FUN-MAZA-MASTI
आगे कि कहानी अगले भाग में .
जीजू संग मस्ती 1
हेल्लो मेरे दोस्तो…में
इस साईट की नयी नयी सदस्य हूँ. आप सब से प्रेरणा पाकर में भी देने के लिय
उतावली हो रही हूँ. इसे आप जैसे चाहें लें, प्यार मुहब्बत से. अपना प्यार
दे कर मुझे निहाल कर दें. जिससे मैं आप को हर बार नयी – नयी तरह से देती
रहू। मेरी बहन की शादी अभी हाल ही
मे हुई है. जीजू मल्टी-नॅशनल कंपनी मे एक अच्छी
पोस्ट पर है। मेरी बहन बड़ी सीधी है और अपने दुनिया में ही मग्न रहती है पर
मुझसे कुछ भी नही पुछती. शादी के बाद जब पहली बार घर आई तो उसने बड़े ही
सहज भाव से अपनी सुहागरात की पूरी बात बताई थी। हम दोनो ने मुहल्ले की नींद
खराब कर रखी थी. माँ के सजग रहते हुए भी हम दोनो चुपके –चुपके थोडी बहुत
मस्ती कर ही लेते थे। मुझे दीदी बहुत प्यार करती है।
कल
रत्ना (दीदी) का फोन आया था की रत्नेस (जीजू) एक हफ्ते के लिय ऑफीस के काम
से यहाँ आ रहें है दीदी उनके साथ नही आ रही है। उसकी सास की तबीयत खराब
है. माँ से पूछ कर मैने दीदी का ऊपर वाला कमरा ठीक कर दिया. और उनका
इंतजार करने लगी। क्योकि दीदी ने उनके आने का कोई समय नही बताया था. मेरा
मन बार-बार इस अवसर का फ़ायदा उठाने के लिय मुझे उकसा रहा था. किसी के
स्वागत में पलक बिछाए हुए थी. मैं पहली बार उनसे कैसे चुदवाऊँगी इसका ख्वाब
देखने लगी. दीदी से तो मैं यह जान ही चुकी थी की वे बड़े चुदकर हैं।
यहाँ
मैं बताना चाहती हूँ की मेरे पापा हम भाई बहनो के लिय बडा सा घर बनवाया
है. मेरा और दीदी का कमरा उपर है. जिसमे एक बाथरूम है जो दोनो के कमरे में
खुलता है। सामने भैया-भाभी का फ्लैटनुमा अपार्टमेंट है जो लगभग खाली ही
पड़ा रहता हैं. क्योकि मेरे भैया-भाभी हैदराबाद मे रहते है और बहुत कम
दिनों के लिऐ ही घर आ पाते हैं। वह जब भी आते हैं अपने साथ ढेरों चीज़ें
लाते है और मौज-मस्ती कर के जाते है. मेरी भाभी शोकिन मिजाज कि है और
इसीलिय मेरे घर में कंप्यूटर, टीवी, प्लेयर, इत्यादि सभी चीज़ें हैं. उनके
चले जाने के बाद उनका सब समान मैं ही इस्तेमाल करती हूँ।
मेरी
भाभी भी खुले विचारो की है और जाते समय अपने अलमारी की चाबी देते हुय बोली
“देखो! अलमारी में कुछ ऐडल्ट सीडी, ऐल्बम और बुक्स रखी हैं पर तुम उन्हे
देखना नही” उन्होने मुस्कराते हुये चाबी पकड़ा दी थी.
ग्राउंड-फ्लोर
पर माँ पापा का बडा बेड रूम, ड्रॉयिंग-रूम, किचन स्टोर, तथा पीछे अलग एक
छोटा सा गेस्ट हाउस है जो कभी-कभार शहर में पढ़ने वाले लडको को किराये पर
भी दे दिया जाता है। जीजू शुक्रवार को सुबह 8 बजे आ गये. मैने मुस्कुराकर
स्वागत किया उन्होने प्यार से मेरे पिट पर एक हाथ लगाया. मम्मी ने हाल-चाल
पूछा। मैं उनकी आखों में कुछ पढ़ने का प्रयास करती रही. फिर जीजू
जल्दी-जल्दी तेयार हुये, नास्ता किया और अपने ऑफीस चले गये. दोपहर ढाई बजे
वे ऑफीस से लौटे, लंच कर मम्मी से बोले “ रात में ठीक से सो ना सका मैं अब
थोडा आराम करना चाहूँगा ” मैं उन्हे उपर दीदी के कमरे में पहूचा कर नीचे
माँ के पास आ गई.
उसके
बाद मम्मी मुझसे बोली, “ दामाद जी सो रहे है, मैं सोचती हूँ जाकर कथा सुन
आऊ. रेणु (कामवाली) आती होगी. दामाद जी सो कर उठ जाएँ तो चाय-नास्ता करवा
देना. वैसे तो नास्ते में काफ़ी चीज़ें है लेकिन कुछ गर्म भी बना लेना गर्म
खाने का स्वाद ही अलग होता है” और कथा सुनने चली गयी। मैं सोचने लगी की
जीजू को गर्म क्या खिलाऊ मन में एक विचार आया ‘मैं हू ना गर्म ’ सारे शरीर
में एक लहर दौड गयी। फिर सोचा मेरी बर्तन धोने वाली रेणु आती होगी उसकी
सहायता से कुछ बना लुंगी. रेणु हम उम्र है और हमेशा हँसी-मज़ाक करती रहती
है। अभी कुछ दिन पहले एक दिन जब मम्मी घर पर नही थी तो हम दोनों भाभी के
कमरे में जाकर एक ब्लू फिल्म देखी थी। तब से तो वह मेरे साथ गुल मिल गयी
है. उस दिन की बात मैं फिर कभी बताऊगी।
माँ
के जाते ही में ऊपर गयी, देखा जीजू अस्त-वस्त सो रहे हैं. उनकी लूँगी से
उनका प्यारा लंड दिख रहा था. सपने मैं वे ज़रूर चूत का दीदार कर रहे होंगे
तभी उनका लंड खडा था। मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी फेल गयी. मैं कमरे से
निकल कर बाहर आ गयी। सामने पार्क में एक कुत्ता कुतिया की चूत चाट रहा था।
मैं एक कुर्सी पर बैठ कर बड़े ध्यान से उनके कारनामे को देखने लगी. थोरी
देर बाद कुत्ता कुतिया के उपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर
करने लगा. ओह क्या चुदाई थी कुत्ते का लंड सात-सात अंदर बाहर हो रहा था।
जीजू का खुला लंड देख कर मैं वेसे ही गर्मा गयी थी और इस कुत्ते कुतिया की चुदाई ने तो मुझे पागल ही बना दिया।
मेरी
चूत मे पानी आ गया और मैं अपनी चूत और बोब्स को उपर से ही सहलाने लगी.
थोडी देर बाद कुत्ते के लंड को कुतिया ने अपनी चूत मैं फँसा लिया. कुत्ता
उससे छुड़ाने का प्रयास करने लगा इस प्रयास में वह उलट गया। लेकिन कुतिया
उसके लंड को छोड़ नही रही थी। यह सब देख कर मन बहुत खराब हो गया. तभी जीजू
का हाथ मेरे कंधे पर पडा. मैं घबरा कर उठ कर खडी हो गयी. जीजू बोले “क्या
देख रही हो मेरी साली साहिबा?” और उन्होने पीछे से मुझे दबोच लिया और मेरे
बोब्स को सहलाने लगे. “हटो जीजू आप बहुत गंदे है” मैने कहा तो ज़रूर पर
मैने उनके हाथो को हटाने का कोई प्रयास नही किया। “ओह जीजू ओह… क्या कर
रहें है…” जीजू मुझसे और चिपक गये और मैं उनके लंड की चुभन अपने गांड के
बीच अनुभव करने लगी।
उनका
एक हाथ टहलते हुय मेरी ब्रा को उपर से सहलाने लगा. लेकिन जब उन्होने ने
धीरे से मेरे स्कर्ट का बटन खोल दिया. तब जाकर अहसास हुआ की हम दोनो खुले
मे खड़े है और यहाँ कोई हमारी हरकतों को देख भी सकता है। मैं खुले स्कर्ट
को नीचे ज़मीन से उठा कर भीतर कमरे में भाग आई. पीछे-पीछे जीजू अंदर आ गये
और मेरे होटो को अपने मुहँ में लेकर चूसने लगे। मैं उनके लंड को लूँगी से
बाहर निकाल कर हाथो में ले लिया. ओह क्या लम्बा लंड था. इस लम्बे लंड को
हाथ में लेकर जब मैने सामने लगे हुये शीशे में देखा तो लगा साक्षात कामदेव
का लंड पकडे खडी हु और कामदेव चूची पकडे एक दूसरे मे समाने में लगे है।
जीजू मेरे कपडे उतारने लगे तो में बोली “ओह आ जीजू क्या कर रहे है घर में
अकेली पाकर मुझे नंगी कर शेतानी पर उतारू हो गये है. ओह अब छोड़ो भी ना..
क्या पुरे कपडे उतार देंगे” मैं जीजू को यह बताना चाह रही थी की घर पर कोई
नही है चाहे तो वह पूरी नंगी कर चुदाई कर सकते है।
जीजू
समझ गये और बोले “अरे वा मम्मी नही है तब तो अपनी साली के साथ पूरा मज़ा
लिया जा सकता है” और उन्होने आनन फानन मेरे सारे कपडे उतार नंगी कर दिया
और मुझे उठा कर पलंग पर ले आय और लिटा कर पैर फैला कर चूत का साक्षात्कार
करने लगे “तुम्हारी बिना बाल की चूत बडी लाजवाब है” कह कर उन्होने मेरी
मेरी चूत को चूम-चूम कर चूसने लगे। मेरे शरीर में एक तूफान उठ खडा हुआ।
मैं
बोली “जीजू मै भी आपके लंड का मज़ा लूँ”. “ वाह मेरी चमेली यह हुई ना बात
अब मज़ा आयेगा ” वह 69 के पोज़ में आ गये. मैने देखा ओह जीजू का लंड कितना
प्यारा लग रहा था। उसके ऊपर चमक रही बूँद कितना अच्छा लग रहा था की मैं
बता नही सकती। लंड इतना गर्म था की जैसे वह लावा फेकने वाला हो. उसे ठंडा
करने के लिय मैने उसे अपने मुहँ में ले लिया. लंड लंबा और मोटा था इसलिय
हाथ में लेकर पूरे को चूसने लगी. जीजू चूत की चुसाई पूरे मन से कर रहे थे
और मैं जीजू के लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुहँ में लेने की कोशिश कर
रही थी पर वह मेरे मुहँ मे समा नही रहा था। मैने जीजू के लंड को मुहँ से
निकाल कर कहा, “ हे जीजू! यह तो बहुत ही लंबा और मोटा है” अब मैं अपने आप
में ना रह सकी, उठी और बोली “अभी बताती हूँ छोदू लाल मुझे क्या करना है”
मैं अब तक चुदाने के लिय पागल हो चुकी थी। मैने उनको पूरी तरह नंगा कर दिया
और उपर आ गयी. चूत को उनके लंड के सीध मे कर अपने योनी द्वार पर लगा कर
नीचे धक्का लगा बैठी लेकिन चीख मेरे मुहँ से निकली, “ओह मा! में मरी….”
जीजू ने झट मेरी चुतड दोनो हाथो से दबोच लिया. जिससे उनका आधा लंड मेरी चूत
में धसा रह गया और वे मेरी चूची को मुहँ में डालकर चूसने लगे. चूंची चूसे
जाने से मुझे कुछ राहत मिली और मेरी चूत चुदाई के लिय फिर तेयार होने लगी
और हरकत करने लगी। ताव-ताव में इतना सब कुछ कर गयी लेकिन अब आगे बढने की
हिम्मत नही हो रही थी. लेकिन मुनिया (चूत ) चुदाने के लिय मचल रही थी।
मैं
जीजू के होट चूम कर बोली, “जीजू उपर आ जाओ” “क्या चमेली चोदोगे नही”
“नही चुद्वाओगी अपने राजा से” बिना चूत से लंड निकले वह बड़ी सफाई से पलटे
और मैं नीचे और वह उपर और लंड मेरी चूत मे जो अब थोडी नरम हो गयी थी।
उन्होने मेरे होट अपने होट में ले लिया और चूत से लंड निकाल कर एक जबर दस्त
धक्का लगा दिया।
उनका
पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. दर्द से मैं बेहाल हो गयी. मेरी आवाज़
मेरे मुहँ में ही घुट कर रह गयी क्योकि मेरे होट तो जीजा के होट मे थे. होट
चूसने के साथ वह मेरी चूंचियो को प्यार से सहला रहे थे। फिर चूंचियों को
एक -एक कर चूसने लगे जिससे मेरे चूत का दर्द कम होने लगा।
प्यार
से उनके गाल को चूमते हुये मैं बोली, “तुमने अपनी साली के चूत का कबाड़ा
कर दिया ना” “क्या करता साली अपने चूत के झांट को साफ कर चुदाने के लिय
तेयार थी” “जीजू आप को ग़लतफहमी हो गयी मेरे चूत पर बाल है ही नही” “यह
कैसे हो सकता है तुम्हारी दीदी के तो बहुत बाल है.. मुझे ही उनको साफ करना
पड़ता है” “हाँ..! ऐसा ही है लेकिन वह सब बाद में पहले जो कर रहे हो उसे
पूरा करो..”
मेरे
चूत का दर्द गायब हो चुका था और मैं चूत हिला कर जीजू के मोटे लंड को जमा
रही थी जो धीरे-धीरे अंदर बाहर हो रहा था। जीजू रफ़्तार बड़ाते हुये पुछा,
“क्या करूँ?” मैं समझ गयी जीजू कुछ गंदी बात सुनना चाह रहे हैं मैं अपनी
गांड को उछाल कर बोली, “है रे साली चोद ! इतना जालिम लंड चूत की जड तक घुसा
कर पूछ रहे हो क्या करूँ… है रे चूत चोद … अपने मोटे लंड से मत कर मेरी
मुतनी का सुधा-रस निकला नही अब समझे… राजा” मैने उनके होट चूम लिया। अब तो
जीजू तूफान मैल की तरह चुदाई करने लगे. चूत से पूरा लंड निकालते और पूरी
गहराई तक डाल देते थे।
में
स्वर्ग की हवाओ मे उड़ने लगी..“है राज्ज्ज्जा ! और ज़ोर…सीईई … बरा
मज्ज़ज़ज्ज्ज्ज्जा ययाया आ रहा है……और जूऊर्ररर सीई……. ओह माआ! हाईईईईई
मेरी बुर्र्र्र्ररर झरने वाली है……..मेरी बुर्र्र्र्ररर क्ीई चितारे यूरा
डूऊऊऊऊ….. हाईईईईई मे गइईईई”“रुक्ककूऊ मेरी चुदसी रानी मैं भीईय आआआआअ रहा
हूँ….” जीजू दस बारह धक्के लगा कर मेरी चूत को अपने गर्म लावा से भर दिया.
मेरी चूत उनके वीर्य के एक -एक कतरे को चूस कर खुश हो गयी।
मेरे
चूंचियों के बीच सरकाकर मेरे उपर थोडी देर पडे रहे. मेरे बगल में आकर
लेटने के बाद मेरे वीर्य से सने चूत पर हाथ फेरते हुय बोले “ हाँ! अब बताओ
अपने बिना बाल वाली चूत का राज” मैं इस राज को जल्दी बताने के मूड में नही
थी। मैने बात को टालते हुय कहा, “अरे ! पहले सफाई तो करने दो,.. चूत
चिपचिपा रही है… इस साले लंड ने पूरा भीगा दिया है..” मैं उठ कर बाथरूम
में चली गयी।
बाथरूम
में मेरे पीछे – पीछे जीजू भी आ गये. मैने पहले जीजू के लंड को धो कर साफ
किया फिर अपनी चूत को साफ करने लगी। जीजू गौर से देख रहे थे. शायद वे चूत
पर बाल ना उगने का राज जानने के पहले यह यकीन कर लेना चाह रहे थे की बाल
उगे नही हैं की इसे साफ किया गया है।
उन्होने
कहा “लाओ मैं ठीक से साफ कर दू ” वह चूत को धोते हुये अपनी तसल्ली करने
के बाद उसे चूमते हुय बोले, “वाकई तुम्हारे चूत का कोई जवाब नही है” और वह
मेरी चूत को चूसने लगे। मैने अपने पैरो को फेला दिया और उनका सर पकड कर
चूत चुसवाने लगी. “ओह जीजू…. क्य्..आअ कार्रर्ररर रहीईई हैं…… ओह ……” तभी
डोर-बेल बज उठा. मैने जीजा से अपने को छुडाते हुये बोली, “बर्तन माँजने
वाली रेणु होगी” और उल्टे सीधे कपडे पहन कर नीचे दरवाजा खोलने के लिय
भागी. दरवाजा खोला तो देखा रेणु ही थी. मैने राहत की सांस ली।
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