FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--73
गतांक से आगे ...........
शापिंग
ये कह कर वो स्काईप पर जैसे आई थी वैसे ही उड़न छु हो गयी.
मैंने घडी पे निगाह डाली एक घंटे हो गए थे. मैंने कम्प्युटर बंद ही करने वाला था की..
डी बी का मेसेज आया उनकी सेल्स टैक्स और एक्साइज वालों से बात हो गयी है, ५ साडी मैन्युफक्च्रर वालों के यहाँ थोड़ी देर में रेड शुरू हो जायेगी , जिसमें जेड का काशी सिल्क हाउस भी है, उसके सारे डिटेल्स वो आईबी और रीत को दे देंगे...और रिपोर्ट की एक कापी मुझे भी पोस्ट कर देंगे.
मैंने जवाब में रीत ने जो बाम्ब मेकर के बारे में खबर डी थी और जो पैकेट के डिस्पैच के डिटेल दिए थे वो उन्हें बता दिया और ये भी आशंका जाहिर कर दी की ये तय ही की उन पैकेट में ही बडौदा और मुम्बई को आरडी एक्स या सेमी फिनिश्ड बाम्ब भेजे गए होंगे.
ट्रेन उन्होंने इसलिए चुना की रास्ते में पैकेट चेक होने के चांस ना के बराबर है.
अब मैंने कंप्यूटर अच्छी तरह क्लीन कर के, सब कुछ डिलीट कर बंद कर दिया.
उसी समय पारलर का दरवाजा खुला और गुड्डी और रंजी निकली.
…..........
मैं खड़ा हुआ लेकीन मुझसे पहले जंगबहादुर खड़े होगये ...रंजी को देख के ...वो पहले ही इत्ती हाट लग रही थी, हाल्टर टाप और स्किन टाईट कैपरी में ..और अब तो एकदम शोला...
उसके नितम्ब तक लम्बे बाल की स्ट्रेटनिंग कर दी थी और दो लटें उसके भरे भरे गुलाबी गालों पे एस तरह छु रही थी मानो कह रही हो कम किस मी ना ...
और उसकी बड़ी बड़ी आँखों पे, डीप मस्कारा, आई शैडो और गहरा काजल..चिक बोन्स को और हैलाईट करता रूज..लिप ग्लास और लिप लाइनर से उसके रसीले होंठ और भरे भरे लग रहे थे...
किसी का भी मन करता की बस...चूस ले...और नीचे भी ..उसके क्लीवेज जो पहले ही साफ दिख रहे थे अब पाउडर और मेक अप से और उभर कर सामने आ रहे थे...वो बड़ी अदा से अपनी पतली कमर पर अपने हाथ रख के खड़ी थी और उसके लम्बे नाखूनों पे नेल आर्ट बहोत हाट लग रहा था...
और मुझे याद आ गया रीत ने रंजी के बारे में क्या कहा था ..
जब मैंने उसे बधाई दी की रेहन और उसके बाकी ठरकीयो ने जेड को ढूंढ निकाला तो वो हंस के बोली,
" अरे तुम अपनी उस बहन कम माल को बधाई दो...उस रंजी को...मैंने रेहान और उसके ग्रुप को उसी को इनाम के तौर पे देने को बोला है..और उन सबों ने जेड के पता चलने की खबर बाद में बताई तुम्हारे उसकी 'ट्रिपल सैंडविच ' बनाने की खबर पहले...सुनाई."
" ट्रिपल सैंडविच मतलब मेरे कुछ समझ में नहीं आया..." मैं बोला..
" अरे यार तुम भी ना रीत बोली..
रेहन और उसके दोस्त तो महा ठरकी ...कौन इन्तजार करे...तो तीनो ने तय किया की एक साथ तीनो चढ़ाई करेंगे उसके ऊपर...एक आगे से एक पीछे से..और एक मुंह में..हैं ना टाइम सेविंग ..और कौन कहाँ एंट्री मारेगा इसके लिए उसी समय, उसी से पुर्जी निकलवा लेंगे...
है ना जोरदार प्लान, तेरे माल कम बहना को एक साथ तिहरा मजा और उधर, उन बिचारों को भी इंतज़ार नहीं करना पडेगा , बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय हाँ उस से बोलना जरा भी परेशान न हो..."
कौन नहीं परेशान होता ऐसी बात सुनकर लेकिन मैं चुप रहा ...
हाँ रीत ने अपनी बात आगे बढाई...
“अरे यार उससे बोलना परेशान न हो ...मान लो अगर रेहन की पीछे वाली पर्ची भी निकल आई ना..तो अगले राउंड में वो आगे से चढ़ाई कर देगा...मतलब समझ गए ना..यानी रात में हैट्रिक हो जायेगी...लकी है वो..."
" तुम्हारा मतलब ..ट्रिपल हैटट्रिक..." मैंने बात साफ की...
एकदम रीत बोली थी...
और यहाँ गुड्डी मुझे वापस लायी ..
' हे मेरी सहेली को देख के क्या होगया ...होता है होता है लोगों को...इसे देख के "
और अब मेरी निगाह गुड्डी पर पड़ी...वो जबर्दस्त पटाखा लग रही थी...पारलर वालोने वास्तव में उन दोनों के अन्दर की आग को बाहर निकल के रख दिया था…
रंजी बड़ी बेसरमी से मेरे उठे हुए टेंट पोल पे अपनी निगाह चिपकाए हुए थी.
निगाह उठा के बड़ी शोख अदा से जरा सा अपने बाल को झटक के वो बोली,
" किस्मत अच्छी थी...आपकी बच गए..८५% डिस काउंट मिल गया.. लेकिन मेरा भी फायदा हो गया...ये गुड्डी तो चली जायेगी...६५% का अन्नुअल डिस्काउंट लेकिन चलिए नीचे अभी अच्छी तरह लूटना है आपको नीचे...एक नया टीन गारमेंट स्टोर नीचे खुला है..`चलें..."
तब तक पीछे से पार्लर वाली निकली उसने वहीँ से दोनों के पीठ पीछे से इशारा किया ..थम्स अप का ...और हलके से बोली ब्राजीलियन वैक्सिंग ...
मैं मुस्कराने लगा...ब्राजीलियन वैक्सिंग हाटेस्ट..होती है. इसमें नीचे का ..ओके ..कंट का एरिया भी पूरी तरह वैक्स कर देते हैं..सिर्फ एक आधे इंच की स्ट्रिप क्लिट के थोडा ऊपर छोड़ देते हैं...जिससे थांग में भी एक बाल ना दिखे...
पीछे से वो बोली ..अच्छी किस्मत तो हमारे पार्लर की थी की आप दोनों आयीं...
अब हम तीनो उसकी और देखने लगे..
" हम लोगों ने एक स्कीम लांच की थी...पोस्ट होली...होली में मन भर रंग खेलिए...कहीं भी कितना भी लगवाइये, डल वाइए..रंग साफ कराने की जिम्मेदारी हमारी..
एक हफ्ते पहले शुरू की थी आप लोगों के आने के पहले तक सिर्फ ४ बुकिंग हुयी थी और अभी इतनी देर में ४८ बुकिंग और हो गयी...हमारा ५० का टार्गेट था...और अगर इसी तरह रहा तो विंडफाल हो जाएगा... तो आप लोग तो वास्तव में लकी हैं...
और हाँ होली के बाद जरुर आइयेगा...और आपकी सहेलियों के लिए भी ३५ % डिस्काउंट
हम सब ने उसको बधाई दी और आगे गुड्डी और रंजी और पीछे पीछे मैं...
नीचे जींस का स्टोर था. एक से एक माडर्न ट्रेंडी...गुड्डी ने रंजी को उकसाया...चल लूटने की शुरुआत यहीं से करते हैं.
एकदम वो हंस के बोली लेकिन उसे क्या मालूम की की मैं भी यही चाहता था.
मैंने पहल की और सेल्स गर्ल से जाके बोला...स्किनी ...लो राइज ..."
