FUN-MAZA-MASTI
मस्त भरी इश्कबाज़ी
मेरी और मेरी कामुक लड़की फिरोज़ी की के साथ कुछ ज्यादा ही जमती थी
हम काफी समय से एक दूसरे के सतह थे और इसीलिए बहुत अछे दोस्त भी बन चुके
थे | फिरोज़ी मेरी पड़ोसन थी और हमारे पिता के साथ ही एक ही कार्यलय में
काम भी किया करते थे | फिरोज़ी बहुत ही सुन्दर लड़की थी और मैं कुछ सालों
पहले तो उसके साथ शादी वाले सपने देखते हुए आ रहा था | जब अब मैं २३ साल का
हुआ और अपना कॉलेज खतम करके घर वापस लौटा तो पता चला की फिरोज़ी वो भी अभी
२ वर्ष कॉलेज कर रही है | सालो बाद फिरोज़ी को देखते ही मैं बस उसे देखता
ही रह गया था | वो अब मस्त दिखने वाली कामुक लड़की लड़की बन चुकी थी और उस
जैसी तो मैंने अपने कॉलेज में भी नहीं देखि थी |
अब मैं भी काफी बिगड चूका था और वहाँ पर दोस्तों के साथ आयदिन पोर्न फिल्में रात को देखा करता था | अब मैं फिरोज़ी को अपने दोस्त की तरह नहीं बल्कि अपने शिकार की तरह देखने लगा था | उसकी चाल मुझे पीछे से बड़ी ही मस्तानी लगती थी और मन करता था बस अपने हाथों से उसके चूतडों को पकड निचोड़ डालूं | मैं उससे जान बुझ कर इश्कबाज़ी किया करता था जिसपर वो कभी शर्माते तो कभी मुझे हलके से अपने हाथ से मार दिया करती थी | मैं समझ गया था की अब तो मेरी पाँचों उँगलियों घी में जा चुकी हैं | मैं कभी चलते हुए उसके हाथ को पकड़ अपनी तरफ खींच लिया करता था और बस टूम – टूम देखती ही रह जाया करती थी |
मैं उसके साथ जानबूझ कर रोमांटिक बातें किया करता था और और कभी अकेले में उसके हाथ को पकड चूम भी लिया करता था | अब जब मुझे एक दिन घर पर अकेले समय बिताने का मौका मिला तो मैंने दोपहर को उसे अपने घर बुला लिया और आज नईया पार कराने के इरादे में ही था | मैंने कमरे के सभी पर्दों को ढक दिया जिससे काफी अँधेरा हो चु़क था और उसके आते ही मैंने उसके हाथ को पकड़ अपनी तरह खींच अपनी बाहों में ले लिया और पलक ना झपकते ही उसके के होंठों को चूसते हुए उसकी कुर्ती को भी उतार दिया | मैं तो गर्म पहले से ही था और फिरोज़ी भी बिलकुल गरमा चुकी थी इसीलिए जल्द ही मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और फिरोज़ी के चुचों को मसलता हुआ चूसने लगा |
मैं फिरोज़ी के चुचों को पीते हुए उत्तेजित हो चूका था और इससे पहले मैं आगे बढ़ता हुआ उसे बिस्तर पर लिटा दिया | वहीँ मैंने फिरोज़ी की पैंटी को सरकाते हुए उसकी चुत पर खुजली करने लगा जिससे फिरोज़ी अब मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी | मैंने फिरोज़ी की चुत की अपने जीभ निकलकर चाटने लगा और उसके पुरे बदन में कामुक लहरियाँ दौड पड़ी | कुछ देर बाद ही उसका गाढ़ा कामरस निकल पड़ा और अब मैं उसकी चिकनी हो चुकी चुत के भीतर ऊँगली रगड़ने लगा | अपने आखिर पढाव में मैंने फिरोज़ी की जाँघों को उप्पर की ओर उठाते हुए चुत का छेद अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत सटाया और एक दम जोर का धक्का आँख बदन मार डाला और उसकी पहली बार में जोर की चींख निकल पड़ी |
मैंने देखा की मेरा लंड तो उस कामुक लड़की की चुत में पार ही चूका था | अब धीरे – धीरे अपनी गति लेते हुए मैं उसकी चुत में अपने लंड को सरकाए जा रहा था और उसकी भी मदमस्त कर देने वाली सिस्कारियां निकल रही थी | मेरा हौंसला अब और बढ़ता चला गया जिससे अब मैं फिरोज़ी की चिकनी चुत में जोर के झटके देने लगा और बस उसके गुलाबी होंठों को चुस्ता हुआ उसके बंद पर लेता हुआ चोदता ही जा रहा था | कुछ १० मिनट के अंदर की मैं आसमन में उड़ रहा था और देख की मैं झड चूका हूँ फिर थकी हारी नींद में कब सो गया पता ही नहीं चला | वो दस मिनट का सफर किसी जन्नत की सैर से कम नहीं था मेरे लिए |
अब मैं भी काफी बिगड चूका था और वहाँ पर दोस्तों के साथ आयदिन पोर्न फिल्में रात को देखा करता था | अब मैं फिरोज़ी को अपने दोस्त की तरह नहीं बल्कि अपने शिकार की तरह देखने लगा था | उसकी चाल मुझे पीछे से बड़ी ही मस्तानी लगती थी और मन करता था बस अपने हाथों से उसके चूतडों को पकड निचोड़ डालूं | मैं उससे जान बुझ कर इश्कबाज़ी किया करता था जिसपर वो कभी शर्माते तो कभी मुझे हलके से अपने हाथ से मार दिया करती थी | मैं समझ गया था की अब तो मेरी पाँचों उँगलियों घी में जा चुकी हैं | मैं कभी चलते हुए उसके हाथ को पकड़ अपनी तरफ खींच लिया करता था और बस टूम – टूम देखती ही रह जाया करती थी |
मैं उसके साथ जानबूझ कर रोमांटिक बातें किया करता था और और कभी अकेले में उसके हाथ को पकड चूम भी लिया करता था | अब जब मुझे एक दिन घर पर अकेले समय बिताने का मौका मिला तो मैंने दोपहर को उसे अपने घर बुला लिया और आज नईया पार कराने के इरादे में ही था | मैंने कमरे के सभी पर्दों को ढक दिया जिससे काफी अँधेरा हो चु़क था और उसके आते ही मैंने उसके हाथ को पकड़ अपनी तरह खींच अपनी बाहों में ले लिया और पलक ना झपकते ही उसके के होंठों को चूसते हुए उसकी कुर्ती को भी उतार दिया | मैं तो गर्म पहले से ही था और फिरोज़ी भी बिलकुल गरमा चुकी थी इसीलिए जल्द ही मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और फिरोज़ी के चुचों को मसलता हुआ चूसने लगा |
मैं फिरोज़ी के चुचों को पीते हुए उत्तेजित हो चूका था और इससे पहले मैं आगे बढ़ता हुआ उसे बिस्तर पर लिटा दिया | वहीँ मैंने फिरोज़ी की पैंटी को सरकाते हुए उसकी चुत पर खुजली करने लगा जिससे फिरोज़ी अब मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी | मैंने फिरोज़ी की चुत की अपने जीभ निकलकर चाटने लगा और उसके पुरे बदन में कामुक लहरियाँ दौड पड़ी | कुछ देर बाद ही उसका गाढ़ा कामरस निकल पड़ा और अब मैं उसकी चिकनी हो चुकी चुत के भीतर ऊँगली रगड़ने लगा | अपने आखिर पढाव में मैंने फिरोज़ी की जाँघों को उप्पर की ओर उठाते हुए चुत का छेद अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत सटाया और एक दम जोर का धक्का आँख बदन मार डाला और उसकी पहली बार में जोर की चींख निकल पड़ी |
मैंने देखा की मेरा लंड तो उस कामुक लड़की की चुत में पार ही चूका था | अब धीरे – धीरे अपनी गति लेते हुए मैं उसकी चुत में अपने लंड को सरकाए जा रहा था और उसकी भी मदमस्त कर देने वाली सिस्कारियां निकल रही थी | मेरा हौंसला अब और बढ़ता चला गया जिससे अब मैं फिरोज़ी की चिकनी चुत में जोर के झटके देने लगा और बस उसके गुलाबी होंठों को चुस्ता हुआ उसके बंद पर लेता हुआ चोदता ही जा रहा था | कुछ १० मिनट के अंदर की मैं आसमन में उड़ रहा था और देख की मैं झड चूका हूँ फिर थकी हारी नींद में कब सो गया पता ही नहीं चला | वो दस मिनट का सफर किसी जन्नत की सैर से कम नहीं था मेरे लिए |
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