FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--66
गतांक से आगे ...........
गुड्डी
जब मै बाहर निकला तो गुड्डी मेरे कमरे में ही थी और मेरा लैप टाप और जो टैबलेट मेहक ने दिया था वो खुला था और वो कुछ इधर का उधर कर रही थी.
कपडे बिस्तर पे रखे थे...और उन्हे देख के मैं चीख गया.
एक छोटा सा बाक्सर शार्ट और एक स्लिव लेस टी शर्ट...वो भी फ्लोरल...
………………..
पहनना है तो पहनो, वरना ना पहनो...गुड्डी आराम से बोली.
मैने पहन लिया.
सब कुछ दिखता था.
गुड्डी ने आके मुझे पीछे से बांहों में भर लिया और मेरे इयर लोब्स पे हल्के से किस कर लिया.
उसके उभार पीछे से मेरे पीठ पे सहला रहे थे. एक हाथ मेरे सीने पे था और दूसरा मेरी खुली जांघो पे ( सिल्केन बाक्सर्स मुश्किल से दो बित्ते के रहे होन्गे) और उसका असर वही हुआ.
जंगबहादुर कुनमुनाने लगे.
गुड्डी का हाथ अब सीधे ’उसके’ उपर था.
" देखो..देखो मैं यही कह रहा था ना...कि अब ये दिखेगा..." मैने परेशानी मे भर के उससे कहा.
" तो दिखने दो..." हल्के से बाक्सर के उपर से उसे सहलाते हुये कहा.
" है तो दिखेगा..जो दिखता है वो बिकता है..और ललचाने दो...फिर ...मैने देख लिया, तुमने तो मंजू को भी खोल के दिखा दिया अब बची तुम्हारी भाभी..और.."
" असल में भाभी ने भी देख लिया है, बहोत पहले...एक बार मैं बाथ रूम में ६१-६२ कर रहा था , उन्होने पकड लिया...और जब मैं अन्तिम निष्कर्ष पर पहुन्च गया तभी वो सामने आयीं...मैं बहोत डरा की डांट पडेगी, लेकिन वो मुस्कराती रहीं. उन्होने बहोत छेडा और हमारी दोस्ती एकदम पक्की हो गयी. मेरे मस्तराम अध्ययन की पूरी फन्डिन्ग वो ही करती थीं."
मैं मुस्करा के बोला.
" तब क्या..फिर सिर्फ शीला भाभी बचीं तो वो भी एक दिन देख लेंगी..तो जब सबने खुल्लम खुला देख लिया है...तो जरा सा झलक दिखला जा के लिये तुम इत्ति चरस बो रहे हो....
और तुम्हारे माल के पास तो ऐसे नहीं ले चलूंगी...वहां तो स्मार्ट बना के ले चलुंगी...जिससे पहली नजर में वो फिसल जाय...और उसकी बात आयी तो यार उससे बात कर लो...वो बार बार मुझे मेसेज कर रही लेकिन मन तो उसका तुम्ही से ठन्डा होगा...तुम्हारे फोन मे उसका नम्बर सेव कर दिया है,जरा मस्ती से बात करना लगे लौन्डिया पटा रहे हो...लो.."
.और गुड्डी ने नम्बर रिंग कर के दे दिया, स्पीकर फोन आन था.
" हेलो..." उधर से बडी मीठी सी आवाज आयी.
मैं कुछ नहीं बोला.
"हेलो ...बोलो ना कौन है.."
" मैं..." बहोत धीरे से मैं बोला.
पह्चान तो वो गयी होगी लेकिन ...पहचान कौन के अन्दाज में बोली..मैं कौन ..नाम बताओ ना..."
" उउउन ...तुम पहचानो...अच्छा बताओ मैं...कैसा लगता हुं..." मैने उसे और उकसाया.
यहां गुड्डी के हाथ बाक्सर शार्ट्स के उपर अब ’ उसे’ अच्छी तरह मुट्ठी में पकड के मुठिया रहे थे, जीभ की टिप मेरे कान में थी और उसके गुदाज उरोज मेरे पीठ पे कस कस के रगड रहे थे.
उधर वो एक पल के लिये ठहरी..फिर बोली...स्मार्ट..हैन्ड्सम..टाल...भैया...और जोर से खिलखिलाने लगी...और फिर शिकायतें चालू हो गयीं...
कल से आये हो फोन तक नहीं किया...अब तक आये क्यों नहीं...मेरे लिये क्या लाये हो..."
" क्या चाहिये तुमको..." मैने पूछा.
" कुछ नहीं बस आप आ जाओ..." वो बोली.
" आप..." मैं थोडा नाराजगी के अन्दाज में बोला.
" ऊप्स मेरा मतलब...तुम आ आजो ना..जल्दी.( ये हम लोगों की पूरानी अन्डरस्टैंडिंग थी)...." वो बोली. फिर खुद ही बडी अदा से बोली.
" बहोत इंतजार कराते हो तुम..."
" इन्तजार का फल बडा मीठा होता है..." मैने चिढाया.
" कब मिलेगा वो फल..." गहरी सांस लेते हुये वो बोली.
" बहोत जल्द मिलेगा...वो फल." मैं भी उसी अन्दाज में बोल रहा था.
गुड्डी की गहरी गहरी सांसों की आवाज फोन पे आ रही थी.
इधर यहां पे गुड्डी ने अपना हाथ मेरे बाक्सर शार्ट में डाल दिया था और ’उसे’ पकड कर हल्के हल्के आगे पीछे...
" कैसा होगा ..." वो फिर एक बार शरारत की अदा से बोली.
" तुम बताओ...तुम्हे कौन सा पसन्द है..." मैने छेडा.
" केला..हंस के वो बोली फिर तुरन्त मुकर गयी ...नहीं केला नहीं..."
" क्यों "मैने पूछा.
" वो छोटा वाला ना..साफ्ट साफ्ट...." अब उसकी चिढाने की बारी थी.
हम दोनो द्विअर्थी डायलाग्स का मतलब खुल के समझ रहे थे.
यहां गुड्डी ने अपना अंगुठा मेरे खुले सुपाडे पे लगा के रगड दिया...जोर से...
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी.
उधर से भी गरम गरम सांसों की आवाजें आ रही थीं.
" छोटा नहीं लम्बा, बडा और कडा कडा..." मैं बोला.
" धत्त...तुम भी ना ...कैसे बोलते हो...." कुछ शरम और अदा से वो बोली.
" इंतजार भी तो तुमने बडा लम्बा किया है ना...तो ...." मैं उसी फार्म में था...
" ओ के तो आओ ना...जल्दी...आइ ऐम वेट..वेटिंग....कम...फास्ट..." उसकी सांसे गहरी गहरी चल रही थीं. और उसने फोन रख दिया,और मैने भी.
भाभी दो बार नाश्ता करने के लिये किचेन से बुला चुकी थी.
मैं उहापोह में ...एक तो ये ड्रेस और उपर से ...जंग बहादुर पूरे ९० डिग्री...पे....
" चल यार तू तो लौंडियों से भी ज्यादा शरमाता है..खूद बोल चुके हो की भाभी खुल्लम खुल्ला देख चुकी हैं, मैने देखा ही है, मन्जू को तुमने सुबह सुबह दर्शन करा दिया...उसने भी बुरा नहीं माना...तो ..."
और मेर हाथ पकड के गुड्डी सीधे किचन में.
और मेर हाथ पकड के गुड्डी सीधे किचन में.
वहां भी मुझे देख के सबकि सांसे उपर की उपर नीचे की नीचे, सिवाय मन्जू के क्योंकी वो गुड्डी के साथ मेरे पीछे खडी थी.
स्लिव लेस टी में मेरी सारी एब्स साफ दिख रही थीं लेकिन भाभी और शीला भाभी ने जब टेन्ट पोल देखा तो .
.
" हे ये क्या हुआ..."
भाभी अपनी मुस्कराहट रोकते हुये बोली.
. शीला भाभी तो बस वहीं घूरे जा रही थीं जैसे उन्हे विश्वास ही नहीं हो रहा हो...और पीछे से गुड्डी थोडा आगे आके अदा से बोली,
" अबकी असल में इनकी गलती एकदम नहीं हैं...ज्यादा गलती आपकी उस ऐलवल वाली एक्लौती ननद की है और मैं मानती हुं ...थोडी मेरी भी है...उस का फोन आया था..."
भाभी ने जानते हुये भी मुस्करा के छेडा..." किसका साफ साफ बोल ना..."
" अरे और कौन ..इनके माल का...उस ऐलवल वाली इनकी जानेजाना का..."
गुड्डी ने मुस्कराते हुये बोला. और बात आगे बढाई .."
और मुझसे गलती ये हुयी की फोन मैने इनको पकडा दिया..."
उसी समय मैने महसूस किया की एक हाथ मेरे नितम्बों को बाक्सर शार्ट्स के उपर से सहला रहा है. ये पता करना मुश्किल था की वो गुड्डी का है या मन्जू का....
" फिर...भाभी ने मुस्कराते हुये पूछा.
गुड्डी ने बडे नाटकीय ढंग से अपनी मझली को पहले एक दम झुकाया और फिर थोडा सा उठाया ...जैसे सोता शेर, सो के उठा हो, अंगडाई ले रहा हो और फिर उंगली एक दम तन के खडी हो गयी...जैसे शेर जग गया हो...ये हो गया ...गुड्डी मेरे टेन्ट पोल की ओर इशारा कर के बोली.
