया। नहाते वक़्त मैं सोच रहा था की अब तो बस चुदाई बंद ही करनी पड़ेगी। लंड को देख कर मुझे रोना आ रहा था।
तभी मुझे एक आइडिया आया कि क्यों ना माँ को ही लंड दिखा कर उनसे इलाज़ पूछा जाए और हो सकता है इसी बहाने माँ मुझे दिन में भी खुल जाएं।
मैं तौलिया लपेटे बाहर निकला और कमरे में जा कर माँ को आवाज़ दी.. तो माँ कमरे में आईं और पूछा- क्या हुआ बेटा?
मैंने कहा- माँ मेरे पेशाब वाली जगह में दर्द हो रहा है.. सूज भी गया है।
तो माँ ने मुझे ऐसे देखा जैसे कह रही हों.. ये तो एक दिन होना ही था और बोलीं- बेटा तौलिया खोलो.. मैं देखूँ। और वे बाहर बरामदे में दिन की रोशनी में आ गईं।
मैं भी बाहर आ गया और उनके पास खड़ा हो कर तौलिया खोल दिया.. मेरा लंड वाकयी में सूज का मोटा हो गया था।
जब माँ ने लंड को देखा तो धीमे से मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा- इसके साथ क्या कर रहा था?
मैंने बड़े भोलेपन से कहा- कुछ नहीं इसमें से खून भी निकल रहा है..।
तो माँ मेरे लंड को हाथ में लेकर चमड़ा पीछे करने लगीं.. तो मुझे दर्द होने लगा।
तो माँ ने कहा- ओह ये तो छिल गया है.. लग रहा है रगड़ लगी है..।
और वे चमड़ा पीछे कर के सुपारा देखने लगीं।
फिर बोलीं- अच्छा मैं इस पर बोरोलीन लगा देती हूँ.. पर तू इसे खुला ही रहने दे और अभी कुछ पहनने की ज़रूरत नहीं है.. बस मैं ही तो हूँ.. तू ऐसे ही रह ले।
ये कह कर माँ कमरे से बोरोलीन लेने चली गईं।
मैं उनके चूतड़ों को हिलते हुए देख रहा था.. तभी वो बोरोलीन लेकर आ गईं और मेरे लंड को हाथ में लेकर सुपारे पर लगाने लगीं।
जिसकी वज़ह से मेरा लंड खड़ा होने लगा और करीब 6 लम्बा हो गया.. सूजन की वज़ह से वो और मोटा लग रहा था.. ये देख कर माँ
मेरे चूतड़ पर थप्पड़ मारते हुए बोलीं- ये क्या कर रहा है?
मैं बोला- माँ ये अपने आप हो गया है.. मैंने नहीं किया है।
तो माँ बोलीं- अच्छा ये भी अपने आप हो गया है और रगड़ भी अपने आप ही लग गई है.. सच बता ये रगड़ कैसे लगी?
मैं हँसने लगा तो माँ खुद ही बोलीं- बेटा ये एक बहुत नाज़ुक अंग होता है.. इसकी देखभाल बड़ी संभाल कर करनी पड़ती है.. जब तू शादी के लायक बड़ा हो जाएगा.. तब तुझे इसकी अहमियत पता चलेगी।
माँ बोलती जा रही थीं और सुपारे और लंड पर बोरोलीन लगाती जा रही थीं।
मेरा हाथ माँ के कंधे पर था और खड़े होने की वजह से मुझे नाईटी के खुले भाग से माँ की बड़ी-बड़ी चूचियाँ आधे से ज़्यादा दिखाई पड़ रही थीं।
मैं अपने हाथों को माँ की चूचियाँ की तरफ बढ़ाते हुए बोला- क्यों माँ शादी के बाद ऐसा क्या होता है कि इसकी इतनी ज़रूरत पड़ती है?
ये सुन कर माँ ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और बोलीं- ये तो शादी के बाद ही पता चलेगा.. तो मैं थोड़ा और मज़े लेते हुए माँ से पूछा- माँ क्या तुम औरतों की भी ये इंपॉर्टेंट होती है?
“ये क्या..?”
माँ ने पूछा।
तो मैं हँसते हुए बोला- अरे यही जो तुमने मेरा हाथ में पकड़ा हुआ है।
तो माँ मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोलीं- मेरा ऐसा नहीं है..।
तो मैंने धीरे से उनकी नाईटी का ऊपर वाला बटन खोल दिया.. जिससे उनकी चूचियाँ बाहर निकल आईं और धीमे से लंड को उससे सटाते हुए पूछा- तो फिर कैसा है?
पर माँ कुछ नहीं बोलीं.. मेरा लंड उत्तेजना में और टाइट हुआ जा रहा था और खिंचाव के कारण सुपारे के टांके वाली जगह पर दर्द होने लगा।
मैं बोला- उह.. माँ ये तो बहुत दर्द कर रहा है।
तो माँ बोलीं- बेटा रगड़ की वजह से तेरे सुपारे का टांका खुल गया है और ऊपर से तूने ही तो इसे फुला रखा है.. चल मैंने क्रीम लगा दी है.. 7-8 दिन में ठीक हो जाएगा और ये कह कर माँ सुपारे को सहलाने लगीं।
मैंने ध्यान से देखा तो माँ का भी चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो
गया था और उसकी चूचियाँ और निप्पल एकदम खड़े हो गए थे।
मैंने सोचा ये मौका अच्छा है माँ को और गरम कर देता हूँ.. तो माँ शायद खुल जाएं।
ये सोच कर मैं बोला- माँ ये टांका क्या होता है और मेरा कैसे खुल गया?
माँ भी थोड़ा खुलने लगीं और बोलीं- बेटा ये जो चमड़ा है ना.. ये सुपारे के पीछे वाले हिस्से से चिपका रहता है.. तूने ज़रूर इसे तेज़ रगड़ दिया होगा। तो मैं माँ के निप्पल छूते हुए बोला- पहले ये बताओ कि इसे नीचे कैसे करूँ.. बहुत दर्द हो रहा है।
तो माँ मेरे चूतड़ों पर चिकोटी काटते हुए पूछने लगीं, “पहले कैसे करता था..?”
