Thursday, June 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI पक्की सहेलियां

FUN-MAZA-MASTI 


पक्की सहेलियां




अदिति और नम्रता एक दूसरे की पक्की सहेलियां थी. अपनी समस्याएँ, खुशियाँ, सुख-दुःख एक दूसरे को बताती थीं. यहाँ तक की बायफ्रेंड के साथ कहाँ गयीं, उन्होंने उनके साथ क्या-क्या किया, किसको कैसा लगा भी- दोनों किसी से कुछ नहीं छुपाती थीं. दोनों एक कालेज में पढ़ती थी, और दोनों के घर भी पास-पास थे.

कुछ दिनों बाद नम्रता का अपने बायफ्रेंड विक्रांत से झगड़ा हो गया. उसे पता चला की विक्रांत का किसी और लड़की के साथ भी चक्कर चलता है. उससे अलग होने के बाद नम्रता बहुत उदास, उखड़ी-उखड़ी रहने लगी. बेचारी न ढंग से खा रही थी न पढ़ पा रही थी. अदिति ने उसे बहुत हिम्मत दी. उससे अपने घर खाना खिलाती, घुमती फिराती, उसका जी बहलाती. कुछ समय बाद नम्रता सामान्य होने लगी.
लेकिन अभी भी वो लड़कों से दूर रहती थी. उसका लम्बा कद, दुबला पतला आकर्षक फिगर , शफ्फाक गोरा रंग, मुलायम रेशमी लम्बे-लम्बे बाल, गुलाब से कोमल होट, बादाम सी बड़ी बड़ी काली आँखें थीं. इसके चलते कालेज में, गली मोहल्ले में उसे कितने लड़के लाइन मारते थे. वो अपने कालेज की सबसे सुन्दर लड़कियों में से थी, और वहां पर सौंदर्य प्रतियोगिता भी जीत चुकी थी. इधर अदिति बिलकुल सामान्य लड़की थी.
एक दिन नम्रता अदिति से मिलने शाम को उसके घर पुलिस लाईन्स आई. अदिति के पापा पुलिस में दरोगा थे. लेकिन उस वक़्त उसके मम्मी-पापा और बड़ा भाई कहीं गए हुए थे. नम्रता ने अदिति के घर का दरवाज़ा खटखटाया वो अदिति को बिनाबताये आई थी. अदिति ने दरवाज़ा खोला. उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं और वो अपने बालों को संभाल रही थी.
नम्रता को देखते ही अदिति ने चैन की सांस ली. अरे तुम होबता कर नहीं आ सकती थीं? मेरी तो जान ही निकल गयी.
क्यूँ भाई, बिना बताये नहीं आ सकती तुमसे मिलने? कौन सा पहाड़ टूट गया? और इतनी घबरायी हुई क्यूँ हो?”
अरे अन्दर तो आओ.. अभी बताती हूँ. अदिति ने नम्रता को अन्दर खींचा और दरवाज़ा अन्दर से बंद किया.
अदिति ने दबी आवाज़ में मुस्कुराते हुए बताया मेरा बायफ्रेंड आया है, उसी के साथ बिज़ी थी.
अब नम्रता भी मुस्कुराने लगी. ओहो, तो ये बात है, हिरोइन अपने हीरो के साथ लगी पड़ी थी. लगता है अंकल-आंटी और मनु (अदिति का भाई) कहीं गए हुए हैं. मैं वापस जाऊं क्या?”
अरे नहीं, मिलती तो जाओअदिति ने रोका.
हाँ, क्यूँ नहीं, वैसे भी तुमने मुझे अभी तक नहीं बताया उसके बारे मेंनम्रता ने शिकायत भरे लहज़े में बोला और उसके गाल पर हलकी सी चपत लगा दी.
अदिति ने उसे ड्राइंग रूम में बिठाया और अन्दर चली गयी. उसने उसे कहते सुना:आ जाओ, मेरी सहेली है, कोइ डरने की बात नहीं.
जब अदिति का ड्राइंग रूम में दाखिल हुआ नम्रता उसे देख के भौंचक्की रह गयी- वह तो अदिति का पड़ोसी था !!
नम्रता उसे पहले से जानती थी- अदिति के घर आते जाते दोनों की नज़रें अक्सर एक दूसरे से चार होती थी: वह भी पुलिस में था, शायद हवालदार और नम्रता को घूर-घूर के देखता था, जैसे उसे कच्चा चबा जायेगा, हालाकी नम्रता को इसकी आदत पड़ चुकी थी. ज़्यादातर लड़के उसे ऐसे ही घूरते थे.
नम्रता ने उसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, फिर भी उसका डील-डौल, रंग रूप उसकी नज़र से बचता नहीं था- वो कम-से-कम छः फुट दो इंच लम्बा, चौड़ा, हट्टा-कट्टा मर्द था. उम्र लगभग छब्बीस-सत्ताईस की रही होगी, रंग किसी अफ्रीकी के जैसा काला, घनी-घनी मूछें.
आज नम्रता उसे ध्यान से देख रही थी. तभी अदिति की आवाज़ ने ध्यान भंग किया तुमने शायद इनको पहले भी देखा होगा- ये यहीं बगल में रहते हैं.
नम्रता औपचारिकता से हलके से मुस्कुरायी और बोली हाँ..वो आश्चर्यचकित थी- अदिति का पड़ोसी उम्र में कम से कम उससे छः-सात साल बड़ा होगा, शायद शादी-शुदा भी हो. अदिति का चक्कर इसके साथ कैसे चल रहा है? वो मन ही मन सोच रही थी की तभी अदिति ने परिचय कराया: ये अनिल हैं, मेरे बगल वाले क्वार्टर में रहते हैं.
अनिल नम्रता को पहले की तरह घूर रहा था.
नम्रता की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या कहे. उसने विदा लेना ही ठीक समझा.
