FUN-MAZA-MASTI
बेशरम चूत ...7
नीलू की इस पिक ने दोनों की जैसे एक बड़ा झटका सा दे दिया....ये पिक सिस्टम पर आते ही बिना कुछ सोचे ही भानु का हाथ सीधे मॉनिटर पर गया और उसने मॉनिटर बंद कर दिया. गनीमत थी की उसने सीपीयू नहीं बंद किया था.सिर्फ मॉनिटर ही बंद किया था और उसके तुरंत बाद ही रानी भी एक झटके से उठी और बिना कुछ कहे उस कमरे से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी...भानु को तो जैसे सांप सूंघ गया हो...वो बस एक जगह बुत बन के खड़ा हुआ था.......दोनों अभी कुछ देर पहले तक दुसरे लोगों की पिक्स देख देख के उनके गांड चूची की बात कर रहे थे और इसी धुन में अपनी मम्मी की ही ये तस्वीर उन्हें झकझोर गयी......दोनों के दिमाग में ही इस समय कुछ चल ही नहीं रहा था..जब कोई बड़ा झटका लगता है तो कुछ देर के लिए दिमाग सुन्न हो जाता है. सोचने की शक्ति चली जाती है. दोनों का वही हाल हुआ था....उस पिक को देखने के बाद अब दोनों एक दुसरे के सामने कैसे आयेंगे और कैसे उस पिक को इगनोर करेंगे..या अगर बात करेंगे तो क्या बात करेंगे उसके बारे में..कैसे बात कर सकते हैं उस पिक के बारे में...वो तो उनकी अपनी मम्मी की पिक थी...और पिक देख के साफ़ पता चल रहा था की वो किस आनंद में डूबी हुई थी जिस समय ये पिक ली गयी थी.....कैसे ये सब देख के भी वो अनदेखा कर देंगे??? वो तो एक एक पिक को ज़ूम कर कर के उसकी एक एक बारीकी देख रहे थे और यहाँ इस पिक ने तो बिना ज़ूम किये ही वो बारीकी दिखा दी थी जो वो कभी देखने की सोच भी नहीं सकते थे.....मस्ती मस्त के चक्कर में दोनों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया था की अब क्या करें........
दूसरी तरफ....
काकी अपने कमरे में आ के बैठी ही थी की सोम और नीलू दरवाजा खोल के अन्दर दाखिल हुए.....खाने की टेबल पर बच्चों ने जो फार्म हाउस जाने वाली बात कही थी उस बात ने इन तीनो के मन में एक ही भाव जगाया था..तीनो को लगा था की यही सही मौका है और हमें इस मौके का फायदा जरुर उठाना चाहिए......अभी वो दोनों काकी के कमरे में इसी बारे में बात करने के लिए आये....काकी उन्हें आते ही बोल पड़ी...
काकी - मैं न कहती थी कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी.
नीलू - ये तो तुम ने कभी नहीं कहा. ये तो इंदु कहती थी की कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी...हा हा हा हा हा
काकी - हाँ चलो उसी की बात सही...पर सच में बड़ा मजा आया मुझे सुन केर. हमें तो अपने आप ही मौका मिल गया कुछ करना भी नहीं पड़ा...
नीलू - हाँ...मैं तो भगवन का शुक्र मनाती हूँ की इन दोनों को ये ख्याल आ गया...मैंने सोम को कह दिया है की फार्म में सब मेनेज कर देंगे इनके लिए.
काकी - हाँ सोम. ध्यान देना जरा. वहां की सब व्यवस्था ठीक हो जाये. इन्हें दो दिन तक वहां किसी चीज की तकलीफ न हो. स्टाफ को सब समझा देना और हर चीज ले जा के रख देना वहां पर..
नीलू - हाँ काकी कहीं ऐसा न हो की हम लोग नंग धडंग बैठे रहें और इतने में ही ये दोनों आ जाएँ....हा हा हा हा..
सोम - आज ये बहुत ज्यादा हंस रही है न ?
काकी - हाँ हाँ आज तो इसके हंसने का दिन है...देख नहीं रहे थे इतने दिनों से कैसे मुंह लटकाए बैठी थी..जैसे इसकी माँ मर गयी हो...
नीलू - माँ मेरी नहीं बल्कि मेरी चूत की मर गयी थी..इतने दिनों से कुछ घुसा ही नहीं था ठीक से अन्दर.
सोम - तेरी चूत तू किसी दूकान से खरीद के नहीं लायी है. जो तेरी माँ है वही तेरी चूत की भी माँ है.
काकी - अच्छा अच्छा ये बहस बंद करो...और जरा नोटबुक ले के बैठो तो...अभी बहुत सारी तयारी भी तो करनी है न..
सोम - हाँ मैंने पहले ही फार्म के मेनेजर को बता दिया है की बच्चे आने वाले हैं. वो सब काम कर लेगा. मैं शाम को जा के चेक कर लूँगा...और कल के लिए जो शौपिंग करनी है वो लिस्ट तुम लोग बना लो तो शाम को लौटते समय वो भी लेता आऊंगा...
काकी - हाँ यही ठीक रहेगा. शाम को सोम बाहर जा के सब काम कर लेगा और हम दोनों अन्दर के काम सब कर लेंगे. ताकि कल सुबह से ही सारी तैयारियां ख़त्म रहें और पार्टी जल्दी शुरू की जा सके...
नीलू - मैं सोच रही थी की इस बार हम पार्टी को सन्डे शाम को ख़त्म कर देंगे. तो हमारे पास सब कुछ साफ़ करने के लिए और ठीक करने के लिए पूरी एक रात रहेगी. और फिर मंडे तक तो बच्चे आ जायेंगे वापस...
काकी - हाँ ये ठीक रहेगा. मैं इंदु से इस बारे में बात कर लूंगी.
सोम - अच्छा अब बातें बंद और काम शुरू...सबसे पहले क्या काम करना है...?
(अब तक काकी अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी. नीलू कुर्सी पर थी और सोम टहल रहा था....सोम ने काम की बात पार्टी के बारे में कही थी लेकिन नीलू कल से ज्यादा आज मजे करने में यकीन रखती थी..सो वो कुर्सी से उठी और बेड पर आ केर लेट गयी...उसने अपनी सारी को कमरे के उपर कर लिया जिससे उसकी गीली पेंटी दिखने लगी और वो सोम से बोली...)
नीलू - सबसे पहले तो मेरा काम कर दो फिर बाकी के काम करना...क्यों काकी ??
सोम - यार मेरे मन की बात कह दी तूने. मैं तो तब से सोच रहा था की एक राउंड हो जाये लेकिन मुझे लगा की काकी जरुर गुस्सा होगी इसलिए नहीं कहा...वाह मेरी रानी तू तो बहुत तेज निकली.
नीलू - तेरे लंड ने तेज बना दिया रे मुझे. नहीं तो मैं तो एकदम बकरी जैसी भोली थी...
काकी - हाँ बकरी जैसी भोली थी और जैसे ही पहली बार लंड चूत में घुसा तो बुलंद दरवाजे वाली रंडी बन गयी......
सोम - अरी कहाँ...मेरी नीलू तो अभी भी इतनी टाइट है की कोई कच्ची कमसिन छोकरी भी इसकी चूत के सामने शर्मा जाए..कहाँ इसकी चिकनाई और कहाँ रंडियों के भोसड़े..कोई तुलना ही नहीं है.....तुझे क्या पता काकी तेरे पास तो लंड ही नहीं है....जब नीलू की चूत में घुसता है न तो लगता है जैसे मक्खन में घुसेड रहा हूँ..इतनी कोमल है ये अन्दर से...
काकी - इतनी कोमल है तो घुस जा मादरचोद इसी के भोसड़े में...
नीलू - तू मत जल रे रंडी आज तेरी भी ठुकेगी...और फिर कल तो पार्टी में सब तेरा ही भोग लगायेंगे सबसे पहले...जैसे बड़ी बड़ी गाड़ियाँ होती हैं जो कुछ ही पलों में बहुत तेज गति पकड़ लेती हैं और हवा से बातें करने लगती हैं...वैसे ही ये तीनो भी थे..एक पल में तो इतने शरीफ की जो देखे इज्जत से सर झुका ले और दुसरे ही पल में इतनी बड़ी रंडियां की बड़ी बड़ी चुदैल भी अपने कान और अपनी चूत पर हाथ रख के भाग जाये इनका रंडी पन देख के.....और अब ये तीनो ही रंडी वाले रूप में आ गए थे.....सोम ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और सीधे लंड बाहर आ गया.....उसने आजकल घर में अंडरवियर पहनना बंद कर दिया था..उसका कहना था की पता नहीं कब कहाँ से चुदाई का मौका मिल ही जाए तो ऐसे में कपडे उतरने में समय क्यों बर्बाद करना...सीधे पेंट खोलो और लंड ले लो....नीलू को तो मजबूरन पेंटी पहननी पड़ती थी नहीं तो उसकी चूत से इतना पानी गिरता था की उसकी पूरी टांगें चिपचिप होने लगती थीं.....उधर काकी को तो दिन भर ऐसी ही चिपचिपी टाँगे ले के फिरने की आदत थी..उसने तो न जाने कब से अपनी चूत के उपर पेंटी नाम की चीज डाली ही नहीं थी......इधर नीलू ने अपनी सारी उठा के पेंटी उतारी और सोम ने अपना लंड निकला और उधर काकी भी अपनी टाँगे चौड़ी कर के मैदान में कूद पड़ी.....पहला नंबर आज नीलू का था......
पहले से गीली चूत को फोरप्ले की जरुरत नहीं होती.....सोम ने भी इसमें समय नहीं गंवाया और सीधा ही नीलू की चूत पर अपना लंड टिका दिया....काकी ने नीलू को पूरा बिस्तर पैर खीच लिया था..सोम ने लंड टिकाया और काकी की तरफ देखा काकी ने इशारा कर दिया और इधर सोम का लंड अंदर घुसा चूत में और उधर काकी बैठ गयी नीलू के मुंह पर...लेकिन आज वो अपनी चूत नहीं बल्कि गांड का स्वाद दे रही थी नीलू को....वैसे तो बड़ा लंड जब अन्दर जाए तो औरत सिर्फ उस लंड को सम्हालने में बिजी रहती है लेकिन नीलू बहुत खेली खायी थी...वो एक साथ ही चुद भी सकती थी और चाट भी सकती थी..........सोम ने बिना किसी देरी के तेज शॉट लगाने शुरू किये और काकी ने अपनी गांड घिसनी शुरू केर दी नीलू के मुंह पैर..नीलू पूरी जीभ बाहर निकाल के काकी की गांड को चाट रही थी........और फिर काकी ने अपने हाथ से नीलू का ब्लाउज खोला और उसकी चुचिया आजाद कर दी....सोम ने आगे झुक केर एक चूची पकड़ ली और काकी ने दूसरी चूची पकड़ ली....सोम धक्के दे रहा था और चूची को मसल नहीं बल्कि रौंद रहा था....और काकी अपनी गांड से नीलू का मुंह चोद रही थी और दूसरी चूची को हाथ में ले के उसे इस तरह खीच रही थी जैसे उखाड़ लेना चाहती हो....नीचे पड़े पड़े नीलू एक तरफ से लंड का स्वागत कर रही थी और दूसरी तरफ से गांड की आवभगत कर रही थी...तीनो ही एक रिदम में आ गए थे....अब सोम ने नीलू को मारना शुरू किया...पहले थप्पड़ उसकी चुचियों पैर ही पड़े...वैसे ही थप्पड़ या तो गांड पर पड़ते थे ये मुंह पैर लेकिन आज नीलू का मुंह बिजी था और गांड नीचे थि इसलिए ये सुख उसकी चुचियों को मिला.....सोम पूरा हाथ घुमाता और उसकी एक चूची पर जोर की चपत लगता...चूची पूरी उछाल सी जाती और फिर वो दूसरी चूची जो की काकी ने पकड़ी थी उसका भी यही हाल करता.....उसके ढककर लगातार तेज होते जा रहे थे..वो लंड को पूरा जड़ तक अन्दर चापं देता और फिर लगभग पूरा ही बाहर निकाल के फिर से उतनी ही जोर से थाप देता.......तभी नीलू ने अपना हाथ लहरा के कुछ इशारा किया और किसी मशीन की तरह तीनो के शरीर में हरकत हुई.....पुक्क की आवाज के साथ सोम का लंड चूत से पूरा बाहर निकल गया....वो नीलू क उपर से उठ गया...काकी भी नीलू के उपर से उठ गयी और वहीँ अपनी जगह पर ही चरों हाथ पैर पर झुक के घोड़ी बन गयी.....नीलू ने काकी के कपडे इस तरह एक किनारे किये की उसका नीचा का हिस्सा नंगा हो गया और नीलू ने वही नीचे लेते लेते ही अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया.....सोम बेड पर थोडा उपर आ गया....अब सीन कुछ ऐसा था की नीलू सबसे नीचे लेती थी...उसके मुंह के उपर काकी घोड़ी बनी हुई थी....और सोम उठ के नीलू के शरीर के दोनों तरफ पैर कर के खड़ा हो गया था..फिर वो घुटनों के बल बैठा और उसके अपना लंड काकी की गांड पर टिका दिया.....नीलू ने नीचे से काकी की कमर पर हाथ लपेटे और थोडा जोर लगा के अपना मुंह उपर किया......नीलू और सोम एक दुसरे के देख नहीं प् रहे थे लेकिन नीलू ने जैसे ही हाथ से दूसरा इशारा किया वो समझ गया और उसने एक ही झटके में लंड गांड में चांप दिया.....और ठीक उसी पल नीलू ने काकी की चूत में अपनी जीभ घुसेड दी.....अब काकी अपने दोनों छेदों में हमले ले रही थी...एक तरफ नीलू की जीभ और दुसर तरफ से सोम का मुसल जैसा लौड़ा.....और फिर से इन्हें रफ़्तार पकडे में देर नहीं लगी..करीब ५ मिनट तक ऐसी चुदाई के बाद फिर से पोजीशन बदली और इस बार सोम नीचे लेट गया....नीलू उचल कर उसके लंड को चाटने लगी और काकी ने पोजीशन बदल केर सोम के मुंह पैर हमला किया.....नीचे से सोम काकी की चूत चाट रहा था और नीलू सोम का लंड चाट रही थी...नीलू ने सोम की कमर को थोडा सा हाथ से हिलाया तो सोम ने अपनी कमर उपर कर ली...अब नीलू ने सोम की गांड का स्वाद लेना शुरू किया.....तीनो अपने अपने चरम पर आने ही वाले थे..तीनो की रफतार बहुत तेज हो गयी थी....और फिर वो समय भी आ ही गया..बड़े दिनों बाद आज तीनो अपने चरम पर एक साथ पहुचने वाले थे...नीलू ने अपनी चूत में अपनी तीन उँगलियाँ डाली हुई थी...सोम का लंड भी उसके मुंह में था और काकी की चूत सोम के मुंह में थी...और फिर लगभग एक साथ ही तीनो के शरीर टन गए......नीलू ने सोम का लंड पूरा मुंह के अन्दर तक ले लिया...सोम ने काकी की चूत को कस के अपने दांतों के बीच दबा लिया और काकी ने अपनी साँसे एकदम ढीली चोर के अपनी चूत से रस की नदी बहा दी.......कुछ देर तीनो ऐसे ही लुडके पड़े रहे...और सबसे पहले काकी बोली....
