Sunday, March 9, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--85

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--85
गतांक से आगे ...........


 सबसे जरूरी बात थी ..रीत के लिए सपोर्ट फोर्स की ...

रेह्न घायल हो चुका था , और सुबह से पहले पुलिस कार्यवाही नहीं हो सकती थी।

रीत पर एक बार हमला हो चुका था , आई बी वालों पर और रेहन पर भी हमला हुआ था और वो भी घातक

..सबसे बड़ा ख़तरा ये था की अगर एक बार उन्हें अंदाज लग गया की रीत वहां है ...और उनका आपरेशन कम्प्रोमाइज हो चुका है , तो वो वहां से मूव भी कर सकते है ..

.और फिर उनको पकड़ना मुश्किल होगा। रीत ने सबसे अच्छी बात ये की थी की अन्दर उसने चार कैमरे लगा दिए थे और उनकी हरकत और बात चीत दोनों पता चल रही थी ...और उसी से पता चल गया था की डिटोनेटर 4 बजे तक डिलीवर हो जायेंगें।

तीसरे अटेम्प्ट में फेलु दा का फोन लगा और अबकी डी बी ने खुद उठाया ...

मेरे बिना कुछ बोले वो कहने लगे ,

"रीत को बोल देना शी विल हैव टु होल्ड फोर्ट फॉर 45 मिनट्स मोर एट लीस्ट ... .एंड दैट इस बेस्ट आई कैन डू ....4.15 तक सिद्दीकी वहां पहुँच जाएगा ...उसके साथ दस लोग होंगे। यही ग्रुप इंटर भी करेगा डेन में ...सुबह होने के ठीक पहले और मैं भी वहां पहुँच जाऊँगा ...सेकंड लाइन में अब आर्मी के कमांडो होंगे ..."

मैंने घडी देखी 3.40 हो रहा था।

वो फोन काटते उसके पहले मैंने उन्हें बता दिया ,

" लगता है जेड के यहाँ से डिटोनेटर एक दूध वाले के जरिये उस जगह पर पहुंचेगा ...और अगले दस मिनट में पहुँच जाएगा।"
डी बी ने कोई रिएक्शन नहीं किया ...सिर्फ ये बोला ...अब तुम मुझे फोन मत करना ...आधे घंटे में मैं तुम्हे फोन करूंगा मैं यहाँ से निकल रहा हूँ .”

आधे घंटे हो गए थे रीत से बात किये ...मेरा मन बहोत परेशान हो रहा था।
सारे देवी देवताओं को याद कर के मैंने रीत को फोन लगाया।

दूसरी घंटी पे उसने फोन उठाया।

वो बहोत थकी और थोड़ा परेशान लग रही थी। हांफ भी रही थी जोर जोर से ...

बात मैंने ही शुरू की ...क्या हुआ।
वो हांफती हुयी बोली एक मिनट सांस लेने दो ...और फिर सांस लेकर चालू हो गयी ...साल्ले मोटे ...हराम के जने ..."

मैंने पूछा क्या हुआ तो फिर उसने बनारसी गालियों की बहार लगा दी ..अपनी मा के भंडूए , मा बहन के लिए यार खोजने आये थे, फिर सांस लेके उसने हाल बताना शुरू किया।

करीब पन्दरह मिनट पहले एक आदमी गली में दाखिल हुआ। रेहन के बल्ब फोड़ने के बाद गली में पूरा अन्धेरा था , लेकिन रीत नाईट विजन ग्लासेज के चलते देख रही थी।

वह जैसे झूम झूम के शराबी चले वैसे चल रहा था . रीत को समझते नहीं लगी की इस ऐक्ट का असली मकसद क्या है ...एक तो कोई उस का पीछा कर रहा होगा तो वो उस को देख लेगा ...और दूसरे , हालांकि गली संकरी थी लेकिन वो इसी तरह दोनों ओर अच्छी तरह देख ले रहा था

रीत एक दम दीवार से चिपकी थी।
जब वह जेड के वेयर हाउस के पास आया तो उसने एक बहूत पावरफुल सर्च लाईट सी टार्च जलाई। और दोनों ओर दीवार पर देखने लगा।

अब रीत की लग गयी। उसे लगा की अब वो पकड़ी जायेगी ...इसलिए आफेंस के अलावा कोई चारा नहीं था।

दूसरे उसे इस तरह न्युट्रलाइज करना था की वो जरा सा आवाज ना करे वरना रात के सन्नाटे में ...और अन्दर तहखाने में बैठे दुष्टों को आवाज सुनाई पड़ती तो सब काम ख़राब हो जाता ...

इसलिए पीछे से जा कर उसके गले पे उसने एक जबर्दस्त कराते का चाप दिया, लेकिन गिरने के पहले वो आदमी मुडा और एक तेज चाक़ू से रीत के पेट पर वार किया। रीत कन्नी काट कर बची लेकिन तबी भी साइड से उसके पेट को खरोंचता, बाड़ी सूत डमेज करता निकल गया। वो बाड़ी सूट स्ट्रांग था इसलिए ज्यादा असर नहीं हुआ।

रीत ने जब वो नजदीक आया एक हाथ की चार उनगलिया उसकी आँखों में घुसा दी और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पकड़ कर दबा दी और वो बेहोश हो गया , लेकिन गिरने के पहले उसने रीत के पेट में एक जबर्दस्त हेड बट मार दी ...और रीत दर्द से दुहरी हो गयी।

लेकिन तब तक वो हमलावर बेहोश कर नीचे पडा था।

तब तक रीत पर दुबारा हमला हुआ ...पीछे से ...पर उसे क्या मालूम की रीत की छठवीं इन्द्रिय इतनी शक्तिशाली है जितनी हम लोगो की पहली दूसरी भी नहीं ..और रीत के साथ योगिक शक्तिया भी थी ...वो एकदम झुक गयी और वो लडखडा गया। रीत ने अपने घुटनों का इस्तेमाल उसके अंग विशेष पर किया ...एक कुहनी पेट में और हाथ गर्दन पर ...और जब वो दर्द से झुक कर दुहरा हुआ तो एक मुक्का सीधे चेहरे पर ...उसके सारे दांत बाहर थे। अगले कराटे चाप ने उसे भी बेहोश कर दिया था।

लेकिन रीत उसकी शिकायत नहीं कर रही थी।

उसने दोनों को खींच कर उसी जगह डाल दिया था , जहां पहले हमलावर को डाला था। लेकिन पहली बार रेहन भी साथ था उस की बाड़ी को खींचने के लिये ...इसी लिए वो हांफ रही थी और उन दोनों के बारे में अच्छी अच्छी बातें कह रही थी।

अब सारी बातें मुझे शीशे की तरह साफ हो गयी थी।

वो दोनों गली में इस लिए आये थे की जेड के डिटोनेटर लाने के पहले सब कुछ चेक कर लें ...सब कुछ क्लियर है की नहीं ..

और गली के बाहर उन्होंने ट्रक खडा कर रहा होगा ...तो रेहन के निकलने पर उन्होंने ही उसे हिट किया होगा ..
रीत तब तक साँस ले चुकी उसने पूछा हां बोलो ..

" तुम छुप जाओ ...कुछ भी हो हिलना मत ."
"
क्यों ..किससे तुमसे ..." वो मुस्कराते हुए बोली।

मैंने उसकी पूरी बाते बतायी ..

.पहले तो डिटोनेटर लेकर बाइक पर दूधिये के रूप में शायद जेड ही आयेगा और वो दसमिनट में पहुँच जाएगा ..दूसरी डी बी से बात हो गयी है ...चार बजने वाला है तो पंद्रह मिनट में सिद्दकी अपने 10 आदमियों के साथ यहाँ पहुँच आयेगा और उसके एक डेढ़ घंटे के अन्दर डी बी खुद आप्रेशन कमांड करेंगे ...उनके साथ मिलेट्री के कमांडो भी होंगे"

तब तक मेरे फोन पर मिस्ड काल कार्लोस की आई उसका मतलब जेड वहां से निकल चुका है .
मैंने फिर बताया की अब मैं 15 मिनट बाद काल करूंगा .

" नहीं मैं करुँगी ..” वो बोली

और उसने फोन रख दिया।

 मैं विचार शुन्य सा था ...मैंने एक बार फिर से पूरी तस्वीर दिमाग में बैठाने की कोशिश की।
सामने घडी ने चार बजा दिए थे।
इसका मतलब जेड अब बस डिटोनेटर ले कर पहुँच ही रहा होगा ...

बाहर बादल कुछ छंट रहे थे ...हवा भी अब हलकी हलकी बह रही थी ...थोड़ी चांदनी दिखने लगी थी ...लेकिन चाँद अभी भी ढका था।

कमरे में बिजली भी नहीं आई थी।
मैंने एक एक कर सब सोचना शुरू किया .

लोकेशन का पता अब पुलिस वालों को चल गया है, हालांकि उसके लिए रीत ने बहोत रिस्क लिया , लेकिन अब सुबह वो सब दहशतगर्द और बम्ब का जखीरा जरुर पकड़ा जाएगा।

और जहां तक रीत की सिक्योरिटी का सवाल है ..अब एक बार वहां सिद्दीकी वहां पहुँच गया ...वो भी 10 आदमी के साथ ... .तो उसका बाल भी बांका नहीं हो सकता ...और घंटे भर के अन्दर पुलिस ऐक्शन भी शुरू हो जाएगा ..साथ में मिलेट्री के कमांडो भी ...

दो बाते मेरी समझ में नहीं आरही थी ...

अब एक तो आ गयी लेकिन दूसरी अभी भी नहीं आ रही थी ...

पहली बात थी की माना डी बी कंट्रोल रूम के .लगातार सम्पर्क में थे लेकिन उन्होंने अपने सारे फोन ...अब मुझे समझ में आ गया था ...उन्हें इस बात का इतना डर नहीं था की उनकी बात ट्रैक या ट्रेस होगी ..वो नहीं चाहते थे की किसी तरह हेडक्वार्टर से कोई पोलिटिकल या और कोई प्रेशर आये ....

जहाँ तक रीत का सवाल है ...उन्हें मालूम था की वो कभी फंसेगी तो मुझे जर्रोर पकड़ेगी और मुझे उन्होंने हिंट दे दिया था .

लेकिन दूसरी बात जो अभी भी नहीं साफ थी पुलिस उन्हें डिटोनेटर के साथ ही क्यों पकड़ना चाहती थी ....वो भी जब वो बम्ब में लगा रहे हों ...मेरा मगज अस्त्र अभी काम नहीं कर रहा था .

बस मुझे लग रहा था बार् बार मैंने रीत को इतने रिस्क में क्यों डाला ...

मेरी निगाह बार बार अब घडी पर जा रही थी सवा चार हो गया था लेकिन रीत का फोन नहीं आया ...

तब तक घंटी बजी ...रीत थी।

और वो चालू हो गयी।

मेरे फोन में सिरफ डेढ़ मिनट है ...इस लिए तुम चुपचाप सुनो , कान मेरा मतलब है मुंह बंद करके ..

मैंने चैन की सांस ली ...ये पुरानी रीत है , एकदम मस्त बिंदास बनारसी बाला ...अब की उसकी साँसे लम्बी लम्बी नहीं है ना आवाज में घबडाहट है ...इसका मतलब सब ठीकठाक है , सिचुएशन अन्डर कंट्रोल ...

और रीत ने पहले डिटोनेटर की बात बतायी ..

वह जेड ही था ...

वह गड्ढे में छुपी थी लेकिन रीत के अनुसार वो कदमों की आहट से ही किसी आदमी को पह्चान सकती है .तो उसने पहचान लिया।

वो मोटरसाइकिल से आया था और जहां से वो तीनो आपरेटिव घुसे थे ...वहीँ उसने नाक किया।
और जैसे कोई दूध लेने के लिए दरवाजा खोले बस उसी तरह उसने दरवाजा खोला ..रहा .वो जो तीनो का लीडर लग रहा था उसी ने ...

रीत ने एक कैमरा दरवाजे के पास भी लगा रखा था इसलिए इनपुट डिवाइस पर सब कुछ दिख रहा था।

जेड ने एक तो हेलमेट लगा रखा था उपर से उसने एक चादर भी ओढ़ रखी थी ..इसलिए उसका चेहरा देखना नामुमकिन था।
वो आदमी दूध का कैन ले के अन्दर गया और फिर कैन वापस लेके बाइक सवार को दे दिया . उसने बाइक वापस मोडी और चल दिया।

मैंने कुछ बोलने की कोशीश की तो दांट पड गयी ..
" चुप रहो ...सुनो ध्यान से ..." और रीत ने बताया की असली खेल कैन में था .

(रीत ने मुझे पहले ही बताया था की बाहर वाले कमरे में मिल्क कैन रखा हुआ है ...इसलिए जब वो दूध वाला जेड के घर पहुंचा तो मुझे अंदाज लग गया था की ...यही डिटोनेटर भेजने का माध्यम होगा )

उसने जो जेड को कैन वापस दिया था ...वो अन्दर कमरे में रखा कैन था .

जेड जो कैन लाया था ...वो उसने रख लिया। फिर एक भगोने में उसने सब दूध निकाल लिया ...10 लीटर से कम नहीं था। फिर उसने कैन को पलट के उसका बाटम घुमा कर खोला।

उससे टेप से चिपका हुआ एक पैकेट था।

अगर रास्ते में कोई कंटेनर चेक करता उसको पलट के भी देखता तो उसमें दूध ही मिलता।

वह पैकेट ले के वो सुरंग के रास्ते से उस तहखाने में पहुंचा जहां बम्ब बन रहा था और उस आदमी को दे दिया , जो बड़े आर डी एक्स वाले बम्ब में टाइमर लगा रहा था। डिटोनेटर देख कर उसने चैन की सांस ली और एक एक डिटोनेटर को उलट पुलट कर देखा।

रीत ने बताया की ज़ूम कर के उसने उन डिटोनेटर की फोटो ले ली है और मुझे एम् एम् एस कर रही है .

फिर, मैंने पूछा ..

उसे 1 मिनट पूरे हो गए थे यानी सिरफ 30 सेकेण्ड हम और कान्टेक्ट में रह सकते थे ...

फिर क्या ..वो बोली और हाँ सिद्दीकी आ गया है और उसके साथ 10 लोग भी है उन्होंने किसी मशीन से चारो ओर चेक किया
( मैं समझ गया सुरंग चेक करने वाली मशीन होगी ) और सिद्दीकी ने इशारे से बताया है की ...

उन सबके बाहर निकलने का का बस यही रास्ता है , जिससे वो अन्दर गए थे ...और सबसे मजेदार बात व्वो अपने साथ कचरे की गाडी ले आया था ..और उन तीनो को जिन्हें मैंने प्रसाद दिया था ...लाद कर वो गाडी ले गयी ...तो अब तुम चिंता मत करना ..

सिर्फ 5 सेकेण्ड बचे थे ..मैंने कुछ कहने की कोशिश की ...तो उसने मुझे फिर रोक दिया ..

परेशान मत होना जरा सा भी ...मुझे कुछ नहीं होगा ...क्योंकि अभी मुझे तुम्हारी ऐसी की तैसी करनी है ...आओ बनारस ..गुड्डी और रन्जी को तुम्हे छूने भी नहीं दूंगी ..बहोत मजा ले रही है ना दोनों ...पूरी तरह मेरी मोनोपोली होगी ..और फोन कट गया।

मेरी आँखे भर आयीं ...

ये लडकी ...जान की बाजी लगा कर लड़ रही है ...दो बार ...दुश्मनों के हमले को झेल चुकी है , स्नाइपर राइफल , चाक़ू ..अकेले इस काली रात में ...और मुझसे कह रही है परेशान मत हो ...

ऐसी लड़की सिर्फ हिन्दुस्तानी हो सकती है ...

तब तक एम् एम् एस आ गया और मैंने खोल कर देखा ...