वो घर चली आई
अगले दिन कालेज जाते समय रस्ते में नम्रता ने अदिति से सवाल जवाब करना शुरू कर दिया
क्यूँ रीतेरा उसके साथ कब से चक्कर चल रहा है? मुझे पता तक नहीं?”
अदिति मुस्कुरा दी. यही कोइ तीन चार महीनों से. तुम्हे बताने ही वाली थी.
नम्रता ने नक़ल उतारी ” ‘बताने ही वाली थी’… तुम्हे और कोइ नहीं मिला था? वो कितना बड़ा है हम दोनों सेऔर ऊपर से काला-कलूटापूरा राक्षस !
तुम बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ रहोगीअदिति मुस्कुराती हुई बोली मेरा कोइ लव-अफेयर थोड़े चल रहा उसके साथ. बस हम दोनों मस्ती करते हैं
हे भगवानमस्ती करने के लिए भी ऐसा ही मिला था?’ अदिति भौंचक थी.
क्यूँ, क्या खराबी है उसमे?” अदिति ने पूछा.
खराबी? बिलकुल काला कलूटा.. डील डौल तो देखोजैसे डब्लू डब्लू ऍफ़ का पहेलवान होऔर ऊपर से उम्र में कितना बड़ा होगा वो तुमसे?” नम्रता बोली.
अदिति की हंसी निकल गयी. काले से डर गयी? पागल.. रंग पर मत जा. ऐसे बांका मर्द मैं आज तक नहीं देखा- लम्बा चौड़ा, हट्टा-कट्टा…. उसके साथ मज़ा भी बहुत आता हैबहुत तजुर्बेकार है उस सब मेंअभिषेक (अदिति का पुराना बायफ्रेंड, जो अब अजमेर में था) तो उसके सामने फिसड्डी लगता है
नम्रता अब मुस्कुराती हुई अपनी सहेली की शकल देख रही थी.
असली मर्द तो मुझे वही लगा, ऐसे दबोचता है की पूछो मतऔर उसका वोभी बहुत बड़ा है..!!अदिति ने शैतानी मुस्कान के साथ अपनी बात खत्म की.
नम्रता खींसे निपोरती हुई बोली चल.. वो तुमसे उम्र कितना बड़ा होगा? उसकी तो शादी भी हो चुकी होगी”.
उसकी उम्र है सत्ताईस साल, शादीशुदा है और तीन साल के लड़के का बाप भी. और कुछ?”
नम्रता का मुंह खुला रह गया. हायतुम्हे शर्म नहीं आती? और कोइ नहीं मिला था?”
इसमें शर्म की क्या बात है. कौन सा मुझे उससे शादी करनी है. न मुझे उसके परिवार से कोइ लेना देना है, बस हम दोनों मस्ती कर रहे हैं.अदिति ने सफाई दी.
हे भगवान!!नम्रता के मुह से सिर्फ इतना निकला.
तुम बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ रहोगी. ज़िन्दगी प्रेक्टिकल तरीके से जी जाती है. तुमने उस विक्रांत के ग़म में खाना पीना छोड़ दिया, तुम्हारा वज़न कितना घट गया था.. रात-रात भर रोती रहती थी और वो दूसरी लड़की के साथ घूमता था. कब अकल आयेगी तुम्हे?” अदिति ने सीख दी.
अब नम्रता नाराज़ हो गयी चुप करोबहुत मुश्किल से भुला पाई हूँ उस सब को.
मुझे मत बताओ.. मैं न संभालती तुम्हे तो अभी तक मर गयी होती.नम्रता चुप चाप सुनती रही. और मुझे देखो, उस तगड़े मर्द के साथ जन्नत की सैर कर रही हूँ.. काला कलूटा, एक बच्चे का बाप और शादी शुदा हुआ तो क्या हुआ? मैं तो मस्ती कर रही हूँ और मेरे साथ वो भी.
नम्रता को पता था की वो अदिति से बहस नहीं कर सकती थी. नम्रता सुंदरी थी, लेकिन बुद्धि में अदिति उससे आगे थी.
कुछ दिन यूँ ही बीत गए. इन दिनों अदिति और नम्रता की ज़िन्दगी उसी तरह, पक्की सहेलियों की तरह चलती रही. दोनों एक दूसरे के घर आती जाती रहीं. नम्रता अदिति से मिलने उसके घर जाती, तो कभी कदार अनिल और वो आमने सामने पड़ते. अनिल मुस्कुरा कर उसे हेलोबोलता और नम्रता सिर्फ अभिवादन में सर हिला कर आगे निकल जाती.
फिर एक दिन कालेज के फ्री पिरीअड में अदिति नम्रता एक जगह एकांत में ले गयी.
सुनो, तुमसे कोइ मिलना चाहता है.अदिति ने कहा. उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी.
कौन?” नम्रता ने उसे घूरते हुए कहा.
अनिल.
अनिल… ?? तुम्हारा वो पड़ोसी जिसके साथ तुम…?” नम्रता बोलते बोलते रुक गयी.
हाँ वही.अदिति अभी भी मुस्कुरा रही थी. उसे मालूम था की नम्रता की प्रतिक्रिया क्या होगी.
चलमैं क्यूँ मिलूं उससे?”
वो तुम्हे पसंद करता है.
हे प्रभुतुमने मुझे समझ के क्या रक्खा है? मैं उस काले राक्षस से नहीं मिलूंगी, वो भी एक बच्चे का बाप.
मेरी बात सुनो पागल लड़की.अदिति ने फिर समझाना शुरू किया तुम्हे तुम्हारी शराफत कहीं नहीं ले जाएगी. ज़िन्दगी के मज़े लेने सीख लो.
नम्रता को गुस्सा आने लगा. तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या? इतनी बड़ी दुनिया में और कोइ नहीं उस काले हवालदार के आलावा?”
