FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--60
गतांक से आगे ...........
मेहक ने ड्राइवर को बोल दिया था की वो हम लोगों के साथ ही रहेगा और हम लोगों को मेरे घर तक छोड़ के भी आएगा.
गुड्डी ने रास्ते में बता दिया की उसने चंदा भाभी को और रीत को फोन कर दिया था की गुंजा हमारे साथ है एकदम सेफ है. हमलोग १० मिनट में पहुँच रहे हैं और उसे छोड़ के तब जायेंगे.
रास्ते में अभी भी सन्नाटा था.बस दो चार चाय की दुकाने खुली थीं..चौराहों पे लोग इकठा थे, एक दुक्की गाड़ियाँ चल रही थीं.
हम लोग ५-७ मिनट में ही चंदा भाभी के घर पहुँच गए. वो नीचे इंतज़ार कर रही थीं.
दोनों ने एक दूसरे को देखा ....और फिर बाँध टूट पड़ा.
गुड्डी घर के अन्दर चली गयी.
गुंजा अपनी माँ के बाँहों में सिमट गयी और सुबक सुबक के रोने लगी.
चंदा भाभी ने भी उसे अपनी बाहों में भींच लिया और बिना बोले उनके गाल पे भी आंसू की धार बह निकली.
मैं दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा.
बिन बोले बहोत कुछ वो कहती रहीं,सुनती रहीं.
गुंजा ने मुड के एक पल मेरी ओर देखा,हलके से मुस्करायी और आंसू पोंछ लिए.
' ऊपर चलें.." मैंने भी मुस्करा के बोला और उसके कंधे पे हाथ रख दिया.
सीढ़ी से हम लोग ऊपर चल दिए और सीधे चंदा भाभी के कमरे में...और के बार फिर गूंजा ने अपनी माँ को भींच लिया.
चंदा भाभी उस की पीठ, सर सहलाती रहीं.
...
गूंजा दो पल के बाद मुड़ी और मेरी ओर देख के बोली,
" मम्मी, ये अगर नहीं पहुँचते तो...पता नहीं क्या हालत होती...मैं आपको देख भी नहीं पाती ..."
और फिर एक बार आंसू शुरू हों उसके पहले ही मैं बोला...
" मैं कुछ होने देता क्या...ऐसा क्यों सोचती है पगली." और उसके गाल से आंसू पोंछ दिए.
गूंजा अब मुड के मेरे गले से लिपट गयी...वो अभी भी हलके हलके सुबक रही थी.
चंदा भाभी ने अपने आंसू पोंछे और मुस्करा के बोलीं..
" क्यों नहीं पहुँचते ये ...सुबह सुबह मैंने तुम्हे इनकी साली क्यों बनाया था...मुफ्त के जीजू थे क्या."
चंदा भाभी ने मेरी ओर देखा.
" कुछ नहीं हुआ वहां...ये तीनो बस बैठी थीं...गुंडों ने छुआ तक नहीं इसे...खरोंच तक नहीं लगी इसे..मैं हाथ ना तोड़ देता उनके अगर इसे छूते..."
मैं बोला.
गूंजा और मेरी बाँहों में दुबक गयी और हलके से मुस्कराने लगी.
अब चंदा भाभी मुझसे बोलीं..." इस बात का बदला मैं कैसे चूका सकती हूँ...मैं नहीं सोच सकती."
" एकदम चुका सकती हैं...है न एक तरीका.."
और मैंने अब गूँजा को खूब कस के भींच लिया और एक ऊँगली से उसकी आँख की कोर से लटक रहे आंसू को तोड़ दिया.
चंदा भाभी अब अपने रूप में आ गयीं..बोलीं.
" अरे भैया ..ये तो तुम्हारी साल्ली है, तुम्हारा हक़ है इस पे ...जब चाहे तब...मुझे बताना अगर ना माने तो...मैं इसका हाथ पैर बांध के ...."
गूंजा छटक के मेरी बाहों से अलग हो गयी और मुस्करा के चंदा भाभी से बोलने लगी..
." अरे हाथ पैर तो इनके बाँधने पड़ेंगे ..तब..इत्ता शरमाते हैं..लड़कियों से भी ज्यादा ...जैसे मैंने बताया की ये मेरे जीजू हैं ...बस सब ...जल रही थीं.जैस्मिन जो फूटे मुंह नहीं बोलती ...मार कूदी पड़ रही थी...और मेहक तो ....और ये शर्मा के गुलाल हो रहे थे..."
और अब गूंजा ने जिस तरह से मेरी ओर देखा तो मैं सच में शरमा गया...और गुंजा और चंदा भाभी दोनों खिलखिला पड़े.
बादल छंट गए, हलकी सी चांदनी आसमान में मुस्कराने लगी.
' आने दो इनको होली के बाद...फिर सब शरम वरम उतार देंगे ."
चंदा भाभी मुस्कराते हुए मेरा हाथ पकड़ के बोलीं.
" इनके साथ तो वो भी आने वाली हैं...इनकी बहन कम..." गूंजा ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
" तभी तो...दोनों की साथ साथ उतारेंगे ना..." चंदा भाभी हंसते हुए बोलीं.
बाहर बरामदे में घचर पचर मची थी.
दूबे भाभी, संध्या भाभी, बाकी पडोसने ...गुड्डी ने सबको संक्षिप्त और सेंसर्ड वीरगाथा सूना दी थी ( चुम्मन के साथ मेरी चोट और डी बी का जिक्र सेंसर कर दिया गया था).
लेकिन सभी गूंजा से मिलने को व्याकुल थीं.
चंदा भाभी और गूंजा बाहर निकलीं और पीछे पीछे मैं.
चंदा भाभी और गूंजा को पड़ोसिनों ने गड़प कर लिया और एक बार फिर कहानी चालु हो गयी.
मैं दूर कोने में चला गया की कहीं कोई महिला मुझे ही चैनेल के पत्रकार की तरह पकड ले और मेरा वर्सन जानने की कोशिश करने लगे.
दो बाते और थीं...एक तो मुझे लग रहा था कुछ है जो कहीं फिट नहीं बैठ रहा है..मेरा हाथ जेब में चला गया और वहां चुम्मन का मोबाइल था...जो मैंने फर्श से उठाया था, मुझे चाकू लगने के बाद...
और असली बात ये थी की मेरी आँखे किसी को ढूंढ रही थी..चारों ओर...वो उस धमाचौकड़ी में तो हो नहीं सकती थी...वो सारी दुनिया से अलग थी.
ढूँढते ढूँढते मैं कोने में पहुँच गया...और अचानक किसी ने मेरी आँखे पीछे से बंद कर ली.
वो स्पर्श तो मैं बेहोशी में भी पहचान सकता था...लेकिन देर तक उस छुवन के अहसास के लिए मैंने बहाना बनाया...
" कौन छोड़ो न." मैं बोला.
" एलो एलो ....
एलो जी सनम हम आ गए , आज फिर दिल लेके ...."
फागुन की सारी चाँदनी शहद बन के मेरे कानों में घुल गयी. और फिर चूड़ियों की खनक...मेरे कानों के पास..और वो सपना आँखों के सामने ...
उछल कर वो सारंग नयनी मेरे सामने आ गयी. अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचाते, दो उंगलियों के बीच दुपट्टे की कोर पकडे ...
रीत मेरे सामने खड़ी थी.
" मैंने बोला था ना की मेरी बायीं आँख फड़क रही है...तुम शाम को जाने के पहले वापस आओगे..." उसने बोला.
मैं एक एक पल को पी रहा था. ..
मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था...घचर पचर ...नीचे कहीं चल रहा टी वी, सरसराती हवा..कुछ भी नहीं...मैं सिर्फ देख रहा था...रस में लीन...
" ये बाबू जी...मैं हूँ ...भूल गए क्या "
मेरे सामने चुटकी बजाते हुए रीत बोली.
" जिस दिन तुम्हे भूल जाऊँगा ना....अगले दिन सूरज नहीं निकलेगा...कम से कम मेरे लिए..."
मुस्करा के मैंने कहा.
रीत ने तुरंत मेरे मुंह पे हाथ रख दिया..
." हे ऐसा वैसा कुछ ना बोलो...तुम कौन होते हो मेरे...मेरे..के लिए...कुछ बोलने वाले..कुछ हक़ तुम्हारा इस पर..."
और अब मेरा कान उसके हाथ में था.
" एकदम नहीं है...मैं मुस्करा रहा था.
" तब ऐसा क्यों बोला..." उसने घुड़का.
"हे नीचे चलें ...तुम्हारे कमरे में..." मैंने बोला.
गुंजा से सवाल जवाब कम हो गए थे...और दो तीन औरतें अब मेरी ओर देख रही थीं.
" एकदम सही आइडिया है..." और रीत ने मेरा हाथ पकड़ा और हम लोग सीढ़ी से नीचे...
मेरा हाथ रीत की कमर में था.." सुन तेरे कमरे में चलते हैं..." मैंने रीत से कहा.
" एकदम ...अभी आधे घंटे तक तो ऊपर कहानी गाथा चलेगी. तब तक तो नीचे कोई झांकने नहीं आयगी...तुम.. टाइम तो बहोत .....लेकिन एक क्विकी तो हो ही सकती है.." रीत ने छेड़ा.
"धत तुम ना ..."
मैंने बोला और जवाब में रीत ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया और बोली...अबकी उसकी टोन बहोत कंसर्न्ड थी...और आवाज बहोत हलकी..
" चोट कैसी है...ज्यादा थी ना..."
" हाँ ...लेकिन अब ठीक है..." मैंने बोला.
मेरे दिमाग का कीड़ा अब और तेजी से रेंग रहा था .बार बार मेरा हाथ जेब में चुम्मन के मोबाइल पे जा रहा था.
हम लोग नीचे रीत के कमरे में पहुँच गए थे.
" हे तेरी कोई सहेली है ...मेरा मतलब जिसके पास लैपी हो..." मैंने रीत से पुछा...
" एकदम है यार...आजकल लैपी और टैबलेट बहोत कामन हो गए हैं...ले आऊं ..." वो बोली.
" हाँ और हो सके तो इंटरनेट डाटा कार्ड भी...मैंने बोला..."
वो दरवाजे पे ठहर गयी और मुस्करा के आँखे नचा के बोली..." अब ये मत कहना की साथ में लैपी वाली को भी...वैसे बुरी नहीं है वो लैप पे बिठाने के लिए ...कहो तो ..."
" जी नहीं वैसा कोई इरादा होता ना तो तुम्हे बख्शता क्या..." मैंने भी उसी तरह जवाब दिया...
" ना बाबा ना...तुमने जो होली के बाद. किया .अभी तक टांगों में चिलख है...१४ नए नए बहाने बना चुकी हूँ तब से ...और वैसे भी गुड्डी को ले जा रहे हो ना..आज तो उस का किला फतह होना है..अपनी ताकत बचा के रखना ..." और वो कमरे से बाहर.
मैंने टेबल पे रखे रीत के लैपी को देखा...
पासवर्ड प्रोटेक्टेड था...मैंने जब बायोस खोला तो...पास वर्ड आज ही चेंज किया गया था.
पासवर्ड खोलना तो मेरा बाएं हाथ का खेल था ..
.मेरा नाम रिवर्स कर के और आज की डेट...
ये नया पासवर्ड उसने आज ही सेट किया था...
मैंने फिर से बंद कर के रख दिया और टेबल पे ढूँढने लगा, एक ब्रिज केबल दिख गया. मैंने जेब से चुम्मन का मोबाइल निकाल के टेबल पे रख दिया.
तब तक रीत लैपी ले के आ गयी. डाटा कार्ड लगा हुआ था.
उसके आते ही मैंने अगली मांग रखी...हे एक कप चाय मिलेगी क्या.
वो कमर पे हाथ रख के खड़ी हो गयी और बोली...
" इत्ती अच्छी लड़की सामने खड़ी है और इन्हें कभी लैपी कभी चाय...भुक्क्कड़ ..."
और मुड के मुझे दिखाते हुए अपने हिप्स मटकते हुए चली गयी और बाहर से बोली..”बस दो मिनट में लाती हूँ...तुम आराम करो.”
मैंने झट से लैपी खोल के एक नया फोल्डर बनाया और चुम्मन के मोबाइल का सारा डेटा उसमें ट्रांसफर कर दिया.
और अब इन्टरनेट से मैंने सारा डाटा एक क्लाउड सर्वर पे ट्रांसफर कर दिया.
मेरे काम का पहला पार्ट पूरा हो चूका था. अब उसी सर्वर से मैंने खुद को ..अपने चार इ मेल आई डी पे पहले तो सारा डाटा ट्रांस्फाटर कर दिया लेकिन इस तरह से की वो मेरे इनबाक्स या हार्ड डिस्क पे ना रहे सरवर पे ही रहे. ये सरवर बहोत सिक्योर और अक्सेसिबिल था. एक मैगजीन में साइबर सिक्योरिटी पे मेरी आर्टिकिल सेकेण्ड आई थी और इनाम में मुझे ५०जी बी स्पेस उस सर्वर पर मिला था..
और अब ये ट्रेस करना बहोत मुश्किल था की मैंने किस आई पी एड्रेस से इसे भेजा.
और उसके बाद फिर रीत की सहेली के लैपी से लाग आन के करके अपने ४ दोस्तों, जिसे अखबार वाले हैकंग कहते हैं, उससे जुड़े हुए लोगों के पास मेल भेजा. उसमे एक जयपुर में बाकी सब बाहर थे.
एक लन्दन, एक अमेरिका और एक साउथ अफ्रीका में था...इसमें लन्दन वाला परफेक्ट ब्लैक हैट था...दो ग्रे हैट और एक व्हाईट हैट. एक ने स्टालमेन और मिटनिक दोनों के साथ काम किया था.सबसे बड़ी बात ये थी की वो अलग रिंग के मेम्म्बर्स थे.
((हैकिंग की दुनिया में ब्लैक हैट वो होते हैं जो सिर्फ अपने लिए, मजे के लिए या कभी कभी फायदे के लिए हैक करते हैं. व्हाईट हैट वो होते हैं जो कंप्यूटर सिक्युरिटी के लिए काम करते हैं और ग्रे हैट वो होते हैं जो इन दोनों के बीच में होते हैं. कई बार रोल बदल भी जाते हैं .केविन मिटनिक अपने जमाने का नामी हैकर था, १६ साल की उम्र में उसने डिजिटल इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन का कम्प्यूटर हैक किया इसके आलावा उसने पैसिफिक बेल टेलीफोन कंपनी के नेटवर्क में हैकिंग की. पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए एक हैकर शियोमुरा की सहायता से उसे पकड़ा और उसे जेल की सजा हुयी. मिटनिक ने मोटोरोला, नोकिया, सन माइक्रोसिस्टम, एन.इ.सी., पेंटागन और फ बी आई के भी नेटवर्क हैक किये थे. जेल से निकलने के बाद वो मिटनिक सिक्युरिटी कंसल्टेंसी चलाते हैं. उन्होंने कई किताबें लिखीं लेटेस्ट है...घोस्ट इन वायर्स)
मैंने उन्हें रेड एलर्ट किया और मुझे पूरा विशवास था की १५ मिनट के अन्दर वो इस पे काम शुरू कर देंगे.
अब मैंने उसकी सहेली के लैपी से पहले तो वो फोल्डर डीलिट कर दिया...फिर उसे रजिस्ट्री से भी.अब एक साफ्टवेयर मैंने डाउन लोड किया जो काल की ऐनिलिसिस कर सकता है...और चुम्मन के फोन के सिम को उससे कनेक्ट कर के देखने लगा.
तब तक रीत चाय ले के आ गयी.
" क्या कर रहे हो..." रीत ने पुछा...फिर टेबल पे रखे मोबाइल को देख के बोली..." यही चुम्मन का मोबाइल है क्या..."
" क्या कर रहे हो..." रीत ने पुछा...फिर टेबल पे रखे मोबाइल को देख के बोली..." यही चुम्मन का मोबाइल है क्या..."
इसका मतलब गुड्डी ने इसको अन एब्रिज्ड वर्शन बता दिया था.
" असल में हुआ ये की जब मैं..." मैं ने उसको बताने की कोशिश की तो उसने बीच में रोक दिया...
" नहीं मैं दो बार पूरी कहानी सुन चुकी हूँ ..एक बार गुड्डी से फोन पे और एक बार यहाँ..."
" नहीं मैं ये कह रहा था की कुछ बातें समझ में नहीं आ रही हैं ..." मैंने रीत को बताने की कोशिश की
...लेकिन रीत के बोलने और समझने दोनों की स्पीड सुपर फास्ट है....
" हाँ मुझे गुड्डी ने बताया था की तुम लोगों के वो पीछे वाले दरवाजे पे किसी ने ताला बंद कर दिया था...." रीत बोली.
‘" हाँ ...तो वही मैं चुम्मन के काल की ऐनिलिसिस कर रहा हूँ...तुम भी देखो ना..." मैं चाय पीते हुए बोला.
मेरे बिना कहे उसकी आँख स्क्रीन पे गडी हुयी थी...
नंबर जिनसे काल आई थी...उनके नंबर स्क्रीन पे फ्लश हो रहे थे साथ में काल ड्यूरेशन , टाइम, डेट...एक के बाद एक नंबर जा रहे थे...
गड़बड़ तो है कुछ...रीत बोली.
" क्यों क्या हुआ..." मैं बोला.
देख मैं भी रहा था लेकिन मुझे कुछ ख़ास अलग या डिफरेंट नहीं लगा...
" वापस जाओ..." रीत बोली...मैंने नंबर को फिर से स्क्राल किया...एक नंबर जैसे आया रीत बोली,
" रोको ये देखो..."
मैंने रोक दिया...
" ये नम्बर देखो..." वो बोली.
" अरे क्यों...ये तो लोकल नम्बर है कोई बाहर का या आई एस डी, नम्बर थोड़े ही है ..." मैं बोला.
" ड्यूरेशन देखो....१५ से २० सेकेण्ड ....आगे बढ़ाओ, फिर वही नंबर ११ सेकेण्ड ..आज कल कौन लड़का मोबाइल पे ७-८ मिनट से कम बात करता है...कोई भी काल आधे मिनट की भी नहीं लगती...ड्यूरेशन वाइज शार्ट कर सकते हैं...?" रीत ने मेरी और देख के पूछा
बंदी के बात में दम था.
मैंने ड्यूरेशन वाइज शार्ट किया...एक मिनट में बात साफ हो गयी.
एक हफ्ते में सिर्फ दो नंबर थे ...जिनसे ७-२६ सेकेण्ड तक बात की गयी थी. सारी काल्स रात में ८ से १० के बीच हुयीं थीं.
और पीछे देखो ...रीत बोली...
मैंने एक हफ्ते और चेक किया.. वही पैटर्न था...सिर्फ ये की पिछले हफ्ते में सिर्फ आखिर के तीन दिनों में उन दो नंबरों से काल आई थी. उसके पहले उन नंबरों से कोई कान्टेक्ट नहीं हुआ था.
रीत की दूसरी बात भी सही थी. इसके अलावा सारे नंबरों से उसकी बात ४-६ मिनट तक हुयी थी.
मैंने उन दो नम्बरों के सारे काल डिटेल्स सेव कर लिए. और रीत के लैपी पे भी ट्रांसफर कर दिए.
" जरा आउट वर्ड काल भी चेक करो,,,," रीत बोली.
चुम्मन के फोन से उन दोनों नंबरों के लिए कोई भी आउट वर्ड काल नहीं हुयी थी.
