Sunday, September 7, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--29

FUN-MAZA-MASTI

 बदलाव के बीज--29

 अब आगे...


सुबह उठने में काफी देर हो गई... सूरज सर पे चढ़ चूका था| बड़के दादा, बड़की अम्मा और पिताजी खेत जा चुके थे| घर में केवल मैं, माँ, नेहा और माँ ही रह गए थे| मैं एक दम से उठ के बैठा, आँखें मलते हुए भौजी को ढूंढने लगा| भौजी मुझे मटकी में दूध ले के आती हुई दिखाई दीं|

मैं: आपने मुझे उठाया क्यों नहीं?

भौजी: कल आप बहुत थक गए थे इसलिए पिताजी का कहना था की आपको सोने दिया जाए| और वैसे भी उठ के आपने कहाँ जाना था?

मैं: खेत...

भौजी: आपको मेरी कसम है आप खेत नहीं जाओगे... कल की बात और थी| कल व्रत के कारन आप मुझसे दूर थे पर आज तो कोई व्रत नहीं है| चलो जल्दी से नहा धो लो, मैं चाय बनाती हूँ|

मैं: अच्छा एक बात बताओ, पिताजी और बड़के दादा गए थे बात करने?

भौजी: आप नहा धो के आओ, फिर बताती हूँ|


मैं नहा धो के जल्दी से वापस आया, तब माँ भी वहीँ बैठी थी| उन्होंने भौजी से कहा; "बहु बेटा, मानु के लिए चाय ले आना|" और भौजी जल्दी से चाय ले आईं| चाय पेट हुए माँ ने बताया की पिताजी और बड़के दादा गए थे ठाकुर से बात करने| पर माधुरी अब भी अपनी जिद्द पे अड़ी है, कहती है की वो अपनी जान दे देगी अगर तुम ने हाँ नहीं बोला| हमारे पास और कोई चारा नहीं है, सिवाए पंचायत में जाने के| बदकिस्मती से तुम्हें भी पंचायत में अाना होगा| मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी की मुझे उस लड़की वजह से पंचायत तक में अपनी बत्ती लगवानी होगी| मैं बहुत परेशान था.... खून खोल रहा था| उस लड़की पे मुझे इतना गुस्सा आ रहा था की .... मैं हिंसक प्रवत्ति का नहीं था इसीलिए चुप था! मैं उठा और अभी कुछ ही दूर गया था की माँ की आवाजे आई: "बेटा, उस लड़की से दूर रहना! वरना वो तुम्हारे ऊपर कोई गलत इलज़ाम ना लगा दे|" ये मेरे लिए एक चेतावनी थी!!!

मैं वहीँ ठिठक के रह गया और वापस मुदा और आँगन में कुऐं की मुंडेर पे बैठ गया| सर नीचे झुकाये सोचने लगा... की कैसे मैं अपना पक्ष पांचों के सामने रखूँगा| चार घंटे कैसे बीते मुझे पता ही नहीं... भौजी मेरे पास आईं मुझे भोजन के लिए बुलाने के लिए|

भौजी: चलिए भोजन कर लीजिये...

मैं: आप जाओ .. मेरा मूड ठीक नहीं है|

भौजी: तो फिर मैं भी नहीं खाऊँगी|

मैं: ठीक है, एक बार ये मसला निपट जाए दोनों साथ भोजन करेंगे|

भौजी: पर मुझे भूख लगी है...

मैं: तो आप खा लो|

भौजी: बिना आपके खाए मेरे गले से निवाला नहीं उतरेगा|

मैं: प्लीज... आप मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो| और आप जाके भोजन कर लो!!!

भौजी कुछ नहीं बोलीं और उठ के चलीं गई, दरअसल मुझे मानाने के लिए माँ ने ही उन्हें भेजा था|मैं अकेला कुऐं पर बैठा रहा... अजय भैया शादी से लौट आये थे, परन्तु चन्दर भैया शादी से सीधा मामा के घर चले गए थे| सब ने एक-एक कर मुझे मानाने की कोशिश की परन्तु मैं नहीं माना... घर के किसी व्यक्ति ने खाना नहीं खाया था| सब के सब गुस्से में बैठे थे| पांच बजे पंचायत बैठी... सभी पांच एक साथ दो चारपाइयों पे बैठे और दाहिने हाथ पे माधुरी और उसका परिवार बैठा था और बाएं हाथ पे मेरा परिवार बैठा था|


