FUN-MAZA-MASTI
दो औरतों के साथ मस्ती-2
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और बोली, “क्या पियोगे तुम... व्हिस्की... बियर..?” मैंने कहा, “जी बस एक छोटा सा पैग व्हिस्की का ले लुँगा!”
ऊँची पतली हील के सैंडल खटखटाती हुई रेशमा किचन में चली गयी। रेशमा की
लड़खड़ाती चाल और हाव-भाव से मुझे अंदाज़ा हो गया कि उसने आज पहले से ही कुछ
ज्यादा शराब पी रखी थी। उसके कदमों के साथ-साथ ज़ुबान भी थोड़ी सी बहक रही
थी। वो व्ह्सिकी और सोडे की बोतलें, बर्फ
की बाल्टी और दो ग्लास ले आयी और दोनों के लिये पैग बनाये। फिर वो मुझसे
सट कर बैठ गयी और हम ड्रिंक पीने लगे। उसने मुझे सिगरेट पेश की तो मैंने
मना कर दिया कि मैं स्मोक नहीं करता। वो अपनी सिगरेट जलाती हुई बोली, “अच्छी बात है... पहले मैं भी स्मोक नहीं करती थी और ड्रिंक भी कभी-कभार ही लेती थी लेकिन जब से मेरे हसबैंड दुबई गये हैं, तो कुछ अकेलेपन की वजह से और कुछ नसरीन जैसी सहेलियों की सोहबत में ये सब आदतें पड़ गयीं।“
हमारे ग्लास खाली हुए तो रेशमा मुझसे और चिपक गयी और मेरी जाँघ सहलाने लगी और उसका हाथ मेरी पैंट की जेब में रखे कंडोम के पैकेट पर पड़ा। “ये क्या है?” उसने पूछा।“जी वो आपने कहा था ना... इसलिये आज मैं कंडोम लेकर लाया हूँ!” मैंने कहा तो उसने मेरी जेब में हाथ डाल कर कंडोम का पैकेट बाहर निकाला और फिर बे-परवाही मेज पर पटक दिया और मुझसे चिपकते हुए बोली, “इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी!” मैंने चौंक कर हैरान नज़रों से उसे देखते हुए पूछा, “आपने ही तो कल...” मेरी बात बीच में ही काट कर रेशमा चहकते हुए बोली, “वो क्या है कि कल हम दोनों पहले ही अपनी चूत टॉमी... उम्म्म मेरा मतलब है कल हमारा मन गाँड मरवाने का था इसलिये कंडोम का बहाना बनाया था!”अपनी समझ में तो उसने बात तो संभाल ली पर मैं समझ गया कि पिछले दिन मेरे आने के पहले ही दोनों कुत्ते से चुद चुकी थीं। तो इसी लिये कल वो कुत्ता इतना थका हुआ और सुस्त सा लग रहा था।
इतने में उसने पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड दबोच लिया और वो बोली, “अरे ये तो हरकत कर रहा है!” मैंने कहा, “आपकी चूत भी तो हरकत कर रही है!” वो बोली, “तुझे कैसे मालुम...? और ये आप-आप क्या लगा रखा है तूने?” तो मैं बोला, “तुम्हारे निप्पल जो खड़े हो रहे हैं! वो तुम्हारी पोल खोल रहे हैं!” वो अपने निप्पल दबाते हुए बोली, “तू तो छुपा रुस्तम है... रखता है तू!”फिर वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। एक-एक करके उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिये ओर मेरी शर्ट निकाल दी। अब उसका हाथ मेरी पैंट पर था। वो घुटनों के बल नीचे बैठ गयी। उसने मेरी पैंट का हुक खोला और अपना मुँह आगे करके ज़िप को अपने मुँह से खोलने लगी। ज़िप खोलते ही पैंट नीचे गिर गयी। मेरा लण्ड और भी हरकत में आ गया जो अंडरवीयर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। उसने अंडरवीयर के ऊपर से ही लण्ड को किस किया ओर मुँह से अंडरवीयर उतारने लगी। मुँह में दाँतों से पकड़ कर उसने मेरे अंडरवीयर खींच कर उतार दी।
मेरा लण्ड टन्ना गया था। वो खड़ी हुई और अपने साथ मुझे भी खड़ा करके मेरा सिर पीछे से पकड़ कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और चूसने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन के पीछे उसके बालों को पकड़ लिया। हम दोनों की साँसें जोर-जोर से चल रही थी। मैंने उसकी कमीज़ के हुक खोल कर कमीज़ उतार दी। अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी उसके मम्मे मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसको मैंने और नज़दीक किया ओर