FUN-MAZA-MASTI
बेशरम चूत ...4
रानी - यह कब ले आया तू?? तेरे पास तो पहले से ही लैपटॉप है फिर इसकी क्या जरुरत थी?
भानु - मैंने बताया था न की घर के सब सीसी टीवी कैमरा की फीड मैंने अपने सिस्टम से जोड़ ली है तो उसके लिए लैपटॉप से काम नहीं चलता. इसलिए यह ले आया....अब देखना घर की जितनी भी नौकरानियां हैं न उन सब को मैं यहाँ से बैठे बैठे देखूंगा...
रानी - हाँ पहले देखेगा फिर मौका निकाल के उनकी लेगा और फिर मुझसे कहेगा की यह पेट से है वो पेट से हैं...मैं तो नहीं हेल्प करने वाली तेरी.
भानु - अरे नहीं.मैं कल सोच रहा था की इनके साथ सेक्स नहीं करूँगा. इन्हें तो बस तब तक के लिए रखूँगा जब तक मुझे यहाँ कोई सेटिंग नहीं मिल जाती. बस देख के आँख सकूंगा...
रानी - इतनी अकल अगर पढाई में लगायी होती तो अच्छी नौकरी मिल जाती तुझे.
भानु - नौकरी की क्या जरुरत है? मैं तो यहीं कोई बिज़नस करूँगा और अपने ऑफिस में एक से एक टंच माल को नौकरी दूंगा. उन्हें महीने की सैलरी दूंगा और उसके बदले में उनकी सेवा लूँगा.
रानी - देखना एक दिन तू इतनी जल्दी बुद्धा हो जायेगा की कुछ कर नहीं पायेगा. खुद को इतना खर्च मत कर की बाद के लिए कुछ बचे ही न....
भानु - ऐसा कुछ नहीं होने वाला. मैं तो मरते दम तक जवान रहूँगा..
रानी - हाँ हाँ तू तो सुपरमैन है. चल अब जरा अपना सिस्टम तो दिखा..
भानु - नहीं अभी नहीं...अभी मैं पूरा डाटा लोड कर रहा हूँ...करीब तीन महीने पुरानी तक की फीड्स हैं..वो सब इसमें आ जाएँगी. बहुत डाटा है. शायद आज का पूरा दिन तो इसी में लग जायेगा....तू क्या कर रही है आज?
रानी - कुछ नहीं. अभी तो नहाने जा रही हूँ. फिर आज माँ पापा के साथ कहीं घुमने जाने का प्लान बनूंगी....
भानु - ठीक है. मैं तब तक अपना यह काम निपटा लेता हूँ...
रानी वहां से बाहर आ गयी...वो बड़ी खुश थी की भानु ने उससे कल रात की मूवी के बारे में नहीं पुचा था....और उसका कारण यह था की अभी तो भानु को वो सीसी टीवी के सिवा कुछ दिख नहीं रहा था......शायद यह दोनों ही नहीं जानते थे की अनजाने में इनके हाथ में क्या चीज लग गयी थी और उसके कारण यह दोनों आगे किस किस बात से सामना करने वाले थे इसका भी इन्हें कोई अंदाजा नहीं था....उदर काकी सोम और नीलू तीनो ही यह सोच रहे थे की वो हर बात में बहुत सावधान हो गए हैं लेकिन उन्हें यह जरा भी याद नहीं रह गया था की घर में कमरों के अन्दर छोड़कर बाकी हर जगह पर सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं.....सब अपनी तरफ से नार्मल लाइफ जी रहे थे लेकिन इनकी यह नार्मल लाइफ इन्हें किस तरह एब्नार्मल टाइम दिखाने वाली थी इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था.....
सोम घर वापस आ गया था.....काकी उसी का वेट कर रही थी...उसे आते देख काकी ने अख़बार को एक किनारे रख दिया और उसे अपने पास बैठने को कहा...सोम सामने रखी कुर्सी पर आ के बैठ गया...काकी की नजर में हजारों सवाल एक साथ आ गए.....
सोम- मुझे पता था तुम यहीं बाहर मिलोगी सुधा.
काकी - तू मुझे जब नाम ले के बुलाता है तो कितना प्यारा लगता है. कितने दिनों बाद मुझे नाम ले के पुकारा है तूने.
सोम - हाँ जब नीलु नहीं होती तभी तो तुझे नाम ले के बुला सकता हूँ न सुधा....उस पगली को कितना बुरा लगता है जब उसके सामने तुझे नाम ले के बुलाता हूँ...
काकी - इसमें उसका क्या दोष रे....उसकी जगह मैं होती तो मुझे भी नहीं अच्चा लगता....और फिर मैं तुझसे उम्र में भी तो बड़ी हूँ न...
सोम - उम्र का इसमें क्या काम है? तू मेरी पहली पत्नी है...नीलू तो मेरी दूसरी पत्नी है.....
काकी - नीलू तेरी दूसरी नहीं तीसरी पत्नी है. अपनी दूसरी पत्नी को तो तू भूल ही गया.
सोम - उस छिनाल कुतिया को मैं याद भी नहीं करना चाहता. मेरे लिए तो सबसे पहले मेरी सुधा थी और फिर नीलू थी..बीच में कोई नहीं .
काकी - हाँ हाँ पता है मुझे...एक तरफ मैं एक तरफ नीलू और बीच में तू......
सोम - चल न अन्दर एक राउंड हो जाये. कितने दिनों बाद आज नीलू नहीं है तो हमें अकेले में मौका मिला है.
काकी - और बच्चों का क्या??? वो तो हैं न घर में.....चल तो यह बात छोड़....सब कुछ सही हुआ तो ऐसे हजार मौके हमें मिलेंगे आगे...पहले यह बता की इंदु से क्या बात हुई...
सोम - वही बात हुई जिसका तुझे अंदेशा था..उसने हमें फंसा लिया अपनी बातों में...हमने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए उसके जाल से. वो बहुत हरामिन है.
काकी - मुझे पता था यही होने वाला है.वो बहुत बड़ी रंडी है और उसने तुम दोनों को उलझा लिया होगा. क्या बोली वो?
सोम - कहने लगी की ऐसे हिम्मत मत हारो. जवानी बीत जाएगी तो फिर किसे चोदोगे और पता नहीं किसी को चोदने लायक रहोगे भी या नहीं तो अभी से हार मत मानो. कुछ न कुछ रास्ता खोजो.
काकी - और तुम लोग उसकी बातों में आ गए?
सोम - क्या करूँ सुधा,...मुझे तो कुछ समझ नहीं आया..मेरे लिए तो यह ख्याल ही सबसे भारी है की चुदाई बंद करनी पड़ेगी.
काकी - अरे पागल तुझे हम दोनों से पेट नहीं भरता क्या? हमने कब तुझे प्यासा रखा है? और जितने चूत तू चोद चुका है एक जनम में उतनी तो कोई बीस जनम में नहीं चोद पता. फिर भी तेरी भूख कम नहीं हुई.
सोम - जनता हूँ सुधा. मुझे हवस के हाथों मजबूर नहीं होना चाहिए था. लेकिन क्या करूँ..बस नहीं चलता...
काकी - तो अब क्या सोचा है?
सोम - इंदु ने कहा है की वो बात कर लेगी सबसे की अगली पार्टी दस दिन बाद होगी. हमारे पास दस दिन हैं कुछ मेनेज करने के लिए.
काकी - दस दिन में क्या होगा? और बात एक पार्टी की नहीं है.....अब बच्चे हमेशा हमारे साथ रहेंगे. आज एक पार्टी कर ली हमने तो आगे भी सब हमें ही करना पड़ेगा. कब तक इसी चक्कर में पड़े रहेंगे?
सोम - मेरी और नीलू की भी यही बात हुई थी...लेकिन फिर भी हम इंदु को मना नहीं पाए...खैर..अब इस पार्टी से तो निपट ही लेते हैं...बाद में देखेंगे की आगे क्या करना है..बच्चे कहाँ हैं?
काकी - अपने अपने कमरे में हैं....आज रानी तुम लोगों के बिज़नस के बारे में पूछ रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया की उसे क्या बताऊँ....ऐसे तो उन दोनों को शक पड़ने लगेगा ....
सोम - मैं आज उसे कुछ समझा दूंगा...तू चिंता मत कर...अब चल न अन्दर...
काकी - नहीं. तू बहुत कमजोर हो गया है. जरा जरा सी बात में तेरी लार टपकने लगती है. मैंने तुझे इतना कुछ सिखाया इतना कुछ दिया लेकिन तू है की कमजोर बन जाता है. उस बहेनचोद इंदु को वहीँ दो थप्पड़ रसीद करता तो उसकी अकाल ठिकाने आ जाती...याद रख औरत जब तक मर्द के नीचे रहती है तब तक ही काबू में रहती है.....और जो औरत रोज रात को अपना मर्द बदलती हो उसकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी....तुम लोगों को इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा...
सोम - हाँ....तुम ही देखो इसे. मैं तो इससे हार गया...अब जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा......अब जाने दो यह सब और कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है...
वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........
इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...
नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...
इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...
नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....
इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?
नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.
इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???
नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....
इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?
नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...
नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....
नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..
इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...
नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???
इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..
नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????
इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....
नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...
इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....
नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???
इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......
नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...
इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....
और दोनों बेडरूम में चली गयीं......
इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...
रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...
नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.
रानी - इंदु आंटी के यहाँ?
नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.
रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?
नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?
रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.
नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.
रानी - यह आपके हाथ में क्या है?
एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.
नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.
रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...
अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.
नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....
रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?
अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...
नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.
रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?
अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...
नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....
नीलू वहां से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी...आज तो वो फंस ही गयी थी..आज उसे एहसास हुआ की काकी इतने दिनों से उन्हें क्या समझा रही थी की ऐसी लापरवाही मत किया करो. अब तो उसे भी लगने लगा की हर कदम पद चौकन्ना रहने की जरुरत है....सोम अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ कर रहा था....नीलू ने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया तो उसने उसे देखा..
सोम - क्या हुआ? ऐसी हैरत में क्यों दिख रही हो?
पूरी बात बताई उसने सोम को की अभी बाहर वो कैसे रानी के जवाब देने में घबरा गयी थी...और फिर उसने वो गिफ्ट के डब्बे दिखाए सोम को.
सोम - पहले दरवाजा ठीक से बंद करो....
नीलू - तुम खोलो इसे.
दोनों डब्बे सोम ने उसे हाथ से ले लिए और लगभग एक साथ ही दोनों डब्बों को खोल लिया...
डब्बे के अन्दर से यह निकला...
सोम - ओ मादरचोद यह क्या है?
नीलू - इसे स्ट्रेपओन कहते हैं . अब तो तुम गए काम से.
सोम - क्यों???
नीलू - यह औरतों के लिए लंड का काम करता है. देखो यह पेंटी में फिट है. इसे पहन के मैं भी लंड वाली बन जाउंगी और फिर तुम्हें चोदूंगी अपने इस लंड से.
सोम - अभी बाहर रानी के सामने गांड फट रही थी तुम्हारी और अब फिर चोदा चादी की बात शुरू केर दी.
नीलू -सॉरी सॉरी. लेकिन यह देखो न कितना बढ़िया गिफ्ट दिया है जब तुम नहीं रहोगे तब मैं काकी एक दुसरे को चोद लेंगे. मैं तो कब से कह रही थी की डिलडो ला दो डिलडो ला दो लेकिन तुमने नहीं सुना. अब देखो मेरी कितनी अच्छी सहेली है. इंदु कितनी अच्छी है. कितना बढ़िया गिफ्ट ला के दिया मुझे.
सोम - तुम तो ऐसे पागल हो रही हो जैसे की बच्ची को पहली बार कुछ मिला है. इतना न उछलो
नीलू - हाँ हाँ तुम न उछलो. कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी गांड में घुस जाये मेरा लंड...हा हा हा हा अब तो मेरे पास भी लंड है...मैं भी तुमको चोदूंगी. तुम कहोगे अब बस अब दुःख रही है मेरी गांड और मैं एक नहीं सुनूंगी मैं तो तुम्हें दिन रत रगड़ रगड़ के चोदूंगी. इतना चोदूंगी की तुम एक नंबर की रांड बन जाओगे....
वैसे तो नीलू दो बच्चों की माँ है लेकिन वो अभी भी बहुत बचपना करती है और अभी यह गिफ्ट देख के उसका वही रूप बाहर आ रहा था...सोम को वैसे तो नीलू का बचपना करना हमेशा ही अच्छा लगता था लेकिन आज उसे थोड़ी खुन्नस हो रही थी क्योंकि अब तो सच में उसकी गांड को खतरा हो गया था....लेकिन नीलू को कोई फिक्र ही नहीं थी...वो कभी उस पेंटी को कपड़ों के उपर से ही अपने चूत पर रखती और कमर ऐसे हिलाती जैसे सच में सोम को चोद रही है...कभी वो और कुछ भौंडे इशारे करती सोम को देख के...सोम यह सब देख देख चिढ रहा था...उसे अभी थोड़ी देर पहले काकी से हुई अपनी बात याद आ रही थी..और तभी उसे आईडिया आया की नीलू के इस बचपने से उसे काकी ही बचा सकती है....उसने तुरंत ही काकी वो आवाज लगा दी.....काकी उस समय अपने कमरे में थी और सोम की आवाज सुन के ही उसकी समझ में आ गया की कुछ गड़बड़ है....वो तुरंत अपने हाथ का काम बंद कर के उसके कमरे में आ गयी....अन्दर आ के उसने देखा की नीलू और सोम दोनों बिस्टर पर हैं....सोम तो चुपचाप लेता हुआ है लेकिन नीलू हाथ में कुछ काले कपडे जैसा लिए हवा को चोद रही है..काकी को कुछ समझ नहीं आया,...उसने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया और सोम को इशारा किया की यह क्या हो रहा है...
सोम - देखो न इसको. समझो कुछ. कितनी बार कहा है जरा ठीक से रहो लेकिन इसका बचपना नहीं ख़त्म होता.
काकी - क्यों री?? क्या कर रही है और यह हाथ में क्या है???
नीलू - काकी यह है मेरा लंड और वो डब्बे में एक लंड तुम्हारे लिए भी रखा है. तुम भी ले लो. फिर हम अपना अपना लंड पहन के सोम को छोड़ेंगे. अभी तक हम सोम की रंडियां थे अब सोम हमारी रंडी बनेगा. मैं तो बहुत खुश हूँ..देखो न काकी तुम्हारे लिए भी है उस डिब्बे में.
दुसरे डिब्बे को अपने हाथ में ले के काकी ने जब उसमे रखा सामान बहार निकला तो उसे भी वही मिला.....लेकिन काकी इन दोनों से ज्यादा समझदार तो वो एक पल में ही समझ गयी की यह क्या चीज है...
काकी - क्या है यह?
नीलू - काकी ये आज के जमाने का लंड है. हम औरतों के लिए है. इसे पेंटी जैसा पहन लो. फिर हमारे पास भी लंड हो जायेगा,.मैं पिक्चर में खूब देखा है. इसे डिलडो कहते हैं. तुम्हारे जमाने में नहीं होता था ये. ये आजकल की चीज है. पर तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. और जब सोम बाहर जायेगा तब भी हम इसे पहन लेंगे और एक दूसरी की चुदाई करेंगे. यह हमें इंदु ने दिया है. उसके पास तो ऐसे बहुत सारे हैं.उसने हमारे लिए मंगवाया है यह. कितनी अच्छी है न इंदु. बोलो न काकी....तुम्हें अच्चा लगा न...चलो न पहन के दिखाओ की कैसा लग रहा है...
काकी - तू सांस भी ले ले नहीं तो बोल बोल के मर जाएगी और पहले तो ऐसे उछलना बंद कर. और अपनी आवाज जरा धीमी कर और चुप हो के बैठ जा.
ये सुन के नीलू सच में शांत हो गयी. काकी के सामने वो हमेशा ही दब के रहती थी....काकी ने उस डब्बे को पूरा खोला और फिर उसे हाथ में ले के सोम की तरफ देख के कहा....
काकी - तू एकदम लौड़े का बाल ही रहेगा जिंदगी भर. चूतिये साले मैंने तुझे कुछ सिखाया है की नहीं...तुझे समझ में नहीं आया की ये क्या है???
सोम - मुझे तो आ गया समझ में लेकिन इसे कौन समझाए? ये तो कुछ सुन ही नहीं रही है. तब से शुरू है की तुझे चोदूंगी मेरा लंड है. इतना तो मैं अपना लंड देख के नहीं पागल हुआ था जितना यह इसे देख के हुई जा रही है.
काकी - तू कब सुधरेगा??? और तू कब बड़ी होगी? जरा सी बात पर बच्चों जैसा फुदकती है...
नीलू - अब क्या कर दिया मैंने???
काकी - ध्यान से देख इसे??
नीलू - देख तो रही हूँ. इसे पेंटी के जैसे पहन लेना है फिर यह लंड बन जायेगा.
काकी - यह काला वाला पॉइंट जिसे तू लंड कह रही है यह पेंटी के अन्दर है बाहर नहीं है. जब तू उसे पहनेगी तो यह बाहर नहीं रहेगा बल्कि तेरी चूत में घुस जाएगा.
नीलू - नहीं काकी. यह लंड जैसा बाहर लटकेगा. मैं पिक्चर में देखा है.
काकी - अच्छा??? अगर ऐसा है तो यह लंड इतना छोटा क्यों है?????
नीलू -वो तो सोम का भी छोटा रहता है फिर तन के बड़ा हो जाता है न वैसे ही यह भी बड़ा हो जायेगा.
काकी - हे भगवन क्या करूँ मैं इसका...यह कब बड़ी होगी...अरे पगली ...ध्यान से देख इसे...यह छोटा सा काला सा जो है यह तेरी चूत में जायेगा और जब तू उसे पहन लेगी तो ऐसा लगेगा जैसे लंड तेरी चूत में फंसा हुआ है. ये तुझे चोदने के लिए है. ताकि तू हमेशा अपनी चूत में चुदाई का एहसास फील कर पाए. इससे तू किसी को चोद नहीं सकती..
नीलू - क्या????
काकी - हाँ. और यह इसके साथ में रिमोट है.इसे पहन के तू जब इस रिमोट को चालू करेगी तो तेरी चूत में खुजली करेगा यह. जैसे जब लंड अन्दर बाहर घिस्से खता है न चूत में वैसी फीलिंग देगा ये. ये उन औरतों के लिए है जो हर समय चुदना चाहती हैं लेकिन चुद नहीं पाती.
नीलू - तो ये इंदु ने क्यों दिया मुझे???
काकी - वही तो कहती हूँ की तू कब बड़ी होगी...यह इंदु ने तुझ पर ताना मारा है. वो चिढ़ा रही है तुझे. अब तक पुरे ग्रुप में तू ही सबसे ज्यादा चुदासी थी और हमेशा सोम से चुदती थी. लेकिन अब बच्चे आ गए तो तेरी भी चुदाई कम हो गयी इसलिए इंदु ने तुझ पर ताना मारा है की अब तू भी बाकी की औरतों की तरह इसी तरह की चीजों से अपनी चूत की प्यास बुझाएगी. यह कोई गिफ्ट नहीं है बल्कि उसने व्यंग मारा है तुझ पर. अब समझ में आया?????
