Thursday, June 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI बेशरम चूत ...5

FUN-MAZA-MASTI

 बेशरम चूत ...5



 अगले दिन सोम ने इंदु को कॉल किया और कहा की वो और नीलू उसके घर आ रहे हैं कुछ बात करनी है...दोपहर में दोनों इंदु के घर पहुचे...दोनों रस्ते में यह सोच के आये थे की इंदु को सब बात समझा देंगे और कह देंगे की अब वो यह काम नहीं कर सकते.....इंदु के घर पहुचने पर......




इंदु - आईये आईये आप लोग तो ईद का चाँद हो गए हैं...बल्कि वो भी साल में दो तीन बार आ जाता है आप तो उससे भी कम दीखते हैं अब...

नीलू - मजे मत लो यार. हम बहुत सीरियस मूड में हैं.

इंदु - सीरियस मूड में हो तो यहाँ क्यों आये हो? यह तो रंडीबाजी का अड्डा है जी..यहाँ तो अय्याशी होती है.सीरियस मूड नहीं चलता यहाँ...

सोम - इंदु तुम समझ नहीं रही हो. हम सच में बहुत सीरियस हैं...

इंदु - अरे ऐसी भी क्या बात है..मुझे तो लगा की आप लोग मुझे झटका दे रहे हैं...बताओ क्या हुआ...

नीलू - तुम तो जानती ही हो की हमारी अगली पार्टी ड्यू है.....

इंदु - हाँ. उसी का तो वेट है.

नीलू - लेकिन तुम ही सोचो की अब घर में बच्चे भी हैं. ऐसे में हम वो सब कैसे कर सकते हैं जैसा अपनी पार्टीस में होता है...

इंदु - हाँ थोड़ी मुश्किल तो जाएगी लेकिन कुछ मेनेज कर लोना आप लोग...

नीलू- अरे कैसे मेनेज कर लो. घर में जवान बच्चे हैं. क्या वो कुछ समझते नहीं हैं? उनसे क्या कहेंगे? की हमें पार्टी करनी है तुम लोग बाहर चले दो दिन के लिए?

इंदु- हाँ तो उन्हें भी कर लो न शामिल.

सोम - कैसी बात कर रही हो इंदु. उन्हें कैसे शामिल कर लें? पार्टी में तुम सब औरतें नंगी फिरती हो.ऐसी पार्टी में हम अपने बच्चों को कैसे शामिल कर लें. कोई माँ बाप ऐसा कर सकते हैं क्या...

इंदु - मुझे क्या पता. मैं तो इतना जानती हूँ की पूरा ग्रुप पार्टी का वेट कर रहा है.

सोम - उसी के लिए तो तुमसे बात करने आये हैं. तुम सब को बता दो की अब हमारे यहाँ वैसी पार्टी नहीं हो सकती. कोई और मेनेज कर ले अब आगे से.

इंदु- यह तो पॉसिबल नहीं है. किसी के पास इतनी बड़ी जगह नहीं है. और सोम भाईसाब आप कब से इतनी निराशा वाली बात करने लगे. सब औरतें आपका वेट कर रही हैं और आप सबको मना करने की सोच रहे हैं...

सोम - इंदु बात को समझो. हम कैसे कर पाएंगे यह सब अब...

इंदु - सुनो...तुम लोग मेरी बात ध्यान से सुनो.......अगर हमने इसी समय हार मान ली तो फिर कभी हम अपनी लाइफ एन्जॉय नहीं कर पाएंगे..जरा सोचो इस उम्र में आ के वैसे भी हमरे पास कितने कम आप्शन बचे हैं. कोई नया लौंडा तो फंसता नहीं है. सब अपनी उम्र की चूत खोजते हैं. ऐसे में हम सब खुले भोस वाली औरतें कहाँ जाएँगी अपनी चूत मरवाने के लिए? और सोम भाईसाब आपने ही सबकी आदत बिगड़ी है. सबको इतना चोदा है की आपसे चुदना हम सब की जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. अब आप कहते हैं की आप चोदेंगे नहीं...

सोम - अरे मैंने कब कहा की मैं नहीं चोदुंगा....मैं तो खुद तुम सबको अपनी रखैल बना के रखना चाहता हूँ. और रखता भी तो हूँ. लेकिन अब हालत बदल गयी है न.

