FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--67
गतांक से आगे ...........
रिपोर्ट (1)
रिपोर्ट
मैंने रीत ने जो शहरों के बारे में हिंट दिया था और डेट्स के बारे में..मगज अस्त्र का उसके लिए प्रयोग किया. मार्लो और स्मिथ दोनों की कुछ और इन्फो आ गयी थी उसे जोड़
कर रिपोर्ट बनाने लगा.
रिपोर्ट
नेम ऑफ आपरेशन- " आपरेशन त्राइडेंट" नाम जो एनेमी ने दिया है...
इम्प्लिकेशन ..........इसके तीन सम्भावित असर हैं, जो सब टेक्स्ट से जाहिर है ...सब टेक्स्ट एक स्टोरी है बूब्ब्स ओं फायर
• शहर हैं ...बनारस, बडौदा और बाम्बे ..बनारस कनफर्म है है बाकी दोनों शहरों में या उनके आसपास संभावित हमला होगा...बूब्ब्स में तीन 'बी' का प्रयोग किया गया है..
• हर हमले में तीन तरह के असर होंगे...इमीडियेट, शार्ट टर्म और लांग टर्म ....तीनो ही अब तक हुए किसी भी आतंकी हमले से ज्यादा घातक होंगे.
• तीनो जगहों पर हमले का आग से सबंध है ...बनारस में ये स्पष्ट है..लेकिन बाकी दो के बारे में अभी लिंक करना होगा.
थ्रेट परसेप्शन
• इस हमले का असर अगर हम मुम्बई में हुए २६/११ के हमले के असर को एक्स माने तो ३ से लेकर 8 एक्स तक होगा.
• लास ऑफ लाइफ बनारस के हमले में ही १७५ से २२५ तक संभावित है. बाकी जगहों के थ्रेट इससे कम नहीं होंगे.
• मुम्बई हमले में साइकोलाजिकल एडवांटेज इनामी को ज्यादा इस लिए मिला की वो अटैक तीन दिन तक चला..इस बार तीन शहरों पे एक एक दिन के गैप से एक बड़ी आतंक वादी गतिविधि होगी.तो मिडिया का अटेंशन जैसे ही तीसरे दिन कम होना शुरू होगा ...अगला अटैक प्लांड है.. इस प्रकार लगातार करीब एक हफ्ते तक मिडिया कवरेज उन्हें मिलेगा. पब्लिसिटी टेरर की सबसे बड़ी आक्सीजन है और इसमें मिडिया मैनेजमेंट और डैमेज कंट्रोल भी मुश्किल होगा.
• मुम्बई हमले में सबसे स्ट्रांग विजुअल ताज होटल में लगी आग का था. इसमें तीनो हमले में आग का इस्तेमाल करने की योजना लग रही है. बनारस की प्लानिंग बहोत कुछ स्पष्ट है...बाकी को वर्क आउट करना होगा,
मोडस आप्रेंडी
• इसमें २६/११ से अलग, स्लीपर इस्तेमाल किये जा रहे हैं. जैसा मुंबई बाम्ब ब्लास्ट में हुआ था की एक्चुअल आपरेशन के कुछ पहले ही वो देश छोड़ कर भाग गए थे. उसी तरह की योजना इस बार भी लग रही है. लेकिन २६/११ की तरह सीमा पार से नियमित सम्पर्क है.
• आपरेशन को अंजाम देने के लिए लोकल क्रिमिनल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है...वो भी जो छोटे किस्म के हैं...और उनको हुजी के आपरेटर्स सपोर्ट कर रहे हैं.
• इस में आपरेशन के बाद अगर कोई पकड़ा भी जाएगा तो वो लोकल क्रिमिनल्स ही होंगे इसलिए अन लाइक २६/११ हमारे लिए क्रास बार्डर फिंगर प्रिंट्स ढूँढना बहोत मुश्किल होगा.
• बाम्ब मेकिंग में हुजी के एक्सपर्ट्स का हाथ तो है लेकिन...वो पहले ही आकर जा चूका है...फाइनल असेम्बली लोकली ट्रेंड लोगों के पास है. ये आपरेशन सेल पैटर्न पे है...इसलिए एक सेल को नहीं मालूम है की दूसरा सेल क्या कर रहा है. इसके साथ लाजिस्टिक सपोर्ट और फाइनेंस सपोर्ट अलग अलग विंग्स के जरिये हैं जिनके बारे में स्लीपर को भी पता नहीं है. उसी तरह कंट्रोलर को फील्ड के डिटेल्स नहीं मालूम हैं.
बनारस
बनारस के बारे में काफी डिटेल्स पता चल गए हैं...
टार्गेट -
• पहला टार्गेट होलिका दहन होगा.
रिपोर्ट....(ii) बनारस
बनारस
]बनारस के बारे में काफी डिटेल्स पता चल गए हैं...
टार्गेट -
• पहला टार्गेट होलिका दहन होगा. होलिका दहन के समय उसके आस पास काफी बड़ी भीड़ रहती है और बड़ी होलिका में २००-३०० लोग आस पास रहते हैं. ये असेसमेंट है की कम से कम ७-८ होलिका को टार्गेट किया जाएगा. इस बार होलिका जलाने का समय रात में ८.२० है,
इसलिए ये हमला टाइमर के जरिये बाम्ब को एक्सप्लोड कर के होगा. इसके अलावा इस में थर्मल डिवाइसेज भी हैं तो अगर किसी भी तरह टाइमर फेल हुआ...( जैसा सूरत में बाम्ब अटैक में हुआ था) तो होलिका दहन की गरमी से से ये बम्ब एक्स्प्लोड़ हो जायेंगे.
होलिका में तरह तरह की सामग्री पड़ी रहती है. इसलिए होलिका दहन के काफी पहले कोई आदमी, होलिका में इसे डाल के छुपा सकता है. हालांकि चूँकि टाइमर २४ घंटे का ही होगा इसलिए वो होलिका दहन के २४ घंटे के अन्दर ही होगा.
दूसरा संभावित टार्गेट घाट पर आरती है. इस बार होलिका दहन का समय...और घाट पर आरती का समय..को इनसाइड कर रहा है...घाट पर हमला दो तरह से या दोनों तरह से साथ साथ हो सकता है.
एक हमला बोट पे बाम्ब के के जरिये हो सकता है..रेकी के फोटोग्राफ्स से ये साफ जाहिर है.
दूसरा तरीका नदी से ये साइड से फायरिंग भी हो सकती है...जिसमें ए के ४७ या स्नाइपर फायरिंग हो सकता है. कम से कम दो घाटों, दशाश्वमेध और अस्सी पे ये हमला हो सकता है...इन की संख्या ज्यादा भी हो सकती है. घाट पर आरती के समय नदी से हमले का प्रभाव घातक होगा. हताहतों के अलावा, वहां पर अक्सर विदेशी पर्यटक भी होते हैं और उनके भी आहत होने की सम्भावना है. दूसरे उसका मिडिया का कवरेज भी होता है इसलिए साइकोलाजिकल असर भी जायदा पड़ेगा.
• शार्ट टर्म टार्गेट - बनारस में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति है. ये घटना दंगे के लिए ट्रिगर की तरह काम करेगी. दंगे के साथ ही उसकी खबर और पिक्चर तथा रियेक्सन की फोटुयें ..और साथ ही उसको सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पे डालने की तैयारियां हैं...साथ ही ब्लॉग भी हैं..
.दंगे का असर आसपास के जिलों में भी पड़ेगा पूरी प्रीकाशन लेने पर भी काफी नुक्सान होने का डर है. दूसरी बात इसका असर अन्य राज्यों पे भी पड़ेगा. और दंगे की विभीषिका बहोत भयानक होगी. इसका राजनीतिक असर भी पड़ेगा.
• लांग टर्म टार्गेट - इस की टाइमिंग इस तरह है की इस से अगर दंगे हुए तो एक मिस ट्रस्ट पैदा होगा और जो आलमी तबलीग ( ग्लोबल कांफ्रेंस) होने वाली है उसकी आवाज बहोत तल्ख़ हो जायेगी.
दूसरा, इसके ग्लोबल रिपर्काशन होंगे.जो मेल जोल की, समझौते की ताकतें हैं वो कमजोर होंगी और हार्ड लाइनर्स को बढ़ावा मिलेगा. इस से उबरने में बहोत वक्त लगेगा.
• मेन आपरेटिव - बनारस में मेन आपरेटर का नाम हमने जेड दिया है. यह एक बहोत पुराना 'स्लीपर' है. इसके फिंगर प्रिंट्स और आईदेन्तिती किट से बने फोटो की ट्रेस किसी भी डाटा बेस में नहीं है. यह एक कम्युनिकेशन और स्पाई टेक्निक में ट्रेंड आपरेटर है.
कंट्रोलर के साथ कान्टेक्ट रखने के साथ यहाँ के सारे आपरेशन की जिम्मेदारी इसके ऊपर है. यहाँ तक की पूरे ओपरेशन का सब टेक्स्ट और कोड स्टोरी उसी ने ' बूब्ब्स ओं फायर बनारस से ही पोस्ट की है. इसका नाम मुन्ना बाबू होने की संभावना है. बाकी दोनों शहरों के अलावा, नेपाल और हैदराबाद से भी ये टच में है.
पाजिटिव बात ये है की हमें इसके पूरे कमुनिकेशन नेटवर्क, सेट फोन को ब्रेक कर लिया...और बात के टेक्स्ट को भी डी साईफर किया जा रहा है. इसने जिस आपरेटर को शुरू में प्लान किया था वो पुलिस की गिरफ्त में है.
लेकिन हुजी के चार आपरेटिव आज शाम तक बनारस पहुँच रहे है और आशंका है की उनका इस्तेमाल इस आपरेशन के लिए किया जाएगा. लेकिन उन चारों के फोटोग्राफ पुलिस के पास है और उनकी जांच की जा रही है.
