Sunday, March 2, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--75

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--75
गतांक से आगे ...........


 अब हम लोग सड़क पे आ गए थे इसलिए फिर मुझे उस कथई सूट वाले की चिंता लग गयी थी।

मैंने बाहर ध्यान से देखा , ना वो ना ....उसका कोई गुर्गा दिखा ...मैं भी फिर बाबी टेलर्स की दूकान में बढ़ गया।


क्या भीड़ थी, सब लडकियां कुछ युवा फैशनेबल औरतें, कशमकस ...और सब कम्प्लेंट कर रही थीं, 20 दिन हो गए ,

एक बोल रही थी यार ...कम से कम नाप ले लेता ना, वो तो सब को मालूम है की 20 दिन में अगर उसने सिल करदिया तो समझो बड़ा फेवर किया ...मैं तो सिर्फ नाप देने के लिए दो घंटे से वेट कर रहीं हूँ।

एक दूसरी लड़की बोली, अरे यार वो कौन सी राजकुमारी आई थी ....साजिद उससे कितना लहक लहक कर बात कर रहा था और उस का नाप लेने भी तुरंत अन्दर ले गया।

रंजी और गुड्डी वहां नहीं थीं।इस लिए मैं समझ गया उन्ही दोनोंके बारे में बात हो रही है .

मैं पीछे हट गया।

15 -20 मिनट में दोनों निकली। हंसती खिलखिलाती। और पीछे पीछे ....साजिद ...गले में फीता लटकाए इसलिए मैं पहचान गया। वरना, 6 फीट के आसपास हाईट, टीशर्ट से बाहों की मछलिया छलकती, 2 दिन की बढ़ी दाढ़ी, खुले बटन और छाती की मसल्स भी साफ दिख रही थीं।

उसने दोनों को समझाया, " इस चोली कट ब्लाउज में , ब्रा तो पहन नहीं सकते, इसलिए मैंने नीचे, एक छोटा सा ब्रा के कप का टुकड़ा लगा दूंगा, सपोर्ट के लिए और थोड़े शेप के लिए , और हाँ बजाय स्लीवलेस बनाने के बहोत छोटी सी स्लीव, "

"उसपर थोड़ा सा जामदानी का काम या पतली सी पट्टी, " रंजी उसकी बात काट कर बोली।

" तुम भी ना घोड़े पे बैठी आती हो , 24 घंटे में ब्लाउज चाहिये वो भी ...वैसे आइडिया बुरा नहीं है, वही डिजाइन चोली के बेस पे भी, और पीछे तो सिर्फ स्ट्रिंग रहेगी ना , तो वो भी उसी की बना दूंगा।"

साजिद रंजी की और देख कर मुस्कराते हुए बोला।

गुड्डी ने थूक गटकते हुए बोला," और बिल ..."

रंजी और साजिद खिलखिला के हंस पड़े।
" बिल मैं देता नही लेता हूँ, " साजिद गुड्डी के उभारों पे निगाह गडा के बोला।

गुड्डी को समझाने की जर्रूरत नहीं थी, वो किस बिल की बात कर रहा था।

रंजी ने और आग लगाई, " अरे ये बनारस से आई है, बनारसी बिंदास,...होली मनाने यहाँ।"
" अरे तब तो ये हमारी मेहमान हुयीं, इनका तो ख़ास ख्याल रखना पडेगा, डबल बिल लेना होगा।"

साजिद हंस कर बोला।
" तो कल इसी समय ..यहाँ, " रंजी ने पूछा।

" एकदम और ये बनारसी मेहमान को भी जर्रोर लाना, ट्रायल एक बार लूंगा फिर आधे घंटे में ..."

मैं सीढ़ी के पास खड़ा उन की बात सुन रहा था और ये भी देख रहा था की बाकी लडकियां किस तरह जल भून कर कबाब हो रही थीं।

शाम ढल रही थी।

हम तीनो घर के लिए चल दिए, रास्ते में ये तय हुआ की रंजी अगले दिन शाम को मेरे घर आएगी, जो मैं बनारस से उसके लिए गिफ्ट लाया था वो लेने। फिर वहीँ से हम तीनो आयेंगे, पहले बाबी टेलर्स के यहाँ , वो दोनों ट्रायल दे देंगी। फिर गंगा स्टोर , उस फोटो शूट के लिए ...और लौटते हुए बाबी के यहाँ से ब्लाउज पिक कर लेंगे।

तब तक हम ऐल्वल, रंजी के मोहल्ले में उस गधे वाले गली के सामने पहुँच गये, जहां वो रहती थी।

