FUN-MAZA-MASTI
मैं तो उसका दीवाना हो गया --1
दोस्तो, मैं जय.. 23 साल का हूँ.. मैं दमन में जॉब कर रहा हूँ और यहाँ मैं एक अपार्टमेंट में किराए पर रहता हूँ। मेरा कमरा एक सिंगल कमरा है और मैं यहाँ अकेला ही रहता हूँ।
मेरे पड़ोस में एक मणिपुरी फैमिली रहती है। उस फैमिली का मुखिया.. जो कि 39 वर्ष का है.. उसका नाम शशिकांत और उनकी बीवी मीना.. जो 34 साल की है.. उनका बेटा सात साल का है और बेटी 5 साल की है।
मीना बहुत ही खूबसूरत औरत है.. मैं उसे कई बार देखता था। जब भी वो मुझे दिखती.. मैं उसके गुलाबी होंठों को चूमने को आतुर हो उठता था।
वो बहुत ही मॉडर्न टाइप की माल किस्म की कामुक औरत है और बहुत ही जवान दिखती है.. क्योंकि वो शादीशुदा होते हुए भी काफ़ी सेक्सी ड्रेस पहनती थी.. मेरा मतलब मिनी स्कर्ट.. छोटा सा टॉप.. और वो बहुत मेकअप भी करती थी।
मीना गोरे रंग की थी.. उसकी आँखें छोटी थीं.. स्लिम फिगर और मम्मों का नाप लगभग 34″ का है।
जब भी वो अपने घर से बाहर निकलती.. तो हाई हील पहनती और वो अक्सर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाती थी.. जो उस पर एकदम सेक्सी लगती थी।
मेरे दोस्त भी जब मेरे कमरे पर आते.. तो उसे देख कर बोलते थे- क्या मस्त माल है..
मैं तो उसका दीवाना हो गया था.. जब से मैंने उसको देखा था.. बस किसी भी तरह उसे चोदना चाहता था। मैं उसे याद करके कई बार मुठ्ठ भी मारता था।
वो एक हाउस वाइफ जरूर थी.. पर वो एक पढ़ी-लिखी औरत थी।
मीना का पति एयरपोर्ट पर जॉब करता था और कई-कई दिनों तक घर से बाहर ही रहता था.. उनका बेटा स्कूल में पढ़ता था।
जब भी उसके पति घर आता.. वो उसके शॉपिंग करने जाती थी.. उसको खरीददारी का बहुत शौक था। जब भी वो कमरे के बाहर आती थी.. मैं उसे पागल कुत्ते की तरह घूरता रहता था।
एक बार उसका पति बाहर से फ्रिज लाया और उसे कमरे पर लाने के लिए आदमी चाहिए था।
मैंने उनके बिन बुलाए उनके फ्रिज को उनके कमरे तक उठाने में मदद की.. इस तरह मेरी उनसे दोस्ती हो गई.. उन्होंने मुझे प्रेम से बिठाया.. चाय पिलाई और मेरे बारे में पूछा।
मैंने अपने बारे में उन्हें बताया और साथ ही उनके बारे में भी जानकारी ली। मैंने इस परिचय के साथ ही मीना को भाभी भी कहा.. वो मुस्कुरा दी।
अब जब भी वो दिखाई देती.. मैं उससे भाभी कह कर बात करता था।
जाने-अंजाने में मेरी उसके बेटे के साथ दोस्ती हो गई.. क्योंकि उनके बेटे के साथ मैं क्रिकेट खेलने लगा था। वो मुझे चाचा जी कह कर बुलाने लगा था और में भी उससे क्लोज़ हो गया था.. पर मेरे मन में तो उसकी माँ को चोदने का ख्याल था।
अब मैंने उसके बेटे के जारिए मीना को पटाने का प्लान बनाया। मैंने उसके बेटे को क्रिकेट का कैप्टन बनाया.. इसी बहाने मौका पाते ही उनके घर आने लगा।
इस तरह में मीना को देख पाता और मीना से बातें करने का मौका भी मिल जाता।
उसका पति मुझसे बहुत फ्रेंडली बात नहीं करता था.. दरअसल वो बहुत ही रूखे स्वभाव का व्यक्ति था.. पर मुझे उससे क्या लेना-देना था। मुझे तो उसकी कामुक बीवी को चोदना था.. सो अब मैं प्रयास करने लगा कि जब भी उसका पति घर पर नहीं हो.. तभी मैं उसके बेटे को ढाल बनाते हुए उसके घर आ जाता था।
मैं उसकी बेटे से मीना के बारे में पूछता था और मैंने एक बार उसके बेटे को कह भी दिया कि उसकी माँ बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत है.. पर वो उम्र में काफ़ी छोटा होने के कारण शायद समझता नहीं था।
ुमैं उसे खूब चॉकलेट खिलाता था और शायद वो मेरी तारीफ अपनी माँ के सामने करता था।
मैंने कई बार मीना और उसकी पति को आपस में झगड़ते हुए भी देखा था। मैंने अपने मन में ठान लिया कि मैं मीना को जरूर पटाऊँगा.. और उसे चोद कर रहूँगा.. ऐसे कब तक मैं उसका नाम लेकर अपना लौड़ा हिलाता रहूँगा।
एक बार मैंने उसके बेटे से कहा- मैं उसे और उसकी माँ को मूवी दिखाने ले जाना चाहता हूँ और मैंने उससे अपनी माँ से पूछने को कहा.. पर शायद मीना ने मना कर दिया..