 सबसे पहले पंचों ने माधुरी के घरवालों को बात कहने का मौका दिया और हमें चुप-चाप शान्ति से बात सुनने को कहा| उनके घर से बात करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, इसलिए माधुरी स्वयं कड़ी हो गई|

माधुरी: मैं इनसे (मेरी ओर ऊँगली करते हुए) बहुत प्यार करती हूँ ओर इनसे शादी करना चाहती हूँ| पर ये मुझसे शादी नहीं करना चाहते| मैं इनके बिना जिन्दा नहीं रह सकती ... मैं आत्महत्या कर लुंगी अगर इन्होने मुझसे शादी नहीं की तो!!!
(इतना कह के वो फुट-फुट के रोने लगी| ठाकुर साहब (माधुरी के पिता) ने उसे अपने पास बैठाया ओर उसके आंसूं पोछने लगे|)

ठाकुर साहब: पंचों आप बताएं की आखिर कमी क्या है हमारी लड़की में? सुन्दर है...सुशील है..पढ़ भी रही है... अच्छा खासा परिवार है मेरा, कोई गलत काम नहीं करते... सब से रसूख़ रखते है| सब हमारी इज्जत करते हैं.... ये जानते हुए भी की लड़का हमारी "ज़ात" का नहीं है हम शादी के लिए तैयार हैं| हम अच्छा खासा दहेज़ देने के लिए भी तैयार हैं, जो मांगें वो देंगे, तो आखिर इन्हें किस बात से ऐतराज है? क्यों मेरी बेटी की जिंदगी दांव पे लगा रहे हैं ये?

पंच: ठाकुर साहब आपने अपना पक्ष रख दिया है, अब हम लड़के वालों अ भी पक्ष सुनेंगे| ओर जब तक इनकी बात पूरी नहीं होती आप बीच में दखलंदाजी नहीं करेंगे|

अब बारी थी हमारे पक्ष से बात करने की ... पिताजी खड़े हुए पर मैंने उनसे विनती की कि मुझे बोलने दिया जाए| पिताजी मेरी बात मान गए ओर पुनः बैठ गए| मैं खड़ा हुआ ओर अपनी बात आगे रखी;

मैं: सादर प्रणाम पंचों! मुझे मेरे पिताजी ने सीख दी है कि "पंच परमेश्वर होते हैं" | हमें उनके आगे कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए इसलिए मैं आपसे सब सच-सच कहूँगा| पांच साल बाद मैं अपने गाँव अपने परिवार से मिलने आया हूँ ना कि शादी-व्याह के चक्करों में पड़ने| जिस दिन मैं आया था उस दिन सबसे पहले ठाकुर साहब ने अपनी बेटी का रिश्ता मुझसे करने कि बात मुझे से कि थी, और मैंने उस समय भी खुले शब्दों में कह दिया था कि मैं शादी नहीं कर सकता| मैं इस समय पढ़ रहा हूँ... आगे और पढ़ने का विचार है मेरा| मेरे परिवार वाले नहीं चाहते कि मैं अभी शादी करूँ| रही बात इस लड़की कि, तो मैं आपको बता दूँ कि मैं इससे प्यार नहीं करता| ना मैंने इसे कभी प्यार का वादा कभी किया... ये इसके दिमाग कि उपज है कि मैं इससे प्यार करता हूँ| इस जैसी जिद्दी लड़की से मैं कभी भी शादी नहीं करूँगा... जिस लड़की ने मेरे परिवार को पंचायत तक घनसीट दिया वो कल को मुझे अपने माता-पिता से भी अलग करने के लिए कोर्ट तक चली जाएगी| मैं इससे शादी किसी भी हालत में नहीं कर सकता|


 पंच: शांत हो जाओ बेटा... और बैठ जाओ| माधुरी... बेटा तुम्हारा ये जिद्द पकड़ के बैठ जाना ठीक नहीं है|क्या मानु ने कभी तुम से कहा कि वो तुमसे प्यार करता है?

माधुरी: नहीं.... पर (मेरी और देखते हुए.. आँखों में आँसूं लिए) मुझे एक मौका तो दीजिये| मैं अपने आप को बदल दूंगी... सिर्फ आपके लिए! प्लीज मेरे साथ ऐसा मत कीजिये...

मैं: तुम्हें अपने आपको बदलने कि कोई जर्रूरत नहीं... तुम मुझे भूल जाओ और प्लीज मेरा पीछा छोड़ दो| तुम्हें मुझसे भी अच्छे लड़के मिलेंगे... मैं तुम से प्यार नहीं करता!!!

पंच: बस बच्चों शांत हो जाओ!!! हमें फैसला सुनाने दो|

पंचों कि बात सुन हम दोनों चुप-चाप बैठ गए... मन में उथल-पुथल मची हुई थी| अगर पंचों का फैसला मेरे हक़ में नहीं हुआ तो ? ये तो तय था कि मैं उससे शादी नहीं करूँगा!!!

पंच: दोनों कि पक्षों कि बात सुनके पंचों ने ये फैसला लिया है कि ये एक तरफ़ा प्यार का मामला है, हम इसका फैसला माधुरी के हक़ में नहीं दे सकते क्योंकि मानु इस शादी के लिए तैयार नहीं है| जबरदस्ती से कि हुई शादी कभी सफल नहीं होती... इसलिए ये पंचायत मानु के हक़ में फैसला देती है| ठाकुर साहब, ये पंचायत आपको हिदायत देती है कि आप अपनी बेटी को समझाएं और उसकी शादी जल्दी से जल्दी कोई सुशील लड़का देख के कर दें| आप या आपका परिवार का कोई भी सदस्य मानु या उसके परिवार के किसी भी परिवार वाले पर शादी कि बात का दबाव नहीं डालेगा| ये सभा यहीं स्थगित कि जाती है!!!

पंच अपना फैसला सुना चुके थे...मुझे रह-रहके माधुरी पे दया आ रही थी| ऐसा नहीं था कि मेरे मन में उसके लिए प्यार कि भावना थी परन्तु मुझे उस पे तरस आ रहा था| मेरे परिवार वाले सब खुश थे... और मुझे आशीर्वाद दे रहे थे ... जैसे आज मैंने जंग जीत ली थी| ऐसी जंग जिसकी कीमत बेचारी माधुरी को चुकानी पड़ी थी| पंचायत खत्म होते ही ठाकुर माधुरी का हाथ पकड़ के उसे खींचता हुआ ले जा रहा था| माधुरी कि आँखों में आँसूं थे और उसी नजर अब भी मुझ पे टिकी थी| उसका वो रोता हुआ चेहरा मेरे दिमाग में बस गया था... पर मैं कुछ नहीं कर सकता था| अगर मैं उसे भाग के चुप कराता तो इसका अर्थ कुछ और ही निकाला जाता और बात बिगड़ जाती|

मेरे घर में आज सब खुश थे... भोजन बना हुआ था केवल उसे गर्म करना था| जल्दी से भोजन परोसा गया ... मैंने जल्दी से भोजन किया और आँगन में टहलने लगा| नेहा मेरे पास भागती हुई आई और मैं उसे गोद में ले के कहानी सुनाने लगा| पर आज उसे सुलाने के लिए एक कहानी काफी नहीं थी... इसलिए मैं उसे भौजी के घर ले गया.. आँगन में एक चारपाई बिछाई और उसे लेटाया| पर उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा और विवश हो के मैं भी उसके पास लेट गया और एक नई कहानी सुनाई| कहानी सुनाते-सुनाते ना जाने कब मेरी आँख लग गई और मैं वहीँ सो गया| जब मेरी आँख खुली तो देखा भौजी नेहा को अपनी गोद में उठा के दूसरी चारपाई जो अंदर कमरे में बिछी थी उसपे लिटाने लगी| मैं जल्दी से उठा... और बहार जाने लगा; तब भौजी ने मुझे रोका\

भौजी: कहाँ जा रहे हो आप?

मैं: बहार सोने

भौजी: बहार आपकी चारपाई नहीं बिछी.. दरअसल भोजन के पश्चात घर में सब आपको ढूंढ रहे थे| पर आप तो यहाँ अपनी लाड़ली के साथ सो रहे थे तो आपकी बड़की अम्मा ने कहा कि मानु को यहीं सोने दो| दिन भर वैसे ही बहुत परेशान थे आप!






हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator