Monday, December 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI माँ-बेटे की चाँदी--2

FUN-MAZA-MASTI

 माँ-बेटे की चाँदी--2

 करीब २ मिनट तक माँ मेरे लंड को चाटी तो फिर मेरा लंड पहले जैसा तन के फुफकार छोरने लगा. तो मैं माँ को बोला "माँ अब मुझसे नहीं रहा जाएगा, चलो जल्दी से सो जाओ." माँ झट से पीठ के बल पर सो गयी. मैंने माँ के कमर के निचे एक ऊँचा तकिया लगाया ताकि चोदने में कोई दिक्कत ना हो. इससे चूत का पूरा मूह खुल गया. ऐसा लग तारा था जैसे गुलाब फूल कलि से अभी-अभी फूल बनी हो. पर मेरी माँ तो मेरे जन्म से पहले ही फूल बन चुकी थी. मैं बड़े गौर से उस चूत को देखने लगा. तभी माँ बोली " देख ले गौर से, इसी चूत के रास्ते तूं बाहर आया था २२ साल पहले." तो फिर मैं बोला "और आज मैं उसी बूर को चोदने जा रहा हूँ." कहते हूवे मैंने माँ के पैर को फैलाया और उनके दोनों पैर के बिच में आकर अपना लंड चूत के छेद पर रखा तभी माँ के मूंह से आह्ह्ह्ह....!! निकल गयी तो मैंने पूछा "क्या हुवा ? अभी तो मैंने रखा है बस" तो माँ बोली "ऐसा लगा जैसे कोई गर्म लाल लोहा रख दिया हो मेरे बूर पर." मैंने लंड को चूत पर टिकाये रखा और माँ की ओर झुकते हूवे माँ के दोनों हाथ को अपने कब्जे में किया. मैं अब उनको इस तरह अपने गिरफ्त में रखा था की कितनी भी कोशिश करने के बाद भी वो मेरे गिरफ्त से छोट नहीं सकती थी.

अब मैंने माँ के चेहरे को देखा, ये देखते ही की मैं उनके चेहरे को देख रहा हूँ माँ ने अपनी आँखे बंद करली. मैंने एक चुम्मा उनके होठ पर लिया और कहा "
आँख क्यूँ बंद करती हो माँ ? देखो ना मेरी तरफ, आज तुम्हारे सेज पर तुम्हारा पतिदेव नहीं बल्कि तुम्हारा बेटा चढ़ा हुवा है. खोलो ना आँखे." तो माँ बोली "नहीं मुझे शर्म आ रही है." तो मैं बोला "इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है? आँख में आँख डाल के करेंगे तो और मजा आएगा." कितना कहने के बाद शर्माते हूवे आँख खोली. क्या खुबसूरत लग रही थी शर्माहत तो उनके चेहरे पे चार चाँद लगा रहा था. मैं चुमते हूवे कहा "माँ तुम कितनी खुबसूरत हो. तुम्हे तो मिस वर्ल्ड होना चाहिए. खैर दुनियां के लिए तू मिस वर्ल्ड नहीं हो तो क्या मेरे लिए तो उससे भी बढ़ कर हो." तो माँ बोली "क्यूँ..? मैं इतनी पसंद हूँ तुम्हे." मैं बोला "हाँ तुम बहोत खुबसूरत हो माँ." कहते हूवे मैंने फिर से उनके ऊपर अपनी पाकर मजबूत कर ली. और बोला "अब तैयार हो अपने इस बेटे का लंड खाने के लिए?" माँ ने हाँ में सर हिलाया. मैंने फिर से लंड को ठीक जगह पर लगाया, माँ को कब्जे में लिया और एक बहोत जोरदार धक्का मार दिया! माँ बदन ऐंठने लगी और बोली "मररर्रर्रर्ररररर्र्रर्र्र्रर्
र्रर्र्रर्र्र....! ग़ेईईईई...! म...ए...!
और बदन इस कदर ऐंठने लगी की जैसे किसी दुर्घटना से किसी की जाँ निकल रही हो.

