FUN-MAZA-MASTI
आगे की कहानी . . .इसी बीच माँ आ गयी. शिल्पा चाचीजी- चाचीजी कह कर उनके पीछे लग गयी। उनके तबीयत के बारे में पुछा, दीदी की बाते की फिर अवसर पा कर कहा, “चाचीजी एक बहुत ज़रूरी बात है आप माँ से फोन पर बात कर लें”. उसने झट अपने घर फोन
मिला कर माँ को पकड़ा दिया। मेरी माँ कुछ देर उसकी माँ की आवाज़ सुनती रही फिर बोले, “ ऐसी बात है तो रेणु को कल रात रुकने के लिए भेज दूँगी उसकी माँ मेरी बात टालेगी नही…… बबुआजी (जीजाजी ) को बाद में बेटी के साथ भेज दूँगी……. अभी कैसे जाएगी……. अरे भाभी! ये बात नही है……. जैसे मेरा घर वेसे आप का घर……… ठीक है शिल्पा बात कर लेगी……… हमे क्या एतराज हो सकता है……… इन लोगो की जैसी मर्जी………. आप जो ठीक समझें……. ठीक है ठीक…… चमेली प्रोग्राम बना कर आपको बता दे……… रेणु तो जाएगी ही …… नमस्ते भाभी” कह कर माँ ने फोन रख दिया।
जीजू संग मस्ती-3
आगे की कहानी . . .इसी बीच माँ आ गयी. शिल्पा चाचीजी- चाचीजी कह कर उनके पीछे लग गयी। उनके तबीयत के बारे में पुछा, दीदी की बाते की फिर अवसर पा कर कहा, “चाचीजी एक बहुत ज़रूरी बात है आप माँ से फोन पर बात कर लें”. उसने झट अपने घर फोन
मिला कर माँ को पकड़ा दिया। मेरी माँ कुछ देर उसकी माँ की आवाज़ सुनती रही फिर बोले, “ ऐसी बात है तो रेणु को कल रात रुकने के लिए भेज दूँगी उसकी माँ मेरी बात टालेगी नही…… बबुआजी (जीजाजी ) को बाद में बेटी के साथ भेज दूँगी……. अभी कैसे जाएगी……. अरे भाभी! ये बात नही है……. जैसे मेरा घर वेसे आप का घर……… ठीक है शिल्पा बात कर लेगी……… हमे क्या एतराज हो सकता है……… इन लोगो की जैसी मर्जी………. आप जो ठीक समझें……. ठीक है ठीक…… चमेली प्रोग्राम बना कर आपको बता दे……… रेणु तो जाएगी ही …… नमस्ते भाभी” कह कर माँ ने फोन रख दिया।
माँ मुझसे बोली, “शिल्पा की माँ तुम सब को कल अपने घर पर बुला रही हैं तुम सब को वहीं खाना खाना है, उन्हे कल रात अपने मायके जागरण में जाना है, भैय्या कहि बाहर गये हैं। शिल्पा घर पर अकेली होगी वह चाहती हैं की तुम सब वही रात में रुक जाओ।
तुम्हारे जीजू रुकना चाहें तो ठीक नही तो तुम उनको मिलवा कर आ जाना, रेणु रुक जाएगी.” मे कमीनी की बुद्दी का लोहा मान गयी और माँ से कहा, “ठीक है माँ ! जीजू जैसा चाहेंगे वैसा प्रोग्राम बना कर तुम्हे बता दूँगी..” हम तीनो को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी. जीजू हम लोगो को छोड़ कर यहा क्या करेंगे. “चलो! जीजू से बात कर लेते हैं..” कह कर हम दोनो उपर जीजू से मिलने चल दिए।
सिद्दी पर मैने शिल्पा से पुछा, “यह सब क्या है? तूने तो कमाल कर दिया। अब बता प्रोग्राम क्या है” मेरे कान में धीरे से बोली “सामूहिक चुदाई…..अब बता जीजू ने तेरी चूत कितनी बार मारी?” “चल हट यह भी कोई बताने की बात है”“ चलो तुम नही बताती तो जीजू से पुंछ लूँगी” हम दोनो उपर कमरे में आ गये. जीजू अलमारी से सीडी निकाल कर ब्लू फिल्म देख रहे थे।
स्क्रीन पर चुदाई का सीन चल रहा था. उनके चेहरे पर उत्तेजना साफ झलक रही थी. शिल्पा धीरे से कमरे में अंदर जा कर बोली, “नमस्ते जीजू! क्या देख रहें हैं” शिल्पा को देख कर वह घबरा गये.
शिल्पा रिमोट उठाकर सीडी प्लेयर बंद करती हुई बोली, “ये सब रात के लिए रहने दीजिए. कल शाम को मेरे घर आपको आना है, माँ ने डिनर पर बुलाया है, चमेली और रेणु भी वहाँ चल रही हैं. जीजू बोले, “आप शिल्पा जी है ना? मेरी शादी में गाने आप ही गा रही थी” “अरे वा जीजू आप की याददास्त तो बहुत तेज है” जीजू बोले, “ऐसी साली को कैसे भुला जा सकता है, कल जश्न मनाने का इरादा है क्या” “हाँ जीजू! रात वही रुकना है, रात रंगीन करने के लिए अपनी पसंद की चीज़ आपको लाना है….कुछ… हॉट …हॉट. बाकी सब वहाँ होगा…” “रात रंगीन करने के लिए आप से ज़्यादा हॉट क्या हो सकता है?” जीजू उसे बोले और उसका हाथ खींच कर अपने पास कर लिया।
जीजू कुछ और हरकत करते मैं बीच में आकर बोली. जीजू आज नही कल दावत है” जीजू ललचाई नज़र से शिल्पा को देख रहे थे। सचमुच शिल्पा इस समय अपने रूप का जलवा बिखेर रही रही थी उसमे सेक्स अपील बहुत है. शिल्पा ने हाथ बढ़ाते हुए कहा, “जीजू! कल आपको आना है” जीजू हाथ मिलाते हुए उसे खींच लिया और उसके गाल पर एक चुंबन जड़ दिया।
में जीजू को रोकते हुए बोली “जीजू इतनी जल्दी ठीक नही है” तभी नीचे से रेणु नास्ता लेकर आ गयी और बोली, “चलिए सब लोग नास्ता कर लीजिए, माँ ने भेजा है” सबने मिल कर नास्ता किया. शिल्पा उठती हुई मुझसे बोली, “चमेली! अब चलने दे, चलें! घर में बहुत काम है। फिर कल की तैयार भी करनी है। कल जीजू को लेकर ज़रा जल्दी आ जाना.” और
जीजू के सामने ही मुझे अपने बाहों में भरकर मेरे होट चूम लिए फिर जीजू को
देख कर एक अदा से मुस्करा दी. जैसे कह रही हो यह चुंबन आपके लिए है।
शिल्पा के साथ हम सब नीचे आ गये.
