Monday, March 17, 2014

बदनाम रिश्ते छोटी बहन को चोदा--1

FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते
  छोटी बहन को चोदा--1
मैं हूँ मन्मथ मोहेर, आप की सेवा में. बात ये हुई के एक साल पहले मेरी मौसी ने मुझे अपने गाँव बुलाया था. वहाँ मैं पंद्रह दिन रहा. दरमियाँ मैने उन की बेटी माधवी को कस कर चोदा. मेरी ये पहली चुदाइ थी. हम दोनो ने एक दूजे से वचन दिया था की चुदाइ का राज़ हम किसी से नहीं कहेंगे. लेकिन माधवी ने अपना वचन तोड़ दिया. दो महीनो पर मेरी बहन रिया को मौसी के घर जाना हुआ, माधवी ने कुछ व्रत रक्खा था. उस वक़्त माधवी ने रिया से बता दिया की कैसे हम ने चुदाइ की थी. जब रिया वापस आई तब ख़ुद चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थी. छोटी बहन को चोदा कहानी में आप ने पढ़ा की कैसे रिया ने मुझ से चुदवाया. अब मैं मूल कहानी पर आता हूँ एक साल पहले गरमिकी छुट्टियाँ के दौरान मौसी ने मुझे अपने गाँव बुला लिया. मैं वहाँ पहुँचा तब पता चला की मौसा बिज़नेस वास्ते मुंबई गये थे और एक्जामिनेशन आती होने से परेश दो हपते बाद आने वाला था. माधवी की एक्जामिनेशंस ख़त्म हो गयी थी इसी लिए वो आ गयी थी. मैं थोड़ा नाराज़ हुआ लेकिन क्या कर सकता था ? माधवी और मौसी मुझे मिल कर बहुत ख़ुश हुए. ये मेरे मौसा बिहारिलाल और मौसी भानुमति कई बरसों पहले ईस्ट अफ़्रीका गये थे. वहाँ उन्हों ने बहुत पैसे कमाए. परेश और माधवी वहाँ जन्मे और बड़े हुए. तीन साल पहले मौसा को अचानक वापस इंडिया लौटना पड़ा. आते ही अपने गाँव में चार मज़ले का बड़ा मकान बनवाया. मुंबई में रहते उन के एक दोस्त के साथ मिल कर उन्हों ने काग़ज़ का हॉल सेल बिज़नेस खड़ा कर दिया. इन के अलावा गाँव में मौसा का एक भतीजा था गंगाधर जिसे मैं जानता था. गंगाधर की पत्नी कैलाश भाभी को भी मैं पहचानता था. वो दोनो भी मुझ से मिल कर ख़ुश हुए. पहले ही दिन शाम का खाना खा लिया था की गंगाधर और कैलाश भाभी मुझ से मिल ने आए. हम चारों दूसरे मज़ले पर दीवान खाने में बैठ इधर उधर की बातें कर ने लगे. कैलाश : मन्मथ भैया, आप तो हमारे परेश भैया जैसे ही देवर हें, मुझे भाभी कहना. मैं : ठीक है भाभी. कैलाश : आप डाक्टरी पढ़ते हें ना ? कितने ? पाँच साल में डाक्टर बन जाएँगे ? मैं :हाँ, बीच में फैल ना हो जा उन तो. कैलाश : मैं आप की पहली मरीज़ बनूँगी, मेरा इलाज करेंगे ना ? मैं : क्यूं नहीं ? फ़िस लगेगी लेकिन. कैलाश : देवर हो कर भाभी से फ़िस लेंगे आप ? मैं तो आप से फ़िस मागुंगी. मैं : ऐसी कौन सी बीमारी है जिस के इलाज में फ़िस लेने के बजाय डाक्टर फ़िस देता है ? माधवी और गंगाधर मुस्कुराते रहे थे, माधवी बोली : भाभी, तेरा इलाज के वास्ते मन्मथ भैया को पूरे क्वालीफ़ाइड डाक्टर बनाने की ज़रूरत कहाँ है ? पूछ देख उन के पास ईन्जेक्शन है ? मैं : ईन्जेक्शन देना मैं सिख गया हूँ दे सकूंगा. माधवी और कैलाश दोनो खिल खिल हस पड़े, गंगाधर बोले : मज़ाक कर रही है ये दोनो, मन्मथ, उन की बातों में मत आना. मैं : कोई बात नहीं, मेरी भाभी जो बनी है हाँ, अब बताइए आप को क्या तकलीफ़ है कैलाश : साब, खाना खाने के बाद भूख नहीं लगती और दिन भर नींद नहीं आती. माधवी लंबा मुँह किए बोली : हर रोज़ ईन्जेक्शन लेती है फिर भी. और ईन्जेक्शन भी कैसा ? बड़ी लंबी मोटी सुई वाला. लगाने में आधा घंटा लगता है मेरे दिमाग़ में अब बत्ती चमकी. मैने पूछा : सुई कैसी है ? नोकदार या बुत्ठि ? माधवी : बुत्ठि. और दवाई ऐसे अंदर से नहीं निकलती. सुई अंदर बाहर करनी पड़ती है मैने भी सीरीयस मुँह बना कर कहा : माधवी, ईन्जेक्शन देनेवाला कोई, लेनेवाली भाभी, तुझे कैसे पता चला की सुई कैसी है कितनी लंबी है कितनी मोटी है ? माधवी शरमा गयी कुछ बोली नहीं. कैलाश ने कहा : माधवी ईन्जेक्शन ले चुकी है मैं : अच्छा ? किस ने लगाया ? सब चुप हो गये थोड़ी देर बाद कैलाश ने कहा : माधवी ख़ुद आप को बताएगी, जब उस का दिल करेगा तब. मैं : मैं समाज सकता हूँ शरमाने की अब मेरी बारी थी. मैं कुछ बोला नहीं. कैलाश : हाए हाए, अभी आप कच्चे कंवारे हें. माधवी, कौन स्वाद चखाएगी मन्मथ भैया को, मैं या तू ? गंगा : तुम दोनो छोड़ो उसे. उसे तय करने दो ना. क्यूं मन्मथ ? कैलाश तेईस साल की है और माधवी उन्नीस की. कौन पसंद है तुझे ? मैं : मुझे तो दोनो पसंद है गंगा : देख, तेरे पास एक लंड है है ना ? वो एक समय एक चूत में जा सकता है दो में नहीं. तुझे तय करना होगा की समझ गया ना ? इस वक़्त माधवी उठ कर चली गयी मैने कहा : रुठ गयी क्या ? कैलाश : ना ना. अपने बड़े भैया के मुँह से लंड चूत ऐसा सुनना नहीं चाहती. गंगा : अजीब लड़की है लंड ले सकती है लेकिन लंड की बातें सुन नहीं सकती. कैलाश : इस में नयी बात क्या है ? लंड लेती है चूत, सुनता है कान. ये ज़रूरी नहीं है की चूत को जो पसंद आए वो कान को भी पसंद आए.

रात के बारह बजाने को थे. माधवी आई नहीं. गंगाधर और कैलाश चले गये सोने के लिए मुझे तीसरे मज़ले पर कमरा दिया था, जो मकान के पिछले भाग में था. बाथरूम में जा का पहले मैने मुठ मार कर लंड का प्रेशर कम किया, फिर रूम में आ कर सो गया. मेरे कमरे के पीछे गच्छी थी. मुझे नींद आने लगी थी की मैने कुछ आवाज़ गच्छी से आती सुनी. मैं सोचने लगा कौन हो सकता है गच्छी में इतनी रात ? उठ कर मैं बाहर निकला. गच्छी में कोई था नहीं. अब हुआ क्या था की आवाज़ बगल वाले मकान से आ रही थी. ये मकान दो मज़ले का था उस का छाता हमारी गच्छी के लेवेल में था. मैने देखा की छाते के थोड़े से टाइल्स जो पुराने ढंग के थे वो हट गये थे. वहाँ से रोशनी आ रही थी और आवाज़ भी. मैं दबे पाँव जाकर देखने लगा. बगल वाले मकान का बड़ा कमरा दिखाई दिया. तीन औरतें और दो आदमी सोने की तैयारियाँ कर रहे थे. उन को छोड़ मैं अपनी चारपाई में लेट कर सो गया. दूसरे दिन पता चला की बाजू वाले मकान में जो फेमिली रहता था उस के मंज़ले लड़के की शादी थी. उसी दिन दोपहर को बारात चली, दूसरे गाँव गयी और तीसरे दिन दुल्हन लिए वापस आई. मुझे अकेला पा कर माधवी ने कहा : भैया, आज रात खेल पड़ेगा. देखना है ? मैं : कौन सा खेल ? हसती हुई माधवी बोली : अब अनजाने मत बनी ये. आप को पता तो है की गच्छी से बगलवाले मकान का कमरा देखा जा सकता है मैं : उस का क्या ? माधवी : उस का ये की आज रात वहाँ सुहाग रात मनाई जाएगी. मांझाला लड़का जो कल शादी कर के आया है वो उस कमरे में अपनी दुल्हन को ....... को ........ वो करेगा. माधवी शर्म से लाल लाल हो गयी मैं : तुझे कैसे पता ? माधवी : वो कमरे में सब से बड़ा भैया अपनी बहू के साथ सोता है वो उनका बेडरूम है कई बार मैने और परेश ने देखा है उनको वो करते हुए. थोड़ा सोच कर मैने कहा : मुझे दुसरी जगह देना सोने के लिए और तू जा कर उन की चुदाइ देखना. माधवी : नहीं भैया, अकेले देखने में क्या मझा ? आप को इतराज़ ना हो तो हम साथ में देखेंगे ? मैं : माधवी, ऐसा करना ख़तरे से ख़ाली नहीं है मौसी को पता चल गया तो क्या होगा ? माधवी : उस की फिकर मत कीजिए. मम्मी रात के नौ बजे सो जाती है जोड़ों में दर्द के कारण कभी सीढ़ी चढ़ती नहीं है और सुहाग रात दस बारह बजे से पहले शुरू होने वाली नहीं है मैं भी सो जा उंगी, लेकिन बारह बजे उठ जा उंगी. मैं : वो तो सही लेकिन उन को देख तुझे दिल हो गया तो क्या करोगी ? मेरे गले में बाहें डाल आँखों में आँखें डाल वो बोली : आप वहीं होंगे ना ? या ....... कैलाश भाभी मुझ से ज़्यादा अच्छी लगती है ? अब बात ये थी की माधवी वैसे तो एक सामान्य लड़की थी. मैं भी इतना ख़ूबसूरत नहीं हूँ वैसे भी लड़कियाँ मुझ पर दुसरी नज़र डालती नहीं है मौक़ा मिला था चुदाइ का. क्यूं ना मैं लाभ उठा लूं ? बहन या ना बहन, वो ख़ुद आ कर चुदवाना मांगती हो तो मना करने वाला मैं कौन भला ? चुदाइ की सोचते ही मेरा लंड तन ने लगा. माधवी की कमर पकड़ कर मैने उसे खींच लिया. वो मुझ से लिपट गयी उस की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी और मेरा लंड हमारे पेट बीच फ़स गया. उस का कोमल बदन बाहों में लेना मुझे बहुत मीठा लगा. लड़की इतनी मीठि हो सकती है वो मैने पहली बार जाना. ख़ैर, उस रात मैं कई चिझें पहली बार जानने वाला था. मेरे होटों पर हलका सा चुंबन कर के मेरी बाहों से छूट कर वो भाग गयी मैं सोचता रह गया की इतनी थोड़ी सी छेड़ छाड़ इतनी मीठि लगी तो पूरी चुदाइ कितनी मझेदार होगी. बाथरूम में जा कर मुझे मुठ मारनी पड़ी. बड़ी इंतेजारी से मैं रात की राह देखने लगा. इतना इंतेज़ार तो वो दूल्हा दुल्हन भी नहीं करते होंगे. वैसे भी मेरी भी ये पहली चुदाइ होने वाली थी ना ? माधवी मुझे चोदने दे तब ? सारा दिन मेरी बेचैनी देख माधवी मुस्कुराती रही. एक दो बार उस ने अपनी चुचिया दिखा दी. मेरा लंड बेचारा खड़ा हुआ सो गया,, खदा हुआ, सो गया, लार टपकाता रहा. आख़िर हम ने शाम का खाना खा लिया. सब सो ने चले गये मेरी आँखों में नींद कहाँ ? दो तीन बार जा कर देख आया की उस बेडरूम में क्या हो रहा है दस बजे माधवी आई.