काकी - मादरचोद.......
नीलू - तारीफ कर रही हो या गाली दे रही हो..
काकी - तू तो कुत्ताचोदी है. ये तेरी तारीफ है. मैं तो सोम की तारीफ कर रही थी मादरचोद कह के...
सोम - तुम दोनों की तारीफ करने के लिए मेरे पास मेरा लंड है. वही करेगा तुम्हारी तारीफ..
नीलू - अभी नहीं. अभी के लिए इतनी तारीफ काफी है...
काकी - हाँ हाँ. अब बस. अब काम पर लग जाओ नहीं तो देर हो जाएगी...
सोम - अरी यार पड़े रहो न ऐसे ही थोड़ी देर..कितने दिनों बाद तो मौका मिला है..थोडा चुदाई के बाद बातों से भी तो एक दुसरे को चोद लें...
नीलू - बिलकुल नहीं...अब अगर जरा सी भी बात की तो मैं फिर से रेडी हो जाउंगी चुदने को.
काकी - हाँ मैं भी आर ये सोम का लंड तो एक बार पानी निकाल के भी बैठा नहीं है..
सोम - इसीलिए तो कह रही हूँ की बैठा दे इस. ले ले मुंह में...ले ले मेरी जान तुझे सौ गधों से चुदने का सुख मिले...
काकी - ऐसा दुआ मत दे रे...अब इस भोसड़े में इतनी ताकत नहीं बची..
नीलू - बस करो बहनचोदों....चुदाई नहीं करनी है अब अगर और तो फिर ये बात न करो नहीं तो मैं चौराहें पर नंगी बैठ जाउंगी और किसी से भी चुदवा लूंगी...
तीनो बड़े कड़े मन से खुद को समझा रहे थे की अब बस..एक राउंड बहुत है. ज्यादा नहीं करना है. लिमिट में रहना है..लेकिन कहना आसन होता है और करना मुश्किल होता है....इस बार भी पहल काकी ने की और वो उठ के कुर्सी पर बैठ गयी...अब नीलू और सोम के पास भी और कोई चारा नहीं बचा था....सोम बिस्तर पर ही टिक के बैठ गया और नीलू भी वहीँ कोहनी के बल टिक के बैठ गयी...काकी ने अपनी नोटबुक निकाल ली....
काकी - हाँ तो कल के लिए क्या सामान लाना है...
नीलू - हाँ यही बात करो तो ज्यादा ठीक है. नहीं तो मेरी चूत अभी भी फड़क रही है.
काकी - अब अगर किसी ने चूत लंड चुदाई की बात की तो कल उसकी पार्टी बंद कर दी जाएगी.
सोम - हाँ अब ठीक है. अब कोई नहीं कहेगा कुछ. वरना ये नीलू तो चुप ही नहीं होती.
काकी - चलो अब बताओ...
सोम - देखो कल टोटल 6 लोग हैं. और टोटल पैसा मिला है पांच लाख.
काकी - किसने कम दिया है इस बार?
सोम - सीमा के पास कुछ कैश कम था. उसने कहा की वो बाद में दे देगी.
नीलू - देखो तो इनको सेक्स भी उधार का करना होता है.
काकी - हा हा हा हा...चलो कोई बात नहीं. हमारा तो इतने में भी काम चल जायेगा.
नीलू - लेकिन पिचली बार जैसा इस बार नहीं करना. पिछले बार तो उलटे हमारे जेब से लग गए थे.
सोम - वो तो मिसिस वर्मा को पुलिस से बचाने में लग गए थे. वो अपनी कार में जा रही थी और उसने सिर्फ जीन्स पहनी हुई थी. उपर कुछ भी नहीं पहना था. तो यहीं अगले चौराहे पर ही ट्रैफिक वाले ने रोक लिया. वो तो अच्चा हुआ की वो हमें जनता है और उससे पहले से ही सेटिंग है हमारी. लेकिन फिर भी उसने पैसे ज्यादा ले लिए थे.
नीलू - मिसिस वर्मा इस बार भी आ रही है क्या? वो बहुत पीती है और फिर उसे कुछ याद नहीं रहता. लिस्ट में देखो उसका नाम है क्या?
काकी - नहीं वो नहीं है इस बार. चलो अच्छा है हमारे पैसे बचे नहीं तो इस बार तो वो पुलिस वाला पहले उसे चोद लेता और फिर हमें कॉल करता....
नीलू - हा हा हा हा हा अब कल काकी की पार्टी से छुट्टी.
काकी - क्यों???
नीलू - तुमने अभी अभी कहा की चोद लेता. अभी रूल बना था की चुदाई की बात नहीं करनी है.
काकी -वो तुम लोगों के लिए था. मेरे लिए नहीं. और तू ऐसी ही मस्ती करती रही तो सारा टाइम निकल जायेगा....अब सीरियस हो जा.
सोम - पिचली बार का कुछ सामान बचा है क्या?
नीलू - कुछ नहीं बचा. सब खर्च हो गया. लिखो काकी....तेल लेना है बहुत सारा. क्या पता फिर से किसी को ओईल बाथ करने का आईडिया आ जाये. तो पहले से ही स्टोर कर लेते हैं. और क्रीम भी लेनी है. क्रीम हर बार बहुत पसंद करते हैं सब....शहद लेना है. बर्फ लेनी है. पीने के लिए बहुत सारी शराब लेनी है.
सोम - और वो हार्डवेयर वाला तो सब सामान बचा है न?
काकी - हाँ वो तो है. बस वो हथकड़ी टूट गयी है और शायद चाबुक भी थोडा टूट गया है. उसे देखना पड़ेगा....वो तो घर में ही ठीक हो जायेगा. नया लेने की जरुरत नहीं है.....अच्छा अन्दर डालने के लिए सब्जी क्या क्या लानी है..
नीलू - मेरे ख्याल से ककड़ी और बैंगन ठीक रहेंगे...मूली तो इस सीजन में मिलेगी नहीं..हाँ गाजर ले सकते हैं...लेकिन गाजर भी अब उतनी बढ़िया नहीं मिलेंगी.....इस बार क्यों न हम लोग गिलकी ले के आयें....वो उपर से थोड़ी खुरदुरी होती है..तो चूत में रगड़ करती हुई जाएगी...हो सकता है किसी को पसंद आ जाये....
सोम - देखना किसी को चोट न लग जाये. ये सब दारू पि के होश ने नहीं रहेंगी और ऐसे में किसी की चूत में कास के गिलकी रगड़ देंगी तो बेकार में उसकी चूत भी छिल जाएगी अन्दर से..
काकी - वो तो मैं सम्हाल लूंगी सबको. पिचली बार तुम लोगों के कहने पर मैंने पी ली थी इसीलिए इतनी दिक्कत हुई. हर बार मैं नहीं पीती थी तो तुम सब को सम्हाल लेती थी. इस बार भी मैं नहीं पियूंगी. मेरे ख्याल से गिलकी वाला आईडिया अच्छा है. हमें लाना चाहिए.
सोम - और वो सबको अपना अपना डिलडो लाने को कह देना.
नीलू - हाँ मैं कह दूँगी.......सोम के लिए खूब सरे कंडोम लाने पड़ेंगे...नहीं तो न जाने कितने बच्चे पैदा कर देगा ये दो दिन में...
सोम - हाँ और सुनो आज रात को बैठ के इंदु का कुछ सोचना है. मैं उसके लिए कुछ स्पेशल करना चाहता हूँ. कुछ ऐसा जिसके कारण उसका हमारे सामने ऐसे तन के रहना बंद हो जाये.
काकी - हाँ मैं भी यही चाहती हूँ. इस बार तो उसको कुछ खास सजा देनी होगी.....ताकि वो आगे से अपनी औकात में रहे.
नीलू - वो सब बाद में...अभी ये बताओ बाथरूम का क्या करना है.
काकी - सब को उपर वाला बाथरूम ही देना. उसी हॉल में ही सब सोयेंगे और वहीँ बाथरूम भी इस्तेमाल करेंगे. अपने पर्सनल बाथरूम में तो बहुत गन्दगी हो जाती है वो नहीं देना उन्हें.
नीलू - क्यों न उसमे भी एक काम करें...
सोम - इसने फिर से कोई खुराफात सोची होगी..
नीलू - क्यों न इस बार ओपन एयर पार्टी करें...
काकी - मतलब???
नीलू - मतलब पार्टी तो घर के अन्दर ही लेकिन सोयंगे सरे लोग बाहर. लॉन में और बाथरूम नहीं है...वहीँ झाड़ियों के पीछे जाना होगा सबको. नहाने के लिए पानी दे देंगे बस. लेकिन जगह नहीं देंगे. खुल्ले में नहायें और खुल्ले में ही सारे काम करें.
काकी - लेकिन इससे तो हमारा ही लॉन गन्दा होगा न.
सोम - हां लेकिन मजा बहुत आएगा और फिर लॉन तो बाद में साफ़ करवा लेंगे.
नीलू - हां काकी. बहुत मजा आएगा. सोचो न सब औरतें इतनी हाई फाई वाली हैं...सब वहां खुल्ले में बैठी दिखेंगी....कितना मजा आएगा सब को देख के..हम उन सबके मजे लेंगे...
काकी - ठीक है.इस पर बाद में सोचेंगे. अगर उस समय सब ने हाँ कह दिया तो कर लेंगे...
सोम- ठीक है. अब मैं चलता हूँ. कुछ देर ऑफिस में भी काम है. वहाँ से मैं फार्म चला जाऊंगा वहां की तयारी सब देख लूँगा. और फिर ये सामान भी लेता आऊंगा. और अगर इस बीच कोई नया आईडिया आ जाये तो मुझे बता देना...