वो मुस्कराई और उन दोनों की और देख के बोली...एकदम इन लोगों पे फिट रहेगी...और ४-५ लेटेस्ट निकाल के रख दिया.
दोनों ने एक एक छांट ली और बोलीं ....चल टेस्ट कर देखते हैं. लेकिन तब तक सेल्स गर्ल ने मुस्कराते हुए टोका...
" हे किधर चली दोनों...अभी एक ही ट्रायल रूम खाली है...'
" कोई बात नहीं हम दोनों सब काम मिल कर करती हैं...खुले आम..." रंजी और गुड्डी एक साथ बोलीं और मेरी और देख के ...जैसे मुझ से हामी भरवा रही हों.
मैं क्या बोलता ...लेकिन सेल्स गर्ल उठी और उन दोनों को पास के लिंजरी कार्नर पे ले गयी और एक एक थांग दिलवा दी...बोली..इसके साथ पैंटी नहीं ये ही चलेगी.
और वो दोनों मुस्कराते हुये ट्रायल रूम में चली गयीं.
और सेल्स गर्ल मुस्कारते हुये मेरे पास काउंटर पे वापस आ गयी. वहां कोई और था भी नहीं.
एक पल रूक के मैंने उससे पुछा ...तुम्हारे पास अल्ट्रा लोराइज जींस भी हैं क्या ..."
वो मुस्कराके बोली' हैं तो लेकिन बहोत बोल्ड होती हैं मुझे नहीं लगता इस शहर में कोई खरीदेगा.."
मैंने भी उसी तरह मुस्करा के कहा ..मैं हेल्प कर सकता हूँ सेल में अगर तुम मेरा साथ दो...
वो बोली नेक और पूछ पूछ...
मैंने अपना आइडिया बताया...जब वो दोनों निकलेंगी तो उन दोनों के लिए उसी नंबर की एक स्किनी अल्ट्रा लो पैक कर देना...और अगर इन दोनों ने पहन लिया तो देखा देखी.... उसने अपने स्टोर के सुपरवाइजर को बुलाया और कंपनी से कोयी ब्रांड प्रमोशन के लिए आया था ...उसे भी ...
और हम तीनो में कुछ खुसर पुसर बातें हुयीं ...और जैसे ही ट्रायल रूम के दरवाजे के खुलने की आवाज हुयी हम सब अलग अलग हो गए...
और दरवाजा खुलने के बाद तो बस....सिर्फ वो दोनों ही दूकान में थी..
वो शोख जवानियां, वो दहकते शोले...जींस एकदम देह से चिपकी और कुल्हे से भी नीचे...अच्चा हुआ सेल्स गर्ल ने उन दोनों को थांग्स पकड़ा दी थी ...पतली रस्सी सी वो साफ जींस के बाहर नजर आ रही थी.
रंजी एक पल के लिए मुड़ी और बस मैं बेहोश नहीं हुआ..
उसने अपने दोनों हाथ अपनी खूब पतली कमर के नीचे कूल्हे पे रखे थे और उसके भारी नितम्ब बस जींस को फाड़ नहीं रहे थे, एक एक लाइन , दरार. गदराये मासल हिप्स के उभार सब एकदम साफ दिख रहे थे...और उसने हलके से अपने भारी भारी चूतड मटका दिए..
प्लंप,प्रेटी, परफेक्ट
मेरे जंगबहादुर ने ९० डिग्री होकर तुरंत सैल्यूट किया....
वो बेशर्म , गरदन मोड़कर सीधे 'उसे' ही देख रही थी.
मेरी तो हालत खराब हो रही थी...बस मुझे चंदा भाभी की एक बात याद आ रही थी ....अगर ऐसे मस्त चूतड मटकाने वाली लड़की दिखे तो उसकी गांड बिना मारे छोड़ना सख्त नाइंसाफी है और पाप भी लगता है.
और मुझे पाप से बहोत डर लगता है.
वो और गुड्डी दोनों मेरे पास आके एकदम चिपक गयी.
गुड्डी ने मेरे कानों के एकदम पास अपने होंठो को सटा के कहा, " जानू, अभी तो तुम्हे लूटना सिर्फ शुरू किया है अभी आगे आगे देखो होता है क्या...
उस बिचारी को क्या मालूम जब वो दोनों ये ड्रेस पहन के निकलेंगी...तो पूरा शहर लूट जाएगा....और मेरा पक्का इरादा था ...उन दोनों को लूट लेने का...१६ बरस की चिकनी जवानी...
" है ना अच्छी एक एक और ले लें ..." मैंने मुस्करा के कहा.
" नेकी और पूछ पूछ ..." दोनों शोख किशोरियां एक साथ बोलीं. और मैंने सेल्स गर्ल को इशारा कर दिया...
और वो पैक करने मैं जुट गयी....जैसा मैंने उसे बोला...
लो राइज जींस में ही 'सब कुछ 'दिखता था...और अभी तो वो अल्ट्रा लो राइज स्किनी पैक कर रही थी ...और उसमें तो जींस के बाहर ही 'बहोत कुछ' दिखने वाला था...उस मस्त पिछवाड़े की गली की शुरुआत जिसके दीदार के लिए पूरा शहर पागल था.
बगल में ही शू स्टोर था...गुड्डी मुझे और रंजी खिंच के वहां ले गयी ...
बगल में ही शू स्टोर था...गुड्डी मुझे और रंजी खिंच के वहां ले गयी ...
रंजी के लाख मना करने पर भी एक हाई हिल स्टीलेटों, कम से कम ४.५ इंच की रही होगी... गुड्डी पीछे पड़ी थी ५ इंच वाली के लेकिन रंजी ने बहोत नखड़ा कर के ली ४.५ इंच की,रैप औप स्ट्रिप्स और मेटल हील और एक पम्प भी उसी हाईट का...मैंने रंजी से कहा की पहन लो और वो थोड़ा ना नुकुर करने के बाद मान गयी.
अब उसके तो नितम्ब और कसर मसर कर रहे थे.
Usake उसके बगल में ही ब्रा और पैंटी की शाप थी। गुड्डी रंजी को पकड़ के उधर खिंच के ले गयी।
" भूल गयी तुम्हारे इन्होने वायदा किया था की स्ट्रैप्लेस वाली ब्रा खरीदने के लिए, इन्ही के चक्कर में पूरे शहर में बिना ब्रा के चक्कर काट रही हो।"
बात तो उसकी सही थी रंजी ने हाल्टर , ब्रा के बिना ही पहना था। और एक बार वहां पहुँच गए तो सिर्फ स्ट्रैप्लेस ही नहीं, शियर ब्रा, जिसमे 'सब कुछ' दिखता था, हाफ कप, पुश अप ब्रा और सबी की सब ऐसी
..जिसमें आधा से ज्यादा किशोर उभार बाहर छलकता रहे और उन खा तैर स यूं गोरे गदराये कबूतरों की गुलाबी गुलाबी चोंचे , साफ साफ टाप के ऊपर से भी दिखाती रहे। और साथ में मैंचिंग पैंटी, पैंटी क्या सब की सब थांग , बस एक दो इंच की प्ले सी पट्टी, मस्त रंगों में , गुलाबी लेसी ...
और उस के बाद फिर वो दोनों टाप की दूकान में घुस गयीं।
और मुझे जोश नहीं दिलाना पडा। रंजी खुद मूड में आ गयी थी और बचा खुचा गुड्डी उसे चढ़ा रही थी, सब के सब एकदम टाईट , मोस्टली शोल्डर लेस , और कई तो नाभि के ऊपर ..और दोनों ने एक हाफ कप लेसी ब्रा के साथ एक एक टैंक टाप पहन भी लिया। खूब टाईट लेमन येलो कलर का, और ब्रा पुश अप और हाफ कप वाली ...नतीजा साफ साफ था, रंजी के दोनों मस्त कबूतरों के साथ उसके निप्स भी साफ झलक रहे थे और यही हालत गुड्डी की भी थी। टाप खूब लो कट ..इसलिए क्लिव्ज भी साफ दिख रहा और दोनों के जोबन का उपरी भाग भी खुल के ललचा रहा था,
आज तो शहर में आग लग जायेगी, मैंने चिढाया।
रंजी के गाल टेसू हो गए लेकिन गुड्डी तो पूरी बनारस की थी , बोली,
"तो हो जाने दो ना , पहाँ कमल खिल है वो भी दो दो ..." रंजी के उभारों को मुझे दिखाते हुए हलके से दबा के वो छेड़ते हुए बोली। फिर अचानक चीखी,...