अगर मैं ये कहूंगा की मेरी फट गयी ...तो गलत नहीं होगा ..

उस को एक बार फिर मैंने अपने कंप्यूटर में रखे पिक्चर्स से मिला के देखा ...एकदम वही ...

और आखिरी मिस्ट्रि भी साल्व हो गयी ...

 जब मैंने ज़ूम किया तो साफ था ....इस डिटोनेटर पर ना सिर्फ उस फैक्ट्री का नाम लिखा था , जहां वो बना था बल्कि ..मेड इन ...भी लिखा था। वही पडोसी देश ...जिसके फिंगर प्रिंट्स प्रूव करना हमेशा इम्पासिस्बिल सा होता था।

और अगर ये डिटोनेटर बाम्ब्स के साथ मिलेगा ...तो चेन आफ एविडेंस भी एक दम साफ साफ होगी। और साथ जेड के सीमापार के फोन काल के डिटेल्स ..सेट फोन के ...

लेकिन इसमें एक और पेंच था ...

ये डिटोनेटर कुछ ख़ास ही था। और अबतक का सबसे ज्यादा खतरनाक ...सूरत में आतंजी साजिश इसीलिए फेल हो गयी थी की डिटोनेटर और टाइमर की सर्किट गड़बड़ थी।

इसमें ऐसा कुछ नहीं होना था क्योंकि ये मिलेट्री की फैक्ट्री से बने थे ...इसलिए इसमें बैच नंबर , प्लेस और मेड इन सब कुछ साफ साफ लिखा था। ये स्लैपर डिटोनेटर थे ...

और इसमे तीन ख़ास बातें थीं ...एक तो ये बहोत प्रिसाइज थे ...मिली सेकेण्ड तक ,दूसरे फेल सेफ थे और तीसरे ...एक बार बाम्ब में लगने के बाद किसी तरह उसे बम से अलग करना मुश्किल था ...और शायद इस लिए भी.

मेरे दिमाग में अब सब कुछ साफ हो गया था।

एक तरह से सोचें तो रीत का इस्तेमाल पुलिस ने किया ..और शायद इसीलिए सिद्दीकी और उसके साथ के हेल्प को बाद में भेजा गया , डिटोनेटर आने के बाद ..क्योंकि किसी भी तरह की पुलिस प्रजेंस जेड को सचेत कर देती ...और ना डिटोनेटर पकडे जा सकते ना ...सीमापार के लिंक सिद्ध किये जा सकते ...

लेकिन कितने ज्यादा रिस्क में डाल दिया था रीत को और अभी ...भी फर्स्ट लाइन आफ डिफेंस में तो रीत ही है ...

मैं कभी उसकी बहादुरी की हिम्मत की बात सोचता और कभी अपने बारे में ...
मुझे आत्म ग्लानि हो रही थी ...कहाँ छोड़ दिया मैंने मुसीबत में उस लड़की को ....

अगर मैं अभी भी बनारस जाऊं तो, दो ढाई घंटे लगेंगे यानी करीब 7 बजेंगे पहुँचने में ...लेकिन 6 बजे के पहले तो वहां कर्फ्यू लग जाएगा और डी बी ने ये बोला है की मिलेट्री कमांडो होंगे ...तो किसी भी तरह एंट्री मिलने मुश्किल होगी।

मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

कभी लगता था की अब संकट की सारी घडी गुजर गयी है , और जब रीत के साथ वहां कोई नहीं था तब तो उसें तीन का तियां पांचा कर दिया। जहां आई बी वाले फेल हो गए उस दुशमन के दुर्ग का पता लगा लिया और वहां कैमरे लगा कर पल पल की हाल ले रही है .

और अब तो वहां सिद्दीकी भी है अपने बन्दों के साथ , थोड़ी देर में डी बी खुद आपरेशन कमांड करने वहां होंगे और साथ में मिलेट्री के कमांडो ...तो अब किस बात का डर ...थोड़ी देर में तो वो दरिन्दे अपने हाथ में होंगे और बैटल आफ बनारस ओवर हो जायेगी ..

बाहर बादल छट गए थे सिरफ कुछ बचे थे जो चाँद के साथ छुआ छौवल खेल रहे थे।
तूफान मंद समीर में बदल गया था।
हाँ लाईट अभी भी नहीं आई थी।

मैं उठ कर पलंग पर गुड्डी के पास पहुँच गया वो अभी भी सो रही थी।

एक बार फिर मेरे मन पे डर, शंका और शंशय समा गया ...कहीं रीत ...को कुछ,...

मैं काँप रहा था,... मेरे शरीर पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था।

मैंने उसे हलके से हिलाया और ...वो तुरंत उठ गयी .
शायद मेरा डर या कम्पन या फिर हम दोनों के बीच जो संवाद था ...वो बिना कहे ही समझ गयी।

उसने खीच कर मुझे लिटा लिया
और अपने सीने से भींच कर चिपका लिया।
मैं अभी भी डर से कांप रहा था।

वो एक हाथ से मुझे दुबकाये हुए थी और उसका दूसरा हाथ मेरा सर , पीठ सब सहला रहा था , थपथपा रहा था।

मैंने डर से कुछ बोलने की कोशिश की तो उसने बोला ...कुछ नहीं ..कुछ नहीं ..बस तुम लेट जाओ ...

मैंने फिर बोलने की कोशिश की रीत ..रीत ..खतरे में है ..वहां बनारस में ..बहुत गड़बड़ ..

कुछ नहीं होगा रीत को ...मैं जानती हूँ उसे बचपन से ...रीत ..आराम से के साथ बनारस की सब शक्तिया है ...तुम लेट जाओ ..आराम से

मेरा कम्पन रुक गया था ,डर भी थोड़ा कम हो गया था ..जैसे डर से भागता कोई बच्चा अपने घर पहुंच जाय ...और धीरे धीरे चैन की सांस ले ...बस वैसे ही ..

मैंने कुछ और बोलने की कोशिश की तो गुड्डी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चुप करा दिया।

और एक बार फिर मुझे कस कर भींच लिया ...

बाहर आखिरी बादल का टुकड़ा भी हट चुका था .


 फागुनी सुबह

रात का आखिरी कतरा अभी भी बाकी था।

गुड्डी ने मुझे कस के अपनी बांहों में भींच लिया जैसे कोई जोर से लाड दुलार करे ...वो बार बार मुझे सहला रही थी , मेरे बालों में उंगलिया फेर रही थी और उसके होंठ उड़ रही तितलियों सी , छोटे छोटे किस मेरे पूरे चेहरे पर कर रहे थे।

और वो बस बोले जा रही थी ....

तुम परेशान मत हो ...रीत को कुछ नहीं होगा ...रीत से मिलंगे हम ना जब बनारस जायेंगे ..मैं मिलाउंगी तुम्हे ....वो एकदम ठीक है ..मुझे मालूम है , उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ..

तू उसकी चिंता छोड़ दे ना ...

मैंने अपना चेहरा उसके सीने में छुपा लिया था। दो मुलायम बादल के फाहे जैसे ..

अब वो भी चुप हो गयी थी ...सिर्फ एक हाथ से मेरा सर सहला रही थी , जोर से मुझे अपने से भींचे हुए थी

...और दूसरे हाथ की उंगलिया मेरी पीठ पर अबजो मेरे मन का तूफान शांत हो चला था , जो उहापोह झंझावत , संशय, डर , सब आसमान के बादलों की तरह तितर बितर होगये थे।

गुड्डी अभी भी बिन बोले मेरा चेहरा, मेरा बाल, मेरी पीठ सहला रही थी।

मेरा सर उसके दोनों पूर्णकमल समान उरोजों के बीच था ...

गाल सहलाते हुए उसकी उँगलियों ने मेरे होंठों पर हाथ फेरा , थोड़ा प्यार थोड़ी शरारत से ...और मेरे होंठ हलके से खुल गए ..

और गुड्डी ने अपना एक निपल मेरे होंठों के बीच दे दिया ..

मैंने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया , ना लिक किया ना चूसा ..

गुड्डी भी कुछ नहीं बोली बस अपना हाथ मेरे बालों में फिराती रही , प्यार से ...फिर मेरा सर पकड़ के उसने बहूत हलके से थोडा सा और पुश किया ...और अब उसके निपल के साथ आधे नव विकसित , उरोज भी मेरे मुंह में थे और उनका स्वाद मेरे मुंह में छलक रहा था.

गुड्डी ने मेरा एक हाथ पकड़ कर हलके से अपने दूसरे उभार पर रख दिया और अपने हाथ से मेरे उरोज पर रखे हाथ को हलके हलके दबाने लगी।

गुड्डी का दूसरा हाथ मेरे पीठ पे ठीक नितम्बो के ऊपर था और अब वो जोर से सहला रही थी , हर बार उसके हाथ अब और नीचे जाते अब और थोड़ी देर में वो मेरे नितम्बो पकड़ कर अपनी ओर खिंचने लगी।

मैं संज्ञा शून्य सा महसूस कर रहा था।

गुड्डी ने पहले तो मेरे माथे पे किस किया , फिर मेरे मेरे पलकों पे किस कर उसे बंद कर दिया अब उसके होंठ हलके मेरे इयर लोबस को कभी छु देते कभी बाईट कर लेते जीभ की नोक वो मेरे कान में डाल के सुरसुरा देती

और बहूत धीरे धीरे वो मेरे कान में फुसफुसा रही थी ....कुछ मत सोचो ...कुछ मत सोचो ...सब ठीक है , परेशान मत हो ...

और धीरे धीरे बूँद बूँद मेरी सारी परेशानी ,सारा डर , चिंता , रीत गया।

मेरे हाथ हलके हलके गुड्डी के किशोर उभार को प्रेस करने लगे।
मेरे होंठ उसके निपल को चुभलाने लगे।

अब गुड्डी ने अपना एक हाथ मेरे 'वहां' रख दिया ...

और उसे बिना दबाए , बिना मसले बस हाथ रखे रही और थोड़ी देर में लेकिन गुड्डी की जादुई रसभरी उंगलिया ..उसपर फिसलने लगी ...वैसे भी जंगबहादुर कब का दल बदल कर चुके थे , उन्हें मालूम था की उनका अब असली मालिक कौन है और वो मुझसे ज्यादा गुड्डी की सुनते थे ....

तो वो हुंकार मारने लगे।

गुड्डी ने मेरे साथ करवट लेटे लेटे अपनी एक टांग मेरे कमर के उपर कर ली और अपने हाथ से मेरे 'उसको' अपने 'वहां' सेंटर कर दिया .

मैंने अभी भी कुछ पहल नहीं की ...

मेरा मन भले ही शांत हो चला था लेकिन तन अभी भी क्लांत था , शिथिल था , पिछले एक घंटे बनारस में जो हो रहा था या जो अभी हो रहा होगा उसके तनाव का कुछ असर अभी भी शेष था।

हाँ अब उसके उरोज पर रखे मेरे हाथ अब जरा जोर से सायास उसके जोबन को सहला रहे थे और मेरे होंठ हलके हलके ही सही लेकिन मन से निपल को लिक कर रहे थे , चूस रहे थे।

और अबकी गुड्डी ने ना सिर्फ पुश किया , बल्कि मेरे नितम्ब पर रखे हाथ और लम्बी टांगों से , मुझे अपनी ओर खिंचा। और दो चार बार की कोशिश में लिंग का अग्रभाग अब गुड्डी के अन्दर समा गया था।

और उसने एक बार फिर से मुझे बार बार चूमना, सहलाना शुरू कर दिया।

अब मैं सब भूल गया था ..सारा डर, चिंता, ग्लानी ...सब कुछ गुड्डी के स्नेह में घुल चुका था ...

अब मैं भी हलके से ही सही रिस्पांस कर रहा था ...मेरे होंठ उसके निपल और उरोजों को कभी लिक करते , कभी चूस लेते और कभी हलके से बाईट ले लेते ..मेरा हाथ भी अब गोल गोल उसके किशोर उभार को दबा रहा था।

और अबकी जब गुड्डी ने पुश किया , मुझे अपनी बांहों और टांगो से अपनी ओर खींचा तो मैंने भी उसके साथ हलके से ही सही धक्का दिया ...और आधे से ज्यादा लिंग उसके अन्दर था।

गुड्डी ने ना जाने कहाँ से इस कच्ची उमर में ये सब सीखा था ( वो बाद में बोली , प्यार सब कुछ सिखा देता है ) उसकी योनि अन्दर घुसे मेरे लिंग को हलके हलके दबा रही थी भींच रही थी , जैसे कोई हौले से थपकी दे

या धीमे धीमे हवा दे कर दहकते हुए शोलों को लपटों में बदल दे ...

बस लगा रहा था मैं झूले पे बैठा होऊं किसी अमराई में , सावन की फुहार गिर रही हो ...और मंद मदिर पुरवाई चल रही हो ...

पेंग वही दे रही थी ...मैं बस साथ दे रहा था ...

मुझे कुछ याद नहीं ...कब तक ये चला ...बस बहुत अच्छा लग रहा था ...उसके देह की खुशबु ...पहली बारिश में जैसे मिट्टी से निकलती है सोंधी सोंधी ....भीनी भीनी बस उसी तरह की ...मुझे अपने साथ लपेट रही थी ....

वो कब झड़ी ...मैं कब झडा ... पता नहीं ...बस मैं उसी तरह उस की देह में गुथा लिपटा, सो गया .

और जब मेरी नींद खुली तो ..जो मैं चाहता था ...जब भी मेरी आँख खुले ..दिन में रात में ...गुड्डी मेरे में हो ..मेरे सामने ...वही हुआ गुड्डी मेरे सामने थी। गरम चाय की प्याली और अपनी वो टिपिकल छेड खानी वाली मीठी मीठी मुस्कान के साथ ...

दिन बहुत ऊपर चढ़ आया था ....
....................................


“ .. 'उठो लाल, अब आँखे खोलो ...

पानी लायीं हूँ ...ऊप्स चाय लायी हूँ पी लो ..."

गुड्डी थी। नहा धो कर तैयार , और आज एक टाईट शलवार कुर्ते में ...

" उन्ह्हू ...अभी तो गुड मार्निंग भी नहीं हुयी ...तुम भी ना ..." मैंने अलसाते हुए उसकी ओर हाथ बढाते बोला।


 " उन्ह्हू ...अभी तो गुड मार्निंग भी नहीं हुयी ...तुम भी ना ..." मैंने अलसाते हुए उसकी ओर हाथ बढाते बोला।

वो छटक कर दूर हट गयी। और बोली ,

" कैसी गुड मार्निंग ..." वो जान बूझ कर भी ना समझ बन रही थी ..

" ऐसी " मैंने हाथ बढाकर उसे पकड़ लिया और कस के उसके गुलाबी रसीले होंठों पर एक चुम्मी ले ली ...

" उह्नूऊऊउ .." उसने मुंह बनाया और अपनी जुबान निकाल कर अपने होंठो को चाट लिया जैसे गुड मार्निंग किस का स्वाद चख रही हो ...और फिर बन कर बोली ..

"बदमाश कही के , एक तो मैं इनके लिए गरम गरम चाय बना के लायी और ...सुबह सुबह मुझे जूठा कर दिया .."

" अच्छा तो है अब तुम्हे दिन भर जूठा करूंगा ..."

मैंने उसे छेड़ा और खिंच के अपनी गोद में बिठा लिया। और उसके गदराये गुलाबी गालों पे एक चिकोटी काट के बोला ...हे दे दे ना ...
" क्या ..." अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के , इतरा के वो बोली

वही जो मैंने तुम्हे अभी अभी दिया ...गुड मार्निंग किस ...उस के बिना तो मेरा दिन ही बेकार हो जाता है ..." मैंने मुंह बनाकर कहा।

तुम ना ...वो खिलखिलाई ...हजार घुङ्घुरुओ वाले चांदी की पायल की तरह ,,,नदीदे लालची ...और मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ के एक खूब जोर की किस मेरे होंठो पे ले ली। और फिर एक एक दोनों गालों पे भी ...

" खुश .." मुस्करा के वो बोली।

ये कोई कहने की बात थी ...मेरा सारा चेहरा बता रहा था मैं कित्ता खुश था।

" चलो अब चाय पियो ..वरना अगर ठंडी हो गयी तो मैंने दुबारा बनाने से रही ..." इतरा के वो बोली।

" अरे तुम अपने इन दहकते होंठो से एक बार लगा लोगी तो अपने आप गरम हो जायेगी , जानू ..."

मैंने उसे मसका लगाया और उसके गुलाब से गालों को हलके से पिंच कर दिया ...

वो मुस्कराई और उसने प्याले से अपने गुलाबी पंखुड़ी से होंठो को लगाकर सिप कर लिया और मेरी और बढाया ...लेकिन मैंने नहीं ली और नखड़ा बनाया ...

" हे मैंने मंजन तो किया ही नहीं ...बिना ब्रश के ..."
" तो करा दूँ मैं ...बोलो
आँख नचा के वो शोख बोली .

और मैं सिहर गया ...मुझे बनारस याद आ गया , दो ही दिन पहले तो,जहाँ इसने चन्दा भाभी की बेटी गुंजा के साथ मिल कर इस ने मेरी क्या दुर्गत बनायीं थी , अपनी उंगली से मंजन कराया था ...बन्दर छाप दंत मंजन से ...और था वो टूथ पाउडर में मिला खासा पक्का लाल रंग ...मेरे सारे दांत लाल होगये ...

नहीं नहीं मैंने तुरंत नकारा ...और गुड्डी भी खिलखिलाने लगी ...

" अरे डरो नहीं ऊँगली से नहीं कराउंगी ...और उसने फिर मेरा सर पकड़ा और अबकी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड दी और सारे दांतों के ऊपर ...मुंह के अन्दर ब्रश की तरह रगड़ रगड़ के ...और थोड़ी देर बाद मुझे छोड़ कर बोली ..

अच्छा चलो अब बहोत नाटक हो गया किचेन में इत्ता सारा काम पड़ा है , चाय पियो।

मैंने चाय की प्याली उसके हाथ से ले ली और चाय पीने लगा ..मैंने फिर उसकी तारीफ की ...

क्या मस्त चाय बनायी है तुमने ..मैंने उसको मस्का लगाया और फिर एक किस्सी और लेके कहा ...

" हे ये नहीं हो सकता ...रोज मेरे जिंदगी की हर सुबह ...तुम ऐसे ही चाय की प्याली दो और साथ में किस भी ..."

वो परे हट गयी और अपने गाल पे आई लट को हटाते बोली ...

" सपने मत देखो .."

फिर मुस्कारायी और कहा " इत्ता लम्बा मुंह मत बनाओ ...तुम तो झट से उदास हो जाते हो.”

फिर खुद सीरियस होते बोली ,

" देखो ये दो लोगों पर डिपेंड करता है ...एक तो तुम्हारी भाभी पर ...आखिर बार बार बोलती रहती है ..अपने लिए देवरानी लाने की बात वो ...तो फिर ये फैसला तो वही करेंगी ना तो तुम्हे उन्हें मनाना पडेगा ..."
" मान लो मैं उन्हें मना लूँ तो ..." उसकी बात बीच में काटते मैं बोला।

" उससे भी कुछ ख़ास नहीं होगा ..."

मेरे हाथ से खाली चाय प्याला लेते हुए बोली और उठने लगी।

लेकिन मैं कहाँ इत्ती आसानी से उसे छोड़ने वाला था।इत्ती इम्पार्टेंट बात का फैसला होना था ...

" हे अभी मत जाओ ना पहले बताओ कौन है वो ..."

" मैं कहीं नहीं जा रही बस ये प्याला मेज पर रख रही हूँ ..."

और प्याला रख कर वो फिर मेरे पास आके सट के बैठ गयी और अपने किशोर उभारो को ( जो टाईट कुर्ते में एकदम छलक रहे थे ) मेरी ओर दिखा के , ललचा के, उभार के बोली ..

" वो और कौन है ...मैं हूँ ...तो तुम्हे मुझे पटाना पडेगा ...मेरी सारी शर्ते माननी होंगी ...इत्ती आसानी से मैं हाँ नहीं बोलने वाली ."

उसे लगा फिर मैं सोच में पड गया हूँ , तो मेरी ओर मुड के एक किस्सी ले के बोली ...

" अरे यार इत्ते सीरियस मत हो जाओ ...पट जाउंगी बस थोडा बहुत कोशिश करो "

और साथ में उसका एक हाथ मेरे बाक्सर शार्ट में घुस गया , पहले तो वो सहलाती रही , फिर कस के दबा दिया मानो ये कह रही है की कैसे पटेगी।

मैं कौन छोड़ने वाला था ...इत्ते देर से उसके मस्त रसीले जोबन ललचा रहे थे ....मैंने पकड़ के दबा दिया और उसके गाल पे किस करता बोला ,

" अरे तूने चाय तो पिला दिया था ....लेकिन इतने मस्त केक ...उनका स्वाद तो ले लूँ .."

" अरे यार तेरे लिए तो मैं क्या दुनिया की जिस लौंडिया को कहो पटा दूँ ...दिक्कत तो तुम्हारे पटने की है ...जानते हो मेरी वो सहेली कम होने वाली ननद और तेरी बहन कम माल ज्यादा का सुबह से एक दर्जन मेसेज आ चुका है ...ज़रा देख तो लो और उसने मेरा मोबाइल बढ़ा दिया।


 जानते हो मेरी वो सहेली कम होने वाली ननद और तेरी बहन कम माल ज्यादा का सुबह से एक दर्जन मेसेज आ चुका है ...ज़रा देख तो लो और उसने मेरा मोबाइल बढ़ा दिया।

गुड्डी ना ...

मैंने जब इन बाक्स खोला ...तो कतई 12 मेसेज नहीं थे ...खाली 11 मेसेज थे . मैंने आखिरी मेसेज खोल कर पढ़ा

मेरे कुछ समझ में नहीं आया ...लिखा था आज मिलूंगी ना शाम को ...तुम सोचते .हो क्या तुम्हारा ही सिर्फ मन करता है ...

मैंने उसके पहले का मेसेज खोला ...तुम बड़े वो हो ..अच्छा चलो तुम्हारी ही बात रही ...

मेरे कुछ पल्ले पड नहीं रहा था ..मैंने फिर सोचा शुरु से खोल के देखूं ..

पहला मेसेज नार्मल सा था ....गुड मार्निंग ...हो गयी गुड मार्निंग तुम्हारी ...

दूसरा कुछ 'वैसा' था ..धत्त ...तुम भी ना सुबह सुबह ...

तीसरा और ज्यादा ..." कैसे बोलते हो ...तुम ..मारूंगी जब मिलोगे ..."

चौथा .. और नाराजगी से भरा ...बल्कि अदा से ...'बहोत बेशरम हो रहे हो ...मैं नहीं बोलती जाओ ."

लेकिन अगला थोड़ा मान मनुहार वाला ...

" ओके बाबा ...मैं तो ऐसे ही बोलती रहती हूँ ..तुम बुरा मान गए ...अरे यार तू क्या सोचते हो सिर्फ तेरा ही मन करता है .

फिर नेक्स्ट ...प्रामिस ..आज शाम को ही तो आ रही हूँ ना तुम्हारे पास ..वो गिफ्ट भी तो लेनी है तुमसे ना ...पता नहीं कुछ लाये भी हो या वैसे ही झूठे मूठे ...पक्का आउंगी ..

अगला तो और हाट था ...अरे यार तुम्हे भी देख लुंगी ...तुम्हारे उसको भी देख लुंगी ...मैं नहीं पीछे हटने वाली ..निचोड़ के रख दूंगी ..

मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ...

फिर मेरे अन्दर का जासूस जागा और मैंने सोचा इत्ते मेसेज ...

तो इधर से भी तो गए होंगे ..और मैंने सेंड फोल्डर खोला

मैंने गुड्डी की और देखा। जैसे कोई शैतान बच्चा शरारत करने के बाद भोला बने बस एकं दम वैसे ही लग रही थी ...कहीं दूर देखते हुए ,....

और सेंड फोल्डर से बात साफ हो गयी मेरी ओर से भी 10 मेसेज गए थे ...और रंजी के 11 आये ...इसका मतलब भाभी सही कह रही थीं ...उसे बहूत कस के चींटे काट रहे है ...


मेरा पहला मेसेज सीधा साधा था ...गुड मार्निंग

और उसका जवाब तुरंत आया ..गुड मार्निंग ...हो गयी गुड मार्निंग तुम्हारी ...

और जो मेरे फोन से मेसेज गया था ..दूसरा उसके साथ एक पिक्चर फाइल भी थी, पहले मैंने मेसेज खोला ..
लंबा मेसेज था ...पहले तो एक शेर था ..

सूरज के बिना सुबह नहीं होती
चाँद के बिना रात नहीं होती
बादल के बिना बरसात नहीं होती
आपकी याद के बिना दिन की शुरुआत नहीं होती।

रात भर नींद कहाँ आई ...मैं भी तडप रहा था और ये भी ...विशवास ना हो देख लो फोटो भेज रहा हूँ ...

और फोटो खोलते ही मैं सन्न रहा गया ...मेरे जंग बहादुर की फोटो पूरी तरह तन्नाये हुए ...एकदम कड़ा मोटा ..
मुझे लगा अब तो रंजी बहोत गुस्सा हुयी होगी लेकिन जब उसका जवाब देखा तो ..डेढ़ मिनट बाद उसने जवाब दे दिया था ..बस थोड़ा सा हलकी सी नाराजगी कम अदा ज्यादा वाला

"धत्त ...तुम भी ना सुबह सुबह ..."

लेकिन मेरा अगला मेसेज भी थोड़ा रुक के गया ..
फिर एक शेर के साथ

तेरे सिंपल फेस की ब्यूटी ने
मेरे जेंटल हार्ट को मार दिया
तुझको पास पा कर मैंने
नाईट को सोना छोड़ दिया ..

सच में यार ज़रा भी नींद नहीं आई बस मन कर रहा था की तुम पास होती ना तो ये करता वो करता ...और मुझसे ज्यादा ये तुम्हारा फैन , तुम्हारा आशिक ...एक बार तुमने छु क्या दिया बस दीवाना है तुम्हारा ..फोटो इसलिए भेजी थी ...कुछ करो ना इसका वरना ये ऐसे ही रहेगा ..प्लीज ..देखो कम से कम इसकी हालत पे तरस खाओ ...

और फिर एक फोटो थी ..मेरे खड़े मोटे लम्बे लिंग की और अबकी क्लोज अप था ..सुपाडे का ..एकदम मस्त फोटो थी ...

और उसी के जवाब में उस ने मेसेज किया था ...." कैसे बोलते हो ...तुम ..मारूंगी जब मिलोगे ..."

मेरी ओर से भेजा गया अगला मेसेज और खतरनाक था,

" मारना है तो मार लो ना ...'वो' तो खडा ही है तुम्हारे लिए बस ये बता दो कैसे मारोगी , ऊपर वाले होंठों से या नीचे वाले होंठो से ..देखो ये तुम्हारे याद में आंसू बहा रहा है ...कम से कम अब तो हाँ बोल दो ...

और साथ में जो जंग बहादुर की फोटो लगी थी , उसमें सुपाडे पे एक बूँद प्री कम की अटकी थी।

अबकी लगता है थोड़ी वो नाराज हुयी क्योंकि जवाब दो मिनट बाद आया और लिखा था 'बहोत बेशरम हो रहे हो ...मैं नहीं बोलती जाओ ."

अबकी इधर से भी मेसेज थोड़ा रुक के गया था और थोड़ा सीरियस ...फोटो भी नहीं थी।

" सारी , अगर तुम बुरा मान गयी क्या करूँ पूरी रात नींद नहीं आई तेरी याद ..और आज सच्चाई जुबान पे आ ही गयी ..आगे से ध्यान रखूंगा और इस मेसेज का असर हुआ , उसका जवाब तुरंत आया .....

" ओके बाबा ...मैं तो ऐसे ही बोलती रहती हूँ ..तुम बुरा मान गए ...अरे यार तू क्या सोचते हो सिर्फ तेरा ही मन करता है ."

मेरा अगला मेसेज और भी हाट था और एक बार फिर मेरे खड़े लिंग की .फोटो ...

तब तक गुड्डी की डांट पड़ी ..." अरे कब तक ..एक ये मेसेज वेसेज देखते रहोगे एक काल मारो ना ..सुबह से वो पनिया रही होगी ..

बात में तो उसके दम था ...मैंने रिंग किया रंजी को लेकिन दो तीन रिंग ही गयी होगी की गुड्डी ने मेरे हाथ से फोन ले के काट दिया और बोला ...

"थोड़ा तड़पने दे साल्ली को मेरे यार को बहूत तडपाया है उस छिनाल ने खुद ही मिस्ड काल मारेगी"

और ये कह के प्यार से बाक्सर के अन्दर मेरे थोड़े सोये थोड़े जागे शेर को मुठीयाने लगी.

गुड्डी की बात सोलहो आना सही थी।

मिस्ड काल तो नहीं आई लेकिन 10 सेकेंड के अन्दर मेसेज आया ...दो मिनट में काल करो मैं ऊपर अपने रूम में पहुँच रही हूँ।

गुड्डी मेरे साथ मेसेज देख रही थी। मेरे गाल पे एक हलकी सी बाईट ले के बोली ..तुम मत करना। खुद करेगी ...वो और स्पीकर फोन आन कर दिया

सच में रंजी का ही फोन आया वो भी एक मिनट के अन्दर, जैसे दौड़कर ऊपर अपने कमरे में पहुंची हो।

मैं डर रहा था की कही वो मेरे जंगबहादुर की फोटुओ के बारे में बात ना करे ...मैं मना भी नहीं कर सकता था की मैंने नहीं भेजी ..गुड्डी बगल में बैठी थी ...मार लेती मेरी वो भी बिना तेल लगाये।

शिकायत तो की उसने लेकिन बड़ी मीठी सी ...अपनी शहद घुली आवाज में बोली ,

" बड़े रोमांटिक हो रहे हो आज कल ..."

" क्या करूँ किसी पर जवानी ही ऐसी आ गयी है ...मैं बेकाबू हो जाता हूँ ..."

मैंने भी रूमानी आवाज में जवाब दिया।

वो खिलखिलाई और गुड्डी ने जोर से मेरी जांघ पे चिकोटी काटी। इशारा था मैं एक दम खुल के बोलूं ..

रंजी बोली ...

" अरे कौन है वो दिल रुबा , हुस्नपरी जिसने तुम्हारा ये हाल किया ..."

" खुद क़त्ल भी करती हो और नाम भी पूछती हो , अरे मुझसे पूछो , शीशे से पूछो, शीशा चटक जाता होगा , तुम्हारे ये मुलायम चिकने गाल देखकर , जोबन पे आया उभार देखकर
सारी रात हालत खराब थी ...मेरी भी और मेरे दोस्त की भी कुछ करो ना तुम।"

उसने फोन रख दिया और मेरी लग गयी।

गुड्डी मुस्कारते हुए बोली ...

"पक्की छिनाल है वो ...कुछ नहीं हुआ घबड़ाओ मत सही जा रहे हो ...तुम फोन मत लगाओ वही करेगी।

और रंजी ने ही किया ..." पता नहीं क्या हुआ ...लाइन ही कट जाती है ..."

मैंने लाइन बदल के सेड रोमांटिक लाइन पकड़ी

" न न ये साल्ली मेरी किस्मत ही ऐसी है ...जहां लाइन मारने की कोशिश करो वहीँ लाइन कट जाती है ...या तो मेरी शकल ऐसी है .." और मेरा मोहरा चल गया।

रंजी ने भी बहुत रोमान्टिक हो के जवाब दिया ...

