FUN-MAZA-MASTI
चुदक्कड़ घोड़ियाँ -4
भोंदू जितना ज़ोर से उनकी मस्त ठुकी हुई गांड में धक्का मारता काकी को उतना ही आनंद आता. भोंदू जितना ज़ोर से चुटिया खींचता काकी को उतना ही ज्यादा मज़ा आता. वैसे आम तौर पे सर के बाल खींचने पे बड़ा दर्द होता है. अगर कोई मजाक में भी आपके बाल खींच दे तो उसे चांटे मारने का मन करता है. इसलिए मैं उस समय यही सोच रही थी कि भोंदू इतनी ज़ोर से काकी की चुटिया पकड़कर खींच रहा है और काकी दर्द की बजाए मज़े से चिल्ला रही हैं. पर अब मुझे समझ में आया कि ज्यादातर लड़कियों और औरतों को चुदाई के वक़्त अपने सर के बाल ज़ोरों से खींचवाने में बड़ा मज़ा आता है. मर्द जब चोदते वक़्त बाल खींचते हैं तो चुदाई का मज़ा डबल हो जाता है. ये मैं अब अपने एक्सपीरियंस से कह रहीं हूँ. और शायद लड़कों को भी इस तरह चोदने में मज़ा आता है. लड़के भी ज्यादातर तो लड़कियों को घोड़ी बनाकर या कुतिया स्टाइल में चोदना पसंद करते हैं. मुझे भी कुतिया स्टाइल में चुदना बहुत पसंद है. हालाँकि अगर मस्त मंझा हुआ मर्द हो तो हर आसन में चुदाई का मज़ा आता है पर चुदते टाइम बाल खींचवाने का मज़ा तो कुतिया स्टाइल में ही आता है. और अगर मर्द मेरे चचेरे भाई संजय भैया जैसा हो तो कोई भी लड़की हर वक़्त चुदने के लिए बेताब रहेगी. संजय भैया मेरे सुरेश चाचा के लड़के हैं.मस्त कलाकार हैं वो तो. मैं तो उन्हें चुदाई कलाकार कहती हूँ. वो दिल्ली में IIT से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर रहे है. जब वो सेकंड इयर में थे 2 साल पहले तब में पहली बार दिल्ली गयी थी गर्मी की छुट्टियों में. दरसल संगीता बुआ (जो अपने पती को छोड़ के सुरेश चाचा के साथ ही रहतीं हैं) ही मुझे अपने साथ दिल्ली ले गयीं थीं. उन्होंने ही मुझे बताया था कि संजय भैया चुदाई में खूब उस्ताद हैं और हर बार वो अलग ही अंदाज़ में चुदाई करतें है. संजय भैया ने हॉस्टल की बजाय साउथ एक्स में एक मस्त 2 बेडरूम फ्लैट किराये पर ले रखा था. वो दरसल मेरे सबसे छोटे मामा मोनू मामा के एक दोस्त बिन्नी का फ्लैट था. उस बिल्डिंग डी-7 में 4 और फ्लैट थे पर सब के सब खाली थे क्योंकि बिन्नी ने किराया बहुत ज्यादा कर रखा था. सभी फ्लैट्स की चाबी संजय भैया के पास ही रहती थी क्योंकि बिन्नी 2 साल के लिए थाईलैंड चला गया था. एक तरीके से संजय भैया उस पूरी बिल्डिंग में अकेले रहते थे. ये डी-7 बिल्डिंग मेरी सबसे हसीं यादों में रहेगी. जितनी चुदाई मेरी इस बिल्डिंग में हुई है शायद पूरी ज़िन्दगी में भी मेरी इतनी चुदाई कभी नहीं होगी. इस बिल्डिंग का कोई कोना संजय भैया से ऐसा नहीं छोड़ा जहाँ उन्होंने मेरी चुदाई न की हो. कभी किचन तो कभी बाथरूम में मेरी गांड मारना. कभी पार्किंग लोट में कार के बोनट पर मेरी चुदाई करना. कभी जीने की पैड़ियों पे झुका के ज़ोरों से चोदना. कई बार तो उन्होंने मेरी बिल्डिंग की छत पे खुले में चुदाई की. संगीता बुआ तो सिर्फ 4 दिन के लिए कह के लायीं थीं मुझे संजय भैया के पास. पर मुझे इतना मज़ा इन चार दिनों में मिला था कि मैंने बुआ को अकेले ही वापस जाने को कह दिया और अपनी मम्मी से बात करके पुरे 2 महीने संजय भैया के पास रही. पहले 2 दिन तो संजय भैया ने मुझे और संगीता बुआ को अकेले ही चोदा पर संगीता बुआ को ब्रुटल और रफ सेक्स भी पसंद है. संगीता बुआ को बंधवा चुदाई की लत भी संजय भैया ने ही लगाई थी. दरसल संजय भैया ने उस बिल्डिंग के बेसमेंट में अपनी सेक्स वर्कशॉप बना रखी थी. इसी बेसमेंट में वो उन औरतों की चुदाई करते थे जो बंधवा चुदाई पसंद करती थीं. कई तरह की टेबल, कुर्सी, तख्ते, रसियाँ, हुक्स, डिलडो, क्लिप्स, हंटर, स्टिक्स, बूट्स, हैण्ड कफ़, चेन्स वघेर उस बेसमेंट में थे. और अगले दो दिन बुआ की खूब चुदाई हुई बेसमेंट में. उन्हें भैया ने दो दिनों तक बेसमेंट में नंगा बांध कर रखा और कई विचित्र आसनों और स्टाइल में संगीता की चूत चोदी और गांड मारी. चोथे दिन तो संगीता बुआ के कहने पर भैया ने अपने चार दोस्तों को और बुलाया और फिर पुरे दिन बेसमेंट में संगीता का गैंग बैंग हुआ. इन दो दिनों में मैं भी नंगी तो थी पर संजय भैया ने मुझे एक बार भी नहीं चोदा और ना ही अपने दोस्तों को चोदने दिया जबकि मैं भी बेसमेंट में ये गैंग बैंग देख रही थी. दरसल संजय भैया इस मामले में बहुत अच्छे हैं. वो लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं करते. बहुत ज्यादा ध्यान रखतें हैं. वो दो दिन संगीता बुआ को पूरा मस्त और खुश कर देना चाहते थे क्योंकि बुआ को जरूरी जाना था. मैंने तो भैया से कह ही दिया था कि मैं अपनी पूरी छुट्टी उनके साथ रहूँगी और खूब चुदुंगी. बंधवा चुदाई तो खुद बुआ की इच्छा थी. पर बेसमेंट में भी भैया बुआ का पूरा ख्याल रख रहे थे और बस उतना ही दर्द बुआ को दे रहे थे जितना वो झेल सकती थीं. उसके बाद बुआ चली गयीं और संजय भैया ने पुरे 55 दिनों तक मुझे बिल्डिंग में बिलकुल नंगा रखा. इन 55 दिनों की डी-7 बिल्डिंग की सारी घटनाएं लिखने के लिए मुझे पूरी एक किताब लिखनी पड़ी. जल्द ही आपको मेरी ये किताब “D-7 और चुदाई के वो 55 दिन” पढ़ने को मिलेगी. इन 55 दिनों में संजय भैया ने अपनी कई फैंटेसी पूरी की. मैंने जो भी कपड़े इन 55 दिनों में पहने वो सिर्फ भैया की फैंटसी के हिसाब से. तब मुझे पता चला था कि कपड़ों से कितना फ़र्क पड़ता है. भैया कभी मुझे सलवार सूट पहनाते तो कभी मेरा लिबास किसी बर्तन मांझने वाली जैसे कर देते. कभी वो मुझे निक्कर पहनाते और कभी स्कर्ट. कभी पतली पतली डोरियों वाला घागरा चोली ले आते तो कभी जीन्स. एक बार तो 5-6 मर्दों वाले कच्छे बनवा लाये जो मर्द लोग गाँव में पहनते हैं पटे और नाड़े वाले. मुझे सिर्फ वो नाड़े