Tuesday, March 18, 2014

FUN-MAZA-MASTI काम शास्त्र का ज्ञान

FUN-MAZA-MASTI

  काम शास्त्र का ज्ञान 
 मैं भारत देश कि राजधानी में आज से २ साल पहले कंप्यूटर कोर्स करने आयी थी, और जभी से यहाँ पर रह रही हूँ। मेरे साथ मेरी एक बड़ी शादीशुदा बहिन , जीजाजी और मेरी एक छोटी बहिन रहती है। मेरे माता पिता राजस्थान में रहतें हैं।

मेरी आयु इस समय २५ साल हो चुकी है...मेरा रंग गोरा है। में ५ फूट ३ इन्चे लंबी हूँ और मेरा वजन ५२ kg है। दो साल पहले में बहुत पतली दुबली थी पर अब मेरा शरीर पहले से अच्छा हो गया है, शायद महानगर कि हवा सूट कर गयी।

इन दिनों एक कॉल सेंटर में टीम लीडर के पद पर काम करती हूँ, मेरे कई सारे बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड हैं और सभी मुझे बहुत प्यार करते हैं।

 जी हाँ, में बात कर रही हूँ उस रात कि जब मैंने पहली बार यह महसूस किया कि में योवनावस्था में कदम रख चुकी हूँ। मैं अपने ताऊ जी के लड़के की शादी में गयी हुयी थी, मेरी मम्मी मेरे साथ गईँ थीं। वहां पर ही मेरी मुलाकात राहुल से हुयी। वो मेरे ताऊ जी के सबसे अछे दोस्त का लड़का है। मेरी उमर उस समय लगभग १६ साल कि थी, राहुल मेरा अच्छा दोस्त बन गया था..और सारे शादी कि समय वो मेरे साथ और में उसके साथ घुमते रहते थे। शादी के एक दिन पहले में और राहुल घर कि छत पर थे॥ हम और छोटे बच्चों के साथ हाइड ऎंड सीक गेम खेल रहे थे। अनुज हम सभी लोगों कों ढूंद रहा था, में और राहुल साथ ही थे और एक दरवाजे कि पीछे छुपने पहुंच गए। राहुल मेरे पीछे और में दरवाजे के पीछे जाकर खडे हो गए। कुछ देर तक हम चुपचाप खडे रहे, और मैंने महसूस किया कि मेरे हिप्स के ऊपर कुछ कडा सा चुभ रह है। मैंने ज्यादा ध्यान नही दिया, पर जब उसकी चुभन ज्यादा होने लगी तो मुझे लगा कि कहीँ यह राहुल का वो खास अंग तो नही ?

खैर, जैसे ही हम अपनी छुपने कि जगह बदलने के लिए वहां दरवाजे से हटे तो मेरी स्किर्ट दरवाजे की kisi कील से अटक कर एक जगह से उधाद गयी। जब मैंने देख कि स्किर्ट फट गयी है तो मुझे दर लगा कि अब मम्मी कों पता चला तो वो मरेंगी, तो मैं डर गयी, तभी राहुल बोला , तुम चिन्ता मत करो, तायीजी के कमरे में जाकर इसे सही कर लेते हैं। मुझे उसकी बात सही लगी और हम दोनो ताई जी के कमरे मैं पहुंच गए। पर वहाँ तो काफी लोग थे। पर राहुल ने चतुराई से सुई धागा ले लिया और हम लोग वापस ऊपर छत पर आ गए। वहाँ आकर राहुल बोला कि तुम्हे अपनी स्किर्ट उतार देनी चाहिऐ जभी अच्छी तरह सही हो पायेगी। मैं उस समय मम्मी के डर के कारण कुछ भी ना सोचते हुये.... स्किर्ट उतार दी। पहली बार किसी लड़के के सामने मैंने अपनी स्किर्ट खोली थी...स्किर्ट उतारने के बाद मुझे लगा कि मैंने यह क्या किया, पर तब तक राहुल के हाथ मैं स्किर्ट थी और वो सिलाई कर रहा था। अब मुझे शर्म आ रही थी, तो मैंने अपने दोनो हाथों कों अपनी दोनो जाँघों के ऊपर रख लिया। मैंने पैंटी पहन रखी थी फिर भी मेरी गोरी टाँगे बीच बीच मैं राहुल का ध्यान आकर्षित कर रही थी। जब वो मुझे देखता तो मैं मुस्करा देती। ५ मिनट में स्किर्ट सही हो गयी। मैंने तुरंत उसे पहन लिया, और हम लोग नीचे वापस आ गए।