" नहीं ही ...मैं तो भूल ही गयी थी " और जोर से गुड्डी ने मेरे पीठ पे मारा ...तुम तुम्ही हो इस के कारण ,
" क्यों क्या हुआ ..." मेरे भी कुछ समझ में नहीं आया।
" अरे हुआ क्या भूल गए शीला भाभी के लिए साडी लेनी थी और तुम ..एक बार इस रंजी के चक्कर में पड के ..." उस ने याद दिलाया।
याद तो मुझे भी आया और एक सेल्स गर्ल ने हम लोगों की हेल्प की ...." अरे परेह्सान होने की क्यों बात नहीं है ..हम लोगो ने एक साडी का भी सेक्शन खोल है, हर तरह की होली का लेटेस्ट सेलेक्शन आया है।
वो दोनों ऊपर चढने लगी तो रंजी ने मुझे रोक दिया,
" तुम्हे साडी के बारे में क्या समझ ...या अपने लिए लेनी है ...वैसे तुम्हारा कार्ड तो गुड्डी के पास है ही। तुम यही बैठो। "
मैं बात गया और वो दोनो धड धडाती हुयी ऊपर चढ़ दी।
मैं टाईट लो कट जींस में , कसर मसर करते , उन कसे मस्त नितम्बो को देखता रहा।
मैं वही पड़े सोफे पे बैठ गया और अपना सिक्योर फोन निकाल लिया।
एक काम तो हो गया था।
दुशमन के वार को न्युट्रलाइज करने का,
उसने गुड्डी के टाप और रंजी के सैंडल पर बग लगा दिए थे, जिससे हम लोगों की लोकेशन का पता चलता रहे।
ये पता नहीं था की जो बग मैंने लोकेट किये थे उसके अलावा और कितने बग थे ...इसलिए अब दोनों के सारे कपडे ब्रा पैंटी सहित बदल गए थे। और उन पुराने कपड़ो को मैंने वहीँ लांड्री में दे दिया था।
तो अब उसकी डिवाइस पे हम बहोत देर तक गंगा स्टोर में ही दिखेंगे।
दूसरे वो हम लोगों की बात चित भी नही सुन पायेगा।
मुझे ये भी शक था कि कहीं कोई बैग, इन दोनों के बाड़ी पे ना रह गया हो, इसलिए मैंने फूल बाड़ी वक्सिंग करवा दी जीससे वो सम्भाव्वना भी समाप्त हो जाए।
और साथ में बोनस ...एक हाट लुक का, कसर मसर करते भरे भरे नितम्बो का और हाफ कप ब्रा से छलकते मस्त किशोर उरोजों के दर्शन का ...मेरे साथ पूरे शहर का फायदा
अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे।
और साथ में बोनस ...एक हाट लुक का, कसर मसर करते भरे भरे नितम्बो का और हाफ कप ब्रा से छलकते मस्त किशोर उरोजों के दर्शन का ...मेरे साथ पूरे शहर का फायदा
अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे। एक तो ये की वो पैकेट सावरमती से बडौदा और महानगरी एक्सप्रेस से मुम्बई गए थे। दूसरे दोनों जगहों का नाम पता जिनके लिए वो पार्सल भेजे गए थे। ये तो मुझे 99.99% अंदाज था की नेपाल के रास्ते जो आर डी एक्स बनारस आया था, वो या सेमी फिनिश्ड बाम्ब उनके जरिये गए होंगे।
और अगर ये पैकेट किसने छुडाया , ये मालूम हो जाय या कौन आया था पैकेट लेने तो बडौदा और मुम्बई में भी बात आगे बढ़ सकती थी। जहां तक बनारस का सावाल था , अब सारा मामला रीत और उसकी ठरकी सेना , और खास तौर पे उसके हेड रेहन के हाथ में था। उन्हें बस उन हुजी के आप्रेटिव्स पे निगाह रखनी थी और जैसे ही जेड से उनका मधुर मिलन हो जाया उन्हें धर दबोचना था। इसलिए मुझे अब , अगर फेलू दा की भाषा का प्रयोग करूँ, तो अपने मगज अस्त्र का प्रयोग कर मुम्बई और बडौदा में किसी समपर्क सूत्र को ढूंढ कर , आगे की खानी पता करनी थी।
दोनों जगहों पर सेट फोन की ट्रेसिंग से कुछ तो पता चाला था लेकिन वहां के किसी लोकल आदमी की मदद आवश्यक थी।
….
अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे। एक तो ये की वो पैकेट सावरमती से बडौदा और महानगरी एक्सप्रेस से मुम्बई गए थे। दूसरे दोनों जगहों का नाम पता जिनके लिए वो पार्सल भेजे गए थे। ये तो मुझे 99.99% अंदाज था की नेपाल के रास्ते जो आर डी एक्स बनारस आया था, वो या सेमी फिनिश्ड बाम्ब उनके जरिये गए होंगे। और अगर ये पैकेट किसने छुडाया , ये मालूम हो जाय या कौन आया था पैकेट लेने तो बडौदा और मुम्बई में भी बात आगे बढ़ सकती थी। जहां तक बनारस का सावाल था , अब सारा मामला रीत और उसकी ठरकी सेना , और खास तौर पे उसके हेड रेहन के हाथ में था। उन्हें बस उन हुजी के आप्रेटिव्स पे निगाह रखनी थी और
जैसे ही जेड से उनका मधुर मिलन हो जाया उन्हें धर दबोचना था। इसलिए मुझे अब , अगर फेलू दा की भाषा का प्रयोग करूँ, तो अपने मगज अस्त्र का प्रयोग कर मुम्बई और बडौदा में किसी समपर्क सूत्र को ढूंढ कर , आगे की खानी पता करनी थी। दोनों जगहों पर सेट फोन की ट्रेसिंग से कुछ तो पता चाला था लेकिन वहां के किसी लोकल आदमी की मदद आवश्यक थी।
बाम्बे में किसको पकडूं , मैं सोच रहा था की मेरी चमकी।
मैंने मुम्बई में फोन लगाया।
दो घंटी गयी होगी की ...वो चालू, वही चिर परिचित आवाज।
" आप कहाँ से बोल रहे हैं, क्या चाहिए , हमारे पास , हाउस वाइफ, कालेज गर्ल , माडल सारे च्वायस हैं। पंजाबी, गुजराती, यू पी, दिल्ली, बंगाली, साउथ इन्डियन ..सब चायस रहेगी। एज 22 से 26 ...अच्छी फिगर ...रूम के साथ ...हाउस वाइफ 4 से 5 हजार के बीच , कालेज गर्ल 6 हजार ..."
उसकी बात काट के मैं बोला, साल्ले मैं बोल रहा हूँ।"
वो हंस के बोला
" अरे बॉस आप का नंबर कोई भी हो आप की आवाज मैं पहचान सकता हूँ, आप के हेलो से ही मैं समझ गया था की आप ही हो, "
" क्या हाल है " मैंने पुछा।
" हाल बेहाल है, धंधा नरम है, साल्ले ढोबले ने बिना तेल लगाए गांड मार रखी है ..सब पारलर वाले तो आलमोस्ट ठन्डे ही पड गए हैं बस वही एस्कोर्ट वेस्कोर्ट और बाकी खाने कमाने का ..."
उसकी बात काट कर मैं बोला,
उस बिचारे की तो तुमने छुट्टी करवा दी फिर क्यों गाली दे रहे हो,
"
" अरे लेकिन जाने के पहले धंधा तो ख़राब कर गया ...पहले हर अखबार में आम मस्साज पार्लर के नाम से खुले आम विज्ञापन निकलता था।।कस्टमर खुश लड़की खुश और ..."