एक बार मैंने मीना से सीधे बात की कि मैं उसे डेट करना चाहता हूँ.. मैंने उसे अम्पा स्काइवॉक पर चलने को कहा.. तो वो बोली- मुझे उधर जाने में या घूमने-फिरने में कोई इंटरेस्ट नहीं है..
मैं उसे उसके पति की गैर-हाज़िरी में चलने की रिक्वेस्ट करता रहा.. पर वो नहीं मानी।
एक रात मीना का पति घर से बाहर था.. उसी समय उसकी बेटी बीमार पड़ गई.. और उसे इमरजेन्सी हॉस्पिटल एड्मिट कराना था.. सो कोई भी ना होने के कारण मीना ने मुझसे मदद माँगी।
मैंने अस्पताल तक जाने के लिए साधन की व्यवस्था की.. एक बाइक मेरे पास थी और एक मैंने अपने उस दोस्त को बुलाया जिसके पास बाइक थी।
मैंने अपने दोस्त से मीना की बेटी को ले चलने को कहा.. इस पर मेरे दोस्त ने मुझसे फुसफुसा कर कहा- मैं तो मीना को ले जाना चाहता हूँ.. पर मैंने उसे जबाव दिया- अबे उस पर मेरी निगाह है.. और मीना पर तो मैं चान्स मार रहा हूँ.. तू क्यों बीच में रायता फैला रहा है?
फिर क्या था दोस्त मुस्कुरा दिया और उसकी बेटी को अपने साथ ले गया। मैंने मीना को अपने बाइक पर बिठाया और क्लिनिक ले गया। उस वक़्त ट्रैफिक बहुत था। सो मैंने जानबूझ कर कई बार ब्रेक लगाए और जब मैं ब्रेक लगाता तो उसके ठोस मम्मे मेरी पीठ से चिपक कर रगड़ जाते.. मुझे उसके मम्मों की रगड़ से बड़ा सुख मिल रहा था और मेरा लवड़ा खड़ा होने लगा था।
फिर कुछ देर बाद हम क्लिनिक से वापस आ गए। जब घर पहुँचे.. तो मेरा दोस्त चला गया.. और मैं उनके कमरे में उन्हें सहयोग देने आ गया।
मैंने देखा मीना रो रही थी.. मैंने उसे ना रोने के लिए मनाया और वो मुझे अपनी परेशानी बताते हुए रो रही थी।
मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुप कराया साथ ही उसके गरम जिस्म का मजा भी लिया.. शायद मीना को मेरी सहानुभूति भरा रवैया अच्छा लगा।
उस दिन उससे काफी देर तक बात होती रही.. अब तक उसकी बेटी को भी कुछ आराम पड़ गया था।
अब मीना कुछ प्रसन्न सी दिख रही थी और मुझे शुक्रिया कह रही थी।
इस मौके पर.. एक बार फिर मैंने उसे डेट पर चलने के लिए कहा और आज वो मेरी बात मान गई।
मिलने का दिन भी तय हो गया गुरूवार के दिन मिलना तय हुआ था।
मैंने एक कार रिज़र्व की.. उसका पति उस दिन घर पर नहीं था.. बस उसके बेटा-बेटी और एक नौकरानी.. जो करीब सोलह साल की थी.. घर पर थे।
जब मैं नहा-धो कर उसके यहाँ गया और दरवाजे की घंटी बजाई.. तो वो तैयार होकर बाहर निकल आई.. मैं उसे देख कर पागल हो गया।
उसने अपने सर पर चुनरी बाँधी थी और उसके होंठ गुलाबी लिपस्टिक लगे हुए थे.. उसने सफेद कलर की स्पोर्टिंग और सेफ ब्रा पहनी हुई थी.. साथ में स्लिम फिट जीन्स.. छोटा सा चुस्त टॉप और हाईहील की सैंडिल.. कसम मैं तो उसे वहीं पर चूमना चाहता था.. पर अपने आप को किसी तरह रोक लिया.. वो बहुत ही जवान और मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।
मैंने उससे और कपड़े साथ लेने को कहा.. क्योंकि हम क्वीन्सलैंड जा रहे थे।
फिर हम चल दिए.. मैं उसे मीठी-मीठी बातें करके लुभा रहा था और क्वीन्सलैंड पर पहले स्वीमिंग पूल पर गए। वहाँ नहाते समय.. वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मुझे तो छोड़ो.. दूसरे लड़के भी उसे ही घूर रहे थे।
मुझे भी उसकी मचलती जवानी को देख कर उसकी चुदाई करने का मन हो उठा था।
मैंने उसको देख कर आँख मारी तो उसने भी मुझे जबाव में एक फ्लाइंग किस उछाल दी.. मैं समझ गया कि आज ये जरूर चुद जाएगी।
फिर उसने कपड़े बदल लिए और हम पिराता पर गए.. जब पिराता शिप शुरू हुआ तो वो मुझसे डर के मारे चिपकने लगी।
दोस्तो, क्वीन्सलैंड पर बहुत ही डरावने चीजें हैं.. इसलिए वो मुझे मजबूर होकर पकड़ रही थी।
फिर हम काफी समय बिताने के बाद रात तक घर लौट आए।
अब हम दोनों काफ़ी खुल चुके थे, मुझे लगने लगा था कि यह अब मुझसे फंस चुकी है।
इसके बाद एक बार में उसे स्काइवॉक ले गया.. वो बहुत ही एक्सपेन्सिव कपड़े मुझसे खरीदवा रही थी.. पर मुझे मालूम था कि औरतें तो ऐसी ही होती हैं।
फिर जब रात 8:30 हम ऑटो से वापस जा रहे थे.. तो हमारे बीच बहुत बिंदास बातें हो रही थी। वो मुझसे खूब हँस कर बातें कर रही थी.. तो मुझे ठरक चढ़ गई और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया, फिर मैंने उसके गुलाबी होंठों को चूम लिया।
वो मेरे इस कदम से भड़क उठी और उसने मुझे एक धक्का दे दिया.. वो मुझसे छिटक कर दूर हो गई और उसने अपने होंठों को मुझसे छुड़ा लिया.. पर फिर मैंने दुबारा उसे ज़बरदस्ती अधर चुम्बन किया.. इस बार वो मुझसे गुस्सा हो गई मगर उसके गुस्से से ऐसा नहीं लगा कि उसको मेरी हरकत ऐसी लगी हो जो वह अपने पति से कह दे।
मैंने उससे ‘सॉरी’ कहा.. पर वो मुझसे गुस्सा हो रही थी।
फिर ऑटो वाले को मैंने घर पहुँचने से पहले रोक दिया और हम पैदल ही गहर की तरफ चल दिए।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ..
