Saturday, March 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--61

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--61
गतांक से आगे ...........

 मेरे मेसेज को ध्यान से देखते हुए डी बी बोले..." कैसे पता चला ..."

"मैंने बताया था ना की मेरे कुछ फ्रेंड्स है...ये मार्लो है ....पहले हैकिंग करता था अब एक सिक्युरिटी फर्म में ...." मैंने बताया.
" अरे उसे कैसे तुमने पकड़ लिया ...मालूम है मुझे मिटनिक का राईट हैण्ड ...फिर तो अब क्या करना होगा..." फ़ोन मुझे वापस करते हुए वो बोले.

" हाँ और उन्होंने मिटनिक सिकुरिटी कंसल्टेंसी की पूरी ताकत हमारे साथ लगा दी है...तीन चीजें उसने बतायीं हैं...पहली तो हम इन मेल्स और मोबाइल का इस्तेमाल पहले जैसे ही करते रहें जिससे उनको शक नहीं होगा, फिर जिन कूकीज के जरिये हम्मारी इन्फोर्मेशन लीक हो रही है, उसी पे पिगी बैकिंग करके वो उन कम्प्यूटरों का पता लगायेंगे.

दूसरी बात ये की हमें नए मोबाइल, नए सिम इस सम्बन्ध में कम्युनिकेट करने के लिए इस्तेमाल करने के लिए करने होंगे. उसके लिए भी वो एक एनक्रिप्शन प्रोग्राम भेज रहा है..और इन के नंबर मैं उसे बता दूंगा..वो सारे मेसेज एक सर्वर के थ्रू रूट होंगे जिसमें एक क्रिप्टो सिस्टम है जो इन्फोर्मेशन थ्योरीटीकली सेक्योर्ड ...और तीसरी बात हम सोशल नेट्वर्किंग साइट्स का और चैटिंग साइट्स का इस्तेमाल करें ..."

" मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है...." रीत मुंह बना के बोली.
मैंने उसे चिढाया..." विकिपीडिया देवी की शरण में जाओ ..."

डी बी एक मिनट तक शांत बैठे रहे, फिर अंगडाई ले के बोले ये तो बहोत अच्छा हुआ, अब हम डिसइन्फोर्मेंशन भी फैला सकते हैं...

" मतलब गलत सूचना दे के गुमराह करना..." मैंने रीत को फिर समझाया.
" इतना मुझे भी मालूम है..." वो मुंह बना के बोली.

डी बी ने कागज़ कलम निकाली और मुझे और रीत को समझाना शुरू किया..

." अब ये साफ हो गया ...ये ऐ +++ तरह के हमले की तैयारी है...इसका स्ट्रकचर सेल बेस्ड होगा. यानी एक आदमी जो यहाँ पे काम करने वाला है, वो अपनी टीम खुद रिक्रूट करेगा, लेकिन उससे कम से कम सम्बन्ध रखेगा. वो अपने एक कंट्रोलर को इन्फो देगा वो भी बहोत जर्रोरत पे और एक ओवर आल कंट्रोलर होगा जो शायद ओवर सीज में हो. जो इसका डायरेक्ट कंट्रोलर है, वो खुद या अपने किसी साथी की सहयता से सपोर्ट सर्विसेज देगा, जैसे इस केस में बाम्ब की सप्प्लाई, इन्फार्मेशन सिकुरिटी एक तीसरा आदमी कंट्रोल करेगा, जो सीधे रिपोर्ट करेगा. दूसरी बात ये है की इसका मतलब ये मल्टी प्रांग अटैक है और अब हमें इस के हिसाब से प्लान करना होगा."

रीत बहोत धयान से उस प्लान को देख रही थी और हुंकारी भर रही थी.

" तो पहला काम होगा, अपना कम्युनिकेशन नेटवर्क ठीक करना.".

मैंने बोला.मेरा ध्यान उस बैग पे गया जिसमे महक ने दो ब्लैक बेरी, दो आई पैड और दो टैबलेट रखे थे.
दो ब्लैकबेरी और एक टैबलेट निकाल के रीत को पकड़ा दिया.

" ये एक फोन तुम रखो और दूसरा गूंजा के दे देना. और ये टैबलेट भी...मैं इनमे इन्क्रिप्शन प्रोग्राम ट्रांसफर कर दे रहा हूँ...तुम इन से ही मुझ से कान्टेक्ट करना और डी बी से भी...बीच बीच में गुंजा के फोन से...'

और तुम ...रीत ने सीरियस होके पुछा.

' मैं तुम्हारे साथ फेसबुक, चैट और ट्विटर के जरिये कान्टेक्ट में रहूँगा...'

मैंने दूसरे टैबलेट की और इशारा किया. मेरे फोन पे रिंग करके तुम इशारा कर सकती हो और...

मेरी बात डी बी ने बीच में काट दी. उन्होंने अपने कुरते की जेब से लम्बा सा पर्स निकाला और उसमें से ६ सिम निकाल के रख दिए.

दो मैंने उठा लिए.
डी बी ने मुझे घूर कर देखा और रीत को समझाया,

" ये सारे सिम एक्टिव हैं इसमें से तीन फारेन के हैं एक ऑस्ट्रेलिया, एक साउथ अफ्रीका और एक कनाडा और तीन लोकल हैं सारे अन लिमिटेड प्री पेड़ हैं...तुम इसको यूज करो और साथ में ये डाटा कार्ड जो प्रीपेड भी है, बहोत फास्ट है और इसकी रेंज बहोत जयादा है. मैंने अपना एक फोन एक्टिव कर के नम्बर तुम्हे बता दूंगा."

जब तक डीबी रीत को समझा रहे थे मैंने वो नंबर भी मार्लो को भेज दिए...मानिटरिंग के लिए...

रीत ने इसी बीच फोन में सिम लगा भी लिया और बोली मेरे खयाल से एक और आइडिया है मेरा...अगर मैं एक नया अकाउंट फेस बुक पे बनाऊं तो किसी को शक हो सकता है...

कितने एकाउंट है तुम्हारे फेस बुक पे ...मैंने पुछा

चार ..एक लड़कों के नाम वाला भी है...तो क्या तुम्ही लोग हर जगह मल्टी एकाउंट बना सकते हो. तो मैं ये कह रही थी की मैं अपनी दो चार सहेलियों से उनके एकाउंट ले लेती हूँ और उनको बोल दूंगी की जीतनी देर तक मैं यूज करुँगी वो लाग आन ना करे ..."

