Tuesday, June 9, 2015

FUN-MAZA-MASTI दीदी और मेरी पहली चुदाई

FUN-MAZA-MASTI


दीदी और मेरी पहली चुदाई

 

हेलो फ्रेंड, मैं राज और मैं आज आप लोगो को एक कहानी सुनाने जा रहा हु. उम्मीद है, आप लोगो को पसंद आएगी. अगर आप लोगो को मेरी स्टोरी पसंद आये, तो कमेंट जरुर करे. तो अब मैं स्टोरी पर आता हु. ये कहानी मेरे और मेरी दीदी के बीच की है. मैं १८ साल का हु और मेरी दीदी मुझसे ४ साल बड़ी है. मेरी दीदी बहुत ही सुंदर और सेक्सी है, बिलकुल किसी मॉडल की तरह. मेरे दीदी का नाम रिया है. बहुत पुरानी बात है ये, मेरा घर २ फ्लोर का है. नीचे एक मास्टर बेडरूम, एक डाईंगहॉल, बाथरूम, लिविंगरूम और एक गेस्ट रूम है. मास्टर बेडरूम में मम्मी – पापा सोते है और ऊपर वाले फ्लोर में २ बेडरूम, एक बड़ा रूम और एक हॉल है. १ बेडरूम में दीदी सोती है और एक में मैं सोता हु. बाथरूम एक ही होने की वजह से हमें शेयर करना पड़ता था.
मेरी दीदी का सुबह कॉलेज का टाइमिंग और मेरे स्कूल का टाइमिंग एक ही होने की वजह से मुझसे पहले ही नहा कर निकल जाती थी और मैं बाद में नहाता था. एक दिन मुझे थोड़ा जल्दी जाना था स्कूल और दीदी बाथरूम में घुसी हुई थी. मैंने दीदी को आवाज़ लगायी, जल्दी निकलो दीदी. मुझे आज स्कूल जल्दी जाना है. मेरी आज एक्स्ट्रा क्लास है. दीदी बोली – थोड़ा इतंजार करो. मैं अभी घुसी हु. मैंने सोचा, चलो नीचे मम्मी पापा वाला बाथरूम यूज़ कर लेता हु,पर वहां पर मम्मी नहा रही थी. फिर मैं ऊपर दीदी के बाथरूम का दरवाजा जोर से नोक किया. शायद, दरवाजा ठीक से लॉक नहीं हुआ था और एकदम से खुल गया. अन्दर देख कर मैंने तो एकदम से दंग रह गया. दीदी अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही थी. दीदी तुरंत अपने आपको ढकने लगी और बोली – छोटू (दीदी मुझे बचपन से ही छोटू बुलाती थी) तुमको बोला था ना, थोड़ा रुको. थोड़ी देर रुक नहीं सकता? मैंने तो सामने के नज़ारे को देख कर दंग था और कुछ भी बोल नहीं पा रहा था.
फिर बोला – दीदी मुझे जल्दी स्कूल जाना है (मैंने इस तरह से भोला बनते हुए कहा, जैसे कि मुझे कुछ पता ही ना हो). आप पता नहीं सुबह से यहाँ घुसी हुई क्या कर रही हो? दीदी मुझे जाने के लिए बोलने लगी. उसने बोला – बाद में नहाने आना. पर मुझे दीदी को देखना था. बहुत ही सुंदर लग रही थी और मेरा लंड तो एकदम से तन कर खड़ा हो गया था. मैंने दीदी को रिक्वेस्ट की, प्लीज मुझे जल्दी से नहाने दो. मैं शांति से नहा कर चले जाऊँगा. दीदी कुछ सोची और बोली – ठीक है. अन्दर आ जाओ. लेकिन, किसी को बोलना मत, अभी जो हुआ. मैंने कहा – ठीक है दीदी. तब तक दीदी अपने आपको टॉवल में लपेट चुकी थी. मैंने शावर चालू किया और नहाने लगा. साबुन लगाते हुए, मैंने दीदी को पूछा – आप क्या कर रही थी? दीदी बोली – कुछ नहीं कर रही थी मैं. मैं भोला बनते हुए बोला – ऐसे कैसे कुछ नहीं. मैंने आपको वहां के बाल साफ़ करते हुए देखा था. दीदी मुस्कुराते हुए बोली – छोटू, वहां पर बाल ज्यादा हो गये थे, इसलिए मैं साफ़ कर रही थी.
