FUN-MAZA-MASTI
मेरी अधूरी कहानी --1
मेरा नाम नीरज हैं अभी मैं दिल्ली में रहता हूँ , पर ये कहानी मेरे होम टाउन की हैं और ये कहानी १५ साल पहले की हैं तो कुछ बातें आप को पुराने ज़माने जैसी लगेगी , मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं , और वो जूनियर इंजीनियर की पोस्ट में थे मेरी एक छोटी बहन और माजी हाउस वाइफ हैं.हम सरकारी घर में रहते थे हमारे ब्लॉक में चार घर थे दो ग्राउंड फ्लोर में और दो अप्पर फ्लोर में .इशी तरह के ८ ब्लॉक लाइन से थे. हम ग्राउंड फ्लोर में रहते थे , घर में तीन मुख़्य दरवाजे थे पहला दरवाज दूसरे घर के सामने खुलता था , दूसरा दरवाजा सामने गार्डन के सामने खुलता था और तीसरा बैक के आग्न के बाद रोड पर खुलता था, हमारा बगल वाला घर दो महीने पाहिले खाली हुआ था , वो दादा जी रिटायर हो गए थे. तब मैं १७ साल का था. उस घर में एक कपल रहने आये अंकल की उम्र 40-45 और आंटी की उम्र ३५ के आस पास थी. वो बरेली से ट्रांसफर हो के आये थे तब उत्तरखंड उत्तर प्रदेश में ही था. वो अंकल भी जेइ थे .उनकी ६ साल की बेटा था. आंटी का नाम गोदावरी था और अंकल का नाम जीतेन्द्र प्रसाद था. आंटी की शक्ल रेखा से मिलती थी और रंग बहुत गोरा था, और उनकी मुस्कान बहुत जबदरस्त थी, मुझे उनसे प्यार हो गया था कच्ची उम्र का प्यार, मेरे उनके बारे में कोई गलत विचार नहीं थे.
फिर हमारा उनके घर आना जाना सुरु हो गया मैं अक्सर आंटी और अंकल के साथ कैरम और सतरंज खेला करता था. इसी तरह टाइम बीतता रहा फिर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पतली से बुक दिखाई जिसमे अंग्रेज लड़कियों की नंगी पिक्चर्स थी , और उसमे लण्ड , चूत चूसने की, चुदाई की पिक्चर्स भी थी उसे देखे मेरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ गई. मैं जब शाम को बाथरूम में गया तो मैंने अपना लण्ड हिलाने लगा और वो बड़ा हो गया और मैंने पहली बार मुट्ठ मारी. अब मैं जब आंटी के साथ कैरम या लूडो खेलता तो मेरी नज़ारे उनके मस्त बूब्स पे चली जाती थी क्योंि घर में अक्सर लूडो खेलते हुए उनका पल्लू नीचे गिर जाता था और वो उसे वापस नहीं रखती थी और मैं पहले खेल में ही ध्यान देता था. पर अब मैं चोरी चोरी उनकी छातियों की गहराई नापने लगा उस समय मुझे अंदाजा नहीं था की बूब्स का क्या साइज था आज कह सकता हूँ ३४ से कम नहीं रहा होगा. ऐसे ही एक दिन उन्होंने मुझे उनकी चुचिया देखते हुए देख लिया वो कुछ बोलने ही वाली थी की रिशु उनका बेटाजो दूसरे रूम में टीवी देख रहा था आ गया और बोला मुझे भी खेलना हैं. और वो बात आई गई हो गई. अब मेरे बोर्ड के एग्जाम ओवर हो गए और मेरी छुट्टियां पड़ गई.
फिर हम दिन में रोज करम या लूडो खेलते थे, लेकिन अक्सर हम दोपहर में दो बजे के बाद खेलते थे और उस समय उनका बेटा रिशु भी घर में रहता था.
