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मेरी जिंदगी--2
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मेरी जिंदगी--2
बिस्तर पे लेटी भावना ना चाहते हुए भी फिर अपने अतीत में खो जाती है
रीमा जब अगले दिन स्कूल गई तो उसकी सहेलियाँ कुछ ख़ुसर पुसर कर रही थी.
'ओ कामिनियों क्या हो रहा है'
'यार आपस में बात कर रहे हैं, तू कौन सी चक्की का आटा खाती है'
'क्या मतलब?'
' हाए जालिम, तेरे ये बूब्स, कसम से हमारी नींद उड़ा रखी है, बेचारे लड़कों का क्या हाल होता होगा' आर उसकी एक सहेली उसका उरोज़ मसल देती है
आआआअ,
रीमा चिल्ला पड़ती है, पर उसे वही अहसास होता है जो उस वक़्त हुआ था जब भव्य उसके उपर गिरा था और उसका उरोज़ भव्य के हाथ में दब गया था.
इतने में घंटी बजती है और सब क्लास में चली जाती हैं.
उधर भव्य को ले कर उसकी क्लास में लड़के हमेशा उसी को ले कर ख़ुसर पुसर किया करते हैं.
'यार इस भव्य को देखा - क्या चिकना लगता है - साले की मूछ मुझे नही लगता उगेगी - एक दम सपाट है साला'
उनके आगे बैठा भव्य सब सुन रहा था और आँखों से आँसू बह रहे थे.
दोनो भाई बहन जब घर पहुँचे भव्य हमेशा की तरहा उदासीन सा अपने कमरे में एक कोने में बैठ गया.
रीमा तो कपड़े बदलने बाथरूम में घुस गई, और भव्य बैठा बस शून्य को निहार रहा था, आँखो से टॅप टॅप आँसू बह रहे थे.
सीमा कमरे में आती है बच्चों को खाने के लिए कहने को और उसकी नज़र भव्य पे पड़ती है - उसे रोता देख मा के दिल में एक हुक सी उठती है और वो उसके पास जा कर उसके बालों में हाथ फेरते हुए पूछती है.
'क्या हुआ बेटा, तू रो क्यूँ रहा है? स्कूल में कुछ हुआ क्या? किसी टीचर ने कुछ कहा?'
मा की ममता उसके अंदर उफ्फन्ते बाँध को रास्ता दिखा देती है और वो सीमा से लिपट कर फफक फफक के रोने लगता है.
'अरे क्या हुआ, कुछ बोल तो सही'
भव्य कुछ नही बोलता बस रोता रहता है.
'रोते नही बेटा, चल खाना खाले, फिर आराम से बाते करेंगे'
भव्य और भी कस के सीमा से लिपट जाता है उसका रोना थम ही नही रहा था. रीमा बाथरूम से बाहर निकलती है और भाई को बिलखता हुआ देखती है.
'अरे क्या हुआ इसे मा'
'पता नही बस रोता ही जा रहा है - तुझे कुछ पता है?'
'नही मा बस चुप चुप सा ही रहा है - कुछ बात भी नही करी आज तो'
'क्या हुआ भाई - बता तो सही- क्यूँ रो रहा है?'
सीमा का ब्लाउस भव्य के आँसू से भीग रहा था अचानक सीमा का धयान इस बात पे जाता है कि भव्य के होंठ बिल्कुल उसके निपल के उपर हैं और मुँह खुला होने के कारण उसके उरोज़ का कुछ हिस्सा भव्य के मुँह में है, ना जाने उसे क्या होता है वो भव्य को अपने उरोज़ पे दबा लेती है और आँसू बहाता भव्य उसके उरोज़ को चूसने लगता है, उसके सर पे हाथ फेरते हुए सीमा उसे अपने पल्लू से ढक लेती है.
'रीमा तू जा के खाना खा, मैं इसे ले कर आती हूँ'
रीमा चली जाती है और सीमा बस भव्य के बालों में हाथ फेरती रहती है. भव्या का रोना थोड़ा कम होता है और
वो ज़ोर ज़ोर से सीमा के उरोज़ को ब्लाउस के उप्पर से ही चूसने लगता है.