सोम वहां से बाहर आ गया...उसने अपने कमरे में जा के कपडे बदले और फिर ऑफिस के लिए निकल गया...काकी और नीलू कल के बारे में ही बातें कर रही थीं....उधेर घर के उपर वाले फ्लोर में भानु और रानी अपने अपने कमरे में थे..उनके मन में अभी तक वो पिक ही घूम रही थी...उसके बाद से दोनों ने एक दुसरे से बात तक नहीं की थी....लेकिन दोनों के मन में ख्याल उसी एक पिक का ही चल रहा था....
भानु के ख्याल...भानु के ही शब्दों में....
"क्या अजीब बात है यार..जब जब पिक देखने बैठता हूँ तब तब ही मम्मी की पिक सामने आ जाती है. मेरा तो सारा मजा ही ख़राब कर के रख दिया है मम्मी ने....कितनी मेहनत कर के तो ये सब डाउनलोड किया था. दो दो दिन तक वेट किया लेकिन अब ये बखेड़ा खड़ा हो गया...मुझे रानी के साथ पिक्स नहीं देखनी चाहिए थी..उस समय अगर रानी न होती वहां तो मैं तो पिक्स देखता रहता. एक दो पिक अगर मम्मी की इस टाइप की हैं भी तो क्या हर्ज है. उनका घर है. इस घर में उनकी पिक नहीं होंगी सिस्टम में तो किसकी पिक होंगी. इसमें इतनी बड़ी बात थोड़ी न है...और फिर वो दूसरी लोगों की पिक्स भी तो थी...हाय क्या एक से एक माल आती हैं हमारे घर में...मैं भी पागल हूँ की घर की नौकरानियों के चक्कर में था..यहाँ तो इतनी सारी सहेलियां हैं मम्मी की और सब एक से एक बढ़ कर है और गरम भी हैं..इस इस तरह के कपडे पहन के आती हैं....ऐसी पार्टी में ऐसे कपडे पहनने वाली तो जरुर मजे करने के लिए ही आती होगी.....मैं पहले क्यों नहीं आ गया घर में...घर बैठे बैठे ही इतने सारे माल मिल जाते मुझे....लेकिन यार कहीं ऐसा न हो की इसमें से कोई मम्मी की बहुत खास हो और सब बात शेयर करती हो उनसे.....मैंने अगर किसी पर लाइन मारी और उसने मम्मी से बता दिया तो क्या होगा???? होगा क्या अगर मम्मी कुछ कहेंगी तो मैं भी कह दूंगा की मैं तो बस ऐसे ही उनसे फ्रैंक हो के बात कर रहा था उन्ही को कुछ शक हुआ होगा....मम्मी मेरी बात मानेंगी या अपनी सहेली की बात मानेंगी??? मेरी ही बात मानेंगी...यार कितना मजा आ जाये न अगर मम्मी को भी मेरी बात समझ में आ जाये और वो मुइझे अपनी सहेलियों को लाइन मरने से मना न करें.......किसी दिन मौका देख के बात करता हूँ की घर में कोई पार्टी क्यों नहीं हो रही और फिर सी सी टीवी को अपने हिसाब से सेट कर लूँगा. सबकी पिक्स खिचुन्गा और फिर जो सबसे मस्त होगी उसे पता लूँगा......बहुत मन कर रहा है की एक बार फिर से पिक देखना शुरू केर दूं...लेकिन ये रानी भी बहुत बड़ी मुसीबत है....अभी तक कभी अपना दरवाजा बंद नहीं किया मैंने और अब अगर दरवाजा बंद कर के रखूँगा तो उसे समझ आ जायेगा की मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ फिर तो और भी मुसीबत हो जाएगी. उसके भाषण नहीं सुनने मुझे...और अगर बिना दरवाजा बंद किये पिक देखता हूँ तो कहीं वो उसी समय आ न जाये..फिर से भाषण देगी...पता नहीं उसे भाषण देने में इतना क्या मजा आता है....उसके भी तो इतने सरे यार थे...सबके साथ सब तरह के मजे करती थी फिर भी भाषण देती रहती है....क्या करूँ यार?????? "
वहीँ रानी भी अपने कमरे में अपने खेलों में खोयी हुई थी...
रानी के ख्याल...रानी के शब्दों में,....
" ये लोग सेक्स में एक्टिव हैं ये तो मुझे समझ में आ गया था लेकिन इतने एक्टिव हैं इसका अंदाजा नहीं था....मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा पहनी हुई थी और उनके चेहर से साफ़ पता चल रहा था की उनके साथ क्या हो रहा है....भले ही घर में कर रही हैं लेकिन फिर भी इस उम्र में थोडा तो लिहाज करता ही है हर कोई.....क्या ये लोग इतने ज्यादा एक्टिव हैं???? मम्मी के चेहरे से कितना आनंद टपक रहा था...कितने दिन हो गए मुझे वो आनंद नहीं मिला.....पापा जरुर बहुत मस्त मर्द होंगे तभी तो इस उम्र में भी मम्मी को इतना मजा दे रहे हैं.......मेरा तो मन कर रहा था और देखने का लेकिन भानु साथ में था....अब क्या करूँ? भानु से कहूँगी तो वो कहेगा की मैंने कैसी गन्दी सोच रखती हूँ. मैंने ही सब बिगड़ लिया है.वो तो इतना फ्रैंक है सेक्स के बारे में और मैं हूँ की भाषण देती हूँ...मुझे भी धीरे धीरे भानु के जैसा हो जाना चाहिए की बस मजे लूटो और ज्यादा सोचो मत...लेकिन यार ऐसे कितने दिनों तक चलेगा...कुछ तो सोचना ही पड़ता है न..मुझे खुद को बचा कर भी तो रखना है..मुझे वो दूसरी लड़कियों की तरफ पहले से ही ढीली नहीं हो जाना है....क्यों न मम्मी से ही बात कर के देखूं...वो तो दो बच्चों करने के बाद भी इस तरह की हैं...वो जरुर इस सबके बारे में मुझे बता सकती हैं....घर का माहौल इतना ओपन है ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था....मम्मी से उनकी सहेलियों की बहुत तारीफ सुनती थी..अब पता चला की क्या करते हैं ये लोग सब मिल कर....मैं भी किसी तरह इन लोगों में शामिल हो जाऊं तो बात बन जाये..लेकिन बिना भानु के पता चले कैसे संभव है....यह भी तो सोचना है की भानु को ये सब देखने के लिए कहूँ या उसे ये सब देखने से रोक दूं..लेकिन अगर उसे रोक दूँगी तो खुद कैसे देख पाऊँगी....कल हम दोनों को फार्म पर जाना है...अब इस दुविधा में दोनों वहां रहेंगे तो मजा भी नहीं आएगा,....क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा..अगर सिर्फ सेक्स के व्यू से देखूं तो बड़ा मजेदार है सब कुछ...लेकिन ये भी तो देखना है की कहीं इससे किसी का नुकसान न हो...काश मैं भी भानु की तरह सेक्स में इतनी फ्री होती और बिना कुछ सोचे ही हमेशा सेक्स करने को राजी रहती...उसकी तो कितनी सारी रंडिय थीं....हाँ सब रंडियां ही तो थीं...कैसे कैसे काम करते थे ये लोग...और एक मैं थी की इतने सारे मर्द मेरे पीछे लार टपकाते थे लेकिन मैं भाव खाती थी...अब कोई मर्द नहीं मिल रहा तो मरी जा रही हूँ....कुछ तो करना पड़ेगा....ये समझ नहीं अ रहा की मम्मी से ही ओपन हो लूं या भानु से......जरुर भानु ने अपने लिए कुछ इन्तेज्मा कर लिया होगा....अगर मैं उसी का साथ दूं तो वो मेरे लिए भी कुछ इंतजाम कर देगा..या कम से कम मेरी हेल्प तो कर ही सकता है...वैसे घर में किसी और मर्द की पिक नहीं दिखी....चलो कोई बात नहीं..इतनी मॉडर्न औरतें हैं इनसे लेस्बो सेक्स भी तो पसंद होगा....यही ठीक रहेगा....भानु के साथ मजे से वो सब फाइल्स देखती हूँ और फिर उसी में से जो आंटी ठीक लगेगी उससे दोस्ती कर लूंगी...शायद वो आंटी ही कुछ काम आ जाये.....मम्मी से इस तरह का कुछ कहना ठीक नहीं होगा और भानु से कहूँ तो वो मदद तो कर देगा लेकिन हरामी बहुत भाव खायेगा...और फिर उस पैर मेरा रौब भी तो ख़त्म हो जायेगा.....कल फार्म में भानु से कौंगी की वो सारी फाइल्स बैठ के देखते हैं..दो दिन का टाइम है..यही करेंगे...वहां कोई रोकने वाला भी नहीं होगा....मम्मी की किसी सहेली को फंसा लूंगी तो कुछ और भी हेल्प मिलेगी उससे......."
एक तरफ एक पीढ़ी के लोग कल की सामूहिक अय्यासी के बारे में सोच के खुश थे और दूसरी तरफ दूसरी पीढ़ी के ये दोनों वारिस अपने अपने इंतजाम की चिंता में थे......आगे क्या होगा.......??????
अगले दिन घर के सभी लोग अपनी अपनी वजहों से खुश थे....भानु और रानी दोनों इस बात से खुश थे की दो दिन फार्म हाउस में अच्छे बीतेंगे और बाकी के लोग इस बात से खुश थे की ये दो दिन वो सब जी भर के चुदाई करेंगे....सुबह से ही घर में चहल पहल थी...भानु और रानी के फार्म हाउस के बारे में सब कुछ बता दिया गया था...वो लोग कुछ ही देर में निकलने वाले थे....फार्म हाउस कुछ ४० मिनट की दूरी पर ही था. ड्राईवर उन्हें छोड़ने जाने वाला था और फार्म हाउस का स्टाफ भी उनका वेट कर रहा था....सोम ने रात में इंदु को खबर कर दी थी और इंदु ने बाकी की सभी औरतों को बता दिया था की पार्टी का क्या प्लान बन रहा है....सोम सारा सामान रात में ही ले आया था और नीलू और काकी ने भी घर में बाकी की चीजें जमा कर ली थी...बस भानु और रानी के जाने की देर थी.......भानु ने अपना लैपटॉप अपने साथ रख लिया था और अपना कैमरा भी...रानी ने अपने लिए कुछ अच्छी ड्रेस निकाल ली थीं और वो भी मजे करने के मूड में थी..अभी इन दोनों के मन में उस पिक वाली बात को ले के कोई कशमकश नहीं चल रही थी...रानी और भानु दोनों ही न जानते हुए भी एक दुसरे से एक ही तरह की बात करने के बारे में सोच चुके थे....रानी ने सोच लिया था की बिना भानु की हेल्प के उसे यहाँ अकेले ही रहना पड़ेगा इसलिए उसका भानु के साथ खुलना उसके लिए बहुत जरुरी था और भानु को इस बात का एहसास हो रहा था की घर में आने वाली उसकी माँ की इतनी सारी सहेलियों में से कोई अगर उसे फंसानी है तो इसमें उसे रानी की मदद चाहिए होगी तो वो भी रानी के साथ खुलना चाह रहा था...हालांकि दोनों ही सेक्स के बारे में एक दुसरे से पहले ही काफी खुले हुए थे एक दुसरे के बारे में सब जानते थे वो लोग लेकिन अभी तक उनका हिसाब अलग अलग चलता था...भानु अपने लिए लड़कियाँ खुद खोज लेता था और रानी को भी अपने साथ के मर्द खुद ही मिल जाते थे...लेकिन अब हालत ऐसी थी की दोनों को एक दुसरे की सहायता से ही अपने लिए पार्टनर नसीब होने वाला था...तो अब दोनों को सेक्स के बारे में एक नए सिरे से खुलना था....
उधर काकी को इस बात का एहसास था की इस बार उसे सब कुछ संभालना है और पिछले बार जैसे बहकने नहीं देना है और नीलू को इस बात की चिंता थी की इतनी सारी औरतों के बीच में कहीं सोम बहुत ज्यादा बिजी न हो जाए....पूरी पार्टी में वही एक मर्द था और सभी को चोदने की जिम्मेदारी उसी के उपर आने वाली थी....सोम ने तो रात में ही अपनी सब तयारी पूरी कर ली थी...उस अपनी ताकत वाली गोली खा ली थी....इसमें कोई बुराई की बात नहीं है.अब सोम की उम्र भी तो इतनी हो चली है और फिर दो दिन तक लगातार चुदाई करने की ताकत तो नए नए जवान लड़कों में भी नहीं होती तो फिर सोम तो उनसे बहुत बड़ा था ही...उसे जरुरत पड़ती थी गोलियों की....लेकिन फिर भी जादू तो उसके हथियार में ही था...गोलियां तो बस थोडा बहुत सहारा दे देती थी बस...सुबह करीब ११ बजे भानु और रानी घर से रवाना हो गए.....और आधे ही घंटे में पहली गाडी आके रुकी घर के पोर्च में....ये रूपा थी....बिना कपड़ों के रूपा ऐसी दिखाती है....लेकिन उस समय गाड़ी से उतारते हुए वो नंगी नहीं थी बल्कि कपडे पहने हुए थी....रूपा ने उतर कर डोरबेल बजायी तो काकी बाहर आई....