इंदु- ऐसी सिचुएशन तो आती रहती है. बच्चे हमेशा के लिए यहाँ थोड़ी न रहेंगे. उन्हें भी बड़े शहर की हवा लग गयी है. देखना कुछ समय बाद वो लोग खुद ही बाहर सेटल होने का सोचेंगे. लेकिन अगर आज से हमने यह बंद कर दिया तो ग्रुप बिखर जायेगा और फिर अगर आप लोगों के बच्चे बाहर सेटल हो गए तो फिर यह ग्रुप दोबारा नहीं बनेगा. इसलिए हिम्मत न हार जाओ.....जरा सोचो लॉन्ग टर्म का....और फिर फैसला करो..इतनी जल्दी न करो...

नीलू - यार तुम ठीक कह रही हो लेकिन हमें तो कोई रास्ता नहीं दीखता...तुम्हें कोई आईडिया हो तो बताओ...

इंदु - मैं इतना कर सकती हूँ की पुरे ग्रुप को बता दूँगी की इस बार की पार्टी कुछ दिन बाद होगी और उसके बाद हम अगली पार्टी में थोडा और टाइम ले लेंगे..पहले हम हर हफ्ते पार्टी करते थे. अब ऐसा नहीं करेंगे. अब महीने में एक दो बार ही करेंगे. और अगर एक दो बार भी हो गया न तो ग्रुप बना रहेगा.....और फिर हम ऐसा कर देंगे की पार्टी का चार्ज बढ़ा देंगे...तो उससे इनकम भी ज्यादा होगी और लोग खुद ही हफ्ते के हफ्ते इतनी महंगी पार्टी करने के लिए नहीं कहेंगे. खुद ही वो लोग महीने में एक दो बार के लिए मान जायेंगे...

सोम - मुझे तो नहीं समझ आ रहा....

इंदु- मुझे समझ आ रहा है...मेरी बात मानो..ज्यादा मत सोचो. जो मैं कह रही हूँ उसी पर यह बात रोक दो...आगे का फिर टाइम आने पर सोचेंगे..मैं अपने ग्रुप को कह दूँगी की अगली पार्टी अपनी दस दिन बाद होगी...दस दिन में देखना कोई न कोई रास्ता तो निकल ही आएगा....

सोम - ठीक है. तुम्हारी बात ही मान लेते हैं. चलो नीलू चले अब.

इंदु - नीलो को मैं ड्राप कर दूंगी बाद में. और मैं तो कहती हूँ बहुत दिनों बाद मिले हैं आप भी आ जाईये भाईसाब एक राउंड चुदाई का हो ही जाये.

सोम - नहीं इंदु. अभी तो जाने दो. चुदाई तो फिर कभी कर लेंगे.

इंदु - अच्चा तो लौड़ा ही चुसवा दीजिये.कितने दिन हो गए आपकी मलाई नहीं मिली खाने को. मैं तो तरस गयी आपके हलब्बी लंड की मलाई के लिए.

नीलू - तुझे तो हर समय बस यही दीखता है. अभी इन्हें जाने दे. इन्हें और भी काम हैं. मैं रूकती हूँ तेरे पास लेकिन तू मुझे जल्दी ड्राप कर देना घर.

इंदु - चल ठीक है. भाईसाब के हिस्से का भी आज तुझी से ले लूंगी...



सोम वहां से वापस आ गया. उसे बाहर का भी कुछ काम था और फिर घर जा के काकी को भी बताना था की इंदु से क्या बात हुई...सुबह जब उन दोनों ने काकी को बताया था की वो इंदु से आज यह बात करने वाले हैं तभी काकी ने कह दिया था की इंदु नहीं मानेगी और किसी न किसी बहाने से वो इन दोनों को भी अपनी बात में फंसा लेगी.....बाहर जाते समय सोम यही सोच रहा था की काकी सच ही कह रही थी...इंदु ने खुद तो बात मानी नहीं बल्कि इन दोनों को भी फंसा लिया....जिस समय यह दोनों यहाँ थे उधेर बच्चे घर में जाग गए थे और वो काकी के साथ बैठे हुए थे...कुछ देर बाद भानु तो अपने कमरे में चला गया लेकिन रानी और काकी साथ बैठे रहे...


रानी - काकी यहाँ कुछ करने को ही नहीं है.मैं तो घर में रह रह के बोर हो गयी.

