Sunday, March 2, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--71

FUN-MAZA-MASTI

  फागुन के दिन चार--71
गतांक से आगे ...........


 " तो क्या तू बैठेगी सिंहासन पर..." रंजी सरक के मेरी बायीं और फिर से सोफे पे बैठते हुए बोली.

" ना सिंह को आजाद करुँगी..." गुड्डी मेरी गोद में झुकते हुए बोली..

और मेरे सम्हलने के पहले ही गुड्डी ने जिप खोल दी..

जैसे स्प्रिंग वाले चाक़ू का विज्ञापन निकालता है...बटन दबाव..झटके से ८ इंच का चाक़ू बाहर ...

बस वैसा ही हुआ..

वो तुरंत उछलकर बाहर

सुपाडा पहले से ही खुला था...चंदा भाभी की शिक्षा और आदेश के अनुसार..

( उन्होंने पहले दिन ही बनारस में समझाया था...सुपाडा हमेशा खुला रखना...कपडे से रगड़ खा के वो थोडा नंब हो जाएगा...और डिस्चार्ज होने का टाइम देर से हो जाएगा...)

गुड्डी ने उसे अंगूठे और तरजनी से रगडा और वो जोश से पागल हो गया...
पकड़ कर गुड्डी ने उसे रंजी को दिखाया और बोली ले पकड़...

रंजी एक नदीदी लड़की की तरह उसे देख रही थी जैसे कोई लालीपॉप हो...लेकिन लेने की हिम्मत ना पड़ रही ही...
ले ले काटेगा नहीं...गुड्डी ने फिर उसे उकसाया...

" काट ले तो..." रंजी मुस्करा के बोली...

" तो कटवा लेना.." गुड्डी हंस के बोली.

.और एक झटके में रंजी का हाथ पकड़ के मेरे 'उस' पे रख दिया, उस ने हटाने की एक्टिंग की लेकिन मुझे भी मालूम था और गुड्डी को भी की वो कितना असली है और कितना...नकली...


मैंने भी रंजी को अपनी और खिंच लिया मेरे दोनों हाथ कस कस के जोबन मर्दन में लग गए...और गुड्डी ने अपना हाथ रंजी के हाथ से हटा लिया..

रंजी ने बस पहले अपने हाथ 'उस पे' रखे रहा...और फिर बहोत हलके से हिचकिचाते हुए पकड़ा...

मैंने दोनों निपल्स को एक साथ रब करना शुरू किया और रंजी का जोर मेरे लिंग पे बढ़ गया...थोड़ी देर में वो अपना हाथ आगे पीछे करने लगी...वो पूरा उसकी मुट्ठी में आ नहीं रहा था...रंजी एक दम मेरे ऊपर झुकी थी..

" हे लालीपॉप लेगी मुंह में.." गुड्डी ने उसे चढ़ाया..

धत्त ...शरमा के वो बोली लेकिन उसी तरह झुके झुके मेरे लिंग को आगे पीछे करती रही...

मैंने गुड्डी की और देखा तो वो मोबाइल पे रंजी का मेरे लिंग को आगे पीछे करते फोटो खींच रही थी..

" अच्छा चल एक छोटी सी लिक...ले बहोत छोटी सी...." गुड्डी ने छेड़ा
" तेरा मन बहूत कर रहा है तो तू ले न.." अपना सर उठाते हुए रंजी हंस के बोली..लेकिन लिंग का बेस अभी भी उस के हाथ में था...

" चल अब तू कहती है तो एक लिक मैं ले ही लेती हूँ ..."

और पहले तो गुड्डी ने जीभ निकाल के मेरे सुपाडे को बस छु दिया ...४४० वोल्ट का झटका ...और उसके बाद लिक ...और फिर एक बार में पूरा सुपाडा गड़प..थोड़ी देर चुभलाने चूसने के बाद..उसने अपने होंठ बाहर किये और रंजी को बोली...अब तेरी बारी...

" धत्त...मैं नहीं तू ले ले ना...मैं फिर कभी..."

लेकिन रंजी का सर 'उसकी ओर' हलका सा झुका हुआ था...

" अरे यार नखड़ा मत दिखा...देख मुझे तो नहीं काटा ना...अच बस जीभ निकाल के एक बार लिक कर ले ..बस छोटा सा.." गुड्डी ने उसे चढ़ाया.