एक बार वह बाहर बच्चो के साथ खेलने गया लगभग चार बज रहे होंगे , और हम लूडो खेल रहे थे .मेरा ध्यान आंटी के बूब्स पर जा रहा था आंटी ने फिर देख लिया और बोली क्या देख रहा है लल्ला , वो मुझे लल्ला बोलती थी , और अपने बेटो को भी लल्ला ही बोलती थी मैंने कहा कुछ नहीं, मै घबरा गया और बोला की कुछ नहीं वो बोली मैं कई दिन से देख रही हूँ तू मेरी छाती घूरता रहता है क्या बात है ,मेरे मुह से निकल गया की आंटी वो किताब , आंटी- कैंसी किताब , मैं – कुछ नहीं आंटी , आंटी – बता मुझे , आंटी की आवाज मे कोई गुस्सा नहीं था , तो मैं बोला मेरे दोस्त ने ( मेरा वो दोस्त भी हमारी कॉलोनी मे ही रहता था) एक किताब दिखाई थी ,उसमे वो वो … आंटी – उसमे क्या ? मैं – उसमे नगी औरतो की तस्वीर थी जब से मैंने वो देखि मैं पागल सा हो गया हूँ, और तभी से मैं आपके वो देखता हूँ, आंटी – वो क्या? मैं- आपके दुधु ? आंटी हंसी मम्मे बोल मम्मे …
आंटी – इस उम्र मे होता है ये सब कोई बात नहीं, कोई लड़की नहीं पटाई?
मै- नहीं आंटी मैं लड़कियों से बात भी नहीं करता ( और ये सच ही था मैं लड़कियों से बात करने मे बहुत जीजक्ता था). आंटी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो.
आंटी- मुझमे ऐंसा क्या है , मै- पता नहीं पर आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो ( हम दोनों bed मे बैठे थे एक दूसरे के सामने , बीच मे लुड्डो था ) आंटी मेरे तरफ एकटक देखते हुए सवाल पूछ रही थी , और उसके चेहरे मे अलग सी ख़ुशी दिख रही थी और उनकी प्यारी प्यारी मुस्कान. उनका पल्लू अभी भी गोदी मे गिरा हुआ था.
आंटी एक बात बोलू आप बुरा तो नहीं मानोगी , आंटी – पहले तू मुझे वो किताब दिखा !! मै- लेकिन आंटी मेरे पास वो किताब नहीं है वो तो दोस्त ने दिखाई थी , मेरे पास नहीं है, आंटी- तो तू कल उससे से मांग के ले आना , मैंने कहा नहीं ल सकता , आंटी – क्यों ? मैं – वो गर्मियों की छुटियों मे गाऊँ गया है
आंटी- अच्छा कोई बात नहीं , तू क्या बोल रहा था लल्ला ? मैं – आंटी मैं आपके मम्मे देखना चाहता हूँ ? आंटी- क्यों ? मै – मन कर रहा है देखने का .. आंटी- अच्छा फिर तुझे भी एक काम करना पड़ेगा लल्ला … आप जो भी बोलो आंटी आपकी बात मैंने कभी टाली है.
आंटी मुस्काई और बोली हां ये तो है लल्ला, मैं बोला आंटी जल्दी दिखाओ कंही रिशु ना आ जाये .. अच्छा दिखातीं हूँ . आंटी ने ब्लाउज के बटन खोलने लगी , ब्लाउज मे आगे की तरफ बटन थे आंटी ने सफ़ेद ब्रा पहनी थी , उन्होंने ब्लाउज के पुरे बटन खोल दिए , पर पूरा ब्लाउज नहीं उतारा, पर सफ़ेद ब्रा मे उसके गोरे गोरे बूब्स क्या मस्त लग रहे थे मन कर रहा था उन्हें मसल दूँ, आंटी बोली बस , मैं आंटी ये क्या पूरा दिखाओ ना , आंटी- नहीं लल्ला इतना ही खाफी है , आंटी plzzz . आंटी बोली अच्छा बाबा , आंटी ने बिना ब्लाउज और ब्रा उतारे ही एक निप्पल ब्रा से बाहर निकाल दिया , मैं तो वो ब्रॉउन निप्पल देख के जैसे पागल सा हो गया , आंटी- लल्ला कैसा लगा मेरे चुचे , मैं – आंटी मस्त है , बहुत ख़ूबसूरत , मन करता है कि.