काकी - तो किसने तुझे मना किया है. घर में इतनी गाड़ियाँ हैं. तू कहीं भी चली जाया कर.

रानी - मैं अकेले कहाँ जाउंगी. मैं तो यहाँ का कुछ जानती ही नहीं.

काकी - तो मुझसे पूछ लिया कर न. बता क्या देखना है तुझे मैं बता देती हूँ तो ड्राईवर को साथ ले जाना.

रानी - नहीं. अभी तो कहीं नहीं जाना. मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी. अच्चा काकी तुम क्या करती हो दिन भर घर में.

काकी - मैं क्या करुँगी रे....दिन भर घर का ही इतना काम रहता है. वही सब देखना होता है. उसी में दिन निकल जाता है.

रानी - माँ भी तो घर का ही काम देखती होंगी...इतना क्या काम होता है की तुम दोनों का टाइम उसी में निकला जाता है ?

काकी- तेरी माँ को तो घर के काम में जरा भी मन नहीं लगता. वो कुछ नहीं करती. सब मुझे ही देखना होता है.

रानी - यह तो गलत बात है. इस उम्र में भी तुमको इतना काम करना पड़ता है.

काकी- अरे नहीं. मैं ही उसे मना करती हूँ.यह कोई उसकी उम्र है घर का काम करने की. मैं हूँ न घर का काम देखने के लिए...

रानी - तो और क्या करने की उम्र है माँ की? वो भी तो लगभग ५० की हो गयी होंगी न? इस उम्र में और क्या कर सकता है कोई?

काकी - क्यों नहीं? उसके इतने सरे दोस्त हैं.इतनी सारी सहेलियां हैं. उन सब के साथ आउटिंग पर जाना. पार्टी में जाना. पार्टी करना. शौपिंग करना. यही सब उसके मन का काम है. वो इसी में बिजी रहती है.

रानी - तो तुम भी जाया करो न उनके साथ.

काकी - अच्चा?? मुझे कौन अपने साथ ले के जायेगा. मैं तो बुधिया लगती हूँ..

रानी - नहीं काकी. तुम्हें और माँ को कोई साथ देखे तो यही कहेगा की दोनों सगी बहने हैं. तुम दोनों को देखने में उम्र का ज्यादा फर्क नहीं मालूम पड़ता.

काकी - तू तो बड़ा अच्चा झूट बोल लेती है.

रानी - नहीं काकी. सच में. उस दिन मैं और भानु सोच ही रहे थे की तुम दोनों ने अपना फिगर कितना अच्चा मेन्टेन किया हुआ है.

काकी - चुप कर बदमाश. हमारा फिगर मत देखा कर. तेरी उम्र लड़कों को देखने की है.औरतों को देखने की नहीं.

रानी - हा हा हा हा हा...हाँ हाँ काकी मैं लड़कियों को नहीं देखती. तुम चिंता मत करो.

काकी - अरे तुम इस जमाने के लड़के लड़कियों का कुछ भरोसा नहीं है. तुम लोग तो कुछ भी कर सकते हो. चिंता तो हो ही जाती है.

रानी - अच्चा काकी यह बताओ माँ इतनी पार्टी करती हैं लेकिन हमने तो कभी उन्हें घर में पार्टी करते नहीं देखा...अभी क्या वो लोग पार्टी करने ही गए हैं..

काकी - नहीं. इनकी एक दोस्त है इंदु. उसके यहाँ गए हैं. कुछ बिज़नस की डील करनी है उससे आज.

रानी - मैं तो यह भी नहीं जानती की हमारा घर का बिज़नस क्या है..लेकिन जिस तरह का अपना घर है और जिस तरह से साज सज्जा होती है उससे तो यही लगता है की पापा बहुत बड़े बिज़नस में हैं.

काकी - यह तो तू उसी से पूछना. मुझे भी नहीं पता की सोम क्या बिज़नस करता है..मुझे कहाँ यह सब समझ में आएगा.

रानी - मैं तो पापा से ही पूछ लेती लेकिन उनके पास भी कहाँ टाइम है हमारे लिए...देखो न हमें आये इतने दिन हो गए लकिन वो हमारे साथ कभी ठीक से बैठे भी नहीं.

काकी - ठीक है. मैं आज ही सोम की खबर लेती हूँ.भला बिज़नस भी कभी बच्चों से बड़ा होता है क्या..मैं सोम को कहूँगी की वो टाइम निकल के घर पर ज्यादा रहा करे...

रानी - अच्चा काकी मैं नहाने जाती हूँ...फिर दोपहर के खाने के लिए निचे आउंगी..

काकी - तुम लोग उपर करते क्या रहते हो दिन दिन भर?

रानी - कुछ नहीं काकी बस इन्टरनेट पर कुछ करते रहते हैं. उसी में टाइम पास होता है......

रानी उपर आ गयी...काकी वहीँ बाहर लॉन में बैठी अख़बार पढ़ रही थी लेकिन उसका मन तो इसमें लगा हुआ था की इंदु के यहाँ क्या हुआ है.....उसे सोम के लौटने का वेट था...रानी उपर आई तो उसे भानु की आवाज सुनाई दी..वो उसे अपने कमरे में आने को कह रहा था..रानी एक पल को ठिठक सी गयी...उसे याद आ गया की कल रात को वो भानु का लैपटॉप ले के आई थी और अब भानु जरुर उसके मजे लेगा की कोई पोर्न पसंद आई की नहीं.....वैसे मन तो उसका भी था सेक्स की बात करने का लेकिन वो हमेशा से ही भानु को सेक्स के बारे में ऐसे ज्ञान देती आई थी जैसे वो खुद कितनी बड़ी मस्त है...और ऐसे में अगर वो भी भानु के सामने अपनी चुदास की बात करेगी तो इससे उसकी पूरी इमेज धुल जाएगी....लेकिन फिर भी भानु बुला रहा था तो उसे तो जाना ही था.....वो भानु के कमरे में पहुची तो अन्दर भानु अपने नए सिस्टम पर कुछ काम कर रहा था....


रानी - यह कब ले आया तू?? तेरे पास तो पहले से ही लैपटॉप है फिर इसकी क्या जरुरत थी?

भानु - मैंने बताया था न की घर के सब सीसी टीवी कैमरा की फीड मैंने अपने सिस्टम से जोड़ ली है तो उसके लिए लैपटॉप से काम नहीं चलता. इसलिए यह ले आया....अब देखना घर की जितनी भी नौकरानियां हैं न उन सब को मैं यहाँ से बैठे बैठे देखूंगा...

रानी - हाँ पहले देखेगा फिर मौका निकाल के उनकी लेगा और फिर मुझसे कहेगा की यह पेट से है वो पेट से हैं...मैं तो नहीं हेल्प करने वाली तेरी.

भानु - अरे नहीं.मैं कल सोच रहा था की इनके साथ सेक्स नहीं करूँगा. इन्हें तो बस तब तक के लिए रखूँगा जब तक मुझे यहाँ कोई सेटिंग नहीं मिल जाती. बस देख के आँख सकूंगा...

रानी - इतनी अकल अगर पढाई में लगायी होती तो अच्छी नौकरी मिल जाती तुझे.

भानु - नौकरी की क्या जरुरत है? मैं तो यहीं कोई बिज़नस करूँगा और अपने ऑफिस में एक से एक टंच माल को नौकरी दूंगा. उन्हें महीने की सैलरी दूंगा और उसके बदले में उनकी सेवा लूँगा.

रानी - देखना एक दिन तू इतनी जल्दी बुद्धा हो जायेगा की कुछ कर नहीं पायेगा. खुद को इतना खर्च मत कर की बाद के लिए कुछ बचे ही न....

भानु - ऐसा कुछ नहीं होने वाला. मैं तो मरते दम तक जवान रहूँगा..

रानी - हाँ हाँ तू तो सुपरमैन है. चल अब जरा अपना सिस्टम तो दिखा..

भानु - नहीं अभी नहीं...अभी मैं पूरा डाटा लोड कर रहा हूँ...करीब तीन महीने पुरानी तक की फीड्स हैं..वो सब इसमें आ जाएँगी. बहुत डाटा है. शायद आज का पूरा दिन तो इसी में लग जायेगा....तू क्या कर रही है आज?

रानी - कुछ नहीं. अभी तो नहाने जा रही हूँ. फिर आज माँ पापा के साथ कहीं घुमने जाने का प्लान बनूंगी....

भानु - ठीक है. मैं तब तक अपना यह काम निपटा लेता हूँ...




रानी वहां से बाहर आ गयी...वो बड़ी खुश थी की भानु ने उससे कल रात की मूवी के बारे में नहीं पुचा था....और उसका कारण यह था की अभी तो भानु को वो सीसी टीवी के सिवा कुछ दिख नहीं रहा था......शायद यह दोनों ही नहीं जानते थे की अनजाने में इनके हाथ में क्या चीज लग गयी थी और उसके कारण यह दोनों आगे किस किस बात से सामना करने वाले थे इसका भी इन्हें कोई अंदाजा नहीं था....उदर काकी सोम और नीलू तीनो ही यह सोच रहे थे की वो हर बात में बहुत सावधान हो गए हैं लेकिन उन्हें यह जरा भी याद नहीं रह गया था की घर में कमरों के अन्दर छोड़कर बाकी हर जगह पर सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं.....सब अपनी तरफ से नार्मल लाइफ जी रहे थे लेकिन इनकी यह नार्मल लाइफ इन्हें किस तरह एब्नार्मल टाइम दिखाने वाली थी इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था.....





सोम घर वापस आ गया था.....काकी उसी का वेट कर रही थी...उसे आते देख काकी ने अख़बार को एक किनारे रख दिया और उसे अपने पास बैठने को कहा...सोम सामने रखी कुर्सी पर आ के बैठ गया...काकी की नजर में हजारों सवाल एक साथ आ गए.....




सोम- मुझे पता था तुम यहीं बाहर मिलोगी सुधा.

काकी - तू मुझे जब नाम ले के बुलाता है तो कितना प्यारा लगता है. कितने दिनों बाद मुझे नाम ले के पुकारा है तूने.

सोम - हाँ जब नीलु नहीं होती तभी तो तुझे नाम ले के बुला सकता हूँ न सुधा....उस पगली को कितना बुरा लगता है जब उसके सामने तुझे नाम ले के बुलाता हूँ...

काकी - इसमें उसका क्या दोष रे....उसकी जगह मैं होती तो मुझे भी नहीं अच्चा लगता....और फिर मैं तुझसे उम्र में भी तो बड़ी हूँ न...

सोम - उम्र का इसमें क्या काम है? तू मेरी पहली पत्नी है...नीलू तो मेरी दूसरी पत्नी है.....

काकी - नीलू तेरी दूसरी नहीं तीसरी पत्नी है. अपनी दूसरी पत्नी को तो तू भूल ही गया.

सोम - उस छिनाल कुतिया को मैं याद भी नहीं करना चाहता. मेरे लिए तो सबसे पहले मेरी सुधा थी और फिर नीलू थी..बीच में कोई नहीं .

काकी - हाँ हाँ पता है मुझे...एक तरफ मैं एक तरफ नीलू और बीच में तू......

सोम - चल न अन्दर एक राउंड हो जाये. कितने दिनों बाद आज नीलू नहीं है तो हमें अकेले में मौका मिला है.

काकी - और बच्चों का क्या??? वो तो हैं न घर में.....चल तो यह बात छोड़....सब कुछ सही हुआ तो ऐसे हजार मौके हमें मिलेंगे आगे...पहले यह बता की इंदु से क्या बात हुई...

सोम - वही बात हुई जिसका तुझे अंदेशा था..उसने हमें फंसा लिया अपनी बातों में...हमने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए उसके जाल से. वो बहुत हरामिन है.

काकी - मुझे पता था यही होने वाला है.वो बहुत बड़ी रंडी है और उसने तुम दोनों को उलझा लिया होगा. क्या बोली वो?

सोम - कहने लगी की ऐसे हिम्मत मत हारो. जवानी बीत जाएगी तो फिर किसे चोदोगे और पता नहीं किसी को चोदने लायक रहोगे भी या नहीं तो अभी से हार मत मानो. कुछ न कुछ रास्ता खोजो.

काकी - और तुम लोग उसकी बातों में आ गए?

सोम - क्या करूँ सुधा,...मुझे तो कुछ समझ नहीं आया..मेरे लिए तो यह ख्याल ही सबसे भारी है की चुदाई बंद करनी पड़ेगी.

काकी - अरे पागल तुझे हम दोनों से पेट नहीं भरता क्या? हमने कब तुझे प्यासा रखा है? और जितने चूत तू चोद चुका है एक जनम में उतनी तो कोई बीस जनम में नहीं चोद पता. फिर भी तेरी भूख कम नहीं हुई.

सोम - जनता हूँ सुधा. मुझे हवस के हाथों मजबूर नहीं होना चाहिए था. लेकिन क्या करूँ..बस नहीं चलता...

काकी - तो अब क्या सोचा है?

सोम - इंदु ने कहा है की वो बात कर लेगी सबसे की अगली पार्टी दस दिन बाद होगी. हमारे पास दस दिन हैं कुछ मेनेज करने के लिए.

काकी - दस दिन में क्या होगा? और बात एक पार्टी की नहीं है.....अब बच्चे हमेशा हमारे साथ रहेंगे. आज एक पार्टी कर ली हमने तो आगे भी सब हमें ही करना पड़ेगा. कब तक इसी चक्कर में पड़े रहेंगे?

सोम - मेरी और नीलू की भी यही बात हुई थी...लेकिन फिर भी हम इंदु को मना नहीं पाए...खैर..अब इस पार्टी से तो निपट ही लेते हैं...बाद में देखेंगे की आगे क्या करना है..बच्चे कहाँ हैं?

काकी - अपने अपने कमरे में हैं....आज रानी तुम लोगों के बिज़नस के बारे में पूछ रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया की उसे क्या बताऊँ....ऐसे तो उन दोनों को शक पड़ने लगेगा ....

सोम - मैं आज उसे कुछ समझा दूंगा...तू चिंता मत कर...अब चल न अन्दर...

काकी - नहीं. तू बहुत कमजोर हो गया है. जरा जरा सी बात में तेरी लार टपकने लगती है. मैंने तुझे इतना कुछ सिखाया इतना कुछ दिया लेकिन तू है की कमजोर बन जाता है. उस बहेनचोद इंदु को वहीँ दो थप्पड़ रसीद करता तो उसकी अकाल ठिकाने आ जाती...याद रख औरत जब तक मर्द के नीचे रहती है तब तक ही काबू में रहती है.....और जो औरत रोज रात को अपना मर्द बदलती हो उसकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी....तुम लोगों को इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा...

सोम - हाँ....तुम ही देखो इसे. मैं तो इससे हार गया...अब जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा......अब जाने दो यह सब और कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है...





वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........




इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...

नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...

इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...

नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....

इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?

नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.

इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???

नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....

इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?

नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...

इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...

नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...

इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....

नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..

इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...

नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???

इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..

नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????

इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....

नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...

इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....

नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???

इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......

नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...

इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....




और दोनों बेडरूम में चली गयीं......





इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...




रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...

नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.

रानी - इंदु आंटी के यहाँ?

नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.

रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?

नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?

रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.

नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.

रानी - यह आपके हाथ में क्या है?

एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.

नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.

रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...

अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.

नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....

रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?

अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...

नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.

रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?

अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...

नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....




नीलू वहां से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी...आज तो वो फंस ही गयी थी..आज उसे एहसास हुआ की काकी इतने दिनों से उन्हें क्या समझा रही थी की ऐसी लापरवाही मत किया करो. अब तो उसे भी लगने लगा की हर कदम पद चौकन्ना रहने की जरुरत है....सोम अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ कर रहा था....नीलू ने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया तो उसने उसे देखा..

सोम - क्या हुआ? ऐसी हैरत में क्यों दिख रही हो?

पूरी बात बताई उसने सोम को की अभी बाहर वो कैसे रानी के जवाब देने में घबरा गयी थी...और फिर उसने वो गिफ्ट के डब्बे दिखाए सोम को.

सोम - पहले दरवाजा ठीक से बंद करो....

नीलू - तुम खोलो इसे.

दोनों डब्बे सोम ने उसे हाथ से ले लिए और लगभग एक साथ ही दोनों डब्बों को खोल लिया...

डब्बे के अन्दर से यह निकला...





सोम - ओ मादरचोद यह क्या है?

नीलू - इसे स्ट्रेपओन कहते हैं . अब तो तुम गए काम से.

सोम - क्यों???

नीलू - यह औरतों के लिए लंड का काम करता है. देखो यह पेंटी में फिट है. इसे पहन के मैं भी लंड वाली बन जाउंगी और फिर तुम्हें चोदूंगी अपने इस लंड से.

