FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--56
गतांक से आगे ...........
उसके बाद मटन के आइटम...
मटन गिलाफी सीक, मटन मटन मेथी सीक , मटन काकोरी कबाब और मटन लैम्ब चाप इन सिनेमम सास.
फिर फिश फिंगर और फिश बटर फ्राई भी थी. इसके अलावा, झींगा लासुनी, थाई श्रिम्प केक और चिली गार्लिक प्रान....
" तुमने कभी नान वेज नहीं खाया ना..." गुड्डी के होंठो के बीच में एक गिलाफी सीक था...
" न..' मैं वाइन की ग्लास हाथ में घुमाते बोल रहा था.
" घर में और कोई..." गुड्डी ने फिर पुछा ...
" तुम्हे मालूम है...भाभी तो खाती है और कोई नहीं..."
सामने वाइन का ग्लास तो मैंने भर लिया था ...लेकिन...
" नहीं खाओगे पक्का ...." उसने मेरा इरादा टेस्ट किया.
" नहीं..." मैंने अपने निश्चय को पक्का करते हुए कहा....और गुड्डी के ग्लास मैं भी वाइन डाल दी.
" चलो ...मैं कहूँगी भी नहीं...."
और अब वो मेरी ओर और सरक आई एक दम सट के...और उसका हाथ मेरे कंधे पे ...उसने मुझे अपनी ओर खिंच रखा था.
चिकेन लालीपॉप उसके मुंह में था और वो मेरे मुंह के पास अपना मुंह ला के बोली...
" वैसे है बहोत स्वादिष्ट..."
मैं क्या बोलता...
" मुंह खोलो खूब बड़ा सा..." गुड्डी बोली.
मैं सशंकित...क्यों...मैंने धीमे से पुछा.
" अभी क्या तय हुआ था....उस समय मैं तुम्हारी सब बात मानूंगी और बाकि समय तुम....और इतनी जल्दी...मुंह ही खोलने को कह रही हूँ...और कुछ खोलने को तो नहीं कह रही हूँ."
मैंने मुंह खोल दिया.
" आँखे बंद..."
मैंने आँखे बंद कर लीं.
और अगले पल लालीपाप मेरे मुंह के अन्दर और गुड्डी मेरी गोद में...
" यार तेरे हाथ मार कुटाई कर के थक गए होंगे और अभी वो तान्या आती होगी...उसका भी जोबन मर्दन करना होगा...तो चलो थोडा आराम करो और थोडा प्रैक्टिस ....मेरे हाथ गुड्डी के जोबन पे थे वो भी ऊपर से नहीं
गुड्डी ने अपने कुरते के बटन खोल कर अन्दर सीधे वहीँ...
बाकी का लालीपॉप गुड्डी के होंठो से कुचला कुचलाया....
मेरे हाथ गुड्डी के रसीले उभारों का रस लूट रहे थे...
थोड़ी देर में पूरा प्लेटर और वाइन की बाटल ख़तम हो गयी थी...
थोडा गुड्डी के हाथों से गया...थोडा गुड्डी के मुंह से और काफी कुछ मेरी जीभ ने गुड्डी के मुंह में जा कर निकाल कर...मुख रस में लिथड़ा....अधखाया ...कुचला...
और इस दौरान एक पल के लिए भी.... दूकान में हुयी घटना...वो गुंडे...वो पोलिस वाले जो हम लोगों को अन्दर करना चाहते थे...और बाद में जो डी बी ने बताया की जिससे मैं भिड गया था...शुक्ला एक नोन गैंगस्टर था...कुछ भी नहीं याद आया...
गुड्डी ने जैसे सब कुछ इरेज कर दिया है और हम लोग सीधे उस के घर से रीत के पास से ...अपने घर जा रहे हों...और बीच में हुआ जो वो एक दुस्वप्न था जिसे हम लोग भूल चुके हों.
गुड्डी ने पुछा ....मीनू देखे या...और खुद ही फैसला कर दिया...उस छैल छबीली को ही बोल देते हैं और फोन उठा के गुड्डी ने बोल दिया मैंने सिर्फ हाँ हूँ...एकदम सुना.
( पता ये चला की अबकी फिर गुड्डी ने नान वेज का ही आर्डर कर दिया और पूछने पे बोला की...कौन दिमाग लगाए...खाना तो खाना...)
जब तक मेन कोर्स आता मैं बाथरूम में जाके अपने कपडे पहन के वापस आगया .
और उसी समय तान्या फिर फूड ट्राली के साथ आई.
हम लोगों का पेट तो स्टार्टर्स से ही काफी भर गया था...लेकिन फिर भी इसरार कर के ...और इस बार भी
...लैम्ब विद पोर्ट -रेड वाइन सास, चेत्तिनाड मटन करी और लखनवी चिकेन दो प्याजा..साथ में असारटेड ब्रेड और हैदराबादी बिरयानी.
तान्या थी तो गुड्डी खिलाती नहीं ...तो मुझे अपने हाथ से ही...नान वेज खाना पड़ा ...और गुड्डी कनखियों से देख के मुस्करा रही थी...जैसे कह रही हो देखा ...अभी तो ये शुरुआत है...देखो क्या क्या करवाती हूँ तुमसे...
खाने के बाद जब गुड्डी बात रूम गयी तो ...तान्या ने राज खोला...मेरी खातिर डी बी के चक्कर में तो हो ही रही थी लेकिन कुछ कुछ मेरे चक्कर में भी...
शुक्ला के पकडे जाने को पुलिस ने दबा कर रखा था...और मुझे तो वैसे भी कोई नहीं जानता था...
लेकिन थोड़ी बहोत खबर लग गयी थी.
शुक्ला के नाम पे हर होटल में एक स्यूट रिजर्व रहता था ...इसके आलावा ताज, क्लार्क हर जगह ...एक कमरा होटेल वालों को खाली रखना पड़ता था...उसकी मर्जी जहाँ रुके...और ऐयाशी भी उसने काफी शुरू कर दी थी...सेक्स के साथ साथ वो सैडिस्ट भी था...
इसलिए और सब उस से डरते थे...
तान्या पे भी उसकी नजर थी और वो बोल के गया था की अगली बार वो होटल में आया तो रात उसे ..उसके साथ ही गुजाने पड़ेगी...होटल के मैनेजर को उसने बोला था की आपकी लड़की शाम को चार बजे लहुराबीर कोचिंग के लिए जाती है....
स्वीट डिश में ....राबड़ी गुलाब जामुन ...लेकिन गुलाब जामुन के चारों बूंदी लगी थी ...मीठी बूंदी...
हमने स्वीट डिश शुरू ही किया था की मेरा फोन बजा...लेकिन कोई नंबर नहीं...
मैंने फिर ध्यान से देखा...लिखा था ....प्राइवेट नम्बर
अचानक मुझे ध्यान आया ...डी बी का नंबर ..उनसे मुझे एस एम् एस किया था की कोई खास बात होगी तो मुझे वो इस नम्बर से रिंग करेगा...
मैंने फ़ोन उठाया...
" टीवी देख रहे हो...." वो बोला.
" हाँ..."
टीवी पर गाना आ रहा था हंटर वाला...
आई ऍम अ हंटर एंड शी वांट तो सी माई गन ..
व्हेन आई पुल इट आउट द वोमन स्टार्ट टू रन
ऊ ऊ ....