" क्यों हम लोग छोड़ आयें तुम्हे ," गुड्डी ने पूछा।

" नहीं यहाँ कोई खतरा नहीं है, " चारो और देख के हंसते हुए वो बोली।

" हैं ना ...गुड्डी ने एक गधे की ओर इशारा करके बोला, उसका हथियार एकदम टनटनाया हुआ था। कम से कम डेढ़ फीट का रहा होगा।
रंजी ने हंस के कुछ गुड्डी के कान में कहा मेरी और देखते हुए , गुड्डी एक पल के लिए ब्लश करने लगी फिर उसने रंजी का सर पकड़ के उसके कान में कुछ कहा।

रन्जी हंसते हुए रिक्शे से उतर गयी।

मैं पीछे से उसे देखता रहा, पतली कमर, टाप और लो राइज जींस के बीच दिखती, ललचाती गोरी गोरी, और खूब भरे भरे नितम्ब,...और जैसे मुझे दिखा के उसने और कस के मटका दिए।
फिर वो एक पल के लिए मुड़ी और, हंस के ...एक छोटा सा फ्लाइंग किस मेरी ओर उछाल दिया।

और जब तक मैं सम्ह्लूं, कुछ जवाब दूं, वो किशोरी गली में ओझल हो गयी .

मैंने गुड्डी से पूछा हे वो क्या कह रही थी।
गुड्डी ने मुस्करा के बोला, गर्ल्ली टाक तुम्हारे लिए नहीं है।

बोल ना मैंने उसके गाल पे जोर से चिकोटी काटी,....

उयीई वो चीखी और फिर खिलखिलाते हुए बोली,

"तेरी वो बहोत पनिया गयी है। वो गदहा खडा था ना उसकी गली के आगे तो वही मैंने बोला,

' हे देख तुझे देख के तेरे गली के गदहों तक का खडा हो जाता है तो वो बोली,

' अरे जानी, घर पहुँचो , वो जो तेरे बगल में बैठा है ना उसका तो उससे भी ज्यादा जोर से तन्नाया है। पहुंचते ही घर पर शेर मिलेगा। गुफा ढूंढेगा।"

तो मैं बोली, 'अरे वो तो तेरी गुफा में जाने के लिए बेचैन बैठा है, कहों तो बोल दूं .' हंस के वो बोली,

'अरे नेकी और पूछ पूछ, जब चाहो तब।'.

इसी लिए मैं कह रही थी की बहूत पनियाई हुयी है, तवा गरम है हथोडा मार लो , वरना कही कोई और ले उड़ेगा , उसकी चुन्मुनिया को।'

बात तो वो सोलह आना सही कह रही थी। आज जो मैंने बाजार में उसकी जोशे जवानी देखी थी, बस थोड़ी सी झिझक थी, और उतनी तो रहनी ही थी।
मेरे मन में कुछ और उमड़ घुमड़ कर रहा था।

" हे और उस टेलर के यहाँ क्या हुआ, कैसे नाप वाप लिया उसने।" मैंने फिर पूछ ही लिया।


 " हे और उस टेलर के यहाँ क्या हुआ, कैसे नाप वाप लिया उसने।" मैंने फिर पूछ ही लिया।

गुड्डी मुस्कराई , फिर बोली।

"तुम ना ...सब कुछ जान के ही रहोगे, लेकिन चलो तुमसे मैं कुछ छिपाती नहीं ...पूछो क्या नहीं हुआ। नाप उसने टाप उतार के लिया। और फिर ब्रा भी उतरवा दी। यहाँ तक की निप्स भी सहलाए , जब तक वो टन्न नहीं हो गए।'

'तेरे भी ..." मैंने पूछा।

" और क्या तेरे माल ने बोला, अरे इसके बिना फिटिंग सही नहीं आती। वो तो छोडो, जब तक वो नाप ले रहा था,उसने अपनी नाप हम एकदम दोनों से दिलवा दी। एकदम कड़क है, मोटा भी। और उसका वो खुला हुआ था, ...

मैं चुप रहा लेकिन गुड्डी खुद ही बोली, मेरे जांघ पे हाथ रख के ...बोली,

" 20 मेरा शेर ही है ....लेकिन वो भी बस 19 ही होगा, 18 नहीं ..."

उसकी उंगली हलके हलके सहला रही थी। और फिर बोली,

' क्या प्लान है उसकी गुफा में घुसने का, कल आएगी ना , बस अब बिना देर किये चढ़ जाना , अरे उसने हाथ से पकड़ लिया है , होंठों से छु लिया है बस अब निचले होंठ का नंबर है , लगा दो , थोड़ा झिझकेगी शर्माएगी,तो थोड़ी जोर जबरदस्ती करनी होगी तो कर देना,एक बार ले ले गी अन्दर तो ..."

