FUN-MAZA-MASTI
छोटे से गाँव में
नमस्कार दोस्तों.. आज मैं फिर हाज़िर हूँ, आपके इन्टरनेट सर्फिंग के अनुभव को रंगीन बनाने वाली कहानियों के साथ..आज मैं आपको इंडियन सेक्स की ऐसी कहानी सुनाता हूँ, जिसको सुनकर आप भी मस्त हो जायेंगे.देसी चुदाई की देसी कहानियां तो सबको ही भाती हैं. बात तबकी है, जब हमारा गाँव एक पिछड़े गाँव के तौर पे जाना जाता था..आज ऐसा नहीं है..आज एक शहर की सारी सुविधायें मेरे गाँव में मिलती हैं.मैं अपने गाँव का अकेला ऐसा लड़का था, जो पढ़ाई के लिए गाँव से निकल कर दिल्ली जैसे बड़े शहर में आया था.इस वजह से गाँव का हर आदमी मुझे एक बहुत ही पढ़ाकू और शरीफ लड़का समझता था. जब मैं दिल्ली आया तो कुछ दिन तक तो यहाँ का माहौल मुझे समझ में ही नहीं नहीं आया.इतनी तेज़ और मोडर्न ज़िन्दगी देख कर मुझे कुछ समझ में नहीं आता था.छोटे छोटे कपड़ों में नंगी घूमती लडकियां मैंने पहली बार देखी थीं.क्योंकि गाँव में तो चुदाई के वक़्त भी लडकियां कम से कम मुंह पर तो कपड़ा डाल ही लेती थीं.खैर कुछ दिन बाद मैंने इस माहौल में खुद को ढाल लिया और इस तरह की बातों को एन्जॉय करने लगा.लकिन हाँ,,दिल्ली में खुल्लम खुल्ला होने वाले स्मूच लिप लॉक किस और सेक्स स्कैंडल को देख सुनकर मेरा भी मन उतावला हो जाता था.और मैं भी कल्पना के सागर में गोते लगाने लगता था.गर्ल फ्रेंड तो थी नहीं,इसलिए ये सब देख कर “अपने हाथ जगन्नाथ” का फार्मूला अपनाना पड़ता था और मैं सोचता था कि कब मुझे भी ऐसा मौक़ा नसीब हो.. खैर..दिन बीतते गए और मैं इन सब बातों का आदी हो गया.लेकिन इन सब बातों ने कहीं ना कहीं मुझे बस में कर रखा था और मैं जल्द से जल्द ऐसा ही कुछ करने की ताक में था. बस भगवान् से एक मौके की गुजारिश करता रहता था.अपने कॉलेज में पहला सेमेस्टर पूरा होने पर मैं कुछ दिनों के लिए घर वापस आया था. लेकिन वो दिल्ली की बातें अब भी मुझे भूली नही थीं.मेरे गाँव में एक लडकी मुझे बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन गाँव की शर्म की वजह से मैं उसे कुछ कह नही पाया था . पहली बार दिल्ली से लौटने पर तो सारे गाँव वालों की नज़र में मेरी इज्ज़त बहुत बढ़ गयी थी.इस लिए मैं किसी के घर भी जाता तो मुझे बहुत इज्ज़त दी जाती..उस लड़की के पापा मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे.इसलिए मैं एक दिन उनके घर भी पहुंचा.मेरे गाँव में हर घर में टॉयलेट नहीं हुआ करते थे इसलिए गाँव की औरतें और लडकियां ग्रुप बना कर सांझ सवेरे खेतों में जाती थीं.जब मैं उसके घर पहुंचा तो मुझे थोड़ी ही देर में वो दिखाई दे गयी,, मैं कुछ देर तक उसे देखता रह गया और वो मुझे..उसे देख कर मैंने उसके साथ कुछ ना कुछ करने का मन बना लिया था. वो भी शायद मेरे इरादे को भांप गयी थी.मैं कुछ देर तक उसके घर बैठा, तभी उसके घर से औरतें खेतों में जाने के लिए निकलीं और उससे भी चलने को कहा.लेकिन उसने थोड़ी देर बाद जाने की बात कह कर मना कर दिया था.लेकिन इस बात ने मुझे एक मौका दे दिया था. उस दिन मैं शाम को काफी देर तक उसके घर से खेतों वाले रस्ते पर घूमता रहा..थोड़ा अँधेरा होने पर वो वहां से गुजरी ..मैंने उसे रोका.. मुझे वहां देख उसके साथ वाली लडकी दूर चली गयी..बस फिर तो मुझे जैसे मौक़ा मिल गया और मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे एक सांस में दिल की बात कह डाली.जवाब में वो कुछ नही बोली लेकिन मुझे उसकी ख़ामोशी का मतलब समझ आ गया था…अब मैं उसे अपने गन्ने के खेतों में ले गया और उसका दुपट्टा खींच लिया ,,वाह.. क्या चूचे थे..फिर तो मुझे कण्ट्रोल नही हुआ.. मैंने उसे दिल्ली की चुदाई के बारे में बताया.