नीलू ये बात सुन के थोडा दुखी हो गयी...काकी ने उसे थोडा लाड से समझाया की कोई बात नहीं. अभी भी तेरे पास ही सबसे बढ़िया मर्द पति है. तू क्यों परेशान होती है. और फिर हम इस गिफ्ट का भी स्वाद लेंगे. दोनों इसे पहन के घूमेंगे घर में. किसी को पता नहीं चलेगा की अन्दर ही अन्दर हमारी चूत की मालिश हो रही है.....नीलू का मूड थोडा ठीक हुआ तो वो लोग अपने अपने काम में लग गए......
दूसरी तरफ भानु का सिस्टम अब कुछ कुछ काम करने लगा था....काफी डाटा डाउनलोड हो चुका था और भानु ने सोचा की एक बार चेक कर के देख लेता हूँ की इसमें क्या क्या है........और वो अपने सिस्टम पर चेक करने के लिए बैठ गया........
भानु जब अपने सिस्टम पर बैठा तो थोड़ी देर तक उसे कुछ समझ में नहीं आया की करे क्या....अभी भी काफी सारा डाउनलोड होना बाकी था.....दरअसल वो मेन सर्वर से सारा डाटा अपने सिस्टम पर डाल रहा था..उसने किसी तरह से दोनों कंप्यूटर को कनेक्ट कर लिया था....फिर उसने अपने एक दोस्त को कॉल किया और काफी देर तक उससे इस बारे में बात की...उसने यह तो नहीं बताया की वो उससे यह सब क्यों पूछ रहा है और इसका क्या उपयोग करेगा....कितना अजीब लगता बोलने में की वो अपने ही घर की इस तरह निगरानी कर रहा है...उसका दोस्त क्या सोचता उसके बारे में...वैसे अभी उसे खुद भी यह एहसास हो रहा था की यह थोड़ी नहीं बल्कि बहुत अजीब बात है की वो इस तरह से घर की निजता में दखल दे रहा है...लेकिन बहुत दिनों से उसे सेक्स का कुछ भी राशन नहीं मिला था..और उसे लग रहा था की यहाँ से उसे कम से कम घर में काम करने वाली औरतों को देखन में सहूलियत रहेगी....इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं सोचा था...वो कभी सपने में भी अपने घर में निगरानी करने की बात नहीं सोच सकता था...कुछ देर वो डाटा डाउनलोड होता देखता रहा लेकिन वो ऐसे बैठे बैठे बोर हो रहा था तो उसने सोचा की ये देख लेता हूँ की क्या क्या डाटा है......
लेकिन बहुत जल्दी उसे समझ में आ गया की उसने डाटा ट्रान्सफर करने में कोई गड़बड़ी कर दी है क्योंकि अब तक जो फाइल्स पूरी डाउनलोड हुई थी तो डेट वाइज नहीं थी....सब फाइल्स ऐसे ही बेतरतीब ढंग से डाउनलोड हो रही थी..उसे लगा की यह तो बड़ी आफत है..अगर डेट वाइज होती तो अच्चा रहता क्योंकि उससे देखने में आसानी रहती....ऐसे में तो उसके पास इतनी सारी फाइल्स हो जाएँगी की कुछ पता ही नहीं चलेगा की कौन सी फाइल किस फाइल के बाद की है....फिर उसने नोटिस किया तो पाया की हर फाइल ठीक एक घंटे की है....मतलब हर दिन में २4 फाइल्स होती हैं....अब अगर यही फाइल्स डेट और टाइम के साथ होती तो वो एक लाइन से एक एक दिन की फाइल्स देख सकता था.....लेकिन ऐसा हुआ नहीं था...मतलब वो रैंडम तरीके से किसी भी दिन के किसी भी घंटे की फाइल देख सकता था....फिर उसने सोचा की इतनी भी क्या अकल लगाना इस चीज के पीछे....वो धीरे धीरे अपना उत्साह खोता जा रहा था इस काम में....उसे समझ में आ रहा था की यह तो अपने आप में बड़ी मुसीबत है...इसमें तो मनोरंजन कम और मेहनत ज्यादा है.....उसने एक रैंडम फोल्डर पैर क्लिक किया....इस फोल्डर में कुछ पिक्स थी..ज्यादातर पिक्स अभी अधूरी थी इसलिए खुल नहीं रही थी...उसने एक पिक पर क्लिक किया तो वो बड़ी साइज़ की हो गयी...यह नीलू की पिक थी...
उसे पिक देख के लगा की क्या बुरी किस्मत है...अभी मन में यही चल रहा है की यह काम करूँ या न करूँ और पहली ही पिक उसकी अपनी माँ की ही आ गयि...पिक में ऐसा कुछ बुरा नहीं था..सिंपल पिक ही थी....हाँ ब्लाउज थोडा लो कट था लेकिन बड़े शहर में और हर तरह की अरतों के साथ रह रह कर भानु के लिए यह सब अब इतना आम हो चुका था की उसे इसमें कुछ बुरा या गलत नहीं लगा...उसकी नजर में तो यह नार्मल पिक ही थी...उसने सिस्टम वैसे ही चलने दिया और वो खुद कमरे से निकल के रानी के कमरे की तरफ जाने लगा...उसने देखा की उसके पेरेंट्स का कमरा बंद था....उसे याद आया की अक्सर वो उस कमरे को बंद ही देखता है....घर में सब घर के ही लोग हैं तो फिर ये लोग कमरा इस तरह से बंद क्यों करते हैं.....खैर उसने इस बात पर ज्यादा नहीं सोचा और रानी के कमरे की तरफ बढ़ गया...रानी ने कमरे को बंद नहीं किया था..उसक दरवाजा आधा खुला और आधा बंद था.....भानु जैसे ही अन्दर आया तो उसने देखा की रानी अपने लैपटॉप पर कुछ कर रही है...भानु के अन्दर आते ही उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और एकदम नोर्मल बिहेव करने लगी....भानु यह देख के मुस्कुरा दिया...
रानी - इस तरह क्यों मुस्कुरा रहा है???
भानु - मुझे पता है तू क्या कर रही थी सिस्टम पर...
रानी - अच्छा??? बता तो मैं क्या कर रही थी?
भानु - रहने दे. मुझे बता के तुझे और शर्मिंदा नहीं करना. देख तेरे गाल कैसे लाल हो गए हैं...तुझे अगर ठीक लगे तो मैं बाहर चला जाता हूँ थोड़ी देर के बाद आ जाऊंगा...
रानी - ओ गंदे दिमाग..तेरा तो दिमाग ही बस एक ही तरफ जाता है...मैं तो बस ऐसे ही अपना अकाउंट चेक कर रही थी की दोस्तों ने क्या अपडेट भेजी है...
भानु - तुझसे झूट बोलते नहीं बनता....तू कहे तो मैं सच में बाहर चला जाता हूँ. मुझे बुरा नहीं लगेगा...
रानी - नहीं यार...सच में कुछ नहीं कर रही थी..ऐसे ही बस....तू आ न अन्दर..कुछ बात करते हैं..अकेली बैठी बैठी मैं बोर हो रही थी...
भानु - हाँ यार. मैं बी बहुत बोर हो रहा था..इसीलिए तेरे पास चला आया....
रानी - वो तेरे सिस्टम का क्या हुआ ? फाइल्स ट्रान्सफर हो गयीं?
भानु - नहीं अभी हो रही हैं.....एक ही पिक देखि अभी तक तो...और वो भी माँ की निकली...
रानी - हा हा हा हा हा तेरी बुरी किस्मत....कितना टाइम लगेगा पूरा डाउनलोड होने में?
भानु - एक दो घंटे और लगेंगे बस....फिर देखूंगा की कुछ मजेदार मिलता है की नहीं...
रानी - जब हो जाये तो मुझे भी दिखाना,.....मैं भी थोडा मनोरंजन कर लूंगी...
भानु - यार मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा ???
रानी - क्यों ऐसा क्या मिल जायेगा तुझे उस सब फाइल्स में जो गलत होगा????
भानु - पता नहीं क्या मिलेगा क्या नहीं. मुझे लगा की कहीं मैं घर के लोगों की निजता तो नहीं भंग कर रहा न...
रानी - अरे बाप रे...इतना कब से सोचने लगा तू????? कुछ दिन सेक्स नहीं मिला तो तू तो साधू हो गया......
भानु - मजाक मत कर. ठीक से बता मैं ठीक कर रहा हूँ?
रानी - देख इतना तो मैं जानती हूँ की हमारे पेरेंट्स अभी भी बहुत एक्टिव हैं.
भानु - एक्टिव हैं मतलब???
रानी - एक्टिव हैं मतलब एक्टिव हैं यार....अब इससे ज्यादा क्या कहूँ???
भानु - कैसे एक्टिव हैं?? ठीक से बता?
रानी - मतलब उनके बीच रोमांस अभी ख़त्म नहीं हुआ है. नॉर्मली इस उम्र में कपल्स के बीच रोमांस या तो ख़त्म हो जाता है या बहुत कम हो जाता है..लेकिन इनके बीच ऐसा नहीं है.
भानु - तुझे कैसे पता??
रानी - बस पता है.....और यह भी पता है की मुझे सही पता है.
भानु - बता न कैसे पता है? तूने क्या देख लिया?