क्या कमी है उसमे? की वो एक बच्चे का बाप है, शादी शुदा है? कौन कह रहा उससे शादी करने को या उसका बच्चा पालने को? बस उसके साथ ऐश करोवो भी तो यही चाहता है.अदिति ने समझाना जारी रक्खा. नम्रता अदिति की हर सलाह मानती थी, और अदिति को ये बात बहुत अच्छे से मालूम थी. अगर तुम उसके साथ सो गयी तो कौन सा कानून तोड़ोगी? कौन सी किताब में लिखा है ये सब करना जुर्म है? अपनी दकियानूसी सोच से बाहर निकलो और देखो ज़िन्दगी कितनी रंगीन है.
छी.. उस काले के साथ…” नम्रता ने मुंह बनाते हुए कहा.
अरे पागल, काले मर्द तो कितने सेक्सी लगते हैं. कभी गौर से देखा है उसे? उसपर उसका काला रंग कितना जचता हैअदिति ने फुसलाना जारी रखा.
नम्रता ने एक छोटे से पल को कल्पना की- वो और अनिल लिपटे हुए हैं.. नम्रता का गोरा गोरा गुलाबी बदन अनिल के काले काले चौड़े शरीर में समाया हुआ है. उसे एक ब्लू फिल्म की याद आ गयी जो उसने कभी अदिति के साथ देखी थी- उसमे एक लम्बा चौड़ा काला अफ़्रीकी एक गोरी लड़की के साथ जुटा हुआ था.
नम्रता की चूत गीली होने लगी. लेकिन झिझक अभी बाकी थी.
लेकिन वो उम्र में कितना बड़ा है..
छः साल. तुम बीस की हो और वो छब्बीस का. कोइ ख़ास फर्क नहीं. उसकी उम्र भले ही छब्बीस हो, वो अभी भी जवान है और ऊपर से हट्टा कट्टा, लम्बा चौड़ा. और सुनो, वो छब्बीस साल का है, यही तो सबसे बड़ी खूबी है- उसे बहुत तजुर्बा है इस सब का. तुम्हे जन्नत की सैर करा देगा- उसका औज़ार बहुत बड़ा हैअदिति खींसे निपोर रही थी.इतना मज़ा तो तुम्हे विक्रांत ने भी नहीं दिया होगा. अदिति के लिए नमिता को फुसलाना बड़ी बात नहीं थी.
औज़ार की बात पर नम्रता भी मुस्कुराने लगी चलकैसी लड़की हो तुमअपने बायफ्रेंड से अपनी सहेली को मिलवा रही हो.
ओ हेल्लोवो मेरा बायफ्रेंड नहीं है, न मेरा उससे कोइ चक्कर है. मैं पहले ही बता चुकी हूँ. वो तुम्हे पसंद करता है और उसी ने मुझ से तुमसे मिलाने के लिए कहा- मुझे कोइ हर्ज़ नहीं.अदिति ने सफाई दीएक बार मिल लो यार, मिलने में क्या हर्ज़ है. कौन कह रहा की उसके साथ सो जाओ.
चलमैं जा रही हूँ.. समाजशास्त्र का क्लास शुरू होने वाला है.. आ जाओ..नम्रता वहां से चल दी.
उस दिन बात यहीं पर खत्म हो गयी. लेकिन अदिति बार बार नम्रता को अनिल से मिलने के लिए फुसलाती रही- उस तरफ अनिल अदिति के पीछे पड़ा था की वो नम्रता को उससे मिलने के लिए राज़ी करे.
धीरे धीरे नम्रता अदिति के फुसलाने में आने लगी. जब भी वो एकांत में होती उसका दिमाग अपने आप कल्पना करने लगता- वो अपने आप को अनिल से सेक्स करते हुए कल्पना करती, और उत्तेजित हो जाती. लेकिन उसमे अभी थोड़ी शर्म बाकी थी. अदिति अपनी सहेली को अच्छे से जानती थी. वो और अदिति जब भी अकेले मिलते, वो अनिल के साथ किये अपने काले कारनामे सुनती.
कल शाम को उसने मुझे ज़ोर से दबोच लिया
देख.. मेरा होठ सूज गया हैअनिल ने कल खूब चूसा
अनिल की छाती देखी है? चौड़ी होने के साथ साथ बाल भी बहुत हैं
और नम्रता अन्दर ही अन्दर उत्तेजित हो जाती. वो सब चुप चाप सुनती रहती, अदिति को चुप होने के लिए मना नहीं करती, उसके दिमाग में वैसी ही ब्लू फिल्म चलने लगती- उस हब्शी की जगह अनिल और उस लड़की की जगह वो दोनों एक दूसरे से लिपटे आनंद से छटपटा रहे होते.









अदिति नम्रता का मन ताड़ लेती. उसे पटा था की नम्रता अपने मुंह से कभी अनिल से मिलने के लिए हाँनहीं बोलेगी.
कुछ हफ्ते बाद अदिति के मम्मी-पापा एक शादी में दिन भर के लिए चले गए. उसके भाई पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जा चुका था. उसका घर पूरा दिन के लिए खाली था. उसके दिमाग में बल्ब जला- उसे ख्याल आया क्यूँ न नम्रता को बिना बताये यहाँ बुलाया जाये, और अनिल के साथ अकेला छोड़ दे. बाकी का कम तो अनिल खुद कर लेगा. उसने पहले अनिल से मोबाईल फोन पर बात की. उस वक़्त पर वो थाने पर डयूटी पर था. अदिति की बात सुनते ही वो थाने में बहना बना कर सीधे अदिति के घर आ गया, वर्दी तक नहीं बदली.
क्या बात है…!!!” अनिल के लिए दरवाज़ा खोलते हुए अदिति ने चुटकी ली नम्रता इतनी पसंद है की वर्दी में ही चले आये? वर्दीवाले गुंडे!!
अनिल मुस्कुराते हुए अन्दर घुसा और दबी आवाज़ में पूछा आ गयी वो?”
अदिति की अब हंसी निकल गयी.
थोड़ा सबर करो. पांच मिनट पहले फ़ोन पर बात हुई है उससेअभी आ रही है, रस्ते में है.