तो मैं हँसने लगा और माँ की चूचियों पर हाथ से दबाव बढ़ाते हुए कहा- वो तो बस ऐसे ही।
“इसलिए आजकल कुछ ज़्यादा ही रगड़ रहा है.. तेरी वज़ह से मुझे भी परेशानी होने लगी है।”
माँ ने चूचियों पर बिना ध्यान देते हुए कहा।
“तो तुम बताओ ना कि क्या करूँ..?” मैंने कहा और अपनी कमर थोड़ा और आगे बढ़ा दी.. जिससे मेरा लंड माँ की दोनों चूचियों के बीच में घुस गया और अपनी ऊँगलियों के बीच में निप्पल को फँसा लिया।
तो माँ बोलीं- ये क्या कर रहा है?
मैं शरारात से हँसते हुए बोला- माँ तुम्हारी चूचियाँ बड़ी मुलायम हैं।
पर माँ हँसते हुए उठने लगीं.. जिससे मेरा लंड उनकी चूचियों में दब गया और मेरे सुपारे पर लगा क्रीम उनकी चूचियों पर भी लग गया।
तो माँ अपनी चूचियों को हाथों से फैलाते हुए मुझे दिखा कर बोलीं- ये देख तेरी क्रीम मेरी चूचियों में लग रही है.. चल अभी खाना बनाना है.. देर हो रही है.. बाद में बताऊँगी।
माँ रसोई में से सामान ला कर वहीं बरामदे में चौकी पर बैठ कर काम करने लगीं।
उसकी चूचियाँ वैसे ही खुली हुई थीं। पर मेरे दिमाग में तो माँ को दीदी के आने से पहले नंगा करने का प्लान चल रहा था।
ये सोच कर मैं भी माँ के बगल में ही उसकी तरफ मुँह करके चौकी पर बैठ गया।
मैंने अपना एक पैर मोड़ कर माँ की जाँघों पर रख दिया.. मेरा लंड उस समय एकदम टाइट था।
माँ ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और सब्जी काटने लगीं।
मैं माँ के सामने ही अपने लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगा.. जिससे सुपारा और फूल गया था।
माँ बोलीं- ये क्या कर रहा है?
तो मैंने कहा- माँ बहुत खुजली हो रही है।
फिर माँ कुछ नहीं बोलीं और अपना काम करने लगीं।
मैं जानबूझ कर लंड माँ के सामने करके सहला रहा था। मैंने देखा माँ का ध्यान भी मेरे सुपारे पर ही था और वो बार-बार अपनी जाँघों को फैला रही थीं.. चूँकि नाईटी का आगे का भाग खुला हुआ था.. जिससे मुझे कई बार उसकी बुर दिखाई दी.. मैं समझ गया कि माँ एकदम गरम हो गई है.. मैं उसे और उत्तेजित करने के लिए हिम्मत बढ़ाते हुए एकदम खुल कर बात करने लगा।
मैं बोला- माँ तुम कह रही हो कि मेरा लंड ठीक होने में 7-8 दिन लगेंगे और तब तक मुझे ऐसे ही लंड खुला रखना पड़ेगा..।
तो माँ बोलीं- हाँ.. खुला रखेगा तो घाव जल्दी सूखेगा और आराम भी मिलेगा।
“लेकिन माँ खुला होने की वजह से मेरा लंड पूरा तना जा रहा है.. जिससे चमड़ा खिंचने के कारण दर्द हो रहा है और खुजली भी बहुत हो रही है।”
मैंने लंड माँ को दिखाते हुए बोला.. तो माँ ने कहा- बेटा लंड खड़ा रहेगा तो खुजली होगी ही..।
तो मैं बोला- माँ क्या तुम्हारे उधर भी खुजली होती है? मैं जानबूझ कर लंड माँ के सामने करके सहला रहा था। मैंने देखा माँ का ध्यान भी मेरे सुपारे पर ही था और वो बार-बार अपनी जाँघों को फैला रही थीं.. चूँकि नाईटी का आगे का भाग खुला हुआ था.. जिससे मुझे कई बार उसकी बुर दिखाई दी.. मैं समझ गया कि माँ एकदम गरम हो गई है.. मैं उसे और उत्तेजित करने के लिए हिम्मत बढ़ाते हुए एकदम खुल कर बात करने लगा।
मैं बोला- माँ तुम कह रही हो कि मेरा लंड ठीक होने में 7-8 दिन लगेंगे और तब तक मुझे ऐसे ही लंड खुला रखना पड़ेगा..।
तो माँ बोलीं- हाँ.. खुला रखेगा तो घाव जल्दी सूखेगा और आराम भी मिलेगा।
“लेकिन माँ खुला होने की वजह से मेरा लंड पूरा तना जा रहा है.. जिससे चमड़ा खिंचने के कारण दर्द हो रहा है और खुजली भी बहुत हो रही है।”
मैंने लंड माँ को दिखाते हुए बोला.. तो माँ ने कहा- बेटा लंड खड़ा रहेगा तो खुजली होगी ही..।
तो मैं बोला- माँ क्या तुम्हारे उधर भी खुजली होती है?
“हाँ.. होती है..” माँ बोलीं।
“क्यों.. क्या तुम्हारे भी टांका टूटता है?”
मैंने पूछा.. तो माँ हँसने लगीं और बोलीं- नहीं हमारे में टांका-वांका नहीं होता है.. बस छेद होता है।
माँ अब काफ़ी खुल कर बातें करने लगी थीं, तो मैंने जानबूझ कर अंजान बनते हुए माँ की जांघों के ऊपर से नाईटी का बटन खोल कर हटा दिया जिससे उनके कमर के नीचे का हिस्सा नंगा हो गया और उनकी बुर को हाथों से छूते हुए कहा- अरे हाँ.. तुम्हारे तो लंड है ही नहीं.. लेकिन छेद कहाँ है.. यहाँ तो बस फूला-फूला सा दिखाई दे रहा है और इसमें से कुछ बाहर निकल कर लटका भी है।
तो माँ ने तुरंत मेरा हाथ अपनी बुर से हटा कर उसे ढँकते हुए बोलीं- छेद उसके अन्दर होता है।
“तो तुम खुजलाती कैसे हो?”
मैंने कहा।
तो वो बोलीं- उसे रगड़ कर और कैसे। मैं बोला- लेकिन मैंने तो तुम्हें कभी अपनी नंगी बुर खोल कर सहलाते हुए नहीं देखा है।
माँ खूब तेज हँसते हुए बोलीं- बुर.. बुर.. ये तूने कहाँ से सुना।
“मेरे दोस्त कहते हैं उनमें से कई तो अपने घर में नंगे ही रहते हैं और सब औरतों की बुर देख चुके हैं।”
ये सुन कर माँ बोलीं- अच्छा तो ये बात है.. तभी मैं कहूँ कि तू आज कल क्यूँ ये हरकतें कर रहा है..?
