FUN-MAZA-MASTI
इतने दिनों बाद मिली फुद्दी
आज आपको मैं अपनी चुदाई की मन–मोह लेने वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ…
मैंने अपने ही दुकान वाली औरत की चूत बड़े ही मजेदार तरीके से दुकान में ही मारी और आज तक मारता हुआ आ रहा हूँ।
दोस्तों, दरहसल मैंने अपने शहर में नया–नया घर लिया और उसके सामने ही एक दुकान भी खुलवा ली और उसे किराए पर चड़ा दिया। जिससे मेरा आधा खर्चा भी चल जाया करता था।
मेरी दुकान को एक औरत ने किराए पर लिया हुआ था और क्यूंकि दुकान मेरे घर के कतई सामने ही थी इसलिए मेरी उससे बातचीत तो हर पल हो ही जाया करती थी।
मेरी बीवी की तबियत उस समय नाज़ुक चल रही थी और सच कहूँ तो उसकी चूत में अब ताकत भी नहीं बची थी कि वो मेरे लण्ड को और बर्दाश्त कर सके।
मैं उससे बात कर बस यूँही अपने दिल को बहला लिया करता था और कुछ ही दिनों में मेरी दुकान वाली औरत से बहुत बनने लगी।
वो दोपहर को अब मेरे साथ ही मेरे घर पर भोजन कर लिया करती थी और उसकी चूत का भोजन करने के दिन भी करीब आ रहे थे…
एक दिन दोपहरी को वो अपनी दुकान बंद कर मेरे घर आई तो हम आराम कर रहे थे भोजन करने के बाद और अचानक मेरे कन्धों का दर्द फिर से चालु हो गया।
उन दिनों तो मेरा नौकर भी छुट्टी पर गया हुआ था और मेरी बीवी ऊपर वाले कमरे में आराम कर रही थी। अब दुकान वाली ने मेहनत दिखाते हुए मेरे कन्धों कि मालिश करना शुर कर दी, जिससे मुझे उसके नरम हाथों से आराम मिल रहा था…
मैंने कुछ पल में ध्यान दिया कि उसके हाथ अब फिसल कर मेरे सीने तक आने लग गए थे और हलके–हलके गरमाने भी लगे थे।
मैं धीर–धीरे मदहोश होता चला गया और मैं उसके हाथों को थाम अचनक से खड़ा हुआ और उससे लिपट कर उसके करीब आ गया…
उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान थी जो मुझे अब उत्तेजित सी करती चली गई।
वो अब कुछ ही पल में अपने होठों को मेरे होंठ पर लहराती हुई मुझे उत्तेजित कर रही थी, जिसपर मैंने उसे अपने से एकदम सिमटा लिया और उसके होठों को अपने कब्ज़े में लेता हुआ चुचों को भींचकर कर उनकी जमकर सेवा करने लगा।
मैंने कुछ ही देर मैंने उसकी साड़ी को उतार दिया और उसके नंगे चुचों को को मसलते हुए अपने मुंह में भरकर पीने लगा।
मुझे उसके चुचों का बड़ा ही मस्त वाला स्वाद आ रहा था और मैंने अगले पल ही उसकी पैंटी को निकाल दिया और उसे वहीँ अपने सोफे पर लिटाकर उसकी चूत पर अपने लण्ड को निकाल रगड़ने लगा…
मैंने एक जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में आगे–पीछे होने लगा।
उसके बाद तो जैसे हम रुके ही नहीं और मैं बस उसकी चूत मारता चला गया, उसके मोटे–गोरे बदन के मैं मज़े लेता हुआ…
मैं सारी वासना अपने लण्ड के तीव्र झटकों से निकाल रहा था और इतने दिनों बाद मिली फुद्दी पर भी अपने लण्ड को ज्यादा देर ना दौड़ा पाया और आखिरकार हांफता हुआ झड गया…
वो अब धीमी मुस्कान देते हुए मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और मैं मज़े लेता हुआ वहीँ सो गया।
इतने दिनों बाद मिली फुद्दी