आंटी- क्या मन करता है , मैं- इन्हे छु कर देखूं ,आंटी – मेरे निप्पल चूसेगा , मैं -सच मे आंटी , आंटी – हाँ , मैं तुरंत घुटनो के बल बैठ गया और लूडो के ऊपर ही चढ़ के आंटी के निप्पल को मुह मे ले लिया और उसे छोटे बच्चे कि तरह चूसने लगा आंटी ने मेरा सर पकड़ लिया मेरा एक हाथ अपने आप उसके दूसरे बूब्स को दबाने लगा ब्रा के ऊपर से , मैं अशे ही लगभग १० मिनट तक उसका निप्प्ले चूसता रहा , और एक हाथ ब्रा के अंदर जाकर उसके दूसरे बूब्स को मसलने लगा , आंटी बोली लल्ला दूसरा निप्पल भी चूस , मैं अब उसका दूसरा निप्पल चूसने लगा उसका पहला निप्पल मेरे थूक से पूरा गिला हो गया.
आंटी बोली लल्ला ज़ोर से चूस मैं ज़ोर से चूसने लगा मेरा लण्ड खड़ा होने लग गया मेरे निक्केर मे, आंटी बोली अब तेरी बारी है , मैं बोला बोलो आंटी , आंटी- अब तू दिखा तेरी लुल्ली है या अब जवान लण्ड ? मैं थोड़ा शरमाया आंटी बोली तू खड़ा हो मैं bed मे खड़ा हो गया मेरा निक्केर टेंट बन गया था , आंटी बोली हाय दय्या , ये तो पूरा तन गया है, आंटी ने एक झटके मे मेरा निक्केर और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दिया और मेरा खड़ा लगभग ६ इंच का लण्ड आंटी को सलामी दे रहा था.
आंटी बोली लल्ला तू तो पूरा जवान हो गया , आंटी ने मेरा लण्ड हाथ मे पकड़ लिया , जैसे ही उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा मुझे अजीब सी जुरझरी हुई , और मैंने अपना सारा माल आंटी के हाथ मे निकल दिया , आंटी हंस दी बोले अरे ये क्या कर दिया , जवान तो हो गया पर है अनाड़ी, आंटी उठ के गयी और एक कपडा ले के आई और मेरा लण्ड और अपना हाथ साफ़ किया..
आंटी बोली लल्ला अपनी आंटी को चोदेगा, मैं बोला आंटी मैंने कभी नहीं किया , आंटी – वो तो पता चल रहा है, आंटी किचन मे गई और एक कटोरी मे तेल लेके आई , आंटी ने एक पुरानी चादर भी फोल्ड करके बेड़ पर बिछा दी, फिर आंटी मेरे लण्ड को हिलाने लगी थोड़ी देर मे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया आंटी ने उसमे खूब सारा तेल लगा दिया,आंटी अपने सर के नीचे तकिया लगा के लेट गई आंटी ने साडी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया ,पहली बार आंटी कि चूत दिखी , चूत क्या थी बालो का जंगल थी चूत का तो पता ही नहीं चल रहा था , फिर आंटी ने कटोरी से बचा हुआ तेल लिया और अपनी चूत मे लगाने लगी , मे आंटी कि चूत देख रहा था , जब वो तेल लगा रही थी तब मुझे उसकी चूत कि गुलाबी फांके दिखी , मेरा लण्ड और भी टाइट हो गया , आंटी बोली आज़ा लल्ला , चोद अपनी पहली चूत !!!
मैं आंटी के ऊपर आ गया आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुह में टिका दिया, आंटी बोली लल्ला दे धक्का , मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और लण्ड एक ही बार में अंदर चला गया, आंटी – उईई मर गई लल्ला रुक जा!! मैं लण्ड डालके रुक गया, थोड़ी देर बाद आंटी बोली अब लगा धक्के , मैंने लण्ड पीछे किया और फिर धक्का लगाया , तभी किसीने दरवाजा बजाया, और दरवाजे की आवाज़ सुनते ही मैं घबरा गया , मैं बोला कौन होगा आंटी, लगता है रिशु होगा इशे भी अभी आना था – आंटी बोली!!!! मैंने लण्ड बाहर निकला और निक्केर ऊपर की , आंटी ने कहा तू पीछे के दरवाज़े से निकल जा , मैं फटाफट पीछे के दरवाजे से निकल गया, बाद में पता चला कि दरवाजे पे आंटी के माता पिता थे जो गाऊँ से आये थे… मैं सीधा घर जाके बाथरूम में गुस्स गया, और नहाने लगा और नहाते नहाते आंटी कोयाद करके मुट्ठ मारी, फिर अपने अंडरवियर भी धो दिया, कहानी आगे जारी रहेगी.