" हे हे इत्ती प्यारी सी अच्छी सी शकल तो है तुम्हारी आगे से अगर तुमने अपने बारे में कुछ भी बुरा कहा ना तो मुझसे बुरा कोई ना होगा ...ये लाइन नहीं कटने वाली है ...फेविकोल का जोड़ है ...बल्कि उससे भी तगडा .."

मैंने बात और हाट की ...

" हे सिर्फ शकल ही पसंद आई है या और कुछ भी ..." मैंने छेड़ा

अबकी उसने फोन नहीं काटा बस बोली , " धत्त ...फिर कुछ रुक के बोली ..सारी रात तुमने सपने में इत्ता तंग किया ...कुछ भी नहीं छोड़ा ...मैं तुम्हे इत्ता सीधा बुद्धू समझती थी लेकिन तुम तो ..."

" शाम को आ रही हो ना ..." मैं मुद्दे पर आया।

" एकदम ...बल्कि थोड़ा जल्दी ही आ जाउंगी , भाभी ने भी बुलाया है

फिर अदा से बोली ...हे तुम क्यों बेताब हो रहे हो कुछ चाहिए क्या ..."

" और क्या , बहोत कुछ ...बल्कि सब कुछ ...मिलेगा क्या ..."

" क्या पता .." वो हंसी ..फिर जोडा ...हो सकता है ...और खिलखिला दी फिर मुझसे पूछा अच्छा बोलो ...क्या पहन के आऊं ..."

मेरी तो चांदी हो वो गयी ...मैंने उसे चढ़ाया ...तेरी हिम्मत नहीं पड़ेगी ...तू अभी बच्ची हो छोटी .."

और वो चढ़ गइ यी।
" जी नहीं ...बोल के तो देखो ...तेरी कोई बात मैं नहीं टालने वाली ..." रंजी बोली।

" वो तेरा लेमन येलो टाप , मुझे बहोत अच्छा लगता था ..."

" मालूम है मुझे ....तुम आँखे फाड़ फाड़ के देखते थे ...लेकिन वो तो दो साल पहले का है अब तो मैं, पता नहीं घुस भी पाउंगी उसमें क्या .. और बोलो ..." रंजी ने बात मान ली।

" और वो स्कर्ट जो कल तूने ली थी ना स्टोर मे ...वो ..." मैंने डिमांड पेश की .
.
"अरे यार वो थोड़ी छोटी नहीं रहेगी उस टाप के साथ ..रास्ते में लडके कित्ते कमेन्ट पास करेंगे"

" तो क्या उन बिचारों का भी भला हो जाएगा ..." मैंने चिढाया।

" अच्छा मैं चलती हूँ नहाने ...देर हो रही है ..." वो बोली . रंजी फोन काटती उस के पहले मैं बोला ...मैं भी आ जाऊं क्या

वो खिलखिलाई और फोन रख दिया।

और मुझे डांट पड गयी ...गुड्डी की .

" देख तेरा माल नहाने जा रहा था , तुझसे मिलने के लिए वो रगड़ रगड कर तैयार हो रही है और एक तुम हो ...अभी तक ब्रश भी नहीं किया। चलो जल्दी .

और वो मुझे खींच कर बाहर वाश बेसिन पर लेगयी।


और जैसे ही मैंने अपने को शीशे में देखा ...बहोत जोर से चिल्लाया ...

 मेरा पूरा मुंह काला ...और वो भी जबर्दस्त गाढ़ी कालिख ...बनारस में दूबे भाभी ने जैसे लगाई थी ..एकदम वैसे ही ...और वो भी कम से कम दो तीन परत ...

वाश बेसिन के बगल में ही मंजू , वाश बेसिन में कपडे डाल रही थी और मुझे देख के खिलखिलाने लगी ...

भाभी भी सीढ़ी से उतर रही थीं ...भैया को सुबह सुबह 'ब्रेकफास्ट ' करा के ..उनकी खूब फैली हुयी टांगों से लग रहा था की नाश्ता जबर्दस्त हुआ है।

लेकिन मुझे देख के वो भी पास में आ के खड़ी हो गयी ...और फिर तो ट्रिपल अटैक ...

"क्यों भैया ... किसके साथ मुंह काला किया "

मंजू वाश बेसिन छोड़ के मेरे पास खड़ी हो गयी, अपनी कमर पे दोनों हाथ रख के, साडी उसने कमर पे लपेट रखी थी , इसलिए 3 8+ चोली फाड़ जोबन साफ साफ झलक रहे थे।

" और किसके साथ अपनी उस बहन कम मॉल के साथ " गुड्डी ने तुरंत फैसला सूना दिया।

" सच्ची ..." भाभी ने मेरे गाल पे अपनी उंगली से छुआ , फिर हलके से रगडा और तारीफ भरी निगाहों से गुड्डी और मंजू की और देखा , जैसे कोई जनरल सफल आप्रेशन के बाद अपने कमांडर्स को देखता है, और फिर मुझसे पुछा,

" ये तो कई लेयर लगता है ..कित्ती बार मुंह काला किया मेरी ननद ने ...दो बार तीन बार ...मुझे मालूम है एक बार में ना तो उसका मन भरेगा , ना तुम्हारा ...सिर्फ अगवाड़े से किया की पिछवाड़े से भी, "

मेरे कुछ सफाई देने से पहले ही मंजू मैदान में आ गयी और बोली ..

." अरे साफ साफ लाला इ बताओ की उस छिनाल की मस्त गांड मारे की नहीं ...और तुम छोड़ भी दिए होगे ना ....तो जब आएगी न तो मैं तो जरूर मारूंगी ...आज उसकी और कल होली में तुम्हारी निहुरा के ..."

"अरे कोई बात नहीं , आज अगर उसका पिछवाड़ा बच भी गया होगा ...तो अभी कितने दिन तुम यहाँ रहोगे ...वो यहाँ है ...तो जब एक बार उसके साथ मुंह काला कर ही लिए हो ..फिर तो रास्ता खुल ही गया .."

भाभी भी मुस्करा कर तडका लगा रही थीं।

मेरी तो ले ली थी उन लोगो ने लेकिन गनीमत थी की ...ऊपर से भैया की गुहार फिर आगई ...शायद इन्हें ब्रेकफास्ट के बाद भी 'कुछ' चहिये होगा।
हम सब मुस्कारने लगे ...

भाभी ने गुड्डी को किचेन की सब जरूरी हिदायत दे दी और ऊपर जाने वाली थीं की मंजू ने बोला

" अरे आप देवरानी ले आइये ...तो आप को भी आराम ...और किचेन विचेन वो सम्हालेगी ..और ये भी इधर उधर मुंह काला करने से बचे रहेंगे ..."

भाभी एक पल के लिए रुक गयी और मुझे देखते मुस्कराते हुए बोली ...

" मैं तो कल ले आऊं ...बस ये हाँ कर दे .."

सुबह गुड्डी से हुयी बातचीत या मन की बात जुबान पे आ गयी। मैं बोल उठा ..

" मैंने कब ना किया ..."

और जबतक मैं बात पलटू तीर कमान से निकल चुका था।

मुस्कारती हुयी भाभी मंजू से बोली ...

" तुम गवाह रहोगी अब अगर ये पलटे .."

मंजू और गुड्डी दोनों ने जोरदार हामी भरी ...तबतक ऊपर से दुबारा काल आगयी और भाभी लगभग दौड़ते हुए सीढियों से ऊपर चढ़ी।

मैं अब बुरी तरह फस गया था क्योंकि वो घंटे भर से पहले नीचे आने वाली नहीं थी और अब नीचे सिर्फ मंजू और गुड्डी का राज था और दोनों मुझे रगड़ने का कोई भी मौक़ा छोड़ने वाली नहीं थी।

और हुआ यही ...
मैंने एक बार हीर शीशे की ओर देखा और पहले से भी जोर से चील्लाया ...
कालिख के साथ साथ मेरी मांग में खूब चौड़ा सिन्दूर भरा था ...


मैंने जोर से बोला ...ये बता दो की सिंदूर किसने भरा है ...सुहाग रात भी तो उस को मनाना चाहिए ...

" तो मना लो ना ..." मंजू ने मेरे गाल की कालिख को सहलाते हुए कहा ...

" खड़ी तो है सामने, मना थोड़े करेगी और मना करेगी तो अब तो तुम्हारा हक़ है "

और गुड्डी की ओर इशारा किया ..
वो दुष्टों की तरह मुस्करा रही थी ..फिर बहाना बना कर बोली ..
.
' मैंने तो एक चुटकी सिन्दूर ही डाला है ना ...और इन्होंने जो पूरे तीन परत कालिख पोती है ..उनके साथ क्या करोगे "

मुझे जो करना था मैंने कर दिया ...

मंजू के मस्त 38+ चून्चिया मुझे हमेशा ललचाती थीं और अब तो मौक़ा भी था ...फिर कल शाम को होली के बहाने मैं उनका रस ले चुका था मैंने पीछे से जा के मंजू को अंकवार में पकड़ लिया और अब मेरे दोनों हाथ सीधे उसके पुष्ट मस्त गदराये उरोजों पर थे ..मांसल और कठोर ..

अपने गाल से उसके गाल को रगड़ते हुए मैंने कहा , अब मेरे पास कालिख तो है नहीं ...तो गाल वाली ही भौजाई के गाल पे रगड़ के होली खेल लेते हैं ..

मंजू ने ना तो मेरा हाथ हटाया ना गाल सिर्फ बोली ,

" अरे लाला इ कढ़ाही के पेंदे की कालिख है जितना लगाये हैं उसकी चौगुना बचा के रखी है ..मैं तो कह रही थी की तुम्हारे मस्त चूतड पे भी लगा देती ...जिसके शहर के सब लौंडेबाज दीवाने है ... ..... कम से कम थोडा सा काजल का दीठना तो लगा देती ..की नजर ना लगे मेरे इस नमकीन देवर पे लेकिन इ जो तुम्हारी उ है ..उहे बचाय लीं ...मना कर दी"

" अरे तों अबही कौन होली चली गयी ..अब से लगाय दो ना ...काहें पछताय रही हो ...देवर भी है और कालिख भी है ..." गुड्डी ने मंजू को ललकारा।

 " अरे तों अबही कौन होली चली गयी ..अब से लगाय दो ना ...काहें पछताय रही हो ...देवर भी है और कालिख भी है ..." गुड्डी ने मंजू को ललकारा।

और मैं घबडाया .

मंजू से अकेले पार पाना मुश्किल है और अगर गुड्डी भी उसके साथ आ गयी तो ...लेकिन मंजू ने बख्स दिया बोली ,

" अरे चूतड क्या मैं तो गांड के अन्दर तक लगाउंगी ..वो भी दो उंगली ...पूरी ..लेकिन अबहीं इतना काम फैला है ...इ चिकना कौन भागा जा रहा है फिर कल होली में तो रगड़ घिस होगी ही इ बहन चोद की .."

और मारे खुशी के मेरे दो हाथों ने मंजू के ब्लाउज के हुक खोल दिए और सीधे उसकी गदराई चूंची पर ...


गुड्डी ने ब्रश पर पेस्ट लगा के अपने हाथ से मेरे मुंह में कराते हुए कहा ...चलो तेरे हाथ तो अपनी भौजाई के साथ बीजी है मैं ही मंजन करा देती हूँ ...तब मुझे याद आया की मैं वाश बेसिन पे आया किस काम से था।

मंजू ने मेरा साथ दिया ...बोली ..

".इ तो सिन्दूर डालने से पहले सोचना चाहिये था अब तो मेरे देवर का सब काम करना होगा तुम्हे और फिर इहो अब देवरानी के लिए हाँ कर दिए हैं ...इनकी भाभी भी ढूंढ रही है ....तो कहो तो तुम्हरी बात चलाये"

'धत्त ...गुड्डी बोली और बिना रंग लगाये उसके गाल गुलाल हो गए ...

लेकिन मंजू जो पीछे पड जाय .. मेरे कालिख लगे गालों को सहलाते बोली ,

" अरे कौन कमी है हमरे देवर में ...लम्बा तंदरुस्त ..और उहो चीज तगड़ी है .. चाहो तो खोल के पकड़ के दबा के देख लो ..और क्या चाहिए मरद में ...बोलो तो हम बात करें इनकी भाभी से ...अरे गोद में कोरा नगर ढिंढोरा .."

बिचारी गुड्डी बोले तो क्या बोले ...

और अब मुझे भी मौका लग गया था गुड्डी को छेड़ने का।

मुझे ब्रश कराने के बाद उस बिचारी ने मुंह भी साफ कराया।

मैंने मंजू को और चढ़ाया ..

"अरे इसके पहिले भी दो बार ये सिन्दूर दान कर चुकी है मेरा ये ..."

मंजू ने गुड्डी की ओर सवालिया निगाह डाली ..

तो वो हँसते हुए बोली अरे ससुराल जायेंगे तो ...होली में भाभी ने इनका पूरा श्रृंगार किया साडी चोली ब्रा पेटीकोट नारी का रूप ..तो सिन्दूर दान मैंने कर दिया ...और वैसे ही एक बार ...

मंजू ने फिर पाला पलटा ..और मेरे गाल पे कस के के चिकोटी काटते हुए पूछा ...

" अरे नारी का रूप धराया था तो नारी वाला काम करवाया की नहीं उसके बिना तो ससुराल की होली पूरी नहीं होती ..."

गुड्डी खिलखिलाने लगी ...बोली.

” बच गए लेकिन इस शर्त पर की रंग पंचमी बनारस में करेंगे और उस दिन सब भाभियां इन की भी नथ उतारेंगी और इन के बहन कम माल की भी ..."



सामने टीवी चल रहा था उस पर कुछ कुछ आ रहा था ..अचानक एक ब्रेकिंग न्यूज आय न्यूज कास्टर कुछ चीख के बोल रहा था . बनारस का नाम सुन के मेरे कान खड़े हो गए ...

मैं और गुड्डी एक दम टीवी के पास जा कर खड़े हो गए ...

 बनारस के चार इलाकों में कर्फ्यू ...टीवी बोल रहा था ..

चौक , दशाश्वमेध , मदनपुरा और चेतगंज इलाकों में सुबह साढ़े पांच बजे से कर्फ्यू लगा दिया गया है ..पुलिस ने कर्फ्यू लगाने का कोई कारण नहीं बताया है . साथ मं बनारस की फाइल फोटुयें दिखाई जा रही थीं और इस का कारण भी जाहिर हो गया .

टीवी ने जब बताया की कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों में मीडिया के प्रवेश पर भी प्रतिबन्ध है।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया ...एक इलाके में तो रीत थी। डीबी ने बोला भी था की सुबह से कर्फ्यू लगा देंगे ..और मदनपुरा में जेड है ..लेकिन बाकी दो इलाको में ...फिर मेरी समझ में आया ...बाकी दो इलाके कैमोफ्लाज के लिए होंगे ...

आपरेशन कामयाब हुआ की नहीं ...कुछ समझ में नहीं आ रहा था ...मैंने गुड्डी को अपने पास भींच लिया और गुड्डी ने भी जैसे मेरे मन की हालत जानते हुए मेरी कमर कस के पकड़ ली ..और अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया जैसे कह रही हो घबड़ाओ मत सब अच्छा ही होगा ...मैं हूँ ना ...

ये लड़की ...

और अगले ही पल शुभ संकेत आ गया ..एक ब्रेकिंग न्यूज के रूप में ...गुड्डी को मैंने और कस के अपने पास भींच लिया

चार में से दो क्षेत्रों में से कर्फ्यू हटा लिया गया है।

सिर्फ मदनपुरा और चेतगंज में अभी भी कर्फ्यू है ...थोडी देर में पुलिस अधिकारी धुरंधर भाटवडेकर प्रेस को संबोधित करेंगे ...