वाला पटे वाला कच्छा पहनाते और बहुत उत्तेजित हो जाते. वो मुझे उस पटे वाले धारीदार कच्छे में देख के पागल हो जाते और बिना नाड़े को खोले मेरे कच्छे को फाड़ देते और फिर खूब जी भर कर मेरी गांड चोदते. वो कभी सिर्फ पाजेब पहनाते और चोदते तो कभी हाथों और पैरों में घुंगरू बाँध कर इधर उधर दोडा दोडा के मुझे भागने को कहते और फिर मुझे भागते हुए पकड़ कर मुझे हुमच हुमच के चोदते. इन 55 दिनों में उन्होंने चुदाई मज़ेदार बनाने के लिए सैकड़ो जोड़ी अलग अलग तरह की ब्रा पैंटी मंगाई मेरे लिए. मेरे लिए उन्होंने इन्टरनेट से 400 कच्छियाँ आर्डर की, कई तरह की जुराबे आर्डर की, अलग अलग किस्म के निक्कर और पजामे, सैंडल और जूते, चप्पल. ये सब कुछ सिर्फ चोदने के लिए. उन 55 दिनों में उन्होंने एक लाख रु से भी ज्यादा खर्चा किया. वो चुदाई को कला समझते थे. मेरा अलग अलग तरह से मेक-उप करते थे. उन्हें मेक-उप करना खूब अच्छे से आता था. मेरी चुदाई करने से पहले वो टाइम लगा के खूब अच्छे से मेरा मेक-उप करते. मेरे होंठों पे और गांड के छेद पे लिपिस्टिक लगाते, मेरे गालों और चूत पे फेस पैक और लाली लगाते. बालों के साथ तो भैया ने खूब प्रयोग किये. कभी मेरी दो चोटी बना देते तो कभी एक लम्बी मोटी चोटी. कभी जुड़ा बना देते तो कभी जुड़ा खोल के सब बाल बिखेर देते. और चुदाई भी बड़े ही नए नए ढंग से करते थे. स्टाइल के नाम भी मैंने उन्ही से सीखें. जैसे कि घोड़ी स्टाइल, कुतिया स्टाइल, बत्तख स्टाइल, मेंढकी स्टाइल, बकरी स्टाइल, तितली स्टाइल, खड़ी घोड़ी स्टाइल, उलटी मुर्गी स्टाइल, कददू चोदन स्टाइल, लेटी हंडिया स्टाइल और तमाम कामसूत्र के आसन. “D-7 और चुदाई के वो 55 दिन” में आप विस्तार से इन सभी स्टाइल में संजय भैया को मेरी चुदाई करते देखेंगे. काश आप सचमुच देख पाते!!
खेर मैं स्टोरी पे वापस आती हूँ. अब मुन्ना और नंदू के चूतड़ धीरे धीरे हिलने लगे थे और उनके लंड दीदी और मम्मी के गांड में अंदर बाहर होने लगे थे. दीदी ज़ोरों से कर्राह उठी जैसे ही मुन्ना के लंड ने उनकी गांड चोदनी शुरू की. उधर मम्मी भी फिर से चीखने लगीं पर अब उनकी बीच बीच में आनंद भरी सिसकी भी निकल रही थी खासकर तब जब नंदू अपने लंड को उनकी गांड में अंदर घुसाता. लंड के बाहर निकलने पे मम्मी “ऊउईईईईईईईईईई” करतीं और लंड के वापस अंदर जाने पे “आःह्ह्ह” करतीं. पर दीदी अभी भी “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”...कर रहीं थीं. पर मुन्ना और नंदू अब पुरे मस्त हो चले थे. नंदू तो बस 10 मिनट के बाद ही मम्मी की गांड को आधे से भी ज्यादा लंड बाहर निकाल कर ज़ोरों से चोदने लगा था. मम्मी की गांड में उसने बहुत सारा मक्खन जो भर दिया था अपना लंड डालने से पहले जिसकी वजह से नंदू की घोड़ी की गांड 10 मिनट की चुदाई में ही रवां हो गयी और नंदू का लंड आधे से भी ज्यादा गांड से बाहर आकर बार बार मम्मी की गांड पे पूरा घुस रहा था. मम्मी अब मज़ा से बहकनी शुरू हो गयीं थीं.
“आआअह्ह्ह्ह ............नंदू.............. .ऊऊऊह्ह्ह्ह..........ऐसे
ही...........उफ्फ्फफ्फ्फ़...... .कितनी मस्ती आ रही
है......आआह्ह्ह.......नन्न्न् नंदु.........ऐसे
ही.........ऊऊऊउहहहहहहहह...... चोद दाल इन पपीते जैसे चूतडों
को...........आःह्ह्हह्ह्हह्ह् ह्ह .......... मेरे चूतडों पे थप्पड़
मार..........उफ्फ्फ्फ़......... ..मुझे रंडी की तरह
चोद........नंदू.........ज़ोर से” मम्मी अब मस्ती में आ गयीं थीं.
तभी मुझे दीदी की मस्ती भी सुनाई पड़ी.
“ओह्ह्ह्हह..........मुन्ना.... ........कितना मोटा है तुम्हारा
लंड.........उन्न्न्हह्ह....... ..ज़ोर से चोदो अब...........मैं मरी जा रही
हूँ.” दीदी को मज़ा आने लगा था पर उनके चेहरे से लग रहा था कि दीदी को अभी
भी काफी दर्द हो रहा था. मुन्ना काका का लंड वाकई बहुत मोटा था. पर दीदी की
गांड अब लंड को थोड़ी जगह दे रही थी और मुन्ना काका भी लंड को दीदी की गांड
से 3-4 इंच तक बाहर निकाल कर चोद रहे थे. मुन्ना काका अभी भी लगातार अपने
गांड चोदते लंड पर थूके जा रहे थे और दीदी भी बीच बीच में कुछ थूक अपने हाथ
में लेकर अपनी चुदती गांड पर मल देती थीं. ऐसा करने से दीदी की गांड भी
कुछ देर में रवां हो गयी और पूरी फेल कर मुन्ना का लंड निगलने लगी. काका
पूरा लंड दीदी की गांड से बाहर निकाल देते बस लंड की नथुनी ही दीदी की गांड
में घुसी रहती और फिर काका ज़ोर से लंड को पूरा दीदी की गांड में घुसा
देते.
“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.... .........काकाआआआआ............. ” लंड घुसते ही दीदी की मस्ती मुंह से बाहर आने लगती.
“ओह्ह्ह.....चाचा कितना आनंद आ रहा है सुधिया की गांड मारने में................उफ्फ्फ्फ़... ....चाचा कितनी फ़ोकी है मालकिन की
गांड.............बड़ा मज़ा आ रहा है चाचा.... “चटाक” “चटाक” “चटाक” “चटाक”
“चटाक” “चटाक”..........ये ले रंडी..........ह्हुन्न्न...... चल मेरी घोड़ी
तिक तिक तिक..... ......चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक..... ......चल मेरी घोड़ी
तिक तिक तिक..... ......चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक..... ......चल मेरी घोड़ी
तिक तिक तिक.....” नंदू मम्मी की गांड पे थप्पड़ मारने लगा और उनकी चुटिया
ज़ोर से पकड़ ली. वो अब ज़ोरों से गांड को चोद रहा था. अपने पंजों पे खड़ा होके
खूब उछल उछल के गांड चोद रहा था. चुटिया तो ऐसे पकड़ रखी थी जैसे अपनी घोड़ी
की लगाम पकड़ रखी हो. चुटिया पकड़ने से मम्मी का चेहरा ऊपर की तरफ हो गया और
वो मज़ा से “हाय”..... “हाय” कर उठी और बड़ी ज़ोर से झड़ गयीं. वो शायद पहले
भी कई बार झड़ गयीं थी पर इस बार तो उनकी चीख़ निकल गयी.