मेरी अधूरी कहानी --1
मेरा नाम नीरज हैं अभी मैं दिल्ली में रहता हूँ , पर ये कहानी मेरे होम टाउन की हैं और ये कहानी १५ साल पहले की हैं तो कुछ बातें आप को पुराने ज़माने जैसी लगेगी , मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं , और वो जूनियर इंजीनियर की पोस्ट में थे मेरी एक छोटी बहन और माजी हाउस वाइफ हैं.हम सरकारी घर में रहते थे हमारे ब्लॉक में चार घर थे दो ग्राउंड फ्लोर में और दो अप्पर फ्लोर में .इशी तरह के ८ ब्लॉक लाइन से थे. हम ग्राउंड फ्लोर में रहते थे , घर में तीन मुख़्य दरवाजे थे पहला दरवाज दूसरे घर के सामने खुलता था , दूसरा दरवाजा सामने गार्डन के सामने खुलता था और तीसरा बैक के आग्न के बाद रोड पर खुलता था, हमारा बगल वाला घर दो महीने पाहिले खाली हुआ था , वो दादा जी रिटायर हो गए थे. तब मैं १७ साल का था. उस घर में एक कपल रहने आये अंकल की उम्र 40-45 और आंटी की उम्र ३५ के आस पास थी. वो बरेली से ट्रांसफर हो के आये थे तब उत्तरखंड उत्तर प्रदेश में ही था. वो अंकल भी जेइ थे .उनकी ६ साल की बेटा था. आंटी का नाम गोदावरी था और अंकल का नाम जीतेन्द्र प्रसाद था. आंटी की शक्ल रेखा से मिलती थी और रंग बहुत गोरा था, और उनकी मुस्कान बहुत जबदरस्त थी, मुझे उनसे प्यार हो गया था कच्ची उम्र का प्यार, मेरे उनके बारे में कोई गलत विचार नहीं थे.
फिर हमारा उनके घर आना जाना सुरु हो गया मैं अक्सर आंटी और अंकल के साथ कैरम और सतरंज खेला करता था. इसी तरह टाइम बीतता रहा फिर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पतली से बुक दिखाई जिसमे अंग्रेज लड़कियों की नंगी पिक्चर्स थी , और उसमे लण्ड , चूत चूसने की, चुदाई की पिक्चर्स भी थी उसे देखे मेरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ गई. मैं जब शाम को बाथरूम में गया तो मैंने अपना लण्ड हिलाने लगा और वो बड़ा हो गया और मैंने पहली बार मुट्ठ मारी. अब मैं जब आंटी के साथ कैरम या लूडो खेलता तो मेरी नज़ारे उनके मस्त बूब्स पे चली जाती थी क्योंि घर में अक्सर लूडो खेलते हुए उनका पल्लू नीचे गिर जाता था और वो उसे वापस नहीं रखती थी और मैं पहले खेल में ही ध्यान देता था. पर अब मैं चोरी चोरी उनकी छातियों की गहराई नापने लगा उस समय मुझे अंदाजा नहीं था की बूब्स का क्या साइज था आज कह सकता हूँ ३४ से कम नहीं रहा होगा. ऐसे ही एक दिन उन्होंने मुझे उनकी चुचिया देखते हुए देख लिया वो कुछ बोलने ही वाली थी की रिशु उनका बेटाजो दूसरे रूम में टीवी देख रहा था आ गया और बोला मुझे भी खेलना हैं. और वो बात आई गई हो गई. अब मेरे बोर्ड के एग्जाम ओवर हो गए और मेरी छुट्टियां पड़ गई.
फिर हम दिन में रोज करम या लूडो खेलते थे, लेकिन अक्सर हम दोपहर में दो बजे के बाद खेलते थे और उस समय उनका बेटा रिशु भी घर में रहता था.
