FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते
छोटी बहन को चोदा--2 gataank se aage.................
माधवी को सहारा दे कर मैं उसे कमरे में ले आया ,,,,,,,,,,, कमरे में आ ते ही हम एक दूजे पर तूट पड़े. उस ने मेरा नाइट ड्रेस उतार दिया, मैने उस की चोली उतार दी. मैने दोनो स्तन बेरहमी से मसल डाले और नीपल्स को चिपटि में ले ली. मेरा सात इंच का कड़ा लंड देख वो बोली : हाए, क्या लंड है तुमारा भैया. कच्चा कंवारा भी है है ना ? मैं : कंवारा ही है उस ने अभी तक चूत देखी तक नहीं है लंड हाथ में लिए होले होले मुठ मार ते हुए वो मुझे धकेल कर पलंग तक ले गयी और पलंग पर गिरा दिया. मैं कुछ कहूँ इस से पहले उस ने लंड मुँह में ले लिया. मुझ से सहा नहीं गया. मैने कहा : माधवी, ऐसा करोगी तो मैं तेरे मुँह में ही झर जा उंगा. उस ने उन उन आवाज़ की लेकिन लंड छोड़ा नहीं. मेरे पास कोई चारा नहीं था. मैने फट से हाथ उस की भोस पैर रख दिया और क्लैटोरिस चिपटि में पकड़ कर मसल डाली. छटपटा ने की अब उस की बारी थी. आह भरने जैसे उस ने मुँह खोला वैसे मैने लंड निकाल लिया. लगता था की उसे कुछ छीना झपटि पसंद थी. मैने उसे पलंग पर पटक दी और उपर चड़ बैठा. वो लंड पकड़ ने तुली थी, मैं उस के हाथ हटा देता था, आख़िर एक हाथ में उस की दोनो कलाइयों पकड़ कर दूसरे हाथ से मैने स्तन पर चिकोटी काट ली. उई मा कहते हुए वो तड़प उठी. मैं उस पर लेट गया. मेरे वज़न से उसका बदन दब गया और वो हिल ना सकी. उस ने जांघें जकड़ रक्खी थी. मेरे घुटने उस के पाँव बीच डाल कर ज़ोर लगा कर मैने उस की जांघें चौड़ी कर दी. जांघें चौड़ी होते ही रेशमी घाघरी नितंब तक उपर चड़ गयी बाक़ी रही वो मैने हाथ से हटा दी. अब लंड और भोस बीच कुछ ना रहा. खुली भोस से लंड टकराया. मेरे दोनो हाथ स्तन पर जमे थे इसी लिए मैं लंड पकड़े बिना धना धन धक्के देने लगा. मैने सोचा था की ऐसे वैसे लंड चूत में घुसेगा तो सही. लेकिन ये ना हुआ. लंड का मत्था भोस पर इधर उधर टकराया, फिसल गया लेकिन उसे चूत का मुँह मिला नहीं. आठ दस धक्के बेकार गये मेरी अधीराई बढ़ गयी क्यूं की मैं झर ने से क़रीब आ चुक्का था. मेरी नाकामयाबी पर माधवी हस रही थी. हो सकता है की माधवी जान बुझ कर अपने नितंब हिला कर निशाना चुकवा देती थी. मैने कहा : देख, मैं तेरे पेट पर लंड रगड कर झर उंगा, तुझे चोदुन्गा नहीं. मैने धक्के लगाने शुरू किए. लंड पेट पर घिस ने लगा. तब अचानक उस ने अपने पाँव उठाए, ओर चौड़े कर दिए और एक हाथ में लंड पकड़ कर सही निशाने पर धर दिया. एक ही धक्के से पूरा लंड चूत में घुस गया. लंड की टोपी उपर चड़ गयी मोन्स से मोन्स टकराई. मुझे आगे सीखाने की ज़रूरत ना थी. दोस्तो, जब भगवान लंड देता है तब ये भी सीखा देता है की चुदाइ के धक्के कैसे मारे जाते हें. चूत में लंड घुसते ही मेरी कमर काम पर लग गयी मैं रुक ने के मूड में नहीं था. मेरा दिमाग़ सिर से निकल कर लंड के मत्थे में जा बैठा था और उस पर चुदाइ का भूत सवार हुआ था. वो कहाँ मेरी सुने ? घचा घच्छ घचा घच्छ धक्के से मैं चोदने लगा. अपनी टाँगें मेरी कमर से लिपटा कर नितंब हिला कर माधवी लंड लेने लगी उस के मुँह से आह्, ओहोह, सीसी, आवाज़ें निकालने लगी ज़ोर ज़ोर से गहरे धक्के लगा कर मैने माधवी को कस कर चोदा. ये चुदाइ लंबी ना चली. चार पाँच धक्के लिए की वो झर पड़ी. मैने छोड़ना जारी रक्खा. दूसरे पाँच सात धक्के में मैं भी झर गया. लंड से वीर्य की पाँच सात पिचकारियाँ छूटी. मैं होश गवा बैठा. इतना आनंद चुदाइ में होगा ये मैने सोचा नहीं था. लोग इसे छोटी मौत कहते हें ये सच है हम दोनो थक गये थे लेकिन ये थकान मीठि थकान थी. मैं माधवी के बदन पर ढल गया. थोड़ी देर बाद होश आया की वो कोमल नाज़ुक लड़की मेरे बदन का भार नहीं झेल सकेगी. मेरी कमर से उस की टाँगें छुड़ा कर मैं उतरने गया. उस ने टाँगें ज़ोर से जकड़ कर मुझे रोक लिया. मेरी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोली : सोते रहिए ना, इतनी क्या जल्दी है ? मैं : मेरा भार लगेगा, तू दब जाएगी. माधवी : तुम्हारा भार भी अच्छा लगता है मझा आया बहन को चोदने में ? मैं : बहुत मझा आया. मुझे लगा की मैं मर जा उंगा. माधवी : मरे तुम्हारे दुश्मन. थक गये हो क्या ? मैं : नहीं तो. क्यूं ? माधवी : तुम्हारा वो तो अभी भी खड़ा है है ना ? उस की बात सच थी. वाकई लंड खड़ा ही था, मैने चूत में दबाए रक्खा था. चूत में हलके हलके स्पंदन होते रहे थे जिस का जवाब लंड ठुमका लगा कर दे रहा था. मैं : हाँ, ये बे शरम अभी झुका नहीं है तेरी चूत भी फट फट करती है ओह, सारे लंड में मीठि मीठि गुदगुदी होती है और ऐसा मेहसूस ऐसा होता है की सारे लंड से रस झर रहा है तुझे कैसा लगता है ? माधवी : तुम्हारे मोटे लंड से मेरी चूत भरी भरी लगती है मुझे भी सारी भोस में गुदगुदी होती है
बातें करते करते होले होले लंड फिर अंदर बाहर होने लगा. अब की बार जल्द बाज़ी नहीं थी. आराम से मैं चोदने लगा. भोस का पानी, लंड की लार और ढेर सारा वीर्य चूत में थे. पच्छ पच्छ आवाज़ से लंड आता जाता था. मैने सोचा था की चुदाइ के वक़्त लंड की टोपी चड़ उतर करती होगी. लेकिन ऐसा नहीं होता था. पहली बार लंड घुसा तब टोपी चड़ गयी थी सो चडी ही रही थी. नंगा मत्था चूत की दीवारों से घिस पता था. मेरे हर धक्के के साथ माधवी अपना नितंब उठा लेती थी. इस से भोस उपर उठ जाती थी और मूल तक का लंड चूत मे घुस पाता था. लंड निकलते वक़्त वो नितंब गिरा देती थी जिस से क्लैटोरिस लंड की दांडी से घिस पाती थी. कभी कभी चूत की गहराई में लंड दबाय के मैं मोन्स से मोन्स रगड लेता था, उस वक़्त भी क्लैटोरिस रगडी जाती थी. दस मिनिट की ऐसी मझेदार चुदाइ के बाद चूत में फटाके होने लगे और उस के कुले इधर उधर डोलने लगे. मुझ से लिपट कर अपनी कमर के झटके लगा कर माधवी लंड को घुमा ने लगी वो बोली : मुझे उपर आ जाने दो. उसे बाहों में भर कर मैने पलटी खाई और नीचे आ गया. लंड चूत में फसा ही था. कुले उठा गिरा कर वो चोदने लगी मैने दोनो स्तन थाम लिए और नीपल्स मसल डाली. तेज़ी से वो ओर्गाझम की ओर जाने लगी उस ने एक बार पूरा लंड बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर अपनी भोस पर चारों ओर रगड लिया ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर अचानक उस ने लंड फिर चूत में ले लिया, मुझ पर ढल पड़ी और कमर के झटके लगाने लगी योनी के फटके से मैं जान गया की उस का ओर्गाझम अब दूर नहीं है फिर पलट कर मैं उपर आ गया. वो ठीक से बोल नहीं पाई लेकिन इतना कहा : चोद डालो मुझे भैया, चोद डालो. फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लंड से, चोद ही डालो. मैं धक्के की रफ़्तार बढ़ा दूं इस से पहले माधवी को ओर्गाझम हो गया. पानी बिना की मछली की तरह वो छटपटाने लगी नाख़ून से उस ने मेरी पीठ खरॉंच डाली योनी तेज़ी से फट फट करने लगी और रस का झरना बहाने लगी उस का सारा बदन अकड गया रोएँ खड़े हो गये मेरे सीने में दाँत गाड़ा दिए मुझे पता ना था की क्या करना इसी लिए ओर्गाझम दौरान मैं रुक गया. तीस सेकंड के बाद जब तूफ़ान शांत पड़ा तब वो थक कर ढल पड़ी. ओर्गाझम की लहरें एक दो मिनिट चली. ज़रा होश आया तब वो बोली : ओह भैया, क्या चोदा तुमने ? ऐसी चुदाइ मैने कभी नहीं की थी अब तक मैने होले से लंड निकाला और चोदने लगा. फटी आँखों से वो देखने लगी बोली : वाह, अभी तुम झरे नहीं हो ? मैं : ना. लेडीज़ फ़र्स्ट. मुझे अब कोई जल्दी नहीं है अपने पाँव पसारे उस ने कहा : चोदीये, आराम से चोदीये. मुझे भी क्या जल्दी है ? उस के बाद बीस मिनिट तक मैने माधवी को चोदा. आख़िर मैं भी ज़ोरों से झरा. मेरे साथ माधवी को भी एक ओर छोटा सा ओर्गाझम हुआ. नींद कब आई वो किसी को पता ना चला. लंड चूत में ही था और हम दोनो सो गये जब मेरी आँखें खुली तब माधवी मेरे पहलू में नहीं थी. कमरे में बत्ती जलती थी. मैं नंगा पलंग पर पड़ा था. वो चोली घाघरी डाले बाथरूम से निकल आई . मुझे नंगा देख वो हस पड़ी. वो बोली : सुबह के चार बजाने को है मैं चलती हूँ तुम सो जाओ. मैं : एक किस भी नहीं करोगी ? किस करने जैसे वो पलंग पास आई मैने झपट से उसे खींच लिया. वो नू ना करती रही लेकिन मैने उसे मेरी गोद में ले लिया. एक हाथ से मैने उस की कलाई पकड़ रक्खी. दूसरे हाथ से घाघरी की नारी खोलने लगा. माधवी ने हलका सा विरोध किया. बोली : जाने भी दो ना देर हो जाएगी. मैं : होने दो. अभी तो मैने तुझे ठीक से देखा भी नहीं है माधवी : ओह, भैया, तुम्हारी नज़र पड़ते ही मुजे वो करवाने का दिल हो जाता है मैं : हो जाने दो. मैं कहाँ दूर हूँ ? आख़िर मैने नारी छोड़ कर घाघरी उतार फैंकी. अपनी नंगी भोस हाथों से ढक कर वो पलट गयी उस वक़्त मैने उस के नंगे नितंब देखे. देखते ही मेरा लोडा जाग ने लगा. गोल चिकाने और भारी नितंब बड़े लुभावने थे. दोनो कुले पर मैने हाथ फ़िराया. गहरी दरार में उंगली फिराई. मैने खींच कर माधवी को मेरे पहलू में ले लिया. मेरी ओर पीठ कर के वो मेरे सीने पर ढल गयी मेरा लंड उस के कुले से दब गया. अब मेरे हाथों ने चोली के हूक खोल दिए और नंगे स्तन थाम लिया. वो दोनो हाथ से भोस ढके हुई थी. मैने ज़ोर लगा कर उस के हाथ हटाए आर कहा : अब तो लंड ले चुकी हो, अब पीकी ढकने से क्या फ़ायदा ? माधवी : शर्म आती है मैं : अरे वाह, मेरा लंड पकड़ने में शर्म ना आई और अब ? चल मैं देखूं तो सही की इतना आनंद जहाँ से मलता है वो जगह कैसी है
