Friday, March 7, 2014

FUN-MAZA-MASTI चट मंगनी चट ब्याह-10

FUN-MAZA-MASTI

  चट मंगनी चट ब्याह-10


 दोनों इस बात से बेखबर थे की उनकी दबी घुटी चीख पुकारें अनसुनी नहीं जा रही थी। विराट और माला दोनों ही जाग चुके थे, और ड्राइंग रूम में बैठे हुए उनको यह सब सुनाई दे रहा था। दोनों ने एक दुसरे की तरफ देखते हुए मुस्कान फेंकी। 

"दोनों बच्चों में ना जाने कितनी एनर्जी है! कल तो इन दोनों ने दिन में कम से कम चार पांच बार किया था।" माला ने एक रहस्य खोलते हुए बोला। 

"हा हा! अच्छा है। दोनों अभी छोटे हैं, कम जिम्मेदारियां हैं, इसलिए यह खेल खूब खेल लेना चाहिए। आगे काम और बच्चों का बोझ रहेगा। अभी तो इनके मज़े के दिन हैं।" विराट अस्वाभाविक रूप से सेक्स के विषय पर बहुत ही नरम दिख रहा था। संभवतः कल की घटनाओं का यह सकारात्मक प्रभाव था।

"हा हा ...! यह बात तो हम पर भी लागू होती है। न बच्चों का, और न की काम का बोझ। तो हम लोग क्या करें?" माला ने उसको छेड़ते हुए पूछा।

"मेरी जान! अब तो रोज़ तुम्हारा बाजा बजाऊँगा।" दोनों के ही ठहाके छूट पड़े। कुछ देर तक दोनों यूँ ही हँसते बोलते रहे।

"अच्छा सुनो!" माला ने अचानक ही कुछ सोचा और बोल दिया, "तुमसे एक बात पूछूं?"

"हाँ, बोलो न"

"मेरा कल से बहुत मन हो रहा है की हम लोग कोई फिल्म देखने चलेंगे? अभी तो पल्लवी और रूद्र भी घर पर हैं, तो फिर हम लोग आज पूरा दिन मस्ती कर सकते हैं" माला ने रुकते हुए विराट की तरफ देखा - उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया था, "तुमको तो मालूम है न की हम लोगो ने साथ में कोई आउटिंग नहीं की है। तुम तो पूरा समय काम में फंसे रहते हो ....!" 

"अच्छा हाँ बाबा! तुमको इतनी सी बात के लिए इतना बड़ा केस बनाने की क्या ज़रुरत है? ऐसा करते हैं की, सवेरे सवेरे का शो देखते हैं, और फिर दिन भर मस्ती करते हैं आज ...." बोलते बोलते वह रुक कर मुस्कुराने लगा। फिर बोला, "मस्ती करने की बात सुन कर मा बदौलत का फिर से खड़ा हो रहा है" फिर थोड़ा रुक कर उसने कुछ सोचा, "अच्छा मेरी जान! एक और बच्चे को लेकर तुम्हारा क्या ख़याल है?" उसने आँख मारते हुए कहा।

"इस उम्र में? न बाबा न। यह तो पल्लवी के बच्चे खिलाने की उम्र है हमारी।" माला ने मुस्कुराते हुए कहा। "हाँ! यह बात तुम पांच साल पहले कहते तो शायद सोचा भी जाता।"

"हा हा हा ..." दोनों ही इस बात पर हंसने लगे। इतने में ही पल्लवी ड्राइंग रूम में आ गयी। माला ने देखा की उसने कल के ही जैसा एक छोटा, लेकिन अपारदर्शी फीके नारंगी रंग का टी-शर्ट पहना हुआ था और सफ़ेद रंग का निकर। इन कपड़ों ने उसके शरीर की आकर्षकता और भी अधिक बढ़ा दी थी।

'हे भगवान! ये तो किसी भी तरह के कपड़ों में कितनी प्यारी सी लगती है! जैसे की कोई प्यारी प्यारी गुडिया हो।' माला ने सोचा।



"पा...पा..." कहते हुए वह विराट से पहले तो लिपट गयी, और फिर उसकी ही गोदी में आकर सिमट कर बैठ गयी और अपनी बाहें विराट के गले में डाल दी। विराट ने भी सावधानी और बेढंगे तरीके से उसको पकड़ा हुआ था। गोदी में सिमटने से पल्लवी थोड़ा इस प्रकार झुक गयी की विराट को उसके नारंगी टी-शर्ट से उसका वक्ष-विदरण दिखाई देने लगा। उसने ध्यान दिया की पल्लवी के स्तन छोटे किन्तु पूर्ण रूप से गोलाकार थे। स्पष्टतः पल्लवी ने ब्रा नहीं पहना हुआ था, अतः उसके हिलने डुलने से उसके स्तनों के हिचकोलों से विराट को अपने स्वयं का कामोत्तेजन ध्यान में आ गया और उसके जघन क्षेत्र में उत्तेजना जागृत होने लगी। वह सोफे पर बैठे बैठे ही कसमसाया, जिससे इस अचानक ही उत्पन्न हुई असुविधा से आराम मिल सके।

"कैसा है मेरा बच्चा?" विराट ने जैसे तैसे संयत आवाज़ में कहा।

"मैं एकदम ठीक हूँ पापा। आप कैसे हैं और कब आये?"

दोनों एक दुसरे का कुशलक्षेम पूछते हुए इधर उधर की बाते करने लगे। कुछ ही पलों में रूद्र ने भी उन तीनो की संगोष्ठी में शामिल हो गया। इससे विराट के मन में उठने वाला तनाव कम हो गया। आपस में ऐसे ही बाते करते हुए माला और पल्लवी ने नाश्ता बनाया और सभी ने साथ में मिलकर नाश्ता किया। विराट ने आज बाहर जा कर फिल्म देखने और मस्ती करने की बात कही तो पल्लवी और रूद्र भी खुश हो गए की, चलो आज मस्ती करेंगे। 

पल्लवी ने सुझाव दिया की प्रियंका को भी साथ ले चलते हैं, जिसको सभी ने मान लिया। नाश्ते के बाद लोग बारी बारी नहाने का उपक्रम करने लगे, और इसी बीच पल्लवी ने प्रियंका को फ़ोन करके सिनेमा हॉल समय पर पहुचने को बोल दिया।
 
 
यह एक सुखद गर्मी वाला दिन था - गर्मी थी, लेकिन हवा चलने के कारण उसकी तीव्रता कम महसूस हो रही थी। ऐसे मौसम में लोग हलके कपड़े पहनना पसंद करते हैं। लिहाजा, पल्लवी ने एक स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी हुई थी, और माला ने सूती शलवार-कुरता। विराट ने जीन्स और टी-शर्ट, और रूद्र ने भी जीन्स और टी-शर्ट पहना हुआ था। वहां उन्होंने ने देखा की प्रियंका पहले से ही सिनेमा हॉल पहुच गयी थी और उसने सबके लिए टिकेट भी खरीद लिए थे। प्रियंका ने एक कुर्ती और स्कर्ट पहना हुआ था। 

पिक्चर हाल के अन्दर जाने के लिए काफी जतन करना पड़ा - तथाकथिक सुरक्षा जाँच, फिर फिल्म के दौरान खाने पीने की सामग्री का इंतजाम इत्यादि। इस पूरे समूह में सबसे जवान और बलवान होने के कारण रूद्र को ही यह काम करना पड़ा। खैर, वापस आकर उसने देखा की प्रियंका की सीट दिवार से एकदम लगी हुई थी, उसके बगल में सीट खाली थी, उसके बगल पल्लवी, उसके बगल माला और उसके बगल विराट। मतलब, रूद्र की सीट पल्लवी और प्रियंका के बीच में थी। 

