Wednesday, December 18, 2013

FUN-MAZA-MASTI हरामी चाचा

FUN-MAZA-MASTI

 हरामी चाचा
मेरा नाम प्रियंका है मेरी उम्र इस समय १8 साल है .मेरे मकान से बिल्कुल पास दीपक चाचा का मकान है.में उनको दीपू चाचा कहती हूँ.वह मेरे पापा के दोस्त हैं हमारे मकानों की छतें आपस में मिली हैं .हम तीसरी मंजिल पर रहते हैं और एक दूसरे की छत पर आसानी से जा सकते हैं दीपक मेरी मम्मी को निम्मो भाभी कह कर पुकारते हैं और भाभी के नाते से अक्सर उनसे मजाक भी किया करते हैं लेकिन मम्मी इसका कोई बुरा नहीं मानती हैं .मेरे पापा रेलवे में ड्राईवर हैं .और और तीन तीन दिनों तक घर से बाहर ड्यूटी पर बाहर रहते हैं .जब वह घर आते हैं तो काफी थके हुए होते हैं .और शराब पीकर फ़ौरन खाना खाकर ऐसे सो जाते है की आठ घंटे के बाद ही उठते हैं।
नीचे वाली गली में दीपू का जनरल स्टोर है.जिस से हम जरूरी सामान खरीदते हैं दीपू रोज़ छत्त पर कसरत करते हैं। और सिर्फ़ एक चड्डी पहन कर अपने बदन की तेल से मालिश करते हैं.उसी समय मम्मी भी छत पर कपडे सुखाने के बहाने जानबूझ कर चली जाती हैं.जब चाचा तेल लगा कर दंड बैठक लगाते हैं तो उनका लंबा मोटा लंड साफ़ दिखायी देता है .मम्मी उसे बड़े गौर से देखती रहती हैं, और चाचा उन्हें मुस्करा कर आँख मार दते हैं। मम्मी दीपक से अक्सर कहती हैं की दीपक यह जवानी किसके लिए बना रहे हो,तो दीपक कहता की अगर आपको पसंद हो तो आप ही लेलो ।
वैसे मेरी उम्र १५ साल है ,लेकिन मेरा शरीर काफी विकासित हो गया है, मेरे स्तन बड़े और कठोर हो गए हैं.और गांड भी उभर गयी है.मुझे सेक्स के बारे में थोड़ा थोड़ा ज्ञान हो गया है। मैंने कई बार देखा की मम्मी चुपचाप दीपक को अपनी छत पर किसी न बहाने बुला लेती थीं। और उससे घुलमिल कर बातें किया करती थीं .दीपक भी मम्मी को अपनी बाहों में लेकर चूम लेता था.और कभी उनकी चुचिया दबा देता या गांड पर हाथ फिरा देता.हमारी छत पर एक स्टोर रूम है। अचानक मम्मी छत वाले स्टोर रूम में चली गयीं,और आँख मार कर दीपक को आने का इशारा कर दिया.दीपक अपनी छत पर कसरत कर रहा था.उसके बदन पर तेल लगा था.मैं भी चुपचाप से वहाँ पहुँच गयी,स्टोर रूम के दरवाज़े में एक छेद था .में उस छेद से सब कुछ सुन और देख सकती थी.मेने देखा की दीपक मम्मी को दनादन चूम रहा है.और चड्डी में दीपक का लंड फनफना रहा है.दीपक बोला की निम्मो मेरा यह लंड कबसे तुम्हारी चूत के लिए तरस रहा था.लेकिन कयी बार बुलाने पर भी तुम नहीं आयी .मम्मी बोलीं की तुम आज जमकर चुदाई करो.और अपने लंड के साथ मेरी चूत की प्यास भी बुझा दो। पिंकी के पापा शराब पीकर खुर्राटे ले रहे हैं। और आठ घंटे से पहिले नहीं जागेंगे। मामी ने फ़ौरन दीपक्का लंड बाहर निकाला और हाथ में पकड़ लिया.दीपक के उस लंड को देख कर मैं डर गयी.करीब ११ इंच लंबा और काफी मोटा लंड था.मैंने सोचा की मम्मी इस इतने बड़े लंड को कसे झेल पाएंगी। तभी झुककर लंड चूसने लगीं.और दीपक भी मम्मी की चूचियां मसलने लगा। मम्मी मस्त होकर सी सी सी ओह ओह कराने लगीं.और दीपक से बोलीं दीपू अब सब्र नहीं हो रहा है .अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर चुदायी शुरू कर दो.