भोस पर से वो हाथ नहीं हटती थी. लेकिन मैने चोली खोल दी थी, उसे निकाने ने के लिए उस ने हाथ उठाने पड़े. माधवी चोली उतार रही थी की मैने मेरा हाथ भोस पर रख दिया. उस ने मेरी कलाई पकड़ी लेकिन विरोध किया नहीं. मेरा दूसरा हाथ स्तन सहालाने लगा. लंड ने सिर उठाया और पानी बहाना शुरू कर दिया. जवान लड़की के स्तन मैं पहली बार देख रहा था. माधवी के स्तन बहुत सेक्सी लग रहे ते. सीने के उपरी हिस्से पर लगे उस के स्तन मध्यम क़द के थे, संपूर्ण गोल थे. स्तन के मध्य में दो इंच की बादामी कलर की एरिओला थी, एरिओला के बीच छोटी सी नाज़ुक नीपल थी. एरिओला और नीपल उस वक़्त उभर आए थे. मैने हथेली में ले कर स्तन सहलाया और चिपटि में ले कर नीपल्स मसली. माधवी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दया और स्तन के साथ दबा दिया. मेरे लोडे ने पानी बहाया और ज़्यादा तन गया. मेरा दूसरा हाथ भोस सहालाने लगा. भोस इतनी कोमल होती है ये मैने उस दिन ही जाना. ताजुबी की बात ये है की कोमल होते ही भोस मार खा सकती है चुदाइ दौरान मोन्स से मोन्स टकराती है तब दोनो को मझा आता है मेरी उंगलियाँ बड़े होटों पर आगे से पीछे और पीछे से आगे ऐसे घूम चुकी. मैं अच्छी तरह भोस देखना चाहता था, इसी लिए माधवी को लेटा कर मैं बैठ गया. थोड़ी नू ना के बाद माधवी ने जांघें उठाई और चौड़ी कर रक्खी. उस की मस्तानी भोस मेरी नज़र सामने आई. यूँ तो माधवी गोरी है लेकिन भोस का रंग थोड़ा सा सांवला था. बड़े सन्तरे के टुकड़े जैसे बड़े होठ भरे हुए और मोटे थे. मोन्स उँची थी. मोन्स पर और बड़े होत के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. होठ बीच की दरार तीन इंच लंबी होगी जिस में जाँवली रंग के पतले नाज़ुक छोटे होठ थे. दरार के अगले कोने में आधा इंच लंबी क्लैटोरिस थी. अभी अभी चुद गयी थी फिर भी क्लैटोरिस कड़ी थी. छोटे बेर जैसा उस का मत्था भोस के पानी से गिला था और चमक रहा था. दरार के पिछले कोने में चूत का मुँह था जो सिकुड़ा दिखाई दे रहा था. इतनी छोटी सुराख में मोटा लंड कैसे जा पाया था वो मैं समझ ना सका. मेरी उंगलियाँ जब भोस से खेल रही थी तब माधवी ने लंड पकड़ रक्खा था. मुझे क्या सुझा पता नहीं, मैने भोस पर होठ चिपका कर किस किया. माधवी तड़प उठी और बोली : चलो ना, कब तक देखा करोगे ? मैं अब उस की खुली जांघें बीच आ गया. लंड पकड़ कर मैं चूत पर रखने जा रहा था की एक अजीब बात हुई. कौन जाने क्यूं, लंड से हवा निकल गयी और नर्म हो गया. मैं गभरा गया, ये क्या हुआ ? नज़र लग गयी किसी की मेरे प्यारे को ? मैने कहा : माधवी, ये, ये तो फुसस हो गया. क्या करेंगे अब ? माधवी जिस का नाम, बोली : ओह, ये कोई नयी चीज़ नहीं है गंगा भैया ने और कैलाश भाभी ने मुझे बताया है की ऐसा कभी कभी होता है डर ने जैसी बात नहीं है उन्हों ने मुझे इलाज भी सिखाया है लेट जाओ तुम और मुझे मेरा काम करने दो. मुझे चित लेटा कर वो बैठ गयी नर्म लोडा पकड़ कर उस ने टोपी चड़ा दी और मत्था नंगा किया. आगे झुक कर अपनी जीभ निकली और मत्थे पर फिराई. होठों से मत्था चाटा. जब उस ने जीभ से फ़्रेनम टटोला तब मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी लोडे में जान आने लगी मुँह खोल कर उस ने अकेला मत्था अंदर लिया और जीभ और ताल्लू के बीच दबा दिया. लोडे की दांडी जो बाहर रही उसे मुट्ठि में पकड़ कर मुठ मारने लगी जैसे लोडे ने हलके से ठुमके लगाना शुरू किया माधवी ने लोडा चूसना शुरू किया. लोडे में अजब किसम की गुदगुदी होने लगी और वो कड़ा होने लगा. देखते देखते में लंड पूरा तन गया. माधवी का मुँह लंड की बड़ी साइज़ से भर गया. लंड काम रस बहाने लगा. माधवी जब लंड चुस रही थी तब मेरा हाथ उस की पीठ पर फिसल रहा था. होले होले हाथ उस के नितंब पर पहुँचा. एक एक कर मैने माधवी के दोनो कुले सहलाए. बाद में कुले की दरार मे घुस कर मेरी उंगलियाँ भोस ढूँढने लगी मैने माधवी की गांड का बंद मुँह टटोला और भोस पर उंगलियाँ फिराई. उस वक़्त माधवी की भोस अपना पानी से गीली गीली हो गयी थी. उधर मेरा लंड कड़ा होता चला था. मैने माधवी के कुले मेरी ओर खींच कर एक जाँघ उठाई और मेरे सिर की दुसरी ओर रख दी. अब मेरा सिर उस की जांघें बीच आ गया. उस की भोस मेरे मुँह के पास आ गयी भोस से मस्त ख़ुश बू आ रही थी. कुले पकड़ कर मैने माधवी को ऐसे खिसकाई की मेरा मुँह भोस पर लग गया. जीभ निकाल कर मैने अच्छी तरह भोस चाटी. मोन्स से ले कर गांड के छिद्रा तक आगे से पीछे और फिर पीछे से आगे ऐसे बड़े होठ चाटे . होठ चौड़े कर के दरार में जीभ डाली. क्लैटोरिस कड़ी हो गयी थी, उसे होटों बीच आसानी से ले सका. क्लैटोरिस चुस ते चुस ते दो उंगलियाँ चूत में भी डाली. उधर लंड तन कर लोहे जैसा बन गया था, इधर भोस ने भर मार रस बहाया था. जब माधवी फ़्रेनम पैर जीभ फिराती थी तब मेरे बदन में बिजली सी दौड़ जाती थी और मेरे कुले हिल पड़ते थे. उस का बदला मैं क्लैटोरिस का छोटा मत्था चुस कर लेता था. लंड से भरे मुँह से वो कुछ बोल नहीं सकती थी लेकिन उन उन आवाज़ करती थी. उस के कुले भी डोलने लगे थे. लंड ने जब ठुमके लगाने शुरू किए तब मुँह से निकाल कर माधवी पलटी और पलंग पर चित लेट गयी हाथ में पकड़े लंड से खींच कर मुझे अपने बदन पर ले लिया और बोली : हो गया ना तैयार ? अब चोदे बिना नहीं झुकेगा. लेकिन अब की बार धीरे धीरे चोदना..