“आआआआआआआआआआअ .........मैं गयी नंदू...........”
“चटाक” “चटाक” “चटाक”........नंदू मम्मी की नंगी गांड पे और ज़ोर से तमाचे लगाने लगा जिससे झड़ते वक़्त उनकी मस्ती और बढ़ गयी. ये तो सभी चुदी हुई औरतें जानती हैं की झड़ते टाइम अगर मर्द चूतडों पे थप्पड़ मारता है तो औरत जैसे हवा में उड़ती हुई झड़ती है.
फिर नंदू ने एकदम से अपने लंड को गांड से बाहर निकाल लिया. लंड पूरा मक्खन में सना था और मम्मी की गांड से भी मक्खन बह कर बाहर आने लगा था. फिर नंदू पीछे से घूम कर मम्मी के चेहरे के सामने आ गया और अपने लंड को उनके चेहरे पे रख दिया. और उसके बाद जो मम्मी ने किया वो देखकर मैं हैरान रह गयी. उन्होंने अपनी गांड के रस में भीगे उस लंड को अपने मुंह में दबा लिया. तब तक मैंने कभी लंड नहीं चूसा था. मैं अभी 4 दिन पहले ही पहली बार हीरा से चुदी थी पर मैंने काका का लंड नहीं चूसा था. हालाँकि मैं इससे पहले भी दीदी और मम्मी को लंड चूसते देख चुकी थी पर अब मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि नंदू का लंड अभी अभी गांड चोद कर बाहर निकला था और उसी लंड को मम्मी ने बिना पोंछे ही मुंह में दबा लिया और ऐसे चूस रहीं थीं जैसे कोई शहद में लिपटी कुल्फी हाथ लग गयी हो. और मेरे तोते तो जब उड़ गए जब मम्मी ने कुछ देर लंड को चूस के दीदी के मुंह के आगे कर दिया जो कि मम्मी के साथ ही घोड़ी बनी मुन्ना से अपनी गांड मरवाने के आनंद में डूबी थी. मुन्ना दीदी की गांड को मक्खन की तरह बिलों रहा था और दीदी आखें बंद करके उस आनंद में डूबी थी जब मम्मी ने नंदू का अपनी गांड से निकला लंड दीदी के मुंह से भिड़ा दिया और कहा “ले गीता चूस ले इस गुलाबजामुन को”.........और दीदी ने मुस्कुरा कर नंदू का लंड अपने मुंह में भर लिया. मुझे लगा जैसे दीदी आनंद में ये भूल गयीं कि ये लंड अभी अभी एक गांड को चोद कर बाहर निकला है पर तभी दीदी ने कहा “ओह्ह्ह्ह..........मम्मी कितना खट्टा मीठा है तुम्हारी गांड का रस.........उन्न्ह्ह.......पुन् छ्ह... पुन्छ्ह... पुन्छ्ह...” और दीदी लंड
को ऐसे चूसने और चाटने लगीं जैसे सचमुच की रसमलाई हो. तब मुझे पहली बार एक
लंड चूसने का मन किया. जब गांड में से निकले इस गंदे लंड को दीदी और मम्मी
इतने चाव से चूस रहीं हैं तो सच में लंड चूसने में कुछ तो मज़ा आता होगा.
क्योंकि मैं देख रही थी कि दीदी और मम्मी लंड को बारी बारी से चूस रहीं थीं
और हर तरफ से चाट रहीं थीं. उनका उतावलापन बता रहा था कि उन्हें लंड चूसने
में बड़ा मज़ा आ रहा था.
“उन्न्न्हह्ह ....सारा रस ख़तम हो गया हो गया मम्मी...........फिर से इसे अपनी गांड में डालो ना....... पुन्छ्ह... पुन्छ्ह... पुन्छ्ह...” दीदी ने नंदू के लंड को प्यार से चूसा और फिर पुचकार के छोड़ दिया.
नंदू ने फिर से मम्मी के पीछे आकर उनकी फूलती पिचकती गांड में फिर से लंड दाल दिया और चोदने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे लंड मम्मी के पेट में घुस गया हो. नंदू अपने लंबे लंड को पूरा का पूरा अंदर बाहर कर के गांड चोदने का मज़ा ले रहा था. फिर नंदू ने लंड को गांड से निकल कर मम्मी की गीली चूत में दाल दिया. मम्मी एकदम से कांपती हुई झड़ गयीं. लंड चूत में घुसा होने के बाद भी मम्मी की चूत का पानी किसी बौछार की तरह निकला और नंदू की जांघें भी भीग गयीं. नंदू ने फिर से लंड गांड में दाल दिया और 7-8 धक्के मार कर लंड निकल कर सीधा दीदी के मुंह के आगे लंड लेके खड़ा हो गया. दीदी ने तुरंत लंड मुंह में दबा लिया और चूसने लगीं.
“देखो ना चाचा.........तुम्हारी घोड़ी मेरी घोड़ी की गांड से निकले लंड को कैसे चूस रही है. उफफ्फ्फ्फ़.......कितना मस्त है ना ये सीन.....चूस गीता चूस........”
फिर नंदू की देखा देख मुन्ना भी अपना लंड गीता की गांड से निकाल कर सुधिया के मुंह में दाल दिया. उसने कई बार पहले भी ऐसी हरकत की थी कि जब वो दो या दो से ज्यादा औरतों को चोदता था तो उन औरतों को एक दुसरे की गांड से निकले लंड को चुसवाता था. पर उसे औरतों की इस काम के लिए तैयार करने में काफ़ी महनत करनी पड़ती थी. पर आज वो दीदी और मम्मी के साथ ऐसा पहली बार कर रहा था. इससे दोनों मस्त हो गए और बार बार गांड चोद के लंड को मम्मी और दीदी को चूसने को देते. करीब आधे घंटे वो लोग ऐसे ही करते रहे. गांड चोद कर दीदी या मम्मी को झड़ाते और फिर गांड से निकले लंड को आगे जाकर दीदी और मम्मी को चूसने को दे देते. पर वो लोग गांड का अदला बदला नहीं कर रहे थे. नंदू मम्मी की गांड ही चोद रहा था और मुन्ना दीदी की. हाँ लंड दोनों का मम्मी और दीदी दोनों मिल कर चूस रहीं थीं.
उधर भोंदू भी ज़ोरों से रम्भा काकी को अब कूद कूद कर चोदने लगा था. वो शायद झड़ने वाला था. और अगले ही पल भोंदू ज़ोर से गुर्राया और रम्भा काकी की गांड में लंड पूरा घुसेड़ कर उनकी गांड से ज़ोरों से चिपक गया. उसका पूरा जिस्म झटके खा रहा था. मैं समझ गयी कि भोंदू का मैच ये आखिरी छक्का मार कर ख़तम हो गया. भोंदू लगभग दो मिनट तक इसी तरह रम्भा काकी पे चढ़ा हुए झड़ता रहा.
मैं बड़े ग़ोर से भोंदू और रम्भा काकी को देख रही थी. झड़ने के बाद भोंदू सावधानी से काकी के ऊपर से उतरा और अपने घुटने सोफे पे टिका दिए पर लंड अभी भी काकी की गांड में रहने दिया. वो दोनों बड़ी सावधानी बरत रहे थे.
“ऊपर उठा गांड रंडी........ ‘चटाक’”.......भोंदू ने ज़ोर ने रम्भा की गांड पे थप्पड़ मारा और अपने हाथ से काकी की कमर को नीचे दबाने लगा जिससे काकी की गांड हवा में काफी ऊँची उठ गयी.
“ओह्ह्ह्ह.......भोंदू.....एक बूंद भी ख़राब मत करना ...... कटोरी में भर दे......”
मैं समझ नहीं पा रही थी कि काकी क्या बोल रहीं थीं.
