Monday, March 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी जिंदगी--3

FUN-MAZA-MASTI


 मेरी जिंदगी--3

 जीव विज्ञान के तहत अभी भव्य को एक साल और लगना था जवानी की पहली सीडी में कदम रखने के लिए और सीमा सोच में पड़ी थी की जो कदम वो उठाने जा रही है क्या वो सही रहेगा?. क्या भव्य को इतनी जल्दी इन बातों का पता चलना चाहिए? चाहे सीमा एक डॉक्टर थी, पर मा के दिल में जो चिंता के बादल लहरा रहे थे वो उसे चैन नही लेने दे रहे थे. बहुत सोच कर वो ये कदम उठाने का पक्का फ़ैसला ले लेती है.

रात को खाने के बाद सीमा पहले रीमा को उसके कमरे में सुला देती है, भव्य को वो अपने साथ ही सोने के लिए कहती है आर वो सीमा के कमरे में जा कर लेट जाता है. उसने अपना रात को पहनने वाला नाइट सूट नही पहना और उन्ही कपड़ों में लेट गया जो उसने स्कूल से वापस आ कर पहने थे.

सीमा घर अच्छी तरहा बंद कर अपने कमरे में जब गई तो भव्य को बिना कपड़े बदले लेटे हुए देखा. सीमा ने उसे कुछ नही कहा अपनी अलमारी खोली एक नाइटी ब्रा और पेंटी का सेट उसने बिस्तर पे रख दिया और एक सेट ले कर वो बाथरूम में घुस गई.

अपने कपड़े उतार कर खुद को शीसे में निहारने लगी, उसकी छूट के आस पास काफ़ी बॉल उग गये थे, पहले उसने हैयर रिमूवर से अपनी झांते सॉफ करी फिर शवर की नीचे खड़ी हो कर नहाने लगी. नहाने के बाद उसने अपने जिस्म पर उतेज़क परफ्यूम का छिड़काव किया फिर अपनी नाइटी पहनली. ना उसने ब्रा पहनी और ना ही पेंटी. उसकी नाइटी से उसके उन्नत उरोज़ सॉफ सॉफ झलक रहे थे. नाइटी की लंबाई सिर्फ़ इतनी थी जो मुश्किल से उसकी नंगी चूत को ढक पा रही थी.

भव्या उसकी तरफ देखता है, पर उसकी आँखों में जो चमक आनी चाहिए थी, वो नही आती, उसकी आँखें उदास रहती हैं.

'मा की नाइटी पहनना चाहता है क्या? इतना उदास क्यूँ हो रहा है तू? चल पह्न ले तेरे लिए ही निकाल की रख्खि है'

ये सुनते ही भव्य की आँखों में चमक आ जाती है, फटाफट अपने कपड़े उतारता है और बिस्तर पे पड़ी नाइटी पह्न लेता
है. ब्रा को हाथ नही लगाता पर साथ में पड़ी पेंटी पह्न लेता है, बड़ी मुश्किल से उस छोटी पेंटी में उसका लंड समता है ओर पेंटी में सामने सॉफ सॉफ एक बड़ा उभार दिखाई देता है. ये हाल तो तब का है जब उसका लंड अभी सोया हुआ थ.जब खड़ा हो जाएगा तो पेंटी उसे अपने अंदर संभाल नही पाएगी.

नाइटी पहनने के बाद वो धयान से सीमा को देखता है और उसकी नज़र सीमा की खुली चूत पे जम जाती है. बड़े धयान से वो सीमा की चूत देख रहा था. सीमा के चेहरे पे मुस्कान आ जाती है और वो अपनी बाँहें फैला कर उसे अपने पास बुलाती है.
भव्य लपक कर सीमा की बाँहों में समा जाता है और अपना मुँह सीमा के दोनो उरोज़ के बीच की घाटी में घुसा लेता है.
सीमा प्यार से उसके सर को सहलाने लगी और उसके सर को सरकाते हुए अपने निपल के उपर उसके मुँह को ले आई.