उस ने अपनी जांघें चौड़ी कर दी. मुट्ठि में पकड़ा लंड उस ने सारी भोस पर रगडा ख़ास तौर पैर क्लैटोरिस से. उसी वक़्त मैं नीपल्स चूसने लगा. माधवी के मुँह से आह निकल पड़ी. मैने कहा : ज़्यादा देर लगाएगी तो मैं चोदे बिना ही झर जा उंगा. बोले ब्ना उस ने लंड का मत्था चूत के मुँह पर धर दिया. एक हाथ मेरे कुले पर धर कर मुझे अपनी ओर खींचा. मुझे आगे सिखाने की ज़रूरत नहीं थी..हलका दबाव से होले होले मैं लंड चूत में डाल ने लगा: थोड़ा अंदर थोड़ा बाहर, ज़्यादा अंदर थोड़ा बाहर ऐसे एक एक इंच सरिखा लंड डालता चला. माधवी से लेकिन सहा नहीं गया. उस ने अपने नितंब का एक झटका ऐसा लगाया की घच्छ से लंड पूरा चूत में घुस गया. मेरे कुले पर दोनो हाथ रह कर दबा रक्खा. वो बोली : आआह, ऐसे पूरा क्यूं नहीं पेल देते ? कितना मीठा लगता है ? चूत की सीकुडी दीवारों ने मेरा लंड कस कर थाम लिया. सारे लंड से जैसे रस झरता हो ऐसा मज़ा आने लगा. पूरा लंड चूत में घुसेड कर मैं थोड़ी देर रुक गया और चूत के कोमल स्पर्श का मझा लेते रहा. माधवी ने फिर नितंब हिलाए और चूत सिकोड कर लंड दबोचा. अकेला मत्था चूत में रहे इतना लंड मैने होले होले निकाला और फिर एक झटके से अंदर घुसेड दिया. ऐसे ज़ोरों के धीरे धक्के से मैंने माधवी को दस मिनिट तक चोदा. मेरी उत्तेजना बढ़ गयी थी, मैं झर ने से क़रीब पहुँच गया था. झर ने से बचने के लिए मुझे बार बार पूरा लंड निकाल देना पड़ता था. माधवी भी कमर के झटके लगा कर लंड ले रही थी. अब वो बोली : जलदी करो ना, क्या ये बुड्ढे की तरह चोद रहे हो ? फिर क्या कहना ? धना धन तेज़ रफ़्तार से मैने चोदना शुरू कर दिया. सात आठ धक्के लगे होंगे की माधवी को ओर्गाझम हो गया. अपने हाथ पाँव से मुझे उस ने जकड़ लिया लेकिन मैं रुका नहीं, चोदते चला. दूसरे दस बार धक्के के बाद लंड ने वीर्य छोड़ दिया. मेरे साथ माधवी भी फिर झरी. माधवी को आगोश में लिए सोते रहना बहुत दिल करता था. लेकिन सुबह होने को थी. मौसी जाग जाय और हम रंगे हाथ पकड़े जाएँ इन से पहले फटा फट कपड़े पहन कर माधवी जाने लगी जाते जाते उस ने किस कर के मुझ से कहा : वचन दो भैया, हमारी चुदाइ का राज़ तुम किसी से नहीं कहोगे, मेरी आनेवाली भाभी से भी नहीं. मैने वचन दिया और उन से भी लिया. दूसरे दिन गंगाधर और कैलाश भाभी ने हम सब को शाम के खाने पर बुलाए. वहाँ क्या हुआ ये फिर कभी आप से बयान कर उंगा. इतना बता दूं की भाभी ने एक किताब दी जिस में चुदाइ के अलग अलग आसनों के फ़ोटू थे. फ़ोटू के मॉडेल ख़ूब सूरत थे. लड़की की भोस साफ़ चिक्नी थी, स्तन बड़े बड़े और उन्नत थे. लड़के का लंड आठ इंच लंबा होगा. डांस करते हो वैसी लगान से वो चुदाइ में लगे हुए थे. गंगा भैया ने कॉन्डोम के कुछ पेकेट दिए रोज़ रात माधवी मुझे चुदाइ के नये नये लेसंस देती रही. कभी कभी गच्छी में जा कर वो नये कपल की चुदाइ देख लेते थे, कभी मौक़ा मिले तब दिन दौरान क्विकी कर लेते थे. कभी कैलाश भाभी हमारे घर आती थी, कभी हमें उन के घर बुला लेती थी. दस बारह दिन तक कम से कम दिन में एक बार मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ कर मुझे बेहद आनंद करवाया. अंतिम दिन जब मैं घर लौटने निकला तब माधवी मौजूद नहीं थी. अगली रात उस ने कहा था की मेरे जाने पर वो शायद रो पड़ेगी. मैने तो वचन निभाया. कुछ दो महीनों पहले रिया माधवी से मिली. ये सब कैसे हुआ ये माधवी आप को बताएगी लेकिन एक बात पक्की हुई : उस ने रिया से हमारी छुड़ाई के बारे में कह दिया. एक रीत से ये अच्छा ही हुआ. मैं वचन से मुक्त हुआ और आप को ये कहानी सुना सका
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बदनाम रिश्ते
छोटी बहन को चोदा--2 gataank se aage.................
