Sunday, March 2, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--76

FUN-MAZA-MASTI
  फागुन के दिन चार--76
गतांक से आगे ...........


 रीत का जलवा ...

कार्लोस के एक हाथ ने तो जोबन को पहले ही आजाद कर दिया था।

लेकिन दूसरे हाथ ने अब रीत की मस्त चून्चियों की कस के रगड़ाई मसलाई शूर कर दी। कभी वो दबोचता, दबाता , मसलता तो कभी निपल जोर से पिंच कर लेता। दूसरा हाथ जो अब तक रिट के गोर गोर चिअक्ने पेट पे, पतली कमर पे टहल रहा था , वो छोटी सी हाट पेंट को पार कर, केले के तने ऐसी रीत की खुली गोरी चिकनी खुली गोरी चिकनी जाँघों को सहला रहा था।

और रीत की माखन सी जांघे , पिघल रही थीं, सिहर रही थीं, काम के इस तूफान में पुरवैया में पीपल के पत्ते सरीखी काँप रही थीं।

और इस मौके का फायदा उठा कर, कार्लोस का नदीदा, लालची हाथ दोनों जांघो के बीच घुस गया और उन्हें दूर दूर सरकाने लगा। रीत के मन में उधेड़ बुन चल रही थी, कभी सोचती , नहीं और जांघो को सिकोड़ने की कोशिश करती , तो कभी सोचती हो जाने दे यार ..और जीत 'हो जाने दे ' की हुयी। कार्लोस की रस सिद्ध अनुभवी उँगलियों के बिचारी उस कामिनी , किशोरी की क्या बिसात , जिसने योवन के आंगन में अभी कदम ही रखा था,...


काम के हमले का जोर एक बार फिर बढ़ा , एक साथ रीत का एक निपल जोर जोर से चूसा जा रहा था, और वहां कार्लोस ने हलके से दांत लगा दिया, और उसी के साथ दूसरे निपल को नाखून से जोर से पिंच कर दिया। बिचारी रीत ...साथ में ही कार्लोस के उस हाथ ने जो गोरी किशोरी की जांघो से खेल रहा था , एक जोरदार झटके में , हाट पेंट के ऊपर से उसकी 'गुलाबी चुन्मुनिया ' को दबोच लिया।

हथेली का निचला हिस्सा , अब उसकी प्रेम सुरंग को नीचे से दबा रहा था , और अंगूठा उअर तरजनी उस जादुई बटन की तलाश में थे, लड़कियों के बड़े से बड़े रेसिस्टेंस को हरा देता है। कार्लोस ऐसे प्रेम खेल के जबर्दस्त खिलाड़ी को इसमें कित्ता समय लगटा। हाट पैंट के ऊपर से ही उसके अंगूठे ने क्लिट को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया। रीत वैसे ही चिकनी चमेली थी। और असर भी तुरंत हुआ। अपने आप रीत के किशोर मस्त नितम्ब उचक गए , मानो वो स्वागत कर रही हो, इस अतिथि का।

कार्लोस को बस इससे ज्यादा क्या इशारा चाहिए था।


उसकी हथेली रीत की गुलाबी परी के ऊपर अठखेलियाँ करने लगी, और परी, मुस्कराने लगी।

रीत के निचले होंठ गीले हो गए। और कार्लोस के उपर इस नमी का जादूई असर पडा। दोनों जोबन का मर्दन, चूसन तेज हो गया। उधर उस के फ्रेंची में शेर बाहर मुंह निकालने लगा था . शिकार की जो नरम गरम महक उसे आरही थी।

उस सुनयना के नितम्ब अब अपने काबू में नहीं थे। जैसे कोयी कठपुतली, नचाने वाले की उँगलियों के सहारे नाचती है उसी तरह ..जैसे कार्लोस की जादुई उंगलिया उस की योन गुफा में आग दहकाती थी , वह उसी तरह दायें बाएं होते थे . और अचानक कार्लोस ने कस के रीत की प्यारी सहेली को अपनी मुट्ठी में ले कर जोर से भींच दिया।रीत के भारी नितम्ब एकदम उछल अगये। बस कार्लोस ने दोनों हाथो से उसकी हाट पैंट को पकड़ा और एक झटके में नीचे खीच दिया।

रीत के मुंह से ना ना निकलेन के पहले , वो छोटी सी हाट पैंट जमीन पर थी और नीचे पैंटी का नाम मात्र का कवच भी नहीं था। जैसे अचानक खजाने की चाभी लग जाय, और सब इकट्ठे हो जायं , बस वही, अब दूसरा हाथ , होंठ , सब जोबन का रस छोड़ सीधे वहीँ, दोनों हाथो ने कस के रीत की जाँघों को फैला रखा था और जब उसकी निगाह जब उस प्रेम द्वार पर पड़ी जिसके एक दर्शन के लिए पूरा बनारस दीवाना था, ....

बस वो बेहोश नहीं हुआ ....

सैकड़ों भरतपुर के उसने दर्शन किये होंगे यात्रा की होगी, कौन सा देश , कौन सा रूप रंग,...कूछ भी नहीं छूटा था उससे ...

लेकिन उसे आज लगा की हजारों फ्रांसीसी बालाएं इस पर कुर्बान ,

आज उसे लगा की उसका जन्म लेना, और बनारस आना सफल हो गया।

सुबह बस ..ताज़ी खिली दो गुलाबी पंखुड़िया, और एक ओस की बूँद ...उसकी आँखों ने रस लिया लेकिन वो छकी नह़ी।

उसकी अनुभवी अँगुलियों ने फिर से दोनों गोरी गुलाबी रेशमी जांघो के संधि स्थल पर हलके हलके सहलाना शुरू किया जैसे कोई सरोद के तार पर हलके हलके राग छेड़े ...
रीत कभी सिसक उठति, कभी ना न करती, लेकिन सुनने की हालत में कौन था
और कार्लोस ने बहोत हलके से उसकी दोनों गुलाबी पंखुड़ियों को हलके से अलग किया ....जैसे बरसों से सोये तालाब में कोई कनकरी फेक दें ..उन्चासो पवन एक साथ चलने लगे, उस सारंग नयनी के नयन मुंद गए लेकिन लाज,...

