Friday, October 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI होली का असली मजा--21

FUN-MAZA-MASTI                

 होली का असली मजा--21

लीला थी तो छुटकी और रीमा की समौरिया, उन की सहेली , सगी बहन से भी बढ़कर , साथ में ९वेन में पढ़ती थी।

लेकिन देह उसकी उन दोनों से ज्यादा गदराई थी , शायद एक कारण ये भी था की वो उन दोनों के मुकाबले खेली खायी थी।

कुछ महीने पहले उसके सगे बड़े भाई ने पकड़ कर जबरदस्ती उसके ऊपर चढ़ाई कर दी थी , और फिर बिना नागा रोज हर रात वो बिस्तर पे अपने भाई के साथ कबड्डी गचागच गचागच , खेलती थी।



रीमा और छुटकी के तो टिकोरे थे जैसे क्लास ९ की लड़कियों के होते हैं , लेकिन लीला के कच्ची अमियों की तरह थे ,बड़ी बड़ी , खट्टी मीठी।







और उससे भी जानमारु थे उसके चूतड़।

एकदम लौंडा मार्का। बड़े बड़े, गोल मटोल, खूब कसी और जब वो कसर मसर करते हुए चलती, तो बस।

वो ऐसी गांड थी, जो मरवाने के लिए ही बनी थी।





जबसे उन्होंने लीला के चूतड़ों को देखा था , मन तो उनका खूब ललच रहा था ,

लेकिन कैसे बस यही सोच रहे थे ,

और कुछ हिचक भी रहे थे , थी तो कच्ची कली ही दर्जा नौ में पढ़ने वाली।

लेकिन उनके दिल की बात समझी उनकी सलहज , रीतू भाभी ने। और उनके तो दोनों हाथों में चांदी थी।

एक तो ननदोई खुश होते , और दूसरे ऐन होली के दिन छुटकी ननदिया की कच्ची कसी गांड का बाजा बजता ,वो भी मूसल ऐसे लंड से।

और उन्होंने और उकसाया ,

" इत्ती मस्त कसी कसी गांड , और बिना मरवाये चली जाय , वो भी होली के दिन , बड़ी सख्त नाइंसाफी है "

रीतू भाभी ने इनके कान में फुसफुसाया।

और नाइंसाफी के तोये सख्त खिलाफ थे , और वो भी कुँवारी छोटी साली के साथ।


ऊपर से उनकी नयी बनी साली , रीमा , भी इस मिशन में उनका साथ देने को आतुर थी।


बस रीमा ने आगे से लीला को जबरन पकड़ के निहुरा दिया।

शायद लीला बहुत मुश्किल से जोर लगाकर रीमा की पकड़ से मुश्किल से छूट भी जाती , लेकिन पीछे से रीतू भाभी मोर्चे पे आगयीं।

और रीतू भाभी की पकड़ से तो एक से एक खेली खायी , घाट घाट का पानी पीयी , मायके सासुर दोनों का मजा ली हुयी , ब्याहता ननदे भी नहीं छूट पाती थीं.

लाली तो अभी नयी बछेड़ी थी।


रीतू भाभी ने लाली की छोटी छोटी स्कर्ट पकड़ के उठा दी।

झुकी हुयी लाली के दोनों चूतड़ हवा में उठे थे।

गोरे गोरे , गदराये , मांसल रसीले ,.


पहले तो रीतू भाभी के एक्सपर्ट हाथों ने छुटकी ननद के नंगे चूतड़ों को सहलाया , दबाया , रस लिया ,फिर ननदोई को दिखाते ललचाते पुछा ,

" क्यों कैसे हैं मेरे ननदी के रसीले चूतड़ , हैं न हचक के लेने लायक। "


" क्यों कैसे हैं मेरे ननदी के रसीले चूतड़ , हैं न हचक के लेने लायक। "


बिचारे ये। इनके तो मुंह में पानी आ रहा था।

खूंटा तो पगला के पूरा बित्ता भर का होगया था।
ऐसे ब्वायिस चूतड़ों के तो वो रसिया थे।