मैंने हँसते हुए कहा- कौन सी हरकत? तो माँ मेरे लंड को हाथों से पकड़ कर हल्के से हिलाते हुए बोलीं- रात वाली और कौन सी.. जिसके कारण ये हुआ है.. खुद तो जैसे-तैसे करके सो जाता है और मुझे हर तरफ से गीला कर देता है।
तो मैं हँसने लगा और कहा- तुम भी तो मज़े ले रही थीं।
तब तक शायद माँ की बुर काफ़ी गीली हो चुकी थी और खुजलाने भी लगी थी.. क्योंकि वो अपने एक हाथ से नाईटी का थोड़ा सा हिस्सा जो केवल उसकी बुर ही ढके हुए था।
क्योंकि बाकी का हिस्सा तो मैं पहले ही नंगा कर चुका था। उन्होंने नाईटी को हल्का सा हटा कर बुर से निकले हुए चमड़े के पत्ते को मसलने लगीं। माँ धीमे-धीमे हँस रही थीं.. पर कुछ बोली नहीं।
“माँ कितना अच्छा लगता है ना.. रात वाली हरकत दिन में भी करें.. देखो ना मेरा लंड कितना फूल गया है और तुम्हारी बुर भी खुज़ला रही है.. प्लीज़ मुझे दिन में अपनी बुर देखने दो ना और वैसे भी मैं अभी तो लंड तुम्हारे छेद में डाल नहीं पाऊँगा।
मैंने एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए कहा और दूसरे हाथ से उसकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए उसकी बुर के होठों को ऊँगलियों से खोलने लगा।
माँ भी शायद बहुत गरम हो गई थीं और चुदना चाहती थीं.. क्योंकि उसने मेरा हाथ इस बार नहीं हटाया, पर शायद शर्मा रही थीं और अचानक बात को पलटते हुए बोलीं- अरे कितनी देर हो गई.. खाना बनाना है।
और वैसे ही नाईटी बिना बंद किए हुए उठ कर रसोई में चली गईं।
मैं भी तुरंत माँ के पीछे-पीछे रसोई में चला गया और मैंने देखा कि उन्होंने नाईटी के सिर्फ़ एक-दो बटन ही बंद किए थे.. बाकी सारा खुला हुआ था जिसके कारण उनकी चूचियाँ बाहर निकली हुई थीं और नाभि से नीचे का पूरा हिस्सा पैरों तक एकदम नंगा दिख रहा था।
मैं उनसे पीछे से पकड़ कर चिपक गया जिससे मेरा लंड माँ के चूतड़ों के बीच में घुस गया और बोला- माँ तुम बहुत अच्छी हो.. मेरे दोनों हाथ माँ के नंगे पेट पर थे।
माँ बोलीं- अच्छा मुझे मस्का लगा रहा है।
तो मैं हँसने लगा और धीरे-धीरे अपना हाथ माँ के पेट सहलाते हुए निचले हिस्से की ओर ले जाने लगा।
माँ की साँसें तेज़ चल रही थीं पर वे कुछ बोली नहीं.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने अपना हाथ माँ की बुर के ऊपर हल्के से रख दिया और ऊँगलियों से उनकी बुर हल्के-हल्के दबाने लगा।
पर माँ फिर भी कुछ नहीं बोलीं।
मेरा लंड उत्तेजना की वज़ह से पूरा तना हुआ था और माँ की गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
माँ की बुर की चिकनाई मुझे महसूस हो रही थी और चिकना पानी उसकी बुर से निकल कर जांघों पर बह रहा था।
मैं ऊँगलियों को और नीचे की तरफ करता जा रहा था.. तभी मेरी ऊँगलियां माँ की बुर की पुत्तियों को टच करने लगीं।
माँ बोलीं- तू बहुत बदमाशी कर रहा है।
पर मैं बिना कुछ बोले लगा रहा और फिर एक हाथ से धीरे-धीरे उसकी बुर के लटकते हुए चमड़े को सहलाने और फैलाने लगा।
जब मैंने देखा कि माँ मना नहीं कर रही हैं तो मैं धीरे से दूसरे हाथ से माँ की नाईटी को माँ की कमर के पीछे कर दिया दिया.. जिससे माँ पेट के नीचे से एकदम नंगी हो गईं।
मैं उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था। मेरे लंड का सुपारा माँ की नंगे चूतड़ों की फांकों में धँस गया.. फिर मैं उनकी बुर से निकले लंबे चमड़े को फैला कर बुर के छेद में ऊँगली डालने की कोशिश करने लगा।
माँ ने काम करना बंद कर दिया..