मैने उसे बाहों में लेना चाहा लेकिन वो बोली ; जल्द बाज़ी में मज़ा नहीं आएगा. थोड़ा सब्र करो. मैं तुमारी ही हूँ आज की रात. मैं : मौसी को पता चल जाएगा तो ? माधवी : तो कुछ नहीं. वो गाँव में ढिंढोरा नहीं पिटेगी. मैं : एक किस तो दे. माधवी : किस अकेली ही. ज़्यादा कुछ करोगे तो मैं चली जा उंगी. मैने माधवी के होठ मेरे होठ से छुए. हाय, कितने कोमल और मीठे थे उस के होठ ? क्या करना वो मैं जानता नहीं था होठ छुए खड़ा रहा. माधवी को लेकिन पता था. उस ने ज़ोर से होठ से होठ रगड दिए और अपना मुँह खोल मेरे होठ मुँह में लिए चाटे और चुसे. मुझे गंदा लगा लेकिन मीठा भी लगा. छूट ने का प्रयत्न किया मैने लेकिन माधवी ने मेरा सिर पकड़ रक्खा था. पूरी एक मिनिट चुंबन कर वो छूटी और बोली : आहह्ह्ह, मझा आ गया. है ना ? पहली बार किस किया ना तुमने ? बोले बिना मैने फिर से किस की. इस वक़्त माधवी ने अपनी जीभ निकाल कर मेरे होठ पर घुमाई. ओह, ओह, क्या उस का असर ? मेरा लंड ऐसा तन गया की मानो फट जाएगा. माधवी ने पाजामा के आरपार लंड पकड़ कर कहा : भैया, तुमारा ये तो अब से तैयार हो गया है मुझ से बरदाश्त नहीं हुआ. मैने उसे अलग किया और कहा : चली जा माधवी. मुझे यूँ तडपाना हो तो बहेतर है की तू चली जा. उस ने मेरा चहेरा हाथों में लिया. कुछ कहे इस से पहले मैने हाथ हटा दिए और फिर कहा : चली जा, चोदे बिना इतने साल गुज़ारे हें, एक दो साल ओर सही. मर नहीं जा उंगा मैं चोदे बिना. मेरा हाथ पकड़ कर अपने स्तन पर रखते हुए वो बोली : नाराज़ हो गये क्या ? चलो अब मैं नहीं उकसा उंगी. माफ़ कर दो. अब सच कहो, तुम्हे चोदने का दिल हुआ है की नहीं ? मैं : हुआ भी हो तो तुझे क्या ? इतने में गच्छी से लड़कियों की खिल खिल हस ने की आवाज़ आई. माधवी ने कहा : चलो, अब खेल शुरू होने वाला है हम गच्छी में गये वो आगे खड़ी रही और मैं पीछे. कमरे में दुल्हन पलंग पर बैठी थी और दूल्हा उस के पीछे बैठा था. उस के हाथ दुल्हन के कंधों पर थे. उस ने दुल्हन के कान में कुछ कहा. दुल्हन शरमाई लेकिन उस ने सिर हिला कर हा कही. चहेरा घुमा कर दूल्हे ने दुल्हन के मुँह से मुँह चिपका दिया. किस लंबी चली. दौरान कंधे पर से उतर कर दूल्हे के हाथ दुल्हन के स्तनों पर जा बैठे. दुल्हन ने अपने हाथ उन के हाथ पर रख दिए चुंबन करते करते दूल्हा ने चोली के बटन खोल दिया और खुली हुई चोली के अंदर हाथ डाल कर नंगे स्तन थाम लिए दुल्हन दूल्हे के सीने पर ढल गयी मैं माधवी के पीछे खड़ा था. मेरे हाथ भी उस के कंधों पर टीके थे. उधर दूल्हे ने स्तन पकड़े तो इधर मैने भी माधवी के स्तन पकड़ लिया. माधवी ने मेरे हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मैं माना नहीं. थोड़ी नू ना के बाद उस ने मुझे स्तन सहालाने दिए लेकिन जब मैने नाइटी के हूक्स पर हाथ लगाया तब वो बोली : अभी नहीं, अंदर चलेंगे तब खोलना.