और तभी रीतू भाभी ने वो किया की , … बस आग लगा दी।


लाली के दोनों किशोर नितम्बो को उन्होंने जोर से चियार दिया।

और दोनों मांसल गुदाज , चूतड़ों के बीच का कसा कसा द्वार उन्होंने दिखा दिया।

एकदम कसा , चिपका जहाँ ऊँगली घुसाना मुश्किल लग रहा हो, हलकी सी दरार भी बड़ी मुश्किल से दिख रही थी।





और उसमें इनका , इनकी सालियों की मुट्ठी में भी न समाने वाला , फनफनाता , मोटा मूसल कैसे अंदर जाएगा।

लालच के मारे इनकी हालत ख़राब थी।


बिचारी लाली , रीतू भाभी की पकड़ से निकलने के लिए छटपटा , कसमसा रही थी।

लेकिन रीतू भाभी की पकड़ से आज तक कोई ननद बच पायी है , की वही बचती।




और मौके का फायदा उठा के रीमा ने खीच के उसका टॉप उतार दिया।

झुकी ,निहरी लीला की उभरती , चूंचियां उठान वाली छोटी छोटी कच्ची अमियाँ साफ साफ दिखने लगी

….,,,,,
" क्यों नंदोई जी क्या देख रहें हैं , बोलिए ना। मेरी छुटकी ननदिया के मस्त चूतड़ों के साथ ये रसीले टिकोरे फ्री , … होली का जबरदस्त ऑफर। "


बिचारे बोलने की हालत में होलते तो बोलते।

उनकी आँखे तो लीला के मस्त छोटे छोटे चूतड़ों से और खटमीठ कच्ची अमिया से चिपके थे।

रीतू भाभी ने और आग में घी डाला।

लीला की कच्ची कसी गांड के दरार पर उन्होंने अपनी मंझली उंगली रगड़नी शुरू की, इन्हे दिखाते ललचाते।
और ऊँगली के टिप का प्रेशर बढ़ाया , लेकिन रीतू भाभी की लाख कोशिश के बाद भी ऊँगली नहीं घुसी।

उन्होंने लाली को चिढ़ाया ,




" क्यों ननद रानी सूखे लीलोगी या गीली। "

" नहीं भाभी उधर नहीं , प्लीज , आगे वाले में डलवा लुंगी , लेकिन पिछवाड़े नहीं। "

भाभी ने दूसरे हाथ से लीला की चूत जोर से मसली।

सच में वो पनिया गई थी। चूत से एक तार की चासनी की तरह निकल रहा था।

रीतू भाभी ने जिस हाथ से लीला की गांड पे उंगली रगड़ रही थी , उसी से जोर जोर से दो हाथ उसके चूतड़ पे रसीद किये और बोलीं ,



" साल्ली , भाईचोद , छिनार। चूत की चिंता मत कर। बहुत चींटे काट रहे हैं न तुझे , तेरे लिए तो साल भर होली रहेगी। कल से देखना , अपने सारे देवर चढ़ाऊँगी तेरे ऊपर , एक निकालेगा , दूसरा जाएगा। हरदम सड़का बहता रहेगा , तेरे भाइयों का तेरे बुर से। और ये पिछवाड़ा पिछवाड़ा क्या बोल रही है , बोल साफ साफ। '

और उन्होंने
एक चांटा और पहले से भी तेज उसके गोरेगोरे नितम्बों पे दिया।




" नहीं भौजी नहीं , गांड में नहीं। बहुत कसी है नहीं जायेगी बहुत दर्द होगा , गांड नहीं। " लीला ने फिर चिरौरी की।



रीतू भाभी और रीमा में अच्छी सेटिंग हो गयी थी।


रीतू भाभी के ऊँगली , लाली के होंठ की और करने के पहले उसने जोर से लाली के जबड़े दबाये और उसने गौरेया के चोंच की तरह मुंह खोल दिया और गडाप से भाभी ने अंदर पेल दिया।

पूरी की पूरी अंदर थी जैसे कोई लंड मुंह में घुसा हो।

रीमा और रीतू भाभी एक दूसरे को देख के मुस्कराई , और भाभी ने अबतक का सबसे जोरदार चांटा उसके चूतड़ पे मारा , और लीला को हड़काया ,

" हरामी की जनी , चूत मरानो , गदहा चोदी , चूस कस कस छिनार। बस यही तेरे थूक की चिकनाहट मिलेगी तेरी गांड को , खूब थूक लगा चूस। "

और अगले ही पल लेमन जूस टाफी की तरह लीला जोर जोर से मुंह में घुसी ऊँगली चूस रही थी .


और उधर रीतू भाभी , लाली के चूतड़ों पे बने 'आर्ट वर्क ' को दिखा के अपने नंदोई को ललचा रही थीं।


गोरे गोरे चूतड़ों पे लाल लाल फूल खिल आये थे , उसकी जांघो के ऊपरी भाग से शुरू हो कर , एकदम गांड के छेद तक।

और चूतड़ों के ये नए रंग देखकर इनकी हालत और खराब हो रही थी।






लीला अब खूब मन से चूस रही थी , थूक लगा लगा के।


और रीतू भाभी ने एक झटके से उंगली खींच ली और सीधे गांड के छेद पे।

दूसरे हाथ के अंगूठे और तरजनी से उन्होंने पूरी ताकत से अपनी छुटकी ननद के गांड के छेद को चियार रखा था , और लीला के ही थूक से गीली मंझली ऊँगली की टिप , सीधे लीला की गांड में।

लेकिन उसके बाद रीतू भाभी ऐसी भाभी के लिए भी मुश्किल हो रही थी।

गांड के छेद ने जोर से उंगली भींच ली थी।

लेकिन रीतू भाभी तो रीतू भाभी थीं। कितनी ननदों की नथ उन्होंने उतारी थी , आगे की भी पीछे की . उन्होंने पूरे जोर से पुश किया और गोल गोल घुमाती रहीं।

कुछ देर में दो पोर अंदर था।





बस अब उन्होंने गोल गोल घुमाना शुरू किया और एक बार फिर गांड का छेद दिखा दिखा के ललचाना शुरू किया।

उन्होंने इशारा करके पुछा की साल्ली के गांड के अंदर मक्खनमलाई भरी है क्या?


अब मुझे समझ में आया की वो और रीतू भाभी पीछे पड़ पड़ के क्यों लाली को इतना खिला रहे थे।

और रीतू भाभी ने मुस्करा के अपने नंदोई को इशारे में हामी भरी और फिर कलाई का पूरा जोर लगा के अब पूरी की पूरी उंगली अंदर पेलदी।

लीला बड़ी जोर से चिहुंकी , लेकिन भाभी का एक हाथ फिर उसके चूतड़ पर पड़ा , जोरदार।

अब जैसे कोई टेढ़ी ऊँगली से घी निकाले , बस उसी तरह उंगली को मोड़ कर , वो लीला की गांड के भीतरी दीवारों पे जैसे करोच रही थी।

और कुछ देर में जब उंगली निकाली तो सलहज का गेस एकदम सही था।

वास्तव में काफी था , और ननदोई और सलहज एक दूसरे को देख के मुस्कराये।

लेकिन जुगलबंदी , ननद और भौजाई की भी परफेक्ट थी।

रीमा और रीतू भाभी की।

रीतू भाभी ने आँख से इशारा किया और ,

रीमा का एक हाथ सीधे लीला के नथुनो पे था , जिसे उसने जोर से भींच लिया और लीला की सांस रुकने लगी।

रीमा ने साथ ही दूसरे हाथ से दबा के उसके जबड़ो को , उसका मुंह खुलवा दिया।


जब तक वो कुछ समझे समझे , रीतू भाभी की गांड रस से लिपटी , मक्खन मलाई से लिथड़ी , चुपड़ी उंगली , लीला के मुंह में थी और वो लाख गों गों करती रही , रीतू भाभी ने उसे हलक तक ठेल के ही दमलिया।


और अब रीमा ने दोनों हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया था।


और रीतू भाभी गरज रही थीं ,







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