इसका मतलब ...हो गया ...मैंने कस के गुड्डी को अपनी बाहों में भींच लिया और गुड्डी को चूम लिया

...गुड्डी ने मेरी आँखों की चमक पढ ली थी ...और उस ने भी मेरे गाल पे एक किस ले ली।

तब तक मोबाइल बजा ..एस एम् एस था मैंने खोला ...डी बी का ...

सारे देवी देवता मनाते मैंने मेसेज खोला ..गुड्डी भी मेरे साथ मेसेज पढ़ रही थी।

" हम कामयाब रहे ...विद ग्रेस आफ गाड्स एंड एफोर्ट ऑफ़ रीत ...शी इज इम्पासिबिल ...विल रिंग यू आफ्टर 40 मिनट्स ...कैन कान्टेक्ट रीत आफ्टर वन ..."

मैं गुड्डी की ओर मुड़ा ...वो मेरी आँखों में आंसू देख रही थी ..और मैं उसके ...

ये लड़ाई उसी के साथ तो शूरु हुयी थी ...जब पहले रंग वाली दूकान में कुछ रंग बाजों ने उस के साथ छेड़खानी की और फिर जब उसकी सहेली गुंजा ..को चुम्मन ने होस्टेज बनाया ...और गुड्डी मुझे जोश दिलाकर ...उसे बचाने ले गयी ...

इस जीत का स्वाद ..मैंने गुड्डी के होंठो पर चखा और गुड्डी ने मेरे

तब तक प्रेस कान्फ्रेसं शुरू हो गयी थी ...डीबी पूरे यूनिफार्म में ...मैं टीवी के सामने कुर्सी पे बैठ गया और गुड्डी ठसके से मेरी गोद में ..उसकी यही अदा तो ...हक़ से वाली ...

डीबी ने एक लिखा हुआ स्टेटमेंट पढ़ दिया ..और अब सवाल शुरू हो गए ...

प्रेस - कर्फ्यू क्यों लगाया गया था ...
डी बी - कुछ इलाकों में तनाव की सूचना थी ..इसलिए हमने सोचा की वहां छानबीन करनी होगी।

प्रेस - मीडिया को क्यों नही जाने दिया गया।
डी बी - मीडिया के कहीं जाने पर रोक नहीं थी। हाँ आफिस चूँकि 10 बजे से खुलता है ...तो कर्फ्यू पास उसके बाद ही बन सकता था ...और अब आप जा सकते हैं उन इलाकों में ..कोई रोक नहीं ..

प्रेस - लेकिन अब तो कर्फ्यू हट गया है ...
डी बी – एकदम.

प्रेस - लेकिन आप यह नहीं सोचते की सिर्फ कुछ तनाव की आशंका से ...कर्फ्यू लगाना ...कुछ ओवर रिएक्शन नहीं था।
डी बी - आप ये बात कह सकते हैं और मैं डिसएग्री नहीं करूंगा ...और इसीलिए तो हमने चार घंटो के अन्दर ही हटा दिया ...जैसे हमें महसूस हुआ ...बट बेटर सेफ देन सारी ...

प्रेस - एक आखिरी सवाल - क्या कर्फ्यू किसी आतंकी साजिश के चलते तो नहीं लगा था ..
डी बी - ने हंस कर जवाब दिया ...तो फिर अब क्या ये इतनी जल्दी ख़तम हो जाता और फिर मैं अब तक आपको पकडे गए हथियार की फोटो और आतंकी का नाम नहीं गिना रहा होता, मेरे खयाल से कल होली है

...इसलिए आपको भी शापिंग पे जाना होगा ..घर पे लोग वेट कर रहे होंगे ...इसलिए प्रेस कांफ्रेंस यहीं ख़तम करता हूँ और हाँ होली के मौके पे ठंडाई का आयोजन है ...और जिन मीडिया के लोगों को कर्फ्यू घूमने जाना हो ...उनके लिए कर्फ्यू पास ही मिलेगा ...जल्दी करियेगा ...क्योंकि एकाध घंटे में वहां से भी कर्फ्यू हट जाएगा.

और उसके बाद फिर कामर्सियल ब्रेक आ गया।

" मैं तुमसे कह रही थी ना ....रीत को कुछ नहीं होगा ...वो अकेले काफी है .."

गुड्डी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचाते , प्यार से मेरे गाल पे चपत लगा के बोला और जोड़ा ,

"तुम बेकार में घबडा रहे थे ..."

सच में मैं पूरी जिंदगी उतना नहीं घबडाया था जितना आज सुबह ...लेकिन गुड्डी ने ...किस तरह से मुझे सम्हाला, मैं वो पल पूरी जिंदगी नहीं भूल पाउँगा ...प्यार से मैंने उसे देखा और किस कर लिया ..

" तुम बहोत अच्छी हो ..." मैंने धीमे से बोला।

" वो तो मैं हूँ ...इतराके वो बोली और मेरे सीने पे मुक्का मार के कहा ...

"तुझे आज पता चला।"

फिर वो कुछ सोच के बोली ..

".तेरे साथ रह के मैं भी बुद्धू हो गयी हूँ ...तुझे भूख लगी होगी ना ...
" हाँ बहोत जोर की लगी है ...इसकी ...मैंने उसके होंठो पे किस किया ...इसकी ...उसके टाईट कुर्ते को फाड़ते ...मस्त जोबन पे किस किया ..और ..."

जब तक मैं और नीचे जाता वो हंस के खड़ी हो गयी और बोली ...

" वो सब तुम रंजी से लेना शाम को आएगी ना ...अपनी ताकत बचा के रखो ...मेरा मतलब ब्रेकफास्ट से था ...अभी लाती हूँ गरमागरम ..बस आधे घंटे में .." औ वो शोख कमरे से बाहर चली गयी

सच में भूख लग रही थी। 13 घंटे हो गए थे कुछ खाए ...गुड्डी मेरे बिना बताये मेरी मन और देह दोनों की जरुरत समझ जाती है ...

मुझे सुबह की भाभी की बात याद आगयी देवरानी वाली ...और फिर मंजू की बात ...गोद में छोरा ..नगर ढिंढोरा ...वो मुंह फट है भाभी से बोल भी देगी ...

और तब तक डीबी का फोन आ गया। पहले तो उन्होंने रीत की तारीफ की जम कर की ...बोल उस के बिना हम हार गए थे , फिर पूरी कहानी सुनाई।

आखिरी बैटल भी इतनी आसान नहीं थी , जितना हमने सोचा था।

 सिद्दीकी के पहुँचने के बाद उसने और रीत ने मिलकर प्लान बनाया। सिद्दीकी के साथ जो लोग थे वो सफाई वालो की तरह थे जिससे कोई उनके शक ना करे।

प्लान ये था की उनके झाड़ू में ऑटोमेटिक गन्स थीं। लेकिन ज्यादा जरूरी चीज थी उनके पास ड्रिल्स और सोनार एडेड डिवाइसेज थीं। जिससे वो जमीन के अन्दर की सुरंग का पता लगा कर ड्रिल कर लेंगे, और उस के बाद उन छेदों से टियर गैस , लाफिंग गैस का मिश्रण डालते ...

अन्दर वो तीनो सोच नहीं पाते की रोये या हँसे और उसके बाद बेहोशी की गैस ..हंसते हंसते रोते रोते वो बेहोश हो जाते ...और उस के बाद कमांडो ऐक्शन होता।

सिद्दीकी को लगा रीत बहोत खुश होगी ...लेकिन वो चुप रही।

कुछ देर रुक कर वो बोली ...कुछ गड़बड़ है .

मैंने सोचा टिपिकल रीत ...लेकिन डी बी को डिस्टर्ब करने की हिम्मत मेरी भी नहीं थी।

रीत ने कहा अगर उन्होंने ये अण्डरग्राउंड बनाया है तो क्या सिर्फ एक ही रास्ता बनाया होगा .

"लेकिन हम लोगो ने सोनार से आसपास का सारा इलाका चेक कर लिया है , और म्युनिसिपलिटी से सारे बिल्डिंग प्लान्स भी देख लिए हैं "

सिद्दीकी के एक साथी ने कहा।

वो लोग पूरी तैयारी कर के आये थे।

रीत चुपचाप गली में टहलती रही ...फिर अचानक एक जगह पड़े कूड़े के ढेर को उसने हटाया। वहां एक पुराना जंग खाया मेंन होल था।

" ये क्या है ...उसने पूछा ..फिर कुछ याद कर के बोली

"यहां शायद नीचे एक सीवर लाइन थी ना .."

सिद्दीकी के साथ के आदमी ने कुछ प्लान चेक किया और बोला ,

" हाँ लेकिन अब वो बंद है , गंगा सफाई अभियान के बाद एक नयी सीवर लाइन बन गयी है ..."

रीत ने फिर उसके पास जा के बोला ,

” ये पता चल सकता है क्या की वो पुरानी सीवर लाइन उस अंडर ग्राउंड कमरे के नीचे से तो नहीं गयी है।"

" बस दो मिनट " और उस आदमी ने कुछ चेक कर कहा ..." हाँ आप सही कह रही हैं .."

" मेरा गेस ये है की उन्होंने अंडर ग्राउंड रूम से , उस अन यूज्ड सीवर लाइन के लिए रास्ता बना रखा होगा , और जैसे ही कोई हमला होगा , वो उसमें निकल सकते हैं ...तो बेस्ट ये होगा की मैं पहले सीवर में घुसकर चेक कर लूँ

और अगर ऐसा रास्ता है तो हमलोगों को टाइम में थोडा चेंज करना पड सकता है ..." रीत बोली।

उस मेन होल को खोल के रीत और सिद्दीकी के साथ का एक्सपर्ट सीवर में उतर गए।

जब वह अंडर ग्राउंड रूम के नीचे पहुंचे तो उस आदमी ने सीवर की छत पर एक मशीन से कुछ ठक ठक किया और अपने मीटर में देखा।

" आप का गेस सही था ...यहाँ एक वन वे ट्रैप डोर है स्प्रिंग लोडेड ..इधर से हम लोग अन्दर नहीं जा सकते और उधर से भी एक बार में एक ही बाहर आ सकता है ."

उस ने बताया।

रीत ने अपनी इन पुट यूनिट में देखा जिसमें से कैमरे के जरिये अन्दर की पूरी सीन दिख रही थी। वो आदमी दो बाम में डिटोनेटर फिट कर चुका था और तीसरे में डिटोनेटर लगा रहा था।

रीत ने कुछ सोचा फिर ऊपर सिद्दीकी से वाकी टाकी से बात की ..

और पूछा की कितने देर में वो लोग ड्रिल कर के ..गैस टनेल में डाल सकते हैं ..

सिद्दीकी ने बोला पाच से सात मिनट में ...

रीत ने उसे एस्केप रूट के बारे में बताया और कहा की हमें आपरेशन का टाइम प्री पोन करना होगा ...आप तुरंत ड्रिल शुरू कर दें और गैस अन्दर डालने के पहले उसे बता दें .

सुबह होने और सपोर्ट फोर्स आने में अभी भी 25 मिनट बचा था।

रीत को डर था की वो ट्रैप डोर से निकल भागेंगे या उसे खोल कर गैस का असर कम कर देंगे। इसलिए उस ट्रैप डोर को न्यूट्रलाइज करना जरुरी है।

अन्दर रीत ट्रैप के पीछे दीवाल से सट कर खड़ी हो गयी ...और सिद्दिकी के साथ के आदमी को उसने सामने खड़ा कर दिया।

ऊसको ये सख्त ताकीद दी की वो ना कुछ बोलेगा , ना कुछ करेगा

और उसको रीत से अगर कुछ कहना भी होगा तो इशारों में ही बात करें। किसी हालत में वो टार्च न जलाए।

रीत ट्रैप डोर के दूसरी ओर दीवाल से सट के खड़ी हो गयी उसने सिद्दिकी को ग्रीन सिग्नल दे दिया। ऊपर ड्रिलिंग शुरू गयी और पांच मिनट में गैस की पम्पिंग भी शुरू हो गयी।

ऊपर से सिद्दीकी ने रीत को वाकी टाकी से सिग्नल दे दिया।

रीत अपने इन पुट डिवाइस पर अन्दर के तहखाने से आती हुयी पिक्चरे देख रही थी और काउंट कर रही थी ...
1,2,3,4, 10 40 ,50 60 ,61,62,63 और ...गैस का असर होना शूरु हो गया।

एक ने खांसना शुरू कर दिया , दूसरे ने छींकना।


 जो आदमी बाम्ब में डिटोनेटर लगा रहा था उसने बाकी के डिटोनेटर अपनी जेब में रख और अपने साथोयों से बोला ...

"गड़बड़ लग रहा है ...मैं नीचे जाता हूँ और सब सिक्योर होगा तो मेसेज दूंगा तुम लोग ट्रैप डोर खोल देना ..."

नीचे रीत ने अपने साथ के आदमी को सिगनल दिया की कुछ भी हो वो हिले डुले नहीं …और ट्रैप डोर खुलने का इन्तजार करने लगी।

उसने तीन टार्गेट तय किये थे ...

पहला तो उस आदमी को न्यूट्रलाइज करना ,

दुसरा ये ध्यान देना की वो किसी भी हालत में आवाज न निकाल सके ..

और तीसरे ये ध्यान रखना की वो मरे नहीं और उसे कम से कम चोट लगे जिससे सिद्दीकी को बाद में उससे पूछ ताछ करने में दिक्कत ना हो ...

ट्रैप डोर खुला और वो आदमी निकला ...

सामने आदमी को देख कर वो चकरा गया और इतना समय रीत के लिए काफी था।

उसने एक फ्लाइंग किक उसके कमर में मारी और दूसरी उसके घुटने के जोड़ पर ...वो लडखडा कर नीचे गिरा ...लेकिन उसके गिरने के पहले ही रीत का एक जबर्दस्त चाप उसकी गर्दन पर ...लेकिन उसने जोर कम रखा था ...को वो सिर्फ बेहोश हो ...

और यहीं रीत से चुक हो गयी ...एक तो उसने दुश्मन को कम करके का आंका था और दूसरे उसकी बाड़ी दुश्मन के साथ एक पल ज्यादा रह गयी .

वो भी फुर्तीला था और ...उसने एक तेज चाकु निकाल के रीत पर पलटवार कर दिया। रीत झुकी लेकिन उसके दाए कंधे के उपर से चाकू लगता हुआ निकल गया ..

लेकिन रीत रीत थी। उसने बाएं हाथ से उसी फुर्ती से स्टन गन निकाली और दो वार कर दिए ...

और वो आतंकवादी वही बेहोश हो गया।

रीत ने तुरंत उसकी तलाशी ली और सबसे पहले वाकी टाकी निकाल ली ...

तब तक अन्दर के दोनों आदमियों पर गैस का असर हो गया था और वो नीम बेहोशी की हालत में थे ...

और सिद्दीकी और उसके साथ के लोगों अन्दर घुसने का फैसला कर लिया।
वैसे भी सपोर्ट फोर्स अभी 10 मिनट बाद पहुंचनी थी,...

लेकिन फिर एक गड़बड़ हो गयी


सिद्दीकी और उसके आदमी अन्दर घुस गए थे ...लेकिन गैस का असर अभी भी था
गैस मास्क सिर्फ दो के पास था ..सिद्दीकी ने उन्हें बोला की वो सारे खिडकी रोशनदान खोल दें ...

लेकिन कोई खिड़की रोशनदान था ही नहीं।
और कुछ ही देर में सिद्दीकी पर भी गैस का असर शुरू हो गया।

रीत नीचे से कैमरे से सब कुछ देख रही थी ...उसने तुरंत दूसरे आदमी को ड्रिल लाने को बोला।

रीत और उस ने मिल के ट्रैप डोर में चार छेद कर दिए और वो जोर से बोली।
सिद्दीकी ने सारे लोगों से बोला की की वो बारी बारी से उन में नाक लगाकर

जोर जोर से सांस ले और हट जायं .