आवाज उनके फोन पे जा रही होगी...
" अरे लोकल चेंनेल लगाओ न्यूज .." वो बोला.
मैंने तान्या को इशारा किया ..उसने चैनेल चेंज कर बी एन एन ( बनारस न्यूज नेटवक ) लगाया.
एक स्कूल की धुंधली फोटो आ रही थी नाम भी सही नहीं सुनाई दे रहा था....
एक न्यूज कास्टर सामने खड़ा बोल रहा था..
.नीचे ब्रेकिंग न्यूज भी चल रही थी....
.कन्या विद्यालय मैं दो लोगो ने लड़कियों को बंधक बनाया...आतंकी हमला होने की आंशंका
गुड्डी उठ के खड़ी हो गयी ये तो मेरा स्कूल है...
" तुम्हे कुछ मालूम है इस इलाके के बारे में...हम ने रेड अलर्ट डिक्लेयर कर दिया है..." डी बी की आवाज फोन पे आ रही थी...
" में...हम आ सकते हैं. ? मैंने पुछा....
" आ जाओ में कंट्रोल रूम में हूँ कोतवाली में स्कूल भी पास में ही है..." और उसने फोन रख दिया...
न्यूज चैनेल ने अब ढेर सारी पोलिस की गाडी ..अम्बुलेंस ...वो एरिया अब बैरिकेड कर दिया गया था...
बाकी चैनेल ने भी न्यूज पिक अप कर ली थी...इण्डिया टी वि चीख चीख कर कह रहा था ..साबसे पहले इस चैनेल पे ब्रेकिंग न्यूज...एक नया आतंकी हमला...सरकार फेल
उइयी माँ गुड्डी अचानक चीखी...
" गूंजा...."
" क्या हुआ गूंजा को " मैंने पूछा...
" अरे स्कूल की तो छुट्टी हो गयी थी तो...उसके क्लास की ...बोला था ना उसने एक्स्ट्रा क्लास है ...ये उसी के क्लासकी ...लड़कियां होंगी ..." गुड्डी की आवाज रुनांसी हो गयी थी.
" अरे हम लोग चलते हैं ना चलो...." गुड्डी को बोला मैंने .वो हाथ धोने बाथरूम चली गयी
" आप हो न कुछ नहीं होगा..." तान्या बोली
एक और चैनेल अब बोल रहा था था. " हालांकि पोलिस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है...लेकिन हामरे सोरेसेज के अनुसार ये आतंकी हमला ही लगता है...क्योंकि बंधक बानें वालों ने एक बाम्ब का प्रयोग किया है..
.डी जी पोलिस ने लखनउ से बताया है की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है ...
.मुख्यमंत्री इटावा से वापस आ रहे हैं....
अभी अभी खबर आई है की कुल २२ लड़कियों में से १९ बंधकों के घुसने के समय निकल भागीं लेकिन ३ लड़कियां बंधक हैं...उन का नाम पुलिस ने बताने से इनकार किया है....
मोबाईल , पुलिस की गाडी बाहर खड़ी थी. हम लोग सीधे उसी में जाकर बैठ गए.
अचानक मुझे याद आया...चंदा भाभी कहीं वो टी वी तो नहीं देख रही होंगी...और वो चैनेल देख कर... घबडा तो नहीं रही होंगी.
गुड्डी ने ऐस्योर किया ..".नहीं वो नार्मली सोती हैं...और ज्यादातर लड़कियां तो चैनेल बता रहा था की निकल गयी थीं...तो गुंजा निकल ही गयी होगी ....और अगर हम लोगों ने फोन किया तो पहले तो जवाब दो की हम लोग अब तक गये क्यों नहीं ...फिर वो कहेंगी की घर आ जाओ और फिर की ये शहर में टेंशन है ..तो आज मत जाओ...तो फिर तो ..."
जिस तरह गुड्डी का चेहरा उदास हो गया...मैं समझ गया...रात की बात सोच के... की हम लोगो ने जो इतनी प्लानिंग की है सब जस की तस धरी रह जायेगी...अगर हम रात तक घर न पहुंचे."
अब उसके बाद तो गुंजा के घर फोन करने की बात ही नहीं थी..फिर मैने भी सोचा की वो लोग बेकार में परेशान होंगे
जगह पोलिस के बैरिकेड लगे थे..उस डायरेक्शन में जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा था..टेंशन महसूस किया जा सकता था....आफिस जल्दी बंद हो रहे थे...यहाँ तक की रिक्शे वाले भी बजाय सवारी लेने के अपने घरों को वापस जा रहे थे...जगह जगह टी.वि की दुकानों पे..जहाँ कही भी टी.वि लगा था ...भीड़ लगी थी.
.जैसे जैसे हम लोग कोतवाली की और जा रहे थे..सड़क खाली लग रही थी ..रस्ते में जो भी मंदिर मस्जिद पड़ती गुड्डी आंखे बंद कर हाथ जोड़ लेती थी. बस हम यही मन रहे थे की वहां फसी लड़कियों में गुंजा ना हो...न हो...जब हम लोग कबीर चौरा हास्पिटल के सामने से निकले तो वहां से ऐम्बुलेंसेज कोतवाली की और जा रही थीं...हम लोगों का डर और बढ़ गया. टाउन हाल के आगे तो एकदम सन्नाटा था...खाली पोलिस की गाडी दिख रही थी...फायर ब्रिगेड वाले भी आ गए थे...चैनेल वालों की भी गाड़ियाँ थी एक दो जगह से न्यूज कास्टर खड़े हो के बता रहे थे की वो स्कूल बस यहाँ से ४०० मीटर दूरी पे है...
चारों ओर टेंशन साफ झलक रहा था. सब के चेहरे पे हवाइयां उड़ रही थीं....स्कूल के बगल से हम गुजरे ... वहां आसपास की बिल्डिंग्स खाली करायी जा रही थीं. बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के दो दस्ते खड़े थे. एक ट्रक से काली डूंगरी पहने कमांडो दस्ते उतर रहे थे.
गुड्डी का दिल धकधक कर रहा था. मेरा भी...सुबह हम लोग ...आज दिन भर इतनी मस्ती से लेकिन अचानक...कुछ समझ नही आ रहा था. तब तक हम लोगों की गाडी सीधे कोतवाली में कंट्रोल रूम के सामने जाकर रुकी. ड्राइवर हम लोगों को सीधे अन्दर ले गया.
अन्दर भी बहोत गहमागहमी थी. पुलिस के अलावा अन्य डिपार्टमेंट्स के भी लोग थे...सिटी मजिसट्रेट, सिवल डिफेंस के लोग...डाक्टर्स ....ड्राइवर ने सीधे हम लोगों को वहां पहुंचा दिया जहाँ डी बी थे...एक बड़ी से मेज जिस पे ढेर सारे फोन रखे हुए थे..सामने एक बोर्ड पे उस एरिया का डिटेल्ड मैप बना हुआ था...चारो ओर पुलिस के अधिकारी . मजिस्ट्रेट ....जब हम लोग पहुंचे तो वो एस पी ट्रैफिक को बोल रहे थे..." ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया...एक किमी तक पूरा ...यहाँ तक प्रेस को भी जिनके पास अक्रेडीशन हो...दो किमी तक सिर्फ उस एरिया के लोगों को.... नो वेहिकुलर ट्रेफिक. तब तक एक किसी आफिसर ने उन्हें फ़ोन पकडाया...बजाय फ़ोन लेने के उन्होंने स्पीकर फ़ोन आन कर दिया जिससे सब सुन सके.