उसकी स्कर्ट की पीछे की ज़िप खोल दी। स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं था। अब वो ओर मैं दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने बस ऊँची पेंसिलहील वाले काले सैंडल पहन रखे थे। मेरा लण्ड उसकी चूत के आसपास टकरा रहा था। उसके गुलाबी होंठ मेरे मुँह में थे। दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा-टकरा कर आवाज़ कर रही थीं। मैं एक हाथ उसकी गाँड पर रख कर फेरने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। उसकी नशीली साँसें और भी तेज हो गयी। उसकी आँखें बंद हो गयीं और उसकी चूत भी गीली हो गयी जिसका एहसास मेरे लण्ड को हो रहा था।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बीच में रुककर उसने एक ग्लास में व्हिस्की भरी और फिर मेरा लण्ड उसमें डुबो-डुबो कर चूसने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था और मेरा पानी छूटने ही वाला था कि तभी दरवाजे की घंटी बज गयी। मेरे तो होश गुम हो गये। वो भी डर गयी। मैंने इशारे से पूछा कि कौन है तो वो बोली, “पता नहीं इस वक्त कौन मादरचोद मर गया... नसरीन होती तो आवाज़ देती... युँ घंटी ना बजाती!” उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा।
दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। रेशमा अपने कपड़े पहनने के लिये उठाये और मुझे भी अपने कपड़े लेकर दूसरे कमरे मे जाने को कहा। वो अपने कपड़े पहन ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज़ आयी, “रेशमा डार्लिंग! मैं नसरीन... दरवाजा खोल!” हम दोनों की जान में जान आ गयी। रेशमा सैंडलों में लड़खड़ाती दरवाजे तक नंगी ही गयी और दरवाजे की आड़ लेकर दरवाज़ा खोला ओर नसरीन अंदर आ गयी। उसने बुर्का पहन रखा था लेकिन चेहरे पर से नकाब उठा रखा था। सिर्फ उसके पैर दिख रहे थे जिनमें उसने सुनहरी रंग के काफी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे।
हम दोनों को नंगा देख कर वो बोली, “मैं ज्यादा लेट हो गयी क्या?” रेशमा बोली, “नहीं अभी नहीं! पर तूने तो जान ही निकाल दी थी! पहले आवाज़ नहीं दे सकती थी क्या? तेरी कार की भी आवाज़ नहीं सुनायी दी!” नसरीन मुस्कुरा दी और रेशमा को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूम लिये। नसरीन बोली, “कार की आवाज़ कैसे सुनायी देती... तुम दोनों अपने काम में जो मसरूफ थे!” नसरीन ने अपना बुर्का उतार कर एक तरफ फेंक दिया। अब वो बहुत ही हॉट लग रही थी। उसने गहरे गले वाला हल्के नीले रंग का कमीज़ पहना था जो स्लीवलेस था और सफेद रंग की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी।
फिर नसरीन मेरे पास आयी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। रेशमा भी मेरे पास आ गयी और नसरीन से बोली, “कपड़े उतार ओर पहले तू ही मरवा ले।” नसरीन मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह... आज तो कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही है... क्या बात है? वैसे फिलहाल तो तुम दोनों ही जो कर रहे थे वो ज़ारी रखो.. मैं ज़रा बाथरूम में फ्रेश होकर आती हूँ!” रेशमा बोली, “ठीक है तेरी मरज़ी...!” मुझे देख कर नसरीन आँख मारते हुए बोली, “बस अभी आयी!” और अंदर चली गयी।
रेशमा मेरी गोद में बैठ कर फिर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबाने लगा। नसरीन के सैंडलों की खटखटाहट सुनकर उस तरफ मेरा ध्यान गया तो देखा कि नसरीन ने अपनी कमीज़ और ब्रा दोनों उतार दी थी। हमारे पास आकर उसने मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल उठायी और सीधे उसमें से पीने लगी। उसे देख कर रेशमा बोली, “अरे ये क्या! सीधे बोतल से ही पीने लगी! इरादा क्या है?”
