FUN-MAZA-MASTI
बहक उठा मन
यह उन दिनों की बात हैं जब मैं अपनी १९ बरस की किशोरावस्था की चरम
सीमा पर दौड रहा था | उन दिनों बस प्यार मोहब्बत और एक गर्लफ्रेंड के शौक
रखने वाला जमाना चल रहा था और इसी वजह से मेरी भी एक ज़ोया नाम की
गर्लफ्रेंड थी | वो दिखने में एक दम गोरी थी और उसकी सबसे बड़ी खासियत मुझे
उसके चेहरे पर उसके गुलाबी होंठ लगा करते थे जिन्हें देख बार – बार मैं
अपने होश खोने को हो जाया करता था | उन दिनों मुझे कुछ भी सेक्स के बारे
में मालूम ना होता अगर मेरे घर पर इन्टरनेट ना लगा होता | मैं रात को छुप –
छुपकर कामुक इंडियन फिल्में देखा करता था और उत्तेजित हो जाया करता था |
शुरू – शुरू में तो मुझे घिन्न आई पर जब मैंने सेक्स कहानियाँ भी पढनी चालू कर दिया तो मुझे ऐसा लगने लगा की मैं सेक्स ज्ञान का पंडित ही बन चूका हूँ | मैंने हस्थमैथुन भी करना चालू कर दिया और फिर धीरे – धीरे मेरे मन में अपनी गर्लफ्रेंड जोयदा के साथ यह सेक्स की कामक्रीड़ा आजमाने की लालसा बनने लगी | ज़ोया भी कागी जवान थी और अब मुझे उसके बदन को देख बस दिमाक में एक ही चीज़ चला करती थी जिसे प्यार की भाषा में हवसी सोच कहा करते हैं | एक दिन मैंने समय पाते ही शाम को उसे अपने घर बुलाया और जैसा की मैंने पहले से प्लान बनाया उया था उसे गर्म करने के लिए अपने हत्कंडे आजमाने लगा |
मैंने पहले ज़ोया से बतियाते हुए ज़ोया की जाँघों पर हलके – हलके हाथ फेरे जा रहा था जिसपर पहले तो उसने मेरी तरफ देखा पर जब धीरे – धीर उसके बदन में भी कामुक गुदगुदी होने लगी तो उसने मुझे कुछ ना खा | ज़ोया ने मेरा कतई भी विरोध नहीं किया और मैंने उससे फ़िल्मी रोमांस के बारे में बताना चलाऊ किया तो वो भी उत्सुक होने लगी | मैंने अब अब उसके होठों पर चुम्मा लिया और वो भी मदहोश होती चली गयी | मैं अब उसके होंठों के रस को चुस्ता हुआ अपने हाथों से उसके कपड़ों को उतारने लगा और पाल में ही उसे अपने सामने नंगी कर डाला | जब उसे हल्का होश आया तो वो पहले घबरा गयी और मैंने जब उसके कन्धों पर हाथ फेरा तो वो सहरम से गीली हो गयी |
मैंने ज़ोया को सांत्वना देते हुए फिर से चुम्मा चाटी चालू कर दी और उसके चुचों पर हाथ फेरते हुए उसके चुचों को पिने लगा जिसपर वो मस्त में सिसकियाँ लेती हुई मचल रही थी | मैंने साथ ही उसके होठों को चूसना ज़ारी रखा और नीचे से अपनी दो ऊँगली को उसकी चुत में देना शुरू कर दिया | ज़ोया की बढती सिस्कारियों ने मुझे भी मदहोश कर डाला | ज़ोया की जवानी अब मेरे सामने नंगी हो चुकी थी, मैंने उसकी टांगों को खोल झट से अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत पर टिका दिया | मैं अब उसकी चुत में ज़ोरदार भारी – भारी झटके देना शुरू कर दिया | ज़ोया को अब कसके दर्द होने लगा था और वो जोर से चिलाते हुए रोने लगी जिसपर मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुत के उप्पर ऊँगली रगड रहा था |
मैंने देखा, ज़ोया की चुत अब फट चुकी थी और उसकी चुत से खून भी निकल रहा था | मैंने किस भी तरह उसका ध्यान बहते हुए खून की तरफ ना जाने दिया और फिर धीरे अब जब कामुक इंडियन फिल्में में जैसा देखा था उस वैसे ही मैंने ऊँगली की रफ़्तार फिर से उसकी चुत में बढ़ाई तो उसका दर्द जैसे हवा ही हो गया | मैंने अब मौका पाते ही ज़ोया की चुत में अपना लंड फिर टिका दिया और लंड के झटकों को देता चला गया | अब ज़ोया की चुदाई का मज़ा ही कुछ और था और वो केवल लंबी सिस्कारियों के साथ मुझे अपनी बाहों में कसके पकडे हुए चुद रही थी | मैं भी इस पहली बार की चुदाई के साथ सिकारियां ले रहा था और कुछ पाल बाद अपने लंड के निकले मुठ के साथ निढाल पड़ गया |
