FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--80
गतांक से आगे ...........
मैं झूठ नहीं बोलता , ख़ास कर होली के मौके पे और वो भी जब कोई महिला पूछ रही हो, लोग कहते है होलिका देवी श्राप देती हैं।
हाँ ...मैंने कबूल किया।
"ऊपर के लिए नीचे अर्जी लगानी पड़ती है ," वो बोली और जैसे अपनि बात को और अच्छी तरह समझाने के लिए ...अपने दीर्घ नितम्बो से मेरे तन्नाये, पगलाए जंग बहादुर पर उन्हें रगड़ दिया।
और अब होली शुरू हो गयी। जम कर .....
मेरे दोनों हाथ जोर जोर से जोबन मर्दन कर रहे थे।
क्या मस्त चून्चिया थी मंजू की .
अभी तक मैंने ऐसी, सिरफ प्लेबाय और हस्लर के पन्नो पर या नीली फिल्मों में देखी थी और हर बार मुझे लगता था की इसका कितना हिस्सा सरजन की मेहरवानी या सिलिकान का कमाल होगा।
लेकिन इस बार तो ये सेंट परसेंट शुद्ध देशी असली माल लग रहा था। और उसे ज्यादा मस्त बात ये थी की जिस तरह से वो रिएक्ट कर रही थीं, खूब कड़ी और निपल भी एकदम खड़े खड़े ....हार्ड ..मेरे इस जोबन मर्दन का असर मेरे लिंग पर भी पड रहा था और मंजू पर भी ..
वो खूंटा अब पूरी लम्बाई पर आ चुका था और मंजू के चूतड में धंस रहा था।
" हे भौजी , दे दो ना जोबन का दान इह फागुन में ...." मैंने गाल से गाल रगडते कहा।
" बोला था न देवर , नीचे अर्जी लगाओ ..." मेरी ओर गरदन घुमा के मुस्कराते हुए वो बोली।
" इस तरह ...." उसके मस्त नितम्बों के बीच मैंने जोर से खुल कर धक्का मारते हुए पूछा।
जवाब में उसने अपने बड़े बड़े चूतड मेरे जंग बहादुर पर रगड़ दिया और हंस के बोली , " नहीं , इस तरह ..."
आधी से ज्यादा बटन उसके ब्लाउज की हम लोगों की धींगा मुस्ती की भेंट चढ़ गयी थी और उसके खुले मेरे हाथ से दबे , होली के रंग में रंगे जोबन आधे से ज्यादा अब दिखाई पडी रहे थे , और उन को देख के एक मेरी पुरानी फंटेसी जागृत हो गयी।
चूंची चोदन की , कितने पिक्चर्स में मैं टिट फकिंग देखि थी लेकिन उसके लिए ऐसे ही मस्त जोबन और उस से भी बढ़ कर मस्त नार की आवश्यकता होती ही और आज फागुन में होलिका देवी की कृपा से मेरे सामने थी।
मेरे मन में बस अपना मस्त मोटा लिंग मंजू की दोनों चून्चियों के बीच दबा कर चोदने की प्रबल इच्छा हो रही थी। तभी मंजू बोल पडी ,
" नीचे वाले शहद के छत्ते का रस चखाउङ्गि ...."
मैं उस का मतलब साफ समझ रहा था . मेरा एक हाथ अब ब्लाउज से निकल उस की साडी के अन्दर घुस रहा था।
" अरे भाभी नेकी और पूछ पूछ ..जब कहो तब,..." मैंने साए के अन्दर हाथ डालता हुआ बोला।
' अबकी होली में होगी असली देवर भाभी वाली होली ...वो मजा दूंगी जो कभी सोचे नहीं होगे, " मंजू हलके से सिसकते बोली।
मेरी उंगलिया भरतपुर स्टेशन के आसपास चक्कर काट रही थीं।
एकदम मैंने बोला तब तक मेरा ध्यान शीला भाभी की सिसकी की ओर मुड गया।
अब गुड्डी और शीला भाभी दोनों एक दूसरेके साथ गुत्थम गुथा थे।
शीला भाभी का था तो पहाले ही उस कली के स्कूल यूनिफार्म के अन्दर था ...लेकिन अब गुड्डी भी पीछे नहीं थी।
आखिर वो भी बनारस के मशहूर दूबे भाभी और चन्दा भाभी के स्कूल की पढ़ी थी। उसकी उँगलियों ने कुछ ऐसी हरकत की ..की शीला भाभी की भी चीख निकल पड़ी और जवाब में उन्होंने भी लगता है पूरी उंगली जड़ तक ...गुड्डी ने भी बहोत जोर से सिसकी भरी। तब तक शीला भाभी की निगाह मेरे ऊपर पड गयी की मैं उन लोगो की लीला का रस ले रहा हूँ, वो बहोत जोर से मुस्करायीं और मैं भी ..
मैंने उलटे दो उंगली का इशारा किया और सर हिलाकर उन्होंने हामी भरी ...
आखिर गुड्डी भी तो मंजू के साथ मिल कर मेरी रगड़ाई कर रही थी ..
लेकिन जब तक कुछ और होली आगे बढती, बाहर से भैया के आने की आवाज सुनाई दी ...फिर तो हम सब तितर बितर ...हो गए .
मैं तो देवर लगता था , लेकिन भैया काफी बड़े थे और वो रिश्ते में शीला भाभी के जेठ ही लगते थे इसलिए वो पूरा पर्दा करती थीं। .. गुड्डी छटक कर बाथरूम चली गयी थी।
मैं मंजू और शीला भाभी एक कमरे में ...और जिस तरह हम तीनो एक दूसरे को देख रहे थे ..लग रहा था सारा दुराव छिपाव, संकोच झिझक ख़तम हो गयी थी। हम तीनो एक दूसर एको देख के मुस्करा रहे थे। मंजू फिर आँगन में लगे नल पे हाथ पैर धोने और उस के बाद किचेन में चली .
मैंने शीला भाभी को छेडते हुए कहा , भौजी परसों की रात होली की रात है , दूज के चाँद से पूर्णमासी बना दूंगा ...
वो बोली आज क्यों नहीं ...
तो मैंने कहा वो संयोग परसों की रात का है ..जब ठीक 9 महीने बाद सोहर होगा ..
गुड्डी बात रूम से निकल आई थी तो वो मुझे मीठी निगाहों से देखती हुयी वहां घुस गयी ..
गुड्डी से मैंने कहा , " यार अपनी होली तो हुयी नहीं ...."
उसने मेरे गाल पे एक कस के चिकोटी चिकोटी काटी और अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँख नचा के बोली,
" अरे होगी ना रात को ...जम के ...बस थोड़ा सा ठहरो .." और नयनो से पिचकारी की धार छोड़ते बाहर जाने लगी तो मैंने उसे रोक कर पूछा ,
" हे ये शार्ट और टी शर्ट चेंज कर लूं ..."
वो रुक गई गयी और बोली , " खबरदार , इत्ती मेहनत से तो मैंने और मंजू ने तुम्हारे अगवाड़े पिछ्वाडे रंग लगाया है , और घर में कौन देख रहा है हमी ना ...हाँ चाहो तो हाथ वाथ धुल लो ..."
मेरी हिम्मत जो उसकी बात टालू . मैंने वाश बेसिन पे जा हाथ पैर धुल लिया।
मैं अपने कमरे में जा के कंप्यूटर पे बैठा ही था की ऊपर से ...( भैया भाभी का कमरा ऊपर ही था ), भैया की आवाज सुनाई पड़ी वो भाभी को आवाज दे रहे थे , शायद पानी मांग रहे थे।
और नीचे शीला भाभी और मंजू भाभी को छेड़ रही थीं , " जाओ जाओ ऊपर भूखा शेर मिलेगा ...गुफा में घुसने को तैयार ..."
" गुफा ही ऐसी है , शेर की क्या गलती ..." शीला भाभी ने और पलीता लगाया।
भाभी पानी लेकर ऊपर की ओर बढ़ीं तब तक उन्होने फिर चिढाया, " प्यासे को पानी पिलाने से बड़ा पूण्य मिलता है।"
मैंने देखा है की मजाक ख़ास तौर से खुले मजाक के मामले में औरतो में बहूत समाजवाद है .
मुझसे नहीं रहा गया और मै भी मजा लेने बाहर आ गया।
भाभी मंजू को समझा रही थी की उन्होंने गुझिया बना दी है सिर्फ तलना बाकी है तो वो तल दें, शीला भाभी के साथ।
मंजू ने कूछ इशारे से पूछा तो भाभी ने फुसफुसा कर बताया
( और मैंने सुन भी लिया समझ भी लिया। डबल भांग की डोज वाली गुझिया के बारे में बात हो रही थी ...और ऊपर से मैं लाया भी सबसे स्ट्रांग वाली प्योर भांग )
" वही हैं , जो गोठी नहीं ऐसी ही मोड़ ,दी है और याद कर के गुलाबी डब्बे में रखना, 40-45 होंगी कम से कम ...और उस के बाद गुलाब जामुन की भी तैयारी कर दी है मैंने , बस तुम लोग बना लेना, उसमें भी ...है ."
तब तक गुड्डी वहां पहुँच गयी। भाभी ने उसको भी काम पकड़ा दिया।
" आज किचेन तुम्हारे हवाले ....ये लोग तो गुझिया, गुलाब जामुन और होली के बाकी सामान में लगी रहेंगी तो आज खाना तुम्हे एकदम अकेले बनाना पडेगा ...बना लेना "
" एकदम ..." सर हिला के वो बोली
" और हाँ जरा इसका देख लेना , मेरी ओर इशारा करके वो बोलीं , ये बहूत ये नहीं खाउंगा वो नहीं खाउंगा वाला है . बस खाना थोड़ा जलदी बना देना नौ सवा नौ तक हो जाय ....मैं तो तुम लोगों के साथ खा लुंगी और इन का ऊपर ले जाउंगी , ये तो आज नीचे उतरेंगे नहीं ..." ये कहते हुएभाभी ऊपर जाने लगी , तब तक नीचे से गुड्डी ने हंकार लगाई।
" मूली के पराठे बना लूं , जल्द बन जायेंगे ..."
" अरे यार मेरी ओर इशारा करके वो बोली , ये भूखा रहा जाएगा। ये तो छूएगा भी नहीं , वैसे इसके भैया को और मुझे बहोत पसंद है , इसके लिए कुछ और बना देना।"
तब तक भैया की ऊपर से दूबारा आवाज आ गयी और भाभी धड्धडाते हुए ऊपर सीढी चढ़ गयीं .
गुड्डी ने मुझे देख कर मुस्करा दिया औरमुंह चिढाते हुए बोली,
" खाना हो तो खाना वरना उपवास करना "
मैं समझ रहा था की वो किस उपवास की बात कर रही थी और वो मुझे किसी सूरत में नहीं करना था
" अरे ऊपर से नहीं खायेंगे तो मूली नीचे वाले मुंह से खिला देना ..." मंजू बोली और शीला भाभी ने भी हामी भरी।
शाम की खुलम खुल्ला होली के बाद हम चारों में दुराव् छिपाव ख़तम हो गया था।
उन्होंने किचेन में मुझे भी बुलाया , लेकिन एक तो मेरा कम्प्यूटर मुझे बुला रहा था दूसरे मैं जानता था की वो तीनो मिल के मेरी ऐसी की तैसी करेंगी।
मैं अपने कमरे में चला गया लेकिन मंजू और शीला भाभी अब खुल के गुड्डी को छेड़ रही थीं।
मैंने पहले कंप्यूटर खोल कर अपने सिक्योर सर्वर पर जाकर अपने हैकर दोस्तों द्वारा भेजी मेल चेक की।
मेल मैं चेक जरूर कर रहा था लेकिन मन मेरा बनारस में लगा था रीत के पास .
दिक्कत ये थी की उससे बात करने का ना कोई रास्ता था और ना ही मेसेज भेजने का।
एक तो टोटल कम्युनिकेशन शट डाउन था और दूसरे आज दोपहर को जबसे बनारस में नदेसर कोठी पर आई बी से डी बी के साथ रीत निकली थी , तबसे दुश्मन का शक उसपे उसपर बढ़ गया था। इसलिए आज शाम को जब मैंने उससे बात थी वो अपने दोस्त के शाप ,से उसके कंप्यूटर से स्काइप पर की थी। जिससे किसी तरह से मेरे उसके लिंक का पता ना चले.
उसने आज शाम को खुद मुझे बताया था की शाम को जब से वो फाइनल मिशन पर निकलेगी ...वो अपना नार्मल मोबाइल फोन भी अपने पास नहीं रखेगी कई बार फोन अगर इस्तेमाल ना कर रहे हों तब भी ट्रेस कर फोन वाले का पता चल जाता है।
अगर कोई बहोत ही इमरजेंसी होगी तो वो मुझसे कानटेक्ट करेगी।
मुझे बनारस से ज्यादा डर अब बडौदा और मुम्बई का था।
बडौदा में होने वाले नुक्सान को कम से कम बनारस से 20 गुना ज्यादा आंका गया था।
बनारस में काफी कुछ चीजें पता थी, हमले की जगह होलिका और घाट पर गंगा आरती , मेन आपरेटिव जेड के बारे में सब कुछ पता है। बस बाम्ब की लोकेशन एक बार मालूम होनी थी। और सबसे बड़ी बात ये थी बनारस में रीत थी।
बडौदा के बारे में वो सेट फोन मेरे हैकर्स ने ट्रेस किया था, उसकी लोकेशन का ग्रिड आज मुझे मिल गया था।
तीन बातें थीं, बडौदा के बारे में जो हमें मालूम पड गयी थीं।
रीत और रेहन के लोगो ने ये कन्फर्म कर लिया था की 'बाम्ब मेकर ' एस 6 कोच से सावरमती एक्सप्रेस से वो गया है और एक पैकेट जेड के यहाँ से चिमन लाल की दुकान के लिए बुक किया गया है। पूरी आशंका है की आर डी एक्स और बाकी बाम्ब सामग्री उसी के साथ गयी होगी। उन पकेट्स को और बाम्ब मेकर को अगर ट्रेस कर लिया जाय तो उस को लिंक कर कुछ पता चल सकता है।
मैंने मीनल को इसी काम पे लगाया था।
दूसरी बात, जो फोन ट्रेस किये गए है वो बडौदा से लगभग 8-10 किमी दूर के कोयली इलाके के हैं।
उस इलाके में , पेट्रोलियम रिफाइनरी ,फरटिलाइजर , पेट्रो केमिकल और रेलवे का एक यार्ड था। अब ये पता करना था की वो आदमी किस विभाग से सम्बंधित था . लेकिन आज जो उसे ग्रिड मिली थी इससे उस की लोकेशन और पिन प्वाइंट करनी पासिबल थी।
तीसरी बात ये थी की , हमला किस पर होगा और किस तरह होगा।
अब तक एक बात साफ हो गयी थी की वो रात में हमला करेंगे , उस में आग का भी इस्तेमाल होगा, जिससे एक भयावह दृश्य बने और उससे आर्थिक क्षति पहुंचे।
मैंने सी आई एस फ के लोगों से खास तौर से उन लोगो से बात की थी, जो पेट्रोलियम रिफाइअनरी में पोस्टेड थे। वह पेट्रोलियम रिफाइनरी सरकारी क्षेत्र में सबसे बड़ी रिफाइनरी थी . उसके साथ ही बगल में कई पेट्रोलियम कंपनी के स्टोरेज भी थे। । आज उस रिफाइनरी के सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स से एक डिटेल्ड मैप भी मिल गया था जिससे सिक्योरिटी चेक्स के बारे में भी पता चल जाता था। वह उस की वल्नारेबिलितिज के बारे में सोच रहा था .
एक उसने बहोत डिटेल्ड मैप इसरो से भी लिया था और अब उस ग्रिड पर सुपर इम्पोज कर उसे सस्पेक्ट की लोकेशन पता करनी थी।
तब तक उसके फेस बुक एकाउंट पर एक नाम आया ...तेजल ...
असल में वो मीनल थी जो अपने एक दोस्त का फेस बुक एकाउंट यूज कर रही थी। थोड़ी देर उन दोनों ने चैट की और फिर मिनल उससे बोली की उसके पेरेंट्स स्कंदेनिविया जा रहे हैं . थोड़ी देर उन लोगो ने स्वीडन के बारे में बात की फिर लाग आउट कर गए।
मैंने एक बार अपनी सारी कूकीज साफ की .
स्कैंदेनिव्या मीनल के साथ एक तय शुदा कोड था।
उसने आज शाप में ही अपने और मिनल दोनों के लिए आल्टहाट .काम पर सिल्वर मेम्बर शिप ली थी, जब रंजी और गुड्डी शापिंग में लगी थी।
ये एक बी डी एस एम् चैट साईट थी , जहां उसे उम्मीद थी की कोई मानिटर नहीं कर रहा होगा।
उस का नाम वहां वेट रानी 69 था। स्कैंदिनिविया रूम में मिनल उसे मिल गयी स्टड 21 के नाम से, थोड़ी देर उन्होंने उसी प्रकार की बातें की और फिर एक प्राइवेट चैट रूम में चले आये।
सिल्वर मेमबर वो इसीलिए बना था।
अब वो खुल कर बातें कर सकते थे।
मिनल ने 4-5 घंटे में ही बहोत सी बातें पता कर ली थी।
बनारस से काशी साडी भण्डार से पैकेट चिमन लाल के लिए आया था , लेकिन एक मेसेज पहले आ गया था की जो नार्मल बुकिंग एजेंट छोडाते है वो नहीं छुडायेंगे और एक आदमी के आने लिए वेट करेंगे। अच्छी बात ये थी की रिपोर्टर होने के नाते मीनल की स्टेशन पर जान पहचान थी और उसने पार्सल के एजेंट से सीधे बात की थी। मौके की बात ये है की उसकी मुलाक़ात उसी एजेंट से हो गयी .
चिमन लाल की दूकान ने भी ये कन्फर्म किया की काशी साडी भण्डार से उन्हें भी यही मेसेज था तो उन्हें लगा की शायद उन लोगो ने किसी और कस्टमर के लिएय सैम्पल भी साथ भेजा हो लेकिन चुंगी और टैक्स बचाने के लिए ऐसा किया हो।
क़िस्मत की बात ये थी की मीनल को ये भी पता चल गया था की वो आदमी कहाँ टिका था। गाडी के लेट होने से उस दिन पैकेट नहीं छूट पाया तो उसने एजेंट को भेज कर पैकेट अपने होटल मंगाया था और शाम को अपना सामन निकालने के बाद उसे वापस कर दिया .
