FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--59
गतांक से आगे ...........
" दो नयी सालियां...और फिर जब मेहक मेरी साली हो गयी तो मैं तो आपका दामाद तो वैसे ही हो गया...कहते हैं जामाता दसवां ग्रह...तो फिर तो मैं लगतार लेता रहुंगा...एक बार में थोडे ही छोडुंगा...क्यों मेहक."
मेहक के गाल थोडे से लाल हो गये मेरे द्विअर्थी डायलाग का मतलब समझ कर ..मुस्करा कर वो बोली..." हां एकदम..."
" चलें..." गुड्डी और गुंजा से मैने कहा, " वैसे भी बहोत देर हो गयी है इसे घर ड्राप कर फिर सामान पिक अप करना है और बस पकडनी है."
" आप ...तुम जाओगे कैसे..." अंकल बोले.
" क्यों रिक्शा कर लेंगें हम...पास में ही जाना है, नयी सडक के पास...गुंजा को छोड के हम चले जायेंगे...और अब तो रिक्शा चलने लगा होगा."
" तुम ना कैसे दामाद हो...अरे मेरे साथ चलो..." और तब उनकी निगाह मेरे शर्ट पे पडी...
" अरे इतना खून ...शर्ट तो बदल लेते..." वो बोले.
" नही...वो तो मैं रेस्ट हाउस जा के ही चेंज कर पाउंगा..चलेगा तब तक..." मैं बोला.
हम लोग गाडी में बैठ गये.
गुड्डी आगे बैठ गयी. पीछे हम चारों...
जैस्मिन का घर नजदीक था उसे हम लोगों ने ड्राप कर दिया..
.फिर मेहक बोली..." ऐसा कीजिये माल चलते हैं..वहां इनके लिये एक शर्ट ले लेते है..वर्ना हर चौराहे पे पुलिस वालों को ये जवाब देते फिरेंगे... और कहीं पकड लिये गये...तो रात थाने में गुजरेगी."
" एकदम सही कहा तुमने.. इसके पहले भी ये आज थाने जातेजाते बचे हैं.” गुड्डी बोली.
" उन लोगों के पास तो हथियार रहे होंगे ...." ड्राइव करते हुए आगे से मेहक के अंकल ने पुछा...
" दो बड़े बड़े चाक़ू, एक रिवाल्वर और एक बम्ब ..." गूंजा और मेहक साथ साथ पीछे से बोलीं.
" और तुम्हारे पास ..." उन्होंने फिर पूछा. अबकी जवाब गुड्डी ने दिया.
" मेरी चिमटी, मेरे बाल का काँटा, चुडिया और पायल ..."
और चारो खिलखिलाने लगीं.
" हाँ और सब उन्होंने गुमा दिया..." गुड्डी फिर मुंह फुला के बोली.
" अरे मत उदास हो सब तुम्हे हम दिलवा देंगे..." अंकल बोले. वो भी अब लड़कियों के ही स्प्रिट में आ गए थे.
"मेरा असली हथियार था...मेरी सालियाँ, और आप बुजुर्गों का आशीर्वाद..." मैंने पीछे से सही जवाब देने की कोशिश की.
" मक्खन बहोत जबर्दस्त लगाते हो...तुम ." अंकल बोले.
और पीछे से ..समवेत स्वर साथ साथ मेरे कमेन्ट पे उभरा... डायलाग डायलाग...
" डर नहीं लगा तुम्हे ..." अंकल ने पुछा.
" बहोत लगा...अगर इन्हें कुछ भी हो जाता एक खरोंच भी लग जाती तो गुड्डी बहोत मारती मुझे और ...भूखा रखती सो अलग..." मैंने मुंह बना के बोला.
अंकल ने शायद नहीं समझा लेकिन सारी लड़कियां 'भूखा रखने' की बात समझ गयीं और मेरे और गुड्डी की ओर देख के मुस्कराने लगीं.
माल सिगरा के पास ही था, और मेहक के अंकल का ही था...उसमें उनके भी चार पांच स्टोर्स भी थे.
लेकिन पूरे शहर में अभी भी अघोषित कर्फ्यू का माहौल था. सड़क पे इक्कि दुक्की गाडियां दिख रही थीं. सिर्फ पुलिस की गाडियां, पीएसी की ट्र्क नजर आ रही थी. जगह जगह चेक पोस्ट, नाका बन्दी लगी हुयी थी. हमारी गाडी भी दो तीन बार रोकी गयी. एक भी रिक्शा नहीं दिख रहा था.
माल में उतरते समय ये तय हुआ की जब तक मैं शर्ट लुंगा, गुड्डी गाडी ले कर रेस्ट हाउस से हमारा सामान कलेक्ट कर के आ जायेगी. और वहां से हम सीधे गुन्जा के यहां.
अंकल ने ये भी बोल दिया था की मैं बस वस के चक्कर में ना पडुं क्योन्की इस माहौल में उसका भी ठिकाना नही है...उन की गाडी मुझे घर तक ड्राप कर आयेगी.
माल में भी आधी से ज्यादा दुकानें बन्द थीं .
लेकिन पूरे शहर में अभी भी अघोषित कर्फ्यू का माहौल था. सड़क पे इक्कि दुक्की गाडियां दिख रही थीं. सिर्फ पुलिस की गाडियां, पीएसी की ट्र्क नजर आ रही थी. जगह जगह चेक पोस्ट, नाका बन्दी लगी हुयी थी. हमारी गाडी भी दो तीन बार रोकी गयी. एक भी रिक्शा नहीं दिख रहा था.
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माल में उतरते समय ये तय हुआ की जब तक मैं शर्ट लुंगा, गुड्डी गाडी ले कर रेस्ट हाउस से हमारा सामान कलेक्ट कर के आ जायेगी. और वहां से हम सीधे गुन्जा के यहां.
अंकल ने ये भी बोल दिया था की मैं बस वस के चक्कर में ना पडुं क्योन्की इस माहौल में उसका भी ठिकाना नही है...उन की गाडी मुझे घर तक ड्राप कर आयेगी.
माल में भी आधी से ज्यादा दुकानें बन्द थीं .
अंकल ने पहले से कपडे वाली दुकान और एक दो स्टोर्स को बोल दिया था. एक छोटा सी मेडिसिन शाप भी उनमें थी.
पहली शाप एक मोबाइल्स की थी मैं उस में घुस गया.
उसमें एक ब्लैक बेरी का भी कियोस्क था. मेरी तो बांछे खिल गयीं. मैने दो ब्लैक बेरी पसंद कर लिये. मेहक मेरे साथ ही लिफाफे पे टिकट की तरह चिपकी थी. वो बोली
" रुकिये मैं बताती हूं और उसने सेल्स मैन को क्या बोला की वो दो नये जस्ट रिलीज हुये टैबलेट और दो आई पैड ले आया. और मेहक ने उसको भी पैक करा दिया.
मैं नही नही करता रह गया. बडा महंगा है...जरुरत नहीं है...इत्यादी इत्यादी.
कौन सुनने वाला था.
मैने अपना कार्ड निकाल के सेल्स मैन को दे दिया, पेमेंट के लिये.
अब तो डबल पेस अटैक चालू हो गया.
मेहक के अंकल एकदम से नाराज हो गये.
" दामाद कहते हो और पैसा देने की कोशिश करते हो...और खास कर इस दुकान में...." मैने दुकान का नाम पहली बार देखा ...मेहक के नाम पे था.
मेहक तो और ज्यादा पूरी ज्वालामुखी..." नहीं नहीं आप को बहोत शौक है ना पेमेन्ट का...वो तो करना पडेगा...लेकिन पहले शापिन्ग पूरी तो कर लीजिये मैं खुद एक एक पैसे का हिसाब लूंगी." और कार्ड और पैकेट दोनो सेल्स मैन के हाथ से उसने ले लिया.
अंकल बोले, " मेहक जरा तुम इनका ख्याल रखना मैं घर चलता हुं." मकान उनका माल से सटा ही था.
" चिन्ता ना करिये मैं इनका बहोत अच्छे से ख्याल रखूंगी."
गुन्जा खडे खडे मुस्करा रही थी.
मैं समझ गया था की ये मेहक भी उसी मिट्टी की बनी है जिसकी गुंजा, गुड्डी और रीत बनी हैं, मस्त बिन्दास और बनारस के रस में घुली.
जैसे ही अंकल आंख से ओझल हुये, मेहक बोली...
" अब बनायेगें तुम्हारी सैन्ड्विच हम दोनो मिल के ...क्यों गुन्जा."
" एकदम , तब पता चलेगा की बनारसी सालियों से पाला पडा है."
बनारसी सालियों को तो मैं सुबह से ही झेल ...सारी...रस ले रहा था...गुड्डी और रीत, फिर गुड्डी और गुन्जा और अब गुन्जा और मेहक.
चुम्मन , शुक्ला ऐसे बनारसी गुंडो को तो मैं निबटा सकता था पर...बनारसी सालियों से तो हार मानने में ही भलायी थी.
स्टोर बंद सा ही था. लेकिन ढेर सारे सेक्शन...ज्यादातर स्टाफ घर चले गये थे, सिर्फ दो चार सेल्स गर्ल बची थीं, और वो भी जिस तरह से मेहक उनसे बात कर रही थी, उसकी सहेलियां ज्यादा लग रही थीं.
जिस जगह मुझे गुन्जा और मेहक ने बैठा दिया वहां लिंगरी सेक्शन, कास्मेटिक्स था. मेरी समझ में नहीं आया की मुझे वहां क्यों बैठाया है..तभी मेरी निगाह बगल में एक छोटे से फार्मेसी सेक्शन पर गयी. मेहक वहीं खडी थी और काउंटर गर्ल से पूछने लगी, डाक्टर कब आयेंगी. उसने जवाब दिया...बस घर से निकल चुकी हैं ५-१० मिनट में पहुंच रही होंगीं.