सीमा को कुछ अजीब लगता है, पर कुछ नही कहती, शायद उसे ये अहसास कुछ अच्छा लग रहा था. उसकी झंघों के जोड़ में कुछ होने लगता है, एक पल तो उसका दिल किया की अपना उरोज़ ब्लाउस से बाहर निकाल कर भव्य के मुँह में दे दे
लेकिन खुद को रोक लेती है और अपनी झंघें आपस में रगड़ने लगती है.
भव्य का रोना बंद हो चुका था और वो बस सीमा के उरोज़ को चूस रहा था. सीमा की ब्रा तक अंदर से गीली हो जाती है, पर वो भव्य को रोकती नही, सीमा के मुँह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकालने लगी और थोड़ी ही देर में वो अपनी चीख को मुँह में दबा कर झड़ गई.
रीमा जब अगले दिन स्कूल गई तो उसकी सहेलियाँ कुछ ख़ुसर पुसर कर रही थी.
'ओ कामिनियों क्या हो रहा है'
'यार आपस में बात कर रहे हैं, तू कौन सी चक्की का आटा खाती है'
'क्या मतलब?'
' हाए जालिम, तेरे ये बूब्स, कसम से हमारी नींद उड़ा रखी है, बेचारे लड़कों का क्या हाल होता होगा' आर उसकी एक सहेली उसका उरोज़ मसल देती है
आआआअ,
रीमा चिल्ला पड़ती है, पर उसे वही अहसास होता है जो उस वक़्त हुआ था जब भव्य उसके उपर गिरा था और उसका उरोज़ भव्य के हाथ में दब गया था.
इतने में घंटी बजती है और सब क्लास में चली जाती हैं.
उधर भव्य को ले कर उसकी क्लास में लड़के हमेशा उसी को ले कर ख़ुसर पुसर किया करते हैं.
'यार इस भव्य को देखा - क्या चिकना लगता है - साले की मूछ मुझे नही लगता उगेगी - एक दम सपाट है साला'
उनके आगे बैठा भव्य सब सुन रहा था और आँखों से आँसू बह रहे थे.
दोनो भाई बहन जब घर पहुँचे भव्य हमेशा की तरहा उदासीन सा अपने कमरे में एक कोने में बैठ गया.
रीमा तो कपड़े बदलने बाथरूम में घुस गई, और भव्य बैठा बस शून्य को निहार रहा था, आँखो से टॅप टॅप आँसू बह रहे थे.
सीमा कमरे में आती है बच्चों को खाने के लिए कहने को और उसकी नज़र भव्य पे पड़ती है - उसे रोता देख मा के दिल में एक हुक सी उठती है और वो उसके पास जा कर उसके बालों में हाथ फेरते हुए पूछती है.
'क्या हुआ बेटा, तू रो क्यूँ रहा है? स्कूल में कुछ हुआ क्या? किसी टीचर ने कुछ कहा?'
मा की ममता उसके अंदर उफ्फन्ते बाँध को रास्ता दिखा देती है और वो सीमा से लिपट कर फफक फफक के रोने लगता है.
'अरे क्या हुआ, कुछ बोल तो सही'
भव्य कुछ नही बोलता बस रोता रहता है.
'रोते नही बेटा, चल खाना खाले, फिर आराम से बाते करेंगे'
भव्य और भी कस के सीमा से लिपट जाता है उसका रोना थम ही नही रहा था. रीमा बाथरूम से बाहर निकलती है और भाई को बिलखता हुआ देखती है.
'अरे क्या हुआ इसे मा'
'पता नही बस रोता ही जा रहा है - तुझे कुछ पता है?'
'नही मा बस चुप चुप सा ही रहा है - कुछ बात भी नही करी आज तो'
'क्या हुआ भाई - बता तो सही- क्यूँ रो रहा है?'
सीमा का ब्लाउस भव्य के आँसू से भीग रहा था अचानक सीमा का धयान इस बात पे जाता है कि भव्य के होंठ बिल्कुल उसके निपल के उपर हैं और मुँह खुला होने के कारण उसके उरोज़ का कुछ हिस्सा भव्य के मुँह में है, ना जाने उसे क्या होता है वो भव्य को अपने उरोज़ पे दबा लेती है और आँसू बहाता भव्य उसके उरोज़ को चूसने लगता है, उसके सर पे हाथ फेरते हुए सीमा उसे अपने पल्लू से ढक लेती है.
