Friday, June 19, 2015

FUN-MAZA-MASTI मेरी बीवी की चुदाई

FUN-MAZA-MASTI


मेरी बीवी की चुदाई



हैल्लो दोस्तों.. में अरमान आप सभी के सामने अपनी दूसरी कहानी लेकर आया हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी भी आप सभी को मेरी पिछली कहानी की तरह बहुत पसंद आएगी.. 
तो दोस्तों वैसे आप तो जानते ही हो कि मुझे मेरी बीवी छवि को किसी और से चुदते हुए देखने का कितना मन करता है? इसलिए मैंने यह एक आईडिया निकाला.. यह आईडिया मुझे एक ऑफिस से आया जहाँ पर में कुछ काम से गया था। में केबिन में बैठा था और मैंने देखा कि जो भी लोग ऑफिस में आ रहे है उन्हें में देख सकता था.. लेकिन कोई केबिन के अंदर नहीं देख सकता था। तो मैंने बोला कि सर यह आपने अच्छा करवाया है कि आप सब पर नज़र रख सकते हो.. लेकिन आपको कोई नहीं देख सकता। तो उन्होंने मुझे बताया कि इसको टू वे कांच बोलते है.. जिससे हम बाहर वाले को देख सकते है.. लेकिन बाहर वाला हमे नहीं देख सकता। फिर रात को सोते वक्त जब में मेरे बेडरूम में गया तो में आईने के सामने खड़ा था और मुझे आईडिया आया कि अगर में भी यहाँ पर टू वे कांच फिट करवा दूँ तो बेडरूम के अंदर क्या हो रहा है? में आसानी से देख सकता हूँ.. लेकिन में नहीं चाहता था कि मेरी बीवी को पता चले इसलिए में मौका ढूँढ रहा था कि जब छवि घर पर ना हो। तो में यह काम करवा सकता हूँ और मुझे जल्द ही ऐसा मौके मिल भी गया.. यह अगस्त की बात थी.. जब मेरी बीवी छवि अपने भाई के घर करीब 7-8 दिन राखी बाँधने के लिए गयी थी।
तो उसी समय में कांच वाले की दुकान पर गया और मैंने डेमो देख लिया और मैंने कहा कि मुझे ऑफिस में कांच फिट करवाना है। तो उन्होंने मुझे डेमो दिखाया और मैंने 4×4 का बड़ा टू वे कांच ले लिया कटिंग करवाकर बिल्कुल उसी साईज़ का जैसा मेरे बेडरूम में नॉर्मल कांच था ताकि छवि को शक ना हो कि कांच क्यों चेंज हो गया? वो कांच फर्निचर में स्क्रू से फिट किया हुआ था जो में भी बदल सकता था.. लेकिन उसके पीछे की दीवार को 4×4 की साईज़ में काटना था ताकि में स्टोर रूम से अपना बेडरूम देख सकूँ वो काम थोड़ा मुश्किल था और में नहीं चाहता था कि किसी को भी इस बात की भनक लगे कि में क्या करवा रहा हूँ? मैंने घर पर एक लेबर को बुलाया और उसे बताया कि मुझे यहाँ पर दरवाजा बनवाना है 4×4 का तो दीवार को गिराकर मुझे यहाँ पर जगह करवानी है। तो उसने मुझे बताया कि साहब उसमे 3-4 दिन लग जाएगे.. मैंने कहा कि नहीं मुझे दो दिन में पूरा काम चाहिए अगर तुम चाहो तो में डबल पैसा देने के लिए तैयार हूँ और तुम देर रात तक काम करके उसे पूरा करो। तो वो मान गया.. मुझे जैसे भी हो सके छवि के आने से पहले जल्दी काम ख़त्म करवाना था और उसके लिए में उसे डबल पैसा देने को तैयार था और उसने दो दिन में काम पूरा कर दिया और फिर मैंने कलर वाले के यहाँ से जो मेरी दीवार पर कलर था वैसा ही लाकर लगा दिया और फिर मैंने वो नॉर्मल कांच की जगह टू वे कांच को फिट करना चालू किया और मैंने टू वे कांच फिट करवा दिया फिर मैंने पूरे फर्नीचर को वैसे का वैसा सेट कर दिया जैसा पहले था और मैंने वो नॉर्मल कांच को स्टोर रूम के कोने में रख दिया। वैसे हमारे स्टोर रूम में कोई जाता नहीं और छवि तो कभी अकेली अंदर नहीं जाती क्योंकि उसे छिपकली से बहुत डर लगता है और में ही एक साल में एक बार दीवाली के टाईम सफाई करने जाता हूँ वरना तो वैसे ही बंद पड़ा रहता है.. वैसे उसमे कुछ खास समान नहीं पड़ा है, कुछ पुराना फर्निचर और जैसे टीवी, एक पुरानी साईकल, पानी के पाईप, एक पुराना लकड़ी का बेड है और कुछ पुराने बर्तन और कपड़े पड़े रहते है। जो कभी काम में नहीं आते.. वो सब ऐसे ही पड़े है.. इसलिए वो कमरा हमेशा बंद ही रहता है और उसका दरवाजा हमारे घर के पीछे है इसलिए ज्यादातर कोई उस पर ध्यान नहीं देता.. लेकिन मैंने उसी का ही फ़ायदा उठाया और यह प्लान बनाया था जिससे में छवि को दूसरो के साथ सेक्स करते हुए खुलकर देख लूँ और उसे शक भी ना हो।