“वो सामने पड़ा रुमाल उठा कुतिया........रुमाल ठूंसना पड़ेगा नहीं तो जब तक किचन से कटोरी लाऊंगा तो बहा देगी तेरी गांड.” भोंदू रम्भा के सामने पड़ा रुमाल उठाने के लिए बोला.
रम्भा काकी ने झट से रुमाल उठा कर भोंदू को दिया. भोंदू ने रुमाल लिया और उसे अपनी एक ऊँगली पे लपेट लिया. फिर उसने धीरे से अपने लंड को काकी की गांड से बाहर खीचना शुरू किया. मुझे समझ नहीं आ रहा था की भोंदू अब कर क्या रहा है. हीरा काका तो झड़ने के बाद मुझे कपड़े पहनाकर घर भगा देते थे. पर भोंदू का लंड जैसे ही काकी की गांड से बाहर आया भोंदू ने तुरंत अपनी रुमाल से लिपटी ऊँगली काकी की गांड में दाल दी और फिर अपनी ऊँगली से रुमाल को आधे से ज्यादा उनकी गांड के अंदर सरका दिया. काकी की गांड में रुमाल ठूंसने के बाद भोंदू भाग कर रसोई में गया और एक कटोरी और एक गाजर ले आया. फिर वो ताज़ी चुदी और अभी भी घोड़ी बनी हुई रम्भा काकी के पीछे जाकर सोफे पर बैठ गया और उसने गाजर सोफे पर रख दी. फिर उसने कटोरी को काकी की चुदी हुई गांड के ठीक मुंह पर लगा दिया और काकी की गांड में फंसे रुमाल को खींच कर निकाल दिया. रुमाल निकलते ही मैं समझ गयी कि वो क्या कर रहा था. क्योंकि रम्भा काकी की गांड से चावल के मांड जैसा गाढ़ा वीर्य निकलकर बहने लगा. 5-10 मिनट तक काकी गांड को भींच भींच के अपनी गांड में भरे भोंदू के वीर्य को निकालती रहीं और भोंदू उसे कटोरी में जमा करता रहा. फिर जब वीर्य निकलना बंद हो गया तो भोंदू ने कटोरी हटा ली और उनसे फिर से उस रुमाल को काकी की गांड में घुसेड़ दिया पर इस बार उसने रुमाल को उस गाजर पर लपेटकर गाजर समेत ही रम्भा काकी की गांड में काफी अंदर घुसा दिया. उसके बाद भोंदू कटोरी लेके रम्भा के चेहरे के पास जाके बैठ गया और रम्भा को कटोरी सुंघाने लगा. कटोरी सूंघते ही रम्भा काकी मदहोश सी होने लगीं और एक हाथ से भोंदू के हाथ से कटोरी लेने की कोशिश की. पर भोंदू ने काकी का हाथ हटा कर वापस सोफे पर रख दिया और फिर जो किया उसे देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उसने अपनी दो उंगलियाँ कटोरी में भरे वीर्य में डुबोयीं और फिर उन उँगलियों को उसने रम्भा काकी के होंठों पे लगा दिया. ढेर सारा वीर्य काकी के होंठों पे लग गया और काकी ने अपनी जुबान बाहर निकाल कर अपने होंठ चाट लिए. मैंने कई बार दीदी और मम्मी को चुदाई के बाद अपने जिस्म पे गिरे वीर्य को चाटते देखा था पर ये नहीं पता था मुझे कि वीर्य इतना स्वादिष्ट होता है कि औरत इस हद तक जा सकती है कि अपनी बुरी तरह चुदी गांड में भरे हुए वीर्य को भी बाहर निकाल कर चाट सकती है. तब मुझे काकी के उन शब्दों का मतलब समझ आया “ओह्ह्ह्ह.......भोंदू.....एक बूंद भी ख़राब मत करना ...... कटोरी में भर दे......”
भोंदू बार बार अपनी उँगलियाँ कटोरी में डालता और उँगलियों पे लगे रम्भा की गांड से निकले सफेद मांड को रम्भा को चटा रहा था. राभा उस गंदे वीर्य को ऐसे चाट रही थी जैसे गुलाबजामुन की चाशनी हो. उधर मुन्ना की ज़ोरों की गुर्राहट सुनकर जब मैंने मुन्ना और दीदी की तरफ देखा तो मुन्ना बुरी तरह दीदी की गांड से चिपका हुआ था. वो अपने पंजों पे खड़ा था और उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था. दीदी की चूत भी पानी बहा रही थी. मुन्ना दीदी की गांड में झड़ रहा था और शायद मुन्ना के इतनी बुरी तरह से झड़ने की वजह से दीदी भी झड़ने लगीं थीं. 2 मिनट तक झटके लेकर झड़ने के बाद मुन्ना अगले 5 मिनट तक दीदी से चिपका रहा. दीदी पूरी तरह से संतुष्ट दिख रहीं थी.
“मज़ा आया गीता बेबी ?”
“ओह्ह्ह्ह........मुन्ना काका आज तो सच में मस्त कर दिया तुमने. आज से पहले कभी भी मुझे गांड मरवाने में कुछ ख़ास मज़ा नहीं मिला था. आज तो जैसे में हवा में ही उड़ रही थी. आज तो मन कर रहा है कि तुम पुरे दिन मेरी गांड मारो. नंदू तो बड़ा दर्द करता है काका.”
“बेबी चोदते टाइम जो गालियाँ मैंने तुम्हे दी उसके लिए मुझे माफ़ करना.”
“कैसी बात करते हो काका..............गालियाँ सुनते हुए चुदवाने में तो बल्कि दुगना मज़ा आता है. तुम जब भी मुझे चोदा करो तो खूब गालियाँ दिया करो और ये कभी मत सोचना कि मैं बुरा मान जाउंगी. बल्कि अगर तुम चाहो तो मुझे कभी भी गाली दे दिया करो. बस बबिता के सामने मत देना. बाकी तो अब कोई राज़ यहाँ किसे से नहीं छुपा.”
“मेरी गुड़िया.......’पुन्छ्ह’” मुन्ना ने झुक कर दीदी की गर्दन पर चूमा और फिर धीरे धीरे दीदी के बाल सवारने लगे. उन्होंने दीदी की गांड चोदते टाइम दीदी की बालों को नोंच कर और खींच कर बुरी तरह उलझा दिया था. मुन्ना का लंड अभी भी दीदी की गांड में घुसा हुआ था और ढीला होने लगा था.”
“बेबी ज्यादा ज़ोर से तो नहीं खीचें न मैंने तेरे बाल.....?”
“नहीं काका.........बल्कि तुम जितना ज़ोर से मेरे बाल खींच रहे थे मेरी गांड में उतनी ज्यादा मस्ती आ रही थी......थैंक यू काका.........आई लव यू............अब जल्दी से मेरी गांड से अपना लंड निकालो और थोड़ी देर मुझे चूसने दो अपने वीर्य में सने चूहे को......” मैं ये सुन के हैरान हो गयी की दीदी भी वीर्य चखना चाहती थीं. तभी मम्मी बोलीं.
“अरे मुन्ना मुझे भी थोड़ा चखाना अपनी मलाई........और ज़रा ध्यान से.......लंड निकालके तुरंत अपने अंगूठे से इसकी गांड का ढ़क्कन बंद कर देना नहीं तो ये पगली इतनी कीमती मलाई उस दिन की तरह फ़र्श पे गिरा देगी. और लंड निकाल के मेरे मुंह में दाल दे.”
“नहीं मम्मी.....लंड तो काका का मैं ही चुसुंगी. गांड मेरी चुदी है और लंड की मलाई आप खाओगी. उन्होंने मेरी गांड चोदी है इसलिए उनका वीर्य भी सिर्फ मेरा ही है. और मेरी गांड में भरा वीर्य भी सिर्फ मेरा है. उस वीर्य को भी मेरा मुन्ना इसी तरह मुझे पिलाएगा जैसे उधर भोंदू भैया रम्भा काकी को पिला रहे हैं.”