" ये क्यों नहीं बोलते की तू भी खुश, " उसकी बात काट के मैं बोला,
" अरे वो तो आप जानते ही हैं ..." हंसते हुए वो बोला। बात बिना बात, किसी भी हालात में हंसना उसकी आदत थी।
नाम उसका , नाम छोडिये ...हंस अब उसको एनपी एस के नाम से जानते थे, नो प्राबलम सर ...और था भी वो वही।
मुम्बई ख़ास तौर से सेन्ट्रल और साउथ मुम्बई में कुछ भी हो ...और बाकी जगह उसके कनेक्शन थे।
उससे मेरी मुलाकत 26.11 वाले वाकये के समय हुयी थी जब मैं जुबेदा के साथ साथ हास्पिटल और मारचूरी के बीच भटक रहे थे।
उसने बहोत हेल्प की थी और वहीँ उससे मेरी दोस्ती हो गयी और उसके बाद तो मैं जब भी मुम्बई गया बिना उससे मिले….. मैं कभी नहीं आता था
काम उसका कान्टैक्ट का ही था। और उसने जो बाते मुझे बताई वो शायद मुझे कभी पता नहीं चलती, बिना उससे मिले ...
वो जेब में तीन चार मोबाइल रखता था और कई दो सिम वाले ...
एक साथ वो कई कई धंधे में लगा रहता था। दो तीन फोन पे ..मस्साज पारलर या एस्कोर्ट सर्विस के नमबर रहते जो मिरर या मिड डे ऐसे अखबारों में भी छपते।
और हर नम्बर के लिए उसकी अलग स्टाइल थी।।अलग कान्टैक्ट का तरीका था। एक नम्बर पे अगर कोई फोन आया और मान लीजिये की फोन करने वाला चर्च गेट पे है तो उसे गोल्डन थाली वाली दूकान चरनी रोड स्टेशन के पास बुलाता तो दूसरे नमबर पे फोन आने पे राक्सी सिनेमा के पास, ...
मैंने उससे पूछा भी की क्यों ...तो हंस के उसने समझाया ..बॉस ये लोग नारमली बमबयी के बाहर वाले हैं बड़ी हिम्मत कर मौज मस्ती का मन बनाया, तो बस ...और मेरा काम तो बस उसको पहुंचाना है ...और वहां तो लड़का आके ले जाता है ..."
" ले कहाँ जाता है, ..." मैंने उत्सुकता वश पूछा ...
" अरे वही जहां सब जाते है ...कांग्रेस हाउस ...केनेडी ब्रिज, सब राक्सी या चरनी रोड के पास ही हैं, हाँ वो सीधे पहुंचता तो आधे रोड में काम हो जाता ..लेकिन फिर उसे लगता की रेड लाईट एरया में जा रहा है ...औरे ऐसे एस्कोर्ट के नाम पे ..सब पैकेजिंग का मामला है।"
" और ये जो तुम राग अलापते हो हाउस वाइफ, कालेज गर्ल , माडल ...." मैंने और जानना चाहां,
" सिम्पल ...वही पकेजिंग, क्या कहते हैं वो मैनेजमेंट वाले ..वैल्यू एडिशन ...लड़की को थोड़ा टाईट टाप और जींस पहना दिया, हाई हिल की सैंडल और बन गयी वो कालेज गर्ल ...हाँ अगर कोई ज्यादा पूछ ताछ करे तो बात देगी की कहीं बी ए में पढ़ रही है बस, और गार कही गोरी वोरी हुयी तो थोड़ा मेकअप वेकप कर के माडल ...ये सब खेल मोबाइल का है जैसा कस्टमर मांगता है बस वैसे पकेजिंग ...फिर कस्टमर कहीं भी हुआ, सेन्ट्रल में हुआ तो मराठा मंदिर या मिनर्वा टाकिज के पास या अन्धेरी हुआ तो लीला होटल, लेकिन ये सब खाली नाम होता है उसका नमबर मैं पास कर देता हुआ वहां के बन्दे को, "
मैं बोला तब तो तुम पक्के लाजिस्टिक्स प्लानर हो। और तब उसने बोला की वो पोद्दार कालेज से पार्ट टाइम मैनेजमेंट का कोर्स भी कर रहा है।
वो मुम्बई का परफेक्ट स्ट्रीट स्मार्ट सर्वाइवर था।
मुम्बई
वो मुम्बई का परफेक्ट स्ट्रीट स्मार्ट सर्वाइवर था।
इस के अलावा उसके पास जो फोन थे , उनसे वो मेड सर्विस ...वो कहता था की मुम्बई की लाइफ लाइन दो है , लोकल और मुम्बई की बाई
लोकल नहीं होने पे टैक्सी बस कुछ हो सकता है, लेकिन बाई के बिना तो एकदम इम्पासिबल ...
मैं अतीत से लौट के वर्तमान में आ गया।
" हे तुमसे दो काम है ...लेकिन जरा खतरनाक ..." मैंने फिर उसको पूरी बैकग्राउंड समझा दिया।
26.11 की यातना से वो भी गुजरा था।
तो करना क्या है ...उसने पूछा।
' रेलवे में काम है ..." मैंने बोला।
' कोई वाईपी कोटा निकलवाना है क्या, बोलो ... वी टी में मेरी अच्छी पहचान है ..वहां का कोटा वाला बाबू, उस से मेरी अच्छी जान पहचान है , साल्ला एक नम्बर का ठरकी, नवलकर लेन में , वही ढोबले के जमाने में फँस गया था, गिरगाम थाने में था। पुलिस वाले तो उसकी बिना तेल लगाए गांड मार लेते, बदनामी होती सो अलग , नौकरी भी जाती . मैने बचवाया। तबसे जिस गाडी में कहो उस गाडी में ...
" नहीं यार ...वो बात नहीं है "
मैंने उस की ट्रेन को रोका और फिर हाल खुलासा बयान किया।
अब वो सीरियस हो गया।
" पहला कम तो ये है की महानगरी से एक पैकेट वी टी के लिए गया था, बनारस से बुक हुआ है , काशी साडी भण्डार से मंगलदास मार्केट के लिए पूरा डिटेल मैं स एम् स कर रहा हूँ। उस का पता करना ई। किसने मंगवाया . क्या था उस के पैकेट में , किसने छुडवाया ...सब कुछ।"
वो कुछ देर सोचता रहा फिर बोला,
" हो जाएगा, मेरे एक दोस्त है उस का नल बाजार में आफिस है, कालबा देवी के सारे कार्गो वालों से उसकी जान पहचान है, सेन्ट्रल रेलवे का कार्गो का पार्सल का काम भी वो करता है . उस स एमें बुकिंग एजेंट का पता कर लूंगा। हो जाएगा। "
अब मैंने उस से वो इन्फो शेयर की जो मेरे हैकर एजेंट्स ने पता की थी। लेकिन उस का सर पैर मेरे समझ में नहीं आ रहा था। सारी बातें कोड में होती थीं हाँ कुछ नाम थे जिन से कुछ पता लगाने की उम्मीद थी।
" अरे यार सुनो, ये कुछ नाम है बगदादी, अरेबिया, पासता 4 नंबर, पेरिस ..इनसे कुछ समझ में आता है क्या। हाँ एक चीज थी और थी पाइप वाला। " मैंने पूछा।
" ऐसे तो नहीं समझ में आ रहा है लेकिन कुछ पूछ के बताउंगा, आज रात में ही। " वो बोला।
तब तक उस का दूसरा फोन बजने लगा और मैंने फोन रख दिया।
मैने फिर से एक बार दिमाग दौडाया. बडौदा...कौन हो सकता है वहां ..कोयी ऐसा जो रिलायेबल हो , जिसके कान्टैक्ट हों और जो सुराग रसी का काम कर सकता हो. ..
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फागुन के दिन चार--73
गतांक से आगे ...........