" और पासवर्ड ..." मैं चौंक कर देख रहा था.

" दे देंगी..हम लोग तुम लोगों की तरह स्वार्थी नहीं होते..." रीत ने आँख नचा के चिढाया.

डी बी ने बोला ..नेक्स्ट...

रीत बोली "मैंने भी कई साइट्स पे जासूसी सीरयल पढ़ा है...हमें उस का जो फोन करता रहता है , कोई कोड रखना पड़ेगा...कब तक ये वो कर के बात करते रहेंगे.

डी बी ने कुछ सोचा फिर फैसला सूना दिया...उस का कोड नेम होगा z और मेरी और इशारा करके बोले, तुम्हारा Y और रीत तुम्हारा Y 2.

रीत ने मेरी और देखा...मैंने समझाया अभी शंघाई पिक्चर आई थी ना वो एक ग्रीक सिनेमा पे बनी थी...Z...ग्रीक भाषा में जेड के कई मतलब होते हैं और उसमें से एक मतलब होता है डेथ. उस आदमी के पीछे हम और तुम पड़े हैं इसलिए Y और Y2.

डी बी ने कहा हम लोगों के पास दो वर्केबल इन्फो है...एक तो नाव से एक ख़ास टाइम पे बात करने वाला आदमी और दूसरा ...

मैंने बात पूरी की चुम्मन.

" हाँ उन्होंने बात आगे बढाई, मैं कोशिश करूँगा किसी तरह उसे वापस ले आऊं लेकिन तब तक जेड के बारे में पता करना पड़ेगा घाट वालों से .."

" वो आप रहने दीजिये...,मेरा मतलब मैं जानती हूँ एक सज्जन को..उन्हें बनारस के सारे घाटों के बारे में वहां काम करने वालों के बारे में मालूम है हम लोग उनसे कान्टेक्ट कर सकते हैं. नाम है फेलु दा, पहले कलकत्ता में रहते थे लेकिन उनके एक मित्र थे मानिक दा...उनके गुजरने के बाद से बनारस आ गए हैं और सन्देश भी बहोत अच्छा खिलाते हैं खास तौर से गुड का.रीत बोली, मैं आप को उन के पास ले चलती हूँ."

बिल डी बी ने पहले ही पे कर दिया था. हम लोग उतर कर रीत के साथ चल दिए.


 हम लोग दूकान के पीछे के रास्ते से निकले और गली गली ५ मिनट में ही गली के मोड़ पे एक बड़े से मकान के सामने पहुँच गए.

रास्ते में सिर्फ दो तीन बातें ही हुयीं...
डी बी ने रीत से पुछा हे उनका सरनेम मित्तर तो नहीं है....

रीत बोली.."पता नहीं शायद...पर हम लोग उन्हें फेलु दा ही कहते हैं...हाँ इतना जरूर मालूम है की पहले वो कोलकाता में रहते थे..रजनी सेन रोड कोई है वहां. "

डी बी ने मुझसे पुछा..."तुमने सिम का डाटा अपने को मेल किया और तुम्हारी सारी मेल आई डी हैक हो गयी हैं तो सिम का डाटा भी उनको मिल गया होगा."

" नहीं वो मेरे इन बाक्स में नहीं है,एक सिक्योर्ड क्लाउड सर्वर है ..वहां एक बाक्स में है, जिसको मैं रैंडम जेनेरेटेड पास वर्ड से ही एक्सेस कर सकता हूँ "

मैंने उनको भरोसा दिलाया और मेरे हैक किये हुए मेसेज की लिस्ट भी दिखाई जिसमें वो नहीं था.

गली के मोड़ पे एक बड़ा सा घर, बाहर दरवाजे के दोनों और दो घुड़सवारों की पेंटिंग बनी हुयी थी. हम लोगों ने नाक किया तो एक आदमी ने आके दरवाजा खोला.

रीत को वो तुरंत पहचान गया और हम लोगों को ड्राइंग रूम में बैठा दिया.

चारो ओर अलमारी किताबों से भरी...और ज्यादातर या तो जासूसी या रिफरेन्स बुक्स फर्श पे एक पुरानी सी कालीन और फर्नीचर के नाम पे पुर्राने लकड़ी वाले सोफे, एक दीवान मसनद लगा हुआ और एक नक्काशी की हुयी टेबल ..उसपर एक चारमिनार का आधा भरा पैकेट रखा था. कोने में एक म्यूजिक सिस्टम भी था जो बाकी चीजों के मामले से ज्यादा माडर्न था.

फेलू दा अभी तैयार हो रहे थे . ये उनके एवेनिंग वाक् का टाइम था.

मैंने रीत के कान में बोला...यार वो आयें ना आयें संदेश तो आ जाय.
लेकिन वही आये.

दरवाजा खुला और लगभग ६ फूट के विशाल व्यक्तित्व वाले...बंगाली भद्र लोक, गौर वर्ण, बाल थोड़े खिचड़ी पहले तो वो रीत को देख के थोडा मुस्कराए फिर जब उन्होंने डी बी को देखा तो ठहर गए और एक पल ध्यान से देखते रहे ...फिर बड़ी जोर से हँसे और बोले...

" अरे धुरंधर तुम यहाँ कहा....तुम्हारे पिता जी ने कभी बताया नहीं की तुम यहाँ आगये हो."

डी बी उनका पैर छूने के लिए झुके तो फेल दा ने उन्हें पकड के गले से लगा लिया.

बचा सिर्फ मैं...तो रीत ने मेरा इंट्रो करा दिया और उन्होंने भी फारमली अपना पूरा नाम बताया...प्रदोष सी मित्तर.
पता ये चला की डी बी के पिता जी और फेलु दा दोनों की बरसों पुरानी दोस्ती थी. दोनों ही लोगों को डिटेक्टिव नावेल्स पढ़ने के साथ कलेक्ट करने का शौक भी था. फेलु दा कभी किसी केस के सिलसिले में मुंबई आये थे शायद बाम्बे के डकैत या कुछ और ...तभी उन दोनों का परिचय हुआ जो जल्द ही गाढ़ी दोस्ती में बदल गया. दोनों साथ फ्लोर फाउंटेन के सामने पुरानी किताब की दुकानों से ले के, कोलाबा की ओल्ड एंड न्यु ( जो अब बंद हो गयी है), मुहमद अली रोड, कालबा देवी में एडवर्ड थियेटर के पास ...और जब बांद्र ईस्ट में लोटस बुक शाप खुली तो उन दोनों के मजे आगये. डेशेल हिमैट, एलेर्री क्वीन, सिमेनन, और न जाने ...