“ओह्ह......गीता ऐसा मत कह ........... तू भी मेरे नंदू का वीर्य थोडा सा चाट लेना जब वो मेरी गांड मर लेगा तो..........” मम्मी दीदी से काका का वीर्य मांग रहीं थी और नंदू से बड़ी ज़ोरदार तरीके से चुद भी रहीं थी. मम्मी की गांड इतनी रवां हो गयी थी कि नंदू का लंड जब ज़ोरों से उनकी गरम, नंगी गांड चोद रहा था तो गांड में से अब बहुत आवाज़ आ रही थी जैसे कि मम्मी पाद रहीं हो. मुझे बाद में पता चला की इन्हें “मीठे पाद” कहते है क्योंकि इनमे बदबू नहीं आती पर आवाज़ बहुत आती है. और अगर मर्द बहुत सारा थूक लगा कर गांड चोद रहा थो तब तो इन मीठे पादों में बहुत ज्यादा आवाज़ आती है. इतनी आवाज़ आती है कि अगर एक कमरे में औरत की गांड चोदी जा रही हो तो दुसरे बंद कमरे में भी उसकी चुदती गांड से निकलते मीठे पाद सुने जा सकतें हैं. गांड से मीठे पाद तब ही निकलते हैं जब गांड को खूब तबियत से चोदा जाता है और गांड बिलकुल रवां हो जाती है. और मज़े की बात ये है कि जब मर्द को गांड चोदते टाइम औरत की गांड से मीठे मीठे पादों की इतनी सुरीली आवाज़ सुनाई देती है तो वो भयंकर तरीके से उत्तेजित हो जातें हैं और गांड को और भी ज़ोर लगा कर चोदने लगते हैं.
“ओह्ह्ह.....चाचा देखो न कैसे पादने लगी है चुदने से इस रंडी की गांड. हाआय्य्य्य ....... कितना पाद रही है मेरी रांड......बड़ा मज़ा आ रहा है इस तरह पादती हुई गांड चोदने में.” नंदू बुरी तरह गांड चोद रहा था मम्मी की.
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चुदक्कड़ घोड़ियाँ -4
भोंदू जितना ज़ोर से उनकी मस्त ठुकी हुई गांड में धक्का मारता काकी को उतना ही आनंद आता. भोंदू जितना ज़ोर से चुटिया खींचता काकी को उतना ही ज्यादा मज़ा आता. वैसे आम तौर पे सर के बाल खींचने पे बड़ा दर्द होता है. अगर कोई मजाक में भी आपके बाल खींच दे तो उसे चांटे मारने का मन करता है. इसलिए मैं उस समय यही सोच रही थी कि भोंदू इतनी ज़ोर से काकी की चुटिया पकड़कर खींच रहा है और काकी दर्द की बजाए मज़े से चिल्ला रही हैं. पर अब मुझे समझ में आया कि ज्यादातर लड़कियों और औरतों को चुदाई के वक़्त अपने सर के बाल ज़ोरों से खींचवाने में बड़ा मज़ा आता है. मर्द जब चोदते वक़्त बाल खींचते हैं तो चुदाई का मज़ा डबल हो जाता है. ये मैं अब अपने एक्सपीरियंस से कह रहीं हूँ. और शायद लड़कों को भी इस तरह चोदने में मज़ा आता है. लड़के भी ज्यादातर तो लड़कियों को घोड़ी बनाकर या कुतिया स्टाइल में चोदना पसंद करते हैं. मुझे भी कुतिया स्टाइल में चुदना बहुत पसंद है. हालाँकि अगर मस्त मंझा हुआ मर्द हो तो हर आसन में चुदाई का मज़ा आता है पर चुदते टाइम बाल खींचवाने का मज़ा तो कुतिया स्टाइल में ही आता है. और अगर मर्द मेरे चचेरे भाई संजय भैया जैसा हो तो कोई भी लड़की हर वक़्त चुदने के लिए बेताब रहेगी. संजय भैया मेरे सुरेश चाचा के लड़के हैं.मस्त कलाकार हैं वो तो. मैं तो उन्हें चुदाई कलाकार कहती हूँ. वो दिल्ली में IIT से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर रहे है. जब वो सेकंड इयर में थे 2 साल पहले तब में पहली बार दिल्ली गयी थी गर्मी की छुट्टियों में. दरसल संगीता बुआ (जो अपने पती को छोड़ के सुरेश चाचा के साथ ही रहतीं हैं) ही मुझे अपने साथ दिल्ली ले गयीं थीं. उन्होंने ही मुझे बताया था कि संजय भैया चुदाई में खूब उस्ताद हैं और हर बार वो अलग ही अंदाज़ में चुदाई करतें है. संजय भैया ने हॉस्टल की बजाय साउथ एक्स में एक मस्त 2 बेडरूम फ्लैट किराये पर ले रखा था. वो दरसल मेरे सबसे छोटे मामा मोनू मामा के एक दोस्त बिन्नी का फ्लैट था. उस बिल्डिंग डी-7 में 4 और फ्लैट थे पर सब के सब खाली थे क्योंकि बिन्नी ने किराया बहुत ज्यादा कर रखा था. सभी फ्लैट्स की चाबी संजय भैया के पास ही रहती थी क्योंकि बिन्नी 2 साल के लिए थाईलैंड चला गया था. एक तरीके से संजय भैया उस पूरी बिल्डिंग में अकेले रहते थे. ये डी-7 बिल्डिंग मेरी सबसे हसीं यादों में रहेगी. जितनी चुदाई मेरी इस बिल्डिंग में हुई है शायद पूरी ज़िन्दगी में भी मेरी इतनी चुदाई कभी नहीं होगी. इस बिल्डिंग का कोई कोना संजय भैया से ऐसा नहीं छोड़ा जहाँ उन्होंने मेरी चुदाई न की हो. कभी किचन तो कभी बाथरूम में मेरी गांड मारना. कभी पार्किंग लोट में कार के बोनट पर मेरी चुदाई करना. कभी जीने की पैड़ियों पे झुका के ज़ोरों से चोदना. कई बार तो उन्होंने मेरी बिल्डिंग की छत पे खुले में चुदाई की. संगीता बुआ तो सिर्फ 4 दिन के लिए कह के लायीं थीं मुझे संजय भैया के पास. पर मुझे इतना मज़ा इन चार दिनों में मिला था कि मैंने बुआ को अकेले ही वापस जाने को कह दिया और अपनी मम्मी से बात करके पुरे 2 महीने संजय भैया के पास रही. पहले 2 दिन तो संजय भैया ने मुझे और संगीता बुआ को अकेले ही चोदा पर संगीता बुआ को ब्रुटल और रफ सेक्स भी पसंद है. संगीता बुआ को बंधवा चुदाई की लत भी संजय भैया ने ही लगाई थी. दरसल संजय भैया ने उस बिल्डिंग के बेसमेंट में अपनी सेक्स वर्कशॉप बना रखी थी. इसी बेसमेंट में वो उन औरतों की चुदाई करते थे जो बंधवा चुदाई पसंद करती थीं. कई तरह की टेबल, कुर्सी, तख्ते, रसियाँ, हुक्स, डिलडो, क्लिप्स, हंटर, स्टिक्स, बूट्स, हैण्ड कफ़, चेन्स वघेर उस बेसमेंट में थे. और अगले दो दिन बुआ की खूब चुदाई हुई बेसमेंट में. उन्हें भैया ने दो दिनों तक बेसमेंट में नंगा बांध कर रखा और कई विचित्र आसनों और स्टाइल में संगीता की चूत चोदी और