रात कों महिला संगीत था, साड़ी औरतें इकठी होकर संगीत करने वाली थी, मैं भी वहीँ बैठी थी, पर जब ज्यादा रात होने लगी तो मैं मम्मी से पूछ कर सोने चली गयी, जब लेटने लगी तो वहां राहुल, अनुज और raakhi आ गए। वो लोग भी वहीँ लेट गए। पहले तो राखी मेरे बगल मैं आ कर लेट गयी, पर कुछ देर बाद मामी ने उसे किसी काम से बुला लिया तो वो उठ कर चली गयी और मेरे बगल मैं राहुल ही था। मेरी मम्मी मुझे धुंडते हुये वहां आ गयी और दूसरी तरफ लेट गयी, मैंने मम्मी कि और करवट ली और नींद जयादा तेज आ रही थी, तो मैं सो गयी।

लगभग एक घंटे के बाद मुझे लगा कि मेरी टाँगे रजाई के अन्दर खुली हुईं है, यानी कि मेरी स्किर्ट मेरी क़मर तक छड़ी हुयी थी और दोपहर कि तरह मेरे हिप्स के बीच मैं कुछ कडा सा डंडा सा चुभ रह था। पहले तो मैं थोडा सा दर्र गयी , पर उस सब मैं एक सुखद एहसास हो रहा था। मैं जान भूझकर ऎसी बनी रह कि मुझे कुछ नही पता। और राहुल अपने अंग कों मेरे हिप्स पर रगड़ रहा था।
करीब पांच मिनट तक राहुल का यही सब चलता रहा। मैं जो अनुभव कर रही थी वो बयाँ से परे है, वो जिंदगी का पहला ऐसा एक लम्हा था जब मुझे लगा कि मैं एक लडकी हूँ और एक लड़का मेरे योवन से भरे शरीर के साथ खेल रह है। मेरी साँसे तेज चलने लगी थीं, सारा योनिस्थल रक्त से भर कर कडा हो गया था। निप्पल्स भी उत्तेजना से भर गए थे। मुझे मालूम था कि राहुल जो भी कुछ कर रह है, वो गलत है पर उस कामुक एहसास के आगे मैं उसे रोकना भी नही चाह रही थी। और उस समय तो मैं सेक्स के बारे मैं ज्यादा कुछ जानती भी नही थी।

इसके बाद राहुल ने अपने दायाँ हाथ मेरी क़मर के ऊपर से होते हुये ठीक मेरे बायें स्तन के सामने रखा। मैंने स्किर्ट और टॉप पहन हुआ था। उसका हाथ मेरे बायें स्तन के ठीक ऊपर था और निश्चित ही वो मेरे चुचूक को अनुभव कर रह होगा। ऐसे ही कुछ देर रखने के बाद उसने जब धीर से मेरे स्तन को अपनी हथेलियों मे भरा, बस....मेरी जान निकल गयी। मुझे लगा कि बस मैं उसके साथ चिपक जाऊं , पर मम्मी साथ में ही लेटी थी, उनका भी डर लग रहा था। इसके बाद उसने एक एक करके मेरे दोनो स्तन को छू कर और हल्का हल्का दबा कर देखा और मैं ऐसे बनी रही जेसे कि मैं गहरी नींद मैं हूँ। उसकी हिम्मत पल पल बढती जा रही और साथ ही रजाई के अन्दर का तापमान भी बढता जा रह था। राहुल ने धीरे धीर से अपना हाथ मेरी क़मर पर से लेजाकर मेरे हिप्स पर पहुंच गया। मेरी स्किर्ट पहले से ही मेरे हिप्स तक चढ़ चुकी थी। उसके हाथ मेरी नंगी हिप्स पर touch हो रहे थे। और मेरी सांस गले में जब अटक गयी जब उसने अपने एक हाथ कि हथेली से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी पूसी को कस लिया। मेरे मुहं से हलकी सी आह निकल ही गयी। और पता नही क्या हुआ, मेरा मन पीन्ठ के बल लेटने का हुआ और मैं करवट लेकर सीधि होकर केट गयी। राहुल के लिए तो और आसान हो गया...कुछ देर रुकने के बाद उसके हथेलियाँ फिर से मेरी पूसी का एहसास लेने के लिए पैंटी के इर्द-गिर्द भटकने लगीं। उसकी एक उंगली मेरी पैंटी कि एलास्तिक को उंचा करके अन्दर जाने को तयार थीं और जैसे ही उसकी उँगलियों ने मेरी पैंटी के अन्दर प्रवेश ही किया था और मेरे पूसी पर उगे घने बालों से टकराईं , मेरे पूरे शरीर में बिजली का झटका सा लगा। में अब उसे और आगे नही बढ ने देना चाहती थी, और समझ नही पा रही थी कि उसे कैसे रोकुं, वो तो भला हो उसकी बहन का जो ठीक उसी समय उस कमरे में उसे जगाने आ गयी , और उसने तुरंत स्किर्ट और कपडे ठीक कर लिए।