दीदी पर मेरे यहाँ पर बाल नहीं है और आपके है.. क्यों? दीदी ने कहा – तेरे भी बाल आ जायेंगे. तुम मेरे जितने जब बड़े हो जाओगे, तब. तो मैंने कहा – ऊऊ, ऐसा. फिर मैंने दीदी से कहा, आप मुझे अपना वाला दिखाओ ना, मुझे देखना है कि बाल होते कैसे है? दीदी बोली – छोटू, तुम बहुत बदमाश हो. मैंने कहा – क्या दीदी? मैंने सिर्फ देखने को कहा है, इसमें बदमाश होने वाली क्या बात है? दीदी बोली – नहीं मैं नहीं दिखा सकती. मैं रिक्वेस्ट करने लगा. प्लीज दीदी दिखाओ ना. नहीं तो मैं सबको बता दूंगा, कि आप बाथरूम में क्या कर रही थी. दीदी डर गयी और बोली – अच्छा, दिखाती हु. पर किसी को बताना मत, पहले प्रोमिस करो. मैंने कहा – ठीक है दीदी. फिर दीदी ने अपना झांट वाला चूत दिखाया, जो थोड़ा सा साफ़ किया हुआ था. सब कुछ जानते हुए भी, मैं भोला बन रहा था, कि मुझे कुछ नहीं मालूम.
दीदी ये क्या, आपका तो मेरे से अलग है. दीदी हँसते हुए बोली – छोटू, तुम्हे कुछ नहीं पता किया? तुम्हारी स्कूल में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? मैंने नहीं में सिर हिला दिया. दीदी बोली = कोई बात नहीं. मैं बता देती हु. लड़की और लड़के डिफरेंट होते है. लड़की वाले को चूत कहते है और लड़के वाले को लंड कहते है. मेरा तो लंड पहले सी खड़ा हो रहा था. दीदी आप अपने बाल साफ़ कर सकती हो, मेरे सामने. मैं किसी को कुछ नहीं बोलूँगा. दीदी बोली – ठीक है. फिर दीदी अपनी झांट साफ़ कर रही थी मेरे सामने. इधर मेरा तो हाल बुरा हो रहा था. बाल साफ़ होने के बाद, दीदी की चूत बहुत ही चिकनी और सुंदर दिख रही थी. उधर दीदी अपने बाल साफ़ करे हुए, काफी गरम हो चुकी थी. मेरे लंड पर दीदी की नज़र गयी, तो दीदी बोली – तुम भी अपना अंडरवियर उतार लो. अब पहनने का कोई फायदा नहीं. मुझे शरम आ रही थी. फिर दीदी ने खुद से मेरा अंडरवियर उतारा और मेरे साथ शावर में खड़े होकर नहाने लगी.
इधर हम दोनों आमने – सामने खड़े होकर शावर ले रहे थे. मेरा लंड खड़ा होने की वजह से दीदी की चूत से स्ट रहा था. दीदी की चूत की गरमी और चिकनाई मेरे लंड में महसूस हो रही थी. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, अपना लंड दीदी की चूत का छेद सीधा मेरे लंड से स्ट रहा था. उनकी चूत की चिकनाई और गर्मी मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थी और मेरा लंड पूरा तन के खड़ा हो चूका था. मैंने धीरे – धीरे अपना लंड दीदी की चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया. दीदी को भी मज़ा आ रहा था. वो भी बिना कुछ कहे चुपचाप शावर ले रही थी और मज़ा भी. मैंने अपना मुह दीदी की चूची पर लगा दिया और चूसने लगा. मुझे तो मानो कोई हूर ही मिल गयी थी. स्कूल जल्दी जाने के टाइम की वजह से मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाया था और कुछ देर बड दीदी की चूत पर बाहर से लंड को रगड़ कर, अपना माल उनकी चूत पर छोड़ दिया. वो बोली – छोटू, तेरा काम तो हो गया. मेरा काम आज रात को करना. फिर, हम जल्दी से बाहर निकले और मैं स्कूल चले गया और वो कॉलेज. उस रात हमने मस्त चुदाई का प्रोग्राम किया. वो कहानी अगली बार…

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator