FUN-MAZA-MASTI
एक बार मौका तो दे, फिर देख
सभी पाठकों को मेरा प्रणाम…
मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ीं, जिनमें से कुछ सही और कुछ काल्पनिक थीं।
तो आज मैं आप सबके सामने अपनी एक सच्ची कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।
मेरा नाम अभिनव है, और मैं मेकेनिकल इंजिनियरिंग के दूसरे वर्ष में हूँ।
आपका ज़्यादा समय ना लेते हुए, मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
तो दोस्तो, बात उन दिनों की हैं, जब मैं अंबाला के इंजिनियरिंग कॉलेज में नया-नया आया था।
मेकॅनिकल ब्रांच होने के कारण हमारी क्लास में कोई लड़की नहीं थी, जिस कारण हमारा ध्यान अक्सर एलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और आर्किटेक्चर ब्रांच की लड़कियों पर लगा रहता था।
इनमें से कुछ लड़कियाँ मुझे भाव भी देती थीं, उसमें से अदा (बदला हुआ नाम) मुझे सब से ज़्यादा पसंद थी।
गोरा रंग, कसा हुआ बदन, ३४-२८-३६ का फिगर लिए जब वो निकलती थी, पता नहीं कितने लड़को के पैंट तंबू में तब्दील हो जाते थे।
एक बार जब मैं बलदेव नगर (मार्केट) से कुछ समान लेने जा रहा था, तो देखता हूँ की ऑटो में वो पहले से ही बैठी थी, बगल वाली सीट खाली होने के कारण मैं उस पर जा कर बैठ गया।
उस दिन पहली बार हमारी बात हुई।
उसके बाद हम कॉलेज में अक्सर मिलने लगे और जल्द ही हमारे फोन नंबर भी एक्सचेंज हो गए।
एक दिन बातों-बातों में मैंने उसे मूवी देखने का ऑफर दिया, उसने भी ज़्यादा ना-नुकुर नहीं करते हुए हामी भर दी और तैयार हो गई चलने के लिए।
जब वो तैयार होकर आई, उफ़!!! क्या लग रही थी, लाल रंग के स्लीवलेस टॉप में और घुटने से थोड़े नीचे तक के गहरे नीले रंग के शॉर्ट्स, नाइकी की सैंडल तो उसके पैर की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे।
उस दिन हमने अंबाला के गेलेक्सी मॉल मे बॉडीगार्ड देखी और शाम को वापस आ गए।
आते समय थोड़ा अंधेरा भी हो गया था और ऑटो पूरा भरा होने के कारण हमें चिपक कर बैठना पड़ा।
शुरू में तो मैं अपने आप को बहुत संभाल रहा था लेकिन वो बार-बार मुझ से टकरा रही थी और कोहिनी टच कर रही थी।
फिर मेरे मन में भी खुराफात हुई और मैंने उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा।
उसने कुछ हरकत नहीं की तो मैं भी उसका इशारा समझ गया और धीरे से अपने दूसरे हाथ की कोहिनी से उसके चुचे टच करने लगा।
ऑटो में लोग होने के कारण हम ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए, जल्द ही हमारा स्टॉप आ गया और हम उतर गए।
स्टॉप से हमारा होस्टल थोड़ी दूरी पर है। होस्टल जाने के दो रास्ते हैं, एक रोड से और दूसरा खेतों से जो की शॉर्टकट है।
हम शॉर्टकट वाले रास्ते की तरफ चलने लगे, जैसे ही हम थोड़ा अंदर आए, जहाँ से हाइवे नहीं दिख रहा था, मैंने उसे पकड़ लिया और किस करने लगा।
उसने थोड़ी-बहुत छुड़ाने की कोशिश की पर जल्द ही मेरा साथ देने लगी।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसको किस करता रहा और फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और ऊपर से ही उसके चुचे दबाने लगा।
अचनाक किसी के आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हमने अपने आप को संभाला और होस्टल की तरफ बढ़ने लगे।
हम दोनों अब एक-दूसरे से आँख नहीं मिला रहे थे।
जल्द ही हम होस्टल पहुँच गए और इस बारे में मैंने किसी से कोई ज़िक्र नहीं किया।
अगले दिन छठे पीरियड की`घंटी में उसका कॉल आया और उसने बोला कि मन नहीं लग रहा है आज क्लास में, कहीं बाहर चलते हैं। मैं तुरंत तैयार हो गया।
हम उस दिन सादोपुर गाँव की तरफ चले गए, थोड़ी दूर जाने के बाद रोड के दोनो तरफ खेत आ गए थे और खेतों मे धान की फसल काफ़ी बड़ी-बड़ी थी।
वो कहने लगी – चलो, खेत में घूमते हैं, ओर खेत की तरफ चलने लगी।
मैं भी उसके पीछे हो चला।
थोड़ा आगे जाने के बाद रोड दिखना बंद हो गया पर वो फिर भी आगे चली जा रही थी और मैं भी मासूमियत से उसके पीछे बिना कुछ बोले चला जा रहा था।
अचानक वो रुकी और बोली – तुम्हारे बस की कुछ नहीं है और नाराज़ हो गई।
मैनें उसको पकड़ा और ज़ोर से किस करने लगा और बोला – एक बार मौका तो दे, फिर देख।
वो भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी। धीरे-धीरे मैं उसके होंठों से नीचे की तरफ आया और उसके चुचक दबाना शुरू कर दिया।
वो अपना हाथ मेरी पीठ पर फिरा रही थी और नाख़ून भी गड़ा रही थी।
फिर मैंने उसका सफेद कमीज़ उतार दिया और उसकी सफेद रंग की ब्रा भी उतार फेंका।
ब्रा उतारते ही मैं रुक गया क्योंकि ऐसे चुचे मैनें आज तक किसी के नहीं देखे थे।
क्या चुचे थे उसके, मन कर रहा था अभी इसके चुचे चबा जाऊं।
लेकिन मैं इस पल को खोना नहीं चाहता था इसलिए अपने अंदर के शैतान को दबाया और प्यार से उसकी चुचियों को मसलने और चूसने लगा और बीच-बीच में मैं उसके चुचक को हल्का सा काट लेता ओर वो सिहर जाती।
अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और वो मुझे अपने चुचों में घुसने लगी।
फिर मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसके पेट पर चूमने लगा।
अब मैंने उसके पेट को थोड़ा सा काटा और सलवार के ऊपर से ही उसकी मुनिया पर हाथ रख दिया और मसलने लगा।
उसकी मुनिया थोड़ी उभरी सी लग रही थी और गर्म भी।
मैंने फिर उसकी सलवार खोलने की कोशिश की लेकिन कमर टाइट होने के कारण वो उतर नहीं रही थी, फिर उसी ने अपने हाथ से सलवार को उतार दिया।
लाल रंग की पैंटी में वो क्या गज़ब की लग रही थी, आज तक मैंने ऐसा फिगर कभी अपनी आँखों से नहीं देखा था।
क्या सेक्सी टाँगें थी उसकी। मन कर रहा था एक-एक करके उसका पूरा बदन खा जाऊं।
मैं अब तक अपना कंट्रोल खो चुका था। जल्दबाज़ी में मैंने उसकी पैंटी फाड़ दी और उसकी मुनिया को निहारने लगा।
क्या पीस था यार, आज तक मुझे कभी इतनी प्यारी फुददी नसीब नहीं हुई थी, हल्के-हल्के भूरे रोएँ में से झाँकती गुलाबी-गुलाबी रंग की चूत।
शायद अभी तक उसने अपने झांटे नहीं काटी थी।
इतने कमाल की मुनिया के बारे में, बस सपने में सोचता था पर आज वो मेरे सामने थी।
अब मैंने उसकी मुनिया पर किस किया और वो शर्मा के सिहर गई।
मैंने पूछा – अदा, अब तो कुछ नहीं कहोगी ना?
अदा बोली – अभी तो बहुत कुछ बचा है।
अब बर्दाश्त नहीं होता, अभिनव।
मैंने बोला – मैं भी तेरे पीछे कब से पड़ा था, सच में तेरे जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी।
वो इतराते हुए बोली – चल झूठा।
मैं झट से उसकी गुलाबी रंग की चूत को चाटने लगा, उसकी सिसकारियाँ अब तेज हो गई थी।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसको ऐसे ही चाटता रहा और बीच-बीच में अपनी उंगली उसकी चूत के होंठों में घुसा देता और वो मेरा सिर अपनी चूत में दबा लेती।
पाँच मिनट बाद वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेने लगी ओर मुझे अपने अंदर समा लिया।
मैं समझ गया कि वो झरने वाली है, अब मैं और तेज़ी से उसकी चूत चाटने लगा।
कुछ ही देर में वो तेज़ी के साथ झड़ गई। मैं भी उसका सारा रस पी गया।
फिर मैं उठा, अब उसकी बारी थी।
वो भी किसी खिलाड़ी से कम नहीं थी, बिना देरी करते हुए उसने मेरी बेल्ट खोली और पैंट उतरा, लेकिन उतारने में उसे दिक्कत आ रही थी क्योंकि मेरा टॉवर खड़ा था।
मैंने अपना लण्ड झुकाया और उसने पैंट खींच के उतार फेंकी और ज़रा भी देरी ना करते हुए, चड्डी भी उतार फेंकी और लण्ड को पकड़ लिया।
वो हैरानी से मेरे लण्ड को देख रही थी। शायद उसने इससे पहले इतना लंबा लण्ड कभी नहीं देखा था।
फिर वो लण्ड को चूसने लगी, दस मिनट में मैं झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
वो उठी और बोली – मज़ा आ गया अभिनव, तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही बड़ा है।
उसके मुँह से लण्ड सुनते ही में और जोश में आ गया और बोला – बेफिकर रह, आज ये तेरा है।
फिर मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत के ऊपर अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
वो अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे लण्ड को अपने अंदर सामने की पूरी कोशिश कर रही थी।
मैंने भी देरी ना करते हुए एक ज़ोर का झटका लगाया लेकिन लण्ड का सुपाड़ा ही अंदर गया था की उसकी चीख ने मुझे डरा दिया।
मैंने झट से उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और लगातार चूसने लगा।
फिर एक और ज़ोर का झटका लगाया, इस बार मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ और वो तो बुरी तरीके से काँप गई और उसकी आँखो में आँसू आ गए।
मैं रुका और उसे चूसता रहा।
अब वो भी तैयार हो गई और मेरे होंठ चूसने लगी।
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए और वो भी मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी देर उसे ऐसे ही चोदता रहा, फिर अचानक से पूरे ज़ोर का एक और धक्का लगाया और पूरा लण्ड अंदर घुसा दिया।
उसने ज़ोर से मुझे पकड़ लिया और हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं लगातार उसे चोदता रहा, जल्द ही वो भी सिसकारियाँ भरने लगी और अपनी कमर उठा-उठा के साथ देने लगी।
३० मिनट में वो ३ बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ? – मैंने पूछा।
उसने बोला – बेफिकर रहो, अभी मैं सेफ हूँ… अंदर ही झड़ जाओ।
मैंने अपनी गति और बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा और २ मिनट में, मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
आधे घंटे तक हम ऐसे ही रहे, फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और वापस कॉलेज आने लगे।
उसे चलने में दिक्कत आ रही थी।
मैंने उसे थोड़ी दूर तक सहारा दिया और इसी बहाने उसकी गाण्ड को खूब दबाया।
एक बार मौका तो दे, फिर देख
सभी पाठकों को मेरा प्रणाम…
मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ीं, जिनमें से कुछ सही और कुछ काल्पनिक थीं।
तो आज मैं आप सबके सामने अपनी एक सच्ची कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।
मेरा नाम अभिनव है, और मैं मेकेनिकल इंजिनियरिंग के दूसरे वर्ष में हूँ।
आपका ज़्यादा समय ना लेते हुए, मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
तो दोस्तो, बात उन दिनों की हैं, जब मैं अंबाला के इंजिनियरिंग कॉलेज में नया-नया आया था।
मेकॅनिकल ब्रांच होने के कारण हमारी क्लास में कोई लड़की नहीं थी, जिस कारण हमारा ध्यान अक्सर एलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और आर्किटेक्चर ब्रांच की लड़कियों पर लगा रहता था।
इनमें से कुछ लड़कियाँ मुझे भाव भी देती थीं, उसमें से अदा (बदला हुआ नाम) मुझे सब से ज़्यादा पसंद थी।
गोरा रंग, कसा हुआ बदन, ३४-२८-३६ का फिगर लिए जब वो निकलती थी, पता नहीं कितने लड़को के पैंट तंबू में तब्दील हो जाते थे।
एक बार जब मैं बलदेव नगर (मार्केट) से कुछ समान लेने जा रहा था, तो देखता हूँ की ऑटो में वो पहले से ही बैठी थी, बगल वाली सीट खाली होने के कारण मैं उस पर जा कर बैठ गया।
उस दिन पहली बार हमारी बात हुई।
उसके बाद हम कॉलेज में अक्सर मिलने लगे और जल्द ही हमारे फोन नंबर भी एक्सचेंज हो गए।
एक दिन बातों-बातों में मैंने उसे मूवी देखने का ऑफर दिया, उसने भी ज़्यादा ना-नुकुर नहीं करते हुए हामी भर दी और तैयार हो गई चलने के लिए।
जब वो तैयार होकर आई, उफ़!!! क्या लग रही थी, लाल रंग के स्लीवलेस टॉप में और घुटने से थोड़े नीचे तक के गहरे नीले रंग के शॉर्ट्स, नाइकी की सैंडल तो उसके पैर की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे।
उस दिन हमने अंबाला के गेलेक्सी मॉल मे बॉडीगार्ड देखी और शाम को वापस आ गए।
आते समय थोड़ा अंधेरा भी हो गया था और ऑटो पूरा भरा होने के कारण हमें चिपक कर बैठना पड़ा।
शुरू में तो मैं अपने आप को बहुत संभाल रहा था लेकिन वो बार-बार मुझ से टकरा रही थी और कोहिनी टच कर रही थी।
फिर मेरे मन में भी खुराफात हुई और मैंने उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा।
उसने कुछ हरकत नहीं की तो मैं भी उसका इशारा समझ गया और धीरे से अपने दूसरे हाथ की कोहिनी से उसके चुचे टच करने लगा।
ऑटो में लोग होने के कारण हम ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए, जल्द ही हमारा स्टॉप आ गया और हम उतर गए।
स्टॉप से हमारा होस्टल थोड़ी दूरी पर है। होस्टल जाने के दो रास्ते हैं, एक रोड से और दूसरा खेतों से जो की शॉर्टकट है।
हम शॉर्टकट वाले रास्ते की तरफ चलने लगे, जैसे ही हम थोड़ा अंदर आए, जहाँ से हाइवे नहीं दिख रहा था, मैंने उसे पकड़ लिया और किस करने लगा।
उसने थोड़ी-बहुत छुड़ाने की कोशिश की पर जल्द ही मेरा साथ देने लगी।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसको किस करता रहा और फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और ऊपर से ही उसके चुचे दबाने लगा।
अचनाक किसी के आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हमने अपने आप को संभाला और होस्टल की तरफ बढ़ने लगे।
हम दोनों अब एक-दूसरे से आँख नहीं मिला रहे थे।
जल्द ही हम होस्टल पहुँच गए और इस बारे में मैंने किसी से कोई ज़िक्र नहीं किया।
अगले दिन छठे पीरियड की`घंटी में उसका कॉल आया और उसने बोला कि मन नहीं लग रहा है आज क्लास में, कहीं बाहर चलते हैं। मैं तुरंत तैयार हो गया।
हम उस दिन सादोपुर गाँव की तरफ चले गए, थोड़ी दूर जाने के बाद रोड के दोनो तरफ खेत आ गए थे और खेतों मे धान की फसल काफ़ी बड़ी-बड़ी थी।
वो कहने लगी – चलो, खेत में घूमते हैं, ओर खेत की तरफ चलने लगी।
मैं भी उसके पीछे हो चला।
थोड़ा आगे जाने के बाद रोड दिखना बंद हो गया पर वो फिर भी आगे चली जा रही थी और मैं भी मासूमियत से उसके पीछे बिना कुछ बोले चला जा रहा था।
अचानक वो रुकी और बोली – तुम्हारे बस की कुछ नहीं है और नाराज़ हो गई।
मैनें उसको पकड़ा और ज़ोर से किस करने लगा और बोला – एक बार मौका तो दे, फिर देख।
वो भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी। धीरे-धीरे मैं उसके होंठों से नीचे की तरफ आया और उसके चुचक दबाना शुरू कर दिया।
वो अपना हाथ मेरी पीठ पर फिरा रही थी और नाख़ून भी गड़ा रही थी।
फिर मैंने उसका सफेद कमीज़ उतार दिया और उसकी सफेद रंग की ब्रा भी उतार फेंका।
ब्रा उतारते ही मैं रुक गया क्योंकि ऐसे चुचे मैनें आज तक किसी के नहीं देखे थे।
क्या चुचे थे उसके, मन कर रहा था अभी इसके चुचे चबा जाऊं।
लेकिन मैं इस पल को खोना नहीं चाहता था इसलिए अपने अंदर के शैतान को दबाया और प्यार से उसकी चुचियों को मसलने और चूसने लगा और बीच-बीच में मैं उसके चुचक को हल्का सा काट लेता ओर वो सिहर जाती।
अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और वो मुझे अपने चुचों में घुसने लगी।
फिर मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसके पेट पर चूमने लगा।
अब मैंने उसके पेट को थोड़ा सा काटा और सलवार के ऊपर से ही उसकी मुनिया पर हाथ रख दिया और मसलने लगा।
उसकी मुनिया थोड़ी उभरी सी लग रही थी और गर्म भी।
मैंने फिर उसकी सलवार खोलने की कोशिश की लेकिन कमर टाइट होने के कारण वो उतर नहीं रही थी, फिर उसी ने अपने हाथ से सलवार को उतार दिया।
लाल रंग की पैंटी में वो क्या गज़ब की लग रही थी, आज तक मैंने ऐसा फिगर कभी अपनी आँखों से नहीं देखा था।
क्या सेक्सी टाँगें थी उसकी। मन कर रहा था एक-एक करके उसका पूरा बदन खा जाऊं।
मैं अब तक अपना कंट्रोल खो चुका था। जल्दबाज़ी में मैंने उसकी पैंटी फाड़ दी और उसकी मुनिया को निहारने लगा।
क्या पीस था यार, आज तक मुझे कभी इतनी प्यारी फुददी नसीब नहीं हुई थी, हल्के-हल्के भूरे रोएँ में से झाँकती गुलाबी-गुलाबी रंग की चूत।
शायद अभी तक उसने अपने झांटे नहीं काटी थी।
इतने कमाल की मुनिया के बारे में, बस सपने में सोचता था पर आज वो मेरे सामने थी।
अब मैंने उसकी मुनिया पर किस किया और वो शर्मा के सिहर गई।
मैंने पूछा – अदा, अब तो कुछ नहीं कहोगी ना?