गांड मारी. चोथे दिन तो संगीता बुआ के कहने पर भैया ने अपने चार दोस्तों को और बुलाया और फिर पुरे दिन बेसमेंट में संगीता का गैंग बैंग हुआ. इन दो दिनों में मैं भी नंगी तो थी पर संजय भैया ने मुझे एक बार भी नहीं चोदा और ना ही अपने दोस्तों को चोदने दिया जबकि मैं भी बेसमेंट में ये गैंग बैंग देख रही थी. दरसल संजय भैया इस मामले में बहुत अच्छे हैं. वो लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं करते. बहुत ज्यादा ध्यान रखतें हैं. वो दो दिन संगीता बुआ को पूरा मस्त और खुश कर देना चाहते थे क्योंकि बुआ को जरूरी जाना था. मैंने तो भैया से कह ही दिया था कि मैं अपनी पूरी छुट्टी उनके साथ रहूँगी और खूब चुदुंगी. बंधवा चुदाई तो खुद बुआ की इच्छा थी. पर बेसमेंट में भी भैया बुआ का पूरा ख्याल रख रहे थे और बस उतना ही दर्द बुआ को दे रहे थे जितना वो झेल सकती थीं. उसके बाद बुआ चली गयीं और संजय भैया ने पुरे 55 दिनों तक मुझे बिल्डिंग में बिलकुल नंगा रखा. इन 55 दिनों की डी-7 बिल्डिंग की सारी घटनाएं लिखने के लिए मुझे पूरी एक किताब लिखनी पड़ी. जल्द ही आपको मेरी ये किताब “D-7 और चुदाई के वो 55 दिन” पढ़ने को मिलेगी. इन 55 दिनों में संजय भैया ने अपनी कई फैंटेसी पूरी की. मैंने जो भी कपड़े इन 55 दिनों में पहने वो सिर्फ भैया की फैंटसी के हिसाब से. तब मुझे पता चला था कि कपड़ों से कितना फ़र्क पड़ता है. भैया कभी मुझे सलवार सूट पहनाते तो कभी मेरा लिबास किसी बर्तन मांझने वाली जैसे कर देते. कभी वो मुझे निक्कर पहनाते और कभी स्कर्ट. कभी पतली पतली डोरियों वाला घागरा चोली ले आते तो कभी जीन्स. एक बार तो 5-6 मर्दों वाले कच्छे बनवा लाये जो मर्द लोग गाँव में पहनते हैं पटे और नाड़े वाले. मुझे सिर्फ वो नाड़े वाला पटे वाला कच्छा पहनाते और बहुत उत्तेजित हो जाते. वो मुझे उस पटे वाले धारीदार कच्छे में देख के पागल हो जाते और बिना नाड़े को खोले मेरे कच्छे को फाड़ देते और फिर खूब जी भर कर मेरी गांड चोदते. वो कभी सिर्फ पाजेब पहनाते और चोदते तो कभी हाथों और पैरों में घुंगरू बाँध कर इधर उधर दोडा दोडा के मुझे भागने को कहते और फिर मुझे भागते हुए पकड़ कर मुझे हुमच हुमच के चोदते. इन 55 दिनों में उन्होंने चुदाई मज़ेदार बनाने के लिए सैकड़ो जोड़ी अलग अलग तरह की ब्रा पैंटी मंगाई मेरे लिए. मेरे लिए उन्होंने इन्टरनेट से 400 कच्छियाँ आर्डर की, कई तरह की जुराबे आर्डर की, अलग अलग किस्म के निक्कर और पजामे, सैंडल और जूते, चप्पल. ये सब कुछ सिर्फ चोदने के लिए. उन 55 दिनों में उन्होंने एक लाख रु से भी ज्यादा खर्चा किया. वो चुदाई को कला समझते थे. मेरा अलग अलग तरह से मेक-उप करते थे. उन्हें मेक-उप करना खूब अच्छे से आता था. मेरी चुदाई करने से पहले वो टाइम लगा के खूब अच्छे से मेरा मेक-उप करते. मेरे होंठों पे और गांड के छेद पे लिपिस्टिक लगाते, मेरे गालों और चूत पे फेस पैक और लाली लगाते. बालों के साथ तो भैया ने खूब प्रयोग किये. कभी मेरी दो चोटी बना देते तो कभी एक लम्बी मोटी चोटी. कभी जुड़ा बना देते तो कभी जुड़ा खोल के सब बाल बिखेर देते. और चुदाई भी बड़े ही नए नए ढंग से करते थे. स्टाइल के नाम भी मैंने उन्ही से सीखें. जैसे कि घोड़ी स्टाइल, कुतिया स्टाइल, बत्तख स्टाइल, मेंढकी स्टाइल, बकरी स्टाइल, तितली स्टाइल, खड़ी घोड़ी स्टाइल, उलटी मुर्गी स्टाइल, कददू चोदन स्टाइल, लेटी हंडिया स्टाइल और तमाम कामसूत्र के आसन. “D-7 और चुदाई के वो 55 दिन” में आप विस्तार से इन सभी स्टाइल में संजय भैया को मेरी चुदाई करते देखेंगे. काश आप सचमुच देख पाते!!
खेर मैं स्टोरी पे वापस आती हूँ. अब मुन्ना और नंदू के चूतड़ धीरे धीरे हिलने लगे थे और उनके लंड दीदी और मम्मी के गांड में अंदर बाहर होने लगे थे. दीदी ज़ोरों से कर्राह उठी जैसे ही मुन्ना के लंड ने उनकी गांड चोदनी शुरू की. उधर मम्मी भी फिर से चीखने लगीं पर अब उनकी बीच बीच में आनंद भरी सिसकी भी निकल रही थी खासकर तब जब नंदू अपने लंड को उनकी गांड में अंदर घुसाता. लंड के बाहर निकलने पे मम्मी “ऊउईईईईईईईईईई” करतीं और लंड के वापस अंदर जाने पे “आःह्ह्ह” करतीं. पर दीदी अभी भी “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”... “उनन्न्हू”...कर रहीं थीं. पर मुन्ना और नंदू अब पुरे मस्त हो चले थे. नंदू तो बस 10 मिनट के बाद ही मम्मी की गांड को आधे से भी ज्यादा लंड बाहर निकाल कर ज़ोरों से चोदने लगा था. मम्मी की गांड में उसने बहुत सारा मक्खन जो भर दिया था अपना लंड डालने से पहले जिसकी वजह से नंदू की घोड़ी की गांड 10 मिनट की चुदाई में ही रवां हो गयी और नंदू का लंड आधे से भी ज्यादा गांड से बाहर आकर बार बार मम्मी की गांड पे पूरा घुस रहा था. मम्मी अब मज़ा से बहकनी शुरू हो गयीं थीं.
“आआअह्ह्ह्ह ............नंदू..............
तभी मुझे दीदी की मस्ती भी सुनाई पड़ी.
“ओह्ह्ह्हह..........मुन्ना....
“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....
“ओह्ह्ह.....चाचा कितना आनंद आ रहा है सुधिया की गांड मारने में................उफ्फ्फ्फ़...
“आआआआआआआआआआअ .........मैं गयी नंदू...........”
“चटाक” “चटाक” “चटाक”........नंदू मम्मी की नंगी गांड पे और ज़ोर से तमाचे लगाने लगा जिससे झड़ते वक़्त उनकी मस्ती और बढ़ गयी. ये तो सभी चुदी हुई औरतें जानती हैं की झड़ते टाइम अगर मर्द चूतडों पे थप्पड़ मारता है तो औरत जैसे हवा में उड़ती हुई झड़ती है.