रानी - ऐसा कुछ नहीं देखा....लेकिन माँ हर सुबह जब सो के उठती हैं तो उनके चेहरे का ग्लो और उनके बदन के हल्केपन से ही पता चल जाता है की वो पूरी तरफ से संतुष्ट होती हैं.
भानु - यह कैसे पता चलता है? मुझे भी सिखा.
रानी - यह कोई सिखने वाली चीज नहीं है. यह बस हम औरतों की इंस्टिंक्ट होती है. हमें एक दुसरे को देख के समझ में आ जाता है की कौन कितना एक्टिव है.....
भानु - ओके.....और बता कुछ...
रानी - और मुझे क्या पता? मैं उनकी जासूसी थोड़ी न करती हूँ...इतना ही पता है बस..तो इसलिए हो सकता है तुझे वो दोनों ही दिख जाएँ उन कैमरा में....तो यह तू सोच ले की तुझे वो सब फाइल्स देखनी हैं की नहीं...
भानु - यार तूने तो सीरियस कर दिया. मुझे नहीं देखना अगर ऐसा है तो.
रानी - अरे पागल जरुरी थोड़ी न है की वो लोग ही दिखेंगे और कुछ करते हुए ही दिखेंगे...तू तो देख और मुझे भी दिखा....वैसे भी यहाँ बहुत बोरियत होती है.और हमारे पेरेंट्स अगर एक्टिव हैं भी तो क्या हर्ज है आखिर दोनों हैं तो मियां बीवी ही न..उनके बीच तो सब जायज है...तू बेकार में मत सोच....तू तो फाइल डाउनलोड कर फिर दोनों मिल के देखेंगे...
भानु - ओके....अच्छा तू आज काकी से क्या बात कर रही थी...मैं नीचे आने वाला था मैंने तुम दोनों को बात करते देखा तो लगा की मेरे जाने से रुकावट होगी तो नहीं आया...
रानी - ऐसे बस इधर उधर का पूछ रही थी....कुछ खास बात नहीं की...काकी ने बताया की वो लोग बहुत पार्टी करते हैं...उनका बहुत अच्छा ग्रुप है....सब मिल जुल के रहते हैं और बहुत एन्जॉय करते हैं लाइफ को बस...
भानु - लेकिन हमारे आने के बाद से तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोई पार्टी नहीं हुई.
रानी - हाँ तो वो अभी तो हम लोगों के साथ बिजी हैं न....इसलिए नहीं हुई होगी....
भानु - अच्छा सुन मैं सोच रहा था की किसी दिन अपने फार्म हाउस चलते हैं...एक दो दिन वहाँ रहेंगे तो मूड बदल जायेगा..
रानी - हाँ ये ठीक रहेगा...यहाँ पड़े पड़े बोर होने से अच्छा है की वहां चलते हैं...वहाँ तो पूल भी है न....मजा आएगा..
भानु - हाँ...इसी वीकेंड पर चलते हैं...
दोनों ने उसी समय प्लान बनाया की काकी को भी अपने साथ ले चलेंगे और दो दिन वहीँ रहेंगे..काकी रहेंगी तो ठीक रहेगा नहीं तो वहां तो हम अपने स्टाफ को भी नहीं जानते...अकेले जायेंगे तो वहां भी बोर हो जायेंगे...और फिर दोनों ने फाइनल किया की अभी खाना खा लेते हैं और उसके बाद तब तक डाउनलोड हुई फाइल्स को देखेंगे......उधर दूसरी तरफ सोम और नीलू के कमरे में....
नीलू - आज इंदु ने काकी के बारे में बहुत परेशां किया...
सोम - क्या कहा??
नीलू - वही जो उसकी हमेश की नाक घुसाने की आदत है की काकी कौन हैं हामारे साथ कब से हैं और फिर तुम्हारा और काकी का ये रिश्ता कैसे है...
सोम - ये इंदु न जरुरत से ज्यादा सवाल करती है.....
नीलू - मुझे तो अब लग रहा है की वो घुमा फिराकर हमें काकी के बारे में ब्लैक मेल कर रही है...
सोम - वो कैसे?
नील - देखो न अगर उसकी बात को मानें तो जो वो सोच रही है वो ये है की काकी तुम्हारी रिश्तेदार हैं....और तुम्हारी काकी हैं मतलब मेरी तो सास हुई न...और फिर हमारे बीच जिस तरह का रिश्ता है वो तो समाज की नजर में गलत ही है न...
सोम - हाँ लेकिन हमने तो पहले ही सबको बताया हुआ है न की काकी तो उन्हें सिर्फ नाम से बुलाते हैं....कहने भर की काकी हैं वैसे कोई रिश्ता नहीं है. सब को तो यही बताया है हमने तो फिर शक की बात ही कहाँ है..
नीलू - हाँ लेकिन इंदु की तो जासूसी करने की आदत है न...वही तो आज सब पूछ रही थी की कब से हैं काकी और यह सब रिश्ता कैसे बना उनके साथ और मैं कैसे ये सब के लिए हामी भर देती हूँ...
सोम - तुम कैसे मतलब??
नीलू - कह रही थी की मैं कैसे अपने सामने ही अपने पति को किसी और को चोदते हुए देख लेती हूँ और शामिल भी हो जाती हूँ...
सोम -अरे वाह??? छिनाल खुद भी तो कितनी बार चुदी है हमारे साथ..तब तो उसे यह ख्याल नहीं आया...अब यह सवाल कर रही है...
नीलू - तुम तो जानते ही हो इंदु की आदत...वो तो इतनी बड़ी रंडी है की पहले अपने बाप को अपनी चूत दिखा दिखा के उससे चुदवा लेगी और फिर पूछेगी की मुझे चोद के कैसा लगा मुझे क्यों चोदा क्या मुझे हमेशा से चोदना चाहते थे....वो पूरी बात अपने बाप पर डाल देगी जैसे सारी गलती उसके बाप की हो...
सोम - ये बाप कहाँ से बीच में आ गया? क्या बोल रही हो तुम?
नीलू - अरे ये इंदु ने आज दिमाग में एक अजीब सी बात डाल दी है...वही सोच रही थी...तुमने नोटिस किया है की वो आजकल तुम्हें भाईसाब कहती है और भाई शब्द पर बड़ा जोर देती है.
सोम - हाँ. पहले तो हमेशा मुझे नाम से ही बुलाती थी लेकिन इन दिनों तो बस हमेशा भाईसाब ही कहती हैं......
नीलू - आज मैंने भी उसे पूछ लिया की यह क्या चक्कर है तो कुतिया की औलाद रंडी साली कहती है की तुम्हें भाई सोच के चुदाने में उसे बड़ा मजा आता है...
सोम - ओ तेरी....
नीलू - हाँ वही तो...वो तो तुम्हें भाई मान के तुमसे मजे कर रही है...
सोम - मुझे नहीं बनना किसी का भाई शाई...समझा देना उसे ये मुझे बिलकुल पसंद नहीं है.
नीलू - हाँ जैसे मैं कुछ कहूँगी और वो मान लेगी......मुझे तो चिंता हो रही है की वो काकी के बारे में अपनी नाक कुछ ज्यादा ही घुसेड़ रही है...कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये...
सोम - क्या गड़बड़ होगी? किसे पता है हमारे बारे में? हमें तो इस शहर में हमसे पहले कोई जनता भी नहीं था. लोग तो वही मानेंगे जो उनसे हम कहेंगे..
नीलू - नहीं सोम. लोग बहुत मादरचोद होते हैं इस बारे में......और फिर सच कितने दिन तक छुपा रहेगा...काकी है तो तुम्हारी काकी ही न...
सोम - सिर्फ मेरी काकी है? तुम्हारी कुछ नहीं है?
नीलू - सोम नाराज क्यों होते हो? क्या मैंने कभी काकी की कम इज्जत की है? कभी काकी से कम प्यार किया है? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैं काकी से कितना जलती हूँ....
सोम - नहीं ऐसी बात नहीं है...लेकिन फिर ये भी तो देखो की तुम मुझे काकी को सुधा नहीं कहने देती...
नीलू - वो तो बस ऐसे ही सोम...मुझे लगता है की थोड़ी बंदिश डाल देने से उस बंदिश को तोड़कर चोदा चादी करने का मजा बढ़ जाता है...सिर्फ इसीलिए वरना मुझे कोई दिक्कत नहीं है...मैं जानती हूँ की जैसे मैं तुम्हारी बीवी हूँ वैसे ही काकी को भी तुम अपनी बीवी ही मानते हो और उतना ही प्यार करते हो....भूल गए हमारी तो सुहागरात में भी काकी हमारे साथ थी....मैंने तो काकी को हमेशा ही हमारे बीच कोई बाधा नहीं माना है..मैं तो खुद उनकी बहुत शुक्रगुजार हूँ...
सोम - हाँ नीलू....मैं जनता हूँ.....
नीलू - देखो न इस सुअरिया के कारण हमारे बीच भी कैसी बहस होने लगी..हमने तो कभी काकी से खुल्ली चुदाई करने में कभी ऐसी बहस नहीं की...लेकिन इसने हमारे बीच भी ये दरार डालने की कोशिश की...
सोम - हाँ....सही कह रही हो..इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा.....
नीलू - हाँ कुछ तो सोचना ही पड़ेगा इसका नहीं तो हमें बर्बाद कर देगी.....अच्चा अब चलो खाना खा लेते हैं बच्चे भी लंच का वेट कर रहे होंगे.....
वो दोनों अपने कमरे से निकल कर खाने की टेबल पर आ गए...वहां पहले से ही काकी और दोनों बच्चे मौजूद थे..उनके बीच कुछ बात चल रही थी...