छवि करीब 6 अगस्त को जल्दी सुबह आ गयी और मुझे उसका कॉल आया कि में स्टेशन पर आ गयी हूँ। तो में उसे लेने चला गया और फिर वो आकर बेड पर लेट गयी और में भी उसके पास लेट गया। तभी थोड़ी देर के बाद मैंने उसके ऊपर हाथ डाला.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली। फिर में धीरे धीरे उसके बूब्स पर हाथ ले गया.. लेकिन उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली कि अरमान में बहुत थक गयी हूँ प्लीज मुझे थोड़ा आराम करने दो। तो मैंने सोचा कि 7-8 दिन से चुदी नहीं है तो ना नहीं कहगी.. लेकिन उसने साफ माना कर दिया। तो मैंने भी कुछ नहीं कहा करीब 8.30 हुए और मैंने छवि से कहा कि क्या टिफिन बना दोगी मुझे ऑफिस जाना है? तो उसने कहा कि अरमान में थक गयी हूँ तुम प्लीज आज होटल से मँगवाकर खा लेना.. तो मैंने कहा कि ठीक है और में ऑफिस चला गया.. लेकिन ऑफिस में मेरा मन नहीं लगा और मैंने बॉस से सरदर्द और चक्कर का बहाना करके छुट्टी ले ली और में 11.00 बजे घर आ गया।
फिर मैंने देखा कि घर का दरवाजा अभी भी बंद था और मैंने देखा कि छवि अभी उठी नहीं थी। में धीरे से घर के पीछे चला गया और धीरे से स्टोर रूम का दरवाजा खोलकर अंदर चला गया और मैंने टू वे कांच से देखा तो अंदर बेडरूम की सारी खिड़कियां बंद होने के कारण बहुत अँधेरा था.. लेकिन थोड़ा थोड़ा दिख रहा था। छवि अभी तक वही कपड़े पहने सो रही थी और मैंने स्टोर रूम में जो बेड था उसे नीचे गिराया और कुछ पुराने गद्दे पड़े थे उसमे से एक को उठाकर उसके ऊपर डाल दिया और आराम से बैठा और उसके उठने का इंतजार करता रहा। फिर करीब 12:15 के आस पास उसके मोबाईल पर किसी का कॉल आया और उसकी आँख खुल गयी और उसने बस थोड़ी सी ही बात की और कहा कि हाँ वो पहुंच गयी है और फिर फोन रख दिया शायद वो मेरी सास का फोन था.. लेकिन उस कॉल ने मेरा काम कर दिया और छवि को नींद से जगा दिया था।
फिर वो थोड़ी देर ऐसे ही बेड पर पड़ी रही और थोड़ी देर बाद वो बेड से उठी और उसने लाईट चालू की.. वो सलवार और कमीज़ पहने हुए थी और उठकर उसने सलवार का नाड़ा टाईट किया और कांच के सामने आकर खड़ी हो गयी और बाल बनाने लगी मुझे इस साईड से तो ऐसा ही लगा कि वो मुझे देख रही है। तो में थोड़ा डर रहा था.. लेकिन वो मुझे देख नहीं पा रही थी और वो बाल बनाकर दूसरे रूम में चली गयी। फिर में आराम से बैठ गया करीब एक डेढ़ घंटे के बाद वो नहा धोकर फ्रेश हो गयी और खाना खाने के बाद वापस बेडरूम में आई.. उसने हल्के गुलाबी कलर की साड़ी पहनी हुई थी और कंप्यूटर चालू किया और अपने मैल चेक किए फिर याहूँ मैसेंजर पर लॉग इन किया। तभी थोड़ी ही देर में उसके मोबाईल पर कॉल आया और उसने बात की वो किसका कॉल था मुझे पता नहीं चला.. लेकिन उसने जो बोला वो में आपको बताता हूँ।
छवि : हाँ में आज सुबह ही आई हूँ.. हाँ करीब 6.30 के आस पास.. नहीं वो ऑफिस गये है। अभी नहीं, अभी नहीं में बहुत थक गयी हूँ। तो ठीक है में थोड़ी देर में आपको कॉल करती हूँ। फिर उसने थोड़ी देर बाद मुझे कॉल किया.. लेकिन में बात नहीं कर सकता था क्योंकि अगर वो सुन लेती तो प्राब्लम हो जाती इसलिए मैंने कॉल काट कर दिया और मैंने उसे मैसेज किया कि छवि में अपने बॉस के साथ एक मीटिंग में था और अब हम ऑफिस के काम से बाहर जा रहे है आने में थोड़ा टाईम लगेगा.. शायद 7-8 बज जाएगे। फिर उसका जवाब आया कि ठीक है और मैंने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ उसने तुरंत ही किसी नंबर पर मिस कॉल किया और फिर उसके मोबाईल पर कॉल आया और उसने बातें कि जो एक साईड मैंने सुनी वो आपको बताता हूँ।