.प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम का फोन था...उन्होंने पूछा..
" हाउ इस सिचुएशन..."
" टोटली अन्दर कंट्रोल सर..." डी बी ने जवाब दिया.." लेकिन अभी कुछ साफ पता नहीं चल पाया है...की वो हैं कौन उन का मोटिव क्या है...साइकोलोजिकल प्रोफाइलिंग भी करवाई है...बेहैवियर पाटर्न अन सर्टेन है,,,अन्दर का कोई प्लान भी नहीं है...लेकिन रेस्ट अशयुर्ड....डैमेज कन्टेन हम करेंगे..."
" ओ.के...एस . टी . ऍफ़. की टीम निकल गयी है दो तीन घंटे में वो पहुँच जायेंगे...मैंने सेंटर से भी बात कर ली है...मानेसर में एन एस जी रेडी नेस में है...." होम सेक्रेटरी की काल जारी थी.
" नहीं सर होप्फुल्ली उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी..." डी बी ने बोला.
" लेट अस होप...लेकिन लास्ट टाइम की तरह मैं फंसना नहीं चाहता ना ....बी एस फ का प्लेन रेडी है...एंड चापर मानेसर में तैयार है...कोई मल्टीपल अटैक के चांस तो नहीं हैं..." होम सेक्रेटरी ने पुछा.
" नहीं सर एक दम नहीं...एक घंटे से ऊपर हो गए हैं और अभी कही से...." डी बी ने बोला.
" ओके वि आर विथ यू ..." और उधर से फोन कट गया.
एस टी फ यानी स्पेशल टास्क फ़ोर्स ...जो पिछली सरकार ने बनाया था, ओर्गनाईज्ड क्राइम और स्पेशल इवेंट से निपटने के लिए ..उनके तरीके अलग थे और वो सीधे गृह राज्य मंत्री को रिपोर्ट करते थे.
तब तक ड्राइवर ने उनका ध्यान हम लोगों की ओर दिलाया.
तीन साल बाद मैं डी बी से मिल रहा था ....५ फिट ११ इंच...गेंहुआ रंग...हलकी मूंछे ...छोटे छोटे कृ कट बाल...हाफ शर्ट...कुछ भी नहीं बदला था...वही कांफिडेंस वही मुस्कान ..तपाक से उसने हाथ मिलाया और पुछा हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं..
' बस अभी आये..." मैंने कहा और तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी...और वो झटके से उठ के खड़ा हो गया. तुरंत उसने नमस्ते किया..उसकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए.
हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गूंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं...मैं ने कुछ पूछना चाहा तो उसने हाथ के इशारे से मना कर दिया...और किसी से बोला ..." जरा एम् को बुलाओ.."
एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आ के खड़ा हो गया.यूनिफार्म में...तीन स्टार लगे थे
डी बी ने इंट्रोड्यूस कराया..."ये हैं...ए म..अरिमर्दन सिंह... यहाँ के सी ओ ...सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं...यही सब सम्हाल रहे हैं...और ये हैं..."
मुझे इंट्रोड्यूस कराने के पहले...ए म ने मुझसे हाथ मिला लिया...और बोले..." अरे सर हमें मालूम है सब आप के बारे में...आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा,,,".
डी बी ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला..लेकिन मैंने मना कर दिया... कोई रूम हो तो ...इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो ...
" एकदम..." डी बी ने बोला.
हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए...शायद सी ओ का ही कमरा था...
कमरे में ४-५ कुर्सियां मेज और एक छोटा सोफा था...घुसने से पहले ....डी बी ने कहा..मेरे जो भी काल हो ना...यहीं डाइवर्ट करना और अगर सी एस ( चीफ सेक्रेटरी ) या सी एम् का फोन हो तो मोबाइल पे पेच करवा देना...
अन्दर घुसते ही मैंने पहला काम ये किया की सारी खिड़कियाँ बंद कर दिन और परदे भी खीच दिए और बाहर का दरवाजा बस ऐसे खोल के रखा की अगर कोई दरवाजे के आस पास खड़ा हो तो दिखाई पड़े...
हम लोग ठीक से बैठे भी नहीं थे की डी बी चालू हो गए,,,
" यू नो तीन बाते हैं...जो क्लियर नहीं हो रही हैं...
" यू नो तीन बाते हैं...जो क्लियर नहीं हो रही हैं...
पहली..आई बी ने कोई वार्निंग नहीं दी....ये बात नहीं है की वो कभी सही वार्निंग देते हैं स्पेस्फिक...लेकिन कुछ जनरल उनको आइडिया रहता है....अगर वो गौहाटी में कहेंगे तो गुजरात वाले नार्मली जग जाते हैं. वैसे वो कभी लोकेशन सेपेस्फिक वार्निंग नहीं देते लेकिन उन्हें जनरल हवा रहती है...और ना हुआ तो कम से कम घटना के बाद वो मैदान में आ जाते हैं ...कम से कम ये दिखाने के लिए स्टेट पोलिस वाले कितने बेवकूफ हैं...ख़ास तौर से अगर गवरमेंट दूसरी पार्टी की हो...और यहाँ गवर्मेंट दूसरी पार्टी की है...लेकिन अभी तक वो सर खुजला रहे हैं....तुमको याद होगा समीर सिन्हा की...."
" हाँ जो हम लोगों से चार साल सीनियर थे ....बिहार कैडर के....हास्टल में नाटक वाटक करवाते थे ...जिन्होंने आई ए एस लड़की से शादी की थी...." मुझे भी याद आया...
" हाँ वही....वो लखनऊ में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं आई बी में...उनसे भी मैंने बात की थी ना कोई ह्युमिनइट ( ह्युमन इंटेलिजेंस ) ना कोई टेक्नीकल ..." डी बी ने बात आगे बढाई.
" और..." मैंने हुंकारी भरने का योगदान दिया.
गुड्डी बेचैन हो रही थी...ये सब ठीक है लेकिन गुंजा...उसकी आँखों में झलक रहा था. डी बी ने अपनी बात बढाई.
दूसरी पैटर्न ....ये एक दम गड़बड़ है...टेररिस्ट पागल नहीं होता. वो भी रिसोर्स यूज करता है जो बहोत मुश्किल से उसे मिलते हैं. इसलिए वो मक्सिमम इम्पैक्ट के लिए ट्राई करेगा ...जहाँ बहोत भीड़ भाड़ हो....और नार्मली वो बम्ब का इस्तेमाल करेगा, होस्टेज का नहीं....और होस्टेज का होगा तो डिमांड क्या होगी....अब तक सिर्फ कश्मीर में हिजबुल के लोग इस तरह की हरकत करते हैं ....लेकिन वहां हालत एक दम अलग है. यूपी में जितने भी हमले हुए ....वो सिर्फ बम्ब से हुए....और ज्यादातर में कोई पकड़ा भी नहीं गया तो ये बात कुछ हजम नहीं होती. "
तब तक डी. बी का फोन बजा...दशाश्वमेध थाने से रिपोर्ट थी ...बोट पुलिस ...ने सब घाट नदी की ओर से भी चेक कर लिए हैं. आल ओके
डी बी ने घंटी बजायी.
चपरासी को उन्होंने ३ चाय के लिए बोला और मुझसे पुछा...समोसा चलेगा...जलजोग का ..."
"एकदम दौड़ेगा ...." मैंने बोला.
गुड्डी नेमुझे आँख दिखाई...कितना खाओगे...लेकिन जलजोग का समोसा मैं नहीं मना कर सकता था.
" हाँ तो ...मैं क्या कह रहा था ...हाँ तीसरी बात...उसका मोबाइल फोन....कोई टेररिस्ट मोबाइल पे बात नहीं करता...अगर करेगा तो अपने आका से करेगा...पोलिस से नहीं...एक बार उसने थाने पे यहीं रिंग किया और दूसरी बार अरिमर्दन से बात हुयी...तब तक मैं भी यहाँ आ गया था.मोबाइल मतलब अपना सब अता पता बता देता है ....तो इसलिए मुश्किल है ये सोचना की..."
मैंने बात बीच में रोक कर पुछा..." वो सिम कहाँ का है...."
" यार क्या बच्चो जैसे ....आज कल सिम का क्या...और वो तो पहली चीज इंस्पेक्टर भी देख लेता है...बक्सर के पास किसी जगह से ली गयी थी....आधे घंटे में उसकी कुंडली भी आ जायेगी...लेकिन वो सब फर्जी मिलेगी ...इतनी बात तो वो सोनी पे कौन सा सीरियल आता है..."
डी बी बोले और अबकी बात काटने का काम गुड्डी ने किया. बड़े उत्साह से उसने अपने ज्ञान का परिचय दिया...
" सी आई डी... मैं भी देखती हूँ..." वो चहक कर बोली.
" वही तो मैं कह रहा था ...बच्चों को भी ये सब चीजें मालोम होती हैं...सिम विम से क्या होगा..." वो बोले.
" तो इसका मतलब की टेरर वेरेर ..की बात..." मैंने थोड़ी रिलीफ की सांस ली.
" नहीं ऐसा कुछ नहीं है....कुछ कही नहीं सकते मान लो निकल जाय कोयी तो ..प्रिकाशन तो लेनी पड़ेगी..." वो बोले और ये भी नहीं कह सकते की कोई गुंडा बदमाश है .
" क्यों,,,: मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
“तीन बाते हैं ...ये तीन बातों का चक्कर उनका पुराना हॉस्टल के दिनों का था. डी बी ने फिर समझाना शुरू किया...
" देखो पहली बात आज कल नयी नयी सरकार आई है अभी सेट होने में टाइम लगेगा सब कुछ ...तो उस समय नार्मली ये सब एक्टिविटी स्लो रहती हैं. फिर आज कल बनारस मैं वैसे ही हम लोगो ने झाड़ू लगा रखी है. एक मोटा असामी था उसका पत्ता तुमने साफ करा दिया ...फिर क्रिमिनल भी रिटर्न देखता है...ठेका हो, माइनिंग हो, प्रोटेक्शन हो...अब किड नैपिंग तक तो होती नहीं फिर ये होस्टेज वोस्टेज का चक्कर क्रिमिनल्स के बस का नहीं... .ना उनका कोई फायदा है इसमें आधी चीज तो मोटिव है ...वो क्या होगी. फिर यु नो...ज्यादातर बड़े क्र्मिनल अब नहीं चाहते की फालतू का लफडा हो....उनकी असली कमाई तो अब सेमी लीगल धंधो से होती है. कई ने तो थानों पे फोन कर के बोला जैसे ही चैनेल पे खबर आई की उनका कोई लेना देना है इस इंसिडेंट से....”
तब तक चपरासी समोसा और चाय ले के आगया.
गरम गरम ताजा समोसे..डी बी ने इन्सिस्ट किया की गुड्डी पहले समोसा ले.
गुड्डी ने समोसा तो ले लिया लेकिन जो सवाल उसे और मुझे तब से परेशान किये हुए था...पूछ लिया...
" वो तीन ....तीन लड़कियां ....जो ...नाम क्या है...पता चला."
समोसा खाते हुए डी बी ने बोला..." हूँ...हूँ...कुछ...बताता हूँ...हाँ लेकिन मैं क्या कह रहा था..."
मैंने याद दिलाया..." तीन ....तीन बाते क्यों वो गुंडे बदमाश नहीं हो सकते...एक आप बता चुके हैं की बड़े गुंडों के लिए इस तरह की हरकत प्रोफिटेबल नहीं है ..."
" हाँ..." चाय पीते हुए डी बी ने बात जारी रखी..." दूसरी बात...बाम्ब..ये कन्फर्म है की उन के पास बम्ब है...और उसमे ट्रिगर डिवाइस भी है...नारामली...छोटे मोटे गुंडों के पास इम्पैक्ट बाम्ब ...यानी जो फोड़ने या फेंकने पे फूटते हैं वही होते हैं...ये साफीसटीकेटेड बाम्ब हैं...जो लड़कियाँ बच के आई हैं उन्होंने जो बताया है ..उसके हमने स्केच बनवाये हैं ...और उसके अलावा जहाँ जहाँ यहाँ बम बनाते हैं, सोनार पूरा में , लंका में आस पास के गावों में गंगा पार रामनगर...हर जगह से हम लोगो ने चेक कर लिया ये उनकी हरकत नहीं...और जो लोकल माफिया है...या तो गायब हो चुके है या उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं...
जब तक वो तीसरी बात पे आते मैंने बचा हुआ समोसा भी उठा लिया...गुड्डी ने मुझे बड़ी तेजी से घुरा लेकिन मैंने पूरा ध्यान समोसे की और और डी बी की ओर दिया. डी बी ने तीसरा कारण शुरू कर दिया."
तीसरी बात...बहोत सिंपल ..हमारे किसी खबरी को लोकल बन्दों को हवा नहीं है....तो...
" तो ये है कौन ..." अबकी मैंने सवाल दाग दिया.
" यही तो...अगर साफ हो जाय कोई टेररिस्ट ग्रुप है तो हमें मोटा मोटा उनकी मोडस आप्रेंडी, काम करने का तरीका मालूम है...क्रिमिनल को तो हम लोग आसानी से टैकल कर लेते हैं..पर अभी तक पिक्चर...तब तक उनका फ़ोन बजा..
" सी एस का फ़ोन है ...किसी दरोगा ने बताया
अब तक मैं भी इन शब्दों से परिचित हो चूका था की सी एस का मतलब चीफ सेक्रेटरी....और वो स्टेट गवर्नमेंट में सबसे ऊपर होते हैं...
" साहब खुद लाइन पे है या..." डी बी ने पुछा.
" नहीं पी एस...है " उधर से आवाज आई...
" उनको बोल दो की मैं मोबाइल पे सीधे रिंग कर लूँगा..." वो बोले और उठ कर कमरे के दूसरे कोने की ओर चले गए.
यहाँ मुझ पर डांट पड़ना शुरू हो गयी...
" तुम यहाँ समोसा खाने आये हो की...कितना खाते हो....वहां अभी होटल में फिर समोसा...हम यहाँ समोसा खाने आये हैं की गूंजा का पता लगाने आये हैं..." गुड्डी ने घुड़का"
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फागुन के दिन चार--56
गतांक से आगे ...........