'रीमा तू जा के खाना खा, मैं इसे ले कर आती हूँ'
रीमा चली जाती है और सीमा बस भव्य के बालों में हाथ फेरती रहती है. भव्या का रोना थोड़ा कम होता है और
वो ज़ोर ज़ोर से सीमा के उरोज़ को ब्लाउस के उप्पर से ही चूसने लगता है.
सीमा को कुछ अजीब लगता है, पर कुछ नही कहती, शायद उसे ये अहसास कुछ अच्छा लग रहा था. उसकी झंघों के जोड़ में कुछ होने लगता है, एक पल तो उसका दिल किया की अपना उरोज़ ब्लाउस से बाहर निकाल कर भव्य के मुँह में दे दे
लेकिन खुद को रोक लेती है और अपनी झंघें आपस में रगड़ने लगती है.
भव्य का रोना बंद हो चुका था और वो बस सीमा के उरोज़ को चूस रहा था. सीमा की ब्रा तक अंदर से गीली हो जाती है, पर वो भव्य को रोकती नही, सीमा के मुँह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकालने लगी और थोड़ी ही देर में वो अपनी चीख को मुँह में दबा कर झड़ गई.
सीमा की पेंटी तो छोड़ो उसकी झांघे तक
बुरी तरहा गीली हो गई थी. अगर भव्य कुछ देर और चूस्ता रहा तो शायद सीमा
मर्यादा भूल जाती. वो भव्य को अपने से अलग कर उसके माथे को चूमती है.
'चल बेटा अब खाना खा ले फिर हम बहुत बातें करेंगे'
भव्य की आँखों में एसे भाव थे जैसे छोटे बच्चे से स्का खिलोना छीन लिया हो किसी ने. वो कुछ नही बोलता आर सीमा के साथ चल पड़ता है खाने के लिए. सीमा अपने पल्लू से ब्लाउस छुपा लेती है ताकि रीमा को वो गीलापन नज़र ना आए. उसे चलने में बड़ी परेशानी हो रही थी, झांघें आपस में चिपक रही थी. डाइनिंग टेबल पे पहुँच भव्य एक कुर्सी पे बैठ जाता है और सीमा अपने हाथों से उसे खाना खिलती है.
रीमा तब तक खा चुकी थी. सीमा रीमा को पड़ने के लिए कहती है और भव्य को खाना खिलाने में लगी रहती है. रीमा अपने कमरे में पड़ने चली जाती है और खाने के बाद सीमा भव्य को अपने कमरे में ले जाती है..
'बेटा तो यहीं लेट जा मैं कपड़े बदल के आती हूँ'
भव्य बिस्तर पे लेट जाता है उसके कानो में स्कूल के लड़कों की बातें फिर गूंजने लगती हैं और फिर उसके आँसू छलकने लगते हैं.
सीमा बाथरूम से नाइटी पह्न कर आती है, अंदर उसने कुछ नही पहना था, नाइटी से उसके उरोज़ और निपल का आकर सॉफ दिख रहा था, पर उसका जिस्म नही दिखता क्यूंकी उसने ट्रांसपेरेंट नाइटी नही पहनी थी गला थोड़ा गहरा था और उसका क्लिवेज सॉफ दिख रहा था, वो भव्य के पास आके लेट गई और जब उसने देखा उसकी आँखों में फिर आँसू थे तो उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम कर उसके माथे को चूमते हुए पूछने लगी :
'मम्मी को नही बताएगा क्या बात है, मम्मी तो तेरी सबसे अच्छी दोस्त है'
झिझकता हुआ भव्य बोल पड़ता है ' आप की नाइटी पह्न लूँ?'
सीमा चोंक पड़ती है, कुछ बोलती नही पर भव्य के अंदर छुपी बात को बाहर निकालने के लिए उसे अपनी एक नाइटी निकाल के दे देती है.
भव्य वहीं उसके सामने सारे कपड़े उतार कर नाइटी पहनता है, उसके चेहरे पे एक सकूँ सा आ जाता है. निघट्य पह्न कर भव्य बिकुल एक लड़की की तरहा ही दिख रहा था. सीमा अपनी बाँहें फैला कर उसे अपने पास बुलाती है आर वो सीमा की बाँहों में समा जाता है.