शापिंग
ये कह कर वो स्काईप पर जैसे आई थी वैसे ही उड़न छु हो गयी.
मैंने घडी पे निगाह डाली एक घंटे हो गए थे. मैंने कम्प्युटर बंद ही करने वाला था की..
डी बी का मेसेज आया उनकी सेल्स टैक्स और एक्साइज वालों से बात हो गयी है, ५ साडी मैन्युफक्च्रर वालों के यहाँ थोड़ी देर में रेड शुरू हो जायेगी , जिसमें जेड का काशी सिल्क हाउस भी है, उसके सारे डिटेल्स वो आईबी और रीत को दे देंगे...और रिपोर्ट की एक कापी मुझे भी पोस्ट कर देंगे.
मैंने जवाब में रीत ने जो बाम्ब मेकर के बारे में खबर डी थी और जो पैकेट के डिस्पैच के डिटेल दिए थे वो उन्हें बता दिया और ये भी आशंका जाहिर कर दी की ये तय ही की उन पैकेट में ही बडौदा और मुम्बई को आरडी एक्स या सेमी फिनिश्ड बाम्ब भेजे गए होंगे.
ट्रेन उन्होंने इसलिए चुना की रास्ते में पैकेट चेक होने के चांस ना के बराबर है.
अब मैंने कंप्यूटर अच्छी तरह क्लीन कर के, सब कुछ डिलीट कर बंद कर दिया.
उसी समय पारलर का दरवाजा खुला और गुड्डी और रंजी निकली.
…..........
मैं खड़ा हुआ लेकीन मुझसे पहले जंगबहादुर खड़े होगये ...रंजी को देख के ...वो पहले ही इत्ती हाट लग रही थी, हाल्टर टाप और स्किन टाईट कैपरी में ..और अब तो एकदम शोला...
उसके नितम्ब तक लम्बे बाल की स्ट्रेटनिंग कर दी थी और दो लटें उसके भरे भरे गुलाबी गालों पे एस तरह छु रही थी मानो कह रही हो कम किस मी ना ...
और उसकी बड़ी बड़ी आँखों पे, डीप मस्कारा, आई शैडो और गहरा काजल..चिक बोन्स को और हैलाईट करता रूज..लिप ग्लास और लिप लाइनर से उसके रसीले होंठ और भरे भरे लग रहे थे...
किसी का भी मन करता की बस...चूस ले...और नीचे भी ..उसके क्लीवेज जो पहले ही साफ दिख रहे थे अब पाउडर और मेक अप से और उभर कर सामने आ रहे थे...वो बड़ी अदा से अपनी पतली कमर पर अपने हाथ रख के खड़ी थी और उसके लम्बे नाखूनों पे नेल आर्ट बहोत हाट लग रहा था...
और मुझे याद आ गया रीत ने रंजी के बारे में क्या कहा था ..
जब मैंने उसे बधाई दी की रेहन और उसके बाकी ठरकीयो ने जेड को ढूंढ निकाला तो वो हंस के बोली,
" अरे तुम अपनी उस बहन कम माल को बधाई दो...उस रंजी को...मैंने रेहान और उसके ग्रुप को उसी को इनाम के तौर पे देने को बोला है..और उन सबों ने जेड के पता चलने की खबर बाद में बताई तुम्हारे उसकी 'ट्रिपल सैंडविच ' बनाने की खबर पहले...सुनाई."
" ट्रिपल सैंडविच मतलब मेरे कुछ समझ में नहीं आया..." मैं बोला..
" अरे यार तुम भी ना रीत बोली..
रेहन और उसके दोस्त तो महा ठरकी ...कौन इन्तजार करे...तो तीनो ने तय किया की एक साथ तीनो चढ़ाई करेंगे उसके ऊपर...एक आगे से एक पीछे से..और एक मुंह में..हैं ना टाइम सेविंग ..और कौन कहाँ एंट्री मारेगा इसके लिए उसी समय, उसी से पुर्जी निकलवा लेंगे...
है ना जोरदार प्लान, तेरे माल कम बहना को एक साथ तिहरा मजा और उधर, उन बिचारों को भी इंतज़ार नहीं करना पडेगा , बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय हाँ उस से बोलना जरा भी परेशान न हो..."
कौन नहीं परेशान होता ऐसी बात सुनकर लेकिन मैं चुप रहा ...
हाँ रीत ने अपनी बात आगे बढाई...
“अरे यार उससे बोलना परेशान न हो ...मान लो अगर रेहन की पीछे वाली पर्ची भी निकल आई ना..तो अगले राउंड में वो आगे से चढ़ाई कर देगा...मतलब समझ गए ना..यानी रात में हैट्रिक हो जायेगी...लकी है वो..."
" तुम्हारा मतलब ..ट्रिपल हैटट्रिक..." मैंने बात साफ की...
एकदम रीत बोली थी...
और यहाँ गुड्डी मुझे वापस लायी ..
' हे मेरी सहेली को देख के क्या होगया ...होता है होता है लोगों को...इसे देख के "
और अब मेरी निगाह गुड्डी पर पड़ी...वो जबर्दस्त पटाखा लग रही थी...पारलर वालोने वास्तव में उन दोनों के अन्दर की आग को बाहर निकल के रख दिया था…
रंजी बड़ी बेसरमी से मेरे उठे हुए टेंट पोल पे अपनी निगाह चिपकाए हुए थी.
निगाह उठा के बड़ी शोख अदा से जरा सा अपने बाल को झटक के वो बोली,
" किस्मत अच्छी थी...आपकी बच गए..८५% डिस काउंट मिल गया.. लेकिन मेरा भी फायदा हो गया...ये गुड्डी तो चली जायेगी...६५% का अन्नुअल डिस्काउंट लेकिन चलिए नीचे अभी अच्छी तरह लूटना है आपको नीचे...एक नया टीन गारमेंट स्टोर नीचे खुला है..`चलें..."
तब तक पीछे से पार्लर वाली निकली उसने वहीँ से दोनों के पीठ पीछे से इशारा किया ..थम्स अप का ...और हलके से बोली ब्राजीलियन वैक्सिंग ...
मैं मुस्कराने लगा...ब्राजीलियन वैक्सिंग हाटेस्ट..होती है. इसमें नीचे का ..ओके ..कंट का एरिया भी पूरी तरह वैक्स कर देते हैं..सिर्फ एक आधे इंच की स्ट्रिप क्लिट के थोडा ऊपर छोड़ देते हैं...जिससे थांग में भी एक बाल ना दिखे...
पीछे से वो बोली ..अच्छी किस्मत तो हमारे पार्लर की थी की आप दोनों आयीं...
अब हम तीनो उसकी और देखने लगे..
" हम लोगों ने एक स्कीम लांच की थी...पोस्ट होली...होली में मन भर रंग खेलिए...कहीं भी कितना भी लगवाइये, डल वाइए..रंग साफ कराने की जिम्मेदारी हमारी..
एक हफ्ते पहले शुरू की थी आप लोगों के आने के पहले तक सिर्फ ४ बुकिंग हुयी थी और अभी इतनी देर में ४८ बुकिंग और हो गयी...हमारा ५० का टार्गेट था...और अगर इसी तरह रहा तो विंडफाल हो जाएगा... तो आप लोग तो वास्तव में लकी हैं...
और हाँ होली के बाद जरुर आइयेगा...और आपकी सहेलियों के लिए भी ३५ % डिस्काउंट
हम सब ने उसको बधाई दी और आगे गुड्डी और रंजी और पीछे पीछे मैं...
नीचे जींस का स्टोर था. एक से एक माडर्न ट्रेंडी...गुड्डी ने रंजी को उकसाया...चल लूटने की शुरुआत यहीं से करते हैं.
एकदम वो हंस के बोली लेकिन उसे क्या मालूम की की मैं भी यही चाहता था.
मैंने पहल की और सेल्स गर्ल से जाके बोला...स्किनी ...लो राइज ..."
वो मुस्कराई और उन दोनों की और देख के बोली...एकदम इन लोगों पे फिट रहेगी...और ४-५ लेटेस्ट निकाल के रख दिया.