" नहीं नहीं वहां नहीं नहीं, प्लीज वहां नहीं बस, छोड़ो ना ..." वो बुदबुदा रही थी लेकिन पूरा शरीर तो कुछ और कह रहा था।

देह की भाषा पढ़ने में कार्लोस से माहिर कौन होगा।

रीत के पत्थर की तरह कड़े उरोज, एकदम खड़े तने , निप्पलस ..हलकी हलकी कांपती जंघाएँ, पसीने के कण और सब से बढ़ कर उन गुलाब की पंखुड़ियों पर ताज़ी ओस की बुँदे ..

उसकी उंगलिया , फिर से एक बार सरोद के तारों पर चलने लगीं ...
अब रीत की जांघे अपने आप फैल गयीं थी , उसने हलके से अपनी बड़ी बड़ी हिरन सी आँख खोली और कार्लोस को देख के बोला ,
दुष्ट और एक बार फिर आँखे बंद कर लीं।
उंगलियाँ हथेली अंगूठा अब सब भरतपुर का स्टेशन देखने में जुट गये।
और कुछ देर बाद जब होंठों ने हमला बोला रीत ने सरेंडर कर दिया।

उसके हाथों ने कस के कार्लोस का सर पकड़ के अपनी ओर खिंच लिया, नहीं ...नहीइ,....हाँ ...बस,...

होंठो ने पहले उस शोख किशोरी के भगोष्ठो को छुआ ओर फिर हलके से रगड़ दिया,

बसंती हवा से जैसे कोई टहनी सिहर जाय, उस तन्वंगी की देह सिहर गयी , और फिर प्रथम चुम्बन ....निचले होंठों पर ...
जैसे बारिश की पहली बूँद के बाद, सावन की झड़ी लग जाय , चुम्बनो की बरसात शुरू हो गयी , उन गुलाबी रसीले होंठों पर , प्रेम गली के द्वार पर , रीत की जांघे अब पूरी तरह फैल गयी थीं।

उसने अब समर्पण कर दिया था। रीत की दोनों लम्बी लम्बी टाँगे कार्लोस के मजबूत कन्धों पर थीं, एक पल के लिए होंठ हटे और तुरंत उँगलियों ने उस कुवारी के यौन द्वार पर कब्ज़ा कर लिया। तरजनी और मध्यमा के बीच दोनों भगोष्ठ पहले तो पकडे रगड़े गए , और अबकी कस कर ....

फिर जैसे कोई सुनहले आम की दो फांको को अलग करे , उँगलियों ने उन दोनों पंखुड़ियों को अलग किया और बीच में एक ऊँगली डाल कर पहले तो हलके से सहलाया और फिर कुछ जोर जोर से रगड़ना चालू कर दिया।
रीत बहोत अनुभवी तो नहीं थी, ( अब तक सिर्फ एक बार,लेकिन इस कहानी केके नियमित पाठक यह जानते हैं ) लेकिन यौन सागर की कुशल तैराक थी।

नाविक उसे बार बार किनारे पर ले जाना चाहता था लेकिन वो मझधार में लौट आती थी।

और अचानक कार्लोस ने दाव बदला। उसके हाथ अलग हो अगये और अब होंठ मैदान में आ गए, साथ में जुबान भी।
उसके होंठ रीत की कसी किशोर रस भरी योनि को जम कर चूस रहे थे। चाट रहे थे। और साथ ही जुबान भी, जैसे कुछ पल पहले , ऊँगली रीत की योनि में अन्दर बाहर हो रही थी , उसी तरह अन्दर बाहर होने लगी। ये मजा कुछ और ही था।

रीत पागल हो रही थी , लेकिन कार्लोस के तरकश में बहोत तीर थे। कछ देर चूसने चाटने के बाद , उसके होंठों ने रीत के गुलाबी क्लिट को अपने गिरफ्त में किया और जोर जोर से चूसने लगे , साथ में जीभ भी बाहर निकल कर क्लिट पर अपनी नोक से आग को और भड़का रही थी।


रीत को दूबे भाभी की बात याद आरही थी, जो अपनी शैली में वो कहती थीं,

' असली मर्द वो नहीं है जो जबर्दस्त चुद्क्कड हो बड़े लंड वाला हो बल्कि वो है जो इनके साथ साथ जबर्दस्त चूत चटोरा भी हो।'

और कार्लोस की खासियत ही उसका चूत चटोरा होना थी।

हाथ जो जांघो से दूर हुए थे , उन्होंने जोबन को पकड लिया था और कस के जोबन मर्दन कर रहे थे। रीत की मस्त किशोर चून्चियां कस कस के रगडी मसली जा रहीं , साथ में वो कभी कभी रीत के तनय, निपल्स को पुल या पिंच कर लेता।
रीत को लग रहा था, वो अब गयी , तब गयी अब झड़ी ..लेकिन कार्लोस देह भाषा पढ़ने में माहिर था और उसी समय वो रुक जाता या निपल पिंच कर देता और फिर थोड़ी देर बाद ...रीत की देह शिथिल पड़ती जा रही थी,...

थोड़ी देर के लिए कार्लोस ने विराम लिया।

अब मौक़ा रीत के हाथ में था। वह सरक कर नीचे आ गयी और फर्श पर बैठ कर उसने कार्लोस की ओर देखा।

रीत के होंठ और आँखे दोनों मुस्करा रहे थे।

" हिलना मत , ज़रा सा भी ," वो सारंग नयना बोली और कार्लोस ने भी मुस्करा के बिना बोले हामी भर दी।

कार्लोस का शेर थोडा सोया ज्यादा जागा था।


थोड़ी देर के लिए कार्लोस ने विराम लिया। अब मौक़ा रीत के हाथ में था। वह सरक कर नीचे आ गयी और फर्श पर बैठ कर उसने कार्लोस की ओर देखा।

रीत के होंठ और आँखे दोनों मुस्करा रहे थे।

" हिलना मत , ज़रा सा भी ," वो सारंग नयना बोली और कार्लोस ने भी मुस्करा के बिना बोले हामी भर दी।
कार्लोस का शेर थोडा सोया ज्यादा जागा था।

रीत की भी चुम्बन यात्रा, कार्लोस की जांघो से शुरू हुयी और फिर कुछ पल में कार्लोस के बाल्स से उसके होंठ चिपके हुए थे , एक दो और फिर सैकड़ों चुम्बन ..और फिर हलके से गुलाबी रसीले होंठों केबीच ले उसने चूस भी लिया। आखिर यही तो फैक्ट्री थी पौरुष रस की जिसकी सब कन्याये प्यासी रहती हैं

उसने वहां से होंठ हटाये तो बस उत्थित लिंग से बच कर , थोड़ी सी जुबान निकाल निकाल कर लिंग के बेस पे सपड सपड़ उसने लिक किया,...

शेर अब पूरी तरह जग चुका था .

रीत ने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों को उठा के देखा, बित्ते भर से क्या कम रहा होगा , और खूब मोटा,

उसकी मुट्टी में तो समाने से रहां,....

वो मन ही मन मुस्करा पड़ी, क्या बात है उसकी किस्मत में , दीर्घ लिंगी पुरुष ही आते हैं , पहले होली मनाते वो हीरो, आनंद , जिसने पहली बार उसे जीवन का रस दिया और अब ये ....बराबर ही होगा उसके ..

और अब उसकी लम्बी जुबान, लिंग के बेस से लेकर टाप तक लिक कर रही थी।

अब उसने एक तकिया ले कर कार्लोस के नितम्ब के नीचे लगा दिया और फिर वो किया ...जो उसे सोनल ने सिखाया था ..एक स्पेशल ट्रिक ...सोनल स्पेशल ...

उसने मुंह में ढेर सार थूक लिया और फिर कार्लोस के बड़ी बाल्स के नीचे एक बार कस कर किस करने के बाद , उसकी थूक में लिसडी जुबान , बाल्स और पिछवाड़े के छेद तक एक बार .हलके से फिर 5-6 बार ....और अंत में कार्लोस के दोनों नितम्बों को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर , एक जबर्दस्त चुम्मी सीधे उसके पीछे के दरवाजे पर ...


कार्लोस की हालत खाराब थी।

वो मचल रहा था, सिसका रहा था।

अब रीत ने एक बार फिर उसके उत्तेजित शिश्न का हाल चाल लेना शूरु किया।
उसने कार्लोस की ओर देखा।
उसकी आँखों में एक अजब सी प्यास थी।

रीत मुस्करा दी , मानो कह रही हो अब देखो बनारसी बिंदास बाला का जादू ,

रीत के गुलाबी होंठो ने प्यासे, पगलाए, लिंग को बहोत हलके से अपने मुलायम किशोर होंठों में दबाया और बस धीरे से सरका के जैसे कोयी सुहाग रात में दुल्हन का घूंघट हटाये, सुपाडे के चमडे को खोल दिया ...

खूब गुस्साया , पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, टमाटर सा लाल ...

एक पल तो रीत देखती रह गयी मुंह में समाएगा की नहीं , फिर उसे एक शरारत सूझी ..

उसने दोनों हाथों से कार्लोस के लिंग को बहोत हलके से पकड़ा और अपनी जुबान निकाल कर , उसकी टिप प्यासे सुपाडे के पी होल में डाल दी और उसे सुरसुराती रही।

कार्लोस बस पागल नहीं हुआ।

रीत को दया आ गयी
( वैसे भी वो बहूत दय्यालू है, ख़ास कर लडकों पर )

और एक झटके में पूरा सुपाडा गप्प कर लिया। और हलके हल्के चूसने लगी साथ में एक हाथ हलके हलके लिंग को सहला रहा था , और दूसरे हाथ की लम्बी जादू भरी उंगलिया, लंड के बेस को छेड़ रही थीं , सहला रही थीं।

वो उंगलिया , फिर बाल्स तक पहुँच गयीं और सहलाने लगीं।

साथ ही रीत के होंठों लंड पे जोर बढ़ा दिया था। अब वो पूरे जोश से चूस रही थी। नीचे से उसकी जुबान सपड सपड लिंग को चाट रही थी। दोनों गुलाबी रसीले होंठो से बस रगडते हुए लंड अन्दर बाहर हो रहा था।

और साथ में उसके डिम्पल वाले गाल , वैक्यूम पम्प से भी ज्यादा जोर से चूस रहे थे। रीत की लार से सरकता हुआ आधे से ज्यादा लिंग रीत के मंह में समा चुका था।

उसका पूरा मुंह भरा था लेकिन कुछ देर में उसके गुलाबी गाल थकने लगे।

उसने कार्लोस को देख के एक बार मुस्करा दिया और धीरे धीरे लिंग बाहर निकाल दिया , लेकिन अब रीत की लम्बी जादुई उंगलियाँ मैदान में आ गयी थीं। वो हलके हलके लिंग को सहला रही थीं साइड से वो उसे किस भी कर रही थी।

फिर उसने अपने दोनों किशोर उभारों के बीच ले लिया और दोनों हाथों से अपने जोबन लिंग पे दबा रही थी।
उस किशोरी नवल बाला की ये बात देख के लिंग और बावरा हो गया .

लेकिन रीत को इससे क्या, थोड़ी देर पहले उसकी प्यारी परी भी तो एसे ही पंख छटपटा रही थी।

रीत ने अपने उत्तेजित कड़े कड़े निपल्स को सुपाडे के पी होल में डाल के छेड़ना शुरु कर दिया .

कार्लोस को तो 440 वाल्ट का झटका लगा।

लेकिन रीत ने एक बार सुस्ता चुके अपने मुंह में लंड घोंट लिया। और अब सब खेल तमाशा छोड़ कर वो चूस रही , थी चाट रही थी, और लगभग पूरा लंड उसने घोंट लिया था।

कार्लोस भी उठ कर बैठ गया . और अब उसने रीत के सर को जोर से पकड़ लिया था और लंड पूरी ताकत से घुसेड रहा था। जैसे किसी छोटी साइज की बोतल में ओवर साइज कार्क घुसेडा जाया बस वैसे ...

अब रीत की हालत खारब थी, वो गों गो कर रही थी।

लेकिन अभी भी वो पूरी ताकत से चूस रही थी, उसकी आँखे बाहर निकल रही थीं .सांस लेने में दिककत हो रही थी , उसे डीप थ्रोट की बहोत आदत नहीं थी , लेकिन बिना रुके वो कस कस के चूसे जा रही थी .

अचानक कार्लोस ने पलटी खायी और अब वो दोनो सिक्सटी नाईन की पोज में थी , एक बार फिर कार्लोस उसकी चिकनी चूत कस कस के चाट रहा था चूस रहा था और रीत भी कार्लोस का लंड सक कर रही थी, बिना रुके, रीत ऊपर कार्लोस नीचे ...

कार्लोस ने रीत की चूत में उंगली डाल के उसके जी प्वाइंट को हलके से दबा दिया,
रीत हवा में उड़ने लगी थी लेकिन उसके पास भी अमोघ अस्त्र था,

सोनल ने उसे सिखाया था , कोई भी मर्द जो जल्दी ना झड़ता हो उसके लिए ...
उसका एक हाथ कार्लोस के नितम्ब को सहला रहा था और उसने अपना अंगूठा कार्लोस के गुदा द्वार पे रख कर कस के अन्दर ठेल दिया ...

जो असर लड़कियों पे जी प्वाइंट का होता है वाही लड़कों पे प्रोस्ट्रेट मसाज का , लेकिन बहोत कम लडकिया ये गुर जानती है ...भला हो सोनल का ...

रीत ने झडना शुरू कर दिया ...और थोड़े ही देर में कार्लोस ने भी ...
कम से कम अंजुरी भर ...खूब गाढ़ी मलाई,...रीत सब घोंट गयी।


दोनो शिथिल होकर थोडी देर पडे रहे, फिर रीत उठी , अंगडायी लेकर और जब उसने झुक कर देखा, तो एक पल के लिये शर्मा गयी.

कार्लोस कि मलाय़ी का एकगाढा थक्का, उसके निपल पर पडा हुआ था.
कार्लोस उसे देख कर मुस्करा रहा था.

रीत भी रीत थी. उसने निपल पर टन्गे , उस वीर्य के टुकडे को अपनी तरजनी में लपेटा, और कार्लोस को दिखा के,पहले तो अपने गुलाबी मुलायम रसीले होन्ठो पे छुलाया और फिर पूरा गप्प कर गयी. आंख नचाते हुये , स्वाद लेते हुये सारा गडप...और फ्रिर उसने मुंह खोल के कार्लोस को दिखाया, सब पेट में चला गया था.

खूश होकर प्यार से, कार्लोस ने उसे खीच के अपनी गोद में बैठा लिया, और गाल पे पहले तो एक छोटी सी किस्सि ली और कच्कचा के जहां उसक डिम्पल था, काट लिया और कान में बोला,

" मुझे वही लडकियां पसंद है जो स्वालो कर जाती है, जो स्पिट करती है, उनसे सारा बना बनाया, मूड खराब हो जाता है. "

" अरे बेवकूफ होती हैं साल्लियां, ऐसी छिनालों को तो लन्ड नसीब नही होना चाहिये, जिन्दगी भर मोमबत्ती से काम चलायें, जो इसका निरादर करती हों, ये तो लंड का प्रसाद है."
" स्वाद कैसा था,.." कार्लोस ने मुस्कराकर पूछा.

" एकदम. मस्त ..खूब गाढी, बनारस की रबडी जैसा..." रीत खिलखिला के हंस के बोली.

कार्लोस ने खींच कर उसे अपनी गोद में बैठा लिया. मोटा खून्टा नीचे, उसकी गान्ड में चुभ रहा था.रीत ने भी अपने दोनो पैर थोडे चौडे कर लिये और कार्लोस ने रीत के मस्त जोबन को कस के दबोच लिया.

" हे बहूत मजा ले लिया, अब काम, जरा देखो तो इस दौरान हमारे मुर्गो ने क्या किया." उसका इशारा होटेल के दोनो कमरों मे रुके हुजी के आप्रेटिव कि ओर था .
लैप्टाप में दोनो कमरो से फीड आ रही थी.

जिस कमरे की फीड उन्होंने आन की , उसमे कोई ख़ास हरकत नहीं हो रही थी।

रीत बोली, थोड़ा रिवाइनड करो , पिछले 20-25 मिनट तक ....कार्लोस ने फ्रेम बाई फ्रेम रिवाइन्ड करना शुरू किया।
लेकिन साथ में उसके लालची हाथ गोद में बैठी रीत के 32 सी किशोर उभारों का रस भी ले रहे थे।कभी वो मुठी में बंद दोनों जोबन दबा देता, कभी हल्के से निपल्स फ्लिक कर देता।

रीत ने कार्लोस की उँगलियों को ले के हाथ से पकड़ के अपने होंठो से लगा लिया।और हलके से किस करते हुए बोली,
" ये बहोत शरारती भी हैं और जादुई भी, कैसी आग लगाती है।"

कार्लोस ने रीत के इयर लोबस को हलके से किस करते हुए कहा , जादू सीखोगी ...
" एकदम ...नेकी और पूछ पूछ ..." हलके से मुस्कराके वो सारंग नयनी बोली।

और कार्लोस ने जादू की किताब के पन्ने खोलने शुरू कर दिए, शुरुआत निप्स से हुयी, कैसे हलके से फ्लिक करो ,कैसे रोल करो ...और उसका एक हाथ साथ में कर के भी बता रहा था, फिर निचली मंजिल पे ...दोनों उँगलियों से किस तरह कन्ट लिप्स को मसलो , फिंगरिंग करते समय मझली उंगली अन्दर ..

.सिर्फ इसलिए की नहीं वो सबसे लम्बी होती है बल्कि इसलिए भी की साथ साथ साइड की दोनों उँगलियों से भगोष्ठो से बाहर की ओर भी रगड़ाई मसलाई कर सकते हैं और उसी के साथ अंगूठा क्लिट पर,

कार्लोस की उंगलीया साथ में प्रक्टिकल भी कर रहे थे।

" हे जरा जुबान वाला जादू भी सिखाओ ना ..." रीत ने इतरा कर कहा।

कार्लोस ने अपनी जुबान निकाल कर दिखाई , और उसके टिप की ओर इशारा किया , फिर समझाया की कैसे टिप का इस्तेमाल लड़की को पागल बना सकता है , निप्स पर लेकिन सबसे ज्यादा कन्ट लिप्स के बाहरी हिस्से में, अन्दर और सबसे ज्यादा क्लिट पर, ...

कोई भी ..लड़की एक मिनट में चूतड पटकने लगे गी और 3 मिनट में किनारे पर ..."
फिर कुछ रूक कर कार्लोस ने पूछा ,

” हे लेकिन तुम किसी लड़की पे ही ट्राई करोगी न ..."
"धत्त ..." रीत ने उसे झिड़का, लेकिन दूबे भाभी की पाठशाला में ही तो उसने देह शिक्षा के सारे पाठ पढ़े थे, सब गुर जाने थे।
कार्लोस ऐसे आसानी से छोड़ने वाला नहीं था, उसने फिर चढ़ाया।

" सूना है तुम्हारे शहर में बगल के शहर से ...कोई लड़की आने वाली है ...रंजी . रंगपंचमी का मजा लेने ..उसके साथ ये सब ट्रिक ट्राई कर सकती हो।"

" अच्छा तो तुमको भी महक मिल गयी, ..." रीत हंसते हुए बोली।

" मैं क्या पूरे शहर में आग लगी हुयी है जहां देखो तहां, तुम्हारे पास कोई फोटो वोटो है क्या उसकी ..." कार्लोस बोला।
" एकदम है अब तुम इतना तड़प रहे हो तो चलो दिखा देती हूँ, और रीत ने अपना दिखाई मोबाईल खोल कर गुड्डी ने जो फोटो भेजी थीं सब दिखायीं , एक से एक हाट ...आगे से पीछे से ....जोबन का उभार मस्त नितम्ब ....

कार्लोस का मुंह खुला रह गया ...वो बोला, मस्त माल है एकदम ....पटक के चोदने लायक, लेकिन अगर इसका पिछवाडा मिल जाय तो एकदम ...

रीत उसकी बात काट कर बोली, "अरे यार दिलवा दूंगी, आगे से पीछे से उपर से नीचे से जैसे चाहे वैसे लेना, रगड़ कर चीखने देना साल्ली को, लेकिन बुकिंग करानी होगी। मैं ही बुक कर रही हूँ , 6 को तो मैं बुक कर चुकीं हूँ , तूम्हारे लिए कंसेसन ..."

कार्लोस ने हाथ बढाया और रीत ने जोर से ताली दी। सौदा पक्का,

रीत की निगाह वीडियो फीड से चिपकी थी। वो चौंक कर बोली, रोको रोको थोड़ा पीछे करो,


 दोनों हुजी के आपरेटिव साफ साफ नजर आ रहे थे। टेबल पर कोई पैकेट लग रहा था, जो होम डिलीवरी के खाने का पैकेट लग रहा था।
स्टाप करो, रीत बोली और कालोर्स ने फीड प्लेबक करना रोक दी।

" इसमें क्या हो सकता है,..." रीत उसे पाज कर ध्यान से देखते बोली।
" खाना होगा और क्या ...तुम सोचती हो उस में बाम्ब होगा, या डिटोनेटर होगा जो जेड ने भेजा होगा। थोड़ा आगे कर के देखते हैं ..." कार्लोस ने बोला।
पैकेट खुला और उसमें से खाना ही निकला। लेकिन रीत कन्विंस नहीं थी।

दोनों आपरेटिव्स आराम से टेबल पे बैठ के खाना खा रहे थे। फिर वो बाथरूम गए हाथ धोने ...
ज़रा और पीछे करो,

उन लोगो ने शुरू से देखा, करीब पन्द्रह मिनट पहले, दरवाजा खुला था और एक आदमी होम डिलीवरी ऐसे बैग को ले के कमरे में दाखिल हुआ। उसने एक को बिल दिया। फिर खुद ही बैग खोल कर खाने के पैकेट टेबल पे रख दिया।

रीत ने ज़ूम किया ..बैग पर और खाने के पैकेट पर , एक जानी मानी दूकान का नाम था जो होम डिलीवरी करती थी। नाम साफ साफ नजर आ रहा था।

थोड़ी देर बात करने के बाद , वो डिलवरी वाला चला गया।
रीत के चेहरे पर टेंशन साफ नजर आ रहा था।

उसने पूरी फीड उसके आने के बाद से रिवाइन्ड कर देखी ...जैसे अभी भी उसके मन में कुछ दुविधा हो।

वो लोग लाइव फीड पर आगये , दोनों रूम में सब कुछ नारमल सा लग रहा था। दूसरे कमरे की फीड भी उन लोगो ने पूरी रिवाइन्ड की , वहां कोई डिलीवरी ब्वाय नहीं आया था। लेकिन उस कमरे के दोनों जमूरों ने अपने बैग में से एक बाक्स निकाल कर उसमे से सैंडविच खायीं।

कार्लोस ने सिचुएशन सामान्य करते बोला, “

इसमें कुछ ख़ास नहीं है। वो खाना ही लाया था। ये सब अर्ली मार्निंग उठ के अपने अड्डे पे जायेंगे। लोकेशन जेड उन्हें फोन कर बताएगा। वो हम लोगों को पता चल जाएगा वरना इनका पीछा कर के हम उस जगह का पता लगा लेंगे। वैसे भी उस रेहन के ठरकी लोग हैं, फिर आई बी के एक्सपर्ट्स है ...इस होटल के बाहर ही चार है , और इन की फोटुए भी सब के पास है तो ये कहा बच के जायेंगे। “

रीत के दिमाग में रेहन का नाम सुनकर एक बात चमकी।

" ये नम्बर लो , अपने फोन से रिंग कर मुझसे बात कराओं, ये रेहन का एक ख़ास ठरकी है। इसकी ड्यूटी होटल के सामने ही है , जहाँ वो सब टिके हैं। वो वहां मूंगफली बेच रहा है। वैसे होटल से थोड़ी दूर है लेकिन वहां से आगे पीछे दोनो और नजर रखी जा सकती है। "

कार्लोस ने नम्बर लगा दिया।

रीत ने उसे उस होटल का नाम बताया, जहां से वो डिलीवरी ब्वाय आया था। और बोली,

" ज़रा होटल के आगे पीछे देखना की इस होटेल के डिलीवरी ब्वाय की बाइक तो नहीं रखी है।“

कार्लोस ने रीत का ध्यान बटाने और माहौल का टेंशन कम कर ने के लिए, रीत के गुलाबी गालों पर प्यार से हाथ फेर, और पूछा।
" तूने मेरे से फ्रेंच मैजिक तो पूछ लिया ...लेकिन वो जो तूने किया , वो कहां से सिखा?

रीत खिलखिला कर हंसी पड़ी। सारा टेंशन घुल गया।

" वो जिसने सिखाया है, तुम जानते हो उसको"
हंस के वो किशोरी शोख अदा से बोली।


" बोल न,.." अब कार्लोस की उंगलियाँ एक बार रीत के मस्त उभारों को सहला रही थीं, उसके निपल से खेल रही थीं।

रीत के लम्बे गुलाबी निपल खूब कड़े कडे हो गए थे।

" वही सोनल , जानते तो हो तुम उसे , एकदम काम कला में पारंगत है। उसी ने बताया, वो कहती है की जो खेल तमाशा , एक लड़की 10 दिन में कोठे पे सीख जाती है , वो एक सुहागन औरत 10 साल में नहीं सीख पाती। और अगर उसेसोनल ऐसी गुरु मिलजाय तो एक रात में सब सीख जायेगी , और ये वो पिछवाड़े वाली ट्रिक तो वो कहती है , सोनल सुपर स्पेशल है, बहोत कम लोगों को सिखाती है।"

हंसते हुए रीत बोली।

" सही कह रही हो तुम, आज से 10 साल पहले, एक मशहूर फ्रेंच बोर्देलो में , वहां एक मैडम ने ये मजा दिया था। उस की एक लड़की को किसी ने किडनैप किया था , और उसे मैंने अन दैअमेज्द छुडाया था।

और तभी उस मैडम ने, मुझे इत्ता मस्त प्रोस्ट्रेट मसाज का मजा दिया था। लेकिन तुम्हारी उंगलियों में उस से भी बढ़ कर जादू है, जो अमेच्योर से मजा है, ...ये कह के कार्लोस ने रीत की प्यारी लम्बी कोमल उँगलियों को चूम लिया।

रीत के मन में सोनल की वो बात गूँज रही थी जो उसने रंजी के बारे में कही थी,

एक रात रंजी की उसके कोठे पे गुजारने वाली बात , एक रात कोठे पे गुजार लेगी तो खुद आगे बढ़ के पेंट खोल के लंड निकालेगी वो,... सोनल की बात .

रीत ने तय कर लिया था की दूबे भाभी से जर्रोर कहेगी , और एक बार दूबे भाभी ने तय कर लिया तो ...फिर तो रंजी लाख चूतड पटके, वो उसे ले जाके ही दम लेगी। सोनल कह रही थी की ..एक रात में कम स एकं 8-10 , तो रीत को विशवास नहीं हुआ सोनल ने उसेक गाल पे प्यार से चुटकी काट के बोला,

" अरे जानू कौन सा मुश्किल है, अपनी नन्द है, पूरे बनारस की ननद है ...ट्रिपलिंग करवा दूंगी एक दो बार ...अरे आखिर हर छेद का मजा ले ले, और उसके बाद तो उसकी चूत में ऐसे चींटे काटेंगे ना ...किसी को मना नहीं कर पाएगी।"

कार्लोस की बात ने रीत का ध्यान तोड़ा। कार्लोस कह रहा था,

" सोनल ना , उसके बिना तो जेड का पता चलना मुश्किल था।"

" सही कह रहे हो तुम ...लेकिन ज़रा यहाँ से हाथ हटाओ, अपने जोबन पर से कार्लोस की उंगलिया हटाती ,रीत बोली।"
कार्लोस ने हाथ हटा दिया।

" सच में जेड का चेहरा देखा तो सिर्फ उसी ने था , और बाद में जब रेहन ने उसका पता लगा लिया और चुपके से फोटो निकाली तो फाचान कर उसी ने जेड की आइडेण्टिटि कन्फर्म की। वरना हम लोग अँधेरे में तीर चलाते रहते। और ये अब ये हाथ, तुम भी ना हटाओ ना।"

रीत बोली।
कार्लोस का हाथ अब उसकी रेशमी जांघो पर सरक रहा था।

कार्लोस ने जांघ से हाथ हटा कर सीधे उसकी प्रेम गुफा पे ...और चिढाया

" क्यों गीली हो रही है क्या,"
" किसकी नहीं होगी ..." तुम्हारी उंगलिया हैं ही ऐसी पाजी।" और तेरी कौन सी सीधी हैं , " ये कह के अपने दायें हाथ को बिना रीत की रामप्यारी से हटाए , उसने बाएं हाथ से रीत की लम्बी उँगलियों को पकड़ कर चूम लिया।

रीत की निगाहें वीडियो फीड पर टिकी थीं। वो एक साथ लाइव फीड और रिवांइंड होती फीड देख रही थी। अचानक वो जोर बोली।
" पकड़ लिया।"


रीत अब मुस्करा रहीथी।जैसे उसने 5 करोड़ के सवाल का बिना लाइफ लाइन के जवाब दे दिया हो। और फिर काल्रोस को आंख मार के उसके बित्ते भर लम्बे शेर को पकड़ते हुए बोली ..." ये पकड़ लिया।

उसकी चुनमुनिया में उंगली करते हुए कार्लोस ने बोला , " अरे एक बार अपनी इस बिल्ली के मुंह में भी ले के तो देखो ...क्या स्वाद आता है ."
उसके पहाड़ी आलू ऐसे बड़े सुपाडे को सहलाते हुए रीत बोली,

" अरे यार ये मामला एक बार सलट जाय ना ...तो तुम भी क्या याद करोगे ठहरा दूंगी तुमको भी ...भरतपुर के स्टेशन पर, तुम भी क्या याद करोगे किस बनारसी बिंदास बाला से पाला पड़ा है , लेकिन मैं बही कुछ और कह रही थी। तुमने ये फीड शुरु से देखी ना ..."

" जब से ये सब रूम में घुसे है तब से लाइव देख रहा था ...और बीच में छूटा था, उसकी विडिओ रिकार्डिंग देख चुका हूँ और अभी तुमारे साथ तीन बार पूरी फीड रिवाइन्ड कर देख चुका हूँ।"
कार्लोस बोला।

"इन सबो ने किसी को फोन किया क्या, होटल के लैंड लाइन से या अपने मोबाइल से ..." रीत ने पूछा।
" एकदम नहीं ...वो तो तुमने भी फीड पे देखा ...और फिर फोन ट्रैक करने वाली गाडी कनटीन्युअस चक्कर लगा रही है। अगर ये फोन करते तो वो तुरन्त पकड़ लेते। फिर आई बी के पास इनके मोबाइल नमबर भी है और होटल के नमबर भी, वो हमें यहाँ भी बताते ..."

कार्लोस ने रीत को समझाया.
रीत ने कार्लोस की ओर देख के अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराया और फिर पूछा और उस डिलीवरी ब्याय से क्या लेनदेन हुआ ?
" हूँ हूँ,....डिलीवरी ब्याय ने पहले तो पैकेट खोल कर खाने के डिब्बे टेबल पर रखे , और ...और, फिर अपनी जेब से निकाल कर बिल ऐसा कुछ दिया ...थोड़ी देर कुछ बात की, फिर वो चला गया। सब कुछ तो फीड पर है।" कार्लोस ने कहा।

रीत अबकी बड़ी जोर से मुस्कार्यी और बोली, “मुझे लग रहा था कुछ गड़बड़ है।
अब दो बाते साफ है , पहली तो ये की अगर इन्होने कहीं फोन नहीं किया, ना मोबाइल से न लैंड लाइन से ....तो क्या होटल वाले को सपना आ रहा था की इन दोनों के लिए खाना भेजे। कैसे और क्यों उसने खाना भेजा, तो उस होटल में इन के खाने का आर्डर किस ने दिया।
लेकिन उस से भी ज्यादा संदेह में डालने वाली बात ये है की ...डिलीवरी ब्वाय ने इन्हें खाना दिया, बिल नुमा कुछ दिया ...लेकिन उन्होंने ने उसे पैसा नहीं दिया न नगद न कोई कार्ड वार्ड, ...तो सवाल ये है की ...क्या इन साल्लो का वहां खाता चलता है। या इनकी बहन का यार लगता है वो दूकान वाला या डिलीवरी वाला ..साल्ली छिनार जा जा के चुद्वाती हैं वहां ....फ्री में क्यों दिया,..."


जब से रीत ने पोलिस फोर्स में आनरेरी पोस्ट पर स्पेशल आफिसर के तौर पर ज्वाइन किया था उसकी भाषा भी पुलिसिया हो गयी थी।

अब कार्लोस की भी चमकी ...
वास्तव में इन दो बातों का कोई जवाब नहीं था।
……
तब तक रेहन की ठरकी सेना वाले का फोन आया , ...एक लाल बाइक पीछे किचन के पास खड़ी है। उस पे वो होम डिलीवरी वाले होटल का नाम लिखा है।वो बाइक अँधेरे में एक झाडी के पास खड़ी है नम्बर प्लेट पर भी कीचड़ सा लगा है।
रीत ने कार्लोस की ओर ऐसे देखा मानो कह रही हो
"एक और मिस्ट्री ..."
कार्लोस सोच में डूब गया। लेकिन थोड़ी ही देर में उसका ध्यान भंग हुआ।

उसके फोन पे एक रेड मार्क नम्बर वाइब्रेट कर रहा था। ये नम्बर रेहन की ठरकी सेना के एक प्रमुख मेंबर का था, जिसकी ड्यूटी जेड के घर के सामने थी।कार्लोस ने फोन उठा लिया। जैसे वो फोन सुनता जाता था की उसके चेहरे पे चिंता की रेखाएं बढती जा रही थीं। थोड़ी देर पे फोन सुन कर फोन उसने रीत की और बढा दिया। रीत इसे अच्छी तरह जानती थी। आखिर रेहन के साथ मिल कर रेक्रूट तो उसी ने किया था।

फोन सुन कर रीत का गुलाबी चेहरा स्याह सा पड गया। और बिना कुछ बोले उसने फोन बंद कर कार्लोस को वापस कर दिया।
दोनों थोड़ी देर चुप बैठे लाइव फीड देखते रहे , फिर कार्लोस ने मौन तोड़ा।

" गड़बड़ "
" बहोत गड़बड़ ..." रीत बोली।

जेड के घर के बाहर पूरा सन्नाटा था। लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी की , ना उसके पास कोई फोन आ रहा था ना जा रहा था। सेट्लाइट फोन, मोबाइल , लैंड लाइन .....कुछ भी नहीं और शाम 4 बजे से वो घर में अकेले था। कोई उससे मिलने भी नहीं आया था।
कार्लोस शांत था .
और उसकी चुप्पी का कारण था।
प्लान ये था की जेड किसी भी तरह , इन आप्रेटिव्स से संपर्क साधेगा की उन्हें बाम्ब्स को क्मप्लिट करने के लिए कहाँ पहुंचना है। और उसको ट्रेस करके ये लोग बाम्ब्स की लोकेशन पता कर लेंगे। लेकिन जिस तरह की सूचना जेड के यहाँ से आई थी ये काम मुश्किल लग रहा था।

फिर कार्लोस ने चुप्पी तोड़ी,

" देखो, एक बात साफ है दुशमन बहोत चालाक, रिसोर्स्फूल है और वो भी ये जानता है की आज की रात कयामत की रात है। तो भले ही उसे हमारे प्लान की हवा ना हो , लेकिन वो पूरी सावधानी बरत रहा है। जैसे हम लोगों ने कम्युनिकेशन पर क्लैम्प डाउन कर रखा है और तुम , डी बी और आनंद आपस में बात नहीं कर रहे हो , या रेहन के ठरकी से बात करने के लिए तुमने मेरा इस्तेमाल किया , वही सावधानी वो भी बरत रहे हैं , इसलिए ना तो जेड के यहाँ से , और न इन मुर्गों के यहाँ से कोई बात हुयी।

दूसरी बात ये है की जैसे हमने रेकी कर के इस होटल को और इस कमरे को तय किया की यहाँ से सीधे निगाह रखी जा सकती है , उसी तरह उन्हों ने भी रेकी की होगी और इसी लिये यहाँ पर उनका कोई बन्दा है, जो हमें सस्पेक्ट कर रहा है। जिसे मैंने तुम्हे नीचे दिखाया था . और वो बार बार कम्र्रे में तांक झाँक कर रहा है। जब मैं कमरे में आया था तभी मैंने वो छेद देखा था, जिससे वो झाँक रहा है, लेकिन अगर मैं बंद कर देता तो उसे शक हो जाता।"

रीत बोली ,

"वो तो ठीक है लेकिन अब हमारा अगला स्टेप क्या होगा।

ये तो हम लोगों ने पहले ही तय कर लिया था की ये न सिर्फ स्लीपर सेल हैं बल्कि कन्सेंट्रिक सर्कल की तरह है , जहाँ बाहरी सर्किल प्रोटेक्शन प्रोवाइड कर रही है लेकिन उस इनर सर्किल के बारे में कुछ नहीं मालूम है और वो पूरी तरह एक्सपेंडेबल हैं। और दोनों के कंट्रोलर्स भी अलग है।

कुछ देर सोच के रीत ने काल्रोस से कहा , तुम जाओ .

" कहाँ ..." चकित होकर कार्लोस ने पूछा।

" जेड के घर ...अब वो काम किसी खबरी, या रेहन के ठरकी के बस का नहीं है। वहां तुरंत फैसला लेना होगा। मुझे पूरा शक है की डिटोनेटर अभी भी जेड के ही पास हैं। और वो कल सुबह ही इन्हें डिलीवर करेगा। तो अगर आप वहां रहोगे , तो आप जैसे भी सिच्येशन होगी सम्हाल लोगे। "

रीत ने समझाया।
" और तुम अकेली ...यहाँ इन सबके पास ...कैसे, " कार्लोस ने शक जाहिर किया।

" नहीं मैं अकेले नहीं रहूंगी। रेहन बगल वाले राम् भरोसे होटल में है ...मैं उससे फोन पे कान्टेक्ट नहीं करुँगी। लेकिन जब आप जाइयेगा तो उसको बोल दीजिएगा, और वो आधे घंटे में यहाँ आ जाएगा। रिसेप्शन पे आप बोल दीजिएगा की आप का एक फ्रेंड आयेगा तो ओ लोग भी कुछ नहीं बोलेंगे।"




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