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मौसा के सामने मौसी की
मेरा नाम डिनो है। मेरी उम्र अभी 23 साल की थी और हाल ही में मेरी नौकरी बंगलौर में एक सोफ्टवेयर कंपनी में लगी थी। थोड़े ही दिनों में मुझे पता चला कि कंपनी में गेटकीपर की बहाली होने वाली है। तभी मुझे अपनी गरीब मौसी पारो की याद आयी। मेरी मौसी की उम्र तीस वर्ष की थी। जब वो सोलह साल की थी तभी उसकी शादी गाँव में ही एक देहाती युवक माखन के साथ कर दी गयी थी। बाद में पता चला कि माखन एक मंद बुद्धि युवक है। गाँव में आय का साधन ना होने के कारण मौसी गरीबी की हालत में जी रही थी। मैंने मौसी के गरीबी पर दया खाते हुए अपने बॉस से अपने मौसा को गेटकीपर की नौकरी देने का अनुरोध किया तो वो मान गया। मैंने मौसी को ख़त लिख डाला और उन दोनों को बंगलौर आने को कहा। वो दोनों तीन दिन बाद बंगलौर आ गए। उन दोनों को मैंने अपने ही फ्लैट में रहने के लिए एक कमरा दिया। मैंने मौसी को अपने यहाँ इसलिए रखा क्यों कि कम से कम वो खाना, बर्तन चौक तो कर देगी। बाहर का खाना सुपाच्य नहीं होता था। उनके आने के अगले ही दिन मैंने अपने मौसा माखन को अपने कंपनी के बॉस से मिलवाया और बॉस ने माखन को गेटकीपर की नौकरी दे दी। और कल से आने की हिदायत देने के साथ ही मैंने मौसा को सौ का नोट थमाया और मेरे फ्लैट पर जाने वाले बस पर बिठा कर वापस अपने चैंबर में चला आया। शाम में जब मैं वापस अपने फ्लैट पर गया तो देखा कि मौसी ने मेरे फ्लैट को साफ़ सुथरा कर करीने से सजा दिया है। मौसी ने मेरे सारे गंदे कपडे भी धो-सुखा दिए हैं। मेरे जाते ही पारो मौसी ने मुझे बढ़िया सी चाय पिलायी और अपने पति की नौकरी पर काफी खुश होते हुए बोली अब उसे पैसे की दिक्कत नहीं होगी। रात को हम सब ने एक साथ खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में चला गया। और अपने सभी कपडे खोल कर अपने बिस्तर पर लेट गया। मैं अपने बिस्तर पर लेट कर अपने लंड से खेल रहा था। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने एक गमछा को कमर से लपेटा और दरवाजा खोल कर देखा तो बाहर मौसी पारो मेरे लिए दूध ले कर खड़ी थी। वो मेरे कमरे के अन्दर आई और बोली - मुन्ना (वो मुझे प्यार से मुन्ना कह कर बुलाती थी ). ये मैं तेरे लिए दूध लाई हूँ जल्दी से इस दूध को पी ले मैं गिलास ले कर वापस जाउंगी। इतनी रात में मेरे कमरे में मौसी बड़ी ही हसीन लग रही थी। लो कट वाली गाउन पहन कर वो सेक्सी दिख रही थी। शायद उसने ब्रा भी नहीं पहने थे। उसकी चूची की घाटी स्पष्ट नजर आ रही थी। मुझे लगा शायद मौसी को थोड़ी देर कमरे में रोक लूँ तो मौसी के हुस्न के दीदार हो जायेंगे। मैंने कहा - मौसी , इतनी रात को मैं दूध थोड़े ही ना पीता हूँ? मौसी ने कहा - तो क्या पीते हो? मैंने हडबडा कर कहा - शायद तुम्हे बुरा लगेगा। लेकिन मैं सोने से पहले सिगरेट पीता हूँ। मौसी - इसमें बुरा लगने वाली कौन सी बात है। गाँव में तो बच्चे भी सिगरेट पीते हैं। मैंने - ओह, चलो अच्छा है, मैं परेशान था कि तुम्हे कैसा लगेगा यदि मैं तुम्हारे सामने सिगरेट पीऊंगा। मौसी - मुझे कोई परेशानी नहीं है मुन्ना। तू आराम से सिगरेट पी ले। लेकिन मेरी भी एक शर्त है। तुझे दूध भी पीना पड़ेगा। मैंने - ठीक है, लेकिन पहले सिगरेट पी लेता हूँ, तू तब तक बैठ यहाँ। फिर मैं सिगरेट का डिब्बा निकाला लेकिन माचिस नहीं मिला। मैंने मौसी को कहा - मौसी , किचन से जरा माचिस की डिब्बी तो लेती आ। मौसी तुरंत किचन गयी और माचिस की डिब्बी लेते आयी। मेरे जिस्म पर कपडे के नाम पर केवल छोटा का गमछा था जो किसी तरह मेरे लंड की इज्ज़त बचा रहा था। लंड तो कुछ खड़ा हो गया था और अन्दर कच्छे नहीं पहनने की वजह से पतले से गमछे के अन्दर से लंड का उभार दिख रहा था। मैंने सोचा - जब मौसी को मेरे इस हाल से कोई प्रॉब्लम ही नहीं है तो भला मैं क्यों शरमाऊं? मैंने सिगरेट सुलगाई