हाय कितने दिनों से सपने देख रहा हूँ उसके…!”
बस थोड़ी देर और.. सपना सच होने वाला है.अदिति अनिल को अपने बेडरूम में ले गयी.
अनिल पलंग पर पसर गया और अदिति को खींच लिया.
अरेये क्या कर रहे होतुम यहाँ नम्रता के लिए आये होछोड़ो मुझे..!अदिति बोली
जानेमन.. जब तक नहीं आती तब तक तुम ही से काम चला लेते हैं…” कहते हुए अनिल ने अदिति का हाथ अपनी पैंट की ज़िप वाले भाग पर रख दिया.
अदिति उसका खीरे जितना मोटा, नौ इंच का लंड सहलाने लगी.
सुनोनम्रता को इसकी आदत नहीं हैआराम से करना.उसने उसका लंड पैंट के ऊपर से सहलाते हुए हिदायत दी.
पता नहीं यारशायद मेरा कंट्रोल छूट जायेइतनी सुन्दर लड़की को कोइ भी दबा दबा कर चोदेगा…”
बिलकुल नहींआराम से करना कुछ गड़बड़ न हो जाये, बेचारी है भी बिलकुल फूल से नाज़ुक.
सच कह रही हो. फूल सी नाज़ुक है तुम्हारी सहेलीबिलकुल कच्ची कलीउससे सुन्दर लड़की मैंने आजतक नहीं देखी.अनिल उसकी कल्पना कर रहा था.
पता है, वो हमारे कालेज की मिस फर्स्ट इयर है. उसने ब्यूटी कम्पटीशन जीता था. उसके पीछे कितने लड़के पड़े हैं…” अदिति ने अपनी सहेली का बखान किया.
आज वो मेरी होने वाली हैअनिल का लंड बिलकुल टाईट खड़ा था.
तभी दरवाज़े की घंटी बजी.लो आ गयी. शान्ति से बैठे रहो.अदिति फुर्ती से पलंग से उठी और दरवाज़ा खोलने पहुंची.
आ जाओ हिरोइन.. नम्रता को छेड़ते हुए बोली आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो.. पार्लर गयी थी क्या?”
नम्रता मुस्कुराता हुए बोली सिर्फ चेहरा स्क्रब करने गयी थी.. बस.
अच्छा, आजा अन्दर.अदिति उसे अपने बेडरूम में ले गयी.
नम्रता अन्दर आई और अनिल को वहां देखते ही स्तब्ध रह गयी.
अरे, क्या हुआ? बैठ जाओ न.अदिति ध्यान भंग करते हुए बोली और नम्रता को बेडरूम के कोने में पड़े सोफे पर बैठा दिया. अनिल पलंग पर बैठा नम्रता को देख कर हलके हलके मुस्कुरा रहा था.
कैसी हैं नम्रता जी?” अनिल ने बातचीत शुरू की.
अच्छी हूँ.नम्रता ने सकपकाते हुए जवाब दिया. वो अब अदिति को घूर रही थी. उसके चेहरे पर अनकहा सा सवाल था: ये सब क्या है?’
अदिति किसी भी अन्तरंग सहेली की तरह नम्रता का सवाल ताड़ गयी और सिर्फ मुस्कुराती रही. नम्रता समझ गयी की उसे अनिल से मिलने के लिए बुलाया गया है.
अदिति नम्रता के बगल कुर्सी पर बैठ गयी.
और सुनाओ, सुबह से क्या कर रही थीं?” अदिति ने बात शुरू की.
कु.. कुछ नहीं.. टी वी देख रही थीवो अभी भी हिचकिचा रही थी.
हम्म.. अब अनिल बोला कौन कौन से चैनल पसंद हैं आपको?”
ये तो बस ज़ूमदेखती रहती है…” अदिति ने बताया.
ज़ूम में तो गाने आते हैं न?” अनिल ने पूछा.
हाँ.नम्रता ने जवाब दिया.
मुझे तो ज्यादा टी वी देखने की फुर्सत नहीं मिलती. कभी कभी पिक्चर देखने चला जाता हूँ.अनिल ने बातचीत जारी राखी आप पिक्चर देखती हैं नम्रता जी?”
हाँ, कभी कभी इसके साथ चली जाती हूँ.अदिति की तरफ इशारा करती हुई बोली. अब वो धीरे धीरे खुलने लगी थी. उसके अन्दर अजीब से भाव था. इतने लम्बे चौड़े भीमकाय मर्द को, वो भी पुलिस की वर्दी में देख कर वो हलकी सी सहम गयी थी. लेकिन उसको अच्छा भी लग रहा था, वो जिसके साथ वो रति क्रिया करने की चोरी चोरी कल्पना करती थी, आज उससे बातें कर रहा है.
अनिल को लड़कियां पटाना आता था. उसे मालूम था की नम्रता उसके डील डौल से घबरा गयी है, इसीलिए वो अपनी बातों में चाशनी मिला रहा था.
मुझे तो दबंग बिलकुल बकवास लगीनम्रता ने हाल ही देखी फिल्म के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करी.
अच्छा, क्यूँ? मुझे तो बहुत अच्छी लगी.अनिल ने जवाब दिया. अब वो दोनों आराम से बातें कर रहे थे.
बातें करते करते अनिल जिस सोफे पर नम्रता बैठी थी, उस पर आकर बैठ गया, उसके बगल.
नम्रता ने पहली बार अनिल को इतने करीब से देखा : घनी घनी मूछें, चमकीली चमकीली बाज़ के जैसी तेज़ आँखें. अब उसे अदिति की बात समझ में आने लगी- अनिल वाकई बहुत बांका मर्द था. उसका काला रंग और उसकी पुलिस वाला हेयर कट उसके व्यक्तित्व और शरीर को निखार रहा था. नम्रता की नज़र ज़रा नीचे, उसकी गर्दन और छाती पर गयी अदिति ठीक ही कह रही थी- उसकी छाती पर बाल थे जो उसकी वर्दी की कमीज़ के गले से झाँक रहे थे. इसके अलावा उसके मांसल हाथों पर भी बाल थे. उसे हमेशा से बाल वाले लड़के पसंद थे- इसीलिए उसे विक्रांत भी पसंद आया था.