भव्य के होंठ खुल गये और उसने सीमा के निपल को चूसना शुरू कर दिया. पतली नाइटी की वजह से यही लग रहा था की वो सीधा उसके निपल को ही चूस रहा है.

सीमा के जिस्म में तरंगे उठने लगी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगे. इन बातों से बेख़बर भव्य एक छोटे बच्चे की तरहा निपल चूसने में लगा रहता है.
सीमा की चूत गीली होनी शुरू हो गई. अब उसे अपने निपल और भव्य के होंठों के बीच अपनी नाइटी खलने लगी.
सीमा ने अपनी नाइटी दूसरी तरफ से नीचे सरका दी और अपने उरोज़ को नंगा कर दिया फिर भव्य के सर को अपने दूसरे नंगे उरोज़ की तरफ कर दिया जैसे ही भव्य के होंठ उसके नंगे निपल से टकराए सीमा की चूत में भुंचाल आ गया. उसने भव्य को सीधा अपने उपर ले लिया इस तरहा की पेंटी में फसा उसका लंड सीधा उसकी चूत को रगड़ने लगा.

नंगे निपल को चूस्ते हुए भव्या के जिस्म ने जवाब देना शुरू कर दिया और उसके लन्ड़ का आकार बॅडने लगा.

भव्य का लंड पेंटी से बाहर निकल आया पर पेंटी में दबे होने की वजह से उसके जिस्म के साथ ही चिपका रहा.

सीमा ने अपनी गीली होती हुई चूत को उसके लंड से रगड़ना शुरू कर दिया.
सीमा की चूत इस वक़्त लंड की माँग कर रही थी पर उसका दिमाग़ उसे रोक रहा था.
सीमा ने अपने पैरों की कैंची बना कर भव्य की कमर को जकाड़ लिया और अपनी चूत ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पे घिसते हुए सिसकने लगी. भव्य को किसी बात का कोई अहसास नही हो रहा था, वो बस निपल चूसने में ही व्यस्त था.

सीमा ने भव्य को बुरी तरहा जाकड़ लिया और उसके सर को अपने उरोज़ पे दबाने लगी भव्य अपना मुँह खोलता चला गया और जितना उसके मुँह में जा सकता था उतना सीमा के उरोज़ को मुँह में भर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. सीमा कभी एक उरोज़ चुस्वाति तो कभी दूसरा.

तभी भव्य ने ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर चलानी शुरू कर दी और सीमा की चूत पे उसके लंड की घिसाई बॅड गई. और लघभग चीखते हुए सीमा झड़ने लगी. सीमा की उतेज्ना जब शांत हुई तो उसने भव्य को खुद से अलग किया और उसे सुलाने का प्रयास करने लगी.

भव्या भी थोड़ी देर में सो गया. पर सीमा की नींद उड़ चुकी थी. उसे यकीन सा हो गया था की भव्य को कुछ समस्या है उसका बर्ताव आम लड़के की तरहा बिल्कुल नही है.

सीमा के दिमाग़ में ये बात घर कर गयी कि भव्य के जिस्म में कामुकता तब जागृत होती है जब वो लड़कियों के वस्त्र पहनता है.
इस बात को बदलने के लिए सीमा ने ये फ़ैसला ले लिया की अब वो भव्य को अपनी तरफ आकर्षित करेगी एक बेटे के रूप में नही बलिक उसके लिए एक सुंदर नारी बन कर जिसे वो भोगने की दृष्टि से देखे.

अगर ऐसा नही हुआ तो आगे चल के भव्य का भविष्य ख़तरे में पद जाएगा.

अगले दिन जब भव्य स्कूल गया तो सीमा पार्लर गई और अपने रूप को बदल डाला इस प्रकार के कोई भी उसे देखे तो पाने के लिए तड़पने लगे. ये सब वो सिर्फ़ भव्य के लिए कर रही थी.

भव्य जब वापस घर पहुँचा तो अपनी मा को एक अप्सरा के रूप में पाया. उसकी आँखों में एक चमक आ गई आर वो खुद को भी उस रूप में देखने के लिए अंदर ही अंदर मचलने लगा. लेकिन ये चमक पल भर में गायब हो गई और उसकी आँखों में आँसू घर करने लगे. उसने अपना बेग वहीं फेंका और अपने कमरे में जा कर बिलखने लगा.

सीमा तड़प उठी आर उसके पीछे भागी.

'क्या हुआ बेटा?'
'मा.....मा....' भव्य बोल नही पा रहा था.
'बोल बेटा क्या बात है'
'सब मुझे छकका कहते हैं.......मैं इस स्कूल में अब नही जाउन्गा'
सीमा उसकी वेदना सुन के तड़प उठी और उसे अपने सीने से लगा लिया.
'फिक्र मत कर मैं सब ठीक कर दूँगी'

'चल पहले खाना खा ले'.

किसी तरहा सीमा उसे खाना खिलती है, उसके कपड़े चेंज करवाती है और उसे अपने कमरे में ले जाती है
.
गुलाब की पंखुड़ी की तरहा तराशे गये खूबसूरत गुलाबी होंठ, कमान की तरहा नशा बिखेरती हुई बोहेन, माथे पे सर्प रूप की बिंदिया, काली जॉर्जेट सारी जो नाभि से बहुत नीचे बाँधी हुई थी, गहरी नाभि जो अपनी तरफ खींच रही थी, स्पाट पेट, मस्ताने ३६सी साइज़ के उरोज़ जो ब्लाउस फाड़ के बाहर आने के लिए आतुर थे, वॅक्स करी हुई सुडोल बाँहें, जो भी इस वक़्त सीमा को देखता सीधा प्रणय निवेदन कर बैठता और उसके ना मानने पर शायद रेप ही कर डालता. एसा था रूप सीमा का. सौंदर्य
की जीती जागती प्रतिमा .
भव्य को कमरे के अंदर लाने के बाद, सीमा दरवाजा अंदर से बंद कर देती है. और भव्य के गले में अपनी बाँहें डाल देती है, जैसे कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के गले में डालती है. भव्य बस सीमा को देखता ही रहता है.
'अपने होंठों पे ज़ुबान फेरते हुए सीमा उससे पूछती है
'कैसी लग रही हूँ मैं?'
'बहुत सुंदर' भव्य जवाब देता है.
'तो सुंदर औरत से प्यार करना चाहिए ना- तू मुझ से प्यार नही करेगा'
'मैं तो आपको बहुत प्यार करता हूँ' कह कर भव्य उसके गाल पे एक किस जड़ देता है.
'एसे थोड़े ही प्यार करते हैं - चल मैं तुझे सिखाती हूँ'
और सीमा भव्य के चेहरे को अपने हाथों में थाम धीरे धीरे उसके होंठों के पास अपने होंठ ले आती है.
'अब जैसे मैं तुझ से प्यार करूँगी - वैसे ही तू बाद में करना'
आर सीमा अपने होंठ उसके होंठों से चिपका देती है.
जैसे ही दोनो के होंठ एक दूसरे को छूते हैं दोनो के जिस्म में एक तूफान आ जाता है.

सीमा भव्य से छिपकती चली जाती है और पहले उसके होंठों पे अपनी ज़ुबान फेरती है फिर उसके निचले होंठ को धीरे धीरे चूसने लगती है.
भव्य के हाथ खुद ब खुद सीमा को चारों तरफ से घेर लेते हैं.
सीमा कभी उसका निचला होंठ चस्ति तो कभी उपर वाला. सीमा की चूत में चिंगारियाँ उठने लगी और वो अपनी चूत को उसके लंड पे दबाने लगी.
१० मिटक तक सीमा उसके होंठ चुस्ती रही और जब साँस उखड़ ने लगी तो मजबूरन उसने अपने होंठ अलग किए.
फिर जब साँस संभली तो उसने भव्य को इशारा किया की अब उसकी बारी है.
जितना भव्य ने सीखा था वो वैसा ही करने लगा.
सीमा के हाथ भव्य के नितंभ पे चले गये और वो उसे अपनी तरफ दबाने लगी.
अपने बेटे को चुंबन करना सीखाना सीमा के लिए बहुत बड़ी बात थी, उसकी उत्तेजना उस उँचाई तक पहुँच गई जहाँ तक वो अपने पति के साथ भी नही पहुँची थी.