एक बार वह बाहर बच्चो के साथ खेलने गया लगभग चार बज रहे होंगे , और हम लूडो खेल रहे थे .मेरा ध्यान आंटी के बूब्स पर जा रहा था आंटी ने फिर देख लिया और बोली क्या देख रहा है लल्ला , वो मुझे लल्ला बोलती थी , और अपने बेटो को भी लल्ला ही बोलती थी मैंने कहा कुछ नहीं, मै घबरा गया और बोला की कुछ नहीं वो बोली मैं कई दिन से देख रही हूँ तू मेरी छाती घूरता रहता है क्या बात है ,मेरे मुह से निकल गया की आंटी वो किताब , आंटी- कैंसी किताब , मैं – कुछ नहीं आंटी , आंटी – बता मुझे , आंटी की आवाज मे कोई गुस्सा नहीं था , तो मैं बोला मेरे दोस्त ने ( मेरा वो दोस्त भी हमारी कॉलोनी मे ही रहता था) एक किताब दिखाई थी ,उसमे वो वो … आंटी – उसमे क्या ? मैं – उसमे नगी औरतो की तस्वीर थी जब से मैंने वो देखि मैं पागल सा हो गया हूँ, और तभी से मैं आपके वो देखता हूँ, आंटी – वो क्या? मैं- आपके दुधु ? आंटी हंसी मम्मे बोल मम्मे …
आंटी – इस उम्र मे होता है ये सब कोई बात नहीं, कोई लड़की नहीं पटाई?
मै- नहीं आंटी मैं लड़कियों से बात भी नहीं करता ( और ये सच ही था मैं लड़कियों से बात करने मे बहुत जीजक्ता था). आंटी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो.
आंटी- मुझमे ऐंसा क्या है , मै- पता नहीं पर आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो ( हम दोनों bed मे बैठे थे एक दूसरे के सामने , बीच मे लुड्डो था ) आंटी मेरे तरफ एकटक देखते हुए सवाल पूछ रही थी , और उसके चेहरे मे अलग सी ख़ुशी दिख रही थी और उनकी प्यारी प्यारी मुस्कान. उनका पल्लू अभी भी गोदी मे गिरा हुआ था.
आंटी एक बात बोलू आप बुरा तो नहीं मानोगी , आंटी – पहले तू मुझे वो किताब दिखा !! मै- लेकिन आंटी मेरे पास वो किताब नहीं है वो तो दोस्त ने दिखाई थी , मेरे पास नहीं है, आंटी- तो तू कल उससे से मांग के ले आना , मैंने कहा नहीं ल सकता , आंटी – क्यों ? मैं – वो गर्मियों की छुटियों मे गाऊँ गया है
आंटी- अच्छा कोई बात नहीं , तू क्या बोल रहा था लल्ला ? मैं – आंटी मैं आपके मम्मे देखना चाहता हूँ ? आंटी- क्यों ? मै – मन कर रहा है देखने का .. आंटी- अच्छा फिर तुझे भी एक काम करना पड़ेगा लल्ला … आप जो भी बोलो आंटी आपकी बात मैंने कभी टाली है.
आंटी मुस्काई और बोली हां ये तो है लल्ला, मैं बोला आंटी जल्दी दिखाओ कंही रिशु ना आ जाये .. अच्छा दिखातीं हूँ . आंटी ने ब्लाउज के बटन खोलने लगी , ब्लाउज मे आगे की तरफ बटन थे आंटी ने सफ़ेद ब्रा पहनी थी , उन्होंने ब्लाउज के पुरे बटन खोल दिए , पर पूरा ब्लाउज नहीं उतारा, पर सफ़ेद ब्रा मे उसके गोरे गोरे बूब्स क्या मस्त लग रहे थे मन कर रहा था उन्हें मसल दूँ, आंटी बोली बस , मैं आंटी ये क्या पूरा दिखाओ ना , आंटी- नहीं लल्ला इतना ही खाफी है , आंटी plzzz . आंटी बोली अच्छा बाबा , आंटी ने बिना ब्लाउज और ब्रा उतारे ही एक निप्पल ब्रा से बाहर निकाल दिया , मैं तो वो ब्रॉउन निप्पल देख के जैसे पागल सा हो गया , आंटी- लल्ला कैसा लगा मेरे चुचे , मैं – आंटी मस्त है , बहुत ख़ूबसूरत , मन करता है कि.