• वेपन्स आफ आपरेशन - जिस बाम्ब को इस्तेमाल किया जाएगा, उस की ड्राइंग हमारे पास है. ये अबतक के किसी भी टेरर अटैक में इस्तेमाल होने वाले बाम्ब से ज्यादा खतरनाक है. जो आदमी पुलिस की पकड़ में है उसने ये बताया है की उसे डिटोनेटर, टाइमर और शार्पनेल लगाने की ट्रेनिंग दी गयी थी लेकिन उसे जो बाम्ब दिया गया था उसमें से ये तीनो चीजें निकाल ली गयी थी.
लगभग १४-१५ बाम्ब की उसने सूचना दी है. ये हो सकता है की डिटोनेटर टाइमर जेड के पास हों और बाकी हाल्फ रेडी बाम्ब कहीं और छुपाये गए हों. जब हुजी के आपरेटिव आयेंगे तो अटैक के १२-१४ घंटे पहले उन्हें दोनों चीजे दी जायेंगी.
बाम्ब की असेम्बली का काम शायद हुजी के मशहूर बाम्ब मेकर ने किया. हमारे कब्जे में आये आदमी को उसी ने डिटोनेटर और टाइमर लगाने के लिए ट्रेन किया था. हमारी इन्फो के हिसाब से यहाँ से वो फ्लाईट से नेपाल गया है लेकिन ये डीकाय हो सकता है. इसके अलावा ऐ के ४७ और स्नाइपर गन्स भी इस्तेमाल में लायी जा सकती हैं.
रिपोर्ट बनारस
[B]आर डी एक्स [/b]- अब यह कन्फर्म हो गया है की इस आपरेशन के लिए आर डी एक्स नेपाल बार्डर से आया है. यह एक गार्बेज ट्रक से आया है जिससे उसकी रास्ते में चेकिंग ना हो और ना ही स्निफिंग से वो पता चले. वह गार्बेज ट्रक एक खड्डे में गिरा मिला है और टेस्ट से उसके अन्दर आर डी एक्स की पुष्टि हो गयी है. यह भी पता चला है की गोरखपुर के एक माफिया से ऐ के ४७ और स्नाइपर बन्दूक ली गयी थीं जो इस गार्बेज ट्रक से ही आयीं.
ट्रक के ड्राइवरस की पहचान हो गयी और उनसे पूछताछ की जा रही है. उन्होंने ये बताया है की उन्हें ये बोला गया था की अंधरा पुल के पास उसे छोड़ के चले जायं. लेकिन उसमे से एक आदमी एक चाय की दूकान पे रुक गया था. उसने दो आदमी को देखा जो ट्रक ले गए...एक की शकल उस बाम्ब मेकर से मिलती है और दूसरा एक लोकल क्रिमिनल है. जिसे पोलिस ने ट्रैक कर लिया है.
• कम्युनिकेशन- जेड दो मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल एक बोट से फिक्स्ड टाइम पे कमुनिकेट करने के लिए करता है. उसी के साथ वह वन टाइम फोन और अपने कंट्रोलर्स से बात करने के लिए थुर्य सेट फोन का इस्तेमाल करता है. वो सारे नंबर जिनसे उसने बोट से बात की है, सेट फोन सहित, लोकेशन के साथ ट्रैक हो गए हैं.
इसके साथ ही जिस दिन उसका पोटेंशियल आपरेटिव पकड़ा गया, उस दिन से पुलिस के और कुछ और इम्पोर्टेंट नंबर ट्रैक किये जाने शुरू हो गए है. ये ट्रेकिंग दो सरवर्स हो रही है , एक की लोकेशन मुंबई के पास है और दोसरा एकरास बार्डर है.
• अदर इस्सू - अन्य दोनों हमलों का असर इकोनामी पे भी पड़ने की संभावना है. अभी इकोनामी को ग्रोथ रेट कम है और डालर के मुकाबले रुपये की भी हालत खराब है. किसी भी ऐसी घटना से जिससे इकोनामी में विशवास कम होगा...फारेन कैपिटल और बजाय आने के बाहर जायेगी. जिसका असर डालर के रेट पर पड़ेगा और हमारा इम्पोर्ट बिल बढेगा.
सबसे ज्यादा इम्पोर्ट का खर्चा तेल और डिफेंस पे है. तेल का भी बहोत भाग ट्रांसपोर्ट और डिफेंस में खर्च होता है. इससे वो दोनों गतिविधियाँ प्रभावित होंगी.
• वर्क टू बी डन- सबसे पहले हमें बाम्ब्स, और टाइमर्स को ट्रेस करना होगा. एक बार आपरेटर्स और जेड के ट्रेस होने पे इन्हें ट्रेस किया जा सकेगा. दूसरी बात यहाँ के लाजिस्टिक्स नेटवर्क का पूरा पता लगाना होगा. साथ ही बडौदा और मुम्बई में यहाँ के लिंक्स से पता करना होगा. हमारी विकनेस ये है की पुलिस में भी कुछ मोल होने के चांस हैं और टाइम बहोत कम है, इसलिए हम ने एक ६-८ लोगों का एक टेम्पोरेरी ग्रुप भी बनाया है. इसके अलावा हमें वर्स्ट केस सिनेरियो पे भी काम करना होगा.
• • हेल्प - हमें आई बी के लोगों की और बाकी स्टेट्स से हेल्प की जरोरत पड़ेगी. आर्मी को भी अडवांस में अलर्ट रखना होगा. नदी से अटैक होने की आशंका के चलते नेवल क्मान्डोस को भी रखना होगा. और ये सारी बाते एकदम नीड टू नो बेसिस पे होंगी.
इतनी रिपोर्ट टाइप कर के मैंने गहरी सांस ली और अंगडाई ली.
मुम्बई, इकोनोमिक असेसमेंट
मुम्बई
यहाँ के बारे में डिटेल्स अभी बडौदा से भी थोडा कम हैं.
सिर्फ ये पता चला है की अटैक ३१ को होगा और ये अब तक के हमले से अलग होगा.
इसके पहले भी मुम्बई में कोई पैट्रन रिपीट नहीं हुआ...मुम्बई ब्लास्ट, ट्रेन और २६.११ एकदम अलग अलग थे ये उन सब से अलग होगा. अभी तक जो काल्स ट्रेस हुए हैं वो ज्यादातर, मुम्बई सेन्ट्रल या नागपाड़ा के इलाके से या साउथ बाम्बे के हैं.
ये भी आशंका है की हमले में समुद्र का इस्तेमाल हो...हमें जल्दी से जल्दी उन लोगों को ट्रेस करना होगा.
सिर्फ एक बात का ये अंदाजा लग रहा था की ये अटैक अब तक के हुए सारे हमलों में भीषणतम होगा.
दूसरी बात ये थी की चूँकि उसके पहले दो हमले हो चुकेहोंगे, उन्हें इस बात का अहस्सास होगा की पुलिस की एलर्ट पीक पर होगी.और अगर उस समय भी वो कुछ बड़ा कर गुजरने में कामयाब हो गए तो एक जबर्दस्त क्राइसिस ऑफ कान्फिडेंस होगी. २६/११ के बाद सारे वौलानारेबल जगहों पे सी सी टीवी लग गए हैं इस लिए लैंड बेस्ड अटैक होने के चांसेज कम लग रहे हैं, फिर भी हमें मुम्बई पुलिस को वार्न करना होगा की अलग अलग एरिया के सीसी टीवी और उनके फूटेज को अभी से २४ घंटे चेक करें.
वहां के फोन की ऐनिलिसिस और लोकेशन शाम तक क्लियर हो जायेंगे, लेकिन ज्यादातर सोर्सेज, साउथ बाम्बे, सेन्ट्रल बाम्बे, खास तौर से नागपाड़ा, कालबा देवी इलाके के और कुछ इस्टर्न सबर्ब्स के हैं.
मैंने रिपोर्ट यहीं पे ब्रेक की. जब तक और ज्यादा हार्ड फैक्ट ना मिल जाएँ तब और कुछ जोड़ना बेकार था...लेकिन इतना भी आईबी और उन स्टेट्स को अलर्ट करने के लिए काफी था.
एक बार मैंने फिर से सारी काल्स चेक की और कंप्यूटर बंद कर रहा थी की गुड्डी एक प्लेट में गुझिया रख के चली गयी.
मैंने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसने बात भी नहीं की.
मुझे लगा भाभी ठीक कह रही थीं...सुबह से मैं यही उलझा हूँ...
लेकिन अभी काम बचा था. गुझिया खाते खाते मैंने बडौदा और मुम्बई में लोकेशन सर्वे किया ..दो चार लोगों को सिक्योर फोन से मेसेज किया और एक बार कार्लोस से भी बात की. उन्होंने भी बोला की वो अपने कान्टेक्ट खंगालेंगे.
मैंने सोचा की वो इकोनामिक वल्नरेबिलिटी की रिपोर्ट, जस की तस कापी पेस्ट कर दूं.उन दोनों, दत्ता और कृष्णन की रिस्पेक्ट अकेडमिक और प्रसाशनिक दोनों इलाकों में काफी थी.
उन्होंने पहले कुछ इंडीकेटर्स दिए थे फिर अपनी अनिलिसिस..