नसरीन ने जवाब दिया, “बस जल्दी से तेरी ही तरह मदहोश होने का इरादा है मेरी जान!”और हंसते हुए फिर बोतल से पीने लगी। दो-तीन मिनट में ही उसने काफी शराबपी ली। फिर वो सोफे के पीछे आ कर मेरे ऊपर झुक गयी और अपने मम्मे मेरे मुँह पर रख दिये। मैं उसके मम्मे चूसने लगा। शराब की बोतल अभी भी उसके हाथ में थी और वो बीच-बीच में चुसकियाँ ले रही थी। बीच-बीच में वो थोड़ी शराब अपने मम्मों पर भी डाल देती थी जिसे मैं उसके मम्मों से चाटने लगा। कभी-कभी मेरे दाँत उसके मम्मों में गढ़ जाते तो उसके मुँह से “आआआआहहहह ऊऊऊईईईई” जैसी चुदासी आवाजें निकल जाती।
रेशमा मेरी दोनों टाँगों के आरपार अपनी टाँग फैला कर खड़ी हो गयी। उसने अब मेरे लण्ड को पकड़ कर सीधा किया ओर अपनी चूत के निशाने पर रख कर बैठ गयी। पहले वो हल्का वजन डाल कर बैठी थी और मेरे लण्ड का टोपा ही उसकी चूत में घुसा था। उसकी आँखें बंद थीं और मुँह खुला था। धीरे-धीरे उसने और वजन डालना शुरू किया और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने लगा। जैसे-जैसे लण्ड उसकी चूत में जाने लगा तो उसके मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाजें तेज होने लगीं, उसकी आँखें और जोर से बंद हो गयीं। नसरीन ने अब रेशमा के बड़े बड़े मम्मे पकड़ लिये ओर उन्हें दबाने लगी। रेशमा की साँसें तेज चलने लगीं और उसकी मस्ती भरी आवाजें भी और बड़ गयी थी।
रेशमा ने अपना पूरा भार छोड़ दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया। रेशमा जोर से चींखी, “आआआआहहह अल्लाऽऽहहह , ऊऊऊऊईईईईई, मेरी चूऽऽऽत.... हायऽऽऽ अम्मीईईई आँईईईईई ऊँहहह!” नसरीन उसके मम्मे और जोर से दबाने लगी। रेशमा की आँखें पूरी तरह से बंद थीं। उसका चेहरा लाल हो गया और उसके मम्मे नसरीन ने दबा- दबा कर लाल कर दिये। रेशमा के मुँह से निकलने वाली चींखें और तेज़ हो गयीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जो मेरे लण्ड के आसपास जमा हो गया, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने रेशमा की नंगी गाँड को पकड़ा ओर उसे इशारे से ऊपर-नीचे करने को कहा क्योंकि मेरे मुँह में नसरीन ने अपने मम्मे ठूँस रखे थे। रेशमा पहले धीरे-धीरे झटके मारने लगी। फिर धीरे-धीरे उसने झटकों को तेज किया ओर फिर जोर-जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगी। मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया लेकिन रेशमा जोर-जोर से झटके मारती रही। कुछ देर बाद वो फिर एक और बार चींखते हुए झड़ गयी और मेरी गोद में से फिसल कर नीचे बैठ गयी और हाँफने लगी।
नसरीन भी अब सामने आ गयी थी। नसरीन के मम्मे भी लाल-लाल हो गये थे और उन पर मेरे दाँतों के निशान भी थे। रेशमा का बुरा हाल था। वो जोर-जोर से हाँफ रही थी और माथे पर पसीना था। उसकी चूत गीली थी पर गुलाबी थी। रेशमा घूम कर मेरे पैरों के पास आयी ओर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चाटते हुए हम दोनों के पानी का स्वाद लेने लगी। फिर धीरे-धीरे रेशमा मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगी। ये देख नसरीन ने भी मेरे शरीर से खेलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था। फिर वो मेरे लण्ड को जो कि निढाल हो गया था, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर टनटनाने लगा था। नसरीन भी अब नशे में चूर थी जिस वजह से वो अपनी सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। रेशमा भी उसकी मदद करने लगी और आखिर में जैसे ही नाड़ा खुला, दरवाजे पर घंटी बज गयी।
हम तीनों डर गये। रेशमा ने उठ कर वहाँ पड़ा नसरीन का बुर्का नंगे जिस्म पर पहन लिया। इतने में नसरीन ने फटाफट शराब की बोतल और ग्लास उठायीऔर मैंने सब कपड़े समेटे और हम दोनों अंदर कमरे में आ गये। नसरीन बहुत गुस्से में नज़र आ रही थी।