यह वो पहली घटना थी जब किसी ने मेरे शरीर कि अंगों को इतनी नजदीकी से छुआ था। १० मिनट बाद मैं उठ कर बैठ गयी। राहुल वहां नही था। पर मेरी नजरें उसे ढूंद रही थी।

काफ़ी देर इन्तजार करने के बाद भी जब राहुल नही लौटा तो में टॉयलेट करने के लिए उठ गयी. और जब मैंने टॉयलेट मॆं पैंटी उतारी तो देखा की पैंटी गीली हो गयी थी, और मेरी योनि से कुछ चिपचिपा द्रव निकला हुआ था. यह पहली बार थे की इतनी जायदा मात्र मॆं पैंटी गीली हो गयी थी इस द्रव से. शायद उस दिन मॆं सबसे ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी. 

दिन का पता नही, बस इतना याद है की उन दिनों में परेशान थी क्योंकि मेरे एक बहुत अच्छा दोस्त मेरे से रूठ गया था, क्योंकि मेने उसकी किस करने की इच्छा नामंजूर करदी थी. इसी वजह से वो दिन-ब-दिन मेरे से दूर होता जा रहा थे. मम्मी ने मेरे चहरे पर आती परेशानी पहचान ली. उनके कई बार पूछने पर मेने उन्हें सब बता दिया, तभी बातों ही बातों में मम्मी ने मुझे शारीरिक आकर्षण, सेक्स सम्बन्ध,यौनांग की रचना के बारे में समझाया. वो दिन मेरे लिए बड़ा अनोखा था. मम्मी ने यह भी समझाया की मुझे लड़कों के संग आने जाने में सावधानी भी रखन पडेगी, और जोर देकर यह भी समझाया की शादी से पहले कोई भूल मत कर बैठना.
दोपहर को जब ऋतू के घर मिलने गयी और उसे मम्मी के साथ हुयी बातचीत के बारे में बताया तो जो ऋतू ने बताया उसे सुनकर मेरी आंखें फटी रह गयीं. उसने बताया की यह सब तो ठीक है पर जब क्या करें जब दिल मजबूर हो जाए और उस परम आनंद को भोगने का मन हो जाए. ऋतू ने बताया की उसका पिछले २ महीने से उसके boyfriend से शारीरिक सम्बन्ध हैं. जब मैंने उसे राहुल के साथ बीती रात के बारे में मेरे अनुभव उसको बताया तो उसी ने मेरे को बताया की एक लड़के का लिंग लगभग ६ से ७ इंच का हो जता है उत्तेजना में. में जानती तो थी की पुरूष में लिंग होता है पर जब ऋतू ने डिटेल से उसके बारे में बताया तो मन करने लगा की बस कहीँ से देखने को मिल जाए, और यह कमी ऋतू ने ही पुरी कर दी. उसने उसके दोस्त के द्वारा दी गयी एक ब्लू फ़िल्म की सीडी मुझे दे दी. और रात को जब मेने अपने कमरे में लेपटोप पर वो सीडी चला कर देखी तो मेरे होश ही उड़ गए. मेने देखा की एक पुरुच का लिंग कैसा होता है, कैसे वो योनि में डाला जाता है, कैसे एक लड़की आहें भरती हैं और फिर स्खलित होती है. और अंत में पुरूष का लिंग एक सफ़ेद रंग की बोछार निकाल देता है.....और फिर सब शांत हो जाता है.
जिंदगी में पहली बार इतना सब कुछ नन्गता देखी थी, उत्तेजना के मारे बुरा हाल था, हाथ के हथेलियाँ अपने आप जाँघों के बीच पहुँच गयी और पूसी को जब तक रागादी रहीं जब तक के में ख़ुद स्खलित न हो गयी. फिर वो और उस तरह के कई सीडी मेने कई महिनो तक ऋतू से ले लेकर देखी , और मेने अपने हाथों की उँगलियों से अपनी sexual इच्छाओं को शांत करना सीख लिया था.