'अब बता क्या बात है?'
भव्य स्कूल के लड़कों की बात बताता है और फिर उसके आँसू छलकने लगते हैं.
'अरे ये भी कोई बात है रोने की, हर लड़के की मूँछे उम्र के हिसाब से आती हैं तेरी भी आ जाएँगी, किसी की जल्दी आती है और किसी की थोड़ी देर से. बकने दे लोगो को तू अपनी पड़ाई पे धयान दे---- झल्ला'
और सीमा उसे अपने से चिपका लेती है और भव्य का मुँह फिर उसके निपल पे आ लगता है.
'चल बेटा अब खाना खा ले फिर हम बहुत बातें करेंगे'
भव्य की आँखों में एसे भाव थे जैसे छोटे बच्चे से स्का खिलोना छीन लिया हो किसी ने. वो कुछ नही बोलता आर सीमा के साथ चल पड़ता है खाने के लिए. सीमा अपने पल्लू से ब्लाउस छुपा लेती है ताकि रीमा को वो गीलापन नज़र ना आए. उसे चलने में बड़ी परेशानी हो रही थी, झांघें आपस में चिपक रही थी. डाइनिंग टेबल पे पहुँच भव्य एक कुर्सी पे बैठ जाता है और सीमा अपने हाथों से उसे खाना खिलती है.
रीमा तब तक खा चुकी थी. सीमा रीमा को पड़ने के लिए कहती है और भव्य को खाना खिलाने में लगी रहती है. रीमा अपने कमरे में पड़ने चली जाती है और खाने के बाद सीमा भव्य को अपने कमरे में ले जाती है..
'बेटा तो यहीं लेट जा मैं कपड़े बदल के आती हूँ'
भव्य बिस्तर पे लेट जाता है उसके कानो में स्कूल के लड़कों की बातें फिर गूंजने लगती हैं और फिर उसके आँसू छलकने लगते हैं.
सीमा बाथरूम से नाइटी पह्न कर आती है, अंदर उसने कुछ नही पहना था, नाइटी से उसके उरोज़ और निपल का आकर सॉफ दिख रहा था, पर उसका जिस्म नही दिखता क्यूंकी उसने ट्रांसपेरेंट नाइटी नही पहनी थी गला थोड़ा गहरा था और उसका क्लिवेज सॉफ दिख रहा था, वो भव्य के पास आके लेट गई और जब उसने देखा उसकी आँखों में फिर आँसू थे तो उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम कर उसके माथे को चूमते हुए पूछने लगी :
'मम्मी को नही बताएगा क्या बात है, मम्मी तो तेरी सबसे अच्छी दोस्त है'
झिझकता हुआ भव्य बोल पड़ता है ' आप की नाइटी पह्न लूँ?'
सीमा चोंक पड़ती है, कुछ बोलती नही पर भव्य के अंदर छुपी बात को बाहर निकालने के लिए उसे अपनी एक नाइटी निकाल के दे देती है.
भव्य वहीं उसके सामने सारे कपड़े उतार कर नाइटी पहनता है, उसके चेहरे पे एक सकूँ सा आ जाता है. निघट्य पह्न कर भव्य बिकुल एक लड़की की तरहा ही दिख रहा था. सीमा अपनी बाँहें फैला कर उसे अपने पास बुलाती है आर वो सीमा की बाँहों में समा जाता है.
'अब बता क्या बात है?'
भव्य स्कूल के लड़कों की बात बताता है और फिर उसके आँसू छलकने लगते हैं.
'अरे ये भी कोई बात है रोने की, हर लड़के की मूँछे उम्र के हिसाब से आती हैं तेरी भी आ जाएँगी, किसी की जल्दी आती है और किसी की थोड़ी देर से. बकने दे लोगो को तू अपनी पड़ाई पे धयान दे---- झल्ला'
और सीमा उसे अपने से चिपका लेती है और भव्य का मुँह फिर उसके निपल पे आ लगता है.