रंजी के गुलाब से होंठ थरथरा रहे थे...उसके मन में तूफान चल रहा था..हाँ ना हाँ ना...

गुड्डी ने मुझे अपनी आँखों से इशारा किया...मैंने भी आँखों से हांमी भर दी

गुड्डी ने दोनों हाथों से रंजी का सर झुका के सीधे मेरे लिंग के ऊपर...
उसने जयादा रेसिस्ट भी नहीं किया...

रन्जी के किशोर गुलाबी दहलते होंठो का हल्का सा कुछ सहमा सहमा सा पहला स्पर्श ...मेरे मस्त सुपाडे पे,
मैं बता नहीं सकता उस छुअन का अहसास,

मेरे पूरे देह में उन्चासो पवन चलने लगे, मेरे देह थरथरा ररही थी, आँखे अपने आप मुंद गयी।
उधर उस किशोरी ने थोड़ा सा अपने रसीले होंठो का दबाव बढ़ाया, हलके से उसकी जीभ ने मेरे पी होल को छुआ
मैं उस पल के रस की एक एक बूँद को पी रहा था .

मैंने कस के रंजी के सर को अपने लिंग पे दबा रखा था ...और साथ में गुड्डी ने भी दोनों हाथों से,
बस मन कर रहा था की अब वो हलके हलके सक करना शुरू करे ...


लेकिन तभी लाईट आ गयी.

इंटरवल


 और हम लोगो ने कपडे झट ठीक किये...मैं कह रहा था की अंदर ही रहते हैं वो कोल्ड ड्रिंक वाला तो अन्दर आएगा ही लेकिन वो दोनों आइसक्रीम खायंगे की रट चालू...

बाहर आते ही रंजी ने एक कोन लिया और गुड्डी ने चाकलेट बार...

मैं उस कत्थई सूट वाले को ढूंढ रहा था...वो कहीं दिख नहीं रहा था..शायद उस कोल्ड ड्रिंक वाले की रिपोर्ट के बाद तो संतुष्ट हो गया है...

रंजी मेरे पास आई उस के हाथ में वनिला विद चाकलेट वाली साफ्टी थी ...उस ने मुझे दिखा के नीचे से ऊपर तक उसे चाटा जैसे उस के घर में तब पे मूवी में वो लड़के लिंग लिक कर रही थी...

फिर कोन के उपरी हिस्से को जीभ के टिप से मुझे दिखा के टच कर रही थी...और अगले ही पल एक बार में कोन का पूरा उपरी हिस्सा गड़प कर गयी...


तब तक उसे के कंधे पे बड़े जोर की धप्प पड़ी...

" साली अन्दर इत्ता भाव दिखा रही थी...अरे असली क्रीम तो मिस कर दिया..." ये गुड्डी थे...आधी चाको बार मुझे दिखाते हुए गप कर रही थी...

" अरे थोडा बहूत तो भाव दिखाने की होती है यार...फिर अगर कोई जबरदस्ती करे तो मैं बुरा थोड़े ही मानती हूँ..." रंजी भी कम नहीं थी.

तब तक इंटरवल ख़तम होने की घंटी बजी और सारी भीड़ अन्दर और रंजी और गुड्डी भी...

लेकिन उसी समय मेरे सिक्योर फोन पे वाइब्रेट हुआ...
मैंने निकाल के देखा रीत के दो मेसेज थे

फोन मैं जेब में रखा और अन्दर की बढा ..
भीड़ में किसी का धक्का लगा हल्का सा...मैंने ध्यान नहीं दिया
लेकिन अगले ही पल मेरी छठी इन्द्रिय...
मेरा हाथ अपने आप आपब पर गया..

मेरी जेब कट गयी थी...
मेरा सिक्योर फोन गायब...

मेरे तो काटो तो ख्हों नहीं...सारे सिक्योर मेसेज...नमबर और उस फोन में मेसेज डिकोड हो के पहुंचते थे
और सबसे बड़ी बात जो मेरा फोन टैप कर रहे थे उन्हें तुरंत मालूम हो जाएगा की वो केमोफ्लाज था

इस फोन के मेसेज उनके टैप से बाहर थे...तो जिससे जिससे इस फोन से बात हुयी थी वो सब खतरे में ...और सबसे बड़ी बात आपरेशन ...