शिल्पा माँ से मिल कर चली गयी. रेणु भी यह बोलते हुये चली गयी की माँ को
बता कर कल सुबह एक दिन रहने के लिए आ जायेगी. जीजू माँ से बाते करने लगे और
में किचन में चली गयी। जल्दी जल्दी खाना बना कर खाने की मेज पर लगा दिया
और हम लोगों ने खाना खाया. रात ख़ाने के बाद माँ मन-पसंद सीरियल देकने
लगीं। जीजू थोडी देर तो टीवी देखते रहे फिर यह कह कर ऊपर चले गये की ऑफीस
के काम से ज़्यादा बाहर रहने के कारण वह रेग्युलर सीरियल नही देख पाते इस
लिये उनका मन सीरियल देखने में नही लगता।
फिर मुझसे बोले, “चमेली! कोई नयी पिक्चर का सीडी है क्या?” बीच में ही माँ बोल पड़ी, “अरे! कल रेणुका देवदास की सीडी दे गयी थी जा कर लगा दे. हाँ! जीजू को सोने के पहले दूध ज़रूर पीला देना”. मैने कहा, “जीजू आप ऊपर चल कर कपडे बदलिये में आती हूँ” और में अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी. सीरियल खत्म होने पर माँ अपने कमरे में जाते हुए बोली “तो ऊपर अपने कमरे में सो जाना और जीजाजी का ख्याल रखना..” में
सीडी और दूध लेकर पहले अपने कमरे में गयी और सारे कपडे उतार कर नाईटी पहन
लिया और देवदास को रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई. जानती
थी जीजू साली के साथ क्या देखना पसंद करेगे।
जब ऊपर उनके कमरे में गयी तो देखा
जीजू सो गये हैं. दूध को साइड टेबल पर रख कर एक बार हिला कर जगाया जब वह
नही जागे तो उनके बगल में जाकर लेट गयी और नाईटी का बटन खोल दिया नीचे कुछ
भी नही पहने थी। अब मेरी चुचिया आज़ाद थी. फिर थोडा उठा कर मैने अपनी एक
चूची की निप्पल से जीजू के होट सहलाने लगी और एक हाथ को चादर के अंदर डाल
कर उनके लंड को सहलाने लगी। उनका लंड सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी
मुनिया की महक लग चुकी थी।
अब मेरी चुची की निप्पल जीजू के मुहँ में थी और वह उसे चूसने लगे थे. जीजू जाग चुके थे। मैने कहा, “जीजू दूध पी लीजिए..” वे बोले, “पी तो रहा हूँ..” अरे! ये नही काली भैस का दूध.., वो रखा है ग्लास में..” “जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है तो काली भैस का दूध क्यो पियूं..” जीजू चुची से मुहँ अलग कर बोले और फिर उसे मुहँ में ले लिया।
मैने कहा “पर इसमें दूध कहाँ है..” यह
कहते हुए उनके मुहँ मे से अपनी चुची छुड़ाकर उठी और दूध का ग्लास उठा लाई
और उनके मुहँ में लगा दिया। जीजू ने आधा ग्लास पिया और ग्लास लेकर बाकी
पीने के लिए मेरे मुहँ में लगा दिया। मैने मुहँ से ग्लास हटाते हुए कहा, “जीजू मे दूध पी कर आई हूँ..” इस बीच दूध छलक कर मेरी चुचियों पर गिर गया. जीजू उसे जीभ से चाटने लगे।
मैं उनसे ग्लास लेकर अपनी चुचियों
पर धीरे-धीरे दूध गिराती रही और जीजू मज़ा ले-लेकर उसे चाटते गये. चुची
चाटने से मेरी चूत में सुरसुरी होने लगी। इस
बीच थोडा दूध बह कर मेरी चुत तक चला गया। जीजू की जीभ दूध चाटते-चाटते
नीचे आ रही थी और मेरे बदन में सनसनी फैल रही थी. उनके होट मेरी चूत के होट
तक आ गये और उन्होने उसे चटाना शुरू कर दिया।
मैने जीजू के सिर को पकड कर अपनी
योनि के आगे किया और अपने पैर फैला कर अपनी चूत चटवाने लगी. जीजू मेरी
गांड को दोनो हाथ से पकड लिया और मेरी चूत को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत
की गहराई मे जीभ डाल देते। मैं मस्ती तक पहुँच रही थी और उत्तेजना में बोल
रही थी, “ओह! जीजू ये क्या कर रहे हो…. मैं मस्ती से पागल हो रही हूँ….. ओह राज्ज्जज्जाआ चाटो… और….. अंदर जीभ डाल कर चतूऊ….बहुत अच्च्छा लग रहा है….आज अपनी जीभ से ही इस चूत को चोद दो…. ओह….ओह अहह एसस्सस्स”
जीजू को मेरी चूत के मादक ख़ुसबु
ने उन्हे मदमस्त बना दिया और वे बड़ी शालीनता से मेरी चूत के रस का रसपान
कर रहे थे. जीजू मेरी चूत पर से मुहँ हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा
दिया और खुद ज़मीन पर बैठ गये। मेरी जाँघो को फैला कर अपने कंधों पर रख
लिया और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगे.। मै मस्ती से सिहर रही थी और
गांड आगे सरका कर अपनी चूत को जीजू के मुहँ से सटा दिया। अब मेरी गांड
पलंग से बाहर हवा में झूल रही थी और मेरी मखमली जांघों का दबाव जीजू के
कंधों पर था।
जीजू अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा
दिया और चूत के अंद्रूणी दीवार को सहलाने लगे. मैं मस्ती के आनंद सागर में
गोते लगाने लगी और अपनी गांड उठा-उठा कर अपनी चूत जीजू के जीभ पर दबाने
लगी.“ओह राजा! इसी तरह चूसाते और चाटते रहो …बहुत …अच्छा लग रहा है…..जीभ को अंदर बाहर करो ना….है… तुम ही तो मेरे चुदकर सैया हो…..ओह राजा बहुत तड्पी हूँ चुदाने के लिए…. अब सारी कसर निकाल लूँगी…..ओह राज्ज्जजाआ चोदो मेरी चूऊओत को अपनी जीभ से…..”