राजीव कुछ दीनो के लिए बाहर गया हुआ था,
इसलिए सीमा बहक रही थी. जब भव्य ने उसके उरोज़ को चूसा तो वो से रोक नही
पायी, और कहते भी हैं, की जब बेटा मा का दूध पीता है, तब मा बहुत उत्तेजित
हो जाती है, एसा ही कुछ हाल सीमा का हुआ था.
भव्य को समझाने के बाद जब सीमा ने उसे अपने सीने से लगाया तब एक बार फिर उसके होंठ सीमा के निपल पर आ गये, पहले तो सीमा ने ब्रा पहनी थी, पर इस समय तो केवल एक पतली नाइटी की ही दीवार थी उसके निपल और भव्य के होंठों के बीच. आर सीमा को एसा लग रहा था जैसे भव्य ने सीधा उसके नग्न निपल पर मुँह रख दिया हो.
अंजाने में सीमा के हाथ भव्य के सर पे चले गये और उसने उसे अपने उरोज़ पे दबा दिया . भव्य के होंठ खुल गये और सीमा का निपल उसके मुँह में चला गया जिससे उसने चूसना शुरू कर दिया. सीमा प्यार से उसके सर को सहलाने लगी.
सीमा के निपल से तरंगे सीधा उसकी चूत पे वार कर रही थी और उसकी चूत ने रिसना शुरू कर दिया, सीमा अपनी झंघों को आपस में रगड़ने लगी और भव्य के सर को और भी अपने उरोज़ पे दबा दिया.
सीमा के निपल को चूस्ते हुए भव्य सीमा के उपर आ गया और भव्य का लंड सीमा की चूत से टकराने लगा.
सब बातों से अंजान भव्य सिर्फ़ सीमा के निप्ल् को चूसने में मस्त था और आज पहली बार उसके लंड ने जीना शुरू कर दिया. जी हां उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया और सीमा को एक लोहे की रोड अपनी चूत पे दस्तक देती हुई महसूस होने लगी.
सीमा की चूत और भव्य के लंड के बीच सिर्फ़ दो पतली नाइटी की ही दीवार थी.
जो हो रहा था सीमा उसे रोकना चाहती थी, पर उसका जिस्म उसका साथ नही दे रहा था.
जब लंड जाग जाता है उसे चूत की महक भी आने लगती है यही भव्य के लंड के साथ हो रहा था, वो अपना रास्ता ढूँडने की कोशिश करने लगा. भव्य की कमर का दबाव बॅडने लगा और सीमा की झंघों ने रास्ता दे दिया.
सीमा की झंघें फैल गई और भव्य के जिस्म का निचला हिस्सा उसकी झंघों के बीच आ गया.
उपर भव्य सीमा के निप्ल् को चूस रहा था और नीचे उसका लंड सीमा की चूत को चूमने लग गया.
आआआआआआआआआआआ सीमा की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी.
सब बातों से अंजान भव्या सिर्फ़ उसके निप्ल् को चूसने में ही मस्त था सीमा नाइटी उपर और नीचे दोनो जगह से गीली हो रही थी.
सीमा के निप्ल् कड़क हो चुके थे उसके उरोज़ सकत हो चके थे और चूत ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया था.
सीमा ने भव्य के मुँह को अपने दूसरे निप्ल् का रास्ता दिखा दिया और वो उसके दूसरे निप्ल् को चूसने लग गया.
और नीचे सीमा खुद अपनी बहती हुई चूत को उसके लंड पे घिसने लगी.
सीमा अपने पूरे उरोज़ को उसके मुँह में ठुसने लगी और भव्य भी अपना मुँह खोलता चला गया.
एसी उत्तेजना सीमा ने कभी महसूस नही करी थी अपने पति राजीव के साथ जितना वो आज अपने बेटे भव्य के साथ महसूस कर रही थी. दिल तो कर रहा था की दोनो नाइटी उपर उठा कर उसके लंड को अपनी चूत में ले ले पर बड़ी मुश्किल से सीमा ने खुद को रोका हुआ था.
एक लम्हा एसा आया की दोनो नाइटी के पतले कपड़ों को साथ में लेता हुआ भव्य का लंड थोड़ा उसकी चूत में घुस गया
और सीमा अपनी चीख को रोकते हुए झड़ गई, उसके मोटे लंड का अहसास अपनी चूत में सीमा से सहा ना गया और उसके सारे बाँध एक साथ खुल गये. अपने चर्म का आनंद लेते हुए सीमा का जिस्म शांत पॅड गया और उसने अपने निचले हिस्से को भव्य से अलग कर लिया.