" डाक्टर क्यों..मैं एक दम ठीक हुं..देखो अब ब्लड भी बन्द है." मैं बोला.
" " नहीं नहीं मैं अपने लिये बुला रही हुं, मेरे हाथ में बडा सा घाव हो गया है, खून से मेरी आधी शर्ट भीग गयी है..इस लिये...अब तुम मेरे हवाले हो ज्यादा बोलोगे तो मुंह बंद कराने के मुझे कय़ी तरीके आते है.
पास खड़ी सेल्स गर्ल्स मुस्करा रही थीं. एक ने बोला भी .." हम हेल्प करें तो गुंजा बोली .
."अभी तो हम दोनों ही काफी हैं हां जरूरत पड़ेगी तो क्यों नहीं,"
मेहक ने सीधे मुद्दे पे आते हुए कहा..." चलो कपडे उतारो.."
मैं हक्काबक्का रह गया..इतनी लड़कियों के सामने ...अकेले में तो चलो...जब साली बनी गयी है तो देख लेने दो...गुड्डी ने देख लिया, रीत ने देख लिया...गुंजा ने देख लिया तो ये मेहक भी...
लेकिन मेरी बात वैसे ही रह गयी जब मेहक ने साफ कर दिया की बात सिर्फ शर्ट उतारने के लिए है...और वो भी दो वजह से एक तो नयी शर्ट नापनी है दूसरे अगर डाक्टरनी साहिबा को चोट देखनी है तो शर्ट उतारनी पड़ेगी ना..."
गुंजा ने बोला,
" यार मेहक बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन जिसके हाथ में इतनी चोट हो वो कैसे अपने हाथ से कुछ भी कर पायेगा..."
" अरे हम हैं ना...दो सेल्स गर्ल्स बोलीं और एक झटके में आके शर्ट उतार दी.
" हे बनियान में भी तो ब्लड लगा है" एक बोली.
तो उसको भी उतार दो ना..." मेहक बोली...और वो भी उतर गयी और मैं अब पूरी तरह टापलेस...
अब वहां मैं , महक, गुंजा और तीन सेल्स गर्ल्स.
" गुंजा यार तुम इसके साथ जाके शर्ट चेक करो ज़रा, मैं अभी आती हूँ...डाक्टर भाभी को फोन कर " मेहक बोली.
गुंजा एक सेल्स गर्ल के साथ चली गयी.
मेहक मेरे पीछे आके खड़ी हो गयी, लगभग मुझसे सटी हुयी...
उसकी गरम गरम साँसे मेरी गर्दन पे छु रही थीं.
उसने एक उंगली से मेरी गर्दन पे छुआ.
मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
" हे तू जरा जा और डाक्टर भाभी जैसे ही आयें ..सीधे यहां ले आना.'
अब मेहक और वो सेल्स गर्ल बची जो शायद स्टोर इंचार्ज थी. उसकी एज २६-२७ की रही होगी. बाकी सेल्स गर्ल्स १८-२० की रही होंगी...
सेल्स गर्ल बाहर निकली और मुझे पीछे से मेहक ने अपनी बांहों में जकड लिया.
उसके किशोर उभार मेरी पीठ में रगड़ खा रहे थे. और वो उन्हें हलके हलके दबा रही थी, रगड़ रही थी. उसकी जांघे भी अब मेरे नितम्बो को पीछे से दबा रही थी.
और अगले ही पल उसके दोनों हाथ मेरे सीने थे , उसकी लम्बी उंगलियाँ , बड़े बड़े नाखून मेरे टिट्स के आस पास टहल रहे थे और अचनाक उसने टिट्स को अपने एक लम्बे नाखून से खरोंच दिया. और साथ उसके होंठ मेरे गर्दन पे एक हलकी सी किस और वहां से मेरे इयर लोबस पे ...एक सहलाती हुयी चुम्मी...
अगर समाने वो स्टोर इंचार्ज ना खड़ी होती..तो मैं मुड के मेहक को बता देता...चोट मेरे बाएं हाथ में लगी थी...बाकी अंग तो ठीक ही थे...
" अमीषा ( उस स्टोर इंचार्ज का नाम था...और फिगर उसकी अमीषा पटेल से एक दी नंबर बड़ी ही रही होगीतभी शायद वो लिंगरी सेक्शन की इंचार्ज थी.) ज़रा देख बेल्ट कुछ ज्यादा टाईट सी नहीं लग रही है.."
मेहक बोली
" हां ..." वो झुक के बोली और मेरे बकल ढीले कर दिए.
क्या जबर्दस्त परफ्यूम लगाया था उस अमीषा ने और जब झुकी तो खुल के पूरा क्लीवेज..दोनों गोरी गोरी गोलाइयां...मेरी तो हालत खराब ..और उसी समय...मेहक ने कस के मेरे सीने को दबोच लिया और हलके से दबाने लगी.
मेरे लिए बहोत मुश्किल हो रहा था...और उठते उठते अमीषा ने मेरे पैंट के बल्ज को हलके से ...बल्कि खुल के दबा दिया. और जब वो मुड़ी तो उसके लम्बे खुले लहराते बाल मेरे सीने पे छू गए.
उसके नितम्ब ३६+ रहे होंगे और दरार पूरी तरह दिख रही थी इतनी टाईट ड्रेस थी.
मेहक के जीभ की नोक अब मेरे कान के छेद में और हाथ सीधे बल्ज पे...उसने सहलाया नहीं बल्कि खुल के दबा दिया..'वो' आलमोस्ट ९० डिग्री हो रहा था.
"मैंने बोला था ना की बिल दूंगी मैं ..पूरी तरह ...तो अभी तो बस शुरुआत है...पूरा बिल ...सर्विस टैक्स एक्स्ट्रा " वो मेरे कान में फुसफुसा रही थी ...उसका एक हाथ मेरे बल्ज पे टिका था...
मैं समझ गया था ..की वो की ' बिल ' की बात कर रही थी...
तब तक गुंजा की आवाज दूर से आई" मैंने शर्ट्स देख ली हैं...तू भी एक बार चेक कर ले..."
तब तक गुंजा की आवाज दूर से आई" मैंने शर्ट्स देख ली हैं...तू भी एक बार चेक कर ले..."
" आती हूँ मेरी नानी.." मेहक हंस के बोली...और मुझे पुश कर के सीट पे बैठा दिया.
अब मैं सीट पे और सामने अमीषा स्टूल पे अपने नेल फाइल करती हुयी...मुस्कराते हुए वो बोली...
" आपकी मसल्स बहोत स्ट्रांग हैं..."
मैं भी अब फ्लर्ट करने के मूड में था...मैंने मुस्करा के बोला...
" सारी की सारी..."
वो भी उसी अंदाज में बोल रही थी..." अब जो दिखती है मैं तो उसी के बारे में बोल सकती हूँ...हां जो नहीं दिखती...( वो लगातार मेरे बल्ज को घूरे जा रही थी और जिस तरह से वो पैर पे पर रख के बैठी थी उसकी हाई हील्स ७-८ इंच ही दूर रही होंन्गी ' उन मसल्स ' से)...खैर अंदाज तो लगा ही सकती हूँ की वो भी स्ट्रांग होंगी..."
" आपका अंदाज और गलत..." मैंने बहोत हलके से अपने बल्ज को उचकाते हुए कहा.
मुस्करा के उसने जवाब दिया की उसने सिग्नल समझ लिया है. फिर वो बोली..ईनर वियर के अलावा मैं स्पा की भी इंचार्ज हूँ...मैं और वो लड़की जो बाहर गयी मेरी हेल्पर है...मेनिक्युर , पेडिक्युर और ओनली फ़ोर गर्ल्स ...बाड़ी मसाज...वि हैव सोना, जाकुजी ...और मैं स्वीडिश मसाज, तांत्रिक मसाज, थाई मसाज . शियात्शु.
.मैंने दो साल बैंगकाक के एक सैलून में काम किया है ...एक साल फुकेत में ..लेकिन यहाँ पे ओनली फार गर्ल्स ...हां यु आर एक्सेप्शन ..."
और वो उठ के खड़ी हो गयी..एक प्लेट में उसने दो बड़ी कैंडल्स जलायीं..लैवेंडर की महक हवा मैंने तैर रही थी...फिर एक छोटी सी बाटल से दो बूँद तेल निकाल के अपनी उंगली के टिप्स पे लगाया और मेरे पीछे खड़ी हो गयी.
कैंडल के साथ उसने कोई म्यूजिक भी आन कर दिया था...रेलैक्सिंग ...और वो मेरे पीछे थी. मैं चाह के भी मना नहीं कर पाया.
अमीषा की उंगलियां ...मेरे कन्धों पे ..पहले उसने सिर्फ उनगली के टिप से दबाया फिर जोर जोर से थोड़े ही देर में मेरे कंधे पे उसके दोनों हाथ थे..वो कस कस के मस्साज कर रही थी....
दोपहर को दूकान में जो मार पीट, फिर स्कूल में...सारा दर्द सारी एक थकान साथ उभर आई थी, जो मैंने इतनी देर से बर्दास्त किया था...था पूरी मेरी देह दर्द से डूब गयी..पोर पोर...एक एक मसल्स...लेकिन एक दो मिनट के बाद जब उसने हथेली से कंधे के नीचे मेरी पीठ और एकदम हिप्स तक अपने हाथ से सहलाना, दबाना शुरू किया...लगाने लगा जैसे उसकी उँगलियाँ मेरा सारा दर्द सारी थकान पी जा रही हों...
मेरी आँखे बंद हो ने लगीं मेरा सारा शरीर शिथिल पड़ने लगा...और मैंने सो गया या तंद्रा में चला गया पता नहीं...