पूरे बदन से पसीना निकल रहा था. मैं थोडा देर वैसे ही रूका रहा जब ५ मिनट बाद माँ थोडा शांत हूई तो मैं उनको चूमने लगा. और उनके चूची को चूसने लगा.
"मैं एक बात यहाँ बता दूं अगर कभी भी ऐसा हो आपके साथी को बहोत ज्यादा दर्द हो तो उन्हें फिर से जोश में लाने के लिए ये सब करना बेहद जरूरी है. नहीं तो शायद वो ना भी कर सकती है." लंड को वहीँ फसाया हुवा था. माँ को चूमता रहा.


कभी माँ की निचले होठ को मुह में लेकर चूसता तो कभी ऊपर के होठ को, और साथ ही साथ उने चूची को भी मसल रहा था! अभी मैं लंड को वही रोक रखा था, करीब ८-१० मिनट तक मैं माँ को ऐसे ही चूमता-चाटता रहा और चूची को मसलता रहा. तब जाके माँ शांत हूई! तो मैंने माँ से पूछा "अब कैसा लग रहा है माँ..? अब दर्द कम हुवा..?" तो माँ बोली "हाँ अब जाके कुछ दर्द कम हुवा है, पर तुम अपना लंड मेरे चूत से निकाल नहीं तो मैं मर जाऊंगी" तो मैंने बारे प्यार से उनके होठो को चूमा और बोला "कैसी बाते करती हो माँ! ये लंड तेरे बेटे का है ये चूत के लिए ही तो है, भला लंड से कोई मरता है. और मैं भी तो इसी चूत से निकला हूँ. जब तुम्हे तब कुछ नहीं हुवा तो अब क्या होगा..?" तो फिर माँ बोली "हाँ! पर उस दिन मुझे तुझे निकालते समय इतना दर्द नहीं हुवा था जितना आज हो रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे मेरे दोनों टांग अलग कर रहे हो तुम मेरी चूत को चीरते हूवे!"

फिर मैंने सोचा माँ ऐसे मानने वाली नहीं है. तो मैंने लंड को वही रोक कर माँ को फिर से चूमने-चाटने लगा. मैं होठ को चूमा और बोला
"माँ तुम्हारी होठ कितनी रशिली है! पापा तो तुमपे पागल हो जाते होंगे!" और फिर मैं उनके गर्दन को चूमने लगा. तो फिर माँ बिली "तुम्हारे पापा तो मुझे कभी चुमते -चाटते नहीं है बस चूत में लंड डाल के १०-२० धक्के लगाते है और बस सो जाते है." मैं माँ की ध्यान से ये हटाना चाहता था की उसके चूत में मेरा लंड है! मैं मैं कुत्ते की तरह उनके गाल, गर्दन, और होठ को चूम रहा था. कभी-कभी माँ में कान के निचे मैं अपना दांत गारा देता जिससे माँ चींख उठती "आःह्ह.. क्या कर रहा है जालिम... अपनी माँ को इतना सताएगा...." तो मैं बोला "मैं अपने प्यारी माँ को प्यार कर रहा हूँ. आप चुप रहो.." माँ भी इस क्रिया का आनंद उठा रही थी आखिर उसे इस तरह पापा ने कभी प्यार किया नहीं था. माँ अब भूल चुकी थी की उनके चूत में उनके बेटे यानी मेरा होता तगर लंड परा हुवा है, जो अन्दर जाने के लिए तरप रहा है..!

माँ मेरे बाल सहला रही थी तो कभी मेरे पीठ पे हाथ फेर कर मेरा हौसला बाधा रही थी. थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा. फिर मैं माँ को चुमते हूवे ही, ताकि उन्हें पता ना चले, मैं अपने दोनों हाथ से उनको अपने गिरफ्त में ले चूका था! मुझे मालूम था की माँ बचने की भरपूर कोशिश करेगी.. इस लिए मैंने इस तरह पाकर की कितना भी कोशिश कर ले माँ मुझसे बच ना सके! मैं माँ को इस बात का खबर नहीं होने दिया. जब वो मेरी गिरफ्त में पूरी तरह आ गयी तो मैंने एक और जोरदार धक्का दिया.. माँ चिल्लाने लगी
"मैं मर्र्र्रर्र्र्रर..... गेईई..... मुझे छोड़ दीईईए.... आआहहह्ह्ह... मेरी चूत फत्त्त्त गेई...." माँ रोने लगी और बोल रही थी "मैं तुम्हारे हाथ जोरती हूँ. मुझे छोड़ दे मैं मार जाऊंगी..." पर इस बार मैं माँ की बातो पे ध्यान नहीं दे रहा था. मैं चोदे जा रहा था.


मेरी तो बस एक ही तमन्ना थी की आज इस छुट की धज्जिया उड़ा दू जिससे मैं बाहर निकला. माँ पसीने से नहा चुकी थी. उनके बाल गर्दन सब पसीने से तर हो चूका था, पसीने की बदबू मुझे और मदहोश कर रहा था. मैं माँ को सरक की रंडी की तरह छोड़ रहा था हालांकि लंड अभी भी पूरा नहीं घुसा था अभी भी लगभग १-२ इंच अन्दर जाना था. माँ मुझसे लगातार विनती कर रही थी "बेटा मुझे छोड़ दे मैं तुम्हारी माँ हूँ.. मैं मार जाऊंगी.. ये तेरा लंड मेरे जैसे छोटे छुट के लिए नहीं हैं. आअआआहहह्ह्ह.... मार्र्र माँआरररररररररर्रर्र डाला रेईई..!" मैं कुछ नहीं सुन रहा था लगातार चोदे जा रहा था. एक तरह से मैं माँ का रेप (बलात्कार) कर रहा था.

करीब १५ मिनट के चुदाई के बाद वो नोर्मल हूई और अपना चुतर ऊपर उछलने लगी. तभी मैंने बारे प्यार से माँ को चूमा और पूछा
"मजा आ रहा है माँ..?" तो माँ बोली "तुम तो बरे जालिम हो.. मैन तो मार ही जाती आज. भला इतना मोटा तगरा लंड किसी का होता है. ये आदमी का लंड है या घोड़े का.." तो मैं बड़े प्यार से उसके forehead (सर, आँख के ऊपर का हिस्सा, कपार) को चूमा और कहा "माँ ये तेरे बेटे का लंड है जो इसी चूत से निकला था." तभी माँ बोली "और आज इसी चूत को फारने पे लगा हुवा है.." और हसने लगी..! तभी मैं बोला "हर माँ को ऐसा बेटा नसीब थोड़े होता है जो उसी की चूत की प्यास बुझाए" तो माँ बोली "हम्म! ये भी सही है."

इसी तरह बात-चित जारी थी. तभी माँ बोली
"अब मैं झर रही हूँ जोर से धक्के मार." मैंने भी जोर से एक धक्का मारा की माँ फिर से तिलमिला उठी. तभी उनके चूत से ढेर सारा पानी बहने लगा...! मेरा लंड माँ की चूत की पानी में नहा के और फूल गया.. और चिकना हो गया. (जो १ इंच के लगभग बाकी था मै वो भी घुसा चूका था इस लिए माँ तिलमिलाई थी.) अब लंड भी थोडा आसानी से बाहर-अन्दर हो रहा था. मैंने लंड को माँ के चूत में पूरा घुसा कर उनको बांहों में भरा और उठा कर पलंग से निचे ले आया, तो माँ बोली "क्या कर रहा है..? कहाँ ले जा रहा है..?" मैं बोला "कहीं नहीं माँ. बस तुम देखती रहो.." फिर मैंने माँ के कमर तक का हिस्सा पलंग पर रखा, और टांग को मैंने हाथ से पाकर लिए और फिर छोड़ने लगा तो माँ बोली "कैसे-कैसे छोड़ रहा है. कहाँ से सिखा ये सब..?" तो मैं बोला "कही से नहीं माँ बस चुदाई की कुछ फोटो देखे हैं इस तरह के." और मैं छोड़ने लगा..!! बाहर कुछ अलग ही तूफान बह रहा था और घर में कुछ अलग ही, मुझे तो घर के अन्दर की तूफ़ान पसंद था.

इसी बीच माँ फिर से एक बार जहर गयी..!! अब घर में फच-फच की आवाज गूंजने लगी. घर का बातावरण एकदम बदल चूका था. कभी-कभी माँ मेरी आँख में देख कर हंस भी देती थी फच-फच की आवाज सुन कर. एक बार ऐसे ही हसते हूवे बोली
"कितना कमीना है मेरा बेटा..!! अपनी माँ को चोद दिया आज. तू अब माधर चोद है बेटा." मैं हंस दिया और चोदता रहा करीब १ घंटे की चुदाई के बाद मैं अब झरने वाला था तो मैं बोला "माँ मैं अब झरने वाला हूँ." तो माँ बोली "थोडा संभल अपने आप को मैं भी झरनेवाली हूँ..!" फिर मैंने धोरा संभाला अपनाप को और फिर १०-१२ जोरदार धक्के दिए फिर हम दोनों झर गए. मैं उनके ऊपर वैसे ही लेट गया. मुझमे उतनी ताकत नहीं थी की मैं ऊपर चढ़ सकू.


करीब १५ मिनट तक मैं वैसे ही लेटा रहा, उसके बाद जब थोडा होश आया तो मैंने माँ के चेहरे को देखा, माँ पूरी संतुष्टता भरी नजरो से मुझे देख रही थी. तो मैंने उनके निचले होठ के निचे चूमा और कहा "क्या देख रही हो ऐसे माँ..?" तो माँ मेरे बाल सहलाते हूवे बोली "कुछ नहीं बेटा! बस पुरानी यादो में खो गयी थी." तो मैंने पूछा "कैसी पुरानी यादे माँ..?" तो माँ बोली "यही की जिस छोटे से बच्चे को मैंने वर्षो पहले जन्म दिया था, वो आज अपनी माँ को चोद कर, अपनी माँ को खुश करके, बेटा होने का फ़र्ज़ अदा कर दिया." तबतक मैं अपने लंड को माँ की पेटीकोट से साफ़ कर चूका था. और पलंग पर चढ़ चूका था. फिर मैंने माँ को अपने दोनों बांहों के बिच भरा और कहा "माँ! ये तो बस शुरुवात है तेरा कर्ज चुकाने का. मैं तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ." तो माँ मेरे गाल पे चिकोटी काटते हूवे बोली "तो क्या तू मेरा सैयां बन के रहेगा..?" मैंने भी माँ के गाल पे दांत काटते हूवे कहा "तो इसमें बुराई क्या है मेरी माँ...?" माँ की चूत से मेरा वीर्य बाहर बह रहा था. उनके दोनों जांघ पर और गांड पे भी बह कर जा चूका था. माँ बोली "अब तो मैं भी चाहती हूँ की तू मेरा सैंया बन के रहे पर अगर कभी लोगो को पता चल गया तो हम..." तभी मैं माँ की बात को काटते हूवे माँ को अपने बांहों में जोर से भर कर उनके होठो को जोर से चूमा और फिर बोला "मेरी प्यारी माँ! तुम दुसरे की चिंता क्यूँ करती हो..?" और फिर मैंने माँ के गाल पे दांत काट लिया! फिर से मेरा लंड खड़ा हो चूका था. बस माँ को फिर से गरम कर रहा था. माँ "आआह्ह्ह..." की चीख निकली. और फिर मैंने बोला "जब हम और तुम किसी को नहीं बताएँगे तो किसी को कैसे पता चलेगा?" और फिर मैं उनके गर्दन को जानवर की तरह चाटने-चूमने लगा. तो माँ मुझे हटाते हूवे बोली "और अगर तेरे पापा को पता चल गया तो.. फिर तो मुझे मार डालेंगे." तो मैंने बड़े प्यार से उनके बाल को सहलाया, माँ मेरी आँखों में बेबस भरी नजरो से देख रही थी. मैं भी उनके आँखों में देखते हूवे कहा "तुम चिंता मत्त करो जब तक मैं हूँ आपको कुछ नहीं होगा. और पापा को भी तभी पता चलेगी ना जब कोई बताएगा! और हम दोनों मेसे तो कोई बताने वाला है नहीं. तो तीसरा कौन बतायेगा.?" फिर मैंने उन्हें अपने सिने से जोर से चिपका लिया. माँ ने भी मुझे जोर से पकड़ ली और बोली "तुम दुनिए में सबसे प्यारे बेटे हो जो अपनी माँ के बारे में इस तरह सोचता है." तो मै बोला थोडा मजाकिया अंदाज में "हां माँ उसके कई कारण है" तो माँ बोली "अच्छा! कौन-कौन सी..?" तो मैं बोला "पहला आप मेरी माँ हैं, दूसरा आपसे मैं बहोत प्यार करता हूँ, तीसरा आप बहोत खुबसूरत भी है, चौथा आपका हाल पापा के बिना क्या होता है वो मैं समझता हूँ" तभी माँ बोली "बस-बस! नहीं तो आगे बोलेगा की आपने मुझे चोदने दिया. और आगे भी चोदने देंगी.