और बेड पर लेट गया। मौसी मेरे पैर के पास बैठ कर मेरे पैरों को दबाने लगी। मैंने मना किया तो वो बोली - दिन भर काम करते करते थक गया होगा तू इसलिए पैर दबा देती हूँ। मैंने कुछ नहीं कहा। शायद वो अपने पति की नौकरी लगवाने का शुक्रिया अदा करना चाहती थी। मैं चुचाप आराम से सिगरेट के कश लगाता रहा। पारो मौसी देहाती थी लेकिन देखने में रवीना टंडन की तरह दिखती थी। अभी तक कोई बाल बच्चा भी नहीं हुआ था। गरीबी के कारण इसका इलाज भी नहीं करवा पा रही थी। रात में बिस्तर पर हर औरत सुन्दर लगने लगती है। जब उसके नरम हाथ मेरे जाँघों पर ससरने लगे तो मेरे अन्दर का मर्द जाग गया। मौसी के हाथ अब जांघ के काफी ऊपर तक आ रहा था। मैं अपने नंगे जांघ पर उसके हाथ के बढ़ते दवाब को महसूस कर रहा था। मौसी का हाथ मेरे गमछे को और ऊपर करता जा रहा था। शायद उस पर मेरे सिगरेट के धुएं का असर हो रहा था। तभी बिजली चली गयी और घुप्प अँधेरा हो गया। लेकिन मौसी उस अँधेरे में भी मेरे जांघ की मालिश कर रही थी। मैंने अपना एक हाथ गमछे के ऊपर से अपने लंड पर रखा और दबाने लगा। लंड राजा का मिजाज गरम हो गया था। अब मौसी का हाथ मेरे अंडकोष को छू कर वापस जा रहे थे। मैं अपने लंड पर अपना नियंत्रण कम करता जा रहा था और चाहता था कि काश मौसी का हाथ मेरे लंड तक पहुँच जाये। मैंने अपना लंड दबाते हुए पूछा - मौसा क्या कर रहे हैं? मौसी - वो तो सो गए हैं। मैंने - मौसी, मैंने तो मौसा की नौकरी लगवा दी। तुम खुश तो हो? मौसी - हां मुन्ना, खुश क्यों नहीं होउंगी? मौसी का हाथ अब मेरे लंड के बाल तक आ गए थे। अँधेरे में मुझे उनका हाथ का स्पर्श काफी मज़ा दे रहा था। मेरा लंड अब बिलकुल खड़ा था। अब मौसी के हाथ और मेरे लंड के बीच एक सेंटीमीटर की दुरी थी। मैं अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था। अचानक अँधेरे में मौसी का हाथ मेरे हाथ पर आ गया। मैंने अपना लंड छोड़ मौसी के हाथ पर अपना हाथ रखा और और अपने लंड के बाल सहलवाने लगा। मौसी की साँसे गरम होने लगी। मैंने मौसी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया। मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया। मैंने उनके हाथ को अपने हाथ से दबाया और लंड को सहलाने का इशारा किया। मौसी मेरे लंड पर अपना हाथ फेरने लगी। मेरा लंड पानी पानी हो गया। अब मेरा मन मौसी पर बहक गया। मैंने - तुम भी थक गयी होगी। दरवाजा बंद कर के तुम यहाँ मेरे बगल में आ कर लेट जाओ। तुमसे बहुत सी बातें करनी हैं। मौसी ने बिना किसी संकोच के कमरे का दरवाजा बंद किया और वापस मेरे बगल में आ कर लेट गयी। तब तक मैं अपने शरीर पर से गमछे को हटा चूका था और पूरी तरह नंगा बेड पर पडा हुआ था। मैंने मौसी का हाथ पकड़ा और अपना लंड थमा दिया। मौसी मेरे लंड को फिर से दबाने मसलने लगी। मैं भी हिम्मत करते हुए मौसी की जांघ सहलाने लगा फिर धीरे धीरे उसके गाउन को उसके कमर तक उठा कर उसके जांघ पर हाथ फेरने लगा। थोडा और ऊपर गया तो पाया कि मौसी ने पेंटी पहन रखी है। मैंने कहा - मौसी , तू भी आराम से लेट जा। अपने कपडे खोल ले। नहीं तो बंद कमरे में गर्मी लगेगी। मौसी - धत पगले, तेरे सामने बिना कपडे के मैं कैसे हो जाउंगी? मैंने मौसी के गाउन को इतना ऊपर कर दिया कि मेरे हाथ में उसकी चूची आ गयी। मैंने - मौसी , 90 फीसदी तो तू बिना कपडे के हो ही गयी है। अब शर्माती क्यों हो? मौसी - ठीक है बेटा , ले खोल ही लेती हूँ। कह कर उसने गाउन उतार दिया। मैंने फिर से एक सिगरेट सुलगाई। माचिस की रौशनी ने मैंने अपने मौसी के बदन का जो दीदार किया तो पाया कि वो मेरे अनुमान से ज्यादा सेक्सी है। छोटे पपीते के स्तन, सपाट पेट, गहरी नाभि, चिकना बदन सब कुछ मिला कर सेक्स की देवी थी वो। माचिस की रौशनी में उसने भी मेरे लंड पर गहरी दृष्टि डाली।