मेरी आँख खुली मेहक और गुंजा के शोर से, मुझे लगा घंटो बाद सो के उठा हूँ...लेकिन घडी देखा तो सिर्फ ६ मिनट हुए थे...मेरी सारी थकान, दर्द मसल्स में तनाव सब गायब था...एकदम फ्रेश...
गूंजा और मेहक एक शर्ट लाने गयी थी लेकिन जैसे पूरी दुकान उठा लायी थी. और जब मैंने ध्यान से देखा तो ..बस मेरे मन में यही आया...
" दुष्ट , बदमाश ...." लगता है गुड्डी ने इन सब से शेयर कर रखा था की मुझे पिंक या फ्लोरल प्रिंट नहीं पसंद है...( मैंने गुड्डी से एक बाद कह दिया था की ये सब तो लड़कियों वाले रंग हैं ..छोरियां पहनती हैं)..और शर्ट टी शर्ट कई तो स्लीव लेस थीं..आलमोस्ट ट्रांसपरेंट...
मेहक ने पीछे से मेरे कंधे से मेजर किया और गुंजा से आँख नचा के बोली..." साइज तो सही है लगता है तुमने अच्छी तरह से नापा है..."
" एकदम .." गुंजा टी शर्ट नापते हुए बोली " मेरे जीजू हैं ..नाप के तो देखना ही पडेगा..."
मेहक तुरंत उछल गयी..." थे अब मेरे हैं..."
किसी तरह मौका निकाल के मैं बोला..." अरे यार थोड़ी सोबर व्हाईट या ब्लू... और फिर इतनी ज्यादा..."
मेहक मेरे ऊपर चढ़ गयी..." आप से पुछा किसी ने...आप की पसंद...हमें मालूम है आप की पसंद लेकिन आप की पसंद नापसंद से क्या फरक पड़ता है...चलिए पहनिए इसे ..."
तब तक जिस सेल्स गर्ल को उसने बाहर लगा रखा था उस का मेसेज आया...
डाक्टर साहेब आ रही हैं...
मैं भी थोडा ठीक हो के बैठ गया. गुंजा भी मुझसे दूर हट गयी...
वो किसी ओर से डाक्टर नहीं लग रही थीं...
लाईट ब्लू साडी, एक दम कसी हुयी , सारे उभार और कटाव दिखाती हुयी...हलकी ट्रांसपेरेंट
नूडल स्ट्रैप ब्लाउज, डीप लो कट, एक दम चिपका स्लीवलेस, पीछे से भी बैकलेस, सिर्फ एक पतली सी स्ट्रिंग..और पल्लू भी इस तरह की एक उभार पूरा खुला..
नीचे भी साडी नाभि दर्शना ..गहरी नाभी, चिकना गोरा पेट बहोत पतली कमर और साडी किसी तरह कुल्हे से टिकी, हिप्स बड़े बड़े..
और जिस तरह से मैं उन्हें देख रहा था उसी तरह वो भी मुझे नीचे से ऊपर...मेरी एक एक मसल्स...
और मैं और चौंक गया जिस तरह से वो मेहक से मिलीं.
मेहक ने जोर से उन्हें हाय भाभी बोला और जवाब में उन्होंने मेहक को गले लगा लिया.
और सिर्फ गले ही नहीं लगा लिया जिस तरह से वो दबा रही थीं उसे और मेहक भी रिस्पांस दे रही थी..मेरी तो देख के ...
" हे कहाँ गायब हो गयी थी तू ....:" उन्होंने मेहक के कान में पुछा.
" भाभी वो लम्बी कहानी है...पहले आप इनसे मिलो.." उनसे अपने को छुड़ाती मेहक बोली..." इन्ही के लिए आप को फोन किया था."
जब तक गुंजा मुंह खोलती.... मेहक बोल चुकी थी...ये मेरे जीजू हैं...
"अरे वाह तब तो ये मेरे नंदोई हुए...और सलहज का हक़ तो साल्ली से भी पहले होता है...." वो बोलीं और मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया ..जब मैंने उठने की कोशिश की तो उन्होंने दूसरे हाथ से मेरे कंधे को दबा के बैठा दिया.. इसके दो असर हुए
एक तो जब जब उनका हाथ मेरे कंधे पे था तो उनका पल्लू और बाल मेरे गाल पे छु गए...
और दूसरा जब वो झुकीं तो मेरी निगाह उनकी गोरी गुदाज गोलाइयों पे पड़ गयी बल्कि सच बोलूं तो चिपक गयी..क्या कटाव कया उभार...पूरा क्लीवेज दिख रहा था.
और उसका असर हो होना था हुआ...
' वो' लगभग ९० डिग्री होके सलाम देने लगा..
जैसे किसी भी मर्द की निगाह महिलाओं के सीधे ब्लाउज पे ...मेरा मतलब बूब्स पे पड़ती है...उसी तरह लड़कियों की निगाह भी बल्ज पे भले ही वो हटा लें...
और उनकी निगाह भी वहीँ एक पल के लिए ...फिर वो बोलीं..मैं डाक्टर दिया शर्मा ...
और उनकी निगाह भी वहीँ एक पल के लिए ...फिर वो बोलीं..मैं डाक्टर दिया शर्मा ...
मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो उन्होंने चुप करा दिया.
और मेहक से बोलीं..." हे तेरे जीजू ...इन्हें कहीं लिटा सकते हैं...मेरा मतलब एक्जामिन करने के लिए "
पास खड़ी अमीषा बोली, स्पा में मसाज टेबल है
" तो चलो..." डाक्टर दिया बोलीं.
और मैं स्पा में मसाज टेबल पे लिटा दिया गया. अमीषा, गूंजा और मेहक डाक्टर के साथ खडी थीं.
और जब उन्होंने मेहक की लगाई दुपट्टे की पट्टी खोली तो मेरा दिल धक् से रह गया. बगल के शीशे से साफ दिख रहा था. और मेरे साथ सबका ...
२ इंच गहरा और साढ़े तीन इंच लंबा घाव था ...खून अभी भी रिस रहा था.
अगर चाकू थोड़ा सा और अन्दर गया होता तो हड्डी पे भी घाव हो गया होता.
अब मेरी समझ में मेहक की हरकत आई...वो लड़की है बहोत समझदार...अगर इस घाव के साथ मैं किसी हास्पिटल में जाता तो फिर तमाम सवाल ...स्टेब वूंड था ..पहले पुलिस रिपोर्ट फिर कहाँ लगा...और गर मैं डी बी की सहायता फिर लेता..
.इससे ज्यादा आसान मेहक का तरीका था यहाँ बिना किसी शोर गुल के डाकटर साहेब देख रही थीं.
डाकटर ने एक टार्च मेरी आँख में डाली, उँगलियों को मुड्वाया , घाव के आस पास का स्किन थोड़े ध्यान से देखा तब तक मेहक चालू थीं ...
" भाभी ने अभी बी.एच यु से में. यस . पूरा किया है...और डिप्लोमा..." तब तक डाक्टर दिया ने आँख तर्रेरी और मेहक चुप हो के मुस्कराने लगी.
" घाव बहोत बड़ा है..स्टीच करना पड़ेगा. लेकिन मैं एनेस्थेसिया नहीं लायी हूँ...थोडा दर्द होगा...या फिर किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में...आधे घंटे में अगर नहीं किया तो इन्फेशन सेट कर सकता है...फिर मुश्किल हो जायेगी." डाक्टर दिया बोली.
" अरे आप स्टिच कर दीजिये ना ..कहाँ नर्सिंग होम के चक्कर मैं लगाऊंगा..." मैं बोला...मुझे भी घर जाने की जल्दी थी..." और हाँ अगर बेहाश ही करना है तो ये सब है ना यहाँ ..एक बार मुस्करायेंगी तो मैं बेहोश जाऊँगा..."
सब एक साथ १,२,३ बोल कर मुस्करायीं
लेकिन मैं बेहोश नहीं हुआ.
जिसने लिखा था की मर्द को दर्द नहीं होता एक बार स्टिच करा के देखे ...
६ बड़े बड़े टाँके लगे...
" टाँके कटवाने के लिए..." गूंजा ने पुछा तो डाक्टर ने बोला..." नहीं नहीं ..डिसाल्वेबल हैं...तीन दिन में अपने आप ख़तम हो जायेंगे..हाँ पांच छ दिन में एक बार देखने से ठीक रहता ....लेकिन ये तो आज जा रहे हैं...फिर...?
गुंजा झट से बोली..." हां लेकिन चार पांच दिन के लिए ..रंग पंचमी के पहले ये आ जायेंगे..."
"फिर क्या...फिर तो मैं थारो चेक अप कर लुंगी..." डाक्टर अब डाक्टर से सलहज वाले रंग में आने लगी थीं...
" दवा ..डाक्टर साहेब..." मैं कुछ पूछने की कोशिश की तो उन्होंने बीच में बात काट दिया और मेहक से बोली..
" हे यहाँ कोई डाक्टर वाक्टर है क्या...."
मेहक भी अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के चारो और देखते हुए बोली...
" ना मुझे तो कहीं नहीं दिख रहा है..."
और मेरी ओर आँख तरेर के बोली...
" डाक्टर किसे कह रहे हो...ये मेरी प्यारी होने वाली भाभी हैं और आप मेरे जीजू तो ..."
" ओके डाक्टर भाभी....." मैं बोला.
" सिर्फ भाभी..." ४४० वोल्ट की मुस्कान के साथ जवाब मिला और डांट भी ...
" सिर्फ भाभी..." ४४० वोल्ट की मुस्कान के साथ जवाब मिला और डांट भी ..
." अब चुप रहो...अभी इंजेक्शन लगेंगे और वो भी मोटे मोटे... अमीषा इनकी पैंट नीचे करो..और नीचे हाँ घुटने तक...ये इंजेक्शन तो हिप में लगेंगे ना..."
अमीषा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...मैं पेट के बल लेटा था और जब उसने पैंट नीचे सरकाई तो उसके लम्बे नाखून ..मेरे हिप्स के निचले पोर्शन पे छु गए...जोर का झटका जोर से लगा..लेकिन डाक्टर ऊप्स भाभी को इससे संतोष नहीं हुआ...वो अमीषा से बोलीं
" अरे यार तू तो ट्रेंड नर्स है...क्या इंजेक्शन चड्ढी के ऊपर से लगेगा , इसे भी तो सरकाओ नीचे ..."
पता नहीं ये अमीषा की बदमाशी थी या मेहक और गुंजा की करतूत...चड्ढी भी घुटने तक पहुँच गयी और अबकी अमीषा ने दोनों हाथ का इस्तेमाल किया...दो उंगलियाँ...वहां भी छु गयीं...क्या हालात हुयी होगी कोई भी सोच सकता है.
गूंजा और मेहक ने स्कूल के बारे में बताना शुरू किया, बस चुम्मन का नाम और उससे जुडी बातें वो गोल कर गयीं ये कह के ...की दो गुंडे थे...( ये मैंने तीनों को और गुड्डी को भी अच्छी तरह समझा दिया था की उस का नाम किसी के सामने न लें.)
" उयी ...." मैं जोर से चिल्लाया.
अमीषा ने इंजेक्शन लगा दिया था.
सारी की सारी ...मुझे देख के मुस्करा रही थीं...
" अभी एक और लगाना है ..." अमीषा बोली "ये तो टिटनेस वाला था अभी एंटी बायोटिक बाकी है..." वो आराम से धीरे धीरे मेरे खुले नितम्ब पे इथर लगा रही थी.
"नहीं , उसकी तो आई वि लगानी पड़ेगी ..." डाक्टर कम भाभी बोलीं. एक छोटी बाटल १० मिनट में हो जायेगी...फिर इन्हें घर जाके सिर्फ ओरल लेनी होंगी..."
"भाभी ...वो वाला इंजेक्सन लगा दीजिये ना तबियत हरी हो जायेगी...इनकी एकदम ...." मेहक मुस्कराते हुए बोली.
तू ना ...डाक्टर दिया ने उसे डपटा ...फिर मेरे नितम्बों को हलके से छूया और छूते हुए उनकी लम्बी उँगलियाँ आगे भी टच कर गयीं.
बड़ी मुश्किल से उसे मैंने ९० डिग्री होने से रोका...
" हूँ रियेक्शन तो ठीक है..." मुस्कराते हुए वो बोलीं...चल तू बोल रही है तो लेकिन बहोत लाईट डोज "
" नहीं भाभी ...कम से कम मीडियम डोज ..." मेहक बोली.
" ओके चल तू भी क्या याद करेगी ..." डाक्टर दिया बोलीं.
" भाभी मास्टर्स के बाद ...इ डी में डिप्लोमा करेंगी..." मेहक ने मुस्कराते हुए बोला.
इ डी मतलब एरेक्टाइल डिस फंक्शन ...इतना तो मुझे भी मालूम था...
तुरंत मेंहक के कान पकड़ लिए गए. " ये बताना जरुरी था..." मुस्कराते हुए डाक्टर कम भाभी बोलीं.
" अरे आपके ननदोई हैं...इनसे क्या शर्म ..." मेहक बोली. उस के कान अभी भी दिया के हाथ में थे.
" वैसे इन्हें कोई जरुरत नहीं पड़ने वाली हाँ लौट के आयेंगे तो मैं जरुर डिटेल में चेक करुँगी..."
कान मेहक के उनके हाथ में थे लेकिन वो देख मुझे रही थीं.
" रिटेलिंन है, " अबकी वो अमीषा से बोली.
" हाँ एक वायल है..." अमीषा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया. फिर दो तीन और दवाएं डाकटर दिया ने बोला और अमीषा ने कुछ देर में दवाओं का काकटेल तैयार कर दिया.
और एक इंजेक्सन और हिप के निचले हिस्से में....पल भर में मुझे लगा मेरा सारा दर्द गायब मैं उठने लगा तो अमीषा ने फिर लिटा दिया...और मेरे कान में होंठ लगा के बोली...
" चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह आँख बंद कर लो...बस २ मिनट तक और अच्छी अच्छी बातें सोचो."
और उसने मेरी चड्ढी और पैंट ऊपर कर दिया.
गूंजा मेहक और डाक्टर दिया बाहर चली गयी थीं.
हाँ अमीषा ने पैंट ठीक करते करते...मेरे अब लगभग तने जंगबहादुर को कस के रगड़ दिया. और अपने मोटे मोटे नितम्ब मटकाती चल दी.
जब मैंने आँखे बंद की तो बस वही, बड़े बड़े कसे नितम्ब मेरी आँखों के सामने थे और फिर डाक्टर भाभी की गोलाइयां..गोरी गुदाज, मेहक और फिर गुड्डी ...दो मिनट में न जाने कहाँ की ताकत मेरे अंदर आगई और आँखों के सामने बस..
" सो गए क्या..."
मेहक की आवाज बाहर से आई और मैं उठ के बाहर निकला. जहाँ हम पहले बैठे थे लिंगरी और कास्मेटिक्स के काउंटर के पास..वहीँ सारे लोग थे एक आई वी स्टैंड अमीषा और डाक्टर भाभी मिल के लगा रहे थे. उन लोगों ने मिल के ड्रिप लगा दी.
एक सेल्स गर्ल काफी, पेस्ट्री और साल्टेड काजू ले आई.
अमीषा ने मेरे पैर एक फूट बाथ टब में डाल दिए थे, उसमें कुछ गुलाब की पंखुडियां पड़ी हुयीं थीं और एक दो साल्ट्स पड़े थे. नीचे मारबल राक्स थीं जो मेरे तलुवें में हलके हलके रगड़ रही थी.गुनगुने पानी में अमीषा ने लवेंडर तेल की कुछ बूंदे भी डाल दी थीं जो बहोत रिलैक्सिंग थीं. साथ में वो मेरे ऐन्कल्स का मस्साज भी कर रही थी.
ड्रिप ख़तम होने के पहले उसने मेरे पैर निकाल लिए और टावेल से रगड़कर उसे एक्स्फोलियेट भी कर दिया.पूरी देह एकदम हलकी सी हो गयी.
तभी मेरा फोन बजा. गुड्डी का फोन था वो बस दो मिनट में पहुँच रही थी.
मेरी ड्रिप निकलते हुए डाक्टर भाभी ने कहा, बस अब तुम्हे किसी इंजेक्शन की जरुरत नहीं पड़ेगी. हाँ कुछ पिल्स मैं फार्मेसी पे निकलवा देती हूँ और एक दो ड्रेसिंग..वो आप ले लीजियेगा.
गुंजा ने कहा मैं समझ लेती हूँ...मेहक बोली ठीक है वैसे गुड्डी भी पहुँच ही रही हैं और वो इनके साथ जायेंगी तो आप उनको समझा दीजियेगा तो और बेहतर रहेगा. .."
" वो तो बेस्ट है उसे मैं ड्रेसिंग भी समझा दूंगी..एक दो बार चेंज करना होगा बस..." डाक्टर भाभी बोलीं और गुंजा के साथ फार्मसी की ओर चल दीं.
" बिल अभी बाकी है..." मेहक ने आंख नचा के कहा.. और उसमें काउंटर से एक बिल निकाल लिया.
एकदम मैं बोला ...,,,मेरे मन में कुछ कुछ हो रहा था ( वो तो मुझे बाद में पता चला की जो दूसरा इंजेक्शन था उसमें .युफोरिक और सटीम्युलेंट दवाओं का मिक्सचर था , जो स्लो रिलीज थीं.और उसका पूरा असर ४-५ घंटे में होने वाला था)
मेहक ने एक डार्क कलर की लिपस्टिक निकाल के अपने होंठों पे अच्छी तरह लगा ली और फिर बिल पे पेमेंट की जगह अपने होंठों से किस कर लिया.
वहां उसके लिप्स का निशान पड़ गए थे.मेरी ओर बिल बढ़ा के वो मुस्करा के बोली...पेमेंट प्लीज ...
श्योर मैं बोला और उसे बाहों में भर के मेरे होंठ उस के होंठों पे चिपक गए.
और उसके होंठों ने उसी गरम जोशी से जवाब दिया...मेरे होंठो को अपने आलिंगन में भरकर और उसकी जीभ मेरे मुंह में घुस गयी.
मेरे हाथ उसके स्कूल यूनिफार्म में कैद उन रुई के फाहे ऐसे बादलों पे पड़ गए जिन्हें सीढ़ी पे गलती से मैंने छु दिया था लेकिन अब की ना मैंने हाथ हटाया ना सारी बोला बल्कि हलके से दबा दिया.
बगल के कमरे से गुड्डी की आवाजें आने लगी थीं.
मेहक मुझसे अलग होगयी.
मैं ने बोला क्यों हो गया पेमेंट पूरा हो गया..
उसने जोर से ना में सर हिलाया और मुस्करा के बोली ये तो सिर्फ एडवांस था
तब तक गुंजा आगई और बोली ...
क्यों हो गया बिल पेमेंट...और मेहक के हाथ से वो लिपस्टिक ले के मुझे दे दिया...ले लीजिये याद रहेगा मेरी सहेली का बिल..
" हे तुम्हारे पास स्ल्ट रेड है क्या..." गुंजा ने अमीषा से पुछा..."
एक दम वो बोली और उसने निकल के दे दिया. गुंजा ने वो और तीन चार शेड के लिपस्टिक ले लिए.
हम लोग बाहर निकले तो डाक्टर भाभी जा चुकी थीं और गुड्डी काउंटर से दवाएं ले रही थी.
मेहक की गाडी से मैं गुंजा और गुड्डी चल दिए.
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फागुन के दिन चार--59
गतांक से आगे ...........
" दो नयी सालियां...और फिर जब मेहक मेरी साली हो गयी तो मैं तो आपका दामाद तो वैसे ही हो गया...कहते हैं जामाता दसवां ग्रह...तो फिर तो मैं लगतार लेता रहुंगा...एक बार में थोडे ही छोडुंगा...क्यों मेहक."
मेहक के गाल थोडे से लाल हो गये मेरे द्विअर्थी डायलाग का मतलब समझ कर ..मुस्करा कर वो बोली..." हां एकदम..."
" चलें..." गुड्डी और गुंजा से मैने कहा, " वैसे भी बहोत देर हो गयी है इसे घर ड्राप कर फिर सामान पिक अप करना है और बस पकडनी है."
" आप ...तुम जाओगे कैसे..." अंकल बोले.
" क्यों रिक्शा कर लेंगें हम...पास में ही जाना है, नयी सडक के पास...गुंजा को छोड के हम चले जायेंगे...और अब तो रिक्शा चलने लगा होगा."
" तुम ना कैसे दामाद हो...अरे मेरे साथ चलो..." और तब उनकी निगाह मेरे शर्ट पे पडी...
" अरे इतना खून ...शर्ट तो बदल लेते..." वो बोले.
" नही...वो तो मैं रेस्ट हाउस जा के ही चेंज कर पाउंगा..चलेगा तब तक..." मैं बोला.
हम लोग गाडी में बैठ गये.
गुड्डी आगे बैठ गयी. पीछे हम चारों...
जैस्मिन का घर नजदीक था उसे हम लोगों ने ड्राप कर दिया..
.फिर मेहक बोली..." ऐसा कीजिये माल चलते हैं..वहां इनके लिये एक शर्ट ले लेते है..वर्ना हर चौराहे पे पुलिस वालों को ये जवाब देते फिरेंगे... और कहीं पकड लिये गये...तो रात थाने में गुजरेगी."
" एकदम सही कहा तुमने.. इसके पहले भी ये आज थाने जातेजाते बचे हैं.” गुड्डी बोली.
" उन लोगों के पास तो हथियार रहे होंगे ...." ड्राइव करते हुए आगे से मेहक के अंकल ने पुछा...
" दो बड़े बड़े चाक़ू, एक रिवाल्वर और एक बम्ब ..." गूंजा और मेहक साथ साथ पीछे से बोलीं.
" और तुम्हारे पास ..." उन्होंने फिर पूछा. अबकी जवाब गुड्डी ने दिया.
" मेरी चिमटी, मेरे बाल का काँटा, चुडिया और पायल ..."
और चारो खिलखिलाने लगीं.
" हाँ और सब उन्होंने गुमा दिया..." गुड्डी फिर मुंह फुला के बोली.
" अरे मत उदास हो सब तुम्हे हम दिलवा देंगे..." अंकल बोले. वो भी अब लड़कियों के ही स्प्रिट में आ गए थे.
"मेरा असली हथियार था...मेरी सालियाँ, और आप बुजुर्गों का आशीर्वाद..." मैंने पीछे से सही जवाब देने की कोशिश की.
" मक्खन बहोत जबर्दस्त लगाते हो...तुम ." अंकल बोले.
और पीछे से ..समवेत स्वर साथ साथ मेरे कमेन्ट पे उभरा... डायलाग डायलाग...
" डर नहीं लगा तुम्हे ..." अंकल ने पुछा.
" बहोत लगा...अगर इन्हें कुछ भी हो जाता एक खरोंच भी लग जाती तो गुड्डी बहोत मारती मुझे और ...भूखा रखती सो अलग..." मैंने मुंह बना के बोला.
अंकल ने शायद नहीं समझा लेकिन सारी लड़कियां 'भूखा रखने' की बात समझ गयीं और मेरे और गुड्डी की ओर देख के मुस्कराने लगीं.
माल सिगरा के पास ही था, और मेहक के अंकल का ही था...उसमें उनके भी चार पांच स्टोर्स भी थे.
लेकिन पूरे शहर में अभी भी अघोषित कर्फ्यू का माहौल था. सड़क पे इक्कि दुक्की गाडियां दिख रही थीं. सिर्फ पुलिस की गाडियां, पीएसी की ट्र्क नजर आ रही थी. जगह जगह चेक पोस्ट, नाका बन्दी लगी हुयी थी. हमारी गाडी भी दो तीन बार रोकी गयी. एक भी रिक्शा नहीं दिख रहा था.
माल में उतरते समय ये तय हुआ की जब तक मैं शर्ट लुंगा, गुड्डी गाडी ले कर रेस्ट हाउस से हमारा सामान कलेक्ट कर के आ जायेगी. और वहां से हम सीधे गुन्जा के यहां.
अंकल ने ये भी बोल दिया था की मैं बस वस के चक्कर में ना पडुं क्योन्की इस माहौल में उसका भी ठिकाना नही है...उन की गाडी मुझे घर तक ड्राप कर आयेगी.
माल में भी आधी से ज्यादा दुकानें बन्द थीं .
लेकिन पूरे शहर में अभी भी अघोषित कर्फ्यू का माहौल था. सड़क पे इक्कि दुक्की गाडियां दिख रही थीं. सिर्फ पुलिस की गाडियां, पीएसी की ट्र्क नजर आ रही थी. जगह जगह चेक पोस्ट, नाका बन्दी लगी हुयी थी. हमारी गाडी भी दो तीन बार रोकी गयी. एक भी रिक्शा नहीं दिख रहा था.
.....
माल में उतरते समय ये तय हुआ की जब तक मैं शर्ट लुंगा, गुड्डी गाडी ले कर रेस्ट हाउस से हमारा सामान कलेक्ट कर के आ जायेगी. और वहां से हम सीधे गुन्जा के यहां.
अंकल ने ये भी बोल दिया था की मैं बस वस के चक्कर में ना पडुं क्योन्की इस माहौल में उसका भी ठिकाना नही है...उन की गाडी मुझे घर तक ड्राप कर आयेगी.
माल में भी आधी से ज्यादा दुकानें बन्द थीं .
अंकल ने पहले से कपडे वाली दुकान और एक दो स्टोर्स को बोल दिया था. एक छोटा सी मेडिसिन शाप भी उनमें थी.
पहली शाप एक मोबाइल्स की थी मैं उस में घुस गया.
उसमें एक ब्लैक बेरी का भी कियोस्क था. मेरी तो बांछे खिल गयीं. मैने दो ब्लैक बेरी पसंद कर लिये. मेहक मेरे साथ ही लिफाफे पे टिकट की तरह चिपकी थी. वो बोली
" रुकिये मैं बताती हूं और उसने सेल्स मैन को क्या बोला की वो दो नये जस्ट रिलीज हुये टैबलेट और दो आई पैड ले आया. और मेहक ने उसको भी पैक करा दिया.
मैं नही नही करता रह गया. बडा महंगा है...जरुरत नहीं है...इत्यादी इत्यादी.
कौन सुनने वाला था.
मैने अपना कार्ड निकाल के सेल्स मैन को दे दिया, पेमेंट के लिये.
अब तो डबल पेस अटैक चालू हो गया.
मेहक के अंकल एकदम से नाराज हो गये.
" दामाद कहते हो और पैसा देने की कोशिश करते हो...और खास कर इस दुकान में...." मैने दुकान का नाम पहली बार देखा ...मेहक के नाम पे था.
मेहक तो और ज्यादा पूरी ज्वालामुखी..." नहीं नहीं आप को बहोत शौक है ना पेमेन्ट का...वो तो करना पडेगा...लेकिन पहले शापिन्ग पूरी तो कर लीजिये मैं खुद एक एक पैसे का हिसाब लूंगी." और कार्ड और पैकेट दोनो सेल्स मैन के हाथ से उसने ले लिया.
अंकल बोले, " मेहक जरा तुम इनका ख्याल रखना मैं घर चलता हुं." मकान उनका माल से सटा ही था.
" चिन्ता ना करिये मैं इनका बहोत अच्छे से ख्याल रखूंगी."
गुन्जा खडे खडे मुस्करा रही थी.
मैं समझ गया था की ये मेहक भी उसी मिट्टी की बनी है जिसकी गुंजा, गुड्डी और रीत बनी हैं, मस्त बिन्दास और बनारस के रस में घुली.
जैसे ही अंकल आंख से ओझल हुये, मेहक बोली...
" अब बनायेगें तुम्हारी सैन्ड्विच हम दोनो मिल के ...क्यों गुन्जा."
" एकदम , तब पता चलेगा की बनारसी सालियों से पाला पडा है."
बनारसी सालियों को तो मैं सुबह से ही झेल ...सारी...रस ले रहा था...गुड्डी और रीत, फिर गुड्डी और गुन्जा और अब गुन्जा और मेहक.
चुम्मन , शुक्ला ऐसे बनारसी गुंडो को तो मैं निबटा सकता था पर...बनारसी सालियों से तो हार मानने में ही भलायी थी.
स्टोर बंद सा ही था. लेकिन ढेर सारे सेक्शन...ज्यादातर स्टाफ घर चले गये थे, सिर्फ दो चार सेल्स गर्ल बची थीं, और वो भी जिस तरह से मेहक उनसे बात कर रही थी, उसकी सहेलियां ज्यादा लग रही थीं.
जिस जगह मुझे गुन्जा और मेहक ने बैठा दिया वहां लिंगरी सेक्शन, कास्मेटिक्स था. मेरी समझ में नहीं आया की मुझे वहां क्यों बैठाया है..तभी मेरी निगाह बगल में एक छोटे से फार्मेसी सेक्शन पर गयी. मेहक वहीं खडी थी और काउंटर गर्ल से पूछने लगी, डाक्टर कब आयेंगी. उसने जवाब दिया...बस घर से निकल चुकी हैं ५-१० मिनट में पहुंच रही होंगीं.
" डाक्टर क्यों..मैं एक दम ठीक हुं..देखो अब ब्लड भी बन्द है." मैं बोला.
" " नहीं नहीं मैं अपने लिये बुला रही हुं, मेरे हाथ में बडा सा घाव हो गया है, खून से मेरी आधी शर्ट भीग गयी है..इस लिये...अब तुम मेरे हवाले हो ज्यादा बोलोगे तो मुंह बंद कराने के मुझे कय़ी तरीके आते है.
पास खड़ी सेल्स गर्ल्स मुस्करा रही थीं. एक ने बोला भी .." हम हेल्प करें तो गुंजा बोली .
."अभी तो हम दोनों ही काफी हैं हां जरूरत पड़ेगी तो क्यों नहीं,"
मेहक ने सीधे मुद्दे पे आते हुए कहा..." चलो कपडे उतारो.."
मैं हक्काबक्का रह गया..इतनी लड़कियों के सामने ...अकेले में तो चलो...जब साली बनी गयी है तो देख लेने दो...गुड्डी ने देख लिया, रीत ने देख लिया...गुंजा ने देख लिया तो ये मेहक भी...
लेकिन मेरी बात वैसे ही रह गयी जब मेहक ने साफ कर दिया की बात सिर्फ शर्ट उतारने के लिए है...और वो भी दो वजह से एक तो नयी शर्ट नापनी है दूसरे अगर डाक्टरनी साहिबा को चोट देखनी है तो शर्ट उतारनी पड़ेगी ना..."
गुंजा ने बोला,
" यार मेहक बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन जिसके हाथ में इतनी चोट हो वो कैसे अपने हाथ से कुछ भी कर पायेगा..."
" अरे हम हैं ना...दो सेल्स गर्ल्स बोलीं और एक झटके में आके शर्ट उतार दी.
" हे बनियान में भी तो ब्लड लगा है" एक बोली.
तो उसको भी उतार दो ना..." मेहक बोली...और वो भी उतर गयी और मैं अब पूरी तरह टापलेस...
अब वहां मैं , महक, गुंजा और तीन सेल्स गर्ल्स.
" गुंजा यार तुम इसके साथ जाके शर्ट चेक करो ज़रा, मैं अभी आती हूँ...डाक्टर भाभी को फोन कर " मेहक बोली.
गुंजा एक सेल्स गर्ल के साथ चली गयी.
मेहक मेरे पीछे आके खड़ी हो गयी, लगभग मुझसे सटी हुयी...
उसकी गरम गरम साँसे मेरी गर्दन पे छु रही थीं.
उसने एक उंगली से मेरी गर्दन पे छुआ.
मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
" हे तू जरा जा और डाक्टर भाभी जैसे ही आयें ..सीधे यहां ले आना.'
अब मेहक और वो सेल्स गर्ल बची जो शायद स्टोर इंचार्ज थी. उसकी एज २६-२७ की रही होगी. बाकी सेल्स गर्ल्स १८-२० की रही होंगी...
सेल्स गर्ल बाहर निकली और मुझे पीछे से मेहक ने अपनी बांहों में जकड लिया.
उसके किशोर उभार मेरी पीठ में रगड़ खा रहे थे. और वो उन्हें हलके हलके दबा रही थी, रगड़ रही थी. उसकी जांघे भी अब मेरे नितम्बो को पीछे से दबा रही थी.
और अगले ही पल उसके दोनों हाथ मेरे सीने थे , उसकी लम्बी उंगलियाँ , बड़े बड़े नाखून मेरे टिट्स के आस पास टहल रहे थे और अचनाक उसने टिट्स को अपने एक लम्बे नाखून से खरोंच दिया. और साथ उसके होंठ मेरे गर्दन पे एक हलकी सी किस और वहां से मेरे इयर लोबस पे ...एक सहलाती हुयी चुम्मी...
अगर समाने वो स्टोर इंचार्ज ना खड़ी होती..तो मैं मुड के मेहक को बता देता...चोट मेरे बाएं हाथ में लगी थी...बाकी अंग तो ठीक ही थे...
" अमीषा ( उस स्टोर इंचार्ज का नाम था...और फिगर उसकी अमीषा पटेल से एक दी नंबर बड़ी ही रही होगीतभी शायद वो लिंगरी सेक्शन की इंचार्ज थी.) ज़रा देख बेल्ट कुछ ज्यादा टाईट सी नहीं लग रही है.."
मेहक बोली
" हां ..." वो झुक के बोली और मेरे बकल ढीले कर दिए.
क्या जबर्दस्त परफ्यूम लगाया था उस अमीषा ने और जब झुकी तो खुल के पूरा क्लीवेज..दोनों गोरी गोरी गोलाइयां...मेरी तो हालत खराब ..और उसी समय...मेहक ने कस के मेरे सीने को दबोच लिया और हलके से दबाने लगी.
मेरे लिए बहोत मुश्किल हो रहा था...और उठते उठते अमीषा ने मेरे पैंट के बल्ज को हलके से ...बल्कि खुल के दबा दिया. और जब वो मुड़ी तो उसके लम्बे खुले लहराते बाल मेरे सीने पे छू गए.
उसके नितम्ब ३६+ रहे होंगे और दरार पूरी तरह दिख रही थी इतनी टाईट ड्रेस थी.
मेहक के जीभ की नोक अब मेरे कान के छेद में और हाथ सीधे बल्ज पे...उसने सहलाया नहीं बल्कि खुल के दबा दिया..'वो' आलमोस्ट ९० डिग्री हो रहा था.
"मैंने बोला था ना की बिल दूंगी मैं ..पूरी तरह ...तो अभी तो बस शुरुआत है...पूरा बिल ...सर्विस टैक्स एक्स्ट्रा " वो मेरे कान में फुसफुसा रही थी ...उसका एक हाथ मेरे बल्ज पे टिका था...
मैं समझ गया था ..की वो की ' बिल ' की बात कर रही थी...
तब तक गुंजा की आवाज दूर से आई" मैंने शर्ट्स देख ली हैं...तू भी एक बार चेक कर ले..."
तब तक गुंजा की आवाज दूर से आई" मैंने शर्ट्स देख ली हैं...तू भी एक बार चेक कर ले..."
" आती हूँ मेरी नानी.." मेहक हंस के बोली...और मुझे पुश कर के सीट पे बैठा दिया.
अब मैं सीट पे और सामने अमीषा स्टूल पे अपने नेल फाइल करती हुयी...मुस्कराते हुए वो बोली...
" आपकी मसल्स बहोत स्ट्रांग हैं..."
मैं भी अब फ्लर्ट करने के मूड में था...मैंने मुस्करा के बोला...
" सारी की सारी..."
वो भी उसी अंदाज में बोल रही थी..." अब जो दिखती है मैं तो उसी के बारे में बोल सकती हूँ...हां जो नहीं दिखती...( वो लगातार मेरे बल्ज को घूरे जा रही थी और जिस तरह से वो पैर पे पर रख के बैठी थी उसकी हाई हील्स ७-८ इंच ही दूर रही होंन्गी ' उन मसल्स ' से)...खैर अंदाज तो लगा ही सकती हूँ की वो भी स्ट्रांग होंगी..."
" आपका अंदाज और गलत..." मैंने बहोत हलके से अपने बल्ज को उचकाते हुए कहा.
मुस्करा के उसने जवाब दिया की उसने सिग्नल समझ लिया है. फिर वो बोली..ईनर वियर के अलावा मैं स्पा की भी इंचार्ज हूँ...मैं और वो लड़की जो बाहर गयी मेरी हेल्पर है...मेनिक्युर , पेडिक्युर और ओनली फ़ोर गर्ल्स ...बाड़ी मसाज...वि हैव सोना, जाकुजी ...और मैं स्वीडिश मसाज, तांत्रिक मसाज, थाई मसाज . शियात्शु.
.मैंने दो साल बैंगकाक के एक सैलून में काम किया है ...एक साल फुकेत में ..लेकिन यहाँ पे ओनली फार गर्ल्स ...हां यु आर एक्सेप्शन ..."
और वो उठ के खड़ी हो गयी..एक प्लेट में उसने दो बड़ी कैंडल्स जलायीं..लैवेंडर की महक हवा मैंने तैर रही थी...फिर एक छोटी सी बाटल से दो बूँद तेल निकाल के अपनी उंगली के टिप्स पे लगाया और मेरे पीछे खड़ी हो गयी.
कैंडल के साथ उसने कोई म्यूजिक भी आन कर दिया था...रेलैक्सिंग ...और वो मेरे पीछे थी. मैं चाह के भी मना नहीं कर पाया.
अमीषा की उंगलियां ...मेरे कन्धों पे ..पहले उसने सिर्फ उनगली के टिप से दबाया फिर जोर जोर से थोड़े ही देर में मेरे कंधे पे उसके दोनों हाथ थे..वो कस कस के मस्साज कर रही थी....
दोपहर को दूकान में जो मार पीट, फिर स्कूल में...सारा दर्द सारी एक थकान साथ उभर आई थी, जो मैंने इतनी देर से बर्दास्त किया था...था पूरी मेरी देह दर्द से डूब गयी..पोर पोर...एक एक मसल्स...लेकिन एक दो मिनट के बाद जब उसने हथेली से कंधे के नीचे मेरी पीठ और एकदम हिप्स तक अपने हाथ से सहलाना, दबाना शुरू किया...लगाने लगा जैसे उसकी उँगलियाँ मेरा सारा दर्द सारी थकान पी जा रही हों...
मेरी आँखे बंद हो ने लगीं मेरा सारा शरीर शिथिल पड़ने लगा...और मैंने सो गया या तंद्रा में चला गया पता नहीं...
मेरी आँख खुली मेहक और गुंजा के शोर से, मुझे लगा घंटो बाद सो के उठा हूँ...लेकिन घडी देखा तो सिर्फ ६ मिनट हुए थे...मेरी सारी थकान, दर्द मसल्स में तनाव सब गायब था...एकदम फ्रेश...
गूंजा और मेहक एक शर्ट लाने गयी थी लेकिन जैसे पूरी दुकान उठा लायी थी. और जब मैंने ध्यान से देखा तो ..बस मेरे मन में यही आया...
" दुष्ट , बदमाश ...." लगता है गुड्डी ने इन सब से शेयर कर रखा था की मुझे पिंक या फ्लोरल प्रिंट नहीं पसंद है...( मैंने गुड्डी से एक बाद कह दिया था की ये सब तो लड़कियों वाले रंग हैं ..छोरियां पहनती हैं)..और शर्ट टी शर्ट कई तो स्लीव लेस थीं..आलमोस्ट ट्रांसपरेंट...
मेहक ने पीछे से मेरे कंधे से मेजर किया और गुंजा से आँख नचा के बोली..." साइज तो सही है लगता है तुमने अच्छी तरह से नापा है..."
" एकदम .." गुंजा टी शर्ट नापते हुए बोली " मेरे जीजू हैं ..नाप के तो देखना ही पडेगा..."
मेहक तुरंत उछल गयी..." थे अब मेरे हैं..."
किसी तरह मौका निकाल के मैं बोला..." अरे यार थोड़ी सोबर व्हाईट या ब्लू... और फिर इतनी ज्यादा..."
मेहक मेरे ऊपर चढ़ गयी..." आप से पुछा किसी ने...आप की पसंद...हमें मालूम है आप की पसंद लेकिन आप की पसंद नापसंद से क्या फरक पड़ता है...चलिए पहनिए इसे ..."
तब तक जिस सेल्स गर्ल को उसने बाहर लगा रखा था उस का मेसेज आया...
डाक्टर साहेब आ रही हैं...
मैं भी थोडा ठीक हो के बैठ गया. गुंजा भी मुझसे दूर हट गयी...
वो किसी ओर से डाक्टर नहीं लग रही थीं...
लाईट ब्लू साडी, एक दम कसी हुयी , सारे उभार और कटाव दिखाती हुयी...हलकी ट्रांसपेरेंट
नूडल स्ट्रैप ब्लाउज, डीप लो कट, एक दम चिपका स्लीवलेस, पीछे से भी बैकलेस, सिर्फ एक पतली सी स्ट्रिंग..और पल्लू भी इस तरह की एक उभार पूरा खुला..
नीचे भी साडी नाभि दर्शना ..गहरी नाभी, चिकना गोरा पेट बहोत पतली कमर और साडी किसी तरह कुल्हे से टिकी, हिप्स बड़े बड़े..
और जिस तरह से मैं उन्हें देख रहा था उसी तरह वो भी मुझे नीचे से ऊपर...मेरी एक एक मसल्स...
और मैं और चौंक गया जिस तरह से वो मेहक से मिलीं.
मेहक ने जोर से उन्हें हाय भाभी बोला और जवाब में उन्होंने मेहक को गले लगा लिया.
और सिर्फ गले ही नहीं लगा लिया जिस तरह से वो दबा रही थीं उसे और मेहक भी रिस्पांस दे रही थी..मेरी तो देख के ...
" हे कहाँ गायब हो गयी थी तू ....:" उन्होंने मेहक के कान में पुछा.
" भाभी वो लम्बी कहानी है...पहले आप इनसे मिलो.." उनसे अपने को छुड़ाती मेहक बोली..." इन्ही के लिए आप को फोन किया था."
जब तक गुंजा मुंह खोलती.... मेहक बोल चुकी थी...ये मेरे जीजू हैं...
"अरे वाह तब तो ये मेरे नंदोई हुए...और सलहज का हक़ तो साल्ली से भी पहले होता है...." वो बोलीं और मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया ..जब मैंने उठने की कोशिश की तो उन्होंने दूसरे हाथ से मेरे कंधे को दबा के बैठा दिया.. इसके दो असर हुए
एक तो जब जब उनका हाथ मेरे कंधे पे था तो उनका पल्लू और बाल मेरे गाल पे छु गए...
और दूसरा जब वो झुकीं तो मेरी निगाह उनकी गोरी गुदाज गोलाइयों पे पड़ गयी बल्कि सच बोलूं तो चिपक गयी..क्या कटाव कया उभार...पूरा क्लीवेज दिख रहा था.
और उसका असर हो होना था हुआ...
' वो' लगभग ९० डिग्री होके सलाम देने लगा..
जैसे किसी भी मर्द की निगाह महिलाओं के सीधे ब्लाउज पे ...मेरा मतलब बूब्स पे पड़ती है...उसी तरह लड़कियों की निगाह भी बल्ज पे भले ही वो हटा लें...
और उनकी निगाह भी वहीँ एक पल के लिए ...फिर वो बोलीं..मैं डाक्टर दिया शर्मा ...
और उनकी निगाह भी वहीँ एक पल के लिए ...फिर वो बोलीं..मैं डाक्टर दिया शर्मा ...
मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो उन्होंने चुप करा दिया.
और मेहक से बोलीं..." हे तेरे जीजू ...इन्हें कहीं लिटा सकते हैं...मेरा मतलब एक्जामिन करने के लिए "
पास खड़ी अमीषा बोली, स्पा में मसाज टेबल है
" तो चलो..." डाक्टर दिया बोलीं.
और मैं स्पा में मसाज टेबल पे लिटा दिया गया. अमीषा, गूंजा और मेहक डाक्टर के साथ खडी थीं.
और जब उन्होंने मेहक की लगाई दुपट्टे की पट्टी खोली तो मेरा दिल धक् से रह गया. बगल के शीशे से साफ दिख रहा था. और मेरे साथ सबका ...
२ इंच गहरा और साढ़े तीन इंच लंबा घाव था ...खून अभी भी रिस रहा था.
अगर चाकू थोड़ा सा और अन्दर गया होता तो हड्डी पे भी घाव हो गया होता.
अब मेरी समझ में मेहक की हरकत आई...वो लड़की है बहोत समझदार...अगर इस घाव के साथ मैं किसी हास्पिटल में जाता तो फिर तमाम सवाल ...स्टेब वूंड था ..पहले पुलिस रिपोर्ट फिर कहाँ लगा...और गर मैं डी बी की सहायता फिर लेता..
.इससे ज्यादा आसान मेहक का तरीका था यहाँ बिना किसी शोर गुल के डाकटर साहेब देख रही थीं.
डाकटर ने एक टार्च मेरी आँख में डाली, उँगलियों को मुड्वाया , घाव के आस पास का स्किन थोड़े ध्यान से देखा तब तक मेहक चालू थीं ...
" भाभी ने अभी बी.एच यु से में. यस . पूरा किया है...और डिप्लोमा..." तब तक डाक्टर दिया ने आँख तर्रेरी और मेहक चुप हो के मुस्कराने लगी.
" घाव बहोत बड़ा है..स्टीच करना पड़ेगा. लेकिन मैं एनेस्थेसिया नहीं लायी हूँ...थोडा दर्द होगा...या फिर किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में...आधे घंटे में अगर नहीं किया तो इन्फेशन सेट कर सकता है...फिर मुश्किल हो जायेगी." डाक्टर दिया बोली.
" अरे आप स्टिच कर दीजिये ना ..कहाँ नर्सिंग होम के चक्कर मैं लगाऊंगा..." मैं बोला...मुझे भी घर जाने की जल्दी थी..." और हाँ अगर बेहाश ही करना है तो ये सब है ना यहाँ ..एक बार मुस्करायेंगी तो मैं बेहोश जाऊँगा..."
सब एक साथ १,२,३ बोल कर मुस्करायीं
लेकिन मैं बेहोश नहीं हुआ.
जिसने लिखा था की मर्द को दर्द नहीं होता एक बार स्टिच करा के देखे ...
६ बड़े बड़े टाँके लगे...
" टाँके कटवाने के लिए..." गूंजा ने पुछा तो डाक्टर ने बोला..." नहीं नहीं ..डिसाल्वेबल हैं...तीन दिन में अपने आप ख़तम हो जायेंगे..हाँ पांच छ दिन में एक बार देखने से ठीक रहता ....लेकिन ये तो आज जा रहे हैं...फिर...?
गुंजा झट से बोली..." हां लेकिन चार पांच दिन के लिए ..रंग पंचमी के पहले ये आ जायेंगे..."
"फिर क्या...फिर तो मैं थारो चेक अप कर लुंगी..." डाक्टर अब डाक्टर से सलहज वाले रंग में आने लगी थीं...
" दवा ..डाक्टर साहेब..." मैं कुछ पूछने की कोशिश की तो उन्होंने बीच में बात काट दिया और मेहक से बोली..
" हे यहाँ कोई डाक्टर वाक्टर है क्या...."
मेहक भी अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के चारो और देखते हुए बोली...
" ना मुझे तो कहीं नहीं दिख रहा है..."
और मेरी ओर आँख तरेर के बोली...
" डाक्टर किसे कह रहे हो...ये मेरी प्यारी होने वाली भाभी हैं और आप मेरे जीजू तो ..."
" ओके डाक्टर भाभी....." मैं बोला.
" सिर्फ भाभी..." ४४० वोल्ट की मुस्कान के साथ जवाब मिला और डांट भी ...
" सिर्फ भाभी..." ४४० वोल्ट की मुस्कान के साथ जवाब मिला और डांट भी ..
." अब चुप रहो...अभी इंजेक्शन लगेंगे और वो भी मोटे मोटे... अमीषा इनकी पैंट नीचे करो..और नीचे हाँ घुटने तक...ये इंजेक्शन तो हिप में लगेंगे ना..."
अमीषा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...मैं पेट के बल लेटा था और जब उसने पैंट नीचे सरकाई तो उसके लम्बे नाखून ..मेरे हिप्स के निचले पोर्शन पे छु गए...जोर का झटका जोर से लगा..लेकिन डाक्टर ऊप्स भाभी को इससे संतोष नहीं हुआ...वो अमीषा से बोलीं
" अरे यार तू तो ट्रेंड नर्स है...क्या इंजेक्शन चड्ढी के ऊपर से लगेगा , इसे भी तो सरकाओ नीचे ..."
पता नहीं ये अमीषा की बदमाशी थी या मेहक और गुंजा की करतूत...चड्ढी भी घुटने तक पहुँच गयी और अबकी अमीषा ने दोनों हाथ का इस्तेमाल किया...दो उंगलियाँ...वहां भी छु गयीं...क्या हालात हुयी होगी कोई भी सोच सकता है.
गूंजा और मेहक ने स्कूल के बारे में बताना शुरू किया, बस चुम्मन का नाम और उससे जुडी बातें वो गोल कर गयीं ये कह के ...की दो गुंडे थे...( ये मैंने तीनों को और गुड्डी को भी अच्छी तरह समझा दिया था की उस का नाम किसी के सामने न लें.)
" उयी ...." मैं जोर से चिल्लाया.
अमीषा ने इंजेक्शन लगा दिया था.
सारी की सारी ...मुझे देख के मुस्करा रही थीं...
" अभी एक और लगाना है ..." अमीषा बोली "ये तो टिटनेस वाला था अभी एंटी बायोटिक बाकी है..." वो आराम से धीरे धीरे मेरे खुले नितम्ब पे इथर लगा रही थी.
"नहीं , उसकी तो आई वि लगानी पड़ेगी ..." डाक्टर कम भाभी बोलीं. एक छोटी बाटल १० मिनट में हो जायेगी...फिर इन्हें घर जाके सिर्फ ओरल लेनी होंगी..."
"भाभी ...वो वाला इंजेक्सन लगा दीजिये ना तबियत हरी हो जायेगी...इनकी एकदम ...." मेहक मुस्कराते हुए बोली.
तू ना ...डाक्टर दिया ने उसे डपटा ...फिर मेरे नितम्बों को हलके से छूया और छूते हुए उनकी लम्बी उँगलियाँ आगे भी टच कर गयीं.
बड़ी मुश्किल से उसे मैंने ९० डिग्री होने से रोका...
" हूँ रियेक्शन तो ठीक है..." मुस्कराते हुए वो बोलीं...चल तू बोल रही है तो लेकिन बहोत लाईट डोज "
" नहीं भाभी ...कम से कम मीडियम डोज ..." मेहक बोली.
" ओके चल तू भी क्या याद करेगी ..." डाक्टर दिया बोलीं.
" भाभी मास्टर्स के बाद ...इ डी में डिप्लोमा करेंगी..." मेहक ने मुस्कराते हुए बोला.
इ डी मतलब एरेक्टाइल डिस फंक्शन ...इतना तो मुझे भी मालूम था...
तुरंत मेंहक के कान पकड़ लिए गए. " ये बताना जरुरी था..." मुस्कराते हुए डाक्टर कम भाभी बोलीं.
" अरे आपके ननदोई हैं...इनसे क्या शर्म ..." मेहक बोली. उस के कान अभी भी दिया के हाथ में थे.
" वैसे इन्हें कोई जरुरत नहीं पड़ने वाली हाँ लौट के आयेंगे तो मैं जरुर डिटेल में चेक करुँगी..."
कान मेहक के उनके हाथ में थे लेकिन वो देख मुझे रही थीं.
" रिटेलिंन है, " अबकी वो अमीषा से बोली.
" हाँ एक वायल है..." अमीषा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया. फिर दो तीन और दवाएं डाकटर दिया ने बोला और अमीषा ने कुछ देर में दवाओं का काकटेल तैयार कर दिया.
और एक इंजेक्सन और हिप के निचले हिस्से में....पल भर में मुझे लगा मेरा सारा दर्द गायब मैं उठने लगा तो अमीषा ने फिर लिटा दिया...और मेरे कान में होंठ लगा के बोली...
" चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह आँख बंद कर लो...बस २ मिनट तक और अच्छी अच्छी बातें सोचो."
और उसने मेरी चड्ढी और पैंट ऊपर कर दिया.
गूंजा मेहक और डाक्टर दिया बाहर चली गयी थीं.
हाँ अमीषा ने पैंट ठीक करते करते...मेरे अब लगभग तने जंगबहादुर को कस के रगड़ दिया. और अपने मोटे मोटे नितम्ब मटकाती चल दी.
जब मैंने आँखे बंद की तो बस वही, बड़े बड़े कसे नितम्ब मेरी आँखों के सामने थे और फिर डाक्टर भाभी की गोलाइयां..गोरी गुदाज, मेहक और फिर गुड्डी ...दो मिनट में न जाने कहाँ की ताकत मेरे अंदर आगई और आँखों के सामने बस..
" सो गए क्या..."
मेहक की आवाज बाहर से आई और मैं उठ के बाहर निकला. जहाँ हम पहले बैठे थे लिंगरी और कास्मेटिक्स के काउंटर के पास..वहीँ सारे लोग थे एक आई वी स्टैंड अमीषा और डाक्टर भाभी मिल के लगा रहे थे. उन लोगों ने मिल के ड्रिप लगा दी.
एक सेल्स गर्ल काफी, पेस्ट्री और साल्टेड काजू ले आई.
अमीषा ने मेरे पैर एक फूट बाथ टब में डाल दिए थे, उसमें कुछ गुलाब की पंखुडियां पड़ी हुयीं थीं और एक दो साल्ट्स पड़े थे. नीचे मारबल राक्स थीं जो मेरे तलुवें में हलके हलके रगड़ रही थी.गुनगुने पानी में अमीषा ने लवेंडर तेल की कुछ बूंदे भी डाल दी थीं जो बहोत रिलैक्सिंग थीं. साथ में वो मेरे ऐन्कल्स का मस्साज भी कर रही थी.
ड्रिप ख़तम होने के पहले उसने मेरे पैर निकाल लिए और टावेल से रगड़कर उसे एक्स्फोलियेट भी कर दिया.पूरी देह एकदम हलकी सी हो गयी.
तभी मेरा फोन बजा. गुड्डी का फोन था वो बस दो मिनट में पहुँच रही थी.
मेरी ड्रिप निकलते हुए डाक्टर भाभी ने कहा, बस अब तुम्हे किसी इंजेक्शन की जरुरत नहीं पड़ेगी. हाँ कुछ पिल्स मैं फार्मेसी पे निकलवा देती हूँ और एक दो ड्रेसिंग..वो आप ले लीजियेगा.
गुंजा ने कहा मैं समझ लेती हूँ...मेहक बोली ठीक है वैसे गुड्डी भी पहुँच ही रही हैं और वो इनके साथ जायेंगी तो आप उनको समझा दीजियेगा तो और बेहतर रहेगा. .."
" वो तो बेस्ट है उसे मैं ड्रेसिंग भी समझा दूंगी..एक दो बार चेंज करना होगा बस..." डाक्टर भाभी बोलीं और गुंजा के साथ फार्मसी की ओर चल दीं.
" बिल अभी बाकी है..." मेहक ने आंख नचा के कहा.. और उसमें काउंटर से एक बिल निकाल लिया.
एकदम मैं बोला ...,,,मेरे मन में कुछ कुछ हो रहा था ( वो तो मुझे बाद में पता चला की जो दूसरा इंजेक्शन था उसमें .युफोरिक और सटीम्युलेंट दवाओं का मिक्सचर था , जो स्लो रिलीज थीं.और उसका पूरा असर ४-५ घंटे में होने वाला था)
मेहक ने एक डार्क कलर की लिपस्टिक निकाल के अपने होंठों पे अच्छी तरह लगा ली और फिर बिल पे पेमेंट की जगह अपने होंठों से किस कर लिया.
वहां उसके लिप्स का निशान पड़ गए थे.मेरी ओर बिल बढ़ा के वो मुस्करा के बोली...पेमेंट प्लीज ...
श्योर मैं बोला और उसे बाहों में भर के मेरे होंठ उस के होंठों पे चिपक गए.
और उसके होंठों ने उसी गरम जोशी से जवाब दिया...मेरे होंठो को अपने आलिंगन में भरकर और उसकी जीभ मेरे मुंह में घुस गयी.
मेरे हाथ उसके स्कूल यूनिफार्म में कैद उन रुई के फाहे ऐसे बादलों पे पड़ गए जिन्हें सीढ़ी पे गलती से मैंने छु दिया था लेकिन अब की ना मैंने हाथ हटाया ना सारी बोला बल्कि हलके से दबा दिया.
बगल के कमरे से गुड्डी की आवाजें आने लगी थीं.
मेहक मुझसे अलग होगयी.
मैं ने बोला क्यों हो गया पेमेंट पूरा हो गया..
उसने जोर से ना में सर हिलाया और मुस्करा के बोली ये तो सिर्फ एडवांस था
तब तक गुंजा आगई और बोली ...
क्यों हो गया बिल पेमेंट...और मेहक के हाथ से वो लिपस्टिक ले के मुझे दे दिया...ले लीजिये याद रहेगा मेरी सहेली का बिल..
" हे तुम्हारे पास स्ल्ट रेड है क्या..." गुंजा ने अमीषा से पुछा..."
एक दम वो बोली और उसने निकल के दे दिया. गुंजा ने वो और तीन चार शेड के लिपस्टिक ले लिए.
हम लोग बाहर निकले तो डाक्टर भाभी जा चुकी थीं और गुड्डी काउंटर से दवाएं ले रही थी.
मेहक की गाडी से मैं गुंजा और गुड्डी चल दिए.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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