इकोनामिक वल्नरेबिलिटी की रिपोर्ट (यूं एस मिल. डालर्स)
पिछले वर्ष .... इस वर्ष ( सेम मंथ)
१ फारेन इन्वेस्टमेंट्स २,४२९ .... ५३२
२ एफ डी आई २,४१७ .... ४२१
३. फ्रेश फारेन इन्वेस्टमेंट २६ ..... -४४८
४ फारेन एक्सचेंज रिजर्व ५४ ...... १२ *
५. पेट्रोलियम ९९२ थाउसेंड बी बिल/डी .... ६२५ थाउसेंड बी बिल/डी
६ इंडस्ट्री ग्रोथ ६.२% ..... .०५%
( * थाउजेंड बिलियन ...थाउसेंड बी बिल/डी ---हजार बैरेल पर डे)
इण्डिया की करेंट हालत, १९९१, के बाद सबसे कायदा क्रिटिकल है. इस समय दो एक्सटर्नल फैक्टर भी असर कर रहे हैं .
पहला है यूरोप की इकोनामी का मल्ट डाउन करना, जिससे, रफ डायमंड, गारमेंट इत्यादि का एक्सपोर्ट पे असर पड़ रहा है और दूसरा है, चीन में मैन्युफक्चर में कमी, जिसके कारण आयरन और और बाकी मिनरल के एक्सपोर्ट में कमी हुयी है.
इसके साथ ही अनेक स्कैम और करप्शन के खिलाफ जो माहौल बना है, और एक पालिसी और डिसीजन मेकिंग पे असर पड़ा है, वो भी है. इस समय सबसे क्रिटिकल एरिया ये हैं,
१ फारेन एक्सचेंज- रुपये की कीमत लगातार गिरने से इम्पोर्ट और ख़ास तौर पे क्रूड आयल और इम्पोर्टेड कोल पर असर पड़ा है. बिजली के प्रोडक्शन की दर गिरी है और तेल की कास्ट बढ़ी है.
ऊपर बताये गए कारणों के अलावा, मिडल ईस्ट में अपराइजिंग के कारण, जो भारतीय बाहर रहकर पैसा भेजते थे उनमे भी कमी आई है. ग्रोथ रेट में कमी होने के कारण तथा कुछ ऐसे फैसले, जैसे कुछ कंपनियों पर पीछे की तारीख से टैक्स लगाने से फारेन कैश फ्लो कम ही नहीं हुआ बल्कि निगेटिव हो गया है.
२. पेट्रोलियम - विदेशी बाजार में क्रूड की कीमते और बढ़ने के आसार हैं. रुपये की कीमत गिरने से ये और महंगा होगा. पेट्रोल और डीजल की कीमतें और बढानी कठिन है, इसलिए कई रिफाइनरी ने मेंटेनेस या शट डाउन ले रखा है, क्योंकि ज्यादा प्रोडक्शन से उनका प्राफिट कम होता है. इस समय लगभग ४०% रिफाइनिंग ही हो रही है.
३. फरटीलाइजर- आधे से ज्यादा हिंद्स्तान का फरटीलाइजर इम्पोर्ट होता है और उसका दाम भी रुपये के गिरते दाम से प्रभावित् हो रहा है. सरकार अगर सब्सिडी बढाती है तो बजट का घाटा बढेगा.
४. पोर्ट - अगर किसी तरह इकोनामी सुधरी तो इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पे बहूत कुछ डिपेंड करेगा. अभी ही पोर्ट की कैपसिटी सेचुरेटेड है.
५. क्राइसीस आफ कान्फिडेंस -मार्केट, फारेन इन्वेस्टर्स में कांफिडेंस बढाने की बहोत जर्रोरत है.
मैंने कमप्यूटर बंद कर दिया था.
तब तक भाभी फिर आके मेरे पास बैठ गयीं.
अबकी वो थोड़ी सीरियस थीं.
" अरे यार ...थोडा तो तुम टाइम निकालो...अब हम लोगों में कहाँ मन लगेगा उसका. सुबह से काम में पिली पड़ी है...आज सारा खाना उस लड़की ने अकेले बनाया."
मेरे सामने भी गुड्डी का सीरियस चेहरा था ...जब वो गुझिया देने आई थी.
" नहीं मैं असल में अभी...उठ ही रहा था...बस अब कोई काम नहीं है मैं फ्री हूँ..." मैंने बहाना बनाया.
" अरे तो उस को बाजार वाजार घुमा ले आओ..यहाँ बैठी बैठी...कोई पिक्चर विक्चर..."
"हाँ बस पांच मिनट ( मुझे याद आया की अभी सारे काल डिटेल्स और बाकी फैक्ट्स एपेंडिक्स में डालने बाकी हैं वरना वो विशवास ही नहीं करेंगे) भाभी...उसके बाद तो मैं एकदम खाली हूँ...आपका पिक्चर का आइडिया परफेक्ट है और वैसे भी आज शापिंग के लियेजाना ही है, वो शीला भाभी की साडी भी तो लानी है..."
" हाँ जरा मस्त चौचक लाना उनका मूड भी ठीक हो जाएगा..." भाभी हंस के बोलीं. " और अन्दर वाला भी..." उन्होंने हंस के जोड़ा..
और साइज मैंने छेड़ा
"उन्ही से पूछ लो न...तुम तो एकदम सही गेस करते थे क्या हो गया..." भाभी भला क्यों मौका छोड़तीं.
" ३६ डी " मैंने गेस बोला..
" जरा सा गलत...डी डी ..." हंस के भाभी ने कहा और उठ के चलते हुए बोलीं, " जल्दी काम ख़तम करो...गुड्डी टेबल पे खाना लगा रही है...लगते है मैं उसे भेजती हूँ तुम्हारे पास.."
और ये कह के वो बाहर चली गयीं और मैंने भी फिर से कमप्यूटर खोल लिया. सारे फोन के डाटा और बाकी डिटेल्स एक फोल्डर में ही थे. उसे एनेक्स कर मैंने रिपोर्ट पूरी की और रीत के सिक्योर फोन पे मेल कर डी और उसे मेसेज भी कर दिया.
कम्प्यूटर बंद कर मैंने अंगडाई ली, गुड्डी की लायी बची हुयी गुझिया खायी और सोचने लगा...
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फागुन के दिन चार--67
गतांक से आगे ...........
रिपोर्ट (1)
रिपोर्ट
मैंने रीत ने जो शहरों के बारे में हिंट दिया था और डेट्स के बारे में..मगज अस्त्र का उसके लिए प्रयोग किया. मार्लो और स्मिथ दोनों की कुछ और इन्फो आ गयी थी उसे जोड़
कर रिपोर्ट बनाने लगा.
रिपोर्ट
नेम ऑफ आपरेशन- " आपरेशन त्राइडेंट" नाम जो एनेमी ने दिया है...
इम्प्लिकेशन ..........इसके तीन सम्भावित असर हैं, जो सब टेक्स्ट से जाहिर है ...सब टेक्स्ट एक स्टोरी है बूब्ब्स ओं फायर
• शहर हैं ...बनारस, बडौदा और बाम्बे ..बनारस कनफर्म है है बाकी दोनों शहरों में या उनके आसपास संभावित हमला होगा...बूब्ब्स में तीन 'बी' का प्रयोग किया गया है..
• हर हमले में तीन तरह के असर होंगे...इमीडियेट, शार्ट टर्म और लांग टर्म ....तीनो ही अब तक हुए किसी भी आतंकी हमले से ज्यादा घातक होंगे.
• तीनो जगहों पर हमले का आग से सबंध है ...बनारस में ये स्पष्ट है..लेकिन बाकी दो के बारे में अभी लिंक करना होगा.
थ्रेट परसेप्शन
• इस हमले का असर अगर हम मुम्बई में हुए २६/११ के हमले के असर को एक्स माने तो ३ से लेकर 8 एक्स तक होगा.
• लास ऑफ लाइफ बनारस के हमले में ही १७५ से २२५ तक संभावित है. बाकी जगहों के थ्रेट इससे कम नहीं होंगे.
• मुम्बई हमले में साइकोलाजिकल एडवांटेज इनामी को ज्यादा इस लिए मिला की वो अटैक तीन दिन तक चला..इस बार तीन शहरों पे एक एक दिन के गैप से एक बड़ी आतंक वादी गतिविधि होगी.तो मिडिया का अटेंशन जैसे ही तीसरे दिन कम होना शुरू होगा ...अगला अटैक प्लांड है.. इस प्रकार लगातार करीब एक हफ्ते तक मिडिया कवरेज उन्हें मिलेगा. पब्लिसिटी टेरर की सबसे बड़ी आक्सीजन है और इसमें मिडिया मैनेजमेंट और डैमेज कंट्रोल भी मुश्किल होगा.
• मुम्बई हमले में सबसे स्ट्रांग विजुअल ताज होटल में लगी आग का था. इसमें तीनो हमले में आग का इस्तेमाल करने की योजना लग रही है. बनारस की प्लानिंग बहोत कुछ स्पष्ट है...बाकी को वर्क आउट करना होगा,
मोडस आप्रेंडी
• इसमें २६/११ से अलग, स्लीपर इस्तेमाल किये जा रहे हैं. जैसा मुंबई बाम्ब ब्लास्ट में हुआ था की एक्चुअल आपरेशन के कुछ पहले ही वो देश छोड़ कर भाग गए थे. उसी तरह की योजना इस बार भी लग रही है. लेकिन २६/११ की तरह सीमा पार से नियमित सम्पर्क है.
• आपरेशन को अंजाम देने के लिए लोकल क्रिमिनल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है...वो भी जो छोटे किस्म के हैं...और उनको हुजी के आपरेटर्स सपोर्ट कर रहे हैं.
• इस में आपरेशन के बाद अगर कोई पकड़ा भी जाएगा तो वो लोकल क्रिमिनल्स ही होंगे इसलिए अन लाइक २६/११ हमारे लिए क्रास बार्डर फिंगर प्रिंट्स ढूँढना बहोत मुश्किल होगा.