उसके बाद मटन के आइटम...
मटन गिलाफी सीक, मटन मटन मेथी सीक , मटन काकोरी कबाब और मटन लैम्ब चाप इन सिनेमम सास.
फिर फिश फिंगर और फिश बटर फ्राई भी थी. इसके अलावा, झींगा लासुनी, थाई श्रिम्प केक और चिली गार्लिक प्रान....
" तुमने कभी नान वेज नहीं खाया ना..." गुड्डी के होंठो के बीच में एक गिलाफी सीक था...
" न..' मैं वाइन की ग्लास हाथ में घुमाते बोल रहा था.
" घर में और कोई..." गुड्डी ने फिर पुछा ...
" तुम्हे मालूम है...भाभी तो खाती है और कोई नहीं..."
सामने वाइन का ग्लास तो मैंने भर लिया था ...लेकिन...
" नहीं खाओगे पक्का ...." उसने मेरा इरादा टेस्ट किया.
" नहीं..." मैंने अपने निश्चय को पक्का करते हुए कहा....और गुड्डी के ग्लास मैं भी वाइन डाल दी.
" चलो ...मैं कहूँगी भी नहीं...."
और अब वो मेरी ओर और सरक आई एक दम सट के...और उसका हाथ मेरे कंधे पे ...उसने मुझे अपनी ओर खिंच रखा था.
चिकेन लालीपॉप उसके मुंह में था और वो मेरे मुंह के पास अपना मुंह ला के बोली...
" वैसे है बहोत स्वादिष्ट..."
मैं क्या बोलता...
" मुंह खोलो खूब बड़ा सा..." गुड्डी बोली.
मैं सशंकित...क्यों...मैंने धीमे से पुछा.
" अभी क्या तय हुआ था....उस समय मैं तुम्हारी सब बात मानूंगी और बाकि समय तुम....और इतनी जल्दी...मुंह ही खोलने को कह रही हूँ...और कुछ खोलने को तो नहीं कह रही हूँ."
मैंने मुंह खोल दिया.
" आँखे बंद..."
मैंने आँखे बंद कर लीं.
और अगले पल लालीपाप मेरे मुंह के अन्दर और गुड्डी मेरी गोद में...
" यार तेरे हाथ मार कुटाई कर के थक गए होंगे और अभी वो तान्या आती होगी...उसका भी जोबन मर्दन करना होगा...तो चलो थोडा आराम करो और थोडा प्रैक्टिस ....मेरे हाथ गुड्डी के जोबन पे थे वो भी ऊपर से नहीं
गुड्डी ने अपने कुरते के बटन खोल कर अन्दर सीधे वहीँ...
बाकी का लालीपॉप गुड्डी के होंठो से कुचला कुचलाया....
मेरे हाथ गुड्डी के रसीले उभारों का रस लूट रहे थे...
थोड़ी देर में पूरा प्लेटर और वाइन की बाटल ख़तम हो गयी थी...
थोडा गुड्डी के हाथों से गया...थोडा गुड्डी के मुंह से और काफी कुछ मेरी जीभ ने गुड्डी के मुंह में जा कर निकाल कर...मुख रस में लिथड़ा....अधखाया ...कुचला...
और इस दौरान एक पल के लिए भी.... दूकान में हुयी घटना...वो गुंडे...वो पोलिस वाले जो हम लोगों को अन्दर करना चाहते थे...और बाद में जो डी बी ने बताया की जिससे मैं भिड गया था...शुक्ला एक नोन गैंगस्टर था...कुछ भी नहीं याद आया...
गुड्डी ने जैसे सब कुछ इरेज कर दिया है और हम लोग सीधे उस के घर से रीत के पास से ...अपने घर जा रहे हों...और बीच में हुआ जो वो एक दुस्वप्न था जिसे हम लोग भूल चुके हों.
गुड्डी ने पुछा ....मीनू देखे या...और खुद ही फैसला कर दिया...उस छैल छबीली को ही बोल देते हैं और फोन उठा के गुड्डी ने बोल दिया मैंने सिर्फ हाँ हूँ...एकदम सुना.
( पता ये चला की अबकी फिर गुड्डी ने नान वेज का ही आर्डर कर दिया और पूछने पे बोला की...कौन दिमाग लगाए...खाना तो खाना...)
जब तक मेन कोर्स आता मैं बाथरूम में जाके अपने कपडे पहन के वापस आगया .
और उसी समय तान्या फिर फूड ट्राली के साथ आई.
हम लोगों का पेट तो स्टार्टर्स से ही काफी भर गया था...लेकिन फिर भी इसरार कर के ...और इस बार भी
...लैम्ब विद पोर्ट -रेड वाइन सास, चेत्तिनाड मटन करी और लखनवी चिकेन दो प्याजा..साथ में असारटेड ब्रेड और हैदराबादी बिरयानी.
तान्या थी तो गुड्डी खिलाती नहीं ...तो मुझे अपने हाथ से ही...नान वेज खाना पड़ा ...और गुड्डी कनखियों से देख के मुस्करा रही थी...जैसे कह रही हो देखा ...अभी तो ये शुरुआत है...देखो क्या क्या करवाती हूँ तुमसे...
खाने के बाद जब गुड्डी बात रूम गयी तो ...तान्या ने राज खोला...मेरी खातिर डी बी के चक्कर में तो हो ही रही थी लेकिन कुछ कुछ मेरे चक्कर में भी...
शुक्ला के पकडे जाने को पुलिस ने दबा कर रखा था...और मुझे तो वैसे भी कोई नहीं जानता था...
लेकिन थोड़ी बहोत खबर लग गयी थी.
शुक्ला के नाम पे हर होटल में एक स्यूट रिजर्व रहता था ...इसके आलावा ताज, क्लार्क हर जगह ...एक कमरा होटेल वालों को खाली रखना पड़ता था...उसकी मर्जी जहाँ रुके...और ऐयाशी भी उसने काफी शुरू कर दी थी...सेक्स के साथ साथ वो सैडिस्ट भी था...
इसलिए और सब उस से डरते थे...
तान्या पे भी उसकी नजर थी और वो बोल के गया था की अगली बार वो होटल में आया तो रात उसे ..उसके साथ ही गुजाने पड़ेगी...होटल के मैनेजर को उसने बोला था की आपकी लड़की शाम को चार बजे लहुराबीर कोचिंग के लिए जाती है....
स्वीट डिश में ....राबड़ी गुलाब जामुन ...लेकिन गुलाब जामुन के चारों बूंदी लगी थी ...मीठी बूंदी...
हमने स्वीट डिश शुरू ही किया था की मेरा फोन बजा...लेकिन कोई नंबर नहीं...
मैंने फिर ध्यान से देखा...लिखा था ....प्राइवेट नम्बर
अचानक मुझे ध्यान आया ...डी बी का नंबर ..उनसे मुझे एस एम् एस किया था की कोई खास बात होगी तो मुझे वो इस नम्बर से रिंग करेगा...
मैंने फ़ोन उठाया...
" टीवी देख रहे हो...." वो बोला.
" हाँ..."
टीवी पर गाना आ रहा था हंटर वाला...
आई ऍम अ हंटर एंड शी वांट तो सी माई गन ..
व्हेन आई पुल इट आउट द वोमन स्टार्ट टू रन
ऊ ऊ ....