भीड़ अभी भी बहूत थी, हाल में अन्दर आने के लिए...
मैंने चारो ओर निगाह घुमाई एक बार दो बार ..बहोत ध्यान से तीन बार और वो दिख गया...
सब लोग अन्दर आ रहे थे ...लेकिन एक आदमी धीरे धीरे दीवाल से सट के हलके हलके बाहर जा रहा था...

तेजी से मैं रास्ता काट के उसके आगे जा के खड़ा हो गया...
और जब मैं उसका चेहरा देखा तो मेरे मुंह से जोर से आवाज निकल गयी...तूम
वो भी चीख कर बोला..भैया आप


चंदू ...जिसको सब लोग ब्लेड रनर के नाम से जानते थे...सिर्फ मेरे शहर में ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके में सबसे मशहूर जेबकतरा..वो बात बात करतें जेब साफ कर देता था...उसके १० नाखूनों के अन्दर कटे हुए ब्लेड के टुकडे रहते थे और वो किसी भी उंगली का इस्तेमाल कर के जेब काट सकता था...

शरमाते हुए उसने मेरा मोबाइल वापस कर दिया...

दो बार मैंने उसे बचाया था...एक बार भीड़ से और एक बार पुलिस से...
उसने मुझे काफी ट्रिक्स भी सिखायीं थीं....

वो ..वो उसके बोलने के पहले से ही मैंने बोला...कत्थई सूट वाला...

" हाँ, वही, उसने २०००० रुपया भी दिया" जेब से निकाल के चंदू ने दिखाया, और बोला,

" क्योंकि मैंने दूर से देखा था की पर्स तो आपके साथ वाली लड़की के पास था...लेकिन उसने बोला था की उसे आपका मोबाइल चाहिए..."

चंदू ने मेरा सिक्योर मोबाइल मुझे वापस कर दिया.
एक मिनट फिर तुम क्या करोगे...मैंने पुछा...

"उसका पैसा वापस कर दूंगा...मुझे क्या मालूम था की आप है, मैंने तो बस साइड से..." चंदू बोला.

" ना ना कत्तई नहीं ये पैसे का अपमान होगा...एक मिनट बस रुको तुम..." मैंने दूसरी जेब से नान सिक्योर मोबाइल निकाला और उस का डाटा सिक्योर वाले में कापी कर दिया और उस को देते हुए बोला...

" ये दे देना उसको.." मेरे दिमाग में ये बात साफ थी की अगर इसने उसे नहीं मोबाइल दिया तो वो कोई दूसरा हथकंडा इस्तेमाल करेगा , और कोई जरुरी नहीं की उस बार मुझे फोन वापस मिल पाए.
" कहाँ मिलेगा वो..." मैंने फिर पुछा...
सामने सनबीम में ...चंदू ने बताया ..

वो जहाँ सब चीजें मिलती हैं..मैंने जोड़ा...
हाँ वही रेस्टोरेंट में...मैं चलता हूँ और चंदू मेरा नान सिक्योर मोबाइल ले के निकल गया.

मेरी जान में जान आई.

बाक्स में मैं घुसा तो अभी भी हाल में लाईटथी , शायद कोई ऐड चल रहा था...और मी गुड्डी की ओर घुसा ..दोनों दो किनारे पे बैठी थीं पूरी तरह तैयार ...मुझे गप्प करने के लिए...

मैंने गुड्डी के टाप के साइड में देखा उसके बूब्स के पास...कोई एक डिजाइन सा था..

लड़कियों के टाप के बारे में मेरी याददाश्त बहोत पक्की है...वैसा कुछ नहीं था जब हम रंजी के यहाँ से चले थे..

और मुझे फिर जोर का झटका जोर से लगा..


 दुश्मन का पलट वार


और मुझे फिर जोर का झटका जोर से लगा..

वो कत्थई सूट वाला...वो सिर्फ हमलोगों पे निगाह ही नहीं रख रहा था...बल्कि प्रेशर पिस्टल से उसने एक माइक्रो टैब , एक लोकेशन पता करने वाली डिवाइस शूट की थी जो एयर प्रेशर से गुड्डी के टाप पे चिपक गयी थी...इसका मतलब की २-३ किलोमीटर के रेंज में हमारी लोकेशन उसे पता चल जायेगी और शायद इसके अन्दर कोई लो पावर लिसेनिग डिवाइस भी हो...