मैं सिगरेट सुलगा कर पीने लगा। मैं अपनी मौसी की बराबरी में लेटते हुए कहा - मौसी, मैं सिगरेट पी रहा हूँ। तुझे कोई दिक्कत तो नहीं? मौसी - अरे नहीं बेटा। अब तो तू अफसर हो गया है। अब तो तू अपनी मर्जी के सब कुछ कर सकता है। सिगरेट का कश मैंने मौसी के स्तन पर फेंकते हुए पूछा - मौसी, मैंने तो मौसा की नौकरी लगवा दी। तुम खुश तो हो? मौसी मेरे छाती पर हाथ फेरते हुए पूछी - हाँ बेटा , खुश क्यों नहीं होउंगी? लेकिन ये नौकरी पक्की तो रहेगी ना। मैं मौसी की तरफ और अधिक सरक कर आ गया। अब मेरे और मौसी के चेहरे के बीच सिगरेट का फासला था। मैंने सिगरेट का एक गहरा कश लिया और मौसी के मुंह पर धुंआ फेंकते हुए मौसी पर एहसान जताने के लिए झूठ बोलते हुए कहा - मौसी , तू नहीं जानती कि मैंने मौसा की नौकरी के लिए कितनी पैरवी की है और अपने अफसरों को पचास हजार रूपये की रिश्वत दी है तब जा कर मौसा को यह नौकरी मिली है। मौसी ने कहा - बेटा , तेरा यह अहसान मैं कभी नहीं चूका पाउंगी। मैं तेरे रूपये धीरे धीरे कर के लौटा दूंगी। मैंने मौसी की बांह पर हाथ रख कर मौसी का हाथ सहलाते हुए कहा - मौसी , तू रूपये की फ़िक्र मत कर। तू देखना , मैं मौसा को एक दिन सुपर वाइजर बनवा दूंगा। मौसी ने खुश होते हुए कहा - सच बेटे? अब मैंने मौसी के बदन से सटते हुए अपनी एक टांग मौसी के कमर के दूसरी तरफ कर दिया और मौसी की चूची को अपनी छाती से दबाते हुए कहा - अरे मौसी तू चिंता क्यों करती है। तू देखती जा तेरा बेटा क्या क्या करता है। मौसी ने आँखे बंद कर कर के कहा - हाँ बेटा, मुझे तुम पर नाज है। सिगरेट का धुंआ से उत्पन्न नशा मौसी पर हावी होने लगा था। मैंने - मौसी तू यहाँ है। उधर मौसा की नींद खुल गयी और तुझे बिस्तर पर नहीं पायेगा तो क्या सोचेगा? मौसी ने भी अपने हाथ से मेरे बदन को सहलाते हुए कहा - वो क्या सोचेगा? वो तो मंद बुद्धि है। अगर मैं कह भी दूँ कि मैं मुन्ने के कमरे में थी तो वो बुरा नहीं मानेगा। मौसी की सांस गरम होने लगी। उसकी तेज धढ़कन की आवाज मुझे भी सुनाई देने लगी। रात के अँधेरे में बंद कमरे में एक बिस्तर पर एक जवान मर्द और एक जवान औरत हो तो स्थिति की गंभीरता को कोई भी सामन्य इंसान समझ सकता है। मेरे हाथ अँधेरे में मौसी के जिस्म पर दौड़ने लगे। मौसी की गर्म सांस मेरे इस हरकत को मौन समर्थन दे रही थी। मैंने मौसी के होठों पर अपनी उँगलियाँ दबाने लगा। मौसी मेरे ऊँगली को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। मैं अपने होठो को मौसी के होठ के बिलकुल सटा दिया अपने मुंह में ले कर चूसने लगा मौसी ने भी मेरा पूरा साथ दिया और उसने भी मेरे होठो को चुस चूस कर पानी पानी कर दिया। मैं 3 मिनट तक मौसी के होठों को चूमता रहा फिर उसके होठो को अपने होठ से अलग किया और फुसफुसाते हुए कहा - मौसी, मौसा की नौकरी की ख़ुशी में तुम मुझे क्या दोगी? मौसी ने मेरी पीठ पर हाथ दबाते हुए मुझे अपने बाहों में लपेटा और सीधा हो कर लेट गयी जिस से मैं उसके बदन के ऊपर आ गया। मौसी ने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा - बेटा तुम्हारा यह एहसान मैं कैसे चुका पाउंगी ? मैंने उसके चूची को हाथ से दबाते हुए कहा - मौसी तेरे पास तो सब खजाना है इस एहसान का बदला चुकाने के लिए। मौसी ने गरम साँस छोड़ते हुए कहा - बेटा, अगर तू मुझे इस काबिल समझता है तो जो मर्जी हो वो तू कर मेरे साथ। मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है। मैंने- तो मुझे अपने चूची चूसने दे। तू अगर मेरे जिस्म को कुछ लायक समझता है तो तुझे जो मर्जी है वो कर। मैं मजे ले कर चूची चूसने लगा। मेरा लंड भी काफी खड़ा हो गया था। मैं अपना लंड मौसी के चूत के ऊपर पेंटी पर रगड़ने लगा। मौसी की चूत में भी आग लग गयी थी। उसने बिना देर किये अपने बदन से पेंटी उतार फेंकी और बिलकुल नंगी हो गयी। अब मैं मौसी के चूची को चूस रहा था और अपने लंड को मौसी के चूत पर रगड़ रहा था। मौसी का चूत पानी पानी हो रहा था। मौसी ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया जोर जोर से मसलने लगी। मैं भी मौसी की चूत को सहलाने लगा। मौसी की हालत खराब हो गयी। मौसी ने कराहते हुए कहा - बेटा, मेरे चूत में अपना ये विशाल लंड डाल दे। मैंने कहा - मौसी अँधेरे में मुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है कि किधर तेरा चूत का छेद है। मौसी - कोई बात नहीं बेटा। तेरी मौसी खुद ही डाल लेगी तेरा लैंड अपनी चूत में। यह कह कर मौसी ने अपनी टांगो को फैलाया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद के पास टिका दिया। फिर बोली - हाँ बेटा अब तेरा लंड मेरे चूत के ठीक मुंह पर है। अब तू अपने लंड से मेरे चूत में धक्के मार। मैंने कहा - मौसी चोदने के लिए तो मैं जानता हूँ। अब तू देख अपने बेटे के लंड का कमाल। कह कर मैंने अपना लंड मौसी के चूत जोर के झटके के साथ में डाल दिया। मौसी की साँसे फूलने लगी। वो तड़पते हुए बोली - बेटा , चोद ले अपनी मौसी को। मैंने बिना देर किये मौसी की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। मौसी की चूत एकदम टाईट थी। मैंने मौसी को चोदते हुए कहा - मौसी तेरी चूत एकदम टाईट है। क्या तेरा पति तुझे चोदता नहीं है? मौसी ने मेरे लंड से धक्के खाते हुए हांफते हुए कहा - तेरे मौसा का लंड तेरे लंड से बहुत पतला है इसलिए मेरी चूत की चौड़ाई ज्यादा नहीं है। मैं मौसी के चूत में धक्के मारते हुए पूछा - मौसा एक रात में तुझे कितनी बार चोदता है ? मौसी - हर रात नहीं चोदता है। एक सफ्ताह में एक बार चोदता है। मैं - इतनी कम चुदाई में तेरा मन भर जाता है? मौसी - मन तो नहीं भरता , लेकिन मुठ मार कर काम चला लेती हूँ। मैं - अब तुझे मुठ नहीं मारनी होगी। मैंने तुझे हर रात जी भर कर चोदुंगा। मौसी - लेकिन तेरे मौसा को शक हो गया तो? मैं - उसकी फ़िक्र तू ना कर मौसी। मैं मौसा को रात की ड्यूटी में लगवा दूंगा। यानि मौसा रात भर कंपनी की पहरेदारी करेगा और मैं तेरी चूत की। मौसी - हाय, मेरे बेटे , तूने तो पहली ही रात कमाल कर दिया। अच्छा होगा कि मेरे निखट्टू पति को रात भर कंपनी की ड्यूटी पर भेज देना। मेरा पति रात भर कंपनी की सेवा करेगा और मैं रात भर तेरी सेवा करुँगी। यहाँ आ कर मेरे तो भाग्य ही खुल गए। एक तो मेरे निखट्टू पति को नौकरी मिल गयी और दूसरी तरफ मुझे तेरे लंड से चुदने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अब मेरी रफ़्तार तेज हो रही थी। अचानक मौसी की चूत ने लावा उगलना चालू कर दिया। मौसी के उगलते लावे ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया और और मैं जंगली जानवर की तरह मौसी के चूत में अपने लंड से ताबरतोड़ वार करने लगा। मौसी इस वार से तड़पने लगी और लगभग चीखने लगी। मैंने उसे चोदते हुए ही कहा - अरे मेरी प्यारी मौसी , चुप हो जा नहीं तो तेरी चीख सुन कर तेरा पति जग जायेगा। मौसी ने चीखते हुए कहा - जगता है तो उस को जग जाने दे। तूने उसकी नौकरी लगवा दी है। क्या वो इतनी भी कीमत नहीं चुकाएगा? वैसे भी आज तक मुझे इतना मजा नहीं आया जितना मजा आज तुझसे चुदवाने में आ रहा है। मैंने - अच्छा, मेरी रानी मौसी, अब चुप हो जा। और चुप चाप चुदवाती रह। मैंने मौसी को चोदना जारी रखा। मौसी का शरीर फिर अकड़ने लगा। उस की चूत ने दोबारा लावा उगल दिया। अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ जा रहा था। मेरे लंड ने भी लावा उगल दिया। मैंने अपना सारा लावा अपनी मौसी के चूत में ही निकल जाने दिया। मैं निढाल हो कर अपनी मौसी के नंगे बदन पर लेट गया। पंद्रह मिनट तक उसी पोजीशन में रहने के बाद मेरे लंड ने मौसी के चूत में ही विशाल रूप धारण कर लिया और उसे चोदने के लिए दोबारा तैयार हो गया। मैंने मौसी को कहा - मौसी , मेरा लंड तो दोबारा रेडी हो गया है। तेरे चूत का क्या हाल है? मौसी - चूत का हाल तो बेहाल है मेरे लाल। लेकिन जब भी तेरा लौड़ा खड़ा हो