जीजाजी को भी पूरा जोश आ गया और मेरी चूत मैं जल्दी-जल्दी जीभ अंदर-बाहर
करते हुये उसे चोदने लगे। मैं ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर जीजू के जीभ को अपनी
चूत में ले रही थी. जीजू को भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा। जीजू अपनी जीभ
खड़ी कर के स्थिर कर ली और सिर को आगे–पीछे करके मेरी चूत चोदने लगे. मेरा
मज़ा दुगना हो गया।
अपनी गांड को उठाते हुए बोली, “ और ज़ोर से जीजू…. और जोर से है…. मेरे प्यारे जीजू …. आज से मैं तुम्हारी माशूका हो गयी….इसी तरह जिंदगी भर चुद्वाऊगी जी…..ओह माआआआआ ऑश ..उईईईईई माआअ” मे अब झरने वाली थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेते हुए अपनी चूत जीजू के चेहरे पर रगड रही थी।
जीजू भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलपा
कर मेरी चूत पूरी तरह से चाट रहे थे. अपनी जीभ मेरी चूत में पूरी तरह अंदर
डालकर वह हिलाने लगे। जब उनकी जीभ मेरी भज्नासा से टकराई तो मेरा बाँध टूट
गया और जीजू के चेहरे को अपनी जांघों मे जकड़ कर मैने अपनी चूत जीजू के
मुहँ से चिपका दिया। मेरा पानी बहने लगा और जीजू मेरे चूत को अपने मुहँ में
दबा कर जवानी का अमृत पीने लगे। इसके बाद मैं पलंग पर लेट गयी। जीजाजी उठकर मेरे बगल मे आ गये। मैने उन्हे चूमते हुए कहा, “जीजू! ऐसे ही आप दीदी की चूत भी चूसते हैं.” “हाँ! पर इतना नही। 69 के समय चूसता हूँ पर उसे चुदाने मे ज़्यादा मज़ा मिलता है..” मैने जीजू के लंड को अपने हाथ में ले लिया।
जीजू का लंड लोहे की रोड की तरह
सख़्त और अपने पूरे आकार में खडा था. देखने मे इतना सुंदर और अच्छा लग रहा
था की उसे प्यार करने का मन होने लगा. मैने उस पर एक-दो बार ऊपर-नीचे हाथ फेरा. उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का अनुरोध किया। मे क्या करती. मुनिया
भी उसे पाने के लिए बेकरार थी। मैने उसे चूम कर मनाने की कोशिश की लेकिन
वह मुनिया से मिलने के लिय बेकरार था. अंत में मैं सीधे लेट गयी और उसे
मुनिया से मिलने के लिए इजाज़त दे दी। जीजू मेरे ऊपर आ गये और एक झटके मे
मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसा दिया। मैं नीचे से कमर उठा कर उन दोनो को
आपस मे मिलने मे सहयोग देने लगी। दोनो इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वह
चूत से सो साल बाद मिले हो। जीजू कस-कस कर धक्के लगा रहे थे और मेरी चूत
नीचे से उनका जवाब दे रही थी. घमासान चुदाई चल रही थी।
लगभग 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मेरी चूत हारने लगी तो मैने गंदे शब्दों को बोल कर जीजू को ललकारा, “जीजू आप बडे चुदकर हैं… चोदो रजाआअ चोदो… मेरी चूत भी कम नही है….. कस-कस कर धक्के मारो मेरे चुदकर राजा, फाड दो इस साली चूत को, जो हर समय चुदाने के लिए बेचैन रहती है… चूत को फाड़ कर अपने मदनरस से इसे सिंच दो…..ओह माआअ ओह मेरे राजा बहुत अच्छा लग रहा है….चोदो…चोदो ….चोदो…और चोदो, राजा साथ-साथ गिरना….ओह हाईईईईईईईईई आ जाओ …. मेरे चोदु सनम…..है अब नही रुक.. ओह में … में…गइईईईईईईई.” इदर
जीजू कस कस कर धक्के लगाकर साथ-साथ झर गये। सचमुच इस चुदाई से मेरी मुनिया
बहुत खुश थी क्योकी उसे लंड चूसने और प्यार करने का भरपूर सुख मिला।
कुछ देर बाद जीजू मेरे ऊपर से हट कर मेरे बगल में आ गये. उनके हाथ मेरी चुचियों. गांड को सहलाते रहे मैं उनके सीने से कुछ देर लग कर अपने सांसो पर काबू प्राप्त कर लिया। मैने जीजू को पुछा, “देवदास लगा दूं?” अरे! अच्छा याद दिलाया जब शिल्पा आई थी तो उस समय मे उस फिल्म को नही देख पाया था, अब लगा दो” जीजू मेरी चुची को दबाते हुए बोले. “ना बाबा! उस सीडी को लगाने की मेरी अब हिम्मत नही है.. उसे देख कर यह मानेगा क्या?” में उनके लंड को पकड कर बोली. “आप भी कमाल के आदमी है सेक्स से थकते ही नही. आपको देखना है तो लगा देती हूँ पर में अपने कमरे में सोने चली जाऊगी..” “ओह मेरी प्यारी साली! बस थोड़ी देर देख लेने दो.. मे वादा करता हूँ मे कुछ नही करूँगा, क्यों की में भी थक गया हूँ” जीजू मुझे रोकते हुए बोले।
मैने सीडी लगा कर टीवी ऑन कर दिया. मैने नाईटी पहन लिया और उनके बगल में बैठ कर फिल्म देखने लगी. शुरुआत में लेज़्बीयन सीन थे, दो
लडकिया नंगी हो कर एक-दूसरे को चूम रही थी। एक लडकी दूसरे लड़की की चूत को
चूसने लगी. में ध्यान से फिल्म देख रही थी। मेरे हाथ अंजाने ही चूत तक
पहुँच गये. तभी
जीजू ने मेरी कमर पर हाथ डालकर खीचा तो मैने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया
और उनकी गौद में आकर लेट हो गयी. जीजू मेरी नाईटी खोल कर मेरी चुचियों से
खेलते हुए फिल्म देखने लगे। मैं भी अपनी नाईटी हटा कर अपनी चूत सहलाने
लगी।
स्क्रीन पर अब दोनो लडकियाँ 69 की
पोज़िशन में तीन और एक दूसरे की चूत को चाट रही थी. जीजू का लंड बेताब हो
रहा था जिसे मैने अपनी गांड में दबा लिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी।
तभी स्क्रीन पर एक मर्द आया. दोनो लडकियों को इस हालत में देख कर झटपट
नंगा हो गया और लंड चुसवाने के बाद एक लड़की के चूत में अपना लंबा लंड घुसा
कर चोदने लगा। उसका लंड भी जीजू की तरह लंबा था पर शायद मोटा कम था. दूसरी
लड़की जो अभी भी पहली लड़की के नीचे थी आदमी के अंडों को जीभ से चाट रही
थी।