मैं भी यही सोच रहा था और असर मेरे जंग बहादुर पे हो रहा था। तब तक घर आ गया।


भाभी, शीला भाभी और मंजू सब किचेन में थे। हम लोग सीधे अपने कमरे में आ गए। अपनी शापिंग का बैग उठाते हुए , एक बैग गुड्डी ने मेरे बिस्तर पे रख दिया।

ये क्या है, मैं चकित होके पुछा।

" क्या है ..तेरे लिए कपडे, तुमने मेरे लिए और अपने माल के लिए इत्ता सब खरीदा ...तो मैंने सोचा की आखिर इस बिचारे के लिए भी कुछ ले लूँ ...आखिर कार्ड तो तुम्हारा ही था। अब सोच क्या रहे हो , खोल के देख भी लो, " गुड्डी एकदम अपनी स्टाइल में आँख नचा के बोली।

और मैंने खोल के देख लिया ...एक दो नहीं पूरे पांच ..बाक्सर शार्ट्स ..और स्लीवलेस टी शर्ट और वो भी आलमोस्ट झलकने वाली ...

" ये कौन पहनेगा ..." मैंने थूक घुटकते हुए पूछा
" भाई मैं तो पहनूंगी नहीं, तुम्हारी भाभी भी नहीं पहनेगी नहीं ...तो और कौन पहनेगा, तुम भी ना, अरे घर में भी ना ऐसे कुर्ता पाजामा में लफर लफर रहते हो ...ये अच्छा लगेगा, चलो जल्दी पहनो वरना कहो तो मैं पहना दू ..."


मैं जानता था की बहस करने से कोई फायदा नहीं। लेकिन मैं मौके का फायदा उठाया,

" ओ के लेकिन तुम भी वो पहनोगी जो मैं कहूंगा।"
" तुम भी ना ...बोली जल्दी ..."

" वो तुम्हारे स्कूल की यूनिफार्म ..." मैंने बोल ही दिया।

" तुम भी ना, मुझे मालूम था इसलिए मैं दो ले आई थी। एक जो ज्यादा पुरानी है वो होली के दिन पहनूंगी। "


और थोड़ी देर में वो आई। लाईट ब्लू कलर का टाप और नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट ...एकदम टाईट होनी ही थी, वो उसके पिछले साल के क्लास की थी और अब तो उसके उभार भी खूब भर आये थे और हिप्स भी ..

मैंने भी बाक्सर शार्ट्स और टी शर्ट पहन ली थी , लेकिन शार्ट भी 9 इंच से कम ही रहा होगा वो भी मेश ...और फ्लॉरल प्रिंट का

हम लोग किचेन की और चल दिए।


 रीत नया रंग नया ढंग

शाम वहाँ भी ढल चुकी थी। रात तारी हो रही थी।

लेकिन कुछ लोग ही जानते थे की ये रात कयामत की रात है, जीत या हार ...कल सुबह तक फैसला हो जाना है ...इस पार उस पार ...

सुबहे बनारस मशहूर है , लेकिन कल की सुबह एक अलग सबह होने वाली थी। एक सुकून की सुबह या ....फिर डर और अफरातफरी से भरी सुबह ....

आज की रात ..जो चार लोग बनारस के बाहर से आये थे, उन्हें जहां बाम्ब का जखीरा रखा था, वहां पहुँच जाना था। सुबह के पहले जेड उन लोगों तक डिटोनेटर पहुंचा देगा ये भी पक्का था।

और ये लोग बाम्ब बना कर ...गर एक बार होलिका में डाल देंगे तो बहूत मुश्किल होगा। कुल 568 जगह होलिका दहन होता था। इसी के साथ घाट पर गंगा आरती के समय भी स्नैपर और ए के 47 से हमले की पूरी उम्मीद थी। इस में भी उन चारों का रोल जरूर होगा।


और इसी के साथ काम इस तरह करना था , की दुशमन अलर्ट न हो और मुमब्यी और बडौदा के भी सूत्र कुछ पता लगें क्योंकि होली के अगले दिन बडौदा और उसके बाद मुम्बई में इस सभी बड़े हमले होने की खबर थी।
यूं तो आई बी और स्टेट इंटेलिजेंस के साथ लोकल पुलिस लगी थी, वहाँ के शहर कप्तान डी बी के नेत्रित्व में ...

लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदारी ले रखी थी एक चपल किशोरी, बिंदास बनारसी बाला ने , ...जी रीत ने

और उसके साथ थे कार्लोस , जिन्हें फ्रेंच सिक्योरिटी का जबर्दस्त अनुभव था लेकिन वो बीच में ही , फ्रेंच पुलिस का काम छोड़ कर भारत प्रेम के चलते बनारस में आ बसे थे।

रीत ने एक ठरकी सेना भी गठित की थी , जिसके सेनापति थे रेहन और उनके साथ थे चार ठरकी और ...
और दूसरी ओर था जेड ...बनारस की स्लीपर सेल का मुखिया, जिसका पता रीत के चतुर चालाक दिमाग ने और रेहन के ठरकी सेना के लोगों ने लगाया था।

और उस में बहूत कुछ साथ दिया था सोनल ने दालमंडी की रंडी, जो काल गर्ल का काम करती थी , जिसके साथ जेड नौका विहार पर जाता था और वहांके से सेट्लाइट फोन से दुशमन से समपर्क रखता था। उसी ने उस का नाम बताया था, मुन्ना बाबू और ..जब रेहन ने जेड की फोटो निकाल कर रीत को दी थी, तो सोनल ने ही कनफर्म किया था।

जेड का साथ देने ...कौन कौन था पता नहीं।

वो सब एक घटाटोप अँधेरे में थे और यही इस लड़ाई का एक खतरनाक पहलू था। जिसे आप दोस्त समझते हों वो आस्तीन का सांप निकल सकता था। ये बात वहां के कोतवाल के साथ हो चुकी थी की वो सब बातें उधर पहुंचाता था।

सिर्फ ये पता था की 4 लोग हुजी के बनारस पहुँच चुके हैं जो होटल के दो कमरों में रुके हैं . उन्हें आई बी ने टैग कर लिया था। उनके कमरों में छिपे हुए कैमरे की फीड सामने एक होटल में थी। जहाँ से रीत और उसके साथ के लोगों को उन्हें वाच करना था। सेकेण्ड रिंग में आई बी के आपरेटिव थे , जो होटेल के चारो और थे . और थर्ड रिंग में पी सी आर वैन्स थी जो वहां चक्कर काट रही थीं।

उन्हें आपरेशन के बारे में कुछ नहीं पता था लेकिन ये बता गया था की अगर कोई हेल्प मांगी जाय तो वो प्रोवाइड करेंगे। उन्हें सिर्फ आई बी के जिन लोगों की वहां तैनाती थी , उनसे परिचित करा दिया गया था। रीत को तो स्पेशल पोलिस आफिसर बना दिया गया था और उसके पास कार्ड था।


और रीत इस समय सोनल के पास थी।

सोनल ने अपना दालमंडी का पुराना अड्डा छोड़ दिया था। ये उसने इस लिए किया की जब जेड पकड़ा जाएगा तो अगर कहीं ये बात खुले की सोनल ने उसमें हेल्प की तो उस पर पूरा खतरा रहेगा।

इस लिए अब वह पास के एक दूसरे कोठे पर चली गयी थी जहां सिर्फ देह व्यवसाय होता था, और उस की मालकिन कोई और थी लेकिन सोनल की भी वहां बहोत कदर थी।

रीत सोनल के पास इसलिए आई की उसे काल गर्ल लगने के गुर सिखने थे।

कार्लोस ने जो होटल तय किया था , जहां से हुजी के आपरेटिव पर निगाह रखनी थी, वो एक बदनाम होटल था। वहां लोग रात भर या एक बार के लिए पेशेवर लड़कियों को ले जाते थे।

इसके दो फायदे थे, एक तो टेररिस्ट के सपोर्टर कभी यह नहीं सोच सकेंगे की पुलिस वाले इस जगह का इस्तेमाल करेंगे और दूसरा जो ज्यादा बड़ा कारण था की वो होटल वाले लड़कियों की ज्यादा चेकिंग नहीं करते थे की उनकी आई डी या पेपर्स क्या हैं।

तय यह हुआ था की कार्लोस वहां पहले से रहेगा और रीत 'उस तरह ' की लड़की बन कर वहां जायेगी।
और इसलिए रीत सोनल के पास थी। आधे घंटे के अन्दर उसे उस होटल में पहुंचना था।

सोनल ने हंसते हुए रीत से कहा, जो लोग सोचते हैं , है उसका उलटा। एक रंडी का शरीफ लड़की बना आसान है , लेकिन एक शरीफ लड़की का रंडी बनना बहुत मुश्किल,

उस तरह का मेकप चाल ढाल, अंदाज, बात करने का तरीका , अप्रोच ...और उसमें भी किसी तरह की जैसे आज तुम हाई क्लास काल गर्ल बनोगी तो ...तुम्हारा मेकअप , सिर्फ थोड़ा ज्यादा होना चाहिए, अगर बहूत हो गया तो होटल वाले घुसने नहीं देंगे। उसी तरह ड्रेस भी , और सबसे बड़ी बात ऐसे होटल वाले रोज इस तरह की लड़कियों को देखते हैं इसलिए कुछ भी फर्जी होने पे तुरंत पहचान सकते हैं।


तब तक रीत के फोन पे एक मेसेज आया और साथ में उसकी फोटी भी , सोनल रीत का मेक अप कर रही थी वो बोली,
" बड़ी कटीली नचनिया लग रही है, कौन माल है ."