उसने कहा- मैं शादीशुदा हूँ और मेरे दो बच्चे भी हैं।
मैंने उसका हाथ पकड़ा.. पर उसने हाथ मुझसे छुड़ा लिया।
फिर मैं कुछ नहीं बोला.. कुछ ही पलों में हम घर पहुँच गए थे। मैं उसके कमरे तक गया.. वो मुझे गुस्से में भी बहुत क्यूट लग रही थी.. बल्कि उसका गुस्सा वाली सूरत तो उसे और भी सेक्सी बना रही थी।
मैंने उसे खूब मनाया.. पर वो ना मानी। दूसरे दिन मैंने उसके बेटे से फूल भिजवाए और दूसरे दिन में कहीं नहीं गया।
भले वो मुझसे गुस्सा थी पर तब भी मुझमे कुछ आत्मविश्वास जाग गया था। मैं उसके घर आया.. अब मुझमें उसे चोदने की हिम्मत आ चुकी थी और मेरे अन्दर शैतान जाग उठा था।
उसका बेटा स्कूल गया हुया था.. मैं सीधा उसके कमरे में गया। जब मैं कमरे के अन्दर घुसा तो मैंने देखा कि वो केवल एक सफेद पेटीकोट अपनी चूचियों तक चढ़ा कर लेटी हुई थी और सो रही थी.. पास ही उसकी बेटी भी सोई थी।
मैंने देखा कि उसकी बगलें पूरी शेव की हुई थीं और वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी।
मैं अपने कामातुर लौड़े को नहीं संभाल पाया.. वो जाग उठा था।
मैं चुपचाप उसके पास आया.. उसके पेटीकोट को नीचे सरकाया और उसकी चूचियां नंगी हो गईं.. फिर क्या था मैं तो चुदास से भरा हुआ था ही.. सो मैंने उसकी चूचियों को धीरे-धीरे सहलाया.. दबाया.. और फिर चूसने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी नारंगियों से खेलता रहा.. तभी अचानक वो जाग गई। उसने मुझे उसके मम्मों को चूसते देखा.. तो वो आग-बबूला हो गई।
उसने बिस्तर से उठ कर मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा और मुझे गालियां देने ही वाली थी.. कि मैंने उसे उठा कर वापस बिस्तर पर फेंका और उसके ऊपर कूद कर अपना लौड़ा हाथ में लिया.. जो 8 इन्च लम्बा और 3 इन्च मोटा हो चुका था।
मैंने फिर उसके होंठों को चूमा.. उसके मम्मों पर थप्पड़ मारे और खूब जोर से दबाए.. पर उसने फिर मुझे धकेला और चिल्लाने की धमकी दी।
दउसकी धमकी से मैं भी शांत हो गया और हार मान कर वहाँ से निकल आया।
मैं तो उसका दीवाना हो गया --1
दोस्तो, मैं जय.. 23 साल का हूँ.. मैं दमन में जॉब कर रहा हूँ और यहाँ मैं एक अपार्टमेंट में किराए पर रहता हूँ। मेरा कमरा एक सिंगल कमरा है और मैं यहाँ अकेला ही रहता हूँ।
मेरे पड़ोस में एक मणिपुरी फैमिली रहती है। उस फैमिली का मुखिया.. जो कि 39 वर्ष का है.. उसका नाम शशिकांत और उनकी बीवी मीना.. जो 34 साल की है.. उनका बेटा सात साल का है और बेटी 5 साल की है।
मीना बहुत ही खूबसूरत औरत है.. मैं उसे कई बार देखता था। जब भी वो मुझे दिखती.. मैं उसके गुलाबी होंठों को चूमने को आतुर हो उठता था।
वो बहुत ही मॉडर्न टाइप की माल किस्म की कामुक औरत है और बहुत ही जवान दिखती है.. क्योंकि वो शादीशुदा होते हुए भी काफ़ी सेक्सी ड्रेस पहनती थी.. मेरा मतलब मिनी स्कर्ट.. छोटा सा टॉप.. और वो बहुत मेकअप भी करती थी।
मीना गोरे रंग की थी.. उसकी आँखें छोटी थीं.. स्लिम फिगर और मम्मों का नाप लगभग 34″ का है।
जब भी वो अपने घर से बाहर निकलती.. तो हाई हील पहनती और वो अक्सर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाती थी.. जो उस पर एकदम सेक्सी लगती थी।
मेरे दोस्त भी जब मेरे कमरे पर आते.. तो उसे देख कर बोलते थे- क्या मस्त माल है..