वो मन ही मन खुश हुई . मैंने सबसे पहले उसके होठों को चूसा..फिर बारी थी उसके चूचों की..मैंने जैसे ही उसकी सलवार कमीज़ उतारी, वो अपने हाथों से अपने चूचे और चड्डी में चूत की जगह छिपाने लगी.. मैंने कहा.जान..ये नायाब चीज़ छुपाने के लिए नही बल्कि मज़े लेने के लिए है,,और उसके मांसल चूचों को पकड़ कर मसलने लगा ..मेरा फौलादी लंड अब मेरी चड्डी से बाहर आने को बेताब था.. वो अब भी शर्मा रही थे और अपना मुंह ढके हुए थी.मैंने कहा जान..शरमाओ मत.. अभी असली चीज़ तो बाकी है..अभी तो मुझे दिल्ली स्टाइल में तुम्हारी चूत मारनी है.वो बोली- कुछ होगा तो नहीं?? मैंने सुना है की बड़े लंड से चूत कभी कभी फट जाती है..मैंने कहा- डरो मत,,कुछ नही होगा..मैं जो कर रहा हूँ मुझे करने दो, रोकना मत ..फिर मैंने उसको घोडी बनाया और अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में पूरा घुसा दिया.वो कराह उठी.. आईईइ .. मर गयी..फट गयी..ईई..मैंने उसे चुप रहने के लिए कहा और उसे उसकी सील टूटने के बारे में बताया..इस तरह मैंने उसे २० मिनट तक चोदा.. उसके बाद मैं अपना लंड उसके होठों पे लगाने लगा..मैंने कहा लेलो.. मज़ा आ जाएगा.. पी जाना..फिर क्या था..उसने शर्माते हुए ही सही लेकिन मेरा लंड काफी देर तक मुंह में लेकर चूसा.. मेरे झड़ने पर वो मेरा सारा माल पी गयी..शाम बहुत हो गयी थी और लगभग पूरा अँधेरा होने वाला था.. मैंने पूछा- मज़ा आया?? वो मुस्कुरा उठी..मैं बोला अब घर जाओ वरना तुहें ढूंढते हुए तुम्हारे घर से कोई आ जाएगा..वो दुबारा मिलने की बात कहकर चली गयी.आज मेरा दिल्ली स्टाइल सेक्स का सपना पूरा हो गया था,, वो भी एक गाँव में.. मज़ा आ गया..कसम से..
तो ये
थी मेरी इन्डियन दिल्ली स्टाइल सेक्स की कहानी,जिसको अंजाम दिया मैंने
अपने गन्ने के खेतों में.. वो भी एक छोटे से गाँव में..ये चुदाई की कहानी
आपको कैसी लगी,, बताना मत भूलियेगा.. तब तक के लिए खुश रहिये ,, मुस्कुराते
रहिये और चोदते रहिये…नमस्कार..
छोटे से गाँव में
नमस्कार दोस्तों.. आज मैं फिर हाज़िर हूँ, आपके इन्टरनेट सर्फिंग के अनुभव को रंगीन बनाने वाली कहानियों के साथ..आज मैं आपको इंडियन सेक्स की ऐसी कहानी सुनाता हूँ, जिसको सुनकर आप भी मस्त हो जायेंगे.देसी चुदाई की देसी कहानियां तो सबको ही भाती हैं. बात तबकी है, जब हमारा गाँव एक पिछड़े गाँव के तौर पे जाना जाता था..आज ऐसा नहीं है..आज एक शहर की सारी सुविधायें मेरे गाँव में मिलती हैं.मैं अपने गाँव का अकेला ऐसा लड़का था, जो पढ़ाई के लिए गाँव से निकल कर दिल्ली जैसे बड़े शहर में आया था.इस वजह से गाँव का हर आदमी मुझे एक बहुत ही पढ़ाकू और शरीफ लड़का समझता था. जब मैं दिल्ली आया तो कुछ दिन तक तो यहाँ का माहौल मुझे समझ में ही नहीं नहीं आया.इतनी तेज़ और मोडर्न ज़िन्दगी देख कर मुझे कुछ समझ में नहीं आता था.छोटे छोटे कपड़ों में नंगी घूमती लडकियां मैंने पहली बार देखी थीं.क्योंकि गाँव में तो चुदाई के वक़्त भी लडकियां कम से कम मुंह पर तो कपड़ा डाल ही लेती थीं.खैर कुछ दिन बाद मैंने इस माहौल में खुद को ढाल लिया और इस तरह की बातों को एन्जॉय करने लगा.लकिन हाँ,,दिल्ली में खुल्लम खुल्ला होने वाले स्मूच लिप लॉक किस और सेक्स स्कैंडल को देख सुनकर मेरा भी मन उतावला हो जाता था.और मैं भी कल्पना के सागर में गोते लगाने लगता था.गर्ल फ्रेंड तो थी नहीं,इसलिए ये सब देख कर “अपने हाथ जगन्नाथ” का फार्मूला अपनाना पड़ता था और मैं सोचता था कि कब मुझे भी ऐसा मौक़ा नसीब हो.. खैर..दिन बीतते गए और मैं इन सब बातों का आदी हो गया.लेकिन इन सब बातों ने कहीं ना कहीं मुझे बस में कर रखा था और मैं जल्द से जल्द ऐसा ही कुछ करने की ताक में था. बस भगवान् से एक मौके की गुजारिश करता रहता था.