छवि : हाँ मैंने उनको कॉल किया और वो तो शाम को 7-8 बजे आएगे.. हाँ ठीक है आना है तो आ जाओ और उसने कॉल रख दिया। फिर 10 मिनट बाद मेन दरवाजे पर बेल बजी और छवि कंप्यूटर से उठकर दरवाजा खोलने गयी और फिर वापस कंप्यूटर पर बैठ गयी और आवाज़ लगाई कि दरवाजा बंद करके आना। फिर मैंने देखा कि वही पंजाबी अंकल भूपेन्द्र सिंह बेडरूम में आए और बेड पर बैठ गये और छवि ने कंप्यूटर चालू छोड़ दिया और पीने को पानी लाकर दिया और पास में बैठ गयी। तो अंकल ने छवि को जांघ पर हाथ घुमाया और बोले कि डार्लिंग कितने दिन के बाद आई हो और आज भी आने को मना कर रही थी। फिर छवि ने बोला कि नहीं में सफर के कारण थक गयी थी इसलिए मना किया था। तो वो बोला कि चलो में तुम्हारी थकान उतार देता हूँ.. छवि ने कहा कि वो कैसे? तो वो बोले कि बस तुम पूछो मत में तुम्हारी सारी थकान उतार दूँगा और तुम जाकर यह जग, ग्लास किचन में रखकर आओ।
तो वो रखकर वापस आई और अंकल ने उसे बाहों में भर लिया और चूमना शुरू कर दिया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर आ गये और बातें करने लगे। तो अच्छा बताओ कैसे मेरी थकान उतारोगे? तो वो बोले कि क्या सचमुच थक गयी हो? तो छवि बोली कि हाँ बाबा सच में सफर करके आई हूँ और सुबह 6.30 बजे ही आई। तो अंकल बोले कि ठीक है एक काम करो कोई पुरानी बेडशीट हो तो वो लेकर आओ। छवि ने पूछा कि पुरानी क्यो? तो वो बोले कि तुम लेकर तो आओ और छवि अंदर से एक पुरानी बेडशीट लेकर आई और अंकल ने उसे डबल बेड पर बिछा दिया और बोले कि अब तुम लेट जाओ.. छवि लेट गयी और फिर अंकल ने जो कांच के पास ड्रॉयर है खोला और उसमें से तेल की बॉटल निकाली।
छवि : यह क्यों निकाला?
अंकल : थोड़ी तुम्हारे पैरों को मसाज कर देता हूँ तो थकान मिट जाएगी।
छवि : हाँ ठीक है।
फिर छवि ने अपनी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर दी और फिर अंकल ने थोड़ा तेल उसके पैरों पर डाला और हाथ घुमाने लगे और छवि को एक हफ्ते से किसी मर्द ने छुआ नहीं था इसलिए वो थोड़ी मचलने लगी। फिर अंकल ने धीरे धीरे घुटनों तक हाथ लगाया और फिर उसे बातों में उलझाए रखा और घुटनों से ऊपर उसकी जांघ पर हाथ घुमाना शुरू किया तो छवि ने कसकर बेडशीट पकड़ ली.. मुझे टू वे कांच से साफ दिख रहा था कि वो कितनी तड़प रही थी।
अंकल : साड़ी निकाल दो ना।
छवि : हाँ निकाल रही हूँ।
तो छवि ने साड़ी पेटिकोट और ब्लाउज सब निकाल दिया और वो अब सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थी और पीठ के बल बेड पर लेटी हुई थी। अंकल ने उसकी जांघो पर थोड़ा तेल डाला और मसाज शुरू किया छवि तड़पने लगी, अंकल ने धीरे से एक हाथ उसकी पेंटी पर लगाया।
अंकल : यह वही है ना जो पहली बार मैंने दी थी।
छवि : हाँ वही है।
अंकल : बहुत पसंद है?
छवि : हाँ।
अंकल : तो फिर उतार दो इसे वर्ना तेल से खराब हो जाएगी।
छवि : अहहा बड़ा दिमाग़ लगाते हो उतरवाने के लिए।
अंकल : तेरे जैसी कमसिन जवानी के लिए तो कुछ भी लगाना पड़े कोई हर्ज नहीं।
छवि : ठीक है फिर तुम्ही निकाल दो वैसे भी तुम्हारी ही दी हुई है ना।
अंकल : ठीक है।
अंकल ने पेंटी की दोनों साईड की लेस खोल दी और छवि को बोला कि थोड़ा ऊपर उठो ताकि वो बाहर निकाल दे और अंकल ने पेंटी को निकालकर साईड में रख दिया और छवि छाती के बल लेट गयी।
अंकल : क्यों क्या हुआ डार्लिंग शरमा गयी?
छवि : नहीं जी वो में कह रही थी कि ब्रा की लेस भी खोल ही दो।
अंकल : बड़ी समझदार हो।
छवि : साथ में तुम जैसा हट्टा कट्टा तगड़ा मर्द हो तो समझदार बनाने में कोई हर्ज नहीं और दोनों हंस पड़े।
छवि अब बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और अंकल उसके पास बेड पर बैठे थे। फिर अंकल बेड से उठे और नीचे आ गए और कांच के सामने आकर अपनी टी-शर्ट निकाल दी और पेंट को भी निकाल दिया। मैंने साफ देखा कि अंडरवियर में उनका लंड तनकर एकदम लंबा और मोटा हो गया था.. वो अंडरवियर पहनकर ही छवि के पास बैठ गये और फिर तेल की बॉटल को हाथ में लिया और उसकी पीठ पर तेल डाला और फिर बॉटल साईड में रखकर दोनों हाथों से उसकी पीठ मालिश करने लगे और छवि ने तकिये को कसकर पकड़ा हुआ था। फिर अंकल धीरे धीरे हाथ को छवि की गांड पर चलाने लगे और तेल लिया और छवि के दोनों चूतड़ो पर थोड़ा तेल डाला और हाथ से रगड़ने लगे। तभी थोड़ी ही देर में मैंने देखा कि छवि की गांड एकदम चमक मारने लगी और अंकल उसके चूतड़ को कभी मसलते तो कभी दबाते.. लेकिन वो इतने मस्त चमक रहे थे कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। मेरा तो लंड तनकर एकदम टाईट हो गया था और बस अब निकल ही जाए और मेरा भी मन कर रहा था कि में भी जाकर ऐसी मुलायम मुलायम गांड को मसाज दूँ।


अंकल ने फिर ने उससे कहा कि तुम अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाओ और छवि ने थोड़ी सी ऊपर उठाई और धीरे धीरे वो डॉगी स्टाईल में हो गयी। तो उसकी गांड मस्त दिख रही थी.. अंकल ने फिर से उसके चूतड़ो पर तेल डाला.. लेकिन इस बार वो तेल उनके दो चूतड़ो के बीच में से धीरे धीरे नीचे उतरने लगा। तो अंकल बड़ी वाली उंगली को दोनों चूतड़ो के बीच में से नीचे ले गये और उंगली को छवि की गांड के छेद में डाल दिया.. उसने कसकर तकिये को पकड़ लिया और दातों से तकिये को काटने लगी। तो उससे मुझे पता चल गया कि उसको सेक्स की बहुत इच्छा हो गयी थी। तभी थोड़ी देर तक अंकल ने उंगली को छेद में अंदर बाहर किया और वो मज़े लेती रही। अंकल ने फिर उंगली बाहर निकाली और छवि की चूत पर तेल वाले हाथ रगड़ने लगे.. वो सिसकियां ले रही थी आह मम्मी आअहह बहुत तड़पा रहे हो आप और यह कहकर छवि पलट गयी और पीठ के बल लेट गयी। तो अंकल अपने तेल वाले हाथ उसकी जाँघो पर फिराने लगे.. कभी वो चूत के ऊपर छूते.. तो कभी उंगली चूत में घुसाते और में सब कुछ साफ साफ देख रहा था।
फिर छवि ने अंकल का हाथ पकड़ लिया.. जिस हाथ से वो उसकी चूत के साथ खेल रहे थे और इशारे से कहा कि बस अब रहने दो नहीं तो निकल जाएगा। तो अंकल ने रहने दिया। फिर अंकल ने हाथ हटा लिया.. लेकिन उनका लंड तनकर इतना मोटा हो गया था कि वो रुकने वाले नहीं थे। फिर उन्होंने छवि के बूब्स के ऊपर तेल डाला और बूब्स को मसलने लगे.. छवि ने उनके हाथ रोके.. लेकिन अंकल धीरे धीरे बूब्स मसलते रहे और मैंने देखा कि छवि के बूब्स मस्त चमकदार हो गए थे। अंकल ने उसकी निप्पल को थोड़ा मसला तो छवि खड़ी हो गयी और अंकल को रोक दिया.. अंकल ने कहा क्या हुआ? वो बोली कि कुछ नहीं और फिर लेट गयी। मुझे पता चल गया कि तो अब छवि रह नहीं पाएगी। छवि ने अपना हाथ अंकल की जांघों पर फेरना शुरू किया। अंकल का लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था.. लेकिन अभी तक वो अंडरवियर के अंदर ही था। तो उन्होंने छवि को अपनी आखों से इशारा करते हुए उनका अंडरवियर निकालने को कहा। छवि ने पहले उसके ऊपर हाथ फिराया और अंकल के सामने देखकर थोड़ी सी स्माईल दी और दांतो के बीच में होंठ को थोड़ा सा काटा और ऐसा इशारा दिया जैसे अभी वो पूरा लंड लेना चाहती है। फिर अंकल बेड पर लेट गये और छवि उनकी जांघो पर बैठ गयी और उसने धीरे से अंकल का अंडरवियर उतारा और मैंने साफ साफ देखा कि अंकल का लंड करीब 6-7 इंच लंबा और तगड़ा हो गया था। छवि ने अंडरवियर निकालकर साईड में रख दी और अपने दोनों हाथों से उनका काला मोटा तगड़ा लंड पकड़ा.. लेकिन फिर भी वो छवि के हाथों में नहीं समा रहा था और वो उसे पकड़कर हिलाने लगी और हिलाते टाईम छवि की तेल वाली चमकदार गांड ऊपर नीचे हो रही थी और वो अंकल की जांघो से दब रही थी और यह सब देखकर मेरा तो निकलने ही वाला था.. लेकिन मैंने रोक दिया और मैंने सोचा कि थोड़ी देर और रुक जाता हूँ तो मज़ा आएगा और मुझे कांच में से ऐसे दिख रहा था जैसे कि मेरे सामने मेरी बीवी की ब्लू फिल्म चल रही हो और में बेड पर बैठे बैठे अपना लंड हिला रहा था …
तो दोस्तों फिर अंकल ने मेरी बीवी का सर पकड़ा और लंड की तरफ झुकाया और बोला कि पूरा लंड मुहं में लो.. लेकिन मुझे नहीं लगता था कि पूरा उसके मुहं में जा पाएगा। फिर भी छवि ने अपना पूरा मुहं खोला और पहले लंड के सुपाड़े को मुहं में डाला। उनका सुपाड़ा ही इतना बड़ा था कि छवि का मुहं भर गया। फिर छवि ने अपने दोनों होंठ अंकल के लंड के आस पास ऐसे घुमा दिए जैसे अभी पूरा अंदर खींच लेगी और वैसा ही हुआ.. उसने पूरा लंड अपने मुहं में डाल लिया.. लेकिन मुझे यकीन नहीं हुआ कि उनका आधे से ऊपर ज्यादा लंड छवि के मुहं के अंदर था। फिर भी उन्होंने छवि का सर दबाया और पूरा लंड अंदर तक लेने को कहा.. लेकिन पूरा अंदर करते करते उसकी आँख से पानी निकल गया और उसने पूरा लंड बाहर निकाल दिया। मैंने देखा कि पूरा लंड गीला हो गया था और छवि का मुहं जैसे खुला का खुला ही रह गया। तो अंकल ने उससे पूछा कि कैसा लगा? तो उसने इशारे में कहा कि मज़ा आ गया और लंड को एक हाथ से पकड़कर अपने मुहं में अंदर बाहर करने लगी। अंकल भी उछल उछलकर मज़ा ले रहे थे.. फिर..
अंकल : क्यों आज कुछ और मज़े करने है?
छवि : सर हिलाते हुए हाँ कहा.. कि क्या मज़े करोगे?
अंकल : एक मिनट रूको.. कंप्यूटर चालू करो।
छवि : चालू ही है।
अंकल ने उठकर अपनी पेंट को लिया और उसकी जेब में से एक पेन ड्राईव निकाला और कंप्यूटर में लगाया
छवि : क्या ब्लूफिल्म है?
अंकल : हाँ।
छवि : मैंने बहुत देखी है.. अरमान जब भी करते है चालू कर देते है।
अंकल : लेकिन यह थोड़ी अलग है।
छवि : क्यों ऐसा क्या खास है इसमे?
अंकल : तुम देखो तो सही खुश हो जाओगी और सारी थकान मिट जाएगी।
छवि : ठीक है दिखाओ।
अंकल : हाँ दिखता हूँ बस आ जाओ अब पास में।
छवि को अंकल ने अपनी गोद में बैठा लिया और बेड पर बैठ गये। तो मैंने देखा कि छवि के दोनों पैरों के बीच में से अंकल का मोटा लंड निकला हुआ था और छवि की पूरी चूत ढक गयी थी। तभी थोड़ी देर में फिल्म चालू हुई वो आफ्रिकन आदमी की थी और वो किसी गोरी मेडम के साथ थी। वो गोरी उसे सक कर रही थी और उसका मोटा और तगड़ा लंड देखकर छवि के चहरे के हावभाव बदल रहे थे और में छवि की तरफ ही देख रहा था। छवि ने अंकल के लंड को एक हाथ से पकड़ रखा था और अंकल छवि के बूब्स को दबा रहे थे.. इतने में फिल्म में आफ्रिकन आदमी का एक दोस्त आया और वो दोनों गोरी को चोदने लगे। तो वो देखकर छवि के होश उड़ गये।
छवि : बाप रे दोनों एक साथ में।
अंकल : हाँ ऐसे बहुत मज़ा आता है।
छवि : उसमे मज़ा क्या? बैचारी की हालत खराब हो जाती है।
अंकल : नहीं.. कुछ नहीं होता.. बहुत मज़ा आता है क्या तुमने कभी ट्राई किया है?
छवि : नहीं.. कभी नहीं। मुझे तो बहुत डर लगता है।
अंकल : कुछ नहीं होता उसमे।
छवि : नहीं बाबा तुम्हारा ही इतना मोटा है.. मुझे तो इससे ही बहुत डर लगता है।
अंकल : इसमे डरने की क्या बात है? जितना मोटा हो उतना ज़्यादा मज़ा देता है।
छवि : वो तो है.. लेकिन मुझे तो डर लगता है।
अंकल : अगर एक बार दो को एक साथ ट्राई करोगी तो खुश हो जाओगी।
छवि : ना बाबा.. मुझे तो सच में बहुत डर लगता है।
अंकल : कुछ नहीं होता।
छवि : नहीं अंकल प्लीज।
अंकल : अरे कुछ नहीं होगा.. अगर ऐसा हो तो एक के बाद एक ट्राई करना।
छवि : नहीं।
अंकल : छवि डार्लिंग ट्राइ करने में क्या जाता है? अगर मज़ा ना आए तो में अकेले ही करूँगा और वो सिर्फ़ देखेगा ठीक है।
छवि : नहीं अंकल किसी को पता चल गया तो बहुत दिक्कत होगी।
अंकल : क्यों हमारे बारे में आज तक किसी को पता चला?
छवि : लेकिन कुछ दिक्कत तो नहीं होगी ना?
अंकल : तुम्हे मुझ पर भरोसा है ना।
छवि : हाँ वो तो है।
अंकल : बस तो फिर में क्या उसे कॉल करूं?
छवि : किसको कॉल कर रहे हो?
अंकल : एक दोस्त है।
छवि : कौन?
अंकल : अरे तुम एक बार देखो फिर पहचान जाओगी और वो आए तब तक हम ये फिल्म देखते है और उसमे क्या करते है वो तुम ज़रा ध्यान से देखो? और थोड़ी देर बाद तुम्हे भी ऐसे ही मज़ा लेना है। फिर मैंने छवि को देखा तो वो फिल्म को इतना मजा लेकर देख रही थी जैसे उसको भी वो सब करना है। तो करीब 10 मिनट ही हुए होंगे कि दरवाजे पर बेल की आवाज़ आई.. अंकल चादर लपेट कर गये और दरवाजा खोला और दरवाजा बंद होने की आवाज़ आई। तभी थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि अंकल जैसा ही एक तगड़ा पंजाबी कमरे में आया। छवि ने कुछ नहीं पहना था और बेड पर बैठी हुई थी वो दूसरे मर्द को देखकर चकित हो गई और बोली कि अंकल यह तो हमारे ही पीछे वाले बंगले में रहते है और यह सतपाल अंकल है ना। तो भूपी अंकल ने कहा कि हाँ वही है छवि थोड़ी देर तो चकित हो गयी।


तभी थोड़ी ही देर में सतपाल जी ने छवि को छूना शुरू कर दिया और छवि ने उनको देखा और सतपाल जी ने आँखो से इशारा किया और छवि ने सतपाल जी की भी पेंट उतार दी और उन्होंने अंदर एकदम टाईट अंडरवियर पहना था। तो लंड के कारण वो अभी फट जायगी ऐसा लग रहा था छवि ने थोड़ी देर अंडरवियर के ऊपर से ही लंड को सहलाया और सतपाल जी के सामने देखकर ऐसे हावभाव देने लगी कि बहुत मोटा और तगड़ा लंड है आपका सतपाल जी ने छवि का सर पकड़कर उसका मुहं अपने अंडरवियर पर लगाया। तो छवि ने वहाँ पर किस किया और अंकल के सामने देखकर दोनों हाथ अंडरवियर पर रखकर इशारा किया कि अंडरवियर उतार दूँ। तो सतपाल जी ने इशारे से कहा कि ठीक है और जैसे ही छवि ने अंडरवियर उतारा तो उनका लंड उछलकर जैसे ही बाहर आया। मैंने देखा कोई आफ्रिकन काले लंड से कम नहीं था.. वो मोटा तगड़ा लंड था और एकदम लंबा था.. लेकिन अभी तक पूरा टाईट नहीं हुआ था। फिर भी छवि के हाथ की गोलाई में नहीं समा रहा था.. छवि ने भूपेन्द्र सिंह के सामने देखा और हंसी।
भूपेन्द्र सिंह छवि से बोले : कैसा है? बोल मज़ा आएगा या नहीं?
छवि : आज तो लगता है में मर ही जाउंगी।
सतपाल जी : छवि कुछ नहीं होगा।
छवि : क्या कुछ नहीं होगा जब इतना बड़ा यह अंदर जाएगा में मर ही जाउंगी।
भूपेन्द्र सिंह : नहीं डार्लिंग कुछ नहीं होगा.. मेरा जब पहली बार गया था तो कुछ हुआ था?
सतपाल जी : सुनो हम दोनों तुमको इतना मज़ा देंगे कि तुम्हारा पति कभी नहीं दे पाएगा।
छवि : हाँ वो तो तुम्हारा लंड देखकर ही लग रहा है.. लेकिन मुझे तो बहुत डर लगता है।
भूपेन्द्र सिंह : कुछ नहीं होगा डार्लिंग.. तुम हटो ज़रा मुझे बेड पर आने दो.. यह कहकर भूपेन्द्र सिंह बेड पर सो गये और छवि को इशारा करते हुए बोला कि लंड चूसो। तो छवि भूपेन्द्र सिंह के दोनों पैरों के बीच में बैठकर दोनों हाथों से उनका लंड पकड़कर हिलाने लगी और फिर धीरे से किस किया और सतपाल जी वहाँ पास में खड़े खड़े छवि के बूब्स दबा रहे थे। फिर छवि ने धीरे धीरे भूपेन्द्र सिंह का पूरा लंड उसके मुहं में ले लिया और इधर सतपाल जी ने छवि की गांड पर हाथ लगाया और गांड थोड़ा ऊपर करने का इशारा किया.. छवि ने अपनी गांड ऊपर उठाई। अब वो डॉगी स्टाईल में आ गयी और बेड पर सोए हुए भूपेन्द्र सिंह के लंड को पूरा मुहं में ले रही थी और दूसरी तरफ सतपाल जी बेड के पास खड़े हुए थे। उन्होंने छवि को कमर से पकड़कर बेड के किनारे खींच लिया और उनका तगड़ा मोटा लंड छवि की गांड पर छू गया। छवि ने पीछे देखा तो सतपाल जी छवि की चूत में लंड डालने वाले थे.. तो छवि ने इशारे से मना किया.. लेकिन वो बोले कुछ नहीं होगा। छवि ने पास में पड़ी हुई तेल की बॉटल से थोड़ा तेल लिया और अपनी चूत पर लगाया सतपाल जी अंदर डालने ही वाले थे कि उनको कहा कि एक मिनट रुकिये और फिर से थोड़ा तेल हाथ में लिया और सतपाल जी के लंड पर लगाया और कहा कि बस अब धीरे धीरे जाने दो।
