Friday, October 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI होली का असली मजा--22

FUN-MAZA-MASTI                        

 होली का असली मजा--22

 " चाट साल्ली , छिनार , भाई चोदी चाट। साफ कर ,जल्दी चूस के , जैसे अपने भाई का लंड चूसती है , चूतमरानो।
हम सब ने किसी तरह मुस्कराहट दबाई।

कुछ गांड पर चांटे का असर और कुछ रीतू भाभी की गालियों का, थोड़ी ही देर में लीला , सपड़ सपड़ गांड रस से लिथड़ी , उंगली चाट रही थी।

और जब ऊँगली , बाहर निकली , तो एकदम चिक्कन और रीतू भाभी ने जब दुबारा अपनी छुटकी ननदी की गांड में ठेला तो साथ में सूखी ऊँगली भी थी एक।

और अब दो उंगलियां गांड मंथन कर रही थीं ,कभी गोल गोल तो कभी सटासट आगे पीछे। वो दो पोर तक दोनों उंगलियां निकालती और फिर घचाक से , हचक के पेल देतीं। अंदर की मक्खन मलाई से दोनों उंगलियां अब सटासट जा थीं।




प्यार से अपनी किशोर ,कच्ची कली ननद के चूतड़ पर हाथ माारते हुए , उन्होंने चिढ़ाते हुए पुछा ,

" बोल रानी , लेगी मजा ना पिछवाड़े का "
" हाँ , भौजी एकदम , ले लुंगी पिछवाड़े में "


तुरंत जोरका दुहत्थड़ पड़ा लीला के चूतड़ पे और साथ में रस भरी गालियों की बौछार ,

"साल्ली , छिनार , साफ साफ बोल , किससे मरवाएगी , क्या मरवाएगी , सारे खानदान की गांड मारूं , तेरे उमर के तेरे भाई , निकर सरका के बिना लजाये शरमाये , कहीं बाँध के नीचे तो कहीं गन्ने , अरहर के खेत में गांड मरवा रहे होंगे और सारी लाज शरम तेरे बुर में घुसिहै रंडी की जनी। "


बिना रुके लीला बोली ,

" अरे भौजी , हमको गांड मरवानी है और किससे आपके नंदोई और अपने जीजा से " और ये कहते हुए , लीला ने इनको दिखाते हुए , जोर से अपने चूतड़ मटकाए औरकस के आँख मार दी `


बिचारे वो

और ऊपर से उनकी सलहज और सालियों को उकसा रही थीं।

मेरी सबसे छोटी बहन , छुटकी तो अपने जीजा की ओर थी ही।
और उसने अपने जीजू का पगलाया औजार , शॉर्ट्स से आजाद करा लिया था और कभी मुठियाती , तो कभी चुभलाने चूसने लगाती।

बस रीतू भाभी ने उसकी रगड़ाई शुरू की ,

" मारी जायेगी तेरी सहेली की गांड , मजा आएगा तेरे जीजू के लंड को , और मेहनत करूँ मैं। चल सटा जल्दी। "

बस छुटकी हँसते हुए अपने जीजा के मोटे बांस ऐसे लंड को पकड़ के ले आई।

और उधर रीमा भी अब पीछे आ गयी। साली और सलहज भी आ गयीं थीं उनकी सहायता के लिए।

रीमा और रीतू भाभी ने मिलकर , लीला की गांड जोर से फैला दिया थी।






पहले जहाँ , सिर्फ एक दरार दिख रही थी थी बहुत छोटा सा छेद दिख रहा था , और छुटकी ने अपने जीजा के लंड का मोटा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा वहीँ सेट कर दिया।


मुझे अभी भी बहुत मुश्किल लग रहा था।

वो एकदम कच्ची कली थी , नौवें में पढ़ने वाली।

रीतू भाभी ने दो ऊँगली भले ही घुसेड़ दी हो , लेकिन उनकी पतली पतली उँगलियों और इनके हथियार का कोई मुकाबला नहीं था।