हम तीन बहनों में से मेरी और मेरी बड़ी बहिन आरती की बहुत जमती है. हम दोनों कई बातें शेयर करते थे, और एक दिन दीदी ने बताया की वो अपने ऑफिस के एक लड़के के साथ प्यार करती हैं और वो दोनों शादी करने चाहते हैं. फिर क्या था, २ महीने के अन्दर सब कुछ तय हो गया. मम्मी पापा भी तयार थे, आख़िर अमन जीजू थे भी smart और अच्छी नौकरी भी. दिसंबर २००६ में दोनों की शादी हुयी.
और शादी के सिर्फ़ ७ दिन बाद मेरा कालेज में प्रवेश के कारण में भी दीदी के घर पहुँच गयी रहने के लिए। पहले तो दीदी ने काफ़ी मजाक भी उदय मेरे, की क्यों आ गयी यहाँ ? अभी तो हम लोगों ने सही से हनीमून भी नही मनाया और तू यहाँ आया गयी. मेने तो कह दिया की में आप लोगों की बिल्कुल भी disturb नही करुँगी, आप लोग आराम से हनीमून मनाओ. लगभग १ महिना बड़े मजे से कटा, ख़ूब मजा करते थे हम सभी लोग, ख़ूब धमाल मचाते थे, पर एक दिन जब दीदी और जिजू बाजार शॉपिंग के लिए गए हुए थे और में घर पर अकेली थी। तभी अलमारी की दरवार में एक गुलाबी रंग जी कुछ दिखायी दिया, देखा तो दीदी की पैंटी थी, थी बहुर सुंदर और कामुक डिजाईन की भी. मेने उसे ध्यान से देखा था तो उसमे कुछ सफ़ेद धब्बे भी थे, मन में कई सवाल उठने लगे..! मन में जिज्ञासा हुयी तो अलमारी को बड़ी सावधानी से देखना शुरू किया तो, अब पाया एक कामसूत्र कॉन्डम का काले रंग का पैकेट. उसमे एक बहुत कामुक फोटो भी रखे थी. अब में उत्तेजित होने लगी थी. बाद में दीदी की साड़ियों के नीचे कई कामुक कहानियो और तस्वीरों की किताबें भी मिलीं, उनमे से मैंने एक किताब निकाल कर अपने पास रख ली.
रात को जब जिजू और दीदी अपने कमरे में जाकर सो गए तो मेने अपने कमरे में दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया और वो किताब निकाल ली. उस किताब का हर एक पेज कामुक तस्वीरों और कहानियो से भरा पड़ा था. पूरी किताब में सेक्स करने की अलग अलग मुद्राएँ और पुरूष और स्त्री की नंगी तसवीरें दे रखी थी. आज से पहले ब्लू फ़िल्म में ही मेने पेनिस (लंड) देखा था , पर इस किताब में बहुत पास से पेनिस की फोटो दे रखी थी.
रात के तीन बज चुके थे, पर आंखों में नींद नही थी. मन मे जीजू और दीदी के शारीरिक मिलन के बारे में विचार आने लगे की क्या वो लोग ऐसे ही सब कुछ करते होंगे जैसा की इस किताब में दे रखा है....हाय दीदी को कितना मजा आता होगा..!? फिर मन में आया की क्या राहुल का यौनांग भी ऐसा ही होगा, जो की उस दिन उसने मेरे हिप्स के सहारे लगाया था? सारी रात अपनी पूसी (चूत) को हथेलियों से सहलाते हुए ही निकल गयी. और सुबह कब हो गयी, पता ही नही चला!
***********************************************************************************************कॉलेज से लोटने के बाद मन मे सोचा की सिर्फ़ राहुल ही एक ऐसा लड़का है जो शायद मेरे से आकर्षित है, क्या उसके साथ कुछ....? नहीं नहीं .....किसी को पता चला तो...? बहुत सारे सवाल मन में चल रहे थे की अचानक दीदी की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ. दीदी मुझे खाने पर बुला रहीं थीं. शाम को पुरे मोहल्ले की लाईट चली गयी. जब बड़ी देर तक नही आयी तब दीदी ने कहा की आज हम लोग ऊपर छत पर सो लेते हैं.
छत पर दीदी और जीजू एक फोल्डिंग पलंग पर सो गए और में फर्श पर गद्दे पर सो गयी. रात को जब अचानक मेरी नींद टूटी तो मेने देखा की की मेरी आंखों पर कोई कपड़ा पड़ा है...मैंने आशंकित होते हुए, बड़े साहस के साथ अपनी आंखों को उस कपड़े से हटाते हुए देखने की कोशिश की, तो पाया वो एक बनियान थी....जीजाजी की ही होगी.... सामने फर्श पर दीदी की साड़ी , पेटीकोट, ब्लोउज भी पड़ा हुआ था.....तो क्या इसका मतलब वो दोनों सेक्स कर रहें है और अधनंगे हैं? मेरे को बहुत जोर से टॉयलेट भी आ रही थी...सोच रही थी की अब कैसे उठूँ?अगर वो लोग सेक्स कर रह होंगे तो क्या सोचेगें? फिर जब मेने फोल्डिंग पलंग के हिलने की आवाज सूनी तो धीरे धीरे आंखें पलंग के ऊपर सो रह दोनों जनों पर डालीं.
क्या दृश्य था? जीजाजी पलंग पर सिर्फ़ अंडरवियर में लेते थे और दीदी भी सिर्फ़ पैंटी में उनके जाँघों पर बैठी हुईं थीं. दीदी के स्तनों को जीजाजी ने अपने दोनों हाथों से दबाया हुआ था, और दीदी के मुह से सिस्कारियां निकल रही थीं. दीदी बार बार अपने चूतड ऊपर नीचे कर रही थी , और शायद उनके नीचे जीजाजी का लंड होगा. दीदी बार बार कह रही थी, "जल्दी जल्दी ड़ाल डो, अब नहिं रुका जा रहा". यह सुनते ही मेरे पुरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए, जो कुछ मेने आज तक ब्लू फिम में देखा था वो आज देखने को मिल रहा था. जीजाजी ने दीदी को अपने सीने से लगा लिया और उनकी चड्डी को उतार दिया..अब दीदी पूरी नंगी पेट के बल जीजाजी के ऊपर लेटी हुयी थी. उसके बाद मेने देखा की दीदी ने अपने हाथों से जीजाजी का अंडरवियर उतरा और नीचे से देखने में यही समझ में आया की वो जीजाजी का लंड अपनी योनि में डालने की कोशिश करने लगीं. और शायद एक-दो प्रयास में लंड अन्दर चला भी गया , क्योंकि दीदी के मुह से आवाज आयी, "उफ़,,,,गया ! पूरा ड़ाल दो,,!" 