अदा बोली – अभी तो बहुत कुछ बचा है।
अब बर्दाश्त नहीं होता, अभिनव।
मैंने बोला – मैं भी तेरे पीछे कब से पड़ा था, सच में तेरे जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी।
वो इतराते हुए बोली – चल झूठा।
मैं झट से उसकी गुलाबी रंग की चूत को चाटने लगा, उसकी सिसकारियाँ अब तेज हो गई थी।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसको ऐसे ही चाटता रहा और बीच-बीच में अपनी उंगली उसकी चूत के होंठों में घुसा देता और वो मेरा सिर अपनी चूत में दबा लेती।
पाँच मिनट बाद वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेने लगी ओर मुझे अपने अंदर समा लिया।
मैं समझ गया कि वो झरने वाली है, अब मैं और तेज़ी से उसकी चूत चाटने लगा।
कुछ ही देर में वो तेज़ी के साथ झड़ गई। मैं भी उसका सारा रस पी गया।
फिर मैं उठा, अब उसकी बारी थी।
वो भी किसी खिलाड़ी से कम नहीं थी, बिना देरी करते हुए उसने मेरी बेल्ट खोली और पैंट उतरा, लेकिन उतारने में उसे दिक्कत आ रही थी क्योंकि मेरा टॉवर खड़ा था।
मैंने अपना लण्ड झुकाया और उसने पैंट खींच के उतार फेंकी और ज़रा भी देरी ना करते हुए, चड्डी भी उतार फेंकी और लण्ड को पकड़ लिया।
वो हैरानी से मेरे लण्ड को देख रही थी। शायद उसने इससे पहले इतना लंबा लण्ड कभी नहीं देखा था।
फिर वो लण्ड को चूसने लगी, दस मिनट में मैं झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
वो उठी और बोली – मज़ा आ गया अभिनव, तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही बड़ा है।
उसके मुँह से लण्ड सुनते ही में और जोश में आ गया और बोला – बेफिकर रह, आज ये तेरा है।
फिर मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत के ऊपर अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
वो अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे लण्ड को अपने अंदर सामने की पूरी कोशिश कर रही थी।
मैंने भी देरी ना करते हुए एक ज़ोर का झटका लगाया लेकिन लण्ड का सुपाड़ा ही अंदर गया था की उसकी चीख ने मुझे डरा दिया।
मैंने झट से उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और लगातार चूसने लगा।
फिर एक और ज़ोर का झटका लगाया, इस बार मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ और वो तो बुरी तरीके से काँप गई और उसकी आँखो में आँसू आ गए।
मैं रुका और उसे चूसता रहा।
अब वो भी तैयार हो गई और मेरे होंठ चूसने लगी।
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए और वो भी मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी देर उसे ऐसे ही चोदता रहा, फिर अचानक से पूरे ज़ोर का एक और धक्का लगाया और पूरा लण्ड अंदर घुसा दिया।
उसने ज़ोर से मुझे पकड़ लिया और हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं लगातार उसे चोदता रहा, जल्द ही वो भी सिसकारियाँ भरने लगी और अपनी कमर उठा-उठा के साथ देने लगी।
३० मिनट में वो ३ बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ? – मैंने पूछा।
उसने बोला – बेफिकर रहो, अभी मैं सेफ हूँ… अंदर ही झड़ जाओ।
मैंने अपनी गति और बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा और २ मिनट में, मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
आधे घंटे तक हम ऐसे ही रहे, फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और वापस कॉलेज आने लगे।
उसे चलने में दिक्कत आ रही थी।
मैंने उसे थोड़ी दूर तक सहारा दिया और इसी बहाने उसकी गाण्ड को खूब दबाया।
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