दो मिनट बाद ही आने वाले को सोफे पर बिठा कर रेशमा भी अंदर कमरे में आयी और फुसफुसाते हुए हमें बताया कि उसकी कोई बुजुर्ग रिश्तेदार आयी है जो एक घंटे के पहले जाने का नाम नहीं लेगी। उसने नसरीन से कहा कि मुझे पीछे के दरवाज़े से बाहर कर दे। फिर रेशमा ने बुर्का उतार कर जल्दी से कपड़े पहने और खुद को ठीकठाक करके बाहर चली गयी। लेकिन उसके कदम अभी भी लड़खड़ा रहे थे। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे लेकिन नसरीन अभी भी उसी हालत में बैठी थी और बुदबुदाती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी।
मैंने इशारे से नसरीन को कहा कि मुझे बाहर निकलने में मदद कर दे तो वो लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई। उसका नशा इतनी देर में पहले से काफी बढ़ गया था। उसी कमरे से घर के पीछे की तरफ दरवाजा था जिससे हम दोनों बाहर निकले। घर के पीछे ऊँची बाउन्ड्री-वाल थी और पेड़-पौधे थे और कुछ पुराना सामान मौजूद था। उसी बाउन्ड्री-वाल में छोटा सा लोहे का दरवाज़ा था जिसके ज़रिये मैं घर के पीछे मैदान में निकल सकता था। मैं जैसे ही वो दरवाज़ा खोलने के लिये आगे बढ़ा, नसरीन ने अचानक मुझे धक्का दे कर दीवार के सहारे सटा दिया और मुझसे चिपट गयी। वो बोली, “साली रेशमा ने तो मज़े ले लिये... मेरी बारी आयी तो... खैर मैं भी तुझे ऐसे जाने नहीं दूँगी...!”और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी। कुछ देर इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे। फिर उसने अपनी सलवार घूटनों के नीचे सरका दी और दीवार की तरफ मुँह करके टाँगें चौड़ी करके दीवार के सहारे आगे झुककर खड़ी हो गयी
मैंने भी अपनी पैंट और अंडर्वीयर नीचे खिसकाये और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। वो बेशरम औरत ज़ोर-ज़ोर से मस्ती भरी आवाज़ें निकालने लगी। नशे में उसे इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि कहीं उसकी ये चीखें और सितकारें कोई सुन ना ले। मेरे पानी छोड़ने से पहले उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा । जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो बुरी तरह हाँफ रही थी और घूम कर मुझसे चिपक गयी।
थोड़ा संभलने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किये और वहाँ से रवाना हो गया।
हमारे ग्लास खाली हुए तो रेशमा मुझसे और चिपक गयी और मेरी जाँघ सहलाने लगी और उसका हाथ मेरी पैंट की जेब में रखे कंडोम के पैकेट पर पड़ा। “ये क्या है?” उसने पूछा।“जी वो आपने कहा था ना... इसलिये आज मैं कंडोम लेकर लाया हूँ!” मैंने कहा तो उसने मेरी जेब में हाथ डाल कर कंडोम का पैकेट बाहर निकाला और फिर बे-परवाही मेज पर पटक दिया और मुझसे चिपकते हुए बोली, “इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी!” मैंने चौंक कर हैरान नज़रों से उसे देखते हुए पूछा, “आपने ही तो कल...” मेरी बात बीच में ही काट कर रेशमा चहकते हुए बोली, “वो क्या है कि कल हम दोनों पहले ही अपनी चूत टॉमी... उम्म्म मेरा मतलब है कल हमारा मन गाँड मरवाने का था इसलिये कंडोम का बहाना बनाया था!”अपनी समझ में तो उसने बात तो संभाल ली पर मैं समझ गया कि पिछले दिन मेरे आने के पहले ही दोनों कुत्ते से चुद चुकी थीं। तो इसी लिये कल वो कुत्ता इतना थका हुआ और सुस्त सा लग रहा था।