बेशरम चूत ...4
रानी - यह कब ले आया तू?? तेरे पास तो पहले से ही लैपटॉप है फिर इसकी क्या जरुरत थी?
भानु - मैंने बताया था न की घर के सब सीसी टीवी कैमरा की फीड मैंने अपने सिस्टम से जोड़ ली है तो उसके लिए लैपटॉप से काम नहीं चलता. इसलिए यह ले आया....अब देखना घर की जितनी भी नौकरानियां हैं न उन सब को मैं यहाँ से बैठे बैठे देखूंगा...
रानी - हाँ पहले देखेगा फिर मौका निकाल के उनकी लेगा और फिर मुझसे कहेगा की यह पेट से है वो पेट से हैं...मैं तो नहीं हेल्प करने वाली तेरी.
भानु - अरे नहीं.मैं कल सोच रहा था की इनके साथ सेक्स नहीं करूँगा. इन्हें तो बस तब तक के लिए रखूँगा जब तक मुझे यहाँ कोई सेटिंग नहीं मिल जाती. बस देख के आँख सकूंगा...
रानी - इतनी अकल अगर पढाई में लगायी होती तो अच्छी नौकरी मिल जाती तुझे.
भानु - नौकरी की क्या जरुरत है? मैं तो यहीं कोई बिज़नस करूँगा और अपने ऑफिस में एक से एक टंच माल को नौकरी दूंगा. उन्हें महीने की सैलरी दूंगा और उसके बदले में उनकी सेवा लूँगा.
रानी - देखना एक दिन तू इतनी जल्दी बुद्धा हो जायेगा की कुछ कर नहीं पायेगा. खुद को इतना खर्च मत कर की बाद के लिए कुछ बचे ही न....
भानु - ऐसा कुछ नहीं होने वाला. मैं तो मरते दम तक जवान रहूँगा..
रानी - हाँ हाँ तू तो सुपरमैन है. चल अब जरा अपना सिस्टम तो दिखा..
भानु - नहीं अभी नहीं...अभी मैं पूरा डाटा लोड कर रहा हूँ...करीब तीन महीने पुरानी तक की फीड्स हैं..वो सब इसमें आ जाएँगी. बहुत डाटा है. शायद आज का पूरा दिन तो इसी में लग जायेगा....तू क्या कर रही है आज?
रानी - कुछ नहीं. अभी तो नहाने जा रही हूँ. फिर आज माँ पापा के साथ कहीं घुमने जाने का प्लान बनूंगी....
भानु - ठीक है. मैं तब तक अपना यह काम निपटा लेता हूँ...
रानी वहां से बाहर आ गयी...वो बड़ी खुश थी की भानु ने उससे कल रात की मूवी के बारे में नहीं पुचा था....और उसका कारण यह था की अभी तो भानु को वो सीसी टीवी के सिवा कुछ दिख नहीं रहा था......शायद यह दोनों ही नहीं जानते थे की अनजाने में इनके हाथ में क्या चीज लग गयी थी और उसके कारण यह दोनों आगे किस किस बात से सामना करने वाले थे इसका भी इन्हें कोई अंदाजा नहीं था....उदर काकी सोम और नीलू तीनो ही यह सोच रहे थे की वो हर बात में बहुत सावधान हो गए हैं लेकिन उन्हें यह जरा भी याद नहीं रह गया था की घर में कमरों के अन्दर छोड़कर बाकी हर जगह पर सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं.....सब अपनी तरफ से नार्मल लाइफ जी रहे थे लेकिन इनकी यह नार्मल लाइफ इन्हें किस तरह एब्नार्मल टाइम दिखाने वाली थी इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था.....
सोम घर वापस आ गया था.....काकी उसी का वेट कर रही थी...उसे आते देख काकी ने अख़बार को एक किनारे रख दिया और उसे अपने पास बैठने को कहा...सोम सामने रखी कुर्सी पर आ के बैठ गया...काकी की नजर में हजारों सवाल एक साथ आ गए.....
सोम- मुझे पता था तुम यहीं बाहर मिलोगी सुधा.
काकी - तू मुझे जब नाम ले के बुलाता है तो कितना प्यारा लगता है. कितने दिनों बाद मुझे नाम ले के पुकारा है तूने.
सोम - हाँ जब नीलु नहीं होती तभी तो तुझे नाम ले के बुला सकता हूँ न सुधा....उस पगली को कितना बुरा लगता है जब उसके सामने तुझे नाम ले के बुलाता हूँ...
काकी - इसमें उसका क्या दोष रे....उसकी जगह मैं होती तो मुझे भी नहीं अच्चा लगता....और फिर मैं तुझसे उम्र में भी तो बड़ी हूँ न...
सोम - उम्र का इसमें क्या काम है? तू मेरी पहली पत्नी है...नीलू तो मेरी दूसरी पत्नी है.....
काकी - नीलू तेरी दूसरी नहीं तीसरी पत्नी है. अपनी दूसरी पत्नी को तो तू भूल ही गया.
सोम - उस छिनाल कुतिया को मैं याद भी नहीं करना चाहता. मेरे लिए तो सबसे पहले मेरी सुधा थी और फिर नीलू थी..बीच में कोई नहीं .
काकी - हाँ हाँ पता है मुझे...एक तरफ मैं एक तरफ नीलू और बीच में तू......
सोम - चल न अन्दर एक राउंड हो जाये. कितने दिनों बाद आज नीलू नहीं है तो हमें अकेले में मौका मिला है.
काकी - और बच्चों का क्या??? वो तो हैं न घर में.....चल तो यह बात छोड़....सब कुछ सही हुआ तो ऐसे हजार मौके हमें मिलेंगे आगे...पहले यह बता की इंदु से क्या बात हुई...
सोम - वही बात हुई जिसका तुझे अंदेशा था..उसने हमें फंसा लिया अपनी बातों में...हमने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए उसके जाल से. वो बहुत हरामिन है.
काकी - मुझे पता था यही होने वाला है.वो बहुत बड़ी रंडी है और उसने तुम दोनों को उलझा लिया होगा. क्या बोली वो?
सोम - कहने लगी की ऐसे हिम्मत मत हारो. जवानी बीत जाएगी तो फिर किसे चोदोगे और पता नहीं किसी को चोदने लायक रहोगे भी या नहीं तो अभी से हार मत मानो. कुछ न कुछ रास्ता खोजो.
काकी - और तुम लोग उसकी बातों में आ गए?
सोम - क्या करूँ सुधा,...मुझे तो कुछ समझ नहीं आया..मेरे लिए तो यह ख्याल ही सबसे भारी है की चुदाई बंद करनी पड़ेगी.
काकी - अरे पागल तुझे हम दोनों से पेट नहीं भरता क्या? हमने कब तुझे प्यासा रखा है? और जितने चूत तू चोद चुका है एक जनम में उतनी तो कोई बीस जनम में नहीं चोद पता. फिर भी तेरी भूख कम नहीं हुई.
सोम - जनता हूँ सुधा. मुझे हवस के हाथों मजबूर नहीं होना चाहिए था. लेकिन क्या करूँ..बस नहीं चलता...
काकी - तो अब क्या सोचा है?
सोम - इंदु ने कहा है की वो बात कर लेगी सबसे की अगली पार्टी दस दिन बाद होगी. हमारे पास दस दिन हैं कुछ मेनेज करने के लिए.
काकी - दस दिन में क्या होगा? और बात एक पार्टी की नहीं है.....अब बच्चे हमेशा हमारे साथ रहेंगे. आज एक पार्टी कर ली हमने तो आगे भी सब हमें ही करना पड़ेगा. कब तक इसी चक्कर में पड़े रहेंगे?
सोम - मेरी और नीलू की भी यही बात हुई थी...लेकिन फिर भी हम इंदु को मना नहीं पाए...खैर..अब इस पार्टी से तो निपट ही लेते हैं...बाद में देखेंगे की आगे क्या करना है..बच्चे कहाँ हैं?
काकी - अपने अपने कमरे में हैं....आज रानी तुम लोगों के बिज़नस के बारे में पूछ रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया की उसे क्या बताऊँ....ऐसे तो उन दोनों को शक पड़ने लगेगा ....
सोम - मैं आज उसे कुछ समझा दूंगा...तू चिंता मत कर...अब चल न अन्दर...
काकी - नहीं. तू बहुत कमजोर हो गया है. जरा जरा सी बात में तेरी लार टपकने लगती है. मैंने तुझे इतना कुछ सिखाया इतना कुछ दिया लेकिन तू है की कमजोर बन जाता है. उस बहेनचोद इंदु को वहीँ दो थप्पड़ रसीद करता तो उसकी अकाल ठिकाने आ जाती...याद रख औरत जब तक मर्द के नीचे रहती है तब तक ही काबू में रहती है.....और जो औरत रोज रात को अपना मर्द बदलती हो उसकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी....तुम लोगों को इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा...
सोम - हाँ....तुम ही देखो इसे. मैं तो इससे हार गया...अब जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा......अब जाने दो यह सब और कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है...
वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........
इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...
नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...
इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...
नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....
इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?
नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.
इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???
नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....
इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?
नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...
नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....
नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..
इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...
नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???
इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..
नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????
इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....
नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...
इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....
नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???
इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......
नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...
इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....
और दोनों बेडरूम में चली गयीं......
इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...
रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...
नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.
रानी - इंदु आंटी के यहाँ?
नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.
रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?
नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?
रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.
नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.
रानी - यह आपके हाथ में क्या है?
एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.
नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.
रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...
अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.
नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....
रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?
अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...
नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.
रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?
अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...
नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....
नीलू वहां से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी...आज तो वो फंस ही गयी थी..आज उसे एहसास हुआ की काकी इतने दिनों से उन्हें क्या समझा रही थी की ऐसी लापरवाही मत किया करो. अब तो उसे भी लगने लगा की हर कदम पद चौकन्ना रहने की जरुरत है....सोम अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ कर रहा था....नीलू ने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया तो उसने उसे देखा..
सोम - क्या हुआ? ऐसी हैरत में क्यों दिख रही हो?
पूरी बात बताई उसने सोम को की अभी बाहर वो कैसे रानी के जवाब देने में घबरा गयी थी...और फिर उसने वो गिफ्ट के डब्बे दिखाए सोम को.
सोम - पहले दरवाजा ठीक से बंद करो....
नीलू - तुम खोलो इसे.
दोनों डब्बे सोम ने उसे हाथ से ले लिए और लगभग एक साथ ही दोनों डब्बों को खोल लिया...
डब्बे के अन्दर से यह निकला...
सोम - ओ मादरचोद यह क्या है?
नीलू - इसे स्ट्रेपओन कहते हैं . अब तो तुम गए काम से.
सोम - क्यों???
नीलू - यह औरतों के लिए लंड का काम करता है. देखो यह पेंटी में फिट है. इसे पहन के मैं भी लंड वाली बन जाउंगी और फिर तुम्हें चोदूंगी अपने इस लंड से.
सोम - अभी बाहर रानी के सामने गांड फट रही थी तुम्हारी और अब फिर चोदा चादी की बात शुरू केर दी.
नीलू -सॉरी सॉरी. लेकिन यह देखो न कितना बढ़िया गिफ्ट दिया है जब तुम नहीं रहोगे तब मैं काकी एक दुसरे को चोद लेंगे. मैं तो कब से कह रही थी की डिलडो ला दो डिलडो ला दो लेकिन तुमने नहीं सुना. अब देखो मेरी कितनी अच्छी सहेली है. इंदु कितनी अच्छी है. कितना बढ़िया गिफ्ट ला के दिया मुझे.
सोम - तुम तो ऐसे पागल हो रही हो जैसे की बच्ची को पहली बार कुछ मिला है. इतना न उछलो
नीलू - हाँ हाँ तुम न उछलो. कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी गांड में घुस जाये मेरा लंड...हा हा हा हा अब तो मेरे पास भी लंड है...मैं भी तुमको चोदूंगी. तुम कहोगे अब बस अब दुःख रही है मेरी गांड और मैं एक नहीं सुनूंगी मैं तो तुम्हें दिन रत रगड़ रगड़ के चोदूंगी. इतना चोदूंगी की तुम एक नंबर की रांड बन जाओगे....
वैसे तो नीलू दो बच्चों की माँ है लेकिन वो अभी भी बहुत बचपना करती है और अभी यह गिफ्ट देख के उसका वही रूप बाहर आ रहा था...सोम को वैसे तो नीलू का बचपना करना हमेशा ही अच्छा लगता था लेकिन आज उसे थोड़ी खुन्नस हो रही थी क्योंकि अब तो सच में उसकी गांड को खतरा हो गया था....लेकिन नीलू को कोई फिक्र ही नहीं थी...वो कभी उस पेंटी को कपड़ों के उपर से ही अपने चूत पर रखती और कमर ऐसे हिलाती जैसे सच में सोम को चोद रही है...कभी वो और कुछ भौंडे इशारे करती सोम को देख के...सोम यह सब देख देख चिढ रहा था...उसे अभी थोड़ी देर पहले काकी से हुई अपनी बात याद आ रही थी..और तभी उसे आईडिया आया की नीलू के इस बचपने से उसे काकी ही बचा सकती है....उसने तुरंत ही काकी वो आवाज लगा दी.....काकी उस समय अपने कमरे में थी और सोम की आवाज सुन के ही उसकी समझ में आ गया की कुछ गड़बड़ है....वो तुरंत अपने हाथ का काम बंद कर के उसके कमरे में आ गयी....अन्दर आ के उसने देखा की नीलू और सोम दोनों बिस्टर पर हैं....सोम तो चुपचाप लेता हुआ है लेकिन नीलू हाथ में कुछ काले कपडे जैसा लिए हवा को चोद रही है..काकी को कुछ समझ नहीं आया,...उसने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया और सोम को इशारा किया की यह क्या हो रहा है...
सोम - देखो न इसको. समझो कुछ. कितनी बार कहा है जरा ठीक से रहो लेकिन इसका बचपना नहीं ख़त्म होता.
काकी - क्यों री?? क्या कर रही है और यह हाथ में क्या है???
नीलू - काकी यह है मेरा लंड और वो डब्बे में एक लंड तुम्हारे लिए भी रखा है. तुम भी ले लो. फिर हम अपना अपना लंड पहन के सोम को छोड़ेंगे. अभी तक हम सोम की रंडियां थे अब सोम हमारी रंडी बनेगा. मैं तो बहुत खुश हूँ..देखो न काकी तुम्हारे लिए भी है उस डिब्बे में.
दुसरे डिब्बे को अपने हाथ में ले के काकी ने जब उसमे रखा सामान बहार निकला तो उसे भी वही मिला.....लेकिन काकी इन दोनों से ज्यादा समझदार तो वो एक पल में ही समझ गयी की यह क्या चीज है...
काकी - क्या है यह?
नीलू - काकी ये आज के जमाने का लंड है. हम औरतों के लिए है. इसे पेंटी जैसा पहन लो. फिर हमारे पास भी लंड हो जायेगा,.मैं पिक्चर में खूब देखा है. इसे डिलडो कहते हैं. तुम्हारे जमाने में नहीं होता था ये. ये आजकल की चीज है. पर तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. और जब सोम बाहर जायेगा तब भी हम इसे पहन लेंगे और एक दूसरी की चुदाई करेंगे. यह हमें इंदु ने दिया है. उसके पास तो ऐसे बहुत सारे हैं.उसने हमारे लिए मंगवाया है यह. कितनी अच्छी है न इंदु. बोलो न काकी....तुम्हें अच्चा लगा न...चलो न पहन के दिखाओ की कैसा लग रहा है...
काकी - तू सांस भी ले ले नहीं तो बोल बोल के मर जाएगी और पहले तो ऐसे उछलना बंद कर. और अपनी आवाज जरा धीमी कर और चुप हो के बैठ जा.
ये सुन के नीलू सच में शांत हो गयी. काकी के सामने वो हमेशा ही दब के रहती थी....काकी ने उस डब्बे को पूरा खोला और फिर उसे हाथ में ले के सोम की तरफ देख के कहा....
काकी - तू एकदम लौड़े का बाल ही रहेगा जिंदगी भर. चूतिये साले मैंने तुझे कुछ सिखाया है की नहीं...तुझे समझ में नहीं आया की ये क्या है???
सोम - मुझे तो आ गया समझ में लेकिन इसे कौन समझाए? ये तो कुछ सुन ही नहीं रही है. तब से शुरू है की तुझे चोदूंगी मेरा लंड है. इतना तो मैं अपना लंड देख के नहीं पागल हुआ था जितना यह इसे देख के हुई जा रही है.
काकी - तू कब सुधरेगा??? और तू कब बड़ी होगी? जरा सी बात पर बच्चों जैसा फुदकती है...
नीलू - अब क्या कर दिया मैंने???
काकी - ध्यान से देख इसे??
नीलू - देख तो रही हूँ. इसे पेंटी के जैसे पहन लेना है फिर यह लंड बन जायेगा.
काकी - यह काला वाला पॉइंट जिसे तू लंड कह रही है यह पेंटी के अन्दर है बाहर नहीं है. जब तू उसे पहनेगी तो यह बाहर नहीं रहेगा बल्कि तेरी चूत में घुस जाएगा.
नीलू - नहीं काकी. यह लंड जैसा बाहर लटकेगा. मैं पिक्चर में देखा है.
काकी - अच्छा??? अगर ऐसा है तो यह लंड इतना छोटा क्यों है?????
नीलू -वो तो सोम का भी छोटा रहता है फिर तन के बड़ा हो जाता है न वैसे ही यह भी बड़ा हो जायेगा.
काकी - हे भगवन क्या करूँ मैं इसका...यह कब बड़ी होगी...अरे पगली ...ध्यान से देख इसे...यह छोटा सा काला सा जो है यह तेरी चूत में जायेगा और जब तू उसे पहन लेगी तो ऐसा लगेगा जैसे लंड तेरी चूत में फंसा हुआ है. ये तुझे चोदने के लिए है. ताकि तू हमेशा अपनी चूत में चुदाई का एहसास फील कर पाए. इससे तू किसी को चोद नहीं सकती..
नीलू - क्या????
काकी - हाँ. और यह इसके साथ में रिमोट है.इसे पहन के तू जब इस रिमोट को चालू करेगी तो तेरी चूत में खुजली करेगा यह. जैसे जब लंड अन्दर बाहर घिस्से खता है न चूत में वैसी फीलिंग देगा ये. ये उन औरतों के लिए है जो हर समय चुदना चाहती हैं लेकिन चुद नहीं पाती.
नीलू - तो ये इंदु ने क्यों दिया मुझे???
काकी - वही तो कहती हूँ की तू कब बड़ी होगी...यह इंदु ने तुझ पर ताना मारा है. वो चिढ़ा रही है तुझे. अब तक पुरे ग्रुप में तू ही सबसे ज्यादा चुदासी थी और हमेशा सोम से चुदती थी. लेकिन अब बच्चे आ गए तो तेरी भी चुदाई कम हो गयी इसलिए इंदु ने तुझ पर ताना मारा है की अब तू भी बाकी की औरतों की तरह इसी तरह की चीजों से अपनी चूत की प्यास बुझाएगी. यह कोई गिफ्ट नहीं है बल्कि उसने व्यंग मारा है तुझ पर. अब समझ में आया?????