सोम - अभी बाहर रानी के सामने गांड फट रही थी तुम्हारी और अब फिर चोदा चादी की बात शुरू केर दी.

नीलू -सॉरी सॉरी. लेकिन यह देखो न कितना बढ़िया गिफ्ट दिया है जब तुम नहीं रहोगे तब मैं काकी एक दुसरे को चोद लेंगे. मैं तो कब से कह रही थी की डिलडो ला दो डिलडो ला दो लेकिन तुमने नहीं सुना. अब देखो मेरी कितनी अच्छी सहेली है. इंदु कितनी अच्छी है. कितना बढ़िया गिफ्ट ला के दिया मुझे.

सोम - तुम तो ऐसे पागल हो रही हो जैसे की बच्ची को पहली बार कुछ मिला है. इतना न उछलो

नीलू - हाँ हाँ तुम न उछलो. कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी गांड में घुस जाये मेरा लंड...हा हा हा हा अब तो मेरे पास भी लंड है...मैं भी तुमको चोदूंगी. तुम कहोगे अब बस अब दुःख रही है मेरी गांड और मैं एक नहीं सुनूंगी मैं तो तुम्हें दिन रत रगड़ रगड़ के चोदूंगी. इतना चोदूंगी की तुम एक नंबर की रांड बन जाओगे....

वैसे तो नीलू दो बच्चों की माँ है लेकिन वो अभी भी बहुत बचपना करती है और अभी यह गिफ्ट देख के उसका वही रूप बाहर आ रहा था...सोम को वैसे तो नीलू का बचपना करना हमेशा ही अच्छा लगता था लेकिन आज उसे थोड़ी खुन्नस हो रही थी क्योंकि अब तो सच में उसकी गांड को खतरा हो गया था....लेकिन नीलू को कोई फिक्र ही नहीं थी...वो कभी उस पेंटी को कपड़ों के उपर से ही अपने चूत पर रखती और कमर ऐसे हिलाती जैसे सच में सोम को चोद रही है...कभी वो और कुछ भौंडे इशारे करती सोम को देख के...सोम यह सब देख देख चिढ रहा था...उसे अभी थोड़ी देर पहले काकी से हुई अपनी बात याद आ रही थी..और तभी उसे आईडिया आया की नीलू के इस बचपने से उसे काकी ही बचा सकती है....उसने तुरंत ही काकी वो आवाज लगा दी.....काकी उस समय अपने कमरे में थी और सोम की आवाज सुन के ही उसकी समझ में आ गया की कुछ गड़बड़ है....वो तुरंत अपने हाथ का काम बंद कर के उसके कमरे में आ गयी....अन्दर आ के उसने देखा की नीलू और सोम दोनों बिस्टर पर हैं....सोम तो चुपचाप लेता हुआ है लेकिन नीलू हाथ में कुछ काले कपडे जैसा लिए हवा को चोद रही है..काकी को कुछ समझ नहीं आया,...उसने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया और सोम को इशारा किया की यह क्या हो रहा है...

सोम - देखो न इसको. समझो कुछ. कितनी बार कहा है जरा ठीक से रहो लेकिन इसका बचपना नहीं ख़त्म होता.

काकी - क्यों री?? क्या कर रही है और यह हाथ में क्या है???

नीलू - काकी यह है मेरा लंड और वो डब्बे में एक लंड तुम्हारे लिए भी रखा है. तुम भी ले लो. फिर हम अपना अपना लंड पहन के सोम को छोड़ेंगे. अभी तक हम सोम की रंडियां थे अब सोम हमारी रंडी बनेगा. मैं तो बहुत खुश हूँ..देखो न काकी तुम्हारे लिए भी है उस डिब्बे में.

दुसरे डिब्बे को अपने हाथ में ले के काकी ने जब उसमे रखा सामान बहार निकला तो उसे भी वही मिला.....लेकिन काकी इन दोनों से ज्यादा समझदार तो वो एक पल में ही समझ गयी की यह क्या चीज है...




काकी - क्या है यह?