इतने में उसने पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड दबोच लिया और वो बोली, “अरे ये तो हरकत कर रहा है!” मैंने कहा, “आपकी चूत भी तो हरकत कर रही है!” वो बोली, “तुझे कैसे मालुम...? और ये आप-आप क्या लगा रखा है तूने?” तो मैं बोला, “तुम्हारे निप्पल जो खड़े हो रहे हैं! वो तुम्हारी पोल खोल रहे हैं!” वो अपने निप्पल दबाते हुए बोली, “तू तो छुपा रुस्तम है... रखता है तू!”फिर वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। एक-एक करके उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिये ओर मेरी शर्ट निकाल दी। अब उसका हाथ मेरी पैंट पर था। वो घुटनों के बल नीचे बैठ गयी। उसने मेरी पैंट का हुक खोला और अपना मुँह आगे करके ज़िप को अपने मुँह से खोलने लगी। ज़िप खोलते ही पैंट नीचे गिर गयी। मेरा लण्ड और भी हरकत में आ गया जो अंडरवीयर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। उसने अंडरवीयर के ऊपर से ही लण्ड को किस किया ओर मुँह से अंडरवीयर उतारने लगी। मुँह में दाँतों से पकड़ कर उसने मेरे अंडरवीयर खींच कर उतार दी।
मेरा लण्ड टन्ना गया था। वो खड़ी हुई और अपने साथ मुझे भी खड़ा करके मेरा सिर पीछे से पकड़ कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और चूसने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन के पीछे उसके बालों को पकड़ लिया। हम दोनों की साँसें जोर-जोर से चल रही थी। मैंने उसकी कमीज़ के हुक खोल कर कमीज़ उतार दी। अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी उसके मम्मे मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसको मैंने और नज़दीक किया ओर उसकी स्कर्ट की पीछे की ज़िप खोल दी। स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं था। अब वो ओर मैं दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने बस ऊँची पेंसिलहील वाले काले सैंडल पहन रखे थे। मेरा लण्ड उसकी चूत के आसपास टकरा रहा था। उसके गुलाबी होंठ मेरे मुँह में थे। दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा-टकरा कर आवाज़ कर रही थीं। मैं एक हाथ उसकी गाँड पर रख कर फेरने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। उसकी नशीली साँसें और भी तेज हो गयी। उसकी आँखें बंद हो गयीं और उसकी चूत भी गीली हो गयी जिसका एहसास मेरे लण्ड को हो रहा था।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बीच में रुककर उसने एक ग्लास में व्हिस्की भरी और फिर मेरा लण्ड उसमें डुबो-डुबो कर चूसने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था और मेरा पानी छूटने ही वाला था कि तभी दरवाजे की घंटी बज गयी। मेरे तो होश गुम हो गये। वो भी डर गयी। मैंने इशारे से पूछा कि कौन है तो वो बोली, “पता नहीं इस वक्त कौन मादरचोद मर गया... नसरीन होती तो आवाज़ देती... युँ घंटी ना बजाती!” उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा।
दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। रेशमा अपने कपड़े पहनने के लिये उठाये और मुझे भी अपने कपड़े लेकर दूसरे कमरे मे जाने को कहा। वो अपने कपड़े पहन ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज़ आयी, “रेशमा डार्लिंग! मैं नसरीन... दरवाजा खोल!” हम दोनों की जान में जान आ गयी। रेशमा सैंडलों में लड़खड़ाती दरवाजे तक नंगी ही गयी और दरवाजे की आड़ लेकर दरवाज़ा खोला ओर नसरीन अंदर आ गयी। उसने बुर्का पहन रखा था लेकिन चेहरे पर से नकाब उठा रखा था। सिर्फ उसके पैर दिख रहे थे जिनमें उसने सुनहरी रंग के काफी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे।
हम दोनों को नंगा देख कर वो बोली, “मैं ज्यादा लेट हो गयी क्या?” रेशमा बोली, “नहीं अभी नहीं! पर तूने तो जान ही निकाल दी थी! पहले आवाज़ नहीं दे सकती थी क्या? तेरी कार की भी आवाज़ नहीं सुनायी दी!” नसरीन मुस्कुरा दी और रेशमा को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूम लिये। नसरीन बोली, “कार की आवाज़ कैसे सुनायी देती... तुम दोनों अपने काम में जो मसरूफ थे!” नसरीन ने अपना बुर्का उतार कर एक तरफ फेंक दिया। अब वो बहुत ही हॉट लग रही थी। उसने गहरे गले वाला हल्के नीले रंग का कमीज़ पहना था जो स्लीवलेस था और सफेद रंग की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी।