इधर अनिल भी नम्रता को करीब से देख रहा था- वैसे तो वो उसे कई बार घूर चुका था, उसके शरीर का अंदाज़ा लगा चुका था, लेकिन आज वो उसके बहुत नज़दीक से देख रहा था- उसके कोमल गुलाबी होट, बड़ी-बड़ी कली-कली आँखें, लम्बी, पतली गर्दन, गोरा चिट्टा रंग, भरी-भरी गोल-गोल चूंचियां (जिनसे उसकी नज़र ही नहीं हट रही थी), इकहरा, मुलायम बदन.
तभी बातों ही बातों में अनिल ने नम्रता का हाथ थाम लिया. नम्रता के शरीर में बिजली दौड़ गयी. आपका कंगन तो बहुत प्यारा हैअनिल उसकी ब्रेसलेट की तरफ इशारा करते हुए बोला. नम्रता शरमाते हुए बोली मेरी कज़िन ने दिया है.
अनिल ने एक ओर अदिति की तरफ देखा, वो समझ गयी. आप दोनों बातें करिए, मैं चाय लेकर आती हूँ.इतना कहते ही बेडरूम से बाहर चली गयी. जाते जाते दरवाज़ा भी भेड़ती गयी. अनिल अभी तक नम्रता का हाथ थामे था. उसका काला काला , भरी मरदाना हाथ नम्रता के गोरे गोरे नाज़ुक गुलाबी हाथों से बिलकुल विपरीत रंग का था- बिलकुल कंट्रास्ट. यही कंट्रास्ट दोनों के नंगे शरीर में भी होने वाला था.
वो अब नम्रता से सटकर बैठ गया. दोनों के शरीर छूने लगे. आपका हाथ कितना प्यारा है, बिलकुल किसी परी के जैसा
नम्रता पिघली जा रही थी. अनिल को पता चल गया की लोहा गरम है.
उसने अपनी दूसरी बांह नम्रता के कन्धों पर रख ली.
नम्रता.. तुम बहुत सुन्दर होउसने शरमाई हुई नम्रता के चेहरे को उचकाया , दोनों की आँखें मिली- दोनों हवस की आग में जल रहे थे.
अदिति ने देख लिया तो?”
अनिल हलके से मुस्कुराया और बोला वो यहाँ नहीं आयेगी, घबराओ मत.उसने उठ कर बेडरूम के दरवाज़े को अन्दर से बंद कर दिया. बेचारी अदिति का मनोरंजन फुस हो गया.
वापस आकर उसने अपनी बाँहों में समेट लिया. और उसके रसीले होटों पर अपने काले-काले होट रख दिए.
नम्रता कुछ नहीं कर पा रही थी- उस पर ये काला दानव हावी हो रहा था और वो उसे हावी होने दे रही थी- उसे न जाने कितना आनंद आ रहा था अनिल के आगोश में.
अनिल उससे लिपट कर नम्रता के नाज़ुक गुलाबी होटों को चूसने लगा. नम्रता उसकी बाँहों में पिघलने लगी. अनिल ने उसी तरह लिपटे-लिपटे नम्रता के शरीर को सहलाना शुरू किया- उसकी कमर, पीठ, बाहें नम्रता ने अनिल के मजबूत विशाल कन्धों को थाम लिया . फिर धीरे धीरे अनिल के हाथ उस जगह पर पहुंचे जहाँ वो बहुत दिनों से पहुंचना चाह रहे थे- उसकी मुलायम मुलायम चूंचियां. नम्रता ने अब अपने आपको अनिल के हवाले कर दिया था. अनिल के उसके होट चूसते चूसते उसकी चुंचियों को अहिस्ता-अहिस्ता दबाना सहलाना शुरू किया. नम्रता उसके कन्धों को सहला रही थी.
अदिति ये सब चुप चाप बेडरूम के दरवाज़े के पीछे से सुन रही थी.
नम्रता ने उस वक़्त सलवार कुर्ता पहने हुआ था. अभी तक अनिल के हाथ उसके कुर्ते के ऊपर हरकत कर रहे थे. अगले ही पल वो उसके कुर्ते के अन्दर दाखिल हो गए. मत करो…” नम्रता ने अपने आप को छुड़ाते हुए नाज़ुक सी आवाज़ में अनिल से गुज़ारिश की. लेकिन अनिल अनुभवी लम्पट था. उसे मालूम था की नम्रता ज़्यादा विरोध नहीं करेगी सिर्फ शर्म से रोक रही थी. वैसे भी उसे इतने इंतज़ार के बाद इतनी सुन्दर लड़की मिली थी. आज तो वोह उसे चोद कर ही छोड़ेगा- पता नहीं फिर मिले न मिले.
उसके होट अनिल के चूसने से लाल हो चुके थे. अनिल ने अनसुना कर दिया और फिर उसे अपनी बाँहों में समेट लिया.
मेरी जान…” अनिल ने उसके चेहरे और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया. आजतक कभी विक्रांत ने इस अंदाज़ के साथ उसके साथ प्यार नहीं किया था. अभी तक वो दोनों सोफे पर जुटे हुए थे. अनिल उसे बिस्तर पर ले गया और उसे लिटा कर खुद उसके ऊपर लेट गया और उसके होटों को चूसना जारी रखा. नम्रता उसके बोझ से दबी जा रही थी, लेकिन उसे इस दबने में मज़ा आ रहा था.
अनिल ने उसका कुर्ता उतारने की चेष्टा की.