अन्दर डलवाने के बाद दीदी के मुह से सिस्कारी और पलंग में से आवाज एक सुरम्य वातावरण बना रही थी. पर मुझे बहुत जोर से टॉयलेट आ रही थी और अगर मैं कुछ और देर रुक जाती तो मेरे कपड़े ही गीले हो जाते!
जिजू १५-२० झटके मार चुके थे और मुझसे रहा नही गया और मैं एक झटके से उठ कर बैठ गयी. और जैसे ही मेरा बैठना हुआ, पलंग पर अफरातफरी मच गयी. दीदी जिजू के पीछे की और छिपने की कोशिश करने लगीं. और जिजू , वो २-३ सेकेंड्स तो मुझे देखते ही रह गए और जब उन्हें याद आया की वो बिना कपड़ों के हैं, तो उन्होंने अपने हाथों से अपने उत्तेजित लिंग को ढक लिया. मैं उठी और सीधी बाथरूम मे गयी, टॉयलेट इतनी जोर का लगा था कि मैं अपनी पैंटी पूरी तरह से नीचे भी नही कर पायी कि टॉयलेट कि धार निकल ही पड़ी.५ मिनट बाद जब में लौटी तो दोनों पलंग पर चुपचाप लेटे हुए थे. मैं भी आकर लेट गई.
सुबह मेरी छुट्टी थी, पर जिजू ऑफिस गए थे, दीदी मेरी कमरे में आयी और बोली कि जो कुछ भी रात को हुआ, वो एक दम से हो गया, उन लोगो कि ऎसी कोई मंशा नही थी कि तुम्हे कोई परेशानी हो. दीदी ने कहा कि जिजू को फील हो रहा है कि तुम उन्हें एक गन्दा आदमी समझोगी. इस पर मेने दीदी से कहा कि दीदी गलती तो मेरी है, एक तो में आप लोगो कि शादी के तुरंत बाद यहाँ रहने आ गयी और रात को आप लोगों का प्रोग्राम भी ख़राब कर दिया. दीदी हँसने लगीं और बोली चलो कोई बात नही.अब जब इतनी खुल कर बात हो रहीं थी तो मैंने भी पूछ ही लिया कि दीदी क्या कल पहली बार किया था? दीदी मुस्करा कर बोली ... "नहीं, पहली बार तो नहीं, हाँ पर अभी ठीक से हो नही पाया है..!". मेरा अगला प्रश्न तयार था, मेने फिर पूछ , "दीदी दर्द नहीं होता यह सब करने में? जब वो अन्दर जाता है तो कैसा लगता है? अन्दर बाहर क्यों करते हैं?"
मेरी इतने सारे सवाल सुनकर दीदी हैरान रह गई और बोली, सब बता दूंगी पहले में तो ढंग से अनुभव कर लूँ।

उस दिन जीजाजी २ दिन के लिए बंगलोर जा रहे थे, कोई ऑफिस की मीटिंग थी वहाँ पर. मैं और आरती दीदी ही घर पर
अकेले थे. दीदी अपने रूम में थीं और मैं अपने रूम में थी. कुछ देर बाद दीदी ने मुझे अपने रूम से आवाज दी. मैं
उनके रूम में पहुँची तो देखा की वो बाथरूम में थीं, वहीँ से बोली, नेहा, यहाँ आना और जरा अपनी कोई एक ब्रा
मेरे को देदे. मेरी वाली साड़ी कसने लगीं हैं. मेरे बूब्स दीदी के बूब्स से शुरू से बड़े रहें है और मेरा
ब्रा का नम्बर उनकी ब्रा से बड़ा था, मैंने अपने कमरे मे से एक ब्रा निकाल कर बाथरूम के दरवाजे को खटखटाया.
दीदी ने दरवाजा पूरा खोल दिया. दीदी पूरी नंगी खड़ी थी. में थोड़ा सकपका गयी. शादी के बाद पहली बार उन्हें पूरा
बिना कपड़ों के देखा था. शादी से पहले तो हम लोग कपड़े बदलते समय या नहाते समय एक दुसरे को कई बार देख ही
चुके थे, यहाँ तक की मैं और आरती दीदी तो साथ ही नहाते थे. पर आज उन्हें शादी के बाद ऐसे देख कर मुझे ही शर्म
सी लग रही थी और दीदी इस बात को पहचान गयीं और कमेंट मारते हुए बोलीं, क्या हुआ नेहा, शर्म आ रही है क्या,
पहले कभी ऐसे नही देखा क्या?मैंने कहा, "नही दीदी , ऎसी कोई बात नही , बस ऐसे ही....अब तो वैसे भी जिजू की प्रोपेर्टी हो आप तो...!" और
वो हँसने लगीं. चलते समय मैंने महसूस किया की दीदी के स्तनों मैं काफ़ी बदलाव आ गया था, वो पहले से काफ़ी
उन्नत और अच्छे दिख रहे थे और चुचुक भी बड़ी हो गयी थीं...मन मे आया और दीदी से पूछ ही डाला, "दीदी ये आपके
बूब्स में अन्तर कैसे आ गया..?
"अरे जब तेरे जिजू इन्हे रोजाना दबा दबा कर मालिश करेनेगे तो ऐसे ही हो जायेंगे न..! तेरे जिजू को बहुत पसंद
हैं यह..! और जब वो इनको दबाते हैं तो मजा भी बहुत आता है." दीदी ने पानी के फव्वारे को चालू करते हुए
बोला...मैंने पूछा "तो इसका मतलब दीदी , मेरी शादी के बाद मेरे भी बड़े हो जायेंगे?"
"हो सकता है...दीदी ने जवाब दिया. इसके बाद मैं उनके कमरे से वापस आ गयी. अपने कमरे मैं आकर मैंने अपना टॉप उतार और ब्रा भी, उसके बाद शीशे के सामने जाकर गौर से अपने बूब्स पर नजर डाली, मैं सोचने लगी की जब अभी इतने हैं तो शादी के बाद क्या होगा, जैसा की दीदी ने बताया..जब मेरा पति इन्हे दबाया करेगा तो क्या यह भी बड़े हो जायेंगे.?"
तभी अचानक पूजा का फ़ोन आ गया..उसका जन्मदिन था और उसने शाम को पार्टी मैं बुलाया था. 