अब वो सिर्फ एक इअर पीस के जरिये हम लोगों की बातें सुन सकता है और एक हैण्ड हेल्ड टर्मिनल्स से उसे लोकेशन का भी पता चलता रहेगा. उसे मैं हटा भी नहीं सकता क्योंकि उसे फिर शक हो जाएगा...

मैं दोनों के बीच बैठ गया था...रंजी ने छेड़ा कहाँ रह गए थे...
गुड्डी बोली अरे कोई मिल गयी होगी छैल छबीली...नैनमटक्का कर रहे होंगे...
नहीं मेरी एक क्लास मेट थी...मैंने बहाना बनाया..

अरे दो बच्चो की मां हो गयी होगी , अब तो पीछा छोड़ दो...गुड्डी ने छेड़ा...
मैंने हंस के बोला एकदम गलत सिर्फ एक बच्चा है, जरा मैं बाथरूम हो के आता हूँ...

हाल में एकदम अँधेरा हो गया था..कोई बेड रूम सीन चल रहा था...
जरा मैंने सुसु कर के आता हूँ...मैंने दोनों से बोला...
मेरा सिक्योर फोन बार बार वाइब्रेट हो रहा था.
" हाँ और बाद में अच्छी तरह साफ वाफ भी कर लेना ...धो लेना...रंजी का मूड बन रहा है..साफ्टी के बाद हार्डी खाने का ..." गुड्डी ने चिढाया.

" धत ऐसा तो मैंने नहीं कहा था.." कुछ शरमाकर रंजी बोली कुछ शरमाकर रंजी बोली और अपने बैग नुमा पर्स से निकाल के अपना मोबाइल पकड़ा दिया..इसमें टार्च है, जरा देख के जाना कहीं गिर वीर गए तो...मैं उठाने नहीं आउंगी..."

गुड्डी क्यों मौका छोड़ती .." अरे साफ साफ बोल ना की टार्च से देख के अच्छी तरह से साफ वाफ कर लेना..बिचारी पहली बार मुंह में लेगी.."

मारूंगी रंजी बोली ...लेकिन मेरा ध्यान कही और था...
मोबाइल के टार्च की रोशनी में सैंडल में कुछ चमक रहा था..

जोर का झटका अबकी बहोत जोर से लगा...

मैंने सीट के नीचे टार्च से चारों ओर देखा...सीट के पैर से एकदम चिपका हुआ..एक अन लिमिटेड रेंज का आडियो वीडयो डिवाइस ..एक छोटा सा कैमरा जो ऊपर की ओर फोकस किया हुआ था...सैंडल पे वही बग जो....गुड्डी के टाप पे था...यानी वो जहाँ जाएगी..कत्थई सूट वाले को पता चल जाएगा....

और वो जो कोल्ड ड्रिंक लाया था लड़का, जब वो खाली बोतल उठाने आया होगा तभी उसने ये बग प्लांट किये होंगे जो की बहोत आसन था...वो आसानी से चिपक जाते हैं और कोई भी उन्हें लगा सकता है...

दुश्मन वार पर वार कर रहा था...

बात रूम जा के मैंने पहले नल खोला और फिर अपना सिक्योर फोन निकाला..
रीत के दो मेसेज थे एक बहोत छोटा मैंने पहले वही खोला...

जेड का पता चल गया था.
डी बी के तीन मेसेज थे...

पहला मेसेज मैंने खोला और एक बहोत बड़ा झटका था...
" तुम्हारा सारा सिक्योरिटी कवर हटा लिया गया है...ये डिसीजन आई बी का है और मेरे बियांड हैगले ३६ घंटो तक हम तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पायेंगे. हाँ

मैंने फोन बंद कर दिया.
ये हो क्या रहा है....
मुझे एक सिक्योर जगह चाहिए थी जहाँ मैं बात कर पाऊं...

हाल में वापस जाकर मैं जैसे बैठा तो रंजी के झोले नुमा पर्स में मैंने उसके मोबाइल के साथ अपना सिक्योर मोबाइल भी आफ कर के डाल दिया.