आवाज उनके फोन पे जा रही होगी...
" अरे लोकल चेंनेल लगाओ न्यूज .." वो बोला.
मैंने तान्या को इशारा किया ..उसने चैनेल चेंज कर बी एन एन ( बनारस न्यूज नेटवक ) लगाया.
एक स्कूल की धुंधली फोटो आ रही थी नाम भी सही नहीं सुनाई दे रहा था....
एक न्यूज कास्टर सामने खड़ा बोल रहा था..
.नीचे ब्रेकिंग न्यूज भी चल रही थी....
.कन्या विद्यालय मैं दो लोगो ने लड़कियों को बंधक बनाया...आतंकी हमला होने की आंशंका
गुड्डी उठ के खड़ी हो गयी ये तो मेरा स्कूल है...
" तुम्हे कुछ मालूम है इस इलाके के बारे में...हम ने रेड अलर्ट डिक्लेयर कर दिया है..." डी बी की आवाज फोन पे आ रही थी...
" में...हम आ सकते हैं. ? मैंने पुछा....
" आ जाओ में कंट्रोल रूम में हूँ कोतवाली में स्कूल भी पास में ही है..." और उसने फोन रख दिया...
न्यूज चैनेल ने अब ढेर सारी पोलिस की गाडी ..अम्बुलेंस ...वो एरिया अब बैरिकेड कर दिया गया था...
बाकी चैनेल ने भी न्यूज पिक अप कर ली थी...इण्डिया टी वि चीख चीख कर कह रहा था ..साबसे पहले इस चैनेल पे ब्रेकिंग न्यूज...एक नया आतंकी हमला...सरकार फेल
उइयी माँ गुड्डी अचानक चीखी...
" गूंजा...."
" क्या हुआ गूंजा को " मैंने पूछा...
" अरे स्कूल की तो छुट्टी हो गयी थी तो...उसके क्लास की ...बोला था ना उसने एक्स्ट्रा क्लास है ...ये उसी के क्लासकी ...लड़कियां होंगी ..." गुड्डी की आवाज रुनांसी हो गयी थी.
" अरे हम लोग चलते हैं ना चलो...." गुड्डी को बोला मैंने .वो हाथ धोने बाथरूम चली गयी
" आप हो न कुछ नहीं होगा..." तान्या बोली
एक और चैनेल अब बोल रहा था था. " हालांकि पोलिस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है...लेकिन हामरे सोरेसेज के अनुसार ये आतंकी हमला ही लगता है...क्योंकि बंधक बानें वालों ने एक बाम्ब का प्रयोग किया है..
.डी जी पोलिस ने लखनउ से बताया है की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है ...
.मुख्यमंत्री इटावा से वापस आ रहे हैं....
अभी अभी खबर आई है की कुल २२ लड़कियों में से १९ बंधकों के घुसने के समय निकल भागीं लेकिन ३ लड़कियां बंधक हैं...उन का नाम पुलिस ने बताने से इनकार किया है....
मोबाईल , पुलिस की गाडी बाहर खड़ी थी. हम लोग सीधे उसी में जाकर बैठ गए.
अचानक मुझे याद आया...चंदा भाभी कहीं वो टी वी तो नहीं देख रही होंगी...और वो चैनेल देख कर... घबडा तो नहीं रही होंगी.
गुड्डी ने ऐस्योर किया ..".नहीं वो नार्मली सोती हैं...और ज्यादातर लड़कियां तो चैनेल बता रहा था की निकल गयी थीं...तो गुंजा निकल ही गयी होगी ....और अगर हम लोगों ने फोन किया तो पहले तो जवाब दो की हम लोग अब तक गये क्यों नहीं ...फिर वो कहेंगी की घर आ जाओ और फिर की ये शहर में टेंशन है ..तो आज मत जाओ...तो फिर तो ..."
जिस तरह गुड्डी का चेहरा उदास हो गया...मैं समझ गया...रात की बात सोच के... की हम लोगो ने जो इतनी प्लानिंग की है सब जस की तस धरी रह जायेगी...अगर हम रात तक घर न पहुंचे."
अब उसके बाद तो गुंजा के घर फोन करने की बात ही नहीं थी..फिर मैने भी सोचा की वो लोग बेकार में परेशान होंगे
जगह पोलिस के बैरिकेड लगे थे..उस डायरेक्शन में जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा था..टेंशन महसूस किया जा सकता था....आफिस जल्दी बंद हो रहे थे...यहाँ तक की रिक्शे वाले भी बजाय सवारी लेने के अपने घरों को वापस जा रहे थे...जगह जगह टी.वि की दुकानों पे..जहाँ कही भी टी.वि लगा था ...भीड़ लगी थी.
.जैसे जैसे हम लोग कोतवाली की और जा रहे थे..सड़क खाली लग रही थी ..रस्ते में जो भी मंदिर मस्जिद पड़ती गुड्डी आंखे बंद कर हाथ जोड़ लेती थी. बस हम यही मन रहे थे की वहां फसी लड़कियों में गुंजा ना हो...न हो...जब हम लोग कबीर चौरा हास्पिटल के सामने से निकले तो वहां से ऐम्बुलेंसेज कोतवाली की और जा रही थीं...हम लोगों का डर और बढ़ गया. टाउन हाल के आगे तो एकदम सन्नाटा था...खाली पोलिस की गाडी दिख रही थी...फायर ब्रिगेड वाले भी आ गए थे...चैनेल वालों की भी गाड़ियाँ थी एक दो जगह से न्यूज कास्टर खड़े हो के बता रहे थे की वो स्कूल बस यहाँ से ४०० मीटर दूरी पे है...
चारों ओर टेंशन साफ झलक रहा था. सब के चेहरे पे हवाइयां उड़ रही थीं....स्कूल के बगल से हम गुजरे ... वहां आसपास की बिल्डिंग्स खाली करायी जा रही थीं. बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के दो दस्ते खड़े थे. एक ट्रक से काली डूंगरी पहने कमांडो दस्ते उतर रहे थे.
गुड्डी का दिल धकधक कर रहा था. मेरा भी...सुबह हम लोग ...आज दिन भर इतनी मस्ती से लेकिन अचानक...कुछ समझ नही आ रहा था. तब तक हम लोगों की गाडी सीधे कोतवाली में कंट्रोल रूम के सामने जाकर रुकी. ड्राइवर हम लोगों को सीधे अन्दर ले गया.
अन्दर भी बहोत गहमागहमी थी. पुलिस के अलावा अन्य डिपार्टमेंट्स के भी लोग थे...सिटी मजिसट्रेट, सिवल डिफेंस के लोग...डाक्टर्स ....ड्राइवर ने सीधे हम लोगों को वहां पहुंचा दिया जहाँ डी बी थे...एक बड़ी से मेज जिस पे ढेर सारे फोन रखे हुए थे..सामने एक बोर्ड पे उस एरिया का डिटेल्ड मैप बना हुआ था...चारो ओर पुलिस के अधिकारी . मजिस्ट्रेट ....जब हम लोग पहुंचे तो वो एस पी ट्रैफिक को बोल रहे थे..." ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया...एक किमी तक पूरा ...यहाँ तक प्रेस को भी जिनके पास अक्रेडीशन हो...दो किमी तक सिर्फ उस एरिया के लोगों को.... नो वेहिकुलर ट्रेफिक. तब तक एक किसी आफिसर ने उन्हें फ़ोन पकडाया...बजाय फ़ोन लेने के उन्होंने स्पीकर फ़ोन आन कर दिया जिससे सब सुन सके.