अपने कॉलेज में पहला सेमेस्टर पूरा होने पर मैं कुछ दिनों के लिए घर वापस आया था. लेकिन वो दिल्ली की बातें अब भी मुझे भूली नही थीं.मेरे गाँव में एक लडकी मुझे बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन गाँव की शर्म की वजह से मैं उसे कुछ कह नही पाया था . पहली बार दिल्ली से लौटने पर तो सारे गाँव वालों की नज़र में मेरी इज्ज़त बहुत बढ़ गयी थी.इस लिए मैं किसी के घर भी जाता तो मुझे बहुत इज्ज़त दी जाती..उस लड़की के पापा मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे.इसलिए मैं एक दिन उनके घर भी पहुंचा.मेरे गाँव में हर घर में टॉयलेट नहीं हुआ करते थे इसलिए गाँव की औरतें और लडकियां ग्रुप बना कर सांझ सवेरे खेतों में जाती थीं.जब मैं उसके घर पहुंचा तो मुझे थोड़ी ही देर में वो दिखाई दे गयी,, मैं कुछ देर तक उसे देखता रह गया और वो मुझे..उसे देख कर मैंने उसके साथ कुछ ना कुछ करने का मन बना लिया था. वो भी शायद मेरे इरादे को भांप गयी थी.मैं कुछ देर तक उसके घर बैठा, तभी उसके घर से औरतें खेतों में जाने के लिए निकलीं और उससे भी चलने को कहा.लेकिन उसने थोड़ी देर बाद जाने की बात कह कर मना कर दिया था.लेकिन इस बात ने मुझे एक मौका दे दिया था. उस दिन मैं शाम को काफी देर तक उसके घर से खेतों वाले रस्ते पर घूमता रहा..थोड़ा अँधेरा होने पर वो वहां से गुजरी ..मैंने उसे रोका.. मुझे वहां देख उसके साथ वाली लडकी दूर चली गयी..बस फिर तो मुझे जैसे मौक़ा मिल गया और मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे एक सांस में दिल की बात कह डाली.जवाब में वो कुछ नही बोली लेकिन मुझे उसकी ख़ामोशी का मतलब समझ आ गया था…अब मैं उसे अपने गन्ने के खेतों में ले गया और उसका दुपट्टा खींच लिया ,,वाह.. क्या चूचे थे..फिर तो मुझे कण्ट्रोल नही हुआ.. मैंने उसे दिल्ली की चुदाई के बारे में बताया.वो मन ही मन खुश हुई . मैंने सबसे पहले उसके होठों को चूसा..फिर बारी थी उसके चूचों की..मैंने जैसे ही उसकी सलवार कमीज़ उतारी, वो अपने हाथों से अपने चूचे और चड्डी में चूत की जगह छिपाने लगी.. मैंने कहा.जान..ये नायाब चीज़ छुपाने के लिए नही बल्कि मज़े लेने के लिए है,,और उसके मांसल चूचों को पकड़ कर मसलने लगा ..मेरा फौलादी लंड अब मेरी चड्डी से बाहर आने को बेताब था.. वो अब भी शर्मा रही थे और अपना मुंह ढके हुए थी.मैंने कहा जान..शरमाओ मत.. अभी असली चीज़ तो बाकी है..अभी तो मुझे दिल्ली स्टाइल में तुम्हारी चूत मारनी है.वो बोली- कुछ होगा तो नहीं?? मैंने सुना है की बड़े लंड से चूत कभी कभी फट जाती है..मैंने कहा- डरो मत,,कुछ नही होगा..मैं जो कर रहा हूँ मुझे करने दो, रोकना मत ..फिर मैंने उसको घोडी बनाया और अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में पूरा घुसा दिया.वो कराह उठी.. आईईइ .. मर गयी..फट गयी..ईई..मैंने उसे चुप रहने के लिए कहा और उसे उसकी सील टूटने के बारे में बताया..इस तरह मैंने उसे २० मिनट तक चोदा.. उसके बाद मैं अपना लंड उसके होठों पे लगाने लगा..मैंने कहा लेलो.. मज़ा आ जाएगा.. पी जाना..फिर क्या था..उसने शर्माते हुए ही सही लेकिन मेरा लंड काफी देर तक मुंह में लेकर चूसा.. मेरे झड़ने पर वो मेरा सारा माल पी गयी..शाम बहुत हो गयी थी और लगभग पूरा अँधेरा होने वाला था.. मैंने पूछा- मज़ा आया?? वो मुस्कुरा उठी..मैं बोला अब घर जाओ वरना तुहें ढूंढते हुए तुम्हारे घर से कोई आ जाएगा..वो दुबारा मिलने की बात कहकर चली गयी.आज मेरा दिल्ली स्टाइल सेक्स का सपना पूरा हो गया था,, वो भी एक गाँव में.. मज़ा आ गया..कसम से..
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