दोनों ने एक एक छांट ली और बोलीं ....चल टेस्ट कर देखते हैं. लेकिन तब तक सेल्स गर्ल ने मुस्कराते हुए टोका...
" हे किधर चली दोनों...अभी एक ही ट्रायल रूम खाली है...'
" कोई बात नहीं हम दोनों सब काम मिल कर करती हैं...खुले आम..." रंजी और गुड्डी एक साथ बोलीं और मेरी और देख के ...जैसे मुझ से हामी भरवा रही हों.
मैं क्या बोलता ...लेकिन सेल्स गर्ल उठी और उन दोनों को पास के लिंजरी कार्नर पे ले गयी और एक एक थांग दिलवा दी...बोली..इसके साथ पैंटी नहीं ये ही चलेगी.
और वो दोनों मुस्कराते हुये ट्रायल रूम में चली गयीं.
और सेल्स गर्ल मुस्कारते हुये मेरे पास काउंटर पे वापस आ गयी. वहां कोई और था भी नहीं.
एक पल रूक के मैंने उससे पुछा ...तुम्हारे पास अल्ट्रा लोराइज जींस भी हैं क्या ..."
वो मुस्कराके बोली' हैं तो लेकिन बहोत बोल्ड होती हैं मुझे नहीं लगता इस शहर में कोई खरीदेगा.."
मैंने भी उसी तरह मुस्करा के कहा ..मैं हेल्प कर सकता हूँ सेल में अगर तुम मेरा साथ दो...
वो बोली नेक और पूछ पूछ...
मैंने अपना आइडिया बताया...जब वो दोनों निकलेंगी तो उन दोनों के लिए उसी नंबर की एक स्किनी अल्ट्रा लो पैक कर देना...और अगर इन दोनों ने पहन लिया तो देखा देखी.... उसने अपने स्टोर के सुपरवाइजर को बुलाया और कंपनी से कोयी ब्रांड प्रमोशन के लिए आया था ...उसे भी ...
और हम तीनो में कुछ खुसर पुसर बातें हुयीं ...और जैसे ही ट्रायल रूम के दरवाजे के खुलने की आवाज हुयी हम सब अलग अलग हो गए...
और दरवाजा खुलने के बाद तो बस....सिर्फ वो दोनों ही दूकान में थी..
वो शोख जवानियां, वो दहकते शोले...जींस एकदम देह से चिपकी और कुल्हे से भी नीचे...अच्चा हुआ सेल्स गर्ल ने उन दोनों को थांग्स पकड़ा दी थी ...पतली रस्सी सी वो साफ जींस के बाहर नजर आ रही थी.
रंजी एक पल के लिए मुड़ी और बस मैं बेहोश नहीं हुआ..
उसने अपने दोनों हाथ अपनी खूब पतली कमर के नीचे कूल्हे पे रखे थे और उसके भारी नितम्ब बस जींस को फाड़ नहीं रहे थे, एक एक लाइन , दरार. गदराये मासल हिप्स के उभार सब एकदम साफ दिख रहे थे...और उसने हलके से अपने भारी भारी चूतड मटका दिए..
प्लंप,प्रेटी, परफेक्ट
मेरे जंगबहादुर ने ९० डिग्री होकर तुरंत सैल्यूट किया....
वो बेशर्म , गरदन मोड़कर सीधे 'उसे' ही देख रही थी.
मेरी तो हालत खराब हो रही थी...बस मुझे चंदा भाभी की एक बात याद आ रही थी ....अगर ऐसे मस्त चूतड मटकाने वाली लड़की दिखे तो उसकी गांड बिना मारे छोड़ना सख्त नाइंसाफी है और पाप भी लगता है.
और मुझे पाप से बहोत डर लगता है.
वो और गुड्डी दोनों मेरे पास आके एकदम चिपक गयी.
गुड्डी ने मेरे कानों के एकदम पास अपने होंठो को सटा के कहा, " जानू, अभी तो तुम्हे लूटना सिर्फ शुरू किया है अभी आगे आगे देखो होता है क्या...
उस बिचारी को क्या मालूम जब वो दोनों ये ड्रेस पहन के निकलेंगी...तो पूरा शहर लूट जाएगा....और मेरा पक्का इरादा था ...उन दोनों को लूट लेने का...१६ बरस की चिकनी जवानी...
" है ना अच्छी एक एक और ले लें ..." मैंने मुस्करा के कहा.
" नेकी और पूछ पूछ ..." दोनों शोख किशोरियां एक साथ बोलीं. और मैंने सेल्स गर्ल को इशारा कर दिया...
और वो पैक करने मैं जुट गयी....जैसा मैंने उसे बोला...
लो राइज जींस में ही 'सब कुछ 'दिखता था...और अभी तो वो अल्ट्रा लो राइज स्किनी पैक कर रही थी ...और उसमें तो जींस के बाहर ही 'बहोत कुछ' दिखने वाला था...उस मस्त पिछवाड़े की गली की शुरुआत जिसके दीदार के लिए पूरा शहर पागल था.
बगल में ही शू स्टोर था...गुड्डी मुझे और रंजी खिंच के वहां ले गयी ...
बगल में ही शू स्टोर था...गुड्डी मुझे और रंजी खिंच के वहां ले गयी ...
रंजी के लाख मना करने पर भी एक हाई हिल स्टीलेटों, कम से कम ४.५ इंच की रही होगी... गुड्डी पीछे पड़ी थी ५ इंच वाली के लेकिन रंजी ने बहोत नखड़ा कर के ली ४.५ इंच की,रैप औप स्ट्रिप्स और मेटल हील और एक पम्प भी उसी हाईट का...मैंने रंजी से कहा की पहन लो और वो थोड़ा ना नुकुर करने के बाद मान गयी.
अब उसके तो नितम्ब और कसर मसर कर रहे थे.
Usake उसके बगल में ही ब्रा और पैंटी की शाप थी। गुड्डी रंजी को पकड़ के उधर खिंच के ले गयी।
" भूल गयी तुम्हारे इन्होने वायदा किया था की स्ट्रैप्लेस वाली ब्रा खरीदने के लिए, इन्ही के चक्कर में पूरे शहर में बिना ब्रा के चक्कर काट रही हो।"
बात तो उसकी सही थी रंजी ने हाल्टर , ब्रा के बिना ही पहना था। और एक बार वहां पहुँच गए तो सिर्फ स्ट्रैप्लेस ही नहीं, शियर ब्रा, जिसमे 'सब कुछ' दिखता था, हाफ कप, पुश अप ब्रा और सबी की सब ऐसी
..जिसमें आधा से ज्यादा किशोर उभार बाहर छलकता रहे और उन खा तैर स यूं गोरे गदराये कबूतरों की गुलाबी गुलाबी चोंचे , साफ साफ टाप के ऊपर से भी दिखाती रहे। और साथ में मैंचिंग पैंटी, पैंटी क्या सब की सब थांग , बस एक दो इंच की प्ले सी पट्टी, मस्त रंगों में , गुलाबी लेसी ...
और उस के बाद फिर वो दोनों टाप की दूकान में घुस गयीं।
और मुझे जोश नहीं दिलाना पडा। रंजी खुद मूड में आ गयी थी और बचा खुचा गुड्डी उसे चढ़ा रही थी, सब के सब एकदम टाईट , मोस्टली शोल्डर लेस , और कई तो नाभि के ऊपर ..और दोनों ने एक हाफ कप लेसी ब्रा के साथ एक एक टैंक टाप पहन भी लिया। खूब टाईट लेमन येलो कलर का, और ब्रा पुश अप और हाफ कप वाली ...नतीजा साफ साफ था, रंजी के दोनों मस्त कबूतरों के साथ उसके निप्स भी साफ झलक रहे थे और यही हालत गुड्डी की भी थी। टाप खूब लो कट ..इसलिए क्लिव्ज भी साफ दिख रहा और दोनों के जोबन का उपरी भाग भी खुल के ललचा रहा था,
आज तो शहर में आग लग जायेगी, मैंने चिढाया।
रंजी के गाल टेसू हो गए लेकिन गुड्डी तो पूरी बनारस की थी , बोली,
"तो हो जाने दो ना , पहाँ कमल खिल है वो भी दो दो ..." रंजी के उभारों को मुझे दिखाते हुए हलके से दबा के वो छेड़ते हुए बोली। फिर अचानक चीखी,...
" नहीं ही ...मैं तो भूल ही गयी थी " और जोर से गुड्डी ने मेरे पीठ पे मारा ...तुम तुम्ही हो इस के कारण ,
" क्यों क्या हुआ ..." मेरे भी कुछ समझ में नहीं आया।
" अरे हुआ क्या भूल गए शीला भाभी के लिए साडी लेनी थी और तुम ..एक बार इस रंजी के चक्कर में पड के ..." उस ने याद दिलाया।
याद तो मुझे भी आया और एक सेल्स गर्ल ने हम लोगों की हेल्प की ...." अरे परेह्सान होने की क्यों बात नहीं है ..हम लोगो ने एक साडी का भी सेक्शन खोल है, हर तरह की होली का लेटेस्ट सेलेक्शन आया है।
वो दोनों ऊपर चढने लगी तो रंजी ने मुझे रोक दिया,
" तुम्हे साडी के बारे में क्या समझ ...या अपने लिए लेनी है ...वैसे तुम्हारा कार्ड तो गुड्डी के पास है ही। तुम यही बैठो। "
मैं बात गया और वो दोनो धड धडाती हुयी ऊपर चढ़ दी।
मैं टाईट लो कट जींस में , कसर मसर करते , उन कसे मस्त नितम्बो को देखता रहा।
मैं वही पड़े सोफे पे बैठ गया और अपना सिक्योर फोन निकाल लिया।
एक काम तो हो गया था।
दुशमन के वार को न्युट्रलाइज करने का,
उसने गुड्डी के टाप और रंजी के सैंडल पर बग लगा दिए थे, जिससे हम लोगों की लोकेशन का पता चलता रहे।
ये पता नहीं था की जो बग मैंने लोकेट किये थे उसके अलावा और कितने बग थे ...इसलिए अब दोनों के सारे कपडे ब्रा पैंटी सहित बदल गए थे। और उन पुराने कपड़ो को मैंने वहीँ लांड्री में दे दिया था।
तो अब उसकी डिवाइस पे हम बहोत देर तक गंगा स्टोर में ही दिखेंगे।
दूसरे वो हम लोगों की बात चित भी नही सुन पायेगा।
मुझे ये भी शक था कि कहीं कोई बैग, इन दोनों के बाड़ी पे ना रह गया हो, इसलिए मैंने फूल बाड़ी वक्सिंग करवा दी जीससे वो सम्भाव्वना भी समाप्त हो जाए।
और साथ में बोनस ...एक हाट लुक का, कसर मसर करते भरे भरे नितम्बो का और हाफ कप ब्रा से छलकते मस्त किशोर उरोजों के दर्शन का ...मेरे साथ पूरे शहर का फायदा
अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे।
और साथ में बोनस ...एक हाट लुक का, कसर मसर करते भरे भरे नितम्बो का और हाफ कप ब्रा से छलकते मस्त किशोर उरोजों के दर्शन का ...मेरे साथ पूरे शहर का फायदा
अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे। एक तो ये की वो पैकेट सावरमती से बडौदा और महानगरी एक्सप्रेस से मुम्बई गए थे। दूसरे दोनों जगहों का नाम पता जिनके लिए वो पार्सल भेजे गए थे। ये तो मुझे 99.99% अंदाज था की नेपाल के रास्ते जो आर डी एक्स बनारस आया था, वो या सेमी फिनिश्ड बाम्ब उनके जरिये गए होंगे।
और अगर ये पैकेट किसने छुडाया , ये मालूम हो जाय या कौन आया था पैकेट लेने तो बडौदा और मुम्बई में भी बात आगे बढ़ सकती थी। जहां तक बनारस का सावाल था , अब सारा मामला रीत और उसकी ठरकी सेना , और खास तौर पे उसके हेड रेहन के हाथ में था। उन्हें बस उन हुजी के आप्रेटिव्स पे निगाह रखनी थी और जैसे ही जेड से उनका मधुर मिलन हो जाया उन्हें धर दबोचना था। इसलिए मुझे अब , अगर फेलू दा की भाषा का प्रयोग करूँ, तो अपने मगज अस्त्र का प्रयोग कर मुम्बई और बडौदा में किसी समपर्क सूत्र को ढूंढ कर , आगे की खानी पता करनी थी।
दोनों जगहों पर सेट फोन की ट्रेसिंग से कुछ तो पता चाला था लेकिन वहां के किसी लोकल आदमी की मदद आवश्यक थी।
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अब मैं फिर वापस रीत के बारे में सोचने लगा।
उस ने दो बहोत इम्पोर्टेंट सूत्र बताये थे। एक तो ये की वो पैकेट सावरमती से बडौदा और महानगरी एक्सप्रेस से मुम्बई गए थे। दूसरे दोनों जगहों का नाम पता जिनके लिए वो पार्सल भेजे गए थे। ये तो मुझे 99.99% अंदाज था की नेपाल के रास्ते जो आर डी एक्स बनारस आया था, वो या सेमी फिनिश्ड बाम्ब उनके जरिये गए होंगे। और अगर ये पैकेट किसने छुडाया , ये मालूम हो जाय या कौन आया था पैकेट लेने तो बडौदा और मुम्बई में भी बात आगे बढ़ सकती थी। जहां तक बनारस का सावाल था , अब सारा मामला रीत और उसकी ठरकी सेना , और खास तौर पे उसके हेड रेहन के हाथ में था। उन्हें बस उन हुजी के आप्रेटिव्स पे निगाह रखनी थी और
जैसे ही जेड से उनका मधुर मिलन हो जाया उन्हें धर दबोचना था। इसलिए मुझे अब , अगर फेलू दा की भाषा का प्रयोग करूँ, तो अपने मगज अस्त्र का प्रयोग कर मुम्बई और बडौदा में किसी समपर्क सूत्र को ढूंढ कर , आगे की खानी पता करनी थी। दोनों जगहों पर सेट फोन की ट्रेसिंग से कुछ तो पता चाला था लेकिन वहां के किसी लोकल आदमी की मदद आवश्यक थी।
बाम्बे में किसको पकडूं , मैं सोच रहा था की मेरी चमकी।
मैंने मुम्बई में फोन लगाया।
दो घंटी गयी होगी की ...वो चालू, वही चिर परिचित आवाज।
" आप कहाँ से बोल रहे हैं, क्या चाहिए , हमारे पास , हाउस वाइफ, कालेज गर्ल , माडल सारे च्वायस हैं। पंजाबी, गुजराती, यू पी, दिल्ली, बंगाली, साउथ इन्डियन ..सब चायस रहेगी। एज 22 से 26 ...अच्छी फिगर ...रूम के साथ ...हाउस वाइफ 4 से 5 हजार के बीच , कालेज गर्ल 6 हजार ..."
उसकी बात काट के मैं बोला, साल्ले मैं बोल रहा हूँ।"
वो हंस के बोला
" अरे बॉस आप का नंबर कोई भी हो आप की आवाज मैं पहचान सकता हूँ, आप के हेलो से ही मैं समझ गया था की आप ही हो, "
" क्या हाल है " मैंने पुछा।
" हाल बेहाल है, धंधा नरम है, साल्ले ढोबले ने बिना तेल लगाए गांड मार रखी है ..सब पारलर वाले तो आलमोस्ट ठन्डे ही पड गए हैं बस वही एस्कोर्ट वेस्कोर्ट और बाकी खाने कमाने का ..."