उनकी बुर से चिकने पानी की बूंदें टपकने लगी थीं।
माँ भी अब मेरा साथ दे रही थीं और नाईटी के बाकी बटनों को खोल दिया.. जिससे नाईटी नीचे गिर गई।
अब माँ और मैं पूरी तरह नंगे हो गए थे।
मैं पीछे से हट कर माँ के सामने आ गया और मूढ़े पर बैठ कर माँ की बुर को फैलाते हुए उनकी बुर से बाहर लटकते हुए चमड़े को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
माँ ने मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर से और सटा दिया.. उनके मुँह से ‘ओह्ह.. आह’ की आवाजें निकल रही थीं।
मैंने अपनी जीभ माँ की बुर में डाल दी और उन्हें तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा। उनकी बुर का सारा नमकीन पानी मेरे मुँह में भर गया.. माँ ने भी मस्त हो कर अपनी जांघों को और फैला दिया और कमर हिला-हिला कर बुर चटवाने लगीं।
कुछ ही देर में माँ मेरे मुँह को जाँघों से दबाते हुए झड़ गईं.. पर मेरा लंड और ज्यादा तन गया था।
तभी माँ मुझे खड़ा करते हुए खुद मूढ़े पर बैठ गईं और नीचे गिरी हुई नाईटी से मेरे सुपारे को पौंछ कर मेरा सुपारा अपने मुँह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए चूसने लग गईं और एक ऊँगली मेरी गाण्ड के छेद में डालने लगीं।
मैं तो जैसे सपनों की दुनिया में पहुँच गया था।
माँ ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थीं और मैं भी लंड को उसके मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था।
तभी मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और तेज ‘आह..’ करते हुए माँ के मुँह में ही झड़ने लगा।
माँ मेरे सुपारे को तब तक अपने मुँह में लिए रहीं.. जब तक मेरा वीर्य निकलना बंद नहीं हो गया।
हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही बैठे रहे, फिर माँ मुझ से प्यार करते हुए बोलीं- तूने आख़िर अपनी मनमानी कर ही ली..।
तो मैं बोला- तुम्हें अच्छा लगा ना..। तो माँ हँसने लगीं और चाय बनाने लगीं।
माँ मुझे खड़ा करते हुए खुद मूढ़े पर बैठ गईं और नीचे गिरी हुई नाईटी से मेरे सुपारे को पौंछ कर मेरा सुपारा अपने मुँह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए चूसने लग गईं और एक ऊँगली मेरी गाण्ड के छेद में डालने लगीं।
मैं तो जैसे सपनों की दुनिया में पहुँच गया था।
माँ ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थीं और मैं भी लंड को उसके मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था।
तभी मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और तेज ‘आह..’ करते हुए माँ के मुँह में ही झड़ने लगा।
माँ मेरे सुपारे को तब तक अपने मुँह में लिए रहीं.. जब तक मेरा वीर्य निकलना बंद नहीं हो गया।
हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही बैठे रहे, फिर माँ मुझ से प्यार करते हुए बोलीं- तूने आख़िर अपनी मनमानी कर ही ली..।
तो मैं बोला- तुम्हें अच्छा लगा ना..। तो माँ हँसने लगीं और चाय बनाने लगीं।
चाय पीकर मैं रसोई से बाहर आ गया और माँ नंगी ही खाना बनाने लगीं।
फिर उसके बाद कुछ नहीं हुआ.. दोपहर में खाना खाते समय माँ मेरे लंड को देखते हुए बोलीं- अभी वीनू के आने का टाइम हो गया है.. अब तू लुँगी लपेट ले.. वरना वीनू को अटपटा लगेगा.. रात में सोते वक़्त पलंग पर फिर से लुँगी उतार कर नंगे सो जाना..
हम दोनों उस समय तक नंगे ही बैठे थे।
मैंने माँ से कहा- माँ कपड़े पहनने का मन नहीं कर रहा है.. अब तो घर में नंगा ही रहूँगा.. अब तो दीदी को भी नंगे ही रहने के लिए कहो..
“लेकिन कैसे..?” माँ बोलीं।
तो मैं बोला- मुझे नहीं पता.. पर अब मैं नंगा ही रहूँगा और तुम भी नंगी रहो।
माँ बोलीं- ठीक है.. पर अभी तो कुछ पहन लो।
फिर मैं लुँगी लपेट कर टीवी देखने लगा और माँ भी नाईटी पहन कर काम करने लगीं।
जब दोपहर में वीनू आई तो मुझे लुँगी में बैठे देख कर माँ से धीमी आवाज़ में बातें करने लगी और मैं मन ही मन उन दोनों को
एक ही बिस्तर पर चोदने का प्लान बना रहा था।
रात को मैं पूरा प्लान बना कर लुँगी उतार कर मा का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद माँ कमरे में आईं और दरवाजा बंद कर दिया।
फिर काम खत्म करने के बाद बिना लाइट ऑफ किए ही नंगी हो कर पलंग पर लेट गईं और मेरी तरफ करवट करके मुझसे पूछा- अब कैसा है..?
मैं तो पहले से ही तैयार था.. तुरंत बात को पकड़ते हुए पूछा- क्या वही..? माँ बोलीं- हाँ..
मैंने कहा- वही.. क्या इसका कोई नाम नहीं है.. क्या?
“अच्छा.. बड़ा चतुर हो गया है.. तुझे नहीं पता क्या..?” और हँसने लगीं।
मैं बोला- मुझे तो दोस्तों ने बताया है.. पर तुम सही नाम बताओ ना..।
“अच्छा पहले सुनूं तो.. तेरे दोस्तों ने क्या बताया है?”
मैंने कहा- लंड..
ये सुनते ही माँ की जोर से हँसी छूट गई।
मैं माँ की जाँघों को फैलाते हुए उनकी बुर की पुत्तियों को सहलाने लगा और पूछा- अच्छा ये बताओ.. ये जो तुम्हारी बुर से बाहर चमड़ा निकला है.. इसका क्या कहते हैं?
तो माँ बोलीं- तेरे दोस्त क्या कहते हैं?
तो मैंने कहा- छोड़ो ना दोस्तों को.. तुम बताओ इसे क्या कहते हैं।
तो माँ ने कहा- कुछ भी कह ले.. पत्ती.. पंखुड़ी.. तुझे जो भी अच्छा लगता हो।
तो मैंने कहा- हाँ.. अच्छा ये बताओ जब मैं तुम्हारी गाण्ड मे लंड डाल रहा था.. तो दर्द होते ही तुमने मुझे मना क्यों नहीं किया?
तो माँ ने कहा- मुझे भी गाण्ड मरवाने का मन कर रहा था।
मैंने आश्चर्य से पूछा- क्या..?
तो माँ ने कहा- हाँ.. मेरे गाँव में मेरे पड़ोस की चाची और उनकी लड़की जो एक दूर की रिश्तेदारी में मेरी चाची और चचेरी बहन लगती थीं.. उसने बताया कि शादी के बाद उन्हें चुदाई के बारे में ज़्यादा नहीं मालूम था और उसका पति उसकी गाण्ड में ही अपना लंड पेलता था.. बाद में मेरी चाची यानि उसकी माँ जो खुद भी बहुत चुदक्कड़ थी… उसने अपनी बेटी और दामाद को चुदाई के बारे में बताया। अब अक्सर वो सब साथ में चूत चुदाई और गाण्ड मरवाने का मज़ा लेते हैं। उसी ने मुझे गाण्ड में लंड लेने का तरीका और मज़े के बारे में बताया था। उसकी दो लड़कियाँ हैं जब तू बड़ा होगा.. तो मैं तेरी शादी उसी की बड़ी वाली लड़की से कराऊँगी.. फिर हम सब भी साथ में मज़े लेंगे.. अच्छा अब ये बता कि वीनू को कैसे पटाया जाए? अब तो मैं भी एक भी दिन बिना तेरे लंड के नहीं रह सकती हूँ। अब तो जब तक मेरी गाण्ड में तेरा लंड ना जाए.. मज़ा नहीं आएगा.. एक बार वीनू भी पट जाए तो फिर तो मैं दिन भर गाण्ड मरवाती और चुदवाती रहूँगी.. उसके बाद तू चाहे तो वीनू को भी चोद ले.. फिर उसे भी अपनी बुर हाथ से नहीं रगड़नी पड़ेगी।
तो मैं बोला- मैं जैसा कहता हूँ.. वैसा ही करती रहना.. वो अपने आप खुल जाएगी.. वैसे भी वो तुमसे खुल कर बात करती ही है ना.. चुदने भी लग जाएगी..