तो मैंने पूरे मस्ती भरे अंदाज में अपने दोनों पैरो में फसाया उनके टांगो को और फिर दोनों हाथ से उनको अपने बांहों में भरते हूवे बोला
"तो मेरी माँ अब मेरे मन की बात समझने लगी है." और फिर मैं माँ के गर्दन और छाती के उपरी हिस्से को चूमने लगा. जब मैंने दोनों टांगो से उनके टांगो को दबाया तो शायद उन्हें मेरा वीर्य जो उनके चूत से निकल रहा था वो चिप-छिपा सा लगा, तो माँ बोली कुछ चिप-चिप कर रहा है और उठ कर बैठी फिर देखने लगी तभी उन्हें मेरा वीर्य गांड पे भी महसूस हुवा. तो माँ बारे आश्चर्यचकित होकर मेरे तरफ देखने लगी. फिर अपने पेटीकोट से साफ़ करने लगी तो मैं बोला "क्या देख रही थी प्यारी माँ?" तो माँ वीर्य साफ़ करते हूवे बोली "इतना वीर्य तो तेरे पापा ने कभी नहीं गिरग मेरी चूत में" तो फिर मैं मस्ती भरे अंदाज में बोला "जो काम बाप से नहीं हो पाया वो बेटा कर रहा है ना माँ." और फिर मैं माँ को अपनी तरफ झपटा, और माँ के होठो को चूमने लगा! माँ मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी उम्मममम... उम्म्ममम्म...!! पर मेरा लंड फिर से धूम मचने के लिए तैयार था इसलिए मैं छोड़ नहीं रहा था. और फिर मैंने एक हाथ से माँ की चूत को सहलाने लगा! माँ मुझसे बचने की कोशिस करती रही पर जब बात नहीं बनी तो आख़िरकार उन्हें अपने बेटे के सामने आत्म समर्पण करना पड़ा और फिर माँ भी साथ देने लगी. अब हम दोनों एक दुसरे को चूमने-चूसने-चाटने लगे. मैं माँ की चूत सहला रहा था तो माँ ने अपने हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी. करीब १५ मिनट तक ऐसा चला!
 
 
















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