उसी के साथ जो हाथ मेरे नितम्बों को सहला रहा था, एक पल के लिये रुका लेकिन एक उंगली हल्के से मेरे पिछवाडे की दरार में...
" क्यों लाला, फोन सुन के जब ओह छिनार के इ हाल है तब जब उस का गदराये जोबन की बहार देखोगे...तब तो पैंट फाड के बाहर निकल जायेगा..."
मन्जू बोली.
और साथ में मेरे पिछ्वाडे की दरार में उंगली एक दम से अन्दर घुसी...मैं समझ गया ये शरारत किसकी है.
"मन्जू सही कह रही है...हथौडा गरम है मार दो चोट..." भाभी बोलीं...अभी तो तुम बाजार जा ही रहे हो वहं भी हो लेना...."
मैं कुछ भाभी को पलट के जवाब देता की गुड्डी फिर मैदान में..
." अरे आप के कहने की जरूरत नहीं है इन दोनो लोगों की सेटिन्ग हो चुकी है...आओ ना...जल्दी...आइ ऐम वेट..वेटिंग....कम...फास्ट..( क्या जबरद्स्त ऐक्टिंग की थी गुड्डी ने...उसी तरह ...उस ...कि आवाज...लम्बी गहरी सांसे, सेक्सी हस्की आवाज...)...साथ में पीछे तंग कर रही उंगली और जोर से...नतीजा ये हुआ की जंग बहादुर ९० डिग्री से ८९ डिग्री भी होने को तैयार नहीं थे.
और अब एक बार फिर मैं डाउट में हो गया की शरारत मंजू की है या गुड्डी की ....
लेकिन मैने भाभी को जवाब दिया..
" भाभी वो तब कि तब देखी जायेगी...लेकिन तीन तीन भाभियां हैं, फागुन है...तो ये कब तक..."
मेरी बात बीच में काटती हुयी भाभी जोर से हंसते हुये बोलीं,
" अरे भैया चलो ..ये तुमने कबूला तो सही की अब ये हथोडा...अब ऐलवल में चलेगा...गुड्डी अब यार तेरी सहेली की फट के ही रहेगी..."
" अरे तो क्या हुआ....सबकी फटती है...आप ही लोग तो कह रही थीं कल रात की ...बैगन और कैन्डल के दाम बढ रहे हैं तो...कहीं इधर उधर..अब इस तरह से जवानी चढी है तो...कहीं भी मुह मार सकती है. तो इससे तो अच्छा ही है..."
गुड्डी क्यों पीछे रहती.
मैने बात बदलने में भलायी समझी....
"भाभी आप बुला रही थीं..और ये बेसन के हलवे की जबरद्स्त महक आ रहि है.."
मैने बात बदली.
" तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो बनारस से इस को ले आये...देखो कितना बढिया हलवा बनाया है..."
भाभी कडाही में से कटोरे में निकालते बोलीं.
"अर्रे इसने बनाया है तब तो मैं नहीं खाउंगा...मेरा पेट खराब हो जायेगा." मैने कटोरी पकडते हुये मुंह बनाया.
पीछे से गुड्डी ने खूब बडी सी जीभ निकाल के चिढाया.
" अर्रे खालो...खालो...अभी यहां गरम गरम हलवा खाओ और वहां जा के मेरि ननद का जबर्दस्त हलवा बनाना." भाभी बोली और फिर उन्होने बात और जोडी ..
.हं और अगर इस बनारस वाली के हाथ का खाना नहीं पसंद है ना तो भूखे ही रहना पडेगा...क्योंकी हम लोग अब गुझिया, दही बडा, पापड, सब होली के सामान बनाने जा रहे हैं और किचेन अब गुड्डी के हवाले है.."
" चलिये भाभी अब क्या कर सकते हैं अब जैसा ये चाहेगी..." गुड्डी की ओर देख के मैने बोला और अपने कमरे की ओर मुड पडा
मेर सिक्योर फोन दो बार वाइब्रेट कर चुका था.
वापस बनारस...
रीत
दो मेसेज रीत के थे...
पहला ही मेसेज एक्दम रीत टाइप का था ..शुरुआत ही धमाकेदार थी.
डबल धमाका....
"फोटो बन गयी और अच्छी बनी. शकल से ही वो कमीना लगता है. तुम्हारा दूबे भाभी वाला आईडिया सही चला. कहते हैं ना कभी कभी अंधे भी अंधेरे में तीर चला लेते हैं...बस उसी तरह...
दूबे भाभी के कान्टैक्ट से...हम पान वाले के दुकान तक पहुंच गये, जबर्दस्त ठरकी है...सोनल के पास उसने पहुंचा दिया.
नाव वाले की बात एक दम सही थी खूब भरे बदन वाली ३६ से ज्यादा ही होगी फिगर...और कार्लोस ने तो उसे ऐसा लपेटा सब उगल दिया उसने...और क्या जबर्दस्त डिस्क्रिपशन दिया...१०-१५ मिनट में फोटो बन गयी..फिर वो कम्प्युटर में और करेक्ट हो के....सोनल बोली...एक दम यही.
अब तुम पूछोगे दूसरा धमाका क्या...
(वास्तव में मैं यही सोच रहा था...)
तो कार्लोस ने ये पता लगा लिया कि उन दोनो ने कुछ नहीं किया...ये मत पूछना क्या वरना अभी अच्छी वाली बनारसी गाली सुनाउंगी ...हां एक दिन सोनल ने कबूल किया ..
.वो बोली की ये भी नही साला हिन्जडा हो ...कुछ खास नही है लेकिन है...खडा होता है..
एक दिन बहूत मैने कहा ...वो थका भी था..तो मैने कहा अच्छा मसाज कर दूं वो बोला हं और फिर बोला..ओरल कर सकती हो..
.मुझे क्या साल्ला मोटा असामी..मैने मुंह में ले के,चूस चूस के खलास कर दिया..
.बस १० दिन में वही एक दिन...वरना मिलने के बाद बस...एक ही बात...गाना सुनाओ...और साल्ले को गाने की तमीज भी नहीं ...रोज जैसे मैं गाना शुरु करुं...तो वो थोडी देर में बाथ रूम में ...और उस के बाद मैं अगर सांस लेने के लिये रुकुं..तो भी अंदर से चिल्लायेगा की...गाना चालू रखो.."
रीत ने सोचा की जेड इससे लगातार गाने के लिये इस लिये कहता होगा कि जिससे वो जो फोन पे बात करे, वो इसे ना सुनायी दे.
रीत ने फिर सोनल से पूछा..
" वो जो आदमी ..वो आप से कहां मिलता था."
सोनल ने उसे बताया कि चेत सिंह घाट के थोडा पहले..सोनल ही पहुंच के इन्तजार करती थी. और वो हेल्मेट लगाये वहीं आता था. नाव पे कमरे में पहूंच के ही वो हेल्मेट उतारता था.
रीत ने फिर पूछा ,
"और वो जब आप से मिलता था तो उसके हाथ में कुछ होता था...कोयी बैग, ब्रीफ केस..कुछ भी..कल जो आप से अलग हुआ तो ....बोट से कुछ ले गया था .."
" नहीं कुछ नहीं...खाली हाथ आता था और खाली हाथ जाता था, उसका हाथ तो मेरी कमर पे घाट पे और गली में रहता था.
रीत ने कार्लोस को इशारा किया की हमें नाव पे फिर चलना होगा.
चलने के पहले सोनल ने हम लोगों को बढिया पान खिलाया और कार्लोस ने उससे टाईम ले लिया...होली के अगले दिन शाम को...और उसके कमर पे हाथ रख के उसके, भारी भारी नितम्बो को हलके से प्यार से सहला दिया.
सीढी से उतरते समय, मैने कार्लोस को समझाया की अगर वो आदमी खाली हाथ आता जाता था, तो सारे फोन वहीं होंगे, मोबाइल, सेट फोन, और वन टाइम फोन...बिना किसी बैग के ...एक बार हमें फिर चेक करना होगा.
सोनल इतनी खुश थी की जब हम सीढी से उतर रहे थे तो उसने हमें उसने एक बार फिर आवाज दी और नीचे से हम फिर उपर ..
.सोनल ने बताया ...की शायद उस आदमी का नाम मुन्ना बाबू था. एक दिन जब वो लोग घाट से गली में आ गये थे और सोनल अपने रास्ते पे मुड चुकी थी...उस समय...किसी ने उस को मुन्ना बाबू कह के पुकारा था ..
.
नीचे उतर के कार्लोस और रीत ने उस पान वाले को भी थैंक्स दिया .
नाव पे पहुंचने के बाद फिर रीत को मल्लाह को पटाना पडा ...की ये फिरन्गी जरा एक घंटे..नाव में सैर करने के साथ...समझ गये ना...
वो बोला...हां ..लेकिन.
..
रीत ने पासा फेंका...उसके कंधे पे हाथ रख के वो बोली..
."अरे यार मैं इस लिये नहीं तुम्हे अलग ले आयी हूँ ...असल में अस्सी में इसको एक नाव दिख गयी थी...लेकिन मैं किसी तरह पटा के ले आयी हूं....तू समझता नहीं है यार...आप इससे ५० डालर मांगो...ये मना करेगा लेकिन २० डालर पे सौदा तय कर लेना."
लेकिन ..नाव वाला फिर हिचकिचा रहा था ...
"अरे यार २० डालर मतलब ११०० रुपये हुआ...री बोली..माल्लूम है डालर का दाम कितना चढ रहा है ..."रीत बोली
" मालूम है तभी तो बोल रहा हूँ देगा की नहीं ..." नाव वाला मुस्करा के बोला.
"अरे ये ठरकी....होते है नम्बरी ..इसको शौक चढ़ गया है की ज़रा चलती नाव में मौज मस्ती करके देखे ...इसलिए..."
रीत मुस्करा के बोली
२० डालर पे सौदा तय हो गय...और अबकी कार्लोस कुछ यन्त्र ले के आया था.
उससे उसने टायलेट में चारो ओर दिवाल पे घुमया लेकिन कुछ पता नही चला..
फर्श पे करने पे अचानक एक जगह से बीप की आवाज आने लगी..कार्लोस ने हाथ से वहां थप थप किया और एक फ्लोर बोर्ड को हटाया. उसके नीचे काले प्लास्टिक में रैप किये हुए फोन मिले. दो मोबाइल, एक थ्रुया सेट फोन और कुछ वन टाइम फोन कार्ड
...
रीत और कार्लोस ने जैसा की परम्परा है...एक बार फिर से हाथ मिलाया.
हाल बनारस का
कार्लोस ने एक पेन में लगे पावर फुल कैमरे से सब की फोटुयें खींची और एक छोटा सा ट्रान्स्पांडर लगा के सारा डाटा उन फोन्स से ट्रांस्फर कर लिया . लेकिन अभी भी एक परेशानी की बात थी...सिम एक भी नहीं मिली थी.
उन लोगो ने एक बार फिर से ढून्डना शुरु किया...लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला...
कार्लोस ने उन फोन्स पर से जेड कि फिन्गर प्रिन्त्स लेनी शुरु कर दीं और रीत बेड रूम में आ गयी. वो पलंग पे बैठ गयी और सोचने लगी. तभी उस कि निगाह दारू की बोतल पे पडी...और बिजली चमकी...
वो बोतल लेके...टायलेट में आयी और उसे कार्लोस को दिखाया..."
" यु वान्ट टू सेलिब्रेट विद दिस रम...नाट वेरी गूड, जमैकन रम इज बेटर...बट आई लाईक वाइन..."
कार्लोस ने बोला.
रीत ने बिना कुछ बोले एक मग में सारी रम उडेल दी. बोतल के अंदर एक प्लास्टिक का पाउच था.
रीत ने अपने बाल से चिमटी निकाली और पाउच बाहर ...
उसमें सारी सिम थीं...अबकी उन लोगों ने तीन बार हाथ मिलाया और एक बार गले भी मिले .
कार्लोस ने तुरन्त सिम का डाटा अपने मशीन में ट्रांस्फर किया और फिर वो लोग बाहर निकल पडे.
उस समय नाव तुलसी घाट के पास थी...
रीत ने थोडा अपना मेक अप बिगाडा, बाल इधर उधर किये और जाके नाव वाले से नाव लगाने के लिये बोल..तो वो मुस्करा के बोला
".अभी तो आधा घन्टा हुआ है...आप ने तो घन्टे भर का पैसा दिया था."
" अरे तुझसे कौन रिफंड मांग रहा है...मूझसे पूछ.... आधे घंटे में चूल चूल ढिली हो गयी. बडी ताकत होती है इन साल्ले फिरंगियों में...उतार दे यहां वरना वो फिर चालू हो गया तो..."
रीत झुंझला के बोली.
और उसने रीत और कार्लोस को तुलसी घाट पे उतार दिया.
एक मेसेज स्मिथ का लंदन से था...उसमें भी डबल धमाका था..
.एक... उन्होने लिट ईरोटिका मैगजीन के सर्वर को हैक करके ये पता कर लिया था...की बूब्स आन फायर स्टोरी कहां से भेजी गयी थी. ये स्टोरी बनारस में मदन पुरा के किसी साईबर कैफे से पोस्ट की गयी थी. उसने २५० स्क्वायर मीटर का ऐरिया भी आईडेन्टीफाई कर लिया था .
दूसरी बात ये थी की ऐक्रास बार्डर कम्युनिकेशन बढा हुआ था.
आज डबल धमाके का दिन था.
अमेरिका से मार्लो के दो नये मेसेज थे. सबसे बडी खुश खबरी ये थी की मेरे जो अन सिक्योर्ड फोन हैक हो रहे थे...उन मेसेज को पिगि बैक कर के...उस ने उस कन्ट्र्रोलर का सर्वर हैक कर लिया था और ये पता चल गया था कि उन्होने इस आपरेशन का नाम आपरेशन ट्राईडेन्ट रखा है, और निशाने पे तीन शहर हैं.
दूसरी बात ये की पहले वो आपरेशन एबार्ट करने की सोच रहे थे...लेकिन मेरे कल और आज की काल ट्रैक करने के बाद उन्होने अपन इरादा बदल दिया.
मार्लो ने कल रात मेरी , गुड्डी और रीत के बीच एक्सेचेंज हुये मेसेज और आज ऐलवल से मेरी बात का ट्रान्स्क्रिप्ट और उस पे उस के कंट्रोलर का कमेंट भेजा था.
जेड के कंट्रोलर ने कमेंट किया था की.." ही इस इन्ज्वाव्यिन्ग...बट वीकैन नाट टेक रिस्क...कीप हींम अंडर क्लोज फिजिकल सरवायलेंस...." और ये भी पता चला था..की ..वो लोग किसी ऐसे आदमी को बनारस से भेज रहे हैं जिसने मुझे बनारस में देखा हो.
कार्लोस ने मुझे सिम से निकले सारे डेटा भेज दिये थे. वो और रीत फेलु दा के यहाँ थे और सन्देश खा रहे थे.
डी बी के दो मेसेज थे...लेकिन उस के पहले एक डांट थी...
"रीत यहां इतना काम कर रही और मैं सिर्फ मस्ती कर रहा हुं.मैं आधे घन्टे में एक कन्सालिटेडे रिपोर्ट बना के भेजूं. सूचना दो थी, एक अच्छी एक बुरी..अच्छी ये. की उस गार्बेज ट्र्क का पता चल गया है जो नेपाल बार्डर से आर डी एक्स ट्रांस्पोर्ट के लिये इस्तेमाल हुयी.
वो राजघाट के पास एक गड्ढे में गिरी पायी गयी. आर डी एक्स के ट्रांस्फर के बारे में भी हाट ट्रेल है और जल्द ही पता चल जायेगा.
बुरी खबर ये थी की ४-६ हुजी के आपरेटिव बनारस के लिये चल पडे हैं. उन के आज शाम या रात तक बनारस में घुसने की सम्भावना है.
हाल बनारस का
कार्लोस ने एक पेन में लगे पावर फुल कैमरे से सब की फोटुयें खींची और एक छोटा सा ट्रान्स्पांडर लगा के सारा डाटा उन फोन्स से ट्रांस्फर कर लिया . लेकिन अभी भी एक परेशानी की बात थी...सिम एक भी नहीं मिली थी.
उन लोगो ने एक बार फिर से ढून्डना शुरु किया...लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला...
कार्लोस ने उन फोन्स पर से जेड कि फिन्गर प्रिन्त्स लेनी शुरु कर दीं और रीत बेड रूम में आ गयी. वो पलंग पे बैठ गयी और सोचने लगी. तभी उस कि निगाह दारू की बोतल पे पडी...और बिजली चमकी...
वो बोतल लेके...टायलेट में आयी और उसे कार्लोस को दिखाया..."
" यु वान्ट टू सेलिब्रेट विद दिस रम...नाट वेरी गूड, जमैकन रम इज बेटर...बट आई लाईक वाइन..."
कार्लोस ने बोला.
रीत ने बिना कुछ बोले एक मग में सारी रम उडेल दी. बोतल के अंदर एक प्लास्टिक का पाउच था.
रीत ने अपने बाल से चिमटी निकाली और पाउच बाहर ...
उसमें सारी सिम थीं...अबकी उन लोगों ने तीन बार हाथ मिलाया और एक बार गले भी मिले .
कार्लोस ने तुरन्त सिम का डाटा अपने मशीन में ट्रांस्फर किया और फिर वो लोग बाहर निकल पडे.
उस समय नाव तुलसी घाट के पास थी...
रीत ने थोडा अपना मेक अप बिगाडा, बाल इधर उधर किये और जाके नाव वाले से नाव लगाने के लिये बोल..तो वो मुस्करा के बोला
".अभी तो आधा घन्टा हुआ है...आप ने तो घन्टे भर का पैसा दिया था."
" अरे तुझसे कौन रिफंड मांग रहा है...मूझसे पूछ.... आधे घंटे में चूल चूल ढिली हो गयी. बडी ताकत होती है इन साल्ले फिरंगियों में...उतार दे यहां वरना वो फिर चालू हो गया तो..."
रीत झुंझला के बोली.
और उसने रीत और कार्लोस को तुलसी घाट पे उतार दिया.
एक मेसेज स्मिथ का लंदन से था...उसमें भी डबल धमाका था..