तो माँ ने कहा- हाँ.. हम ओपन तो हैं.. पर कभी चुदाई की बातें नहीं की हैं।
तो मैंने कहा- अच्छा कितना ओपन हो?
माँ मेरे लंड को सहलाते हुए बोलीं- पहले तो सिर्फ़ एमसी के समय पैड लगाने तक.. पर अब तो हम दोनों एक-दूसरे के सामने नंगे ही कपड़े बदल लेते हैं.. कभी-कभी मैं उससे बाल साफ़ करने वाली मशीन भी माँग लेती हूँ.. झांटों को साफ़ करने के लिए मैं बाथरूम में बुर पर मशीन नहीं लगा पाती हूँ और कमरे में लगाती हूँ.. तो वो मुझे ऐसा करते हुए कई बार देख चुकी है.. हम दोनों का एक-दूसरे की बुर देखना नॉर्मल है.. कई बार जब वो खेल कर आती है और थकी होती है.. तो मैं उसकी मालिश कर देती हूँ.. वो भी उसे नंगा करके.. उसकी जाँघों और चूतड़ों पर भी उस समय मेरे हाथ उसकी बुर और गाण्ड के छेद को भी छूते और मसलते हैं और वो भी कभी-कभी मुझे नंगा करके मेरी मालिश करती है.. हाँ.. कभी-कभी जब मालिश के समय मेरी बुर खुजलाती है तो उसी के सामने मैं बुर में ऊँगली करती थी.. तो उस समय उसने मुझे देखा है और मुझे ये भी पता है कि वो भी अपनी बुर में ऊँगली डाल कर झड़ती है.. पर इतना होने पर भी ना तो उसने कभी मुझे झाड़ा है और ना ही मैंने उसको.. बस हम दोनों को ये जानते हैं कि हम दोनों बुर में ऊँगली करते हैं पर चाची और बहन की तरह बुर या गाण्ड चटवाना या चुदाई की बातें नहीं की हैं।
तो मैंने कहा- इतना काफ़ी है।
और मैंने अपना सारा प्लान माँ को बता दिया।
अगले दिन सुबह प्लान के मुताबिक मैं लुँगी पहन कर बाहर गया तो देखा माँ और दीदी बातें कर रही थीं।
मुझे देख कर माँ ने दीदी से कहा- जा भाई के लिए चाय ले आ।
तो दीदी रसोई में चली गईं.. मैं माँ के सामने अपनी लुँगी थोड़ा फैला कर ऐसे बैठा कि दीदी को पता चल जाए कि मैं माँ को अपना लंड दिखा रहा हूँ.. पर दीदी को मेरा लंड ना दिखाई दे।
जैसे ही दीदी आईं तो मैंने माँ को इशारा करते हुए अपनी जाँघों को बंद कर लिया।
दीदी कभी मुझे और कभी माँ को देखतीं.. पर वो समझ गई थी कि माँ मेरा लंड देख रही थीं।
चाय पीने के बाद मैंने जानबूझ कर अपना लंड हाथ से पकड़ कर.. जिससे दीदी की जिज्ञासा बढ़ जाए.. माँ से कहा- मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ..
तो माँ दीदी की तरफ देख कर बोलीं- हाँ.. चल मुझे भी पेशाब लगी है और बाथरूम में आकर मैं देख भी लूँगी..
फिर उसके बाद कुछ नहीं हुआ.. इस तरह 2-3 दिन बीत गए और हम लोग इसी तरह दीदी को उत्तेजित करते रहे। एक दिन दोपहर में खाना खाने के बाद प्लान के मुताबिक मैं कमरे में आकर लुँगी से अपना लंड बाहर निकाल कर सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर में माँ भी आ गईं और अलमारी खोल कर वहीं ज़मीन पर बैठ गईं और कपड़े सही करने लगीं। थोड़ी देर में दीदी कमरे में आईं और माँ के पास ही बैठ गईं और बातें करने लगीं।
तभी दीदी की नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी तो वो चौंक कर माँ से बोली- माँ देखो.. भाई कैसे सो रहा है और उसके सूसू पे क्या हुआ है?
तो माँ ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- हाँ.. उसकी सूसू में रगड़ लगने की वजह से छिल गया है.. मैंने ही क्रीम लगा कर खुला रखने को कहा है।
तो दीदी बोली- वहाँ पर कैसे रगड़ लग गई.. जो इतना छिल गया?
तो माँ हँसते हुए बोलीं- मुझे क्या पता..?
तो दीदी भी हँसते हुए बोली- अच्छा तो.. इसने ज़रूर वो ही किया होगा। माँ बोलीं- अच्छा.. तुझे कैसे पता.. तू भी वही करती है क्या?
तो दीदी हँसने लगीं.. । तभी दीदी की नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी तो वो चौंक कर माँ से बोली- माँ देखो.. भाई कैसे सो रहा है और उसके सूसू पे क्या हुआ है?
तो माँ ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- हाँ.. उसकी सूसू में रगड़ लगने की वजह से छिल गया है.. मैंने ही क्रीम लगा कर खुला रखने को कहा है।
तो दीदी बोली- वहाँ पर कैसे रगड़ लग गई.. जो इतना छिल गया?
तो माँ हँसते हुए बोलीं- मुझे क्या पता..?
तो दीदी भी हँसते हुए बोली- अच्छा तो.. इसने ज़रूर वो ही किया होगा। माँ बोलीं- अच्छा.. तुझे कैसे पता.. तू भी वही करती है क्या?
तो दीदी हँसने लगीं.. ।
तभी प्लान के मुताबिक माँ ने अपनी नाईटी हल्का सा खींच कर अपनी बुर खुजलाने लगीं और ऐसे बैठ गईं कि दीदी को उनकी बुर दिखाई दे।
माँ की बुर पर नज़र पड़ते ही दीदी बोलीं- माँ तुमने मेरी बाल साफ़ करने वाली क्रीम लगाई है क्या?