मतलब साफ था कोई है जो किसी काम के लिए चुम्मन को इंस्ट्रक्शन दे रहा है और चुम्मन को उसे फोन करने की इजाजत नहीं था.
कौन है वो...फिर चुम्मन के पास वो बाम्ब कहाँ से आया...
एक मिनट ..मैं बोला..."जितने पीरियड तक चुम्मन वहां था जब गूंजा होस्टेज थी...उस समय का काल चेक करें..."
हाँ और रीत ने टाइम सेट किया.
मैंने रीत को बताया की जैस्मिन ने बताया था की चुम्मन ने आउट वर्ड काल, जैस्मिन के फोन से ही की थी, केबल नेटवर्क वालों को भी और पोलिस स्टेशन को भी ...लेकिन उसकी कोई इनकमिंग काल भी आई थी जो उसने अलग हट के सूना था.तो इस का मतलब इस पे उस पीरियड में इन कमिंग काल मिलनी चाहिए.
पुलिस , चूँकि उसने जैस्मिन के नंबर से पोलिस स्टेशन फोन किया था, जैस्मिन का नंबर ट्रेस कर रही थी.
तब तक उस समय का काल खुल गया था ...कोई आउट वर्ड काल नहीं थी ...लेकिन दो इनवर्ड काल थीं.
एक नंबर तो वही था ...जिससे ७ से २६ सेकेण्ड तक काल आती थी...और दूसरा नम्बर भी पहचाना लगता था...मैंने अपना मोबाइल खोल के फोन बुक चेक किया...
ये फोन तो सी ओ कोतवाली अरिमर्दन सिंह का है ....तो अरिमर्दन सिंह ने चुम्मन को फोन किया था क्यों...और उन्होंने डी बी को बताया क्यों नहीं..
.मेरे दिमाग में फिर ड्राइवर की बात गूंजी ...जिसे मैंने पीछे वाले दरवाजे पे खड़े रहने को कहा था. उसने बोला था की सी ओ साहब ने ही उसे हटाकर गुड्डी के पास भेज दिया...जिसकी पुष्टि गुड्डी ने भी की थी. और उस ने ये भी बोला था की उन्हों ने ये भी बोला था की वो वहां दो आर्म्ड गार्ड लगायेंगे ...लेकिन जब हम उतरे तो वहां ताला बंद था. तो क्या वो ...
मेरा दिमाग घूम गया था.
मैंने रीत को बात बताई...वो बोली.
“.एक मिनट जरा सोचने दो...”
तब तक मैंने फिर ग्रे हैट इयान स्मिथ ( नाम बदला हुआ) को फिर से उन दोनों नंबरों के बारे में मेल किया. वो आज कल लन्दन में था ओलिम्पिक की साइबर सिक्योरिटी के लिए...वो टेलीफोन और लोकेशन पता करने का एक्सपर्ट था. आफिसीयली वो ब्लैक बेरी का साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट था. मुझे यकीन था की आधे पौन घंटे में वो पूरी रिसर्च कर प्रोफाइल दे देगा.
रीत बोली..".ठीक है मैंने सोच लिया...जो चीज नहीं क्लियर हैं उनको लिस्ट करते हैं फिर डी बी से कान्टेक्ट करते हैं, फोन पे सिर्फ कहीं मिलने के लिए बुलाना...लेकिन पुलिस एरिया में नहीं..."
६-७ चीजें गड़बड़ थीं...
1. बाहर से ताला
2. बाम्ब किसने एक्स्प्लोड़ किया..
3. वो दो नंबर किसके हैं
4. कोई चुम्मन को क्या ऑर्डर दे रहा था
5. सीओ को चुम्मन का नंबर कहाँ से मिला और उसने क्यों बात किया.
6. फायरिंग क्यों और किसके आर्डर पे हुयी...एक चीज मैंने और जोड़ी
7. वो बाम्ब चुम्मन को कहाँ से मिले...बाम्ब में निश्चित आर डी एक्स था.
मैंने डी बी को फोन लगाया...सारे नम्बर इंगेज या नो रिस्पांस आ रहे थे.
मैंने रीत से पुछा चाट खाओगी...वो बोली नेकी और पूछ.पूछ ....मैंने डी बी को मेसेज किया... बनारस की चाट खानी है...जैसे जीवन मृत्यु पिक्चर देखते समय खायी थी वैसे ही है...
दो मिनट बाद ही डी बी का फोन आया...क्या मामला है...जीवन मृत्यु
" हाँ वही समझो...बनारस की सबसे सुन्दर लड़की को चाट खिलाना है ...जरुरी है वरना वो मेरी जान ले लेगी." मैं बोला.
" ओके कब और..." डी बी ने पुछा
' अभी काशिराज से मिलना है मुझे ...तो ७ बजे बल्कि आधे घंटे बाद..." मैं बोला..
' ओके " और डी बी ने फोन रख दिया.
" काशिराज तो राम नगर में रहते हैं और साढ़े सात.... तुम्हे जाना नहीं है क्या..." रीत बोली.
" अक्ल लगाओ..." मैंने चिढाया...
" वो तो समझ गयी मैं...काशी चाट भण्डार गौदौलिया ..इत्ती भीड़ होती है वहां....और जितनी ज्यादा भीड़ उतनी ज्यादा प्राइवेसी ....लेकिन टाइम मैं नहीं समझी और वो लड़की कौन..." रीत बोली.
" ये हम लोगों का कोड है आधे घंटे बाद का मतलब आधे घंटे पहले और लड़की और कौन ...तुम..." मैंने बोला. जल्दी तैयार हो जाओ...
वो पांच मिनट में हेलमेट और एक दुपट्टा ले के आ गयी और बोली चलो...मैंने उसकी सहेली का लैपि एकदम फिर से क्लीन कर दिया था रजिस्ट्री ताल और रीत के लैपटाप में एक इन्क्रिप्शन प्रोग्राम और एक एक्स्ट्रा फायर वाल लोड कर डी थी.
अचानक वो रुक गयी, कुछ सोच में पड़ गयी फिर हंसने लगी. बोली...
" एक बात भगवान करे ना सच हो...लेकिन मुझे लग रहा है की इन सारी बातों का एक मतलब था ...कोई है जो नहीं चाहता था की वहां से कोई जिन्दा बचे ...ताला, बिना बात की फायरिंग और अगर सी ओ उन के लूप में है तो सबसे बड़ा खतरा तुमको है क्योंकि उसे मालूम था की तुम्ही उन लड़कियों को निकालने गए है...बचाने की बात तो नेचुरल है लेकिन अगर तुम अभी भी उन लोगों के पीछे पड़ोगे तो उन्हें जरुर शक हो जाएगा...और हंसी इस बात पे की मेरे खेल से बम्ब किसने फोड़ा वो मैं समझ गयी हूँ."
बाहर एक मोटर साइकिल थी.
" मोटर साइकिल से चलेंगे हम..." मैं चौंका.
" और क्या ...शाम को गाडी से गौदौलिया कौन जा सकता है...फिर इस से मैं गली गली ले जाउंगी...पीछा करने की कोई सोच नहीं सकता...बनारस का हर शार्ट कट हर गली मुझे मालून है...फिर हेलमेट से मेरा चेहरा छिपा रहेगा और वैसे भी बनारस में लड़कियां कम ही मोटर साईकिल चलाती हैं...और तुम ये दुपट्टा ओढ़ लो..." रीत बोली...
" दुपट्टा मैं..." मैंने बहोत बुरा सा मुंह बनाया.
" सुबह साडी ब्लाउज, ब्रा सब कुछ पहने थे और अब जरा सा दुपट्टा ओढ़ने में ....अरे यार तुम्हारा चेहरा मेरे पीछे रहेगा...और जो बचा खुचा है वो दुपट्टे में...बाल तुम्हारे लम्बे है हैं...गुड्डी ने सुबह ही चिकनी चमेली बना दिया था...घास फूस साफ ..
.हाथ में जो नेल पालिश मैंने लगाई थी वो अभी भी चमक रही है और पैर का महावर भी...हाँ अपना जूता उतर के मेरी सैंडल पहन लो...बस १० मिनट बचा है....एक बार चाट भण्डार पहुँच गए तो प्राब्लम साल्व ...कोई पीछे पीछे आया होगा तो यहीं तक ...चलो."
रीत बोली.
बात में उसके दम था.
हम चल दिए.
लम्बी गलियां, पतली गलियां संकरी गलियाँ...१० मिनट में हम काशी चाट भण्डार पहुँच गए.
फोन पे मैंने गुड्डी को बता दिया था की वो जिस गाडी से हम आये थे उसी से आधे घंटे में निकल ले.
मोटर साइकिल उसने गली में ही लगा दी और वहीँ दुपट्टा, हेलमेट और जूते सैंडल का भी अदल बदल हो गया.
अभी भी साढ़े छ: बजने में ४ मिनट बचे थे. गंगा पेईंग गेस्ट हाउस की ओर एक रिक्शा आया.
उसमें से एक सज्जन उतरे धोती कुरता आँख पे चश्मा, और माथे पे त्रिपुंड...एक बार उन्होंने मुझे देखा. मुझे लगा शायद कोई पंडित जी होंगे मुझे पहचानते होंगे मैं नहीं याद कर पा रहा हूँ.
मैंने झुक कर प्रणाम किया और उन्होंने आशीर्वाद दिया. आवाज कुछ जानी पहचानी लगी. और जब मैंने सर उठाया तो वो मुस्करा रहे थे.
डी. बी.
मेरे तो पाँव के नीचे की जमीन खिसक गयी.
उधर दूकान से रीत इशारा कर रही थी...ऊपर चलने के लिए...आगे आगे वो, पीछे डी बी और सबसे पीछे मैं..
.
ऊपर वाले फ्लोर पे भी एक दो टेबल भरी थीं..रीत ने वेटर से बोला और उसने एक संकरे गलियारे की ओर इशारा किया.
गलियारे के अंत में एक छोटा सा रूम था...फेमली केबिन...एक टेबल चार कुर्सिया ..रीत अपनी सहेलियों के साथ अकसर यहाँ जमघट करती थी...और वेटर को भी हैंडल करना उसे आता था.
कमरे में घुस के जो वो मुड़ी तो पहली बार उसने धोती कुरते और त्रिपुंड वाले व्यक्ति को देखा..
वो चौंक गयी...
मैंने इंट्रो कराया..डी बी ..और ..
डी बी ने खुद हाथ बढ़ाया रीत ने हाथ मिला लिया.
" मैं जानता हूँ आपको...रीत..है न...चाचा चौधरी की ..." डी बी..बोले.
"ये सब इन्होने बताया होगा न , इनकी बात पे यकीन मत करियेगा..."
खिलखिलाते हुए रीत बोली और साथ में डी बी भी.
सुबह से पहली बार मैंने उन्हें हंसते सुना था.
तब तक वेटर आ गया...बिना रुके रीत ने आर्डर सुना दिया...तीन प्लेट टमाटर की चाट, तीन प्लेट दही की गुझिया और तीन प्लेट गोल गप्पे...एक साथ सब अभी लगा देना बार बार खिच खिच नहीं ...
पांच मिनट में ही सब कुछ टेबल पे...था. एक ओर मैं और रीत और दूसरी ओर डी बी...
" अब बताओ.." डी बी बोले.
" वहां से निकलने के बाद आप से मुलाकात ही नहीं हुयी ना बात हुयी...इस लिए..." मैंने कहा.
एक बार में आधी टमाटर चाट गप करते हुए डी बी बोले...
" तुम लोग निकल के माल गए थे वो सिगरा वाले...वहां करीब २० मिनट रुके थे...बीच में एक आसमानी नीली साडी में डाकटर वहां आयी और फिर तुम लोग वहां से गुड्डी के घर...ठीक है ना ..."
रीत ने भी एक पूरी चाट साफ कर ली थी..." अच्छी है ना..."
" बढ़िया ...रीत के आँख में आँख डाल के वो बोले..
.”हाँ घर से तुम लोग यहाँ कैसे आये ये मेरे लोग नहीं बता पाए..."
" कर्टसी रीत..रीत की रीत सिर्फ रीत जानती है...इसकी मोटर साइकिल से.." मैंने समझाया.
" चाट अच्छी लगी..'" रीत ने पुछा..वो सिर्फ खाने पे लगी थी.
" बहोत बढ़िया...डी बी ने बोला
, टमाटर की चाट मैंने एक दो बार पहीले भी खायी है लेकिन इतनी अच्छी नहीं.." अपनी टमाटर चाट ख़तम करते वो बोले.
" हाँ बहोत अच्छी है लेकिन एक जगह इससे भी अच्छी मिलती है...संकटमोचन के पास..कभी आप को ले चल के खिलाऊँगी." रीत बोली.
मैंने रीत के कान में बोला..." अरे यार शहर कप्तान हैं और तुम इनको गली गली ...." मैंने धीमे से बोला था लेकिन डी बी ने सुन लिया...
" क्यों मैं टमाटर चाट नहीं खा सकता ये कहाँ लिखा है सिर्फ तुम्ही गप्प करोगे..." डी बी ने मेरी ओर घूर कर देखा. अब उन्होंने गोलगप्पे का नंबर लगा दिया था. लेकिन अब वो बोले ...
' बताओ..क्या बात थी..."
मैंने उनको ऊपर क्या क्या हुआ ..नीचे निकलते समय कैसे ताला बंद हो गया और ड्राइवर ने कैसे बताया की सी ओ ने खुद उसे हटा दिया था.
" हाँ बड़ा झमेला था...एक तो पता नहीं फायरिंग किसने आर्डर कर दिया उसके बाद वो एस टी एफ वाले आ गए और हमारे लोगों से जोर जबरदस्ती, दोनों को ले गए. पहले तो उनके कमांडेंट ने मुझसे बोला की सर्किट हाउस में ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन करेंगे लेकिन शक तो मुझे पहले ही था ...जैसे ही मुझे पता चला की वो स्पेशल प्लेन से आये हैं...मुझे हंच था.. लेकिन कमान्डेंट ने मुझसे खुद कहा और वो सर्किट हाउस गए भी...लेकिन जिस गाडी में उन दोनों को बैठाया था वो सीधे बाबतपुर एअरपोर्ट ...और जब तक हम लोग बात करें...वो उड़ चुके थे. बाद में उन्होंने मेरे सामने अपने आदिमियों को डांटा लेकिन वो सब लगी बुझी थी.. उसके बाद प्रेस मिडिया...लखनऊ दिल्ली ...सब...बहोत रायता फैल गया था...समेटने में टाइम लग गया इस लिए जब तुम्हारा बिपर मिला तो ये तो लग गया की तुम कंट्रोल रूम गुड्डी के पास आओगे तो वहीँ मैंने एक एल आई यु ( लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ) वाले को लगा रखा था था की तुम लोगों के साथ साथ रहे. “डी बी ने पूरी बात समझाई.
" एक एक प्लेट टमाटर चाट और चलेगी..." रीत ने पुछा...
" दौड़ेगी .." डी बी ने बोला और वेटर चला गया.
" लेकिन ये मेरी परेशानी का आधा हिस्सा भी नहीं है...अगली परेशानी है होली...हर जगह से खबर आ रही है की दंगा भड़काने की पूरी तैयारी है यहाँ तक की सी एम् ने भी मुझसे दो बार बात कर ली...ये तो इस चक्कर में आर ए अफ़ आ गयी ..वरना ...दंगे में ख़ास बात है कौन सी चीज दंगा ट्रिगर करेगी ..ये पता नहीं चल रहा है...”
डी बी ने अपनी परेशानी का कारण बताया.
" बात तो सही है आपकी उसके बिना आप कंट्रोल भले कर लें लेकिन होने से रोकना मुश्किल होगा...एस्पेसली अगर कोई प्लान कर के भड़का रहा है." रीत बोली.
डी बी एकदम इम्प्रेस हो गए और बोले...
" एक दम सही बात...दंगा हमेशा किसी और मकसद से होता है, कभी वोट्स को पोलाराईज़ करने के लिए,कभी गरीबों की झोपड़ियों को जला कर बिल्डर्स के लिए रास्ता साफ करने के लिए...कभी किसी की नेतागिरी चमकाने के लिए...लेकिन ऐसा कुछ समझ में नहीं आ रहा है. और इससे जुडी एक तीसरी बात और है जो बहोत कम लोगों को मालूम है लेकिन उसके इम्प्लीकेशंस बहोत लांग टर्म हैं."
तीसरी बात क्या है...रीत ने पुछा .
“ सरायमीर जानते हो न तुम्हारे घर से २०-३० किलोमीटर पड़ता होगा...यहाँ से करीब ७० किलोमीटर होगा...वहीँ इस महीने के आखिर में आलिमी इज्तेमा है. ..और ये पहले किसी भी हुए इज्तेमा से ज्यादा बड़ा होगा करीब ४०-४५ लाख लोगों के आने की उम्मीद है ..तकरीबन १५० देशों से...." डी बी बोले.
" हाँ रस्ते में पड़ता है जानता हूँ मैं अच्छी तरह से..." मैं बोला.
" ये इज्तेमा क्या होता है..." रीत ने अपनी ना जानकारी जाहिर की.
और मुझ"को अपनी जानकारी दिखाने का एक बेहतर मौका मिल गया.
" ये एक वर्ड कान्ग्रिगेशन , विश्व सम्मलेन जैसा है, तबलीगी जमात का. तबलीगी लोग बहोत धार्मिक होते हैं लेकिन सीधे, और धर्म और राजनीति को अलग अलग रखते हैं. ये ६ मूल सिद्धांत मानते हैं और एक पैसिफिक, शांतिवादी विचार धारा केलोग हैं .” मैं बोल ही रहा था की रीत ने मेरी बात काट के डी बी से कहा.
." लेकिन इसका दंगे से क्या सम्बन्ध है..."
टमाटर चाट की दूसरी प्लेट आगई थी और वो उसे ख़तम करने में जुटे थे...खाते खाते रुक के बोले...
" है… बहोत गहरा सम्बन्ध है बल्कि तीन तरफा रिश्ता है...पहला तो ये ..की ये लोग कभी किसी पोलिटिसियन तो छोडिये बाहर वाले को शरीक होने के लिए नहीं परमिट करते...लेकिन अबकी आखिरी दिन...लगभग ९०% तय है की सी एम् इसमें भाग लेंगे...और इसका. बहोत गहरा राजनितिक असर पड़ेगा.
अभी जो एक रामपुर के नेता हैं , वो समझते हैं सारे वोट उनके कारण आते हैं, स्टेट होम मिनिस्टर भी उन्ही के ख़ास हैं...तो अब इससे सी एम् की एक इंडीपेंडेंट छवि बनेगी , सीधी पैठ होगी और दो साल बाद लोक सभा के चुनाव भी हैं."
" तो इसका मतलब वोट बैंक..." मैंने फिर अपना ज्ञान झाडा और डांट खायी.
" तुम चुप रहो यार जब दो पढ़े लिखे लोग बात कर रहे हों...तो सूना करो...डी बी बोले और मेरी भी टमाटर चाट की प्लेट अपनी ओर सरका ली और बोलना शुरू कर दिया,
" मैं उस ग्रुप में था जब ये बात हुयी थी, रिजर्वेशन से हट के वेस्टर्न एजुकेशन और इंडस्ट्रि की बात है...जाब्स की बात है एम्प्लायेबल बनाने की बात है...सी एम् ने मुझे खुद समझाया था...मामला मैनेजमेंट आफ चेंज का है...या तो हम एक दिन में सब बदलना चाहते हैं या वहीँ खड़ा रहना चाहते हैं...जिसको आप आगे ले जाना चाहते हैं उसके अन्दर पहले जज्बा पैदा करिए फिर उस जज्बे के साथ चलिए. और सेंटर भी इसलिए इस पहल को सपोर्ट कर रहा है. ४८ % फंडिंग केंद्र करेगा. और इस के ग्लोबल इम्प्लिकेशन भी हैं
. होली के १० दिन बात लखनऊ में एक मीटिंग है, फिरंगी महली, इजिप्ट से मुस्लिम ब्रदर हुड के लोग इंग्लैण्ड से अब्बे मिल्स मस्जिद के इमाम बहोत से लोग बाहर से शिरकत कर रहे हैं. इस मीटिंग में ही खाका तय होगा, और उसी के मुताबिक़ एनाउन्समेंट होगा...इसलिए उसके पहले कुछ भी गड़बड़ होना ..बहोत परेशानी की बात होगी. सब किया धरा गड़बड़ हो जाएगा..
सारा माहौल, सारी इमेज ख़राब हो जायेगी. "
डी बी की इस लम्बी बात चीत के दौरान मैं अपने मोबाइल से जूझ रहा था.
लन्दन से स्मिथ, वही ग्रे हैट जिसे मैंने सारे नंबर भेजे थे..का मेसेज आया था लेकिन उसको पढ़ने के लिए एक सरवर पे जाना होता था एक रैंडम पासवर्ड के जरिये ...लम्बा और सीरियस मेसेज था साथ में एक मैप अटैच था.
" अब मुझे सब क्लियर हो गया ...जितना बड़ा स्टेक उतना बड़ा रिस्क ..." रीत आखिरी गोलगप्पा गप करती बोली..
"लेकिन मुझे कुछ नहीं क्लियर हुआ ." डी बी बोले.
" अरे आप दंगे के लिए क्या ट्रिगर होगा ये सोच रहे थे ना...तो वो बाम्ब क्या चुम्मन ने बनाया होगा...और फिर क्या वो सिर्फ एक बम्ब होगा...? रीत ने फिर बोला.
मैं समझाता हूँ ...लन्दन के मेसेज के बाद चीजें और बदल गयी थीं.
मैंने बोलना शुरू किया.
" देखिये इसलिए मैंने आपको यहाँ बुलाया था..सुबह हम लोगों को पहले लगा की ये एक टेरर अटैक है लेकिन बाद में दो बदमाशों का हमला साबित हुआ...लेकिन अब जो लगा रहा है की ये कहीं ना कहीं से एक बहोत बड़ी साजिश का हिंट दे रहा है.”
" मतलब " डी बी का अब सारा ध्यान मेरी ओर ही था. प्लेटें उन्होंने बाजू में सरका दीं थीं. उनकी दोनों कुहनी मेज पे थी और सर झुका हुआ था.
" देखिये, अब आपने जब सारा बैक ग्राउंड बता दिया है तो मुझे लग रहा है की मामला कितना सीरियस हो सकता है...मैं ने बोलना शुरू किया.
“देखिये तीन बातें हैं, जिससे मुझे बहोत गड़बड़ लग रहा है और इसलिए मैं रीत को भी यहाँ ले आया हूँ. पहली बात तो जो स्कूल में हुयी...जैसा मैंने आपको मेसेज किया था...जब हम सीढ़ी से निकलने वाले थे तो निचले दरवाजे का ताला बाहर से बंद था. वो किसने बंद किया? क्या उसका इंटरेस्ट रहा होगा..? ड्राइवर ने बाद में हम लोगों को बताया की सी ओ साहेब ने उसे हटा दिया था और वहां आर्म्ड गार्ड पोस्ट करने के लिए बोल दिया था...तो ऐसा उन्होंने क्यों किया..और इसका मतलब है उन्हें ताले के बारे में मालूम होगा..
दूसरी बात...फायरिंग आप ने साफ मना की थी लेकिन उसके बावजूद फायर हुआ और वो भी २०-३० राउंड ..और उसी जगह को निशाना बना के जहाँ के बारे में हमें मालूम था की वहां चुम्मन है...ऐसा क्यों...और तीसरी बात बाम्ब कैसे एक्सप्लोड हुआ...".
डी बी ने मुझे रोक के बोला ..." आर यू श्योर...की ए . एम् ( अरिमर्दन ..सी ओ का नाम) ने ही ड्राइवर को हटाकर वहां...फिर तो ताला उस ने या उस के इंस्ट्रक्शन पे ..."
" एकदम ...मुझे भी यही लगता था लेकिन उससे सनसनी खेज बात एक और है..." मैंने बोला...लेकिन रीत बीच में टपक पड़ी... " मैं बताऊँ मेरे हिसाब से बाम्ब कैसे एक्स्प्लोड़ हुआ.."
बाद में ...मैंने बोला और चुम्मन का मोबाइल और काल डिटेल्स निकाल के टेबल पे रख दिया...
" ये क्या है...किसका है तुम्हे कहाँ से मिला..." डी बी की आँखों में एक चमक थी.
" चुम्मन का मोबाइल है और ..." मैंने बोलना शुरू ही किया था डी बी बस ख़ुशी से उछल पड़े..तपाक से उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया...और बोले,
" यार तुमने गजब का काम किया हमारे हास्टल का नाम रोशन कर दिया...साल्ले एस टी फ वालों की फट जायेगी..जब उन्हें पता चलेगा की ...मोबाइल हमारे पास है ..."
फिर अचानक उन की निगाह रीत पे पड़ी तो वो झिझक गए..सारी यार ...आई ऍम सो सारी आप के सामने..आगे से ख्याल रखूँगा..."
रीत क्यों मौका छोड़ती..." आप ने तो कुछ नहीं बोला...जब हमारी बनारसी जुबान सुनेंगे ना...और मैं आप से बहोत छोटी हूँ...तो मुझे आप क्यों बोलते हैं और फिर अब तो मैं आप के दोस्त की दोस्त हूँ तो ..फिर तो दोस्त हूँ ना...तो..."
रीत से कौन जीत सकता है...तो डी बी ने भी हाथ खड़े कर दिए...और अपनी बात आगे बढाई...
" यार ( अबकी वो रीत की ओर देख के बात कर रह हे थे...) वो एस टी फ वाले चुम्मन और रज्जाऊ को तो ले गए ...लेकिन एक तो फोरेंसिक रिपोर्ट, लोकल इंटेलिजेंस मैंने बोल दिया तभी शेयर होगी जब जोइंट इंटेरोगेशन होगी. मुझे तो उसकी कुंडली मेरे खबरी ने ही बता दी थी.
कौन सा वो टेररिस्ट थे ...और सबसे ज्यादा...वो मोबाइल के लिए परेशान थे ...तो मैंने बोल दिया की मेरी टीम को तो मिला नहीं ...जो सही भी था और वो उन लड़कियों से भी सवाल जवाब करना चाहते थे तो मैंने बता दिया की ...जब वो बाम्ब एक्स्प्लोड़ हुआ तो उसी समय वो बच के भाग निकलीं और हमें किसी का नाम नहीं मालूम..
.मुझे मालूम था की मेहक का नाम चुम्मन को मालूम होगा, तो मैंने उसके अंकल को यहाँ आने के पहले बोल दिया था की वो उसे कहीं बाहर भेज दें. तो अभी लेट इवनिंग की एक फ्लाईट से वो उस ले के मुंबई जा रहे हैं और होली के बाद लौटेंगे."
फिर मेरी ओर मुंह कर के बोले..'तुमने इसकी सिम की कापी तो कर ही ली होगी."
" देखीये ये आप को भी मालूम है की इस सवाल का जवाब क्या है और मैं इस का जवाब आप को दूंगा भी नहीं. में इस का जवाब आप को दूंगा भी नहीं. में पहली बात तो ये बताना चाहता हूँ की जिस नम्बर से उसने काल किया था और जो सिम ये पता चला था की बक्सर का है...."
मेरी बात काट के डी बी बोले..." हाँ मुझे पता चल गया है की उसने होस्टेज बनायीं एक लड़की के फोन से फोन किया था और उस का सिम बक्सर का था. उस के कजिन का. मैंने तुम्हे पहले ही बोला था की सिर्फ सिम से कुछ पता नहीं चलता."
" जी..."उन की बात वहीँ छोड़ के मैंने अपनी बात आगे बढाई."
इस फोन में दो इन कमिंग काल हैं..उस पीरियड में जब उसने लड़कियों को होस्टेज बना के रखा था...एक से तो १५-२० सेकेण्ड बात हुयी है जो फर्स्ट काल है ये नंबर है...और दूसरा नंबर ये ..जिससे ५-७ मिनट बात हुयी है...ये नंबर याद आ रहा है..किसका है...
" किसका हो सकता है...पहला तो पता नहीं...उयीईईईई य तो हम लोगों का सी यु जी नंबर है...लेट में सी अगेन..., ये नबंर तो सी ओ कोतवाली का है...." वो चौंक के बोले.”
" जी ...मैं आराम से बोला...और जो काल हम ने कोतवाली से सुनी थी...वो इन कमिंग नहीं आऔट गोइंग काल थी...पहली काल तो उसने होस्टेज के...जैस्मिन के फोन से की थी...जो उसकी आउट गोइंग काल थी कोतवाली को...यहाँ ये सवाल खड़ा हो सकता है..सी ओ को चुम्मन के फोन का नंबर कैसे पता चल गया...अगर वो इन कमिंग फोन के बेसिस पे करते तो वो काल जेसमीन के फोन पे जाती लेकिन उन की काल चुम्मन के नंबर पे कैसे गयी...
दूसरी बात....अगर उन्हें चुम्मन का नंबर पता था तो उन्होंने आपको क्यों नहीं बताया...और सब लोग बेकार में बकसर में सिम तलाश करते फिर रहे थे.”
“बात तो तुम सही कह रहे हो...लेकिन किस का विशवास करें किस का ना करें...और अगर तुम जो ये ताले वाली बात बोल रहे हो, फायरिंग तो मुझे रोकने के लिए बोलना पड़ा...तो ए ऍम पे तो भरोसा एक दम नहीं कर सकते ..." डी बी ठंडी सांस ले के बोले.
" किसी का मत करिए सिवाय अपने ..." रीत ने ज्ञान की बात बोली और हम सब मुस्करा दिए...और फिर मैंने डी बी का ध्यान काल डिटेल्स पे दिलवाया,...
और ये भी बोला की ये भी रीत की करतूत है..
"लेकिन दूसरा प्वाइंट और इम्पार्टेंट है और इसकी पूरी क्रेडिट रीत को जाती है...ये हैं काल डिटेल्स ..."
मैंने बोला और डी बी के सामने चुम्मन के फोन की इन कमिंग और आउट गोइंग फोन्स की काल डिटेल्स रख दीं.
डी बी उसे ध्यान से देख रहे थे...मैंने पूछा क्यों कोई ख़ास पैटर्न नहीं पकड़ में आ रहा है ना...
नहीं वो बोले..".सारी काल्स लोकल है और किसी नंबर से ज्यादा काल न तो आई है न उसने की है."
" हाँ लेकिन अब देखिये जो बात रीत ने पकड़ी...ये काल ड्यूरेशन वाइज..."
मैंने जैसे ही वो लिस्ट उन्होंने दिया..वो तुरंत चौंक गए...
' ये दो नंबर इनसे काल का टाइम बहोत कम है..." वो बोले....
" एकदम ....जो शरलक होम्स की कहानी में था...ना की कुत्ता क्यों नहीं भौंका...वो वाली बात है...और एक सर्टेन टाइम पे ये काल आती हैं...,सबसे बड़ी बात,,,,चुम्मन ने इन नंबरों पे कोई फोन नहीं किया." मैंने जोड़ा.
" हूँ..."
वो जोर से बोले और एक बार फिर उन नंबरों को देखने लगे.. और रीत और मुझे समझाया...इट लुक्स डेंजरस नाउ. इसका मतलब साफ है, इसने चुम्मन को किसी काम के लिए इंगेज किया है...और वो एक फिक्स्ड टाइम पे चुम्मन को इंस्ट्रक्शन देता है और उससे फीड बैक लेता है..."
" जी और वो बाम्ब जो मैंने देखा था ..उसका रफ स्केच इस तरह का था...मैंने जेब में से एक तुड़ा मुडा कागज निकाला.. और बोला..".ये वो जो बाम्ब्स सूरत में लगाए गए थे और एक्सप्लोड नहीं हुए ..सर्किट की गड़बड़ी की वजह से आलमोस्ट वैसा...सिर्फ सर्किट इसकी थोड़ी इम्प्रूव्ड है और करीब ९० % कम्प्लीट है...टाइमर या रिमोट डिटोनेटर इसमें नहीं लगा है...तो इस तरह का बाम्ब तो चुम्मन के पास में कहाँ से आएगा अन्लेस..."
" तुम्हारा शक सही है लेकिन ...ये अगर हुआ..." डी बी सोच में पड़ गए...
" और आप ही तो कह रहे थे की स्टेक्स बहोत हाई हैं...और बनारस में इतने मंदिर इतने घाट....कहीं कुछ और कहीं ६-७ जगह पे एक साथ हो गया तो...." रीत ने पिक्चर पूरी की.
" तो ये हो सकता है ट्रिगर..." उन्होंने उन दोनों नंबरों पे हाथ रखते हुए कहा...इनके बारे में बस पता लगाना होगा और लोकेशन .." डी बी बोले और उन्होंने अपना मोबाइल फोन निकला लेकिन मैंने उने रोक दिया..
" जस्ट आई गाट अ मेसेज फ्राम अ ग्रे हैट फ्रेंड फ्राम लन्दन..."
" जस्ट आई गाट अ मेसेज फ्राम अ ग्रे हैट फ्रेंड फ्राम लन्दन..." मैंने मेसेज उन्हें दिखाया लेकिन उसके पहले डी बी रीत से बोले...
" हैकिंग की दुनिया में ब्लैक हैट वो हैकर होते हैं, जो सिर्फ अपने फायदे या मजे के लिए हैकिंग करते हैं, ग्रे कुछ अपने मजे के लिए कुछ सबके फायदे के लिए और व्हाईट हैट ,साइबर सिक्युरिटी के लिए या किसी कंपनी के लिए..."
गनीमत था रीत ने पलट के ये नही बोला की वो आलरेडी विकी पे चेक कर चुकी है..
मैंने पोजीशन वाला इन्क्लोजर दिखाया...ये लोकेशन हैं जहाँ से फोन होते हैं और उनकी टाइमिंग हैं....
रीत ने थोडा जूम किया झुकी और ध्यान से देखा फिर वापस सर उठा के बोली ..." ये हो नहीं सकता..."
" क्यों " मैं और डी बी साथ साथ बोले...
रीत फिर झुकी और मैप में दिखाते बोली,
"...काशी करवट से लेके अस्सी तक ये देख रहे हो...पहली काल यहाँ से हुयी ८.१२ पे दूसरी हुयी अब इस जगह से ८.१७ पे और तीसरी हुयी इस जगह से ८.२२ पे...अब सड़क से अगर आप चलोगे...तो इस समय बनारस में इतना जाम होता है...आप किसी तरह पहुँच नहीं सकते.
दूसरी बात मान लो ये बनारस की गलियों से वाकिफ है...मुझसे ज्यादा तो नहीं जानता होगा...गली से भी कोई डायरेक्ट कनेक्शन नहीं है और मोटर साइकिल से भी आओगे तो कम से कम १०-१२ मिनट लगेगा..."
हम लोग क्या बोलते ...डी बी तो बनारस नए नए आये थे और मुझे भी बनारस की गलियों के बारे में रीत इतना कतई नहीं मालूम था...
रीत फिर कुर्सी से पीठ सटा के बैठ गयी..दोनों हाथ पीछे कर के...कोई दूसरा वक्त होता तो मेरी निगाह सीधे उसके कुरता फाड़ उभारों पे जाती पर ..एक तो मामला सीरियस थी दुसरे सामने डी बी बैठे थे...
लेकिन फिर भी मेरी निगाहें वहीँ पहुँच गयी आदत से मजबूर ...रीत ने मुझे देखते हुए देखा, आँखों से डांटा और एक बार फिर झुक के एक मिनट के लिए प्लान को देखा...और फिर सीधे बैठ के मुस्कराने लगी और बोली.
.
" मैं बेवकूफ हूँ..."
" एकदम...चलो माना तो सही तुमने...तुम दुनिया की पहली लड़की होगी जिसने ये सत्य स्वीकार किया होगा..." मैंने मुस्कराते हुए कहा.
" पिटोगे तुम और वो भी कस के ..." रीत कोई हथियार खोजते हुए बोली.
" एकदम मेरी ओर से भी ..." डी बी ने उसी का साथ दिया.
रीत ने मेरी पिटाई का काम टेम्पोरेरी तौर पे स्थगित करते हुए ये रह्स्योध्घाटन किया की वो क्यों बेवकूफ है...
" ये देखिये गंगा जी..." वो बोली.
नक़्शे में नदी हम लोगों को भी दिख रही थी...
"तो फोन वाला आदमी अगर नाव पे हो तो इन सारी जगहों पे जो टाइम दिखाया गया है वो पहुंच सकता है हमें जगह देख के लग रहा था लेकिन लोकेशन तो १०० मीटर के आसपास ही होगी..."
" हाँ एकदम "और फिर मैंने एक सवाल डी बी से किया..." क्या आप लोगों ने फोन चेक करने वाली वांन तो नहीं चला रखी हैं..." मैंने पूछा...
" हाँ करीब १० दिन से जब से दंगे की अफवाहें आनी शुरू हुयी हैं , लेकिन तुम्हे कैसे पता चला..तीन गाड़ियाँ हैं ,,और २४ घंटे चल रही हैं..." डी बी बोले...
" उनकी रेंज नदी तक है..." मैंने दूसरा सवाल पूछा.
" हाँ और नहीं...घाट और घाट के पास तक का इलाका कवर होगा लेकिन कोई नदी के बीच में या रामनगर साइड में होगा तो नहीं..." वो बोले.
" बस तो ये साफ है... कोई जरुरी नहीं है की उस आदमी को पता हो इन वान्स के बारे में...लेकिन वो कोई प्रोफेशनल है जो पूरी प्रीकाशन ले रहा है...और इन फोन की लोकेशन के बारे में और ओनरशिप के बारे में ज्यादा पता नहीं चल पायेगा वो भी मैंने पता कर लिया है .
इन दो घंटो के अलावा...इन नम्बरों का पन्द्रह दिनों में और कोई इस्तेमाल नहीं किया गया. ये सिम बहोत पुराने हैं और प्री पेड़ हैं, आशंका है किसी डेड आदमी के ये सिम होंगे ....और दो घंटो के अलावा सिवाय आज जब होस्टेज वाले टाइम ...एक काल आई थी ....उन की लोकेशन भी नहीं पता चल रही है..."
मैंने पूरी इन्फोर्मेशन उनसे शेयर की.
डी बी अब पूरी तरह चिंतित लग रहे थे.
फिर उन्होंने रुक रुक कर बोलना शुरू किया...
" तीन बाते हैं. पहली, तुम्हारे इन टेलीफोन नंबरों के अलावा, अगर कोई कनेक्शन मिल सकता था तो वो चुम्मन का था...लेकिन वो एस टी फ वालों के कब्जे मैं है.शायद ही वो चुम्मन से सीधे मिला हो..कट आउट यूज किया होगा...या फिर फोन के जरिये..."
रीत ने मुझसे कान में पुछा..." कट आउट क्या...कोई बिजली का..."
" अरे नहीं यार..कोई बिचौलिया..." मैंने फुसफुसा के समझाया.
डी बी बोल रहे थे...
" दूसरी बात टाइम बहोत कम है तीन दिन बाद होली है.तीन दिन के अन्दर पता करना, न्यूट्रलाइज करना और सबसे बड़ी ये है की किसपे भरोसा करूँ किस पे नहीं.”
" मैं हूँ ना..." रीत हिम्मत से बोली.
डी बी के चेहरे पे एक हलकी सी मुस्कान दौड़ गयी...
" वो तो है...बट...कुछ तो करना पड़ेगा ना...." वो बोले...
एकदम रीत बोली...लेकिन मैं बीच में कूदा
" मेरी बात तो पूरी होने दो...इन दो नंबरों के और भी डिटेल पता चले हैं...पिछले १० दिनों में इसी समय यानी ८-१० के बीच , इन्ही लोकेशंस से....कोयम्बटूर,हैदराबाद, मुम्बई, वड़ोदरा और भटकल ...लेकिन ज्यादातर फोन मुंबई वड़ोदरा और हैदराबाद के लिए हैं. जिन नंबरों को ये फोन किये गए थे वो टैग कर लिए गए हैं और उनकी लोकेशन और प्रोफाइल भी घंटे दो घंटे में मिल जायेगी."
मैंने बोला. इसी बीच मेरे फ़ोन पे तीन चार मेसेज आ गए थे.
" ऑफ ..ये तो और चक्कर है...इसके दो मतलब है एक उस को बाकी जगहों के भी थ्रू कोई हेल्प मिल सकती है और दूसरा कोई मल्टी टार्गेट प्लान है...मुझे इसमने क्लीयरली हुजी और आईएम दोनों के फिंगर प्रिंट्स नजर आ रहे हैं." डी बी बोले
ऑफ ..ये तो और चक्कर है...इसके दो मतलब है एक उस को बाकी जगहों के भी थ्रू कोई हेल्प मिल सकती है और दूसरा कोई मल्टी टार्गेट प्लान है...मुझे इसमने क्लीयरली हुजी और आईएम दोनों के फिंगर प्रिंट्स नजर आ रहे हैं."
" हुजी कौन...'रीत ने फिर धीरे से पूछा...
" हरकत-उल-जिहाद-अल -इस्लामी' मैंने समझाने की कोशिश की लेकिन डी बी ने सुन लिया...वो बोले,
" एक संगठन है जिसका हाथ कई जगह फैले हैं. २००६ में यहाँ..."
" संकटमोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पे ...." रीत बात काट कर बोली.
" हाँ वही उसमें भी हुजी का हाथ सस्पेक्ट था...साउथ इण्डिया और नेपाल बंगला देश से जुड़े इलाकों में थोडा सपोर्ट बेस है. ये ज्यादातर सेकेण्ड या थर्ड लेवल के लोकल बदमाशों की मदद से हरकतें करते हैं." डी बी ने समझाया.
इसका मतलब की ये साजिश बड़ी लेवल की है...डी बी फिर थोड़े चिंतित हो गए.
" देखिये परेशानी तो है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है...रीत बोली..बी पाजिटिव."
डी बी ने तुरंत मुस्कराते हुए हाथ बढाया..." इट्स ग्रेट ...मैं भी बी पाजिटिव हूँ.".
मेरे फोन पे एक मेसेज आया. मैंने डी बी से उनके सारे मेल आई डी पूछ के और अपने दो तीन मेल आई डी , फेस बुक ऐकौन्ट्स के साथ मेसेज वापस कर दिए.
रीत फिर शुरू हो गयी थी...मैं बताऊँ..बाम्ब ब्लास्ट कैसे हुआ....
हम दोनों समझ गए थे की ये अपनी कहानी सुनाये बिना रहेगी नहीं. अभी तक न तो मुझे क्लियर था ना डी बी को ये कैसे हुआ होगा...जबकि हम दोनों वहीँ थे..
.लेकिन हम ने साथ एक बोला चलो सूना दो.
उलटे रीत ने मुझसे सवाल पुछा...
" जब बाम्ब एक्सप्लोड हुआ तो तुम लोग कहाँ थे...
"
" अरे यार तुम्हे मालूम है , हम लोग सीढ़ी पे थे बाहर से किसी ने ताला बंद कर दिया था. ये तो अच्छा हुआ बाम्ब एक्सप्लोजन से वो दरवाजा टूट गया...."
रीत ने मेरी बात काटी और अगला सवाल दाग दिया, मुझी से ...
" और पुलिस बाम्ब एक्सप्लोजन के बाद अन्दर गयी..."
' हाँ यार...मैं किसी तरह से अपनी झुंझलाहट रोक पा रहा था.
बताया तो था की हम लोग बाहर आ गए एक्सप्लोजन के बाद तब पोलिस वाले, कुछ पैरा मेडिक स्टाफ और फोरेंसिक वाले अन्दर गए थे मेरे सामने..."
डी बी ने मेरी ताईद की और अपनी मुसीबत बुला ली.
" अच्छा आप बताइये ..जब पुलिस वाले और फोरेंसिक टीम अन्दर गयी तो उन्होंने चुम्मन और रजाऊ को किस हालत में और कहाँ पर देखा ." रीत ने सवाल दगा.
" वो दोनों बरामदे में थे...पीछे वाली सीढ़ी जिस बरामदे में खुलती है वहां ...दोनों गिरे हुए थे..रजाऊ के ऊपर छत का कुछ हिस्सा गिरा था और चुम्मन के ऊपर कोई अलमारी गिर गयी थी. जिस कमरे में बाम्ब था वहां नहीं थे..."
डी बी ने पूरी पिक्चर साफ कर डी.
" करेक्ट ...तो तुम लोग तो सीढ़ी पे थे और वो दोनों बरामदे में और तुमने पहले ही बता दिया था की वो बंम्ब बिना टाइमर के था और रिमोट से भी एक्सप्लोड नहीं हो सकता था ...."
रीत अब मेरी और फेस की थी , तो सवाल है की वो एक्सप्लोड कैसे हुआ."
" इसका जवाब तो तुम देने वाली थी ..मेरा धैर्य ख़तम हो रहा था. मैंने थोडा जोर से बोला.
" चूहे से..." वो मुस्कराकर आराम सेबोली.
डी बी खड़े हो गए.
मैं डर गया मुझे लगा की वो नाराज हो गए.
लेकिन खड़े हो कर पहले तो उन्होंने क्लैप किया फिर रीत की ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया. रीत भी उठ गयी और उसने तपाक से हाथ मिलाया.
डी बी बैठ गए और बोले,
" यही चीज मुझे समझ में नहीं आ रहा थी. फोरेंसिक एवीडेंस यही इंडिकेशन दे रहे थे...लेकिन इस तरह कोई सोच नहीं रहा था...ना सोच सकता था.तार पर बहोत शार्प निशान थे, वो चूहे के बाईट मार्क रहे होंगे. और लाजिक तुंने सही लगाया, न ये लोग थे वहां, ना चुम्मन था और ना पुलिस..तो आखिर कैसे एक्सप्लोड हुआ. और फोरेंसिक एविडेंस से कन्फर्म भी होता है...एक मरा चूहा भी वहां मिला..."
" उस चूहे ने बहोत बड़ा काम किया बम्ब के बारे में पता चल गया." रीत बोली.
मुझे डर लगा की अब वो कहीं दो मिनट मौन ना रहें.
लेकिन डी बी बोले और मुझसे मुखातिब होके..
" यू नो, इट वाज अ परफेक्ट बाम्ब जो रिपोर्ट्स कह रही हैं..मेजर समीर के लोगों ने भी चेक किया और अपने फोरेंसिक वालों ने भी सैम्पल्स बाई प्लेन हम लोगो ने दिल्ली सेन्ट्रल फोरेंसिक लेबोरटरी में, हाँ वही जो लोदी रोड में है, भेजे थे. प्रेलिमंरी रिपोर्ट्स का वाई मेसेज आया है...सिर्फ टाइमर और डिटोनेटर फिट नहीं थे..."
" फिट नहीं थे मतलब..." मैं बोला. ये मेरी पुरानी आदत है की ना समझ में आये तो पूछ लो और इस चक्कर में कई लोग नाराज हो चुके हैं..
" मतलब ये ..डी बी मुस्कारते हुए बोले जैसे टीचर क्लास में ना समझ बच्चों को देख के मुस्कराते हैं
" वो लगा के निकाल लिए गए थे. इसमें डिटोनेटर टी एन टी के इस्तेमाल हुए थे जो नार्मली मिलेट्री ही करती है...इसके पहले के एक्स्प्लोजंस में नारमल जो क्वेरी वाले डिटोनेटर्स,पी इ टी एन यूज करते हैं वो वाले होते हैं. दूसरी बात, इसमें डबल डिटोनेटर्स लागए गए थे.दूसरा डिटोनेटर्स स्लैप्पर डिटोनेटर्स ...
अब बात काटने और ज्ञान दिखाने की जिम्मेदारी मेरी थी.
" वही जो अमेरिका में लारेंस वालों ने बनाए हैं...वो तो बहोत हाई ग्रेड...लेकिन मुझे वहां दिखा नहीं..." मैंने बोला और मुड कर रीत की तरफ देखा की वो कुछ मेरे बारे में भी अच्छी राय बनाये लेकिन वो डी बी को देख रही थी. और डी बी ने फिर बोलना शुरू कर दिया..
" बात तुम्हारी भी सही है और मेरी भी डिटोनेटर्स लगा के निकाल लिए गए थे...लेकिन इन के माइक्रोस्क्पिक ट्रेसेस थे...और तीसरी बात..इस की डिजायन इस तरह की थी की फिजिकल बैरियर्स के बावजूद ..सेकेंडरी शाक्वेव्स २०० मीटर तक पूरी ताकत से जायेंगी. जिस का मतलब ये की उस समय जो भी उस की जद में आएगा...सीरियसली घायल होगा. लेकिन डिटोनेटर की तरह शर्पेनेल भी अभी नहीं लगे थे बल्कि डाल के निकाल लिए गए थे."
बाम्ब की शाक वेव्स से मुझसे ज्यादा कौन परिचित हो सकता है, उसने सीढ़ी का दरवाजा जिस तरह तोड़ के उड़ा दिया था..सर्टेनली जबर्दस्त बाम्ब था.
" इसके अलावा इसमें एंटी पर्सोनेल माइंस के भी एलिमेंट्स हैं..." डी बी ने बात बढाई लेकिन रीत ने काट दी.
" इसका मतलब मेरा गेस सही था .." वो बोली.
“"मतलब" हम दोनों साथ साथ बोले.
" मतलब साफ है...." अपनी प्लेट की चाट ख़तम करने के बाद मेरी प्लेट की चाट ख़तम करते वो बोली
" मतलब साफ है...." अपनी प्लेट की चाट ख़तम करने के बाद मेरी प्लेट की चाट ख़तम करते वो बोली,
" तुम फालतू के सवाल कर रहे थे..ताला किसने लगाया, फायरिंग किसने करवाई, इत्यादि सही सवाल पूछो सही जवाब मिलेगा." वो चाट साफ करते बोली.
मैं और डी बी दोनों सही सवाल का इन्तजार कर रहे थे. एक मिनट रुक के थोडा पानी पी के जवाब मिला..
" सही सवाल है ...क्यूं किया...किसका इंटरेस्ट हो सकता है...करने वाला तो कोई भी होसकता है ...वो माध्यम मात्र है..." रीत गुरु गंभीर स्वर में बोली.
" जी गुरु जी...सत्य वचन ...." मैंने हाथ जोड़ कर कहा..
" बच्चा प्रसन्न रहो, सारी इच्छाएं पूरी हों ..." रीत ने आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठा के जवाब दिया. और डी बी को देख के अपनी बात आगे बढाई,
" आप ने जो बाम्ब का डिस्क्रिप्शन दिया ना उससे मेरा शक सही लग रहा है, कोई है जो ये नहीं चाहता था की चुम्मन जिन्दा बचे और आप लोगों के हाथ लगे. उससे भी ज्यादा वो ये नहीं चाहता था की ये,
उसने मेरी ओर इशारा करके बोला की जिन्दा बचे..मतलब किसी हालत में उस बाम्ब का डिस्क्रिप्शन आप लोगों तक पहुंचे.उस की प्लानिंग ये रही होगी की चाहे उस सी ओ के जरिये या उस ने बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड में किसी को पटा रखा हो जो बाम्ब बदल दे..उस की जगह कोई टूट पुंजिया जैसे बाम्ब नारमल गुंडे रखते हैं , वो रखवा दे..
.जिससे उस डिटोनेटर के बारे में जो मिलेट्री के टाईप के बारे में उसके एक्सप्लोसिव क्षमता के बारे में किसी को पता ना चले. क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसने ये बाम्ब इकट्ठे किये होंगे , कहीं बनाये होंगे, और उसके डिटोनेटर शर्पेनेल अलग रखे होंगे...तो बम्ब के बारे में पता चलने से अब उनकी पूरी प्लानिंग खतरे में पड़ सकती है. और सबसे ज्यादा खतरा इनसे इसलिए था की इन्होने बाम्ब को देखा था .
इन्हें और किसी चीज की समझ हो न हो...इन सब चीजों की थोड़ी बहोत समझ तो है..और अगर बम्ब बदला जाता तो ये बाद में पहचान सकते थे की ये वो बम्ब नहीं है...और अभी भी सबसे ज्यादा खतरा इन्ही पे है...क्योंकि और किसी को भले ही ना मालूम हो आपके सी ओ को तो मालूम ही है की वो लड़कियां कैसे छूटीं और इनका क्या रोल है...तो इसका मतलब की उन लोगों की भी मालूम होगा. इस लिए..."
रीत ने बात पूरी की और हम में से कोई नहीं बोला. डी बी ने चुप्पी तोड़ी.
" तुमने एक दम सही कहा....तुम लोग घबडा जाओगे इस लिए मैंने नहीं बताया था..,जब ये लोग यहाँ से निकले तो मैंने टेल करने के लिए एक एल आई यू ( लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) के आदमीं को बोला था तो उस ने ये देखा की कोई और भी इन लोगों का पीछा कर रहा है और वो थोड़े प्रोफेशनल भी थे.
जब ये लोग माल से रुक के चले तो आदमी बदल गया, लेकिन मोटर साइकिल नहीं बदली. सड़क पे भीड़ कम थी इसलिए उसको देखन मुश्किल नहीं था.
तुम लोगों के घर के दो चौराहे पहले एक नाकाबंदी पे एल.आई. यु. वाले ने मेसेज दे दिया था ...वहां वो नाकेबंदी में पकड़ा गया...मैं यहाँ से लौट के जाऊँगा तो उससे पूछताछ खुद करूँगा...लेकिन मुझे पूरी उम्मीद कुछ ख़ास नहीं निकलेगा...उसी किसी ने फोन पे बोला होगा और बैंक में पे कर दिया होगा...दूसरी जो ज्यादा खतनाक बात है...की यहाँ को खतरनाक प्रोफेशन गैंग्स को किसी ने तुम्हारी फोटो दी है, अभी सिर्फ वाच करने के लिए..."
डी बी की बात सुनकर मैं नहीं डरा ये कहना गलत होगा...
रीत भी थोड़ी सहम गयी, लेकिन कुछ रुक कर बोली...लेकिन अब करना क्या है फिर कुछ रुक कर वो बोली..
" मेरे ख्याल से पहली चीज तो ये ही की तुम यहाँ से गुड्डी को ले के जल्दी से जल्दी चले जाओ..और अब इस घटना से किसी भी तरह से जुड़े मत रहो...वहां जा के बस जिस काम के लिए तुम आये थे उस तरह से रहो, किसी को भी कानोकान खबर न हो न तुम्हारे चाल चलन से ये लगे....की तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है...."
" एकदम फौरन से पेश्तर ..." डी बी ने भी बड़ी जोर से सर हिलाया.
" लेकिन..." मैंने बोला...लेकिन डीबी और रीत एक साथ बोले लेकिन वेकिन कुछ नहीं...
लेकिन मैं..मेरा मतलब आई वूड लाइक टू इन्वोल्व माइसेल्फ़..मैंने धीरे से बोला...फिर मैंने ही रास्ता सुझाया...
" ठीक है , आप रीत के जरिये मुझसे टच में रहिएगा...और मैं जो भी इन्फो मिलेगी...रीत से तीन फायेदे होंगे..."
रीत ने मुझे घूर के देखा और बोली,
" हे अपनी तारीफ करने के मामलें में मैं आत्म निर्भर हूँ...मुझे किसी की हेल्प नहीं चाहिए..."
मैंने उसकी और देखा तक नहीं. देखता तो फिर सरेंडर कर देता ...और अपनी बात जारी रखी,
"पहली बात रीत के बारे में 'उन लोगों' को कुछ पता नहीं है...ना वो मेरे साथ पोलिस स्टेशन पे थी हम लोगों की मुलाक़ात भी आज ही हुयी है , इसलिए उससे इस घटना का कनेक्शन कोई नहीं जोड़ पायेगा...और मैं रीत के थ्रू आप से कान्टेक्ट में रह सकता हूँ.
दूसरी बात नेट्वर्किंग और जगह की जानकारी , तो रीत को बनारस के एक एक गली कूचे, घाट तालाब सब की नालेज है....उस के दोस्तों का सर्किल बहोत बड़ा है और सबसे उसकी अच्छी बांडिंग है...
और तीसरी बात...रीत सुपर इंटेलिजेंट है...लोग कहते हैं चाचा चौधरी का दिमाग कम्पूटर से भी तेज चलता है लेकिन उस का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है."
मेरी बात ख़तम होते ही डी बी बोल पड़े " दिमाग की बात तो सही है...फिर रीत की ओर मुड के मुस्कराते हुए बोले..
." अगर तुम्हारा १/३ दिमाग भी इसके पास होता न तो देश का भला हो जाता."
" और जो भी वो बस सिर्फ एक जगह खर्च होता है..." रीत ने पलीता लगाया.
जब तक रीत और डी बी की बात चल रही थी..मैं फोन में आये मेसेज देख रहा था...मार्लो के मसेज थे...
डी बी अचानक सपने से जागे और रीत से बोले....
" चाचा चौधरी ...हे तुम पढ़ती हो क्या ...."
" एकदम और आप ..." रीत ने पुछा...
और चौथी बार उन लोगो ने हाथ मिलाया...
"चाचा चौधरी का ट्रक ..." डी बी ने इम्तहान लिया.
"डगडग ..रीत बोली और उसने सवाल दाग दिया...
" चाचा चौधरी का कुत्ता...."
" रॉकेट ..." डी बी ने जवाब दिया...
सही जवाब रीत उछल कर बोली...
और वो लोग फिर हाथ मिलाते उसके पहले ही मैं ने धमाका कर दिया...
हम सब लोगों के फ़ोन मेल सब बुरी तरह हैक हो रहे हैं और पिछले २ घंटे से ये शुरू हुआ...और डीबी को मैंने उसके इ मेल के डिटेल दिखाए जिसमें दो तो उन्होंने अपनी फियान्सी को किये थे...मेरे भी सारे इ मेल हैक हो चुके थे. यही नहीं जो भी एड्रेसेज मेल में थे कूकी वहां तक पहुँच के उनके कम्प्युटर को भी खंगाल रही है."
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फागुन के दिन चार--60
गतांक से आगे ...........
मेहक ने ड्राइवर को बोल दिया था की वो हम लोगों के साथ ही रहेगा और हम लोगों को मेरे घर तक छोड़ के भी आएगा.
गुड्डी ने रास्ते में बता दिया की उसने चंदा भाभी को और रीत को फोन कर दिया था की गुंजा हमारे साथ है एकदम सेफ है. हमलोग १० मिनट में पहुँच रहे हैं और उसे छोड़ के तब जायेंगे.
रास्ते में अभी भी सन्नाटा था.बस दो चार चाय की दुकाने खुली थीं..चौराहों पे लोग इकठा थे, एक दुक्की गाड़ियाँ चल रही थीं.
हम लोग ५-७ मिनट में ही चंदा भाभी के घर पहुँच गए. वो नीचे इंतज़ार कर रही थीं.
दोनों ने एक दूसरे को देखा ....और फिर बाँध टूट पड़ा.
गुड्डी घर के अन्दर चली गयी.
गुंजा अपनी माँ के बाँहों में सिमट गयी और सुबक सुबक के रोने लगी.
चंदा भाभी ने भी उसे अपनी बाहों में भींच लिया और बिना बोले उनके गाल पे भी आंसू की धार बह निकली.
मैं दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा.
बिन बोले बहोत कुछ वो कहती रहीं,सुनती रहीं.
गुंजा ने मुड के एक पल मेरी ओर देखा,हलके से मुस्करायी और आंसू पोंछ लिए.
' ऊपर चलें.." मैंने भी मुस्करा के बोला और उसके कंधे पे हाथ रख दिया.
सीढ़ी से हम लोग ऊपर चल दिए और सीधे चंदा भाभी के कमरे में...और के बार फिर गूंजा ने अपनी माँ को भींच लिया.
चंदा भाभी उस की पीठ, सर सहलाती रहीं.
...
गूंजा दो पल के बाद मुड़ी और मेरी ओर देख के बोली,
" मम्मी, ये अगर नहीं पहुँचते तो...पता नहीं क्या हालत होती...मैं आपको देख भी नहीं पाती ..."
और फिर एक बार आंसू शुरू हों उसके पहले ही मैं बोला...
" मैं कुछ होने देता क्या...ऐसा क्यों सोचती है पगली." और उसके गाल से आंसू पोंछ दिए.
गूंजा अब मुड के मेरे गले से लिपट गयी...वो अभी भी हलके हलके सुबक रही थी.
चंदा भाभी ने अपने आंसू पोंछे और मुस्करा के बोलीं..
" क्यों नहीं पहुँचते ये ...सुबह सुबह मैंने तुम्हे इनकी साली क्यों बनाया था...मुफ्त के जीजू थे क्या."
चंदा भाभी ने मेरी ओर देखा.
" कुछ नहीं हुआ वहां...ये तीनो बस बैठी थीं...गुंडों ने छुआ तक नहीं इसे...खरोंच तक नहीं लगी इसे..मैं हाथ ना तोड़ देता उनके अगर इसे छूते..."
मैं बोला.
गूंजा और मेरी बाँहों में दुबक गयी और हलके से मुस्कराने लगी.
अब चंदा भाभी मुझसे बोलीं..." इस बात का बदला मैं कैसे चूका सकती हूँ...मैं नहीं सोच सकती."
" एकदम चुका सकती हैं...है न एक तरीका.."
और मैंने अब गूँजा को खूब कस के भींच लिया और एक ऊँगली से उसकी आँख की कोर से लटक रहे आंसू को तोड़ दिया.
चंदा भाभी अब अपने रूप में आ गयीं..बोलीं.
" अरे भैया ..ये तो तुम्हारी साल्ली है, तुम्हारा हक़ है इस पे ...जब चाहे तब...मुझे बताना अगर ना माने तो...मैं इसका हाथ पैर बांध के ...."
गूंजा छटक के मेरी बाहों से अलग हो गयी और मुस्करा के चंदा भाभी से बोलने लगी..
." अरे हाथ पैर तो इनके बाँधने पड़ेंगे ..तब..इत्ता शरमाते हैं..लड़कियों से भी ज्यादा ...जैसे मैंने बताया की ये मेरे जीजू हैं ...बस सब ...जल रही थीं.जैस्मिन जो फूटे मुंह नहीं बोलती ...मार कूदी पड़ रही थी...और मेहक तो ....और ये शर्मा के गुलाल हो रहे थे..."
और अब गूंजा ने जिस तरह से मेरी ओर देखा तो मैं सच में शरमा गया...और गुंजा और चंदा भाभी दोनों खिलखिला पड़े.
बादल छंट गए, हलकी सी चांदनी आसमान में मुस्कराने लगी.
' आने दो इनको होली के बाद...फिर सब शरम वरम उतार देंगे ."
चंदा भाभी मुस्कराते हुए मेरा हाथ पकड़ के बोलीं.
" इनके साथ तो वो भी आने वाली हैं...इनकी बहन कम..." गूंजा ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
" तभी तो...दोनों की साथ साथ उतारेंगे ना..." चंदा भाभी हंसते हुए बोलीं.
बाहर बरामदे में घचर पचर मची थी.
दूबे भाभी, संध्या भाभी, बाकी पडोसने ...गुड्डी ने सबको संक्षिप्त और सेंसर्ड वीरगाथा सूना दी थी ( चुम्मन के साथ मेरी चोट और डी बी का जिक्र सेंसर कर दिया गया था).
लेकिन सभी गूंजा से मिलने को व्याकुल थीं.
चंदा भाभी और गूंजा बाहर निकलीं और पीछे पीछे मैं.
चंदा भाभी और गूंजा को पड़ोसिनों ने गड़प कर लिया और एक बार फिर कहानी चालु हो गयी.
मैं दूर कोने में चला गया की कहीं कोई महिला मुझे ही चैनेल के पत्रकार की तरह पकड ले और मेरा वर्सन जानने की कोशिश करने लगे.
दो बाते और थीं...एक तो मुझे लग रहा था कुछ है जो कहीं फिट नहीं बैठ रहा है..मेरा हाथ जेब में चला गया और वहां चुम्मन का मोबाइल था...जो मैंने फर्श से उठाया था, मुझे चाकू लगने के बाद...
और असली बात ये थी की मेरी आँखे किसी को ढूंढ रही थी..चारों ओर...वो उस धमाचौकड़ी में तो हो नहीं सकती थी...वो सारी दुनिया से अलग थी.
ढूँढते ढूँढते मैं कोने में पहुँच गया...और अचानक किसी ने मेरी आँखे पीछे से बंद कर ली.
वो स्पर्श तो मैं बेहोशी में भी पहचान सकता था...लेकिन देर तक उस छुवन के अहसास के लिए मैंने बहाना बनाया...
" कौन छोड़ो न." मैं बोला.
" एलो एलो ....
एलो जी सनम हम आ गए , आज फिर दिल लेके ...."
फागुन की सारी चाँदनी शहद बन के मेरे कानों में घुल गयी. और फिर चूड़ियों की खनक...मेरे कानों के पास..और वो सपना आँखों के सामने ...
उछल कर वो सारंग नयनी मेरे सामने आ गयी. अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचाते, दो उंगलियों के बीच दुपट्टे की कोर पकडे ...
रीत मेरे सामने खड़ी थी.
" मैंने बोला था ना की मेरी बायीं आँख फड़क रही है...तुम शाम को जाने के पहले वापस आओगे..." उसने बोला.
मैं एक एक पल को पी रहा था. ..
मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था...घचर पचर ...नीचे कहीं चल रहा टी वी, सरसराती हवा..कुछ भी नहीं...मैं सिर्फ देख रहा था...रस में लीन...
" ये बाबू जी...मैं हूँ ...भूल गए क्या "
मेरे सामने चुटकी बजाते हुए रीत बोली.
" जिस दिन तुम्हे भूल जाऊँगा ना....अगले दिन सूरज नहीं निकलेगा...कम से कम मेरे लिए..."
मुस्करा के मैंने कहा.
रीत ने तुरंत मेरे मुंह पे हाथ रख दिया..
." हे ऐसा वैसा कुछ ना बोलो...तुम कौन होते हो मेरे...मेरे..के लिए...कुछ बोलने वाले..कुछ हक़ तुम्हारा इस पर..."
और अब मेरा कान उसके हाथ में था.
" एकदम नहीं है...मैं मुस्करा रहा था.
" तब ऐसा क्यों बोला..." उसने घुड़का.
"हे नीचे चलें ...तुम्हारे कमरे में..." मैंने बोला.
गुंजा से सवाल जवाब कम हो गए थे...और दो तीन औरतें अब मेरी ओर देख रही थीं.
" एकदम सही आइडिया है..." और रीत ने मेरा हाथ पकड़ा और हम लोग सीढ़ी से नीचे...
मेरा हाथ रीत की कमर में था.." सुन तेरे कमरे में चलते हैं..." मैंने रीत से कहा.
" एकदम ...अभी आधे घंटे तक तो ऊपर कहानी गाथा चलेगी. तब तक तो नीचे कोई झांकने नहीं आयगी...तुम.. टाइम तो बहोत .....लेकिन एक क्विकी तो हो ही सकती है.." रीत ने छेड़ा.
"धत तुम ना ..."
मैंने बोला और जवाब में रीत ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया और बोली...अबकी उसकी टोन बहोत कंसर्न्ड थी...और आवाज बहोत हलकी..
" चोट कैसी है...ज्यादा थी ना..."
" हाँ ...लेकिन अब ठीक है..." मैंने बोला.
मेरे दिमाग का कीड़ा अब और तेजी से रेंग रहा था .बार बार मेरा हाथ जेब में चुम्मन के मोबाइल पे जा रहा था.
हम लोग नीचे रीत के कमरे में पहुँच गए थे.
" हे तेरी कोई सहेली है ...मेरा मतलब जिसके पास लैपी हो..." मैंने रीत से पुछा...
" एकदम है यार...आजकल लैपी और टैबलेट बहोत कामन हो गए हैं...ले आऊं ..." वो बोली.
" हाँ और हो सके तो इंटरनेट डाटा कार्ड भी...मैंने बोला..."
वो दरवाजे पे ठहर गयी और मुस्करा के आँखे नचा के बोली..." अब ये मत कहना की साथ में लैपी वाली को भी...वैसे बुरी नहीं है वो लैप पे बिठाने के लिए ...कहो तो ..."
" जी नहीं वैसा कोई इरादा होता ना तो तुम्हे बख्शता क्या..." मैंने भी उसी तरह जवाब दिया...
" ना बाबा ना...तुमने जो होली के बाद. किया .अभी तक टांगों में चिलख है...१४ नए नए बहाने बना चुकी हूँ तब से ...और वैसे भी गुड्डी को ले जा रहे हो ना..आज तो उस का किला फतह होना है..अपनी ताकत बचा के रखना ..." और वो कमरे से बाहर.
मैंने टेबल पे रखे रीत के लैपी को देखा...
पासवर्ड प्रोटेक्टेड था...मैंने जब बायोस खोला तो...पास वर्ड आज ही चेंज किया गया था.
पासवर्ड खोलना तो मेरा बाएं हाथ का खेल था ..
.मेरा नाम रिवर्स कर के और आज की डेट...
ये नया पासवर्ड उसने आज ही सेट किया था...
मैंने फिर से बंद कर के रख दिया और टेबल पे ढूँढने लगा, एक ब्रिज केबल दिख गया. मैंने जेब से चुम्मन का मोबाइल निकाल के टेबल पे रख दिया.
तब तक रीत लैपी ले के आ गयी. डाटा कार्ड लगा हुआ था.
उसके आते ही मैंने अगली मांग रखी...हे एक कप चाय मिलेगी क्या.
वो कमर पे हाथ रख के खड़ी हो गयी और बोली...
" इत्ती अच्छी लड़की सामने खड़ी है और इन्हें कभी लैपी कभी चाय...भुक्क्कड़ ..."
और मुड के मुझे दिखाते हुए अपने हिप्स मटकते हुए चली गयी और बाहर से बोली..”बस दो मिनट में लाती हूँ...तुम आराम करो.”
मैंने झट से लैपी खोल के एक नया फोल्डर बनाया और चुम्मन के मोबाइल का सारा डेटा उसमें ट्रांसफर कर दिया.
और अब इन्टरनेट से मैंने सारा डाटा एक क्लाउड सर्वर पे ट्रांसफर कर दिया.
मेरे काम का पहला पार्ट पूरा हो चूका था. अब उसी सर्वर से मैंने खुद को ..अपने चार इ मेल आई डी पे पहले तो सारा डाटा ट्रांस्फाटर कर दिया लेकिन इस तरह से की वो मेरे इनबाक्स या हार्ड डिस्क पे ना रहे सरवर पे ही रहे. ये सरवर बहोत सिक्योर और अक्सेसिबिल था. एक मैगजीन में साइबर सिक्योरिटी पे मेरी आर्टिकिल सेकेण्ड आई थी और इनाम में मुझे ५०जी बी स्पेस उस सर्वर पर मिला था..
और अब ये ट्रेस करना बहोत मुश्किल था की मैंने किस आई पी एड्रेस से इसे भेजा.
और उसके बाद फिर रीत की सहेली के लैपी से लाग आन के करके अपने ४ दोस्तों, जिसे अखबार वाले हैकंग कहते हैं, उससे जुड़े हुए लोगों के पास मेल भेजा. उसमे एक जयपुर में बाकी सब बाहर थे.
एक लन्दन, एक अमेरिका और एक साउथ अफ्रीका में था...इसमें लन्दन वाला परफेक्ट ब्लैक हैट था...दो ग्रे हैट और एक व्हाईट हैट. एक ने स्टालमेन और मिटनिक दोनों के साथ काम किया था.सबसे बड़ी बात ये थी की वो अलग रिंग के मेम्म्बर्स थे.
((हैकिंग की दुनिया में ब्लैक हैट वो होते हैं जो सिर्फ अपने लिए, मजे के लिए या कभी कभी फायदे के लिए हैक करते हैं. व्हाईट हैट वो होते हैं जो कंप्यूटर सिक्युरिटी के लिए काम करते हैं और ग्रे हैट वो होते हैं जो इन दोनों के बीच में होते हैं. कई बार रोल बदल भी जाते हैं .केविन मिटनिक अपने जमाने का नामी हैकर था, १६ साल की उम्र में उसने डिजिटल इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन का कम्प्यूटर हैक किया इसके आलावा उसने पैसिफिक बेल टेलीफोन कंपनी के नेटवर्क में हैकिंग की. पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए एक हैकर शियोमुरा की सहायता से उसे पकड़ा और उसे जेल की सजा हुयी. मिटनिक ने मोटोरोला, नोकिया, सन माइक्रोसिस्टम, एन.इ.सी., पेंटागन और फ बी आई के भी नेटवर्क हैक किये थे. जेल से निकलने के बाद वो मिटनिक सिक्युरिटी कंसल्टेंसी चलाते हैं. उन्होंने कई किताबें लिखीं लेटेस्ट है...घोस्ट इन वायर्स)
मैंने उन्हें रेड एलर्ट किया और मुझे पूरा विशवास था की १५ मिनट के अन्दर वो इस पे काम शुरू कर देंगे.
अब मैंने उसकी सहेली के लैपी से पहले तो वो फोल्डर डीलिट कर दिया...फिर उसे रजिस्ट्री से भी.अब एक साफ्टवेयर मैंने डाउन लोड किया जो काल की ऐनिलिसिस कर सकता है...और चुम्मन के फोन के सिम को उससे कनेक्ट कर के देखने लगा.
तब तक रीत चाय ले के आ गयी.
" क्या कर रहे हो..." रीत ने पुछा...फिर टेबल पे रखे मोबाइल को देख के बोली..." यही चुम्मन का मोबाइल है क्या..."
" क्या कर रहे हो..." रीत ने पुछा...फिर टेबल पे रखे मोबाइल को देख के बोली..." यही चुम्मन का मोबाइल है क्या..."
इसका मतलब गुड्डी ने इसको अन एब्रिज्ड वर्शन बता दिया था.
" असल में हुआ ये की जब मैं..." मैं ने उसको बताने की कोशिश की तो उसने बीच में रोक दिया...
" नहीं मैं दो बार पूरी कहानी सुन चुकी हूँ ..एक बार गुड्डी से फोन पे और एक बार यहाँ..."
" नहीं मैं ये कह रहा था की कुछ बातें समझ में नहीं आ रही हैं ..." मैंने रीत को बताने की कोशिश की
...लेकिन रीत के बोलने और समझने दोनों की स्पीड सुपर फास्ट है....
" हाँ मुझे गुड्डी ने बताया था की तुम लोगों के वो पीछे वाले दरवाजे पे किसी ने ताला बंद कर दिया था...." रीत बोली.
‘" हाँ ...तो वही मैं चुम्मन के काल की ऐनिलिसिस कर रहा हूँ...तुम भी देखो ना..." मैं चाय पीते हुए बोला.
मेरे बिना कहे उसकी आँख स्क्रीन पे गडी हुयी थी...
नंबर जिनसे काल आई थी...उनके नंबर स्क्रीन पे फ्लश हो रहे थे साथ में काल ड्यूरेशन , टाइम, डेट...एक के बाद एक नंबर जा रहे थे...
गड़बड़ तो है कुछ...रीत बोली.
" क्यों क्या हुआ..." मैं बोला.
देख मैं भी रहा था लेकिन मुझे कुछ ख़ास अलग या डिफरेंट नहीं लगा...
" वापस जाओ..." रीत बोली...मैंने नंबर को फिर से स्क्राल किया...एक नंबर जैसे आया रीत बोली,
" रोको ये देखो..."
मैंने रोक दिया...
" ये नम्बर देखो..." वो बोली.
" अरे क्यों...ये तो लोकल नम्बर है कोई बाहर का या आई एस डी, नम्बर थोड़े ही है ..." मैं बोला.
" ड्यूरेशन देखो....१५ से २० सेकेण्ड ....आगे बढ़ाओ, फिर वही नंबर ११ सेकेण्ड ..आज कल कौन लड़का मोबाइल पे ७-८ मिनट से कम बात करता है...कोई भी काल आधे मिनट की भी नहीं लगती...ड्यूरेशन वाइज शार्ट कर सकते हैं...?" रीत ने मेरी और देख के पूछा
बंदी के बात में दम था.
मैंने ड्यूरेशन वाइज शार्ट किया...एक मिनट में बात साफ हो गयी.
एक हफ्ते में सिर्फ दो नंबर थे ...जिनसे ७-२६ सेकेण्ड तक बात की गयी थी. सारी काल्स रात में ८ से १० के बीच हुयीं थीं.
और पीछे देखो ...रीत बोली...
मैंने एक हफ्ते और चेक किया.. वही पैटर्न था...सिर्फ ये की पिछले हफ्ते में सिर्फ आखिर के तीन दिनों में उन दो नंबरों से काल आई थी. उसके पहले उन नंबरों से कोई कान्टेक्ट नहीं हुआ था.
रीत की दूसरी बात भी सही थी. इसके अलावा सारे नंबरों से उसकी बात ४-६ मिनट तक हुयी थी.
मैंने उन दो नम्बरों के सारे काल डिटेल्स सेव कर लिए. और रीत के लैपी पे भी ट्रांसफर कर दिए.
" जरा आउट वर्ड काल भी चेक करो,,,," रीत बोली.
चुम्मन के फोन से उन दोनों नंबरों के लिए कोई भी आउट वर्ड काल नहीं हुयी थी.
मतलब साफ था कोई है जो किसी काम के लिए चुम्मन को इंस्ट्रक्शन दे रहा है और चुम्मन को उसे फोन करने की इजाजत नहीं था.
कौन है वो...फिर चुम्मन के पास वो बाम्ब कहाँ से आया...
एक मिनट ..मैं बोला..."जितने पीरियड तक चुम्मन वहां था जब गूंजा होस्टेज थी...उस समय का काल चेक करें..."
हाँ और रीत ने टाइम सेट किया.
मैंने रीत को बताया की जैस्मिन ने बताया था की चुम्मन ने आउट वर्ड काल, जैस्मिन के फोन से ही की थी, केबल नेटवर्क वालों को भी और पोलिस स्टेशन को भी ...लेकिन उसकी कोई इनकमिंग काल भी आई थी जो उसने अलग हट के सूना था.तो इस का मतलब इस पे उस पीरियड में इन कमिंग काल मिलनी चाहिए.
पुलिस , चूँकि उसने जैस्मिन के नंबर से पोलिस स्टेशन फोन किया था, जैस्मिन का नंबर ट्रेस कर रही थी.
तब तक उस समय का काल खुल गया था ...कोई आउट वर्ड काल नहीं थी ...लेकिन दो इनवर्ड काल थीं.
एक नंबर तो वही था ...जिससे ७ से २६ सेकेण्ड तक काल आती थी...और दूसरा नम्बर भी पहचाना लगता था...मैंने अपना मोबाइल खोल के फोन बुक चेक किया...
ये फोन तो सी ओ कोतवाली अरिमर्दन सिंह का है ....तो अरिमर्दन सिंह ने चुम्मन को फोन किया था क्यों...और उन्होंने डी बी को बताया क्यों नहीं..
.मेरे दिमाग में फिर ड्राइवर की बात गूंजी ...जिसे मैंने पीछे वाले दरवाजे पे खड़े रहने को कहा था. उसने बोला था की सी ओ साहब ने ही उसे हटाकर गुड्डी के पास भेज दिया...जिसकी पुष्टि गुड्डी ने भी की थी. और उस ने ये भी बोला था की उन्हों ने ये भी बोला था की वो वहां दो आर्म्ड गार्ड लगायेंगे ...लेकिन जब हम उतरे तो वहां ताला बंद था. तो क्या वो ...
मेरा दिमाग घूम गया था.
मैंने रीत को बात बताई...वो बोली.
“.एक मिनट जरा सोचने दो...”
तब तक मैंने फिर ग्रे हैट इयान स्मिथ ( नाम बदला हुआ) को फिर से उन दोनों नंबरों के बारे में मेल किया. वो आज कल लन्दन में था ओलिम्पिक की साइबर सिक्योरिटी के लिए...वो टेलीफोन और लोकेशन पता करने का एक्सपर्ट था. आफिसीयली वो ब्लैक बेरी का साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट था. मुझे यकीन था की आधे पौन घंटे में वो पूरी रिसर्च कर प्रोफाइल दे देगा.
रीत बोली..".ठीक है मैंने सोच लिया...जो चीज नहीं क्लियर हैं उनको लिस्ट करते हैं फिर डी बी से कान्टेक्ट करते हैं, फोन पे सिर्फ कहीं मिलने के लिए बुलाना...लेकिन पुलिस एरिया में नहीं..."
६-७ चीजें गड़बड़ थीं...
1. बाहर से ताला
2. बाम्ब किसने एक्स्प्लोड़ किया..
3. वो दो नंबर किसके हैं
4. कोई चुम्मन को क्या ऑर्डर दे रहा था
5. सीओ को चुम्मन का नंबर कहाँ से मिला और उसने क्यों बात किया.
6. फायरिंग क्यों और किसके आर्डर पे हुयी...एक चीज मैंने और जोड़ी
7. वो बाम्ब चुम्मन को कहाँ से मिले...बाम्ब में निश्चित आर डी एक्स था.
मैंने डी बी को फोन लगाया...सारे नम्बर इंगेज या नो रिस्पांस आ रहे थे.
मैंने रीत से पुछा चाट खाओगी...वो बोली नेकी और पूछ.पूछ ....मैंने डी बी को मेसेज किया... बनारस की चाट खानी है...जैसे जीवन मृत्यु पिक्चर देखते समय खायी थी वैसे ही है...
दो मिनट बाद ही डी बी का फोन आया...क्या मामला है...जीवन मृत्यु
" हाँ वही समझो...बनारस की सबसे सुन्दर लड़की को चाट खिलाना है ...जरुरी है वरना वो मेरी जान ले लेगी." मैं बोला.
" ओके कब और..." डी बी ने पुछा
' अभी काशिराज से मिलना है मुझे ...तो ७ बजे बल्कि आधे घंटे बाद..." मैं बोला..
' ओके " और डी बी ने फोन रख दिया.
" काशिराज तो राम नगर में रहते हैं और साढ़े सात.... तुम्हे जाना नहीं है क्या..." रीत बोली.
" अक्ल लगाओ..." मैंने चिढाया...
" वो तो समझ गयी मैं...काशी चाट भण्डार गौदौलिया ..इत्ती भीड़ होती है वहां....और जितनी ज्यादा भीड़ उतनी ज्यादा प्राइवेसी ....लेकिन टाइम मैं नहीं समझी और वो लड़की कौन..." रीत बोली.
" ये हम लोगों का कोड है आधे घंटे बाद का मतलब आधे घंटे पहले और लड़की और कौन ...तुम..." मैंने बोला. जल्दी तैयार हो जाओ...
वो पांच मिनट में हेलमेट और एक दुपट्टा ले के आ गयी और बोली चलो...मैंने उसकी सहेली का लैपि एकदम फिर से क्लीन कर दिया था रजिस्ट्री ताल और रीत के लैपटाप में एक इन्क्रिप्शन प्रोग्राम और एक एक्स्ट्रा फायर वाल लोड कर डी थी.
अचानक वो रुक गयी, कुछ सोच में पड़ गयी फिर हंसने लगी. बोली...
" एक बात भगवान करे ना सच हो...लेकिन मुझे लग रहा है की इन सारी बातों का एक मतलब था ...कोई है जो नहीं चाहता था की वहां से कोई जिन्दा बचे ...ताला, बिना बात की फायरिंग और अगर सी ओ उन के लूप में है तो सबसे बड़ा खतरा तुमको है क्योंकि उसे मालूम था की तुम्ही उन लड़कियों को निकालने गए है...बचाने की बात तो नेचुरल है लेकिन अगर तुम अभी भी उन लोगों के पीछे पड़ोगे तो उन्हें जरुर शक हो जाएगा...और हंसी इस बात पे की मेरे खेल से बम्ब किसने फोड़ा वो मैं समझ गयी हूँ."
बाहर एक मोटर साइकिल थी.
" मोटर साइकिल से चलेंगे हम..." मैं चौंका.
" और क्या ...शाम को गाडी से गौदौलिया कौन जा सकता है...फिर इस से मैं गली गली ले जाउंगी...पीछा करने की कोई सोच नहीं सकता...बनारस का हर शार्ट कट हर गली मुझे मालून है...फिर हेलमेट से मेरा चेहरा छिपा रहेगा और वैसे भी बनारस में लड़कियां कम ही मोटर साईकिल चलाती हैं...और तुम ये दुपट्टा ओढ़ लो..." रीत बोली...
" दुपट्टा मैं..." मैंने बहोत बुरा सा मुंह बनाया.
" सुबह साडी ब्लाउज, ब्रा सब कुछ पहने थे और अब जरा सा दुपट्टा ओढ़ने में ....अरे यार तुम्हारा चेहरा मेरे पीछे रहेगा...और जो बचा खुचा है वो दुपट्टे में...बाल तुम्हारे लम्बे है हैं...गुड्डी ने सुबह ही चिकनी चमेली बना दिया था...घास फूस साफ ..
.हाथ में जो नेल पालिश मैंने लगाई थी वो अभी भी चमक रही है और पैर का महावर भी...हाँ अपना जूता उतर के मेरी सैंडल पहन लो...बस १० मिनट बचा है....एक बार चाट भण्डार पहुँच गए तो प्राब्लम साल्व ...कोई पीछे पीछे आया होगा तो यहीं तक ...चलो."
रीत बोली.
बात में उसके दम था.
हम चल दिए.
लम्बी गलियां, पतली गलियां संकरी गलियाँ...१० मिनट में हम काशी चाट भण्डार पहुँच गए.
फोन पे मैंने गुड्डी को बता दिया था की वो जिस गाडी से हम आये थे उसी से आधे घंटे में निकल ले.
मोटर साइकिल उसने गली में ही लगा दी और वहीँ दुपट्टा, हेलमेट और जूते सैंडल का भी अदल बदल हो गया.
अभी भी साढ़े छ: बजने में ४ मिनट बचे थे. गंगा पेईंग गेस्ट हाउस की ओर एक रिक्शा आया.
उसमें से एक सज्जन उतरे धोती कुरता आँख पे चश्मा, और माथे पे त्रिपुंड...एक बार उन्होंने मुझे देखा. मुझे लगा शायद कोई पंडित जी होंगे मुझे पहचानते होंगे मैं नहीं याद कर पा रहा हूँ.
मैंने झुक कर प्रणाम किया और उन्होंने आशीर्वाद दिया. आवाज कुछ जानी पहचानी लगी. और जब मैंने सर उठाया तो वो मुस्करा रहे थे.
डी. बी.
मेरे तो पाँव के नीचे की जमीन खिसक गयी.
उधर दूकान से रीत इशारा कर रही थी...ऊपर चलने के लिए...आगे आगे वो, पीछे डी बी और सबसे पीछे मैं..
.
ऊपर वाले फ्लोर पे भी एक दो टेबल भरी थीं..रीत ने वेटर से बोला और उसने एक संकरे गलियारे की ओर इशारा किया.
गलियारे के अंत में एक छोटा सा रूम था...फेमली केबिन...एक टेबल चार कुर्सिया ..रीत अपनी सहेलियों के साथ अकसर यहाँ जमघट करती थी...और वेटर को भी हैंडल करना उसे आता था.
कमरे में घुस के जो वो मुड़ी तो पहली बार उसने धोती कुरते और त्रिपुंड वाले व्यक्ति को देखा..
वो चौंक गयी...
मैंने इंट्रो कराया..डी बी ..और ..
डी बी ने खुद हाथ बढ़ाया रीत ने हाथ मिला लिया.
" मैं जानता हूँ आपको...रीत..है न...चाचा चौधरी की ..." डी बी..बोले.
"ये सब इन्होने बताया होगा न , इनकी बात पे यकीन मत करियेगा..."
खिलखिलाते हुए रीत बोली और साथ में डी बी भी.
सुबह से पहली बार मैंने उन्हें हंसते सुना था.
तब तक वेटर आ गया...बिना रुके रीत ने आर्डर सुना दिया...तीन प्लेट टमाटर की चाट, तीन प्लेट दही की गुझिया और तीन प्लेट गोल गप्पे...एक साथ सब अभी लगा देना बार बार खिच खिच नहीं ...
पांच मिनट में ही सब कुछ टेबल पे...था. एक ओर मैं और रीत और दूसरी ओर डी बी...
" अब बताओ.." डी बी बोले.
" वहां से निकलने के बाद आप से मुलाकात ही नहीं हुयी ना बात हुयी...इस लिए..." मैंने कहा.
एक बार में आधी टमाटर चाट गप करते हुए डी बी बोले...
" तुम लोग निकल के माल गए थे वो सिगरा वाले...वहां करीब २० मिनट रुके थे...बीच में एक आसमानी नीली साडी में डाकटर वहां आयी और फिर तुम लोग वहां से गुड्डी के घर...ठीक है ना ..."
रीत ने भी एक पूरी चाट साफ कर ली थी..." अच्छी है ना..."
" बढ़िया ...रीत के आँख में आँख डाल के वो बोले..
.”हाँ घर से तुम लोग यहाँ कैसे आये ये मेरे लोग नहीं बता पाए..."
" कर्टसी रीत..रीत की रीत सिर्फ रीत जानती है...इसकी मोटर साइकिल से.." मैंने समझाया.
" चाट अच्छी लगी..'" रीत ने पुछा..वो सिर्फ खाने पे लगी थी.
" बहोत बढ़िया...डी बी ने बोला
, टमाटर की चाट मैंने एक दो बार पहीले भी खायी है लेकिन इतनी अच्छी नहीं.." अपनी टमाटर चाट ख़तम करते वो बोले.
" हाँ बहोत अच्छी है लेकिन एक जगह इससे भी अच्छी मिलती है...संकटमोचन के पास..कभी आप को ले चल के खिलाऊँगी." रीत बोली.
मैंने रीत के कान में बोला..." अरे यार शहर कप्तान हैं और तुम इनको गली गली ...." मैंने धीमे से बोला था लेकिन डी बी ने सुन लिया...
" क्यों मैं टमाटर चाट नहीं खा सकता ये कहाँ लिखा है सिर्फ तुम्ही गप्प करोगे..." डी बी ने मेरी ओर घूर कर देखा. अब उन्होंने गोलगप्पे का नंबर लगा दिया था. लेकिन अब वो बोले ...
' बताओ..क्या बात थी..."
मैंने उनको ऊपर क्या क्या हुआ ..नीचे निकलते समय कैसे ताला बंद हो गया और ड्राइवर ने कैसे बताया की सी ओ ने खुद उसे हटा दिया था.
" हाँ बड़ा झमेला था...एक तो पता नहीं फायरिंग किसने आर्डर कर दिया उसके बाद वो एस टी एफ वाले आ गए और हमारे लोगों से जोर जबरदस्ती, दोनों को ले गए. पहले तो उनके कमांडेंट ने मुझसे बोला की सर्किट हाउस में ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन करेंगे लेकिन शक तो मुझे पहले ही था ...जैसे ही मुझे पता चला की वो स्पेशल प्लेन से आये हैं...मुझे हंच था.. लेकिन कमान्डेंट ने मुझसे खुद कहा और वो सर्किट हाउस गए भी...लेकिन जिस गाडी में उन दोनों को बैठाया था वो सीधे बाबतपुर एअरपोर्ट ...और जब तक हम लोग बात करें...वो उड़ चुके थे. बाद में उन्होंने मेरे सामने अपने आदिमियों को डांटा लेकिन वो सब लगी बुझी थी.. उसके बाद प्रेस मिडिया...लखनऊ दिल्ली ...सब...बहोत रायता फैल गया था...समेटने में टाइम लग गया इस लिए जब तुम्हारा बिपर मिला तो ये तो लग गया की तुम कंट्रोल रूम गुड्डी के पास आओगे तो वहीँ मैंने एक एल आई यु ( लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ) वाले को लगा रखा था था की तुम लोगों के साथ साथ रहे. “डी बी ने पूरी बात समझाई.
" एक एक प्लेट टमाटर चाट और चलेगी..." रीत ने पुछा...
" दौड़ेगी .." डी बी ने बोला और वेटर चला गया.
" लेकिन ये मेरी परेशानी का आधा हिस्सा भी नहीं है...अगली परेशानी है होली...हर जगह से खबर आ रही है की दंगा भड़काने की पूरी तैयारी है यहाँ तक की सी एम् ने भी मुझसे दो बार बात कर ली...ये तो इस चक्कर में आर ए अफ़ आ गयी ..वरना ...दंगे में ख़ास बात है कौन सी चीज दंगा ट्रिगर करेगी ..ये पता नहीं चल रहा है...”
डी बी ने अपनी परेशानी का कारण बताया.
" बात तो सही है आपकी उसके बिना आप कंट्रोल भले कर लें लेकिन होने से रोकना मुश्किल होगा...एस्पेसली अगर कोई प्लान कर के भड़का रहा है." रीत बोली.
डी बी एकदम इम्प्रेस हो गए और बोले...
" एक दम सही बात...दंगा हमेशा किसी और मकसद से होता है, कभी वोट्स को पोलाराईज़ करने के लिए,कभी गरीबों की झोपड़ियों को जला कर बिल्डर्स के लिए रास्ता साफ करने के लिए...कभी किसी की नेतागिरी चमकाने के लिए...लेकिन ऐसा कुछ समझ में नहीं आ रहा है. और इससे जुडी एक तीसरी बात और है जो बहोत कम लोगों को मालूम है लेकिन उसके इम्प्लीकेशंस बहोत लांग टर्म हैं."
तीसरी बात क्या है...रीत ने पुछा .
“ सरायमीर जानते हो न तुम्हारे घर से २०-३० किलोमीटर पड़ता होगा...यहाँ से करीब ७० किलोमीटर होगा...वहीँ इस महीने के आखिर में आलिमी इज्तेमा है. ..और ये पहले किसी भी हुए इज्तेमा से ज्यादा बड़ा होगा करीब ४०-४५ लाख लोगों के आने की उम्मीद है ..तकरीबन १५० देशों से...." डी बी बोले.
" हाँ रस्ते में पड़ता है जानता हूँ मैं अच्छी तरह से..." मैं बोला.
" ये इज्तेमा क्या होता है..." रीत ने अपनी ना जानकारी जाहिर की.
और मुझ"को अपनी जानकारी दिखाने का एक बेहतर मौका मिल गया.
" ये एक वर्ड कान्ग्रिगेशन , विश्व सम्मलेन जैसा है, तबलीगी जमात का. तबलीगी लोग बहोत धार्मिक होते हैं लेकिन सीधे, और धर्म और राजनीति को अलग अलग रखते हैं. ये ६ मूल सिद्धांत मानते हैं और एक पैसिफिक, शांतिवादी विचार धारा केलोग हैं .” मैं बोल ही रहा था की रीत ने मेरी बात काट के डी बी से कहा.
." लेकिन इसका दंगे से क्या सम्बन्ध है..."
टमाटर चाट की दूसरी प्लेट आगई थी और वो उसे ख़तम करने में जुटे थे...खाते खाते रुक के बोले...
" है… बहोत गहरा सम्बन्ध है बल्कि तीन तरफा रिश्ता है...पहला तो ये ..की ये लोग कभी किसी पोलिटिसियन तो छोडिये बाहर वाले को शरीक होने के लिए नहीं परमिट करते...लेकिन अबकी आखिरी दिन...लगभग ९०% तय है की सी एम् इसमें भाग लेंगे...और इसका. बहोत गहरा राजनितिक असर पड़ेगा.
अभी जो एक रामपुर के नेता हैं , वो समझते हैं सारे वोट उनके कारण आते हैं, स्टेट होम मिनिस्टर भी उन्ही के ख़ास हैं...तो अब इससे सी एम् की एक इंडीपेंडेंट छवि बनेगी , सीधी पैठ होगी और दो साल बाद लोक सभा के चुनाव भी हैं."
" तो इसका मतलब वोट बैंक..." मैंने फिर अपना ज्ञान झाडा और डांट खायी.
" तुम चुप रहो यार जब दो पढ़े लिखे लोग बात कर रहे हों...तो सूना करो...डी बी बोले और मेरी भी टमाटर चाट की प्लेट अपनी ओर सरका ली और बोलना शुरू कर दिया,
" मैं उस ग्रुप में था जब ये बात हुयी थी, रिजर्वेशन से हट के वेस्टर्न एजुकेशन और इंडस्ट्रि की बात है...जाब्स की बात है एम्प्लायेबल बनाने की बात है...सी एम् ने मुझे खुद समझाया था...मामला मैनेजमेंट आफ चेंज का है...या तो हम एक दिन में सब बदलना चाहते हैं या वहीँ खड़ा रहना चाहते हैं...जिसको आप आगे ले जाना चाहते हैं उसके अन्दर पहले जज्बा पैदा करिए फिर उस जज्बे के साथ चलिए. और सेंटर भी इसलिए इस पहल को सपोर्ट कर रहा है. ४८ % फंडिंग केंद्र करेगा. और इस के ग्लोबल इम्प्लिकेशन भी हैं
. होली के १० दिन बात लखनऊ में एक मीटिंग है, फिरंगी महली, इजिप्ट से मुस्लिम ब्रदर हुड के लोग इंग्लैण्ड से अब्बे मिल्स मस्जिद के इमाम बहोत से लोग बाहर से शिरकत कर रहे हैं. इस मीटिंग में ही खाका तय होगा, और उसी के मुताबिक़ एनाउन्समेंट होगा...इसलिए उसके पहले कुछ भी गड़बड़ होना ..बहोत परेशानी की बात होगी. सब किया धरा गड़बड़ हो जाएगा..
सारा माहौल, सारी इमेज ख़राब हो जायेगी. "
डी बी की इस लम्बी बात चीत के दौरान मैं अपने मोबाइल से जूझ रहा था.
लन्दन से स्मिथ, वही ग्रे हैट जिसे मैंने सारे नंबर भेजे थे..का मेसेज आया था लेकिन उसको पढ़ने के लिए एक सरवर पे जाना होता था एक रैंडम पासवर्ड के जरिये ...लम्बा और सीरियस मेसेज था साथ में एक मैप अटैच था.
" अब मुझे सब क्लियर हो गया ...जितना बड़ा स्टेक उतना बड़ा रिस्क ..." रीत आखिरी गोलगप्पा गप करती बोली..
"लेकिन मुझे कुछ नहीं क्लियर हुआ ." डी बी बोले.
" अरे आप दंगे के लिए क्या ट्रिगर होगा ये सोच रहे थे ना...तो वो बाम्ब क्या चुम्मन ने बनाया होगा...और फिर क्या वो सिर्फ एक बम्ब होगा...? रीत ने फिर बोला.
मैं समझाता हूँ ...लन्दन के मेसेज के बाद चीजें और बदल गयी थीं.
मैंने बोलना शुरू किया.
" देखिये इसलिए मैंने आपको यहाँ बुलाया था..सुबह हम लोगों को पहले लगा की ये एक टेरर अटैक है लेकिन बाद में दो बदमाशों का हमला साबित हुआ...लेकिन अब जो लगा रहा है की ये कहीं ना कहीं से एक बहोत बड़ी साजिश का हिंट दे रहा है.”
" मतलब " डी बी का अब सारा ध्यान मेरी ओर ही था. प्लेटें उन्होंने बाजू में सरका दीं थीं. उनकी दोनों कुहनी मेज पे थी और सर झुका हुआ था.
" देखिये, अब आपने जब सारा बैक ग्राउंड बता दिया है तो मुझे लग रहा है की मामला कितना सीरियस हो सकता है...मैं ने बोलना शुरू किया.
“देखिये तीन बातें हैं, जिससे मुझे बहोत गड़बड़ लग रहा है और इसलिए मैं रीत को भी यहाँ ले आया हूँ. पहली बात तो जो स्कूल में हुयी...जैसा मैंने आपको मेसेज किया था...जब हम सीढ़ी से निकलने वाले थे तो निचले दरवाजे का ताला बाहर से बंद था. वो किसने बंद किया? क्या उसका इंटरेस्ट रहा होगा..? ड्राइवर ने बाद में हम लोगों को बताया की सी ओ साहेब ने उसे हटा दिया था और वहां आर्म्ड गार्ड पोस्ट करने के लिए बोल दिया था...तो ऐसा उन्होंने क्यों किया..और इसका मतलब है उन्हें ताले के बारे में मालूम होगा..
दूसरी बात...फायरिंग आप ने साफ मना की थी लेकिन उसके बावजूद फायर हुआ और वो भी २०-३० राउंड ..और उसी जगह को निशाना बना के जहाँ के बारे में हमें मालूम था की वहां चुम्मन है...ऐसा क्यों...और तीसरी बात बाम्ब कैसे एक्सप्लोड हुआ...".
डी बी ने मुझे रोक के बोला ..." आर यू श्योर...की ए . एम् ( अरिमर्दन ..सी ओ का नाम) ने ही ड्राइवर को हटाकर वहां...फिर तो ताला उस ने या उस के इंस्ट्रक्शन पे ..."
" एकदम ...मुझे भी यही लगता था लेकिन उससे सनसनी खेज बात एक और है..." मैंने बोला...लेकिन रीत बीच में टपक पड़ी... " मैं बताऊँ मेरे हिसाब से बाम्ब कैसे एक्स्प्लोड़ हुआ.."
बाद में ...मैंने बोला और चुम्मन का मोबाइल और काल डिटेल्स निकाल के टेबल पे रख दिया...
" ये क्या है...किसका है तुम्हे कहाँ से मिला..." डी बी की आँखों में एक चमक थी.
" चुम्मन का मोबाइल है और ..." मैंने बोलना शुरू ही किया था डी बी बस ख़ुशी से उछल पड़े..तपाक से उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया...और बोले,
" यार तुमने गजब का काम किया हमारे हास्टल का नाम रोशन कर दिया...साल्ले एस टी फ वालों की फट जायेगी..जब उन्हें पता चलेगा की ...मोबाइल हमारे पास है ..."
फिर अचानक उन की निगाह रीत पे पड़ी तो वो झिझक गए..सारी यार ...आई ऍम सो सारी आप के सामने..आगे से ख्याल रखूँगा..."
रीत क्यों मौका छोड़ती..." आप ने तो कुछ नहीं बोला...जब हमारी बनारसी जुबान सुनेंगे ना...और मैं आप से बहोत छोटी हूँ...तो मुझे आप क्यों बोलते हैं और फिर अब तो मैं आप के दोस्त की दोस्त हूँ तो ..फिर तो दोस्त हूँ ना...तो..."
रीत से कौन जीत सकता है...तो डी बी ने भी हाथ खड़े कर दिए...और अपनी बात आगे बढाई...
" यार ( अबकी वो रीत की ओर देख के बात कर रह हे थे...) वो एस टी फ वाले चुम्मन और रज्जाऊ को तो ले गए ...लेकिन एक तो फोरेंसिक रिपोर्ट, लोकल इंटेलिजेंस मैंने बोल दिया तभी शेयर होगी जब जोइंट इंटेरोगेशन होगी. मुझे तो उसकी कुंडली मेरे खबरी ने ही बता दी थी.
कौन सा वो टेररिस्ट थे ...और सबसे ज्यादा...वो मोबाइल के लिए परेशान थे ...तो मैंने बोल दिया की मेरी टीम को तो मिला नहीं ...जो सही भी था और वो उन लड़कियों से भी सवाल जवाब करना चाहते थे तो मैंने बता दिया की ...जब वो बाम्ब एक्स्प्लोड़ हुआ तो उसी समय वो बच के भाग निकलीं और हमें किसी का नाम नहीं मालूम..
.मुझे मालूम था की मेहक का नाम चुम्मन को मालूम होगा, तो मैंने उसके अंकल को यहाँ आने के पहले बोल दिया था की वो उसे कहीं बाहर भेज दें. तो अभी लेट इवनिंग की एक फ्लाईट से वो उस ले के मुंबई जा रहे हैं और होली के बाद लौटेंगे."
फिर मेरी ओर मुंह कर के बोले..'तुमने इसकी सिम की कापी तो कर ही ली होगी."
" देखीये ये आप को भी मालूम है की इस सवाल का जवाब क्या है और मैं इस का जवाब आप को दूंगा भी नहीं. में इस का जवाब आप को दूंगा भी नहीं. में पहली बात तो ये बताना चाहता हूँ की जिस नम्बर से उसने काल किया था और जो सिम ये पता चला था की बक्सर का है...."
मेरी बात काट के डी बी बोले..." हाँ मुझे पता चल गया है की उसने होस्टेज बनायीं एक लड़की के फोन से फोन किया था और उस का सिम बक्सर का था. उस के कजिन का. मैंने तुम्हे पहले ही बोला था की सिर्फ सिम से कुछ पता नहीं चलता."
" जी..."उन की बात वहीँ छोड़ के मैंने अपनी बात आगे बढाई."
इस फोन में दो इन कमिंग काल हैं..उस पीरियड में जब उसने लड़कियों को होस्टेज बना के रखा था...एक से तो १५-२० सेकेण्ड बात हुयी है जो फर्स्ट काल है ये नंबर है...और दूसरा नंबर ये ..जिससे ५-७ मिनट बात हुयी है...ये नंबर याद आ रहा है..किसका है...
" किसका हो सकता है...पहला तो पता नहीं...उयीईईईई य तो हम लोगों का सी यु जी नंबर है...लेट में सी अगेन..., ये नबंर तो सी ओ कोतवाली का है...." वो चौंक के बोले.”
" जी ...मैं आराम से बोला...और जो काल हम ने कोतवाली से सुनी थी...वो इन कमिंग नहीं आऔट गोइंग काल थी...पहली काल तो उसने होस्टेज के...जैस्मिन के फोन से की थी...जो उसकी आउट गोइंग काल थी कोतवाली को...यहाँ ये सवाल खड़ा हो सकता है..सी ओ को चुम्मन के फोन का नंबर कैसे पता चल गया...अगर वो इन कमिंग फोन के बेसिस पे करते तो वो काल जेसमीन के फोन पे जाती लेकिन उन की काल चुम्मन के नंबर पे कैसे गयी...
दूसरी बात....अगर उन्हें चुम्मन का नंबर पता था तो उन्होंने आपको क्यों नहीं बताया...और सब लोग बेकार में बकसर में सिम तलाश करते फिर रहे थे.”
“बात तो तुम सही कह रहे हो...लेकिन किस का विशवास करें किस का ना करें...और अगर तुम जो ये ताले वाली बात बोल रहे हो, फायरिंग तो मुझे रोकने के लिए बोलना पड़ा...तो ए ऍम पे तो भरोसा एक दम नहीं कर सकते ..." डी बी ठंडी सांस ले के बोले.
" किसी का मत करिए सिवाय अपने ..." रीत ने ज्ञान की बात बोली और हम सब मुस्करा दिए...और फिर मैंने डी बी का ध्यान काल डिटेल्स पे दिलवाया,...
और ये भी बोला की ये भी रीत की करतूत है..
"लेकिन दूसरा प्वाइंट और इम्पार्टेंट है और इसकी पूरी क्रेडिट रीत को जाती है...ये हैं काल डिटेल्स ..."
मैंने बोला और डी बी के सामने चुम्मन के फोन की इन कमिंग और आउट गोइंग फोन्स की काल डिटेल्स रख दीं.
डी बी उसे ध्यान से देख रहे थे...मैंने पूछा क्यों कोई ख़ास पैटर्न नहीं पकड़ में आ रहा है ना...
नहीं वो बोले..".सारी काल्स लोकल है और किसी नंबर से ज्यादा काल न तो आई है न उसने की है."
" हाँ लेकिन अब देखिये जो बात रीत ने पकड़ी...ये काल ड्यूरेशन वाइज..."
मैंने जैसे ही वो लिस्ट उन्होंने दिया..वो तुरंत चौंक गए...
' ये दो नंबर इनसे काल का टाइम बहोत कम है..." वो बोले....
" एकदम ....जो शरलक होम्स की कहानी में था...ना की कुत्ता क्यों नहीं भौंका...वो वाली बात है...और एक सर्टेन टाइम पे ये काल आती हैं...,सबसे बड़ी बात,,,,चुम्मन ने इन नंबरों पे कोई फोन नहीं किया." मैंने जोड़ा.
" हूँ..."
वो जोर से बोले और एक बार फिर उन नंबरों को देखने लगे.. और रीत और मुझे समझाया...इट लुक्स डेंजरस नाउ. इसका मतलब साफ है, इसने चुम्मन को किसी काम के लिए इंगेज किया है...और वो एक फिक्स्ड टाइम पे चुम्मन को इंस्ट्रक्शन देता है और उससे फीड बैक लेता है..."
" जी और वो बाम्ब जो मैंने देखा था ..उसका रफ स्केच इस तरह का था...मैंने जेब में से एक तुड़ा मुडा कागज निकाला.. और बोला..".ये वो जो बाम्ब्स सूरत में लगाए गए थे और एक्सप्लोड नहीं हुए ..सर्किट की गड़बड़ी की वजह से आलमोस्ट वैसा...सिर्फ सर्किट इसकी थोड़ी इम्प्रूव्ड है और करीब ९० % कम्प्लीट है...टाइमर या रिमोट डिटोनेटर इसमें नहीं लगा है...तो इस तरह का बाम्ब तो चुम्मन के पास में कहाँ से आएगा अन्लेस..."
" तुम्हारा शक सही है लेकिन ...ये अगर हुआ..." डी बी सोच में पड़ गए...
" और आप ही तो कह रहे थे की स्टेक्स बहोत हाई हैं...और बनारस में इतने मंदिर इतने घाट....कहीं कुछ और कहीं ६-७ जगह पे एक साथ हो गया तो...." रीत ने पिक्चर पूरी की.
" तो ये हो सकता है ट्रिगर..." उन्होंने उन दोनों नंबरों पे हाथ रखते हुए कहा...इनके बारे में बस पता लगाना होगा और लोकेशन .." डी बी बोले और उन्होंने अपना मोबाइल फोन निकला लेकिन मैंने उने रोक दिया..
" जस्ट आई गाट अ मेसेज फ्राम अ ग्रे हैट फ्रेंड फ्राम लन्दन..."
" जस्ट आई गाट अ मेसेज फ्राम अ ग्रे हैट फ्रेंड फ्राम लन्दन..." मैंने मेसेज उन्हें दिखाया लेकिन उसके पहले डी बी रीत से बोले...
" हैकिंग की दुनिया में ब्लैक हैट वो हैकर होते हैं, जो सिर्फ अपने फायदे या मजे के लिए हैकिंग करते हैं, ग्रे कुछ अपने मजे के लिए कुछ सबके फायदे के लिए और व्हाईट हैट ,साइबर सिक्युरिटी के लिए या किसी कंपनी के लिए..."
गनीमत था रीत ने पलट के ये नही बोला की वो आलरेडी विकी पे चेक कर चुकी है..
मैंने पोजीशन वाला इन्क्लोजर दिखाया...ये लोकेशन हैं जहाँ से फोन होते हैं और उनकी टाइमिंग हैं....
रीत ने थोडा जूम किया झुकी और ध्यान से देखा फिर वापस सर उठा के बोली ..." ये हो नहीं सकता..."
" क्यों " मैं और डी बी साथ साथ बोले...
रीत फिर झुकी और मैप में दिखाते बोली,
"...काशी करवट से लेके अस्सी तक ये देख रहे हो...पहली काल यहाँ से हुयी ८.१२ पे दूसरी हुयी अब इस जगह से ८.१७ पे और तीसरी हुयी इस जगह से ८.२२ पे...अब सड़क से अगर आप चलोगे...तो इस समय बनारस में इतना जाम होता है...आप किसी तरह पहुँच नहीं सकते.
दूसरी बात मान लो ये बनारस की गलियों से वाकिफ है...मुझसे ज्यादा तो नहीं जानता होगा...गली से भी कोई डायरेक्ट कनेक्शन नहीं है और मोटर साइकिल से भी आओगे तो कम से कम १०-१२ मिनट लगेगा..."
हम लोग क्या बोलते ...डी बी तो बनारस नए नए आये थे और मुझे भी बनारस की गलियों के बारे में रीत इतना कतई नहीं मालूम था...
रीत फिर कुर्सी से पीठ सटा के बैठ गयी..दोनों हाथ पीछे कर के...कोई दूसरा वक्त होता तो मेरी निगाह सीधे उसके कुरता फाड़ उभारों पे जाती पर ..एक तो मामला सीरियस थी दुसरे सामने डी बी बैठे थे...
लेकिन फिर भी मेरी निगाहें वहीँ पहुँच गयी आदत से मजबूर ...रीत ने मुझे देखते हुए देखा, आँखों से डांटा और एक बार फिर झुक के एक मिनट के लिए प्लान को देखा...और फिर सीधे बैठ के मुस्कराने लगी और बोली.
.
" मैं बेवकूफ हूँ..."
" एकदम...चलो माना तो सही तुमने...तुम दुनिया की पहली लड़की होगी जिसने ये सत्य स्वीकार किया होगा..." मैंने मुस्कराते हुए कहा.
" पिटोगे तुम और वो भी कस के ..." रीत कोई हथियार खोजते हुए बोली.
" एकदम मेरी ओर से भी ..." डी बी ने उसी का साथ दिया.
रीत ने मेरी पिटाई का काम टेम्पोरेरी तौर पे स्थगित करते हुए ये रह्स्योध्घाटन किया की वो क्यों बेवकूफ है...
" ये देखिये गंगा जी..." वो बोली.
नक़्शे में नदी हम लोगों को भी दिख रही थी...
"तो फोन वाला आदमी अगर नाव पे हो तो इन सारी जगहों पे जो टाइम दिखाया गया है वो पहुंच सकता है हमें जगह देख के लग रहा था लेकिन लोकेशन तो १०० मीटर के आसपास ही होगी..."
" हाँ एकदम "और फिर मैंने एक सवाल डी बी से किया..." क्या आप लोगों ने फोन चेक करने वाली वांन तो नहीं चला रखी हैं..." मैंने पूछा...
" हाँ करीब १० दिन से जब से दंगे की अफवाहें आनी शुरू हुयी हैं , लेकिन तुम्हे कैसे पता चला..तीन गाड़ियाँ हैं ,,और २४ घंटे चल रही हैं..." डी बी बोले...
" उनकी रेंज नदी तक है..." मैंने दूसरा सवाल पूछा.
" हाँ और नहीं...घाट और घाट के पास तक का इलाका कवर होगा लेकिन कोई नदी के बीच में या रामनगर साइड में होगा तो नहीं..." वो बोले.
" बस तो ये साफ है... कोई जरुरी नहीं है की उस आदमी को पता हो इन वान्स के बारे में...लेकिन वो कोई प्रोफेशनल है जो पूरी प्रीकाशन ले रहा है...और इन फोन की लोकेशन के बारे में और ओनरशिप के बारे में ज्यादा पता नहीं चल पायेगा वो भी मैंने पता कर लिया है .
इन दो घंटो के अलावा...इन नम्बरों का पन्द्रह दिनों में और कोई इस्तेमाल नहीं किया गया. ये सिम बहोत पुराने हैं और प्री पेड़ हैं, आशंका है किसी डेड आदमी के ये सिम होंगे ....और दो घंटो के अलावा सिवाय आज जब होस्टेज वाले टाइम ...एक काल आई थी ....उन की लोकेशन भी नहीं पता चल रही है..."
मैंने पूरी इन्फोर्मेशन उनसे शेयर की.
डी बी अब पूरी तरह चिंतित लग रहे थे.
फिर उन्होंने रुक रुक कर बोलना शुरू किया...
" तीन बाते हैं. पहली, तुम्हारे इन टेलीफोन नंबरों के अलावा, अगर कोई कनेक्शन मिल सकता था तो वो चुम्मन का था...लेकिन वो एस टी फ वालों के कब्जे मैं है.शायद ही वो चुम्मन से सीधे मिला हो..कट आउट यूज किया होगा...या फिर फोन के जरिये..."
रीत ने मुझसे कान में पुछा..." कट आउट क्या...कोई बिजली का..."
" अरे नहीं यार..कोई बिचौलिया..." मैंने फुसफुसा के समझाया.
डी बी बोल रहे थे...
" दूसरी बात टाइम बहोत कम है तीन दिन बाद होली है.तीन दिन के अन्दर पता करना, न्यूट्रलाइज करना और सबसे बड़ी ये है की किसपे भरोसा करूँ किस पे नहीं.”
" मैं हूँ ना..." रीत हिम्मत से बोली.
डी बी के चेहरे पे एक हलकी सी मुस्कान दौड़ गयी...
" वो तो है...बट...कुछ तो करना पड़ेगा ना...." वो बोले...
एकदम रीत बोली...लेकिन मैं बीच में कूदा
" मेरी बात तो पूरी होने दो...इन दो नंबरों के और भी डिटेल पता चले हैं...पिछले १० दिनों में इसी समय यानी ८-१० के बीच , इन्ही लोकेशंस से....कोयम्बटूर,हैदराबाद, मुम्बई, वड़ोदरा और भटकल ...लेकिन ज्यादातर फोन मुंबई वड़ोदरा और हैदराबाद के लिए हैं. जिन नंबरों को ये फोन किये गए थे वो टैग कर लिए गए हैं और उनकी लोकेशन और प्रोफाइल भी घंटे दो घंटे में मिल जायेगी."
मैंने बोला. इसी बीच मेरे फ़ोन पे तीन चार मेसेज आ गए थे.
" ऑफ ..ये तो और चक्कर है...इसके दो मतलब है एक उस को बाकी जगहों के भी थ्रू कोई हेल्प मिल सकती है और दूसरा कोई मल्टी टार्गेट प्लान है...मुझे इसमने क्लीयरली हुजी और आईएम दोनों के फिंगर प्रिंट्स नजर आ रहे हैं." डी बी बोले
ऑफ ..ये तो और चक्कर है...इसके दो मतलब है एक उस को बाकी जगहों के भी थ्रू कोई हेल्प मिल सकती है और दूसरा कोई मल्टी टार्गेट प्लान है...मुझे इसमने क्लीयरली हुजी और आईएम दोनों के फिंगर प्रिंट्स नजर आ रहे हैं."
" हुजी कौन...'रीत ने फिर धीरे से पूछा...
" हरकत-उल-जिहाद-अल -इस्लामी' मैंने समझाने की कोशिश की लेकिन डी बी ने सुन लिया...वो बोले,
" एक संगठन है जिसका हाथ कई जगह फैले हैं. २००६ में यहाँ..."
" संकटमोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पे ...." रीत बात काट कर बोली.
" हाँ वही उसमें भी हुजी का हाथ सस्पेक्ट था...साउथ इण्डिया और नेपाल बंगला देश से जुड़े इलाकों में थोडा सपोर्ट बेस है. ये ज्यादातर सेकेण्ड या थर्ड लेवल के लोकल बदमाशों की मदद से हरकतें करते हैं." डी बी ने समझाया.
इसका मतलब की ये साजिश बड़ी लेवल की है...डी बी फिर थोड़े चिंतित हो गए.
" देखिये परेशानी तो है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है...रीत बोली..बी पाजिटिव."
डी बी ने तुरंत मुस्कराते हुए हाथ बढाया..." इट्स ग्रेट ...मैं भी बी पाजिटिव हूँ.".
मेरे फोन पे एक मेसेज आया. मैंने डी बी से उनके सारे मेल आई डी पूछ के और अपने दो तीन मेल आई डी , फेस बुक ऐकौन्ट्स के साथ मेसेज वापस कर दिए.
रीत फिर शुरू हो गयी थी...मैं बताऊँ..बाम्ब ब्लास्ट कैसे हुआ....
हम दोनों समझ गए थे की ये अपनी कहानी सुनाये बिना रहेगी नहीं. अभी तक न तो मुझे क्लियर था ना डी बी को ये कैसे हुआ होगा...जबकि हम दोनों वहीँ थे..
.लेकिन हम ने साथ एक बोला चलो सूना दो.
उलटे रीत ने मुझसे सवाल पुछा...
" जब बाम्ब एक्सप्लोड हुआ तो तुम लोग कहाँ थे...
"
" अरे यार तुम्हे मालूम है , हम लोग सीढ़ी पे थे बाहर से किसी ने ताला बंद कर दिया था. ये तो अच्छा हुआ बाम्ब एक्सप्लोजन से वो दरवाजा टूट गया...."
रीत ने मेरी बात काटी और अगला सवाल दाग दिया, मुझी से ...
" और पुलिस बाम्ब एक्सप्लोजन के बाद अन्दर गयी..."
' हाँ यार...मैं किसी तरह से अपनी झुंझलाहट रोक पा रहा था.
बताया तो था की हम लोग बाहर आ गए एक्सप्लोजन के बाद तब पोलिस वाले, कुछ पैरा मेडिक स्टाफ और फोरेंसिक वाले अन्दर गए थे मेरे सामने..."
डी बी ने मेरी ताईद की और अपनी मुसीबत बुला ली.
" अच्छा आप बताइये ..जब पुलिस वाले और फोरेंसिक टीम अन्दर गयी तो उन्होंने चुम्मन और रजाऊ को किस हालत में और कहाँ पर देखा ." रीत ने सवाल दगा.
" वो दोनों बरामदे में थे...पीछे वाली सीढ़ी जिस बरामदे में खुलती है वहां ...दोनों गिरे हुए थे..रजाऊ के ऊपर छत का कुछ हिस्सा गिरा था और चुम्मन के ऊपर कोई अलमारी गिर गयी थी. जिस कमरे में बाम्ब था वहां नहीं थे..."
डी बी ने पूरी पिक्चर साफ कर डी.
" करेक्ट ...तो तुम लोग तो सीढ़ी पे थे और वो दोनों बरामदे में और तुमने पहले ही बता दिया था की वो बंम्ब बिना टाइमर के था और रिमोट से भी एक्सप्लोड नहीं हो सकता था ...."
रीत अब मेरी और फेस की थी , तो सवाल है की वो एक्सप्लोड कैसे हुआ."
" इसका जवाब तो तुम देने वाली थी ..मेरा धैर्य ख़तम हो रहा था. मैंने थोडा जोर से बोला.
" चूहे से..." वो मुस्कराकर आराम सेबोली.
डी बी खड़े हो गए.
मैं डर गया मुझे लगा की वो नाराज हो गए.
लेकिन खड़े हो कर पहले तो उन्होंने क्लैप किया फिर रीत की ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया. रीत भी उठ गयी और उसने तपाक से हाथ मिलाया.
डी बी बैठ गए और बोले,
" यही चीज मुझे समझ में नहीं आ रहा थी. फोरेंसिक एवीडेंस यही इंडिकेशन दे रहे थे...लेकिन इस तरह कोई सोच नहीं रहा था...ना सोच सकता था.तार पर बहोत शार्प निशान थे, वो चूहे के बाईट मार्क रहे होंगे. और लाजिक तुंने सही लगाया, न ये लोग थे वहां, ना चुम्मन था और ना पुलिस..तो आखिर कैसे एक्सप्लोड हुआ. और फोरेंसिक एविडेंस से कन्फर्म भी होता है...एक मरा चूहा भी वहां मिला..."
" उस चूहे ने बहोत बड़ा काम किया बम्ब के बारे में पता चल गया." रीत बोली.
मुझे डर लगा की अब वो कहीं दो मिनट मौन ना रहें.
लेकिन डी बी बोले और मुझसे मुखातिब होके..
" यू नो, इट वाज अ परफेक्ट बाम्ब जो रिपोर्ट्स कह रही हैं..मेजर समीर के लोगों ने भी चेक किया और अपने फोरेंसिक वालों ने भी सैम्पल्स बाई प्लेन हम लोगो ने दिल्ली सेन्ट्रल फोरेंसिक लेबोरटरी में, हाँ वही जो लोदी रोड में है, भेजे थे. प्रेलिमंरी रिपोर्ट्स का वाई मेसेज आया है...सिर्फ टाइमर और डिटोनेटर फिट नहीं थे..."
" फिट नहीं थे मतलब..." मैं बोला. ये मेरी पुरानी आदत है की ना समझ में आये तो पूछ लो और इस चक्कर में कई लोग नाराज हो चुके हैं..
" मतलब ये ..डी बी मुस्कारते हुए बोले जैसे टीचर क्लास में ना समझ बच्चों को देख के मुस्कराते हैं
" वो लगा के निकाल लिए गए थे. इसमें डिटोनेटर टी एन टी के इस्तेमाल हुए थे जो नार्मली मिलेट्री ही करती है...इसके पहले के एक्स्प्लोजंस में नारमल जो क्वेरी वाले डिटोनेटर्स,पी इ टी एन यूज करते हैं वो वाले होते हैं. दूसरी बात, इसमें डबल डिटोनेटर्स लागए गए थे.दूसरा डिटोनेटर्स स्लैप्पर डिटोनेटर्स ...
अब बात काटने और ज्ञान दिखाने की जिम्मेदारी मेरी थी.
" वही जो अमेरिका में लारेंस वालों ने बनाए हैं...वो तो बहोत हाई ग्रेड...लेकिन मुझे वहां दिखा नहीं..." मैंने बोला और मुड कर रीत की तरफ देखा की वो कुछ मेरे बारे में भी अच्छी राय बनाये लेकिन वो डी बी को देख रही थी. और डी बी ने फिर बोलना शुरू कर दिया..
" बात तुम्हारी भी सही है और मेरी भी डिटोनेटर्स लगा के निकाल लिए गए थे...लेकिन इन के माइक्रोस्क्पिक ट्रेसेस थे...और तीसरी बात..इस की डिजायन इस तरह की थी की फिजिकल बैरियर्स के बावजूद ..सेकेंडरी शाक्वेव्स २०० मीटर तक पूरी ताकत से जायेंगी. जिस का मतलब ये की उस समय जो भी उस की जद में आएगा...सीरियसली घायल होगा. लेकिन डिटोनेटर की तरह शर्पेनेल भी अभी नहीं लगे थे बल्कि डाल के निकाल लिए गए थे."
बाम्ब की शाक वेव्स से मुझसे ज्यादा कौन परिचित हो सकता है, उसने सीढ़ी का दरवाजा जिस तरह तोड़ के उड़ा दिया था..सर्टेनली जबर्दस्त बाम्ब था.
" इसके अलावा इसमें एंटी पर्सोनेल माइंस के भी एलिमेंट्स हैं..." डी बी ने बात बढाई लेकिन रीत ने काट दी.
" इसका मतलब मेरा गेस सही था .." वो बोली.
“"मतलब" हम दोनों साथ साथ बोले.
" मतलब साफ है...." अपनी प्लेट की चाट ख़तम करने के बाद मेरी प्लेट की चाट ख़तम करते वो बोली
" मतलब साफ है...." अपनी प्लेट की चाट ख़तम करने के बाद मेरी प्लेट की चाट ख़तम करते वो बोली,
" तुम फालतू के सवाल कर रहे थे..ताला किसने लगाया, फायरिंग किसने करवाई, इत्यादि सही सवाल पूछो सही जवाब मिलेगा." वो चाट साफ करते बोली.
मैं और डी बी दोनों सही सवाल का इन्तजार कर रहे थे. एक मिनट रुक के थोडा पानी पी के जवाब मिला..
" सही सवाल है ...क्यूं किया...किसका इंटरेस्ट हो सकता है...करने वाला तो कोई भी होसकता है ...वो माध्यम मात्र है..." रीत गुरु गंभीर स्वर में बोली.
" जी गुरु जी...सत्य वचन ...." मैंने हाथ जोड़ कर कहा..
" बच्चा प्रसन्न रहो, सारी इच्छाएं पूरी हों ..." रीत ने आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठा के जवाब दिया. और डी बी को देख के अपनी बात आगे बढाई,
" आप ने जो बाम्ब का डिस्क्रिप्शन दिया ना उससे मेरा शक सही लग रहा है, कोई है जो ये नहीं चाहता था की चुम्मन जिन्दा बचे और आप लोगों के हाथ लगे. उससे भी ज्यादा वो ये नहीं चाहता था की ये,
उसने मेरी ओर इशारा करके बोला की जिन्दा बचे..मतलब किसी हालत में उस बाम्ब का डिस्क्रिप्शन आप लोगों तक पहुंचे.उस की प्लानिंग ये रही होगी की चाहे उस सी ओ के जरिये या उस ने बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड में किसी को पटा रखा हो जो बाम्ब बदल दे..उस की जगह कोई टूट पुंजिया जैसे बाम्ब नारमल गुंडे रखते हैं , वो रखवा दे..
.जिससे उस डिटोनेटर के बारे में जो मिलेट्री के टाईप के बारे में उसके एक्सप्लोसिव क्षमता के बारे में किसी को पता ना चले. क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसने ये बाम्ब इकट्ठे किये होंगे , कहीं बनाये होंगे, और उसके डिटोनेटर शर्पेनेल अलग रखे होंगे...तो बम्ब के बारे में पता चलने से अब उनकी पूरी प्लानिंग खतरे में पड़ सकती है. और सबसे ज्यादा खतरा इनसे इसलिए था की इन्होने बाम्ब को देखा था .
इन्हें और किसी चीज की समझ हो न हो...इन सब चीजों की थोड़ी बहोत समझ तो है..और अगर बम्ब बदला जाता तो ये बाद में पहचान सकते थे की ये वो बम्ब नहीं है...और अभी भी सबसे ज्यादा खतरा इन्ही पे है...क्योंकि और किसी को भले ही ना मालूम हो आपके सी ओ को तो मालूम ही है की वो लड़कियां कैसे छूटीं और इनका क्या रोल है...तो इसका मतलब की उन लोगों की भी मालूम होगा. इस लिए..."
रीत ने बात पूरी की और हम में से कोई नहीं बोला. डी बी ने चुप्पी तोड़ी.
" तुमने एक दम सही कहा....तुम लोग घबडा जाओगे इस लिए मैंने नहीं बताया था..,जब ये लोग यहाँ से निकले तो मैंने टेल करने के लिए एक एल आई यू ( लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) के आदमीं को बोला था तो उस ने ये देखा की कोई और भी इन लोगों का पीछा कर रहा है और वो थोड़े प्रोफेशनल भी थे.
जब ये लोग माल से रुक के चले तो आदमी बदल गया, लेकिन मोटर साइकिल नहीं बदली. सड़क पे भीड़ कम थी इसलिए उसको देखन मुश्किल नहीं था.
तुम लोगों के घर के दो चौराहे पहले एक नाकाबंदी पे एल.आई. यु. वाले ने मेसेज दे दिया था ...वहां वो नाकेबंदी में पकड़ा गया...मैं यहाँ से लौट के जाऊँगा तो उससे पूछताछ खुद करूँगा...लेकिन मुझे पूरी उम्मीद कुछ ख़ास नहीं निकलेगा...उसी किसी ने फोन पे बोला होगा और बैंक में पे कर दिया होगा...दूसरी जो ज्यादा खतनाक बात है...की यहाँ को खतरनाक प्रोफेशन गैंग्स को किसी ने तुम्हारी फोटो दी है, अभी सिर्फ वाच करने के लिए..."
डी बी की बात सुनकर मैं नहीं डरा ये कहना गलत होगा...
रीत भी थोड़ी सहम गयी, लेकिन कुछ रुक कर बोली...लेकिन अब करना क्या है फिर कुछ रुक कर वो बोली..
" मेरे ख्याल से पहली चीज तो ये ही की तुम यहाँ से गुड्डी को ले के जल्दी से जल्दी चले जाओ..और अब इस घटना से किसी भी तरह से जुड़े मत रहो...वहां जा के बस जिस काम के लिए तुम आये थे उस तरह से रहो, किसी को भी कानोकान खबर न हो न तुम्हारे चाल चलन से ये लगे....की तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है...."
" एकदम फौरन से पेश्तर ..." डी बी ने भी बड़ी जोर से सर हिलाया.
" लेकिन..." मैंने बोला...लेकिन डीबी और रीत एक साथ बोले लेकिन वेकिन कुछ नहीं...
लेकिन मैं..मेरा मतलब आई वूड लाइक टू इन्वोल्व माइसेल्फ़..मैंने धीरे से बोला...फिर मैंने ही रास्ता सुझाया...
" ठीक है , आप रीत के जरिये मुझसे टच में रहिएगा...और मैं जो भी इन्फो मिलेगी...रीत से तीन फायेदे होंगे..."
रीत ने मुझे घूर के देखा और बोली,
" हे अपनी तारीफ करने के मामलें में मैं आत्म निर्भर हूँ...मुझे किसी की हेल्प नहीं चाहिए..."
मैंने उसकी और देखा तक नहीं. देखता तो फिर सरेंडर कर देता ...और अपनी बात जारी रखी,
"पहली बात रीत के बारे में 'उन लोगों' को कुछ पता नहीं है...ना वो मेरे साथ पोलिस स्टेशन पे थी हम लोगों की मुलाक़ात भी आज ही हुयी है , इसलिए उससे इस घटना का कनेक्शन कोई नहीं जोड़ पायेगा...और मैं रीत के थ्रू आप से कान्टेक्ट में रह सकता हूँ.
दूसरी बात नेट्वर्किंग और जगह की जानकारी , तो रीत को बनारस के एक एक गली कूचे, घाट तालाब सब की नालेज है....उस के दोस्तों का सर्किल बहोत बड़ा है और सबसे उसकी अच्छी बांडिंग है...
और तीसरी बात...रीत सुपर इंटेलिजेंट है...लोग कहते हैं चाचा चौधरी का दिमाग कम्पूटर से भी तेज चलता है लेकिन उस का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है."
मेरी बात ख़तम होते ही डी बी बोल पड़े " दिमाग की बात तो सही है...फिर रीत की ओर मुड के मुस्कराते हुए बोले..
." अगर तुम्हारा १/३ दिमाग भी इसके पास होता न तो देश का भला हो जाता."
" और जो भी वो बस सिर्फ एक जगह खर्च होता है..." रीत ने पलीता लगाया.
जब तक रीत और डी बी की बात चल रही थी..मैं फोन में आये मेसेज देख रहा था...मार्लो के मसेज थे...
डी बी अचानक सपने से जागे और रीत से बोले....
" चाचा चौधरी ...हे तुम पढ़ती हो क्या ...."
" एकदम और आप ..." रीत ने पुछा...
और चौथी बार उन लोगो ने हाथ मिलाया...
"चाचा चौधरी का ट्रक ..." डी बी ने इम्तहान लिया.
"डगडग ..रीत बोली और उसने सवाल दाग दिया...
" चाचा चौधरी का कुत्ता...."
" रॉकेट ..." डी बी ने जवाब दिया...
सही जवाब रीत उछल कर बोली...
और वो लोग फिर हाथ मिलाते उसके पहले ही मैं ने धमाका कर दिया...
हम सब लोगों के फ़ोन मेल सब बुरी तरह हैक हो रहे हैं और पिछले २ घंटे से ये शुरू हुआ...और डीबी को मैंने उसके इ मेल के डिटेल दिखाए जिसमें दो तो उन्होंने अपनी फियान्सी को किये थे...मेरे भी सारे इ मेल हैक हो चुके थे. यही नहीं जो भी एड्रेसेज मेल में थे कूकी वहां तक पहुँच के उनके कम्प्युटर को भी खंगाल रही है."
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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