.एक... उन्होने लिट ईरोटिका मैगजीन के सर्वर को हैक करके ये पता कर लिया था...की बूब्स आन फायर स्टोरी कहां से भेजी गयी थी. ये स्टोरी बनारस में मदन पुरा के किसी साईबर कैफे से पोस्ट की गयी थी. उसने २५० स्क्वायर मीटर का ऐरिया भी आईडेन्टीफाई कर लिया था .
दूसरी बात ये थी की ऐक्रास बार्डर कम्युनिकेशन बढा हुआ था.
आज डबल धमाके का दिन था.
अमेरिका से मार्लो के दो नये मेसेज थे. सबसे बडी खुश खबरी ये थी की मेरे जो अन सिक्योर्ड फोन हैक हो रहे थे...उन मेसेज को पिगि बैक कर के...उस ने उस कन्ट्र्रोलर का सर्वर हैक कर लिया था और ये पता चल गया था कि उन्होने इस आपरेशन का नाम आपरेशन ट्राईडेन्ट रखा है, और निशाने पे तीन शहर हैं.
दूसरी बात ये की पहले वो आपरेशन एबार्ट करने की सोच रहे थे...लेकिन मेरे कल और आज की काल ट्रैक करने के बाद उन्होने अपन इरादा बदल दिया.
मार्लो ने कल रात मेरी , गुड्डी और रीत के बीच एक्सेचेंज हुये मेसेज और आज ऐलवल से मेरी बात का ट्रान्स्क्रिप्ट और उस पे उस के कंट्रोलर का कमेंट भेजा था.
जेड के कंट्रोलर ने कमेंट किया था की.." ही इस इन्ज्वाव्यिन्ग...बट वीकैन नाट टेक रिस्क...कीप हींम अंडर क्लोज फिजिकल सरवायलेंस...." और ये भी पता चला था..की ..वो लोग किसी ऐसे आदमी को बनारस से भेज रहे हैं जिसने मुझे बनारस में देखा हो.
कार्लोस ने मुझे सिम से निकले सारे डेटा भेज दिये थे. वो और रीत फेलु दा के यहाँ थे और सन्देश खा रहे थे.
डी बी के दो मेसेज थे...लेकिन उस के पहले एक डांट थी...
"रीत यहां इतना काम कर रही और मैं सिर्फ मस्ती कर रहा हुं.मैं आधे घन्टे में एक कन्सालिटेडे रिपोर्ट बना के भेजूं. सूचना दो थी, एक अच्छी एक बुरी..अच्छी ये. की उस गार्बेज ट्र्क का पता चल गया है जो नेपाल बार्डर से आर डी एक्स ट्रांस्पोर्ट के लिये इस्तेमाल हुयी.
वो राजघाट के पास एक गड्ढे में गिरी पायी गयी. आर डी एक्स के ट्रांस्फर के बारे में भी हाट ट्रेल है और जल्द ही पता चल जायेगा.
बुरी खबर ये थी की ४-६ हुजी के आपरेटिव बनारस के लिये चल पडे हैं. उन के आज शाम या रात तक बनारस में घुसने की सम्भावना है.
रीत अगेन
मैंने रिपोर्ट बनानी शुरू की थी की फिर सिक्योर फोन बजा...रीत..
" एक तुम्हारे लिए एक खुश खबरी है और तुम्हारे उस ऐल्वल वाले माल के ले लिए भी... मैंने एक ठरकी सेना का निर्माण करने का फैसला कर लिया है..और डी बी ने इसकी मंजूरी दे दी है. " वो बोली.
" ठरकी सेना ...और डीबी ...मैं समझा नहीं..." मैंने कहा.
" अरे यार मैंने डी बी से कहा था की मैं ४-६ ऐसे लोगों को रिक्रूट कर लू शार्ट पीरियड के लिए जो मेरी हेल्प कर सकें...जेड और उसके चमचों का पीछा कर सकें, उन्हें ट्रेस कर सकें और सीधे मुझे रिपोर्ट करें...तो वो मान गए...उन लोगों को पर डे का एक्सपेंडीचर मिलेगा..." वो बोली.
" हां पोलिस के पास कुछ ऐसे कामों के लिए अन अकाउंट फंड होता है..." मैंने बोला.
" तो मैं सोचती रही की किसे पकडू तो मेरे दिमाग में ख्याल आया की जेड को ही कापी करूँ...तो उसने चुम्मन को यूज करने की कोशिश की थी ...
जो था तो बेसिकली ठरकी ही ना...लड़कियों के स्कूल के आस पास टाइम पास करता था...लेकिन था बेवकूफ ..इसलिए बजाय मजा मिलने के पिट गया. तुम जानते हो एक अच्छे ठरकी में कया गुण होते हैं...."
रीत ने पूछा.
जब रीत धराप्रवाह बोलने के मूड में हो तो चुप रहना ही अच्छा होता है...मैं चुप रहा.
" अरे यार पहली बात तो उसकी आब्जर्वेशन पावर गजब की होती है...कौन सी लड़की की उम्र क्या होगी...किस स्कूल, कालेज में पढ़ती होगी, घर से कब आती जाती है कहाँ आती जाती है, उसके भाई है की नहीं, हैं तो कही पीटने के मूड वाले तो नहीं है..किस से पटी है ..अगर नहीं पटी है तो कैसे पटेगी...सब कुछ...
दूसरी बात डीडकशन पावर ...वो सैंडल का नम्बर जानकर ब्रा का नंबर पता लगा लेता है...
तीसरा उसके अन्दर पहल करने की, इन्शियेटिव लेने की कैपिसिटी...एक ज़रा सी चाकलेट के टुकडे, से बस स्टैंड पर खड़ी किसी लड़की को पटा लेना, उसे बाईक से घर छोड़ने के बहाने उसके घर का पता लगा लेना...इस प्रकार की एक खोजी प्रवृत्ति ..
.और सबसे बड़ी बात वो रिजल्ट ओरिएंटेड होता है..धुप गर्मी बरसात ..बस वो जिस लड़की के पीछे पड़ गया बस खड़ा तडता रहेगा. फिर उसकी मोबिलिटी होती है..आजकल इन जीवों के पास बाईक होना कामन है..और हर छोटी बड़ी गली कूचे सब उसके जाने हुए होते है..."
रीत का ये ठरकी पुराण कब तक चलता ..लेकिन वो एक पल के लिए रुकी और मैं बोल पडा...
" मिलेंगे कहाँ ..."
वो जोर से हंसी..." कर्टसी यू और तुम्हारा माल..."
मतलब ....मेरे समझ में कुछ नहीं आया.
" अरे यार भूल गए ...कल दिन में जब अपने बहन कम माल की रेट लिस्ट का पोस्टर बना कर बनारस के गली मोहल्ले में टहल रहे थे...
( मुझे याद आ गया...कैसे मेरी शर्ट पैंट गुड्डी रीत ने हस्तगत कर ली थी..और उस पर शुद्ध बनारसी गालियों के साथ 'रेट लिस्ट ' सी बना दी थी और चलने के पहले मेरे मोबाइल के नंबर भी शर्ट पे लिक दिए थे. मोबाइल गुड्डी के कब्जे में था और जो फोन आये थे उसने सब रीत को फारवर्ड कर दिए थे की 'इसकी ' मैंनेजर रीत ही रहेगी...और मुझे फोन देने के पहले वो सारे मेसेज डिलीट कर दिए थे...)
इत्ते ढेर सारे मेसेज आये थे...आई कैन टेल यू टू थिंग्स...जब तुम उस को अपने साथ ले आओगे ना...तो एक तो वो बनारस में बहोत पापुलर रहेगी और दूसरी...बहोत बिजी रहेगी..."
मैं चुप रहा ..क्या बोलता...रीत ही फिर स्टार्ट हो गयी...
" क्राइसिस आफ प्लेंटी ....तुम्हे मालूम है मैंने सेलेक्शन का क्या तरीका चुना..." वो बोली..
" न...तुमने बताया ही नहीं..." मैंने हंस के कहा.
" सिंपल...साइज़ मैटर्स ....देखो अब तुम तो उसको चखा ही दोगे यहाँ आने से पहले ...तो बनारस का नाम ना डूबे ..तो...वो तुमसे २० नहीं तो उन्नीस भी नहीं हैं...ऐसे ६-७ मैंने शार्ट लिस्ट कर लिए हैं...
और उनमें से ४ की फोटो भी गुड्डी के पास भेज दी है ..अब देखो ना ठरकी हो तो ...उनका आब्जेर्वेशन ...तुम्हारी शर्ट पे उन्होंने रेट देखा, मोबाइल नंबर देखा, इन्शियेटिव...बिना हिचकिचाए ..मेसेज किया,
बोल्ड नेस की वो डरे नहीं की तुम कहीं पलट के ...टीनैस्टी...वो सब लगे हुए हैं हर चार पांच घंटे में उनका मेसेज आ जाता है ...तो जैसे ही मैं डी बी के साथ मीटिंग से वापस आउंगी ना..बस मैंने उनको बुला लिया है और काम पे लगा दूंगी....ऊप्स लेट हो गयी मै ...तुमसे बात कर के...तुम भी ना..."
और उसने फोन रख दिया...
रीत भी ना ...खुद गप मारेगी खुद बोलेगी लेट करा दिया...लेकिन रीत तो रीत है...और उसका ये ठरकी सेना का आइडिया भी गजब का है..
.मैंने घडी देखा...लेट हो रहा है...मैंने भी डेस्क टाप खोला .रिपोर्ट बनाने में लग गया...
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फागुन के दिन चार--66
गतांक से आगे ...........
गुड्डी
जब मै बाहर निकला तो गुड्डी मेरे कमरे में ही थी और मेरा लैप टाप और जो टैबलेट मेहक ने दिया था वो खुला था और वो कुछ इधर का उधर कर रही थी.
कपडे बिस्तर पे रखे थे...और उन्हे देख के मैं चीख गया.
एक छोटा सा बाक्सर शार्ट और एक स्लिव लेस टी शर्ट...वो भी फ्लोरल...
………………..
पहनना है तो पहनो, वरना ना पहनो...गुड्डी आराम से बोली.
मैने पहन लिया.
सब कुछ दिखता था.
गुड्डी ने आके मुझे पीछे से बांहों में भर लिया और मेरे इयर लोब्स पे हल्के से किस कर लिया.
उसके उभार पीछे से मेरे पीठ पे सहला रहे थे. एक हाथ मेरे सीने पे था और दूसरा मेरी खुली जांघो पे ( सिल्केन बाक्सर्स मुश्किल से दो बित्ते के रहे होन्गे) और उसका असर वही हुआ.
जंगबहादुर कुनमुनाने लगे.
गुड्डी का हाथ अब सीधे ’उसके’ उपर था.
" देखो..देखो मैं यही कह रहा था ना...कि अब ये दिखेगा..." मैने परेशानी मे भर के उससे कहा.
" तो दिखने दो..." हल्के से बाक्सर के उपर से उसे सहलाते हुये कहा.
" है तो दिखेगा..जो दिखता है वो बिकता है..और ललचाने दो...फिर ...मैने देख लिया, तुमने तो मंजू को भी खोल के दिखा दिया अब बची तुम्हारी भाभी..और.."
" असल में भाभी ने भी देख लिया है, बहोत पहले...एक बार मैं बाथ रूम में ६१-६२ कर रहा था , उन्होने पकड लिया...और जब मैं अन्तिम निष्कर्ष पर पहुन्च गया तभी वो सामने आयीं...मैं बहोत डरा की डांट पडेगी, लेकिन वो मुस्कराती रहीं. उन्होने बहोत छेडा और हमारी दोस्ती एकदम पक्की हो गयी. मेरे मस्तराम अध्ययन की पूरी फन्डिन्ग वो ही करती थीं."
मैं मुस्करा के बोला.
" तब क्या..फिर सिर्फ शीला भाभी बचीं तो वो भी एक दिन देख लेंगी..तो जब सबने खुल्लम खुला देख लिया है...तो जरा सा झलक दिखला जा के लिये तुम इत्ति चरस बो रहे हो....
और तुम्हारे माल के पास तो ऐसे नहीं ले चलूंगी...वहां तो स्मार्ट बना के ले चलुंगी...जिससे पहली नजर में वो फिसल जाय...और उसकी बात आयी तो यार उससे बात कर लो...वो बार बार मुझे मेसेज कर रही लेकिन मन तो उसका तुम्ही से ठन्डा होगा...तुम्हारे फोन मे उसका नम्बर सेव कर दिया है,जरा मस्ती से बात करना लगे लौन्डिया पटा रहे हो...लो.."
.और गुड्डी ने नम्बर रिंग कर के दे दिया, स्पीकर फोन आन था.
" हेलो..." उधर से बडी मीठी सी आवाज आयी.
मैं कुछ नहीं बोला.
"हेलो ...बोलो ना कौन है.."
" मैं..." बहोत धीरे से मैं बोला.
पह्चान तो वो गयी होगी लेकिन ...पहचान कौन के अन्दाज में बोली..मैं कौन ..नाम बताओ ना..."
" उउउन ...तुम पहचानो...अच्छा बताओ मैं...कैसा लगता हुं..." मैने उसे और उकसाया.
यहां गुड्डी के हाथ बाक्सर शार्ट्स के उपर अब ’ उसे’ अच्छी तरह मुट्ठी में पकड के मुठिया रहे थे, जीभ की टिप मेरे कान में थी और उसके गुदाज उरोज मेरे पीठ पे कस कस के रगड रहे थे.
उधर वो एक पल के लिये ठहरी..फिर बोली...स्मार्ट..हैन्ड्सम..टाल...भैया...और जोर से खिलखिलाने लगी...और फिर शिकायतें चालू हो गयीं...
कल से आये हो फोन तक नहीं किया...अब तक आये क्यों नहीं...मेरे लिये क्या लाये हो..."
" क्या चाहिये तुमको..." मैने पूछा.
" कुछ नहीं बस आप आ जाओ..." वो बोली.
" आप..." मैं थोडा नाराजगी के अन्दाज में बोला.
" ऊप्स मेरा मतलब...तुम आ आजो ना..जल्दी.( ये हम लोगों की पूरानी अन्डरस्टैंडिंग थी)...." वो बोली. फिर खुद ही बडी अदा से बोली.
" बहोत इंतजार कराते हो तुम..."
" इन्तजार का फल बडा मीठा होता है..." मैने चिढाया.
" कब मिलेगा वो फल..." गहरी सांस लेते हुये वो बोली.
" बहोत जल्द मिलेगा...वो फल." मैं भी उसी अन्दाज में बोल रहा था.
गुड्डी की गहरी गहरी सांसों की आवाज फोन पे आ रही थी.
इधर यहां पे गुड्डी ने अपना हाथ मेरे बाक्सर शार्ट में डाल दिया था और ’उसे’ पकड कर हल्के हल्के आगे पीछे...
" कैसा होगा ..." वो फिर एक बार शरारत की अदा से बोली.
" तुम बताओ...तुम्हे कौन सा पसन्द है..." मैने छेडा.
" केला..हंस के वो बोली फिर तुरन्त मुकर गयी ...नहीं केला नहीं..."
" क्यों "मैने पूछा.
" वो छोटा वाला ना..साफ्ट साफ्ट...." अब उसकी चिढाने की बारी थी.
हम दोनो द्विअर्थी डायलाग्स का मतलब खुल के समझ रहे थे.
यहां गुड्डी ने अपना अंगुठा मेरे खुले सुपाडे पे लगा के रगड दिया...जोर से...
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी.
उधर से भी गरम गरम सांसों की आवाजें आ रही थीं.
" छोटा नहीं लम्बा, बडा और कडा कडा..." मैं बोला.
" धत्त...तुम भी ना ...कैसे बोलते हो...." कुछ शरम और अदा से वो बोली.
" इंतजार भी तो तुमने बडा लम्बा किया है ना...तो ...." मैं उसी फार्म में था...
" ओ के तो आओ ना...जल्दी...आइ ऐम वेट..वेटिंग....कम...फास्ट..." उसकी सांसे गहरी गहरी चल रही थीं. और उसने फोन रख दिया,और मैने भी.
भाभी दो बार नाश्ता करने के लिये किचेन से बुला चुकी थी.
मैं उहापोह में ...एक तो ये ड्रेस और उपर से ...जंग बहादुर पूरे ९० डिग्री...पे....
" चल यार तू तो लौंडियों से भी ज्यादा शरमाता है..खूद बोल चुके हो की भाभी खुल्लम खुल्ला देख चुकी हैं, मैने देखा ही है, मन्जू को तुमने सुबह सुबह दर्शन करा दिया...उसने भी बुरा नहीं माना...तो ..."
और मेर हाथ पकड के गुड्डी सीधे किचन में.
और मेर हाथ पकड के गुड्डी सीधे किचन में.
वहां भी मुझे देख के सबकि सांसे उपर की उपर नीचे की नीचे, सिवाय मन्जू के क्योंकी वो गुड्डी के साथ मेरे पीछे खडी थी.
स्लिव लेस टी में मेरी सारी एब्स साफ दिख रही थीं लेकिन भाभी और शीला भाभी ने जब टेन्ट पोल देखा तो .
.
" हे ये क्या हुआ..."
भाभी अपनी मुस्कराहट रोकते हुये बोली.
. शीला भाभी तो बस वहीं घूरे जा रही थीं जैसे उन्हे विश्वास ही नहीं हो रहा हो...और पीछे से गुड्डी थोडा आगे आके अदा से बोली,
" अबकी असल में इनकी गलती एकदम नहीं हैं...ज्यादा गलती आपकी उस ऐलवल वाली एक्लौती ननद की है और मैं मानती हुं ...थोडी मेरी भी है...उस का फोन आया था..."
भाभी ने जानते हुये भी मुस्करा के छेडा..." किसका साफ साफ बोल ना..."
" अरे और कौन ..इनके माल का...उस ऐलवल वाली इनकी जानेजाना का..."
गुड्डी ने मुस्कराते हुये बोला. और बात आगे बढाई .."
और मुझसे गलती ये हुयी की फोन मैने इनको पकडा दिया..."
उसी समय मैने महसूस किया की एक हाथ मेरे नितम्बों को बाक्सर शार्ट्स के उपर से सहला रहा है. ये पता करना मुश्किल था की वो गुड्डी का है या मन्जू का....
" फिर...भाभी ने मुस्कराते हुये पूछा.
गुड्डी ने बडे नाटकीय ढंग से अपनी मझली को पहले एक दम झुकाया और फिर थोडा सा उठाया ...जैसे सोता शेर, सो के उठा हो, अंगडाई ले रहा हो और फिर उंगली एक दम तन के खडी हो गयी...जैसे शेर जग गया हो...ये हो गया ...गुड्डी मेरे टेन्ट पोल की ओर इशारा कर के बोली.
उसी के साथ जो हाथ मेरे नितम्बों को सहला रहा था, एक पल के लिये रुका लेकिन एक उंगली हल्के से मेरे पिछवाडे की दरार में...
" क्यों लाला, फोन सुन के जब ओह छिनार के इ हाल है तब जब उस का गदराये जोबन की बहार देखोगे...तब तो पैंट फाड के बाहर निकल जायेगा..."
मन्जू बोली.
और साथ में मेरे पिछ्वाडे की दरार में उंगली एक दम से अन्दर घुसी...मैं समझ गया ये शरारत किसकी है.
"मन्जू सही कह रही है...हथौडा गरम है मार दो चोट..." भाभी बोलीं...अभी तो तुम बाजार जा ही रहे हो वहं भी हो लेना...."
मैं कुछ भाभी को पलट के जवाब देता की गुड्डी फिर मैदान में..
." अरे आप के कहने की जरूरत नहीं है इन दोनो लोगों की सेटिन्ग हो चुकी है...आओ ना...जल्दी...आइ ऐम वेट..वेटिंग....कम...फास्ट..( क्या जबरद्स्त ऐक्टिंग की थी गुड्डी ने...उसी तरह ...उस ...कि आवाज...लम्बी गहरी सांसे, सेक्सी हस्की आवाज...)...साथ में पीछे तंग कर रही उंगली और जोर से...नतीजा ये हुआ की जंग बहादुर ९० डिग्री से ८९ डिग्री भी होने को तैयार नहीं थे.
और अब एक बार फिर मैं डाउट में हो गया की शरारत मंजू की है या गुड्डी की ....
लेकिन मैने भाभी को जवाब दिया..
" भाभी वो तब कि तब देखी जायेगी...लेकिन तीन तीन भाभियां हैं, फागुन है...तो ये कब तक..."
मेरी बात बीच में काटती हुयी भाभी जोर से हंसते हुये बोलीं,
" अरे भैया चलो ..ये तुमने कबूला तो सही की अब ये हथोडा...अब ऐलवल में चलेगा...गुड्डी अब यार तेरी सहेली की फट के ही रहेगी..."
" अरे तो क्या हुआ....सबकी फटती है...आप ही लोग तो कह रही थीं कल रात की ...बैगन और कैन्डल के दाम बढ रहे हैं तो...कहीं इधर उधर..अब इस तरह से जवानी चढी है तो...कहीं भी मुह मार सकती है. तो इससे तो अच्छा ही है..."
गुड्डी क्यों पीछे रहती.
मैने बात बदलने में भलायी समझी....
"भाभी आप बुला रही थीं..और ये बेसन के हलवे की जबरद्स्त महक आ रहि है.."
मैने बात बदली.
" तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो बनारस से इस को ले आये...देखो कितना बढिया हलवा बनाया है..."
भाभी कडाही में से कटोरे में निकालते बोलीं.
"अर्रे इसने बनाया है तब तो मैं नहीं खाउंगा...मेरा पेट खराब हो जायेगा." मैने कटोरी पकडते हुये मुंह बनाया.
पीछे से गुड्डी ने खूब बडी सी जीभ निकाल के चिढाया.
" अर्रे खालो...खालो...अभी यहां गरम गरम हलवा खाओ और वहां जा के मेरि ननद का जबर्दस्त हलवा बनाना." भाभी बोली और फिर उन्होने बात और जोडी ..
.हं और अगर इस बनारस वाली के हाथ का खाना नहीं पसंद है ना तो भूखे ही रहना पडेगा...क्योंकी हम लोग अब गुझिया, दही बडा, पापड, सब होली के सामान बनाने जा रहे हैं और किचेन अब गुड्डी के हवाले है.."
" चलिये भाभी अब क्या कर सकते हैं अब जैसा ये चाहेगी..." गुड्डी की ओर देख के मैने बोला और अपने कमरे की ओर मुड पडा
मेर सिक्योर फोन दो बार वाइब्रेट कर चुका था.
वापस बनारस...
रीत
दो मेसेज रीत के थे...
पहला ही मेसेज एक्दम रीत टाइप का था ..शुरुआत ही धमाकेदार थी.
डबल धमाका....
"फोटो बन गयी और अच्छी बनी. शकल से ही वो कमीना लगता है. तुम्हारा दूबे भाभी वाला आईडिया सही चला. कहते हैं ना कभी कभी अंधे भी अंधेरे में तीर चला लेते हैं...बस उसी तरह...
दूबे भाभी के कान्टैक्ट से...हम पान वाले के दुकान तक पहुंच गये, जबर्दस्त ठरकी है...सोनल के पास उसने पहुंचा दिया.
नाव वाले की बात एक दम सही थी खूब भरे बदन वाली ३६ से ज्यादा ही होगी फिगर...और कार्लोस ने तो उसे ऐसा लपेटा सब उगल दिया उसने...और क्या जबर्दस्त डिस्क्रिपशन दिया...१०-१५ मिनट में फोटो बन गयी..फिर वो कम्प्युटर में और करेक्ट हो के....सोनल बोली...एक दम यही.
अब तुम पूछोगे दूसरा धमाका क्या...
(वास्तव में मैं यही सोच रहा था...)
तो कार्लोस ने ये पता लगा लिया कि उन दोनो ने कुछ नहीं किया...ये मत पूछना क्या वरना अभी अच्छी वाली बनारसी गाली सुनाउंगी ...हां एक दिन सोनल ने कबूल किया ..
.वो बोली की ये भी नही साला हिन्जडा हो ...कुछ खास नही है लेकिन है...खडा होता है..
एक दिन बहूत मैने कहा ...वो थका भी था..तो मैने कहा अच्छा मसाज कर दूं वो बोला हं और फिर बोला..ओरल कर सकती हो..
.मुझे क्या साल्ला मोटा असामी..मैने मुंह में ले के,चूस चूस के खलास कर दिया..
.बस १० दिन में वही एक दिन...वरना मिलने के बाद बस...एक ही बात...गाना सुनाओ...और साल्ले को गाने की तमीज भी नहीं ...रोज जैसे मैं गाना शुरु करुं...तो वो थोडी देर में बाथ रूम में ...और उस के बाद मैं अगर सांस लेने के लिये रुकुं..तो भी अंदर से चिल्लायेगा की...गाना चालू रखो.."
रीत ने सोचा की जेड इससे लगातार गाने के लिये इस लिये कहता होगा कि जिससे वो जो फोन पे बात करे, वो इसे ना सुनायी दे.
रीत ने फिर सोनल से पूछा..
" वो जो आदमी ..वो आप से कहां मिलता था."
सोनल ने उसे बताया कि चेत सिंह घाट के थोडा पहले..सोनल ही पहुंच के इन्तजार करती थी. और वो हेल्मेट लगाये वहीं आता था. नाव पे कमरे में पहूंच के ही वो हेल्मेट उतारता था.
रीत ने फिर पूछा ,
"और वो जब आप से मिलता था तो उसके हाथ में कुछ होता था...कोयी बैग, ब्रीफ केस..कुछ भी..कल जो आप से अलग हुआ तो ....बोट से कुछ ले गया था .."
" नहीं कुछ नहीं...खाली हाथ आता था और खाली हाथ जाता था, उसका हाथ तो मेरी कमर पे घाट पे और गली में रहता था.
रीत ने कार्लोस को इशारा किया की हमें नाव पे फिर चलना होगा.
चलने के पहले सोनल ने हम लोगों को बढिया पान खिलाया और कार्लोस ने उससे टाईम ले लिया...होली के अगले दिन शाम को...और उसके कमर पे हाथ रख के उसके, भारी भारी नितम्बो को हलके से प्यार से सहला दिया.
सीढी से उतरते समय, मैने कार्लोस को समझाया की अगर वो आदमी खाली हाथ आता जाता था, तो सारे फोन वहीं होंगे, मोबाइल, सेट फोन, और वन टाइम फोन...बिना किसी बैग के ...एक बार हमें फिर चेक करना होगा.
सोनल इतनी खुश थी की जब हम सीढी से उतर रहे थे तो उसने हमें उसने एक बार फिर आवाज दी और नीचे से हम फिर उपर ..
.सोनल ने बताया ...की शायद उस आदमी का नाम मुन्ना बाबू था. एक दिन जब वो लोग घाट से गली में आ गये थे और सोनल अपने रास्ते पे मुड चुकी थी...उस समय...किसी ने उस को मुन्ना बाबू कह के पुकारा था ..
.
नीचे उतर के कार्लोस और रीत ने उस पान वाले को भी थैंक्स दिया .
नाव पे पहुंचने के बाद फिर रीत को मल्लाह को पटाना पडा ...की ये फिरन्गी जरा एक घंटे..नाव में सैर करने के साथ...समझ गये ना...
वो बोला...हां ..लेकिन.
..
रीत ने पासा फेंका...उसके कंधे पे हाथ रख के वो बोली..
."अरे यार मैं इस लिये नहीं तुम्हे अलग ले आयी हूँ ...असल में अस्सी में इसको एक नाव दिख गयी थी...लेकिन मैं किसी तरह पटा के ले आयी हूं....तू समझता नहीं है यार...आप इससे ५० डालर मांगो...ये मना करेगा लेकिन २० डालर पे सौदा तय कर लेना."
लेकिन ..नाव वाला फिर हिचकिचा रहा था ...
"अरे यार २० डालर मतलब ११०० रुपये हुआ...री बोली..माल्लूम है डालर का दाम कितना चढ रहा है ..."रीत बोली
" मालूम है तभी तो बोल रहा हूँ देगा की नहीं ..." नाव वाला मुस्करा के बोला.
"अरे ये ठरकी....होते है नम्बरी ..इसको शौक चढ़ गया है की ज़रा चलती नाव में मौज मस्ती करके देखे ...इसलिए..."
रीत मुस्करा के बोली
२० डालर पे सौदा तय हो गय...और अबकी कार्लोस कुछ यन्त्र ले के आया था.
उससे उसने टायलेट में चारो ओर दिवाल पे घुमया लेकिन कुछ पता नही चला..
फर्श पे करने पे अचानक एक जगह से बीप की आवाज आने लगी..कार्लोस ने हाथ से वहां थप थप किया और एक फ्लोर बोर्ड को हटाया. उसके नीचे काले प्लास्टिक में रैप किये हुए फोन मिले. दो मोबाइल, एक थ्रुया सेट फोन और कुछ वन टाइम फोन कार्ड
...
रीत और कार्लोस ने जैसा की परम्परा है...एक बार फिर से हाथ मिलाया.
हाल बनारस का
कार्लोस ने एक पेन में लगे पावर फुल कैमरे से सब की फोटुयें खींची और एक छोटा सा ट्रान्स्पांडर लगा के सारा डाटा उन फोन्स से ट्रांस्फर कर लिया . लेकिन अभी भी एक परेशानी की बात थी...सिम एक भी नहीं मिली थी.
उन लोगो ने एक बार फिर से ढून्डना शुरु किया...लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला...
कार्लोस ने उन फोन्स पर से जेड कि फिन्गर प्रिन्त्स लेनी शुरु कर दीं और रीत बेड रूम में आ गयी. वो पलंग पे बैठ गयी और सोचने लगी. तभी उस कि निगाह दारू की बोतल पे पडी...और बिजली चमकी...
वो बोतल लेके...टायलेट में आयी और उसे कार्लोस को दिखाया..."
" यु वान्ट टू सेलिब्रेट विद दिस रम...नाट वेरी गूड, जमैकन रम इज बेटर...बट आई लाईक वाइन..."
कार्लोस ने बोला.
रीत ने बिना कुछ बोले एक मग में सारी रम उडेल दी. बोतल के अंदर एक प्लास्टिक का पाउच था.
रीत ने अपने बाल से चिमटी निकाली और पाउच बाहर ...
उसमें सारी सिम थीं...अबकी उन लोगों ने तीन बार हाथ मिलाया और एक बार गले भी मिले .
कार्लोस ने तुरन्त सिम का डाटा अपने मशीन में ट्रांस्फर किया और फिर वो लोग बाहर निकल पडे.
उस समय नाव तुलसी घाट के पास थी...
रीत ने थोडा अपना मेक अप बिगाडा, बाल इधर उधर किये और जाके नाव वाले से नाव लगाने के लिये बोल..तो वो मुस्करा के बोला
".अभी तो आधा घन्टा हुआ है...आप ने तो घन्टे भर का पैसा दिया था."
" अरे तुझसे कौन रिफंड मांग रहा है...मूझसे पूछ.... आधे घंटे में चूल चूल ढिली हो गयी. बडी ताकत होती है इन साल्ले फिरंगियों में...उतार दे यहां वरना वो फिर चालू हो गया तो..."
रीत झुंझला के बोली.
और उसने रीत और कार्लोस को तुलसी घाट पे उतार दिया.
एक मेसेज स्मिथ का लंदन से था...उसमें भी डबल धमाका था..
.एक... उन्होने लिट ईरोटिका मैगजीन के सर्वर को हैक करके ये पता कर लिया था...की बूब्स आन फायर स्टोरी कहां से भेजी गयी थी. ये स्टोरी बनारस में मदन पुरा के किसी साईबर कैफे से पोस्ट की गयी थी. उसने २५० स्क्वायर मीटर का ऐरिया भी आईडेन्टीफाई कर लिया था .
दूसरी बात ये थी की ऐक्रास बार्डर कम्युनिकेशन बढा हुआ था.
आज डबल धमाके का दिन था.
अमेरिका से मार्लो के दो नये मेसेज थे. सबसे बडी खुश खबरी ये थी की मेरे जो अन सिक्योर्ड फोन हैक हो रहे थे...उन मेसेज को पिगि बैक कर के...उस ने उस कन्ट्र्रोलर का सर्वर हैक कर लिया था और ये पता चल गया था कि उन्होने इस आपरेशन का नाम आपरेशन ट्राईडेन्ट रखा है, और निशाने पे तीन शहर हैं.
दूसरी बात ये की पहले वो आपरेशन एबार्ट करने की सोच रहे थे...लेकिन मेरे कल और आज की काल ट्रैक करने के बाद उन्होने अपन इरादा बदल दिया.
मार्लो ने कल रात मेरी , गुड्डी और रीत के बीच एक्सेचेंज हुये मेसेज और आज ऐलवल से मेरी बात का ट्रान्स्क्रिप्ट और उस पे उस के कंट्रोलर का कमेंट भेजा था.
जेड के कंट्रोलर ने कमेंट किया था की.." ही इस इन्ज्वाव्यिन्ग...बट वीकैन नाट टेक रिस्क...कीप हींम अंडर क्लोज फिजिकल सरवायलेंस...." और ये भी पता चला था..की ..वो लोग किसी ऐसे आदमी को बनारस से भेज रहे हैं जिसने मुझे बनारस में देखा हो.
कार्लोस ने मुझे सिम से निकले सारे डेटा भेज दिये थे. वो और रीत फेलु दा के यहाँ थे और सन्देश खा रहे थे.
डी बी के दो मेसेज थे...लेकिन उस के पहले एक डांट थी...
"रीत यहां इतना काम कर रही और मैं सिर्फ मस्ती कर रहा हुं.मैं आधे घन्टे में एक कन्सालिटेडे रिपोर्ट बना के भेजूं. सूचना दो थी, एक अच्छी एक बुरी..अच्छी ये. की उस गार्बेज ट्र्क का पता चल गया है जो नेपाल बार्डर से आर डी एक्स ट्रांस्पोर्ट के लिये इस्तेमाल हुयी.
वो राजघाट के पास एक गड्ढे में गिरी पायी गयी. आर डी एक्स के ट्रांस्फर के बारे में भी हाट ट्रेल है और जल्द ही पता चल जायेगा.
बुरी खबर ये थी की ४-६ हुजी के आपरेटिव बनारस के लिये चल पडे हैं. उन के आज शाम या रात तक बनारस में घुसने की सम्भावना है.
हाल बनारस का
कार्लोस ने एक पेन में लगे पावर फुल कैमरे से सब की फोटुयें खींची और एक छोटा सा ट्रान्स्पांडर लगा के सारा डाटा उन फोन्स से ट्रांस्फर कर लिया . लेकिन अभी भी एक परेशानी की बात थी...सिम एक भी नहीं मिली थी.
उन लोगो ने एक बार फिर से ढून्डना शुरु किया...लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला...
कार्लोस ने उन फोन्स पर से जेड कि फिन्गर प्रिन्त्स लेनी शुरु कर दीं और रीत बेड रूम में आ गयी. वो पलंग पे बैठ गयी और सोचने लगी. तभी उस कि निगाह दारू की बोतल पे पडी...और बिजली चमकी...
वो बोतल लेके...टायलेट में आयी और उसे कार्लोस को दिखाया..."
" यु वान्ट टू सेलिब्रेट विद दिस रम...नाट वेरी गूड, जमैकन रम इज बेटर...बट आई लाईक वाइन..."
कार्लोस ने बोला.
रीत ने बिना कुछ बोले एक मग में सारी रम उडेल दी. बोतल के अंदर एक प्लास्टिक का पाउच था.
रीत ने अपने बाल से चिमटी निकाली और पाउच बाहर ...
उसमें सारी सिम थीं...अबकी उन लोगों ने तीन बार हाथ मिलाया और एक बार गले भी मिले .
कार्लोस ने तुरन्त सिम का डाटा अपने मशीन में ट्रांस्फर किया और फिर वो लोग बाहर निकल पडे.
उस समय नाव तुलसी घाट के पास थी...
रीत ने थोडा अपना मेक अप बिगाडा, बाल इधर उधर किये और जाके नाव वाले से नाव लगाने के लिये बोल..तो वो मुस्करा के बोला
".अभी तो आधा घन्टा हुआ है...आप ने तो घन्टे भर का पैसा दिया था."
" अरे तुझसे कौन रिफंड मांग रहा है...मूझसे पूछ.... आधे घंटे में चूल चूल ढिली हो गयी. बडी ताकत होती है इन साल्ले फिरंगियों में...उतार दे यहां वरना वो फिर चालू हो गया तो..."
रीत झुंझला के बोली.
और उसने रीत और कार्लोस को तुलसी घाट पे उतार दिया.
एक मेसेज स्मिथ का लंदन से था...उसमें भी डबल धमाका था..