जाय तू बिना मुझसे पूछे मेरे चूत में अपने लंड को डाल देना। चाहे दिन हो या रात , तू जब चाहे मुझे जहाँ चाहे मुझे पटक कर चोद सकता है। मेरी तरफ से कभी ना नहीं होगी। अपनी देहाती मौसी के मुंह से इतनी उत्तेजक बात सुनने के बाद मुझे होश ही नहीं रहा। मैं मौसी को जी भर कर चोदता रहा। हर बार मैं झड़ने के बाद पंद्रह - बीस मिनट के रेस्ट के बाद बिना उस से पूछे उसकी चूत में अपना तगड़ा लंड डाल कर उसे चोद डालता था। सुबह के सात बजे तक मैं उसे 20 बार चोद चूका था। इस दौरान वो कमसिन मौसी कम से कम 50 बार अपना लावा उगल चुकी थी। लेकिन पता नहीं क्यों ना मेरा दिल भर रहा था ना ही मेरी मौसी का दिल। जब मैं इक्कीसवीं बार उसे चोद रहा था तो दरवाजे पर दस्तक हुई। मौसा आवाज लगा रहा था। मैं तो थोडा घबरा गया लेकिन मौसी नहीं घबरायी। उसने मुझे चोदते रहने का इशारा किया और चुदवाते हुए ही अपने पति को आवाज देते हुए कहा - मुन्ने की मालिश कर रही हूँ। तब तक तुम बाहर से दूध ले कर आओ। और ज्यादा डिस्टर्ब मत करो। मंदबुद्धि माखन दरवाजे पर से ही उलटे पाँव लौट गया और बाहर चला गया। फिर मैंने जम के अपनी मौसी की चुदाई की। इस बार मौसी बिना किसी चिंता के जितनी मर्जी हो उतनी जोर जोर से चीखी। अंत में हम दोनों का लावा निकल गया। मुझे बुरी तरह से थकान हो रही थी। मौसी ने मुझे अपने बदन पर से उतारा और बाथरूम जा कर अपनी चूत की साफ़ सफाई की और वापस आ कर मेरे सामने ही अपने कपडे पहने। तभी दरवाजे पर फिर से हलकी दस्तक हुई और उसके पति ने हलके से आवाज लगाई। मौसी ने मेरे नंगे बदन पर एक चादर डाला और दरवाजा खोल दिया। उसका पति ने उस से कहा - मुन्ने की मालिश हो गयी? बड़ी देर लगा दी मालिश में। जल्दी करो मुझे आज पहली बार नौकरी पर जाना है। मौसी ने अपने पति से कहा - तुम जा कर नहा धो लो, तब तक मैं चाय-नाश्ता बना देती हूँ। थोड़ी देर बाद मैं भी नहा-धो कर तैयार हो गया और चाय - नाश्ता कर के मौसा के साथ ही ऑफिस चला गया। वहां जा कर मैंने अपने कंपनी के सुरक्षा अधिकारी से कह कर अपने मौसा को रात की पाली वाली ड्यूटी फिक्स करवा दिया। उसके बाद हर रात मैं अपनी मौसी का पति बनता और रात भर उसे चोदता था। एक रात उसे शक हुआ कि उस के अन्दर कुछ परिवर्तन हुआ है। मैंने उसे अभी तक बिना कंडोम के चोदा था। कहीं वो गर्भवती तो नहीं हो गयी है? उसने मुझे ये बात बताया तो मैं उसे डाक्टर के पास ले गया। वहां पता चला की उसके पेट में दस दिन का गर्भ पल रहा है। वो तो ख़ुशी के मारे झुमने लगी। लेकिन मुझे चिंता होने लगी की मौसा क्या कहेगा या मेरे घरवाले क्या कहेंगे? लेकिन मौसी देहाती होते हुए भी काफी चालक थी। उसने मुझसे कहा कि - इस बच्चे का बाप वास्तव में तुम हो लेकिन मैं तेरे सर पर इसका बोझ नहीं डालूंगी और माखन को ही इस बच्चे का बाप बना दूंगी। मैंने कहा - लेकिन मौसी , वो मानेगा क्या? वैसे भी तू उसके साथ काफी दिन से चुदवाई हो नहीं। माखन इतना भी मंद बुद्धि नहीं है जो तू माँ बन जाय और उसे तुझ पर शक ना हो जाए। मौसी - उसकी चिंता तू क्यों करता है? आज रात उसकी नाईट दड्यूटी नहीं है। आज वो घर पर ही रहेगा। देखना मैं क्या गुल खिलाती हूँ? बस तू एक शिलाजीत का डिब्बा लेते आ। मैंने मौसी को शिलाजीत की एक डिब्बा ला कर दे दिया। आज रात काफी दिनों के बाद मौसा को रात घर पर गुजारने का अवसर मिला था। मौसी ने मुझसे कहा - आज रात मैं मौसा के साथ चुदवाउंगी। मैंने कहा - मौसी मैंने तो तुझे कई रात चोदा लेकिन तुझे चुदते हुए कभी नहीं देखा। आज तो तुझे मौसा से चुदते हुए देखना चाहता हूँ। मौसी ने कहा - ठीक है। तू मेरे कमरे में जा कर परदे के पीछे छिप जाना और मेरी चुदाई देख लेना। रात दस बजे हम सब ने खाना खाया। उसके बाद मैं हाल में बैठ कर टीवी देखने लगा। मौसी ने मौका देख कर मौसा को बाहर के गेट में ताला लगाने के बहाने भेज दिया। मौसा ज्यों ही बाहर गया मौसी ने झट से