काकी- आओ आओ रूपा ...डोरबेल बजने की क्या जरुरत थी. सीधे ही अन्दर आ जाती.
रूपा - नहीं इंदु ने कल कहा था की सब लोग पहले पूछ लेना फिर अन्दर जाना.
काकी - अच्छा हाँ. नहीं नहीं अब ऐसी कोई बात नहीं है. बच्चे दोनों बाहर चले गए हैं तो घर पर अब दो दिन हम लोग ही हैं बस....
रूपा - ओके. कैसा चल रहा है सबा कुछ...आप कैसी हैं काकी...
काकी - सब ठीक है और मैं भी एकदम ठीक हूँ. लेकिन तुम थोडा मोटी हो गयी हो.
रूपा - हाँ काकी. हो तो गयी हूँ. क्या करूँ मुझसे वर्क आउट नहीं होता. मुझे बहुत आलस आता है...
काकी - चुदाई में तो नहीं आता न आलस?
रूपा - हा हा हा नहीं नहीं काकी उसके लिए तो मैं दौड़ दौड़ के भी चुदवाने को तैयार हूँ....
काकी - हा हा हा हा हा
रूपा - कहाँ हैं हमारे खिलाडी लोग?
काकी - तुम ही पहली हो. बाकी के लोग भी आते होंगे तब तक तुम आओ और मेरा हाथ बंटाओ जरा..
रूपा - जी काकी. चलिए न...
दोनों अन्दर आ गए....कुछ देर बाद नीलू भी नीचे वाले हॉल में आई तो वो भी रूपा से मिली..दोनों में अच्छी दोस्ती थी और रूपा सिम्पल ही थी. वो इंदु की तरह इन लोगों पर हुकूमत करने की नहीं सोचती थी...हाँ रूपा को गॉसिप का बड़ा शौक था....नीलू ने तो आते ही रूपा से नयी ताज़ी खबर सुनाने को कहा लेकिन रूपा ने कहा की अभी सब लोग आ जाएँ तब बतौंगी नहीं तो एक एक बात सब को बतानी पड़ेगी तो बोर हो जाउंगी...नीलू मान गयी और फिर वो भी इन लोगों के साथ काम करने लगी...अभी तेल को गरम किया जा रहा था...तेल को बस हल्का सा कुनकुना ही करना था..ज्यादा गरम नहीं करना था......काकी वही कर रही थी और तब इन दोनों ने बॉक्स में से क्रीम और शहद निकाल के बाउल में डालना शुरू केर दिया था...इतने में डोरबेल फिर से बजी और इस बार नीलू ही गयी.....मंजरी और रोमा आ गयी थीं..
नीलू उन लोगों को ले के अन्दर आ गयी....और फिर उन लोगों में बातें होने लगीं....कुछ ही देर में इंदु भी आ गयी....
सभी लोग अभी नीचे वाले हॉल में ही थे....इंदु ने आकर बताया की आज की पार्टी में इतने ही लोग हैं बस...बाकी की तीन औरतें कहीं बाहर चली गयी हैं...और चूँकि ये पार्टी अचानक ही हो गयी इसलिए उन्हें लौटने का टाइम नहीं मिला है....हो सका तो वो लोग कल तक आ जाएँगी और अगर नहीं आएँगी तो हमारे नियम के हिसाब से उनका डिपाजिट उन्हें वापिस नहीं किया जायेगा......इस बात से नीलू और काकी को भी आराम ही था..वो भी नहीं चाहते थे की बहुत ज्यादा लोग हो जाएँ पार्टी में....इन लोगों में से सिर्फ इंदु ही एक ऐसी थी जिससे अब नीलू और काकी को चिढ होने लगी थी..बाकी की औरतों के साथ उनके सम्बन्ध अभी भी बहुत अच्छे थे.और वो तीनो औरतें थी भी ऐसी की बस पार्टी में आके खूब रंडी पण कर लिया और उसके बाद अपनी अपनी लाइफ में लग गए.......अब जब सब लोग जमा हो गए थे तो थोडा चाय पानी के लिए वो लोग वहीँ हॉल में ही बैठे और बातें शुरू हो गयीं....
नीलू - हाँ रूपा अब तू सुना क्या नयी नयी खबर लायी है बाजार से...
रूपा - ओके ओके...अब तो सब लोग हैं.....हाँ तो पहली खबर....वो श्रीवास्तव जी याद हैं न जिनकी बीवी ने हमारे ग्रुप के बारे में बड़ी सारी बातें सुना दी थी हमें...जो बड़ी ही घरेलु बनती थीं....
( सबने एक स्वर में हामी भरी...सबको श्रीवास्तव की याद आ गयी की कैसे एक बार वो इनकी पार्टी में आयीं थी और उन्हें ठीक से पता नहीं था की क्या होने वाला है और फिर जैसे ही ये लोग शुरू हुए तो उसने बखेड़ा खड़ा कर दिया था की तुम लोग तो बेशरम हो जो इस तरह के काम करते हो और उन्हें खरी खोटी सुना के वहां से निकल गयी थी )
रूपा. - हां उनकी की बेटी...अभी कुछ २१ साल की होगी..वो पकड़ी गयी है...
इंदु - कैसे पकड़ी गयी है? धंधा शुरू केर दिया क्या?
रूपा - नहीं....वैसे हाँ कुछ कुछ वैसा ही समझो...
मंजरी - ठीक से बता न...
रूपा - एक दिन मुझे मेरी बायीं ने बताया उसके बारे में..वो उनके घर में भी काम करती है..हुआ क्या की दोनों मिया बीवी दो दिन के लिए बाहर गए थे..तो उनकी बेटी ने अपने यार को बुला लिया घर पर....जानती तो हो आजकल की लड़कियों की चूत में कैसी खुजली मचती हैऊ......दोनों ने जी भर के ठुकाई की होगी.....और फिर रात में पता नहीं क्या कर रहे थे...शायद थक गए होंगे चोद चोद के एक दुसरे को तो वो उसका यार हराम का जना उसकी चूत में ही लंड डाल के सो गया.....और उस रंडी को भी नींद आ गयी...ऐसा ही कुछ हुआ होगा.....तो दोनों लोग सो तो गए लेकिन उनकी आँख जब खुली तो मुसीबत बन गयी थी....
नीलू - कैसे ? क्या हो गया था?
रूपा - रात भर लंड चूत में ही पड़ा रहा था....तो शायद रात भर खड़ा भी रहा होगा..सुबह दोनों अलग होना चाह रहे थे लेकिन हो नहीं पा रहे थे..जैसे कुत्ता कुट्टी हो जाते हैं न चुदाई के बाद...जुड़ जाते हैं...वैसे ही उसके यार का लौड़ा भी फंस गया उसकी चूत में...निकल ही नहीं रहा था बाहर...दोनों ने बड़ी कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ..फिर दोनों को डर लगने लगा होगा तो वो लड़की रोने लगी....घर की बायीं जो की अपने टाइम से आ गयी थी वो पहुची....उसके पास चाबी थी तो वो सीधे अन्दर आ गयी और अपना काम करने लगी तब उसने इनकी चीख पुकार सुनी होगुई..वो अन्दर गयी तो उसने नजारा देखा....की दोनों ही बिस्टर पैर पड़े हुए हैं....लड़की के अन्दर लड़के का लंड है और दोनों रो रहे हैं...दर्द भी हो रहा होगा....बायीं की तो हंसी निकल गयी...उसने भी मौके का फायदा उठाया और दोनों से जैम कर पैसे वसूले...फिर उसके फॅमिली डॉक्टर को खुद फोन किया की आप घर आ जाईये...डॉक्टर आया तो उसने भी देखा तो हैरान रह गया....उसने लड़के को कोई सुई लगायी होगी तब जा के थोड़ी देर बाद उसका लंड ढीला हुआ तो उसने निकाला चूत से.....उसके बाद से वो डॉक्टर भी कहाँ मौका जाने देने वाला था हाथ से...पहले तो उसने जितने पैसे मिले वो ले लिए और फिर लड़की को भी फंसा लिया की अगर मुझे चोदने नहीं दिया तो पुरे शहर में बात फैला दूंगा....और उसके बाद से वो डॉक्टर मौका निकाल के आ जाता है और उसी के घर में उसे जी भर के चोद के जाता है....
सब लोग बड़े मजे ले ले के कहानियां सुन रहे थे.....एक के बाद एक रूपा इसी तरह की कहानियां सब को सुना रही थी..कुछ देर बाद जब चाय पानी ख़त्म हो गया तब काकी बोली की चलो सब लोग अब तयारी शुरू करो..बहुत देर हो गयी है...सोम भी बेचारा तब से उपर वेट कर रहा होगा तुम लोगों का.....सभी ने हामी भरी और अपने अपने कपडे उतारने शुरू केर दिए.....
उधर दूसरी तरफ भानु और रानी फार्म हाउस पर पहुच चुके थे और उन्होंने पूरी प्रॉपर्टी घूम के देख ली थी..मेनेजर को छुट्टी दे दी थी और अब वो घर पर अकेले ही थे....दोनों ने रास्ते में जरा भी बात नहीं की थी...लेकिन अब दोनों को मौका मिल गया था बात करने का.....हाउस के पूल के किनारे बैठे दोनों धुप का मजा ले रहे थे और बात पहले रानी ने ही शुरू की...
रानी - उस दिन थोडा शॉक लग गया था न...
भानु - हाँ यार....जब जब पिक देखना शुरू करते हैं तब तब ऐसा हो जाता है...
रानी - जब जब क्या? एक ही बार तो देखा है.
भानु - नहीं. एक बार मैं अकेले ही देख रहा था और पहली ही पिक मम्मी की निकल आई थी...
रानी - वो भी ऐसी ही थी क्या? क्या था उस पिक में?
भानु - नहीं ऐसी नहीं थी. सिम्पल ही थी. लेकिन उसमे भी मम्मी की ब्लाउज बहुत ज्यादा ही लो कट थी...
रानी - हाँ मम्मी को वैसा ही पसंद है.
भानु - यार उस दिन तो मैं बहुत डर गया था की तू नाराज हो गयी होगी...
(दोनों के मन में एक ही बात चल रही थी लेकिन दोनों में से कोई भी पहले नहीं बोलना चाह रहा था...रानी ज्यादा समझदार थी उसे ये बात समझ में आ गयी और उसने सोचा की उसे ही पहल करनी चाहिए )
रानी - हाँ मुझे पहले तो गुस्सा आया की तू ये सब क्यों कर रहा है और तूने मुझे भी शामिल कर लिया है....यार हमारे पेरेंट्स अगर मजे कर रहे हैं जिंदगी में तो इसमें हर्ज ही क्या है? हमें बुरा नहीं लग्न चाहिए न?
(भानु को तो जैसे मौका ही मिल गया था..उसने नोटिस किया की रानी ने बात डायरेक्ट ही मुद्दे पर डाल दी थी. वो इधर उधर की बात में टाइम नहीं वेस्ट कर रही थी. भानु की भी हिम्मत बंधी थोड़ी इस बात से )
भानु - नहीं इसमें कोई हर्ज नहीं. और फिर अपनी लाइफ में तो सभी मजे करते हैं लेकिन ऐसा भी क्या मजा करना की सब कुछ दूसरों को भी दिखे. हमें तो नहीं दिखना चाहिए न उनका मजा.
रानी - तो वो हमें दिखा थोड़ी न रहे हैं. बल्कि हम ही टांक झाँक कर रहे हैं उनकी लाइफ में. उनकी नहीं बल्कि हमारी गलती है.
भानु - हाँ है. लेकिन फिर भी...और फिर ये सब पार्टी में कैसे कैसे ड्रेस पहनते हैं. वो सही है क्या? ये अकेले मजे करते हैं या ग्रुप में?
रानी - यार देख मुझे तो लगता है की थोडा बहुत पार्टी कर लेने से इनका मूड फ्रेश रहता होगा और फिर एक ही लाइफ जी जी के बोर भी तो होते होंगे न..इसलिए थोडा बहुत एन्जॉय कर लेते हैं...
भानु - तुझे लगता है ये सब सही है?