भव्य के चुंबन करने में जो नज़ाकत थी उसने सीमा के सारे बाँध खोल दिए और वो खड़े खड़े झड़ने लगी और भव्य के साथ और भी कस के चिपक गई.

वो भव्य के साथ धीरे धीरे बड़ना चाहती थी, वो नही चाहती थी की भव्य घबरा जाए क्यूंकी भव्य के लिए तो जिंदगी का नया अध्याय शुरू हो रहा था.

एक औरत को किस कैसे करते हैं, ये सीख कर भव्य को मज़ा तो आया पर जो उसके दिल में था वो कह नही पाया, वो बिल्कुल सीमा की तरहा खबसूरत लगना चाहता था, वही सारी पहनना चाहता था जो स समय सीमा ने पह्न रखी थी, पर दिल की बात ज़ुबान पे नही आ पा रही थी.

सीमा का झड़ना जब बंद हुआ तो वो भव्य से अलग हुई और उसकी आँखों में देखने लगी.
भव्य की आँखों में उसे एक प्यास नज़र आई, सीमा ने सोचा की वो सही रास्ते पे जा रही है, वो इस बात को नही पकड़ पायी की असल में भव्य चाहता क्या है.

सीमा ने भव्य की झंघों में देखा तो उसे हैरानी हुई ये जान कर की भव्य का लंड तो खड़ा ही नही हुआ.
ये बात सीमा की समझ में नही आई. उसने सोचा शायद आज पहली बार किस किया है तो शायद कुछ डरा हुआ है अंदर से.

'क्या हुआ मेरे जानू अच्छा नही लगा क्या?'
भव्य चुप ही रहा.

सीमा ने ज़यादा ज़ोर नही दिया.
'अच्छा चल सोते हैं'

दोनो बिस्तर पे लेट गये और सीमा ने फिर उसके सर को अपने वक्षों के बीच में ले लिया.
सीमा ने जब देखा की वो कोई हरकत नही कर रहा है तो खुद ही उसके सर को हिला कर उसके होंठों को अपने वक्ष पे कर दिया. उसने फिर भी कोई हरकत नही करी.

सीमा परेशान हो गई और उसने भव्य के चेहरे को अपने हाथों में ले कर उसकी आँखों में झाँका, उसे फिर वही प्यास नज़र आई जिसे वो समझ नही पा रही थी.

'क्या हुआ?' आख़िर उसने पूछ ही लिया.

'प्लीज़ आपकी नाइटी पह्न लूँ'

सीमा को अपना सारा किया कराया मिट्टी में मिलता हुआ नज़र आया. उसका दिल रो उठा दिमाग़ फटने लगा. हाए ये क्या हो रहा है, क्या कमी है भव्य में.

जब उसने उसके दर्द को थोड़ा समझते हुए हान करी तो भव्य का चेहरा खिल उठा. वो फटाफट उठा और सीमा की नाइटी उसकी अलमारी से निकाल कर पह्न ली.

नाइटी पह्न कर भव्य के चेहरे पे जो रोनक आ गई थी, वो देखने वाली थी. वो लपक के सीमा की बाहों में समा गया और उसने खुद ही सीमा के होंठों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया. अब उसके चूमने के तरीके में बहुत फरक आ गया था. वो बिल्कुल एक व्यस्क की तरहा सीमा के होंठ चूसने लगा, और सीमा को कुछ देर तो समझ ही नही आया की हुआ क्या.

सीमा का दिल अंदर से रो रहा था अपना सारा प्रयास उसे विफल होता हुआ नज़र आने लगा. उसका दिमाग़ उसे भयंकर सच्चाइयों की तरफ ले जाने लगा जो उसने डॉक्टरी में पड़ा था . दिल अंदर ही अंदर कांप था. अब उसने भव्य का पूरा चेक उप करने का फ़ैसला कर लिया.

भव्य उसके होंठ चूसने में लगा हुआ था. चाहे सीमा का दिमाग़ कहीं और था उसका जिस्म भव्य का साथ देने लगा और जिस्म ने दिमाग़ को भी मजबूर कर दिया की सब कुछ बाद में अभी अपने बेटे का दिल बहलाना है उसे.

सीमा ने भव्य के चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और चुंबन में उसका सहयोग कर ने लगी.

कमरे में फैली हल्की मध्यम दूधिया रोशनी में सीमा ने उर्वशी का रूप धारण किया हुआ था. और भव्य के ना रुकने वाले चुंबन ने उसके जिस्म के पोर पोर को हिला के रख दिया था.

इस प्रकार तो कभी राजीव ने भी से किस नही किया था. जिस्म ने दिमाग़ का साथ देना छोड़ दिया और उसकी योनि गीली होनी शुरू हो गयी.

पर दिमाग़ में तीन द्वंद चल रहे थे, एक तरफ समाज की उँछ नीच का डिनडोरा पीट रहा था, दूसरी तरफ डॉक्टोरी दिमाग़ अपनी राय दे रहा था और इन दोनो के बीच फसा मातृतव अपना राग अलाप रहा था. तीनो के युध में मा जीत गई आर सीमा ने भव्य का खुल के साथ देना शुरू कर दिया.

अगर भव्य उसका निचला होंठ चूस्ता तो वो उसका उपरवाला चूसने लगती. पता नही कितनी देर दोनो इस चुंबन में खोए रहे और सीमा को भव्य के खड़े लंड का अहसास अपनी झांघों पे होने लगा. जिस्म में एक थरथराहट फैल गई आर योनि ने चीखना शुरू कर दिया.

जब साँस लेना दूभर हो गया तो मजबूरन दोनो अलग हो कर हाँफने लगे.

सीमा बिस्तर से उठ गई ' उफ्फ कितनी गर्मी हो रही है' ये बोल कर सीमा ने अपनी सारी उतार दी फिर ब्लाउस भी खोल दिया और कुछ ही देर में पेटिकोट ने भी जिस्म का साथ छोड़ दिया . भव्य की आँखें सीमा के इस रूप को देख और भी चुन्धिया गयी वो अपलक सीमा को देखता ही रहा जो इस वक़्त सिर्फ़ पेंटी और ब्रा में थी.

सीमा ने अपनी बाँहें फैला दी और भव्य लपक कर उसकी बाँहों में समा गया.
अब सीमा को ये देखना था की भव्य ने जो नाइटी पहनी हुई थी उसे उतरने के बाद भी उसके लंड में तनाव रहता है या नही, पर वो जल्दी करने में थोड़ा डर रही थी.

दोनो फिर एक दूसरे के होंठ चूमने लग गये और सीमा के हाथ भव्य की पीठ को सहलाने लगे, थोड़ी देर बाद सीमा अपने हाथ अपनी पीठ पे ले गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. लेकिन फिर उसके हाथ भव्य की पीठ को सहलाने लगे और सबक सीखते हुए भव्य के हाथ भी अब सीमा की नंगी पीठ को सहलाने लगे.

जेसे ही भव्य के हाथों ने उसकी नंगी पीठ को छुआ सीमा की हालत और खराब होने लगी, आँखों में गुलाबी पन छा गया और सीमा भव्य के साथ कस के चिपक गई और उसके चुंबन लेने के तरीके में जोश आ गया, देखा देखी भव्य भी और जोश से उसके होंठ चूसने लगा.

अब सीमा से खड़ा नही हुआ जा रहा था और वो भव्य को साथ में लपेटे हुए बिस्तर पे गिर पड़ी इस तरहा की भव्य उसके उपर आ गया.