पूजा की जन्मदिन पार्टी में आने से पहले मैंने दीदी से उनका डिजिटल केमरा ले लिया था और समय से थोड़ा पहले ही पूजा के घर पहुँच गयी. पूजा के कमरे मैं हम तीन फ्रेंड बैठे थे. मैं, पूजा और मानसी. हम तीनो अपने कॉलेज के बारे मैं बातें कर रहे थे और मैंने अचानक उन लोगों को दीदी वाली बात बता दी कि शादी के बाद बूब्स पर क्या असर होता है, और तभी मानसी तपाक से बोली, "अरे तेरे जिजू रोजाना उन्हें मसलते होंगे, दबाते होंगे, अगर अच्छी तरह मसाज हो जाए तो बदेंगे हीं!"मैंने उस से पूछा कि तुझे कैसे पता? तो उसने बताया कि उसका boyfriend अनिल ऐसे ही करता है. मैंने कहा, तुम लोगों को ये सब करने का समय कब मिल जाता है? पूजा बोली, लो समय का क्या है, जब मैं कॉलेज से लौट ती हूँ उसके साथ कार में, तो हम दोनों अकेले ही तो होते हैं..!"
"तो क्या तुम लोग रोजाना सेक्स करते हो?" मैंने आश्चर्य से पूछा, और उसने कहा, "अरे नही...में उसे ज्यादा कुछ नही करने देती, अगर एक दो बार उसने पूरी तरह से मेरे साथ सेक्स कर लिया तो क्या पता कल को मेरे को छोड़ किसी दूसरी को पकड़ लिया तो ?" और उसकी यह बात सुनकर हम तीनो हँसने लगे.
खैर पूजा के जन्मदिन पर मैंने कई सारे फोटो खींच डाले॥और फिर ज्यादा रात होने से पहले मुझे घर पर भी पहुंचना था।में पूजा के घर से ९ बजे निकल ली. घर पहुँच कर खाना खा पीकर मैं और दीदी मेरे कमरे में ही लेट गए थे. दीदी ने कहा , "नेहा जरा पूजा के जन्मदिन के फोटो तो दिखाओ !" मेने केमरा पर्स मे से निकला और ओन करके टीवी में जोड़ दिया. और रिमोट कंट्रोल से केमरा operate करने लगी. और मेरे होश जब उड़ गए जब उसमे फोटो कि शुरुआत दीदी के हनीमून के फोटो दिखने लगे. असल में दीदी को जिजू ने कहा था कि वो फोटो डिलीट कर देनेगे कैमरे में से...पर ऑफिस जाते समय ऐसा करना भूल गए और केमरा में पूजा के यहाँ ले गयी और अब वो सारे फोटो सामने टीवी पर दिख रहे थे. दीदी बेचारी शर्म से लाल हो गयी थीं और जोर जोर से हँसे जा रही थी... और में बिल्कुल मूर्ती कि तरह जड़ हो गयी थी.



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