एजेंट ने ये भी बताया की पैकेट का वजन कम से कम 5 किलो कम हो गया .
ये सोच कर मेरी रूह काँप गयी की अगर वो पांच किलो पूरा आर डी एक्स होगा तो क्या होगा।
मीनल उस होटल में भी गयी।
हार्मोनी होटल बडौदा स्टेशन के अलकापुरी साइड में आलमोस्ट स्टेशन से सटा हुआ था . लेकिन उसने वो होटल अगले दिन ही छोड़ दिया।
इसका मतलब की उस होटल का इस्तेमाल सिर्फ उसने पैकेट की रिपैकेजिंग के लिए की और होटल बदलने के बाद पार्सल एजेंट को उस का ट्रेस करना मुश्किल होता।
बाम्ब मेकर की पुलिस ने जो फोटो दी थी , वो मैंने मीनल को भी मेल की थी।और उसने कनफर्म किया की 90 % वही था।
लेकिन मीनल की सबसे बड़ी सफलता थी की उसने वो होटल ढूंढ निकाल लिया जिसमें वो शिफ्ट हुआ।
ये एक लाज था जो स्टेशन के सामने ही था, डोंगरा लाज। और उसी के साथ उसने उस आदमी के बारे में जानकारी हासिल की थी जो उससे वहां मिला। वो तीन दिन उस कमरे में रहा। और उस पूरे दौरान सिर्फ एक आदमी उससे मिलने आया , दो बार .
मुझे लग गया यही हमारा आदमी है, स्लीपर . जैसे बनारस में जेड था , यहाँ वाई है। उसी समय मैं ने उस का कोड नेम देदिया।
स्टेशन पर उसी बुकिंग एजेंट ने उसे देख लिया था की वो कर्णावती में बोर्ड कर रहा था।
ये मेरे लिए बहूत काम की इन्फो थी क्योंकि इससे मुझे उसे मुम्बई में ट्रेस करने में आसानी होगी।
मैंने और मीनल ने काफी देर सोचा फिर तय किया की मीनल आज रात ही उस ग्रिड में जायेगी जहाँ से वो सेट फोन पे बात करता है . मैंने उसे एक हैकर फ्रेंड का नम्बर भी दिया।
वो त्राइङ्गुलेत कर के उस की लोकेशन और स्पेसिफिक करेंगे और मीनल ये अंदाज लगाएगी की वहां कौन लोग काम करते हैं, वो किस आर्गनाइजेशन के हैं।
उस के अलावा वो उन सारे आर्गनाइजेशन की वल्नरेबिलिटि भी ढूंढेगी।और कल हम लोग सुबह 10 से 12 के बीच एक और एडल्ट चैट साईट पर मिलेंगे।
रिफाइनरी से मुझे जो सूचना मिली थी , उस के हिसाब से उन्होंने रेड एलर्ट डिक्लेयर कर दिया है। वहां कोई भी बाहरी गाड़ी पहले भी नहीं जा पाती थी, उन्ही की गाडी से जाना होता था क्योंकि उसमें स्पार्क अरेस्टर लगा होना जरूरी होता है। और अब तो सिर्फ 5 गाड़ियों को क्लियरेंस दी गयी है जिससे कमपनी के इ डी से लेकर बाकी लोग अन्दर जाते हैं।
और इसे सी आई सी फ के ड्राइवर चलते हैं।
आई बी के लोगो ने भी अपनी सिक्योरिटी ऐड्वाइस जारी कर दी थी।
इस के तहत सारी सेंसिटिव इंडस्ट्री में रेड एलर्ट जारी था।
हर आदमी की पूरी तलाशी वैसे भी ली जाती थी . अब फ्रिक्वेंटली स्निफर डाग्स से भी चेकिंग होती थी। कोई भी मटेरियल बिना स्निफिंग के अन्दर नहीं जा सकता था .
एक स्पेशल ए टी एस की टीम ने सारी इंडस्ट्री की सिक्योरिटी रिव्यू की थी।
मीनल जा चुकी थी।
मैंने अपने तीन चार और मित्रों से जो पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर और रेलवे से जुड़े थे उनसे बात की।
और सोचने लगा।
बडौदा का हमला बनारस से एकदम अलग स्टाइल में होगा।
पहली बात तो वो होली के बाद ही होना है तो होलिका दहन का एक तो इस्तेमाल नहीं होगा।
दूसरे होली गुजरात में कोई बड़ा फेस्टिवल नहीं है, इसलिए सम्भावना यही ही की वो किसी इंडस्ट्री पर हमला होगा जो देखने में बहोत स्पेक्टाक्युलर लगे, और उसमें लोग मारे भी जायं . कहाँ होगा ये हमला और कैसे होगा, अगर ये अंदाज लग जाय ...
दूसरी बात, बाम्ब मेकर तीन दिन वहां रहा। क्यूं ? जब बनारस से वो सामान वो ले गया था तो बाकी काम तो लोकल यूनिट के लोग कर सकते थे।
मैंने उसकी फाइल देखी थी। वो 'इन्नोवेट' कर सकता है , यहाँ तक की ल्क्विड बाम्ब का प्लान करने वाले ग्रुप का उससे जुड़ाव था , तो क्या उसने कुछ और सोच रखा है? इंडस्ट्री में तो किसी का घुसना मुश्किल लग रहा है और फिर जब से इस थ्रेट का पता चला है वहां हर तीन चार घंटे में बाम्ब स्निफिंग स्निफर डाग्स से होती है। पूरी एरिया को हर तरह से सैनिटाइज कर दिया गया है . तो ?
एक बात और वहां पर लोकल सपोर्ट मुश्किल है।
गुजरात में बडौदा ऐसी जगह है जहाँ किसी टेररिस्ट हमले की कोशिश भी अब तक नहीं हुयी। मैंने मगज अस्त्र का इस्तेमाल किया और कुछ कन्क्ल्युजन निकाल लिए।
तब तक मेरे फेसबुक पेज पे फिमेल एस्कोर्ट मुम्बई का मेसेज आया .
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फागुन के दिन चार--80
गतांक से आगे ...........
मैं झूठ नहीं बोलता , ख़ास कर होली के मौके पे और वो भी जब कोई महिला पूछ रही हो, लोग कहते है होलिका देवी श्राप देती हैं।
हाँ ...मैंने कबूल किया।
"ऊपर के लिए नीचे अर्जी लगानी पड़ती है ," वो बोली और जैसे अपनि बात को और अच्छी तरह समझाने के लिए ...अपने दीर्घ नितम्बो से मेरे तन्नाये, पगलाए जंग बहादुर पर उन्हें रगड़ दिया।
और अब होली शुरू हो गयी। जम कर .....
मेरे दोनों हाथ जोर जोर से जोबन मर्दन कर रहे थे।
क्या मस्त चून्चिया थी मंजू की .
अभी तक मैंने ऐसी, सिरफ प्लेबाय और हस्लर के पन्नो पर या नीली फिल्मों में देखी थी और हर बार मुझे लगता था की इसका कितना हिस्सा सरजन की मेहरवानी या सिलिकान का कमाल होगा।
लेकिन इस बार तो ये सेंट परसेंट शुद्ध देशी असली माल लग रहा था। और उसे ज्यादा मस्त बात ये थी की जिस तरह से वो रिएक्ट कर रही थीं, खूब कड़ी और निपल भी एकदम खड़े खड़े ....हार्ड ..मेरे इस जोबन मर्दन का असर मेरे लिंग पर भी पड रहा था और मंजू पर भी ..
वो खूंटा अब पूरी लम्बाई पर आ चुका था और मंजू के चूतड में धंस रहा था।
" हे भौजी , दे दो ना जोबन का दान इह फागुन में ...." मैंने गाल से गाल रगडते कहा।
" बोला था न देवर , नीचे अर्जी लगाओ ..." मेरी ओर गरदन घुमा के मुस्कराते हुए वो बोली।
" इस तरह ...." उसके मस्त नितम्बों के बीच मैंने जोर से खुल कर धक्का मारते हुए पूछा।
जवाब में उसने अपने बड़े बड़े चूतड मेरे जंग बहादुर पर रगड़ दिया और हंस के बोली , " नहीं , इस तरह ..."
आधी से ज्यादा बटन उसके ब्लाउज की हम लोगों की धींगा मुस्ती की भेंट चढ़ गयी थी और उसके खुले मेरे हाथ से दबे , होली के रंग में रंगे जोबन आधे से ज्यादा अब दिखाई पडी रहे थे , और उन को देख के एक मेरी पुरानी फंटेसी जागृत हो गयी।
चूंची चोदन की , कितने पिक्चर्स में मैं टिट फकिंग देखि थी लेकिन उसके लिए ऐसे ही मस्त जोबन और उस से भी बढ़ कर मस्त नार की आवश्यकता होती ही और आज फागुन में होलिका देवी की कृपा से मेरे सामने थी।
मेरे मन में बस अपना मस्त मोटा लिंग मंजू की दोनों चून्चियों के बीच दबा कर चोदने की प्रबल इच्छा हो रही थी। तभी मंजू बोल पडी ,
" नीचे वाले शहद के छत्ते का रस चखाउङ्गि ...."
मैं उस का मतलब साफ समझ रहा था . मेरा एक हाथ अब ब्लाउज से निकल उस की साडी के अन्दर घुस रहा था।
" अरे भाभी नेकी और पूछ पूछ ..जब कहो तब,..." मैंने साए के अन्दर हाथ डालता हुआ बोला।
' अबकी होली में होगी असली देवर भाभी वाली होली ...वो मजा दूंगी जो कभी सोचे नहीं होगे, " मंजू हलके से सिसकते बोली।
मेरी उंगलिया भरतपुर स्टेशन के आसपास चक्कर काट रही थीं।
एकदम मैंने बोला तब तक मेरा ध्यान शीला भाभी की सिसकी की ओर मुड गया।
अब गुड्डी और शीला भाभी दोनों एक दूसरेके साथ गुत्थम गुथा थे।
शीला भाभी का था तो पहाले ही उस कली के स्कूल यूनिफार्म के अन्दर था ...लेकिन अब गुड्डी भी पीछे नहीं थी।
आखिर वो भी बनारस के मशहूर दूबे भाभी और चन्दा भाभी के स्कूल की पढ़ी थी। उसकी उँगलियों ने कुछ ऐसी हरकत की ..की शीला भाभी की भी चीख निकल पड़ी और जवाब में उन्होंने भी लगता है पूरी उंगली जड़ तक ...गुड्डी ने भी बहोत जोर से सिसकी भरी। तब तक शीला भाभी की निगाह मेरे ऊपर पड गयी की मैं उन लोगो की लीला का रस ले रहा हूँ, वो बहोत जोर से मुस्करायीं और मैं भी ..
मैंने उलटे दो उंगली का इशारा किया और सर हिलाकर उन्होंने हामी भरी ...
आखिर गुड्डी भी तो मंजू के साथ मिल कर मेरी रगड़ाई कर रही थी ..
लेकिन जब तक कुछ और होली आगे बढती, बाहर से भैया के आने की आवाज सुनाई दी ...फिर तो हम सब तितर बितर ...हो गए .
मैं तो देवर लगता था , लेकिन भैया काफी बड़े थे और वो रिश्ते में शीला भाभी के जेठ ही लगते थे इसलिए वो पूरा पर्दा करती थीं। .. गुड्डी छटक कर बाथरूम चली गयी थी।
मैं मंजू और शीला भाभी एक कमरे में ...और जिस तरह हम तीनो एक दूसरे को देख रहे थे ..लग रहा था सारा दुराव छिपाव, संकोच झिझक ख़तम हो गयी थी। हम तीनो एक दूसर एको देख के मुस्करा रहे थे। मंजू फिर आँगन में लगे नल पे हाथ पैर धोने और उस के बाद किचेन में चली .
मैंने शीला भाभी को छेडते हुए कहा , भौजी परसों की रात होली की रात है , दूज के चाँद से पूर्णमासी बना दूंगा ...
वो बोली आज क्यों नहीं ...
तो मैंने कहा वो संयोग परसों की रात का है ..जब ठीक 9 महीने बाद सोहर होगा ..
गुड्डी बात रूम से निकल आई थी तो वो मुझे मीठी निगाहों से देखती हुयी वहां घुस गयी ..
गुड्डी से मैंने कहा , " यार अपनी होली तो हुयी नहीं ...."
उसने मेरे गाल पे एक कस के चिकोटी चिकोटी काटी और अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँख नचा के बोली,
" अरे होगी ना रात को ...जम के ...बस थोड़ा सा ठहरो .." और नयनो से पिचकारी की धार छोड़ते बाहर जाने लगी तो मैंने उसे रोक कर पूछा ,
" हे ये शार्ट और टी शर्ट चेंज कर लूं ..."
वो रुक गई गयी और बोली , " खबरदार , इत्ती मेहनत से तो मैंने और मंजू ने तुम्हारे अगवाड़े पिछ्वाडे रंग लगाया है , और घर में कौन देख रहा है हमी ना ...हाँ चाहो तो हाथ वाथ धुल लो ..."
मेरी हिम्मत जो उसकी बात टालू . मैंने वाश बेसिन पे जा हाथ पैर धुल लिया।
मैं अपने कमरे में जा के कंप्यूटर पे बैठा ही था की ऊपर से ...( भैया भाभी का कमरा ऊपर ही था ), भैया की आवाज सुनाई पड़ी वो भाभी को आवाज दे रहे थे , शायद पानी मांग रहे थे।
और नीचे शीला भाभी और मंजू भाभी को छेड़ रही थीं , " जाओ जाओ ऊपर भूखा शेर मिलेगा ...गुफा में घुसने को तैयार ..."
" गुफा ही ऐसी है , शेर की क्या गलती ..." शीला भाभी ने और पलीता लगाया।
भाभी पानी लेकर ऊपर की ओर बढ़ीं तब तक उन्होने फिर चिढाया, " प्यासे को पानी पिलाने से बड़ा पूण्य मिलता है।"
मैंने देखा है की मजाक ख़ास तौर से खुले मजाक के मामले में औरतो में बहूत समाजवाद है .
मुझसे नहीं रहा गया और मै भी मजा लेने बाहर आ गया।
भाभी मंजू को समझा रही थी की उन्होंने गुझिया बना दी है सिर्फ तलना बाकी है तो वो तल दें, शीला भाभी के साथ।
मंजू ने कूछ इशारे से पूछा तो भाभी ने फुसफुसा कर बताया
( और मैंने सुन भी लिया समझ भी लिया। डबल भांग की डोज वाली गुझिया के बारे में बात हो रही थी ...और ऊपर से मैं लाया भी सबसे स्ट्रांग वाली प्योर भांग )
" वही हैं , जो गोठी नहीं ऐसी ही मोड़ ,दी है और याद कर के गुलाबी डब्बे में रखना, 40-45 होंगी कम से कम ...और उस के बाद गुलाब जामुन की भी तैयारी कर दी है मैंने , बस तुम लोग बना लेना, उसमें भी ...है ."
तब तक गुड्डी वहां पहुँच गयी। भाभी ने उसको भी काम पकड़ा दिया।
" आज किचेन तुम्हारे हवाले ....ये लोग तो गुझिया, गुलाब जामुन और होली के बाकी सामान में लगी रहेंगी तो आज खाना तुम्हे एकदम अकेले बनाना पडेगा ...बना लेना "
" एकदम ..." सर हिला के वो बोली
" और हाँ जरा इसका देख लेना , मेरी ओर इशारा करके वो बोलीं , ये बहूत ये नहीं खाउंगा वो नहीं खाउंगा वाला है . बस खाना थोड़ा जलदी बना देना नौ सवा नौ तक हो जाय ....मैं तो तुम लोगों के साथ खा लुंगी और इन का ऊपर ले जाउंगी , ये तो आज नीचे उतरेंगे नहीं ..." ये कहते हुएभाभी ऊपर जाने लगी , तब तक नीचे से गुड्डी ने हंकार लगाई।
" मूली के पराठे बना लूं , जल्द बन जायेंगे ..."
" अरे यार मेरी ओर इशारा करके वो बोली , ये भूखा रहा जाएगा। ये तो छूएगा भी नहीं , वैसे इसके भैया को और मुझे बहोत पसंद है , इसके लिए कुछ और बना देना।"
तब तक भैया की ऊपर से दूबारा आवाज आ गयी और भाभी धड्धडाते हुए ऊपर सीढी चढ़ गयीं .
गुड्डी ने मुझे देख कर मुस्करा दिया औरमुंह चिढाते हुए बोली,
" खाना हो तो खाना वरना उपवास करना "
मैं समझ रहा था की वो किस उपवास की बात कर रही थी और वो मुझे किसी सूरत में नहीं करना था
" अरे ऊपर से नहीं खायेंगे तो मूली नीचे वाले मुंह से खिला देना ..." मंजू बोली और शीला भाभी ने भी हामी भरी।
शाम की खुलम खुल्ला होली के बाद हम चारों में दुराव् छिपाव ख़तम हो गया था।
उन्होंने किचेन में मुझे भी बुलाया , लेकिन एक तो मेरा कम्प्यूटर मुझे बुला रहा था दूसरे मैं जानता था की वो तीनो मिल के मेरी ऐसी की तैसी करेंगी।
मैं अपने कमरे में चला गया लेकिन मंजू और शीला भाभी अब खुल के गुड्डी को छेड़ रही थीं।
मैंने पहले कंप्यूटर खोल कर अपने सिक्योर सर्वर पर जाकर अपने हैकर दोस्तों द्वारा भेजी मेल चेक की।
मेल मैं चेक जरूर कर रहा था लेकिन मन मेरा बनारस में लगा था रीत के पास .
दिक्कत ये थी की उससे बात करने का ना कोई रास्ता था और ना ही मेसेज भेजने का।
एक तो टोटल कम्युनिकेशन शट डाउन था और दूसरे आज दोपहर को जबसे बनारस में नदेसर कोठी पर आई बी से डी बी के साथ रीत निकली थी , तबसे दुश्मन का शक उसपे उसपर बढ़ गया था। इसलिए आज शाम को जब मैंने उससे बात थी वो अपने दोस्त के शाप ,से उसके कंप्यूटर से स्काइप पर की थी। जिससे किसी तरह से मेरे उसके लिंक का पता ना चले.
उसने आज शाम को खुद मुझे बताया था की शाम को जब से वो फाइनल मिशन पर निकलेगी ...वो अपना नार्मल मोबाइल फोन भी अपने पास नहीं रखेगी कई बार फोन अगर इस्तेमाल ना कर रहे हों तब भी ट्रेस कर फोन वाले का पता चल जाता है।
अगर कोई बहोत ही इमरजेंसी होगी तो वो मुझसे कानटेक्ट करेगी।
मुझे बनारस से ज्यादा डर अब बडौदा और मुम्बई का था।
बडौदा में होने वाले नुक्सान को कम से कम बनारस से 20 गुना ज्यादा आंका गया था।
बनारस में काफी कुछ चीजें पता थी, हमले की जगह होलिका और घाट पर गंगा आरती , मेन आपरेटिव जेड के बारे में सब कुछ पता है। बस बाम्ब की लोकेशन एक बार मालूम होनी थी। और सबसे बड़ी बात ये थी बनारस में रीत थी।
बडौदा के बारे में वो सेट फोन मेरे हैकर्स ने ट्रेस किया था, उसकी लोकेशन का ग्रिड आज मुझे मिल गया था।
तीन बातें थीं, बडौदा के बारे में जो हमें मालूम पड गयी थीं।
रीत और रेहन के लोगो ने ये कन्फर्म कर लिया था की 'बाम्ब मेकर ' एस 6 कोच से सावरमती एक्सप्रेस से वो गया है और एक पैकेट जेड के यहाँ से चिमन लाल की दुकान के लिए बुक किया गया है। पूरी आशंका है की आर डी एक्स और बाकी बाम्ब सामग्री उसी के साथ गयी होगी। उन पकेट्स को और बाम्ब मेकर को अगर ट्रेस कर लिया जाय तो उस को लिंक कर कुछ पता चल सकता है।
मैंने मीनल को इसी काम पे लगाया था।
दूसरी बात, जो फोन ट्रेस किये गए है वो बडौदा से लगभग 8-10 किमी दूर के कोयली इलाके के हैं।
उस इलाके में , पेट्रोलियम रिफाइनरी ,फरटिलाइजर , पेट्रो केमिकल और रेलवे का एक यार्ड था। अब ये पता करना था की वो आदमी किस विभाग से सम्बंधित था . लेकिन आज जो उसे ग्रिड मिली थी इससे उस की लोकेशन और पिन प्वाइंट करनी पासिबल थी।
तीसरी बात ये थी की , हमला किस पर होगा और किस तरह होगा।
अब तक एक बात साफ हो गयी थी की वो रात में हमला करेंगे , उस में आग का भी इस्तेमाल होगा, जिससे एक भयावह दृश्य बने और उससे आर्थिक क्षति पहुंचे।
मैंने सी आई एस फ के लोगों से खास तौर से उन लोगो से बात की थी, जो पेट्रोलियम रिफाइअनरी में पोस्टेड थे। वह पेट्रोलियम रिफाइनरी सरकारी क्षेत्र में सबसे बड़ी रिफाइनरी थी . उसके साथ ही बगल में कई पेट्रोलियम कंपनी के स्टोरेज भी थे। । आज उस रिफाइनरी के सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स से एक डिटेल्ड मैप भी मिल गया था जिससे सिक्योरिटी चेक्स के बारे में भी पता चल जाता था। वह उस की वल्नारेबिलितिज के बारे में सोच रहा था .
एक उसने बहोत डिटेल्ड मैप इसरो से भी लिया था और अब उस ग्रिड पर सुपर इम्पोज कर उसे सस्पेक्ट की लोकेशन पता करनी थी।
तब तक उसके फेस बुक एकाउंट पर एक नाम आया ...तेजल ...
असल में वो मीनल थी जो अपने एक दोस्त का फेस बुक एकाउंट यूज कर रही थी। थोड़ी देर उन दोनों ने चैट की और फिर मिनल उससे बोली की उसके पेरेंट्स स्कंदेनिविया जा रहे हैं . थोड़ी देर उन लोगो ने स्वीडन के बारे में बात की फिर लाग आउट कर गए।
मैंने एक बार अपनी सारी कूकीज साफ की .
स्कैंदेनिव्या मीनल के साथ एक तय शुदा कोड था।
उसने आज शाप में ही अपने और मिनल दोनों के लिए आल्टहाट .काम पर सिल्वर मेम्बर शिप ली थी, जब रंजी और गुड्डी शापिंग में लगी थी।
ये एक बी डी एस एम् चैट साईट थी , जहां उसे उम्मीद थी की कोई मानिटर नहीं कर रहा होगा।
उस का नाम वहां वेट रानी 69 था। स्कैंदिनिविया रूम में मिनल उसे मिल गयी स्टड 21 के नाम से, थोड़ी देर उन्होंने उसी प्रकार की बातें की और फिर एक प्राइवेट चैट रूम में चले आये।
सिल्वर मेमबर वो इसीलिए बना था।
अब वो खुल कर बातें कर सकते थे।
मिनल ने 4-5 घंटे में ही बहोत सी बातें पता कर ली थी।
बनारस से काशी साडी भण्डार से पैकेट चिमन लाल के लिए आया था , लेकिन एक मेसेज पहले आ गया था की जो नार्मल बुकिंग एजेंट छोडाते है वो नहीं छुडायेंगे और एक आदमी के आने लिए वेट करेंगे। अच्छी बात ये थी की रिपोर्टर होने के नाते मीनल की स्टेशन पर जान पहचान थी और उसने पार्सल के एजेंट से सीधे बात की थी। मौके की बात ये है की उसकी मुलाक़ात उसी एजेंट से हो गयी .
चिमन लाल की दूकान ने भी ये कन्फर्म किया की काशी साडी भण्डार से उन्हें भी यही मेसेज था तो उन्हें लगा की शायद उन लोगो ने किसी और कस्टमर के लिएय सैम्पल भी साथ भेजा हो लेकिन चुंगी और टैक्स बचाने के लिए ऐसा किया हो।
क़िस्मत की बात ये थी की मीनल को ये भी पता चल गया था की वो आदमी कहाँ टिका था। गाडी के लेट होने से उस दिन पैकेट नहीं छूट पाया तो उसने एजेंट को भेज कर पैकेट अपने होटल मंगाया था और शाम को अपना सामन निकालने के बाद उसे वापस कर दिया .