में धीरे धीरे गर्म होने लगी मेंने जीजू से कहा, “आओ राजा! अब अंदर डाल कर फिल्म देखा जाए” “बाद में मुझसे कुछ ना कहना” कहकर जीजू ने अपना लंड चूत के अंदर कर दिया. इस तरह चूत में लंड लेकर धीरे धीरे आगे पीछे होते हुए हम दोनो फिल्म का मज़ा लेने लगे।
स्क्रीन पर आदमी कभी ऊपर तो कभी
नीचे आकर चुदाई कर रहा था और दूसरी लड़की कभी अपनी चुची चुसवाती तो कभी
चूत. मुझसे अब रहा नही जा रहा था. मैने जीजू के पैरों को पलंग के नीचे किया
और उनकी तरफ पीठ कर लंड को चूत में डालकर उनकी गोद में बैठ गयी और फिल्म
देखते हुए चुदाई करने लगी। एक हाथ से जीजू मेरी चुची दबा रहे थे और दूसरे
हाथ से मेरी चूत सहला रहे थे. इस तरह हम लोग फिल्म की चुदाई देख रहे थे और
खुद भी चुदाई कर रहे थे।
स्क्रीन पर वह आदमी एक को छोड़ और
अब दूसरी की चुदाई की तैयारी कर रहा था. दूसरी औरत उठी और आदमी की तरफ़
मुहँ कर लंड को अपनी चूत में डालकर बेठ गयी अब वह दोनो बात कर चुदाई कर रहे
थे। मुझे लगा इस तरह से चुदाई करने मे लंड चूत के अंदर ठीक से जाएगा और
में पलटी और जीजू के दोनो पैर कर उनके लंड को अपने चूत में लेकर चुदाई करने
लगी। और हमलोग अपनी चुदाई में मशगूल हो गये. जीजू मेरी चुचियों को सहलाते
हुए नीचे से गांड उछाल कर अपने लंड को मेरी चूत में गहराई तक पहुँचा रहे थे
और में फिल्म वाली की तरह उच्छल-उच्छल कर चुदाई में संलग्न थी… देख कर
जीजू मुझे दूसरे ऐंगल से चुदाई करने लगे अब मैं डोगी स्टाइल मे थी। जीजू
कभी ऊपर आते कभी मुझे ऊपर कर मुझसे चोदने के लिए कहते इस तरह हम लोगों ने
जब तक फिल्म चलती रही इसी तरह से चुदते रहे और वह मेरी चूत में एक बार फिर
से खत्म हुये. मैं जीजू के नीचे कुछ देर पड़ी रही फिर जीजाजी मेरे बगल में
आ गये।
जीजू ने फिर उठा कर मेरे चूत को साफ किया और बिना बालों वाली चूत को चूम कर बोले. “ओह! मेरी प्यारी साली, इस चूत पर झांटे ना होने का राज अब तो बता दो” मैं बोली जीजा जी आज कई बार चुद कर बहुत थक गयी हूँ. अब में अपने कमरे में सोने जा रही हूँ.., बाकी बाते कल” जीजू बोले, “यही सो जाओ” मैने कहा, “ यहाँ सोना खतरे से खाली नही है, में तुम्हारी घर वाली तो हूँ नही, की कोई देख या जान लेगा तो कुछ नही कहेगा” “लेकिन आधी घरवाली तो हो” “लेकिन आप ने तो पूरी घरवाली बना लिया, चोद चोद कर चूत का भुर्ता बना दिया” “प्लीज़ थोडा और रूको ना, वो राज बता कर चली जाना” जीजू मिन्नत करने वाले लहजे में बोले.“कल बता दूँगी, में कई भागी तो जा नही रही हूँ… अच्छा तो अब चलती हूँ ” “फिर कब मिलोगी” “आधी रात के बाद……, टा … टा … बाय … बाय ….”
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