नहीं, नहीं प्लीज़..नम्रता ने रोकना चाह, लेकिन अनिल कहाँ सुनने वाला था. उसने झट अन्तरा का कुर्ता ऊपर तक खींच दिया. नम्रता ने अपनी बाहें फैला कर कुर्ते को को उतारने से रोकना चाह लेकिन अनिल ज़बरदस्ती उसका कुर्ता उतर कर कोने में फेंक दिया. एक पल को तो उसके नंगे धड़ को देखता रह गया. उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसके अन्दर उसकी सुन्दर सुन्दर, गोरी गोरी रसगुल्ले जैसी मुलायम चूंचियां कैद थी.
अनिल ने अगले ही पल उसकी सलवार भी उतर दी. लड़कियों को नंगा करने में वो एक्सपर्ट था.
नम्रता ने ब्रा से मेल खाती पैंटी भी पहनी हुई थी.
वो फिर उसके ऊपर चढ़ गया और उसे दबोच कर उसके होटों के रस पीने लगा. अन्तरा को उसकी वर्दी के बिल्ले गड़ रहे थे. अनिल अब उसकी गर्दन को चूम रहा था. वो नम्रता के शरीर पर जहाँ-जहाँ चूमता, वहीँ उसके शरीर में एक बिजली की लहर दौड़ कर पूरे शरीर में फ़ैल जाती, और उसके मुंह से हलकी हलकी सिसकी भी निकलने लगती … “आह्ह्हओह्ह…!!”
न जाने कब नम्रता के हाथ अनिल के बालों को सहलाने लगे थे. वो भी अब अपना सब कुछ अनिल के हवाले करके आनंद के सागर में डूबती जा रही थी. अनिल एक मिनट को नम्रता के ऊपर से उठा और झटपट अपनी पुलिस की वर्दी उतारने लगा. उसका काला, बालदार मांसल शरीर देखकर अन्तरा की चूत में पानी आ गया. अनिल ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए , सिवाय चड्ढी के.
अनिल ने फिर से अन्तरा को अपने आगोश में ऐसे ले लिया जैसे कोइ अजगर अपने शिकार को जकड़ लेता है. दोनों एक दूसरे के नंगे बदन के स्पर्श का आनंद ले लगे. अन्तरा का तो मन कर रहा था की वो यूँ ही इसी तरह हमेशा लिपटी रहे. उसे अनिल के लंड का स्पर्श अपने कटी प्रदेश पर मिला जो इस वक़्त पूरा तन कर खड़ा था. उसने अंदाज़ा लगाया की कम से साढ़े नौ इंच का रहा होगा, और खूब मोटा और भारी था, उसकी सहेली सच बोल रही थी.
अनिल उसके होठ चूस रहा था, ऐसे जैसे उसे शायद फिर से न मिले. थोड़ी देर बाद अन्तरा से बोला अब तुम मेरे होठ चूसो. अन्तरा ने अनिल की गर्दन पर पीछे से हाथ रखा और उसके मोटे मोटे , काले काले , मरदाना होठ चूसने लगी. उसके होठों से जब अनिल की मूंछ के बाल टकराते तब उसे बहुत सुखद एहसास होता. उसे लगता जैसे वो वाकई में किसी मर्द से प्यार कर रही हो. अनिल को भी मज़ा आ रहा था. नम्रता के साथ वो न जाने क्या क्या करना चाहता था.
उसने नम्रता की ब्रा खींच कर फ़ेंक दी और उसकी सुन्दर, गोरी, रसीली चूंचियों को आज़ाद कर दिया. एक पल तो वो उसे देखता रहा. इतनी सुन्दर लड़की, और ऊपर से उसकी गुलाबी गुलाबी नाज़ुक मुलायम चूंचियां. वो चूंचियों पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कोइ भूखा आदमी खाने पर टूट पड़ता है. वो दोनों हाथों में उसकी चूचियों को भर कर उनसे खेल रहा था. नम्रता अपनी गर्दन घुमाये हलकी हलकी सिस्कारियां भर रही थी:
अहह….!”
उह्ह..हह…!”
अनिल अब उसकी चूंचियां अपने गाल पर रगड़ रहा था. नम्रता को उसकी हलकी सी बढ़ी हुई शेव चुभ रही थी. उसने अनिल को रोकना चाह लेकिन अनिल तो मदहोश था, नम्रता उसे जितना रोकती, वो और करता.
अगले ही पल वो उसकी चूंचियां चूसने लगा. नम्रता को एक करेंट जैसा लगा. ऐसा करेंट उसे बहुत दिनों के बाद लगा था. उसने अनिल के सर को थाम लिया और अपनी चूंचियां चुसवाने लगी. उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आहें भर के अनिल के बाल और कंधे को सहला लगी.
उह्ह..!
अनिल को पता चल गया था की नम्रता को मज़ा आ रहा था. उसकी चूंचियां वो बहुत शौक से चूस रहा था. ऐसी सुन्दर लड़की उसने पहले कभी नहीं चोदी थी. करीब १५ मिनट तक अनिल नम्रता की चूंचियों का रस पीता रहा. उसके बाद वो उठा और अपनी चड्ढी उतार फेंकी.
उसका लालची लंड फुदक कर बाहर आ गया. उसके लौढ़े को बहुत भूख लगी थी. और इतनी सुन्दर लड़की को देख कर उसकी भूख कई गुना बढ़ गयी थी.
नम्रता ने अब अनिल का प्रचंड लंड देखा- साढ़े नौ इंच लम्बा, उसी की तरह तवे जैसा काला रंग, खीरे जैसा मोटा, उसकी नसें उभरी हुईं थी. अनिल की चौड़ी विशाल बालदार कली जांघों के बीच खम्भे की तरह तन कर खड़ा और पत्थर की तरह सख्त. उसका काला काला सुपाड़ा फूल कर गुलाब की कली तरह खिल गया था. अनिल बिस्तर पर बैठी हुई नम्रता के किनारे आकर खड़ा हो गया और उसकी प्रतिक्रिया देखने लगा.