टिशू पेपर से अपनी लिपस्टिक सुखाती, रीत बोली, सही पहचाना , अब तक 6 लोगों की बुकिंग हो चुकी है। आने वाली है होली के बाद और रंग पंचमी में यहीं रहेगी।

फिर रीत ने उसे अपना मेसेज एक्सचेंज दिखाया की कैसे उसने उसे रेहन और उसके तीन और दोस्त आफर किये थे , 'अंग विशेष ' के चित्र के साथ , तो उसने मेसेज दिया, "अरे दीदी ज़रा सी चीज के लिए क्यों किसी का दिल दुखाऊफिर कब मैं बनारस आऊं , ना आऊं ...मेरी ओर से तो चारो के लिए हाँ और अगर आप की नजर में कोई और हो तो वो भी चलेगा।"

सोनल खिल्खिला के हंसने लगी , साथ में रीत भी।
" अपने हीरो की बहन लगेगी ...दूर की ..." रीत ने बोला।

" अरे तब तो पूरे बनारस की ननद हुयी, फिर तो जम कर रगड़ाई होनी चाहिए उसकी। याद रहे उसको भी ..." सोनल हंसते हुए बोली।

" एकदम दूबे भाभी का भी यही प्लान .है , लेकिन एक आइडिया,...किसी तरह उसे एक रात अपने कोठे पे रख लो, जो चींटे काटते है ना सब असर ख़तम हो जाएगा " रीत तैयार होते बोली।

" अरे नहीं यार, एक रात अगरएक रात रह गयी ना और मैंने 7-8 मर्द उस पे उतार दिए तो तो फिर देखना , ऐसी चीटियाँ काटेंगी जनम जिंदगी , फिर तो एक से उसका मन ही न भरेगा, पूरे शहर के लड़कों की चांदी हो जायेगी कसी को मना नहीं करेगी, नाडा हरदम खुला ही रहेगा।"

रंजी की फोटुए देखती सोनल बोली।

" अरे फिर तो ...नेकी और पूछ पूछ, उसका भी भला उसके शहरवालों का भी भला, और बस दुबे भाभी से मैं बोलती हूँ आप को मन थोड़े ही करेगी ना।।।" रीत ने और पलीता लगाया।

रीत अपनी बाइक पे सवार हो होटल की ओर चल दी।

और जब बाइक से उतर के होटल में घुसी तो बस कयामत लग रही थी।

बस उसने 18वें बसंत पे कदम ही रखा था।

एकदम गोरा रंग, दूध में दो बूँद गुलाबी रंग की डाल दें बिलकुल वैसा, और गाल तो एक गुलाब की ताज़ी खिली टटकी कली ऐसे जैसे भोर की कोई किरण आके, उसे छेड दे, सहला दे और वो लाज से लाल हो उठे। बड़ी बड़ी काली कजरारी आँखे, और सबसे बढ़कर उसकी फिगर , लोग उसे झूठे ही कैट नहीं कहते थे।

एकदम जुड़वां बहन लगती थी।

और आज उसने जो ड्रेस पहनी थी, एकदम दहकते शोले की तरह लग रही थी।

रेड कलर का लेटेक्स का क्राप टाप, और उसके साथ एक ब्लैक लेटेक्स की शार्ट पेंट, हाई हील के लेदर रेड सैंडल और एक स्किन कलर की स्टाकिंग्स, चेहरे पे , रसीले होंठों पे लाल गाढ़ी लिपस्टिक आँखों में गहरा काजल, और ब्ल्यू कलर का मस्कारा, बाल भी आज उसने आगे की ओर कर के बनाया था। सब से बढ़ कर , उसके खड़े का अंदाज , चलने का अंदाज, सब कुछ सोनल ने अच्छी तरह से सिखाया था, यहाँ तक की बोलने का अंदाज और क्या कैसे बोलेगी।

वास्तव में सोनल किसी भी लड़की को एक रात में रंडी बनाने की कला में माहिर थी।

जब वो होटल में पहुंची तो रिशेप्शन से लेकर वहां बैठे सभी लोगों की निगाहें बस उसी पर थी, उस के उभरे जोबन से ले कर भरे भरे चूतडों को सहला रही थीं, नाप रही थीं।

उसने चारो और देखा इशारा किया जैसे कस्टमर तलाश रही हो। कार्लोस ने उसे हाथ से इशारा किया लेकिन रीत ने इग्नोर मार दिया।

एक दो लोगों ने उसे और हाथ के इशारे से बुलाने की कोशिश की, रीत ने उने नापा जोखा , तौला और एक बार फिर जब उसकी निगाहें वापस सारी टेबल्स का चककर काट के कार्लोस अपनी टेबल से उठ के उसकी और बो किया। हंसते हुए रीत ने उस इक फ्लाईंग किस दी और उसके पास जा के बैठ गयी।


 कार्लोस ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और हलके से सहलाने लगा। फिर लोगों की नजर बचाकर उसने अपनी उंगली से घडी का एक साइन बनाया, जिसकी सुइयां सवा तीन बजा रही थीं।

ये इक इशारा था की इस दिशा में बैठे लोग सस्पेक्ट हैं।

रीत ने बिना निगाह उधर किये कनखियों से देखा एक आदमी ओवर कोट पहने एक किताब पढ़ रहा है।
जवाब में वो हल्के से बोली , लेकिन इतने जोर से की वो आदमी सुन ले ...400.
बदले में कार्लोस मुस्करा दिया और उसका हाथ दबा दिया।

रीत ने अबकी थोडाऔर जोर से बोला, डालर्स
अनिथंग फार यू माई लिटिल लेडी ..कार्लोस ने अबकी खुल के जवाब दिया। और अपने वैलेट में से निकाल के चार 100 डालर्स के नोट उसे पकड़ा दिए।

रीत ने उसे अपने पर्स में रख के , पर्स एक बड़े से काले बैग में , जो वो कैरी कर रही थी, उसमें डाल दिया।
और वो दोनों उठ के कार्लोस के रूम की और चल दिए।


चलते हुए कार्लोस ने रिसेप्शन पर बैठे आदमी की और इशारा किया और जवाब में वो मुस्करा दिया और थम्स अप का सिग्नल दिया, जैस उसे कोई प्राब्लम नहीं हो।

कमरे में पहुंचते`ही कार्लोस ने उसे बांहों में भर लिया।
" हे क्या करते हो, " रीत बिना छुड़ाने की कोशिश करते बोली।

" वही जो ऐसे सुन्दर लड़की के साथ करना चाहिए और उसे बांहों में लिए लिए खिड़की के पास पहुँच गया और खिड़की खोल दी।
" ये सामने है होटल , जिसमें वो चारो टिके हैं। कमरों के साथ होटल से बाहर निकलने का रास्ता भी यहाँ से दिखता है और लैपटाप में फीड प्रापर आ रही है। होटल से बाहर निकलने के रास्ते पे भी कैमरा लगा हुआ है। उनके फोटोग्राफ भी लैपटाप में हैं। अभी एक बार अच्छी तरह देख के उनका हुलिया, समझ लो।"

कार्लोस ने बताय।
ओ के रीत ने धीरे से बोला, फिर कहा, जरा मैं ये लेटेक्स उतार दूं ...अन इजी लग रहा है।

मैं कुछ हेल्प करूँ ...कार्लोस ने बोला और बिना रीत के जवाब का वेट किये, टाप की जिप खोल दी। अंगडाई लेते हुए रीत ने टाप सोफे पे फ़ेंक दिया और खुद ही लेटेक्स की हाट पेंट भी उतार दी।

लेटेक्स के क्राप टाप के नीचे, एक बहूत छोटे, ट्यूब टाप में उसके जोबन बाहर निकलने के लिए बेकाबू हो रहे थे। टाप के अन्दर ब्रा का कवच भी नहीं था।और नीचे एक कसा छोटा सा हाट पेंट ..

मार ही डालोगी क्या, कार्लोस ने बोला और उसे खींच के सोफे पे बिठा लिया।

रीत आधी कार्लोस के गोद में आधी सोफे पे थी।

लैप टाप खोल के कार्लोस ने रीत को समझाना शुरू किया। पहले कमरे में दोनों आपरेटिव बेड पे बैठ के कुछ बाते कर रहे थे। दूसरे कमरे की फीड में भी दोनों आपरेटिव की पिक्चर साफ आ रही थी।

कार्लोस ने सारे कैमरे की पोजीशन और बाकी डिटेल समझाया फिर होटल जिसमे वो आपरेटिव टिके थे, उन का पूरा प्लान भी दिखाया। उसमे पीछे से किचेन से भी निकलने का एक रास्ता था। हाला की रात में वो रास्ता बंद हो जाता था, लेकिन तब ही एक छोटा कैमरा , कार्लोस ने वहाँ भी फिट कर रखा था। आई बी के लोग जहाँ लगे थे , वो लोकेशन भी कार्लोस ने बतायी।

तब तक कार्लोस ने दरवाजे की और देखा और उसके होंठ रीत के दहकते होंठों से चिपक गए।

तुमने मुझसे फ्रेंच लैंगवेज सिखाने को कहा था ना , उसका पहला पार्ट है फ्रेंच किस .