"जीजू .... आप मेरे साथ बैठिये .." प्रियंका ने चहकती हुई आवाज़ में कहा। 

"हाँ हाँ ... ज़रूर बैठिये। साली साहिबा आज बहुत मेहरबान हैं।" पल्लवी ने बनावटी चिढ़न में प्रत्युत्तर दिया। 

इसके जवाब में प्रियंका ने जीभ निकाल कर पल्लवी को चिढाया। इस पूरे छेड़खानी में रूद्र को थोड़ी सी झिझक हुई - कल की बात याद करके - लेकिन, अभी कोई चारा नहीं था। अपनी झिझक को दबाते हुए, रूद्र पल्लवी और प्रियंका के बीच में आकर बैठ गया। 

रूद्र के बैठते ही पल्लवी उसके कान में फुसफुसाई, "जानेमन, आज तो हम दोनों ने ही स्कर्ट पहनी है ..... किसके ऊपर मेहरबानी करोगे?"

रूद्र से कुछ बोलते न गया, "क्या मतलब?"

"मतलब यह, की मैंने तो पैंटी पहनी है, लेकिन आपकी साली ने नहीं.... शी इस आल योर्स... लेकिन थोड़ी बहुत मेहरबानी मुझ पर भी कर देना..."

"तुम लोगों को और कुछ नहीं सूझता?"

"अरे! इसमें क्यूँ नाराज़ होते हो? तुमको तो खुश होना चाहिए की मेरे जैसी बीवी मिली है तुम्हे! वैसे भी ये बेचारी तुम्हारे प्यार में पागल हुई जा रही है।" पल्लवी ने आँख मारते हुए कहा।

"ह्म्म्म ... लेकिन मैं तुमको किसी के साथ शेयर नहीं कर सकता .. और ऐसा सोचना भी मत!"

"मेरी जान! तुमको छोड़ कर मुझे कोई चाहिए भी नहीं। तुम्हारे साथ मैं इतनी खुश हूँ की बता ही नहीं सकती। खैर, वह एक अलग बात है। फिल्म शुरू होते ही तुम भी शुरू हो जाना ... ओके?"

रूद्र ने उदासीनता दिखाई और कुछ कहा नहीं। उसका जीवन पिछले एक दो दिन में ही काफी बदल गया था। ऐसा नहीं था की उसको विभिन्न प्रकार की लड़कियों के साथ संसर्ग करने में कोई आपत्ति थी। लेकिन, चालाकी और छल के साथ जिस प्रकार इन दोनों लड़कियों ने उसके साथ खिलवाड़ किया था, उससे उसकी मर्दानगी को हल्का आघात लगा। किसी भी मानव के लिए नियंत्रण और प्रभुत्व, सबसे महत्वपूर्ण वस्तुएँ होती हैं। इनके छीन जाने से किसी को भी प्रसन्नता नहीं होती - वह चाहे कितनी भी मादक वस्तु ही क्यों न हो। रूद्र को लगा की एक प्रकार से उसका अपमान हो रहा हो।

खैर, वह इस समय खीज कर बैठा रहा। थोड़ी ही देर में सिनेमा हॉल की बत्तियां बुझा दी गयीं, और सामने के चित्रपट पर कलाकार अपनी अपनी अदाएं दिखाने लगे। इतने में उसने अपने जींस के ऊपर से ही लिंग पर किसी का स्पर्श महसूस किया। यह पल्लवी थी। उसका हाथ रूद्र के जींस की ज़िप को नीचे उतारने, और तत्पश्चात उसमे से रूद्र के लिंग को बाहर निकालने में व्यस्त था। रूद्र ने एक दृष्टि पल्लवी पर डाली - वह सामने के चित्रपट को देखे डाल रही थी - जिससे मम्मी पापा को कोई भी संदेह न हो।

अंततः, रूद्र को अपने लिंग पर पल्लवी की उँगलियों और हॉल के वातानुकूलन का स्पर्श महसूस हुआ - मतलब उसका लिंग अब बाहर निकल चुका था। पल्लवी उसको धीरे धीरे सहला रही थी। इतने में उसने अपने कान में प्रियंका की आवाज़ सुनी।

"जीजू ... दीदी ने आपको कुछ बताया?"

रूद्र ने कुछ कहा नहीं, बस प्रियंका का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया। दोनों लड़कियों के हाथ आपस में छू गए - और उसी क्षण मानो दोनों में होड़ लग गई, की कौन रूद्र के लिंग को हस्तमैथुन देगा। पल्लवी शायद इस समय अधिक मूड में नहीं थी, इसलिए उसने हार मान ली। लेकिन, प्रियंका अपना मोर्चा सम्हाले रही। इस छेड़खानी के कारण रूद्र का लिंग तेजी से लम्बा होने लगा, और इस बदलाव को प्रियंका की उँगलियों ने महसूस किया। उसके गले से एक इच्छा भरी आह निकल गयी।

"ओह! आई सो मच विश टू हैव इट इनसाइड मी!"

"डोंट वरी! मेरी बीवी अगर ऐसे ही तुमको बढ़ावा देती रही, तो शायद तुम मेरी दूसरी बीवी ही बन जाओगी।" रूद्र ने कहा। अब तक उसने भी अपनी मर्यादा छोड़ दी थी। इस समय उसका हाथ प्रियंका की पीठ से होते हुए उसके छोटे छोटे स्तन पर चल फिर रहा था। बीच बीच में वह उसके प्राप्य स्तन को मसल भी दे रहा था। 


"राईट नाऊ, आई ऍम इंटरेस्टेड इन दिस हॉट लिटिल पुसी ऑफ़ योर्स!" रूद्र ने बेपरवाही से कहा।


"मैं भी तो कब से सोच रही हूँ ... आप मेरे बूब्स से हाथ हटा कर वह पर रखिये न ..." प्रियंका फुसफुसाई, और उसने अपनी जांघें खोल दी। साथ ही साथ उसने रूद्र के हाथ को अपनी योनि में दाखिला दे दिया।
 
 "मैं भी तो कब से सोच रही हूँ ... आप मेरे बूब्स से हाथ हटा कर वह पर रखिये न ..." प्रियंका फुसफुसाई, और उसने अपनी जांघें खोल दी। साथ ही साथ उसने रूद्र के हाथ को अपनी योनि में दाखिला दे दिया। रूद्र बदला लेना चाहता था - उसने प्रियंका के भगोष्ठ को कस के मसल दिया। 

प्रियंका चिहुँक उठी।

"जीजू ..." उसने शिकायती लहजे में पूछा, " ... आपने ऐसा क्यों किया?"

"इसलिए क्योंकि तुम दोनों ने मुझे धोखा दिया ... अब इसकी सजा तो ज़रूर मिलेगी .." कहते हुए रूद्र ने प्रियंका की जांघें और खोल दी, जिससे उसके हाथ को उसकी योनि में सहज दाखिल मिलता रहे। रूद्र भी उसकी योनि की रसीली और कसाव भरी दरार में अपनी उंगली अन्दर बाहर करने लगा। 

"म्म्म्म्म ... यस! दैत फील्स सो गुड!" प्रियंका मंद, आनंदित स्वर में बड़बड़ाई, और साथ ही साथ अपनी चिकनी योनि हिला हिला कर रूद्र की उँगलियों को और अन्दर लेने का प्रयत्न करने लगी।

प्रियंका इस मादक क्रिया से पूर्णतः मदमस्त हो चली थी - इस बात का साक्ष्य उसकी योनि में बढ़ता हुआ गीलापन था। रूद्र की उंगलियाँ इस समय प्रियंका की योनि रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थीं; उसकी योनि की मांस पेशियाँ लगातार संकुचित होते हुए, रूद्र की उँगलियों की अच्छी मालिश कर रही थीं।
 
 
माला का दिमाग झनझना उठा - 'क्या वह सही देख रही है?' 

