FUN-MAZA-MASTI
कहानी बिन पैसे वाली रंडी की
आज मैं आपको दोस्तों देसी रंडी की मस्तानी कहानी के बारे मं बताने
जा रहा हूँ | मुझे उम्मीद मेरी कहानी पढकर आप उसी तरह लुप्त उठाएंगे जिस
तरह मैंने उसका कांड करते हुए लुप्त उठाया था | मेरे एक दोस्त ने बताया की
यहाँ आस – पास के पहुल में एक देसी रंडी रहती है जो बिना ही पैसे में चुदवा
लेती है और दोस्तों मुझे भी तो किसीऐसी ही औरत की ज़रूरत थी क्यूंकि मैं
अपनी बीवी से बिलकुल ही तंग आ चूका था और इसिलए मैंने उसको चोदने का प्लान
बनाया | मेरे दोस्त ने बताया की अगर उसे मोटा लंड दिख जाए तो वो बिना पैसे
में चुदवाने के लिए तैयार हो जायेगी | मुझे अब कैसे भी उसे अपना लंड पा
प्रदर्शन कराना था |
मैंने पहले रंडी के घर का पता लगाया और उसी के उप्पर की छत पर मैं एक दिन बैठ गया | जब शाम ढली तो मैंने जान – पूछ कर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो नीचे वाले माले से उझे देख सकती थी और मैं उसे ना देखने किया एक्टिंग पेल रहा था | आखिर सब कुछ काम बन गया और वो मेरे लंड को देख इतनी उत्तेजित हुई को मुझे छत पर ही बुलाने आ गयी और पानी पिलाने के बहाने अपने घर में बुला लिया | अंदर जाते ही वो बोली, शायद तुम्हारे मोटे लंड को किसी मस्तानी चुत की ज़रूरत है . . .! ! उसने तभी अपना पल्लू नीचे गिरा दिया | मैं तभी उसे अपनी हाथों से पकड़कर लिपट गया और अंदर खटिया पर लिटाकार अपनी बाहों में भरकर चूमने लगा |
उस रंडी ने कुछ पल में ही अपनी पूरी साडी भी खोल दी और मैंने देखा की उसके बड़े ही मोटे लटके हुए चुचे थे बिलकुल पके हुए आम की तरह जिन्हें मैंने कसके दबाता हुआ चूसने लगा | वो उत्तेजना भरे मन से मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी जिसपर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था | मैंने अब रंडी की चुत को अपनी उँगलियों से उसकी चुचियों के सेवा करते हुए रगड़ने लगा जिसपर उसकी गहरी – गहरी सिस्कारियां निकलने लगी थी | मैंने मौका मारते ही अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चुत पर टिकाते हुए अब अंदर – बाहर ज़ोरों से करना चालू कर दिया था | कुछ देर बाद ही वो रंडी मेरे लंड से चुदने के लिए जोर देने लगी ज्सिपर मैंने अपने लंड पर थूक लगकार चुदाई के लिए तैयार कर लिया |
अब मैंने अपनी सेक्स कहानी में अब उस रंडी की चुत में एक झटके के साथ ही अंदर – बहार करते हुए धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दिया | वो रंडी अब चिल्लाते हुए अपनी ऊँगली को चुत को उप्पर से मसलने लगी और ज़ोरों की बेहरहम चुत – चुदाई को करने के लिए कहने लगी | मेरा भी अब दिमाक बस अब काम करना बदन कर गया तो मैंने उसकी अपने झटके अन्धादूंध उसकी चुत में ठोकते हुए रंडी के चूतडों को लाल कर दिया | उस दिन मैंने उसकी उस खटिया पर ही अपने बरसों के यौन सुख की प्राप्ति की | अब तो वो रांड भी मेरे लंड की इतनी दीवानी हो चली की रोज – रोज मुझसे चुदने चली आती |
मैंने पहले रंडी के घर का पता लगाया और उसी के उप्पर की छत पर मैं एक दिन बैठ गया | जब शाम ढली तो मैंने जान – पूछ कर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो नीचे वाले माले से उझे देख सकती थी और मैं उसे ना देखने किया एक्टिंग पेल रहा था | आखिर सब कुछ काम बन गया और वो मेरे लंड को देख इतनी उत्तेजित हुई को मुझे छत पर ही बुलाने आ गयी और पानी पिलाने के बहाने अपने घर में बुला लिया | अंदर जाते ही वो बोली, शायद तुम्हारे मोटे लंड को किसी मस्तानी चुत की ज़रूरत है . . .! ! उसने तभी अपना पल्लू नीचे गिरा दिया | मैं तभी उसे अपनी हाथों से पकड़कर लिपट गया और अंदर खटिया पर लिटाकार अपनी बाहों में भरकर चूमने लगा |
उस रंडी ने कुछ पल में ही अपनी पूरी साडी भी खोल दी और मैंने देखा की उसके बड़े ही मोटे लटके हुए चुचे थे बिलकुल पके हुए आम की तरह जिन्हें मैंने कसके दबाता हुआ चूसने लगा | वो उत्तेजना भरे मन से मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी जिसपर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था | मैंने अब रंडी की चुत को अपनी उँगलियों से उसकी चुचियों के सेवा करते हुए रगड़ने लगा जिसपर उसकी गहरी – गहरी सिस्कारियां निकलने लगी थी | मैंने मौका मारते ही अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चुत पर टिकाते हुए अब अंदर – बाहर ज़ोरों से करना चालू कर दिया था | कुछ देर बाद ही वो रंडी मेरे लंड से चुदने के लिए जोर देने लगी ज्सिपर मैंने अपने लंड पर थूक लगकार चुदाई के लिए तैयार कर लिया |
अब मैंने अपनी सेक्स कहानी में अब उस रंडी की चुत में एक झटके के साथ ही अंदर – बहार करते हुए धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दिया | वो रंडी अब चिल्लाते हुए अपनी ऊँगली को चुत को उप्पर से मसलने लगी और ज़ोरों की बेहरहम चुत – चुदाई को करने के लिए कहने लगी | मेरा भी अब दिमाक बस अब काम करना बदन कर गया तो मैंने उसकी अपने झटके अन्धादूंध उसकी चुत में ठोकते हुए रंडी के चूतडों को लाल कर दिया | उस दिन मैंने उसकी उस खटिया पर ही अपने बरसों के यौन सुख की प्राप्ति की | अब तो वो रांड भी मेरे लंड की इतनी दीवानी हो चली की रोज – रोज मुझसे चुदने चली आती |
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