उस से कुछ हालत सुधरी
तब तक रीत ने उस आदमी के साथ मिल कर ...ट्रैप डोर के किनारों को ..काट दिया और नीचे से वहीँ से पकड़ कर पुल करना शुरु कर दिया।

ऊपर से सिद्दकी ने पुश किया और थोड़ी देर में ट्रैप डोर नीचे आ गया और हवा ऊपर जाने लगी।

डी बी ने एक मिनट सांस ली और बोले की जब तक वो लोग पहुंचे सिद्दीकी ने साईट सिक्योर कर दी थी।

फिर फोरेंसिक टीम, आई बी वाले और बाकी लोगों ने इन्वेस्टिगेशन शुरू किया
सिद्दीकी खुद रीत को ले के सिक्योर प्लेस पे ले गया।

रीत को वो जो चाक़ू की चोट आई थी ...मैंने सहमते हुए पूछा।

" जख्म गहरा तो नहीं है पर ब्लड लास काफी हो गया था ...अभी ब्लड ट्रांसफ्यूजन हो गया है ...ठीक है।

फिर कुछ सोच के बोले ...इस लडकी के बिना कुछ होना मुश्किल था।

मैं कुछ नहीं बोला, इसमें भी कोई शक था। वो ना होती तो आज शाम बनारस में जो होता ...सोच नहीं सकते।

फिर वो उत्तपल दत्त की तरह हँसे और बोले ...इस लडकी का दिमाग ना ...

अब मैं अपने को रोक नहीं पाया ...

"रीत का दिमाग चाचा चौधरी से तेज चलता है .."

( सब जानते है ..चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता है )

वो और जोर से हँसे ....वो भी चाचा चौधरी के फैन थे,

" और उसका हाथ साबू से भी तेज चलता है ." वो बोले।

जिन चार लोगों को उसने प्रसाद दिया था ...वो अभी तक नहीं उठे है ..सिद्दीकी अपने स्टाइल से पूछ ताछ कर रहा है , दोपहर तक सब गाने लगेंगे."

" हाँ एक बात और शाम को एक इम्पोर्टेंट मीटिंग है , हम लोग, आई बी के साथ साथ रा के लोग और नॅशनल इंटेलिजेंस एजेंसी के लोग ही रहेंगे ..रीत भी रहेगी ...बनारस के साथ बडौदा और मुम्बई के बारे में बात होगी।

उन दोनों दोनों जगहों के पुलिस आफिसर भी वीडियो कांफ्रेंसिग में रहेंगे ...साढ़े पांच के आसपास ...तुम को भी कनेक्ट कर लेन्गे वीडियो कांफ्रेंस के जरिये ...कही मस्ती मारने मत कट लेना "

और फिर जैसे फोन रखते रखते उन्हें कुछ याद आ गया हो ...बोले ...रीत से डेढ़ दो बजे से पहले कान्टेक्ट करने की कोशिश मत करना।

और फोन रख दिया।

उन्हें फोन करना बेकार था।

मैंने गहरी सांस ली और घडी की और देखा ..साढे ग्यारह ...यानी दो ढाई घंटे और ..

...

तब तक गुड्डी लगभग दौड़ते हुए कमरे में घुसी , हंसी उसके चेहरे पे बरस रही थी।

उसके एक हाथ में नाश्ते की प्लेट और दूसरी में एक कटोरी थी।

उन दोनों को उसने मेज पर रखा और धम्म से मेरी गोद में बैठ गयी, और मेरा सर दोनों हाथों से पकड के जोर से चुम्मी ले ली।

“रीत से मेरी बात हुयी तुम्हारे लिए एक गिफ्ट भेजा है और एक मेसेज “

हांफते हुए बोली

इत्ती अच्छी खबर... चूमना तो बनता था। मैंने भी उसे चूम लिया.

अभी डी बी मन कर के गए थे दो घंटे से पहले रीत से कान्टेक्ट नहीं ...मैं इत्ता परेशान था और ये लड़की ...गुड्डी ...इसे तो एक तो बिना बताये मेरी हर परेसानी मालूम हो जाती है ...और उसका हल भी ...

बिना बोले ...

सुबह ...जब मैं इतना परेशान हलकान था और अब ...

तब तक गुड्डी ने एक मेसेज खोल दिया ...
मेहक का ...

" अरे ये तो मेहक का मेसेज है ...रीत का थोड़ी ..." मैंने गुड्डी से शिकायत की

" अरे बुद्धू , उसे बोला गया है की अभी 2 बजे तक अपनी आईडी ना यूज करे तो ...मैंने उससे बात भी की इसी पे ...पढो तो "

मेरी समझ में देर से आता है लेकिन आ जाता है ...मेहक के नाम का इस्तेमाल तो वो फेस बुक पे कोडेड बात चीत करने के लिए करती थी।

मेहक की भाभी दिया तो याद होंगी ...गुड्डी ने फिर पूछा

डाक्टर दिया ...
भला भूल सकता था मैं उनको ...चुम्मन वाले के बाद जब मैंने गुंजा और मेहक को उस के कब्जे से छुडाया था ...और मुझे चाक़ू लगा था ...उन्होंने मेरा इलाज किया था ...

डाक्टर तो वो अच्छी थी लेकिन उससे भी अच्छी मस्त भौजाई ...उन्होंने मुझे सख्त ताकीद दी थी की ...मैं उन्हें भाभी कहूँ सिर्फ भाभी ...उन्होंने ही तो रीत की पांच दिन वाली आंटी को टाटा बाई बाई करवा दिया था ....

"रीत वहीँ पे है , मेहक भी उस के साथ है।" गुड्डी ने हाल खुलासा बयान किया .

अब मेरे समझ में बात आगई ..प्राइवेसी और सेफ्टी के लिए उसे डाक्टर दिया के पास ले जाया गया होगा ...उन्ही के देख रेख में ...जिससे किसी को शक न हो ..आई बी वाले भी रीत की डिब्रिफिंग के लिए पगला रहे होंगे ...इसलिए रीत और डी बी ने मिल कर ...

अब मैंने मेसेज खोला ...टिपिकल रीत ...

"अभी होली में तो मैं बीजी हूँ ...मेरे हिस्से की होली मायके में अपनी बहनों और मायाकेवालियों के साथ खेल लो ...फिर आओगे ना बनारस तो रोज होली होगी ..सूद ब्याज .सहित ..

और याद है रंग पंचमी में क्या हाल होने वाली है तुम्हारी ..मेरे साथ मेहक और दिया भाभी भी तुम्हारा इंतजार कर रही है ...दुर्गत बनाने के लिए। हैप्पी होली ...और हाँ मैं बिलकुल ठीक हूँ ...लड़ाई में ज्यादा मजा नहीं आया ...वो साल्ले जल्दी फुस्स बोल गए।"

" और तुम कोई गिफ्ट बोल रही थी ना ..." मैंने गुड्डी से पूछा।

" नदीदे ...लालची ...बता दूंगी ...वो तुम्हारे और रंजी के लिए है ...आखिर रीत की भी तो छोटी ननद लगेगी ...हां मेरा और रीत का भी बाद में फायदा हो जाएगा ." " मेरे गाल पे चिकोटी काट के वो बोली।

मुझे मालूम था की अब वो इस बारे में कुछ और बात नहीं करेगी तो मैंने बात बदलने में ही भलाई समझी।

गुड्डी टाईट शलवार कुर्ते में एकदम मस्त लग रही थी। चुस्त कुर्ते से उसकी चून्चिया छलक रही थी और उसके भारी भारी मस्त चूतड , शलवार फाड़ रहे थे।

मेरे ख्याल से ये बताना गैर जरुरी है की मेरे हाथ गुड्डी के मेरे गोद में बैठते ही , उसके गदराये मस्त कुर्ता फाड़ते जोबन पर थे और उसका हाथ मेरे शार्ट के अंदर अपने 'खिलौने ' को पकडे

मैंने गुड्डी के मस्त गदराये जोबन को कुर्ते के ऊपर से मसलते हुए तारीफ की ...

" आज तो इस शलवार सूट में बहूत जान मार रही हो ."

मेरी और मुड के मुस्करा के वो बोली, " और क्या ...फिर इसमें सेफ्टी भी तो है , फ्राक या स्कर्ट में तो तुम जब चाहे तब उठा के , पैंटी सरका के , मजा ले लेते थे अब मैंने कस के नाडा बांधा है "

तब तो बड़ी मुश्किल होगी मुझे बन के मैंने बोला और फिर मेरा बायाँ हाथ उस के कुर्ते के अन्दर घुस के पेट पे गुदगुदी लगाने लगा।

गुड्डी को गुदगुदी खूब लगती थी, बनारस में ये मैं देख चुका था ...

ही ही ..खी खी ...उस की हालत ख़राब हो गयी

" हे ये फाउल है नहीं चलेगा ..." मुझ से बोली वो।

" एवरीथिंग इज फेयर इन लव एंड वार ..." मैंने घिसा पिटा डायलाग दुहराया और उसके रसीले गाल कचकचा के काट लिए .

उयीईईईईइ ...वो चीखी .

उसके दोनों हाथ मेरे गुदगुदी लगा रहे बाएं हाथ को रोक रहे थे ...बस यही तो मैं चाह रहा था ...जब तक वो कुछ समझे , मेरा दायाँ हाथ शलवार के नाडे पे ...

नाडा वास्तव में उसने कस के बांधा था ..दुहरी गाँठ और फिर पूरे नाड़े को शलवार के अन्दर खोंस रखा था।
लेकिन मेरे हाथ भी ...एक पल में नाडा मेरे हाथ में था और पांच सेकेण्ड के अन्दर नाडा खुल चुका था।

साथ ही मैंने दोनों हाथो से उसके चूतड को उचकाया और शलवार घुटनों तक सरका दी। साथ में मेरा बाक्सर शार्ट भी ..
अब जंगबहादुर सीधे गुड्डी के गोरे मस्त चूतड़ो पे रगड़ खा रहे थे।

मेरे दोनों हाथ अब फ्री थे गुड्डी के गदराये गोर किशोर उभरते जोबन का रस लेने के लिए ...और अगले पल मैं मसल रहा था रगड रहा था ..

और गुड्डी मुझे गालियाँ दे रही थी ...

" बेइमान बदमाश ...तेरी माँ बहनों ने लगता है खूब नाडा खोलने की प्रक्टिस कराई है ...किसका किसका नाडा खोलते थे बचपन से ..."

" इत्ती हलकी हलकी गालियों से क्या होगा ...क्या ससुराल में मुझे ऐसी फुस्स टैप की गालिया तेरी मां बहने भाभिया सुनाएगी ..."

मैंने उसे छेडा और एक पल के लिए एक हाथ से उसके हिप को उचका के अपने हथियार को सही जगह सेंटर कर दिया अब मेरा पूरी तरह तना लंड सीधे गुड्डी की गांड की दरार के बीच में था , और मैं उसे हलके हलके आगे पीछे कर रहां था।

और इससे सिर्फ उसकी गांड ही नहीं बल्कि मेरे मोटे मस्त सुपाडे से उसकी गुलाबी कच्ची चूत भी रगड खा रही थी।
साथ में मैं कुर्ते के उपर से ही उसके निपल पिंच कर रहा था ...गुड्डी की सिसकी निकल गयी ..

" देख चाहे तू स्कर्ट पहन या फ्राक या जींस या शलवार ...अब ये तेरी सोनचिरैया ऊपर वाले ने मेरे नाम लिख दी है ...तो फिर तो ये फट के रहेगी ...और अब तो पीछे वाली का नंबर लगना है ..." मैंने उसे छेडा।

कल से जब से मैंने उसकी डागी स्टाइल से ली थी ...मेरे दिमाग में बस उसके गोरे गुलाबी गोल मटोल चूतड नाच रहे थे ...जिस तरह से उसकी चिकनी रेशमी जांघे ...और फिर मस्त हिप्स ...

लेकिन सबसे ज्यादा जिसने मुझे पागल कर रखा था वो था उसका पीछे का छेद ...बस एक पतली सी हलकी सी भूरी दरार ...मैंने खूब थूक लगाकर अपनी उंगली पूरे जोर से घुसाने की कोशिस की ...लेकिन बस टिप घुसा ...और गुड्डी ने आज रात वायदा किया है ...पिछवाड़े की जन्नत का ..उंगली घुसाने में आफत थी तो मेरा ये पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाडा ...

लेकिन आज चाहे जो हो मुझे इस की गांड अब मारनी ही है और वो भी पूरे लंड से .. जब मेरा खूंटा गुड्डी की गांड से रगड़ता, दरेरता , आगे पीछे होता तो गुड्डी को भी वही बात याद आ रही थी जो मुझे ..आज आने वाली रात की ...

उसके रसीले होंठो को चूस कर मैंने पुछा, " हे आज रात का वादा सोच के घबडा तो नहीं रही हो ..."

" एकदम नहीं ..." जवाब में उसने मेरे गाल पे एक छोटी सी बाईट ले के बोला ..." बनारस वाली हूँ ..डरूँगी किससे ..इससे " और अपने नितम्ब सिकोड़ कर उसने मेरे लिंग को दबोच लिया और फिर बोली

" अरे अब ये तो मेरा है देखो इसको क्या क्या मजा दिलाती हूँ ...और तुम मेरी शर्त तो नहीं भूले ..."

गुड्डी ने कल पीछे वाले मजे की बात मान तो ली थी लेकिन शर्त ये थी की मैं रंजी की भी गांड मारूंगा ...

नेकी और पूछ पूछ ...और उसके चूतड तो गुड्डी से भी दो हाथ आगे थे ..और मुझे दिखा के गांड मटकाती भी बहूत थी ...मैंने हाँ कर दी थी ...लेकिन दिलवाने का जिम्मा गुड्डी का

.... गुड्डी के साथ इससे ज्यादा मजा दिन दहाड़े लेना मुश्किल था ...और जल्दी भी किस बात की ...जो मजा रात को मुलायम गद्दे पे उसके चाँदनी से नहाए बदन के साथ मिलता था ..

.
बस मेरा एक सपना था ...की अब ये मेरी गोद में बैठा बांहों में सिमटा ...सपना अब हमेशा हमेशा के लिए मेरा हो जाय , जिसे मैं रात में सोते देखूं ...दिन में जागते देखूं


 एक चीज मुझे सुबह से समझ में नहीं आ रही थी तो मैंने पूछ ली ...
" शीला भाभी कहाँ है सुबह से दिख नहीं रही है ..."

" अरे तुम को नहीं पता ...सुबह से जिस साधू के पास वो जाती है ...वहीँ आज पूजा का आखिरी दिन है ...तो भभूत मिलेगी उन्हें ...तुम्हे तो मालूम है उनकी शादी के तीन साल हो गए हैं ....लेकिन बच्चा नहीं हुआ ...इसलिए साधू के पास आयीं है ...गाव में कई लोगो ने उन्हें इस साधू के बारे मैं बोला था की भभूत से बच्चा हो जाता है ." गुड्डी मुस्करा के बोली।

मैंने जोर से गुड्डी की टनटनायी ,निपल पिंच की और बोला अरी बुद्धू बच्चे भभूत से नहीं 'इससे' होते हैं।"

वो खिलखिलाई और बोली ...
"अरे मेरे बुद्धू मुझे मालूम है और मुझसे ज्यादा शीला भाभी को मालुम है ..."

और कस के मेरे लिंग कोदबा दिया ...वो तुरंत 90 डिग्री पे हो गया। फिर कड़े मोटे खुले सुपाडे पे अंगूठे को रगडते बोली,

" मैंने तो उन्हें आफर भी कर दिया की ...ये छ: फूट का आदमी है , आपका देवर भी है किस दिन काम आयेगा ...ले लीजिये इसका सफेद भभूत अपने अन्दर ."
और फिर गुड्डी ने मुझे देख के कहा ...

" अरे दे दो ना बिचारी को वीर्य दान ...बहुत उपकार मानेगी "
फिर ठसके से बोली " किसी को चाहिए तो बहुत नखड़ा दिखा रहे हो ...वरना अपने बहनों का नाम ले ले के ...61,62 करते होगे , इधर उधर गिराते रहते होगे ..."

गुड्डी ना ...उसको समझना बहुत मुश्किल है।

मैंने फिर भी पूछ लिया ...

" बुद्धू ...तू बुरा नहीं मानेगी ...अगर मैं किसी और के साथ ..."

वह फिर खिल्खिलाई , उसने मेरे गाल को चूम लिया और हलके हलके किशोर हाथ मेरे लिंग पे चलाने लगी और बोली,

" अरे पगले , अभी तो मेरा नाम परमानेंटली इसपर लिखा नहीं है."

मैंने तुरन्त उस किशोरी का मुंह भीच दिया ..और कहा ,
" सुबह सुबह ऐसा बोलना भी मत , तुम जानती हो मैं क्या चाहता हूँ ..."

दिवाली की फुलझड़ी की तरह हंसती हुयी उसने मेरा हाथ हटा दिया और भोर की धुप की तरह खिलती खिलखिलाती बोली,

" मुझे क्या मालुम तुम क्या चाहते हो ...और वैसे भी देवरानी चुनने का हक़ तो तुमने अपनी भौजाई को दे दिया है ..लेकिन मान लो मेरा नाम इसपे लिख भी जाय तो ...फिर तो और ...तुम्हारी चांदी ..."

मेरे कुछ समझ में नहीं आया।

वो भी समझ गयी और मुझे समझाते बोली,

" अरे यार ...मेरे मायके वालियों को तो तुम छोड़ोगे नहीं , मेरी बहने, सहेलियाँ , भाभिया ...”

" तुम्हारी बहने तो अभी बहोत छोटी है ..." मैंने मुंह बना के कहा ..

" तुम्हारे ऐसा जीजा मिलेगा तो कब तक वो छोटी रहेगीं ...तुम्हारा हाथ पडेगा तो दिन दुनी बढेंगी.. वो हंसी फिर बोली लेकिन तब तक मेरी सहेलिया, गुंजा, मेहक ने तो आलरेडी नंबर लगा दिया है ...इस बार ही इस का रस वो लेके रहेंगी ...

फिर मेरी ममेरी बहन नेहा ...और मौसेरी बहने सब उम्र में मुझसे एक दो साल ऊपर नीचे ही होंगी ... और तुम्हे 'लोलिता' टाइप सालियाँ कैसी लगती है ..."

आँख नचा के अपने बाले जोबन को उभार के उस ने पूछा ...

कच्ची कलियाँ किसे नहीं पसंद होंगी ...ख़ास तौर से जब उस दौर में भी उनमे खिलते फूलों की रंग और खुशबू आनी शुरू हो जाए ...

और मैं ने भी बोल दिया

" हाँ एकदम पसंद हैं ...लेकिन तुम किस के बारे में बोल रही है और क्या गारंटी वो लिफ्ट दे या ना दे ..."

" अरे किस साल्ल्ली की हिम्मत है जो अपने इस जीजू को मना कर दे और अगर इस बार जिसके होंठों पे तुम ये बांसुरी लगा दोगे ...वो पीछे पीछे फिरेगी और फिर कोई नाज नखड़ा करे तो ...थोड़ी जोर जबरदस्ती भी चलती है जीजा साली में ..आखिर तुम्हारा हक़ है ... याद है मेरे वो मुट्ठीगंज , अलाहाबाद वाले मामा जी की ..."
गुड्डी ने मुस्करा कर कहा।

"कैसे भूल सकता हूँ मैं उन को खास तौर से तुम्हारी तीनो बहनों को ...और उनकी मम्मी को " मैंने भी मुस्कराकर कहा

वास्तव में , मेरे सेलेक्शन के कुछ दिन बाद की ही तो बात है ..मुझे दो तीन दिन के लिए अलाहाबाद जाना था। बनारस होते हुए गया तो गुड्डी के पापा ने कुछ कागज़ दे दिया , जो गुड्डी के मामा को वहां देना था ...और गुड्डी ने मुझ से खास तौर से अपनी तीनो कजिन्स से जरूर मिलने के लिए बोला था और फोन पर उनसे कुछ खुसुर पुसुर की ...किसी तरह गली गली ढूँढते ...उनके घर पहुंचा ....

दो बहने गुड्डी से छोटी ...एक तो दो साल छोटी अभी आठवें में गयी थी ..दूसरी एक साल छोटी अभी नवें में ...और एक बड़ी दो साल बारहवें में पढ़ती थी उस समय ...अब बी ऐ में गयी होगी ...

और उनकी मा बड़ी वाले की बड़ी बहन लगती थीं ...रूप में भी व्यवहार में भी ...

मुझे लगा छोटी वाली तो अभी बच्चिया होंगी इसलिए मैं चाकलेट ले गया था ..

सबसे पहली मुलाक़ात छोटी वाले से हुयी ...नाम तो गुड्डी ने बता दिया था उसका रूपा ...लेकिन देखते है मैं चौंक गया ...मुझे लगा था की बस उसके उभार नवांकुर से होगे ...टिकोरे ऐसे ...

लेकिन वहां तो एक दम उभार गदरा रहे थे ..अच्छी तरह ..और उस से भी बढ़कर , बात चीत व्यवहार ...एक दम अलग ...जब मैंने उसे चाकलेट दी ...तो वो एकदम चिपक गयी बच्चों की तरह लेकिन जिस तरह उसने अपने उभार मेरे सीने पे रगड़े ...और कान में बोला , " मुझे तो दूसरी वाली चाकलेट चाहिए ...जो जितना चूसो कभी ख़तम नहीं होती ..."

और एक दिन मैं रजाई में था तो मझली और छोटी दोनों घुस आई ...और मुझे आज तक नहीं पता चला की उनमे से किसके पैर मेरे लिंग मर्दन में लगे थे ...ऊपर से गुड्डी से शिकायत अलग की ...कीते शर्मीले है ..हम लोग तो सोच रहे थे की जिप खोल कर चेक कर लें.

उस समय तो मैं थोड़ा लजीला शर्मिला था लेकिन अब एकदम नहीं और अगर वो 'आफिसियल सालियाँ ' बन गयीं तो मैं उन्हें छोड़ने से रहा.

गुड्डी मुझे यादों से बाहर ले आई और हंस कर बोली,

" वो तो एक नमूना था ...मेरी मौसी की लडकिया तो उनसे भी दो हाथ आगे हैं तो सोच लो कैसी मस्त सालियों से पाला पडेगा तुम्हारा ...और फिर भाभियाँ ..कोई नहीं छोड़ने वाली तुम्हे ...

कई ने तो मुझसे वादा भी ले लिया है ..हे तेरा दुल्हा आयेगा ना तो पहले मैं ट्राई करुँगी ..साल्ली, सलहज, रिश्ता ही ऐसा है ...और अगर तुम ने किसी को छोड़ दिया न तो मैं बुरा मान जाउंगी."
मुंह बनाती हुयी वो सुमुखी बोली।

" किसी को भी सोच लो ..." मैं मुस्कराया . मेरे मन में रात में मैं उसकी माँ को लेके जो छेड़ खानी की थी वो याद थी।

दनादन चार पांच मुक्के मेरी छाती पर पड़े।

" बदमाश, दुष्ट ...मुस्कराते वो बोली। मैंने समझ रही हूँ तुम्हारा इशारा किधर है , लालची ..नदीदे ...मेरी मम्मी पर ही ..."
फिर हंस कर कहा ..अच्छे घर दावत दे रहे हो ..तुम्हे नहीं मालुम ...हमारे यहाँ सास -दामाद में कित्ता खुल कर मजाक होता है ...उन की गाली तो सुन ही चुके हो ना ...बस तुम्हारे घर में किसी को नहीं छोड़ेंगी ..ऐसी गालियाँ पड़ेंगी तुम्हे ..और वो मजाक सिर्फ जुबानी नहीं होता छुआ छुवन , पकड़ना सब कुछ ..फिर मैं कौन होती हूँ सास दामाद के बीच बोलने वाली ..वैसे उनके तो मजे आ जायेंगे ...."

फिर एक पल के लिए गुड्डी चुप रही फिर मुझे डांटते बोली .

".तुम भी ना ...मैं सब भूल जाती हूँ तेरे चक्कर में ...,मैं यह कह रही की मेरे मायके वालियों को तो तुम छोड़ोगे नहीं ...अभी से लार टपका रहे है ...और वो हैं भी ऐसी ...आखिर मेरी माय्केवालियाँ है ...और जहाँ तक तेरी मायके वालियां है ...उनके लिए मेरी ओर से छूट है ...

बिचारी ना जाने यहाँ वहां इधर उधर जाके मुंह मारेंगी ...कहीं कुछ रोग सोग लग जाय , कहीं कोई एम् एम् एस बनाके कालिनगंज में बिठा दे ...तो इससे अच्छा तुम्हारे साथ ही ...रंजी को तो मैं तुम्हे दिलवा के रहूंगी ...भले उसका हाथपैर बाँध के दिलवाना पड़े ...और उसके अलावा जो भी तेरी चचेरी, मौसेरी, ममेरी फुफेरी ..सब का ..."

इता लंबा डायलाग बोल के वो थक गयी और तब उसे याद आया की मेरे लिए नाश्ता लायी थी ...तो उसने अपने हाथ से खिलाना शूरु किया और फिर मुझे याद दिलाती बोली

"हे , दे दो ना बिचारी शीला भाभी को ...तुम्हे क्या मालूम ...गावं में कितने ताने झेलने पड़ते है उनको ..और मुझको मालूम है तुम एक बार भी करोगे ना तो वो शर्तिया ...प्लीज मेरी खातिर ...परसों ही जाना है उन्हें ...और मेरी चिंता छोडो ...दो दिन तो तुमने मुझे वैसे ही रगड़ के रख दिया है ..एक बार करोगे ना तो वो गाभिन हो जायेंगी ...मुझको पक्का मालुम है ..."

ये लड़की न ..किस किस की चिंता इसे नहीं है ...

दूसरी कोई होती तो जरा सा आँख उठा के देख लो तो मुंह फुला के बैठ जायेगी और ये खुद ..मैं ने सोचा ...और उस के गाल पे एक खूब जोर से चुम्मी ली और बोला ..

" अरे यार मेरी हिम्मत की तेरी बात टालूँ ...लेकिन कल तुमने इसका वायदा किया था ..."

और मैंने थोड़ा सा उसे उचका के एक हाथ नितम्ब पे रखा और उंगली सीधे नितम्ब के बीच की दरार पे ..

" दे दूंगी यार जब दिल दे दिया ...तो बिल क्या चीज है ...चाहे आगे की हो चाहे पीछे की ..लेकिन तुम्हे एक बात नहीं मालुम "

वो आँख नचाते , ठसके से बोली।


 वास्तव में मुझे नहीं मालुम था की वो क्या बोलने वाली है ..

उसने बात नहीं बतायी सिर्फ मेरे होंठो पे एक जबर्दस्त किस लिया ..बल्कि होंठो को चूस लिया कस के और बोली ...

" यही की ... तुम,...बहोत अच्छे हो ...थोड़े नहीं बहोत ...मुझे मालुम था की तुम मेरी बात टालोगे नहीं ...इसलिए मैंने उनसे प्रामिस कर दिया था की तुम शीला भाभी के लौटने से पहले ..सिर्फ करोगे ही नहीं बल्कि ..वो जिस काम के लिए आई है उसे पूरा कर दॊगे ..तभी तो कल रात पन्दरह मिनट में उनके पास से छूट के तुम्हारे पास आ गयी थी ...और अब उन से घबडाने की भी कोई बात नहीं .”

तभी उसे कुछ याद आया और वो मेरा छुडाते हुए बोली ...

" तुम बहोत बहोत... बुरे हो। तुम्हारे पास आने के बाद मैं सब कुछ भूल जाती हूँ ...कुछ भी ध्यान नहीं रहता

...अब देखो ..अभी शीला भाभी भी नहीं है ..और पूरा किचेन का काम तुम्हारी भाभी मेरे हवाले कर के ऊपर बीजी है ...अव सीधे एक घंटे में आंएगी और पूरा खाना तैयार होना चाहिए ..”

वो उठी और अभी कमरे से बाहर निकल भी नहीं पायी थी की ..जैसे की लोग कहते है ना ...शैतान का नाम लो और, ...तो शीला भाभी हाजिर ...और गुड्डी को देख के उन्होंने बहोत ही अर्थ पूर्ण ढंग से मुस्कराया ...

लेकिन गुड्डी भी ना ...उसने हलके से उनको आँख मार दी और मुझको दिखाते हुए अपने मस्त बड़े बड़े चूतड मटकाते बाहर निकल दी ..

वो उठी और शीला भाभी मेरे सिंहासन पर ...

मैंने खींच कर जबरन उनको अपने गोद में बैठा लिया था। और एक हाथ से उनके गोरे गोरे गाल को सहलाते हुए पूछा ...

" भौजी आज सबेरे सबेरे किसको दरसन देने चली गयी थी।"

मेरी बात टालते हुए , उन्होंने अपने भारी नितम्बो से पूरी तरह खड़े जंगबहादुर को दबाते हुए मुझे छेड़ा और बोलीं,

" लाला, झंडा तौ बहोत जबर्दस्त खड़ा किये हो ...अभी फहराए की नहीं ..अरे मौक़ा था ...तोहार भौजाई ऊपर लगवाय रही हैं ...

त तुमहूँ ठोंक दिहे होते छोकरिया का ..बहुत छर्छरात फिरत है ...एक बार इ घोंट लेगी ना ता बस गर्मी ठंडी हो जायेगी ...खुदे मौका ढूंढेगी ..तोहरे नीचे आने की ...लेकिन तू तौ मौक़ा पाय के भी खाली ऊपर झांपर से मजा लैके ...
अरे इ अगर गांव में होती ना ..त कितने लौंडे ..अरहर अउर गन्ना के खेत में चोद चोद के,....लेकिन तू सहर वाले ना ..."

बात त भाभी की कुछ ठीक थी। और उस की ताकीद मैंने उन को दोनों खूब गदराई चूंची को दाब कर की।

"लेकिन भाभी आप सबेरे सबेरे ..इहाँ कौनो यार वार है का ..." मैंने जानते हुए भी पूछा।

" अरे एक ठो साधू है ना ...बस उही के चक्कर में ..." उन्होंने कुछ इशारा किया और मैंने बात आगे बढाई ..

" अरे कहाँ बूढ़ पुरनिया साधू के चक्कर में भौजी ...हम तो इहाँ जवान हट्टा कट्टा देवर घर में ...और ..अरे आप एक मौका दीजिये हम बोले तो थे ....ठीक नौ महीने बाद सोहर होगा ...गारंटी।"

और मैंने शीला भाभी के ब्लाउज के दो बटन भी खोल दिए ...इत्ते मस्त रसीले जोबन का कैद में रखना नाइंसाफी है ...

और शीला भाभी ने कोई ऐतराज नहीं किया ना कोई रोक टोक ...बस बोला ..

" लाला , हम कब मना किये हैं ...लेकिन तुमसे तो उ छटांक भर की लडकी पटती नहीं और ...चलो आज हो जाय रात में कबड्डी ..."
वो बोलीं ...अब मेरे लिए मुश्किल थी।

आज तो गुड्डी के पिछवाड़े का उद्घाटन था ...मैने फिर कम्प्यूटर देवी की सहायता से बात संभाली और एक साईट खोली और शीला भाभी को दिखाया ..गर्भाधान के लिए उत्तम मुहूर्त ...

उनकी निगाह कंप्यूटर से एकदम चिपक गयी थीं ...

मैंने उन्हें समझाया ..." अरे भौजी मजा लेना हो तो ...कभी भी ले लें ..लेकिन हमें तो 9 महीने बाद आपके आँगन में किलकारी सुननी है ना ...इसलिये ये देखिये ..."

साईट पर लिखा था की पूनम की रात में सम्भोग करने से गर्भाधान अवश्य होता है ...

मैंने शीला भाभी को समझाया ...आज रात आप पूरी तरह से आराम करिए ...कल होली है ना ...पूनम की रात ...तो बस कल रतजगा होगा देवर भाभी का ...और 9 महीने बाद पूनम ऐसी बेटी ...चन्दा चकोरी ऐसी ..."

भाभी कंप्यूटर देख रही थी ...उसमे तमाम तंत्र मन्त्र कुंडली इत्यादि बने थे

मन्त्र मुग्ध होके मेरी ओर देख के बोली ...लाला बात तो तू सोलहे आना सच कह रहे हो ....इ मशिनिया त उ बबवा से केतना आगे है ...

एक बटन और खुली और मेरा हाथ अब शीला भाभी के ब्लाउज में अन्दर था और खुल कर जोबन मर्दन का सुख ले रहा था ..

" ता भाभी उ साधू त कतौं भभूत के नाम पे इ हमारी छमक छल्लो भौजी ...के साथ ..."

" अरे लाला उ ...खडा ना होए ओकर ढंग से ...आज इहे तो तमाशा हो गया .."

वो अपनी कहानी शुरू करती की गुड्डी पास में आके खड़ी हो गयी।

भाभी थोड़ा कुनमुनाई , थोडा कसमसाई ...लेकिन मैंने उनके ब्लाउज से हाथ बाहर नहीं निकाला और उनके कान में बोला ,
" अरे भौजी , इससे क्या शर्माना छिपाना ...येभी तो अपने गैंग की है."

और दूसरा हाथ सीधे गुड्डी के मस्त टाईट कुर्ते के बाहर छलकते, गदराये, गुदाज जोबन के ऊपर और उसे मैंने बिना झिझके दबा दिया।

गुड्डी ने ना मेरा हाथ हटाया न पास से सरकी बल्कि और सट गयी और तारीफ भरी निगाह से मेरी ओर देखने लगी ..आखिर मैंने उसकी बात जो मानी थी और शीला भाभी पे लाइन मार रहा था ..

मैंने एक साथ दोनों का जोबन मर्दन किया , एक उभरता नवल किशोर गदराता उरोज और दूसरी मस्त भरपूर छलकता जोबन के जोर से भरपूर ...

" हाँ तो भाभी आप उ साधू की बात बता रही थी ..."

फिर मैंने बात का रुख शीला भाभी की ओर किया और गुड्डी भी मेरे हमले में शामिल हो गयी।

" उ आप मुंह अँधेरे सबेरे गयी थी ...बोली थीं की एक दो घंटा लगेगा ...लेकिन चार घंटा से उपर ...अरे अगर उ बाबा' इतना टाइम 'लगाये हैं तब तो पक्का ..जरूर से ..."

गुड्डी की शरारती मीठी निगाह बोल रही थी की ' इतना टाइम' से उसका किस चीज से मतलब था ...

लेकिन उसी तरह मुस्कराते हुए शीला भाभी ने पूरी कहानी बतायी।

" अरे इ सब कुछ नाहीं ...जो तुम सोच रही हो ...सुबरे ..एक सेठानी अपनी नयी बहुरिया ..."

फिर गुड्डी की और देख के बोलीं ,

एकदम तोहार समौरिया , उहे रंग रूप उहे जोबन ..तोहार ऐसन ..त उ ओके ... साधू बाबा के पास भेजी की बाबा इसको आशीर्वाद दे देंगे ..बहुरिया गयी अन्दर ...

अब साधू बाबा आपन सांप निकारें लेकिन उ फन काढ़े के लिए तैयारे ना होय ...

बाबा उ बहुरिया से कहें की बेटा ज़रा इसको हाथ लगाओ ..सहलाओ अभी एक दम तन्तानायेगे ...लेकिन कुछ ना ..आधा घंटा बेचारी बहुरिया ...रगड़ती मसलती रही ...फिर उ बोले की तनी आपन होंठ लगाओ ...उ उहो किहिस ..और तनिक जान आई ..

.फिर उसके बाद बाबा उसकी बिल में घुसाने की कोशिश की ...त उ फिर से केंचुआ ...उहो मरघिल्ला. नयी बहुरिया की बिल ..ओकरे सास का कौनो भोंसडा तो था नहीं ...कैसे जाता ...थोड़े देर बाद उ पगलाय गयी और वही बाबा को वो पिटाई ...

फिर पुलिस आई ..तो पता चला की उ कैमरा लगा के फ़िल्म बना के ब्लैकमेल भी करता था ता पुलिस वाला हम सबका ब्यान लिया इस लिए इतना टाइम लग गया.”

मैं और गुड्डी दोनों मुस्कराए बिना नहीं रह पाए।

गुड्डी अपना होंठ दबा के बोली ..." भाभी ज़रा किचेन में हेल्प करा दीजिये ना बेलने में ..."

शीला भाभी खड़ी होके से छेड़ते हुए बोलीं ,

" अभी तुझे बेलन पकड़ना नहीं आया क्या ..चल सिखा देती हूँ ...तुझे अभी बहोत ट्रेनिंग देनी है।"

वो जब बाहर निकल रही थी तो गुड्डी ने एक बार मुझे देखा और उनसे हंसते हुए बोली ..." कडियल नाग होते हुए भी आप केंचुए के चक्कर में पड गयी थी।"

वो दोनों किचेन में चली गयी और मेरे मोबाइल पे कई मेसेज थे ...बडौदा और मुम्बई से .

जैसे बीती रात रीत और बाद में रीत और सिद्दीकी , दहशतगर्दी के खिलाफ एक जंग लड़ रहे थे , जिसमें न दुशमन का नाम मालुम ना पता मालुम ना उसका कोई चेहरा ...सिर्फ उसका एक मकसद है दहशत फैलाना , लोगों के चेहरे से ख़ुशी छीनकर , मुस्कान नोचकर उसकी जगह एक बदनुमा डर चिपका देना, एक खौफ पोत देना ...उस लड़ाई में मालुम नहीं गोली, कब किधर से आये, कब बच्चे का खिलौना, दुलहन का श्रृंगार बम बन कर फट जाय , कब होली की मस्ती की गूँज , जोगीड़ा और चौताल फाग का शोर , मौत के सन्नाटे में बदल जाय ...

उसी तरह की लड़ाई बीती रात , उसी मकसद से , उसी दुश्मन से तीन लोग पूरी रात लड़ रहे थे ,
एक दिल्ल्ली में , एक मुम्बई में और एक वाशिंगटन में ... .

यह जंग भी उसी शिद्दत से लड़ी जा रही थी , उसी जद्द्दोजेहद से ...लेकिन इसके हथियार कंप्यूटर, बैंक की बैलेंस सहित, कंपनियों के शेयर के हिसाब किताब उनके ट्रांजेक्शन और भी ऐसी बहुत चीज्ञे थीं,

इसमें आंकड़ो की क्रंचिंग की जा रही थी और उससे कुछ निष्कर्ष निकाले जा रहे थे और कुछ निकाले जाने थे ..

दिल्ली से फाइनेन्सियल इंटेलिजेंस यूनिट के एक अनुभवी विषेशज थे जिन्हें टेरर फंडिंग पर महारत हासिल थी और बहोत दिन वो अमेरिका के एफ ए टी एफ ( फाइनेंसियल ऐक्शन टास्क फोर्स ) के साथ टेरर फाइनांस और ए एम् एल ( एंटी मनी लाण्डरिङ्ग ) पर काम कर चुके थे। इनका नाम न मुझे मालूम है और ना मैं बता सकता हूँ।

इनके साथ मुम्बई से सेबी ( सिक्युरिटिज एंड एक्सचेंज बोर्ड ) के एक व्यक्ति , जो थे तो सेबी में लेकिन एक अण्डर कवर एजेंट थे , डिपार्टमेंट आफ इकोनामिक इंटेलिजेंस के और जिन्हे शेयर ट्रांजेक्शन समझने में महारत हासिल थी ...

और इनके साथ वाशिंगटन से( टी एफ टी पी ) टेररिस्ट फाइनेन्स ट्रेकिंग प्रोग्राम के एक सीनयर अनलिस्ट थे। इस प्रोग्राम की शुरू आत 9/11 के बाद की गयी थी. इस की सबसे ख़ास बात स्विफ्ट ( सोसायटी फार वर्ड वाइड इंटर बैंक फाइनेन्सियल टेली कम्युनिकेशन ) थी , जो बेल्जियम में बेस्ड है लेकिन फंड ट्रांसफर को चेक करने के लिए बहोत उपयोगी है
बल्कि जो दिल्ली में फाइनेन्सियल इंटेलिजेंस यूनिट के हेड थे वो इनके साथ एग्माण्ट ग्रुप में थे।

हवाला रैकेट को तोड़ने में उन लोगों के सहयोग से बहुत मदद मिली।

9./11 कमीशन के हिसाब से वर्ड ट्रेड सेंटर पर अटैक में 4 से 5 लाख डालर खर्च हुए थे। । पायलट की ट्रेनिंग का खर्चा इससे अलग था।

लेकिन असली खर्चा उन संगठनो के मेण्टेनेन्स के लिए होता है .9/11 के पहले ये माना जाता है की टेरर इकोनामी 500 बिलियन अमेरिकन डालर थी। इसमे दुनिया के सारे टेरर संगठन शामिल है। इसका 1/3 क़ानूनी तरीके के धंधे से मिलता था और शेष गैर कानूनी तरीके से जो अमेरिकन डालर में लांडर किया जाता था।

लेकिन 9/11 के बाद अमेरिका ने जो प्रतिबन्ध लगाये उससे यह पूँजी बहुत कुछ यूरोप चली गयी। अमेरिका ने टेरर फंड फ्रिज करने की कोशिश की लेकिन अब तक सिर्फ 200 मिलयन डालर की पूँजी जब्त हुयी है जो ऊंट के मुंह में जीरा है। और अभी भी टेरर इकोनामी 4 से 6 % की दर से बढ़ रही है।

अफगानिस्तान में तालिबान के खात्मे या उसका असर बहोत कम होने से नार्को टेरर फंड जो अफीम की स्मगलिंग से पैदा होता था वो भी बहोत कम हो गया।

उसके बाद योरोपियन इकोनामी के मेल्ट डाउन होने का भी असर पड़ा और इसलिए ये मान जा रहा था की टेरर फंडिंग में , खासतौर से इमर्जिंग एकोनामिज का रोल अब बढ़ रहा है।

खास तौर से इंडिया में पहले से भी हवाला का बहोत जोर था।


इसलिए कल जब मुझे ये खबर मिली की कुछ ग्रुप कुछ ख़ास इंडस्ट्री के शेयर बेच रहे है ...तो मुझे शक हुआ और मैंने शाम को ही कल डायरेक्टर रेवेन्यु इंटेलिजेंस से ये इन्फो शेयर की थी। और उन्होंने ये ग्रुप कान्स्टिट्युट किया।

और उन्होने 10 बजे करीब अपनी जो प्रिलिमनरी रिपोर्ट सौंपी थी ...वो ना मेरे सारे शक को सही करती थी , बल्कि कुछ अनुत्तरित सवालों के जवाब भी दे रही थी।

बनारस की लडाई थोड़ी आसान थी, वो सामाजिक विशवास के खिलाफ थी। उससे जो लोग उन हमलों में मरते वो तो मरते ही ..लेकिन एक सामाजिक अविश्वास पैदा होता

पर बडौदा और मुम्बई में हमला आर्थिक औद्योगिक धुरी पर होने वाला था।
और इस हमले का आर्थिक फायदा भी ये ग्रुप उठाने वाला था।

रिपोर्ट बहोत काम्प्लिकेटेड थी, आंकड़ो और टेबल्स से भरपूर ...लेकिन मतलब साफ था।

पांच सेक्टर में इन ग्रुप में पिछले 15 दिनों में करीब 55 करोड़ के शेयर शेड आफ किये थे ...और तीन दिनों से ये रफ्तार बढ़ गयी थी . लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये थी की इस ग्रुप ने इस सेक्टर की प्राइवेट सेकटर में करीब 20% हिस्सेदारी ले ली थी और गर्वमेंट कारपोरेशन में भी काफी अच्छे शेयर लिए थे।

दूसरी बात ये थी की , ये जो शेयर शेड आफ किये गए थे ...उस पैसे से किसी और कंपनी के शेयर नहीं ख़रीदे गए थे।

तीसरी बात की जब ये पैसे ट्रेस करने की कोशीश की गयी तो ये सभीके, केमैन आईलेंड ऐसे जगहों की शेल कम्पनियां थीं।

चौथी बात ये थी की सारे ट्रांजैक्शन यूरो में हुए थे।

पांचवी मजेदार बात ये थी की ...ये सभी कंपनिया और सेक्टर फाइनेन्सियल रूप से साउंड थे। इनके शेयर की कीमत बढ़ रही थी और अगर किसी को कही और इन्वेस्ट नहीं करना हो तो इन के शेयर बेचने का मतलब नहीं था

ये सेकटर थे, पोर्ट, पावरहाउस, कोल , पेट्रोलियम, और इन्फ्रा ..

सेक्टोरल अनेलिसिस के साथ स्पेसिफिक कंपनी की भी डिटेल्स थीं।

एक प्राइवेट कंपनी ने अभी वेस्टर्न इंडिया में कई जगहों पर पोर्ट ख़रीदे थे , उस के शेयर भी इसमें थे।

बहोत डाटा अनुसंधान करने के बाद मुझे वो चीज मिल गयी , जो मैं ढूंढ रहा था।

अब दो सवाल और थे ,
ये कौन लोग हैं ...रजिस्ट्रार आफ कम्पनीज के आंकड़े भी इस रिपोर्ट में थे लेकिन वो नाकाफी थे।

दूसरा इस टेरर अटैक से किसे फायदा होगा ..

इस रिपोर्ट में ये भी शक था की या तो ये पैसा किसी टेरर आपरेशन के लिए निकाला गया होगा या तो मनी लाण्डरिङ्ग के लिए ...

मुझे दोनों बातों पर शक था।
मेरे ख्याल से इस का परपज कुछ और था ...


खैर अब बात आगे की थी ...
मैंने कल एक स्टाक ब्रोकर को भी बाम्बे में इस काम पे लगाया था ...उसकी दो मिस्ड काल्स आ चुकी थीं।
मैंने उसे नम्बर लगाया।

उस ने वही बताया जो की कमोबेस रिपोर्ट में था ...

लेकिन उस ने एक सॉलिड बात ये बताई की कौन स्टाक ब्रोकर उन शेल कंपनियों के लिए काम करता था ...ये वही आदमी था जिसने एक काल गर्ल के सामने ये बात उगली थी और जिससे एन पी एस
( नो प्राब्लम सर ) को ये बात पता चली थी।


दूसरी बात इस रिपोर्ट में शेल कम्पनियों के कुछ टेलीफोन नंबर और मेल आई डी थे ...जिसके जाल की अभी ये सुलझा रहे थे ...मैंने वो सारे डीटेल्स ...क्लाउड सर्वर पर अपने हैकर मित्रों के लिए छोड़ दिए .

मैंने एक बार फिर आंख बंद कर सोचा ...

इस रिपोर्ट से मुम्बई की तस्वीर अभी भी बहोत धुंधली थी ...लेकिन बडौदा में हमला कहाँ होगा अब मैं लगभग 100% श्योर था ...हाँ कैसे होगा ...उस की 1% भी हवा मुझे नहीं थी ...और बिना ये मालूम हुए उसे प्रिवेंट करना बहूत मुश्किल था।

मैंने एक कोने में स्काइप भी खोल रखा था और वहां दो बार मेसेज आ चुका था ...मेल एस्कोर्ट फ्रॉम मुम्बई ...


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