दरअसल हुआ यह था की फिल्म देखते हुए अचानक ही माला की नज़र अपने दाहिने तरफ उठ गयी थी, और हाल के मंद प्रकाश (जो चित्रपट से ही आ रहा था) में उसने जो कुछ देखा उस पर यकीन करना उसके लिए संभव नहीं हो पा रहा था। 

'रूद्र का लिंग प्रियंका के हाथ में?' रूद्र का लिंग सिर्फ प्रियंका के हाथ में ही नहीं था, बल्कि वह पूरी तरह से उत्तेजित भी था और प्रियंका अपने हाथ को उस पर तेज़ी से आगे पीछे कर रही थी। माला ने और ध्यान से देखा - रूद्र का हाथ भी लगता है प्रियंका की योनि में व्यस्त था। कुछ ठीक से दिखा नहीं। लेकिन इस विचार मात्र से ही उसके दिमाग में विस्फोट सा हो गया। क्रोध और असहायता में वह कांपने लग गयी।

'पल्लवी! मेरी बच्ची!' माला अपनी बेटी के लिए दुखी हो गयी की उसको ऐसा निर्लज्ज और धोखेबाज पति मिला, जो अपनी पत्नी ले बगल बैठ कर उसकी ही सहेली के साथ ऐसे गुलछर्रे उड़ा रहा था। 

'उसके बगल ... क्या पल्लवी को नहीं दिख रहा है यह सब?' माला ने ध्यान दिया की रह रह कर पल्लवी रूद्र के लिंग को देख रही है ..... 

'हे राम! तो क्या यह इन तीनो की मिली-भगत है? पल्लवी भी? निर्लज्ज कहीं की! हमने तो ऐसी शिक्षा नहीं दी इसको! कैसे कर सकते हैं ये लोग बेशर्मी का ऐसा नंगा नाच! और वह भी तब जब की हम लोग - पल्लवी के माँ बाप - इनके बगल में ही बैठे हैं!' 

इन विचारों से माला को उबकाई सी आ गयी ... उससे अब हाल में रुका नहीं जा पा रहा था।

"माँ! फॉर हेवेन्स सेक! दीस टू हैव आलरेडी मेड लव!" पल्लवी ने अपनी चिल्लाती हुई माँ पर एक और वज्रपात किया।

"क्या? बेहया लड़की! ये कहते हुए तुझे शर्म नहीं आती?" 

"कैसी शर्म माँ? दिस इस जस्ट एक्सपेरिमेंट! प्रियंका इस नोट ओनली माय फ्रेंड, बट आल्सो लाइक माय सिस्टर! एंड आई वांटेड टू गिव हर द बेस्ट गिफ्ट एवर!" माला अवाक रह गयी, और पल्लवी ने कहना जारी रखा, ".... एंड, आई ऍम सो हैप्पी टू हैव अ हसबैंड लाइक रूद्र ..... हू अंडरस्टैंड्स मी एंड सपोर्ट्स मी ..."

माला समझ नहीं पा रही थी की वह क्या करे। ऐसी परिस्थितियों से उसका आमना सामना कभी भी नहीं हुआ था। विराट बगल में यूँ ही चुपचाप खड़ा हुआ था और इस पूरे वार्तालाप में कोई मदद नहीं कर रहा था। माला की खीझ बढती ही जा रही थी। और यह बेशरम रूद्र सर लटकाए कुर्सी पर बैठा था। प्रियंका ने इन लोगो के साथ न आने में ही अपनी भलाई समझी, और पिक्चर हाल से सीधे अपने घर चली गयी। 

"आप ऐसे चुपचाप क्या खड़े हैं? कुछ कहते क्यों नहीं?" माला रूआंसी आवाज़ में गिड़गिड़ाई। 

"बेटा! आई नो, की यह तुम्हारा पर्सनल मामला है .. लेकिन फिर भी ... आई मस्ट से! आई ऍम शाक्ड ...!" यह विराट ने बोला।

"पापा, दिस इस ओनली सेक्स! इसमें क्या बड़ी बात है? शादी में सेक्स एक बहुत छोटी सी बात है .. असल बात तो पति पत्नी का आपस में विश्वास, प्यार और सपोर्ट होना है ... है न पापा? रूद्र ने वही किया जो मैंने उनको करने को कहा। एंड आई ऍम प्राउड टू से दैत ही इस द मोस्ट फैथफुल पर्सन आई नो .... इसलिए उनको तो आप लोग कुछ मत बोलिए ..."

पल्लवी की इस बात के बाद कमरे में मरघट जैसा सन्नाटा छा गया। विराट ने परिस्थिति को समझते हुए बिना कुछ कहे ब्रांडी के चार गिलास बनाये और चुपचाप ही सभी तो थमा दिया। 

"आल ऑफ़ यू ... प्लीज, जस्ट ट्राई टू रिलैक्स! हैव योर ड्रिंक्स एंड देन व्ही टॉक ... ओके?" विराट ने माहौल को हल्का करने के लिए कहा।

"नहीं पीना मुझे कुछ ..." माला का पारा शायद और बढ़ गया, और वह पाँव पटकते हुए अपने कमरे में चली गयी।

विराट ने उसको जाने दिया, और फिर बच्चों से मुखातिब होकर कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था की मैं अपने बच्चों से यह कहूँगा .. लेकिन, यार! तुम लोगो को अपने आस पास का ध्यान तो रखना चाहिए न, यह सब करते हुए? तुम लोग बड़े हो गए हो, और शादी-शुदा हो .. इसलिए सेक्स तुम लोगो के लिए नयी बात नहीं है। और मुझे मालूम है की इस तरह के प्रयोग से शादी का स्पाइस बढ़ता है। लेकिन फिर भी .... हर काम के लिए सही समय और जगह होती है ..."

"पापा, आई ऍम सॉरी दैट आई अपसेट यू ..." यह रूद्र था ... तब से अब तक उसने यह पहले शब्द बोले।

"बट नॉट सॉरी फॉर व्हाट यू डिड?" 

"नो", रूद्र ने कहा, "... नॉट रियली!"

"गुड टू नो दैत ... एंड आई मीन एवेरी वर्ड ऑफ़ इट! यू नो? माला के लिए ..... और काफी हद तक मेरे लिए भी .... सेक्स .... एक अपरिचित सब्जेक्ट रहा है। हमने कभी इसको कभी बहुत ही बेसिक लेवल से अधिक एक्सप्लोर नहीं किया। लेकिन, सच कहूँगा, तुम लोगो के आने से हमको इसके बारे में एक नया ज्ञान हुआ है। कल का दिन हमारी सेक्स लाइफ के लिए बहुत ही इंटरेस्टिंग था .... सो, थैंक यू माय चिल्ड्रेन ... फॉर ब्रिंगिंग सम स्पाइस टू आवर लाइफ आल्सो!"

पल्लवी और रूद्र के होंठो पर एक फीकी मुस्कान आ गयी। दोनों को मालूम था की विराट क्या कह रहा था - आखिरकार, उन दोनों ने माला को एक पूर्व अपरिचित, व्यभिचारी रूप में देखा था। वैसे उन दोनों के लिए सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी की विराट अत्यंत ही शांत होकर यह सब बाते कर रहा था।


विराट ने थोड़ा रुक कर कहना जारी रखा, "आई थिंक आई कैन रेक्टिफाई दिस सिचुएशन!" 


पल्लवी और रूद्र ने विराट को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। 

"कम हियर ..." कह कर विराट ने उन दोनों को अपना प्लान समझाना शुरू कर दिया।


 kramashah................










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