फिर नंदू ने एकदम से अपने लंड को गांड से बाहर निकाल लिया. लंड पूरा मक्खन में सना था और मम्मी की गांड से भी मक्खन बह कर बाहर आने लगा था. फिर नंदू पीछे से घूम कर मम्मी के चेहरे के सामने आ गया और अपने लंड को उनके चेहरे पे रख दिया. और उसके बाद जो मम्मी ने किया वो देखकर मैं हैरान रह गयी. उन्होंने अपनी गांड के रस में भीगे उस लंड को अपने मुंह में दबा लिया. तब तक मैंने कभी लंड नहीं चूसा था. मैं अभी 4 दिन पहले ही पहली बार हीरा से चुदी थी पर मैंने काका का लंड नहीं चूसा था. हालाँकि मैं इससे पहले भी दीदी और मम्मी को लंड चूसते देख चुकी थी पर अब मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि नंदू का लंड अभी अभी गांड चोद कर बाहर निकला था और उसी लंड को मम्मी ने बिना पोंछे ही मुंह में दबा लिया और ऐसे चूस रहीं थीं जैसे कोई शहद में लिपटी कुल्फी हाथ लग गयी हो. और मेरे तोते तो जब उड़ गए जब मम्मी ने कुछ देर लंड को चूस के दीदी के मुंह के आगे कर दिया जो कि मम्मी के साथ ही घोड़ी बनी मुन्ना से अपनी गांड मरवाने के आनंद में डूबी थी. मुन्ना दीदी की गांड को मक्खन की तरह बिलों रहा था और दीदी आखें बंद करके उस आनंद में डूबी थी जब मम्मी ने नंदू का अपनी गांड से निकला लंड दीदी के मुंह से भिड़ा दिया और कहा “ले गीता चूस ले इस गुलाबजामुन को”.........और दीदी ने मुस्कुरा कर नंदू का लंड अपने मुंह में भर लिया. मुझे लगा जैसे दीदी आनंद में ये भूल गयीं कि ये लंड अभी अभी एक गांड को चोद कर बाहर निकला है पर तभी दीदी ने कहा “ओह्ह्ह्ह..........मम्मी कितना खट्टा मीठा है तुम्हारी गांड का रस.........उन्न्ह्ह.......पुन्
“उन्न्न्हह्ह ....सारा रस ख़तम हो गया हो गया मम्मी...........फिर से इसे अपनी गांड में डालो ना....... पुन्छ्ह... पुन्छ्ह... पुन्छ्ह...” दीदी ने नंदू के लंड को प्यार से चूसा और फिर पुचकार के छोड़ दिया.
नंदू ने फिर से मम्मी के पीछे आकर उनकी फूलती पिचकती गांड में फिर से लंड दाल दिया और चोदने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे लंड मम्मी के पेट में घुस गया हो. नंदू अपने लंबे लंड को पूरा का पूरा अंदर बाहर कर के गांड चोदने का मज़ा ले रहा था. फिर नंदू ने लंड को गांड से निकल कर मम्मी की गीली चूत में दाल दिया. मम्मी एकदम से कांपती हुई झड़ गयीं. लंड चूत में घुसा होने के बाद भी मम्मी की चूत का पानी किसी बौछार की तरह निकला और नंदू की जांघें भी भीग गयीं. नंदू ने फिर से लंड गांड में दाल दिया और 7-8 धक्के मार कर लंड निकल कर सीधा दीदी के मुंह के आगे लंड लेके खड़ा हो गया. दीदी ने तुरंत लंड मुंह में दबा लिया और चूसने लगीं.
“देखो ना चाचा.........तुम्हारी घोड़ी मेरी घोड़ी की गांड से निकले लंड को कैसे चूस रही है. उफफ्फ्फ्फ़.......कितना मस्त है ना ये सीन.....चूस गीता चूस........”
फिर नंदू की देखा देख मुन्ना भी अपना लंड गीता की गांड से निकाल कर सुधिया के मुंह में दाल दिया. उसने कई बार पहले भी ऐसी हरकत की थी कि जब वो दो या दो से ज्यादा औरतों को चोदता था तो उन औरतों को एक दुसरे की गांड से निकले लंड को चुसवाता था. पर उसे औरतों की इस काम के लिए तैयार करने में काफ़ी महनत करनी पड़ती थी. पर आज वो दीदी और मम्मी के साथ ऐसा पहली बार कर रहा था. इससे दोनों मस्त हो गए और बार बार गांड चोद के लंड को मम्मी और दीदी को चूसने को देते. करीब आधे घंटे वो लोग ऐसे ही करते रहे. गांड चोद कर दीदी या मम्मी को झड़ाते और फिर गांड से निकले लंड को आगे जाकर दीदी और मम्मी को चूसने को दे देते. पर वो लोग गांड का अदला बदला नहीं कर रहे थे. नंदू मम्मी की गांड ही चोद रहा था और मुन्ना दीदी की. हाँ लंड दोनों का मम्मी और दीदी दोनों मिल कर चूस रहीं थीं.
उधर भोंदू भी ज़ोरों से रम्भा काकी को अब कूद कूद कर चोदने लगा था. वो शायद झड़ने वाला था. और अगले ही पल भोंदू ज़ोर से गुर्राया और रम्भा काकी की गांड में लंड पूरा घुसेड़ कर उनकी गांड से ज़ोरों से चिपक गया. उसका पूरा जिस्म झटके खा रहा था. मैं समझ गयी कि भोंदू का मैच ये आखिरी छक्का मार कर ख़तम हो गया. भोंदू लगभग दो मिनट तक इसी तरह रम्भा काकी पे चढ़ा हुए झड़ता रहा.
मैं बड़े ग़ोर से भोंदू और रम्भा काकी को देख रही थी. झड़ने के बाद भोंदू सावधानी से काकी के ऊपर से उतरा और अपने घुटने सोफे पे टिका दिए पर लंड अभी भी काकी की गांड में रहने दिया. वो दोनों बड़ी सावधानी बरत रहे थे.
“ऊपर उठा गांड रंडी........ ‘चटाक’”.......भोंदू ने ज़ोर ने रम्भा की गांड पे थप्पड़ मारा और अपने हाथ से काकी की कमर को नीचे दबाने लगा जिससे काकी की गांड हवा में काफी ऊँची उठ गयी.
“ओह्ह्ह्ह.......भोंदू.....एक बूंद भी ख़राब मत करना ...... कटोरी में भर दे......”
मैं समझ नहीं पा रही थी कि काकी क्या बोल रहीं थीं.
“वो सामने पड़ा रुमाल उठा कुतिया........रुमाल ठूंसना पड़ेगा नहीं तो जब तक किचन से कटोरी लाऊंगा तो बहा देगी तेरी गांड.” भोंदू रम्भा के सामने पड़ा रुमाल उठाने के लिए बोला.
रम्भा काकी ने झट से रुमाल उठा कर भोंदू को दिया. भोंदू ने रुमाल लिया और उसे अपनी एक ऊँगली पे लपेट लिया. फिर उसने धीरे से अपने लंड को काकी की गांड से बाहर खीचना शुरू किया. मुझे समझ नहीं आ रहा था की भोंदू अब कर क्या रहा है. हीरा काका तो झड़ने के बाद मुझे कपड़े पहनाकर घर भगा देते थे. पर भोंदू का लंड जैसे ही काकी की गांड से बाहर आया भोंदू ने तुरंत अपनी रुमाल से लिपटी ऊँगली काकी की गांड में दाल दी और फिर अपनी ऊँगली से रुमाल को आधे से ज्यादा उनकी गांड के अंदर सरका दिया. काकी की गांड में रुमाल ठूंसने के बाद भोंदू भाग कर रसोई में गया और एक कटोरी और एक गाजर ले आया. फिर वो ताज़ी चुदी और अभी भी घोड़ी बनी हुई रम्भा काकी के पीछे जाकर सोफे पर बैठ गया और उसने गाजर सोफे पर रख दी. फिर उसने कटोरी को काकी की चुदी हुई गांड के ठीक मुंह पर लगा दिया और काकी की गांड में फंसे रुमाल को खींच कर निकाल दिया. रुमाल निकलते ही मैं समझ गयी कि वो क्या कर रहा था. क्योंकि रम्भा काकी की गांड से चावल के मांड जैसा गाढ़ा वीर्य निकलकर बहने लगा. 5-10 मिनट तक काकी गांड को भींच भींच के अपनी गांड में भरे भोंदू के वीर्य को निकालती रहीं और भोंदू उसे कटोरी में जमा करता रहा. फिर जब वीर्य निकलना बंद हो गया तो भोंदू ने कटोरी हटा ली और उनसे फिर से उस रुमाल को काकी की गांड में घुसेड़ दिया पर इस बार उसने रुमाल को उस गाजर पर लपेटकर गाजर समेत ही रम्भा काकी की गांड में काफी अंदर घुसा दिया. उसके बाद भोंदू कटोरी लेके रम्भा के चेहरे के पास जाके बैठ गया और रम्भा को कटोरी सुंघाने लगा. कटोरी सूंघते ही रम्भा काकी मदहोश सी होने लगीं और एक हाथ से भोंदू के हाथ से कटोरी लेने की कोशिश की. पर भोंदू ने काकी का हाथ हटा कर वापस सोफे पर रख दिया और फिर जो किया उसे देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उसने अपनी दो उंगलियाँ कटोरी में भरे वीर्य में डुबोयीं और फिर उन उँगलियों को उसने रम्भा काकी के होंठों पे लगा दिया. ढेर सारा वीर्य काकी के होंठों पे लग गया और काकी ने अपनी जुबान बाहर निकाल कर अपने होंठ चाट लिए. मैंने कई बार दीदी और मम्मी को चुदाई के बाद अपने जिस्म पे गिरे वीर्य को चाटते देखा था पर ये नहीं पता था मुझे कि वीर्य इतना स्वादिष्ट होता है कि औरत इस हद तक जा सकती है कि अपनी बुरी तरह चुदी गांड में भरे हुए वीर्य को भी बाहर निकाल कर चाट सकती है. तब मुझे काकी के उन शब्दों का मतलब समझ आया “ओह्ह्ह्ह.......भोंदू.....एक बूंद भी ख़राब मत करना ...... कटोरी में भर दे......”