• बाम्ब मेकिंग में हुजी के एक्सपर्ट्स का हाथ तो है लेकिन...वो पहले ही आकर जा चूका है...फाइनल असेम्बली लोकली ट्रेंड लोगों के पास है. ये आपरेशन सेल पैटर्न पे है...इसलिए एक सेल को नहीं मालूम है की दूसरा सेल क्या कर रहा है. इसके साथ लाजिस्टिक सपोर्ट और फाइनेंस सपोर्ट अलग अलग विंग्स के जरिये हैं जिनके बारे में स्लीपर को भी पता नहीं है. उसी तरह कंट्रोलर को फील्ड के डिटेल्स नहीं मालूम हैं.
बनारस
बनारस के बारे में काफी डिटेल्स पता चल गए हैं...
टार्गेट -
• पहला टार्गेट होलिका दहन होगा.
रिपोर्ट....(ii) बनारस
बनारस
]बनारस के बारे में काफी डिटेल्स पता चल गए हैं...
टार्गेट -
• पहला टार्गेट होलिका दहन होगा. होलिका दहन के समय उसके आस पास काफी बड़ी भीड़ रहती है और बड़ी होलिका में २००-३०० लोग आस पास रहते हैं. ये असेसमेंट है की कम से कम ७-८ होलिका को टार्गेट किया जाएगा. इस बार होलिका जलाने का समय रात में ८.२० है,
इसलिए ये हमला टाइमर के जरिये बाम्ब को एक्सप्लोड कर के होगा. इसके अलावा इस में थर्मल डिवाइसेज भी हैं तो अगर किसी भी तरह टाइमर फेल हुआ...( जैसा सूरत में बाम्ब अटैक में हुआ था) तो होलिका दहन की गरमी से से ये बम्ब एक्स्प्लोड़ हो जायेंगे.
होलिका में तरह तरह की सामग्री पड़ी रहती है. इसलिए होलिका दहन के काफी पहले कोई आदमी, होलिका में इसे डाल के छुपा सकता है. हालांकि चूँकि टाइमर २४ घंटे का ही होगा इसलिए वो होलिका दहन के २४ घंटे के अन्दर ही होगा.
दूसरा संभावित टार्गेट घाट पर आरती है. इस बार होलिका दहन का समय...और घाट पर आरती का समय..को इनसाइड कर रहा है...घाट पर हमला दो तरह से या दोनों तरह से साथ साथ हो सकता है.
एक हमला बोट पे बाम्ब के के जरिये हो सकता है..रेकी के फोटोग्राफ्स से ये साफ जाहिर है.
दूसरा तरीका नदी से ये साइड से फायरिंग भी हो सकती है...जिसमें ए के ४७ या स्नाइपर फायरिंग हो सकता है. कम से कम दो घाटों, दशाश्वमेध और अस्सी पे ये हमला हो सकता है...इन की संख्या ज्यादा भी हो सकती है. घाट पर आरती के समय नदी से हमले का प्रभाव घातक होगा. हताहतों के अलावा, वहां पर अक्सर विदेशी पर्यटक भी होते हैं और उनके भी आहत होने की सम्भावना है. दूसरे उसका मिडिया का कवरेज भी होता है इसलिए साइकोलाजिकल असर भी जायदा पड़ेगा.
• शार्ट टर्म टार्गेट - बनारस में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति है. ये घटना दंगे के लिए ट्रिगर की तरह काम करेगी. दंगे के साथ ही उसकी खबर और पिक्चर तथा रियेक्सन की फोटुयें ..और साथ ही उसको सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पे डालने की तैयारियां हैं...साथ ही ब्लॉग भी हैं..
.दंगे का असर आसपास के जिलों में भी पड़ेगा पूरी प्रीकाशन लेने पर भी काफी नुक्सान होने का डर है. दूसरी बात इसका असर अन्य राज्यों पे भी पड़ेगा. और दंगे की विभीषिका बहोत भयानक होगी. इसका राजनीतिक असर भी पड़ेगा.
• लांग टर्म टार्गेट - इस की टाइमिंग इस तरह है की इस से अगर दंगे हुए तो एक मिस ट्रस्ट पैदा होगा और जो आलमी तबलीग ( ग्लोबल कांफ्रेंस) होने वाली है उसकी आवाज बहोत तल्ख़ हो जायेगी.
दूसरा, इसके ग्लोबल रिपर्काशन होंगे.जो मेल जोल की, समझौते की ताकतें हैं वो कमजोर होंगी और हार्ड लाइनर्स को बढ़ावा मिलेगा. इस से उबरने में बहोत वक्त लगेगा.
• मेन आपरेटिव - बनारस में मेन आपरेटर का नाम हमने जेड दिया है. यह एक बहोत पुराना 'स्लीपर' है. इसके फिंगर प्रिंट्स और आईदेन्तिती किट से बने फोटो की ट्रेस किसी भी डाटा बेस में नहीं है. यह एक कम्युनिकेशन और स्पाई टेक्निक में ट्रेंड आपरेटर है.
कंट्रोलर के साथ कान्टेक्ट रखने के साथ यहाँ के सारे आपरेशन की जिम्मेदारी इसके ऊपर है. यहाँ तक की पूरे ओपरेशन का सब टेक्स्ट और कोड स्टोरी उसी ने ' बूब्ब्स ओं फायर बनारस से ही पोस्ट की है. इसका नाम मुन्ना बाबू होने की संभावना है. बाकी दोनों शहरों के अलावा, नेपाल और हैदराबाद से भी ये टच में है.
पाजिटिव बात ये है की हमें इसके पूरे कमुनिकेशन नेटवर्क, सेट फोन को ब्रेक कर लिया...और बात के टेक्स्ट को भी डी साईफर किया जा रहा है. इसने जिस आपरेटर को शुरू में प्लान किया था वो पुलिस की गिरफ्त में है.
लेकिन हुजी के चार आपरेटिव आज शाम तक बनारस पहुँच रहे है और आशंका है की उनका इस्तेमाल इस आपरेशन के लिए किया जाएगा. लेकिन उन चारों के फोटोग्राफ पुलिस के पास है और उनकी जांच की जा रही है.
• वेपन्स आफ आपरेशन - जिस बाम्ब को इस्तेमाल किया जाएगा, उस की ड्राइंग हमारे पास है. ये अबतक के किसी भी टेरर अटैक में इस्तेमाल होने वाले बाम्ब से ज्यादा खतरनाक है. जो आदमी पुलिस की पकड़ में है उसने ये बताया है की उसे डिटोनेटर, टाइमर और शार्पनेल लगाने की ट्रेनिंग दी गयी थी लेकिन उसे जो बाम्ब दिया गया था उसमें से ये तीनो चीजें निकाल ली गयी थी.
लगभग १४-१५ बाम्ब की उसने सूचना दी है. ये हो सकता है की डिटोनेटर टाइमर जेड के पास हों और बाकी हाल्फ रेडी बाम्ब कहीं और छुपाये गए हों. जब हुजी के आपरेटिव आयेंगे तो अटैक के १२-१४ घंटे पहले उन्हें दोनों चीजे दी जायेंगी.
बाम्ब की असेम्बली का काम शायद हुजी के मशहूर बाम्ब मेकर ने किया. हमारे कब्जे में आये आदमी को उसी ने डिटोनेटर और टाइमर लगाने के लिए ट्रेन किया था. हमारी इन्फो के हिसाब से यहाँ से वो फ्लाईट से नेपाल गया है लेकिन ये डीकाय हो सकता है. इसके अलावा ऐ के ४७ और स्नाइपर गन्स भी इस्तेमाल में लायी जा सकती हैं.
रिपोर्ट बनारस
[B]आर डी एक्स [/b]- अब यह कन्फर्म हो गया है की इस आपरेशन के लिए आर डी एक्स नेपाल बार्डर से आया है. यह एक गार्बेज ट्रक से आया है जिससे उसकी रास्ते में चेकिंग ना हो और ना ही स्निफिंग से वो पता चले. वह गार्बेज ट्रक एक खड्डे में गिरा मिला है और टेस्ट से उसके अन्दर आर डी एक्स की पुष्टि हो गयी है. यह भी पता चला है की गोरखपुर के एक माफिया से ऐ के ४७ और स्नाइपर बन्दूक ली गयी थीं जो इस गार्बेज ट्रक से ही आयीं.
ट्रक के ड्राइवरस की पहचान हो गयी और उनसे पूछताछ की जा रही है. उन्होंने ये बताया है की उन्हें ये बोला गया था की अंधरा पुल के पास उसे छोड़ के चले जायं. लेकिन उसमे से एक आदमी एक चाय की दूकान पे रुक गया था. उसने दो आदमी को देखा जो ट्रक ले गए...एक की शकल उस बाम्ब मेकर से मिलती है और दूसरा एक लोकल क्रिमिनल है. जिसे पोलिस ने ट्रैक कर लिया है.
• कम्युनिकेशन- जेड दो मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल एक बोट से फिक्स्ड टाइम पे कमुनिकेट करने के लिए करता है. उसी के साथ वह वन टाइम फोन और अपने कंट्रोलर्स से बात करने के लिए थुर्य सेट फोन का इस्तेमाल करता है. वो सारे नंबर जिनसे उसने बोट से बात की है, सेट फोन सहित, लोकेशन के साथ ट्रैक हो गए हैं.
इसके साथ ही जिस दिन उसका पोटेंशियल आपरेटिव पकड़ा गया, उस दिन से पुलिस के और कुछ और इम्पोर्टेंट नंबर ट्रैक किये जाने शुरू हो गए है. ये ट्रेकिंग दो सरवर्स हो रही है , एक की लोकेशन मुंबई के पास है और दोसरा एकरास बार्डर है.
• अदर इस्सू - अन्य दोनों हमलों का असर इकोनामी पे भी पड़ने की संभावना है. अभी इकोनामी को ग्रोथ रेट कम है और डालर के मुकाबले रुपये की भी हालत खराब है. किसी भी ऐसी घटना से जिससे इकोनामी में विशवास कम होगा...फारेन कैपिटल और बजाय आने के बाहर जायेगी. जिसका असर डालर के रेट पर पड़ेगा और हमारा इम्पोर्ट बिल बढेगा.
सबसे ज्यादा इम्पोर्ट का खर्चा तेल और डिफेंस पे है. तेल का भी बहोत भाग ट्रांसपोर्ट और डिफेंस में खर्च होता है. इससे वो दोनों गतिविधियाँ प्रभावित होंगी.
• वर्क टू बी डन- सबसे पहले हमें बाम्ब्स, और टाइमर्स को ट्रेस करना होगा. एक बार आपरेटर्स और जेड के ट्रेस होने पे इन्हें ट्रेस किया जा सकेगा. दूसरी बात यहाँ के लाजिस्टिक्स नेटवर्क का पूरा पता लगाना होगा. साथ ही बडौदा और मुम्बई में यहाँ के लिंक्स से पता करना होगा. हमारी विकनेस ये है की पुलिस में भी कुछ मोल होने के चांस हैं और टाइम बहोत कम है, इसलिए हम ने एक ६-८ लोगों का एक टेम्पोरेरी ग्रुप भी बनाया है. इसके अलावा हमें वर्स्ट केस सिनेरियो पे भी काम करना होगा.
• • हेल्प - हमें आई बी के लोगों की और बाकी स्टेट्स से हेल्प की जरोरत पड़ेगी. आर्मी को भी अडवांस में अलर्ट रखना होगा. नदी से अटैक होने की आशंका के चलते नेवल क्मान्डोस को भी रखना होगा. और ये सारी बाते एकदम नीड टू नो बेसिस पे होंगी.
इतनी रिपोर्ट टाइप कर के मैंने गहरी सांस ली और अंगडाई ली.
रिपोर्ट ...( जारी)
बडौदा
इतनी रिपोर्ट टाइप कर के मैंने गहरी सांस ली और अंगडाई ली.
……
डी बी के बताये गए टार्गेट में अभी २० मिनट बाकी थे. तभी भाभी अन्दर आई और सीधे मेरे कंप्यूटर पे...
( वह पहले भी कई बार मुझे कंप्यूटर पे ब्ल्यू फ़िल्म देखते पकड़ चुकी थीं)
' आफिस का काम कर रहे हो..." उन्होंने गहरी सांस ले के पुछा और मेरे पास बैठ गईं.
" हाँ थोडा सा..." मैंने बोला और एक नया पेज रिपोर्ट में खोला..
" तुम ना मैं देख रही हूँ सुबह से...इसी से चिपके हो...अरे मैंने तुम्हे बोला था बनारस से गुड्डी को साथ लाने को ...तो मैंने सोचा था की..कुछ उसका मन लगा रहेगा ...कुछ ...और वो सुबह से ...या तो काम में लगी हुयी है या...शीला भाभी उसके पीछे पड़ी हुयी हैं...थोडा उसके साथ टाइम पास करो...लेकिन...तुम तो छुट्टी पे आये हो ना...." उन्होंने सीरियस हो के पुछा.
कुछ बात टालने की गरज से, कुछ उत्सुकता वश मैंने पुछा ...
" भाभी ये शीला भाभी का क्या चक्कर है...ये आई किस लिए हैं..."
" अरे यार ...भाभी मुस्करायीं थोड़े अपने फार्म में आयीं..बोलीं..." इनकी शादी के ५-६ साल हो गए हैं कोई बच्चा नहीं हुआ...तो किसी ने इनसे कहा था की यहाँ एक साधू हैं वो गंडा बांधते है , भभूत देते है,,,तो कल उनसे मिल के वो काम तो उन्होंने कर लिया..मैंने ही कहा की अब दो तिन दिन होली रह गयी है यहीं रुक जाइए...तो मान गयीं..."
" लेकिन इत्ते दिन शादी के हुआ तो...इनके पति ..और डाक्टर को क्यों नहीं दिखाया..."
मैंने बोला.
भाभी खिलखिलाने लगीं...फिर हलके से बोलीं..." सब ठीक है डाकटर ने बोला है ...लेकिन तुम्ही क्यों नहीं कुछ कर देते अपना भभूत दे दो ना ...इधर उधर नाली में बहाते होगे...फिर उन्होंने ने राज खोला...
" उनके पति बालक प्रिय हैं...और वो भी बाटम ..पैसिव ( भाभी ने मेरी संगत में ये सब शब्द सीख लिए थे )...और थोडा होता भी नहीं उनसे...तभी तुम्हारा तम्बू देख के ..और नतीजा ये हो गया की ये भी थोडा कन्या प्रेमी हो गयी...कुछ तो शादी के पहले से ही थीं और अब ज्यादा..."
अब मेरी समझ में आया की ओ गुड्डी के पीछे क्यों पड़ी थी और गुड्डी उनसे क्यों बच रही थी. और मेरी और भी जिस तरह से वो देख रही थीं..
.
" दे दो न बिचारी को वीर्य दान..." भाभी हंस के बोली.
" धत्त ..." मैं शरमाया..
" अरे इसमें शरमाने की क्या बात है...वो भी बचपन की खिलाड़ी हैं तुम्हारी भी अच्छी ट्रेनिंग हो जायेगी मजा मिलेगा...और बिचारी का काम हो जाएगा..." भाभी ने मेरे गाल पे कस के चिकोटी काटी और जाते जाते बोलीं...जल्दी आओ गरम गरम गुझिया निकल रही है..." और चली गयीं
बचपन से मुझे होली में कडाही के पास बैठने का शौक था...और भाभी के आने के बाद तो और भी...मैंने बगल में बैठ के कभी चूल्हे की रोशनी में उनके गोरे गुलाबी दमकते चेहरे को और कभी कडाही में छनन छनन होती गुझिया...और हर लाट जो निकलता उसमे से एक भाभी के हाथ से मेरे मुंह में...कभी मैं भाभी को स्कूल की गप्प सुनाता कभी उनके छोटे मोटे काम करता,
लेकिन आज ये रिपोर्ट ...इसके साथ मुझे सपोर्टिंग डाकुमेंट्स भी अनेक्स करने होंगे..
स्मिथ का तब तक मेसेज आया ..
.मुम्बई के फोन काल्स में अरेबिया और बग़दाद का जिक्र बार बार आया था.
और इन्फो मिली बड़ोदा और मुम्बई के बारे में...एक तो जो मार्लो ने मेरे फोन को ट्रेस करने वाले कूकीस को पिगी बैक कर के उनके सर्वर में घुसने में सफलता हासिल की थी अब उसके रिजल्ट और मिल गए थे..
डेट और लोकेशन तथा परपज भी थोडा और स्पेसिफ्क हो गया था. ये पता चला था की अन लायिक बनारस, जहां ह्युमन और क्मयुनल और सोशल फेब्रिक पे अटैक था, इन दोनों जगहों पे उसका असर इकोनोमिक डेवलपमेंट से जुडा हुआ था.
तभी मुझे याद आया की मैंने इसी बात को सोच के दो लोगों को और मेसेज किया था...
एक तो सी एम् आई इ ( सेंटर फार मानिटरिंग इन्डियन इकोनामी) का १२ साल तक एडिटर था और दूसरा क्रिसिल से जुड़ा हुआ था.
मेरा शक ये था की मुझे सबसे पहले इकोनामिक वल्नरेबिलिटिस जाननी चाहिए....
ये बात मुझे कार्लोस ने सिखाई थी...सबसे इम्पोर्टेंट चीज हैक करना है तो वो है दुश्मन का दिमाग, उसके सोचने का तरीका...
और मैं उसी के तरीके से सोच रहा था. २६/११ के बाद से इन्टरनल सिक्योरिटी ख़ास तौर पे मुम्बई और बडौदा जैसे शहरों में ...तो अपने सबसे महत्वपूर्ण रिसोर्सेज का इस्तेमाल वो तभी करेगा और उस तरह करेगा,जिससे उसका अधिकतम फायदा हो ...तो इसके लिए वह हामरे सबसे कमजोर पॉइंट ढूंढेगा और उसी पर हमला करेगा ..
.इसलिए वो जो टार्गेट चुनेगा उसमें इसका अहम् रोल होगा. और इसिलए दो ऐसे लोगों को जो जानते है की वो क्या कह रहे हैं ...उनसे रिक्वेस्ट किया था की वो इकोनामिक वल्नरेबिलिटि के बारे में जो ताजा स्थिति है और अगले ५-६ महीनों तक जिस का असर होगा वो बताएं.
वह रिपोर्ट क्लाउड सर्वर पर उन लोगों ने पोस्ट कर दी थी.
फिर मैंने भुवन को लिंक किया.
भुवन, आई .एस.र. ओ. का बनाया पोरटल है. मेरा पास इसका वो लिंक था जो सिकुरिटी फोर्सेज के लिए क्लियार्ड है. मैं इसको सीधे नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी के सर्वर के जरिये लिंक कर लेता था और इसमें मात्र १० मीटर की ऊपर की ऊँचाई का क्लियर व्यू मिल जाता था.
बडौदा और मुम्बई से जो सेट लाईट काल की लोकेशंस मिली थी उन्हें मैंने इस मैप में अडजस्ट किया...
मेरी नजर घडी पे पड़ी ..ओपस...बस २० मिनट रह गए थे डेड लाइन के...
मैंने रिपोर्ट लिखनी शुरू की ...यह मेन रिपोर्ट के एनक्लोजर की तरह थी...बडौदा और मुम्बई के बारे में इन्फो बहोत कम थी लेकिन जो भी थी रिपोर्ट में मैंने डाल दी ...वैसे भी आई बी और वहां की लोकल पोलिस उसे असेस करेगी ही....
बडौदा...