तो माँ बोलीं- तुझे कैसे पता?
दीदी ने कहा- तुम्हारी चिकनी बुर दिखाई दे रही है।
तो माँ झुक कर अपनी बुर देखने का बहाना करते हुए बोलीं- हाँ.. लगाई है.. उसमें ज़रा सी तो बची थी।
तो दीदी माँ की बुर की ओर इशारा करके हँसते हुए बोली- वो ज़रा सी थी..? मेरी पूरी क्रीम एक बार में खत्म कर दी.. अपनी बुर का साइज़ तो देखो.. इतनी बड़ी बुर है कि पूरी की पूरी एक बार में ही खत्म हो जाए और ऊपर से शीशे में देख कर फैला-फैला कर लगाती हो।
तो माँ भी हँसते हुए बोलीं- अच्छा तो सिर्फ़ मेरी ही बड़ी है.. तेरी तो इसी उम्र में इतनी फैल गई है.. जितनी मेरी तेरे पैदा होने के बाद फैली थी और तू तो रोज लगाती है.. तो खत्म नहीं होगी।
दीदी की चड्डी की ओर जो स्कर्ट से दिखाई पर रही थी.. इशारा करते हुए बोलीं।
तो दीदी ने कहा- नहीं.. मैंने नहीं लगाई है.. मैं ढूँढ रही थी.. पर मिली नहीं।
तो माँ ने कहा- मैं मान ही नहीं सकती।
अब दीदी भी मस्ती में भर कर अपनी चड्डी को साइड से हल्का सा खींच कर अपनी बुर माँ को दिखाते हुए बोली- नहीं लगाई.. ये देखो अभी मेरी बुर तुम्हारे जितनी चिकनी नहीं है.. 10-12 दिन हो गए है.. बाल साफ़ किए हुए।
ये सारी बातें सुन कर मेरा लंड पूरा 6-7 इंच का होकर तन गया और झटके लेने लगा।
तभी मुझे दीदी की आवाज़ सुनाई पड़ी, “वो देखो भाई का लंड कैसा हो गया है.. लग रहा है कि सपने में कुछ कर रहा है।”
तो माँ हँसने लगीं और कपड़े लेकर पलंग पर बैठ गईं तो दीदी भी साथ में पलंग पर आ गईं।
मैंने हाथ को अपने चेहरे पर इस तरह रखा था कि वो दोनों मुझे दिखाई दे रहे थे.. पर उन्हें मैं सोता हुआ लग रहा था।
मैंने देखा कि दीदी की निगाहें मेरे लंड पर टिकी हुई थीं.. तो मैं अपने लंड को और झटके देने की कोशिश करने लगा।
तभी माँ दीदी से बोलीं- ज़रा तौलिया देना.. और कहते हुए अपनी नाईटी को कमर तक उठाते हुए अपनी बुर खोल दी।
माँ दीदी को पूरी तरह गरम करना चाहती थीं और यही हमारा प्लान था। माँ खुद भी गरम हो गई थीं और उनकी बुर से पानी निकलने लगा था। शायद यही हाल दीदी का भी था.. तौलिया लेते ही माँ दीदी को दिखाते हुए अपनी बुर की पुत्तियों को हाथों से फैला कर पौंछने लगीं.. उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं।
तभी दीदी ने माँ से कहा- माँ मुझे भी देना..।
तो माँ ने पूछा- क्यों तेरी बुर भी पानी छोड़ रही है क्या?
तो दीदी ने कहा- हाँ.. मेरी भी चड्डी गीली हो गई है।
माँ अपनी बुर पौंछने के बाद दीदी को तौलिया देते हुए बोलीं- तूने तो फालतू में ही चड्डी पहन रखी है.. उतार क्यों नहीं देती.. देख पूरी गीली हो गई है.. कोई बाहरी थोड़े ही है यहाँ पर.. और फिर तू तो मेरे सामने कई बार नंगी हो चुकी है।
तो दीदी मेरी ओर इशारा करने लगी। माँ बोलीं- ये बेचारा तो वैसे ही परेशान है और ये भी तो नंगा ही है और तुझसे छोटा ही है.. इससे कैसी शरम.. चल उतार दे.. गीली चड्डी नहीं पहनते।
ये कह कर माँ अपनी नाईटी उतारने लगीं।
ये देख कर दीदी भी जो अब तक मेरी वजह से शर्मा रही थी.. माँ का इशारा पाकर तुरंत अपनी टी-शर्ट.. स्कर्ट और चड्डी उतार कर नंगी हो गई।
दीदी की चूचियाँ माँ जितनी बड़ी तो नहीं थीं.. पर काफ़ी सुडौल थीं। उसकी बुर पर छोटे-छोटे बाल थे और बुर भी फूली हुई थी.. पर उसकी पुत्तियाँ माँ जितनी बड़ी नहीं थीं.. वहाँ पर हम तीनों ही नंगे थे।
पूरे पलंग पर बुर के पानी की खुश्बू फैल गई थी। तभी माँ ने मेरे लंड को हाथों में लेते हुए कहा- ज़रा देखूं तो अभी रगड़ सूखी या नहीं..।
वो मेरे सुपारे को घुमा कर चारों तरफ से देखने लगीं।
दीदी भी मेरी तरफ खिसक आई थी और उसकी भी साँसें माँ की तरह तेज़ चल रही थीं।
माँ ने जानबूझ कर दीदी की तरफ अपनी कमर करके जाँघों को पूरा खोल दिया.. जिससे उनकी बुर पूरी तरह खुल गई और उसकी पुत्तियाँ बाहर निकल कर लटक गईं।
माँ धीरे-धीरे मेरे सुपारे को सहला रही थीं.. दीदी मेरे सुपारे को बड़े ध्यान से देख रही थी और गरम हो गई थी। अब वो माँ के सामने ही अपनी बुर रगड़ने लगी।
ये देख कर माँ दीदी को चुदाई के लिए तैयार करने के लिए हँसते हुए बोलीं- क्या हुआ.. लग रहा है लंड देख कर तेरी बुर ज्यादा पानी छोड़ रही है.. अभी तेरी बुर का छेद छोटा है.. इतना मोटा सुपारा उसमे फँस जाएगा और तेरी बुर फट जाएगी.. कोई बात नहीं.. तू ऊँगली करके पानी निकाल दे।
ये सुन कर दीदी और गरम हो गई और एकदम खुल कर माँ से बोली- अच्छा.. तो क्या सिर्फ़ तुम्हारी बुर का छेद ही इसके साइज़ का है.. लंड दिख गया.. तो तुम्हारी बुर फड़कने लगी नहीं.. तो हमेशा ऊँगली करती रहती थीं और मेरी चूत का छेद इतना भी छोटा नहीं है.. ये देखो..।
और ये कह कर अपनी बुर को हाथों से फैला कर माँ को अपना लाल-लाल छेद दिखाने लगी और वो दोनों हँसने लगे।