फिर नसरीन मेरे पास आयी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। रेशमा भी मेरे पास आ गयी और नसरीन से बोली, “कपड़े उतार ओर पहले तू ही मरवा ले।” नसरीन मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह... आज तो कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही है... क्या बात है? वैसे फिलहाल तो तुम दोनों ही जो कर रहे थे वो ज़ारी रखो.. मैं ज़रा बाथरूम में फ्रेश होकर आती हूँ!” रेशमा बोली, “ठीक है तेरी मरज़ी...!” मुझे देख कर नसरीन आँख मारते हुए बोली, “बस अभी आयी!” और अंदर चली गयी।
रेशमा मेरी गोद में बैठ कर फिर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबाने लगा। नसरीन के सैंडलों की खटखटाहट सुनकर उस तरफ मेरा ध्यान गया तो देखा कि नसरीन ने अपनी कमीज़ और ब्रा दोनों उतार दी थी। हमारे पास आकर उसने मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल उठायी और सीधे उसमें से पीने लगी। उसे देख कर रेशमा बोली, “अरे ये क्या! सीधे बोतल से ही पीने लगी! इरादा क्या है?”
नसरीन ने जवाब दिया, “बस जल्दी से तेरी ही तरह मदहोश होने का इरादा है मेरी जान!”और हंसते हुए फिर बोतल से पीने लगी। दो-तीन मिनट में ही उसने काफी शराबपी ली। फिर वो सोफे के पीछे आ कर मेरे ऊपर झुक गयी और अपने मम्मे मेरे मुँह पर रख दिये। मैं उसके मम्मे चूसने लगा। शराब की बोतल अभी भी उसके हाथ में थी और वो बीच-बीच में चुसकियाँ ले रही थी। बीच-बीच में वो थोड़ी शराब अपने मम्मों पर भी डाल देती थी जिसे मैं उसके मम्मों से चाटने लगा। कभी-कभी मेरे दाँत उसके मम्मों में गढ़ जाते तो उसके मुँह से “आआआआहहहह ऊऊऊईईईई” जैसी चुदासी आवाजें निकल जाती।
रेशमा मेरी दोनों टाँगों के आरपार अपनी टाँग फैला कर खड़ी हो गयी। उसने अब मेरे लण्ड को पकड़ कर सीधा किया ओर अपनी चूत के निशाने पर रख कर बैठ गयी। पहले वो हल्का वजन डाल कर बैठी थी और मेरे लण्ड का टोपा ही उसकी चूत में घुसा था। उसकी आँखें बंद थीं और मुँह खुला था। धीरे-धीरे उसने और वजन डालना शुरू किया और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने लगा। जैसे-जैसे लण्ड उसकी चूत में जाने लगा तो उसके मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाजें तेज होने लगीं, उसकी आँखें और जोर से बंद हो गयीं। नसरीन ने अब रेशमा के बड़े बड़े मम्मे पकड़ लिये ओर उन्हें दबाने लगी। रेशमा की साँसें तेज चलने लगीं और उसकी मस्ती भरी आवाजें भी और बड़ गयी थी।
रेशमा ने अपना पूरा भार छोड़ दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया। रेशमा जोर से चींखी, “आआआआहहह अल्लाऽऽहहह , ऊऊऊऊईईईईई, मेरी चूऽऽऽत.... हायऽऽऽ अम्मीईईई आँईईईईई ऊँहहह!” नसरीन उसके मम्मे और जोर से दबाने लगी। रेशमा की आँखें पूरी तरह से बंद थीं। उसका चेहरा लाल हो गया और उसके मम्मे नसरीन ने दबा- दबा कर लाल कर दिये। रेशमा के मुँह से निकलने वाली चींखें और तेज़ हो गयीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जो मेरे लण्ड के आसपास जमा हो गया, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने रेशमा की नंगी गाँड को पकड़ा ओर उसे इशारे से ऊपर-नीचे करने को कहा क्योंकि मेरे मुँह में नसरीन ने अपने मम्मे ठूँस रखे थे। रेशमा पहले धीरे-धीरे झटके मारने लगी। फिर धीरे-धीरे उसने झटकों को तेज किया ओर फिर जोर-जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगी। मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया लेकिन रेशमा जोर-जोर से झटके मारती रही। कुछ देर बाद वो फिर एक और बार चींखते हुए झड़ गयी और मेरी गोद में से फिसल कर नीचे बैठ गयी और हाँफने लगी।
नसरीन भी अब सामने आ गयी थी। नसरीन के मम्मे भी लाल-लाल हो गये थे और उन पर मेरे दाँतों के निशान भी थे। रेशमा का बुरा हाल था। वो जोर-जोर से हाँफ रही थी और माथे पर पसीना था। उसकी चूत गीली थी पर गुलाबी थी। रेशमा घूम कर मेरे पैरों के पास आयी ओर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चाटते हुए हम दोनों के पानी का स्वाद लेने लगी। फिर धीरे-धीरे रेशमा मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगी। ये देख नसरीन ने भी मेरे शरीर से खेलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था। फिर वो मेरे लण्ड को जो कि निढाल हो गया था, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर टनटनाने लगा था। नसरीन भी अब नशे में चूर थी जिस वजह से वो अपनी सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। रेशमा भी उसकी मदद करने लगी और आखिर में जैसे ही नाड़ा खुला, दरवाजे पर घंटी बज गयी।
हम तीनों डर गये। रेशमा ने उठ कर वहाँ पड़ा नसरीन का बुर्का नंगे जिस्म पर पहन लिया। इतने में नसरीन ने फटाफट शराब की बोतल और ग्लास उठायीऔर मैंने सब कपड़े समेटे और हम दोनों अंदर कमरे में आ गये। नसरीन बहुत गुस्से में नज़र आ रही थी।
दो मिनट बाद ही आने वाले को सोफे पर बिठा कर रेशमा भी अंदर कमरे में आयी और फुसफुसाते हुए हमें बताया कि उसकी कोई बुजुर्ग रिश्तेदार आयी है जो एक घंटे के पहले जाने का नाम नहीं लेगी। उसने नसरीन से कहा कि मुझे पीछे के दरवाज़े से बाहर कर दे। फिर रेशमा ने बुर्का उतार कर जल्दी से कपड़े पहने और खुद को ठीकठाक करके बाहर चली गयी। लेकिन उसके कदम अभी भी लड़खड़ा रहे थे। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे लेकिन नसरीन अभी भी उसी हालत में बैठी थी और बुदबुदाती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी।
मैंने इशारे से नसरीन को कहा कि मुझे बाहर निकलने में मदद कर दे तो वो लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई। उसका नशा इतनी देर में पहले से काफी बढ़ गया था। उसी कमरे से घर के पीछे की तरफ दरवाजा था जिससे हम दोनों बाहर निकले। घर के पीछे ऊँची बाउन्ड्री-वाल थी और पेड़-पौधे थे और कुछ पुराना सामान मौजूद था। उसी बाउन्ड्री-वाल में छोटा सा लोहे का दरवाज़ा था जिसके ज़रिये मैं घर के पीछे मैदान में निकल सकता था। मैं जैसे ही वो दरवाज़ा खोलने के लिये आगे बढ़ा, नसरीन ने अचानक मुझे धक्का दे कर दीवार के सहारे सटा दिया और मुझसे चिपट गयी। वो बोली, “साली रेशमा ने तो मज़े ले लिये... मेरी बारी आयी तो... खैर मैं भी तुझे ऐसे जाने नहीं दूँगी...!”और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी। कुछ देर इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे। फिर उसने अपनी सलवार घूटनों के नीचे सरका दी और दीवार की तरफ मुँह करके टाँगें चौड़ी करके दीवार के सहारे आगे झुककर खड़ी हो गयी
मैंने भी अपनी पैंट और अंडर्वीयर नीचे खिसकाये और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। वो बेशरम औरत ज़ोर-ज़ोर से मस्ती भरी आवाज़ें निकालने लगी। नशे में उसे इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि कहीं उसकी ये चीखें और सितकारें कोई सुन ना ले। मेरे पानी छोड़ने से पहले उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा । जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो बुरी तरह हाँफ रही थी और घूम कर मुझसे चिपक गयी।
थोड़ा संभलने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किये और वहाँ से रवाना हो गया।
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