कहाँ ये बियर कैन ऐसा मोटा लंड और कहाँ पतली ऊँगली ,


और फिर न कोई चिकनाई ना क्रीम , जब मेरी गांड में पहली बार इनका लंड गया था , मैं एक तो इस बछेड़ी से कम से कम छ सात साल बड़ी रही होउंगी। दूसरे , इन्होने आधी बोतल क्रीम में पहले मेरी कुँवारी गांड में डाली , और बाकी अपने सुपाड़े पे लिथेड़ा। और तब भी मेरी जान निकल गयी थी। इतनी जोर चीखी की मेरी सास ननदों सब ने सूना। और कितनी दिन तक वो सब मुझें चिढ़ाती रही।

लेकिन इनकी सलहज और साली , जबरदस्त थीं।

एक ओर से रीमा ने , लीला की गांड में अंगूठा डाल के अपनी ओर खींचा तो दूसरी ओर , उनकी सलहज ने अंगूठा डाल छोटी ननद की गांड फैलाई।

और अब छेद इतना बड़ा था की उनका सुपाड़ा अच्छी तरह सेट हो सके , बल्कि थोड़ा अंदर भी घुस गया।

बस इतना काफी था इनके लिए।

अपनी साली की कमर पकड़ के जबरदस्त धक्का मारा उन्होंने और आधा सुपाड़ा अंदर घुस गया।

लीला को रीमा और रीतू भाभी ने कस के पकड़ रखा था।

वो गांड पटक रही थी , चीख रही थी , चिल्ला रही थी।


लेकिन ऐसे मौेके पे चीख पुकार चिल्लाहट , रोना कौन सुनता है।

अगर सुनने लगें तो ना किसी लड़की की गांड मारी जाय , न उसकी चूत फटे।


और यहाँ भी कोई नहीं सुन रहा था।

दो तीन जोरदार धक्को के बाद अब उनका सुपाड़ा अच्छी तरह गांड में धंस गया था।






रीतू भाभी ने हँसते हुए रीमा को बोला , " छोड़ दे , साल्ली छिनार को। अब लाख चूतड़ पटके , लंड गांड से नहीं निकल सकता। अब तो इसकी हचक हचक कर गांड मारी ही जानी है। "

और दोनों ने लीला को छोड़ दिया।

रीमा और रीतू भाभी ने तो उसे छोड़ दिया ही था।

अब उनका हाथ भी अपनी कुँवारी , किशोर साली की पतली कमर छोड़ कर , उसके कच्चे उरोजों की ओर बढ़ रहा था।

बात रीतू भाभी की एकदम सही थी।

तीर से बिंधी हिरनी की तरह , वो छटपटा रही थी , कराह रही थी , सिसक रही थी , लेकिन अब तो तीर धंस गया था।

 

थोड़ी देर तक तो उन्होंने कच्ची अमियों को प्यार सहलाया , पुचकारा और फिर कस दबोच लिया , जैसे बहेलिया आसमान में मुक्त उड़ने वाले कबूतर को झपाट से पकड़ ले।



जोर जोरसे कुछ देर उठती उभरती , उस क्लास नौ की साली की चूंची का मजा लेने के बाद जोर से उन्होंने , उन कबूतर के चोंचों को अंगूठे तरजनी के बीच में दबा के मसल दिया। और फिर नाख़ून से स्क्रैच भी कर दिया।


लीला की छोटी छोटी चूंचियों में जो दर्द उठा और मजा भी , पल भर के लिए वो गांड में घुसे सुपाड़े को भूल गयी।

वो तो थे पूरे खिलाड़ी , उन्होंने झुक कर साली के एक टिकोरे को मुंह में भर लिया और लगे खटमीठ स्वाद का मजा लेने।




उभरते टिकोरों का मजा ही कुछ और है , लेकिन कुछ छेड़ते , चिढ़ाते उन्होंने दांत लगा लिया।

और लीला जोर से चीख उठी।

यही तो वो चाहते थे। कच्ची कलियों चोदने का मजा ही क्या , जब तक कुछ चीख चिल्लाहट न हो कुछ आंसू न ढरकें।

रीतू भाभी ने भी तारीफ की निगाहों से।

देर टिकोरों का मजा लेने के बाद , अब फिर एक बार उनके दोनों हाथ लीला के किशोर नितम्बो पे थे।