दोनो का चुंबन टूट गया ब्रा नीचे फिसल पड़ी और उसके उरोज़ बिना आवरण के हो गये, सीमा ने भव्य के होंठों का रुख़ अपने निपल पे कर दिया और भव्य मासूम बच्चे की तरहा उसके निप्ले को चूसने लगा, सीमा खुद ही अपने दूसरे उरोज़ को मसलने लगी और उसकी सिसकिया लबों से छूटने लगी.

'हान जानू हान चूस ज़ोर से चूस'

भव्य बिल्कुल उसके उपर था और सीमा ने उसकी नाइटी को खींचना शुरू कर दिया.

अब भव्य का नंगा खड़ा लंड उसकी चूत के उपर आ गया और अंदर घुसने की कोशिश करने लगा, लेकिन सीमा इतनी जल्दी आगे नही बॅड सकती थी. सीमा ने अपनी टाँगे भव्य की कमर पे लपेट दी और पेंटी समेत उसके लंड को अपनी चूत पे दबाने लगी जो अहसास उस वक़्त सीमा को हो रहा था वो नायाब था, और ना चाहते हुए भी भव्य का लंड पेंटी को साथ में लेता हुआ उसकी चूत में थोड़ा घुस गया

सीमा से वो चुभन बरदाश्त नही हुई और वो अपने होंठों को काटते हुए झड़ने लगी. पर जो असल काम सीमा ने करना था वो खुद उसकी अपनी उतेज्ना के आगे धराशायी हो गया. उसने भव्य को खुद से अलग किया और किसी तरहा उसे सुला दिया, और सोचने लग पड़ी की जो वो करना चाहती थी उसे वो कैसे अंजाम दे.

अगले दिन जब भव्य स्कूल के लिए तयार हुआ तो उसकी अंतरात्मा कांप रही थी. कहीं फिर से उसे छक्का ना कहा जाए, उसके साथ के सभी लड़कों की हल्की हल्की मूँछे निकलनी शुरू हो गई थी, पर भव्य का चेहरा ऐसा था की सुंदर से सुंदर लड़की को भी मात दे दे. निकर के अंदर छुपा लंबा मोटा लंड तो सबको नज़र नही आता सब बस चेहरे को देख अपने व्यंग्य बान कसने शुरू कर देते हैं.

आज भी कुछ ऐसा ही हुआ और भव्य अंदर ही अंदर छलनी होता गया. आँसू दिखाए तो किसे, कितनी बार अपनी मा को अपनी व्यथा सुनाए, कितनी बार अपने साथ अपनी मा का कलेजा भी छलनी करे, उसने अपने आँसू अपने अंदर ही घोटने शुरू कर दिए, पर अपने चेहरे के भावों को कैसे बदलता. कैसे छुपाता उन भावों को जिसने उसकी आत्मा तक को छलनी कर के रखा हुआ है.

और बेटा चाहे कितना भी छुपाए मा की ममता सब कुछ भाँप लेती है.

अंदर ही अंदर रोता कलपता शांत चेहरा लिए हुए भव्य घर पहुँचता है तो मा की नज़रे उसके अंदर छुपे तूफान और उसके दर्द को ताड़ जाती हैं.

वो कुछ नही कहता पर खुदा ने तो चेहरे को दिल का आईना बनाया हुआ है, उसे वो कैसे जुड्ला पाता, चेहरा तो सब कुछ बयान कर रहा था.

अपने कमरे में जाता है दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है और वो तूफान जिसे उसने रोक के रखा हुआ था वो फुट फुट कर बाहर निकल पड़ता है

अकेला खुद को असहाए समझ ने लग गया था भव्य और अपने मुँह में रुमाल भर कर दहाड़े मार के रोने लग गया, बस उसे सीमा की चिंता थी की कहीं उसे ना पता चल जाए की वो रो रहा है.

अभी उसे इतनी कहाँ समझ थी की उसकी मा उसके लिए सारी सीमाएँ लाँघ रही थी एक एक कर के, सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके लिए. कितना पीड़ा झेल रही होगी सीमा ये सिर्फ़ सीमा की अंतरात्मा ही जानती थी.

भव्य को तो इस बात का लेश मात्र भी अंदाज़ा नही था.
 
 
 








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