नम्रता अब अनिल की शकल देख रही थी. अनिल ने धीरे से नम्रता के गुलाबी गालो को सहलाया और दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर अपना लंड तान कर
बोला लो चूसो इसे..
नहीं.. मुझे नहीं पसंद…” नम्रता नहीं चूसना चाहती थी. उसने विक्रांत को भी मना कर दिया था लंड चूसने से.
अरे.. तुम बड़ी अजीब लड़की होपहली लड़की हो जो इसे चूसने से मना कर रही हो, वर्ना लड़कियां तो पागल रहती हैं मेरा लंड चूसने के लिए.
नम्रता ने अपने चेहरा घुमा लिया. अनिल उसके बगल बैठ गया और अपनी बाँहों में ले लिया.
दो मिनट के लिए चूस लो. न अच्छा लगे तो छोड़ देना
नहीं, मुझे घिन आती है.नम्रता ने विरोध किया.
थोड़ी देर चूसोगी तो घिन भी चली जाएगी. देखो कितना मस्त लंड है मेराये जब तुम्हारे अन्दर घुसेगा तो बहुत मज़ा आएगा तुम्हेइतना कहते ही अनिल ने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया. लौढ़ा पकड़ते ही नम्रता के शरीर में चार सौ चालीस वोल्ट का करंट दौड़ गया.
अनिल ने अपनी टांगे पलंग पर फैला लीं और नम्रता को झुका कर अपना लौढ़ा चुसवाने की कोशिश करने लगा. नम्रता पहले बहुत झिझकी लेकिन फिर अनिल ने ज़बरदस्ती उसके सर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया. नम्रता ने अनिल के लंड के सुपाड़े को मुंह में ले लिया. उसे उबकाई आने लगी. लेकिन अनिल ने उसका सर अभी भी दबा रक्खा था.
चूसो नजैसे लोलीपोप चूसते हैं…” अनिल बोला.
नम्रता मन मार कर अपनी जीभ से उसका सुपाड़ा सहलाने लगी. उसने किसी तरह बस उसके सुपाड़े के ऊपर का हिस्सा अपने मुंह में लिया हुआ था. अनिल का बस चलता तो पूरा का पूरा लंड उसके मुंह में घुसेड़ देता और अपना वीर्य भी उसके गले में गिरा कर प्रेग्नेंट कर देता.
लेकिन नम्रता ढंग से चूस नहीं रही थी- अनिल को मज़ा नहीं आ रहा था. लेकिन वो फिर भी अपना लुंड चुसवा रहा था- वो नम्रता जैसी सुन्दर लड़की के गुलाबी-गुलाबी नाज़ुक होटों के बीच अपने काले-काले लंड को देखना चाहता था. वो ये देखना चाहता था की नम्रता उसका लंड चूसते हुए कैसी लगती है.
दो मिनट तक नम्रता यूँ ही अपने होटों और जीभ से उसके लौढ़े को सहलाती रही फिर बोली अब बस करूँ..?”
अनिल मुस्कुराया और बोला हाँ ठीक है, बस करो.. आओ आकर लेट जाओ
नम्रता बिस्तर पर लेट गयी. अनिल उठा और नम्रता की टांगे उठा कर उसके सामने घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसकी टांगे अपने कन्धों पर रख लीं. नम्रता समझ गयी थी की अब क्या होने वाला है.
अनिलइतना बड़ा अन्दर नहीं जा पायेगा.
अनिल की हंसी छूट गयी. वो बहुत अनुभवी था. हा हा हाघबराओ मत, सब अन्दर चला जाता है.
लेकिन लेकिन मैं प्रेगनेन्ट हो गयी तो?”
चल बेवक़ूफ़अनवांटेड 72 खा लेना…. फालतू में डरती हो.
अनिलआराम से करना.. प्लीज़..
इस पर अनिल कुछ नहीं बोला. उसने चूत के मुहाने पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और कस के शाट मारा.
मम्मी…” नम्रता कराह उठी. उसे अपना पहला अनुभव याद आ गया.
अनिल का लंड आधा उसकी चूत में समा गया था. अनिल उसे पूरा अन्दर तक घुसेड़ दिया.
हाह्ह्ह….!!!” नम्रता ने कराहते हुए उछल कर अनिल के चौड़े चौड़े कन्धों को थाम लिया.
अनिल को बहुत मज़ा आ रहा था. जिस चीज़ की कल्पना वो कई दिनों से कर रहा था, आज उसके सामने घटित हो रही थी. कचनार की कली सी सुन्दर लड़की की गुलाबी गुलाबी मुलायम चूत में उसका काला-काला लंड घुसा हुआ था. और नम्रता उससे लिपटी हुई छटपटा रही थी.
एक पल को को वो उसे यूँ ही देखता रहा. फिर उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की.
उसकी कमर के हिलने से नम्रता का छटपटाना और कराहना भी शुरू हो गया.
आह्ह…!”
उह्ह….!!”
दरवाज़े के पीछे से अदिति सारी आवाजें सुन रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था उसको.
इससे कहीं ज़्यादा मज़ा अनिल को आ रहा था. उसका मुस्टंडा भूखा लंड आज नम्रता की रेशमी चूत की सैर कर रहा था. नम्रता के चेहरे पर झलकता दर्द, उसकी सिस्कारियां उसके मज़े को दुगना कर रहा था. उसका मन करा था की नम्रता को उठा कर ले जाये और सारी उम्र उससे लिपटकर उसे चोदता रहे.
अनिल नम्रता को चोदे जा रहा था. बीच बीच में झुक कर नम्रता के होटों को चूस भी लेता था. जब अनिल उसे चोदते-चोदते चूमता, नम्रता उसका सर थाम लेती.
आज नम्रता को पता चला की तगड़े जवान, बड़े लौढ़े वाले मर्द से चुदना कैसा होता है. उसे समझ में अब आया की अदिति अनिल का इतना गुणगान क्यूँ करती थी.