मुझे लगा की डीबी से उनके ये सस्मरण कब बंद होंगे...और ज्यादा इम्पोर्टेंट बात थी की संदेश भी अभी नहीं आया था और मुझे यहाँ से निपट के गुड्डी के साथ जाना भी है...

तब तक फेलु दा की आवाज सुनाई पड़ी ,

" तुम्हे कहीं जाना है...कोई तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है " वो मुझसे मुखातिब थे.

" नहीं ...हाँ...जी ...क्यों...आपको कैसे पता." मैंने हैरानी से पुछा...

उन्होंने बड़ी जोर से अट्टहास किया...ऐसी हंसी अब सुनने में दुर्लभ थी...और बोले..

" एलिमेंटरी माय डियर...पहली बात तुम बार बार घडी की और देख रहे हो...जबकि बाकी ये दोनों नहीं देख रहे हो..दूसरी बात, जब मैं धुरंधर के साथ बात कर रहा था तो तुम रीत को उकसा रहे थे बीच में बोलने के लिए और सबसे बढ़ कर अभी भी तुम्हारी प्लेट में दो सन्देश बचे हैं."

और उन्होंने फिर अट्टहास किया. और अगला सवाल पुछा..
" ये चाकू कहाँ लगा..."

बिना मेरे जवाब का इन्तजार किये बगैर उन्होंने पूछ दिया..." फ़ेंक कर मारा था ना..और तुम किसी को बचा रहे थे न..."

मैं फिर मन्त्र मुग्ध रह गया...वो बिना इन्तजार किये बोले...इट इज सिम्पल पावर आफ डिडक्शन ...एंड आब्जर्वेशन ...तुम्हारा बायाँ हाथ कुछ रुक के चल रहा है और मध्यमा और तर्जनी खास तौर से..ये तभी होता है जब अपर आर्म में चोट हो...दूसरी बात तुम्हारी शर्ट वहां हलकी सी उभरी है, इसका मतलब बैंडेज है. अब ये चोट गोली की नहीं सकती ..अगर गोली लगी होती तो तुम अस्पताल में होते इसका मतलब चाकू से लगी है...चाकू किसी ने फ़ेंक के मारा है ये भी घाव से पता चल जाता है अगर भोंका होता तो चोट और तगड़ी होती...फिर नार्मली कोई चाकू चलने वाला साफ्ट पार्ट पे एम करता है और बड़े पार्ट पे...इसका मतलब तुमने किसी को प्रोटेक्ट किया था. ऐसी हालत में ही चाक़ू इस तरह लग सकता है..."

मैं स्तब्ध रह गया. मुझे लगा की अब वो चुम्मन ने क्या कपडे पहन रखे थे ये भी बता देंगे...लेकिन डी बी ने उनकी तारीफ की और बात काम की ओर मोड़ दी, बिना हैकिंग वेकिंग के काम्प्लिकेशन के.

" हुन्न ...उन्होंने एक गहरी हुंकार भरी और एक सन्देश और खाया.

" बिंदु ...बिंदु मल्लाह ...क्यों ठीक रहेगा ना...उन्होंने समर्थन की आशा में रीत की ओर देखा और उसने भी गुड वाला सन्देश ख़तम करते हुए हामी भरी. और फेलु दा फिर चालु हो गए...

" हमें एक ऐसे आदमी की तलाश है जो नाव से काशी करवट से शुरू कर अस्सी घाट तक जाता है और वहां से टेलीफोन करता है है न ...अब हम तीनो ने हामी भरी.

हमारी लडाई में वो शामिल हो गए थे.

"मल्लाह के अलावा जो घाट के घाटिये होते हैं बच्चे होते हैं वो आब्जर्व करते हैं और बहोत हेल्पफुल होते हैं..और दूसरी बात मेरे खेल से वो आदमी बहोत चालाक है ..दार्जिलिंग में तब जटायु भी हमारे साथ था ऐसे ही के एक आदमी से मुलाक़ात हुयी थी चतुर चालाक ...और मुझे अपने मगज अस्त्र का पूरा प्रयोग करना पड़ा..

.ये भी इसी तरह का ब्लफ मास्टर लगता है...काशी करवट के पास इस समय सन्नाटा रहता है उसे रात में कहाँ से नाव मिलेगी...वो मेरे ख्याल से चेत सिंह घाट से नाव लेता होगा...वहां नाव तो होती है लेकिन दशाश्वमेध या अस्सी की तरह ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होती..एक बात और उस का घर इन सब से अलग कहीं होगा...वो कहीं से रिक्शे से आता होगा..."

फेलु दा सोच के बोले.

हम लोग उठने लगे तो वो बोले ...बिंदु से कल सुबह चेत सिंह घाट पे मिल लेना ....वैसे तो रात में भी घाट के आस पास रहता है...मैं उस को फोन कर दूंगा कहो तो मैं भी आ जाऊं....

" नहीं नहीं उस की जरूरत नहीं है..मैं रीत के साथ चला जाऊँगा और मैं आपके टच में रहूँगा ...जैसे ही कुछ और पता चलेगा..."
डी बी बोले और हम लोग बाहर निकल दिए.

 रात शुरू हो चुकी थी. मुझे बार बार लग रहा था देर हो रही है ..लेकिन फेलु दा ने जो बात बताई और कान्टेक्ट दिया और..सन्देश खिलाया वो अनमोल था.

डी बी ने अचानक रीत का कन्धा पकड़ लिया और बोले रुको.

उनकी कुरते की जेबें गुड्डी का पर्स हो रही थी. उन्होंने पांच छ कुछ छोटी छोटी डिवाइसेज निकाल लीं.

वो उसके महत्व पे प्रकाश डालते उसके पहले ही मैंने दो गड़प लीं.

वो सब हाइली सेंसिटिव वीडयो कैमरा थे जो लगभग अँधेरे में भी फोटुयें खींच सकते थे. उन्हें किसी मोबाइल या लैपटाप से अटैच कर देने पे वो रिकार्ड करते रहते. उनका लेंस भी वाइड एंगल था लगाबह्ग एक छोटे मोटे कमरे को पूरा कवर करने की ताकत वाला.
बाकी बचे कैमरे रीत को मिले.