.एक... उन्होने लिट ईरोटिका मैगजीन के सर्वर को हैक करके ये पता कर लिया था...की बूब्स आन फायर स्टोरी कहां से भेजी गयी थी. ये स्टोरी बनारस में मदन पुरा के किसी साईबर कैफे से पोस्ट की गयी थी. उसने २५० स्क्वायर मीटर का ऐरिया भी आईडेन्टीफाई कर लिया था .
दूसरी बात ये थी की ऐक्रास बार्डर कम्युनिकेशन बढा हुआ था.
आज डबल धमाके का दिन था.
अमेरिका से मार्लो के दो नये मेसेज थे. सबसे बडी खुश खबरी ये थी की मेरे जो अन सिक्योर्ड फोन हैक हो रहे थे...उन मेसेज को पिगि बैक कर के...उस ने उस कन्ट्र्रोलर का सर्वर हैक कर लिया था और ये पता चल गया था कि उन्होने इस आपरेशन का नाम आपरेशन ट्राईडेन्ट रखा है, और निशाने पे तीन शहर हैं.
दूसरी बात ये की पहले वो आपरेशन एबार्ट करने की सोच रहे थे...लेकिन मेरे कल और आज की काल ट्रैक करने के बाद उन्होने अपन इरादा बदल दिया.
मार्लो ने कल रात मेरी , गुड्डी और रीत के बीच एक्सेचेंज हुये मेसेज और आज ऐलवल से मेरी बात का ट्रान्स्क्रिप्ट और उस पे उस के कंट्रोलर का कमेंट भेजा था.
जेड के कंट्रोलर ने कमेंट किया था की.." ही इस इन्ज्वाव्यिन्ग...बट वीकैन नाट टेक रिस्क...कीप हींम अंडर क्लोज फिजिकल सरवायलेंस...." और ये भी पता चला था..की ..वो लोग किसी ऐसे आदमी को बनारस से भेज रहे हैं जिसने मुझे बनारस में देखा हो.
कार्लोस ने मुझे सिम से निकले सारे डेटा भेज दिये थे. वो और रीत फेलु दा के यहाँ थे और सन्देश खा रहे थे.
डी बी के दो मेसेज थे...लेकिन उस के पहले एक डांट थी...
"रीत यहां इतना काम कर रही और मैं सिर्फ मस्ती कर रहा हुं.मैं आधे घन्टे में एक कन्सालिटेडे रिपोर्ट बना के भेजूं. सूचना दो थी, एक अच्छी एक बुरी..अच्छी ये. की उस गार्बेज ट्र्क का पता चल गया है जो नेपाल बार्डर से आर डी एक्स ट्रांस्पोर्ट के लिये इस्तेमाल हुयी.
वो राजघाट के पास एक गड्ढे में गिरी पायी गयी. आर डी एक्स के ट्रांस्फर के बारे में भी हाट ट्रेल है और जल्द ही पता चल जायेगा.
बुरी खबर ये थी की ४-६ हुजी के आपरेटिव बनारस के लिये चल पडे हैं. उन के आज शाम या रात तक बनारस में घुसने की सम्भावना है.
रीत अगेन
मैंने रिपोर्ट बनानी शुरू की थी की फिर सिक्योर फोन बजा...रीत..
" एक तुम्हारे लिए एक खुश खबरी है और तुम्हारे उस ऐल्वल वाले माल के ले लिए भी... मैंने एक ठरकी सेना का निर्माण करने का फैसला कर लिया है..और डी बी ने इसकी मंजूरी दे दी है. " वो बोली.
" ठरकी सेना ...और डीबी ...मैं समझा नहीं..." मैंने कहा.
" अरे यार मैंने डी बी से कहा था की मैं ४-६ ऐसे लोगों को रिक्रूट कर लू शार्ट पीरियड के लिए जो मेरी हेल्प कर सकें...जेड और उसके चमचों का पीछा कर सकें, उन्हें ट्रेस कर सकें और सीधे मुझे रिपोर्ट करें...तो वो मान गए...उन लोगों को पर डे का एक्सपेंडीचर मिलेगा..." वो बोली.
" हां पोलिस के पास कुछ ऐसे कामों के लिए अन अकाउंट फंड होता है..." मैंने बोला.
" तो मैं सोचती रही की किसे पकडू तो मेरे दिमाग में ख्याल आया की जेड को ही कापी करूँ...तो उसने चुम्मन को यूज करने की कोशिश की थी ...
जो था तो बेसिकली ठरकी ही ना...लड़कियों के स्कूल के आस पास टाइम पास करता था...लेकिन था बेवकूफ ..इसलिए बजाय मजा मिलने के पिट गया. तुम जानते हो एक अच्छे ठरकी में कया गुण होते हैं...."
रीत ने पूछा.
जब रीत धराप्रवाह बोलने के मूड में हो तो चुप रहना ही अच्छा होता है...मैं चुप रहा.
" अरे यार पहली बात तो उसकी आब्जर्वेशन पावर गजब की होती है...कौन सी लड़की की उम्र क्या होगी...किस स्कूल, कालेज में पढ़ती होगी, घर से कब आती जाती है कहाँ आती जाती है, उसके भाई है की नहीं, हैं तो कही पीटने के मूड वाले तो नहीं है..किस से पटी है ..अगर नहीं पटी है तो कैसे पटेगी...सब कुछ...
दूसरी बात डीडकशन पावर ...वो सैंडल का नम्बर जानकर ब्रा का नंबर पता लगा लेता है...
तीसरा उसके अन्दर पहल करने की, इन्शियेटिव लेने की कैपिसिटी...एक ज़रा सी चाकलेट के टुकडे, से बस स्टैंड पर खड़ी किसी लड़की को पटा लेना, उसे बाईक से घर छोड़ने के बहाने उसके घर का पता लगा लेना...इस प्रकार की एक खोजी प्रवृत्ति ..
.और सबसे बड़ी बात वो रिजल्ट ओरिएंटेड होता है..धुप गर्मी बरसात ..बस वो जिस लड़की के पीछे पड़ गया बस खड़ा तडता रहेगा. फिर उसकी मोबिलिटी होती है..आजकल इन जीवों के पास बाईक होना कामन है..और हर छोटी बड़ी गली कूचे सब उसके जाने हुए होते है..."
रीत का ये ठरकी पुराण कब तक चलता ..लेकिन वो एक पल के लिए रुकी और मैं बोल पडा...
" मिलेंगे कहाँ ..."
वो जोर से हंसी..." कर्टसी यू और तुम्हारा माल..."
मतलब ....मेरे समझ में कुछ नहीं आया.
" अरे यार भूल गए ...कल दिन में जब अपने बहन कम माल की रेट लिस्ट का पोस्टर बना कर बनारस के गली मोहल्ले में टहल रहे थे...
( मुझे याद आ गया...कैसे मेरी शर्ट पैंट गुड्डी रीत ने हस्तगत कर ली थी..और उस पर शुद्ध बनारसी गालियों के साथ 'रेट लिस्ट ' सी बना दी थी और चलने के पहले मेरे मोबाइल के नंबर भी शर्ट पे लिक दिए थे. मोबाइल गुड्डी के कब्जे में था और जो फोन आये थे उसने सब रीत को फारवर्ड कर दिए थे की 'इसकी ' मैंनेजर रीत ही रहेगी...और मुझे फोन देने के पहले वो सारे मेसेज डिलीट कर दिए थे...)
इत्ते ढेर सारे मेसेज आये थे...आई कैन टेल यू टू थिंग्स...जब तुम उस को अपने साथ ले आओगे ना...तो एक तो वो बनारस में बहोत पापुलर रहेगी और दूसरी...बहोत बिजी रहेगी..."
मैं चुप रहा ..क्या बोलता...रीत ही फिर स्टार्ट हो गयी...
" क्राइसिस आफ प्लेंटी ....तुम्हे मालूम है मैंने सेलेक्शन का क्या तरीका चुना..." वो बोली..
" न...तुमने बताया ही नहीं..." मैंने हंस के कहा.
" सिंपल...साइज़ मैटर्स ....देखो अब तुम तो उसको चखा ही दोगे यहाँ आने से पहले ...तो बनारस का नाम ना डूबे ..तो...वो तुमसे २० नहीं तो उन्नीस भी नहीं हैं...ऐसे ६-७ मैंने शार्ट लिस्ट कर लिए हैं...
और उनमें से ४ की फोटो भी गुड्डी के पास भेज दी है ..अब देखो ना ठरकी हो तो ...उनका आब्जेर्वेशन ...तुम्हारी शर्ट पे उन्होंने रेट देखा, मोबाइल नंबर देखा, इन्शियेटिव...बिना हिचकिचाए ..मेसेज किया,
बोल्ड नेस की वो डरे नहीं की तुम कहीं पलट के ...टीनैस्टी...वो सब लगे हुए हैं हर चार पांच घंटे में उनका मेसेज आ जाता है ...तो जैसे ही मैं डी बी के साथ मीटिंग से वापस आउंगी ना..बस मैंने उनको बुला लिया है और काम पे लगा दूंगी....ऊप्स लेट हो गयी मै ...तुमसे बात कर के...तुम भी ना..."
और उसने फोन रख दिया...
रीत भी ना ...खुद गप मारेगी खुद बोलेगी लेट करा दिया...लेकिन रीत तो रीत है...और उसका ये ठरकी सेना का आइडिया भी गजब का है..
.मैंने घडी देखा...लेट हो रहा है...मैंने भी डेस्क टाप खोला .रिपोर्ट बनाने में लग गया...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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