लेकिन टिकोरे अब उनकी सलहज के कब्जे में थे और वो छुटकी ननद का मजा ले रही थीं।

लेकिन ननदों के साथ और ख़ास तौर पे ननदों की उभरती चूंचियों के साथ वो ज्यादा ही निष्ठुर थीं। 
उधर चूतड़ पकड़ के उनके नंदोई ने एकबार फिर लंड अंदर ठेलना शुरू किया और दूसरी ओर , उनकी प्यारी सलहज ने दोनों निपल , लीला के , एक साथ ट्विस्ट करते हुए जोर से पिंच किये और हड़काया ,

" साल्ली , छिनार , गांड ढीली कर। "


चूंचियों में जो दर्द की लहर उठी तो बिचारी की गांड अपने आप ढीली हो गयी।

यही तोउसके नंदोई चाहते थे।

दोनों चूतड़ पकड़ के उन्होंने वो जो जबरदस्त धक्का मारा , की लीला की चीख पूरे घर में ही नहीं आस पास के घरों में भी पहुंची होगी।

जैसे किसी को बिना धार वाले चाक़ू से हलाल किया जा रहा हो।


लेकिन उसकी चीख रोकने की कोशिश न उन्होंने की , न उनकी सलहज ने बल्कि ताबड़तोड़ , तीन चार धक्के और मार दिए।

अब उसे मोटे मूसल का २/३ करीब ६ इंच अंदर पैबस्त था।


छुटकी बड़ी ध्यान से अपनी समौरिया , अपने क्लास की सहेली की मारी जाती गांड देख रही थी।


लेकिन गांड मराई तो अभी शुरू हुयी थी।

उन्होने हलके हलके , अपना लंड आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाला और , धक्का मारे अंदर पुश करते गए और जहाँ तक पहली बार गया था , वहां तक पहुंचा के रुक गए।



१०-१२ बार इन्होने यही किया तो लंड ने लीला की गांड में अपना रास्ता बना लिया।


लंड दरेरता, रगड़ता , घिसटता , फाड़ता , फैलता उस कच्ची कली की गांड में घुस रहा था।

दर्द तो उसे अभी भी बहुत हो रहा था लकेँ अब बजाय चीखने के वो रुक रुक के कराह रही थी।

रीतू भाभी ने अपनी ननद की चूंची और इनके पीछे आके खड़ी होगयी और इन्हे उकसाने लगी।

" अरे ननदोई जी , इत्ते हलके हलके धक्को से मेरी ननदों को मजा नहीं आता। नहीं मार पा रहे तो मैं तेरी गांड मार के बताऊँ। "

और रीतू भाभी का एक हाथ इनके नितम्बो को सहला रहा था और दूसरे से वो उनके निपल को स्क्रैच कर रही थीं।


असर तुरंत हुआ।

अबकी उन्होंने लंड आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया , एक पल रुके और फिर पूरे कमर के जोर से क्या धक्का मारा।

आलमोस्ट ७ इंच अंदर था।


लीला फिर बड़े जोर चीखी, लेकिन उसकी परवाह किये बिना हचक हचक के वो धक्के मार रहे थे।

अक्खिर सलहज का हुकुम था।
अब गांड मराई अपनी चरम सीमा पर थी।

कच्ची कली , छोटे छोटे टिकोरे वाली , निहुरी हुयी थी।

चूतड़ हवा में उठे और टाँगे खूब फैली , और उसकी कच्ची गांड में पहली बार इनका बीयर कैन ऐसा मोटा हथियार ,सटासट जा रहा था। दोनों हाथों से वो उसकी गांड खूब जोर से चियारे हुए थे। लंड , गांड फाड़ते हुए रगड़ते हुए घुस रहा था , निकल रहा था।

और लीला की अभी खूब जोर से कभी चीख निकल जाती तो कभी कराह , जब जोर से दरेरते , रगड़ते मोटा लंड उनका गांड में अंदर बाहर होता।
.
मैं भी उनके बगल में खड़ी , रीतू भाभी से सटी कभी गांड मराई का मजा देखती तो कभी उनकी मस्त गदराई सलहज की शरारतें।









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