बेशरम चूत ...7
नीलू की इस पिक ने दोनों की जैसे एक बड़ा झटका सा दे दिया....ये पिक सिस्टम पर आते ही बिना कुछ सोचे ही भानु का हाथ सीधे मॉनिटर पर गया और उसने मॉनिटर बंद कर दिया. गनीमत थी की उसने सीपीयू नहीं बंद किया था.सिर्फ मॉनिटर ही बंद किया था और उसके तुरंत बाद ही रानी भी एक झटके से उठी और बिना कुछ कहे उस कमरे से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी...भानु को तो जैसे सांप सूंघ गया हो...वो बस एक जगह बुत बन के खड़ा हुआ था.......दोनों अभी कुछ देर पहले तक दुसरे लोगों की पिक्स देख देख के उनके गांड चूची की बात कर रहे थे और इसी धुन में अपनी मम्मी की ही ये तस्वीर उन्हें झकझोर गयी......दोनों के दिमाग में ही इस समय कुछ चल ही नहीं रहा था..जब कोई बड़ा झटका लगता है तो कुछ देर के लिए दिमाग सुन्न हो जाता है. सोचने की शक्ति चली जाती है. दोनों का वही हाल हुआ था....उस पिक को देखने के बाद अब दोनों एक दुसरे के सामने कैसे आयेंगे और कैसे उस पिक को इगनोर करेंगे..या अगर बात करेंगे तो क्या बात करेंगे उसके बारे में..कैसे बात कर सकते हैं उस पिक के बारे में...वो तो उनकी अपनी मम्मी की पिक थी...और पिक देख के साफ़ पता चल रहा था की वो किस आनंद में डूबी हुई थी जिस समय ये पिक ली गयी थी.....कैसे ये सब देख के भी वो अनदेखा कर देंगे??? वो तो एक एक पिक को ज़ूम कर कर के उसकी एक एक बारीकी देख रहे थे और यहाँ इस पिक ने तो बिना ज़ूम किये ही वो बारीकी दिखा दी थी जो वो कभी देखने की सोच भी नहीं सकते थे.....मस्ती मस्त के चक्कर में दोनों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया था की अब क्या करें........
दूसरी तरफ....
काकी अपने कमरे में आ के बैठी ही थी की सोम और नीलू दरवाजा खोल के अन्दर दाखिल हुए.....खाने की टेबल पर बच्चों ने जो फार्म हाउस जाने वाली बात कही थी उस बात ने इन तीनो के मन में एक ही भाव जगाया था..तीनो को लगा था की यही सही मौका है और हमें इस मौके का फायदा जरुर उठाना चाहिए......अभी वो दोनों काकी के कमरे में इसी बारे में बात करने के लिए आये....काकी उन्हें आते ही बोल पड़ी...
काकी - मैं न कहती थी कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी.
नीलू - ये तो तुम ने कभी नहीं कहा. ये तो इंदु कहती थी की कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी...हा हा हा हा हा
काकी - हाँ चलो उसी की बात सही...पर सच में बड़ा मजा आया मुझे सुन केर. हमें तो अपने आप ही मौका मिल गया कुछ करना भी नहीं पड़ा...
नीलू - हाँ...मैं तो भगवन का शुक्र मनाती हूँ की इन दोनों को ये ख्याल आ गया...मैंने सोम को कह दिया है की फार्म में सब मेनेज कर देंगे इनके लिए.
काकी - हाँ सोम. ध्यान देना जरा. वहां की सब व्यवस्था ठीक हो जाये. इन्हें दो दिन तक वहां किसी चीज की तकलीफ न हो. स्टाफ को सब समझा देना और हर चीज ले जा के रख देना वहां पर..
नीलू - हाँ काकी कहीं ऐसा न हो की हम लोग नंग धडंग बैठे रहें और इतने में ही ये दोनों आ जाएँ....हा हा हा हा..
सोम - आज ये बहुत ज्यादा हंस रही है न ?
काकी - हाँ हाँ आज तो इसके हंसने का दिन है...देख नहीं रहे थे इतने दिनों से कैसे मुंह लटकाए बैठी थी..जैसे इसकी माँ मर गयी हो...
नीलू - माँ मेरी नहीं बल्कि मेरी चूत की मर गयी थी..इतने दिनों से कुछ घुसा ही नहीं था ठीक से अन्दर.
सोम - तेरी चूत तू किसी दूकान से खरीद के नहीं लायी है. जो तेरी माँ है वही तेरी चूत की भी माँ है.
काकी - अच्छा अच्छा ये बहस बंद करो...और जरा नोटबुक ले के बैठो तो...अभी बहुत सारी तयारी भी तो करनी है न..
सोम - हाँ मैंने पहले ही फार्म के मेनेजर को बता दिया है की बच्चे आने वाले हैं. वो सब काम कर लेगा. मैं शाम को जा के चेक कर लूँगा...और कल के लिए जो शौपिंग करनी है वो लिस्ट तुम लोग बना लो तो शाम को लौटते समय वो भी लेता आऊंगा...
काकी - हाँ यही ठीक रहेगा. शाम को सोम बाहर जा के सब काम कर लेगा और हम दोनों अन्दर के काम सब कर लेंगे. ताकि कल सुबह से ही सारी तैयारियां ख़त्म रहें और पार्टी जल्दी शुरू की जा सके...
नीलू - मैं सोच रही थी की इस बार हम पार्टी को सन्डे शाम को ख़त्म कर देंगे. तो हमारे पास सब कुछ साफ़ करने के लिए और ठीक करने के लिए पूरी एक रात रहेगी. और फिर मंडे तक तो बच्चे आ जायेंगे वापस...
काकी - हाँ ये ठीक रहेगा. मैं इंदु से इस बारे में बात कर लूंगी.
सोम - अच्छा अब बातें बंद और काम शुरू...सबसे पहले क्या काम करना है...?
(अब तक काकी अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी. नीलू कुर्सी पर थी और सोम टहल रहा था....सोम ने काम की बात पार्टी के बारे में कही थी लेकिन नीलू कल से ज्यादा आज मजे करने में यकीन रखती थी..सो वो कुर्सी से उठी और बेड पर आ केर लेट गयी...उसने अपनी सारी को कमरे के उपर कर लिया जिससे उसकी गीली पेंटी दिखने लगी और वो सोम से बोली...)
नीलू - सबसे पहले तो मेरा काम कर दो फिर बाकी के काम करना...क्यों काकी ??
सोम - यार मेरे मन की बात कह दी तूने. मैं तो तब से सोच रहा था की एक राउंड हो जाये लेकिन मुझे लगा की काकी जरुर गुस्सा होगी इसलिए नहीं कहा...वाह मेरी रानी तू तो बहुत तेज निकली.
नीलू - तेरे लंड ने तेज बना दिया रे मुझे. नहीं तो मैं तो एकदम बकरी जैसी भोली थी...
काकी - हाँ बकरी जैसी भोली थी और जैसे ही पहली बार लंड चूत में घुसा तो बुलंद दरवाजे वाली रंडी बन गयी......
सोम - अरी कहाँ...मेरी नीलू तो अभी भी इतनी टाइट है की कोई कच्ची कमसिन छोकरी भी इसकी चूत के सामने शर्मा जाए..कहाँ इसकी चिकनाई और कहाँ रंडियों के भोसड़े..कोई तुलना ही नहीं है.....तुझे क्या पता काकी तेरे पास तो लंड ही नहीं है....जब नीलू की चूत में घुसता है न तो लगता है जैसे मक्खन में घुसेड रहा हूँ..इतनी कोमल है ये अन्दर से...
काकी - इतनी कोमल है तो घुस जा मादरचोद इसी के भोसड़े में...
नीलू - तू मत जल रे रंडी आज तेरी भी ठुकेगी...और फिर कल तो पार्टी में सब तेरा ही भोग लगायेंगे सबसे पहले...जैसे बड़ी बड़ी गाड़ियाँ होती हैं जो कुछ ही पलों में बहुत तेज गति पकड़ लेती हैं और हवा से बातें करने लगती हैं...वैसे ही ये तीनो भी थे..एक पल में तो इतने शरीफ की जो देखे इज्जत से सर झुका ले और दुसरे ही पल में इतनी बड़ी रंडियां की बड़ी बड़ी चुदैल भी अपने कान और अपनी चूत पर हाथ रख के भाग जाये इनका रंडी पन देख के.....और अब ये तीनो ही रंडी वाले रूप में आ गए थे.....सोम ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और सीधे लंड बाहर आ गया.....उसने आजकल घर में अंडरवियर पहनना बंद कर दिया था..उसका कहना था की पता नहीं कब कहाँ से चुदाई का मौका मिल ही जाए तो ऐसे में कपडे उतरने में समय क्यों बर्बाद करना...सीधे पेंट खोलो और लंड ले लो....नीलू को तो मजबूरन पेंटी पहननी पड़ती थी नहीं तो उसकी चूत से इतना पानी गिरता था की उसकी पूरी टांगें चिपचिप होने लगती थीं.....उधर काकी को तो दिन भर ऐसी ही चिपचिपी टाँगे ले के फिरने की आदत थी..उसने तो न जाने कब से अपनी चूत के उपर पेंटी नाम की चीज डाली ही नहीं थी......इधर नीलू ने अपनी सारी उठा के पेंटी उतारी और सोम ने अपना लंड निकला और उधर काकी भी अपनी टाँगे चौड़ी कर के मैदान में कूद पड़ी.....पहला नंबर आज नीलू का था......
पहले से गीली चूत को फोरप्ले की जरुरत नहीं होती.....सोम ने भी इसमें समय नहीं गंवाया और सीधा ही नीलू की चूत पर अपना लंड टिका दिया....काकी ने नीलू को पूरा बिस्तर पैर खीच लिया था..सोम ने लंड टिकाया और काकी की तरफ देखा काकी ने इशारा कर दिया और इधर सोम का लंड अंदर घुसा चूत में और उधर काकी बैठ गयी नीलू के मुंह पर...लेकिन आज वो अपनी चूत नहीं बल्कि गांड का स्वाद दे रही थी नीलू को....वैसे तो बड़ा लंड जब अन्दर जाए तो औरत सिर्फ उस लंड को सम्हालने में बिजी रहती है लेकिन नीलू बहुत खेली खायी थी...वो एक साथ ही चुद भी सकती थी और चाट भी सकती थी..........सोम ने बिना किसी देरी के तेज शॉट लगाने शुरू किये और काकी ने अपनी गांड घिसनी शुरू केर दी नीलू के मुंह पैर..नीलू पूरी जीभ बाहर निकाल के काकी की गांड को चाट रही थी........और फिर काकी ने अपने हाथ से नीलू का ब्लाउज खोला और उसकी चुचिया आजाद कर दी....सोम ने आगे झुक केर एक चूची पकड़ ली और काकी ने दूसरी चूची पकड़ ली....सोम धक्के दे रहा था और चूची को मसल नहीं बल्कि रौंद रहा था....और काकी अपनी गांड से नीलू का मुंह चोद रही थी और दूसरी चूची को हाथ में ले के उसे इस तरह खीच रही थी जैसे उखाड़ लेना चाहती हो....नीचे पड़े पड़े नीलू एक तरफ से लंड का स्वागत कर रही थी और दूसरी तरफ से गांड की आवभगत कर रही थी...तीनो ही एक रिदम में आ गए थे....अब सोम ने नीलू को मारना शुरू किया...पहले थप्पड़ उसकी चुचियों पैर ही पड़े...वैसे ही थप्पड़ या तो गांड पर पड़ते थे ये मुंह पैर लेकिन आज नीलू का मुंह बिजी था और गांड नीचे थि इसलिए ये सुख उसकी चुचियों को मिला.....सोम पूरा हाथ घुमाता और उसकी एक चूची पर जोर की चपत लगता...चूची पूरी उछाल सी जाती और फिर वो दूसरी चूची जो की काकी ने पकड़ी थी उसका भी यही हाल करता.....उसके ढककर लगातार तेज होते जा रहे थे..वो लंड को पूरा जड़ तक अन्दर चापं देता और फिर लगभग पूरा ही बाहर निकाल के फिर से उतनी ही जोर से थाप देता.......तभी नीलू ने अपना हाथ लहरा के कुछ इशारा किया और किसी मशीन की तरह तीनो के शरीर में हरकत हुई.....पुक्क की आवाज के साथ सोम का लंड चूत से पूरा बाहर निकल गया....वो नीलू क उपर से उठ गया...काकी भी नीलू के उपर से उठ गयी और वहीँ अपनी जगह पर ही चरों हाथ पैर पर झुक के घोड़ी बन गयी.....नीलू ने काकी के कपडे इस तरह एक किनारे किये की उसका नीचा का हिस्सा नंगा हो गया और नीलू ने वही नीचे लेते लेते ही अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया.....सोम बेड पर थोडा उपर आ गया....अब सीन कुछ ऐसा था की नीलू सबसे नीचे लेती थी...उसके मुंह के उपर काकी घोड़ी बनी हुई थी....और सोम उठ के नीलू के शरीर के दोनों तरफ पैर कर के खड़ा हो गया था..फिर वो घुटनों के बल बैठा और उसके अपना लंड काकी की गांड पर टिका दिया.....नीलू ने नीचे से काकी की कमर पर हाथ लपेटे और थोडा जोर लगा के अपना मुंह उपर किया......नीलू और सोम एक दुसरे के देख नहीं प् रहे थे लेकिन नीलू ने जैसे ही हाथ से दूसरा इशारा किया वो समझ गया और उसने एक ही झटके में लंड गांड में चांप दिया.....और ठीक उसी पल नीलू ने काकी की चूत में अपनी जीभ घुसेड दी.....अब काकी अपने दोनों छेदों में हमले ले रही थी...एक तरफ नीलू की जीभ और दुसर तरफ से सोम का मुसल जैसा लौड़ा.....और फिर से इन्हें रफ़्तार पकडे में देर नहीं लगी..करीब ५ मिनट तक ऐसी चुदाई के बाद फिर से पोजीशन बदली और इस बार सोम नीचे लेट गया....नीलू उचल कर उसके लंड को चाटने लगी और काकी ने पोजीशन बदल केर सोम के मुंह पैर हमला किया.....नीचे से सोम काकी की चूत चाट रहा था और नीलू सोम का लंड चाट रही थी...नीलू ने सोम की कमर को थोडा सा हाथ से हिलाया तो सोम ने अपनी कमर उपर कर ली...अब नीलू ने सोम की गांड का स्वाद लेना शुरू किया.....तीनो अपने अपने चरम पर आने ही वाले थे..तीनो की रफतार बहुत तेज हो गयी थी....और फिर वो समय भी आ ही गया..बड़े दिनों बाद आज तीनो अपने चरम पर एक साथ पहुचने वाले थे...नीलू ने अपनी चूत में अपनी तीन उँगलियाँ डाली हुई थी...सोम का लंड भी उसके मुंह में था और काकी की चूत सोम के मुंह में थी...और फिर लगभग एक साथ ही तीनो के शरीर टन गए......नीलू ने सोम का लंड पूरा मुंह के अन्दर तक ले लिया...सोम ने काकी की चूत को कस के अपने दांतों के बीच दबा लिया और काकी ने अपनी साँसे एकदम ढीली चोर के अपनी चूत से रस की नदी बहा दी.......कुछ देर तीनो ऐसे ही लुडके पड़े रहे...और सबसे पहले काकी बोली....