हम सब इतने उत्तेजित थे कि किसी को कुछ भी होश नहीं था।
सिर्फ़ लंड और बुर दिखाई दे रहा था। तभी मैंने सही समय सोच कर उठने का नाटक करते हुए अपनी आँखें खोल दीं और उठने का नाटक करते हुए बैठ गया।
मेरे उठते ही माँ ने पूछा- अरे उठ गया बेटा.. अब दर्द तो नहीं हो रहा है। मैंने कहा- नहीं.. पर मुझे पेशाब लगी है।
और ये कह कर बिना दीदी की तरफ देखे.. बाथरूम जाने लगा।
तो माँ बोलीं- मुझे भी पेशाब लगी है.. रुक मैं भी चलती हूँ।
वो मेरे साथ आ गईं.. बाथरूम पहुँच कर हम दोनों साथ-साथ मूतने लगे।
माँ की बुर से तेज़ सीटियों जैसी आवाज़ निकल रही थी।
हम अभी शुरू ही हुए थे कि दीदी भी आ गईं।
उसे देख कर माँ ने पूछा- क्या हुआ? तो दीदी ने कहा- मुझे भी पेशाब लगी है।
तो माँ ने हँसते हुए कहा- अच्छा बैठ जा.. लगता है तेरी बुर लंड के लिए ज्यादा खुजली मचा रही है।
वो हम दोनों के सामने ही बैठ गई.. बैठने पर उसकी जाँघें फैल गईं.. जिससे उसकी बुर की फाँकें पूरा फैल गईं और बुर के लाल-लाल छेद से निकलते हुए पेशाब की धार को देख कर मेरा लंड और तन गया।
दीदी भी मेरे लंड से पेशाब की धार निकलते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी।
तो माँ ने मौका देख कर मुझसे पूछा- अब सुपारे पर पेशाब लगने से कल की तरह जलन तो नहीं हो रही है?
तो मैंने कहा- नहीं..।
तब तक माँ पेशाब कर चुकी थीं और मैं भी और दीदी के मूतने का इन्तजार करने लगे।
जब दीदी मूत कर खड़ी हुईं तो हम सब कमरे में आ गए।
मेरा लंड अभी भी एकदम खड़ा था।
माँ पलंग पर टेक लगा कर बैठ गईं और मुझे अपने पास बैठा लिया।
दीदी भी हम दोनों के सामने बैठ गई। फिर माँ मेरे सुपारे को हाथ में लेकर बोलीं- ठीक है.. अब कुछ दिन तक रगड़ना-वगड़ना नहीं.. लंड खड़ा होता है तो कोई बात नहीं… थोड़ी देर लंड को सहलाएगा तो ठीक हो जाएगा..। “लेकिन माँ ज्यादा तनने के कारण मेरे लंड में अब बहुत खुजली हो रही है।” मैंने लंड माँ की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
तो माँ बोलीं- ठीक है.. मैं इसका पानी झाड़ देती हूँ.. फिर ये थोड़ा नरम हो जाएगा.. नहीं तो चमड़ा खिंचने से और दर्द होगा।
मैंने कहा- क्या.. अभी तो माँ मेरे चूतड़ पर हाथ रख कर अपनी तरफ करते हुए लंड को दूसरे हाथ में लेकर बोलीं- तो क्या हुआ.. मेरे सामने कैसी शरम और अब तो दीदी के सामने भी शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है। दीदी भी हम दोनों के सामने बैठ गई। फिर माँ मेरे सुपारे को हाथ में लेकर बोलीं- ठीक है.. अब कुछ दिन तक रगड़ना-वगड़ना नहीं.. लंड खड़ा होता है तो कोई बात नहीं… थोड़ी देर लंड को सहलाएगा तो ठीक हो जाएगा..। “लेकिन माँ ज्यादा तनने के कारण मेरे लंड में अब बहुत खुजली हो रही है।” मैंने लंड माँ की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
तो माँ बोलीं- ठीक है.. मैं इसका पानी झाड़ देती हूँ.. फिर ये थोड़ा नरम हो जाएगा.. नहीं तो चमड़ा खिंचने से और दर्द होगा।
मैंने कहा- क्या.. अभी तो माँ मेरे चूतड़ पर हाथ रख कर अपनी तरफ करते हुए लंड को दूसरे हाथ में लेकर बोलीं- तो क्या हुआ.. मेरे सामने कैसी शरम और अब तो दीदी के सामने भी शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है।
ये बात माँ ने उत्तेजित होकर मुझे दीदी की बुर दिखाते हुए कहा- ये देख वीनू की बुर का छेद तो लंड लेने के लिए खुद ही खुला हुआ है..।
फिर मैं पलंग पर लेट गया.. माँ मेरे कमर के पास बैठी थीं और मेरा सर दीदी की जांघों के पास था.. जिससे दीदी की बुर की फैली हुई फांकें अब मुझे एकदम नज़दीक से दिखाई दे रही थीं।
माँ दीदी से बोलीं- ज़रा गरी का तेल देना।
दीदी ने तेल दिया।
फिर माँ ने तेल हाथ में लगा कर मेरे सुपारे पर लगाया और मेरे लवड़े की मुठ मारने लगीं और मैं अपने एक हाथ से माँ की बुर के छेद में धीरे-धीरे ऊँगली करने लगा।
माँ और दीदी बहुत ज़्यादा उत्तेजित थीं जिससे उनकी बुर और गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था।
तभी दीदी अपनी बुर में अपनी ऊँगलियाँ डालते हुए माँ से बोली- माँ हाथ से ऐसे पकड़ कर करोगी तो लंड में फिर घाव हो जाएगा।
माँ भी सर हिलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही है.. पर क्या करूँ इसको झाड़ना तो पड़ेगा ना..।
तो दीदी जो एकदम गरम हो गई थी.. अपनी बुर दिखाते हुए माँ को इशारा करके बोली- ऐसे करो ना..।
तो माँ अपनी बुर को फैलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही.. मैं इसके लंड पर बैठ कर इसका लंड अपनी बुर में डाल लेती हूँ और ऊपर-नीचे करती हूँ.. मेरी बुर में लंड जाते ही झड़ जाएगा.. पर चुदाई में मेरी इन बड़ी-बड़ी पुत्तियों से रगड़ कर कहीं फिर से छिल ना जाए?