इस बार मैने हार कबुल कर ली. वैसे भी नाइटी पतले कपड़े की बनी हुई थी और मुझे यक़ीन था की माधवी ने उस वक़्त ब्रा पहनी नहीं थी, इसी लिए मेरी उंगलियाँ माधवी की कड़ी नीपल मेहसूस कर सकती थी. दोनो हथेलिओं में स्तन भर के मैने उठाए, हलके से दबाए और सीने पर घुमाए. माधवी के मुँह से आह निकल पड़ी. उधर दूल्हा भी ऐसे ही स्तन सहला रहा था. माधवी अब थोड़ा पीछे सरकी. उस की गांड मेरी जाँघ से लग गयी मेरा लंड उस की कमर से डब गया. चहेरा घुमा कर किस करने लगी दूल्हा राजा ने अपनी रानी की चोली उतार फैंकी थी और उसे चित लेटा दिया था. दुल्हन ने अपना चहेरा ढक रक्खा था. बगल में बैठ दूल्हा उस के स्तन साथ खेल रहा था. नीचे झुक कर वो नीपल्स भी चुस ता था. होले होले उस का हाथ दुल्हन के पेट पर आया और वहाँ से घाघरी की नाडी पर पहुँचा. दुल्हन ने नाडी पकड़ ली. दूल्हा ने लाख समझाई , मानी नहीं. आख़िर दूल्हा उठा और अलमारी से कुछ ले आया. दुल्हन बैठ गयी दूल्हा ने कुछ नेकलेस जैसा दुल्हन को पहनाया. ख़ुश हो कर दुल्हन दूल्हा से लिपट गयी उसे बाहों में भर कर दूल्हा अब पलंग पर लेट गया. मुँह पैर किस करते करते फिर उस ने घाघरी की नाडी टटोली. इस बार दुल्नने घाघरी पकड़ ली सही लेकिन नाडी खोलने दी और कुले उठा कर घाघरी निकाल देने में सहकार दिया. ताजुबी की बात ये थी की दुल्हन ने पेंटी पहनी नहीं थी. घाघरी हटते ही उस की गोरी गोरी चिकानी जांघें और काले झांट से ढकी हुई भोस खुली हो गयी इधर माधवी ने भी पेंटी पहनी नहीं थी. मुझे कैसे मालूम ? जनाब, पहल माधवी ने की थी, अपना हाथ पीछे डाल कर मेरा लंड पकड़ कर. अब आप ही बताइए, वो मेरा लंड थाम सके तो मैने क्यूं ना उस की भोस की ख़बर ले सकूँ ? मेरी उंगलया भोस सहलाती थी लेकिन मेरी कलाई पकड़े हुए माधवी मुझे दिखाती रही थी की कहाँ उसे सहलवाना था. मैने कालेज में मुर्दा औरतों की भोस देखी थी, फाड़ चिर कर पढ़ा भी था. लेकिन इस वक़्त तो मेरे हाथ में एक ज़िंदा जवान भोस थी. लड़की की भोस इतनी मुलायम और कोमल होती है वो मैने सोचा तक नहीं था. मैं थियरी से जानता था की क्लैटोरिस कहाँ होती है चूत कहाँ होती है वग़ैरह लेकिन उस रात मेरी उंगलियाँ कुछ पहचान ना सकी. फक्त भोस के पानी से गीली गीली होती रही. कमरे में अब दूल्हा ने भी अपने कपड़े उतार फैंके थे. चित लेटी हुई दुल्हन पर वो औंधा ऐसे पड़ा था की जिस से वो फ़्रेंच किस कर सके, उस के चूतड पलंग पर थे. एक हाथ से वो भोस सहला रहा था. दुल्हन के हाथ उस की पीठ पर रेंगते थे. थोड़ी थोड़ी देर मे दुल्हन छटपटा जाती थी और भोस पर से उस का हाथ हटाने का प्रयत्न करती थी. माधवी ने मेरे कान में कहा : दूल्हा क्लैटोरिस को छूता है तब दुल्हन तड़प उठती है मैने सोचा, मैं भी ऐसा करूँ. मैने सारी भोस टटोली लेकिन क्लैटोरिस मिली नहीं. उंगलियाँ इतनी गीली हुई की ओढनी पर पोंछानी पड़ी. मेरी नाकामयाबी पर माधवी को हसी आ गयी आख़िर उस ने मेरी एक उंगली पकड़ी और ठीक क्लैटोरिस पर रख दी और बोली : इसे ढूंढते थे ना ? मेरी उंगली माधवी की क्लैटोरिस पर रेंगने लगी छोटे बक्चे की कड़ी नुन्नी जैसी क्लैटोरिस थी और ठुमके लगा रही थी. मैने उंगली थोड़ी सी पीछे सरकाई तब गरमा गरम चिकानी जगह पर जा पहुँची, मेरे ख़्याल से वो चूत का मुँह था. मैने पूछा : माधो, ये चूत है ना ? सिर हिला कर माधवी ने हा कही और मुट्ठि में पकड़ा लंड दबोच डाला. मैने दो उंगलियाँ चूत में डाली, अंदर बाहर कर के चूत मार ने लगा. मेरा दूसरा हाथ स्तन पर था और नीपल के साथ खेल रहा था. माधवी कुछ कम नहीं थी, उस ने मेरा लंड ऐसे पकड़ा था जैसे डूबता हुआ इंसान लकड़ी को थाम लेता है मुझे पता नहीं चला था कब उस ने मेरे पाजामा के बटन खोल कर लंड बाहर निकल दिया था. उधर पलंग पर दुल्हन की चौड़ी जांघें बीच दूल्हा आ गया था. उस के कुले उपर नीचे हो रहे थे. दुल्हन ने अपने पाँव दूल्हे की कमर से लिपटा ये थे. लगता था की दूल्हे ने दुल्हन की झिल्ली तोड़ कर लंड चूत में डाल दिया था और होले होले चोद रहा था. हाथों के बल दूल्हा उठा और दोनो के पेट बीच से भोस की ओर देखने लगा. उस ने दुल्हन को कुछ कहा. दुल्हन ने भी सर उठा कर भोस की ओर देखा. वो तुरंत शरमा गयी उस ने फिर अपना चहेरा हाथों से ढक लिया. दूल्हे ने झुक कर नीपल्स चुसी. दुल्हन छटपटा गयी ज़ोरों के धक्के लगा कर दूल्हा चोद ने लगा. हम दोनो काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. भोस ने भर मार पानी बहाया था और लंड फटा जा रहा था. अब हमें उन दोनो की चुदाइ देखने में दिल चश्पी ना रही. पलट कर माधवी मेरे सामने हुई. गले में बाहें डाल मुँह से मुँह चिपका दिया. बेरहमी से मेरे होठ चाट ने लगी मेरे मुँह में अपनी ज़बान डाल कर चारों ओर घुमा ली. भोस पर से मेरा हाथ हटा कर स्तन पर जमा दिया. लंबी किस के बाद वो बोली : आह ह ह ह ह भैया, चलो चलें कमरे में. मुझ से खड़ा रहा नहीं जाता. चुदाइ का मुझे कोई अनुभव था नहीं इसी लिए मैने डोर माधवी के हाथों में धर दी थी. वो जो करे जैसे करे वो सब में मैं साथ देता चला था. उस को सहारा दे कर मैं उसे कमरे में ले आया.
kramashah................





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