काकी - मादरचोद.......
नीलू - तारीफ कर रही हो या गाली दे रही हो..
काकी - तू तो कुत्ताचोदी है. ये तेरी तारीफ है. मैं तो सोम की तारीफ कर रही थी मादरचोद कह के...
सोम - तुम दोनों की तारीफ करने के लिए मेरे पास मेरा लंड है. वही करेगा तुम्हारी तारीफ..
नीलू - अभी नहीं. अभी के लिए इतनी तारीफ काफी है...
काकी - हाँ हाँ. अब बस. अब काम पर लग जाओ नहीं तो देर हो जाएगी...
सोम - अरी यार पड़े रहो न ऐसे ही थोड़ी देर..कितने दिनों बाद तो मौका मिला है..थोडा चुदाई के बाद बातों से भी तो एक दुसरे को चोद लें...
नीलू - बिलकुल नहीं...अब अगर जरा सी भी बात की तो मैं फिर से रेडी हो जाउंगी चुदने को.
काकी - हाँ मैं भी आर ये सोम का लंड तो एक बार पानी निकाल के भी बैठा नहीं है..
सोम - इसीलिए तो कह रही हूँ की बैठा दे इस. ले ले मुंह में...ले ले मेरी जान तुझे सौ गधों से चुदने का सुख मिले...
काकी - ऐसा दुआ मत दे रे...अब इस भोसड़े में इतनी ताकत नहीं बची..
नीलू - बस करो बहनचोदों....चुदाई नहीं करनी है अब अगर और तो फिर ये बात न करो नहीं तो मैं चौराहें पर नंगी बैठ जाउंगी और किसी से भी चुदवा लूंगी...
तीनो बड़े कड़े मन से खुद को समझा रहे थे की अब बस..एक राउंड बहुत है. ज्यादा नहीं करना है. लिमिट में रहना है..लेकिन कहना आसन होता है और करना मुश्किल होता है....इस बार भी पहल काकी ने की और वो उठ के कुर्सी पर बैठ गयी...अब नीलू और सोम के पास भी और कोई चारा नहीं बचा था....सोम बिस्तर पर ही टिक के बैठ गया और नीलू भी वहीँ कोहनी के बल टिक के बैठ गयी...काकी ने अपनी नोटबुक निकाल ली....
काकी - हाँ तो कल के लिए क्या सामान लाना है...
नीलू - हाँ यही बात करो तो ज्यादा ठीक है. नहीं तो मेरी चूत अभी भी फड़क रही है.
काकी - अब अगर किसी ने चूत लंड चुदाई की बात की तो कल उसकी पार्टी बंद कर दी जाएगी.
सोम - हाँ अब ठीक है. अब कोई नहीं कहेगा कुछ. वरना ये नीलू तो चुप ही नहीं होती.
काकी - चलो अब बताओ...
सोम - देखो कल टोटल 6 लोग हैं. और टोटल पैसा मिला है पांच लाख.
काकी - किसने कम दिया है इस बार?
सोम - सीमा के पास कुछ कैश कम था. उसने कहा की वो बाद में दे देगी.
नीलू - देखो तो इनको सेक्स भी उधार का करना होता है.
काकी - हा हा हा हा...चलो कोई बात नहीं. हमारा तो इतने में भी काम चल जायेगा.
नीलू - लेकिन पिचली बार जैसा इस बार नहीं करना. पिछले बार तो उलटे हमारे जेब से लग गए थे.
सोम - वो तो मिसिस वर्मा को पुलिस से बचाने में लग गए थे. वो अपनी कार में जा रही थी और उसने सिर्फ जीन्स पहनी हुई थी. उपर कुछ भी नहीं पहना था. तो यहीं अगले चौराहे पर ही ट्रैफिक वाले ने रोक लिया. वो तो अच्चा हुआ की वो हमें जनता है और उससे पहले से ही सेटिंग है हमारी. लेकिन फिर भी उसने पैसे ज्यादा ले लिए थे.
नीलू - मिसिस वर्मा इस बार भी आ रही है क्या? वो बहुत पीती है और फिर उसे कुछ याद नहीं रहता. लिस्ट में देखो उसका नाम है क्या?
काकी - नहीं वो नहीं है इस बार. चलो अच्छा है हमारे पैसे बचे नहीं तो इस बार तो वो पुलिस वाला पहले उसे चोद लेता और फिर हमें कॉल करता....
नीलू - हा हा हा हा हा अब कल काकी की पार्टी से छुट्टी.
काकी - क्यों???
नीलू - तुमने अभी अभी कहा की चोद लेता. अभी रूल बना था की चुदाई की बात नहीं करनी है.
काकी -वो तुम लोगों के लिए था. मेरे लिए नहीं. और तू ऐसी ही मस्ती करती रही तो सारा टाइम निकल जायेगा....अब सीरियस हो जा.
सोम - पिचली बार का कुछ सामान बचा है क्या?
नीलू - कुछ नहीं बचा. सब खर्च हो गया. लिखो काकी....तेल लेना है बहुत सारा. क्या पता फिर से किसी को ओईल बाथ करने का आईडिया आ जाये. तो पहले से ही स्टोर कर लेते हैं. और क्रीम भी लेनी है. क्रीम हर बार बहुत पसंद करते हैं सब....शहद लेना है. बर्फ लेनी है. पीने के लिए बहुत सारी शराब लेनी है.
सोम - और वो हार्डवेयर वाला तो सब सामान बचा है न?
काकी - हाँ वो तो है. बस वो हथकड़ी टूट गयी है और शायद चाबुक भी थोडा टूट गया है. उसे देखना पड़ेगा....वो तो घर में ही ठीक हो जायेगा. नया लेने की जरुरत नहीं है.....अच्छा अन्दर डालने के लिए सब्जी क्या क्या लानी है..
नीलू - मेरे ख्याल से ककड़ी और बैंगन ठीक रहेंगे...मूली तो इस सीजन में मिलेगी नहीं..हाँ गाजर ले सकते हैं...लेकिन गाजर भी अब उतनी बढ़िया नहीं मिलेंगी.....इस बार क्यों न हम लोग गिलकी ले के आयें....वो उपर से थोड़ी खुरदुरी होती है..तो चूत में रगड़ करती हुई जाएगी...हो सकता है किसी को पसंद आ जाये....
सोम - देखना किसी को चोट न लग जाये. ये सब दारू पि के होश ने नहीं रहेंगी और ऐसे में किसी की चूत में कास के गिलकी रगड़ देंगी तो बेकार में उसकी चूत भी छिल जाएगी अन्दर से..
काकी - वो तो मैं सम्हाल लूंगी सबको. पिचली बार तुम लोगों के कहने पर मैंने पी ली थी इसीलिए इतनी दिक्कत हुई. हर बार मैं नहीं पीती थी तो तुम सब को सम्हाल लेती थी. इस बार भी मैं नहीं पियूंगी. मेरे ख्याल से गिलकी वाला आईडिया अच्छा है. हमें लाना चाहिए.
सोम - और वो सबको अपना अपना डिलडो लाने को कह देना.
नीलू - हाँ मैं कह दूँगी.......सोम के लिए खूब सरे कंडोम लाने पड़ेंगे...नहीं तो न जाने कितने बच्चे पैदा कर देगा ये दो दिन में...
सोम - हाँ और सुनो आज रात को बैठ के इंदु का कुछ सोचना है. मैं उसके लिए कुछ स्पेशल करना चाहता हूँ. कुछ ऐसा जिसके कारण उसका हमारे सामने ऐसे तन के रहना बंद हो जाये.
काकी - हाँ मैं भी यही चाहती हूँ. इस बार तो उसको कुछ खास सजा देनी होगी.....ताकि वो आगे से अपनी औकात में रहे.
नीलू - वो सब बाद में...अभी ये बताओ बाथरूम का क्या करना है.
काकी - सब को उपर वाला बाथरूम ही देना. उसी हॉल में ही सब सोयेंगे और वहीँ बाथरूम भी इस्तेमाल करेंगे. अपने पर्सनल बाथरूम में तो बहुत गन्दगी हो जाती है वो नहीं देना उन्हें.
नीलू - क्यों न उसमे भी एक काम करें...
सोम - इसने फिर से कोई खुराफात सोची होगी..
नीलू - क्यों न इस बार ओपन एयर पार्टी करें...
काकी - मतलब???
नीलू - मतलब पार्टी तो घर के अन्दर ही लेकिन सोयंगे सरे लोग बाहर. लॉन में और बाथरूम नहीं है...वहीँ झाड़ियों के पीछे जाना होगा सबको. नहाने के लिए पानी दे देंगे बस. लेकिन जगह नहीं देंगे. खुल्ले में नहायें और खुल्ले में ही सारे काम करें.
काकी - लेकिन इससे तो हमारा ही लॉन गन्दा होगा न.
सोम - हां लेकिन मजा बहुत आएगा और फिर लॉन तो बाद में साफ़ करवा लेंगे.
नीलू - हां काकी. बहुत मजा आएगा. सोचो न सब औरतें इतनी हाई फाई वाली हैं...सब वहां खुल्ले में बैठी दिखेंगी....कितना मजा आएगा सब को देख के..हम उन सबके मजे लेंगे...
काकी - ठीक है.इस पर बाद में सोचेंगे. अगर उस समय सब ने हाँ कह दिया तो कर लेंगे...
सोम- ठीक है. अब मैं चलता हूँ. कुछ देर ऑफिस में भी काम है. वहाँ से मैं फार्म चला जाऊंगा वहां की तयारी सब देख लूँगा. और फिर ये सामान भी लेता आऊंगा. और अगर इस बीच कोई नया आईडिया आ जाये तो मुझे बता देना...