गुड्डी का हाथ मैंने अपने हाथ में लिया...वो समझ गयी और पैंट के ऊपर से मुझे सहलाने लगी लेकिन मेरा मतलब तो कुछ और था...
मैंने उसकी हथेली उलट के अपनी उंगली से लिखा ....पंगा..सीरियस ...

उसने हलके से सर हिला के इशारा किया की वो समझ गयी और रंजी से बोली..यार पार्ट टू तो हम लोग भूल ही गए थे...
मतलब ..रंजी ने सर हिलाया...मेरा हाथ रंजी की जांघ पे था..और कैमरे की रेंज में...

अरे यार ...इनकी भाभी ने सात बजे से पहले बुलाया है...और साढ़े ६ तक तो ये पिक्चर ही चलेगी...फिर उन्होंने भी लिस्ट पकडाई है ...तो हम लोगों का प्लान तो फेल हो जाएगा ना ...गुड्डी बोली...और अब यहाँ फ़िल्म ज्यादा नहीं चल पाएगी, बार बार तो वो कोल्ड ड्रिंक वाला आ जाता है चलो चलते हैं...

" बात तो तुम ठीक कह रही और रंजी भी खड़ी हो गयी...'
" बैठो न थोड़ी देर ..." मैंने इसरार किया...

( मैं जान रहा था की हमारी बातें सुनी जा रही हैं)
दोनो खड़ी हो गयी थीं और...पीछे के रास्ते हम निकल आये...

एक भीड़ भरी गली के शार्ट कट से...गंगा स्टोर..तक

वहां घुसने के समय जब मैंने चेक किया तो मेरी दूसरी जेब भी कट चुकी थी...
एक रुमाल और १२ आने का नुक्सान हुआ..
.
दुश्मन का आपरेशन आन था...


 गंगा स्टोर ..
अभी कुछ साल पहले ही खुला था। शहर का सबसे माडर्न डिपार्टमेंटल स्टोर ...खास तौर से लड़कियों के नए नए फैशन के कपडे , अक्सेसरिज और भी बहूत कुछ ...जो आस पास के बड़े बड़े शहरों में भी नहीं मिलता था ...वो सब कुछ।
साथ में इलेक्ट्रानिक्स के सामान, रेस्टोरेंट ...रंजी मेरा हाथ पकड़ के ले गयी वहां और आँख नचा के मुस्करा के गुड्डी से बोली,

" अब लूटेंगे इनको अच्छी तरह ."

और जिस अदा से से उसने मुस्कारा के जरा सा सा सर को मोड़ के कहा , एक झूमती हुयी लट ने उसके गुलाबी गालों को धीरे से चूम लिया।

बस मेरा मन कर रहा था की उस लट की जगह, काश मेरे प्यासे तड़पते होंठ होते।
गुड्डी ने जवाब में उसके कान के पास जाके धीरे से कहा ( इतने धीरे से की मैं साफ साफ सुन लूं )


" और बदले में इसने तुन्हें लूट लिया तब, इत्ते देर से तडप रहा है बिचारा।"

रंजी ने फिर मुझे देख के एक कातिल सी मुस्कान बिखेरी और हलके से अपने किशोर उभारों को और उभारते बोली,
" है हिम्मत ..."

गुड्डी थोडी आगे निकल गयी थी।
मैंने हिम्मत करके उसके कंधे पे धीरे से हाथ रखा और बुदबुदाया, " एक बार हाँ कर के तो देखो"

उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने गोर गोरे हाथों से हलके से दबाया और बोली, ' हाँ नहीं कहा तो ...ना भी तो नहीं कहा'.

अब इससे ज्यादा हिंट वो और क्या देती ...

तब तक हम लोग दूकान में घुस गये थे।


दूकान एकदम चमाचम थी और ग्राउंड फ्लोर पर ही मोबाइल टेबलेट कैमरे सारे लेटेस्ट ....लेकिन मेरी निगाह जिस चीज ने आकृष्ट की वो थीं सेल्सगर्ल्स ...

सब की सब धांसू ...चमकदार स्लेटी कलर की टी शर्ट, एकदम टाईट ...और सबने हाट पैन्ट्स पहन रखी थीं ,घुटनों से ऊपर, टी शर्ट हाट पैन्ट के अंदर टक, जिससे उभार का शेप और साइज दोनों साफ पता चल रहा था ..32 सी से लेकर 34 सी तक,उम्र भी 18 से 21 तक होगी,

फिर मेरी चमकी। दूकान मेरे एक दोस्त के पिता जी की थी, बचपन से ले के वो मेरे साथ पढ़ा था ..और निश्चित रूप से ये उसी की पसंद होंगीं।

सबसे पहले मुझे मोबाइल लेना था। मेरा नान सिक्योर मोबाइल तो अब कथई सूट वाले के कबजे में था।
लेकिन गुड्डी और रंजी ने मना कर दिया, मुझे सेलेक्ट करने से,
ये कहके की मैं कोई घटिया सस्ता माडल चुनुँगा।

वैसे बात दोनों की सही थी मैं फोन सिर्फ फोन के लिए इस्तेमाल करता था ...

और दोनों फिर एक ले आयीं ..तब तक मेरी निगाहें सेल्स गर्ल्स की नाप जोख कर रही थीं।

मैंने ये देख लिया की मस्त फिगर के साथ उनका एटीत्युड भी बिंदास था, जब मेरी निगाहें खुल के उनके जोबनों को सहला रही थीं ...तो वो ये जानते हुए भी बस मुस्करा के मुझे देख रहीं थी।
मैंने एक सिम भी लेलिया और फोन एक्टिवेट कर लिया।

बस मैं यही सोच रहा था की दूकान पे कोई परिचित ना मिले वरना रन्जी और गुड्डी जो मेरा हाल कर रही थीं...
बिल काउंटर पे लेकिन एक पूराना आदमी मिलगया, उन लोगों का पुराना मुनीम , वो न सिर्फ मुझे पहचानता था बल्कि हमलोगों की दोस्ती के बारे में भी अच्छी तरह जानता था।

" अरे भैया आप ...और भइय्या क मालूम हाउ की आप आये हैं,...की नहीं ." उसने पूछा।

" नहीं हम कल रतिए को आये हैं, दूकान तो बड़ी जबर्दस्त हो गयी है .. और अंकल का क्या हाल है।." मैंने चारो और देखते हुए कहा।

" अरे उ तब अब सा काम काज गप्पू भइया के ऊपर छोड़ दिए हैं , अभी चारो धाम दर्शन के लिए गए हैं ..सब बिज नेस अब भैये सम्हालते हैं। हम भैया को बात देते हैं की आप आये हैं .
गप्पू मेरे दोस्त का नाम था।

" अरे रहने दीजिये ना, " मैंने मना किया लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे .

और मौके की बात , उन्ही के पास गप्पू का फोन आ गया।
और उन्होंने मेरे आने की बात बता दी।

अगले ही पल वो सीढ़ियों से धडधडाता नीचे,

मैं डर रहा था, हम दोनों का रिश्ता बड़ा ही इन्फारमल था, और उसका कोई सेंटेंस बिना गाली के पूरा नहीं होता था, गान्डू , बहनचो ...ये सब उसकी भाषा का हिस्सा था। और यहाँ गुड्डी और रंजी मेरे साथ , कही उनके सामने ही चालू हो गया तो मुश्किल होगी,

और वही हुआ, उसने मुझे कस के बाहों में भर लिया और बोला,

"साले कहाँ मरवा रहा था इत्ते दिनों से कब से आया मुझे बताया नहीं ..." गनीमत थी तब तक उसकी निगाह रंजी और गुड्डी पे पड गयी और वो मेरे कान में बोला, " "साल्ले बहोत मस्त मॉल ले के टहल रहे हो, "


 मैं दूर हट के उन दोनों का परिचय कराते हुए बोला,
" ये गुड्डी है , मेरे साथ बनारस से आई हैं।"

लेकिन उसकी निगाह रंजी के हाल्टर फाड़ते उभारो से चिपकी थी। और रँजी भी एकदम समझ रही थी। उसने खुद हाथ बढ़ा के तपाक से हाथ मिलाया और बोली,

" आई एम रंजी , मैंने आपके दूकान की बहोत तारीफ सुनी थी की यहाँ पे बेस्ट कलेक्शन मिलता है लेकिन आज पहली बार आ रही हूँ।"

मैंने भी जोड़ा , " और ये तुम्हारे ही शहर की हैं।।गुड्डी की तरह बनारस की नहीं।"

" अरे वाह फिर तो आप जाती रहियेगा, " वो बोल। लौंडिया पटाने में वो उस्ताद था। उसका देखने और बात करने का अंदाज और इस समय वो फूल फार्म में था


वो बोला मेरे शहर में फूल खिला और मुझे ही नहीं मालूम ...और जिस तरह से उसी नजारें रंजी के किशोर गुलाबी गालों से ले कर उसके नए गदराये उभारो तक टहल रही थी, इरादा एकदम साफ था।

रंजी के गाल गुलाल हो गए।

लेकिन जिस तरह से उसने पलकों को उठाकर एक बार फिर से झुकाया , सन्देश साफ था, गलती तुम्हारी है।
उसका हाथ पकडे पकडे वो गुड्डी की और मुड़ा और बोला, " आप तो मेरे शहर की मेहमान हैं , मुझे मेहमान नवाजी का मौक़ा तो दीजिये।"

गुड्डी बोली , अरे हम दोनों इसीलिए तो आये हैं। और रंजी भी खिलखिला पड़ी, एकदम उसने भी हामी मिलाई।
" सारी बातें यहीं कर लोगे क्या, " मैंने टोका तो गप्पू रंजी का हाथ थामे बोला, चलें ऊपर।

एकदम वो बोली और हम लोग सेकेण्ड फ्लोर पर पहुँच गए।
क्या मस्त आफिस था। खूब बड़ा। उसकी एक्जिकुतिव चेयर के साथ एक सोफा और कोने में एक दीवान, मैं समझ गया इसका क्या इस्तेमाल होता होगा। गप्पू ने मेरी निगाह पकड़ ली और मुस्कराने लगा।

चारो ओर परदे लगे थे।
एक और जिधर पर्दा थोडा खुला था
उधर सामने ही बाडी शाप का एक पारलर ,

रंजी तो उसे देख के ही चहकी,

अरे बहूत नाम सूना था मैंने इसका लेकिन महंगा होगा ना , थोड़ा मुंह बना के वो बोली।

गप्पू उस्ताद था। बोला,

" अरे आप दोनों की नेचुरल ब्यूटी ही ऐसी ही की पार्लर क्या करेगा, अगर आप किसी पारलर में गयीं तो उसकी इज्जत में इजाफा होगा। मैं तो कहता हूँ की पारलर को आप को पे करना चाहिए ...की आप जैसी हसीनाएं भी हमारे पार्लर में आती है ...

लेकिन तब तबतक उसके ब्लैक बेरी पे एक काल आई और वो बहोत सीरियस हो के बात करने लगा।

तब तक मेरी निगाह, उसके मेज पर रखे लेटेस्ट डेस्क टाप और फोन्स पे पड़ी। फोन के साथ स्क्रैम्बलर भी लगा हुआ था जिससे अगर रास्ते में कोई फोन टैप भी करे तो उसे पता न चले।
मुझे बहूत से मेल्स देखने थे और बात करनी थी।

फोन बंद करते समय गप्पू का चेहरा उतरा था।

उनसे बोला, सारी यार मेरी इनकम टैक्स कमिश्नर से एक अर्जेंट मीटिंग आ गयी है अभी निकलना होगा। एक दो घंटे तो लगेगा ही। तुम लोग शापिंग कर लेना और पारलर में भी ...

उसने अपनी सेक्रेटरी को बुला के बोला की हम लोगो को जो भी जरूरत हो और तबतक पारलर की मैडम भी आ के खड़ी हो गयी थी।
" नहीं हम लोग हैंडल कर लेंगे, तुम निकलो ...लेकिन मेरी निगाह अभी भी कम्प्युटर पे गडी थी। मैंने धीरे से उससे पूछा ,
" हे तुम्हारा कप्यूटर सेफ है न मैं यूज कर सकता हूँ ना ..."