• डेट- हमारी इन्फो के हिसाब से अटैक की डेट, २९ मार्च यानी होली के अगले दिन और बनारस के हमले के दो दिन बाद होगी.
इसका समय जो की मेरा अपना विश्लेषण है, लेट इवनिंग यानी शाम साधे सात से साढ़े १० बजे के अन्दर ही होगा. इसके तीन कारण लग रहे हैं, पहला, इस हमले का सब टेक्स्ट बूब्ब्स आन फायर है... आग की इस में महत्वपूर्ण भूमिका होगी...
जैसा की मैंने पहले भी कहा था की पब्लिसिटी खास तौर से इलेक्ट्रानिक मिडिया की और विजुअल पब्लिसिटी, टेरर के लिए आक्सीजन का काम करता है. इसलिए आग के लिए रात का ही बैकड्राप , उसकी भयावहता को दिखाने के लिए वो चुनेंगे.
दूसरा कारण , टेरर की अगर हम हिस्ट्री देखें तो अभी लेटेस्ट पूने में हुआ हमला रात में आठ साढ़े आठ के बीच हुआ था. मुम्बई में झावेरी बाजार और दादर का बाम्ब अटैक, दिल्ली में कनाटप्लेस में अटैक ...और २६/११....रात में साढ़े ९ के आसपास शुरू हुआ था. इसका एक कारण लोगों की भीड़ तो है ही, टी वी का प्राईम टाइम भी है.
टेरर मारने से ज्यादा डर फैलाने में यकीं रखता है...अगर रात में कोई अटैक होगा भी तो इसका असर कम होगा और दूसरे रात में पब्लिसिटी भी लीस्ट होगी.
तीसरी बात, सिक्योरिटी अटेंशन भी उस समय थोडा स्लैक रहता है. रात यानी मिड नाईट के बाद सिक्योरिटी बहोत स्ट्रिक्ट रहती है.
• इकोनामिक असेसमेंट - रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों शहरों ( मुम्बई और बडौदा ) पे अटैक का मेन परपज , इकोनामिक टारगेट हो सकते है.
पूरे भारत में सबसे ज्यादा इकोनामिक इन्वेस्टमेंट साउथ गुजारत में हो रहा है. बडौदा से लेकर अंकलेश्वर, हजीरा, सूरत और वापी एक बहोत बड़ा इन्वेस्टमेंट हब बनकर उभरा है.
बडौदा खुद एक ट्रांसपोर्ट हब है जिसके अगल बगल, ट्रांसपोर्ट से जुड़े मल्टी नॅशनल इंडस्ट्री हैं, जैसे जनरल मोटर्स, बम्बर्दियर, ( जो डेल्ही मेट्रो और बाकी मेत्रोस के लिए कोचेज बनाती है), सीमेंस, अल्काटेल,ए बी बी और भी अनेक मल्री नॅशनल कम्पनी. पेट्रोकेमिकल, फरमा , फर्तिलाइजर के साथ रोड रेल और एयर नेटवर्क भी बहोत अच्छा है.
यहाँ पास में ही दहेज में एक बहोत बड़े पेट्रोकेमिकल काम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा है जहाँ का स्पेशल एकोनामिक जोन, विश्व के सबसे बड़े ५० इकोनामिक जोन मेन है.
• टेरर हिस्ट्री - बडौदा देश के उन गिने चुने बड़े शहरों में है जहाँ अभी तक टेरर अटैक नहीं हुआ है, जबकि बगल में अहमदाबाद और सूरत में ये हमले हो चुके हैं...इसका एक बहोत बड़ा कारण शायद पुलिस का इन्फो नेट वर्क और यहाँ के लोगों को माना जा सकता है.
• पासिबिल टार्गेट - ये कहना मुश्किल है की क्या टार्गेट होगा, जैसा की बनारस में है.
लेकिन ये अंदाज लगाया जा सकता है की क्या टार्गेट नहीं होगा. ह्युमन पापुलेशन सेंटर के टार्गेट होने की संभावना दो कारणों से कम है, एक तो वहां का पैटर्न और दूसरे सबसे बड़ी बात की गुजरात में होली एक इतना इम्पोर्टेंट फेस्टिवल नहीं है. वहां सबसे ज्यादा भीड़ गरबा के समय में होती है तो अगर हुमन टार्गेट होते तो अटैक का टाइम वाही रखा जाता ना की ये समय...
• वेपन आफ अटैक - - ये इन्फो है की एक नए और अलग किस्म के बम्ब का शायद इस्तेमाल होगा. इसके बनाने में हुजी के बाम्ब मेकर का हाथ होने का पूरा चांस है.
बनारस में जो आदमी पकड़ा गया है हालांकि उसने बोला है की उसने एक काठ मांडू का एयर टिकट देखा था लेकिन वो एक डिकाय हो सकता है. पुलिस ने बाबतपुर एअरपोर्ट से जो सीसी टीवी फूटेज देखे हैं उनसे भी यही लगता है. बनारस से बडौदा के लिए सावरमती एक्सप्रेस एक सीधी ट्रेन है. हो सकता है उसने इस ट्रेन का इस्तेमाल किया हो क्योंकि भीड़ में ट्रेन में चेक करना मुश्किल रहता है...
• स्लीपर - बडौदा में जो में कान्टेक्ट प्वाइंट या स्लीपर है उसकी सिर्पफ लोकेशन मालूम है जहाँ से उसने सेट फोन से कंट्रोलर से बात किया. ये लोकेशन शहर के एकदम बाहरी हिस्से में, उत्तर पशिम की और आनंद की और है लेकिन माही नदी के पहले है.
स्लीपर के जो फोन ट्रैक हो पायें है उनके अनुसार वो दो से तीन किलोमीटर रेंज में से ही बात करता है.
• वर्क फॉर अस - हमें जल्द से जल्द अटैक के डिटेल्स, मेथोदोलोअजी, वेपन्स के बारे में पता करना होगा.
बडौदा
इतनी रिपोर्ट टाइप कर के मैंने गहरी सांस ली और अंगडाई ली.
……
डी बी के बताये गए टार्गेट में अभी २० मिनट बाकी थे. तभी भाभी अन्दर आई और सीधे मेरे कंप्यूटर पे...
( वह पहले भी कई बार मुझे कंप्यूटर पे ब्ल्यू फ़िल्म देखते पकड़ चुकी थीं)
' आफिस का काम कर रहे हो..." उन्होंने गहरी सांस ले के पुछा और मेरे पास बैठ गईं.
" हाँ थोडा सा..." मैंने बोला और एक नया पेज रिपोर्ट में खोला..
" तुम ना मैं देख रही हूँ सुबह से...इसी से चिपके हो...अरे मैंने तुम्हे बोला था बनारस से गुड्डी को साथ लाने को ...तो मैंने सोचा था की..कुछ उसका मन लगा रहेगा ...कुछ ...और वो सुबह से ...या तो काम में लगी हुयी है या...शीला भाभी उसके पीछे पड़ी हुयी हैं...थोडा उसके साथ टाइम पास करो...लेकिन...तुम तो छुट्टी पे आये हो ना...." उन्होंने सीरियस हो के पुछा.
कुछ बात टालने की गरज से, कुछ उत्सुकता वश मैंने पुछा ...
" भाभी ये शीला भाभी का क्या चक्कर है...ये आई किस लिए हैं..."
" अरे यार ...भाभी मुस्करायीं थोड़े अपने फार्म में आयीं..बोलीं..." इनकी शादी के ५-६ साल हो गए हैं कोई बच्चा नहीं हुआ...तो किसी ने इनसे कहा था की यहाँ एक साधू हैं वो गंडा बांधते है , भभूत देते है,,,तो कल उनसे मिल के वो काम तो उन्होंने कर लिया..मैंने ही कहा की अब दो तिन दिन होली रह गयी है यहीं रुक जाइए...तो मान गयीं..."
" लेकिन इत्ते दिन शादी के हुआ तो...इनके पति ..और डाक्टर को क्यों नहीं दिखाया..."
मैंने बोला.
भाभी खिलखिलाने लगीं...फिर हलके से बोलीं..." सब ठीक है डाकटर ने बोला है ...लेकिन तुम्ही क्यों नहीं कुछ कर देते अपना भभूत दे दो ना ...इधर उधर नाली में बहाते होगे...फिर उन्होंने ने राज खोला...
" उनके पति बालक प्रिय हैं...और वो भी बाटम ..पैसिव ( भाभी ने मेरी संगत में ये सब शब्द सीख लिए थे )...और थोडा होता भी नहीं उनसे...तभी तुम्हारा तम्बू देख के ..और नतीजा ये हो गया की ये भी थोडा कन्या प्रेमी हो गयी...कुछ तो शादी के पहले से ही थीं और अब ज्यादा..."
अब मेरी समझ में आया की ओ गुड्डी के पीछे क्यों पड़ी थी और गुड्डी उनसे क्यों बच रही थी. और मेरी और भी जिस तरह से वो देख रही थीं..
.
" दे दो न बिचारी को वीर्य दान..." भाभी हंस के बोली.
" धत्त ..." मैं शरमाया..
" अरे इसमें शरमाने की क्या बात है...वो भी बचपन की खिलाड़ी हैं तुम्हारी भी अच्छी ट्रेनिंग हो जायेगी मजा मिलेगा...और बिचारी का काम हो जाएगा..." भाभी ने मेरे गाल पे कस के चिकोटी काटी और जाते जाते बोलीं...जल्दी आओ गरम गरम गुझिया निकल रही है..." और चली गयीं
बचपन से मुझे होली में कडाही के पास बैठने का शौक था...और भाभी के आने के बाद तो और भी...मैंने बगल में बैठ के कभी चूल्हे की रोशनी में उनके गोरे गुलाबी दमकते चेहरे को और कभी कडाही में छनन छनन होती गुझिया...और हर लाट जो निकलता उसमे से एक भाभी के हाथ से मेरे मुंह में...कभी मैं भाभी को स्कूल की गप्प सुनाता कभी उनके छोटे मोटे काम करता,
लेकिन आज ये रिपोर्ट ...इसके साथ मुझे सपोर्टिंग डाकुमेंट्स भी अनेक्स करने होंगे..
स्मिथ का तब तक मेसेज आया ..
.मुम्बई के फोन काल्स में अरेबिया और बग़दाद का जिक्र बार बार आया था.
और इन्फो मिली बड़ोदा और मुम्बई के बारे में...एक तो जो मार्लो ने मेरे फोन को ट्रेस करने वाले कूकीस को पिगी बैक कर के उनके सर्वर में घुसने में सफलता हासिल की थी अब उसके रिजल्ट और मिल गए थे..
डेट और लोकेशन तथा परपज भी थोडा और स्पेसिफ्क हो गया था. ये पता चला था की अन लायिक बनारस, जहां ह्युमन और क्मयुनल और सोशल फेब्रिक पे अटैक था, इन दोनों जगहों पे उसका असर इकोनोमिक डेवलपमेंट से जुडा हुआ था.
तभी मुझे याद आया की मैंने इसी बात को सोच के दो लोगों को और मेसेज किया था...
एक तो सी एम् आई इ ( सेंटर फार मानिटरिंग इन्डियन इकोनामी) का १२ साल तक एडिटर था और दूसरा क्रिसिल से जुड़ा हुआ था.
मेरा शक ये था की मुझे सबसे पहले इकोनामिक वल्नरेबिलिटिस जाननी चाहिए....
ये बात मुझे कार्लोस ने सिखाई थी...सबसे इम्पोर्टेंट चीज हैक करना है तो वो है दुश्मन का दिमाग, उसके सोचने का तरीका...
और मैं उसी के तरीके से सोच रहा था. २६/११ के बाद से इन्टरनल सिक्योरिटी ख़ास तौर पे मुम्बई और बडौदा जैसे शहरों में ...तो अपने सबसे महत्वपूर्ण रिसोर्सेज का इस्तेमाल वो तभी करेगा और उस तरह करेगा,जिससे उसका अधिकतम फायदा हो ...तो इसके लिए वह हामरे सबसे कमजोर पॉइंट ढूंढेगा और उसी पर हमला करेगा ..
.इसलिए वो जो टार्गेट चुनेगा उसमें इसका अहम् रोल होगा. और इसिलए दो ऐसे लोगों को जो जानते है की वो क्या कह रहे हैं ...उनसे रिक्वेस्ट किया था की वो इकोनामिक वल्नरेबिलिटि के बारे में जो ताजा स्थिति है और अगले ५-६ महीनों तक जिस का असर होगा वो बताएं.
वह रिपोर्ट क्लाउड सर्वर पर उन लोगों ने पोस्ट कर दी थी.
फिर मैंने भुवन को लिंक किया.
भुवन, आई .एस.र. ओ. का बनाया पोरटल है. मेरा पास इसका वो लिंक था जो सिकुरिटी फोर्सेज के लिए क्लियार्ड है. मैं इसको सीधे नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी के सर्वर के जरिये लिंक कर लेता था और इसमें मात्र १० मीटर की ऊपर की ऊँचाई का क्लियर व्यू मिल जाता था.
बडौदा और मुम्बई से जो सेट लाईट काल की लोकेशंस मिली थी उन्हें मैंने इस मैप में अडजस्ट किया...
मेरी नजर घडी पे पड़ी ..ओपस...बस २० मिनट रह गए थे डेड लाइन के...
मैंने रिपोर्ट लिखनी शुरू की ...यह मेन रिपोर्ट के एनक्लोजर की तरह थी...बडौदा और मुम्बई के बारे में इन्फो बहोत कम थी लेकिन जो भी थी रिपोर्ट में मैंने डाल दी ...वैसे भी आई बी और वहां की लोकल पोलिस उसे असेस करेगी ही....
बडौदा...
• डेट- हमारी इन्फो के हिसाब से अटैक की डेट, २९ मार्च यानी होली के अगले दिन और बनारस के हमले के दो दिन बाद होगी.
इसका समय जो की मेरा अपना विश्लेषण है, लेट इवनिंग यानी शाम साधे सात से साढ़े १० बजे के अन्दर ही होगा. इसके तीन कारण लग रहे हैं, पहला, इस हमले का सब टेक्स्ट बूब्ब्स आन फायर है... आग की इस में महत्वपूर्ण भूमिका होगी...
जैसा की मैंने पहले भी कहा था की पब्लिसिटी खास तौर से इलेक्ट्रानिक मिडिया की और विजुअल पब्लिसिटी, टेरर के लिए आक्सीजन का काम करता है. इसलिए आग के लिए रात का ही बैकड्राप , उसकी भयावहता को दिखाने के लिए वो चुनेंगे.
दूसरा कारण , टेरर की अगर हम हिस्ट्री देखें तो अभी लेटेस्ट पूने में हुआ हमला रात में आठ साढ़े आठ के बीच हुआ था. मुम्बई में झावेरी बाजार और दादर का बाम्ब अटैक, दिल्ली में कनाटप्लेस में अटैक ...और २६/११....रात में साढ़े ९ के आसपास शुरू हुआ था. इसका एक कारण लोगों की भीड़ तो है ही, टी वी का प्राईम टाइम भी है.
टेरर मारने से ज्यादा डर फैलाने में यकीं रखता है...अगर रात में कोई अटैक होगा भी तो इसका असर कम होगा और दूसरे रात में पब्लिसिटी भी लीस्ट होगी.
तीसरी बात, सिक्योरिटी अटेंशन भी उस समय थोडा स्लैक रहता है. रात यानी मिड नाईट के बाद सिक्योरिटी बहोत स्ट्रिक्ट रहती है.
• इकोनामिक असेसमेंट - रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों शहरों ( मुम्बई और बडौदा ) पे अटैक का मेन परपज , इकोनामिक टारगेट हो सकते है.
पूरे भारत में सबसे ज्यादा इकोनामिक इन्वेस्टमेंट साउथ गुजारत में हो रहा है. बडौदा से लेकर अंकलेश्वर, हजीरा, सूरत और वापी एक बहोत बड़ा इन्वेस्टमेंट हब बनकर उभरा है.
बडौदा खुद एक ट्रांसपोर्ट हब है जिसके अगल बगल, ट्रांसपोर्ट से जुड़े मल्टी नॅशनल इंडस्ट्री हैं, जैसे जनरल मोटर्स, बम्बर्दियर, ( जो डेल्ही मेट्रो और बाकी मेत्रोस के लिए कोचेज बनाती है), सीमेंस, अल्काटेल,ए बी बी और भी अनेक मल्री नॅशनल कम्पनी. पेट्रोकेमिकल, फरमा , फर्तिलाइजर के साथ रोड रेल और एयर नेटवर्क भी बहोत अच्छा है.
यहाँ पास में ही दहेज में एक बहोत बड़े पेट्रोकेमिकल काम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा है जहाँ का स्पेशल एकोनामिक जोन, विश्व के सबसे बड़े ५० इकोनामिक जोन मेन है.
• टेरर हिस्ट्री - बडौदा देश के उन गिने चुने बड़े शहरों में है जहाँ अभी तक टेरर अटैक नहीं हुआ है, जबकि बगल में अहमदाबाद और सूरत में ये हमले हो चुके हैं...इसका एक बहोत बड़ा कारण शायद पुलिस का इन्फो नेट वर्क और यहाँ के लोगों को माना जा सकता है.
• पासिबिल टार्गेट - ये कहना मुश्किल है की क्या टार्गेट होगा, जैसा की बनारस में है.
लेकिन ये अंदाज लगाया जा सकता है की क्या टार्गेट नहीं होगा. ह्युमन पापुलेशन सेंटर के टार्गेट होने की संभावना दो कारणों से कम है, एक तो वहां का पैटर्न और दूसरे सबसे बड़ी बात की गुजरात में होली एक इतना इम्पोर्टेंट फेस्टिवल नहीं है. वहां सबसे ज्यादा भीड़ गरबा के समय में होती है तो अगर हुमन टार्गेट होते तो अटैक का टाइम वाही रखा जाता ना की ये समय...
• वेपन आफ अटैक - - ये इन्फो है की एक नए और अलग किस्म के बम्ब का शायद इस्तेमाल होगा. इसके बनाने में हुजी के बाम्ब मेकर का हाथ होने का पूरा चांस है.
बनारस में जो आदमी पकड़ा गया है हालांकि उसने बोला है की उसने एक काठ मांडू का एयर टिकट देखा था लेकिन वो एक डिकाय हो सकता है. पुलिस ने बाबतपुर एअरपोर्ट से जो सीसी टीवी फूटेज देखे हैं उनसे भी यही लगता है. बनारस से बडौदा के लिए सावरमती एक्सप्रेस एक सीधी ट्रेन है. हो सकता है उसने इस ट्रेन का इस्तेमाल किया हो क्योंकि भीड़ में ट्रेन में चेक करना मुश्किल रहता है...
• स्लीपर - बडौदा में जो में कान्टेक्ट प्वाइंट या स्लीपर है उसकी सिर्पफ लोकेशन मालूम है जहाँ से उसने सेट फोन से कंट्रोलर से बात किया. ये लोकेशन शहर के एकदम बाहरी हिस्से में, उत्तर पशिम की और आनंद की और है लेकिन माही नदी के पहले है.
स्लीपर के जो फोन ट्रैक हो पायें है उनके अनुसार वो दो से तीन किलोमीटर रेंज में से ही बात करता है.
• वर्क फॉर अस - हमें जल्द से जल्द अटैक के डिटेल्स, मेथोदोलोअजी, वेपन्स के बारे में पता करना होगा.