एक काम करती हूँ.. इसका सुपारा मुँह में लेकर हल्के-हल्के से चूस कर झाड़ देती हूँ।
ये कह कर तुरंत अपने चूतड़ दीदी की तरफ उठाते हुए मेरे लंड पर झुक गईं और लंड चूसने लगीं।
लेकिन मैंने अपनी ऊँगली माँ की बुर से नहीं निकाली और दूसरे हाथ से बुर की पुत्तियों को फैलाते हुए और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी ये देख कर दीदी ने भी अपना कंट्रोल शायद खो दिया और झुक कर माँ के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर माँ की चूतड़.. गाण्ड और बुर का छेद चाटने लगी।
जैसे ही दीदी ने माँ की 4 इंच लंबी और 2 इंच चौड़ी पुत्तियों को अपने मुँह ले लिया।
माँ ने भी अपनी जाँघों को और फैला दिया और उसके मुँह पर अपनी बुर को दबाते हुए मेरे लौड़े को चूसने लगीं।
मैं भी इसी इंतजार में था और अपनी ऊँगलियाँ माँ की बुर से निकाल कर दीदी के चूतड़ जो मेरी तरफ थे, अपने हाथ से फैला कर उसकी गाण्ड और बुर में ऊँगली डाल कर चोदने लगा।
दीदी भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी बुर में ऊँगली डलवा रही थी कि मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने माँ से कहा- माँ एक काम करो.. तुम थोड़ा सा आगे बढ़ जाओ.. जिससे दीदी मेरे और तुम्हारे बीच में आ जाएगी.. फिर तुम मेरे लंड को चूसना.. दीदी तुम्हारी बुर चाटेगी और मैं दीदी की बुर चाटूंगा।
तो माँ और दीदी तुरंत उसी तरह लेट गईं और फिर हम तीनों एक-दूसरे की बुर और गाण्ड चाटने लगे।
मैंने अपनी एक ऊँगली दीदी की गाण्ड में थूक लगा कर डाल दीं और उसकी बुर को मुँह में भर लिया।
कुछ ही देर में मैं अपना लंड माँ के मुँह में और अन्दर घुसाते हुए दीदी की बुर को पूरा मुँह भर कर चाटते हुए झड़ गया।
माँ दीदी को दिखाते हुए मेरे पूरे वीर्य को जीभ से चाट कर पीने लगीं।
जब उसने मेरा लंड पूरा सुखा दिया.. तो सीधी होकर आराम से लेट गईं और दीदी से अपनी बुर चटवाने लगीं और फिर झड़ कर शांत हो गईं।
इधर मैंने भी दीदी की बुर चाट कर उसे झाड़ दिया था।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हम तीनों उठ कर बैठ गए।
मेरा लंड उस समय सिकुड़ा हुआ था तो दीदी माँ को मेरा लंड दिखाते हुए बोली- अरे वाहह.. माँ तुम्हारा ये चूसने वाला तरीका तो ज्यादा बढ़िया था.. भाई को झाड़ भी दिया और लंड पर भी कुछ नहीं हुआ।
माँ बोलीं- हाँ.. पर तूने तो आज कमाल कर दिया.. ओह क्या बुर चाटी है..।
तो दीदी बोली- हाँ.. माँ मुझे भी अच्छा लगा।
माँ बोलीं- चल अच्छा है.. अब जब इसका लंड थोड़ा ठीक हो जाए.. तो तुझे भी इसे अपनी बुर में लेने में
मज़ा आएगा.. तब तक अपना छेद फैला ले।
ये कह कर माँ ने मुझे आँख मारी.. तो हम तीनों हँसने लगे और हम लोग इसी तरह थोड़ी देर तक आपस में हँसी-मज़ाक करते रहे और चाय पी.. पर दीदी की बुर देख-देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और झटके लेने लगा.. तो मैं अपना लंड हाथ में लेकर दीदी और माँ को दिखाते हुए धीमे-धीमे मुठ मारने लगा।
ये देख कर दीदी माँ से बोली- माँ देखो भाई का लंड फिर से फूल गया है.. लगता है इसका फिर से झड़ने का मान कर रहा है।
तो माँ बोलीं- मैं तो अब थक गई.. हाँ.. तुम दोनों को जो करना है.. करो मैं सिर्फ़ लेट कर देखूँगी।
ये कह कर माँ लेट गईं.. उसकी कमर मेरी तरफ थी और जाँघें फैली हुई थीं जिससे उसकी मेरी दोनों हथेलियों जितनी बड़ी और चिकनी बुर एकदम खुल गई थी और उसकी लंबी और चौड़ी पुत्तियाँ बाहर निकल कर लटकी हुई थीं।
ये देख कर मैं अपने एक हाथ से उन्हें मसलने लगा… ये देख कर दीदी जो बड़ी ललचाई नज़रों से मेरे लंड को देख रही थीं.. झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।
ओह क्या मस्त लग रहा था.. दीदी गपागप मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसे जा रही थी.. और मैं भी अपनी ऊँगलियां माँ की बुर में तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
माँ भी धीरे-धीरे अपनी कमर ऊपर उछाल कर चुदवा रही थीं और खूब ज़ोर से हिलते हुए झड़ गईं।
तभी मैं अपना लंड दीदी के मुँह में अन्दर तक घुसड़ेते हुए झड़ गया।
दीदी भी मेरे लंड का पानी पूरा चाट गई.. फिर हम सब थक कर सो गए। अब ये हमारे घर का नियम बन गया था और हम तीनों जन हर काम साथ-साथ करते.. बाथरूम साथ जाते.. कोई लेट्रीन करता.. कोई मंजन करता.. कोई नहाता.. कभी-कभी हम सब एक-दूसरे को अपने हाथों से ये काम करवाते। मंजन करते और नहलाते और जब मौका मिलता अपनी बुर और लंड एक-दूसरे में घुसाए रहते।
तो दोस्तों ये थी हमारे घर की सच्चाई।

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator