Monday, March 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी जिंदगी--4

 FUN-MAZA-MASTI


 मेरी जिंदगी--4
 सीमा को पता ही नही चला की भव्य कमरे में बिलख बिलख कर रो रहा है क्यूंकी उसका सारा धयान रीमा पे चला गया था जिसे पहली बार माहवारी शुरू हो गई थी और उसकी हालत नाज़ुक थी. कई देर तक सीमा रीमा के साथ लगी रही, उसे समझती रही और दवाई दे कर उसके दर्द का निवारण करने के बाद उसे सोने को कह कर जब वो कमरे से बाहर आई तो उसे धयान आया की भव्य तो सीधा अपने कमरे की तरफ भाग गया था.

आशंकाओं ने सीमा के चित को घेर लिया और वो भव्य की तरफ लपकी. कमरा अंदर से बंद था, एसा तो भव्य ने कभी नही किया था. खिड़की से सीमा ने अंदर झाँका तो हिल के रह गई, भव्य ज़मीन पे बैठा हुआ रो रहा था और अपने मुँह में उसने रुमाल भर रखा था ताकि उसकी आवाज़ बाहर ना जाए. ये देख सीमा का दिल रो पड़ा और उसने दरवाजे को पीटना शुरू कर दिया .

भव्य तो अपने ही ख़यालों में खोया रोता जा रहा था, उसे दरवाजे का पीटा जाना सुनाई ही नही देता. ना जाने कितनी देर तक सीमा दरवाजे को खड़का ती रहती है तब कहीं जा कर भव्य दरवाजा खोलता है. दरवाजा खोलने से पहले वो अपने आँसू अच्छी तरहा सॉफ करता है ताकि सीमा को ना पता चले की वो रो रहा था. पर वो क्या जानता था कि सीमा खिड़की से सब देख चुकी है और ना भी देखा होता तो बही मा की आँखों से कुछ छुप नही पाता.

सीमा भव्य को अपने सीने से लगा लेती है और अभी उसे नही छेड़ती की कहीं वो फिर से रोना ना शुरू कर दे, जब संभल जाएगा तब आराम से पूछेगी वैसे उसे ये अंदेशा तो हो ही गया था की कहीं फिर उसे छक्का तो नही कहा गया.

'चल जानू मेरे कमरे में चलते हैं' भव्य के गालों को चूमती है और उसे अपने कमरे में ले जाती है.

'हाए आज तो मैं अपने जानू के लिए अच्छी तरहा तयार भी नही हो पायी. तू बैठ मैं अभी तयार होती हूँ'

भव्य चुप चाप बैठ जाता है.

और सीमा अपनी सारी उतारती है फिर ब्लाउस और पेटिकोट भी उतार कर केवल पेंटी और ब्रा में रह जाती है. बार बार कनखियों से वो भव्य को देख रही थी की भव्य के चेहरे के भाव उसके लगभग नग्न हुस्न को देख बदलता है नही.

भव्य तो चुप चाप नज़रें झुकाए बैठा था.

सीमा उसका धयान अपनी और खींचने के लिए अपने कपड़ों की अलमारी खोलती है और उसे आवाज़ लगाती है.

'जानू बता ना कौन से कपड़े निकालु पहनने के लिए.

अब भव्य उसकी तरफ देखता है ब्रा और पेंटी में खड़ी सीमा कातिलाना लग रही थी पर भव्य उसकी तरफ धयान ना दे कर अलमारी में लटकी खूबसूरत सारी की तरफ देखने लगता है अपने आप उसके कदम अलमारी की तरफ उठ जाते हैं और अलमारी में से एक खूबसूरत पारदर्शी लिंगेरी निकाल कर सीमा की तरफ बड़ा देता है.

और ललचाई नज़रों से सभी कपड़ों को देखने लगता है.
सीमा उसकी नज़रें पॅड लेती है पर कोई बड़ावा नही देती.

'ओह हो तो मेरा जानू मुझे इन कपड़ों में देखना चाहता है, चलो तुम बैठो में तयार होती हूँ'

भव्य की आँखों में उदासी छा जाती है. शायद वो सोच रहा था की आज भी वो सीमा के कपड़े पह्न पाएगा.

अब सीमा पहले ड्रेसिंग टेबल पे बैठ कर अपने चेहरे की अच्छी तरहा लीपापोती करती है और अपने होंठों पे गुलाबी लिपस्टिक लगा लेती है.

फिर वो भव्य की तरफ ही मुँह कर अपनी ब्रा खोल डालती है आर धीरे धीरे अपने जिस्म से अलग करती है जैसे स्ट्रिपटीस कर रही हो. भव्य की नज़रें तो सीमा पे ही होती हैं पर उसकी आँखों में कोई उत्तेजना का पुट नही होता. उसकी आँखों में एक वीराना सा समाया होता है.

सीमा अपनी ब्रा जिस्म से अलग कर देती है और उसके उन्नत वक्ष भव्य की सूनी आँखों के सामने लहराने लगते हैं. जान भुज कर सीमा काफ़ी देर उसी मुद्रा में रहती है और फिर अपनी पेंटी भी उतार कर पूरी नग्न हो जाती है. अच्छी तरहा अपनी फूली हुई चूत के दर्शन भव्य को करवाती है और फिर शीसे में खुद को निहारती है, वो नग्न अलग अलग मुद्रा बना कर शीसे में अपने सुंदर जिस्म का अवलोकन करती रहती है और कनखियों से भव्य को देखती रहती है की अब उसकी आँखों में नशा उतरेगा अब उतरेगा अब उसकी पेंट के अंदर उसका लंड हलचल मचानी शुरू करेगा

पर ऐसा कुछ नही होता. सीमा को बड़ी हैरानी होती है की जवान होते हे लड़के के सामने एक खूबसूरत औरत बिल्कुल नंगी खड़ी है अलग अलग मुद्राएँ बना रही है पर उसके जिस्म में कोई हलचल नही होती.

सीमा वो लिंगेरी पह्न लेती है और उसे पहनने के बाद उसका रूप और दमक पड़ता है.

भव्य की आँखों में कुछ देर के लिए चमक आती है फिर गायब हो जाती है.

सीमा का डॉक्टोरी दिमाग़ एक दम अपना फ़ैसला सुना देता है - ' देखा में कह रहा था भव्य सामान्य लड़का नही है, ज़रूर उसे कोई प्राब्लम है'

पर मा का दिमाग़ और दिल इस बात को नही मानता ' नही वो रो रहा था, कुछ डरा हुआ है इसलिए उस पर कोई असर नही पड़ा, मुझे पहले उसे सामान्य करना पड़ेगा.

और सीमा भव्य की तरफ बॅड कर अपनी बाँहें फैलाती है.

भव्य सीमा की बाहों में समा जाता है.
सीमा अपने गुलाबी गाल उसके गालों से रगड़ने लगी.

'मेरे जानू अपनी जानू को प्यार नही करेगा क्या?'

और भव्य अपने होंठ सीमा की होंठों से सटा देता है, पर उसमे कोई जोश और कोई उत्तेजना नही होती.
सीमा अपने होंठ खोल कर अपनी ज़ुबान से उसके होंठ चाटने लगी, भव्य भी कुछ पल बाद ऐसा ही करने लगा, लेकि वो भावना और वो अहसास नही था जो एक दिन पहले सीमा ने महसूस किया था जब भव्य ने उसकी नाइटी पहनी थी.

सीमा इंतेज़ार करती है की वो अब जोश में आएगा, अब जोश में आएगा, पर ऐसा कुछ नही होता, भव्य बस एक मशीन की तरहा सीमा को होंठ चूस रहा था. सीमा उसके बदन को सहलाने लगी और उसे एक झटका लगा, उसे महसूस हुआ की भव्य की छाती में वक्षों का उभार आरंभ हो गया है.

भव्य के जिस्म को सहलाते हुए सीमा उसकी शर्ट और बनियान उतार देती है और उसके नंगे जिस्म पे अपनी नाज़ुक हाथ फेरने लगती है.
भव्य मात्र एक कठपुतली की तरहा बस सीमा के होंठ चूम और चूस रहा था.

सीमा की सहनशक्ति जवाब देने लगी और उसने आगे बॅडने का फ़ैसला कर लिया.
उसका हाथ अब निकार के उपर से ही भव्य के लंड को सहलाने लगा.
लेकिन एक कठपुतली में भावना केसे उजागर होती.
हार मान कर सीमा ने भाव के हाथ को अपने उरोज़ पे रख दिया और उसके हाथ का दबाव अपने उरोज़ पे बड़ाने लगी.

सीमा तो पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी, दिमाग़ ने फिर साथ देना छोड़ दिया और सीमा ने भव्य की निकर के साथ उसका अंडरवेर भी उतार डाला. अब भव्य बिल्कुल नग्न था और सीमा एक पारदर्शी नाइटी में.
सीमा से रहा नही गया और पूछ ही बैठी ' जानू आज ये तेरा खड़ा क्यूँ नही हो रहा?' पूछते वक़्त वो भव्य के लंड को सहला रही थी.
उदासीन नज़रों से भव्य सीमा को देखता है और बोल पड़ता है ' पता नही ये तब ही खड़ा होता है जब मैं आपके कपड़े पहनता हूँ. प्लीज़ पहनने दो ना.'

सीमा की चूत में खलबली मची हुई थी, अब शायद वो लंड के बिना ना रह पाती ' चल जो पहनना है पह्न ले' कह कर कर वो बिस्तर पे लेट गई इस तरहा की नाइटी उसकी झंघों तक चॅड गई.

सीमा की बात स्न्ते ही भव्य की आँखों में चमक आ गई और उसने अलमारी खोल कर एक छोटी नाइटी पह्न ली जो सिर्फ़ उसकी कमर तक आ रही थी.

नाइटी पहनते ही उसमे बदलाव आने लगा और वो सीमा के उप्पर लपक पड़ा. अब उसके होंठ फिर सीमा के होंठों से चिपक गये और पूरे जोश के साथ वो सीमा के होंठ चूसने लग गया. थोड़ी देर पहले जो उसने सीखा था वो से याद था हान, होंठों को चूस्ते हुए वो सीमा के उरोज़ को भी मसल्ने लगा.
सीमा उसके साथ चिपकती चली गई और उसका साथ देने लगी.

सीमा ने कस के भव्य को अपने साथ सटा लिया अपनी झंघें फैला दी और भव्य उसकी झंघों के बीच में आ गया आर उसका लंड जो खड़ा हो चुका था वो सीमा की छूट को चूमने लगा.

अचानक सीमा के दिमाग़ में कुछ आया उसने भव्य को खुद से अलग किया और अपनी नाइटी उतार कर पूरी नंगी हो गई फिर उसने भव्य की नाइटी भी उतार डाली, वो देखना चाहती थी की उसकी उतेज्ना बरकरार रहती है या फिर वो पहले वाली स्थिति में पहुँच जाता है.

अब सीमा खुद भव्य पर टूट पड़ी

जैसे ही सीमा आक्रामक होती है और भव्य को ज़ोर ज़ोर से चूमना, लिपटना शुरू करती है, भव्य बिदक जाता है.

'मोम प्लीज़, क्या है ये सब, मैं पागल हो जाउँगा- स्कूल में बच्चे मुझे छक्का बोलते हैं- और जितना मुझे पता है हम हिजड़े को छक्का बोलते हैं, क्या मैं हिजड़ा हूँ'

अब सीमा को अपनी ग़लती का अहसास होता है भव्य का कोई दोस्त नही है उसे स्त्री पुरुष के रीलेशन के बारे में कुछ भी पता नही है और वो कितना बड़ा कदम उठा गयी.

सीमा अपने आपको रोकती है और उसकी मनस्थलि पे खुद को लाती है. और खुद को धिक्कार्ती है. उफ़ ये क्या ग़लती कर बैठी मैं, क्या असर पड़ा होगा इसके नाज़ुक मस्तशिक पर. है प्रभु मेरी सहायता करो.

सीमा फट से अपनी एक नाइटी पह्न लेती है, उसकी आँखों से दर्द भरे आँसू बहने लगे और नग्न भव्य भी अपने अश्रु बहा रहा था.

सीमा, भव्य को अपने सीने से लगा लेती है.

'नही रे, तेरी क्लास के लड़के बस तुझे यूँ ही तंग करते हैं, तेरी मूँछें अभी तक नही आई हैं इसलिए तुझे चिड़ाते हैं. पर इसमे तेरा कोई कसूर नही, कुछ लड़कों की मूँछें कुद्रती देर से आती हैं - और तेरे पास तो वो है जो हर लड़के के पास नही होता'

और सीमा का हाथ उसके लंड पे चला जाता है और उसे सहलाने लगती है.

'जानता है, तेरा ये लंड कितना बड़ा और मोटा है - जिससे तेरी शादी होगी वो बहुत खुश रहेगी - इसे देख कर तो मैं भी बहक गई'

'मतलब?'

'बिल्कुल बुद्धू है तू, खैर तेरा भी कोई कसूर नही - आज तक तुझे किसीने बताया जो नही - अब जैसे मैं करती हूँ - करता जा आज तुझे औरत से कैसे प्यार करते हैं सब सीखा दूँगी'

'क्या सच में मेरा ये?'

'हां रे तेरे पापा का भी इतना बड़ा नही है'

'चल अब चूम मुझे और प्यार कर'

और भव्य के दिल से वो बातें निकल जाती हैं, उसका दुख शायद कुछ कम हो जाता है और वो सीमा के होंठों पे अपने होंठ रख देता है.
जैसे ही भव्य के होंठ सीमा के होंठों से टकराते हैं सीमा की सिसकी फूट पड़ती है.




"मोम, मोम, मोम........" राजेश भावना को आवाज़ें लगा रहा था.

'अन हं - हाँ क्या बात है बेटा तू अभी तक सोया नही' भावना अपने अतीत से वापस आती है.

'क्या बात है मोम, जब भी आप अकेले होते हो, पता नही कहाँ खो जाते हो, एसी क्या बात है, कोई परेशानी है तो मुझे बताओ, पापा टूर पे हैं तो क्या हुआ, मैं तो आपके पास हूँ ना'

अब भावना उसे कैसे समझाती की उसकी चूत उसे कितना परेशान कर रही है.

'कुछ नही बेटा - बस ऐसे ही तेरी नानी की याद आ गई'

'हुम्म तो ये बात है, कल ही चलते हैं नानी से मिलने, मेरा भी बहुत दिल कर रहा है, बहुत दिन हो गये. मैं कल ही दिल्ली की फ्लाइट की टिकेट्स करवाता हूँ'

'हाउ स्वीट ऑफ यू डियर'

'चलो अब ये थोबड़ा मत सुझाओ, चलो कहीं लोंग ड्राइव पे चलते हैं'

'अरे इस वक़्त कितनी रात होने वाली है'

'चलो ना मोम, नींद वैसे भी नही आ रही, और ड्राइव का कोई टाइम थोड़े ही होता है'

'बड़ा जिद्दी है तू, चल मैं तयार होती हूँ तू बाहर वेट कर'

'तयार क्या होना है, एसे ही चलो, कौन सा किसी के घर जा रहे हैं, एंड यू आर लुकिंग क्यूट'

'चल बेशर्म, एसे नाइटी में '

ऑफ हो आप भी, बस चलो' और राजेश, भावना का हाथ पकड़ उसे बिस्तर से उठा देता है और लगभग खींचता हुआ बाहर गाड़ी तक ले जाता है.

गाड़ी का दरवाजा खोलता है और भावना अंदर बैठ जाती है. फिर राजेश घर का दरवाजा लॉक करता है और ड्राइविंग सीट पे बैठ कर गाड़ी चला देता है.

भावना को नाइटी में गाड़ी के अंदर उसके पास बैठने में बड़ी शरम आ रही थी.
 
राजेश कार को हाइवे पे चलाता जा रहा था, ठंडी ठंडी हवा भावना को मस्त किए जा रही थी, उसकी जुल्फेन हवा के कारण उड़ने लगी और कुछ लतें राजेश के चेहरे तक पहुँच गई और वो उनकी सुगंध में खोता जा रहा था. भावना ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी आर राजेश कभी उसके चेहरे को देखता तो कभी सामने सड़क पे.

कुछ दूर जाने के बाद राजेश को एक ढाबा नज़र आया और उसने वहीं कार रोक दी और ढाबे से दो कोफ़ी ले के आ गया. रात के इस समय ढाबा बिल्कुल सुनसान था.
राजेश ने जब कोफ़ी का कप भावना को दिया तो उसने अपनी आँखें खोली.

'वह रात को इतनी दूर कॉफी पीने आया है, घर नही पी सकता था'
'मम्मी डार्लिंग घर में वो बात कहाँ आती जो अब आ रही है- देखो कितनी मस्ती छाई है आपके चेहरे पे, घर पे तो पता नही क्या सोच में डूबी रहती हो'

'ओह हो तो साहबजादे अपनी मम्मी से फ्लर्ट कर रहे हैं'
'मेरी इतनी मज़ाल कहाँ मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूँ'

' सब जानती हूँ - तेरा भी कसूर नही - जवानी जो चॅड रही है'
'क्या मोम कुछ भी बोल देते हो'

और भावना खिल खिला के हस पड़ती है.
उसे हस्ता हुआ देख राजेश के चेहरे पे भी मुस्कान आ जाती है.
दोनो कोफ़ी ख़तम करते हैं और राजेश कार वापस घर के लिए मोड़ देता है.

' आज आप बहुत दिनो बाद हसी हो, मैं चाहता हूँ एसे ही हमेशा खिलखिलती रहो'

और भावना मुस्काती हुई राजेश को देखने लगी.

'थॅंक्स फॉर दा ड्राइव'

'माई प्लेयर' कहते हुए राजेश भावना की झांग पे अपना हाथ रख देता है, भावना कुछ चोंकती है पर वो राजेश का हाथ नही हटाती.

भावना की तरफ से कोई नेगेटिव रिएक्शण ना देख राजेश खुश हो जाता है और भावना की झांग सहलाने लगता है.
भावना के जिस्म में दबी हुई आग भड़कने लगी और वो अपनी आँखें बंद कर मज़े लेने लगी.

भावना के मॅन में बार बार ये ख़याल आ रहा था की क्या उसे राजेश को पूरी छूट देनी चाहिए और अपने जिस्म की ज्वाला को शांत कर लेना चाहिए. सारा रास्ता भावना यही सोचती रही पर कोई फेसला नही कर पाई.

घर पहुँच कर भावना ने राजेश के माथे को चूम कर गुडनाइट कहा और अपने कमरे में चली गई.

राजेश इस बात से ही बाट खुश था की आज ना जाने कितने दिनो बाद भावना खुल के हसी थी, और वो भी अपने कमरे में सोने चला गया.

अपने कमरे में पहुँच भावना को फिर अकेलापन सताने लगा, उसका दिल कर रहा था की राजेश के कमरे में चली जाए, पर उसने खुद के कदम रोक लिए आर बिस्तर पे बैठी बैठी फिर अपने अतीत में खोती चली गई.  
 
वो रात ऐसी रात थी जो ना भव्य कभी भूल पाएगा और ना ही सीमा. भव्य के अंदर सोए हुए पुरुष को जगाने का सीमा ने फ़ैसला कर लिया था और ताक पे रख दी थी सारी मर्यादा, उसके लिए भव्य की आने वाली जिंदगी ज़यादा महतव रखती थी ना की समाज के क़ानून.

सीमा ने भव्य को पागलों की तरहा चूमना शुरू कर दिया और साथ ही साथ उसके खड़े लंड को सहलाती रही.
' मा ये सब?'
'कुछ मत पूछ बस जो मैं कर रही हूँ वही करता जा'

'आजा मेरे उपर'

और सीमा भव्य को अपने उपर ले लेती है. दोनो नग्न थे भव्य का खड़ा लंड जो राजीव से भी लंबा और मोटा था वो सीमा की चूत पे दस्तक दे रहा था. और सीमा ने अपनी टाँगें फैला कर भव्य को अपनी टाँगों के बीच ले लिया और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह से लगा दिया.
'चल धक्का मार'
भव्य एक धक्का मारता है आर मुश्किल से उसके लंड का सुपाड़ा ही सीमा की चूत में घुस पाता है. दर्द के मारे सीमा की जान निकल जाती है और वो अपने होंठ काट कर अपनी चीख को रोकती है ताकि भव्य उसकी चीख से डर ना जाए.

फिर भी एक आवाज़ निकल ही पड़ी.

'ओह मा........रुक ज़रा'
'आह किस मी'
भव्य फिर सीमा के होंठ चूमने और चूसने लग गया. सीमा के बाँहें उसके गले से लिपट गई और उसके टाँगों ने भव्य की कमर से लिपट कर उसे अपने घेरे में ले लिया.
सीमा का दर्द जब कम हुआ तो उसने अपनी टाँगों के दबाव से भव्य को इशारा किया और भव्य ने फिर एक धक्का लगा कर अपना आधा लंड सीमा की थरथराती हुई चूत में घुसा डाला.

'मर गई रे' सीमा चिल्ला ही पड़ी और भव्य घबरा गया.
'क्या हुआ मा?'

'आह बहुत मोटा है रे तेरा मेरी तो जान ही निकल गई - अब हिलना मत थोड़ी देर'
और सीमा अपने दर्द को सहने की कोशिश करने लगी
अपना धयान बाँटने के लिए उसने भव्य के चेहरे को अपने उरोज़ की तरफ दबाया और भव्य उसका इशारा समझ उसके निपल को चूसने लग गया .
उउउम्म्म्ममममममममममम आह उफ़ ओह और सीमा की सिसकियाँ निकालने लग पड़ी.
थोड़ी देर बाद सीमा ने भव्य के कान में कहा ' अब धीरे धीरे अपने लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर कर'
और भव्य ने वेसा ही करना शुरू कर दिया सीमा की चूत थोड़ी देर में गीली होनी शुरू हो गई.

सीमा को अब मज़ा आने लगा और उसकी गांद बार बार उपर उछल कर उसके लन्ड़ को अंदर लेने की कोशिश करती.

भव्य को भी इस खेल में मज़ा आने लगा. और एक बार जब लंड चूत का सवाद चख लेता है तो चुदाई भी सीख लेता है.

भव्य के धक्के तेज हो गये और फिर उसने एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड़ सीमा की चूत में घुसा डाला. सीमा की तो जान पे ही बन आई

म्*म्म्ममममममममममममममममममममममममममममममममाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ

सीमा ज़ोर से चीख पड़ी और डर के मारे भव्य के धक्कों में एकदम ब्रेक लग गया.

दर्द की अधिकता के कारण सीमा लगभग बेहोश ही हो गई थी. भव्य घबरा गया और झट से सीमा से अलग हो गया. जैसे ही उसका लंड सीमा की चूत से बाहर निकला पक की आवाज़ हुई मानो किसी बॉटल का कॉर्क खोला गया हो. भव्य की नज़र सीमा की चूत पे पड़ी तो और परेशान हो गया क्यूंकी सीमा की चूत से खून निकल रहा था और उसका लंड भी खून से सना हुआ था.
वो बाथरूम भागा और एक तोलिया गरम पानी से भिगो कर लाया और सीमा की चूत सॉफ करने लगा. इतने में सीमा भी होश में आ गई और भव्य की हालत देख मुस्कुरा उठी कितनी परवाह करता है वो ये जान कर सीमा ने उसे गले से लगा लिया.

ये क्या घबराहट और डर के कारण उसका लंड तो बैठ चुका था, सीमा ने उसी तोलिये से उसका लंड सॉफ किया.

'हाए तूने तो सुहागरात का दर्द भी भुला दिया- लगता है जैसे आज ही मेरी सुहाग रात हो' और सीमा हस पड़ी.
सीमा को हस्ता देख भव्य की जान में जान आई.

'इतना दर्द होता है तो आपने एसा क्यूँ किया?'
'पगले इस दर्द के बाद जो औरत को सुख और मज़ा मिलता है उसकी कोई तुलना नही - ले तेरा तोये बैठ गया- चल दिमाग़ से सब दर निकाल आजा फिर शुरू करते है'

सीमा ने बहुत प्र्यतन किया पर भव्य का लंड खड़ा नही हुआ.
अब सीमा की दिमाग़ में चिंताओं ने घमासान युध छेड़ दिया.
 
आँखों ही आँखों में रात कब कटी ये भावना को पता ही ना चला.
सुबह जब अलार्म बजा तो भावना यथार्थ में आई और फटाफट नित्यकर्मो से फारिग हो कर वो किचन में चली गई आर छाई बना कर , वो राजेश को उठाने उसके कमरे में गई.

राजेश गहरी नींद में सोया हुआ था उसके रोबीले चेहरे की मासूमियत देख भावना की ममता का सागर उमड़ पड़ा और वो उसके करीब जा कर उसके पास बिस्तर पे बैठ गई . राजेश ने सिर्फ़ एक निकर पह्न रखी थी. उसकी चोडी छाती पे काले लंबे घुँगराले बॉल भावना को अपनी तरफ खींच रहे थे. जिम में कसरत कर के राजेश ने अपने शरीर को लोहे सा बना दिया था. उसका व्यक्तितिव एसा बन चुका था की कोई भी लड़की खीची चली जाए उसके साथ सामीप्या बड़ाने को.
भावना ने चाय का कप साइड टेबल पे रखा और राजेश की छाती को सहलाते हुए उसे उठाने लगी.
' उठ जा बेटा चाय रख दी है फिर तायारी भी करनी है दोपहर की फ्लाइट के लिए'
'उम्म गुड मॉर्निंग मोम बस अभी उठता हूँ'
'तयार हो के आ मैं नाश्ता बनाती हूँ ' कह कर भावना किचन में चली जाती है अपनी चाय पीते हुए नाश्ते की तायारी करने लगी.
थोड़ी देर बाद राजेश रेडी हो कर हॉल में आ कर टेबल पे बैठ गया और भावना का इंतेज़ार करने लगा.

नाश्ता करने के बाद दोनो अपनी पॅकिंग करते हैं और एरपोर्ट के लिए निकल पड़ते हैं.
४ घंटे बाद दोनो एक घर का दरवाजा खटखाटते हैं. और दरवाजा खोलिटी है सीमा.
अपने सामने भावना और राजेश को देख उसे यकीन नही होता की सामने दोनो खड़े हैं.
५ साल हाँ ५ साल बाद ये तीनो आमने सामने थे. सीमा की आँखों से आँसू टपकने लगे और वो दोनो से लिपट के रोने लगी.

महॉल को हल्का करने के लिए राजेश ने अपने आँसू रोके और अपनी नानी से मज़ाक करना शुरू कर दिया
'नानी दी ग्रेट - क्या बात है - आप तो आज भी इतनी खूबसूरत दिखती हो - जवानी में तो क़त्ले आम मचा रखा होगा'

'हाए कितना बेशर्म हो गया है' सीमा बोल पड़ी
' लो कर लो बात मोम मैं कोई झूठ बोलया'
'कोई ना भाई कोई ना' भावना ने जवाब दे दिया.
'दोनो मा बेटे पक्के बेशर्म हो गये हैं'
'क्या नानी कब तक दरवाजे पे खड़ा रखो गी'

'ओह! चलो चलो अंदर चलो'
और सीमा दोनो को घर के अंदर ले गई.
दोनो हाल में सोफे पे बैठ गये.
'तुम दोनो बैठो मैं कुछ खाने को लाती हूँ तक गये होगे सफ़र में'

'अरे नानी जान यहाँ बैठो हमारे पास कोई बेल गाड़ी से नही आए - जो थक जाएँगे - फ्लाइट से आए हैं'
और राजेश सीमा को खींच कर बीच में बिठा लेता है.
' देखो तो क्या चपर चपर करने लग गया है - हाए कितना गबरू जवान हो गया है.

'तो नानी चले फिर डेट पे?'

'बदतमीज़' और सीमा हस्ती हुई राजेश के सर पे थप्पड़ लगानी लगी

'अरे नानी ओह हो नानी डियर कुछ ग़ल्त थोड़े ही बोला अरे बस बस नानी लगती है'

'लगती है- लगती है- जो मुँह में आता है बकने लग जाता है'

'मोम बचाओ '
'मैं क्यूँ आउन नानी और दोते के बीच' और भावना खिल खिला के हस्ने लग पड़ी.

'अरे आप दोनो बातें करो मैं चला थोड़ा सोने' और राजेश भाग कर एक कमरे में घुस गया.

भावना के साथ सीमा भी हस्ने लगी - 'चल अंदर चलते हैं' और सीमा भावना को अंदर अपने कमरे में ले गई.

'बैठ अब बता कैसा चल रहा है - बहुत खुशी हुई आज तुझे देख के'
'क्या बताउन बस जलती रहती हूँ - ये क्या करवा दिया मोम - लंड हटवा के चूत खोल दी मेरी - लंड होता तो इतना जलना तो नही पड़ता किसी को भी चोद लेती - अब तो लंड के लिए तरसना पड़ता है - वो तो बस अपने व्यापार में लगे रहते हैं'
 
 

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