" साल्ले पिटोगे तुम, और एक कागज़ पे उसने सरे पास वार्ड मुझे लिख के दे दिए।और एक बटन बताया ज्सिअसे उसकी सेक्रेटरी आती थी।
वो गया लेकिन पार्लर की इनचार्ज अभी भी खड़ी थीं।
मैं यही चाहता था।

किसी तरह ये दोनों एक घंटे के लीये सरकें तो मैं ज़रा सिचुएशन समझ के प्लान बानुं।
रीत से बाद करना बेहद जरूरी था और भी बहूत से काम थे।

पारलर वाली ने पूछा, आप क्या क्या ट्रीटमेंट लेंगी ,
मैंने जवाब दिया, सब कुछ जो आप को लगे, फेसियल, हेयर ट्रीटमेंट, मैनेक्योर, पेडिक्योर और जब वो अन्दर जाने लगीं तो मैंने फिर बुला के कहा,

" और हाँ बाड़ी वैक्सिंग "
पार्लर वाली ने मुस्करा के पूछा कौन सी तो मैंने भी उसी तरह मुस्करा के जवाब दिया,
" ब्राजिलियन वैक्सिंग "
" ओह्ह श्योर ..." वो मुस्कराती हुयी चली गयी। मैंने कम्प्युटर आन किया। सारे पास वार्ड डाले और नेट स्टार्ट किया।

तब तक उसकी सेक्रेटरी आ के खड़ी होगयी,

उन्ही सेल्स गर्ल्स की तरह टाप और हाट पेंट्स में, गोरी लम्बी और जबर्दस्त उभार,
उसने भी देखा की रंजी और गुड्डी दोनों पारलर में थी।

" सर अनिथिंग यूं वांट ..."
और जिस तरह से उसने उभार उभारे, ये साफ था की अनिथिंग में क्या क्या चीजें मिल सकती थीं,
" जस्ट सम हाट काफी , स्ट्रांग .."

श्यौर ...और थोड़ी देर में वो काफी के साथ हाजिर थी। और जब वो काफी पोर कर रही थी तो मेरे हाथों से नहीं रहा गया।
उसके मस्त उभरे नितम्बो को मैंने सहला दिया और बीच की दरार में ऊँगली भी थोड़ा जोर से,...

वो मुस्कारायी।
इतना भी ना करना हुस्न के साथ बेईज्जती होती।

"प्लीज काल मी इफ यू नीड अनीथिंग ..." चलते चलते वो बोली।
" शुयोर मैंने कहा।
उसने बाहर से दरवाज बंद कर दिया। अब सिर्फ पारलर का दरवाजा थोड़ा सा दिख रहा था।

अब मैं आज के घटना क्रम पर विचार कर रहा था।

पहले वो कत्थ्ई सूट वाला , फिर मेरी जेब कटन , और उसके बाद रन्जी की सैंडल और गुड्डी के टाप पर बग , यानी वो अब हमारी लोकेशन के साथ सबी बात भी सुन रहा था। गनीमत थी की उस दौरान हम लोगो ने सिर्फ ठरकी पने की हरकतें की ....और फिर डी बी का मेसेज,

मैंने अपना सिक्योर फोन और नया फोन दोनों निकाल के मेज पर रख लिया था और मेल भी खोल लिया था।
इसमें स्काइप भी था।

मेरे दिमाग में एक बार फिर 26 नवम्बर की तस्वीरें सामने आ गयीं।

अब तक जो बातें पता चली थीं इस बार का हमला उस से भी खतरनाक था।

सिर्फ बनारस में जो होलिका धन के साथ बाम्ब ब्लास्ट प्लान था उससे कम से कम 5-600 जाने जातीं और उस के बाद गन्गा आरती के सामय स्नाइपर अटैक अलग,

इन्तेलिजिनेस रिपोर्ट के हिसाब से उसके साथ ही दंगे शूरु होने के आसार थे, उसमें होने वाले नुक्सान के बारे में तो सोच भी नहीं सकते थे और फिर जो कोश्इशे हो रही थीं तरक्की की वो सब खटाई में ,

इसके साथ ही मुम्बई और बडौदा में जो हमले प्लान थे, भला हो रीत के चचा चौधरी से तेज दिमाग का जिसने दुशमनों की पोल खोल दी और उसकी हिम्मत का ...


नहीं किसी हालत में मैं उनका ये प्लान सफल नहीं होने दे सकता

हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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