माधवी को सहारा दे कर मैं उसे कमरे में ले आया ,,,,,,,,,,, कमरे में आ ते ही हम एक दूजे पर तूट पड़े. उस ने मेरा नाइट ड्रेस उतार दिया, मैने उस की चोली उतार दी. मैने दोनो स्तन बेरहमी से मसल डाले और नीपल्स को चिपटि में ले ली. मेरा सात इंच का कड़ा लंड देख वो बोली : हाए, क्या लंड है तुमारा भैया. कच्चा कंवारा भी है है ना ? मैं : कंवारा ही है उस ने अभी तक चूत देखी तक नहीं है लंड हाथ में लिए होले होले मुठ मार ते हुए वो मुझे धकेल कर पलंग तक ले गयी और पलंग पर गिरा दिया. मैं कुछ कहूँ इस से पहले उस ने लंड मुँह में ले लिया. मुझ से सहा नहीं गया. मैने कहा : माधवी, ऐसा करोगी तो मैं तेरे मुँह में ही झर जा उंगा. उस ने उन उन आवाज़ की लेकिन लंड छोड़ा नहीं. मेरे पास कोई चारा नहीं था. मैने फट से हाथ उस की भोस पैर रख दिया और क्लैटोरिस चिपटि में पकड़ कर मसल डाली. छटपटा ने की अब उस की बारी थी. आह भरने जैसे उस ने मुँह खोला वैसे मैने लंड निकाल लिया. लगता था की उसे कुछ छीना झपटि पसंद थी. मैने उसे पलंग पर पटक दी और उपर चड़ बैठा. वो लंड पकड़ ने तुली थी, मैं उस के हाथ हटा देता था, आख़िर एक हाथ में उस की दोनो कलाइयों पकड़ कर दूसरे हाथ से मैने स्तन पर चिकोटी काट ली. उई मा कहते हुए वो तड़प उठी. मैं उस पर लेट गया. मेरे वज़न से उसका बदन दब गया और वो हिल ना सकी. उस ने जांघें जकड़ रक्खी थी. मेरे घुटने उस के पाँव बीच डाल कर ज़ोर लगा कर मैने उस की जांघें चौड़ी कर दी. जांघें चौड़ी होते ही रेशमी घाघरी नितंब तक उपर चड़ गयी बाक़ी रही वो मैने हाथ से हटा दी. अब लंड और भोस बीच कुछ ना रहा. खुली भोस से लंड टकराया. मेरे दोनो हाथ स्तन पर जमे थे इसी लिए मैं लंड पकड़े बिना धना धन धक्के देने लगा. मैने सोचा था की ऐसे वैसे लंड चूत में घुसेगा तो सही. लेकिन ये ना हुआ. लंड का मत्था भोस पर इधर उधर टकराया, फिसल गया लेकिन उसे चूत का मुँह मिला नहीं. आठ दस धक्के बेकार गये मेरी अधीराई बढ़ गयी क्यूं की मैं झर ने से क़रीब आ चुक्का था. मेरी नाकामयाबी पर माधवी हस रही थी. हो सकता है की माधवी जान बुझ कर अपने नितंब हिला कर निशाना चुकवा देती थी. मैने कहा : देख, मैं तेरे पेट पर लंड रगड कर झर उंगा, तुझे चोदुन्गा नहीं. मैने धक्के लगाने शुरू किए. लंड पेट पर घिस ने लगा. तब अचानक उस ने अपने पाँव उठाए, ओर चौड़े कर दिए और एक हाथ में लंड पकड़ कर सही निशाने पर धर दिया. एक ही धक्के से पूरा लंड चूत में घुस गया. लंड की टोपी उपर चड़ गयी मोन्स से मोन्स टकराई. मुझे आगे सीखाने की ज़रूरत ना थी. दोस्तो, जब भगवान लंड देता है तब ये भी सीखा देता है की चुदाइ के धक्के कैसे मारे जाते हें. चूत में लंड घुसते ही मेरी कमर काम पर लग गयी मैं रुक ने के मूड में नहीं था. मेरा दिमाग़ सिर से निकल कर लंड के मत्थे में जा बैठा था और उस पर चुदाइ का भूत सवार हुआ था. वो कहाँ मेरी सुने ? घचा घच्छ घचा घच्छ धक्के से मैं चोदने लगा. अपनी टाँगें मेरी कमर से लिपटा कर नितंब हिला कर माधवी लंड लेने लगी उस के मुँह से आह्, ओहोह, सीसी, आवाज़ें निकालने लगी ज़ोर ज़ोर से गहरे धक्के लगा कर मैने माधवी को कस कर चोदा. ये चुदाइ लंबी ना चली. चार पाँच धक्के लिए की वो झर पड़ी. मैने छोड़ना जारी रक्खा. दूसरे पाँच सात धक्के में मैं भी झर गया. लंड से वीर्य की पाँच सात पिचकारियाँ छूटी. मैं होश गवा बैठा. इतना आनंद चुदाइ में होगा ये मैने सोचा नहीं था. लोग इसे छोटी मौत कहते हें ये सच है हम दोनो थक गये थे लेकिन ये थकान मीठि थकान थी. मैं माधवी के बदन पर ढल गया. थोड़ी देर बाद होश आया की वो कोमल नाज़ुक लड़की मेरे बदन का भार नहीं झेल सकेगी. मेरी कमर से उस की टाँगें छुड़ा कर मैं उतरने गया. उस ने टाँगें ज़ोर से जकड़ कर मुझे रोक लिया. मेरी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोली : सोते रहिए ना, इतनी क्या जल्दी है ? मैं : मेरा भार लगेगा, तू दब जाएगी. माधवी : तुम्हारा भार भी अच्छा लगता है मझा आया बहन को चोदने में ? मैं : बहुत मझा आया. मुझे लगा की मैं मर जा उंगा. माधवी : मरे तुम्हारे दुश्मन. थक गये हो क्या ? मैं : नहीं तो. क्यूं ? माधवी : तुम्हारा वो तो अभी भी खड़ा है है ना ? उस की बात सच थी. वाकई लंड खड़ा ही था, मैने चूत में दबाए रक्खा था. चूत में हलके हलके स्पंदन होते रहे थे जिस का जवाब लंड ठुमका लगा कर दे रहा था. मैं : हाँ, ये बे शरम अभी झुका नहीं है तेरी चूत भी फट फट करती है ओह, सारे लंड में मीठि मीठि गुदगुदी होती है और ऐसा मेहसूस ऐसा होता है की सारे लंड से रस झर रहा है तुझे कैसा लगता है ? माधवी : तुम्हारे मोटे लंड से मेरी चूत भरी भरी लगती है मुझे भी सारी भोस में गुदगुदी होती है