मैं तो उसका दीवाना हो गया था.. जब से मैंने उसको देखा था.. बस किसी भी तरह उसे चोदना चाहता था। मैं उसे याद करके कई बार मुठ्ठ भी मारता था।
वो एक हाउस वाइफ जरूर थी.. पर वो एक पढ़ी-लिखी औरत थी।
मीना का पति एयरपोर्ट पर जॉब करता था और कई-कई दिनों तक घर से बाहर ही रहता था.. उनका बेटा स्कूल में पढ़ता था।
जब भी उसके पति घर आता.. वो उसके शॉपिंग करने जाती थी.. उसको खरीददारी का बहुत शौक था। जब भी वो कमरे के बाहर आती थी.. मैं उसे पागल कुत्ते की तरह घूरता रहता था।
एक बार उसका पति बाहर से फ्रिज लाया और उसे कमरे पर लाने के लिए आदमी चाहिए था।
मैंने उनके बिन बुलाए उनके फ्रिज को उनके कमरे तक उठाने में मदद की.. इस तरह मेरी उनसे दोस्ती हो गई.. उन्होंने मुझे प्रेम से बिठाया.. चाय पिलाई और मेरे बारे में पूछा।
मैंने अपने बारे में उन्हें बताया और साथ ही उनके बारे में भी जानकारी ली। मैंने इस परिचय के साथ ही मीना को भाभी भी कहा.. वो मुस्कुरा दी।
अब जब भी वो दिखाई देती.. मैं उससे भाभी कह कर बात करता था।
जाने-अंजाने में मेरी उसके बेटे के साथ दोस्ती हो गई.. क्योंकि उनके बेटे के साथ मैं क्रिकेट खेलने लगा था। वो मुझे चाचा जी कह कर बुलाने लगा था और में भी उससे क्लोज़ हो गया था.. पर मेरे मन में तो उसकी माँ को चोदने का ख्याल था।
अब मैंने उसके बेटे के जारिए मीना को पटाने का प्लान बनाया। मैंने उसके बेटे को क्रिकेट का कैप्टन बनाया.. इसी बहाने मौका पाते ही उनके घर आने लगा।
इस तरह में मीना को देख पाता और मीना से बातें करने का मौका भी मिल जाता।
उसका पति मुझसे बहुत फ्रेंडली बात नहीं करता था.. दरअसल वो बहुत ही रूखे स्वभाव का व्यक्ति था.. पर मुझे उससे क्या लेना-देना था। मुझे तो उसकी कामुक बीवी को चोदना था.. सो अब मैं प्रयास करने लगा कि जब भी उसका पति घर पर नहीं हो.. तभी मैं उसके बेटे को ढाल बनाते हुए उसके घर आ जाता था।
मैं उसकी बेटे से मीना के बारे में पूछता था और मैंने एक बार उसके बेटे को कह भी दिया कि उसकी माँ बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत है.. पर वो उम्र में काफ़ी छोटा होने के कारण शायद समझता नहीं था।
ुमैं उसे खूब चॉकलेट खिलाता था और शायद वो मेरी तारीफ अपनी माँ के सामने करता था।
मैंने कई बार मीना और उसकी पति को आपस में झगड़ते हुए भी देखा था। मैंने अपने मन में ठान लिया कि मैं मीना को जरूर पटाऊँगा.. और उसे चोद कर रहूँगा.. ऐसे कब तक मैं उसका नाम लेकर अपना लौड़ा हिलाता रहूँगा।
एक बार मैंने उसके बेटे से कहा- मैं उसे और उसकी माँ को मूवी दिखाने ले जाना चाहता हूँ और मैंने उससे अपनी माँ से पूछने को कहा.. पर शायद मीना ने मना कर दिया..
एक बार मैंने मीना से सीधे बात की कि मैं उसे डेट करना चाहता हूँ.. मैंने उसे अम्पा स्काइवॉक पर चलने को कहा.. तो वो बोली- मुझे उधर जाने में या घूमने-फिरने में कोई इंटरेस्ट नहीं है..
मैं उसे उसके पति की गैर-हाज़िरी में चलने की रिक्वेस्ट करता रहा.. पर वो नहीं मानी।
एक रात मीना का पति घर से बाहर था.. उसी समय उसकी बेटी बीमार पड़ गई.. और उसे इमरजेन्सी हॉस्पिटल एड्मिट कराना था.. सो कोई भी ना होने के कारण मीना ने मुझसे मदद माँगी।
मैंने अस्पताल तक जाने के लिए साधन की व्यवस्था की.. एक बाइक मेरे पास थी और एक मैंने अपने उस दोस्त को बुलाया जिसके पास बाइक थी।
मैंने अपने दोस्त से मीना की बेटी को ले चलने को कहा.. इस पर मेरे दोस्त ने मुझसे फुसफुसा कर कहा- मैं तो मीना को ले जाना चाहता हूँ.. पर मैंने उसे जबाव दिया- अबे उस पर मेरी निगाह है.. और मीना पर तो मैं चान्स मार रहा हूँ.. तू क्यों बीच में रायता फैला रहा है?