आज आपको मैं अपनी चुदाई की मन–मोह लेने वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ…
मैंने अपने ही दुकान वाली औरत की चूत बड़े ही मजेदार तरीके से दुकान में ही मारी और आज तक मारता हुआ आ रहा हूँ।
दोस्तों, दरहसल मैंने अपने शहर में नया–नया घर लिया और उसके सामने ही एक दुकान भी खुलवा ली और उसे किराए पर चड़ा दिया। जिससे मेरा आधा खर्चा भी चल जाया करता था।
मेरी दुकान को एक औरत ने किराए पर लिया हुआ था और क्यूंकि दुकान मेरे घर के कतई सामने ही थी इसलिए मेरी उससे बातचीत तो हर पल हो ही जाया करती थी।
मेरी बीवी की तबियत उस समय नाज़ुक चल रही थी और सच कहूँ तो उसकी चूत में अब ताकत भी नहीं बची थी कि वो मेरे लण्ड को और बर्दाश्त कर सके।
मैं उससे बात कर बस यूँही अपने दिल को बहला लिया करता था और कुछ ही दिनों में मेरी दुकान वाली औरत से बहुत बनने लगी।
वो दोपहर को अब मेरे साथ ही मेरे घर पर भोजन कर लिया करती थी और उसकी चूत का भोजन करने के दिन भी करीब आ रहे थे…
एक दिन दोपहरी को वो अपनी दुकान बंद कर मेरे घर आई तो हम आराम कर रहे थे भोजन करने के बाद और अचानक मेरे कन्धों का दर्द फिर से चालु हो गया।
उन दिनों तो मेरा नौकर भी छुट्टी पर गया हुआ था और मेरी बीवी ऊपर वाले कमरे में आराम कर रही थी। अब दुकान वाली ने मेहनत दिखाते हुए मेरे कन्धों कि मालिश करना शुर कर दी, जिससे मुझे उसके नरम हाथों से आराम मिल रहा था…
मैंने कुछ पल में ध्यान दिया कि उसके हाथ अब फिसल कर मेरे सीने तक आने लग गए थे और हलके–हलके गरमाने भी लगे थे।
मैं धीर–धीरे मदहोश होता चला गया और मैं उसके हाथों को थाम अचनक से खड़ा हुआ और उससे लिपट कर उसके करीब आ गया…
उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान थी जो मुझे अब उत्तेजित सी करती चली गई।
वो अब कुछ ही पल में अपने होठों को मेरे होंठ पर लहराती हुई मुझे उत्तेजित कर रही थी, जिसपर मैंने उसे अपने से एकदम सिमटा लिया और उसके होठों को अपने कब्ज़े में लेता हुआ चुचों को भींचकर कर उनकी जमकर सेवा करने लगा।
मैंने कुछ ही देर मैंने उसकी साड़ी को उतार दिया और उसके नंगे चुचों को को मसलते हुए अपने मुंह में भरकर पीने लगा।
मुझे उसके चुचों का बड़ा ही मस्त वाला स्वाद आ रहा था और मैंने अगले पल ही उसकी पैंटी को निकाल दिया और उसे वहीँ अपने सोफे पर लिटाकर उसकी चूत पर अपने लण्ड को निकाल रगड़ने लगा…
मैंने एक जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में आगे–पीछे होने लगा।
उसके बाद तो जैसे हम रुके ही नहीं और मैं बस उसकी चूत मारता चला गया, उसके मोटे–गोरे बदन के मैं मज़े लेता हुआ…
मैं सारी वासना अपने लण्ड के तीव्र झटकों से निकाल रहा था और इतने दिनों बाद मिली फुद्दी पर भी अपने लण्ड को ज्यादा देर ना दौड़ा पाया और आखिरकार हांफता हुआ झड गया…
वो अब धीमी मुस्कान देते हुए मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और मैं मज़े लेता हुआ वहीँ सो गया।
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