मुम्बई, इकोनोमिक असेसमेंट
मुम्बई
यहाँ के बारे में डिटेल्स अभी बडौदा से भी थोडा कम हैं.
सिर्फ ये पता चला है की अटैक ३१ को होगा और ये अब तक के हमले से अलग होगा.
इसके पहले भी मुम्बई में कोई पैट्रन रिपीट नहीं हुआ...मुम्बई ब्लास्ट, ट्रेन और २६.११ एकदम अलग अलग थे ये उन सब से अलग होगा. अभी तक जो काल्स ट्रेस हुए हैं वो ज्यादातर, मुम्बई सेन्ट्रल या नागपाड़ा के इलाके से या साउथ बाम्बे के हैं.
ये भी आशंका है की हमले में समुद्र का इस्तेमाल हो...हमें जल्दी से जल्दी उन लोगों को ट्रेस करना होगा.
सिर्फ एक बात का ये अंदाजा लग रहा था की ये अटैक अब तक के हुए सारे हमलों में भीषणतम होगा.
दूसरी बात ये थी की चूँकि उसके पहले दो हमले हो चुकेहोंगे, उन्हें इस बात का अहस्सास होगा की पुलिस की एलर्ट पीक पर होगी.और अगर उस समय भी वो कुछ बड़ा कर गुजरने में कामयाब हो गए तो एक जबर्दस्त क्राइसिस ऑफ कान्फिडेंस होगी. २६/११ के बाद सारे वौलानारेबल जगहों पे सी सी टीवी लग गए हैं इस लिए लैंड बेस्ड अटैक होने के चांसेज कम लग रहे हैं, फिर भी हमें मुम्बई पुलिस को वार्न करना होगा की अलग अलग एरिया के सीसी टीवी और उनके फूटेज को अभी से २४ घंटे चेक करें.
वहां के फोन की ऐनिलिसिस और लोकेशन शाम तक क्लियर हो जायेंगे, लेकिन ज्यादातर सोर्सेज, साउथ बाम्बे, सेन्ट्रल बाम्बे, खास तौर से नागपाड़ा, कालबा देवी इलाके के और कुछ इस्टर्न सबर्ब्स के हैं.
मैंने रिपोर्ट यहीं पे ब्रेक की. जब तक और ज्यादा हार्ड फैक्ट ना मिल जाएँ तब और कुछ जोड़ना बेकार था...लेकिन इतना भी आईबी और उन स्टेट्स को अलर्ट करने के लिए काफी था.
एक बार मैंने फिर से सारी काल्स चेक की और कंप्यूटर बंद कर रहा थी की गुड्डी एक प्लेट में गुझिया रख के चली गयी.
मैंने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसने बात भी नहीं की.
मुझे लगा भाभी ठीक कह रही थीं...सुबह से मैं यही उलझा हूँ...
लेकिन अभी काम बचा था. गुझिया खाते खाते मैंने बडौदा और मुम्बई में लोकेशन सर्वे किया ..दो चार लोगों को सिक्योर फोन से मेसेज किया और एक बार कार्लोस से भी बात की. उन्होंने भी बोला की वो अपने कान्टेक्ट खंगालेंगे.
मैंने सोचा की वो इकोनामिक वल्नरेबिलिटी की रिपोर्ट, जस की तस कापी पेस्ट कर दूं.उन दोनों, दत्ता और कृष्णन की रिस्पेक्ट अकेडमिक और प्रसाशनिक दोनों इलाकों में काफी थी.
उन्होंने पहले कुछ इंडीकेटर्स दिए थे फिर अपनी अनिलिसिस..
इकोनामिक वल्नरेबिलिटी की रिपोर्ट (यूं एस मिल. डालर्स)
पिछले वर्ष .... इस वर्ष ( सेम मंथ)
१ फारेन इन्वेस्टमेंट्स २,४२९ .... ५३२
२ एफ डी आई २,४१७ .... ४२१
३. फ्रेश फारेन इन्वेस्टमेंट २६ ..... -४४८
४ फारेन एक्सचेंज रिजर्व ५४ ...... १२ *
५. पेट्रोलियम ९९२ थाउसेंड बी बिल/डी .... ६२५ थाउसेंड बी बिल/डी
६ इंडस्ट्री ग्रोथ ६.२% ..... .०५%
( * थाउजेंड बिलियन ...थाउसेंड बी बिल/डी ---हजार बैरेल पर डे)
इण्डिया की करेंट हालत, १९९१, के बाद सबसे कायदा क्रिटिकल है. इस समय दो एक्सटर्नल फैक्टर भी असर कर रहे हैं .
पहला है यूरोप की इकोनामी का मल्ट डाउन करना, जिससे, रफ डायमंड, गारमेंट इत्यादि का एक्सपोर्ट पे असर पड़ रहा है और दूसरा है, चीन में मैन्युफक्चर में कमी, जिसके कारण आयरन और और बाकी मिनरल के एक्सपोर्ट में कमी हुयी है.
इसके साथ ही अनेक स्कैम और करप्शन के खिलाफ जो माहौल बना है, और एक पालिसी और डिसीजन मेकिंग पे असर पड़ा है, वो भी है. इस समय सबसे क्रिटिकल एरिया ये हैं,
१ फारेन एक्सचेंज- रुपये की कीमत लगातार गिरने से इम्पोर्ट और ख़ास तौर पे क्रूड आयल और इम्पोर्टेड कोल पर असर पड़ा है. बिजली के प्रोडक्शन की दर गिरी है और तेल की कास्ट बढ़ी है.
ऊपर बताये गए कारणों के अलावा, मिडल ईस्ट में अपराइजिंग के कारण, जो भारतीय बाहर रहकर पैसा भेजते थे उनमे भी कमी आई है. ग्रोथ रेट में कमी होने के कारण तथा कुछ ऐसे फैसले, जैसे कुछ कंपनियों पर पीछे की तारीख से टैक्स लगाने से फारेन कैश फ्लो कम ही नहीं हुआ बल्कि निगेटिव हो गया है.
२. पेट्रोलियम - विदेशी बाजार में क्रूड की कीमते और बढ़ने के आसार हैं. रुपये की कीमत गिरने से ये और महंगा होगा. पेट्रोल और डीजल की कीमतें और बढानी कठिन है, इसलिए कई रिफाइनरी ने मेंटेनेस या शट डाउन ले रखा है, क्योंकि ज्यादा प्रोडक्शन से उनका प्राफिट कम होता है. इस समय लगभग ४०% रिफाइनिंग ही हो रही है.
३. फरटीलाइजर- आधे से ज्यादा हिंद्स्तान का फरटीलाइजर इम्पोर्ट होता है और उसका दाम भी रुपये के गिरते दाम से प्रभावित् हो रहा है. सरकार अगर सब्सिडी बढाती है तो बजट का घाटा बढेगा.
४. पोर्ट - अगर किसी तरह इकोनामी सुधरी तो इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पे बहूत कुछ डिपेंड करेगा. अभी ही पोर्ट की कैपसिटी सेचुरेटेड है.
५. क्राइसीस आफ कान्फिडेंस -मार्केट, फारेन इन्वेस्टर्स में कांफिडेंस बढाने की बहोत जर्रोरत है.
मैंने कमप्यूटर बंद कर दिया था.
तब तक भाभी फिर आके मेरे पास बैठ गयीं.
अबकी वो थोड़ी सीरियस थीं.
" अरे यार ...थोडा तो तुम टाइम निकालो...अब हम लोगों में कहाँ मन लगेगा उसका. सुबह से काम में पिली पड़ी है...आज सारा खाना उस लड़की ने अकेले बनाया."
मेरे सामने भी गुड्डी का सीरियस चेहरा था ...जब वो गुझिया देने आई थी.
" नहीं मैं असल में अभी...उठ ही रहा था...बस अब कोई काम नहीं है मैं फ्री हूँ..." मैंने बहाना बनाया.
" अरे तो उस को बाजार वाजार घुमा ले आओ..यहाँ बैठी बैठी...कोई पिक्चर विक्चर..."
"हाँ बस पांच मिनट ( मुझे याद आया की अभी सारे काल डिटेल्स और बाकी फैक्ट्स एपेंडिक्स में डालने बाकी हैं वरना वो विशवास ही नहीं करेंगे) भाभी...उसके बाद तो मैं एकदम खाली हूँ...आपका पिक्चर का आइडिया परफेक्ट है और वैसे भी आज शापिंग के लियेजाना ही है, वो शीला भाभी की साडी भी तो लानी है..."
" हाँ जरा मस्त चौचक लाना उनका मूड भी ठीक हो जाएगा..." भाभी हंस के बोलीं. " और अन्दर वाला भी..." उन्होंने हंस के जोड़ा..
और साइज मैंने छेड़ा
"उन्ही से पूछ लो न...तुम तो एकदम सही गेस करते थे क्या हो गया..." भाभी भला क्यों मौका छोड़तीं.
" ३६ डी " मैंने गेस बोला..
" जरा सा गलत...डी डी ..." हंस के भाभी ने कहा और उठ के चलते हुए बोलीं, " जल्दी काम ख़तम करो...गुड्डी टेबल पे खाना लगा रही है...लगते है मैं उसे भेजती हूँ तुम्हारे पास.."
और ये कह के वो बाहर चली गयीं और मैंने भी फिर से कमप्यूटर खोल लिया. सारे फोन के डाटा और बाकी डिटेल्स एक फोल्डर में ही थे. उसे एनेक्स कर मैंने रिपोर्ट पूरी की और रीत के सिक्योर फोन पे मेल कर डी और उसे मेसेज भी कर दिया.
कम्प्यूटर बंद कर मैंने अंगडाई ली, गुड्डी की लायी बची हुयी गुझिया खायी और सोचने लगा...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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