.प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम का फोन था...उन्होंने पूछा..
" हाउ इस सिचुएशन..."
" टोटली अन्दर कंट्रोल सर..." डी बी ने जवाब दिया.." लेकिन अभी कुछ साफ पता नहीं चल पाया है...की वो हैं कौन उन का मोटिव क्या है...साइकोलोजिकल प्रोफाइलिंग भी करवाई है...बेहैवियर पाटर्न अन सर्टेन है,,,अन्दर का कोई प्लान भी नहीं है...लेकिन रेस्ट अशयुर्ड....डैमेज कन्टेन हम करेंगे..."
" ओ.के...एस . टी . ऍफ़. की टीम निकल गयी है दो तीन घंटे में वो पहुँच जायेंगे...मैंने सेंटर से भी बात कर ली है...मानेसर में एन एस जी रेडी नेस में है...." होम सेक्रेटरी की काल जारी थी.
" नहीं सर होप्फुल्ली उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी..." डी बी ने बोला.
" लेट अस होप...लेकिन लास्ट टाइम की तरह मैं फंसना नहीं चाहता ना ....बी एस फ का प्लेन रेडी है...एंड चापर मानेसर में तैयार है...कोई मल्टीपल अटैक के चांस तो नहीं हैं..." होम सेक्रेटरी ने पुछा.
" नहीं सर एक दम नहीं...एक घंटे से ऊपर हो गए हैं और अभी कही से...." डी बी ने बोला.
" ओके वि आर विथ यू ..." और उधर से फोन कट गया.
एस टी फ यानी स्पेशल टास्क फ़ोर्स ...जो पिछली सरकार ने बनाया था, ओर्गनाईज्ड क्राइम और स्पेशल इवेंट से निपटने के लिए ..उनके तरीके अलग थे और वो सीधे गृह राज्य मंत्री को रिपोर्ट करते थे.
तब तक ड्राइवर ने उनका ध्यान हम लोगों की ओर दिलाया.
तीन साल बाद मैं डी बी से मिल रहा था ....५ फिट ११ इंच...गेंहुआ रंग...हलकी मूंछे ...छोटे छोटे कृ कट बाल...हाफ शर्ट...कुछ भी नहीं बदला था...वही कांफिडेंस वही मुस्कान ..तपाक से उसने हाथ मिलाया और पुछा हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं..
' बस अभी आये..." मैंने कहा और तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी...और वो झटके से उठ के खड़ा हो गया. तुरंत उसने नमस्ते किया..उसकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए.
हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गूंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं...मैं ने कुछ पूछना चाहा तो उसने हाथ के इशारे से मना कर दिया...और किसी से बोला ..." जरा एम् को बुलाओ.."
एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आ के खड़ा हो गया.यूनिफार्म में...तीन स्टार लगे थे
डी बी ने इंट्रोड्यूस कराया..."ये हैं...ए म..अरिमर्दन सिंह... यहाँ के सी ओ ...सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं...यही सब सम्हाल रहे हैं...और ये हैं..."
मुझे इंट्रोड्यूस कराने के पहले...ए म ने मुझसे हाथ मिला लिया...और बोले..." अरे सर हमें मालूम है सब आप के बारे में...आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा,,,".
डी बी ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला..लेकिन मैंने मना कर दिया... कोई रूम हो तो ...इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो ...
" एकदम..." डी बी ने बोला.
हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए...शायद सी ओ का ही कमरा था...
कमरे में ४-५ कुर्सियां मेज और एक छोटा सोफा था...घुसने से पहले ....डी बी ने कहा..मेरे जो भी काल हो ना...यहीं डाइवर्ट करना और अगर सी एस ( चीफ सेक्रेटरी ) या सी एम् का फोन हो तो मोबाइल पे पेच करवा देना...
अन्दर घुसते ही मैंने पहला काम ये किया की सारी खिड़कियाँ बंद कर दिन और परदे भी खीच दिए और बाहर का दरवाजा बस ऐसे खोल के रखा की अगर कोई दरवाजे के आस पास खड़ा हो तो दिखाई पड़े...
हम लोग ठीक से बैठे भी नहीं थे की डी बी चालू हो गए,,,
" यू नो तीन बाते हैं...जो क्लियर नहीं हो रही हैं...
" यू नो तीन बाते हैं...जो क्लियर नहीं हो रही हैं...
पहली..आई बी ने कोई वार्निंग नहीं दी....ये बात नहीं है की वो कभी सही वार्निंग देते हैं स्पेस्फिक...लेकिन कुछ जनरल उनको आइडिया रहता है....अगर वो गौहाटी में कहेंगे तो गुजरात वाले नार्मली जग जाते हैं. वैसे वो कभी लोकेशन सेपेस्फिक वार्निंग नहीं देते लेकिन उन्हें जनरल हवा रहती है...और ना हुआ तो कम से कम घटना के बाद वो मैदान में आ जाते हैं ...कम से कम ये दिखाने के लिए स्टेट पोलिस वाले कितने बेवकूफ हैं...ख़ास तौर से अगर गवरमेंट दूसरी पार्टी की हो...और यहाँ गवर्मेंट दूसरी पार्टी की है...लेकिन अभी तक वो सर खुजला रहे हैं....तुमको याद होगा समीर सिन्हा की...."
" हाँ जो हम लोगों से चार साल सीनियर थे ....बिहार कैडर के....हास्टल में नाटक वाटक करवाते थे ...जिन्होंने आई ए एस लड़की से शादी की थी...." मुझे भी याद आया...
" हाँ वही....वो लखनऊ में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं आई बी में...उनसे भी मैंने बात की थी ना कोई ह्युमिनइट ( ह्युमन इंटेलिजेंस ) ना कोई टेक्नीकल ..." डी बी ने बात आगे बढाई.
" और..." मैंने हुंकारी भरने का योगदान दिया.
गुड्डी बेचैन हो रही थी...ये सब ठीक है लेकिन गुंजा...उसकी आँखों में झलक रहा था. डी बी ने अपनी बात बढाई.
दूसरी पैटर्न ....ये एक दम गड़बड़ है...टेररिस्ट पागल नहीं होता. वो भी रिसोर्स यूज करता है जो बहोत मुश्किल से उसे मिलते हैं. इसलिए वो मक्सिमम इम्पैक्ट के लिए ट्राई करेगा ...जहाँ बहोत भीड़ भाड़ हो....और नार्मली वो बम्ब का इस्तेमाल करेगा, होस्टेज का नहीं....और होस्टेज का होगा तो डिमांड क्या होगी....अब तक सिर्फ कश्मीर में हिजबुल के लोग इस तरह की हरकत करते हैं ....लेकिन वहां हालत एक दम अलग है. यूपी में जितने भी हमले हुए ....वो सिर्फ बम्ब से हुए....और ज्यादातर में कोई पकड़ा भी नहीं गया तो ये बात कुछ हजम नहीं होती. "
तब तक डी. बी का फोन बजा...दशाश्वमेध थाने से रिपोर्ट थी ...बोट पुलिस ...ने सब घाट नदी की ओर से भी चेक कर लिए हैं. आल ओके
डी बी ने घंटी बजायी.