भोंदू बार बार अपनी उँगलियाँ कटोरी में डालता और उँगलियों पे लगे रम्भा की गांड से निकले सफेद मांड को रम्भा को चटा रहा था. राभा उस गंदे वीर्य को ऐसे चाट रही थी जैसे गुलाबजामुन की चाशनी हो. उधर मुन्ना की ज़ोरों की गुर्राहट सुनकर जब मैंने मुन्ना और दीदी की तरफ देखा तो मुन्ना बुरी तरह दीदी की गांड से चिपका हुआ था. वो अपने पंजों पे खड़ा था और उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था. दीदी की चूत भी पानी बहा रही थी. मुन्ना दीदी की गांड में झड़ रहा था और शायद मुन्ना के इतनी बुरी तरह से झड़ने की वजह से दीदी भी झड़ने लगीं थीं. 2 मिनट तक झटके लेकर झड़ने के बाद मुन्ना अगले 5 मिनट तक दीदी से चिपका रहा. दीदी पूरी तरह से संतुष्ट दिख रहीं थी.
“मज़ा आया गीता बेबी ?”
“ओह्ह्ह्ह........मुन्ना काका आज तो सच में मस्त कर दिया तुमने. आज से पहले कभी भी मुझे गांड मरवाने में कुछ ख़ास मज़ा नहीं मिला था. आज तो जैसे में हवा में ही उड़ रही थी. आज तो मन कर रहा है कि तुम पुरे दिन मेरी गांड मारो. नंदू तो बड़ा दर्द करता है काका.”
“बेबी चोदते टाइम जो गालियाँ मैंने तुम्हे दी उसके लिए मुझे माफ़ करना.”
“कैसी बात करते हो काका..............गालियाँ सुनते हुए चुदवाने में तो बल्कि दुगना मज़ा आता है. तुम जब भी मुझे चोदा करो तो खूब गालियाँ दिया करो और ये कभी मत सोचना कि मैं बुरा मान जाउंगी. बल्कि अगर तुम चाहो तो मुझे कभी भी गाली दे दिया करो. बस बबिता के सामने मत देना. बाकी तो अब कोई राज़ यहाँ किसे से नहीं छुपा.”
“मेरी गुड़िया.......’पुन्छ्ह’” मुन्ना ने झुक कर दीदी की गर्दन पर चूमा और फिर धीरे धीरे दीदी के बाल सवारने लगे. उन्होंने दीदी की गांड चोदते टाइम दीदी की बालों को नोंच कर और खींच कर बुरी तरह उलझा दिया था. मुन्ना का लंड अभी भी दीदी की गांड में घुसा हुआ था और ढीला होने लगा था.”
“बेबी ज्यादा ज़ोर से तो नहीं खीचें न मैंने तेरे बाल.....?”
“नहीं काका.........बल्कि तुम जितना ज़ोर से मेरे बाल खींच रहे थे मेरी गांड में उतनी ज्यादा मस्ती आ रही थी......थैंक यू काका.........आई लव यू............अब जल्दी से मेरी गांड से अपना लंड निकालो और थोड़ी देर मुझे चूसने दो अपने वीर्य में सने चूहे को......” मैं ये सुन के हैरान हो गयी की दीदी भी वीर्य चखना चाहती थीं. तभी मम्मी बोलीं.
“अरे मुन्ना मुझे भी थोड़ा चखाना अपनी मलाई........और ज़रा ध्यान से.......लंड निकालके तुरंत अपने अंगूठे से इसकी गांड का ढ़क्कन बंद कर देना नहीं तो ये पगली इतनी कीमती मलाई उस दिन की तरह फ़र्श पे गिरा देगी. और लंड निकाल के मेरे मुंह में दाल दे.”
“नहीं मम्मी.....लंड तो काका का मैं ही चुसुंगी. गांड मेरी चुदी है और लंड की मलाई आप खाओगी. उन्होंने मेरी गांड चोदी है इसलिए उनका वीर्य भी सिर्फ मेरा ही है. और मेरी गांड में भरा वीर्य भी सिर्फ मेरा है. उस वीर्य को भी मेरा मुन्ना इसी तरह मुझे पिलाएगा जैसे उधर भोंदू भैया रम्भा काकी को पिला रहे हैं.”
“ओह्ह......गीता ऐसा मत कह ........... तू भी मेरे नंदू का वीर्य थोडा सा चाट लेना जब वो मेरी गांड मर लेगा तो..........” मम्मी दीदी से काका का वीर्य मांग रहीं थी और नंदू से बड़ी ज़ोरदार तरीके से चुद भी रहीं थी. मम्मी की गांड इतनी रवां हो गयी थी कि नंदू का लंड जब ज़ोरों से उनकी गरम, नंगी गांड चोद रहा था तो गांड में से अब बहुत आवाज़ आ रही थी जैसे कि मम्मी पाद रहीं हो. मुझे बाद में पता चला की इन्हें “मीठे पाद” कहते है क्योंकि इनमे बदबू नहीं आती पर आवाज़ बहुत आती है. और अगर मर्द बहुत सारा थूक लगा कर गांड चोद रहा थो तब तो इन मीठे पादों में बहुत ज्यादा आवाज़ आती है. इतनी आवाज़ आती है कि अगर एक कमरे में औरत की गांड चोदी जा रही हो तो दुसरे बंद कमरे में भी उसकी चुदती गांड से निकलते मीठे पाद सुने जा सकतें हैं. गांड से मीठे पाद तब ही निकलते हैं जब गांड को खूब तबियत से चोदा जाता है और गांड बिलकुल रवां हो जाती है. और मज़े की बात ये है कि जब मर्द को गांड चोदते टाइम औरत की गांड से मीठे मीठे पादों की इतनी सुरीली आवाज़ सुनाई देती है तो वो भयंकर तरीके से उत्तेजित हो जातें हैं और गांड को और भी ज़ोर लगा कर चोदने लगते हैं.
“ओह्ह्ह.....चाचा देखो न कैसे पादने लगी है चुदने से इस रंडी की गांड. हाआय्य्य्य ....... कितना पाद रही है मेरी रांड......बड़ा मज़ा आ रहा है इस तरह पादती हुई गांड चोदने में.” नंदू बुरी तरह गांड चोद रहा था मम्मी की.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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