फिर क्या था दोस्त मुस्कुरा दिया और उसकी बेटी को अपने साथ ले गया। मैंने मीना को अपने बाइक पर बिठाया और क्लिनिक ले गया। उस वक़्त ट्रैफिक बहुत था। सो मैंने जानबूझ कर कई बार ब्रेक लगाए और जब मैं ब्रेक लगाता तो उसके ठोस मम्मे मेरी पीठ से चिपक कर रगड़ जाते.. मुझे उसके मम्मों की रगड़ से बड़ा सुख मिल रहा था और मेरा लवड़ा खड़ा होने लगा था।
फिर कुछ देर बाद हम क्लिनिक से वापस आ गए। जब घर पहुँचे.. तो मेरा दोस्त चला गया.. और मैं उनके कमरे में उन्हें सहयोग देने आ गया।
मैंने देखा मीना रो रही थी.. मैंने उसे ना रोने के लिए मनाया और वो मुझे अपनी परेशानी बताते हुए रो रही थी।
मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुप कराया साथ ही उसके गरम जिस्म का मजा भी लिया.. शायद मीना को मेरी सहानुभूति भरा रवैया अच्छा लगा।
उस दिन उससे काफी देर तक बात होती रही.. अब तक उसकी बेटी को भी कुछ आराम पड़ गया था।
अब मीना कुछ प्रसन्न सी दिख रही थी और मुझे शुक्रिया कह रही थी।
इस मौके पर.. एक बार फिर मैंने उसे डेट पर चलने के लिए कहा और आज वो मेरी बात मान गई।
मिलने का दिन भी तय हो गया गुरूवार के दिन मिलना तय हुआ था।
मैंने एक कार रिज़र्व की.. उसका पति उस दिन घर पर नहीं था.. बस उसके बेटा-बेटी और एक नौकरानी.. जो करीब सोलह साल की थी.. घर पर थे।
जब मैं नहा-धो कर उसके यहाँ गया और दरवाजे की घंटी बजाई.. तो वो तैयार होकर बाहर निकल आई.. मैं उसे देख कर पागल हो गया।
उसने अपने सर पर चुनरी बाँधी थी और उसके होंठ गुलाबी लिपस्टिक लगे हुए थे.. उसने सफेद कलर की स्पोर्टिंग और सेफ ब्रा पहनी हुई थी.. साथ में स्लिम फिट जीन्स.. छोटा सा चुस्त टॉप और हाईहील की सैंडिल.. कसम मैं तो उसे वहीं पर चूमना चाहता था.. पर अपने आप को किसी तरह रोक लिया.. वो बहुत ही जवान और मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।
मैंने उससे और कपड़े साथ लेने को कहा.. क्योंकि हम क्वीन्सलैंड जा रहे थे।
फिर हम चल दिए.. मैं उसे मीठी-मीठी बातें करके लुभा रहा था और क्वीन्सलैंड पर पहले स्वीमिंग पूल पर गए। वहाँ नहाते समय.. वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मुझे तो छोड़ो.. दूसरे लड़के भी उसे ही घूर रहे थे।
मुझे भी उसकी मचलती जवानी को देख कर उसकी चुदाई करने का मन हो उठा था।
मैंने उसको देख कर आँख मारी तो उसने भी मुझे जबाव में एक फ्लाइंग किस उछाल दी.. मैं समझ गया कि आज ये जरूर चुद जाएगी।
फिर उसने कपड़े बदल लिए और हम पिराता पर गए.. जब पिराता शिप शुरू हुआ तो वो मुझसे डर के मारे चिपकने लगी।
दोस्तो, क्वीन्सलैंड पर बहुत ही डरावने चीजें हैं.. इसलिए वो मुझे मजबूर होकर पकड़ रही थी।
फिर हम काफी समय बिताने के बाद रात तक घर लौट आए।
अब हम दोनों काफ़ी खुल चुके थे, मुझे लगने लगा था कि यह अब मुझसे फंस चुकी है।
इसके बाद एक बार में उसे स्काइवॉक ले गया.. वो बहुत ही एक्सपेन्सिव कपड़े मुझसे खरीदवा रही थी.. पर मुझे मालूम था कि औरतें तो ऐसी ही होती हैं।
फिर जब रात 8:30 हम ऑटो से वापस जा रहे थे.. तो हमारे बीच बहुत बिंदास बातें हो रही थी। वो मुझसे खूब हँस कर बातें कर रही थी.. तो मुझे ठरक चढ़ गई और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया, फिर मैंने उसके गुलाबी होंठों को चूम लिया।
वो मेरे इस कदम से भड़क उठी और उसने मुझे एक धक्का दे दिया.. वो मुझसे छिटक कर दूर हो गई और उसने अपने होंठों को मुझसे छुड़ा लिया.. पर फिर मैंने दुबारा उसे ज़बरदस्ती अधर चुम्बन किया.. इस बार वो मुझसे गुस्सा हो गई मगर उसके गुस्से से ऐसा नहीं लगा कि उसको मेरी हरकत ऐसी लगी हो जो वह अपने पति से कह दे।
मैंने उससे ‘सॉरी’ कहा.. पर वो मुझसे गुस्सा हो रही थी।
फिर ऑटो वाले को मैंने घर पहुँचने से पहले रोक दिया और हम पैदल ही गहर की तरफ चल दिए।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ..
उसने कहा- मैं शादीशुदा हूँ और मेरे दो बच्चे भी हैं।
मैंने उसका हाथ पकड़ा.. पर उसने हाथ मुझसे छुड़ा लिया।
फिर मैं कुछ नहीं बोला.. कुछ ही पलों में हम घर पहुँच गए थे। मैं उसके कमरे तक गया.. वो मुझे गुस्से में भी बहुत क्यूट लग रही थी.. बल्कि उसका गुस्सा वाली सूरत तो उसे और भी सेक्सी बना रही थी।
मैंने उसे खूब मनाया.. पर वो ना मानी। दूसरे दिन मैंने उसके बेटे से फूल भिजवाए और दूसरे दिन में कहीं नहीं गया।
भले वो मुझसे गुस्सा थी पर तब भी मुझमे कुछ आत्मविश्वास जाग गया था। मैं उसके घर आया.. अब मुझमें उसे चोदने की हिम्मत आ चुकी थी और मेरे अन्दर शैतान जाग उठा था।
उसका बेटा स्कूल गया हुया था.. मैं सीधा उसके कमरे में गया। जब मैं कमरे के अन्दर घुसा तो मैंने देखा कि वो केवल एक सफेद पेटीकोट अपनी चूचियों तक चढ़ा कर लेटी हुई थी और सो रही थी.. पास ही उसकी बेटी भी सोई थी।
मैंने देखा कि उसकी बगलें पूरी शेव की हुई थीं और वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी।
मैं अपने कामातुर लौड़े को नहीं संभाल पाया.. वो जाग उठा था।
मैं चुपचाप उसके पास आया.. उसके पेटीकोट को नीचे सरकाया और उसकी चूचियां नंगी हो गईं.. फिर क्या था मैं तो चुदास से भरा हुआ था ही.. सो मैंने उसकी चूचियों को धीरे-धीरे सहलाया.. दबाया.. और फिर चूसने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी नारंगियों से खेलता रहा.. तभी अचानक वो जाग गई। उसने मुझे उसके मम्मों को चूसते देखा.. तो वो आग-बबूला हो गई।
उसने बिस्तर से उठ कर मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा और मुझे गालियां देने ही वाली थी.. कि मैंने उसे उठा कर वापस बिस्तर पर फेंका और उसके ऊपर कूद कर अपना लौड़ा हाथ में लिया.. जो 8 इन्च लम्बा और 3 इन्च मोटा हो चुका था।
मैंने फिर उसके होंठों को चूमा.. उसके मम्मों पर थप्पड़ मारे और खूब जोर से दबाए.. पर उसने फिर मुझे धकेला और चिल्लाने की धमकी दी।
दउसकी धमकी से मैं भी शांत हो गया और हार मान कर वहाँ से निकल आया।
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