एजेंट ने ये भी बताया की पैकेट का वजन कम से कम 5 किलो कम हो गया .
ये सोच कर मेरी रूह काँप गयी की अगर वो पांच किलो पूरा आर डी एक्स होगा तो क्या होगा।
मीनल उस होटल में भी गयी।
हार्मोनी होटल बडौदा स्टेशन के अलकापुरी साइड में आलमोस्ट स्टेशन से सटा हुआ था . लेकिन उसने वो होटल अगले दिन ही छोड़ दिया।
इसका मतलब की उस होटल का इस्तेमाल सिर्फ उसने पैकेट की रिपैकेजिंग के लिए की और होटल बदलने के बाद पार्सल एजेंट को उस का ट्रेस करना मुश्किल होता।
बाम्ब मेकर की पुलिस ने जो फोटो दी थी , वो मैंने मीनल को भी मेल की थी।और उसने कनफर्म किया की 90 % वही था।
लेकिन मीनल की सबसे बड़ी सफलता थी की उसने वो होटल ढूंढ निकाल लिया जिसमें वो शिफ्ट हुआ।
ये एक लाज था जो स्टेशन के सामने ही था, डोंगरा लाज। और उसी के साथ उसने उस आदमी के बारे में जानकारी हासिल की थी जो उससे वहां मिला। वो तीन दिन उस कमरे में रहा। और उस पूरे दौरान सिर्फ एक आदमी उससे मिलने आया , दो बार .
मुझे लग गया यही हमारा आदमी है, स्लीपर . जैसे बनारस में जेड था , यहाँ वाई है। उसी समय मैं ने उस का कोड नेम देदिया।
स्टेशन पर उसी बुकिंग एजेंट ने उसे देख लिया था की वो कर्णावती में बोर्ड कर रहा था।
ये मेरे लिए बहूत काम की इन्फो थी क्योंकि इससे मुझे उसे मुम्बई में ट्रेस करने में आसानी होगी।
मैंने और मीनल ने काफी देर सोचा फिर तय किया की मीनल आज रात ही उस ग्रिड में जायेगी जहाँ से वो सेट फोन पे बात करता है . मैंने उसे एक हैकर फ्रेंड का नम्बर भी दिया।
वो त्राइङ्गुलेत कर के उस की लोकेशन और स्पेसिफिक करेंगे और मीनल ये अंदाज लगाएगी की वहां कौन लोग काम करते हैं, वो किस आर्गनाइजेशन के हैं।
उस के अलावा वो उन सारे आर्गनाइजेशन की वल्नरेबिलिटि भी ढूंढेगी।और कल हम लोग सुबह 10 से 12 के बीच एक और एडल्ट चैट साईट पर मिलेंगे।
रिफाइनरी से मुझे जो सूचना मिली थी , उस के हिसाब से उन्होंने रेड एलर्ट डिक्लेयर कर दिया है। वहां कोई भी बाहरी गाड़ी पहले भी नहीं जा पाती थी, उन्ही की गाडी से जाना होता था क्योंकि उसमें स्पार्क अरेस्टर लगा होना जरूरी होता है। और अब तो सिर्फ 5 गाड़ियों को क्लियरेंस दी गयी है जिससे कमपनी के इ डी से लेकर बाकी लोग अन्दर जाते हैं।
और इसे सी आई सी फ के ड्राइवर चलते हैं।
आई बी के लोगो ने भी अपनी सिक्योरिटी ऐड्वाइस जारी कर दी थी।
इस के तहत सारी सेंसिटिव इंडस्ट्री में रेड एलर्ट जारी था।
हर आदमी की पूरी तलाशी वैसे भी ली जाती थी . अब फ्रिक्वेंटली स्निफर डाग्स से भी चेकिंग होती थी। कोई भी मटेरियल बिना स्निफिंग के अन्दर नहीं जा सकता था .
एक स्पेशल ए टी एस की टीम ने सारी इंडस्ट्री की सिक्योरिटी रिव्यू की थी।
मीनल जा चुकी थी।
मैंने अपने तीन चार और मित्रों से जो पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर और रेलवे से जुड़े थे उनसे बात की।
और सोचने लगा।
बडौदा का हमला बनारस से एकदम अलग स्टाइल में होगा।
पहली बात तो वो होली के बाद ही होना है तो होलिका दहन का एक तो इस्तेमाल नहीं होगा।
दूसरे होली गुजरात में कोई बड़ा फेस्टिवल नहीं है, इसलिए सम्भावना यही ही की वो किसी इंडस्ट्री पर हमला होगा जो देखने में बहोत स्पेक्टाक्युलर लगे, और उसमें लोग मारे भी जायं . कहाँ होगा ये हमला और कैसे होगा, अगर ये अंदाज लग जाय ...
दूसरी बात, बाम्ब मेकर तीन दिन वहां रहा। क्यूं ? जब बनारस से वो सामान वो ले गया था तो बाकी काम तो लोकल यूनिट के लोग कर सकते थे।
मैंने उसकी फाइल देखी थी। वो 'इन्नोवेट' कर सकता है , यहाँ तक की ल्क्विड बाम्ब का प्लान करने वाले ग्रुप का उससे जुड़ाव था , तो क्या उसने कुछ और सोच रखा है? इंडस्ट्री में तो किसी का घुसना मुश्किल लग रहा है और फिर जब से इस थ्रेट का पता चला है वहां हर तीन चार घंटे में बाम्ब स्निफिंग स्निफर डाग्स से होती है। पूरी एरिया को हर तरह से सैनिटाइज कर दिया गया है . तो ?
एक बात और वहां पर लोकल सपोर्ट मुश्किल है।
गुजरात में बडौदा ऐसी जगह है जहाँ किसी टेररिस्ट हमले की कोशिश भी अब तक नहीं हुयी। मैंने मगज अस्त्र का इस्तेमाल किया और कुछ कन्क्ल्युजन निकाल लिए।
तब तक मेरे फेसबुक पेज पे फिमेल एस्कोर्ट मुम्बई का मेसेज आया .
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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