बातें करते करते होले होले लंड फिर अंदर बाहर होने लगा. अब की बार जल्द बाज़ी नहीं थी. आराम से मैं चोदने लगा. भोस का पानी, लंड की लार और ढेर सारा वीर्य चूत में थे. पच्छ पच्छ आवाज़ से लंड आता जाता था. मैने सोचा था की चुदाइ के वक़्त लंड की टोपी चड़ उतर करती होगी. लेकिन ऐसा नहीं होता था. पहली बार लंड घुसा तब टोपी चड़ गयी थी सो चडी ही रही थी. नंगा मत्था चूत की दीवारों से घिस पता था. मेरे हर धक्के के साथ माधवी अपना नितंब उठा लेती थी. इस से भोस उपर उठ जाती थी और मूल तक का लंड चूत मे घुस पाता था. लंड निकलते वक़्त वो नितंब गिरा देती थी जिस से क्लैटोरिस लंड की दांडी से घिस पाती थी. कभी कभी चूत की गहराई में लंड दबाय के मैं मोन्स से मोन्स रगड लेता था, उस वक़्त भी क्लैटोरिस रगडी जाती थी. दस मिनिट की ऐसी मझेदार चुदाइ के बाद चूत में फटाके होने लगे और उस के कुले इधर उधर डोलने लगे. मुझ से लिपट कर अपनी कमर के झटके लगा कर माधवी लंड को घुमा ने लगी वो बोली : मुझे उपर आ जाने दो. उसे बाहों में भर कर मैने पलटी खाई और नीचे आ गया. लंड चूत में फसा ही था. कुले उठा गिरा कर वो चोदने लगी मैने दोनो स्तन थाम लिए और नीपल्स मसल डाली. तेज़ी से वो ओर्गाझम की ओर जाने लगी उस ने एक बार पूरा लंड बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर अपनी भोस पर चारों ओर रगड लिया ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर अचानक उस ने लंड फिर चूत में ले लिया, मुझ पर ढल पड़ी और कमर के झटके लगाने लगी योनी के फटके से मैं जान गया की उस का ओर्गाझम अब दूर नहीं है फिर पलट कर मैं उपर आ गया. वो ठीक से बोल नहीं पाई लेकिन इतना कहा : चोद डालो मुझे भैया, चोद डालो. फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लंड से, चोद ही डालो. मैं धक्के की रफ़्तार बढ़ा दूं इस से पहले माधवी को ओर्गाझम हो गया. पानी बिना की मछली की तरह वो छटपटाने लगी नाख़ून से उस ने मेरी पीठ खरॉंच डाली योनी तेज़ी से फट फट करने लगी और रस का झरना बहाने लगी उस का सारा बदन अकड गया रोएँ खड़े हो गये मेरे सीने में दाँत गाड़ा दिए मुझे पता ना था की क्या करना इसी लिए ओर्गाझम दौरान मैं रुक गया. तीस सेकंड के बाद जब तूफ़ान शांत पड़ा तब वो थक कर ढल पड़ी. ओर्गाझम की लहरें एक दो मिनिट चली. ज़रा होश आया तब वो बोली : ओह भैया, क्या चोदा तुमने ? ऐसी चुदाइ मैने कभी नहीं की थी अब तक मैने होले से लंड निकाला और चोदने लगा. फटी आँखों से वो देखने लगी बोली : वाह, अभी तुम झरे नहीं हो ? मैं : ना. लेडीज़ फ़र्स्ट. मुझे अब कोई जल्दी नहीं है अपने पाँव पसारे उस ने कहा : चोदीये, आराम से चोदीये. मुझे भी क्या जल्दी है ? उस के बाद बीस मिनिट तक मैने माधवी को चोदा. आख़िर मैं भी ज़ोरों से झरा. मेरे साथ माधवी को भी एक ओर छोटा सा ओर्गाझम हुआ. नींद कब आई वो किसी को पता ना चला. लंड चूत में ही था और हम दोनो सो गये जब मेरी आँखें खुली तब माधवी मेरे पहलू में नहीं थी. कमरे में बत्ती जलती थी. मैं नंगा पलंग पर पड़ा था. वो चोली घाघरी डाले बाथरूम से निकल आई . मुझे नंगा देख वो हस पड़ी. वो बोली : सुबह के चार बजाने को है मैं चलती हूँ तुम सो जाओ. मैं : एक किस भी नहीं करोगी ? किस करने जैसे वो पलंग पास आई मैने झपट से उसे खींच लिया. वो नू ना करती रही लेकिन मैने उसे मेरी गोद में ले लिया. एक हाथ से मैने उस की कलाई पकड़ रक्खी. दूसरे हाथ से घाघरी की नारी खोलने लगा. माधवी ने हलका सा विरोध किया. बोली : जाने भी दो ना देर हो जाएगी. मैं : होने दो. अभी तो मैने तुझे ठीक से देखा भी नहीं है माधवी : ओह, भैया, तुम्हारी नज़र पड़ते ही मुजे वो करवाने का दिल हो जाता है मैं : हो जाने दो. मैं कहाँ दूर हूँ ? आख़िर मैने नारी छोड़ कर घाघरी उतार फैंकी. अपनी नंगी भोस हाथों से ढक कर वो पलट गयी उस वक़्त मैने उस के नंगे नितंब देखे. देखते ही मेरा लोडा जाग ने लगा. गोल चिकाने और भारी नितंब बड़े लुभावने थे. दोनो कुले पर मैने हाथ फ़िराया. गहरी दरार में उंगली फिराई. मैने खींच कर माधवी को मेरे पहलू में ले लिया. मेरी ओर पीठ कर के वो मेरे सीने पर ढल गयी मेरा लंड उस के कुले से दब गया. अब मेरे हाथों ने चोली के हूक खोल दिए और नंगे स्तन थाम लिया. वो दोनो हाथ से भोस ढके हुई थी. मैने ज़ोर लगा कर उस के हाथ हटाए आर कहा : अब तो लंड ले चुकी हो, अब पीकी ढकने से क्या फ़ायदा ? माधवी : शर्म आती है मैं : अरे वाह, मेरा लंड पकड़ने में शर्म ना आई और अब ? चल मैं देखूं तो सही की इतना आनंद जहाँ से मलता है वो जगह कैसी है
