FUN-MAZA-MASTI
नौकरानी की मजबूरी
आज मैं आपको अपनी नौकरानी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसका सुखा
मेरा बेताब लंड की जनता है | मैंने पहली बार अपनी नौकरानी मेरे बाजु वाले
घर में झाड़ू लगते हुए देखा था और मेरी नज़रें उसके लटक रहे मोटे चुचों पर
ही अटक गयी थी मैंने तभी फैसला किया की इसे किसी भी तरह अपने घर के पर काम
पर लगाना है और प्यास भी इसी से भुजानी है | मैंने अगले ही पल अम्मा से
मेरे घर में काम करने को कहा और पगार भी दुगनी बताई जिससे मेरे घर पर काम
करने को राज़ हो आ गयी | अब तो दोस्तों मैं रोज जब भी वो काम करती तो मैं
उसके सामने ही खड़ा रहता और उसके चुचों और पीछे मटके वाली गांड को देख दिल
बहलाता रहता |
अब जब मेरा मन हद्द पार करने को करने लगा तो मैंने एक बार अम्मा को पीछे जकड किया और उसके चुचों को भींचने लगा पर अम्मा ने मुझे दुत्कार दिया और कहने लगी की ऐसा अगली बार हुआ तो वो काम छोड़ के चली जाएगी | दोस्तों मैं भी अब चिंता में पड़ गया की उसकी चुत चोदुं तो आखिर कैसे . . . ! ! तभी एक मेरी नौकरी ने मुझसे कुछ हज़ार रुपियों की गुजारिश और मैं उसकी मजबूरी का फाइदा उठाते हुए अपने प्यास भुजाने की बात रख दी | वो करती भी तो क्या करती बस थोडा सोच विचार कर खुदबाखुद मेरे कमरे में आ गयी और अपने साडी के पल्लू को हटाकर मेरे जवाब सवाल का जवाब दे दिया |
मैंने वक्त ना बर्बाद करते हुए उसके ब्लासु के उप्पर से ही चुचों को भींचते हुए उसकी साड़ी खोल दी और ब्लाउस और पेटीकोट का नाडा भी खोल उतार दिया | मेरी नौकरानी के चुचे अब मेरे सामने थे जिन्हें मैंने बस पहले जी भर के दबाते हुए चूसा और हीर उसे अपने बिस्तर पर चढा लिया | मैं उसके चूचकों को साथ मस्त में हस हस के खेलने लगा और बीच में उसके उप्पर चढ़कर उसके चुचों को पिने लगा | मैं लंड को तैनात करते हुए उसकी चुत की फांकों के बीच रगड़ने लगा जिसपर मेरी नौकरानी पगलाके इधर उधर मटकने लगी | मैंने अब उसकी चुत में अपनी उँगलियों को अंदर – बाहर करना शुरू कर दिया |
कुछ देर बाद उसकी चुत गीली हो गई और अब अपनी नौकरानी के बाजु लेटकर उसकी की टांगों के बीच में अपने लंड को घुसाते हुए उसकी चुत में ठूंस ही डाला | अब मैं बस कुत्ते की तरह अपनी नौकरानी की मनपसंद चुत के उप्पर चढ के चोद रहा था और सिस्कारियां लेटी हुई अपने नाखूनों को दर्द के मारे मेरी पीठ पर गाढ रही थी | मैंने अब आराम लेटे हुए बीच में उसकी चुत को अपनी जीभ से चटा भी और फिर चिकने करने बाद ज़ोरदार झटकों से चोदो और परिणाम में कुछ ही देर बाद मेरा मुठ निकल पड़ा और उसकी चुत पर जा गिरा | मैं अब थककर अपनी नौकरानी की गोद में लेटते हुए उसके चुचों को चूस रहा था और सही वक्त पर उसकी ज़रूरत की रकम भी पकड़ा दी |
अब जब मेरा मन हद्द पार करने को करने लगा तो मैंने एक बार अम्मा को पीछे जकड किया और उसके चुचों को भींचने लगा पर अम्मा ने मुझे दुत्कार दिया और कहने लगी की ऐसा अगली बार हुआ तो वो काम छोड़ के चली जाएगी | दोस्तों मैं भी अब चिंता में पड़ गया की उसकी चुत चोदुं तो आखिर कैसे . . . ! ! तभी एक मेरी नौकरी ने मुझसे कुछ हज़ार रुपियों की गुजारिश और मैं उसकी मजबूरी का फाइदा उठाते हुए अपने प्यास भुजाने की बात रख दी | वो करती भी तो क्या करती बस थोडा सोच विचार कर खुदबाखुद मेरे कमरे में आ गयी और अपने साडी के पल्लू को हटाकर मेरे जवाब सवाल का जवाब दे दिया |
मैंने वक्त ना बर्बाद करते हुए उसके ब्लासु के उप्पर से ही चुचों को भींचते हुए उसकी साड़ी खोल दी और ब्लाउस और पेटीकोट का नाडा भी खोल उतार दिया | मेरी नौकरानी के चुचे अब मेरे सामने थे जिन्हें मैंने बस पहले जी भर के दबाते हुए चूसा और हीर उसे अपने बिस्तर पर चढा लिया | मैं उसके चूचकों को साथ मस्त में हस हस के खेलने लगा और बीच में उसके उप्पर चढ़कर उसके चुचों को पिने लगा | मैं लंड को तैनात करते हुए उसकी चुत की फांकों के बीच रगड़ने लगा जिसपर मेरी नौकरानी पगलाके इधर उधर मटकने लगी | मैंने अब उसकी चुत में अपनी उँगलियों को अंदर – बाहर करना शुरू कर दिया |
कुछ देर बाद उसकी चुत गीली हो गई और अब अपनी नौकरानी के बाजु लेटकर उसकी की टांगों के बीच में अपने लंड को घुसाते हुए उसकी चुत में ठूंस ही डाला | अब मैं बस कुत्ते की तरह अपनी नौकरानी की मनपसंद चुत के उप्पर चढ के चोद रहा था और सिस्कारियां लेटी हुई अपने नाखूनों को दर्द के मारे मेरी पीठ पर गाढ रही थी | मैंने अब आराम लेटे हुए बीच में उसकी चुत को अपनी जीभ से चटा भी और फिर चिकने करने बाद ज़ोरदार झटकों से चोदो और परिणाम में कुछ ही देर बाद मेरा मुठ निकल पड़ा और उसकी चुत पर जा गिरा | मैं अब थककर अपनी नौकरानी की गोद में लेटते हुए उसके चुचों को चूस रहा था और सही वक्त पर उसकी ज़रूरत की रकम भी पकड़ा दी |
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