FUN-MAZA-MASTI
मनोरमा --2
सुबह हुई और रोज की तरह मनोरमा सुबह के पहले उठी. मनोरमा अपने पति रवि के लिए नाश्ता बनाती थी. रवि अपनी नाईट ड्यूटी करके आता था और नाश्ता खा के सो जाता था. मनोरमा उसके बाद अपने ससुर और देवरों के लिए नाश्ता बनाती थी. सामान्य तौर पर, उसके ससुर और देवर सात बजे तक नाश्ता कर के खेतों के तरफ प्रस्थान कर जाते थे. पर आज उसके ससुर ने अनिल और राजेश को खेतों पर भेज दिया पर खुद नहीं गया.
मनोरमा रासोई में बर्तन धो रही थी. तभी उसने अपनी गांड की दरार पर एक कहदा लंड महसूस किया. मुद कर देखा तो पाया की ससुर जी खड़े हैं मुस्करा रहे हैं. मनोरमा ने अपने गोल और गुन्दाज़ चूतडों को और पीछे फेंका जैसे अपने चूतडों के द्वारा ससुर के लंड की मालिश कर रही हो. शमशेर खुद को बड़ा किस्मतवाल मन रहे थे की उन्हें ऐसी चुदाक्कड टाइप बहु मिली.,वो अपने हाथों से बहु की गुन्दाज़ चुंचियां दबाने और सहलाने लगे.
"ओह ओह पापा जी ......" मनोरमा ने भारी आवाज में बोला
"मेरा लंड बहुत जोर से खड़ा है बहु. क्या तुम्हारी चूत के पास थोडा टाइम है?"
शमशेर पैशनेट आवाज में बोला और मनोरमा की टांगों के बीच हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा.
"ओह पापा जी...प्लीज ... आपको चोदने का बड़ा दिल कर रहा है......पर रवि घर में है...वो बेडरूम में सो रहा है ...पर कभी भी जग सकता है.....हम यहाँ नहीं चोद सकते..." मनोरमा बोली.
"तुम ठीक कहती हो बहु...यहाँ ठीक नहीं है... मैं तबेले में तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ ...चलो तबेले में आओ ...जल्दी से...".
शमशेर अपनी बहु की चून्चियों को दबाते ही आँख मारते हुए बोला.
मनोरमा बेडरूम गयी और देखा की उसका पति रवि अच्छी तरह से सो रहा है. मनोरमा किचन से निकल कर तबेले में गयी. उसके शरीर में एक अजीब तरह की इच्छा थी जिसकी वज़ह से उसकी चूत गीली थी.
मनोरमा ने तबेले में प्रवेश किया और देखा की उसके ससुर शमशेर वहां पूर्ण नग्न हो कर अपने लंड को धीमें धीमें सोंट रहे थे.
मनोरमा ने अपने सारे कपडे उतारे और अपने ससुर के पास गयी. शमशेर अपने घुटनों के बल बैठ गया और मनोरमा उसके लौंड़े के ऊपर चढ़ गयी. मनोरमा ने अपनी चुन्चिया ससुर के मुंह में दे दीं. शमशेर ने बहु की चुन्चिया चूसी और लंड को बहु की चूत की गहराइयों में डुबाया.
"ओह....ओह... मर गयी रे .....पापा जी तुम्हारा औज़ार तुम्हारे बेटे से बड़ा है .....चोदो मुझे.......मेरी फाड दो पापा जी......."
शमशेर ने अपना लंड लपालप अपनी बहु की चूत के हवाले किया और बहु को तो तब तक चोदा जब तक मज़ा न आ जाए.
मनोरमा चुदाई करवाते हुए बोली, "पापा प्लीज मेरी चूत में अपना पानी डाल के झडो ......प्लीज...."
शमशेर ने मनोरमा की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए निकला और मनोरमा के मुंह में डाल के बोला, " ये ले बहु चूस ले इसे....पी ले इस का रस ....
"
मनोरमा ने अपने ससुर का लंड जम के चूसा पर ससुर को मनोरमा की चूत में लंड डाल के ही झाड़ना पड़ा.
"ये ले चख ले मेरा वीर्य", शमशीर ने झड के मनोरमा को बोला.
"ओह मेरे मुंह में अपना सारा माल जमा कर दो पापा जी जानेमन", मनोरमा आँख मारते हुए बोली.