उसकी बात काट कर मैं बोला,
उस बिचारे की तो तुमने छुट्टी करवा दी फिर क्यों गाली दे रहे हो,
"
" अरे लेकिन जाने के पहले धंधा तो ख़राब कर गया ...पहले हर अखबार में आम मस्साज पार्लर के नाम से खुले आम विज्ञापन निकलता था।।कस्टमर खुश लड़की खुश और ..."
" ये क्यों नहीं बोलते की तू भी खुश, " उसकी बात काट के मैं बोला,
" अरे वो तो आप जानते ही हैं ..." हंसते हुए वो बोला। बात बिना बात, किसी भी हालात में हंसना उसकी आदत थी।
नाम उसका , नाम छोडिये ...हंस अब उसको एनपी एस के नाम से जानते थे, नो प्राबलम सर ...और था भी वो वही।
मुम्बई ख़ास तौर से सेन्ट्रल और साउथ मुम्बई में कुछ भी हो ...और बाकी जगह उसके कनेक्शन थे।
उससे मेरी मुलाकत 26.11 वाले वाकये के समय हुयी थी जब मैं जुबेदा के साथ साथ हास्पिटल और मारचूरी के बीच भटक रहे थे।
उसने बहोत हेल्प की थी और वहीँ उससे मेरी दोस्ती हो गयी और उसके बाद तो मैं जब भी मुम्बई गया बिना उससे मिले….. मैं कभी नहीं आता था
काम उसका कान्टैक्ट का ही था। और उसने जो बाते मुझे बताई वो शायद मुझे कभी पता नहीं चलती, बिना उससे मिले ...
वो जेब में तीन चार मोबाइल रखता था और कई दो सिम वाले ...
एक साथ वो कई कई धंधे में लगा रहता था। दो तीन फोन पे ..मस्साज पारलर या एस्कोर्ट सर्विस के नमबर रहते जो मिरर या मिड डे ऐसे अखबारों में भी छपते।
और हर नम्बर के लिए उसकी अलग स्टाइल थी।।अलग कान्टैक्ट का तरीका था। एक नम्बर पे अगर कोई फोन आया और मान लीजिये की फोन करने वाला चर्च गेट पे है तो उसे गोल्डन थाली वाली दूकान चरनी रोड स्टेशन के पास बुलाता तो दूसरे नमबर पे फोन आने पे राक्सी सिनेमा के पास, ...
मैंने उससे पूछा भी की क्यों ...तो हंस के उसने समझाया ..बॉस ये लोग नारमली बमबयी के बाहर वाले हैं बड़ी हिम्मत कर मौज मस्ती का मन बनाया, तो बस ...और मेरा काम तो बस उसको पहुंचाना है ...और वहां तो लड़का आके ले जाता है ..."
" ले कहाँ जाता है, ..." मैंने उत्सुकता वश पूछा ...
" अरे वही जहां सब जाते है ...कांग्रेस हाउस ...केनेडी ब्रिज, सब राक्सी या चरनी रोड के पास ही हैं, हाँ वो सीधे पहुंचता तो आधे रोड में काम हो जाता ..लेकिन फिर उसे लगता की रेड लाईट एरया में जा रहा है ...औरे ऐसे एस्कोर्ट के नाम पे ..सब पैकेजिंग का मामला है।"
" और ये जो तुम राग अलापते हो हाउस वाइफ, कालेज गर्ल , माडल ...." मैंने और जानना चाहां,
" सिम्पल ...वही पकेजिंग, क्या कहते हैं वो मैनेजमेंट वाले ..वैल्यू एडिशन ...लड़की को थोड़ा टाईट टाप और जींस पहना दिया, हाई हिल की सैंडल और बन गयी वो कालेज गर्ल ...हाँ अगर कोई ज्यादा पूछ ताछ करे तो बात देगी की कहीं बी ए में पढ़ रही है बस, और गार कही गोरी वोरी हुयी तो थोड़ा मेकअप वेकप कर के माडल ...ये सब खेल मोबाइल का है जैसा कस्टमर मांगता है बस वैसे पकेजिंग ...फिर कस्टमर कहीं भी हुआ, सेन्ट्रल में हुआ तो मराठा मंदिर या मिनर्वा टाकिज के पास या अन्धेरी हुआ तो लीला होटल, लेकिन ये सब खाली नाम होता है उसका नमबर मैं पास कर देता हुआ वहां के बन्दे को, "
मैं बोला तब तो तुम पक्के लाजिस्टिक्स प्लानर हो। और तब उसने बोला की वो पोद्दार कालेज से पार्ट टाइम मैनेजमेंट का कोर्स भी कर रहा है।
वो मुम्बई का परफेक्ट स्ट्रीट स्मार्ट सर्वाइवर था।
मुम्बई
वो मुम्बई का परफेक्ट स्ट्रीट स्मार्ट सर्वाइवर था।
इस के अलावा उसके पास जो फोन थे , उनसे वो मेड सर्विस ...वो कहता था की मुम्बई की लाइफ लाइन दो है , लोकल और मुम्बई की बाई
लोकल नहीं होने पे टैक्सी बस कुछ हो सकता है, लेकिन बाई के बिना तो एकदम इम्पासिबल ...
मैं अतीत से लौट के वर्तमान में आ गया।
" हे तुमसे दो काम है ...लेकिन जरा खतरनाक ..." मैंने फिर उसको पूरी बैकग्राउंड समझा दिया।
26.11 की यातना से वो भी गुजरा था।
तो करना क्या है ...उसने पूछा।
' रेलवे में काम है ..." मैंने बोला।
' कोई वाईपी कोटा निकलवाना है क्या, बोलो ... वी टी में मेरी अच्छी पहचान है ..वहां का कोटा वाला बाबू, उस से मेरी अच्छी जान पहचान है , साल्ला एक नम्बर का ठरकी, नवलकर लेन में , वही ढोबले के जमाने में फँस गया था, गिरगाम थाने में था। पुलिस वाले तो उसकी बिना तेल लगाए गांड मार लेते, बदनामी होती सो अलग , नौकरी भी जाती . मैने बचवाया। तबसे जिस गाडी में कहो उस गाडी में ...
" नहीं यार ...वो बात नहीं है "
मैंने उस की ट्रेन को रोका और फिर हाल खुलासा बयान किया।
अब वो सीरियस हो गया।
" पहला कम तो ये है की महानगरी से एक पैकेट वी टी के लिए गया था, बनारस से बुक हुआ है , काशी साडी भण्डार से मंगलदास मार्केट के लिए पूरा डिटेल मैं स एम् स कर रहा हूँ। उस का पता करना ई। किसने मंगवाया . क्या था उस के पैकेट में , किसने छुडवाया ...सब कुछ।"
वो कुछ देर सोचता रहा फिर बोला,
" हो जाएगा, मेरे एक दोस्त है उस का नल बाजार में आफिस है, कालबा देवी के सारे कार्गो वालों से उसकी जान पहचान है, सेन्ट्रल रेलवे का कार्गो का पार्सल का काम भी वो करता है . उस स एमें बुकिंग एजेंट का पता कर लूंगा। हो जाएगा। "
अब मैंने उस से वो इन्फो शेयर की जो मेरे हैकर एजेंट्स ने पता की थी। लेकिन उस का सर पैर मेरे समझ में नहीं आ रहा था। सारी बातें कोड में होती थीं हाँ कुछ नाम थे जिन से कुछ पता लगाने की उम्मीद थी।
" अरे यार सुनो, ये कुछ नाम है बगदादी, अरेबिया, पासता 4 नंबर, पेरिस ..इनसे कुछ समझ में आता है क्या। हाँ एक चीज थी और थी पाइप वाला। " मैंने पूछा।
" ऐसे तो नहीं समझ में आ रहा है लेकिन कुछ पूछ के बताउंगा, आज रात में ही। " वो बोला।
तब तक उस का दूसरा फोन बजने लगा और मैंने फोन रख दिया।
मैने फिर से एक बार दिमाग दौडाया. बडौदा...कौन हो सकता है वहां ..कोयी ऐसा जो रिलायेबल हो , जिसके कान्टैक्ट हों और जो सुराग रसी का काम कर सकता हो. ..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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