चपरासी को उन्होंने ३ चाय के लिए बोला और मुझसे पुछा...समोसा चलेगा...जलजोग का ..."
"एकदम दौड़ेगा ...." मैंने बोला.
गुड्डी नेमुझे आँख दिखाई...कितना खाओगे...लेकिन जलजोग का समोसा मैं नहीं मना कर सकता था.
" हाँ तो ...मैं क्या कह रहा था ...हाँ तीसरी बात...उसका मोबाइल फोन....कोई टेररिस्ट मोबाइल पे बात नहीं करता...अगर करेगा तो अपने आका से करेगा...पोलिस से नहीं...एक बार उसने थाने पे यहीं रिंग किया और दूसरी बार अरिमर्दन से बात हुयी...तब तक मैं भी यहाँ आ गया था.मोबाइल मतलब अपना सब अता पता बता देता है ....तो इसलिए मुश्किल है ये सोचना की..."
मैंने बात बीच में रोक कर पुछा..." वो सिम कहाँ का है...."
" यार क्या बच्चो जैसे ....आज कल सिम का क्या...और वो तो पहली चीज इंस्पेक्टर भी देख लेता है...बक्सर के पास किसी जगह से ली गयी थी....आधे घंटे में उसकी कुंडली भी आ जायेगी...लेकिन वो सब फर्जी मिलेगी ...इतनी बात तो वो सोनी पे कौन सा सीरियल आता है..."
डी बी बोले और अबकी बात काटने का काम गुड्डी ने किया. बड़े उत्साह से उसने अपने ज्ञान का परिचय दिया...
" सी आई डी... मैं भी देखती हूँ..." वो चहक कर बोली.
" वही तो मैं कह रहा था ...बच्चों को भी ये सब चीजें मालोम होती हैं...सिम विम से क्या होगा..." वो बोले.
" तो इसका मतलब की टेरर वेरेर ..की बात..." मैंने थोड़ी रिलीफ की सांस ली.
" नहीं ऐसा कुछ नहीं है....कुछ कही नहीं सकते मान लो निकल जाय कोयी तो ..प्रिकाशन तो लेनी पड़ेगी..." वो बोले और ये भी नहीं कह सकते की कोई गुंडा बदमाश है .
" क्यों,,,: मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
“तीन बाते हैं ...ये तीन बातों का चक्कर उनका पुराना हॉस्टल के दिनों का था. डी बी ने फिर समझाना शुरू किया...
" देखो पहली बात आज कल नयी नयी सरकार आई है अभी सेट होने में टाइम लगेगा सब कुछ ...तो उस समय नार्मली ये सब एक्टिविटी स्लो रहती हैं. फिर आज कल बनारस मैं वैसे ही हम लोगो ने झाड़ू लगा रखी है. एक मोटा असामी था उसका पत्ता तुमने साफ करा दिया ...फिर क्रिमिनल भी रिटर्न देखता है...ठेका हो, माइनिंग हो, प्रोटेक्शन हो...अब किड नैपिंग तक तो होती नहीं फिर ये होस्टेज वोस्टेज का चक्कर क्रिमिनल्स के बस का नहीं... .ना उनका कोई फायदा है इसमें आधी चीज तो मोटिव है ...वो क्या होगी. फिर यु नो...ज्यादातर बड़े क्र्मिनल अब नहीं चाहते की फालतू का लफडा हो....उनकी असली कमाई तो अब सेमी लीगल धंधो से होती है. कई ने तो थानों पे फोन कर के बोला जैसे ही चैनेल पे खबर आई की उनका कोई लेना देना है इस इंसिडेंट से....”
तब तक चपरासी समोसा और चाय ले के आगया.
गरम गरम ताजा समोसे..डी बी ने इन्सिस्ट किया की गुड्डी पहले समोसा ले.
गुड्डी ने समोसा तो ले लिया लेकिन जो सवाल उसे और मुझे तब से परेशान किये हुए था...पूछ लिया...
" वो तीन ....तीन लड़कियां ....जो ...नाम क्या है...पता चला."
समोसा खाते हुए डी बी ने बोला..." हूँ...हूँ...कुछ...बताता हूँ...हाँ लेकिन मैं क्या कह रहा था..."
मैंने याद दिलाया..." तीन ....तीन बाते क्यों वो गुंडे बदमाश नहीं हो सकते...एक आप बता चुके हैं की बड़े गुंडों के लिए इस तरह की हरकत प्रोफिटेबल नहीं है ..."
" हाँ..." चाय पीते हुए डी बी ने बात जारी रखी..." दूसरी बात...बाम्ब..ये कन्फर्म है की उन के पास बम्ब है...और उसमे ट्रिगर डिवाइस भी है...नारामली...छोटे मोटे गुंडों के पास इम्पैक्ट बाम्ब ...यानी जो फोड़ने या फेंकने पे फूटते हैं वही होते हैं...ये साफीसटीकेटेड बाम्ब हैं...जो लड़कियाँ बच के आई हैं उन्होंने जो बताया है ..उसके हमने स्केच बनवाये हैं ...और उसके अलावा जहाँ जहाँ यहाँ बम बनाते हैं, सोनार पूरा में , लंका में आस पास के गावों में गंगा पार रामनगर...हर जगह से हम लोगो ने चेक कर लिया ये उनकी हरकत नहीं...और जो लोकल माफिया है...या तो गायब हो चुके है या उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं...
जब तक वो तीसरी बात पे आते मैंने बचा हुआ समोसा भी उठा लिया...गुड्डी ने मुझे बड़ी तेजी से घुरा लेकिन मैंने पूरा ध्यान समोसे की और और डी बी की ओर दिया. डी बी ने तीसरा कारण शुरू कर दिया."
तीसरी बात...बहोत सिंपल ..हमारे किसी खबरी को लोकल बन्दों को हवा नहीं है....तो...
" तो ये है कौन ..." अबकी मैंने सवाल दाग दिया.
" यही तो...अगर साफ हो जाय कोई टेररिस्ट ग्रुप है तो हमें मोटा मोटा उनकी मोडस आप्रेंडी, काम करने का तरीका मालूम है...क्रिमिनल को तो हम लोग आसानी से टैकल कर लेते हैं..पर अभी तक पिक्चर...तब तक उनका फ़ोन बजा..
" सी एस का फ़ोन है ...किसी दरोगा ने बताया
अब तक मैं भी इन शब्दों से परिचित हो चूका था की सी एस का मतलब चीफ सेक्रेटरी....और वो स्टेट गवर्नमेंट में सबसे ऊपर होते हैं...
" साहब खुद लाइन पे है या..." डी बी ने पुछा.
" नहीं पी एस...है " उधर से आवाज आई...
" उनको बोल दो की मैं मोबाइल पे सीधे रिंग कर लूँगा..." वो बोले और उठ कर कमरे के दूसरे कोने की ओर चले गए.
यहाँ मुझ पर डांट पड़ना शुरू हो गयी...
" तुम यहाँ समोसा खाने आये हो की...कितना खाते हो....वहां अभी होटल में फिर समोसा...हम यहाँ समोसा खाने आये हैं की गूंजा का पता लगाने आये हैं..." गुड्डी ने घुड़का"
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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