नीलू - काकी ये आज के जमाने का लंड है. हम औरतों के लिए है. इसे पेंटी जैसा पहन लो. फिर हमारे पास भी लंड हो जायेगा,.मैं पिक्चर में खूब देखा है. इसे डिलडो कहते हैं. तुम्हारे जमाने में नहीं होता था ये. ये आजकल की चीज है. पर तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. और जब सोम बाहर जायेगा तब भी हम इसे पहन लेंगे और एक दूसरी की चुदाई करेंगे. यह हमें इंदु ने दिया है. उसके पास तो ऐसे बहुत सारे हैं.उसने हमारे लिए मंगवाया है यह. कितनी अच्छी है न इंदु. बोलो न काकी....तुम्हें अच्चा लगा न...चलो न पहन के दिखाओ की कैसा लग रहा है...

काकी - तू सांस भी ले ले नहीं तो बोल बोल के मर जाएगी और पहले तो ऐसे उछलना बंद कर. और अपनी आवाज जरा धीमी कर और चुप हो के बैठ जा.

ये सुन के नीलू सच में शांत हो गयी. काकी के सामने वो हमेशा ही दब के रहती थी....काकी ने उस डब्बे को पूरा खोला और फिर उसे हाथ में ले के सोम की तरफ देख के कहा....

काकी - तू एकदम लौड़े का बाल ही रहेगा जिंदगी भर. चूतिये साले मैंने तुझे कुछ सिखाया है की नहीं...तुझे समझ में नहीं आया की ये क्या है???

सोम - मुझे तो आ गया समझ में लेकिन इसे कौन समझाए? ये तो कुछ सुन ही नहीं रही है. तब से शुरू है की तुझे चोदूंगी मेरा लंड है. इतना तो मैं अपना लंड देख के नहीं पागल हुआ था जितना यह इसे देख के हुई जा रही है.

काकी - तू कब सुधरेगा??? और तू कब बड़ी होगी? जरा सी बात पर बच्चों जैसा फुदकती है...

नीलू - अब क्या कर दिया मैंने???

काकी - ध्यान से देख इसे??

नीलू - देख तो रही हूँ. इसे पेंटी के जैसे पहन लेना है फिर यह लंड बन जायेगा.

काकी - यह काला वाला पॉइंट जिसे तू लंड कह रही है यह पेंटी के अन्दर है बाहर नहीं है. जब तू उसे पहनेगी तो यह बाहर नहीं रहेगा बल्कि तेरी चूत में घुस जाएगा.

नीलू - नहीं काकी. यह लंड जैसा बाहर लटकेगा. मैं पिक्चर में देखा है.

काकी - अच्छा??? अगर ऐसा है तो यह लंड इतना छोटा क्यों है?????

नीलू -वो तो सोम का भी छोटा रहता है फिर तन के बड़ा हो जाता है न वैसे ही यह भी बड़ा हो जायेगा.

काकी - हे भगवन क्या करूँ मैं इसका...यह कब बड़ी होगी...अरे पगली ...ध्यान से देख इसे...यह छोटा सा काला सा जो है यह तेरी चूत में जायेगा और जब तू उसे पहन लेगी तो ऐसा लगेगा जैसे लंड तेरी चूत में फंसा हुआ है. ये तुझे चोदने के लिए है. ताकि तू हमेशा अपनी चूत में चुदाई का एहसास फील कर पाए. इससे तू किसी को चोद नहीं सकती..

नीलू - क्या????

काकी - हाँ. और यह इसके साथ में रिमोट है.इसे पहन के तू जब इस रिमोट को चालू करेगी तो तेरी चूत में खुजली करेगा यह. जैसे जब लंड अन्दर बाहर घिस्से खता है न चूत में वैसी फीलिंग देगा ये. ये उन औरतों के लिए है जो हर समय चुदना चाहती हैं लेकिन चुद नहीं पाती.

नीलू - तो ये इंदु ने क्यों दिया मुझे???

काकी - वही तो कहती हूँ की तू कब बड़ी होगी...यह इंदु ने तुझ पर ताना मारा है. वो चिढ़ा रही है तुझे. अब तक पुरे ग्रुप में तू ही सबसे ज्यादा चुदासी थी और हमेशा सोम से चुदती थी. लेकिन अब बच्चे आ गए तो तेरी भी चुदाई कम हो गयी इसलिए इंदु ने तुझ पर ताना मारा है की अब तू भी बाकी की औरतों की तरह इसी तरह की चीजों से अपनी चूत की प्यास बुझाएगी. यह कोई गिफ्ट नहीं है बल्कि उसने व्यंग मारा है तुझ पर. अब समझ में आया????? 







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