सोम वहां से बाहर आ गया...उसने अपने कमरे में जा के कपडे बदले और फिर ऑफिस के लिए निकल गया...काकी और नीलू कल के बारे में ही बातें कर रही थीं....उधेर घर के उपर वाले फ्लोर में भानु और रानी अपने अपने कमरे में थे..उनके मन में अभी तक वो पिक ही घूम रही थी...उसके बाद से दोनों ने एक दुसरे से बात तक नहीं की थी....लेकिन दोनों के मन में ख्याल उसी एक पिक का ही चल रहा था....
भानु के ख्याल...भानु के ही शब्दों में....
"क्या अजीब बात है यार..जब जब पिक देखने बैठता हूँ तब तब ही मम्मी की पिक सामने आ जाती है. मेरा तो सारा मजा ही ख़राब कर के रख दिया है मम्मी ने....कितनी मेहनत कर के तो ये सब डाउनलोड किया था. दो दो दिन तक वेट किया लेकिन अब ये बखेड़ा खड़ा हो गया...मुझे रानी के साथ पिक्स नहीं देखनी चाहिए थी..उस समय अगर रानी न होती वहां तो मैं तो पिक्स देखता रहता. एक दो पिक अगर मम्मी की इस टाइप की हैं भी तो क्या हर्ज है. उनका घर है. इस घर में उनकी पिक नहीं होंगी सिस्टम में तो किसकी पिक होंगी. इसमें इतनी बड़ी बात थोड़ी न है...और फिर वो दूसरी लोगों की पिक्स भी तो थी...हाय क्या एक से एक माल आती हैं हमारे घर में...मैं भी पागल हूँ की घर की नौकरानियों के चक्कर में था..यहाँ तो इतनी सारी सहेलियां हैं मम्मी की और सब एक से एक बढ़ कर है और गरम भी हैं..इस इस तरह के कपडे पहन के आती हैं....ऐसी पार्टी में ऐसे कपडे पहनने वाली तो जरुर मजे करने के लिए ही आती होगी.....मैं पहले क्यों नहीं आ गया घर में...घर बैठे बैठे ही इतने सारे माल मिल जाते मुझे....लेकिन यार कहीं ऐसा न हो की इसमें से कोई मम्मी की बहुत खास हो और सब बात शेयर करती हो उनसे.....मैंने अगर किसी पर लाइन मारी और उसने मम्मी से बता दिया तो क्या होगा???? होगा क्या अगर मम्मी कुछ कहेंगी तो मैं भी कह दूंगा की मैं तो बस ऐसे ही उनसे फ्रैंक हो के बात कर रहा था उन्ही को कुछ शक हुआ होगा....मम्मी मेरी बात मानेंगी या अपनी सहेली की बात मानेंगी??? मेरी ही बात मानेंगी...यार कितना मजा आ जाये न अगर मम्मी को भी मेरी बात समझ में आ जाये और वो मुइझे अपनी सहेलियों को लाइन मरने से मना न करें.......किसी दिन मौका देख के बात करता हूँ की घर में कोई पार्टी क्यों नहीं हो रही और फिर सी सी टीवी को अपने हिसाब से सेट कर लूँगा. सबकी पिक्स खिचुन्गा और फिर जो सबसे मस्त होगी उसे पता लूँगा......बहुत मन कर रहा है की एक बार फिर से पिक देखना शुरू केर दूं...लेकिन ये रानी भी बहुत बड़ी मुसीबत है....अभी तक कभी अपना दरवाजा बंद नहीं किया मैंने और अब अगर दरवाजा बंद कर के रखूँगा तो उसे समझ आ जायेगा की मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ फिर तो और भी मुसीबत हो जाएगी. उसके भाषण नहीं सुनने मुझे...और अगर बिना दरवाजा बंद किये पिक देखता हूँ तो कहीं वो उसी समय आ न जाये..फिर से भाषण देगी...पता नहीं उसे भाषण देने में इतना क्या मजा आता है....उसके भी तो इतने सरे यार थे...सबके साथ सब तरह के मजे करती थी फिर भी भाषण देती रहती है....क्या करूँ यार?????? "
वहीँ रानी भी अपने कमरे में अपने खेलों में खोयी हुई थी...
रानी के ख्याल...रानी के शब्दों में,....
" ये लोग सेक्स में एक्टिव हैं ये तो मुझे समझ में आ गया था लेकिन इतने एक्टिव हैं इसका अंदाजा नहीं था....मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा पहनी हुई थी और उनके चेहर से साफ़ पता चल रहा था की उनके साथ क्या हो रहा है....भले ही घर में कर रही हैं लेकिन फिर भी इस उम्र में थोडा तो लिहाज करता ही है हर कोई.....क्या ये लोग इतने ज्यादा एक्टिव हैं???? मम्मी के चेहरे से कितना आनंद टपक रहा था...कितने दिन हो गए मुझे वो आनंद नहीं मिला.....पापा जरुर बहुत मस्त मर्द होंगे तभी तो इस उम्र में भी मम्मी को इतना मजा दे रहे हैं.......मेरा तो मन कर रहा था और देखने का लेकिन भानु साथ में था....अब क्या करूँ? भानु से कहूँगी तो वो कहेगा की मैंने कैसी गन्दी सोच रखती हूँ. मैंने ही सब बिगड़ लिया है.वो तो इतना फ्रैंक है सेक्स के बारे में और मैं हूँ की भाषण देती हूँ...मुझे भी धीरे धीरे भानु के जैसा हो जाना चाहिए की बस मजे लूटो और ज्यादा सोचो मत...लेकिन यार ऐसे कितने दिनों तक चलेगा...कुछ तो सोचना ही पड़ता है न..मुझे खुद को बचा कर भी तो रखना है..मुझे वो दूसरी लड़कियों की तरफ पहले से ही ढीली नहीं हो जाना है....क्यों न मम्मी से ही बात कर के देखूं...वो तो दो बच्चों करने के बाद भी इस तरह की हैं...वो जरुर इस सबके बारे में मुझे बता सकती हैं....घर का माहौल इतना ओपन है ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था....मम्मी से उनकी सहेलियों की बहुत तारीफ सुनती थी..अब पता चला की क्या करते हैं ये लोग सब मिल कर....मैं भी किसी तरह इन लोगों में शामिल हो जाऊं तो बात बन जाये..लेकिन बिना भानु के पता चले कैसे संभव है....यह भी तो सोचना है की भानु को ये सब देखने के लिए कहूँ या उसे ये सब देखने से रोक दूं..लेकिन अगर उसे रोक दूँगी तो खुद कैसे देख पाऊँगी....कल हम दोनों को फार्म पर जाना है...अब इस दुविधा में दोनों वहां रहेंगे तो मजा भी नहीं आएगा,....क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा..अगर सिर्फ सेक्स के व्यू से देखूं तो बड़ा मजेदार है सब कुछ...लेकिन ये भी तो देखना है की कहीं इससे किसी का नुकसान न हो...काश मैं भी भानु की तरह सेक्स में इतनी फ्री होती और बिना कुछ सोचे ही हमेशा सेक्स करने को राजी रहती...उसकी तो कितनी सारी रंडिय थीं....हाँ सब रंडियां ही तो थीं...कैसे कैसे काम करते थे ये लोग...और एक मैं थी की इतने सारे मर्द मेरे पीछे लार टपकाते थे लेकिन मैं भाव खाती थी...अब कोई मर्द नहीं मिल रहा तो मरी जा रही हूँ....कुछ तो करना पड़ेगा....ये समझ नहीं अ रहा की मम्मी से ही ओपन हो लूं या भानु से......जरुर भानु ने अपने लिए कुछ इन्तेज्मा कर लिया होगा....अगर मैं उसी का साथ दूं तो वो मेरे लिए भी कुछ इंतजाम कर देगा..या कम से कम मेरी हेल्प तो कर ही सकता है...वैसे घर में किसी और मर्द की पिक नहीं दिखी....चलो कोई बात नहीं..इतनी मॉडर्न औरतें हैं इनसे लेस्बो सेक्स भी तो पसंद होगा....यही ठीक रहेगा....भानु के साथ मजे से वो सब फाइल्स देखती हूँ और फिर उसी में से जो आंटी ठीक लगेगी उससे दोस्ती कर लूंगी...शायद वो आंटी ही कुछ काम आ जाये.....मम्मी से इस तरह का कुछ कहना ठीक नहीं होगा और भानु से कहूँ तो वो मदद तो कर देगा लेकिन हरामी बहुत भाव खायेगा...और फिर उस पैर मेरा रौब भी तो ख़त्म हो जायेगा.....कल फार्म में भानु से कौंगी की वो सारी फाइल्स बैठ के देखते हैं..दो दिन का टाइम है..यही करेंगे...वहां कोई रोकने वाला भी नहीं होगा....मम्मी की किसी सहेली को फंसा लूंगी तो कुछ और भी हेल्प मिलेगी उससे......."
एक तरफ एक पीढ़ी के लोग कल की सामूहिक अय्यासी के बारे में सोच के खुश थे और दूसरी तरफ दूसरी पीढ़ी के ये दोनों वारिस अपने अपने इंतजाम की चिंता में थे......आगे क्या होगा.......??????
अगले दिन घर के सभी लोग अपनी अपनी वजहों से खुश थे....भानु और रानी दोनों इस बात से खुश थे की दो दिन फार्म हाउस में अच्छे बीतेंगे और बाकी के लोग इस बात से खुश थे की ये दो दिन वो सब जी भर के चुदाई करेंगे....सुबह से ही घर में चहल पहल थी...भानु और रानी के फार्म हाउस के बारे में सब कुछ बता दिया गया था...वो लोग कुछ ही देर में निकलने वाले थे....फार्म हाउस कुछ ४० मिनट की दूरी पर ही था. ड्राईवर उन्हें छोड़ने जाने वाला था और फार्म हाउस का स्टाफ भी उनका वेट कर रहा था....सोम ने रात में इंदु को खबर कर दी थी और इंदु ने बाकी की सभी औरतों को बता दिया था की पार्टी का क्या प्लान बन रहा है....सोम सारा सामान रात में ही ले आया था और नीलू और काकी ने भी घर में बाकी की चीजें जमा कर ली थी...बस भानु और रानी के जाने की देर थी.......भानु ने अपना लैपटॉप अपने साथ रख लिया था और अपना कैमरा भी...रानी ने अपने लिए कुछ अच्छी ड्रेस निकाल ली थीं और वो भी मजे करने के मूड में थी..अभी इन दोनों के मन में उस पिक वाली बात को ले के कोई कशमकश नहीं चल रही थी...रानी और भानु दोनों ही न जानते हुए भी एक दुसरे से एक ही तरह की बात करने के बारे में सोच चुके थे....रानी ने सोच लिया था की बिना भानु की हेल्प के उसे यहाँ अकेले ही रहना पड़ेगा इसलिए उसका भानु के साथ खुलना उसके लिए बहुत जरुरी था और भानु को इस बात का एहसास हो रहा था की घर में आने वाली उसकी माँ की इतनी सारी सहेलियों में से कोई अगर उसे फंसानी है तो इसमें उसे रानी की मदद चाहिए होगी तो वो भी रानी के साथ खुलना चाह रहा था...हालांकि दोनों ही सेक्स के बारे में एक दुसरे से पहले ही काफी खुले हुए थे एक दुसरे के बारे में सब जानते थे वो लोग लेकिन अभी तक उनका हिसाब अलग अलग चलता था...भानु अपने लिए लड़कियाँ खुद खोज लेता था और रानी को भी अपने साथ के मर्द खुद ही मिल जाते थे...लेकिन अब हालत ऐसी थी की दोनों को एक दुसरे की सहायता से ही अपने लिए पार्टनर नसीब होने वाला था...तो अब दोनों को सेक्स के बारे में एक नए सिरे से खुलना था....
उधर काकी को इस बात का एहसास था की इस बार उसे सब कुछ संभालना है और पिछले बार जैसे बहकने नहीं देना है और नीलू को इस बात की चिंता थी की इतनी सारी औरतों के बीच में कहीं सोम बहुत ज्यादा बिजी न हो जाए....पूरी पार्टी में वही एक मर्द था और सभी को चोदने की जिम्मेदारी उसी के उपर आने वाली थी....सोम ने तो रात में ही अपनी सब तयारी पूरी कर ली थी...उस अपनी ताकत वाली गोली खा ली थी....इसमें कोई बुराई की बात नहीं है.अब सोम की उम्र भी तो इतनी हो चली है और फिर दो दिन तक लगातार चुदाई करने की ताकत तो नए नए जवान लड़कों में भी नहीं होती तो फिर सोम तो उनसे बहुत बड़ा था ही...उसे जरुरत पड़ती थी गोलियों की....लेकिन फिर भी जादू तो उसके हथियार में ही था...गोलियां तो बस थोडा बहुत सहारा दे देती थी बस...सुबह करीब ११ बजे भानु और रानी घर से रवाना हो गए.....और आधे ही घंटे में पहली गाडी आके रुकी घर के पोर्च में....ये रूपा थी....बिना कपड़ों के रूपा ऐसी दिखाती है....लेकिन उस समय गाड़ी से उतारते हुए वो नंगी नहीं थी बल्कि कपडे पहने हुए थी....रूपा ने उतर कर डोरबेल बजायी तो काकी बाहर आई....