भोस पर से वो हाथ नहीं हटती थी. लेकिन मैने चोली खोल दी थी, उसे निकाने ने के लिए उस ने हाथ उठाने पड़े. माधवी चोली उतार रही थी की मैने मेरा हाथ भोस पर रख दिया. उस ने मेरी कलाई पकड़ी लेकिन विरोध किया नहीं. मेरा दूसरा हाथ स्तन सहालाने लगा. लंड ने सिर उठाया और पानी बहाना शुरू कर दिया. जवान लड़की के स्तन मैं पहली बार देख रहा था. माधवी के स्तन बहुत सेक्सी लग रहे ते. सीने के उपरी हिस्से पर लगे उस के स्तन मध्यम क़द के थे, संपूर्ण गोल थे. स्तन के मध्य में दो इंच की बादामी कलर की एरिओला थी, एरिओला के बीच छोटी सी नाज़ुक नीपल थी. एरिओला और नीपल उस वक़्त उभर आए थे. मैने हथेली में ले कर स्तन सहलाया और चिपटि में ले कर नीपल्स मसली. माधवी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दया और स्तन के साथ दबा दिया. मेरे लोडे ने पानी बहाया और ज़्यादा तन गया. मेरा दूसरा हाथ भोस सहालाने लगा. भोस इतनी कोमल होती है ये मैने उस दिन ही जाना. ताजुबी की बात ये है की कोमल होते ही भोस मार खा सकती है चुदाइ दौरान मोन्स से मोन्स टकराती है तब दोनो को मझा आता है मेरी उंगलियाँ बड़े होटों पर आगे से पीछे और पीछे से आगे ऐसे घूम चुकी. मैं अच्छी तरह भोस देखना चाहता था, इसी लिए माधवी को लेटा कर मैं बैठ गया. थोड़ी नू ना के बाद माधवी ने जांघें उठाई और चौड़ी कर रक्खी. उस की मस्तानी भोस मेरी नज़र सामने आई. यूँ तो माधवी गोरी है लेकिन भोस का रंग थोड़ा सा सांवला था. बड़े सन्तरे के टुकड़े जैसे बड़े होठ भरे हुए और मोटे थे. मोन्स उँची थी. मोन्स पर और बड़े होत के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. होठ बीच की दरार तीन इंच लंबी होगी जिस में जाँवली रंग के पतले नाज़ुक छोटे होठ थे. दरार के अगले कोने में आधा इंच लंबी क्लैटोरिस थी. अभी अभी चुद गयी थी फिर भी क्लैटोरिस कड़ी थी. छोटे बेर जैसा उस का मत्था भोस के पानी से गिला था और चमक रहा था. दरार के पिछले कोने में चूत का मुँह था जो सिकुड़ा दिखाई दे रहा था. इतनी छोटी सुराख में मोटा लंड कैसे जा पाया था वो मैं समझ ना सका. मेरी उंगलियाँ जब भोस से खेल रही थी तब माधवी ने लंड पकड़ रक्खा था. मुझे क्या सुझा पता नहीं, मैने भोस पर होठ चिपका कर किस किया. माधवी तड़प उठी और बोली : चलो ना, कब तक देखा करोगे ? मैं अब उस की खुली जांघें बीच आ गया. लंड पकड़ कर मैं चूत पर रखने जा रहा था की एक अजीब बात हुई. कौन जाने क्यूं, लंड से हवा निकल गयी और नर्म हो गया. मैं गभरा गया, ये क्या हुआ ? नज़र लग गयी किसी की मेरे प्यारे को ? मैने कहा : माधवी, ये, ये तो फुसस हो गया. क्या करेंगे अब ? माधवी जिस का नाम, बोली : ओह, ये कोई नयी चीज़ नहीं है गंगा भैया ने और कैलाश भाभी ने मुझे बताया है की ऐसा कभी कभी होता है डर ने जैसी बात नहीं है उन्हों ने मुझे इलाज भी सिखाया है लेट जाओ तुम और मुझे मेरा काम करने दो. मुझे चित लेटा कर वो बैठ गयी नर्म लोडा पकड़ कर उस ने टोपी चड़ा दी और मत्था नंगा किया. आगे झुक कर अपनी जीभ निकली और मत्थे पर फिराई. होठों से मत्था चाटा. जब उस ने जीभ से फ़्रेनम टटोला तब मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी लोडे में जान आने लगी मुँह खोल कर उस ने अकेला मत्था अंदर लिया और जीभ और ताल्लू के बीच दबा दिया. लोडे की दांडी जो बाहर रही उसे मुट्ठि में पकड़ कर मुठ मारने लगी जैसे लोडे ने हलके से ठुमके लगाना शुरू किया माधवी ने लोडा चूसना शुरू किया. लोडे में अजब किसम की गुदगुदी होने लगी और वो कड़ा होने लगा. देखते देखते में लंड पूरा तन गया. माधवी का मुँह लंड की बड़ी साइज़ से भर गया. लंड काम रस बहाने लगा. माधवी जब लंड चुस रही थी तब मेरा हाथ उस की पीठ पर फिसल रहा था. होले होले हाथ उस के नितंब पर पहुँचा. एक एक कर मैने माधवी के दोनो कुले सहलाए. बाद में कुले की दरार मे घुस कर मेरी उंगलियाँ भोस ढूँढने लगी मैने माधवी की गांड का बंद मुँह टटोला और भोस पर उंगलियाँ फिराई. उस वक़्त माधवी की भोस अपना पानी से गीली गीली हो गयी थी. उधर मेरा लंड कड़ा होता चला था. मैने माधवी के कुले मेरी ओर खींच कर एक जाँघ उठाई और मेरे सिर की दुसरी ओर रख दी. अब मेरा सिर उस की जांघें बीच आ गया. उस की भोस मेरे मुँह के पास आ गयी भोस से मस्त ख़ुश बू आ रही थी. कुले पकड़ कर मैने माधवी को ऐसे खिसकाई की मेरा मुँह भोस पर लग गया. जीभ निकाल कर मैने अच्छी तरह भोस चाटी. मोन्स से ले कर गांड के छिद्रा तक आगे से पीछे और फिर पीछे से आगे ऐसे बड़े होठ चाटे . होठ चौड़े कर के दरार में जीभ डाली. क्लैटोरिस कड़ी हो गयी थी, उसे होटों बीच आसानी से ले सका. क्लैटोरिस चुस ते चुस ते दो उंगलियाँ चूत में भी डाली. उधर लंड तन कर लोहे जैसा बन गया था, इधर भोस ने भर मार रस बहाया था. जब माधवी फ़्रेनम पैर जीभ फिराती थी तब मेरे बदन में बिजली सी दौड़ जाती थी और मेरे कुले हिल पड़ते थे. उस का बदला मैं क्लैटोरिस का छोटा मत्था चुस कर लेता था. लंड से भरे मुँह से वो कुछ बोल नहीं सकती थी लेकिन उन उन आवाज़ करती थी. उस के कुले भी डोलने लगे थे. लंड ने जब ठुमके लगाने शुरू किए तब मुँह से निकाल कर माधवी पलटी और पलंग पर चित लेट गयी हाथ में पकड़े लंड से खींच कर मुझे अपने बदन पर ले लिया और बोली : हो गया ना तैयार ? अब चोदे बिना नहीं झुकेगा. लेकिन अब की बार धीरे धीरे चोदना..
उस ने अपनी जांघें चौड़ी कर दी. मुट्ठि में पकड़ा लंड उस ने सारी भोस पर रगडा ख़ास तौर पैर क्लैटोरिस से. उसी वक़्त मैं नीपल्स चूसने लगा. माधवी के मुँह से आह निकल पड़ी. मैने कहा : ज़्यादा देर लगाएगी तो मैं चोदे बिना ही झर जा उंगा. बोले ब्ना उस ने लंड का मत्था चूत के मुँह पर धर दिया. एक हाथ मेरे कुले पर धर कर मुझे अपनी ओर खींचा. मुझे आगे सिखाने की ज़रूरत नहीं थी..हलका दबाव से होले होले मैं लंड चूत में डाल ने लगा: थोड़ा अंदर थोड़ा बाहर, ज़्यादा अंदर थोड़ा बाहर ऐसे एक एक इंच सरिखा लंड डालता चला. माधवी से लेकिन सहा नहीं गया. उस ने अपने नितंब का एक झटका ऐसा लगाया की घच्छ से लंड पूरा चूत में घुस गया. मेरे कुले पर दोनो हाथ रह कर दबा रक्खा. वो बोली : आआह, ऐसे पूरा क्यूं नहीं पेल देते ? कितना मीठा लगता है ? चूत की सीकुडी दीवारों ने मेरा लंड कस कर थाम लिया. सारे लंड से जैसे रस झरता हो ऐसा मज़ा आने लगा. पूरा लंड चूत में घुसेड कर मैं थोड़ी देर रुक गया और चूत के कोमल स्पर्श का मझा लेते रहा. माधवी ने फिर नितंब हिलाए और चूत सिकोड कर लंड दबोचा. अकेला मत्था चूत में रहे इतना लंड मैने होले होले निकाला और फिर एक झटके से अंदर घुसेड दिया. ऐसे ज़ोरों के धीरे धक्के से मैंने माधवी को दस मिनिट तक चोदा. मेरी उत्तेजना बढ़ गयी थी, मैं झर ने से क़रीब पहुँच गया था. झर ने से बचने के लिए मुझे बार बार पूरा लंड निकाल देना पड़ता था. माधवी भी कमर के झटके लगा कर लंड ले रही थी. अब वो बोली : जलदी करो ना, क्या ये बुड्ढे की तरह चोद रहे हो ? फिर क्या कहना ? धना धन तेज़ रफ़्तार से मैने चोदना शुरू कर दिया. सात आठ धक्के लगे होंगे की माधवी को ओर्गाझम हो गया. अपने हाथ पाँव से मुझे उस ने जकड़ लिया लेकिन मैं रुका नहीं, चोदते चला. दूसरे दस बार धक्के के बाद लंड ने वीर्य छोड़ दिया. मेरे साथ माधवी भी फिर झरी. माधवी को आगोश में लिए सोते रहना बहुत दिल करता था. लेकिन सुबह होने को थी. मौसी जाग जाय और हम रंगे हाथ पकड़े जाएँ इन से पहले फटा फट कपड़े पहन कर माधवी जाने लगी जाते जाते उस ने किस कर के मुझ से कहा : वचन दो भैया, हमारी चुदाइ का राज़ तुम किसी से नहीं कहोगे, मेरी आनेवाली भाभी से भी नहीं. मैने वचन दिया और उन से भी लिया. दूसरे दिन गंगाधर और कैलाश भाभी ने हम सब को शाम के खाने पर बुलाए. वहाँ क्या हुआ ये फिर कभी आप से बयान कर उंगा. इतना बता दूं की भाभी ने एक किताब दी जिस में चुदाइ के अलग अलग आसनों के फ़ोटू थे. फ़ोटू के मॉडेल ख़ूब सूरत थे. लड़की की भोस साफ़ चिक्नी थी, स्तन बड़े बड़े और उन्नत थे. लड़के का लंड आठ इंच लंबा होगा. डांस करते हो वैसी लगान से वो चुदाइ में लगे हुए थे. गंगा भैया ने कॉन्डोम के कुछ पेकेट दिए रोज़ रात माधवी मुझे चुदाइ के नये नये लेसंस देती रही. कभी कभी गच्छी में जा कर वो नये कपल की चुदाइ देख लेते थे, कभी मौक़ा मिले तब दिन दौरान क्विकी कर लेते थे. कभी कैलाश भाभी हमारे घर आती थी, कभी हमें उन के घर बुला लेती थी. दस बारह दिन तक कम से कम दिन में एक बार मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ कर मुझे बेहद आनंद करवाया. अंतिम दिन जब मैं घर लौटने निकला तब माधवी मौजूद नहीं थी. अगली रात उस ने कहा था की मेरे जाने पर वो शायद रो पड़ेगी. मैने तो वचन निभाया. कुछ दो महीनों पहले रिया माधवी से मिली. ये सब कैसे हुआ ये माधवी आप को बताएगी लेकिन एक बात पक्की हुई : उस ने रिया से हमारी छुड़ाई के बारे में कह दिया. एक रीत से ये अच्छा ही हुआ. मैं वचन से मुक्त हुआ और आप को ये कहानी सुना सका
samaapt
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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