मुझे अपने कमरे में ले कर गयी और परदे के पीछे छिपा दिया। दो मिनट में ही मौसा हाल में आ गया। मुझे वहां बैठा न देख कर मौसी से पूछा - मुन्ना जी किधर गए। मौसी ने कहा - मुन्ना तो अपने कमरे में चला गया है। अब हम दोनों भी अपने कमरे में चलें। मौसा ने कहा - हाँ चल। वो दोनों अन्दर कमरे में आ गए। मौसा का ध्यान परदे के आस पास ना जाय इसलिए मौसी ने कमरे में आते ही दरवाजा बंद किया और अपने कपडे उतार कर नंगी हो गयी। मौसी मौसा को बेड पर पटकते हुए कहा - मेरे राजा , कितने रात से मेरा चूत तेरे लंड का प्यासा है? जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे। मौसा ने कहा - हाँ मेरी जान लेकिन यह लाईट तो ऑफ कर दे। मौसी - नहीं , आज लाईट जला कर ही मैं तुझसे चुदवाउंगी। आज मैं तेरे लिए एक ख़ास स्पेशल दवाई लाई हूँ। अगर तू इस दवाई को खा कर मुझे चोदेगा तो मैं निश्चित ही माँ बन जाउंगी। मौसा - लेकिन तू यह दवाई लाई कहाँ से? मौसी - आज जब तू ऑफिस गया था तो मैं एक डाक्टरनी के पास गयी थी। उसने मुझे यह दवाई दी है। बोली थी की अपने मर्द को खिल देना चुदवाने से पहले। मौसा - यह बात है तो ला वो दवाई। मौसी - तब तक तू अपने कपडे उतार, मैं दवाई ले कर आती हूँ। मौसा कपडे उतारने लगा। मौसी दवाई लेने के बहाने परदे के पीछे आ गयी जहाँ मैं खड़ा था। मौसी को देख कर मेरी हालत भी खराब हो गयी थी। मैं अपने पैजामे को खोल कर अपना लैंड मसल रहा था। मौसी ने मुझे देख कर मुस्कुराते हुए मेरे लंड को पकड़ा और मसलने लगी। मौसा अपने कपडे खोल अपने लंड को मसल रहा था। उसका लंड मात्र २ या 3 इंच लम्बा था। और उसकी मोटाई मेरी ऊँगली के तरह थी। मैं मौसी को फुसफुसा कर कहा - अब समझ में आया कि तू माँ क्यों नहीं बन पा रही थी। देख इस कमीने से कुछ नहीं होनेवाला है . तू इस से चुदवा कर मेरे कमरे में आजाना। मौसी - देख मेरे बदन में आग लग रही है। मैं चाहती हूँ की इस कमीने के चोदने से पहले तू मुझे चोदे। मैंने - तो चल मेरे कमरे में। मौसी - नहीं तू मुझे यहीं चोद। इसी परदे के पीछे। मैंने - कहा - लेकिन मौसा अगर देख लिया तो? मौसी - रुक मैं उपाय करती हूँ। वो परदे के बाहर आयी और मौसा को शिलाजीत देते हुए कहा - देखो मेरे राजा जी, यही है वो दवाई। लेकिन इस दवाई को खाने के बाद आधे घंटे तक तुझे बर्दाश्त करना होगा। तभी तेरे अन्दर वीर्य बनेगा। तू दवाई खा कर आँखे बंद कर के आधे घंटे तक लेटे रह। तब तक मैं खिड़की के पास रहती हूँ. डाक्टर ने कहा है कि - इस आधे घंटे के दौरान मुझे बाहर की ठंडी हवा अपने चूत में लगानी होगी . मौसा - लेकिन तू खिड़की के पास रहेगी तो कमरे की रौशनी में लोग बाहर से तुझे देख लेंगे ना। मौसी - नहीं, मैं लाईट ऑफ कर देती हूँ। और खिड़की के पास खड़ी रहती हूँ। तुम दवाई खा कर आधे घंटे आँखे बंद कर लेट जा। मौसा ने कहा - ठीक है। मौसी ने शिलाजीत की दो गोली मौसा को पानी के साथ दिया और मौसा ने वो दवाई खा लिया। दवाई खाते ही मौसी ने लाईट ऑफ किया और परदे के पास चली आयी। मौसी के आते ही मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया और अपने मुंह में उसकी चूची को दाब लिया।। मौसी चौंक कर आह कर गयी। मौसा ने पूछा - क्या हुआ? मौसी - कुछ नहीं। एक चूहा मेरे चूची से टकरा गया। मौसा - अरे चूहे। मेरी बीबी की चूची पर सिर्फ मेरा हक़ है तू क्यों चुसना चाहता है। मौसी - अब चुपचाप लेट जा। बकबक मत करना, नहीं तो दवाई असर नहीं करेगी। मौसा - अच्छा मेरी जान, जैसा तू कहेगी, वैसा ही करूँगा। मैं मौसी के जिस्म को अपनी नंगे बदन से सटा लिया। मैं और मौसी एकदम खामोशी से एक दुसरे को चूम रहे थे। मौसी मेरे कान में फुसफुसाई - मुन्ना , अब देर ना कर, जल्दी से लंड डाल दे। मैंने मौसी को वहीँ जमीन पर लिटाया और उसके चूत में अपना लंड दे मारा। मौसी की चीख निकल गयी। मौसा - क्या हुआ? मौसी - राजा जी एक बात बताना मैं भूल ही गयी। डाक्टरनी ने कहा था की अपने पति से चुदवाने से पहले तुम अपने चूत का पानी 2 बार निकाल लेना ताकि सभी अशुद्धियाँ बाहर आ जाय और फ्रेश एवं नया पानी तैयार हो सके। इसलिए मैं अपने चूत का मुठ मार रही हूँ। मौसा - ठीक है मेरी जान, लेकिन ज्यादा मत मार लीजियो, नहीं तो मज़ा खराब हो जायेगा। मौसी ने फुसफुसाते हुए कहा - हाँ रे हरामी, साला एक बार अपने नुनु से माल निकाल कर पस्त हो जाता है और मैं सारी रात बैगन से मुठ मार मार 15-16 बार पानी निकालती रहती हूँ तब तो मेरा पानी का ख्याल नहीं आया था तुझे। मैंने अपनी मौसी की बात सुन कर मस्त हो गया। मौसा से 4 फीट की दुरी पर उसके ही कमरे में मैं उसकी बीबी को चोद रहा था और उस मादरचोद को पता ही नहीं चल पा रहा था। मौसी अब जोर जोर से आवाज कर रही थी। आह आह आह ....मजा आ गया मेरे राजा .... आह ...तेरा भी जवाब नहीं। मौसा - हाय मेरी जान , मुठ मार रही हो लेकिन लगता है कि तुम चुदवा रही हो। मौसी करहाते हुए बोली - हाय ...आह ... आज तो तेरे लंड जिस तरह मुझे चोदेगा उसका ख्याल कर कर के मैं मुठ मार रही हूँ और लग रहा है कि तू मुझे चोद रहा है। अब मैंने तुझे बोलने से मना किया है ना। अब चुपचाप मेरी आह उह सुन और तू भी तैयार रह। मौसा - अच्छा ठीक है मेरी रानी। मैं मौसी के चालाकी पर फ़िदा था। कैसे यह अपने पति के कमरे में ही चालाकी से उसकी मौजूदगी में मुझसे चुदवा रही थी। खैर मैंने अपना सारा ध्यान मौसी के ऊपर केन्द्रित किया और जोर जोर से चोदने लगा। मौसी जंगली बिल्ली की तरह गुर्राने लगी। मेरी मेहनत रंग लायी। मौसी के चूत ने लावा उगलना शुरू किया। मौसी जोर जोर से आ ह आ ह की आवाज निकालने लगी। मौसा - तेरा माल निकल गया क्या? मौसी - हाँ जी। मौसा - तो अब आ जा। मौसी - अभी नहीं, अभी काम पूरा नहीं हुआ है। अभी एक बार और झाड़ना है। और तुम चुप चाप नहीं रह सकते हो क्या? मौसा - ओह हाँ मेरी जान, जल्दी कर अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा। मैंने अपनी गति काफी तेज कर दी। कमरे में अब चूत और लंड के बीच घर्षण की आवाज तैरने लगी थी। जल्दी ही मेरे लंड ने भी लावा उगल दिया। उसके बाद मौसी ने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा - मुन्ना जरा हट तो, आज तेरे लंड से निकला माल तेरे मौसा को चखाती हूँ। मैं मौसी को एक चुम्बन दे कर उसके चूत से अपना लंड निकाल लिया। उसके चूत मेरे लावा और उसका लावा से लबालब भर चूका था। मैं उसके बदन पर से हट कर परदे के पीछे चला गया। मौसी ने लाईट ओन किया। मैंने देखा मौसा अपने 3 इंच खड़े लंड को मसल रहा है। वो लंड कम और किसी बच्चे की नुनु अधिक लग रही थी। मौसी झटाक से बिस्तर पर जा कर खड़ी हो गयी। और बोली - हाय जल्दी करो , मेरा माल निकल रहा है। जल्दी से पी जाओ जी। डाक्टरनी ने कहा था कि चुदवाने से पहले अपने चूत का लावा अपने मर्द को पिला देना इस से तेरे मर्द के अन्दर ताकत आएगी। मौसा ने कहा - ओये मेरी जान , डाक्टरनी ये बात ना भी कही होती तो भी तो मैं तेरी चूत चाटता ही। हमेशा तो तेरी चूत का माल पीता हूँ। कह कर वो मौसी के चूत पर अपना मुंह लगाया और उस में से निकल रहे मौसी का माल और मेरे माल को चटखारे ले ले कर पीने लगा। मौसी की आँखे मस्ती में बंद थी। जब मौसा ने मौसी की पूरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दिया तो उसने कहा - डार्लिंग, आज तेरे चूत का माल का स्वाद कुछ अलग सा लग रहा था। मौसी - तूने दवाई खाई है ना इस लिए तेरे मुंह का स्वाद बदल गया है। अब और दिमाग मत लगा। जल्दी से मेरी चुदाई शुरू कर मेरे राजा। तेरे लंड के लिए मैं कब से बेकरार थी। मुझे मन ही मन हंसी आ गयी। मौसी ने मेरी तरफ अपनी चूत कर के बेड पर लेट गयी। दूर से भी मौसी की चूत देखने में मजे दे रही थी। अब मौसा मौसी की चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा। मौसी की चूत गीली हो गयी थी। मौसी ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा - अरे हरामी चल डाल अपना नुनु मेरे चूत में। मौसी के मुंह से मौसा के लिए हरामी शब्द सुन कर मुझे मजा आया कि दिन के उजाले में यही औरत पतिव्रता की तरह अपने पति की पूजा करती है लेकिन रात में बिस्तर पर इसी को किस तरह गाली दे रही है। लेकिन मौसा ने मज़े लेते हुए कहा - हाँ मेरी कुतिया रानी, आज मैं भी बहुत उत्तेजित हूँ, आज रात भर तुझे चोदुंगा। ये कह कर उसने अपने 3 इंच के नुनु को मौसी के 7 इंच गहरे चूत में डाल दिया। और चोदने लगा। मौसी की चूत आधी से अधिक खाली थी लेकिन वो इस तरह प्रदर्शित कर रही थी जैसे उसकी छुट फटी जा रही है। वो चीखने लगी। मौसा ने उसके मुंह को दबाते हुए कहा - अरे बावली, यूँ चीख मत, मुन्ना सुन लेवेगा। मौसी ने चीखते हुए कहा - अरे मैं अपने पति से चुदवा रही हूँ तो मुन्ना को क्या दिक्कत है? अब वो भी तो जवान हो गया है। क्या वो नहीं जानता कि एक पति - पत्नी रात में क्या करते हैं? मौसा - ठीक है, जैसी तेरी मर्जी। मौसा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। लगता था कि शिलाजीत ने मौसा पर सचमुच असर किया था। दस बारह मिनट हो गए थे लेकिन मौसा का लंड झड नहीं रहा था। तभी मौसी के चूत ने लावा उगल दिया। वो चीख पड़ी। मौसा समझ गया था की उसकी बीबी झड चुकी है। उसने अपनी पकड़ को और मजबूत किया और मौसी के चूत पर टूट पड़ा। अगले दो मिनट तक घमासान चुदाई के बाद मौसा का लंड भी लावा उगलने लगा, लेकिन मौसा का लंड इतना छोटा था कि मौसा के लंड का अधिकांश माल मौसी के चूत के बाहर ही निकल गया। अब मेरी समझ में आया की मौसी अब तक माँ क्यों नहीं बनी और मौसी की चूत एक कुंवारी लड़की की चूत की तरह संकरी क्यों है? मौसा मौसी के बदन पर निढाल पडा हुआ हांफ रहा था। मौसी ने कहा - क्यों जी, आप ने तो कहा था की रात भर चुदाई करूंगा अब क्या हुआ? तू तो अभी से ही पस्त हो गया। मौसा ने कहा - मेरी जान अब मेरे में ताकत नहीं है। अब मैं सोऊंगा। कहते कहते उसकी आँखे बंद हो गयी। दो मिनट में ही वो गहरे खर्राटे लेने लगा। मौसी ने उठ कर परदे हटाये और मुझे अपने बिस्तर पर लेती आई। मौसी मेरे कान में धीरे से कहा - चल अब तू एक बार फिर से मुझे चोद वो भी इसी बिस्तर पर। मैंने मौसा की तरफ इशारा किया। मौसी बोली - अब ये सुबह तक नहीं उठेगा। तू चिंता मत कर। मैंने लाईट की तरफ इशारा किया। लेकिन मौसी ने फिर बड़े ही आराम से कहा - मैं इस भोंदू की नींद को जानती हूँ, तू फ़िक्र ना कर। आज मेरे पति के बिस्तर पर पति के बगल में ही तू मुझे चोद। कह कर मौसी अपनी चूत फैला कर लेट गयी। मौसी की चूत पर मौसा का लावा और मौसी का लावा बह रहा था। मेरा लंड भी चिपचिपा गया था। मैंने भी सोचा - जब मौसी को फ़िक्र ही नहीं है तो मुझे क्या फ़िक्र। मैंने अपना 8 इंच का लंड बिना किसी रुकावट के मौसी के चूत में घूसा दिया और मौसी के चूत को दनादन चोदने लगा। मौसी तो बड़े आराम से चीख रही थी। सारा बिस्तर जोर जोर से हिल रहा था। उसी बिस्तर पर मौसी का पति गहरी नींद में सोया हुआ था। उस साले को पता भी नहीं था कि उसके बगल में ही उसकी बीबी अपने बेटे से चुदवा रही है। पुरे एक घंटे तक मैंने मौसी को उसी बिस्तर पर चोदा। इस बीच मैंने 3 बार अपना लावा मौसी के चूत में डाला। रात के दो बज चुके थे। जब मैंने चौथी बार अपना माल निकाला तो मौसी पस्त हो गयी थी। बोली - बेटा अब मेरे पर रहम कर। अब मेरी चूत में और पानी नहीं बचा है। अब कल जी भर के चोद लेना मुझे। मैं वहां से उठा और नंगा ही अपने कमरे में चला आया। और अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटते ही मुझे गहरी नींद आ गयी। फिर उसके 5 दिन के बाद ही मौसा ने बहुत ही ख़ुशी ख़ुशी हो कर मुझे बताया कि तेरी मौसी माँ बनने वाली है।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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