नीलू ये बात सुन के थोडा दुखी हो गयी...काकी ने उसे थोडा लाड से समझाया की कोई बात नहीं. अभी भी तेरे पास ही सबसे बढ़िया मर्द पति है. तू क्यों परेशान होती है. और फिर हम इस गिफ्ट का भी स्वाद लेंगे. दोनों इसे पहन के घूमेंगे घर में. किसी को पता नहीं चलेगा की अन्दर ही अन्दर हमारी चूत की मालिश हो रही है.....नीलू का मूड थोडा ठीक हुआ तो वो लोग अपने अपने काम में लग गए......
दूसरी तरफ भानु का सिस्टम अब कुछ कुछ काम करने लगा था....काफी डाटा डाउनलोड हो चुका था और भानु ने सोचा की एक बार चेक कर के देख लेता हूँ की इसमें क्या क्या है........और वो अपने सिस्टम पर चेक करने के लिए बैठ गया........
भानु जब अपने सिस्टम पर बैठा तो थोड़ी देर तक उसे कुछ समझ में नहीं आया की करे क्या....अभी भी काफी सारा डाउनलोड होना बाकी था.....दरअसल वो मेन सर्वर से सारा डाटा अपने सिस्टम पर डाल रहा था..उसने किसी तरह से दोनों कंप्यूटर को कनेक्ट कर लिया था....फिर उसने अपने एक दोस्त को कॉल किया और काफी देर तक उससे इस बारे में बात की...उसने यह तो नहीं बताया की वो उससे यह सब क्यों पूछ रहा है और इसका क्या उपयोग करेगा....कितना अजीब लगता बोलने में की वो अपने ही घर की इस तरह निगरानी कर रहा है...उसका दोस्त क्या सोचता उसके बारे में...वैसे अभी उसे खुद भी यह एहसास हो रहा था की यह थोड़ी नहीं बल्कि बहुत अजीब बात है की वो इस तरह से घर की निजता में दखल दे रहा है...लेकिन बहुत दिनों से उसे सेक्स का कुछ भी राशन नहीं मिला था..और उसे लग रहा था की यहाँ से उसे कम से कम घर में काम करने वाली औरतों को देखन में सहूलियत रहेगी....इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं सोचा था...वो कभी सपने में भी अपने घर में निगरानी करने की बात नहीं सोच सकता था...कुछ देर वो डाटा डाउनलोड होता देखता रहा लेकिन वो ऐसे बैठे बैठे बोर हो रहा था तो उसने सोचा की ये देख लेता हूँ की क्या क्या डाटा है......
लेकिन बहुत जल्दी उसे समझ में आ गया की उसने डाटा ट्रान्सफर करने में कोई गड़बड़ी कर दी है क्योंकि अब तक जो फाइल्स पूरी डाउनलोड हुई थी तो डेट वाइज नहीं थी....सब फाइल्स ऐसे ही बेतरतीब ढंग से डाउनलोड हो रही थी..उसे लगा की यह तो बड़ी आफत है..अगर डेट वाइज होती तो अच्चा रहता क्योंकि उससे देखने में आसानी रहती....ऐसे में तो उसके पास इतनी सारी फाइल्स हो जाएँगी की कुछ पता ही नहीं चलेगा की कौन सी फाइल किस फाइल के बाद की है....फिर उसने नोटिस किया तो पाया की हर फाइल ठीक एक घंटे की है....मतलब हर दिन में २4 फाइल्स होती हैं....अब अगर यही फाइल्स डेट और टाइम के साथ होती तो वो एक लाइन से एक एक दिन की फाइल्स देख सकता था.....लेकिन ऐसा हुआ नहीं था...मतलब वो रैंडम तरीके से किसी भी दिन के किसी भी घंटे की फाइल देख सकता था....फिर उसने सोचा की इतनी भी क्या अकल लगाना इस चीज के पीछे....वो धीरे धीरे अपना उत्साह खोता जा रहा था इस काम में....उसे समझ में आ रहा था की यह तो अपने आप में बड़ी मुसीबत है...इसमें तो मनोरंजन कम और मेहनत ज्यादा है.....उसने एक रैंडम फोल्डर पैर क्लिक किया....इस फोल्डर में कुछ पिक्स थी..ज्यादातर पिक्स अभी अधूरी थी इसलिए खुल नहीं रही थी...उसने एक पिक पर क्लिक किया तो वो बड़ी साइज़ की हो गयी...यह नीलू की पिक थी...
उसे पिक देख के लगा की क्या बुरी किस्मत है...अभी मन में यही चल रहा है की यह काम करूँ या न करूँ और पहली ही पिक उसकी अपनी माँ की ही आ गयि...पिक में ऐसा कुछ बुरा नहीं था..सिंपल पिक ही थी....हाँ ब्लाउज थोडा लो कट था लेकिन बड़े शहर में और हर तरह की अरतों के साथ रह रह कर भानु के लिए यह सब अब इतना आम हो चुका था की उसे इसमें कुछ बुरा या गलत नहीं लगा...उसकी नजर में तो यह नार्मल पिक ही थी...उसने सिस्टम वैसे ही चलने दिया और वो खुद कमरे से निकल के रानी के कमरे की तरफ जाने लगा...उसने देखा की उसके पेरेंट्स का कमरा बंद था....उसे याद आया की अक्सर वो उस कमरे को बंद ही देखता है....घर में सब घर के ही लोग हैं तो फिर ये लोग कमरा इस तरह से बंद क्यों करते हैं.....खैर उसने इस बात पर ज्यादा नहीं सोचा और रानी के कमरे की तरफ बढ़ गया...रानी ने कमरे को बंद नहीं किया था..उसक दरवाजा आधा खुला और आधा बंद था.....भानु जैसे ही अन्दर आया तो उसने देखा की रानी अपने लैपटॉप पर कुछ कर रही है...भानु के अन्दर आते ही उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और एकदम नोर्मल बिहेव करने लगी....भानु यह देख के मुस्कुरा दिया...
रानी - इस तरह क्यों मुस्कुरा रहा है???
भानु - मुझे पता है तू क्या कर रही थी सिस्टम पर...
रानी - अच्छा??? बता तो मैं क्या कर रही थी?
भानु - रहने दे. मुझे बता के तुझे और शर्मिंदा नहीं करना. देख तेरे गाल कैसे लाल हो गए हैं...तुझे अगर ठीक लगे तो मैं बाहर चला जाता हूँ थोड़ी देर के बाद आ जाऊंगा...
रानी - ओ गंदे दिमाग..तेरा तो दिमाग ही बस एक ही तरफ जाता है...मैं तो बस ऐसे ही अपना अकाउंट चेक कर रही थी की दोस्तों ने क्या अपडेट भेजी है...
भानु - तुझसे झूट बोलते नहीं बनता....तू कहे तो मैं सच में बाहर चला जाता हूँ. मुझे बुरा नहीं लगेगा...
रानी - नहीं यार...सच में कुछ नहीं कर रही थी..ऐसे ही बस....तू आ न अन्दर..कुछ बात करते हैं..अकेली बैठी बैठी मैं बोर हो रही थी...
भानु - हाँ यार. मैं बी बहुत बोर हो रहा था..इसीलिए तेरे पास चला आया....
रानी - वो तेरे सिस्टम का क्या हुआ ? फाइल्स ट्रान्सफर हो गयीं?
भानु - नहीं अभी हो रही हैं.....एक ही पिक देखि अभी तक तो...और वो भी माँ की निकली...
रानी - हा हा हा हा हा तेरी बुरी किस्मत....कितना टाइम लगेगा पूरा डाउनलोड होने में?
भानु - एक दो घंटे और लगेंगे बस....फिर देखूंगा की कुछ मजेदार मिलता है की नहीं...
रानी - जब हो जाये तो मुझे भी दिखाना,.....मैं भी थोडा मनोरंजन कर लूंगी...
भानु - यार मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा ???
रानी - क्यों ऐसा क्या मिल जायेगा तुझे उस सब फाइल्स में जो गलत होगा????
भानु - पता नहीं क्या मिलेगा क्या नहीं. मुझे लगा की कहीं मैं घर के लोगों की निजता तो नहीं भंग कर रहा न...
रानी - अरे बाप रे...इतना कब से सोचने लगा तू????? कुछ दिन सेक्स नहीं मिला तो तू तो साधू हो गया......
भानु - मजाक मत कर. ठीक से बता मैं ठीक कर रहा हूँ?
रानी - देख इतना तो मैं जानती हूँ की हमारे पेरेंट्स अभी भी बहुत एक्टिव हैं.
भानु - एक्टिव हैं मतलब???
रानी - एक्टिव हैं मतलब एक्टिव हैं यार....अब इससे ज्यादा क्या कहूँ???
भानु - कैसे एक्टिव हैं?? ठीक से बता?
रानी - मतलब उनके बीच रोमांस अभी ख़त्म नहीं हुआ है. नॉर्मली इस उम्र में कपल्स के बीच रोमांस या तो ख़त्म हो जाता है या बहुत कम हो जाता है..लेकिन इनके बीच ऐसा नहीं है.
भानु - तुझे कैसे पता??
रानी - बस पता है.....और यह भी पता है की मुझे सही पता है.
भानु - बता न कैसे पता है? तूने क्या देख लिया?
रानी - ऐसा कुछ नहीं देखा....लेकिन माँ हर सुबह जब सो के उठती हैं तो उनके चेहरे का ग्लो और उनके बदन के हल्केपन से ही पता चल जाता है की वो पूरी तरफ से संतुष्ट होती हैं.
भानु - यह कैसे पता चलता है? मुझे भी सिखा.
रानी - यह कोई सिखने वाली चीज नहीं है. यह बस हम औरतों की इंस्टिंक्ट होती है. हमें एक दुसरे को देख के समझ में आ जाता है की कौन कितना एक्टिव है.....
भानु - ओके.....और बता कुछ...
रानी - और मुझे क्या पता? मैं उनकी जासूसी थोड़ी न करती हूँ...इतना ही पता है बस..तो इसलिए हो सकता है तुझे वो दोनों ही दिख जाएँ उन कैमरा में....तो यह तू सोच ले की तुझे वो सब फाइल्स देखनी हैं की नहीं...
भानु - यार तूने तो सीरियस कर दिया. मुझे नहीं देखना अगर ऐसा है तो.
रानी - अरे पागल जरुरी थोड़ी न है की वो लोग ही दिखेंगे और कुछ करते हुए ही दिखेंगे...तू तो देख और मुझे भी दिखा....वैसे भी यहाँ बहुत बोरियत होती है.और हमारे पेरेंट्स अगर एक्टिव हैं भी तो क्या हर्ज है आखिर दोनों हैं तो मियां बीवी ही न..उनके बीच तो सब जायज है...तू बेकार में मत सोच....तू तो फाइल डाउनलोड कर फिर दोनों मिल के देखेंगे...
भानु - ओके....अच्छा तू आज काकी से क्या बात कर रही थी...मैं नीचे आने वाला था मैंने तुम दोनों को बात करते देखा तो लगा की मेरे जाने से रुकावट होगी तो नहीं आया...
रानी - ऐसे बस इधर उधर का पूछ रही थी....कुछ खास बात नहीं की...काकी ने बताया की वो लोग बहुत पार्टी करते हैं...उनका बहुत अच्छा ग्रुप है....सब मिल जुल के रहते हैं और बहुत एन्जॉय करते हैं लाइफ को बस...
भानु - लेकिन हमारे आने के बाद से तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोई पार्टी नहीं हुई.
रानी - हाँ तो वो अभी तो हम लोगों के साथ बिजी हैं न....इसलिए नहीं हुई होगी....
भानु - अच्छा सुन मैं सोच रहा था की किसी दिन अपने फार्म हाउस चलते हैं...एक दो दिन वहाँ रहेंगे तो मूड बदल जायेगा..
रानी - हाँ ये ठीक रहेगा...यहाँ पड़े पड़े बोर होने से अच्छा है की वहां चलते हैं...वहाँ तो पूल भी है न....मजा आएगा..
भानु - हाँ...इसी वीकेंड पर चलते हैं...
दोनों ने उसी समय प्लान बनाया की काकी को भी अपने साथ ले चलेंगे और दो दिन वहीँ रहेंगे..काकी रहेंगी तो ठीक रहेगा नहीं तो वहां तो हम अपने स्टाफ को भी नहीं जानते...अकेले जायेंगे तो वहां भी बोर हो जायेंगे...और फिर दोनों ने फाइनल किया की अभी खाना खा लेते हैं और उसके बाद तब तक डाउनलोड हुई फाइल्स को देखेंगे......उधर दूसरी तरफ सोम और नीलू के कमरे में....
नीलू - आज इंदु ने काकी के बारे में बहुत परेशां किया...
सोम - क्या कहा??
नीलू - वही जो उसकी हमेश की नाक घुसाने की आदत है की काकी कौन हैं हामारे साथ कब से हैं और फिर तुम्हारा और काकी का ये रिश्ता कैसे है...
सोम - ये इंदु न जरुरत से ज्यादा सवाल करती है.....
नीलू - मुझे तो अब लग रहा है की वो घुमा फिराकर हमें काकी के बारे में ब्लैक मेल कर रही है...
सोम - वो कैसे?
नील - देखो न अगर उसकी बात को मानें तो जो वो सोच रही है वो ये है की काकी तुम्हारी रिश्तेदार हैं....और तुम्हारी काकी हैं मतलब मेरी तो सास हुई न...और फिर हमारे बीच जिस तरह का रिश्ता है वो तो समाज की नजर में गलत ही है न...
सोम - हाँ लेकिन हमने तो पहले ही सबको बताया हुआ है न की काकी तो उन्हें सिर्फ नाम से बुलाते हैं....कहने भर की काकी हैं वैसे कोई रिश्ता नहीं है. सब को तो यही बताया है हमने तो फिर शक की बात ही कहाँ है..
नीलू - हाँ लेकिन इंदु की तो जासूसी करने की आदत है न...वही तो आज सब पूछ रही थी की कब से हैं काकी और यह सब रिश्ता कैसे बना उनके साथ और मैं कैसे ये सब के लिए हामी भर देती हूँ...
सोम - तुम कैसे मतलब??
नीलू - कह रही थी की मैं कैसे अपने सामने ही अपने पति को किसी और को चोदते हुए देख लेती हूँ और शामिल भी हो जाती हूँ...
सोम -अरे वाह??? छिनाल खुद भी तो कितनी बार चुदी है हमारे साथ..तब तो उसे यह ख्याल नहीं आया...अब यह सवाल कर रही है...
नीलू - तुम तो जानते ही हो इंदु की आदत...वो तो इतनी बड़ी रंडी है की पहले अपने बाप को अपनी चूत दिखा दिखा के उससे चुदवा लेगी और फिर पूछेगी की मुझे चोद के कैसा लगा मुझे क्यों चोदा क्या मुझे हमेशा से चोदना चाहते थे....वो पूरी बात अपने बाप पर डाल देगी जैसे सारी गलती उसके बाप की हो...
सोम - ये बाप कहाँ से बीच में आ गया? क्या बोल रही हो तुम?
नीलू - अरे ये इंदु ने आज दिमाग में एक अजीब सी बात डाल दी है...वही सोच रही थी...तुमने नोटिस किया है की वो आजकल तुम्हें भाईसाब कहती है और भाई शब्द पर बड़ा जोर देती है.
सोम - हाँ. पहले तो हमेशा मुझे नाम से ही बुलाती थी लेकिन इन दिनों तो बस हमेशा भाईसाब ही कहती हैं......
नीलू - आज मैंने भी उसे पूछ लिया की यह क्या चक्कर है तो कुतिया की औलाद रंडी साली कहती है की तुम्हें भाई सोच के चुदाने में उसे बड़ा मजा आता है...
सोम - ओ तेरी....
नीलू - हाँ वही तो...वो तो तुम्हें भाई मान के तुमसे मजे कर रही है...
सोम - मुझे नहीं बनना किसी का भाई शाई...समझा देना उसे ये मुझे बिलकुल पसंद नहीं है.
नीलू - हाँ जैसे मैं कुछ कहूँगी और वो मान लेगी......मुझे तो चिंता हो रही है की वो काकी के बारे में अपनी नाक कुछ ज्यादा ही घुसेड़ रही है...कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये...
सोम - क्या गड़बड़ होगी? किसे पता है हमारे बारे में? हमें तो इस शहर में हमसे पहले कोई जनता भी नहीं था. लोग तो वही मानेंगे जो उनसे हम कहेंगे..
नीलू - नहीं सोम. लोग बहुत मादरचोद होते हैं इस बारे में......और फिर सच कितने दिन तक छुपा रहेगा...काकी है तो तुम्हारी काकी ही न...
सोम - सिर्फ मेरी काकी है? तुम्हारी कुछ नहीं है?
नीलू - सोम नाराज क्यों होते हो? क्या मैंने कभी काकी की कम इज्जत की है? कभी काकी से कम प्यार किया है? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैं काकी से कितना जलती हूँ....
सोम - नहीं ऐसी बात नहीं है...लेकिन फिर ये भी तो देखो की तुम मुझे काकी को सुधा नहीं कहने देती...
नीलू - वो तो बस ऐसे ही सोम...मुझे लगता है की थोड़ी बंदिश डाल देने से उस बंदिश को तोड़कर चोदा चादी करने का मजा बढ़ जाता है...सिर्फ इसीलिए वरना मुझे कोई दिक्कत नहीं है...मैं जानती हूँ की जैसे मैं तुम्हारी बीवी हूँ वैसे ही काकी को भी तुम अपनी बीवी ही मानते हो और उतना ही प्यार करते हो....भूल गए हमारी तो सुहागरात में भी काकी हमारे साथ थी....मैंने तो काकी को हमेशा ही हमारे बीच कोई बाधा नहीं माना है..मैं तो खुद उनकी बहुत शुक्रगुजार हूँ...
सोम - हाँ नीलू....मैं जनता हूँ.....
नीलू - देखो न इस सुअरिया के कारण हमारे बीच भी कैसी बहस होने लगी..हमने तो कभी काकी से खुल्ली चुदाई करने में कभी ऐसी बहस नहीं की...लेकिन इसने हमारे बीच भी ये दरार डालने की कोशिश की...
सोम - हाँ....सही कह रही हो..इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा.....
नीलू - हाँ कुछ तो सोचना ही पड़ेगा इसका नहीं तो हमें बर्बाद कर देगी.....अच्चा अब चलो खाना खा लेते हैं बच्चे भी लंच का वेट कर रहे होंगे.....
वो दोनों अपने कमरे से निकल कर खाने की टेबल पर आ गए...वहां पहले से ही काकी और दोनों बच्चे मौजूद थे..उनके बीच कुछ बात चल रही थी...
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