फिर उन्होंने मेरे कान में पुछा..".तेरा फोन हैक हो गया है तो वो चुम्मन के सिम की कापी..कहीं..."

" वो मैंने उस सिक्योर्ड सर्वर पे डाल रखा है इसलिए मैं तो उसे एक्सेस कर सकता हूँ अपने मेल आई डी और पासवर्ड से लेकिन और कोई नहीं..." मैंने अश्योर किया.

तब तक हम रीत की बाइक के पास पहुँच गए थे...उन्होंने एक बार फिर रीत को रोका और बोले..

" ये तो सटक लेगा...मैं रात में तुमसे कान्टेक्ट करूँगा..तब तक मैं पेपर वर्क कर लूँगा..तुम्हे हम स्पेशल पोलिस आफिसर ( एस पी ओ) का डीजिग्नेशन देंगे, एक कार्ड देंगे जो तुम्हे अरेस्ट के लिए अथराइज करेगा, एक सीनियर इंस्पेक्टर के बराबर पावर देगा और तुम्हे चार पांच और लोगों को रिक्रूट करने के लिए अथराइज करेगा. ये कार्ड मेरी सिग्नेचर और होम सैक्रेटरी के अनुमोदन से जारी होगा.

मैंने चलते चलते डी बी को रोका और पुछा..." सी ओ का क्या केंगे...अब तो आलमोस्ट श्योर है की फायरिंग में और ताला बंद करवाने में उसी का हाथ था ....और उस के पास चुम्मन का नंबर कहाँ से आया ?

" कुछ नहीं..." मुस्करा के वो बोले और फिर बात साफ की..

" वो मैंने चेक कर लिया है...वो जो मिस्टीरीयस आदमी है , दो फोन नंबरों से फोन करता है , जिसको हमने जेड कोड नेम दिया है ....उस के दो नंबरों से सी ओ के पास फोन नहीं आया था. हम उसको अभी आब्जरेवेशन में रखेंगे ...और ट्रेस कर रहे हैं...साथ में उसको कुछ फालतू काम दे दूंगा...वी आई पि ड्यूटी टाइप..."

और ये कह के वो चल दिए और मैंने रीत की बाइक के पीछे आसन जमा लिया. वो बेसबरी हो रही थी. दो बार गुड्डी का फोन आ चूका था.अबकी बाइक उसने सडक पे सीधे घुसा दी.

मेरे दिमाग का कीड़ा फिर कुलबुला रहा था.

मैंने जेब में हाथ डाला , राडिसन होटल का एक नेपकिन था. मैंने निकाला तो उसमें लिपस्टिक से एक नंबर लिखा हुआ था .

अब मुझे क्लियर हुआ कीड़ा क्या था...होटल में जो फ्रांसीसी वाइन एक्सपर्ट मिले थे...पहले उन्होंने अपना नाम सिमेनन बताया थाजो एक मशहूर फ्रेंच जासूसी कहानी लेखक का नाम है और वो वैसे ही पोपुलर हैं जैसे हिन्दुस्तान पाकिस्तान में इब्ने सफी ...और निकलते समय जो नाम बताया था क्लोस्युन...वो पिंक पैंथर सीरिज में फ्रेंच पोलिस इन्स्पेक्टर का नाम है.

फिर मेरे दिमाग की बत्ती जली. उनका चेहरा कुछ पहचाना हुआ सा लग रहा था. प्रेंच पोलिस के किसी सीनियर आफिसर ने एक मैगजीन में दिखाया था. इस हालत में हमें जयादा से ज्यादा एक्सपर्ट चाहिये थे. मैंने बाइक पे बैठे बैठे तान्या को फोन लगाया..और पुछा" हे सिमोनों कम क्लोस्युन कहाँ हैं.."
" मेरे पास ....लेकिन किसी ऐसी वैसी हालत में नहीं...हम दोनों ब्रेड आफ लाइफ में हैं मिलना है ..." वो खिलखिला के बोली.

" हाँ एक दम हम लोग अभी आ रहे हैं ..." मैंने कहा. हम लोग शिवाला रोड पे ही थे.

मैंने रीत से कहा वो .'ब्रेड आफ लाइफ' बेकरी की और मोड़ ले.

बेकरी के सामने रोकती होई बोली..अब किससे मिलना है...

" तान्या से..." मैं बोला.

"तुम यार ठरकी नम्बर १ हो...उधर गुड्डी बिचारी को खुजली मची हुयी है...१० बार फोन आ चूका...इधर तान्या...गुड्डी मुझे इस तान्या के जलवे के बारे में बता चुकी है...एक से मन नहीं भरता क्या तुम लोगों का और तुम्हारा तो हरदम ९० डिग्री पे रहता है क्या बात है ..."

मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए वो बोली.

दूकान में घुसते उसके कंधे पे हाथ रख के मैं बोला..." और तुम लोगों का क्या एक से मन भरता है..."

" हम लड़कियों की बात और है...वो ठसके से बोली..

दकान में बहोत लो लाईट थी भीड़ भी बहोत कम थी. मैंने रीत के कान में कहा...और जहाँ तक ९० डिग्री वाला सवाल है...वो यार मैनुफक्चारिंग डिफेक्ट है...और वैसे भी तुम्हारे जैसे सेक्सी मस्त हसीना के सामने अगर झंडा खड़ा ना रहे तो ये हुस्न की बेइज्जती होगी."

आज मेरे पिटने का दिन था ....
एक जबरदस्त हाथ रीत का मेरी पीठ पे पड़ा..मेरी कराह निकल गयी.

कंसर्न्ड हो के वो बोली ..." हे जोर से लग गयी क्या.."
और मेरी पीठ सहलाने लगी.

" हां पहले मारो और फिर सहलाओ..." यही तुम लोगों की रीत है..

मैंने बनावटी से दर्द से मुंह बनाते हुए कहा.

" अच्छा जी..और आप लोग भी तो यही करते हो ..."

वो बड़ी अदा से अपने गाल पे आई लट को हटाते, मुस्कराके आंख नचा के बोली.

" जी नहीं मैंने बड़े भोलेपन से जवाब दिया..
." हम सहलाते पहले हैं और मारते बाद में हैं..."

अबकी पीठ पे दुगुनी जोर से हाथ पड़ा और कराहनेका मौका नहीं मिला क्योंकि सामने तान्या खड़ी थी.

हाय उसने जोर से हाथ मिलाया और हलके से हाथ दबा दिया .

जवाब में मैंने भी हाथ दबाया लेकिन मेरी निगाहें टाप फ्लोर पे चिपकी थीं. उसने एक टाईट टी शर्ट और लो कट जींस पहन रखी थी और ऊपर से टी शर्ट को जींस के अन्दर टक कर रखा था. उभार उसके लगा रहा था शर्ट को फाड़ के बाहर आ जायेगे.

मुझसे तो उसने हाथ मिलाया लेकिन रीत से वो गले मिली जैसे बरसों पुरानी दोस्त हों और हम लोगों को एक अन्दर के कमरे में ले गयी.

वो सिमोनन कम क्लोस्युन वही थें.
"तो ..यू कुड गेस..." वो बोले.

अन्दर भी फर्नीचर बाहर की तरह थे..लो टेबल.

रीत ने पूरी कहानी उन्हें सुना दी.
और मैंने एक कापुचिनो और गार्लिक ब्रेड ख़तम किया.

सब कुछ सुनाने के बाद वो बोले...ये सब काम तो मैंने छोड़ दिया है...बट मुझे मजा बहोत आता है एंड फॉर सच अ ब्यूटीफुल यंग लेडी..व्हाई नाट...माई फ्रेंड काल मी कार्लोस और उन्होंने रीत से एक बार फिर हाथ मिला लिया.

मैंने ये देखा था की चाहे वो डी बी हो या ये कार्लोस...रीत से हाथ मिलाने का मौका कोई नहीं छोड़ता था और वो भी उसी गरम जोशी से हाथ मिलाती थी.


 कार्लोस ने कुछ देर सोचा और बोलना शुरू किया..

." आई ऍम श्युर...ये जो ..जिसे आप लोग जेड कह रहे हो...एक स्लीपर है...."

मैंने काफी छोड़ के रीत को समझाने की कोशिश की लेकिन कार्लोस ने खुद ही समझा दिया ..

".ये आदमी काफी दिनों से यहाँ रह रहा होगा हो सकता है अपने नाम से ...हो सकता है...नाम बदल कर ...१० साल १५ साल २० साल ...कुछ भी ...और इस पूरे पीरियड में ..ये एकदम नार्मल रहा होगा ..और इसके पैरेंट आर्गानिजेशन ने भी इससे साल में एक दो बार ही कान्टेक्ट किया होगा...लेकिन ये फुल्ली ट्रेंड प्रोफेशनल होगा...जिस तरह से तुम लोगों ने बताया ये बहोत ही हाई लेवल का आपरेशन लगता है और इसे वो अबार्ट नहीं
करेंगे, लेकिन ..."

कार्लोस ने मेरी और देखा और बात जारी रखी

". दूसरी बात ..जैसा आप लोगो ने बताया ....ही इज डीलिंग विद कम्मुनिकेशन एंड आपरेशन ..प्लान को एक्जिक्यूट करने का जिम्मा उसी का है ..इस लिए ये पूरा चास है की प्लान फाइनली पूरा होने के साथ वो कंट्री छोड़ देगा. एक बात और लाजिस्टिक और फाइनेंसियल सपोर्ट के लिए और लोगो होंगे जिनसे उसका कोई सम्बन्ध नहीं होगा."

मैं रीत और तान्या उनकी बात सुन रहे थे..

मैंने उनसे बोला की मैं आज जा रहा हूँ और रीत की अनेलिसिस के हिसाब से अभी उनका पूरा शक मेरे ऊपर होगा और यहाँ पर रीत हो कोआर्डिनेट करेगी.

रीत मुझसे टच में रहेगी और बाकी लोग रीत के जरिये मुझसे...

" ये बहूत अच्छा है , कार्लोस ने बोला ...आई वोद लव तो बी इन क्लोज टच विद हर...अलोंग विद फ्रेंच वोमेन, इन्डियन वोमेन अरे बेस्ट रदर नाव मैं ये कह सकता हूँ की वो ज्यादा सेंसुअस और रसीली है....तुम मुझे हिंदी और भोजपुरी सिखाना...."

" और आप मुझे फ्रेंच ..." रीत ने मुस्करा के कहा.

" सिर्फ फ्रेंच भाषा तक सिमित रखना अपनी ये पढाई बाकी ..और तरह का फ्रेंच मत सिखने लगना" ,
मैंने मुस्करा कर कहा.

" वाह क्यों नहीं..." रीत और तान्या ने एक साथ कहा..

रीत ने मेरी और आँख तरेर कर कहा ,
" अपने तो होली में भाग जा रहे हो ...घर में अपनी बहन के साथ मजा लूटोगे तो मेरी मर्जी..."

और जोर से मुस्करायी.

कार्लोस ने बोला की अगर वो रोज रात में ८ से १० तक फोन करता है तो शायद आज भी करे और एक बात और वो इस मोबाइल के अलावा भी इंस्ट्रूमेंट इस्तेमाल करता होगा..."

" और क्या मेरी समझ में नहीं आया.."

" देखो सिम्पल अगर वो थर्ड और फोर्थ ग्रेड के लोगों के लिए इतनी प्रकाशन बरत रहा है तो अगर जो उसके कंट्रोलर होंगे या अगर जैसे अज एक इमरजेंसी की सिचुएय्शन है ...तो शायद और स्लीपर से भी उसे बात कारने के लिए बोला जाय ..मेरा पूरा शक है की वो वन टाइम फोन और इमेर्सेट यूज करता होगा..."
"
" इमार्सेट मतलब...रीत ने पुछा..."
" सेटलाईट फोन...." मैंने बोला.

कार्लोस ने बात आगे बढाई और रीत को समझाते हुए बताया,

" वन टाइम फोन में सिर्फ इक बार बात हो सकती है इस लिए उसे ट्रेस करना बड़ा मुश्किल होता है. एक्सेप्ट अगर आप को मालूम हो की कब बात होने वाली है और आप सिग्नल इन्तेर्सेप्त कर सकें और बाद में उसे डिसाइफर कर सकें और वो भी मुश्किल हगा क्योंकि उसमें ओन टाइम कोड यूज किया जाएगा जो ना पहले न बाद में होगा.
मुझे लग रहा है की आज का दिन बहोत इम्पोर्टेंट है...क्योंकि टाइम उसके लिए भी कम है और उसकी आपरेशनल आर्म ...वो आदमी जो बाम्ब डील करने वाला था वही अब नहीं अवेलिबिल है...इसलिए उसे हो सकता है और लोगो से हेल्प लेनी पड़ेगी. वो तो अच्छा है की किसी को बाम्ब के ट्रू नेचर के बारे में पता नहीं चला ..वरना वो शायद ओपरेशन अबार्ट कर देते ...तो हमें वो बोट आज ही ट्रेस करनी चाहिए ..."

" लेकिन बिंदु से तो कल बात हो पाएगी." मैंने बोला.

" वो रहता तो उसी घाट पे है..चेतसिंह घाट पे ...ट्राई करने में क्या हर्ज है मैं फेलु दा से बात करती हूँ ..और वैसे भी मैं उसे जानती हूँ ..."
रीत एकदम जोश में आ गयी थी.

लेकिन मुझे गुड्डी के पास जाना था और वो घर से निकल चुकी थी.

तय ये हुआ की रीत कार्लोस के साथ जायेगी चेतसिंह घाट और उस बोट को ट्रेस करने की कोशिश करेगी और तान्या मुझे ड्राप कर देगी. लेकिन मुझे गुड्डी से मिलने की जगह चेंज करनी पड़ेगी.

मैं ये भी जानता था की मेरा फोन 'कोई' सुन रहा होगा.

मैंने दूकान के बाहर निकल के गुड्डी को फोन किया " कहाँ हो अभी..."

" लक्सा के पास...जहाँ कल वो पान ख़रीदा था...कब तक आओगे तुम देर हो रही है..." गुड्डी ने परेशान होते हुए कहा

" अरे तो पहले एक काम करो ..वहां से कल जो पान ख़रीदा था ना..." मैंने बोला. गुड्डी हँसते हुए बीच में बात काट के बोली ..
" तुम ना... साफ साफ क्यों नहीं कहते पलंग तोड़ पान स्पेशल वाला... ले लेती हूँ कितना दो जोड़ा ..."

" हाँ और मैं तुँमसे पांडे पुर चौराहे पे मिलूँगा ..अरे वही जहाँ वो मशहूर गुलाब जामुन मिलते हैं...." मैंने समझाया...
" तुमने कभी खिलाया तो है नहीं तो मुझे कैसे मालूम होगा अब घर जा रहे तो अपनी उसके लिए ...."

गुड्डी अपने फार्म पे आ गयी.

पीछे से रीत आ गयी और मेरे हाथ से फोन छीनते हुए बोली...

" नदीदे ..हमेशा खाने पीने के बारे में ..और गुड्डी से बोली ड्राइवर को फोन दो...ड्राइवर को उसने समझाया अरे वही चौराहा जहाँ से एक सड़क लमही की और जाती है और जहाँ प्रेमचंद जी की मूर्ती लगी है हाँ वही..पहाड़िया वाला रास्ता..."

और फोन बंद कर मुझे दे दिया.

हम फिर अन्दर आ गए थे...तान्या और कार्लोस कहीं निकल गए थे.

रीत मुझसे सट गयी और मेरे कान के पास मुह ला के बोली...

" अपना खयाल रखना ...."

" मैंने तुम्हे कहाँ किस चक्कर में फंसा दिया..." मैंने उसे बाहों में लेते हुए कहा.

" कोई नहीं जी...बस तुम ठीक रहना ...और उसके चेहरे पे एक मुस्कान सी खेल गयी ...हे वहां तुम गुड्डी के साथ और अपनी ममेरी बहन कम माल के साथ चाहे जो करो ..बल्कि जरुर करना ..लेकिन लौट के मैं उन सबों को तुम्हे छूने नहीं दूंगी..."


मैंने उसके होंठो को चूम लिया...

" वैसे भी मेरी कल से पांच दिनों की छुट्टी है ...छुट्टी ख़तम और तुम हाजिर..."
मुस्करा के वो बोली और उसने अबकी कस के चूम लिया...

तान्या और कार्लोस आगये थे. रीत की पीठ उन दोनों की और थी इसलिए उसने देखा नहीं...

" मैंने कुछ सुना नहीं ..." तान्या ने मुस्करा के कहा...

" मैंने कुछ देखा नहीं.." कार्लोस ने बोला...और सब हंसने लगे.

तान्या के पास हेबूसा बाईक थी.

मैं पीछे बैठ गया लेकिन मुझे डर लग रहा था....तेज मोटर साइकिल और बनारस की सडकों का कोई संबंध नहीं था.

" कस के पकड़ लो.." वो बोली.

मैंने कमर कस के पकड़ ली ..लकिन बोला ...मन तो मेरा थोडा ऊपर पकड़ने का कर रहा है...
वो खिलखिलाई...तो पकड़ा क्यों नहीं मैंने मन थोड़े ही किया था...लेकिन अभी कमर पकड़ो...

उन्नत उरोज ..पतली कमर और विशाल नितम्ब ये एक विशेष पोज में अत्यंत आनन्द देती हैं...मैं सोच रहा था की उसने हडकाया धयान से पकड़ो यार झिझको नहीं ...मैं स्पीड बढाने जा रही हूँ हूँ...और कभी गली कभी सड़क ...हम लोग २० मिनट में पांडेपुर पहुँच गए सीधे गुलाब जामुन की दूकान पे...

रास्ते में तान्या ने जो बताया ...जो मुझे मालूम था ..अंदाज था कार्लोस के बारे में सब साफ हो गया.

कार्लोस का नाम वाट्रीन था...उनके पिता जी बालजाक मशहूर फ्रेंच लेखक के फैन थे.और उन्होंने बालजाक के एक मशहूर चरित्र वाट्रीन के नाम पर इनका नाम रखा था.

ह्युमन कामेडी सीरिज के उपन्यासों में कुछ में एक यह मत्वपूर्ण चरित्र था..वैसे तो यह चरित्र एक कनविक्ट का था लेकिन ये यह युजिन विदोक नामक व्यक्ति पे आधारित था जो पहले एक क्रिमनल मास्टर माइंड था लेकिन बाद में सुरेत ( फ्रेंच पुलिस ) के एक मशहूर चीफ बना..

सुरेत की शुरू आत फ्रेंच पोलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो के तौर पे हुयी और बाद में ये कमांड कंट्रोल सेंटर के रूप में तब्दील हो गया.
विदोक ने १८१२ में इसकी स्थापना की थी और बाद में स्काटलैंड यार्ड, फ. बी आई इत्यादि इसी के आधार पे बने. शुरू में और बहोत दिनों तक कई मशहूर क्रिमनल्स को इसमें लिया गया.


वाट्रीन का भी शुरू में क्रिमिनल अंडरग्राउंड से सम्बन्ध था. और इस का फायदा ये हुआ की क्रिमिनल माइंड की वर्किंग को सम्जहने में उनका कोई सानी नहीं था...जो केस कोई नहीं सुलझा पता वो ये चुटकियों में सुलझाते थे.
वाट्रीन का नाम कार्लोस होने के भी दो बड़े इंट्रेस्टिंग कारण थे, एक तो बालजाक के 'सेक्वेल्स आफ कोर्तिसंस लाइफ' में वाट्रीन का एक नाम कार्लोस था.

दूसरी ज्यादा बड़ी बात ये थी की प्रसिद्ध क्रिमनल और राजनितिक आतंकवादी कार्लोस को जब १९९४ में पकड़ा गया था तो उस योजना में वाट्रीन का योग दान था , लेकिन उस से बढ़कर जब २००० में कार्लोस को पेरिस में कोर्ट में पेश किया गया तो कई आतंकवादी समूहों ने मिल कर उसे छुड़ाने की साजिश रची, लेकिन वो इनकी वजह से नाकामयाब हो गयी. तब से हर आदमी इन्हें कार्लोस ही कह के बुलाता था.

लेकिन 'पि गाल ' ( पेरिस का मशहूर नाईट लाइफ का एरिया , जहाँ मलिन रोज ऐसे कैब्रेट हैं और पास की गलियों में 'सब 'कुछ ' होता है ) के प्रति उनका झुकाव और कुछ विभागीय झगड़ों के चलते उन्होंने काम छोड़ दिया.

" वाइन और वोमेन " ये दोनों ही उनकी दुनियां थी..लेकिन जब वो हिन्दुस्तान ख़ास तौर से बनारस आये तो यहीं के हो गए.अभी हिंदी के साथ वो भोजपुरी लोक गीत सीख रहे हैं और साथ में सितार ..उन्हें वाल्प्चुअस महिलाए पसंद हैं...


पांडेपुर में उतर के मैंने गुलाब जामुन ख़रीदे,और मैंने और तान्या ने खाए भी.

तभी तान्या ने मेरा ध्यान के आदमी की ओर दिलाया..

कत्थई सूट में एक आदमी एक मोटर साइकिल के साथ खड़ा था और बार बार उधर देख रहा था, जिधर से गुड्डी की कार आने वाली थी. मैंने सहमति में सर हिलाया. तान्या ने अपने मोबाइल से उसका फोटो खींच लिया.

मैंने तान्या को जाने के लिए कहा और भीड़ में खड़े होके गुड्डी की कार का इंतज़ार करने लगा.

जैसे ही कार थोड़ी धीमी हुयी, मैं दरवाजा खोल के कार के अन्दर घुस गया और ड्राइवर से बोला की चलते रहो.

. बाजार निकल जाने के बाद ट्रैफिक कम होगई और हमारी गाडी की रफ्तार भी बढ़ गयी. कत्थई सूट वाला मोटर साइकिल पे हमारे पीछे था.

दिन भर की घटनाओं से गुड्डी भी थक गयी थी. मैंने उसका सर अपनी गोद में रख लिया. कुछ पल में वो सो गयी और मुझे भी नींद लग गयी.

जब हम दोनों की नींद खुली, घर सिर्फ १५ किलोमीटर था यानी १०-१२ मिनट.
वो कत्थई सूट वाला पीछे नहीं था.

सड़क सून सान थी लेकिन एक जीप हम लोगों के पीछे दिख रही थी.
मैंने ड्राइवर से कहा जरा गाडी धीमी करो...
वो जीप भी धीमे हो गयी.

मेरा शक यकीन में बदल गया की हम लोगों का पीछा किया जा रहा है.
मैंने ड्राइवर से कहा की वो गाडी की स्पीड बढ़ा दे. १० मिनट में हम घर पहुँच गए.

डांट पड़ी तो लेकिन उतनी नहीं जीतनी मैं सोच रहा था.

कर्टसी गुड्डी...सारी डांट उसने खुद झेल ली ....

कम से कम २८ बहाने बनाये .

.बस नहीं मिली, मेरे कमरे की चाभी मैंने गुमा दी ..रेस्ट हॉउस का ताला तोड़ना पड़ा, वहां के चौकीदार की सास बीमार हो गयी थी, मेरा कार्ड ए टीम म में फँस गया था ...बाहर कोई लड़की खड़ी थी मैं उसको देखने में लग गया और कार्ड अन्दर रह गया...वो तो गुड्डी ने किसी तरह बैंक से बात कर के खुलवाया वरना एक दिन और रहना पड़ता...मैंने लालच कर के ज्यादा गुझिया खा ली इसलिए मेरा पेट ख़राब हो गया था...

भाभी कभी मुझे गुस्से से देखती कभी मुस्करा के ...फिर वो गुड्डी से बोलीं ...

ये है ही ऐसा...ये तो तुम साथ थी वरना..

रास्ते से मैंने उन्हें फोन कर दिया था...तब भी वो बाहर खड़ी इन्तजार कर रही थीं..

और सहायक भूमिका में मंजू थी...वैसे तो वो घर का काम करती थी लेकिन रिश्ता उसके साथ भी भाभी टाइप ही था..उसका मर्द पहले हमारे यहाँ काम करता था...करीब दो साल पहले उसकी शादी हुयी लेकिन ६-७ महीने पहले वो पंजाब चला गया कमाने..तो अब ये आउट हाउस में उसके कमरे में रहती थी..उम्र में मुझसे २-३ साल बड़ी.. और भाभी से १-२ साल छोटी ..लेकिन साइज में भाभी से पूरे दो नंबर आगे...वो भी डबल डी ...३६ डी डी ..

.पिछली होली में भाभी की लेफ्टिनेंट यही थी...वैसे तो गाली वाली गाने में मेरी भाभी , चंदा भाभी से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं थी ..( लेट ट्युनर्स कहानी के शुरू के चार पांच पेज फिर से पढ़ लें)...लेकिन अगर लेवल थोडा ज्यादा बढ़ाना हो तो भाभी तुरंत बेटन उसको पास कर देती थीं....और अगर कहीं मेंरी कजिन मेरे आस पास हो तो फिर तो कभी मेरा नाम जोड़ के कभी ...और वो भी हटने वाली नहीं थी...

भाभी का गुस्सा कम करने में दो और चीजें सहायक सिद्ध हुयीं...

मेरी मूंछे और गुलाब जामुन--वो भी पांडेपुर वाला...

क्रेडिट गुलाब जामुन की गुड्डी ने ले ली..लेकिन भाभी बोलीं...चलो तुम्हारे कहने पे याद तो आया इन्हें ..भुलक्कड़...लेकिन जैसे ही हम बरामदे में बैठे ...

भाभी ने वहां पूरी रोशनी में मेरे चेहरे को देखा और वो हंसी का दौरा पड़ा....हंस के रुकतीं फिर हंसने लगतीं...और फिर अपनी नाक के नीचे ऊँगली रख के इशारा किया...

तब मुझे याद आया ...सुबह सुबह गुड्डी की करामात ..शेविंग क्रीम के बदले हेयर रिमूविंग क्रीम वो भी मेरी ६-७ साल से पाली पोसी मूंछों पे अच्छा खासा लथेड के ...और जब मैं बाहर निकला तो जिस तरह सीधा के वो बोली...चिकनी चमेली

मैंने गुड्डी की और इशारा किया और बोला...." सब इसकी करामात है..."

गुड्डी ने तुरन्त रिबाउंड किया और सफेद झूठ बोला...

" झूठ झूठ ... मालूम नहीं हैं झूठ बोलने पे कौवा काटता है...मुझसे नहीं तो कौवे से तो डरो..."

" शेविंग क्रीम की जगह वो क्रीम किसने दी थी..." मैंने बोला...

" कौन सी क्रीम...बोलो बोलो..." गुड्डी ने चैलेन्ज किया...मैं थोडा झिझका फिर बोला...

" वही वही ...बाल साफ करने वाली...हेयर रिमूविंग क्रीम..."
मैं बोला."
" अच्छा जी .... दाढ़ी आप बनाते हो की मैं... मुझे क्या मालूम...फिर लगाया किसने..."

जवाब देने में वो पीछे रहने वाली नहीं थी.

भाभी ने संधि करायी ...अरे कित्ते मस्त लग रहे हो चलो ससुराल में गए थे ये सब तो होता ही है..

मंजू जो अब तक सिर्फ हंसने में साथ दे रही थी उसने एक लेवल गाए बढाया...

" ससुराल में सिर्फ मूंछ ही कटी कुछ और तो नहीं कटी...काट के रख लिया हो साली सलहजों ने ...."

उसने पूंछा और अबकी हंसी ठहाके में बदल गयी और गुड्डी ने भी उन लोगों का साथ दिया.

" मैं इस लिए पूछ रही थी की बिचारी तुम्हारी वो माल वो क्या करेगी...इत्ते दिनों से इन्तजार कर रही थी..." मंजू इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं थी.

" " हाँ शाम से चार बार फोन आ चूका है...भैया आये की नहीं...अबकी लगता है सबसे कस के वही रंग डलवाने के मूड में वही है..."
भाभी को तो ओपनिंग मिल गयी...एक साथ मुझे और अपनी एकलौती ननद को लपेटने की...

मैं चुप रहा लेकिन मंजू फिर बोलीं..

" अरे भैया कुछ कर वर दो ...इस होली में ...मुझे फरक नहीं पड़ता तुमसे करवाए अपनी गली के गदहों से करवाए लेकिन उस छिनाल के चक्कर में ...बैगन और मोमबत्ती का दाम दूना चौगुना हो रहा है..."

और एक बार फिर हंसी गूँज गयी. और अबकी गुड्डी भी..
." तभी मैं कहूँ...मैं गोदौलिया में रंग खरीद रही थी तो ये कैंडल ढूंढ रहे थे दूकानदार ने टोंका भी ...भैया ये होली है दिवाली नहीं ...'

एक से निपटना मुश्किल होता है यहाँ ये तीन तीन मैंने पैंतरा बदला और सूटकेस खोल के मंजू के लिए लायी साडी दिखाई...चटख गुलाबी ..अच्छी ..
मंजू ने ले लिया कपड़ा छूया ..हाथ से रगडा और फिर मेरी और मुंह कर के बोली..

" इसकी क्या जरूरत थी...ये तो महँगी होगी.." मेरी और से जवाब दिया भाभी ने ...
" क्यों नहीं जरूरत थी...जब से कमाने लगे हैं पहली बार तो घर आये हैं...और पूरी तनख्वाह मिलती है ...मुफ्त में भौजाई से होली खेलेंगे.."

" और मेरी भौजाई कौन सस्ती है ..." मैंने भी मस्का लगाया..
.होली में मंजू को पटाना बड़ा जरूरी है...बहोत ताकत है उनकी देह में ...

भाभी ने मेरी और देख के पुछा सिर्फ साडी ...
नहीं नहीं मैंने बोला और ब्लाउज भी निकाल चोली कट..बहोत डीप ...
और.. भाभी मुस्करा रही थी...मैंने ब्रा निकाली ३६ डी डी ...मैचिंग पिंक कलर की डीप क्लीवेज वाली ...
मंजू भाभी ने रख लिया और मुस्कराने लगीं...

' साइज वेज चेक कर लो गलत होगी तो दुबारा खरीदवाएंगे इससे..." भाभी बोली.
वो सिर्फ मुस्करा दी.

' एकदम सही होगी...पिछली होली में मैंने अच्छी तरह तरह नापा था...." अब मुस्कराने की बारी मेरी थी.

कभी न शंर्माने वाली मंजू एक पल के लिए झेंप गयी लेकिन फिर बोली...

"अबकी तो जिसका शाम से बार बार फोन आ रहा है ना, उसका नपवाउंगी वो भी पूरी तरह खोल कर , पूरे मोहल्ले भर के लौंडों से दबवाती मिजवाती है ...."

तभी एक और महिला का आगमन हुआ. भाभी से उम्र में दो चार साल बड़ी रही होंगी,२८-३० और फिगर में मंजू की तरह ...
 


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