सतपाल जी ने जैसे ही छवि की चूत पर अपना लंड रखा तो छवि थोड़ी डर गयी.. सतपाल जी ने छवि की कमर में हाथ डाला और उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया ताकि वो ना हिले। फिर सतपाल जी ने अपने लंड सुपाड़ा छवि की चूत पर रखा और धीरे से धक्का दिया.. लेकिन वो इतना मोटा और तगड़ा था कि एक झटके में अंदर जाने वाला नहीं था। तो उन्होंने छवि के दोनों पैरों को हाथ से इशारा किया कि वो उसके पैर थोड़े चौड़े करे जिससे चूत का छेद खुल जाए और जैसे ही छवि ने पैर फैलाए सतपाल जी ने छवि की कमर पकड़कर लंड को धक्का लगाया और आधे से ज्यादा लंड छवि की चूत में चला गया। छवि के मुहं से चीख भी निकल गयी और भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सतपाल ज़रा धीरे.. मर जाएगी वो बैचारी और छवि की आखों से पानी निकल गया और छवि लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन सतपाल जी ने उसकी कमर कसकर पकड़ी हुई थी ताकि वो हिल ना पाए थोड़ी देर ऐसे ही सतपाल जी ने अपना आधा लंड छवि की चूत में रहने दिया। दूसरी तरफ छवि भूपेन्द्र सिंह की जांघो पर हाथ रखकर उनके लंड को चूस रही थी.. सतपाल जी ने तेल की बॉटल उठाई और थोड़ा तेल अपने लंड पर डाला और देखा कि छवि का ध्यान लंड चूसने में है तो सतपाल जी ने भूपेन्द्र सिंह की तरफ़ देखा और इशारा किया। तो भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि एक मिनट और छवि का सर भूपेन्द्र सिंह ने हाथ में पकड़ लिया और सतपाल जी को इशारा किया कि जाने दो अन्दर.. सतपाल जी ने एक ज़ोर का धक्का मारकर पूरा लंड छवि की चूत में घुसा दिया। छवि चीखने ही वाली थी कि भूपेन्द्र सिंह ने छवि के मुहं को अपने लंड पर दबा दिया और मुहं में पूरा लंड डाल दिया और छवि का सर लंड पर दबाए रखा। में कांच में से देख रहा था और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे कोई ब्लू फिल्म चल रही हो। दोनों हट्टे कट्टे तगड़े पंजाबी मर्द मिलकर मेरी बीवी को ऐसे चोद रहे थे जैसे कोई ब्लू फिल्म की हिरोईन को उठाकर लाए हो। तभी थोड़ी देर बाद छवि ने मुहं से लंड बाहर निकाला और मुहं से आवाज़ निकाली आहह फिर पीछे देखा। तो सतपाल जी उसकी कमर पकड़कर खड़े थे और उनका मोटा लंड पूरा उसकी चूत में था। छवि ने सर हिलाकर इशारा करते हुए कहा कि मर गई। तो भूपेन्द्र सिंह ने कहा क्यों छवि मज़ा आया? तो सतपाल जी बोले क्यों नहीं आएगा? तो छवि ने सतपाल जी की तरफ देखा और बोला कि बहुत आया।
फिर जैसे ही सतपाल जी को छवि का इशारा मिला तो उन्होंने लंड को बाहर निकाला और फिर से ज़ोर से धक्का देकर पूरा लंड अंदर दबा दिया और उनके धक्के से छवि पूरी हिल गयी थी.. लेकिन उसे मज़ा आने लगा तो उसने अपनी गांड आगे पीछे करना शुरू कर दिया। सतपाल जी ने भी अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ भूपेन्द्र सिंह छवि के मुहं में पूरा लंड अंदर बाहर कर रहे थे और उनका लंड छवि के थूक से गीला हो गया था। फिर करीब 20-25 मिनट तक ऐसे ही चला.. सतपाल जी छवि को चूत में धक्के देते रहे और भूपेन्द्र सिंह छवि को मुहं में लंड चुसवाते रहे। थोड़ी देर बाद भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सतपाल तू इधर आ जा और तू भी देख कि तेरा लंड छवि के मुहं में पूरा अंदर जाता है कि नहीं और सतपाल जी बेड पर आकर लेट गये और अब भूपेन्द्र सिंह छवि के पीछे खड़े हो गये और छवि की चूत में लंड डाल दिया.. लेकिन छवि को इतना दर्द महसूस नहीं हुआ.. क्योंकि छवि भूपेन्द्र सिंह के लंड को बहुत बार ले चुकी थी और अभी अभी सतपाल जी का मोटा तगड़ा लंड अंदर जाकर आया था.. लेकिन दूसरी तरफ सतपाल जी का लंड चूत में जाकर आया था तो एकदम चमक मार रहा था और तनकर गधे के लंड की तरह बड़ा हो गया था।