काकी- आओ आओ रूपा ...डोरबेल बजने की क्या जरुरत थी. सीधे ही अन्दर आ जाती.
रूपा - नहीं इंदु ने कल कहा था की सब लोग पहले पूछ लेना फिर अन्दर जाना.
काकी - अच्छा हाँ. नहीं नहीं अब ऐसी कोई बात नहीं है. बच्चे दोनों बाहर चले गए हैं तो घर पर अब दो दिन हम लोग ही हैं बस....
रूपा - ओके. कैसा चल रहा है सबा कुछ...आप कैसी हैं काकी...
काकी - सब ठीक है और मैं भी एकदम ठीक हूँ. लेकिन तुम थोडा मोटी हो गयी हो.
रूपा - हाँ काकी. हो तो गयी हूँ. क्या करूँ मुझसे वर्क आउट नहीं होता. मुझे बहुत आलस आता है...
काकी - चुदाई में तो नहीं आता न आलस?
रूपा - हा हा हा नहीं नहीं काकी उसके लिए तो मैं दौड़ दौड़ के भी चुदवाने को तैयार हूँ....
काकी - हा हा हा हा हा
रूपा - कहाँ हैं हमारे खिलाडी लोग?
काकी - तुम ही पहली हो. बाकी के लोग भी आते होंगे तब तक तुम आओ और मेरा हाथ बंटाओ जरा..
रूपा - जी काकी. चलिए न...
दोनों अन्दर आ गए....कुछ देर बाद नीलू भी नीचे वाले हॉल में आई तो वो भी रूपा से मिली..दोनों में अच्छी दोस्ती थी और रूपा सिम्पल ही थी. वो इंदु की तरह इन लोगों पर हुकूमत करने की नहीं सोचती थी...हाँ रूपा को गॉसिप का बड़ा शौक था....नीलू ने तो आते ही रूपा से नयी ताज़ी खबर सुनाने को कहा लेकिन रूपा ने कहा की अभी सब लोग आ जाएँ तब बतौंगी नहीं तो एक एक बात सब को बतानी पड़ेगी तो बोर हो जाउंगी...नीलू मान गयी और फिर वो भी इन लोगों के साथ काम करने लगी...अभी तेल को गरम किया जा रहा था...तेल को बस हल्का सा कुनकुना ही करना था..ज्यादा गरम नहीं करना था......काकी वही कर रही थी और तब इन दोनों ने बॉक्स में से क्रीम और शहद निकाल के बाउल में डालना शुरू केर दिया था...इतने में डोरबेल फिर से बजी और इस बार नीलू ही गयी.....मंजरी और रोमा आ गयी थीं..
नीलू उन लोगों को ले के अन्दर आ गयी....और फिर उन लोगों में बातें होने लगीं....कुछ ही देर में इंदु भी आ गयी....
सभी लोग अभी नीचे वाले हॉल में ही थे....इंदु ने आकर बताया की आज की पार्टी में इतने ही लोग हैं बस...बाकी की तीन औरतें कहीं बाहर चली गयी हैं...और चूँकि ये पार्टी अचानक ही हो गयी इसलिए उन्हें लौटने का टाइम नहीं मिला है....हो सका तो वो लोग कल तक आ जाएँगी और अगर नहीं आएँगी तो हमारे नियम के हिसाब से उनका डिपाजिट उन्हें वापिस नहीं किया जायेगा......इस बात से नीलू और काकी को भी आराम ही था..वो भी नहीं चाहते थे की बहुत ज्यादा लोग हो जाएँ पार्टी में....इन लोगों में से सिर्फ इंदु ही एक ऐसी थी जिससे अब नीलू और काकी को चिढ होने लगी थी..बाकी की औरतों के साथ उनके सम्बन्ध अभी भी बहुत अच्छे थे.और वो तीनो औरतें थी भी ऐसी की बस पार्टी में आके खूब रंडी पण कर लिया और उसके बाद अपनी अपनी लाइफ में लग गए.......अब जब सब लोग जमा हो गए थे तो थोडा चाय पानी के लिए वो लोग वहीँ हॉल में ही बैठे और बातें शुरू हो गयीं....
नीलू - हाँ रूपा अब तू सुना क्या नयी नयी खबर लायी है बाजार से...
रूपा - ओके ओके...अब तो सब लोग हैं.....हाँ तो पहली खबर....वो श्रीवास्तव जी याद हैं न जिनकी बीवी ने हमारे ग्रुप के बारे में बड़ी सारी बातें सुना दी थी हमें...जो बड़ी ही घरेलु बनती थीं....
( सबने एक स्वर में हामी भरी...सबको श्रीवास्तव की याद आ गयी की कैसे एक बार वो इनकी पार्टी में आयीं थी और उन्हें ठीक से पता नहीं था की क्या होने वाला है और फिर जैसे ही ये लोग शुरू हुए तो उसने बखेड़ा खड़ा कर दिया था की तुम लोग तो बेशरम हो जो इस तरह के काम करते हो और उन्हें खरी खोटी सुना के वहां से निकल गयी थी )
रूपा. - हां उनकी की बेटी...अभी कुछ २१ साल की होगी..वो पकड़ी गयी है...
इंदु - कैसे पकड़ी गयी है? धंधा शुरू केर दिया क्या?
रूपा - नहीं....वैसे हाँ कुछ कुछ वैसा ही समझो...
मंजरी - ठीक से बता न...
रूपा - एक दिन मुझे मेरी बायीं ने बताया उसके बारे में..वो उनके घर में भी काम करती है..हुआ क्या की दोनों मिया बीवी दो दिन के लिए बाहर गए थे..तो उनकी बेटी ने अपने यार को बुला लिया घर पर....जानती तो हो आजकल की लड़कियों की चूत में कैसी खुजली मचती हैऊ......दोनों ने जी भर के ठुकाई की होगी.....और फिर रात में पता नहीं क्या कर रहे थे...शायद थक गए होंगे चोद चोद के एक दुसरे को तो वो उसका यार हराम का जना उसकी चूत में ही लंड डाल के सो गया.....और उस रंडी को भी नींद आ गयी...ऐसा ही कुछ हुआ होगा.....तो दोनों लोग सो तो गए लेकिन उनकी आँख जब खुली तो मुसीबत बन गयी थी....
नीलू - कैसे ? क्या हो गया था?
रूपा - रात भर लंड चूत में ही पड़ा रहा था....तो शायद रात भर खड़ा भी रहा होगा..सुबह दोनों अलग होना चाह रहे थे लेकिन हो नहीं पा रहे थे..जैसे कुत्ता कुट्टी हो जाते हैं न चुदाई के बाद...जुड़ जाते हैं...वैसे ही उसके यार का लौड़ा भी फंस गया उसकी चूत में...निकल ही नहीं रहा था बाहर...दोनों ने बड़ी कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ..फिर दोनों को डर लगने लगा होगा तो वो लड़की रोने लगी....घर की बायीं जो की अपने टाइम से आ गयी थी वो पहुची....उसके पास चाबी थी तो वो सीधे अन्दर आ गयी और अपना काम करने लगी तब उसने इनकी चीख पुकार सुनी होगुई..वो अन्दर गयी तो उसने नजारा देखा....की दोनों ही बिस्टर पैर पड़े हुए हैं....लड़की के अन्दर लड़के का लंड है और दोनों रो रहे हैं...दर्द भी हो रहा होगा....बायीं की तो हंसी निकल गयी...उसने भी मौके का फायदा उठाया और दोनों से जैम कर पैसे वसूले...फिर उसके फॅमिली डॉक्टर को खुद फोन किया की आप घर आ जाईये...डॉक्टर आया तो उसने भी देखा तो हैरान रह गया....उसने लड़के को कोई सुई लगायी होगी तब जा के थोड़ी देर बाद उसका लंड ढीला हुआ तो उसने निकाला चूत से.....उसके बाद से वो डॉक्टर भी कहाँ मौका जाने देने वाला था हाथ से...पहले तो उसने जितने पैसे मिले वो ले लिए और फिर लड़की को भी फंसा लिया की अगर मुझे चोदने नहीं दिया तो पुरे शहर में बात फैला दूंगा....और उसके बाद से वो डॉक्टर मौका निकाल के आ जाता है और उसी के घर में उसे जी भर के चोद के जाता है....
सब लोग बड़े मजे ले ले के कहानियां सुन रहे थे.....एक के बाद एक रूपा इसी तरह की कहानियां सब को सुना रही थी..कुछ देर बाद जब चाय पानी ख़त्म हो गया तब काकी बोली की चलो सब लोग अब तयारी शुरू करो..बहुत देर हो गयी है...सोम भी बेचारा तब से उपर वेट कर रहा होगा तुम लोगों का.....सभी ने हामी भरी और अपने अपने कपडे उतारने शुरू केर दिए.....
उधर दूसरी तरफ भानु और रानी फार्म हाउस पर पहुच चुके थे और उन्होंने पूरी प्रॉपर्टी घूम के देख ली थी..मेनेजर को छुट्टी दे दी थी और अब वो घर पर अकेले ही थे....दोनों ने रास्ते में जरा भी बात नहीं की थी...लेकिन अब दोनों को मौका मिल गया था बात करने का.....हाउस के पूल के किनारे बैठे दोनों धुप का मजा ले रहे थे और बात पहले रानी ने ही शुरू की...
रानी - उस दिन थोडा शॉक लग गया था न...
भानु - हाँ यार....जब जब पिक देखना शुरू करते हैं तब तब ऐसा हो जाता है...
रानी - जब जब क्या? एक ही बार तो देखा है.
भानु - नहीं. एक बार मैं अकेले ही देख रहा था और पहली ही पिक मम्मी की निकल आई थी...
रानी - वो भी ऐसी ही थी क्या? क्या था उस पिक में?
भानु - नहीं ऐसी नहीं थी. सिम्पल ही थी. लेकिन उसमे भी मम्मी की ब्लाउज बहुत ज्यादा ही लो कट थी...
रानी - हाँ मम्मी को वैसा ही पसंद है.
भानु - यार उस दिन तो मैं बहुत डर गया था की तू नाराज हो गयी होगी...
(दोनों के मन में एक ही बात चल रही थी लेकिन दोनों में से कोई भी पहले नहीं बोलना चाह रहा था...रानी ज्यादा समझदार थी उसे ये बात समझ में आ गयी और उसने सोचा की उसे ही पहल करनी चाहिए )
रानी - हाँ मुझे पहले तो गुस्सा आया की तू ये सब क्यों कर रहा है और तूने मुझे भी शामिल कर लिया है....यार हमारे पेरेंट्स अगर मजे कर रहे हैं जिंदगी में तो इसमें हर्ज ही क्या है? हमें बुरा नहीं लग्न चाहिए न?
(भानु को तो जैसे मौका ही मिल गया था..उसने नोटिस किया की रानी ने बात डायरेक्ट ही मुद्दे पर डाल दी थी. वो इधर उधर की बात में टाइम नहीं वेस्ट कर रही थी. भानु की भी हिम्मत बंधी थोड़ी इस बात से )
भानु - नहीं इसमें कोई हर्ज नहीं. और फिर अपनी लाइफ में तो सभी मजे करते हैं लेकिन ऐसा भी क्या मजा करना की सब कुछ दूसरों को भी दिखे. हमें तो नहीं दिखना चाहिए न उनका मजा.
रानी - तो वो हमें दिखा थोड़ी न रहे हैं. बल्कि हम ही टांक झाँक कर रहे हैं उनकी लाइफ में. उनकी नहीं बल्कि हमारी गलती है.
भानु - हाँ है. लेकिन फिर भी...और फिर ये सब पार्टी में कैसे कैसे ड्रेस पहनते हैं. वो सही है क्या? ये अकेले मजे करते हैं या ग्रुप में?
रानी - यार देख मुझे तो लगता है की थोडा बहुत पार्टी कर लेने से इनका मूड फ्रेश रहता होगा और फिर एक ही लाइफ जी जी के बोर भी तो होते होंगे न..इसलिए थोडा बहुत एन्जॉय कर लेते हैं...
भानु - तुझे लगता है ये सब सही है?
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