अनिल कुछ देर तक उसी पोज़ में चुदाई करता रहा. फिर उसका मन पोज़ बदलने का हुआ. आज वो हर तरीके नम्रता को भोगना चाहता था. उसने अपना लंड निकाला. नम्रता की जान में जान आई. उसने अनिल के लंड को देखा- हैंडपंप की नली की तरह टाईट, तन कर खड़ा था. उसकी चूत के पानी में भीग कर चमक रहा था.
उठोउसने नम्रता को आदेश दिया. नम्रता बिस्तर पर घुटनों के बल खड़ी हो गयी. उसने नम्रता को कमर से पकड़ कर पलटा और झुका दिया.
घोड़ी बन जाओऐसे…” नम्रता समझ गयी. उसने अपने पंजे बिस्तर पर टिका लिए. विक्रांत ने आज तक कभी उसको ऐसे नहीं चोदा था.
अनिल उसकी गाण के पीछे घुटनों के बला खड़ा था. उसने नम्रता के चूतड़ फैलाये और अपना लंड फिर गपाक से पेल दिया, और नम्रता की कमर पकड़ कर चोदने लगा.
नम्रता की फिर सिस्कारिया निकलने लगीं:
आह्हउह्ह हा.. ह…..!”
अनिल प्लीज़धी..धीरे करो.. उई…..!!”
अनिल कहाँ सुन रहा था. वो आज नम्रता के सुन्दर बदन का आनंद ले रहा था. उसका गदराया लंड गपा-गप, गपा-गप स्टीम इंजन के पिस्टन की तरह नम्रता की रेशमी चूत को चोद रहा था. नम्रता की भी कल्पना सच हो गयी. उसे उसी ब्लू फिल्म का ध्यान आया जिसमे काला अफ़्रीकी हब्शी गोरी लड़की को ठीक इसी तरह घोड़ा बना कर चोद रहा था. उस हब्शी का भी औज़ार अनिल के जितना बड़ा था.
अनिल फुल स्पीड में जुटा था. वो बिना थके कामातुर सांड की तरह नम्रता को चोदे चला जा रहा था. चुदाई करते अब 20 मिनट हो गए थे.
अब नम्रता से नहीं सहा जा रहा था.
अनिलबस करोअहहप्लीज़अहह…!!”
लेकिन अनिल ने अनसुना कर दिया. वो उसे राक्षस की तरह चोद रहा था. वैसे वो ऐसे ही चोदता था. लड़कियां परेशान हो जाती थी, लेकिन उसका मन नहीं भरता था. वो एक रात में कई कई बार चुदाई करता था.
पूरा पलंग हिल रहा था, और कमरा नम्रता की सिस्कारियों से भरा हुआ था.
नम्रता ने एक हाथ से अनिल को रोकने की कोशिश की- उसने हाथ पीछे करके अपनी चूत पर रखना चाह, लेकिन अनिल ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके चूतड़ पर एक चपत चट से जड़ दी.
बड़ी मुश्किल से अनिल ने नम्रता का हाथ छोड़ा.
तभी अचानक आनिल ने अपना लंड बाहर निकाला. नम्रता की जान में जान आई. उसे लगा की अनिल झड़ चुका है. लेकिन वो गलत थी.
अनिल ने उसे अब पीठ के बल लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर फिर से चोदने लगा. दोनों के लिए एक बहुत मज़ेदार एहसास था- दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे से छू रहे थे, दोनों एक दूसरे से बेल की तरह लिपटे चुदाई कर रहे थे. नम्रता के हाथ अनिल की विशाल पीठ को सहला रही थी.
दोनों एक दूसरे के होटों को चूस रहे थे.
अनिल यूँ ही नम्रता के ऊपर चढ़ा, उसके होठ चूसता उसकी चूत को भोगता रहा. उसके लंड को बहुत मज़ा आ रहा था और वो झड़ने वाला था.
नम्रता मेरी रानीतुम बहुत सुन्दर होतुम्हे बहुत दिनों से ताड़ रहा थाआज तुम्हारे साथ करने का मौका मिला हैछोडूंगा नहींउसने नम्रता के कान में कहा.
उसका मन था की नम्रता की चूत में झड़ जाये. तभी अचानक उसके मन में ख्याल आया- क्यूँ न वो उसकी चूंचियां भी चोदे?
उसने फिर से अपना प्रचंड लंड निकाला और नम्रता की छाती पर चढ़ बैठा.
नम्रता की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. अनिल ने अपना भीगा भीगा लंड उसकी छाती के बीचों-बीच रखा और दोनों चूंचियों को उसपर दबा कर रगड़ने लगा. विक्रांत ने उसके साथ ऐसे नहीं किया था.
अब अनिल से नहीं रहा गया- अन्तरा की मुलायम, मुलायम, सुन्दर सुन्दर गोरी गोरी चूंचियां उसके लंड से रगड़ रहीं थी, और नम्रता खुद अनिल को निहार रही थी. थोड़ा सा ही रगड़ने पर अनिल के मुंह से हलकी से आह निकली:
अहह..हह..!!
और अनिल नम्रता के सुडौल वक्ष पर झड़ गया. उसकी चूचियां अनिल के आधा लीटर वीर्य में नहा गयी थी. उसका वीर्य छिटक कर अन्तरा की गर्दन और और चेहरे पर भी फैल गया था.
अब कहीं जाकर अनिल के अन्दर महीनो से जलती हुई आग बुझी.
वो नम्रता के ऊपर से हटा और बाथरूम में ले गया. नम्रता सिंक पर झुक कर अपना चेहरा और छाती धोने लगी अनिल पीछे उसकी गांड पर अपना लंड चिपकाये खड़ा रहा. उसके बाद अनिल ने खुद नम्रता के भीगे बदन और चेहरे को तौलिये से पोंछा.
इस सब के बाद उसने नम्रता को बाँहों में भर लिया. दोनों एक दूसरे लिपट गए.
आज भी नम्रता और अनिल एक दूसरे से मिलने का मौका नहीं छोड़ते.


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