दोनों चुदाई से थक चुके थे, इसके पहले की मनोरम का पति रवि उठे उसने अपने साडी ठीक की और घर में चली गयी. शमशेर ने अपना गीला लंड अपने जांघिये में डाला और खेतों पर राउंड मारने निकल गया.
मनोरमा को पता था की उसके अच्छे दिन आने आ चुके हैं. और बहुत ही खुश थी.
मनोरमा जब से शादी कर के फुर्सतगंज आयी थी, हर रात कोई उसकी "चोरी" से चुदाई कर रहा था. शुरू में तो उसे पता नहीं चला की उसका ये गुप्त प्रेमी कौन है, पर एक दो सप्ताह में ही उसने पता कर लिया की वो और कोई नहीं उसके ससुर शमशेर खुद थे. ऐसी बातें जब परदे से बाहर आ जाएँ तो फिर चुदाई का कार्यक्रम कहीं भी और कभी भी हो जाता है. मनोरमा और शमशेर के बीच में कुछ ऐसा ही होने लगा. पति रवि को सोता छोड़ कर और अपने दोनों देवरों राजेश और अनिल की आँखों में धुल झोंक कर मनोरमा अपने ससुर के साथ वासना के खेल कभी भी खेल लेती थी.
पर एक बात तो तय है, ऐसी बातें ज्यादा दिन तक छुपती नहीं हैं. एक दिन जब शमशेर मनोरमा को घोडी बना कर पीछे से उसे छोड़ रहा था, अनिल और राजेश ने उन दोनों को देख लिया. ऐसा चुदाई का दृश्य देखते ही दोनों का लंड एक दम खड़ा हो गया और उन्होंने मन ही मन में तय किया वो भी जल्दी ही मौका देख कर मनोरमा के कामुक शरीर का भोग लगायेंगे.
और ऐसा मौका उन्हें दो दिन बाद ही मिल गया. उस दिन शमशेर पंचायत के काम के सिलसिले में सुबह ही शहर निकल गया था. रवि रोज की तरह अपनी नाईट ड्यूटी कर के नाश्ता कर के सो रहा था. उन दिन ज्यादा थक कर वापस आया था, सो उसने मनोरमा को छोड़ा भी नहीं और खा कर सीधे सोने चला गया. आज मनोरमा को थोडा बुरा लग रहा था की उसे छोड़ने वाले दोनों लोग उपलब्ध नहीं थे. उसने सोचा की थोड़े घर के काम के काम ही कर लिए जाएँ.
पर उसे ये बिलकुल आभास नहीं था की उसके कामुक शरीर में घुसने के लिए दो दो लंड कुछ दिनों से लालायित थे. जिस समय वो घर के बाहर पौधों को पानी दे रही थी. उस समय राजेश और अनिल बगल में तबेले में काम कर रहे थे.
राजेश ने उसे तबेले में मदद के लिए बुलाया. मनोरमा जैसे ही तबेले में घुसी, दोनों ने उसे पकड़ कर वहां पडी चारपाई पर जबरन लिटा दिया. मनोरमा ने अपनी शक्ति के अनुरूप अपने देवरों की जबरदस्ती का पूरा विरोध किया. ये सा कुछ इतना अचानक हुआ की उसकी आवाज निकले उससे पहले अनिल ने उसकी साडी और पेटीकोट खींच के फ़ेंक दिया गया. और राजेश उसका ब्लाउज खोल रहा था. मनोरमा अपने ससुर जी की सहूलियत के चड्ढी वैसे भी नहीं पहनती थी. सो दो मिनट में वो वहां दो जवान लड़कों के सामने पूरी नंग धडंग पडी हुई थी.
मनोरम ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. उसे अब ये तो पता था की उसके साथ अब क्या होने वाला है. हालांकि वो कोई दूध की धुली नहीं थी, पर उसे देवरों के सामने इस प्रकार से बल के ऐसे प्रयोग से नंगा हो कर लेटना अच्छा नहीं लग रहा था. उसने चुदाई तो बहुत की थी, पर दो दो लंडों का स्वाद एक साथ लेने का यह पहला अवसर था. इस बात को सोच कर उसकी चूत में अजीब तरह की प्यास जग गयी.