जो हुआ उससे अंजान भव्य अब भी उसका निप्ल् चूस रहा था. थोड़ी देर में सीमा होश में आई.
'बस बेटा अब सो जा'
और अपनी मा की बात मानते हुए शांत भव्य अपने खड़े लंड के साथ सो गया जो धीरे धीरे बैठ गया. अभी भव्य इतना बड़ा नही हुआ था की उसके जिस्म में वीर्य बनने लगे.
भव्य के सोने के बाद सीमा सोच में पॅड गई - जो हुआ था - वो क्या था - और क्यूँ हुआ?.
भव्य को समझाने के बाद जब सीमा ने उसे अपने सीने से लगाया तब एक बार फिर उसके होंठ सीमा के निपल पर आ गये, पहले तो सीमा ने ब्रा पहनी थी, पर इस समय तो केवल एक पतली नाइटी की ही दीवार थी उसके निपल और भव्य के होंठों के बीच. आर सीमा को एसा लग रहा था जैसे भव्य ने सीधा उसके नग्न निपल पर मुँह रख दिया हो.
अंजाने में सीमा के हाथ भव्य के सर पे चले गये और उसने उसे अपने उरोज़ पे दबा दिया . भव्य के होंठ खुल गये और सीमा का निपल उसके मुँह में चला गया जिससे उसने चूसना शुरू कर दिया. सीमा प्यार से उसके सर को सहलाने लगी.
सीमा के निपल से तरंगे सीधा उसकी चूत पे वार कर रही थी और उसकी चूत ने रिसना शुरू कर दिया, सीमा अपनी झंघों को आपस में रगड़ने लगी और भव्य के सर को और भी अपने उरोज़ पे दबा दिया.
सीमा के निपल को चूस्ते हुए भव्य सीमा के उपर आ गया और भव्य का लंड सीमा की चूत से टकराने लगा.
सब बातों से अंजान भव्य सिर्फ़ सीमा के निप्ल् को चूसने में मस्त था और आज पहली बार उसके लंड ने जीना शुरू कर दिया. जी हां उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया और सीमा को एक लोहे की रोड अपनी चूत पे दस्तक देती हुई महसूस होने लगी.
सीमा की चूत और भव्य के लंड के बीच सिर्फ़ दो पतली नाइटी की ही दीवार थी.
जो हो रहा था सीमा उसे रोकना चाहती थी, पर उसका जिस्म उसका साथ नही दे रहा था.
जब लंड जाग जाता है उसे चूत की महक भी आने लगती है यही भव्य के लंड के साथ हो रहा था, वो अपना रास्ता ढूँडने की कोशिश करने लगा. भव्य की कमर का दबाव बॅडने लगा और सीमा की झंघों ने रास्ता दे दिया.
सीमा की झंघें फैल गई और भव्य के जिस्म का निचला हिस्सा उसकी झंघों के बीच आ गया.
उपर भव्य सीमा के निप्ल् को चूस रहा था और नीचे उसका लंड सीमा की चूत को चूमने लग गया.
आआआआआआआआआआआ सीमा की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी.
सब बातों से अंजान भव्या सिर्फ़ उसके निप्ल् को चूसने में ही मस्त था सीमा नाइटी उपर और नीचे दोनो जगह से गीली हो रही थी.
सीमा के निप्ल् कड़क हो चुके थे उसके उरोज़ सकत हो चके थे और चूत ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया था.
सीमा ने भव्य के मुँह को अपने दूसरे निप्ल् का रास्ता दिखा दिया और वो उसके दूसरे निप्ल् को चूसने लग गया.
और नीचे सीमा खुद अपनी बहती हुई चूत को उसके लंड पे घिसने लगी.
सीमा अपने पूरे उरोज़ को उसके मुँह में ठुसने लगी और भव्य भी अपना मुँह खोलता चला गया.