आंटी- क्या मन करता है , मैं- इन्हे छु कर देखूं ,आंटी – मेरे निप्पल चूसेगा , मैं -सच मे आंटी , आंटी – हाँ , मैं तुरंत घुटनो के बल बैठ गया और लूडो के ऊपर ही चढ़ के आंटी के निप्पल को मुह मे ले लिया और उसे छोटे बच्चे कि तरह चूसने लगा आंटी ने मेरा सर पकड़ लिया मेरा एक हाथ अपने आप उसके दूसरे बूब्स को दबाने लगा ब्रा के ऊपर से , मैं अशे ही लगभग १० मिनट तक उसका निप्प्ले चूसता रहा , और एक हाथ ब्रा के अंदर जाकर उसके दूसरे बूब्स को मसलने लगा , आंटी बोली लल्ला दूसरा निप्पल भी चूस , मैं अब उसका दूसरा निप्पल चूसने लगा उसका पहला निप्पल मेरे थूक से पूरा गिला हो गया.
आंटी बोली लल्ला ज़ोर से चूस मैं ज़ोर से चूसने लगा मेरा लण्ड खड़ा होने लग गया मेरे निक्केर मे, आंटी बोली अब तेरी बारी है , मैं बोला बोलो आंटी , आंटी- अब तू दिखा तेरी लुल्ली है या अब जवान लण्ड ? मैं थोड़ा शरमाया आंटी बोली तू खड़ा हो मैं bed मे खड़ा हो गया मेरा निक्केर टेंट बन गया था , आंटी बोली हाय दय्या , ये तो पूरा तन गया है, आंटी ने एक झटके मे मेरा निक्केर और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दिया और मेरा खड़ा लगभग ६ इंच का लण्ड आंटी को सलामी दे रहा था.
आंटी बोली लल्ला तू तो पूरा जवान हो गया , आंटी ने मेरा लण्ड हाथ मे पकड़ लिया , जैसे ही उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा मुझे अजीब सी जुरझरी हुई , और मैंने अपना सारा माल आंटी के हाथ मे निकल दिया , आंटी हंस दी बोले अरे ये क्या कर दिया , जवान तो हो गया पर है अनाड़ी, आंटी उठ के गयी और एक कपडा ले के आई और मेरा लण्ड और अपना हाथ साफ़ किया..
आंटी बोली लल्ला अपनी आंटी को चोदेगा, मैं बोला आंटी मैंने कभी नहीं किया , आंटी – वो तो पता चल रहा है, आंटी किचन मे गई और एक कटोरी मे तेल लेके आई , आंटी ने एक पुरानी चादर भी फोल्ड करके बेड़ पर बिछा दी, फिर आंटी मेरे लण्ड को हिलाने लगी थोड़ी देर मे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया आंटी ने उसमे खूब सारा तेल लगा दिया,आंटी अपने सर के नीचे तकिया लगा के लेट गई आंटी ने साडी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया ,पहली बार आंटी कि चूत दिखी , चूत क्या थी बालो का जंगल थी चूत का तो पता ही नहीं चल रहा था , फिर आंटी ने कटोरी से बचा हुआ तेल लिया और अपनी चूत मे लगाने लगी , मे आंटी कि चूत देख रहा था , जब वो तेल लगा रही थी तब मुझे उसकी चूत कि गुलाबी फांके दिखी , मेरा लण्ड और भी टाइट हो गया , आंटी बोली आज़ा लल्ला , चोद अपनी पहली चूत !!!
मैं आंटी के ऊपर आ गया आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुह में टिका दिया, आंटी बोली लल्ला दे धक्का , मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और लण्ड एक ही बार में अंदर चला गया, आंटी – उईई मर गई लल्ला रुक जा!! मैं लण्ड डालके रुक गया, थोड़ी देर बाद आंटी बोली अब लगा धक्के , मैंने लण्ड पीछे किया और फिर धक्का लगाया , तभी किसीने दरवाजा बजाया, और दरवाजे की आवाज़ सुनते ही मैं घबरा गया , मैं बोला कौन होगा आंटी, लगता है रिशु होगा इशे भी अभी आना था – आंटी बोली!!!! मैंने लण्ड बाहर निकला और निक्केर ऊपर की , आंटी ने कहा तू पीछे के दरवाज़े से निकल जा , मैं फटाफट पीछे के दरवाजे से निकल गया, बाद में पता चला कि दरवाजे पे आंटी के माता पिता थे जो गाऊँ से आये थे… मैं सीधा घर जाके बाथरूम में गुस्स गया, और नहाने लगा और नहाते नहाते आंटी कोयाद करके मुट्ठ मारी, फिर अपने अंडरवियर भी धो दिया, कहानी आगे जारी रहेगी.
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