तुमने मुझसे फ्रेंच लैंगवेज सिखाने को कहा था ना , उसका पहला पार्ट है फ्रेंच किस .


तब तक रीत ने भीतिरछी निगाह से देख लिया था। कोई कमरे के दरवाजे की फांक से देख रहा था। बाहर से आने वाली रोशनी बंद हो गयी थी। शायद वही हो जिसके बारे में कार्लोस ने नीचे बताया था।

और रीत ने भी कार्लोस की तरह रिस्पाण्ड किया,

रीत के रसीले गुलाबी होंठ हलके से खुल गए जैसे कोयी कली किसी भौंरे को दावत दे रही हो। और कार्लोस ने उसके रसभरे, होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच, हलके से दबा लिया और कस के उसका रस चूसने लगा .

थोड़ी देर में कार्लोस की जुबान रीत के अधखुले मुंह में थी। और दोनों की जीभ हु तू तू खेल रही थी। कार्लोस ने एक हाथ से रीत के सर को पकड़ रखा था उर अपनी और हलके हलके खीच रहां था।

रीत अब अपने को बेकाबू महसूस कर रही थी।

लेकिन जब उसने एक बार फिर दरवाजे की और देखा तो साफ था की बाहर से कोई झांकने की कोशिश कर रहा था और उसे अब अपनी भूमिका अच्छी तरह निभानी थी।

कार्लोस का दूसरा हाथ अब उसके टाप पे था और वो हलके हलके रीत के उभार को दबा रहा था।

धीरे धीरे बात अब एक्टिंग से ज्यादा बढ़ गयी।

रीत तो थी रसमयी, रस से भरी , नवल नागर,...लेकिन इधर कुछ 'उपवास' ने उसकी भूख बढ़ा दी थी और उसे मालूम नहीं था की उसकी डाक्टर भाभी ने जो दवा दी थी, सहेली को टालने के लिये उसमें उन्होंने कुछ और मिला दिया था , जो एक लड़कियों के लिया वियाग्रा की तरह थी ....आखिर ननद भाभी का रिश्ता था ....तो थोड़ी छेड़खानी तो बनती थी।

और कार्लोस भी कम नहीं था, फ्रांस की काम कलाओं का ज्ञानी और अब हिन्दुस्तानी काम शास्त्र में महारथ हासिल कर रहा था लेकिन पहली बार रीत ऐसी रसीली नार से पाला पडा था ...

आँख अभी भी दरवाजे से चिपकी थी और कार्लोस ने पहला बोल्ड स्टेप लिया।

क्राप टाप के के नीचे, रीत ने एक बहोत छोटा सा ट्यूब टाप पहना था, जो मुश्किल से उसके उभार को छिपा रहा था ...कोई ब्रा का कवच भी नहीं था। और अब कार्लोस की लम्बी जादू भरी उंगलिया ताप सरका के सीधे रीत के कसे गदराये , किशोर जोबन पे ...
उउसके उँगलियों की छुवन ही काफी थी रीत की साँस रोकने के लिए…

कार्लोस की उंगली , जैसे अनजाने में रीत के खड़े कड़े ..निपल्स से छु गयी ...और रीत ने जोर से सिसकी ली
, बिना इस बात की परवाह किये की जो दरवाज एके बाहर वो कही सुन तो नहीं रहा है ...और अब रीत की बारी थी, उसने दोनों हाथों से कार्लोस के सर को पकड़ लिया और अब रीत के होंठ कार्लोस के होंठो को जोर जोर से किस कर रहे थे , सक कर रहे थे , वो बनारसी बिंदास बाला भी, फ्रेंच सेक्स्पर्ट से कम नहीं थी।

रीत ने अपने मुंह में घुसी कार्लोस की जुबान को पहले हलके हलके फिर जोर से इस तरह चुसना शुरू कर दिया की जैसे वो जुबान नहीं कोई छोटा सा लिंग हो,....उसक एहाथ भी, एक हाथ बहोत प्यार से हलके हलके कार्लोस के चेहरे को सहला रहा था और दूसरा उसके घने घुंघराले बालों के बीच में ,

और अब क्योंकि रीत ने उसके सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया था, कार्लोस के दोनों हाथ खाली थे और उसके दोनों हाथों में लड्डू थे, रीत के रसीले मस्त उभार, कभी वह सहलाता , कभी कस के दबा देता और कभी हथेली में ले के गोल गोल घुमाता , मसलता।

और अचानक रीत की सिसकी निकल गयी, बहोत जोर से,
कार्लोस ने अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच रीत के निपल को ले के जोर से पुल कर दिया था।

दरवाजे के पीछे की आँख अब गायब हो गयी थी संतुष्ट होकर शायद की ...रीत वही कर रही थी , जो वो लग रही थी।
लेकिन अब रीत भी अपना कंट्रोल खो चुकी थी और कार्लोस भी,
दोनों पलंग पर थे, रीत का छोटा सा टाप फर्श पर पडा था और कार्लोस भी मात्र ... फ्रेंची में


अब रीत अपना आपा खोती जा रही थी।

कार्लोस की उँगलियों और जुबान का जादू अब रीत पर चढ़ चुका था।
रीत का बदन थरथरा रहा था। । उसके रोम रोम खड़े हो गए थे। आँखे मुंदी जा रही थीं। पलकें भारी हो गयीं थीं। रोकते हुए भी बीच बीच में सिसकियाँ निकल रही थीं।

अब रीत के दोनों उभार कार्लोस की मुट्ठी में थे। वो कभी उन्हें हलके हलके सहलाता , कभी जोर से दबा देता। रीत के किशोर उभार, एक दम पत्थर की तरह कड़े हो गए थे। अब कार्लोस की उंगलियाँ थोड़ी और शैतानी पर उतर आई थीं। कभी वो अंगूठे से तो कभी तरजनी से उन्हें फ्लिक कर देता। दो निपल एकदम खड़े हो गए थे, करीब एक इंच के कड़े कड़े गुलाबी।,... और अचानक कार्लोस ने उन्हें पिंच कर दिया।

उयीईईईई ...जोर से रीत के गुलाबी रसीले होंठों से सिसकी निकल गयी।

अबकी कार्लोस के होंठो ने उस सिसकी को रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

उसके होंठों ले रीत के गुलाबी लरजते होंठों को आजाद कर दिया था क्योंकि अब वो नए शिकार की तलाश में थे और नीचे की ओर सरक रहे थे। उनका इरादा खतरनाक था और कुछ ही पलों में दोनों पहाड़ियों के बीच की घाटी से होके वो प्यासे होंठ , पहाड़ी के बेस पे पहुँच गए।

कार्लोस प्रेम कला के हर पहलू में पारंगत था।

कब हलकी आंच का इस्तेमाल करना चाहिए और कब पूरी गरमी का ...ये सब उसे मालूम था, और रीत ऐसी रति की प्रतिमूर्ति तो किसी को भी काम कला के पाठ पढ़ा देती।

कार्लोस ने उस शोख किशोरी के नवागंतुक जोबन को चुम्बन के हार पहनाना शुरू किया, पहले बस होंठो से हलकी सी छुवन और ...फिर ज़रा जोर से दबाना, धीरे धीरे उसे सताते तड़पाते , कार्लोस के होंठ ऊपर की ओर चढते रहे। रीत को लग रहा था, ...अब , अब, उसके होंठ उसके उसके यौवन शिखरों पर पहुँच जायेंगे, पर तडपाने का अपना मजा है, और तडपने का भी,

कार्लोस के होंठ जब रीत के गुलाबी किशोर निपल्स तक पहुँच गए, हजार छोटे छोटे चुम्बनों की कलियों से कार्लोस ने उसका अभिषेक किया और फिर अब जुबान जो अब तक छुपी बैठी थी, मैदान में आगई . पहले हलकी फिर बड़ी लिक्स, अपनी लम्बी जुबान से कार्लोस ने रीत के निपल्स पे पहले नीचे से ऊपर , फिर चारो ओर ....
रीत सिसक रही थी, अपने जोबन उचका रही थी सासें लम्बी हो रही थी ...और फिर जैसे कोई बाज झपट्टा मार के गौरेया को पकड़ ले , कार्लोस के अनुभवी होंठों ने, रीटी के मस्त चुचुक को, उसके मस्त निपल्स को दबोच लिया। होंठ पहले उसे चाटते रहे, फिर उन्होंने चूसना शुर कर दिया और थोड़ी ही देर में पूरी ताकत से हमला शुरु हो गया। ती तरफा हमला। 



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