दीपक ने मम्मी को एक पलंग पर पटक दिया और एक झटके में अपना पूरा लंड मम्मी की चूत में घुसा दिया.मम्मी की की चीख निकल गयी। वह बोली,क्या मेरी चूत से दुश्मनी निकाल रहे हो ..ज़रा धीमे से डालो दर्द हो रहा है..चूत में लंड के लिए जगह तो होने दो.मुझे यह देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ की थोड़ी देर के बाद पूरा लंड मम्मी की चूत में घुस गया.मम्मी ने अपने पैर दीपक की कमर पर कैंची की तरह फसा लिए और बोली दीपू तुम्हारा लंड बड़ा मजेदार है.मेरी चूत में ठीक से फिट हो जाता है। इसीलिए मैं हमेशा ही तुम से चुदवाती हूँ.मुझे तुम्हारे लंड की आदत पड़ चुकी है.दीपक भी बोला निम्मो मई भी तुम्हारी चूत का दीवाना हूँ।
यह कह कर दीपक दनादन धक्के मारने लगा.मामी बोली दीपू बड़ा मजा आ रहा है.खूब जोर सेचुदायी करो.मेरी चूत फाड़ दो.दीपक लगातार चोदने लगा.चूत से फच फच फचाक फचाक की आवाजें आ रही थीं.मम्मी मस्त होकर बोलीं साले मादरचोद जोर से धक्का मार मेरी चूत से एक और बच्चा निकाल दे.दीपक ने अपनी चुदायी की स्पीड बढ़ा दी थी.करीब एक घंटे तक चुदवाने के बाद मम्मी बोली,दीपकमेरा पानी निकलने वाला है.जल्दी से अपने लंड का पानी मेरी चूत में डालो .मैं यह सारी घटना छुप कर देख रही थी.और उत्तेजित होकर अपनी चूत में उंगली घुसा रही थी.मैं देखना चाहती थी की दीपक मम्मी की चूत में कितना वीर्य डालता है।
शायद मम्मी कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद करना भूल गयी थीं.जब वह दीपक से यह कह रही थी की दीपू मई तुम्हारे लंड की दासी बन चुकी हूँ.तुम्हारे लंड के बदले मैं सब कुछ देने को तैयार हूँ,मई दरवाज़े से चिपक कर खडी थी ,तभी मेरे धक्के से दरवाजा धडाम से खुल गया.मुझे देख कर दीपक और मम्मी सन्न रह गए.मामी की चूत से दीपक का वीर्य रिस कर टपक रहा था.,दीपक का लंबा लंड फड़क रहा था.तभी मम्मी ने हिम्मत कर के मुझ से कहा पिंकी मेरे पास आओ,डरने की कोई बात नहीं है.तुम सब कुछ देख चुकी हो। फ़िर मुझे अपनी गोद में बिठा कर बोली पिंकी बिटिया यह कुदरत का नियम है की कोई भूख प्यास की तरह चुदायी की इच्छा देर तक नहीं रोक सकता है। और स्वास्थ्य के लिए चुदवाना जरूरी होता है.लंड के बिना औरत अधूरी होती है.अगर औरत चुदवायेगी नहीं तो उसकी जवानी बेकार हो जायेगी.जैसे पानी के बिना खेत सूख जाता है उसी तरह लंड के पानी के बिना जवानी सूख जाती .है। चुदायी से जवानी हमेशा बनी रहती है .मुझे मम्मी की बातों में सच्चाई लगी।
तभी दीपक बोला लगता पिंकी काफी सयानी हो गयी है.क्यों न उसे अभी से सब कुछ सिखा दिया जाए.उसे भी तो एक न एक दिन चुदवाना होगा .अभी से सीख लेने से उसु शादी में कोई तकलीफ नहीं होगी।
मम्मी बोली लेकिन पिंकी अभी सिर्फ़ १8साल की ही है .वह तुम्हारा यह मूसल जैसा लंड बर्दाश्त कैसे करेगी.दीपक बोला अगर तुम ज़रा सी मदद को तो तो मेरा लंड पिंकी की चूत इस तरह से चला जाएगा की उसे पता भी नही चलेगा .चूत की बनावट ऎसी होती है की लड़की दस साल में ही बड़े से बड़ा लंड ले सकती है.यह सुन कर मम्मी मुझे सहलाने लगीं और गोद में इस तरह से बिठा कर चूमने लगी जिस से मेरी चूत उनकी चूत के ऊपर रहे .मुझे डर लगा तो दीपक मेरी चूत चूमने चाटने लगा.पाहिले दीपक ने अपना लंड फचाक से मम्मी की चूत में घुसा दिया..जब लंड बाहर निकाला तो ,उसपर चूत का रस और दीपक वीर्य लगा हुआ था.मम्मी ने उंगली अपनी चूत कारस मेरी चूत में अन्दर बाहर लगा दिया। जसे मम्मी ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाली तो वह खुश होकर बोली ,दीपक तुम्हारा आधा कामतो आसान हो गया है.क्योंकि पिंकी की सील तो पाहिले से ही टूट चुकी है .शायद जादा साईकिल चलाने सील टूट गयी.पिकी को जादा तकलीफ नहीं होगी.फ़िर भी तुम प्यार से घुसाना..दीपक ने अपने लंड काम सुपारा मेरी चूत की फांक पर रखा.मम्मी मुझे हिम्मत दिला रही थी.और धीमे धीमे मेरी चूत अपनी उन्गलिओं से फैला रही थी.पाँच मिनट में आधा लंड अन्दर चला .मम्मी बोली दीपक तुम मैदान जीत गए.दीपक ने और दवाब डाला लंड और घुसा तो मुझे दर्द होने लगा.मम्मी बोली बेटा ज़रा सा लंड रह गया है, पूरा लंड गुसने दो फ़िर दर्द नहीं होगा।
बीच बीच में दीपक अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मम्मी की चूत घुसा देता था.इस से मुझे थोड़ी देर के लिए आराम मिल जाता था .इस तरह हम दोनो माँ बेटी बारी बारी से एक ही लंड से चुदवाते रहे.कुछ देर बाद मुझे मजा आने लगा,मम्मी ने मुझ से पूछा की पिंकी कैसा लग रहा तो मैं बोली मैं आपकी तरह चुदक्कड होना चाहती हूँ.मेरी शादी ऐसे आदमी से ही करवाना जिसका लंड दीपू चाचा की तरह लंबा मोटा और कड़क हो.यह सुनते ही दीपू ने चुदायी की स्पीड तेज कर दी.और गपागप धक्के मारना शुरू कर दिए.मैंने भी नीची से अपनी कमर उछालने लगी,मैं मजे में ओह ओह हाय हाय उफ़ उफ़ ओ मम्मी ओ मम्मी मैं तो चुद गयी.ऎसी प्यारी मामी कहाँ मिल सकती जो ख़ुद अपनी बेटी को अपने सामने ही चुदवाये.एक घंटे के बाद दीपक ने अपना वीर्य हम दोनो की चूतों में छोड़ दिया.जिसे हमने चाट लिया.वीर्य काम नमकीन स्वाद मुझे बड़ा अच्छा लगा,मैंने मम्मी से कहा की मेरी तो ऎसी इच्छा हो रही है की यह लंड मेरी चूत में रार दिन पडा रहे.और मैं हरदम इस लंड से चुदवाती रहूं,
दीपक बोला अगर तुम्हारी मम्मी चाहें तो यह लंड हमेशा के लिए तुम्हारा हो सकता है.मम्मी मुझ से बोली पिंकी अगर तुम्हें दीपक का लंड इतना पसंद आ गया है तो मैं इसी समय तुम्हारी सगायी दीपक से किए देती हूँ,ताकि तुम जीवन भर दीपक से चुदवाती रहो.खुशी के मारे मैंने मम्मी कीई चूत और दीपक के लंड को चूम लिया।
बाद में जब कुछ समय के बाद जब मेरे पापा को यह पता चला की मैं उनकी नहीं बल्कि दीपक और मम्मी की हराम की औलाद थी.इसलिए एक दिन उन्होंने गुस्से में खूब शराब पीकर मम्मी के सामने ही मेरी दो दो बार चुदाई कर डाली.इसका मुझे कोई दुःख नहीं हुआ, बल्कि मजा ही आया.आख़िर बाप काम लंड लेने में क्या बुरायी है.लंड तो लंड होता.जो हमेशा मज़ा देता है,चाहे किसी काम हो .बाद में मेरी शादी दुपू चाचा से ही हुई.जैसा मम्मी ने तय कर दिया था.मम्मी आज भी दीपक से और मैं पापा अक्सरचुदवाती रहती हूँ.हमारा सिर्फ़ चूत और लंड वाला रिश्ता है.हम रिश्तों के चक्कर में चुदायी का मजा ख़राब क्यों करें ?






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