राजेश ने अपना लंड बिना किसी निमंत्रण के अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया और अपना सुपदा अन्दर किया. मनोरमा सिहर उठी. मनोरमा की चूत थोडा गीली थी सो लंड दो तीन धक्कों में अपने मुकाम पर पहुच गया. दूसरा देवर अनिल अनिल उसकी चून्चियां चूसने ऐसे चूस रहा था मानों वो कोई स्वादिष्ट पके हुए आम हों. मनोरमा को अब इस खेल में मजा आना शुरू हो गया था और वो सिसकारी लेने लगी.
राजेश का लंड अपने पिता शमशेर से छोटा था पर साइज़ में मोटा था. इस लिए जब भी राजेश धक्का लगता था, मनोरमा की चूत और फैलती थी और उसे ज्यादा आनंद आ रहा था. उसने अपनी ऑंखें खोल लीं, अपनी टाँगे राजेश की गांड के दोनों तरफ फंसा कर मनोरमा अपनी गांड उठा उठा कर राजेश का लंड अपनी गीली चूत में लेने लगी. फचफच की आवाज तबेले में गूँज रही थी.
"चोदो मुझे राजेश....." मनोरमा पहली बार मुंह खोल कर कुछ बोली.
राजेश ने अपनी भाभी की चूत में अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी. और अनिल ने खुले मुंह का लाभ उठा कर उसके मुंह में अपना हथियार घुसा दिया. मनोरमा पूरे मजे ले ले कर उसे चूसने लगी. अपने मादक शरीर में दो दो लंडों को अन्दर बाहर होने के अनुभर से भाव विभोर गयी.
"अरे क्या मस्त चूत है तुम्हारी भाभी. पूरे गाँव में इतनी मौज और किसी लडकी ने नहीं दी मुझे", राजेश उसे चोदते हुए बोला.
"ये ले ....मेरा ल...अ...अं....न्ड....."
मनोरमा समझ गयी की राजेश अब बस झड़ने ही वाला है. वह जोर जोर से अपनी गांड उठाते हुए मरवाने लगी. अगले ४-५ ढाकों के बाद राजेश ने अपने लंड का पानी मनोरमा की चूत में उड़ेल दिया.
राजेश ने अपना लंड निकाला और अनिल को इशारा किया की अब वो भी अपने भाभी के हुस्न का सेवन करे.
अनिल ने मनोरमा को उल्टा किया और उसकी गांड पकड़ कर उठाने लगा. मनोरमा समझ गयी की ये देवर उसी कुतिया के पोस में चोदना चाह रहा है सो वह तुरतं घुटनों के बल हो गयी. राजेश का वीर्य उसकी चूत से निकल कर झांघों से बहने लगा. अनिल ने अपना लंड एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया और फुर्ती से चोदने लगा.
अनिल का मोटा लंड मनोरमा की चूत बुरी तरह से चोद रहा था. पीछे से चोदते हुए उसने उसकी चून्चियों को अपने हाथों से सहलाते हुए फुसफुसाया
"मैं और राजेश तुम्हें रोज इसी तरह से अच्छे से चोदेंगे. तुम्हारी चूत में अपने लंड डाल डाल के तुम्हारी क्रीम निकालेंगे रोज हम दोनों भाई. ठीक है न भाभी?"
"हाँ....हाँ ...मुझे तुम दोनों इसी तरह से मजे देना रोज....आह ...आह .....रोज ......" मनोरमा ने पूरे आनंदित स्वर में जवाब दिया.
ये सुन कर अनिल ने अपने चुदाई की रफ़्तार बाधा दी. उसकी जांघें मनोरमा के चूतडों से टकरा टकरा कर जैसे संगीत बनाने लगीं.
"ओह ...ओह...मैं गया ....ये ले ..मेरा सारा रस ....अपनी चूत में ......"
ये कहते कहते अनिल ने अपना लंड पूरी जोर से घुसा दिया और झड गया. मनोरमा को ऐसा लगा मानो उसकी चूत के गहराई में जा कर किसी ने वाटर जेट चला दिया हो.
मनोरमा बड़ी खुश थी, उसके पास तीन तीन मर्द थे जो उसे रोज कभी भी जवानी का सुख देने को तैयार रहते थे. उसके जैसी कामुक स्त्री के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं था,
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मनोरमा --2
सुबह हुई और रोज की तरह मनोरमा सुबह के पहले उठी. मनोरमा अपने पति रवि के लिए नाश्ता बनाती थी. रवि अपनी नाईट ड्यूटी करके आता था और नाश्ता खा के सो जाता था. मनोरमा उसके बाद अपने ससुर और देवरों के लिए नाश्ता बनाती थी. सामान्य तौर पर, उसके ससुर और देवर सात बजे तक नाश्ता कर के खेतों के तरफ प्रस्थान कर जाते थे. पर आज उसके ससुर ने अनिल और राजेश को खेतों पर भेज दिया पर खुद नहीं गया.
मनोरमा रासोई में बर्तन धो रही थी. तभी उसने अपनी गांड की दरार पर एक कहदा लंड महसूस किया. मुद कर देखा तो पाया की ससुर जी खड़े हैं मुस्करा रहे हैं. मनोरमा ने अपने गोल और गुन्दाज़ चूतडों को और पीछे फेंका जैसे अपने चूतडों के द्वारा ससुर के लंड की मालिश कर रही हो. शमशेर खुद को बड़ा किस्मतवाल मन रहे थे की उन्हें ऐसी चुदाक्कड टाइप बहु मिली.,वो अपने हाथों से बहु की गुन्दाज़ चुंचियां दबाने और सहलाने लगे.
"ओह ओह पापा जी ......" मनोरमा ने भारी आवाज में बोला
"मेरा लंड बहुत जोर से खड़ा है बहु. क्या तुम्हारी चूत के पास थोडा टाइम है?"
शमशेर पैशनेट आवाज में बोला और मनोरमा की टांगों के बीच हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा.
"ओह पापा जी...प्लीज ... आपको चोदने का बड़ा दिल कर रहा है......पर रवि घर में है...वो बेडरूम में सो रहा है ...पर कभी भी जग सकता है.....हम यहाँ नहीं चोद सकते..." मनोरमा बोली.
"तुम ठीक कहती हो बहु...यहाँ ठीक नहीं है... मैं तबेले में तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ ...चलो तबेले में आओ ...जल्दी से...".
शमशेर अपनी बहु की चून्चियों को दबाते ही आँख मारते हुए बोला.
मनोरमा बेडरूम गयी और देखा की उसका पति रवि अच्छी तरह से सो रहा है. मनोरमा किचन से निकल कर तबेले में गयी. उसके शरीर में एक अजीब तरह की इच्छा थी जिसकी वज़ह से उसकी चूत गीली थी.
मनोरमा ने तबेले में प्रवेश किया और देखा की उसके ससुर शमशेर वहां पूर्ण नग्न हो कर अपने लंड को धीमें धीमें सोंट रहे थे.
मनोरमा ने अपने सारे कपडे उतारे और अपने ससुर के पास गयी. शमशेर अपने घुटनों के बल बैठ गया और मनोरमा उसके लौंड़े के ऊपर चढ़ गयी. मनोरमा ने अपनी चुन्चिया ससुर के मुंह में दे दीं. शमशेर ने बहु की चुन्चिया चूसी और लंड को बहु की चूत की गहराइयों में डुबाया.
"ओह....ओह... मर गयी रे .....पापा जी तुम्हारा औज़ार तुम्हारे बेटे से बड़ा है .....चोदो मुझे.......मेरी फाड दो पापा जी......."
शमशेर ने अपना लंड लपालप अपनी बहु की चूत के हवाले किया और बहु को तो तब तक चोदा जब तक मज़ा न आ जाए.
मनोरमा चुदाई करवाते हुए बोली, "पापा प्लीज मेरी चूत में अपना पानी डाल के झडो ......प्लीज...."
शमशेर ने मनोरमा की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए निकला और मनोरमा के मुंह में डाल के बोला, " ये ले बहु चूस ले इसे....पी ले इस का रस ....
"
मनोरमा ने अपने ससुर का लंड जम के चूसा पर ससुर को मनोरमा की चूत में लंड डाल के ही झाड़ना पड़ा.
"ये ले चख ले मेरा वीर्य", शमशीर ने झड के मनोरमा को बोला.
"ओह मेरे मुंह में अपना सारा माल जमा कर दो पापा जी जानेमन", मनोरमा आँख मारते हुए बोली.
दोनों चुदाई से थक चुके थे, इसके पहले की मनोरम का पति रवि उठे उसने अपने साडी ठीक की और घर में चली गयी. शमशेर ने अपना गीला लंड अपने जांघिये में डाला और खेतों पर राउंड मारने निकल गया.
मनोरमा को पता था की उसके अच्छे दिन आने आ चुके हैं. और बहुत ही खुश थी.
मनोरमा जब से शादी कर के फुर्सतगंज आयी थी, हर रात कोई उसकी "चोरी" से चुदाई कर रहा था. शुरू में तो उसे पता नहीं चला की उसका ये गुप्त प्रेमी कौन है, पर एक दो सप्ताह में ही उसने पता कर लिया की वो और कोई नहीं उसके ससुर शमशेर खुद थे. ऐसी बातें जब परदे से बाहर आ जाएँ तो फिर चुदाई का कार्यक्रम कहीं भी और कभी भी हो जाता है. मनोरमा और शमशेर के बीच में कुछ ऐसा ही होने लगा. पति रवि को सोता छोड़ कर और अपने दोनों देवरों राजेश और अनिल की आँखों में धुल झोंक कर मनोरमा अपने ससुर के साथ वासना के खेल कभी भी खेल लेती थी.
पर एक बात तो तय है, ऐसी बातें ज्यादा दिन तक छुपती नहीं हैं. एक दिन जब शमशेर मनोरमा को घोडी बना कर पीछे से उसे छोड़ रहा था, अनिल और राजेश ने उन दोनों को देख लिया. ऐसा चुदाई का दृश्य देखते ही दोनों का लंड एक दम खड़ा हो गया और उन्होंने मन ही मन में तय किया वो भी जल्दी ही मौका देख कर मनोरमा के कामुक शरीर का भोग लगायेंगे.
और ऐसा मौका उन्हें दो दिन बाद ही मिल गया. उस दिन शमशेर पंचायत के काम के सिलसिले में सुबह ही शहर निकल गया था. रवि रोज की तरह अपनी नाईट ड्यूटी कर के नाश्ता कर के सो रहा था. उन दिन ज्यादा थक कर वापस आया था, सो उसने मनोरमा को छोड़ा भी नहीं और खा कर सीधे सोने चला गया. आज मनोरमा को थोडा बुरा लग रहा था की उसे छोड़ने वाले दोनों लोग उपलब्ध नहीं थे. उसने सोचा की थोड़े घर के काम के काम ही कर लिए जाएँ.
पर उसे ये बिलकुल आभास नहीं था की उसके कामुक शरीर में घुसने के लिए दो दो लंड कुछ दिनों से लालायित थे. जिस समय वो घर के बाहर पौधों को पानी दे रही थी. उस समय राजेश और अनिल बगल में तबेले में काम कर रहे थे.
राजेश ने उसे तबेले में मदद के लिए बुलाया. मनोरमा जैसे ही तबेले में घुसी, दोनों ने उसे पकड़ कर वहां पडी चारपाई पर जबरन लिटा दिया. मनोरमा ने अपनी शक्ति के अनुरूप अपने देवरों की जबरदस्ती का पूरा विरोध किया. ये सा कुछ इतना अचानक हुआ की उसकी आवाज निकले उससे पहले अनिल ने उसकी साडी और पेटीकोट खींच के फ़ेंक दिया गया. और राजेश उसका ब्लाउज खोल रहा था. मनोरमा अपने ससुर जी की सहूलियत के चड्ढी वैसे भी नहीं पहनती थी. सो दो मिनट में वो वहां दो जवान लड़कों के सामने पूरी नंग धडंग पडी हुई थी.
मनोरम ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. उसे अब ये तो पता था की उसके साथ अब क्या होने वाला है. हालांकि वो कोई दूध की धुली नहीं थी, पर उसे देवरों के सामने इस प्रकार से बल के ऐसे प्रयोग से नंगा हो कर लेटना अच्छा नहीं लग रहा था. उसने चुदाई तो बहुत की थी, पर दो दो लंडों का स्वाद एक साथ लेने का यह पहला अवसर था. इस बात को सोच कर उसकी चूत में अजीब तरह की प्यास जग गयी.
राजेश ने अपना लंड बिना किसी निमंत्रण के अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया और अपना सुपदा अन्दर किया. मनोरमा सिहर उठी. मनोरमा की चूत थोडा गीली थी सो लंड दो तीन धक्कों में अपने मुकाम पर पहुच गया. दूसरा देवर अनिल अनिल उसकी चून्चियां चूसने ऐसे चूस रहा था मानों वो कोई स्वादिष्ट पके हुए आम हों. मनोरमा को अब इस खेल में मजा आना शुरू हो गया था और वो सिसकारी लेने लगी.
राजेश का लंड अपने पिता शमशेर से छोटा था पर साइज़ में मोटा था. इस लिए जब भी राजेश धक्का लगता था, मनोरमा की चूत और फैलती थी और उसे ज्यादा आनंद आ रहा था. उसने अपनी ऑंखें खोल लीं, अपनी टाँगे राजेश की गांड के दोनों तरफ फंसा कर मनोरमा अपनी गांड उठा उठा कर राजेश का लंड अपनी गीली चूत में लेने लगी. फचफच की आवाज तबेले में गूँज रही थी.
"चोदो मुझे राजेश....." मनोरमा पहली बार मुंह खोल कर कुछ बोली.
राजेश ने अपनी भाभी की चूत में अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी. और अनिल ने खुले मुंह का लाभ उठा कर उसके मुंह में अपना हथियार घुसा दिया. मनोरमा पूरे मजे ले ले कर उसे चूसने लगी. अपने मादक शरीर में दो दो लंडों को अन्दर बाहर होने के अनुभर से भाव विभोर गयी.
"अरे क्या मस्त चूत है तुम्हारी भाभी. पूरे गाँव में इतनी मौज और किसी लडकी ने नहीं दी मुझे", राजेश उसे चोदते हुए बोला.
"ये ले ....मेरा ल...अ...अं....न्ड....."
मनोरमा समझ गयी की राजेश अब बस झड़ने ही वाला है. वह जोर जोर से अपनी गांड उठाते हुए मरवाने लगी. अगले ४-५ ढाकों के बाद राजेश ने अपने लंड का पानी मनोरमा की चूत में उड़ेल दिया.
राजेश ने अपना लंड निकाला और अनिल को इशारा किया की अब वो भी अपने भाभी के हुस्न का सेवन करे.
अनिल ने मनोरमा को उल्टा किया और उसकी गांड पकड़ कर उठाने लगा. मनोरमा समझ गयी की ये देवर उसी कुतिया के पोस में चोदना चाह रहा है सो वह तुरतं घुटनों के बल हो गयी. राजेश का वीर्य उसकी चूत से निकल कर झांघों से बहने लगा. अनिल ने अपना लंड एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया और फुर्ती से चोदने लगा.
अनिल का मोटा लंड मनोरमा की चूत बुरी तरह से चोद रहा था. पीछे से चोदते हुए उसने उसकी चून्चियों को अपने हाथों से सहलाते हुए फुसफुसाया
"मैं और राजेश तुम्हें रोज इसी तरह से अच्छे से चोदेंगे. तुम्हारी चूत में अपने लंड डाल डाल के तुम्हारी क्रीम निकालेंगे रोज हम दोनों भाई. ठीक है न भाभी?"
"हाँ....हाँ ...मुझे तुम दोनों इसी तरह से मजे देना रोज....आह ...आह .....रोज ......" मनोरमा ने पूरे आनंदित स्वर में जवाब दिया.
ये सुन कर अनिल ने अपने चुदाई की रफ़्तार बाधा दी. उसकी जांघें मनोरमा के चूतडों से टकरा टकरा कर जैसे संगीत बनाने लगीं.
"ओह ...ओह...मैं गया ....ये ले ..मेरा सारा रस ....अपनी चूत में ......"
ये कहते कहते अनिल ने अपना लंड पूरी जोर से घुसा दिया और झड गया. मनोरमा को ऐसा लगा मानो उसकी चूत के गहराई में जा कर किसी ने वाटर जेट चला दिया हो.
मनोरमा बड़ी खुश थी, उसके पास तीन तीन मर्द थे जो उसे रोज कभी भी जवानी का सुख देने को तैयार रहते थे. उसके जैसी कामुक स्त्री के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं था,
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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