एसी उत्तेजना सीमा ने कभी महसूस नही करी थी अपने पति राजीव के साथ जितना वो आज अपने बेटे भव्य के साथ महसूस कर रही थी. दिल तो कर रहा था की दोनो नाइटी उपर उठा कर उसके लंड को अपनी चूत में ले ले पर बड़ी मुश्किल से सीमा ने खुद को रोका हुआ था.
एक लम्हा एसा आया की दोनो नाइटी के पतले कपड़ों को साथ में लेता हुआ भव्य का लंड थोड़ा उसकी चूत में घुस गया
और सीमा अपनी चीख को रोकते हुए झड़ गई, उसके मोटे लंड का अहसास अपनी चूत में सीमा से सहा ना गया और उसके सारे बाँध एक साथ खुल गये. अपने चर्म का आनंद लेते हुए सीमा का जिस्म शांत पॅड गया और उसने अपने निचले हिस्से को भव्य से अलग कर लिया.
जो हुआ उससे अंजान भव्य अब भी उसका निप्ल् चूस रहा था. थोड़ी देर में सीमा होश में आई.
'बस बेटा अब सो जा'
और अपनी मा की बात मानते हुए शांत भव्य अपने खड़े लंड के साथ सो गया जो धीरे धीरे बैठ गया. अभी भव्य इतना बड़ा नही हुआ था की उसके जिस्म में वीर्य बनने लगे.
भव्य के सोने के बाद सीमा सोच में पॅड गई - जो हुआ था - वो क्या था - और क्यूँ हुआ?.
भव्य के सोने के बाद सीमा यही सोचती रही
की जो हुआ, वो होना चाहिए था या नही. भव्य का लंड पहली बार खड़ा हुआ था,
वो भी जब उसने नाइटी पहनी थी. क्या लड़की के कपड़ों और उसकी कामुकता के बीच
कोई संबंध है या ये सिर्फ़ एक घटना हुई है जिसका इस बात से कोई संबंध नही.
सीमा को भव्य की चिंता होने लगी. अगले दिन जब वो भव्य को नहला रही थी, उसने जान भुज कर स्के लन्ड़ को काफ़ी देर तक सहलाया. पर भव्य के लन्ड़ में कोई हरकत नही हुई.
सीमा को बहुत ताजुब हुआ की जवान होते हे लड़के के लंड को सहलाने पर उसमे कोई हरकत क्यूँ नही हो रही. सीमा के मॅन में डर बैठ गया और उसने अपने डर की पुष्टि करने का फ़ैसला ले लिया.
स्कूल से जब भव्य वापस आया तो हमेशा की तरहा बहुत उदास था. सीमा ने उसे खाना खिलाया फिर पड़ने बैठ गई दो घंटे स्कूल का सारा कम करने के बाद उसने भव्य को थोड़ी देर आराम करने के लिए कहा, भव्य अपने कमरे में जाने की जगह सीमा के कमरे में चला गया और बिस्तर पे लेट गया.
सीमा ने जो सुबह फ़ैसला लिया था अब वो काम करने का समय आ गया था. पहली वो रीमा के पास गई और उसे पड़ने पे बिठा दिया और ये हिदायत दे दी की वो थोड़ी देर सोने जा रही है, उसे बिल्कुल भी तंग ना किया जाए.
उसके बाद सीमा अपने कमरे में गई, भव्य गुम्सुम सा बिस्तर पे लेटा हुआ था.
सीमा को देख कर उसने झिझकते हुए पूछ लिया ' मोम नींद नही आ रही आपकी नाइटी पह्न लूँ'
'नही ! आज नही ! एसे ही सोने की कोशिश करो'
भव्य मन मसोस कर रह गया.
फिर सीमा बाथरूम चली गई कपड़े पहने के लिए, आज उसने एक छोटी नाइटी पहनी थी जो उसकी झांग तक ही आ रही थी.
सीमा की मसल झांगें भव्य की आँखों के सामने थी बेपर्दा, कोई भी सीमा को इस रूप में देखता तो निश्चित ही उसे अपनी बाँहों में लेने के लिए तड़प उठता. सीमा ने गौर से भव्य की झांघों के जोड़ पे देखा, उसे भव्य के लंड में कोई हरकत होती नज़र नही आई.
सीमा भव्य के साथ लेट गई और उसके बालों में हाथ फेरने लगी.