तो उसको देखकर छवि ने जैसे ऐसा मुहं बनाया कि जैसे वो डर गयी.. सतपाल जी ने आखों से इशारा किया कि मुहं में डालो। छवि ने सिर्फ़ सुपाड़ा ही मुहं में डाला था.. सतपाल जी ने उसका सर पकड़कर आधा लंड छवि के मुहं में डाल दिया। छवि थोड़ा थोड़ा करके मुहं में लेने लगी.. 10-15 मिनट ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने देखा कि भूपेन्द्र सिंह ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और मुझे लगा कि उनका निकलने वाला है। तो छवि ने भी अपनी गांड आगे पीछे करके साथ देना शुरू किया। भूपेन्द्र सिंह कहने लगे आहह छवि मेरी डार्लिंग तेरी चूत आआहह और उन्होंने स्पीड एकदम बड़ाई और चुदाई करने लगे और छवि की कमर को कसकर पकड़े हुए थे और थोड़ी ही देर में उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला। मैंने देखा तो उन्होंने अपना सारा माल छवि की चमकती हुई गांड पर गिरा दिया और उस पर अपना लंड घुमाने लगे.. मुझे साफ साफ दिख रहा था कि छवि की चूत फटकर भोसड़ा हो गयी थी। फिर वो छवि को कमर से पकड़े हुए थोड़े ऊपर हुए और बचा हुआ सारा माल छवि की गांड पर ही निकल गया।
उधर दूसरी तरफ सतपाल जी ने छवि को लंड चटवाने में कोई कमी नहीं रखी थी। सर के बाल पकड़कर छवि का मुहं अपने लंड की तरफ झुका रहे थे और छवि ने भी कसकर उनकी जांघे पकड़ी हुई थी। छवि अब उनकी जांघो पर नाख़ून मारने लगी थी.. मुझे पता चल गया कि छवि अब झड़ने वाली है। तभी सतपाल जी ने नीचे से छवि के मुहं में धक्के लगाने शुरू किए और कहने लगे कि अहह डार्लिंग बड़ा जबरदस्त चूसती है साली। छवि भी अपनी गांड उछाल उछालकर उनका लंड मुहं में लेती रही। तभी छवि ने कसकर उनकी जांघे पकड़ ली और एकदम पूरे शरीर को जैसे खींच लिया। तो में समझ गया कि वो अब झड़ गयी है और उतने में ही सतपाल जी ने अपने पैर एकदम खींचकर टाईट कर लिए शायद वो भी झड़ने वाले थे। छवि झड़ चुकी थी और वो सतपाल जी के लंड को मुहं से बाहर निकालना चाहती थी.. लेकिन सतपाल जी ने उसका सर अपने लंड पर दबाकर रखा और चूसने को कह रहे थे। छवि मना कर रही थी.. लेकिन सतपाल जी ने सर को लंड के ऊपर पूरा ज़ोर से दबाया और सतपाल जी के मुहं से ज़ोर से आवाज़ निकली आआहह आआहह मुझे पता चल गया कि वो झड़ने वाले है.. लेकिन जैसे ही मैंने देखा कि उन्होंने छवि का मुहं अपने लंड पर कसकर दबाया और फिर छोड़ दिया। छवि ने जैसे ही अपना सर ऊपर उठाया तो में तो देखता ही रह गया.. छवि के मुहं में उनका लंड था और लंड के आस पास वाली थोड़ी जगह से सतपाल जी का सारा माल छवि के मुहं से उनके लंड पर होते हुए नीच जा रहा था और मुझे पता चल गया कि छवि का मुहं पूरा सतपाल जी के माल से भर गया था।
छवि ने मुहं से जैसे ही लंड बाहर निकाला तो सारा माल सतपाल जी के लंड के ऊपर गिरने लगा और छवि ने दोनों हाथों से लंड के ऊपर गिरे हुए माल को लंड पर रगड़ा.. पूरा लंड गीला हो गया था। तभी सतपाल जी छवि की तरफ देखने लगे.. छवि ने भी सतपाल जी की तरफ देखा और हल्की सी स्माईल दी और आंख से ऐसा इशारा दिया जैसे वो पूरी तरह संतुष्ट हो गयी है और फिर दोनों मेरे ही बेड पर छवि को बीच में लेकर लेट गये और थोड़ी देर बाद भूपेन्द्र सिंह उठकर बाथरूम चले गये।
सतपाल जी : मज़ा आया?
छवि : हाँ बहुत।
सतपाल जी : कभी भी मन करे तो बुला लेना।
छवि : हाँ ज़रूर बुलाऊंगी.. लेकिन किसी को पता ना चले।
सतपाल जी : तुम उसकी फ़िक्र मत करो.. हम दोनों के अलावा किसी को पता नहीं चलेगा।
उतने में भूपेन्द्र सिंह आए और सतपाल जी वॉशरूम चले गये और फिर दोनों फ्रेश होकर चले गये। छवि अभी तक बेड पर नंगी पड़ी थी और उन दोनों के जाने के बाद छवि ने कांच के सामने आकर दोनों पैरों को फैलाकर देखा उसका भोसड़ा कितना चौड़ा हो गया है और मन ही मन में बहुत खुश हो गयी और में यह सब देख रहा था और फिर वो नहाने चली गयी। शाम को जब में घर पर आया तो ऐसे व्यहवार कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं.. लेकिन उसके चहेरे पर जो चमक थी वो सब बयान कर रही थी। फिर रात को जब मैंने उसे चोदा तो मैंने देखा कि उसकी चूत का भोसड़ा बना गया था और उस कारण से मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.. लेकिन में चोदते टाईम बस वही याद कर रहा था जो मैंने दोपहर को देखा और शायद छवि भी वही सोच रही थी और मन में खुश हो रही थी और उसको देखकर में भी खुश हो गया और सोचता रहा कि कब दूसरी बार यह 2 इन 1 फिल्म देखने का मौका मिलेगा। तो दोस्तों यह थी मेरी बीवी की चुदाई ।।




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