शुरू – शुरू में तो मुझे घिन्न आई पर जब मैंने सेक्स कहानियाँ भी पढनी चालू कर दिया तो मुझे ऐसा लगने लगा की मैं सेक्स ज्ञान का पंडित ही बन चूका हूँ | मैंने हस्थमैथुन भी करना चालू कर दिया और फिर धीरे – धीरे मेरे मन में अपनी गर्लफ्रेंड जोयदा के साथ यह सेक्स की कामक्रीड़ा आजमाने की लालसा बनने लगी | ज़ोया भी कागी जवान थी और अब मुझे उसके बदन को देख बस दिमाक में एक ही चीज़ चला करती थी जिसे प्यार की भाषा में हवसी सोच कहा करते हैं | एक दिन मैंने समय पाते ही शाम को उसे अपने घर बुलाया और जैसा की मैंने पहले से प्लान बनाया उया था उसे गर्म करने के लिए अपने हत्कंडे आजमाने लगा |
मैंने पहले ज़ोया से बतियाते हुए ज़ोया की जाँघों पर हलके – हलके हाथ फेरे जा रहा था जिसपर पहले तो उसने मेरी तरफ देखा पर जब धीरे – धीर उसके बदन में भी कामुक गुदगुदी होने लगी तो उसने मुझे कुछ ना खा | ज़ोया ने मेरा कतई भी विरोध नहीं किया और मैंने उससे फ़िल्मी रोमांस के बारे में बताना चलाऊ किया तो वो भी उत्सुक होने लगी | मैंने अब अब उसके होठों पर चुम्मा लिया और वो भी मदहोश होती चली गयी | मैं अब उसके होंठों के रस को चुस्ता हुआ अपने हाथों से उसके कपड़ों को उतारने लगा और पाल में ही उसे अपने सामने नंगी कर डाला | जब उसे हल्का होश आया तो वो पहले घबरा गयी और मैंने जब उसके कन्धों पर हाथ फेरा तो वो सहरम से गीली हो गयी |
मैंने ज़ोया को सांत्वना देते हुए फिर से चुम्मा चाटी चालू कर दी और उसके चुचों पर हाथ फेरते हुए उसके चुचों को पिने लगा जिसपर वो मस्त में सिसकियाँ लेती हुई मचल रही थी | मैंने साथ ही उसके होठों को चूसना ज़ारी रखा और नीचे से अपनी दो ऊँगली को उसकी चुत में देना शुरू कर दिया | ज़ोया की बढती सिस्कारियों ने मुझे भी मदहोश कर डाला | ज़ोया की जवानी अब मेरे सामने नंगी हो चुकी थी, मैंने उसकी टांगों को खोल झट से अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत पर टिका दिया | मैं अब उसकी चुत में ज़ोरदार भारी – भारी झटके देना शुरू कर दिया | ज़ोया को अब कसके दर्द होने लगा था और वो जोर से चिलाते हुए रोने लगी जिसपर मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुत के उप्पर ऊँगली रगड रहा था |
मैंने देखा, ज़ोया की चुत अब फट चुकी थी और उसकी चुत से खून भी निकल रहा था | मैंने किस भी तरह उसका ध्यान बहते हुए खून की तरफ ना जाने दिया और फिर धीरे अब जब कामुक इंडियन फिल्में में जैसा देखा था उस वैसे ही मैंने ऊँगली की रफ़्तार फिर से उसकी चुत में बढ़ाई तो उसका दर्द जैसे हवा ही हो गया | मैंने अब मौका पाते ही ज़ोया की चुत में अपना लंड फिर टिका दिया और लंड के झटकों को देता चला गया | अब ज़ोया की चुदाई का मज़ा ही कुछ और था और वो केवल लंबी सिस्कारियों के साथ मुझे अपनी बाहों में कसके पकडे हुए चुद रही थी | मैं भी इस पहली बार की चुदाई के साथ सिकारियां ले रहा था और कुछ पाल बाद अपने लंड के निकले मुठ के साथ निढाल पड़ गया |
No comments:
Post a Comment