सीमा ने भव्य को अपने साथ चिपका लिया और अपनी एक टाँग उसके पर रख दी. अब अगर भव्य का लंड खड़ा होता तो सीधा उसकी चूत से टकराता. पर भव्य के जिस्म में एसी कोई हरकत नही हुई.
सीमा ने उसके चेहरे को अपने उरोज़ के पास कर लिया, पर भव्य ने कल की तरहा चूसना शुरू नही किया, बेजान सा बस उसके साथ चिपका हुआ लेटा रहा.
कोई और लड़का उसकी जगह होता तो शायद अब तक उसका लन्ड़ सीमा की चूत में घुसने की कोशिश कर चुका होता.
सीमा उसी हालत में भव्य के साथ लेटी रही उसके जिस्म को सहलाती रही, पर भव्य की हालत वैसे की वैसे ही रही.
सीमा अब अगले कदम के बारे में सोचने लगी.
सीमा को भव्य की चिंता होने लगी. अगले दिन जब वो भव्य को नहला रही थी, उसने जान भुज कर स्के लन्ड़ को काफ़ी देर तक सहलाया. पर भव्य के लन्ड़ में कोई हरकत नही हुई.
सीमा को बहुत ताजुब हुआ की जवान होते हे लड़के के लंड को सहलाने पर उसमे कोई हरकत क्यूँ नही हो रही. सीमा के मॅन में डर बैठ गया और उसने अपने डर की पुष्टि करने का फ़ैसला ले लिया.
स्कूल से जब भव्य वापस आया तो हमेशा की तरहा बहुत उदास था. सीमा ने उसे खाना खिलाया फिर पड़ने बैठ गई दो घंटे स्कूल का सारा कम करने के बाद उसने भव्य को थोड़ी देर आराम करने के लिए कहा, भव्य अपने कमरे में जाने की जगह सीमा के कमरे में चला गया और बिस्तर पे लेट गया.
सीमा ने जो सुबह फ़ैसला लिया था अब वो काम करने का समय आ गया था. पहली वो रीमा के पास गई और उसे पड़ने पे बिठा दिया और ये हिदायत दे दी की वो थोड़ी देर सोने जा रही है, उसे बिल्कुल भी तंग ना किया जाए.
उसके बाद सीमा अपने कमरे में गई, भव्य गुम्सुम सा बिस्तर पे लेटा हुआ था.
सीमा को देख कर उसने झिझकते हुए पूछ लिया ' मोम नींद नही आ रही आपकी नाइटी पह्न लूँ'
'नही ! आज नही ! एसे ही सोने की कोशिश करो'
भव्य मन मसोस कर रह गया.
फिर सीमा बाथरूम चली गई कपड़े पहने के लिए, आज उसने एक छोटी नाइटी पहनी थी जो उसकी झांग तक ही आ रही थी.
सीमा की मसल झांगें भव्य की आँखों के सामने थी बेपर्दा, कोई भी सीमा को इस रूप में देखता तो निश्चित ही उसे अपनी बाँहों में लेने के लिए तड़प उठता. सीमा ने गौर से भव्य की झांघों के जोड़ पे देखा, उसे भव्य के लंड में कोई हरकत होती नज़र नही आई.
सीमा भव्य के साथ लेट गई और उसके बालों में हाथ फेरने लगी.
सीमा ने भव्य को अपने साथ चिपका लिया और अपनी एक टाँग उसके पर रख दी. अब अगर भव्य का लंड खड़ा होता तो सीधा उसकी चूत से टकराता. पर भव्य के जिस्म में एसी कोई हरकत नही हुई.
सीमा ने उसके चेहरे को अपने उरोज़ के पास कर लिया, पर भव्य ने कल की तरहा चूसना शुरू नही किया, बेजान सा बस उसके साथ चिपका हुआ लेटा रहा.
कोई और लड़का उसकी जगह होता तो शायद अब तक उसका लन्ड़ सीमा की चूत में घुसने की कोशिश कर चुका होता.
सीमा उसी हालत में भव्य के साथ लेटी रही उसके जिस्म को सहलाती रही, पर भव्य की हालत वैसे की वैसे ही रही.
सीमा अब अगले कदम के बारे में सोचने लगी.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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